कुंवर अपनी बहन के कमरे के आगे आकर रुक गया था दरवाजे पर ही खड़ा हो गया था क्योंकि अंदर से कुछ आवाज आ रही थी जिसे वह कान लगाकर सुनने की कोशिश कर रहा था,, अंदर से उसकी बहन की आवाज आ रही थी,,,।
राजा जी यह आप ठीक नहीं कर रहे हैं,,,,
क्या ठीक नहीं कर रहा हूं,,,,
मुझे आप पर शक है आप मेरे सिवा दूसरी औरतों के साथ भी संबंध रखते हैं,,,,।

यह कैसी बातें कर रही हो रानी साहिबा,,, भला यह कैसे हो सकता है,,,,।
(कुंवर के कानों में अंदर से आ रही है अपनी बहन और अपने जीजा की आवाज को सुनकरवह थोड़ा सा कर न रह गया था क्योंकि उसे अपनी बहन की बात सुनकर मामला समझ में आ रहा था इसलिए वह अंदर देखने की कोशिश करने लगा था और जल्द हीखिड़की से उसे अंदर देखने का मौका मिल गया था क्योंकि खिड़की बंद नहीं थी हल्की सी खुली हुई थी जिसमें से उसे अंदर का सब कुछ एकदम साफ दिखाई दे रहा था क्योंकि अंदर कमरे के सामने की खिड़की खुली हुई थी जिसमें से सूरज की रोशनी कमरे में एकदम उजाला किए हुए था,,,,)
मैं अच्छी तरह से जानती हूं रात रात भर तुम मेरे कमरे से गायब रहते हो तुम्हें चोरी छुपे आते जाते मैं खिड़कियों सेदेखा है इसका मतलब साफ है कि तुम दूसरे औरतों के साथसंबंध बनाए हो तभी रात भर मेरे साथ नहीं रहती और दिन भर गायब रहते हो जब तुम्हें मेरी जरूरत पड़ती है तभी तुम मेरे पास आते हो,,,(कुंवरअपनी बहन की बातों को सुन पी रहा था और उसे अच्छी तरह से देख भी रहा था दिन के उजाले में उसकी बहन उसे साफ दिखाई दे रही थी लेकिन अंदर का नजारा देखकर उसके तन बदन में अजीब से हलचल होने लगी थी क्योंकि उसकी बहन बिस्तर पर बैठी हुई थी और उसके जीजाबिस्तर के नीचे खड़े थे लेकिन जिस तरह की दोनों की हालत थी उसे देखकर कुंवर के तन बदन में सिहरन सी दौड़ रही थी,,,क्योंकि उसकी बहन बिस्तर पर केवल पेटीकोट में बैठी हुई थी और कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम साफ दिखाई दे रही थी यह पहला मौका था जब वह अपनी बहन को इस अवस्था में देख रहा था इसलिए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें पल भर के लिए उसके मन में आया कि वह वहां से चला जाए लेकिनबात कुछ और थी उसकी बहन की बातें सुनकर उसे अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि उसके जीजा किसी दूसरी औरतों के साथ भी संबंध बनाए हैं इसलिए वह अपने आप को वहां से हटा नहीं पाया और एक कारण यह भी था की पहली बार हुआ किसी औरत की नंगी चूचियों को देख रहा था इसलिए वह अपनी नजरों को अंदर कमरे से हटा नहीं पाया,,, लेकिन अभी तक कमरे में उसके जीजा राजा साहब अभी तक नजर नहीं आए थे इसलिए कुंवर अपने जीजा को देखने की कोशिश कर रहा था,,, तभी उसे कमरे के कोने की तरफ से आवाज आई जो कि उसके जीजा की थी,,,)

तुम खामखा मुझ पर शक कर रही हो यह केवल तुम्हारा वहम है,,,,(राजा साहब की आवाज के साथ-साथ वह भी कुंवर को नजर आया लेकिन जिस अवस्था में नजर आया उसे देखकर कुंवर की हालत खराब होने लगी उसे समझ में आ गया था कि कमरे के अंदर उसकी बहन और जीजा के बीच कुछ चलने वाला है इसलिए वह वहां से हट जाना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि अपनी बहन को इस अवस्था में देखना पाप है लेकिन वह भी जवानी के दौर से गुजर रहा था और जिस तरह का नजारा कमरे के अंदर दिखाई दे रहा था उसे तरह के नजारे को देखकर कुंवर की उम्र के लड़केमदहोश हो जाते हैं उत्तेजित हो जाते हैं और अपनी नजर ऐसे दृश्य हटाने की जगह नजर गडा कर देखते रह जाते हैं और यही कुंवर के साथ भी हो रहा था कुंवर चाह कर भी अपने आप को वहां से हटा नहीं पा रहा था,,,उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी बहन की बात सुनकर उसके जीजा सफाई देते हुए कैमरे के दूसरे कोने से बिस्तर की तरफ आगे बढ़ रहे थे और इस समय उनके भजन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था और वह कटोरी में कुछ लिए थे और उसकी धार को अपने लंड पर गिरा रहे थे जो कि इस समय एकदम अपनी औकात में आकर खड़ा था,,,,।

यह नजारा कुंवर के तन बदन में उत्तेजना का तूफ़ान पैदा कर रहा था कुंवर अच्छी तरह से जानता था कि इस समय उसकी बहन के कमरे में क्या होने जा रहा हैउसके जीजा का इस तरह से अपने लंड पर तेल की धार गिरने का मतलब साफ था कि अब वह उसकी बहन की चुदाई करने जा रहा है,,,, जिसके बारे में कुंवर कभी सोचा भी नहीं था,,,,,, उसके जीजा अपने लंड पर हाथ से तेल को लगाना शुरू कर दिए थे,,,, और तेल की कटोरी को एक तरफ टेबल पर रख दिए थे और बिस्तर की तरफ आगे बढ़ते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले,,,)
मेरी रानी मेरे जीवन में तुम्हारे सिवा और कोई दूसरी औरत नहीं है,,,।
मुझे अच्छी तरह से मालूम है तुम कितने धोखेबाज हो मुझे सब पता चल गया है तुम्हारा एक औरत से दिल भरता ही नहीं है,,,, (कुंवर की बहन रानी साहिबा इस तरह से बिस्तर पर बैठे अपने पति से शिकायत कर रही थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि उसकी शिकायत का राजा साहब पर बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था वह अपनी ही मस्ती में आगे बढ़ता चला जा रहा था और रानी साहिबा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,) क्या कमी है मेरे मेंक्या मैं खूबसूरत नहीं हूं क्या मेरा बदन भरा हुआ नहीं है क्यों तुम मुझे छोड़ कर दूसरी औरतों के पास सोते हो,,,,,मैं भी तो वही सब कुछ दे रही हूं जो दूसरी औरतों के साथ तुम देना चाहते हो जो सुख प्राप्त करना चाहते हो तुम्हें यहां नहीं मिल रहा है क्या,,,,
(अपनी बहन के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर कुंवर के तन बदन में भी आग लगने लगी थी,,,, अपनी बहन की बातें सुनकर वह उत्तेजित होने लगा थाबार-बार ना चाहते हुए भी उसकी नजर अपनी बहन की बड़ी-बड़ी चूचियों पर चली जा रही थी जो खरबूजे की तरह उसकी छाती से लटके हुए थे उत्तेजना के मारे कुंवर का गला सूख रहा था इतनी उत्तेजना का अनुभव तो उसे उसे समय भी नहीं आया था जब वहगांव में पानी में डूबती हुई रानी को बचाया था और रानी पूरी तरह से उसकी बाहों में उसके कंधे पर एकदम नंगी थी जिसे वह नदी के बाहर ले आया था और,,,उसकी जान बचाया था उसे समय वह पूरी तरह से निर्वस्त्र से एकदम नंगी उसका अंग अंग उसके बदन से सटा हुआ था लेकिन फिर भी इस तरह की उत्तेजना का अनुभव नहीं हुआ था जिस की उसे चेतना का अनुभव इस समय अपनी बहन की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर हो रहा था,,, अपनी बहन की बातें सुनकर जहां एक तरफ उसे उत्तेजना का अनुभव हो रहा था मैं दूसरी तरफ अपनी जीजा की हरकत और उसकी बातें सुनकर उसे गुस्सा आ रहा था लेकिन उसका ध्यान अपने जीजा के लंड पर भी था। जिस पर वह इस समय तेल से मालिश कर रहा था,,, और वह अच्छी तरह से जानता था कि उसका जीजा उसकी बहन की बुर में लंड डालने के लिए तेल की मालिश कर रहा था। मालिश करता हुआ वह बिस्तर पर बैठ गया,,,, और एक हाथ आगे बढ़कर रानी साहिबा की चूची पर रखता हूं मैं उसे दबाने की कोशिश करने लगा लेकिन रानी साहिबा अपने आप को पीछे की तरफ खींच ली यह देखकर कुंवर की सांसें भारी होने लगी,,,,)

यह क्या हरकत है रानी साहिबा तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है,,,।
पहले था लेकिन अब नहीं है,,,,,(रानी साहिबा का अपने पति पर शक करने की वजह भी थी,,, रानी साहिबा को अक्सर एहसास होता था कि उसका पति रात को कहीं चला जाता है और सुबह देर में वापस लौटता था और जिस रात को वह अपना पति समझ कर किसी दूसरे मर्द से चुद गई थी उस रात से उसे अपने पति पर शक होने लगा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि राजा साहब की हवेली में किसी की हिम्मत नहीं थी कि कोई उसके शयन कछ तक पहुंच सके लेकिन उसे रात उसका यह भरम पूरी तरह से टूट गया था और उसे अपने पति पर शक होने लगा थावह समझ गई थी कि कोई करीबी ही है जो इस तरह की हरकत कर गया था और वह अच्छी तरह से जानता था कि इस समय राजा साहब कहां होंगे क्योंकि वह पूरे इतनी नाम के साथ उसके साथ संभोग किया था बिना किसी उतावला केजिसका मतलब साफ था कि उसे अच्छी तरह से मालूम था कि राजा साहब कब तक लौटेंगे और कहां जाते हैं यह भी उसे मालूम था,,,, और धीरे-धीरे उसका शक यकीन में तब बदलने लगा जब वह एक रात सिर्फ सोने का नाटक की थी और जैसे ही राजा साहब कमरे से बाहर निकले वह भी धीरे से राजा साहब के पीछे-पीछे चल दी थोड़ी देर में दोनों घर के पीछे वाली झोपड़ी के पास पहुंच चुके थेरानी साहिबा कुछ दूरी से पेड़ के पीछे छिप कर सब कुछ देख रही थी जहां पर उसने दो आदमी को देखी थी और उन दोनों आदमियों के साथ एक औरत भी थी जिसका हाथ पकड़ कर राजा साहब झोपड़ी के अंदर चले गए थे और दोनों आदमी मुस्कुराते हुए दूसरी तरफ चल दिए थे दर से वह उन दोनों आदमियों को पहचान नहीं पाई थी वरना सब कुछ पाने की तरह साफ हो जाता लेकिन इतना तो होता है ताकि उसका पति निर्लज और दूसरी औरतों के चक्कर में था,,,,उसे सब कुछ मालूम था सिर्फ वह अपने पति के मुंह से सुनना चाहती थी लेकिन उसका पति था कि हर बात को इनकार कर रहा था)

अब क्यों नहीं है मेरी जान,,,,(पेटिकोट को ऊपर की तरफ सरकाने की कोशिश करते हुए राजा साहब बोला लेकिन रानी साहिबा तुरंत उसका हाथ झटक दी यह देखकर अपनी बीवी की हरकत को देखकर राजा साहब एकदम से गुस्से में आ गया और बोला,,,) यह क्या बदतमीजी है रानी साहिबा तुम इसी तरह से मालूम है कि ऐसे समय पर मुझे इस तरह की बदसलूकी पसंद नहीं है।
मुझे अच्छी तरह से मालूम है राजा साहब कि तुम्हें अपनी हवस मिटाते समय इस तरह की बदसलूकी बिल्कुल भी पसंद नहीं है,,, लेकिन याद रखोअब मुझे भी यह सब बिल्कुल भी पसंद नहीं है तो मेरी मर्जी के बिना मेरे शरीर को हाथ तक नहीं लगा सकते,,,,, मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम हर रात को नहीं औरत के साथअपनी रातें रंगीन कर रहे हो और यह सब कुछ में किसी के कहने पर नहीं बल्कि अपनी आंखों से देख चुकी हूं कोई दो आदमी है जो तुम्हारे लिए हर रात एक नहीं औरत को लेकर आते हैं,,,(इतना सुनते ही राजा साहब के चेहरे से रंग उड़ने लगा जिसे देखकर रानी साहिबा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) तुम राजा साहब तुम्हारे चेहरे का रंग क्यों उड़ने लगा,,,,,(बाहर खिड़की पर खड़े होकर सुन रहा कुंवर एकदम हैरान था अपनी बहन की बातें सुनकर उसे अजीब लग रहा था और वह अपने आप से ही बोला कि उसकी बहनऐसे ही यह सब बातें नहीं कर रही है वह अपनी आंखों से देख चुकी है तभी इतने विश्वास के साथ कह रही है इसका मतलब साफ है कि उसके जीजा दूसरे औरतों के साथ भी संबंध रखते हैं)
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ऐसी कोई बात नहीं है तुम कोई सपना देखी होगी।
काश वह सपना ही होता,,,, मैं तुम्हें कितना मानती थी कितना प्यार करती थी मुझे लगता था कि तुम्हारे जैसा अच्छा इंसान पूरी दुनिया में नहीं है लेकिन मेरा विश्वास तुमने एकदम से तोड़ दिया अरे दूसरी औरतों के पास भी तो वही है जो मेरे पास हैचोरी छुपे दूसरे आदमियों का सहारा लेकर किसी औरतों के साथ संबंध बनाने में तुम्हें अच्छा लगता है तुम्हें बाजारु औरतें पसंद है घर की औरत नहीं,,,,,।
(राजा साहब एकदम आश्चर्यचकित होकर अपनी बीवी की तरफ देख रहे थे और वह जान चुका था कि अब कोई रास्ता नहीं था सफाई देने का कोई मौका नहीं बचा था,,,, लेकिन अपनी बीवी की हरकत और अपनी राजा साहब की हैसियत को देखते हुए वह अपनी हरकत से अपनी बीवी की आवाज को दबा देना चाहता था,,, इसलिए एकदम से गुस्सा दिखाते हुए बोला,,,)
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हरामजादी,,,(अपनी जगह से उठकर एकदम से उसके बाल को कस के अपने मुट्ठी में भींचते हुए ) मेरी जासूसी करती है यह देखती है कि मैं कहां-कहां जाता हूं,,,,,, हरामजादी,,,, मैंने कभी तेरी जासूसी किया,,,,।
आहहहह,,, यह क्या कर रहे है आप छोड़िए मुझे दर्द हो रहा है,,,(अपने पति के हाथ से अपने बालों को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए वह बोली यह सब बाहर खड़ा कुंवर देख रहा था और वहअपने जीजा की हरकत को देखकर एकदम से आग बबूला हो गया था और इसी समय कमरे के अंदर दाखिल होने की सोच रहा था लेकिन कुछ सोच करो ऐसा नहीं कर पाया सिर्फ देखने के सिवा,,,)
दर्द तो तुझे होगा ही,,,,और मैं एक मर्द हूं मैं क्या करता हूं क्या नहीं करता हूं इससे तेरा कोई वास्ता नहीं होना चाहिए मैं एक औरत के साथ सोऊं या दश औरत के साथ सोऊं इससे तुझे कोई मतलब नहीं होना चाहिए,,,, और मैं तेरी कभी जासूसी किया कि तू कहां कहां जाती है,,,,।
करके देख लो अगर मेरे बारे में कुछ सुन पाओ तो मुझे घर से निकाल देना मैं कुछ नहीं कहूंगी,,,।

चल रहने दे रंडी दिन भर में नहीं रहता रात को भी नहीं रहता हूंतू भी रात को किसी को अपने कमरे में बुला लेती होगी क्योंकि अगर तू सो रही होती तो तुझे कैसे पता चला कि मैं रात को तेरे साथ नहीं रहता,,,, तू भी दूसरे मर्दों से चुदवाती है रंडी छिनार,,,,
खबरदार जो मुझे रंडी और छिनार कहा तो मैं तुम्हारे जैसी बिल्कुल भी नहीं हूं,,,,(रानी साहिबा एकदम से गुस्से में आकर अपने पति से बोली तो राजा साहब एकदम से गुस्से में आकर उसके गाल पर दमा दम तीन-चार तमाचा जड़ दिया जिससे वह एकदम से प्यार हो गई बाहर खड़ा कुंवारी यह सब देख कर एकदम से परेशान हो गया लेकिन वह इस समय कुछ कर नहीं सकता था ,,,,)
साली हरामजादी मेरे पीठ पीछे न जाने कितनों का लंड लेती होगी,,,, तभी तो अभी मुझे हाथ नहीं लगाने दे रही है मैं भी देखता हूं कि कैसे मुझे रोकती है,,,, हरामजादी अगर मेरी बात नहीं मानी तोतुझे और तेरे भाई को इसी समय हवेली से बाहर निकाल दूंगा और तुझ पर ऐसे ऐसे इल्जाम लगाऊंगा की पूरा समाज उसे पर थुकेगा कोई तुझे अपनाएगा नहींऔर रही बात मेरे पर एग्जाम लगाने की तू सच भी कह रही होगी तो भी कोई तुझ पर विश्वास नहीं करेगा रंडी,,,,।
(रानी साहब अपने पति की बात सुनकर एकदम हैरान हो गई थी वह अपने पति पर इल्जाम नहीं लग रही थी बल्कि अपने पति को आया दिख रही थी ताकि वह रास्ते पर वापस लौट आए लेकिन पासा यहां पर उल्टा चल चुका था अब यहां पर रानी साहिबा के लाले पड़े हुए थेरानी साहिबा अच्छी तरह से समझ रही थी उसका पति जो कुछ भी कह रहा था उसमें हकीकत था अगर उसका पति उसके बारे में समझ में गंदी अफवाहें फैलाएगाउसके चरित्र को लेकर उल्टी सीधी बातें करेगा तो वह किसी को सफाई देने लायक नहीं रहेगी और यह बिल्कुल सच है कि समाजउसे पर ही इल्जाम लगाएगी और वह कहीं की नहीं रह जाएगी इस बात से वह एकदम घबरा गई थी और वह अपने पति को आश्चर्य से देखने लगी थी उसकी आंखों में आंसू थे वह कुछ भी कह सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं थी।)

चल घोड़ी बन छिनार ,,,,,,,
(अपने जीजा की बातें सुनकर कुंवर हैरान हो गया थाउसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका जीजा क्या बनने को कह रहा था घोड़ी का मतलब वह समझ नहीं पा रहा था,,,,,राजा साहब की बात का असर रानी साहिबा पर इस समय नहीं पड़ा था वह अपने ही दुख में डूबी हुई थी तभी वह दोबारा जोर से चिल्लाया)
हरामजादी सुन नहीं रही है चल जल्दी से घोड़ी बन (अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए क्योंकि इस समय वह ढीला पड़ गया था और वह फिर से उसे खड़ा करने में लगा हुआ था) बेवजह मेरा दिमाग खराब कर रही है इतना मन कर रहा था तेरी गांड मारने का और तु है कि मेरे मनसुबे पर पानी फेर रही है,,,, साली रंडी छिनार,,,,(घोड़ी बनने की बात सुनकर रानी साहिबा एकदम से घबरा गई थी वह समझ गई थी कि राजा साहब क्या करना चाहते हैं वह समझ गई थी कि क्यों वह अपने लंड पर सरसों का तेल लगा रहा था,,,, यह पहली बार नहीं था पहले भी वह गांड मरवा चुकी थी लेकिन इसमें उसे बहुत दर्द होता था लेकिन वह अपने राजा साहब से बहुत प्यार करती थी इसलिए थोड़ा सा दर्द सहकर भी हुआ आपने राजा साहब को खुश रखना चाहती थी लेकिन आज वह पूरी तरह से टूट चुकी थी लेकिन राजा साहब के गुस्से को देखकर और उनकी बातो को सुनकर वह घबरा गई थी,,,, और अपने पति की बात मानते हुए वह धीरे से घोड़ी बन गई थी और तब जाकर कुमार को पता चला था कि घोड़ी बनने का मतलब क्या था,,,,,जिस तरह से उसकी बात मानते हुए रानी साहिबा घोड़ी बनी हुई थी यह देखकर राजा साहब के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी और वह हंसता हुआ बोला।
देख ली ना हरामजादी जब तक बोल नहीं रहा था तब तक सर पर चढ़ी हुई थी क्या मिला तुझे मेरी जासूसी करके मैं राजा साहब हूं कहीं औरतों के साथ संबंध बनाना मुझे मेरी विरासत से मिला है तुझे घर में इज्जत से रख रहा हूं यही बहुत है,,,,, चल अब गांड ऊपर उठा,,,, जैसे रोज उठाती है,,,, पता चलना चाहिए की रानी साहिबा के गांड है किसी बाजारु,,, औरत की नहीं,,,,,।(अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए और उसे खड़ा करने की कोशिश करते हुए वह बोला और उसकी बात सुनकर रानी साहिबा पलंग के किनारे अपने घुटनों को थोड़ा सा फैलाते हुए अपनी बड़ी-बड़ी गांड को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,यह देखकर राजा साहब खुद ही अपना दोनों हाथ आगे बढ़कर अपनी बीवी की गांड को पकड़ कर उसे अपने तरीके से व्यवस्थित करने लगा और गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर थोड़ा और हवा में लहराता हुआ बोला,,,,)
तू बोलती है ना हरामजादी कि मेरे पास भी तो वही है जो दूसरे के पास है यह बात सही है कि दूसरों के पास जो हैवही तेरे पास भी है लेकिन तेरे पास वह कला नहीं है मर्दों को खुश करने कातुझे सब कुछ बताना पड़ता है लेकिन उन्हें बताना नहीं पड़ता बल्कि वह खुद मेरे ऊपर इतना छा जाती है कि मैं पागल हो जाता हूं,,,,,सब कुछ वह लोग अपने तरीके से करते हैं बोलो अच्छी तरह से जानती है कि मर्दों को कैसे खुश किया जाता है राजा साहब को कैसे खुश किया जाता है राजा साहब को क्या चाहिए और तू है कि मेरी बीवी होने के बावजूद भी तुझे कुछ नहीं पता,,,,,(ऐसा कहते हुएराजा साहब ढेर सारा सुख अपने लंड पर लगाकर उसकी मालिश करने लगा औरथोड़ा सा तू रानी साहिबा के भूरे रंग के छेद पर लगने लगा यह देखकर कुंवर का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,वह यह सोचकर हैरान हो रहा था कि उसका जीजा उसकी बहन की गांड के छेद पर क्यों थूक लगा रहा हैजबकि उसे तो उसके गुलाबी बुर में लंड डालना चाहिए जो कि इस समय खिड़की पर खड़े होने के बावजूद भी कुंवर को सबको साफ दिखाई दे रहा था अपनी बहन की जवानी से भरी हुई बड़ी-बड़ी गांड और उसकी गुलाबी छेद को देखकर उसका खुद का लंड खड़ा हो गया था,,,। उसका भी जोरों से दर्द रहा था और वह फटी आंखों से अपनी बहन और अपने जीजा को देख रहा था,,,,इस तरह की उत्तेजना का अनुभव से पहले कभी नहीं हुआ था आज अपनी आंखों से सब कुछ देखकर उसकी हालत खराब हो रही थी,,,
और कुंवर के लिए सबसे ज्यादा उत्तेजित करने वाली बात यह थी कि उसकी आंखों के सामने उसकी बहन पूरी तरह से नंगी थी,,, कुछ देर पहले उसके बदन पर पेटिकोट था लेकिन उसके जीजा का गुस्सा देखकर जब वह घोड़ी बनने के लिए बोला था वह खुद अपने हाथों से अपने पेटिकोट की डोरी खोलकर उसे अपने बदन से अलग कर दी थी,,,,, और अपने हाथों से अपने पेटिकोट की डोरी खोलता हुआ अपनी बहन को देखकर कुंवर की हालत और ज्यादा खराब होने लगी थी,,,,,अपनी बहन की नंगी बड़ी-बड़ी गांड उसकी चूची और उसके गुलाबी छेद को देखकर उसके होश उड़े जा रहे थे,,,, अभी तक उसे यह भी समझ में नहीं आया था कि उसका जीजा उसकी गुलाबी छेद की जगह उसकी गान्ड के छेद पर क्यों थूक लगा रहा था,,,,, लेकिन जल्द ही उसेइस बात का पता चल गया कि ऐसा उसका चेहरा क्यों कर रहा था क्योंकि अगले ही पल उसका जीजा अपने लंड के मोटे सुपाड़े को,,, उसकी बहन के भूरे रंग के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया जिससे रानी साहिबा के बदन में कसमसाहट होने लगी,,,, और जैसे ही राजा साहब अपनी कमर को आगे की तरफ ठेला थोड़ा सा जोर लगाया रानी साहिबाअपने बदन को एकदम से आगे की तरफ सिकोड़ने लगी जिसकी वजह से राजा साहब तुरंत उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और एक हाथ से अपने लंड को पकड़कर अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा।
राजा साहब की हरकत सेउसका लंड धीरे-धीरे रानी साहिबा की गांड के छेद में प्रवेश करने लगा और यह सब देखकर कुंवर के पसीने छूटने लगे,,,, कुंवर पहली बार चुदाई देख रहा था जहां तक उसे ज्ञान था की लंड को औरत की बुर में डाला जाता था लेकिन यहां परउसका जीजा अपने लंड को उसकी बहन की गांड में डाल रहा था शायद इसी को गांड मारना बोलते थे। यहां से उसकी बहन का चेहरा तो उसे साफ दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन इस समयरानी साहिबा की हालत खराब हो रही थी क्योंकि भले भी वह अपने पति से गांड बहुत बार मरवा चुकी थी लेकिन अपनी खुशी से नहीं बल्कि अपने पति की खुशी के लिए क्योंकि गांड मरवाने में उसे दर्द होता था,,,, धीरे-धीरे राजा साहब का पुरा लंड रानी साहिबा के कोमल छेद में अंदर तक प्रवेश कर गया था राजा साहब अपनी बीवी की कमर पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,, उसे अपनी बीवी की गांड मारने में बहुत मजा आता था,,,, वह दूसरी औरतों के साथ भी ऐसा कर चुका था,,,, बाहर खड़ा कुंवर यह सब देखकरपागल हुआ जा रहा था उसके बस में कुछ भी नहीं था इस समय वह अपनी बहन को गांड मरवाते हुए देख रहा थाऔर चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था क्योंकि दोनों के बीच रिश्ता ही कुछ ऐसा था कि दोनों यह इस क्रिया को चाहे जब कर सकते थे।
कुंवर अपनी दोनों टांगों के बीच गौर किया तो देखा कि उसके लंड की हालत एकदम खराब हो गई थी वह पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था और वह पजामे के ऊपर से उसे दबा भी रहा था,,,,, थोड़ी ही देर में कमरे में दर्द भरी शिसकारी की आवाज गुंज रही थी,,,,,वैसे तो रानी साहिबा को इस क्रिया में बिल्कुल भी मजा नहीं आता था लेकिन इस क्रिया को करते हुए राजा साहब की हरकतें जिस तरह से बढ़ जाती थी उसकी वजह से उसके बदन में उत्तेजना का एहसास होने लगता था और उसे अलग तरीके से मजा आता था और इस समय राजा साहब अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ करके उसके बड़े-बड़े खरबुजो को अपने हाथ में पकड़कर दबा रहा था मसल रहा था,,, जिससे रानी साहिबा को भी थोड़ी बहुत आनंद की अनुभुति हो रही थी। राजा साहब धीरे-धीरे अपनी रफ्तार को बढ़ने लगा था,,,, ऊपर का छेद पूरी तरह से राजा साहब के लंड से भरा हुआ था लेकिन नीचे की गुलाबी गली सुनी पड़ी हुई थी और उसकी गलियारे से उसका मदन रस आंसू बनकर टपक रहा था,,, जिस पर इस समय किसी का भी ध्यान नहीं था।
थोड़ी ही देर में राजा साहब अपनी बीवी और अपने लंड अपनी बीवी के पेटीकोट से ही वह अपने लंड को साफ कर रहा था और मुस्कुराते हुए अपनी बीवी से बोला,,,।
आज तुझे साफ-साफ बोल दे रहा हूं आइंदा से मैं कहां जाता हूं क्या करता हूं इस बारे मेंजासूसी करने की जरूरत नहीं है मैं सब तुझे बता देता हूं कि हां मैं दूसरी औरतों के पास जाता हूं क्योंकि तेरे से मुझे वह सुख नहीं मिलता जो दूसरी औरतों मुझे देती हैऔर अगर तुझे इस बात से ऐतराज है तो यह घर तू अभी छोड़ सकती है लेकिन मेरे बारे में किसी से कुछ कहेगी तो उल्टा तू ही बदनाम हो जाएगी इसलिए खामोश रहना इस घर में रानी बनकर रहना है तो अपने होठों को सी कर रहना,,,,, अपने मुंह से कुछ भी बकने की जरूरत नहीं है,,,,,,(रानी साहब अपने पति की बात उसी तरह से घोड़ी बन सुन रही थी इस समय उसकी गांड में राजा साहब का लंड भी नहीं था फिर भी वह घोड़ी बनी हुई थी क्योंकि वह एकदम से शर्मिंदा हो गई थीवह अपने आप की नजर में ही अपने आप को गिरता हुआ महसूस कर रही थी क्योंकि उसे ऐसा ही भ्रम था कि वह अपने पति से बहुत प्यार करती है और उसका पति उसे बहुत प्यार करता है अगर वह अपने पति से इस बारे में बात करेगी तो उसका पति उसकी बात मानते हुए यह सब छोड़ देगा और सीधे से उसके साथ ही खुश रहेगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था आज उसे एहसास हुआ था कि उसका पति उसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करता होगा तो वासना से भरा हुआ है और हर एक रात उसे नई दुल्हन चाहिए,,, अपने पति की बात सुनकरअब तो वह यह बात अपने मां-बाप से भी नहीं बता सकती थीक्योंकि वह जानती थी कि राजा साहब उसके ही चरित्र पर इल्जाम लगाकर उसे पूरी तरह से छिनार साबित कर देगा तब वह अपने मां-बाप से कैसे नजर मिला पाएगी समाज से कैसे नजर मिला पाएगी,,,,जो लोग दिन रात से रानी साहिबा रानी साहिबा कहते हुए नहीं थक रहे हैं वही कल को उसके पति के द्वारा लगाए गए ईल्जाम को लेकर उसे पर हसेंगे उसे पर फब्तिया कसेगे उसकी बिल्कुल भी इज्जत नहीं करेंगे यही सोचकर वह एकदम से घबरा गई थी,,,,
राजा साहब अपने कपड़े पहन चुका था लेकिन रानी साहिबा अभी भी नंगी घोड़ी बनी हुई थी यह देखकर वह मुस्कुराने लगा और बोला।
अपने कपड़े पहन ले अभी मैं तेरी नहीं लूंगा अब जा रहा हूं,,,,,(ऐसा कहकर वह कमरे से बाहर निकलने वाला था और समय देख कर कुंवर भी वहां से चलता बना था,,,थोड़ी देर बाद वहां अपने जीजा के चले जाने के बाद अपनी बहन के कमरे के पास फिर आया था उसे लगा था कि उसकी बहन अब सहज हो गई होगीलेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था खिड़की से देखा तो अभी भी उसकी बहन घोड़ी बनी हुई थी एकदम नंगी और रो रही थी उसके रोने की आवाज जिसके कानों में साफ सुनाई दे रही थी कुंवर को यह समय अपनी बहन से बात करने का बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह वहां से चला गया और जिस तरह का माहौल बना हुआ था उसे देखते हुए उसका मन नहीं किया रानी से मिलने के लिए।