• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest पहाडी मौसम

lovlesh2002

Member
262
501
93
अंगूर तोड़ने के बहाने मुखिया की बीवी सूरज को अपने अमरूद का स्वाद चखा गई थी,,, कई दिन से वह भी सूरज के साथ अपनी प्यास नहीं बुझा पाई थी,,, इसके लिए उसे इस तरह से खेत पर सूरज से मुलाकात करने के लिए आना ही पड़ा,, वैसे मुखिया की बीवी का इसमें कोई दोष नहीं था। क्योंकि बुर की खुजली होती है इतनीजबरदस्त कि उसे मिटाने के लिए औरत किसी भी हद तक जा सकती है,,,, लेकिन मुखिया की बीवी भी पक्की खिलाड़ी थी अपने पति के साथ खेत पर पहुंच गई थी और वहां पर खुद सूरज की मां भी मौजूद थी लेकिन कितनी सफाई से अपने पति और सूरज की मां को वहीं पर रोक कर वहां अंगूर तोड़ने के बहाने अंगूर के बाग में सूरज के केले से अपनी भुख मिटा रही थी,,, वैसे तो मुखिया की बीवी की मौजूदगी सेसुनैना को थोड़ा बहुत एक औरत होने के नाते औरत से जलन तो होने लगी थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा आप पूरा जवान हो चुका है ऐसे में प्यासी औरतों की नजर उसके बेटे पर बनी रहना लाजमी था,,, इसलिए मुखिया की बीवी की मौजूदगी में अपने बेटे को लेकर सुनैना के मन में शंका बनी रहती थी।






picture hosting
आज भी उसके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थेवह भले ही मुखिया के साथ बैठी थी लेकिन उसका ध्यान अपने बेटे और मुखिया की बीवी पर ही बना हुआ थाक्योंकि वह मर्दों की नजरों से अच्छी तरह से बाकी थी वह जानती थी कि अब सूरज पूरी तरह से जवान हो चुका है और उसकी भी नजर औरतों के खूबसूरत जिस्म पर बनी रहती थीक्योंकि उसे अच्छी तरह से मालूम था कि जब उसकी नजर अपनी ही सगी मां पर बनीहुई है तो दूसरी औरतों को वह किस तरह से देखता होगा इसका अंदाजा तो उसे लग ही गया था,,, फिर भी सूरज और मुखिया की बीवी के लौटने के बाद जिस तरह से उसने थोड़े से पैसों की मांग की थी और तुरंत मुखिया जी ने पैसे निकाल कर उसकी हथेली में रख दिए थे उस सुनैना को काफी संतुष्टि प्राप्त हुई थी और वह उन दोनों के जाने के बाद फिर से फसल की कटाई में लग गई थी।

फसल की कटाई करते हुएसूरज अपनी किस्मत के बारे में सोच रहा था और अपनी किस्मत पर उसे गर्व महसूस हो रहा था आज का दिन उसके लिए कुछ ज्यादा ही नसीबदार बना हुआ था। सुबह-सुबह अपनी मां की चूचियों के दर्शन करने के बाद और उससे मद भरी बातें करने के बाद जिस तरह का उत्तेजना का अनुभव उसके बदन में हो रहा था,,, उसे देखते हुए सूरज के लिए अपनी उत्तेजना शांत करना जरूरी बन गया था और ऐसे में घर के पीछे गाय भैंस बांधने वाली जगह पर अपनी बहन की जमकर चुदाई किया था और खेत में मुखिया की बीवी भी उससे चुदवाने के लिए आ गई थी,,,यह सब उसके लिए गर्व की बात थी और नसीब की बात थी क्योंकि अभी कुछ महीने पहले ही वह कभी सोचा नहीं था की औरतों की वह इतना करीबजा पाएगा औरतों से तो डरता था उनसे बात करने में शर्म आता था लेकिन उसके जीवन में ऐसा बदलाव आया कि आज औरतें खुद उसकी बाहों में आने के लिए मचल उठती थी,,, फसल काटते समय सूरज अपने मन में यह भी सोच रहा था की जवानी मर्दों के लिए कितना वरदान दाई होता है सच में मर्दों के लिए चुदाई के सुख से बड़ा और कोई सुख नहीं होता,,, तरह-तरह की औरतें अगर चोदने का मिल जाए तो इससे बड़ी मर्द के लिए और क्या बात हो सकती है बड़ी-बड़ी चूचियां नंगी जैसी चूचियां तरबूज जैसी गांड तो किसी की सुडौल गांड किसी की एकदम कसी हुई कुंवारी बुर तो किसी की जवानी की प्यास से भरी हुई चोदने को मिल जा रही थी यही तो जीवन का असली सुख होता है भला इससे बेहतर कौन सा सुख होगा जीवन में क्योंकि हर कोई तो इसी के लिए तरसता है और उसकी झोली में तो रोज कोई ना कोई बुर अपने आप चुदने के लिए आ रही थी। रोज संभोग का सुख मिलने के बावजूद भीसूरज इसी तरह से जानता था कि अभी भी उसके जीवन मेंकुछ कमी थी और उसे कमी को भी अच्छी तरह से जानता था वह कभी थी उसकी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी जिसे वह किसी भी कीमत पर प्राप्त करना चाहता था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि अब तक वह जितनी भी बुर की चुदाई करता आ रहा था उन सब में सबसे ज्यादा खूबसूरत और मजा देने वाली बुर उसकी मां की ही होगी,,, और उसे दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था जिस दिन उसे उसकी मां की बुर चोदने को मिलेगी,,,






1758798718-picsay
यही सब अपने मन में सोचता हुआ सूरज फसल की कटाई कर रहा था,,, आज मां बेटे दोनों ने फुर्तीदिखाई थी और आज कुछ ज्यादा ही फसल की कटाई वह दोनों ने कर दिए थे,,, लेकिन फिर भी अभी शाम ढलने में बहुत ज्यादा समय था इसलिए दोनों काम में लगे हुए थे। सुनैना के मन में बहुत कुछ चल रहा थापैसे मिल जाने के बाद कुछ देर के लिए वह मुखिया की बीवी को बोल रही थी लेकिन फसल काटते हुए फिर से उसके दिमाग में मुखिया की बीवी घूम रही थीउसकी आंखों के सामने बार-बार मुखिया की बीवी की मटकनी हुई गांड दिखाई देती थी जब वह अंगूर के बाद की तरफ जा रही थी और पीछे-पीछे उसका बेटा पार्टी लेकर जा रहा था उस समय सुनैना ने अच्छी तरह से गौर की थी कि आगे आगे चल रही मुखिया की बीवी पर गोलाकार नितंबों पर उसके बेटे की नजर गड़ी हुई थी,,, उस दृश्य के बारे में सोचते ही सुनैना के तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लग गई थी,,,और उसे अपने बेटे पर गुस्सा भी आ रहा था कि कैसे प्यासी नजरों से मुखिया की बीवी की गांड देख रहा था,,, उसे दृश्य को याद करके सुनैना अपने मन में ही सोच रही थी कि वाकई में उसका बेटा आप जवान हो चुका था औरतों के बारे में उसकी सोच बदलती जा रही थी यह उसे उसकी हरकत से ही मालूम पड़ा रहा था। अपने बेटे के नजरिए को देखकरसुनैना को उसे पर गुस्सा भी आ रहा था और वह फसल की कटाई करते समय वह अपने गुस्से पर बहुत देर से काबू किए हुए थी लेकिन अब वह अपने आप पर काबू कर सकने की स्थिति में नहीं थी क्योंकि बार-बार उसकी आंखों के सामने मुखिया की बीवी की मटकती हुई गांड दिखाई देती थी और उसके बेटे की प्यासी नजर ,,,और फिर अपने आप को घर रोक नहीं पाई और फसल की कटाई करते-करते एकदम से रुक गई और अपने बेटे से बोली,,,।





1758798482-picsay
picture upload
मैं देख रही हूं की मुखिया की बीवी को तेरे से कुछ ज्यादा ही कम पडने लगा है।

(अपनी मां की बात सुनकर सूरज भी फसल काटते हुए अपनी मां की तरफ देखने लगा और एकदम सहज रूप से जवाब देते हुए बोला,,,)

क्यों क्या हो गया,,,?

अंगूर तोड़ने वाली बात तो मुखिया भी बोल सकते थे,,, लेकिन मुखिया की बीवी क्यों बोली।


तो उनके बोलने से तुम्हें दिक्कत है,,,।

दिक्कत उस बात से नहीं है,,, दिक्कत अब तेरी उम्र से है तेरी उम्र अब बच्चों वाली नहीं है।

(औरतों की संगत में उनसे सुख प्राप्त करके सूरज को इतना तो पता ही चल गया था की औरतों का मन कैसा होता हैइसलिए उसे अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि उसकी मां को मुखिया की बीवी से दिक्कत थी और उसका कारण वह भी अच्छी तरह से समझ रहा था फिर भी अपनी मां के सवाल पर वह अनजान बनता हुआ बोला,,,)

उम्र से क्या लेना देना मां पहले में छोटा था और अब बड़ा हो गया हूं इसमें क्या दिक्कत हो रही है,,,।

दिक्कत है मुझे,,, मैं देख रही हूं की मुखिया की बीवी को तेरे से कुछ ज्यादा ही काम पडने लगा है किसी और से भी तो वह काम करवा सकती थी उनके पास नौकर चाकर की कहां कमी है,,,।

अरे मांअगर वह फसल की कटाई का काम किसी और को दे देंगे तो हमें क्या मिलने वाला है,,,,

मैं फसल की कटाई के बारे में नहीं बात कर रही हूं।

तो,,,,,?


मैं अंगूर तोड़ने वाली बात कर रही हूं,,,,।

अच्छा यह बात है,,,।

हां यही बात है अंगूर तो वह खुद अपने हाथ से भी तोड़ सकती थी।






1758798355-picsay
क्या मां तुम भी खामखा परेशान हो रही हो अंगूर अगर वह अपने हाथ से तोड़ने लगेंगी तो दूसरी औरतों में और उन में फर्क क्या रह जाएगा,,,, आखिर कार वह मुखिया की बीवी है,,,, और वह लोग अपने हाथ से काम नहीं करते बल्कि दूसरे से करवाते हैं और सभी को दूसरों को पैसे मिलते हैं अगर सब काम हुआ अपने हाथ से करने लगे तो दूसरों लोगों का क्या होगा हम जैसे लोगों का क्या होगा,,,, समझने की कोशिश करो,,, और वैसे भी अंगूर तोड़ने में कौन सी बड़ी बात है बस तोड़ा और उन्हें दे दिया।

बात अंगूर की भी नहीं है,,,,(गुस्सा दिखाते हुए; सुनैना बोली)

लो अब कर लो बात अभी कह रही थी अंगूर की बात है और आप कह रही हो अंगूर की बात नहीं है तुम्हारी बात मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही है,,,(फिर से फसल की कटाई करते हुए सूरज बोला,,,सुनैना अपने बेटे के सामने खुलकर बोल देना चाहती थी कि वह किस लिए ऐसा बोल रही है लेकिन ऐसा कहने में से शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी जैसे तैसे करके वह दूसरे शब्दों में बोली,,,,)

बात यही कि आप तेरा मुखिया की बीवी के साथ रहना मुझे पसंद नहीं है।

ऐसा क्यों कह रही हो मां आखिरकार वह हमारी मालकिन है,,,,।

मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि वह हमारी मालकिन है लेकिन वह मालकिन से पहले एक औरत है और तू औरतों को नहीं जानता,,,।





1758798272-picsay
क्या मन में तुम्हारी बात कुछ समझ नहीं पा रहा हूं मेरे तो पहले ही नहीं पड़ रही है कि तुम कहना क्या चाहती हो ठीक ठीक समझाओ तो कुछ समझ में भी आए,,,,,(सूरज सब कुछ समझ रहा था लेकिन जानबूझकर अनजान बनने का नाटक कर रहा था अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां किस बारे में बात कर रही थी,,,, अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना इधर-उधर देखने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि किस तरह से अपने बेटे से बताएंउसे शर्म महसूस हो रही थी और वह संस्कारी औरत थी अपने बेटे सही तरह की बात करना उसके संस्कार में बिल्कुल भी नहीं था अपनी मां की खामोशी देखकर सूरज फिर से बोला)

अरे जब तक बताओगी नहीं तो समझ कैसे आएगा कि तुम्हें दिक्कत क्या है,,,,।

(सूरज की बात सुनकर सुनैना इधर-उधर देखने लगी तसल्ली करने लगी कि कहीं कोई उसकी बात सुन तो नहीं रहा है उन्हें देख तो नहीं रहा है लेकिन तसल्ली कर लेने के बाद वह धीरे से अपने होठों को अपने बेटे की तरफ आगे बढ़ाई और धीरे से बोली)

मुझे इस बात की चिंता है कि तू मुखिया की बीवी से कुछ ज्यादा ही घुलन मिलने लगा है।

क्या मां यह कोई बात नहीं हुई,,,,


बात है सूरज अब तुझे कैसे बताऊं तेरा नजरिया बदलने लगा है।

मेरा नजरिया बदलने लगा हैलेकिन कैसे मुझे भी तो समझ में आना चाहिए ऐसा तो मुझे बिल्कुल भी महसूस नहीं होता,,,(अंकित जानता था कि उसकी मां किस बारे में बात कर रही थी लेकिन फिर भी वह अपनी मां के मुंह से सब कुछ सुनना चाहता था।






1758798012-picsay
तुझे नहीं मालूम लेकिन मुझे सब कुछ समझ में आ रहा है।

क्या समझ में आ रहा है कुछ बोलोगी भी,,,,


मैं देख रही थी जब मुखिया की बीवी आगे आगे चल रही थी तो तेरा ध्यान किधर था।

किधर था मेरा ध्यान,,,,

मुखिया की बीवी के पिछवाड़े पर तो मुखिया की बीवी का वही घुरे जा रहा था,,,।

(अपनी मां की बात सुनकर सूरज आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखने लगा वैसे उसे कुछ ज्यादा हैरानी नहीं हो रही थी बस वह हैरान होने का नाटक कर रहा था फिर अपने आप को सहज करने का नाटक करते हुए हुए वह बोला)

हे भगवान यह क्या कह रही हो मां तुम में भला ऐसा कैसे कर सकता हूं अनजाने में उस पर नजर चली गई होगी लेकिन मेरा उसे घूरने का कोई इरादा नहीं है,,,,(सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा था इसलिए वह इस मौके का फायदा उठा लेना चाहता था और इसीलिए आवाज थोड़ा बेशर्मी दिखाते हुए अपनी मां से बोला,,) यह क्या कह रही हो मां तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो इसका मतलब तो तुम्हें लगता है कि मेरा और मुखिया की बीवी का कुछ चल रहा है,,,,।

हां ऐसा ही है तेरा मुखिया का बीवी का कुछ चल रहा होगा,,,मुझे अच्छी तरह से समझ में आ रहा है मुखिया की बीवी का बार-बार तेरे से मिलना और एकदम खुला मिलकर बातें करना उसे दिन जब हम लोग उसके घर पर गए थे तब भी तो कुछ लेने के लिए उसके घर में चला गया था और बहुत देर बाद लौटा था और आज भी ऐसा ही कुछ हो रहा है,,,,।

(अपनी मां की बात सुनकर सूरज खुश नजर आ रहा था अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकरउसे उम्मीद की किरण नजर आ रही थी और उसे यह बात अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि उसकी मां एक औरत के करीब उसे जाने नहीं देना चाहती अपनी मां की बात सुन लेने के बाद और फिर भी शांत होकर जवाब देते हुए बोला,,,)





सच में मुझे ऐसा लग रहा है कि अब तुम्हारा दिमाग काम नहीं कर रहा हैजरा यह तो सोचो कि वह मालकिन है और हम लोग नौकर हैं उनके खेतों में काम करने वाले लोग हैं ऐसे में भला एक मालकिन अपने नौकर के साथ इस बारे में सोच भी कैसे सकती है। पता है वह अपने आप को किसी को छूने भी नहीं देती,, और यह बात उनके घर के नौकर के द्वारा ही मुझे पता चली थी।

कौन सी बात,,,,।

अरे उनका नौकर एक दिन बता रहा था कि ऐसे ही अनजाने मेंमालकिन के हाथ में से सब्जी लेते हुए उसका हाथ उसकी उंगलियां उसकी उंगलियों से स्पर्श हो गई थी तो वह एकदम से गुस्से में देख रही थी और जाकर अपना हाथ अच्छे से धोकर आई थीऔर तुम सोचो जब हाथ की उंगलियां इस पर सोचने पर मुखिया की बीवी इतना गुस्सा करती है तो कोई उनके बारे में गलत करने की सोच भी कैसे सकता है,,,।

क्या सच में मुखिया की बीवी उंगली स्पर्श होने पर गुस्सा करती थी।

मुझे तो नहीं मालूम लेकिन उनका नौकर ही बता रहा था,,,,।





1758797720-picsay
एक सूरजऔरतों के बारे में तो नहीं जानता औरतें बड़ी चालाक और हरामी होती है तो अब जवान हो रहा है बड़ा हो रहा है मुझे डर है कि कहीं किसी औरत के चक्कर में तू ना पड़ जाए,,,,


यह क्या सोच रही हो मा तुम ऐसा सोच भी कैसे लिया तुमने।

तू नहीं समझ रहा है सूरज तेरे बाबुजी के जाने के बाद,,,, बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं जो मेरे सर पर आ चुकी है और यह जिम्मेदारियां तेरे ऊपर भी हैपता है ना तुझे रानी जवान हो चुकी है उसका अब विवाह करना है इसके लिए हमें पैसे इकट्ठे करने हैं। अगर तू औरतों के चक्कर में पड़कर गलत राह पर चल गया तो मैं अकेली पड़ जाऊंगी,,,,।


नहीं नहीं ऐसा सोचना भी मत मैं अपनी जिम्मेदारियां को अच्छी तरह से समझता हूं मैं जानता हूं कि पिताजी के जाने के बादघर में जिम्मेदारी भर चुकी है वरना अगर पिताजी घर पर मौजूद होते तो शायद इतना कुछ हमें करना ही नहीं पड़ता मैं भी आराम से गांव में इधर-उधर घूम रहा होता,,,, और जैसा तुम सोच रही हो वैसा बिलकुल भी नहीं है मुखिया की बीवी आसमान का तारा है और मैं जमीन पर रहने वाला इंसान हूं मैं चाहूं भी तो उसे छू नहीं सकता,,,,,।

(अपने बेटे की बात सुनकरसुनैना को थोड़ी राहत महसूस हो रही थी उसे यकीन हो रहा था कि वाकई में इतने बड़े घर की औरत उसके बेटे के साथ क्यों संबंध बनाएगी अगर उसे संबंध बनाना भी होगा तो वह अपने हैसियत के हिसाब से किसी के साथ संबंध बनाएगी अपने खेत में काम करने वाले नौकर के साथ ऐसा कैसे कर सकती हैं,,,,,सुनैना के मन में बहुत सारी बातें चल रही थी वह एक तरह से अपने मन को मनाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह यह भी जानती थी की औरतों का कोई भरोसा नहीं होता टांगों के बीच की गर्मी शांत करने के लिए वह किसी के सामने अपनी टांगे खोलने में देर नहीं करती वह यह नहीं देखे कि फिर सामने वाला कौन है कैसा है उसे बस अपनी टांगों के बीच की गर्मी शांत करने से मतलब होता है,,,,, फिर भी अपने बेटे की बात को मानकर वह फिर से फसल की कटाई में लग गई थी।






दूसरी तरफ कुंवर अपनी बहन के घर परतैयार हो रहा था उसे आज रानी से जो मिलना था नदी पर इसके लिए उसे तैयारी करना था अपनी बहन से पैसे चाहिए थे इसलिए वह तैयार होकर अपनी बहन के कमरे की तरफ आगे बढ़ रहा था दोपहर का समय था और जैसे ही वह अपनी बहन के कमरे के पास पहुंचा तो अंदर से कुछ आवाज़ आ रही थी जिसे सुनकर वह दरवाजे पर ही रुक गया,,,)
खूबसूरत अपडेट है रोनी भाई की लेखनी जबरदस्त चलती है, लेकिन अभी नया अपडेट पोस्ट करो
 
  • Like
Reactions: Napster

rohnny4545

Well-Known Member
15,078
38,960
259
कुंवर अपनी बहन के कमरे के आगे आकर रुक गया था दरवाजे पर ही खड़ा हो गया था क्योंकि अंदर से कुछ आवाज आ रही थी जिसे वह कान लगाकर सुनने की कोशिश कर रहा था,, अंदर से उसकी बहन की आवाज आ रही थी,,,।

राजा जी यह आप ठीक नहीं कर रहे हैं,,,,

क्या ठीक नहीं कर रहा हूं,,,,

मुझे आप पर शक है आप मेरे सिवा दूसरी औरतों के साथ भी संबंध रखते हैं,,,,।






1759164980-picsay
यह कैसी बातें कर रही हो रानी साहिबा,,, भला यह कैसे हो सकता है,,,,।
(कुंवर के कानों में अंदर से आ रही है अपनी बहन और अपने जीजा की आवाज को सुनकरवह थोड़ा सा कर न रह गया था क्योंकि उसे अपनी बहन की बात सुनकर मामला समझ में आ रहा था इसलिए वह अंदर देखने की कोशिश करने लगा था और जल्द हीखिड़की से उसे अंदर देखने का मौका मिल गया था क्योंकि खिड़की बंद नहीं थी हल्की सी खुली हुई थी जिसमें से उसे अंदर का सब कुछ एकदम साफ दिखाई दे रहा था क्योंकि अंदर कमरे के सामने की खिड़की खुली हुई थी जिसमें से सूरज की रोशनी कमरे में एकदम उजाला किए हुए था,,,,)

मैं अच्छी तरह से जानती हूं रात रात भर तुम मेरे कमरे से गायब रहते हो तुम्हें चोरी छुपे आते जाते मैं खिड़कियों सेदेखा है इसका मतलब साफ है कि तुम दूसरे औरतों के साथसंबंध बनाए हो तभी रात भर मेरे साथ नहीं रहती और दिन भर गायब रहते हो जब तुम्हें मेरी जरूरत पड़ती है तभी तुम मेरे पास आते हो,,,(कुंवरअपनी बहन की बातों को सुन पी रहा था और उसे अच्छी तरह से देख भी रहा था दिन के उजाले में उसकी बहन उसे साफ दिखाई दे रही थी लेकिन अंदर का नजारा देखकर उसके तन बदन में अजीब से हलचल होने लगी थी क्योंकि उसकी बहन बिस्तर पर बैठी हुई थी और उसके जीजाबिस्तर के नीचे खड़े थे लेकिन जिस तरह की दोनों की हालत थी उसे देखकर कुंवर के तन बदन में सिहरन सी दौड़ रही थी,,,क्योंकि उसकी बहन बिस्तर पर केवल पेटीकोट में बैठी हुई थी और कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम साफ दिखाई दे रही थी यह पहला मौका था जब वह अपनी बहन को इस अवस्था में देख रहा था इसलिए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें पल भर के लिए उसके मन में आया कि वह वहां से चला जाए लेकिनबात कुछ और थी उसकी बहन की बातें सुनकर उसे अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि उसके जीजा किसी दूसरी औरतों के साथ भी संबंध बनाए हैं इसलिए वह अपने आप को वहां से हटा नहीं पाया और एक कारण यह भी था की पहली बार हुआ किसी औरत की नंगी चूचियों को देख रहा था इसलिए वह अपनी नजरों को अंदर कमरे से हटा नहीं पाया,,, लेकिन अभी तक कमरे में उसके जीजा राजा साहब अभी तक नजर नहीं आए थे इसलिए कुंवर अपने जीजा को देखने की कोशिश कर रहा था,,, तभी उसे कमरे के कोने की तरफ से आवाज आई जो कि उसके जीजा की थी,,,)





1759164692-picsay
तुम खामखा मुझ पर शक कर रही हो यह केवल तुम्हारा वहम है,,,,(राजा साहब की आवाज के साथ-साथ वह भी कुंवर को नजर आया लेकिन जिस अवस्था में नजर आया उसे देखकर कुंवर की हालत खराब होने लगी उसे समझ में आ गया था कि कमरे के अंदर उसकी बहन और जीजा के बीच कुछ चलने वाला है इसलिए वह वहां से हट जाना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि अपनी बहन को इस अवस्था में देखना पाप है लेकिन वह भी जवानी के दौर से गुजर रहा था और जिस तरह का नजारा कमरे के अंदर दिखाई दे रहा था उसे तरह के नजारे को देखकर कुंवर की उम्र के लड़केमदहोश हो जाते हैं उत्तेजित हो जाते हैं और अपनी नजर ऐसे दृश्य हटाने की जगह नजर गडा कर देखते रह जाते हैं और यही कुंवर के साथ भी हो रहा था कुंवर चाह कर भी अपने आप को वहां से हटा नहीं पा रहा था,,,उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी बहन की बात सुनकर उसके जीजा सफाई देते हुए कैमरे के दूसरे कोने से बिस्तर की तरफ आगे बढ़ रहे थे और इस समय उनके भजन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था और वह कटोरी में कुछ लिए थे और उसकी धार को अपने लंड पर गिरा रहे थे जो कि इस समय एकदम अपनी औकात में आकर खड़ा था,,,,।





1759164428-picsay
यह नजारा कुंवर के तन बदन में उत्तेजना का तूफ़ान पैदा कर रहा था कुंवर अच्छी तरह से जानता था कि इस समय उसकी बहन के कमरे में क्या होने जा रहा हैउसके जीजा का इस तरह से अपने लंड पर तेल की धार गिरने का मतलब साफ था कि अब वह उसकी बहन की चुदाई करने जा रहा है,,,, जिसके बारे में कुंवर कभी सोचा भी नहीं था,,,,,, उसके जीजा अपने लंड पर हाथ से तेल को लगाना शुरू कर दिए थे,,,, और तेल की कटोरी को एक तरफ टेबल पर रख दिए थे और बिस्तर की तरफ आगे बढ़ते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले,,,)

मेरी रानी मेरे जीवन में तुम्हारे सिवा और कोई दूसरी औरत नहीं है,,,।

मुझे अच्छी तरह से मालूम है तुम कितने धोखेबाज हो मुझे सब पता चल गया है तुम्हारा एक औरत से दिल भरता ही नहीं है,,,, (कुंवर की बहन रानी साहिबा इस तरह से बिस्तर पर बैठे अपने पति से शिकायत कर रही थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि उसकी शिकायत का राजा साहब पर बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था वह अपनी ही मस्ती में आगे बढ़ता चला जा रहा था और रानी साहिबा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,) क्या कमी है मेरे मेंक्या मैं खूबसूरत नहीं हूं क्या मेरा बदन भरा हुआ नहीं है क्यों तुम मुझे छोड़ कर दूसरी औरतों के पास सोते हो,,,,,मैं भी तो वही सब कुछ दे रही हूं जो दूसरी औरतों के साथ तुम देना चाहते हो जो सुख प्राप्त करना चाहते हो तुम्हें यहां नहीं मिल रहा है क्या,,,,
(अपनी बहन के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर कुंवर के तन बदन में भी आग लगने लगी थी,,,, अपनी बहन की बातें सुनकर वह उत्तेजित होने लगा थाबार-बार ना चाहते हुए भी उसकी नजर अपनी बहन की बड़ी-बड़ी चूचियों पर चली जा रही थी जो खरबूजे की तरह उसकी छाती से लटके हुए थे उत्तेजना के मारे कुंवर का गला सूख रहा था इतनी उत्तेजना का अनुभव तो उसे उसे समय भी नहीं आया था जब वहगांव में पानी में डूबती हुई रानी को बचाया था और रानी पूरी तरह से उसकी बाहों में उसके कंधे पर एकदम नंगी थी जिसे वह नदी के बाहर ले आया था और,,,उसकी जान बचाया था उसे समय वह पूरी तरह से निर्वस्त्र से एकदम नंगी उसका अंग अंग उसके बदन से सटा हुआ था लेकिन फिर भी इस तरह की उत्तेजना का अनुभव नहीं हुआ था जिस की उसे चेतना का अनुभव इस समय अपनी बहन की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर हो रहा था,,, अपनी बहन की बातें सुनकर जहां एक तरफ उसे उत्तेजना का अनुभव हो रहा था मैं दूसरी तरफ अपनी जीजा की हरकत और उसकी बातें सुनकर उसे गुस्सा आ रहा था लेकिन उसका ध्यान अपने जीजा के लंड पर भी था। जिस पर वह इस समय तेल से मालिश कर रहा था,,, और वह अच्छी तरह से जानता था कि उसका जीजा उसकी बहन की बुर में लंड डालने के लिए तेल की मालिश कर रहा था। मालिश करता हुआ वह बिस्तर पर बैठ गया,,,, और एक हाथ आगे बढ़कर रानी साहिबा की चूची पर रखता हूं मैं उसे दबाने की कोशिश करने लगा लेकिन रानी साहिबा अपने आप को पीछे की तरफ खींच ली यह देखकर कुंवर की सांसें भारी होने लगी,,,,)





1759164381-picsay
यह क्या हरकत है रानी साहिबा तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है,,,।

पहले था लेकिन अब नहीं है,,,,,(रानी साहिबा का अपने पति पर शक करने की वजह भी थी,,, रानी साहिबा को अक्सर एहसास होता था कि उसका पति रात को कहीं चला जाता है और सुबह देर में वापस लौटता था और जिस रात को वह अपना पति समझ कर किसी दूसरे मर्द से चुद गई थी उस रात से उसे अपने पति पर शक होने लगा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि राजा साहब की हवेली में किसी की हिम्मत नहीं थी कि कोई उसके शयन कछ तक पहुंच सके लेकिन उसे रात उसका यह भरम पूरी तरह से टूट गया था और उसे अपने पति पर शक होने लगा थावह समझ गई थी कि कोई करीबी ही है जो इस तरह की हरकत कर गया था और वह अच्छी तरह से जानता था कि इस समय राजा साहब कहां होंगे क्योंकि वह पूरे इतनी नाम के साथ उसके साथ संभोग किया था बिना किसी उतावला केजिसका मतलब साफ था कि उसे अच्छी तरह से मालूम था कि राजा साहब कब तक लौटेंगे और कहां जाते हैं यह भी उसे मालूम था,,,, और धीरे-धीरे उसका शक यकीन में तब बदलने लगा जब वह एक रात सिर्फ सोने का नाटक की थी और जैसे ही राजा साहब कमरे से बाहर निकले वह भी धीरे से राजा साहब के पीछे-पीछे चल दी थोड़ी देर में दोनों घर के पीछे वाली झोपड़ी के पास पहुंच चुके थेरानी साहिबा कुछ दूरी से पेड़ के पीछे छिप कर सब कुछ देख रही थी जहां पर उसने दो आदमी को देखी थी और उन दोनों आदमियों के साथ एक औरत भी थी जिसका हाथ पकड़ कर राजा साहब झोपड़ी के अंदर चले गए थे और दोनों आदमी मुस्कुराते हुए दूसरी तरफ चल दिए थे दर से वह उन दोनों आदमियों को पहचान नहीं पाई थी वरना सब कुछ पाने की तरह साफ हो जाता लेकिन इतना तो होता है ताकि उसका पति निर्लज और दूसरी औरतों के चक्कर में था,,,,उसे सब कुछ मालूम था सिर्फ वह अपने पति के मुंह से सुनना चाहती थी लेकिन उसका पति था कि हर बात को इनकार कर रहा था)





1759107092-picsay
अब क्यों नहीं है मेरी जान,,,,(पेटिकोट को ऊपर की तरफ सरकाने की कोशिश करते हुए राजा साहब बोला लेकिन रानी साहिबा तुरंत उसका हाथ झटक दी यह देखकर अपनी बीवी की हरकत को देखकर राजा साहब एकदम से गुस्से में आ गया और बोला,,,) यह क्या बदतमीजी है रानी साहिबा तुम इसी तरह से मालूम है कि ऐसे समय पर मुझे इस तरह की बदसलूकी पसंद नहीं है।


मुझे अच्छी तरह से मालूम है राजा साहब कि तुम्हें अपनी हवस मिटाते समय इस तरह की बदसलूकी बिल्कुल भी पसंद नहीं है,,, लेकिन याद रखोअब मुझे भी यह सब बिल्कुल भी पसंद नहीं है तो मेरी मर्जी के बिना मेरे शरीर को हाथ तक नहीं लगा सकते,,,,, मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम हर रात को नहीं औरत के साथअपनी रातें रंगीन कर रहे हो और यह सब कुछ में किसी के कहने पर नहीं बल्कि अपनी आंखों से देख चुकी हूं कोई दो आदमी है जो तुम्हारे लिए हर रात एक नहीं औरत को लेकर आते हैं,,,(इतना सुनते ही राजा साहब के चेहरे से रंग उड़ने लगा जिसे देखकर रानी साहिबा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) तुम राजा साहब तुम्हारे चेहरे का रंग क्यों उड़ने लगा,,,,,(बाहर खिड़की पर खड़े होकर सुन रहा कुंवर एकदम हैरान था अपनी बहन की बातें सुनकर उसे अजीब लग रहा था और वह अपने आप से ही बोला कि उसकी बहनऐसे ही यह सब बातें नहीं कर रही है वह अपनी आंखों से देख चुकी है तभी इतने विश्वास के साथ कह रही है इसका मतलब साफ है कि उसके जीजा दूसरे औरतों के साथ भी संबंध रखते हैं)





1759106648-picsay
nine sided dice simulator

ऐसी कोई बात नहीं है तुम कोई सपना देखी होगी।

काश वह सपना ही होता,,,, मैं तुम्हें कितना मानती थी कितना प्यार करती थी मुझे लगता था कि तुम्हारे जैसा अच्छा इंसान पूरी दुनिया में नहीं है लेकिन मेरा विश्वास तुमने एकदम से तोड़ दिया अरे दूसरी औरतों के पास भी तो वही है जो मेरे पास हैचोरी छुपे दूसरे आदमियों का सहारा लेकर किसी औरतों के साथ संबंध बनाने में तुम्हें अच्छा लगता है तुम्हें बाजारु औरतें पसंद है घर की औरत नहीं,,,,,।

(राजा साहब एकदम आश्चर्यचकित होकर अपनी बीवी की तरफ देख रहे थे और वह जान चुका था कि अब कोई रास्ता नहीं था सफाई देने का कोई मौका नहीं बचा था,,,, लेकिन अपनी बीवी की हरकत और अपनी राजा साहब की हैसियत को देखते हुए वह अपनी हरकत से अपनी बीवी की आवाज को दबा देना चाहता था,,, इसलिए एकदम से गुस्सा दिखाते हुए बोला,,,)





1759056650-picsay
dice roller google
हरामजादी,,,(अपनी जगह से उठकर एकदम से उसके बाल को कस के अपने मुट्ठी में भींचते हुए ) मेरी जासूसी करती है यह देखती है कि मैं कहां-कहां जाता हूं,,,,,, हरामजादी,,,, मैंने कभी तेरी जासूसी किया,,,,।

आहहहह,,, यह क्या कर रहे है आप छोड़िए मुझे दर्द हो रहा है,,,(अपने पति के हाथ से अपने बालों को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए वह बोली यह सब बाहर खड़ा कुंवर देख रहा था और वहअपने जीजा की हरकत को देखकर एकदम से आग बबूला हो गया था और इसी समय कमरे के अंदर दाखिल होने की सोच रहा था लेकिन कुछ सोच करो ऐसा नहीं कर पाया सिर्फ देखने के सिवा,,,)

दर्द तो तुझे होगा ही,,,,और मैं एक मर्द हूं मैं क्या करता हूं क्या नहीं करता हूं इससे तेरा कोई वास्ता नहीं होना चाहिए मैं एक औरत के साथ सोऊं या दश औरत के साथ सोऊं इससे तुझे कोई मतलब नहीं होना चाहिए,,,, और मैं तेरी कभी जासूसी किया कि तू कहां कहां जाती है,,,,।

करके देख लो अगर मेरे बारे में कुछ सुन पाओ तो मुझे घर से निकाल देना मैं कुछ नहीं कहूंगी,,,।




1759056256-picsay
चल रहने दे रंडी दिन भर में नहीं रहता रात को भी नहीं रहता हूंतू भी रात को किसी को अपने कमरे में बुला लेती होगी क्योंकि अगर तू सो रही होती तो तुझे कैसे पता चला कि मैं रात को तेरे साथ नहीं रहता,,,, तू भी दूसरे मर्दों से चुदवाती है रंडी छिनार,,,,

खबरदार जो मुझे रंडी और छिनार कहा तो मैं तुम्हारे जैसी बिल्कुल भी नहीं हूं,,,,(रानी साहिबा एकदम से गुस्से में आकर अपने पति से बोली तो राजा साहब एकदम से गुस्से में आकर उसके गाल पर दमा दम तीन-चार तमाचा जड़ दिया जिससे वह एकदम से प्यार हो गई बाहर खड़ा कुंवारी यह सब देख कर एकदम से परेशान हो गया लेकिन वह इस समय कुछ कर नहीं सकता था ,,,,)

साली हरामजादी मेरे पीठ पीछे न जाने कितनों का लंड लेती होगी,,,, तभी तो अभी मुझे हाथ नहीं लगाने दे रही है मैं भी देखता हूं कि कैसे मुझे रोकती है,,,, हरामजादी अगर मेरी बात नहीं मानी तोतुझे और तेरे भाई को इसी समय हवेली से बाहर निकाल दूंगा और तुझ पर ऐसे ऐसे इल्जाम लगाऊंगा की पूरा समाज उसे पर थुकेगा कोई तुझे अपनाएगा नहींऔर रही बात मेरे पर एग्जाम लगाने की तू सच भी कह रही होगी तो भी कोई तुझ पर विश्वास नहीं करेगा रंडी,,,,।

(रानी साहब अपने पति की बात सुनकर एकदम हैरान हो गई थी वह अपने पति पर इल्जाम नहीं लग रही थी बल्कि अपने पति को आया दिख रही थी ताकि वह रास्ते पर वापस लौट आए लेकिन पासा यहां पर उल्टा चल चुका था अब यहां पर रानी साहिबा के लाले पड़े हुए थेरानी साहिबा अच्छी तरह से समझ रही थी उसका पति जो कुछ भी कह रहा था उसमें हकीकत था अगर उसका पति उसके बारे में समझ में गंदी अफवाहें फैलाएगाउसके चरित्र को लेकर उल्टी सीधी बातें करेगा तो वह किसी को सफाई देने लायक नहीं रहेगी और यह बिल्कुल सच है कि समाजउसे पर ही इल्जाम लगाएगी और वह कहीं की नहीं रह जाएगी इस बात से वह एकदम घबरा गई थी और वह अपने पति को आश्चर्य से देखने लगी थी उसकी आंखों में आंसू थे वह कुछ भी कह सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी।)





1759051863-picsay
चल घोड़ी बन छिनार ,,,,,,,
(अपने जीजा की बातें सुनकर कुंवर हैरान हो गया थाउसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका जीजा क्या बनने को कह रहा था घोड़ी का मतलब वह समझ नहीं पा रहा था,,,,,राजा साहब की बात का असर रानी साहिबा पर इस समय नहीं पड़ा था वह अपने ही दुख में डूबी हुई थी तभी वह दोबारा जोर से चिल्लाया)

हरामजादी सुन नहीं रही है चल जल्दी से घोड़ी बन (अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए क्योंकि इस समय वह ढीला पड़ गया था और वह फिर से उसे खड़ा करने में लगा हुआ था) बेवजह मेरा दिमाग खराब कर रही है इतना मन कर रहा था तेरी गांड मारने का और तु है कि मेरे मनसुबे पर पानी फेर रही है,,,, साली रंडी छिनार,,,,(घोड़ी बनने की बात सुनकर रानी साहिबा एकदम से घबरा गई थी वह समझ गई थी कि राजा साहब क्या करना चाहते हैं वह समझ गई थी कि क्यों वह अपने लंड पर सरसों का तेल लगा रहा था,,,, यह पहली बार नहीं था पहले भी वह गांड मरवा चुकी थी लेकिन इसमें उसे बहुत दर्द होता था लेकिन वह अपने राजा साहब से बहुत प्यार करती थी इसलिए थोड़ा सा दर्द सहकर भी हुआ आपने राजा साहब को खुश रखना चाहती थी लेकिन आज वह पूरी तरह से टूट चुकी थी लेकिन राजा साहब के गुस्से को देखकर और उनकी बातो को सुनकर वह घबरा गई थी,,,, और अपने पति की बात मानते हुए वह धीरे से घोड़ी बन गई थी और तब जाकर कुमार को पता चला था कि घोड़ी बनने का मतलब क्या था,,,,,जिस तरह से उसकी बात मानते हुए रानी साहिबा घोड़ी बनी हुई थी यह देखकर राजा साहब के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी और वह हंसता हुआ बोला।


देख ली ना हरामजादी जब तक बोल नहीं रहा था तब तक सर पर चढ़ी हुई थी क्या मिला तुझे मेरी जासूसी करके मैं राजा साहब हूं कहीं औरतों के साथ संबंध बनाना मुझे मेरी विरासत से मिला है तुझे घर में इज्जत से रख रहा हूं यही बहुत है,,,,, चल अब गांड ऊपर उठा,,,, जैसे रोज उठाती है,,,, पता चलना चाहिए की रानी साहिबा के गांड है किसी बाजारु,,, औरत की नहीं,,,,,।(अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए और उसे खड़ा करने की कोशिश करते हुए वह बोला और उसकी बात सुनकर रानी साहिबा पलंग के किनारे अपने घुटनों को थोड़ा सा फैलाते हुए अपनी बड़ी-बड़ी गांड को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,यह देखकर राजा साहब खुद ही अपना दोनों हाथ आगे बढ़कर अपनी बीवी की गांड को पकड़ कर उसे अपने तरीके से व्यवस्थित करने लगा और गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर थोड़ा और हवा में लहराता हुआ बोला,,,,)

तू बोलती है ना हरामजादी कि मेरे पास भी तो वही है जो दूसरे के पास है यह बात सही है कि दूसरों के पास जो हैवही तेरे पास भी है लेकिन तेरे पास वह कला नहीं है मर्दों को खुश करने कातुझे सब कुछ बताना पड़ता है लेकिन उन्हें बताना नहीं पड़ता बल्कि वह खुद मेरे ऊपर इतना छा जाती है कि मैं पागल हो जाता हूं,,,,,सब कुछ वह लोग अपने तरीके से करते हैं बोलो अच्छी तरह से जानती है कि मर्दों को कैसे खुश किया जाता है राजा साहब को कैसे खुश किया जाता है राजा साहब को क्या चाहिए और तू है कि मेरी बीवी होने के बावजूद भी तुझे कुछ नहीं पता,,,,,(ऐसा कहते हुएराजा साहब ढेर सारा सुख अपने लंड पर लगाकर उसकी मालिश करने लगा औरथोड़ा सा तू रानी साहिबा के भूरे रंग के छेद पर लगने लगा यह देखकर कुंवर का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,वह यह सोचकर हैरान हो रहा था कि उसका जीजा उसकी बहन की गांड के छेद पर क्यों थूक लगा रहा हैजबकि उसे तो उसके गुलाबी बुर में लंड डालना चाहिए जो कि इस समय खिड़की पर खड़े होने के बावजूद भी कुंवर को सबको साफ दिखाई दे रहा था अपनी बहन की जवानी से भरी हुई बड़ी-बड़ी गांड और उसकी गुलाबी छेद को देखकर उसका खुद का लंड खड़ा हो गया था,,,। उसका भी जोरों से दर्द रहा था और वह फटी आंखों से अपनी बहन और अपने जीजा को देख रहा था,,,,इस तरह की उत्तेजना का अनुभव से पहले कभी नहीं हुआ था आज अपनी आंखों से सब कुछ देखकर उसकी हालत खराब हो रही थी,,,

और कुंवर के लिए सबसे ज्यादा उत्तेजित करने वाली बात यह थी कि उसकी आंखों के सामने उसकी बहन पूरी तरह से नंगी थी,,, कुछ देर पहले उसके बदन पर पेटिकोट था लेकिन उसके जीजा का गुस्सा देखकर जब वह घोड़ी बनने के लिए बोला था वह खुद अपने हाथों से अपने पेटिकोट की डोरी खोलकर उसे अपने बदन से अलग कर दी थी,,,,, और अपने हाथों से अपने पेटिकोट की डोरी खोलता हुआ अपनी बहन को देखकर कुंवर की हालत और ज्यादा खराब होने लगी थी,,,,,अपनी बहन की नंगी बड़ी-बड़ी गांड उसकी चूची और उसके गुलाबी छेद को देखकर उसके होश उड़े जा रहे थे,,,, अभी तक उसे यह भी समझ में नहीं आया था कि उसका जीजा उसकी गुलाबी छेद की जगह उसकी गान्ड के छेद पर क्यों थूक लगा रहा था,,,,, लेकिन जल्द ही उसेइस बात का पता चल गया कि ऐसा उसका चेहरा क्यों कर रहा था क्योंकि अगले ही पल उसका जीजा अपने लंड के मोटे सुपाड़े को,,, उसकी बहन के भूरे रंग के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया जिससे रानी साहिबा के बदन में कसमसाहट होने लगी,,,, और जैसे ही राजा साहब अपनी कमर को आगे की तरफ ठेला थोड़ा सा जोर लगाया रानी साहिबाअपने बदन को एकदम से आगे की तरफ सिकोड़ने लगी जिसकी वजह से राजा साहब तुरंत उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और एक हाथ से अपने लंड को पकड़कर अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा।

राजा साहब की हरकत सेउसका लंड धीरे-धीरे रानी साहिबा की गांड के छेद में प्रवेश करने लगा और यह सब देखकर कुंवर के पसीने छूटने लगे,,,, कुंवर पहली बार चुदाई देख रहा था जहां तक उसे ज्ञान था की लंड को औरत की बुर में डाला जाता था लेकिन यहां परउसका जीजा अपने लंड को उसकी बहन की गांड में डाल रहा था शायद इसी को गांड मारना बोलते थे। यहां से उसकी बहन का चेहरा तो उसे साफ दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन इस समयरानी साहिबा की हालत खराब हो रही थी क्योंकि भले भी वह अपने पति से गांड बहुत बार मरवा चुकी थी लेकिन अपनी खुशी से नहीं बल्कि अपने पति की खुशी के लिए क्योंकि गांड मरवाने में उसे दर्द होता था,,,, धीरे-धीरे राजा साहब का पुरा लंड रानी साहिबा के कोमल छेद में अंदर तक प्रवेश कर गया था राजा साहब अपनी बीवी की कमर पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,, उसे अपनी बीवी की गांड मारने में बहुत मजा आता था,,,, वह दूसरी औरतों के साथ भी ऐसा कर चुका था,,,, बाहर खड़ा कुंवर यह सब देखकरपागल हुआ जा रहा था उसके बस में कुछ भी नहीं था इस समय वह अपनी बहन को गांड मरवाते हुए देख रहा थाऔर चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि दोनों के बीच रिश्ता ही कुछ ऐसा था कि दोनों यह इस क्रिया को चाहे जब कर सकते थे।

कुंवर अपनी दोनों टांगों के बीच गौर किया तो देखा कि उसके लंड की हालत एकदम खराब हो गई थी वह पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था और वह पजामे के ऊपर से उसे दबा भी रहा था,,,,, थोड़ी ही देर में कमरे में दर्द भरी शिसकारी की आवाज गुंज रही थी,,,,,वैसे तो रानी साहिबा को इस क्रिया में बिल्कुल भी मजा नहीं आता था लेकिन इस क्रिया को करते हुए राजा साहब की हरकतें जिस तरह से बढ़ जाती थी उसकी वजह से उसके बदन में उत्तेजना का एहसास होने लगता था और उसे अलग तरीके से मजा आता था और इस समय राजा साहब अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ करके उसके बड़े-बड़े खरबुजो को अपने हाथ में पकड़कर दबा रहा था मसल रहा था,,, जिससे रानी साहिबा को भी थोड़ी बहुत आनंद की अनुभुति हो रही थी। राजा साहब धीरे-धीरे अपनी रफ्तार को बढ़ने लगा था,,,, ऊपर का छेद पूरी तरह से राजा साहब के लंड से भरा हुआ था लेकिन नीचे की गुलाबी गली सुनी पड़ी हुई थी और उसकी गलियारे से उसका मदन रस आंसू बनकर टपक रहा था,,, जिस पर इस समय किसी का भी ध्यान नहीं था।


थोड़ी ही देर में राजा साहब अपनी बीवी और अपने लंड अपनी बीवी के पेटीकोट से ही वह अपने लंड को साफ कर रहा था और मुस्कुराते हुए अपनी बीवी से बोला,,,।

आज तुझे साफ-साफ बोल दे रहा हूं आइंदा से मैं कहां जाता हूं क्या करता हूं इस बारे मेंजासूसी करने की जरूरत नहीं है मैं सब तुझे बता देता हूं कि हां मैं दूसरी औरतों के पास जाता हूं क्योंकि तेरे से मुझे वह सुख नहीं मिलता जो दूसरी औरतों मुझे देती हैऔर अगर तुझे इस बात से ऐतराज है तो यह घर तू अभी छोड़ सकती है लेकिन मेरे बारे में किसी से कुछ कहेगी तो उल्टा तू ही बदनाम हो जाएगी इसलिए खामोश रहना इस घर में रानी बनकर रहना है तो अपने होठों को सी कर रहना,,,,, अपने मुंह से कुछ भी बकने की जरूरत नहीं है,,,,,,(रानी साहब अपने पति की बात उसी तरह से घोड़ी बन सुन रही थी इस समय उसकी गांड में राजा साहब का लंड भी नहीं था फिर भी वह घोड़ी बनी हुई थी क्योंकि वह एकदम से शर्मिंदा हो गई थीवह अपने आप की नजर में ही अपने आप को गिरता हुआ महसूस कर रही थी क्योंकि उसे ऐसा ही भ्रम था कि वह अपने पति से बहुत प्यार करती है और उसका पति उसे बहुत प्यार करता है अगर वह अपने पति से इस बारे में बात करेगी तो उसका पति उसकी बात मानते हुए यह सब छोड़ देगा और सीधे से उसके साथ ही खुश रहेगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था आज उसे एहसास हुआ था कि उसका पति उसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करता होगा तो वासना से भरा हुआ है और हर एक रात उसे नई दुल्हन चाहिए,,, अपने पति की बात सुनकरअब तो वह यह बात अपने मां-बाप से भी नहीं बता सकती थीक्योंकि वह जानती थी कि राजा साहब उसके ही चरित्र पर इल्जाम लगाकर उसे पूरी तरह से छिनार साबित कर देगा तब वह अपने मां-बाप से कैसे नजर मिला पाएगी समाज से कैसे नजर मिला पाएगी,,,,जो लोग दिन रात से रानी साहिबा रानी साहिबा कहते हुए नहीं थक रहे हैं वही कल को उसके पति के द्वारा लगाए गए ईल्जाम को लेकर उसे पर हसेंगे उसे पर फब्तिया कसेगे उसकी बिल्कुल भी इज्जत नहीं करेंगे यही सोचकर वह एकदम से घबरा गई थी,,,,

राजा साहब अपने कपड़े पहन चुका था लेकिन रानी साहिबा अभी भी नंगी घोड़ी बनी हुई थी यह देखकर वह मुस्कुराने लगा और बोला।

अपने कपड़े पहन ले अभी मैं तेरी नहीं लूंगा अब जा रहा हूं,,,,,(ऐसा कहकर वह कमरे से बाहर निकलने वाला था और समय देख कर कुंवर भी वहां से चलता बना था,,,थोड़ी देर बाद वहां अपने जीजा के चले जाने के बाद अपनी बहन के कमरे के पास फिर आया था उसे लगा था कि उसकी बहन अब सहज हो गई होगीलेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था खिड़की से देखा तो अभी भी उसकी बहन घोड़ी बनी हुई थी एकदम नंगी और रो रही थी उसके रोने की आवाज जिसके कानों में साफ सुनाई दे रही थी कुंवर को यह समय अपनी बहन से बात करने का बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह वहां से चला गया और जिस तरह का माहौल बना हुआ था उसे देखते हुए उसका मन नहीं किया रानी से मिलने के लिए।
 
Last edited:

Dhansu2

Well-Known Member
2,140
3,907
158
कुंवर अपनी बहन के कमरे के आगे आकर रुक गया था दरवाजे पर ही खड़ा हो गया था क्योंकि अंदर से कुछ आवाज आ रही थी जिसे वह कान लगाकर सुनने की कोशिश कर रहा था,, अंदर से उसकी बहन की आवाज आ रही थी,,,।

राजा जी यह आप ठीक नहीं कर रहे हैं,,,,

क्या ठीक नहीं कर रहा हूं,,,,

मुझे आप पर शक है आप मेरे सिवा दूसरी औरतों के साथ भी संबंध रखते हैं,,,,।






1759164980-picsay
यह कैसी बातें कर रही हो रानी साहिबा,,, भला यह कैसे हो सकता है,,,,।
(कुंवर के कानों में अंदर से आ रही है अपनी बहन और अपने जीजा की आवाज को सुनकरवह थोड़ा सा कर न रह गया था क्योंकि उसे अपनी बहन की बात सुनकर मामला समझ में आ रहा था इसलिए वह अंदर देखने की कोशिश करने लगा था और जल्द हीखिड़की से उसे अंदर देखने का मौका मिल गया था क्योंकि खिड़की बंद नहीं थी हल्की सी खुली हुई थी जिसमें से उसे अंदर का सब कुछ एकदम साफ दिखाई दे रहा था क्योंकि अंदर कमरे के सामने की खिड़की खुली हुई थी जिसमें से सूरज की रोशनी कमरे में एकदम उजाला किए हुए था,,,,)

मैं अच्छी तरह से जानती हूं रात रात भर तुम मेरे कमरे से गायब रहते हो तुम्हें चोरी छुपे आते जाते मैं खिड़कियों सेदेखा है इसका मतलब साफ है कि तुम दूसरे औरतों के साथसंबंध बनाए हो तभी रात भर मेरे साथ नहीं रहती और दिन भर गायब रहते हो जब तुम्हें मेरी जरूरत पड़ती है तभी तुम मेरे पास आते हो,,,(कुंवरअपनी बहन की बातों को सुन पी रहा था और उसे अच्छी तरह से देख भी रहा था दिन के उजाले में उसकी बहन उसे साफ दिखाई दे रही थी लेकिन अंदर का नजारा देखकर उसके तन बदन में अजीब से हलचल होने लगी थी क्योंकि उसकी बहन बिस्तर पर बैठी हुई थी और उसके जीजाबिस्तर के नीचे खड़े थे लेकिन जिस तरह की दोनों की हालत थी उसे देखकर कुंवर के तन बदन में सिहरन सी दौड़ रही थी,,,क्योंकि उसकी बहन बिस्तर पर केवल पेटीकोट में बैठी हुई थी और कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम साफ दिखाई दे रही थी यह पहला मौका था जब वह अपनी बहन को इस अवस्था में देख रहा था इसलिए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें पल भर के लिए उसके मन में आया कि वह वहां से चला जाए लेकिनबात कुछ और थी उसकी बहन की बातें सुनकर उसे अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि उसके जीजा किसी दूसरी औरतों के साथ भी संबंध बनाए हैं इसलिए वह अपने आप को वहां से हटा नहीं पाया और एक कारण यह भी था की पहली बार हुआ किसी औरत की नंगी चूचियों को देख रहा था इसलिए वह अपनी नजरों को अंदर कमरे से हटा नहीं पाया,,, लेकिन अभी तक कमरे में उसके जीजा राजा साहब अभी तक नजर नहीं आए थे इसलिए कुंवर अपने जीजा को देखने की कोशिश कर रहा था,,, तभी उसे कमरे के कोने की तरफ से आवाज आई जो कि उसके जीजा की थी,,,)





1759164692-picsay
तुम खामखा मुझ पर शक कर रही हो यह केवल तुम्हारा वहम है,,,,(राजा साहब की आवाज के साथ-साथ वह भी कुंवर को नजर आया लेकिन जिस अवस्था में नजर आया उसे देखकर कुंवर की हालत खराब होने लगी उसे समझ में आ गया था कि कमरे के अंदर उसकी बहन और जीजा के बीच कुछ चलने वाला है इसलिए वह वहां से हट जाना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि अपनी बहन को इस अवस्था में देखना पाप है लेकिन वह भी जवानी के दौर से गुजर रहा था और जिस तरह का नजारा कमरे के अंदर दिखाई दे रहा था उसे तरह के नजारे को देखकर कुंवर की उम्र के लड़केमदहोश हो जाते हैं उत्तेजित हो जाते हैं और अपनी नजर ऐसे दृश्य हटाने की जगह नजर गडा कर देखते रह जाते हैं और यही कुंवर के साथ भी हो रहा था कुंवर चाह कर भी अपने आप को वहां से हटा नहीं पा रहा था,,,उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी बहन की बात सुनकर उसके जीजा सफाई देते हुए कैमरे के दूसरे कोने से बिस्तर की तरफ आगे बढ़ रहे थे और इस समय उनके भजन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था और वह कटोरी में कुछ लिए थे और उसकी धार को अपने लंड पर गिरा रहे थे जो कि इस समय एकदम अपनी औकात में आकर खड़ा था,,,,।





1759164428-picsay
यह नजारा कुंवर के तन बदन में उत्तेजना का तूफ़ान पैदा कर रहा था कुंवर अच्छी तरह से जानता था कि इस समय उसकी बहन के कमरे में क्या होने जा रहा हैउसके जीजा का इस तरह से अपने लंड पर तेल की धार गिरने का मतलब साफ था कि अब वह उसकी बहन की चुदाई करने जा रहा है,,,, जिसके बारे में कुंवर कभी सोचा भी नहीं था,,,,,, उसके जीजा अपने लंड पर हाथ से तेल को लगाना शुरू कर दिए थे,,,, और तेल की कटोरी को एक तरफ टेबल पर रख दिए थे और बिस्तर की तरफ आगे बढ़ते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले,,,)

मेरी रानी मेरे जीवन में तुम्हारे सिवा और कोई दूसरी औरत नहीं है,,,।

मुझे अच्छी तरह से मालूम है तुम कितने धोखेबाज हो मुझे सब पता चल गया है तुम्हारा एक औरत से दिल भरता ही नहीं है,,,, (कुंवर की बहन रानी साहिबा इस तरह से बिस्तर पर बैठे अपने पति से शिकायत कर रही थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि उसकी शिकायत का राजा साहब पर बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था वह अपनी ही मस्ती में आगे बढ़ता चला जा रहा था और रानी साहिबा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,) क्या कमी है मेरे मेंक्या मैं खूबसूरत नहीं हूं क्या मेरा बदन भरा हुआ नहीं है क्यों तुम मुझे छोड़ कर दूसरी औरतों के पास सोते हो,,,,,मैं भी तो वही सब कुछ दे रही हूं जो दूसरी औरतों के साथ तुम देना चाहते हो जो सुख प्राप्त करना चाहते हो तुम्हें यहां नहीं मिल रहा है क्या,,,,
(अपनी बहन के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर कुंवर के तन बदन में भी आग लगने लगी थी,,,, अपनी बहन की बातें सुनकर वह उत्तेजित होने लगा थाबार-बार ना चाहते हुए भी उसकी नजर अपनी बहन की बड़ी-बड़ी चूचियों पर चली जा रही थी जो खरबूजे की तरह उसकी छाती से लटके हुए थे उत्तेजना के मारे कुंवर का गला सूख रहा था इतनी उत्तेजना का अनुभव तो उसे उसे समय भी नहीं आया था जब वहगांव में पानी में डूबती हुई रानी को बचाया था और रानी पूरी तरह से उसकी बाहों में उसके कंधे पर एकदम नंगी थी जिसे वह नदी के बाहर ले आया था और,,,उसकी जान बचाया था उसे समय वह पूरी तरह से निर्वस्त्र से एकदम नंगी उसका अंग अंग उसके बदन से सटा हुआ था लेकिन फिर भी इस तरह की उत्तेजना का अनुभव नहीं हुआ था जिस की उसे चेतना का अनुभव इस समय अपनी बहन की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर हो रहा था,,, अपनी बहन की बातें सुनकर जहां एक तरफ उसे उत्तेजना का अनुभव हो रहा था मैं दूसरी तरफ अपनी जीजा की हरकत और उसकी बातें सुनकर उसे गुस्सा आ रहा था लेकिन उसका ध्यान अपने जीजा के लंड पर भी था। जिस पर वह इस समय तेल से मालिश कर रहा था,,, और वह अच्छी तरह से जानता था कि उसका जीजा उसकी बहन की बुर में लंड डालने के लिए तेल की मालिश कर रहा था। मालिश करता हुआ वह बिस्तर पर बैठ गया,,,, और एक हाथ आगे बढ़कर रानी साहिबा की चूची पर रखता हूं मैं उसे दबाने की कोशिश करने लगा लेकिन रानी साहिबा अपने आप को पीछे की तरफ खींच ली यह देखकर कुंवर की सांसें भारी होने लगी,,,,)





1759164381-picsay
यह क्या हरकत है रानी साहिबा तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है,,,।

पहले था लेकिन अब नहीं है,,,,,(रानी साहिबा का अपने पति पर शक करने की वजह भी थी,,, रानी साहिबा को अक्सर एहसास होता था कि उसका पति रात को कहीं चला जाता है और सुबह देर में वापस लौटता था और जिस रात को वह अपना पति समझ कर किसी दूसरे मर्द से चुद गई थी उस रात से उसे अपने पति पर शक होने लगा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि राजा साहब की हवेली में किसी की हिम्मत नहीं थी कि कोई उसके शयन कछ तक पहुंच सके लेकिन उसे रात उसका यह भरम पूरी तरह से टूट गया था और उसे अपने पति पर शक होने लगा थावह समझ गई थी कि कोई करीबी ही है जो इस तरह की हरकत कर गया था और वह अच्छी तरह से जानता था कि इस समय राजा साहब कहां होंगे क्योंकि वह पूरे इतनी नाम के साथ उसके साथ संभोग किया था बिना किसी उतावला केजिसका मतलब साफ था कि उसे अच्छी तरह से मालूम था कि राजा साहब कब तक लौटेंगे और कहां जाते हैं यह भी उसे मालूम था,,,, और धीरे-धीरे उसका शक यकीन में तब बदलने लगा जब वह एक रात सिर्फ सोने का नाटक की थी और जैसे ही राजा साहब कमरे से बाहर निकले वह भी धीरे से राजा साहब के पीछे-पीछे चल दी थोड़ी देर में दोनों घर के पीछे वाली झोपड़ी के पास पहुंच चुके थेरानी साहिबा कुछ दूरी से पेड़ के पीछे छिप कर सब कुछ देख रही थी जहां पर उसने दो आदमी को देखी थी और उन दोनों आदमियों के साथ एक औरत भी थी जिसका हाथ पकड़ कर राजा साहब झोपड़ी के अंदर चले गए थे और दोनों आदमी मुस्कुराते हुए दूसरी तरफ चल दिए थे दर से वह उन दोनों आदमियों को पहचान नहीं पाई थी वरना सब कुछ पाने की तरह साफ हो जाता लेकिन इतना तो होता है ताकि उसका पति निर्लज और दूसरी औरतों के चक्कर में था,,,,उसे सब कुछ मालूम था सिर्फ वह अपने पति के मुंह से सुनना चाहती थी लेकिन उसका पति था कि हर बात को इनकार कर रहा था)





1759107092-picsay
अब क्यों नहीं है मेरी जान,,,,(पेटिकोट को ऊपर की तरफ सरकाने की कोशिश करते हुए राजा साहब बोला लेकिन रानी साहिबा तुरंत उसका हाथ झटक दी यह देखकर अपनी बीवी की हरकत को देखकर राजा साहब एकदम से गुस्से में आ गया और बोला,,,) यह क्या बदतमीजी है रानी साहिबा तुम इसी तरह से मालूम है कि ऐसे समय पर मुझे इस तरह की बदसलूकी पसंद नहीं है।


मुझे अच्छी तरह से मालूम है राजा साहब कि तुम्हें अपनी हवस मिटाते समय इस तरह की बदसलूकी बिल्कुल भी पसंद नहीं है,,, लेकिन याद रखोअब मुझे भी यह सब बिल्कुल भी पसंद नहीं है तो मेरी मर्जी के बिना मेरे शरीर को हाथ तक नहीं लगा सकते,,,,, मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम हर रात को नहीं औरत के साथअपनी रातें रंगीन कर रहे हो और यह सब कुछ में किसी के कहने पर नहीं बल्कि अपनी आंखों से देख चुकी हूं कोई दो आदमी है जो तुम्हारे लिए हर रात एक नहीं औरत को लेकर आते हैं,,,(इतना सुनते ही राजा साहब के चेहरे से रंग उड़ने लगा जिसे देखकर रानी साहिबा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) तुम राजा साहब तुम्हारे चेहरे का रंग क्यों उड़ने लगा,,,,,(बाहर खिड़की पर खड़े होकर सुन रहा कुंवर एकदम हैरान था अपनी बहन की बातें सुनकर उसे अजीब लग रहा था और वह अपने आप से ही बोला कि उसकी बहनऐसे ही यह सब बातें नहीं कर रही है वह अपनी आंखों से देख चुकी है तभी इतने विश्वास के साथ कह रही है इसका मतलब साफ है कि उसके जीजा दूसरे औरतों के साथ भी संबंध रखते हैं)





1759106648-picsay
nine sided dice simulator

ऐसी कोई बात नहीं है तुम कोई सपना देखी होगी।

काश वह सपना ही होता,,,, मैं तुम्हें कितना मानती थी कितना प्यार करती थी मुझे लगता था कि तुम्हारे जैसा अच्छा इंसान पूरी दुनिया में नहीं है लेकिन मेरा विश्वास तुमने एकदम से तोड़ दिया अरे दूसरी औरतों के पास भी तो वही है जो मेरे पास हैचोरी छुपे दूसरे आदमियों का सहारा लेकर किसी औरतों के साथ संबंध बनाने में तुम्हें अच्छा लगता है तुम्हें बाजारु औरतें पसंद है घर की औरत नहीं,,,,,।

(राजा साहब एकदम आश्चर्यचकित होकर अपनी बीवी की तरफ देख रहे थे और वह जान चुका था कि अब कोई रास्ता नहीं था सफाई देने का कोई मौका नहीं बचा था,,,, लेकिन अपनी बीवी की हरकत और अपनी राजा साहब की हैसियत को देखते हुए वह अपनी हरकत से अपनी बीवी की आवाज को दबा देना चाहता था,,, इसलिए एकदम से गुस्सा दिखाते हुए बोला,,,)





1759056650-picsay
dice roller google
हरामजादी,,,(अपनी जगह से उठकर एकदम से उसके बाल को कस के अपने मुट्ठी में भींचते हुए ) मेरी जासूसी करती है यह देखती है कि मैं कहां-कहां जाता हूं,,,,,, हरामजादी,,,, मैंने कभी तेरी जासूसी किया,,,,।

आहहहह,,, यह क्या कर रहे है आप छोड़िए मुझे दर्द हो रहा है,,,(अपने पति के हाथ से अपने बालों को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए वह बोली यह सब बाहर खड़ा कुंवर देख रहा था और वहअपने जीजा की हरकत को देखकर एकदम से आग बबूला हो गया था और इसी समय कमरे के अंदर दाखिल होने की सोच रहा था लेकिन कुछ सोच करो ऐसा नहीं कर पाया सिर्फ देखने के सिवा,,,)

दर्द तो तुझे होगा ही,,,,और मैं एक मर्द हूं मैं क्या करता हूं क्या नहीं करता हूं इससे तेरा कोई वास्ता नहीं होना चाहिए मैं एक औरत के साथ सोऊं या दश औरत के साथ सोऊं इससे तुझे कोई मतलब नहीं होना चाहिए,,,, और मैं तेरी कभी जासूसी किया कि तू कहां कहां जाती है,,,,।

करके देख लो अगर मेरे बारे में कुछ सुन पाओ तो मुझे घर से निकाल देना मैं कुछ नहीं कहूंगी,,,।




1759056256-picsay
चल रहने दे रंडी दिन भर में नहीं रहता रात को भी नहीं रहता हूंतू भी रात को किसी को अपने कमरे में बुला लेती होगी क्योंकि अगर तू सो रही होती तो तुझे कैसे पता चला कि मैं रात को तेरे साथ नहीं रहता,,,, तू भी दूसरे मर्दों से चुदवाती है रंडी छिनार,,,,

खबरदार जो मुझे रंडी और छिनार कहा तो मैं तुम्हारे जैसी बिल्कुल भी नहीं हूं,,,,(रानी साहिबा एकदम से गुस्से में आकर अपने पति से बोली तो राजा साहब एकदम से गुस्से में आकर उसके गाल पर दमा दम तीन-चार तमाचा जड़ दिया जिससे वह एकदम से प्यार हो गई बाहर खड़ा कुंवारी यह सब देख कर एकदम से परेशान हो गया लेकिन वह इस समय कुछ कर नहीं सकता था ,,,,)

साली हरामजादी मेरे पीठ पीछे न जाने कितनों का लंड लेती होगी,,,, तभी तो अभी मुझे हाथ नहीं लगाने दे रही है मैं भी देखता हूं कि कैसे मुझे रोकती है,,,, हरामजादी अगर मेरी बात नहीं मानी तोतुझे और तेरे भाई को इसी समय हवेली से बाहर निकाल दूंगा और तुझ पर ऐसे ऐसे इल्जाम लगाऊंगा की पूरा समाज उसे पर थुकेगा कोई तुझे अपनाएगा नहींऔर रही बात मेरे पर एग्जाम लगाने की तू सच भी कह रही होगी तो भी कोई तुझ पर विश्वास नहीं करेगा रंडी,,,,।

(रानी साहब अपने पति की बात सुनकर एकदम हैरान हो गई थी वह अपने पति पर इल्जाम नहीं लग रही थी बल्कि अपने पति को आया दिख रही थी ताकि वह रास्ते पर वापस लौट आए लेकिन पासा यहां पर उल्टा चल चुका था अब यहां पर रानी साहिबा के लाले पड़े हुए थेरानी साहिबा अच्छी तरह से समझ रही थी उसका पति जो कुछ भी कह रहा था उसमें हकीकत था अगर उसका पति उसके बारे में समझ में गंदी अफवाहें फैलाएगाउसके चरित्र को लेकर उल्टी सीधी बातें करेगा तो वह किसी को सफाई देने लायक नहीं रहेगी और यह बिल्कुल सच है कि समाजउसे पर ही इल्जाम लगाएगी और वह कहीं की नहीं रह जाएगी इस बात से वह एकदम घबरा गई थी और वह अपने पति को आश्चर्य से देखने लगी थी उसकी आंखों में आंसू थे वह कुछ भी कह सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी।)





1759051863-picsay
चल घोड़ी बन छिनार ,,,,,,,
(अपने जीजा की बातें सुनकर कुंवर हैरान हो गया थाउसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका जीजा क्या बनने को कह रहा था घोड़ी का मतलब वह समझ नहीं पा रहा था,,,,,राजा साहब की बात का असर रानी साहिबा पर इस समय नहीं पड़ा था वह अपने ही दुख में डूबी हुई थी तभी वह दोबारा जोर से चिल्लाया)

हरामजादी सुन नहीं रही है चल जल्दी से घोड़ी बन (अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए क्योंकि इस समय वह ढीला पड़ गया था और वह फिर से उसे खड़ा करने में लगा हुआ था) बेवजह मेरा दिमाग खराब कर रही है इतना मन कर रहा था तेरी गांड मारने का और तु है कि मेरे मनसुबे पर पानी फेर रही है,,,, साली रंडी छिनार,,,,(घोड़ी बनने की बात सुनकर रानी साहिबा एकदम से घबरा गई थी वह समझ गई थी कि राजा साहब क्या करना चाहते हैं वह समझ गई थी कि क्यों वह अपने लंड पर सरसों का तेल लगा रहा था,,,, यह पहली बार नहीं था पहले भी वह गांड मरवा चुकी थी लेकिन इसमें उसे बहुत दर्द होता था लेकिन वह अपने राजा साहब से बहुत प्यार करती थी इसलिए थोड़ा सा दर्द सहकर भी हुआ आपने राजा साहब को खुश रखना चाहती थी लेकिन आज वह पूरी तरह से टूट चुकी थी लेकिन राजा साहब के गुस्से को देखकर और उनकी बातो को सुनकर वह घबरा गई थी,,,, और अपने पति की बात मानते हुए वह धीरे से घोड़ी बन गई थी और तब जाकर कुमार को पता चला था कि घोड़ी बनने का मतलब क्या था,,,,,जिस तरह से उसकी बात मानते हुए रानी साहिबा घोड़ी बनी हुई थी यह देखकर राजा साहब के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी और वह हंसता हुआ बोला।


देख ली ना हरामजादी जब तक बोल नहीं रहा था तब तक सर पर चढ़ी हुई थी क्या मिला तुझे मेरी जासूसी करके मैं राजा साहब हूं कहीं औरतों के साथ संबंध बनाना मुझे मेरी विरासत से मिला है तुझे घर में इज्जत से रख रहा हूं यही बहुत है,,,,, चल अब गांड ऊपर उठा,,,, जैसे रोज उठाती है,,,, पता चलना चाहिए की रानी साहिबा के गांड है किसी बाजारु,,, औरत की नहीं,,,,,।(अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए और उसे खड़ा करने की कोशिश करते हुए वह बोला और उसकी बात सुनकर रानी साहिबा पलंग के किनारे अपने घुटनों को थोड़ा सा फैलाते हुए अपनी बड़ी-बड़ी गांड को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,यह देखकर राजा साहब खुद ही अपना दोनों हाथ आगे बढ़कर अपनी बीवी की गांड को पकड़ कर उसे अपने तरीके से व्यवस्थित करने लगा और गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर थोड़ा और हवा में लहराता हुआ बोला,,,,)

तू बोलती है ना हरामजादी कि मेरे पास भी तो वही है जो दूसरे के पास है यह बात सही है कि दूसरों के पास जो हैवही तेरे पास भी है लेकिन तेरे पास वह कला नहीं है मर्दों को खुश करने कातुझे सब कुछ बताना पड़ता है लेकिन उन्हें बताना नहीं पड़ता बल्कि वह खुद मेरे ऊपर इतना छा जाती है कि मैं पागल हो जाता हूं,,,,,सब कुछ वह लोग अपने तरीके से करते हैं बोलो अच्छी तरह से जानती है कि मर्दों को कैसे खुश किया जाता है राजा साहब को कैसे खुश किया जाता है राजा साहब को क्या चाहिए और तू है कि मेरी बीवी होने के बावजूद भी तुझे कुछ नहीं पता,,,,,(ऐसा कहते हुएराजा साहब ढेर सारा सुख अपने लंड पर लगाकर उसकी मालिश करने लगा औरथोड़ा सा तू रानी साहिबा के भूरे रंग के छेद पर लगने लगा यह देखकर कुंवर का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,वह यह सोचकर हैरान हो रहा था कि उसका जीजा उसकी बहन की गांड के छेद पर क्यों थूक लगा रहा हैजबकि उसे तो उसके गुलाबी बुर में लंड डालना चाहिए जो कि इस समय खिड़की पर खड़े होने के बावजूद भी कुंवर को सबको साफ दिखाई दे रहा था अपनी बहन की जवानी से भरी हुई बड़ी-बड़ी गांड और उसकी गुलाबी छेद को देखकर उसका खुद का लंड खड़ा हो गया था,,,। उसका भी जोरों से दर्द रहा था और वह फटी आंखों से अपनी बहन और अपने जीजा को देख रहा था,,,,इस तरह की उत्तेजना का अनुभव से पहले कभी नहीं हुआ था आज अपनी आंखों से सब कुछ देखकर उसकी हालत खराब हो रही थी,,,

और कुंवर के लिए सबसे ज्यादा उत्तेजित करने वाली बात यह थी कि उसकी आंखों के सामने उसकी बहन पूरी तरह से नंगी थी,,, कुछ देर पहले उसके बदन पर पेटिकोट था लेकिन उसके जीजा का गुस्सा देखकर जब वह घोड़ी बनने के लिए बोला था वह खुद अपने हाथों से अपने पेटिकोट की डोरी खोलकर उसे अपने बदन से अलग कर दी थी,,,,, और अपने हाथों से अपने पेटिकोट की डोरी खोलता हुआ अपनी बहन को देखकर कुंवर की हालत और ज्यादा खराब होने लगी थी,,,,,अपनी बहन की नंगी बड़ी-बड़ी गांड उसकी चूची और उसके गुलाबी छेद को देखकर उसके होश उड़े जा रहे थे,,,, अभी तक उसे यह भी समझ में नहीं आया था कि उसका जीजा उसकी गुलाबी छेद की जगह उसकी गान्ड के छेद पर क्यों थूक लगा रहा था,,,,, लेकिन जल्द ही उसेइस बात का पता चल गया कि ऐसा उसका चेहरा क्यों कर रहा था क्योंकि अगले ही पल उसका जीजा अपने लंड के मोटे सुपाड़े को,,, उसकी बहन के भूरे रंग के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया जिससे रानी साहिबा के बदन में कसमसाहट होने लगी,,,, और जैसे ही राजा साहब अपनी कमर को आगे की तरफ ठेला थोड़ा सा जोर लगाया रानी साहिबाअपने बदन को एकदम से आगे की तरफ सिकोड़ने लगी जिसकी वजह से राजा साहब तुरंत उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और एक हाथ से अपने लंड को पकड़कर अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा।

राजा साहब की हरकत सेउसका लंड धीरे-धीरे रानी साहिबा की गांड के छेद में प्रवेश करने लगा और यह सब देखकर कुंवर के पसीने छूटने लगे,,,, कुंवर पहली बार चुदाई देख रहा था जहां तक उसे ज्ञान था की लंड को औरत की बुर में डाला जाता था लेकिन यहां परउसका जीजा अपने लंड को उसकी बहन की गांड में डाल रहा था शायद इसी को गांड मारना बोलते थे। यहां से उसकी बहन का चेहरा तो उसे साफ दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन इस समयरानी साहिबा की हालत खराब हो रही थी क्योंकि भले भी वह अपने पति से गांड बहुत बार मरवा चुकी थी लेकिन अपनी खुशी से नहीं बल्कि अपने पति की खुशी के लिए क्योंकि गांड मरवाने में उसे दर्द होता था,,,, धीरे-धीरे राजा साहब का पुरा लंड रानी साहिबा के कोमल छेद में अंदर तक प्रवेश कर गया था राजा साहब अपनी बीवी की कमर पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,, उसे अपनी बीवी की गांड मारने में बहुत मजा आता था,,,, वह दूसरी औरतों के साथ भी ऐसा कर चुका था,,,, बाहर खड़ा कुंवर यह सब देखकरपागल हुआ जा रहा था उसके बस में कुछ भी नहीं था इस समय वह अपनी बहन को गांड मरवाते हुए देख रहा थाऔर चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि दोनों के बीच रिश्ता ही कुछ ऐसा था कि दोनों यह इस क्रिया को चाहे जब कर सकते थे।

कुंवर अपनी दोनों टांगों के बीच गौर किया तो देखा कि उसके लंड की हालत एकदम खराब हो गई थी वह पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था और वह पजामे के ऊपर से उसे दबा भी रहा था,,,,, थोड़ी ही देर में कमरे में दर्द भरी शिसकारी की आवाज गुंज रही थी,,,,,वैसे तो रानी साहिबा को इस क्रिया में बिल्कुल भी मजा नहीं आता था लेकिन इस क्रिया को करते हुए राजा साहब की हरकतें जिस तरह से बढ़ जाती थी उसकी वजह से उसके बदन में उत्तेजना का एहसास होने लगता था और उसे अलग तरीके से मजा आता था और इस समय राजा साहब अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ करके उसके बड़े-बड़े खरबुजो को अपने हाथ में पकड़कर दबा रहा था मसल रहा था,,, जिससे रानी साहिबा को भी थोड़ी बहुत आनंद की अनुभुति हो रही थी। राजा साहब धीरे-धीरे अपनी रफ्तार को बढ़ने लगा था,,,, ऊपर का छेद पूरी तरह से राजा साहब के लंड से भरा हुआ था लेकिन नीचे की गुलाबी गली सुनी पड़ी हुई थी और उसकी गलियारे से उसका मदन रस आंसू बनकर टपक रहा था,,, जिस पर इस समय किसी का भी ध्यान नहीं था।


थोड़ी ही देर में राजा साहब अपनी बीवी और अपने लंड अपनी बीवी के पेटीकोट से ही वह अपने लंड को साफ कर रहा था और मुस्कुराते हुए अपनी बीवी से बोला,,,।

आज तुझे साफ-साफ बोल दे रहा हूं आइंदा से मैं कहां जाता हूं क्या करता हूं इस बारे मेंजासूसी करने की जरूरत नहीं है मैं सब तुझे बता देता हूं कि हां मैं दूसरी औरतों के पास जाता हूं क्योंकि तेरे से मुझे वह सुख नहीं मिलता जो दूसरी औरतों मुझे देती हैऔर अगर तुझे इस बात से ऐतराज है तो यह घर तू अभी छोड़ सकती है लेकिन मेरे बारे में किसी से कुछ कहेगी तो उल्टा तू ही बदनाम हो जाएगी इसलिए खामोश रहना इस घर में रानी बनकर रहना है तो अपने होठों को सी कर रहना,,,,, अपने मुंह से कुछ भी बकने की जरूरत नहीं है,,,,,,(रानी साहब अपने पति की बात उसी तरह से घोड़ी बन सुन रही थी इस समय उसकी गांड में राजा साहब का लंड भी नहीं था फिर भी वह घोड़ी बनी हुई थी क्योंकि वह एकदम से शर्मिंदा हो गई थीवह अपने आप की नजर में ही अपने आप को गिरता हुआ महसूस कर रही थी क्योंकि उसे ऐसा ही भ्रम था कि वह अपने पति से बहुत प्यार करती है और उसका पति उसे बहुत प्यार करता है अगर वह अपने पति से इस बारे में बात करेगी तो उसका पति उसकी बात मानते हुए यह सब छोड़ देगा और सीधे से उसके साथ ही खुश रहेगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था आज उसे एहसास हुआ था कि उसका पति उसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करता होगा तो वासना से भरा हुआ है और हर एक रात उसे नई दुल्हन चाहिए,,, अपने पति की बात सुनकरअब तो वह यह बात अपने मां-बाप से भी नहीं बता सकती थीक्योंकि वह जानती थी कि राजा साहब उसके ही चरित्र पर इल्जाम लगाकर उसे पूरी तरह से छिनार साबित कर देगा तब वह अपने मां-बाप से कैसे नजर मिला पाएगी समाज से कैसे नजर मिला पाएगी,,,,जो लोग दिन रात से रानी साहिबा रानी साहिबा कहते हुए नहीं थक रहे हैं वही कल को उसके पति के द्वारा लगाए गए ईल्जाम को लेकर उसे पर हसेंगे उसे पर फब्तिया कसेगे उसकी बिल्कुल भी इज्जत नहीं करेंगे यही सोचकर वह एकदम से घबरा गई थी,,,,

राजा साहब अपने कपड़े पहन चुका था लेकिन रानी साहिबा अभी भी नंगी घोड़ी बनी हुई थी यह देखकर वह मुस्कुराने लगा और बोला।

अपने कपड़े पहन ले अभी मैं तेरी नहीं लूंगा अब जा रहा हूं,,,,,(ऐसा कहकर वह कमरे से बाहर निकलने वाला था और समय देख कर कुंवर भी वहां से चलता बना था,,,थोड़ी देर बाद वहां अपने जीजा के चले जाने के बाद अपनी बहन के कमरे के पास फिर आया था उसे लगा था कि उसकी बहन अब सहज हो गई होगीलेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था खिड़की से देखा तो अभी भी उसकी बहन घोड़ी बनी हुई थी एकदम नंगी और रो रही थी उसके रोने की आवाज जिसके कानों में साफ सुनाई दे रही थी कुंवर को यह समय अपनी बहन से बात करने का बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह वहां से चला गया और जिस तरह का माहौल बना हुआ था उसे देखते हुए उसका मन नहीं किया रानी से मिलने के लिए।
Mast jabardast update
 

lovlesh2002

Member
262
501
93
रोनी भाई,
कहानी का इंटरेस्ट कम हो रहा है, कहानी सूरज और उसकी मां के आस पास होती चाहिए लेकिन आप बिना उसे पूरा किए नए नए रास्ते खोल रहे हैं, उतनी जल्दी अपडेट भी नहीं मिल पा रहे की एक दो अपडेट को लेखक की अच्छा अनुसार छोड़ दिया जाए क्योंकि कहानी तो आपकी ही है और आपका अधिकार भी है जैसे चाहो वैसे कहानी को आगे बढ़ाओ लेकिन पाठकों की चाहत का भी थोड़ा ध्यान रखो, सबकी जिज्ञासा सूरज और उसकी मां की प्रेम लीला के लिए सबसे ज्यादा है लेकिन 2 2 अपडेट आने के बाद भी उनकी कहानी में कुछ बढ़ोतरी नहीं हुई है, कहानी हमेशा रोचक बनी रहनी चाहिए इसका हमेशा ध्यान रखो। प्लीज इस बार सूरज और उसकी मां के बीच पनप रहे वासना और रिश्ते को ध्यान में रखते हुए कहानी का अपडेट दे
 

PRAVAS DALEI

Member
490
527
108
ऐसे ही सुनैना रांड की gaand को chudawao कल्लू के मोटे Lund से उसके chutiye बेटे के सामने उसको बंदी करके 🤣🤣🤣🤣 साली chinal रांड chodne me liye Mari ja rahi Hai कुतिया 😝😝😝
 
Top