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Incest पहाडी मौसम

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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सूरज जिस काम के लिए मुखिया के घर गया था उसका काम बन गया था,,,, वैसे तो वहां पहुंचकर मुखिया की बीवी ने उसे खेतों में पानी ठीक से जा रहा है कि नहीं यह काम देखने के लिए दे दिया था और वही काम करने के लिए वह घर के पीछे पहुंच भी गया था लेकिन घर के पीछे उसे एक अलग ही नजारा देखने को मिला था जिसके लिए वह वहां पर आया था,,,, अनजाने में उसे मुखिया की लड़की नीलू ट्यूबवेल पर एकदम नग्न अवस्था में नहाते हुए मिल गई और मौके का फायदा उठाकर सूरज उसे बगीचे में आने के लिए मनवा भी लिया था और साथ ही उसकी नंगी गांड के दर्शन करके मत हो गया था और फिर उसकी नंगी गांड देखने के बाद वह जानता था कि वहां पर वह कुछ कर नहीं पाएगा इसलिए जाते-जाते उसके हाथों में अपना मोटा लंड थमा दिया था जिसे उसकी उत्तेजना प्रज्वलित हो जाए और वह बगीचे में आने के लिए काम विवश हो जाए,,,,।

नीलू जो कि खुद जवानी की आग में जल रही थी सूरज की उस दिन की हरकत से जवानी की उमंग उसके बदन में उछल रही थी वह खुद एक बार उस अनुभव से गुजरना चाहती थी इसलिए बगीचे में जाने में उसे कोई दिक्कत नहीं थी,,, बस डर उसे इस बात का था कि कहीं किसी को कुछ पता ना चल जाए,,,, वह जानती थी कि आज घर पर काम है इसलिए वह दूसरे दिन का वादा करके सूरज को वहां से भगा दी थी क्योंकि सूरज की हरकत उसके साथ पढ़ने रखी थी और सूरज की हरकत को देखते हुए उसे इस बात का भी डर था की कहानी उसके मां बाबूजी उसे इस हालत में सूरज के साथ ना देख ले,,,।

सूरज का तो दिन बन गया था,,,, एक तरफ सोनू की चाची की बदन की प्यास बढ़ती जा रही थी जिसका एहसास सूरज को अच्छी तरह से हो गया था और दूसरी तरफ मुखिया की लड़की जो दूसरे दिन उससे आपके बगीचे में मिलने वाली थी यह सब देखकर उसकी उत्तेजना चरम सीमा पर थी,,,, वह मर्दाना तौर पर पूरी तरह से मजबूत था उसके लंड को धार की जरूरत नहीं थी वह प्राकृतिक रूप से धारदार था,,, जो कि किसी की भी बुर में जाकर खलबली मचाने में सक्षम था,,, जिसका ताजा उदाहरण थी मुखिया की बीवी,,, अगर ऐसा ना होता तो सूरज के प्रति इतना आकर्षित और उसके साथ संबंध बनाने के लिए बार-बार तैयार न होती,,,,।

इसलिए सूरज को अपनी मर्दानगी पर पूरा विश्वास था,, वह जानता था कि मुखिया की बीवी की तरह ही वह सोनू की चाची और मुखिया की लड़की नीलू को भी अपनी मर्दानगी का कायल बना देगा,,,,।

दिन भर वह इधर-उधर घूमता रहा,,, शाम होते ही वह जब घर पहुंचा तो,,,,,, घर पर खाना बन रहा था,,, उसकी मां खाना बना रही थी और उसकी बहन सब्जी काट रही थी आप मां बहन दोनों सूरज की आंखों में बस चुकी थी दोनों को सूरज वासना की नजर से देखने लगा था बार-बार उसकी आंखों के सामने उसकी बहन की नंगी गांड नाचती हुई नजर आने लगती थी उसका बार-बार इस तरह से पेशाब करना उसे ख्वाबों में भी आता था वह अपने मन में यही सोचता था कि उसकी बहन की गांड कितनी खूबसूरत है,,, अगर उसकी बहन के खूबसूरत बदन से खेलने का मौका मिलेगा तो कितना मजा आएगा,,,।

अपनी मां को तो वह दो-तीन बार नग्न अवस्था में देख चुका था एक बार तो नदी में नहाते हुए और एक बार अपने पिताजी के साथ चुदवाते हुए,,, यह सब अपने मन में सोते हुए सूरज भी उन दोनों के पास ही बैठ गया और अपने मन में अपनी मां की तरफ देखकर यही सोच रहा था कि काफी दिन हो गए हैं पिताजी घर पर नहीं है और उसकी मां अकेले ही कमरे में सोती है,,,। बिस्तर पर अकेली बिना मर्द के ,उसका मन भी तो करता होगा चुदवाने को,,, उसे भी तो मर्द की जरूरत पड़ती होगी आखिरकार भाभी से एक औरत है मुखिया की बीवी की तरह जो कि पति होने के बावजूद भी दूसरों के साथ संबंध बनाती है ताकि संतुष्ट हो सके अपनी जवानी की प्यास बुझा सके तो क्या इस तरह की प्यास उसकी मां के बदन में नहीं उठती होगी,,,, जरूर उठती होगी,,, आखिरकार औरतें भी तो एक जैसी ही होती है जिसे मुखिया की बीवी जैसे सोनू की चाची वह भी तो अपने पति से खुश नहीं है पति के होने के बावजूद भी उसे शरीर सुख नहीं मिल रहा है और यही हाल तो उसकी मां का भी है पति का ठिकाना ही नहीं है कि कहां है तकरीबन महीना गुजर गया है ऐसे में वह रात कैसे गुजारती होगी,,,।

यही सब सोच रहा था कि तभी उसकी मां बोली,,,।

अरे सूरज एक बात तुझसे कहना था,,,।

हां हां बोलो मां,,,,।

इस साल में बालों के लिए तेल नहीं बना पाई हुं ,, क्योंकि तूने इस बार आंवला लाया ही नहीं,,,,।

मुझे वहां जाने का मौका ही नहीं मिला,,,।

अरे वही तो बता रही हूं कि तुम दोनों साथ में वहां चले जाओ और वाला तोड़कर लो ताकि मैं साल भर का तेल बना सकूं सरसों का तेल भी अपने पास है पर्याप्त मात्रा में साल भर के लिए तेल बन जाएगा,,,,।

ठीक है मैं कल ही चला जाता हूं रानी को लेकर,,,(उसका इतना कहना था कि तभी उसे ख्याल आया कि कल तो उसे बगीचे में जाना है इसलिए वह एकदम से हड़बढ़ाते हुए बोला,,,) कल नहीं परसों चलेंगे कल तो मुझे काम है,,,.

कल क्या काम है तुझे,,,,?

अरे मां कल मुखिया के घर जाना है हो सकता है कुछ काम मिल जाए तो कुछ पैसे मिल जाएंगे,,,।

चल तब तो ठीक है परसों चली जाना या समय मिले तब चले जाना लेकिन जल्दी जाना ऐसा ना हो कि तेरे जाने से पहले ही अांवला के बगीचे से आंवाला खत्म हो जाए,,,,।

तुम चिंता मत करो मां मुझे मालूम है कहां-कहां आंवला का बगीचा है,,,, अगर उधर खत में भी हो गया तो दूसरी जगह से तोड़ लाऊंगा,,,।

तेरे पर मुझे पूरा भरोसा है ना जाने क्यों ऐसा लगने लगा कि तुम्हें बड़ा हो गया है जो बात मुझे तेरे पिताजी से कहानी चाहिए वह तुझसे कहनी पड़ती है,,,।

तो क्या हो गया मन बड़ा तो मैं हुई क्या पूरा मर्द हो गया,,,हुं,,(सूरज जानबूझकर मर्द शब्द का प्रयोग कर रहा था और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) पर वैसे भी तुम्हारी कहीं बात में पूरा करता हूं ना टालता तो नहीं फिर दिक्कत क्या है,,,।

हां यह बात तो है,,,(तवे पर रोटी रखते हुए) तू मेरी एक भी बात काटता नहीं है सारी बातों को पूरा करता है,,, इतना तो तेरे पिताजी भी पूरा नहीं कर पाते थे अब उसे दिन तो देख ले मुझे बाजार जाने के लिए पैसे की जरूरत थी और तू मेरे हाथों में पैसा थमा दिया इतनी जल्दी तो तेरे बाबूजी भी मेरे हाथ में पैसा नहीं रखते,,,,।
Sunaina ki raseeli boor

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तुम चिंता मत करो ना मैं तुम्हारी सारी ख्वाहिश पूरी करूंगा,,,,(इतना कह कर वह अपने मन में ही बोला एक दिन तुम्हारी चुदाई भी करूंगा तुम्हें चुदाई का सुख भी दूंगा मैं जानता हूं तुम चुदवाने के लिए तड़प रही हो,,,,)

तू बहुत अच्छा है सुरज इसलिए तो देख महीना गुजर गए तेरे बाबूजी घर नहीं आए लेकिन तेरे होते हुए तेरे बाबूजी की कमी नहीं खलती ऐसा लगता ही नहीं है कि घर पर तेरे बाबुजी नहीं है ,,,।


लेकिन मां हमें उनका पता लगाना चाहिए कि आखिरकार है कहां गांव में तो नहीं है इतना पक्का है गांव में होते तो कोई ना कोई जरूर बताता लेकिन महीना गुजर गया है बाबूजी का कोई पता नहीं है,,,,।

वैसे तो रानी तु सही कह रही है,,, लेकिन बाबूजी की हरकत तो हम सभी जानते हैं कभी-कभी तो पांच छः महीने के लिए गायब हो जाते हैं,,,,(ऐसा कहते हुए सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि उसके बाबूजी घर पर ना आवे तो ही सही है ताकि उसे मौका मिल सके अपनी मां की जवानी का प्यास बुझाने का,,,, अपने भाई की बात सुनकर रानी बोली,,,)

बात तो तुम सही कह रहे हो भैया लेकिन फिर भी हमें पता तो होना चाहिए कि आखिरकार वह है कहां,,,,।

अगर तुझे इतनी फिक्र है तो जाकर ढूंढ,,,, ऐसे बाप का होना ना होना एक बराबर है,,,,।(सूरज ऐसी बात गुस्से में कह रहा था और ऐसा नहीं था कि उसके पिताजी के ना आने का गुस्सा उसके महीने हो उसे इस बात का गुस्सा आ गया था कि उसकी बहन उसके पिताजी को ढूंढने के लिए बोल रही थी जबकि सूरज ऐसा नहीं चाहता था क्योंकि सूरज जानता था कि उसके पिताजी के गैर हाजिरी में ही उसकी मां के साथ उसका कुछ काम बन सकेगा,,,)

ऐसा क्यों कह रहे हो भैया,,,, आखिरकार वह हमारे पिताजी हैं,,,,।

तो क्या करूं,,,,।
(भाई बहन के बीच बहस देखकर उसकी मां बीच बचाव करती हुई बोली)

अरे यार तुम दोनों क्यों लड़ रहे हो वैसे भी सूरज सच ही कह रहा है तेरे बाबूजी कभी भी जिम्मेदार पिता नहीं बन पाए अगर जिम्मेदारी होती है अपनी जिम्मेदारी समझते तो इस समय हमारे साथ होते ना की इधर-उधर घूमते रहते हैं वैसे भी जब भी वह घर पर होते भी हैं तो कहां रात को घर सकते हैं ना जाने कहां घूमते रहते हैं,,,,।
(सूरज को इस बात की खुशी थी कि उसकी मां उसका पक्ष ले रही थी,,,, और सुनैना को इस बात की खुशी थी कि उसका बेटा आप समझदार हो गया था वह जानता था कि एक जिम्मेदार बाप का कर्तव्य क्या होता है जो कि उसके पिताजी इसमें बिल्कुल भी खरे नहीं उतरे थे,,,।)
Mukhiya ki bibi

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ph
अब जाने दो यह सब बात ,,, उनके बारे में बहस करके कोई फायदा नहीं है,,,, खाना बन गया है अब जल्दी से तुम दोनों हाथ मुंह धो लो,,,।

ठीक है मां,,,,, चल रानी मेरे हाथ धुला,,,,।

ठीक है भैया,,,,,(इतना कहकर रानी अपनी जगह से खड़ी हो गई और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) बाहर चलना होगा भैया इधर पानी नहीं है,,,.

ठीक है चल,,,।

अरे आते समय एक बाल्टी साफ पानी लेते आना पीने के लिए,,,

ठीक है मां,,, (सूरज इतना बोला और बाहर की तरफ जाने लगा उसके साथ-साथ रानी भी चलने लगी और चलते हुए सूरज से बोली,,,)

क्या भैया तुम तो खामखा गुस्सा करने लगते हो,,,,।
(दोनों अंधेरे से गुजर रहे थे और सूरज के मन में खुरा पात चल रही थी,,, इसलिए वह अंधेरे में ही अपनी बहन की नरम नरम गांड पर चपत लगाते हुए बोला,,,)

तुझे बहुत पड़ी है पिताजी की उन्हें कुछ पड़ी नहीं है और तुझे ही उनकी ज्यादा फिक्र हो रही है,,,,,(ऐसा कहते हुए सूरज दोबारा अपनी बहन की गांड पर चपत लगा दिया उसे अपनीबहन की नरम नरम गोल गोल गांड पर चपत लगाने में आनंद आने लगा लेकिन अपने भाई की हरकत पर रानी पूरी तरह से झेंप गई थी क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका भाई उसकी गांड पर चपत लगा देगा,,,, इसलिए उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,, क्योंकि आखिरकार उसका भाई तो था एक मर्द ही और मर्द का हाथ अपने नितंबों पर महसूस करते ही उसके बदन में अजीब सी हलचल मचने लगी थी वह कुछ बोल नहीं पाई,,, और सूरज की तो हालत खराब हो गई थी चपत लगाने में ही उसे इस बात का एहसास होगी उसकी बहन की गांड कितनी गदराई है और वह अपने मन में सोचने लगा कि वाकई में उसकी बहन की गांड पर दोनों हाथों से पकड़ कर दबाने में बहुत मजा आएगा,,,।

सूरज अपनी हरकत को अंजाम देते हुए नल के पास पहुंच गया था जहां उसकी बहन हेड पंप चलने लगी थी और उसमें से पानी नीचे गिरने लगा था और उसका भाई उसे पानी से अपना हाथ मुंह धोने लगा था,,,, सूरज अपना हाथ मुंह धो कर जहां उसकी बहन खड़ी थी वहां पहुंच गया और उसे हाथ के सारे से ही हाथ में धोने के लिए बोलने लगा और वह नल चलाने लगा उसकी बहन भी अपने बदन में हो रही हलचल के साथ अपना हाथ पैर धोकर सांप की और फिर एक खाली बाल्टी को नल के नीचे रखकर उसे भरने के लिए छोड़ दी,,,, नल चलाते हुए उसका भाई बोला,,,)

अपना ऐसा उसूल होना चाहिए,,, जैसे के साथ ऐसा जैसे पिताजी हम लोगों की खबर नहीं ले रहे हैं वैसे हमें भी उनकी खबर नहीं लेना चाहिए,,,,।

लेकिन भैया वह अपने पिताजी है,,,,।

हम भी तो उनके बच्चे हैं कि नहीं उन्हें सबसे पहले हमारी खबर लेनी चाहिए अपनी बीवी बच्चों की उन्हें सोचना चाहिए कि उनकी बीवी बच्चे किस तरह से दिन गुजार रहे हैं लेकिन उन्हें तो कुछ परवाह ही नहीं है तो हम क्यों परवाह करें,,,,। अब चल बाल्टी उठा ले बाल्टी भर गई है,,,,,(सूरज खुद बाल्टी उठाना चाहता था लेकिन उसके दिमाग में कुछ और कर रहा था उसकी बात सुनते ही उसकी बहन रानी बाल्टी को उठा ली और चलने लगी और मौके का फायदा उठाते हुए सूरज पूरी तरह से अपनी बहन की गांड के एक फांक पर अपनी हथेली रखकर उसे दबाते हुए बोला,,,)

अब तू बड़ी हो गई है रानी तुझे भी सोचना चाहिए समझना चाहिए जो जैसा व्यवहार करता है उसके साथ में सही व्यवहार करना चाहिए,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज इस बीच दो बार उसकी गांड की फाग को अपनी हथेली में लेकर हल्के हल्के से दबा दिया था और यह एहसास रानी के बदन में आग लग रहा था वह एकदम आश्चर्यचकित थी,,, वह एकदम हैरान थी क्योंकि उसके भाई ने आज हरकत ही कुछ ऐसा कर दिया था पहली बार उसकी गांड पर किसी ने हाथ रखकर उसकी गांड को दबाया था,,,, लड़की की गांड पर और वह भी जवान लड़की की गांड पर मर्दों का इस तरह से हाथ रखकर दबाना इसके मतलब को वह समझने लगी थी,,, वह हैरान थी इस बात पर की उसका भाई आखिरकार उसकी गांड पर हाथ क्यों रखा ऐसी हरकत तो पहले कभी नहीं करता था लेकिन उसकी हरकत की वजह से उसके बाद में अजीब सी हलचल हो रही थी वह मदहोश हो गई थी उसे एक तरफ अजीब भी लगा था लेकिन दूसरी तरफ उसके बाद में मदहोशी छाने लगी थी वह अपने भाई से कुछ बोल नहीं पाई,,,।

और दूसरी तरफ अपनी बहन की गांड पर हाथ रख कर दबाने की वजह से सूरज का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, वह इस बात से खुश था की उसकी हरकत का विरोध उसकी बहन बिल्कुल भी नहीं की थी,,,, और यह देखकर सूरज को लगने लगा कि उसकी हरकत की बहन को अच्छी लग रही है,,,, इसलिए रसोई के पास पहुंचते पहुंचते एक बार फिर से अपनी बहन की गांड पर रखकर उसे सहला दिया,,,, सूरज की हरकत खुद सूरज के तन बदन में आग लग रही थी वही उसकी बहन की बुर से पानी टपकने लगा था,,,, सूरज कुछ और करता था इससे पहले दोनों रसोई के पास पहुंच चुके थे और एक तरफ बाल्टी रखकर रानी बिना अपने भाई से नजर मिलाई लोटे में पानी भरने लगी और फिर तीनों साथ में बैठकर खाना खाने लगे,,,,।

खाना खाने के बाद सूरज इसी सोच में था कि उसकी बहन उसकी हरकत का बिल्कुल भी विरोध नहीं की थी ना ही गुस्से से उसकी तरफ देखी थी कहीं ऐसा तो नहीं उसकी बहन को उसकी हरकत अच्छी लग रही हो आखिरकार वापसी तो पूरी तरह से जवान हो चुकी थी एकदम नीलू की तरह,,,, जिस तरह से नीलू को सूरज की हरकत मदहोश कर रही थी उसी तरह से उसकी बहन को भी उसकी हरकत में मदहोश कर रही होगी इतना उसे यकीन हो रहा था वरना वह जरूर उस की तरफ गुस्से से देखती और जोर से बोलती,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था इसलिए अंदर ही अंदर सूरज प्रसन्न हो रहा था,,,,।

घर की सफाई करने के बाद अपने-अपने कमरे में जाने से पहले सुनैना रानी से बोली,,,।


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रानी चल पीछे चलकर आते हैं,,,,।
(यह सुनकर पास में ही खटिया पर बैठा सूरज अपने मन में सोचने लगा कि ईतनी रात को उसकी मां रानी को पीछे क्यों लेकर जा रही है,,, तभी उसके दिमाग की घंटी बजी और उसे एहसास होने लगा कि उसकी मां रानी को पीछे पेशाब करने के लिए ले जा रही है दोनों सोने से पहले जरूर पीछे जाया करती थी पहले तो सूरज इन सब बातों पर ध्यान नहीं देता था लेकिन जब से अपनी बहन को पेशाब करते हुए देखा था तब से उसका ध्यान ही नहीं सब बातों पर घूमता रहता था और आज अपनी मां की बात सुनकर उसके कान खड़े होने लगे थे साथ में उसके दोनों टांगों के बीच का हथियार भी अपनी मां की बात सुनते ही रानी भी उसके साथ पीछे की तरफ चल दी,,,।

उन दोनों के जाते ही सूरज के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी वह अपने मन में सोचने लगा कि दोनों एक साथ अपनी साड़ी ऊपर करके और अपनी सलवार नीचे करके जब पेशाब करने बैठेंगी तो क्या नजारा होगा,,,, लेकिन यह नजारा देखा कैसे जाए,,,,।
सूरज कितने बदले में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अपनी मां और बहन दोनों को पेशाब करते हुए देखना चाहता था दोनों की नंगी गांड को देखना चाहता था इसलिए उसका मन मचल रहा था कि कैसे देखा जाए तभी आंगन में ऊपर की तरफ दीवार से लगी हुई सीढ़ी पर उसकी नजर कहीं और उसकी आंख में चमक आने लगी वह तुरंत सीढ़ी पर चढ़ने लगा क्योंकि वह जानता था की सीढ़ी पर चढ़कर पीछे का नजारा बढ़िया आराम से देखा जा सकता है क्योंकि इस जगह से पीछे का ही नजारा दिखाई देता था,,,।

सूरज जल्दी-जल्दी सीढ़ी पर चढ़ने लगा क्योंकि वह जानता था कि जल्दी दोनों पीछे पहुंच जाएंगे और सूरज जल्दी से सीडीओ से होते हुए छत पर पहुंच गया छत खपड़े का बना हुआ था जो मिट्टी से बना होता है उसे पर धीरे-धीरे चढ़कर वह पीछे की तरफ देखने लगा उसकी किस्मत अच्छी थी की चांदनी रात थीऔर उसे सबकुछ साफ दिखाई दे रहा था,,,, वह इधर देखने लगा पीछे छोटी मोटी झाड़ियां थी और थोड़ी और आगे खेत ही खेत थे लेकिन अभी तक उसकी मां और बहन दोनों नजर नहीं आ रही थी वह देखकर उसके मन में शंका होने लगी की कही दोनों वहीं कहीं पास नहीं तो नहीं बैठ गए,,, और अगर ऐसा हुआ तो जल्दी वह दोनों घर में आ जाएंगे और उसे छत पर चढ़ा देकर क्या समझेंगी और यही सोच कर वह सीधी से नीचे उतरने की फिराक में था कि तभी दोनों मां बेटी साथ में दिखाई दी और उन्हें देखकर सूरज के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,,,।

सामने के नजारे को सूरज बड़ी गौर से देख रहा था वह जानता था कि जहां पर वह चढ़कर देख रहा है वहां पर उन दोनों की नजर कभी नहीं पहुंच पाएगी ना दोनों को कभी शक हो पाएगा दोनों धीरे-धीरे झाड़ियां के पास पहुंच गई थी जहां पर वह दोनों गई थी वहां का नजारा सूरज को एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,,,, सूरज जानता था कि कुछ ही देर में उसकी मां अपनी साड़ी ऊपर उठा देगी और उसकी बहन अपनी सलवार नीचे गिरा देगी दोनों की गांड एकदम नंगी नजर आने लगेगी और इसी पल के इंतजार में उसका लंड अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया था,,,

सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था,,, दोनों आपस में कुछ बातें कर रही थी लेकिन उनकी आवाज सूरज के कानों तक नहीं पहुंच रही थी और देखते ही देखते की बहन का हाथ उसकी सलवार की डोरी पर पहुंच गया वह धीरे-धीरे उसे खोल रही थी और उसकी मां अपनी साड़ी को पकड़ कर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते ही देखते उसकी मां अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और उसकी नंगी गांड जो की काफी बड़ी-बड़ी थी वह एकदम से उजागर हो गई,,, और यह नजारा देखते हैं सूरज की उत्तेजना एकदम प्रज्वलित हो गई और वह अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया,,,, और उसे अपनी मुठ्ठी में भरकर हीलाना शुरू कर दिया,,,, सूरज अपनी मां की नंगी गांड देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था और उसकी मां भी अपनी गांड पर दोनों हाथ रखकर उसे हल्के हल्के सहला रही थी,,, और तब तक रानी भी अपनी सलवार की डोरी खोल चुकी थी उसकी सलवार उसकी कमर से ढीली पड़ गई थी,,,।

देखते देखते रानी भी अपनी सलवार को नीचे घुटने तक खींच दिया और उसकी नंगी गांड भी एकदम से उजागर हो गई मां बहन दोनों की नंगी गांड देखकर सूरज की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच गई उसके लंड का कडकपन कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगा वह अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया,,,, और देखते देखते उसकी मां और बहन दोनों पेशाब करने के लिए नीचे बैठ गई दोनों की ओर से पेशाब की धार निकलने लगी लेकिन उन दोनों की ओर से निकलने वाली सिटी की आवाज बड़ी मुश्किल से सूरज के कानों तक पहुंच रही थी लेकिन इतना भी सूरज के लिए काफी था उन दोनों की बुर से आ रही सीटी की आवाज सुनकर सूरज की उत्तेजना अद्भुत तरीके से आगे बढ़ती चली जा रही थी और जोर-जोर से अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था मां बहन दोनों की नंगी गांड उसकी उत्तेजना और ऊर्जा दोनों में बढ़ोतरी कर रही थी,,,,।

दोनों की नंगी गांड देखकर सूरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर मां बहन दोनों को चोदना हो तो एक ही बिस्तर पर कितना मजा आ जाएगा,,, यह एहसास उसकी उत्तेजना को बढ़ा रहा था और जब तक दोनों पेशाब करके उठकर खड़ी होती और अपने कपड़े व्यवस्थित करती तब तक सूरज झड़ चुका था उसका पानी निकल चुका था उसने अपना काम पूरा कर लिया था और तब तक उसकी मां और बहन दोनों अपनी नंगी गांड को कपड़ों में ढंक ली थी और जल्दी से सूरज नीचे उतर आया था,,,‌। और थोड़ी ही देर में तीनों अपने-अपने कमरे में जाकर सो गए थे,,,, लेकिन सूरज की आंखों में नींद नहीं थी क्योंकि उसके दिमाग में कुछ और चलरहा था,,,।
Shandar jabardast lovely update 💓🔥
 

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सूरज जिस काम के लिए मुखिया के घर गया था उसका काम बन गया था,,,, वैसे तो वहां पहुंचकर मुखिया की बीवी ने उसे खेतों में पानी ठीक से जा रहा है कि नहीं यह काम देखने के लिए दे दिया था और वही काम करने के लिए वह घर के पीछे पहुंच भी गया था लेकिन घर के पीछे उसे एक अलग ही नजारा देखने को मिला था जिसके लिए वह वहां पर आया था,,,, अनजाने में उसे मुखिया की लड़की नीलू ट्यूबवेल पर एकदम नग्न अवस्था में नहाते हुए मिल गई और मौके का फायदा उठाकर सूरज उसे बगीचे में आने के लिए मनवा भी लिया था और साथ ही उसकी नंगी गांड के दर्शन करके मत हो गया था और फिर उसकी नंगी गांड देखने के बाद वह जानता था कि वहां पर वह कुछ कर नहीं पाएगा इसलिए जाते-जाते उसके हाथों में अपना मोटा लंड थमा दिया था जिसे उसकी उत्तेजना प्रज्वलित हो जाए और वह बगीचे में आने के लिए काम विवश हो जाए,,,,।

नीलू जो कि खुद जवानी की आग में जल रही थी सूरज की उस दिन की हरकत से जवानी की उमंग उसके बदन में उछल रही थी वह खुद एक बार उस अनुभव से गुजरना चाहती थी इसलिए बगीचे में जाने में उसे कोई दिक्कत नहीं थी,,, बस डर उसे इस बात का था कि कहीं किसी को कुछ पता ना चल जाए,,,, वह जानती थी कि आज घर पर काम है इसलिए वह दूसरे दिन का वादा करके सूरज को वहां से भगा दी थी क्योंकि सूरज की हरकत उसके साथ पढ़ने रखी थी और सूरज की हरकत को देखते हुए उसे इस बात का भी डर था की कहानी उसके मां बाबूजी उसे इस हालत में सूरज के साथ ना देख ले,,,।

सूरज का तो दिन बन गया था,,,, एक तरफ सोनू की चाची की बदन की प्यास बढ़ती जा रही थी जिसका एहसास सूरज को अच्छी तरह से हो गया था और दूसरी तरफ मुखिया की लड़की जो दूसरे दिन उससे आपके बगीचे में मिलने वाली थी यह सब देखकर उसकी उत्तेजना चरम सीमा पर थी,,,, वह मर्दाना तौर पर पूरी तरह से मजबूत था उसके लंड को धार की जरूरत नहीं थी वह प्राकृतिक रूप से धारदार था,,, जो कि किसी की भी बुर में जाकर खलबली मचाने में सक्षम था,,, जिसका ताजा उदाहरण थी मुखिया की बीवी,,, अगर ऐसा ना होता तो सूरज के प्रति इतना आकर्षित और उसके साथ संबंध बनाने के लिए बार-बार तैयार न होती,,,,।

इसलिए सूरज को अपनी मर्दानगी पर पूरा विश्वास था,, वह जानता था कि मुखिया की बीवी की तरह ही वह सोनू की चाची और मुखिया की लड़की नीलू को भी अपनी मर्दानगी का कायल बना देगा,,,,।

दिन भर वह इधर-उधर घूमता रहा,,, शाम होते ही वह जब घर पहुंचा तो,,,,,, घर पर खाना बन रहा था,,, उसकी मां खाना बना रही थी और उसकी बहन सब्जी काट रही थी आप मां बहन दोनों सूरज की आंखों में बस चुकी थी दोनों को सूरज वासना की नजर से देखने लगा था बार-बार उसकी आंखों के सामने उसकी बहन की नंगी गांड नाचती हुई नजर आने लगती थी उसका बार-बार इस तरह से पेशाब करना उसे ख्वाबों में भी आता था वह अपने मन में यही सोचता था कि उसकी बहन की गांड कितनी खूबसूरत है,,, अगर उसकी बहन के खूबसूरत बदन से खेलने का मौका मिलेगा तो कितना मजा आएगा,,,।

अपनी मां को तो वह दो-तीन बार नग्न अवस्था में देख चुका था एक बार तो नदी में नहाते हुए और एक बार अपने पिताजी के साथ चुदवाते हुए,,, यह सब अपने मन में सोते हुए सूरज भी उन दोनों के पास ही बैठ गया और अपने मन में अपनी मां की तरफ देखकर यही सोच रहा था कि काफी दिन हो गए हैं पिताजी घर पर नहीं है और उसकी मां अकेले ही कमरे में सोती है,,,। बिस्तर पर अकेली बिना मर्द के ,उसका मन भी तो करता होगा चुदवाने को,,, उसे भी तो मर्द की जरूरत पड़ती होगी आखिरकार भाभी से एक औरत है मुखिया की बीवी की तरह जो कि पति होने के बावजूद भी दूसरों के साथ संबंध बनाती है ताकि संतुष्ट हो सके अपनी जवानी की प्यास बुझा सके तो क्या इस तरह की प्यास उसकी मां के बदन में नहीं उठती होगी,,,, जरूर उठती होगी,,, आखिरकार औरतें भी तो एक जैसी ही होती है जिसे मुखिया की बीवी जैसे सोनू की चाची वह भी तो अपने पति से खुश नहीं है पति के होने के बावजूद भी उसे शरीर सुख नहीं मिल रहा है और यही हाल तो उसकी मां का भी है पति का ठिकाना ही नहीं है कि कहां है तकरीबन महीना गुजर गया है ऐसे में वह रात कैसे गुजारती होगी,,,।

यही सब सोच रहा था कि तभी उसकी मां बोली,,,।

अरे सूरज एक बात तुझसे कहना था,,,।

हां हां बोलो मां,,,,।

इस साल में बालों के लिए तेल नहीं बना पाई हुं ,, क्योंकि तूने इस बार आंवला लाया ही नहीं,,,,।

मुझे वहां जाने का मौका ही नहीं मिला,,,।

अरे वही तो बता रही हूं कि तुम दोनों साथ में वहां चले जाओ और वाला तोड़कर लो ताकि मैं साल भर का तेल बना सकूं सरसों का तेल भी अपने पास है पर्याप्त मात्रा में साल भर के लिए तेल बन जाएगा,,,,।

ठीक है मैं कल ही चला जाता हूं रानी को लेकर,,,(उसका इतना कहना था कि तभी उसे ख्याल आया कि कल तो उसे बगीचे में जाना है इसलिए वह एकदम से हड़बढ़ाते हुए बोला,,,) कल नहीं परसों चलेंगे कल तो मुझे काम है,,,.

कल क्या काम है तुझे,,,,?

अरे मां कल मुखिया के घर जाना है हो सकता है कुछ काम मिल जाए तो कुछ पैसे मिल जाएंगे,,,।

चल तब तो ठीक है परसों चली जाना या समय मिले तब चले जाना लेकिन जल्दी जाना ऐसा ना हो कि तेरे जाने से पहले ही अांवला के बगीचे से आंवाला खत्म हो जाए,,,,।

तुम चिंता मत करो मां मुझे मालूम है कहां-कहां आंवला का बगीचा है,,,, अगर उधर खत में भी हो गया तो दूसरी जगह से तोड़ लाऊंगा,,,।

तेरे पर मुझे पूरा भरोसा है ना जाने क्यों ऐसा लगने लगा कि तुम्हें बड़ा हो गया है जो बात मुझे तेरे पिताजी से कहानी चाहिए वह तुझसे कहनी पड़ती है,,,।

तो क्या हो गया मन बड़ा तो मैं हुई क्या पूरा मर्द हो गया,,,हुं,,(सूरज जानबूझकर मर्द शब्द का प्रयोग कर रहा था और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) पर वैसे भी तुम्हारी कहीं बात में पूरा करता हूं ना टालता तो नहीं फिर दिक्कत क्या है,,,।

हां यह बात तो है,,,(तवे पर रोटी रखते हुए) तू मेरी एक भी बात काटता नहीं है सारी बातों को पूरा करता है,,, इतना तो तेरे पिताजी भी पूरा नहीं कर पाते थे अब उसे दिन तो देख ले मुझे बाजार जाने के लिए पैसे की जरूरत थी और तू मेरे हाथों में पैसा थमा दिया इतनी जल्दी तो तेरे बाबूजी भी मेरे हाथ में पैसा नहीं रखते,,,,।
Sunaina ki raseeli boor

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तुम चिंता मत करो ना मैं तुम्हारी सारी ख्वाहिश पूरी करूंगा,,,,(इतना कह कर वह अपने मन में ही बोला एक दिन तुम्हारी चुदाई भी करूंगा तुम्हें चुदाई का सुख भी दूंगा मैं जानता हूं तुम चुदवाने के लिए तड़प रही हो,,,,)

तू बहुत अच्छा है सुरज इसलिए तो देख महीना गुजर गए तेरे बाबूजी घर नहीं आए लेकिन तेरे होते हुए तेरे बाबूजी की कमी नहीं खलती ऐसा लगता ही नहीं है कि घर पर तेरे बाबुजी नहीं है ,,,।


लेकिन मां हमें उनका पता लगाना चाहिए कि आखिरकार है कहां गांव में तो नहीं है इतना पक्का है गांव में होते तो कोई ना कोई जरूर बताता लेकिन महीना गुजर गया है बाबूजी का कोई पता नहीं है,,,,।

वैसे तो रानी तु सही कह रही है,,, लेकिन बाबूजी की हरकत तो हम सभी जानते हैं कभी-कभी तो पांच छः महीने के लिए गायब हो जाते हैं,,,,(ऐसा कहते हुए सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि उसके बाबूजी घर पर ना आवे तो ही सही है ताकि उसे मौका मिल सके अपनी मां की जवानी का प्यास बुझाने का,,,, अपने भाई की बात सुनकर रानी बोली,,,)

बात तो तुम सही कह रहे हो भैया लेकिन फिर भी हमें पता तो होना चाहिए कि आखिरकार वह है कहां,,,,।

अगर तुझे इतनी फिक्र है तो जाकर ढूंढ,,,, ऐसे बाप का होना ना होना एक बराबर है,,,,।(सूरज ऐसी बात गुस्से में कह रहा था और ऐसा नहीं था कि उसके पिताजी के ना आने का गुस्सा उसके महीने हो उसे इस बात का गुस्सा आ गया था कि उसकी बहन उसके पिताजी को ढूंढने के लिए बोल रही थी जबकि सूरज ऐसा नहीं चाहता था क्योंकि सूरज जानता था कि उसके पिताजी के गैर हाजिरी में ही उसकी मां के साथ उसका कुछ काम बन सकेगा,,,)

ऐसा क्यों कह रहे हो भैया,,,, आखिरकार वह हमारे पिताजी हैं,,,,।

तो क्या करूं,,,,।
(भाई बहन के बीच बहस देखकर उसकी मां बीच बचाव करती हुई बोली)

अरे यार तुम दोनों क्यों लड़ रहे हो वैसे भी सूरज सच ही कह रहा है तेरे बाबूजी कभी भी जिम्मेदार पिता नहीं बन पाए अगर जिम्मेदारी होती है अपनी जिम्मेदारी समझते तो इस समय हमारे साथ होते ना की इधर-उधर घूमते रहते हैं वैसे भी जब भी वह घर पर होते भी हैं तो कहां रात को घर सकते हैं ना जाने कहां घूमते रहते हैं,,,,।
(सूरज को इस बात की खुशी थी कि उसकी मां उसका पक्ष ले रही थी,,,, और सुनैना को इस बात की खुशी थी कि उसका बेटा आप समझदार हो गया था वह जानता था कि एक जिम्मेदार बाप का कर्तव्य क्या होता है जो कि उसके पिताजी इसमें बिल्कुल भी खरे नहीं उतरे थे,,,।)
Mukhiya ki bibi

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अब जाने दो यह सब बात ,,, उनके बारे में बहस करके कोई फायदा नहीं है,,,, खाना बन गया है अब जल्दी से तुम दोनों हाथ मुंह धो लो,,,।

ठीक है मां,,,,, चल रानी मेरे हाथ धुला,,,,।

ठीक है भैया,,,,,(इतना कहकर रानी अपनी जगह से खड़ी हो गई और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) बाहर चलना होगा भैया इधर पानी नहीं है,,,.

ठीक है चल,,,।

अरे आते समय एक बाल्टी साफ पानी लेते आना पीने के लिए,,,

ठीक है मां,,, (सूरज इतना बोला और बाहर की तरफ जाने लगा उसके साथ-साथ रानी भी चलने लगी और चलते हुए सूरज से बोली,,,)

क्या भैया तुम तो खामखा गुस्सा करने लगते हो,,,,।
(दोनों अंधेरे से गुजर रहे थे और सूरज के मन में खुरा पात चल रही थी,,, इसलिए वह अंधेरे में ही अपनी बहन की नरम नरम गांड पर चपत लगाते हुए बोला,,,)

तुझे बहुत पड़ी है पिताजी की उन्हें कुछ पड़ी नहीं है और तुझे ही उनकी ज्यादा फिक्र हो रही है,,,,,(ऐसा कहते हुए सूरज दोबारा अपनी बहन की गांड पर चपत लगा दिया उसे अपनीबहन की नरम नरम गोल गोल गांड पर चपत लगाने में आनंद आने लगा लेकिन अपने भाई की हरकत पर रानी पूरी तरह से झेंप गई थी क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका भाई उसकी गांड पर चपत लगा देगा,,,, इसलिए उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,, क्योंकि आखिरकार उसका भाई तो था एक मर्द ही और मर्द का हाथ अपने नितंबों पर महसूस करते ही उसके बदन में अजीब सी हलचल मचने लगी थी वह कुछ बोल नहीं पाई,,, और सूरज की तो हालत खराब हो गई थी चपत लगाने में ही उसे इस बात का एहसास होगी उसकी बहन की गांड कितनी गदराई है और वह अपने मन में सोचने लगा कि वाकई में उसकी बहन की गांड पर दोनों हाथों से पकड़ कर दबाने में बहुत मजा आएगा,,,।

सूरज अपनी हरकत को अंजाम देते हुए नल के पास पहुंच गया था जहां उसकी बहन हेड पंप चलने लगी थी और उसमें से पानी नीचे गिरने लगा था और उसका भाई उसे पानी से अपना हाथ मुंह धोने लगा था,,,, सूरज अपना हाथ मुंह धो कर जहां उसकी बहन खड़ी थी वहां पहुंच गया और उसे हाथ के सारे से ही हाथ में धोने के लिए बोलने लगा और वह नल चलाने लगा उसकी बहन भी अपने बदन में हो रही हलचल के साथ अपना हाथ पैर धोकर सांप की और फिर एक खाली बाल्टी को नल के नीचे रखकर उसे भरने के लिए छोड़ दी,,,, नल चलाते हुए उसका भाई बोला,,,)

अपना ऐसा उसूल होना चाहिए,,, जैसे के साथ ऐसा जैसे पिताजी हम लोगों की खबर नहीं ले रहे हैं वैसे हमें भी उनकी खबर नहीं लेना चाहिए,,,,।

लेकिन भैया वह अपने पिताजी है,,,,।

हम भी तो उनके बच्चे हैं कि नहीं उन्हें सबसे पहले हमारी खबर लेनी चाहिए अपनी बीवी बच्चों की उन्हें सोचना चाहिए कि उनकी बीवी बच्चे किस तरह से दिन गुजार रहे हैं लेकिन उन्हें तो कुछ परवाह ही नहीं है तो हम क्यों परवाह करें,,,,। अब चल बाल्टी उठा ले बाल्टी भर गई है,,,,,(सूरज खुद बाल्टी उठाना चाहता था लेकिन उसके दिमाग में कुछ और कर रहा था उसकी बात सुनते ही उसकी बहन रानी बाल्टी को उठा ली और चलने लगी और मौके का फायदा उठाते हुए सूरज पूरी तरह से अपनी बहन की गांड के एक फांक पर अपनी हथेली रखकर उसे दबाते हुए बोला,,,)

अब तू बड़ी हो गई है रानी तुझे भी सोचना चाहिए समझना चाहिए जो जैसा व्यवहार करता है उसके साथ में सही व्यवहार करना चाहिए,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज इस बीच दो बार उसकी गांड की फाग को अपनी हथेली में लेकर हल्के हल्के से दबा दिया था और यह एहसास रानी के बदन में आग लग रहा था वह एकदम आश्चर्यचकित थी,,, वह एकदम हैरान थी क्योंकि उसके भाई ने आज हरकत ही कुछ ऐसा कर दिया था पहली बार उसकी गांड पर किसी ने हाथ रखकर उसकी गांड को दबाया था,,,, लड़की की गांड पर और वह भी जवान लड़की की गांड पर मर्दों का इस तरह से हाथ रखकर दबाना इसके मतलब को वह समझने लगी थी,,, वह हैरान थी इस बात पर की उसका भाई आखिरकार उसकी गांड पर हाथ क्यों रखा ऐसी हरकत तो पहले कभी नहीं करता था लेकिन उसकी हरकत की वजह से उसके बाद में अजीब सी हलचल हो रही थी वह मदहोश हो गई थी उसे एक तरफ अजीब भी लगा था लेकिन दूसरी तरफ उसके बाद में मदहोशी छाने लगी थी वह अपने भाई से कुछ बोल नहीं पाई,,,।

और दूसरी तरफ अपनी बहन की गांड पर हाथ रख कर दबाने की वजह से सूरज का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, वह इस बात से खुश था की उसकी हरकत का विरोध उसकी बहन बिल्कुल भी नहीं की थी,,,, और यह देखकर सूरज को लगने लगा कि उसकी हरकत की बहन को अच्छी लग रही है,,,, इसलिए रसोई के पास पहुंचते पहुंचते एक बार फिर से अपनी बहन की गांड पर रखकर उसे सहला दिया,,,, सूरज की हरकत खुद सूरज के तन बदन में आग लग रही थी वही उसकी बहन की बुर से पानी टपकने लगा था,,,, सूरज कुछ और करता था इससे पहले दोनों रसोई के पास पहुंच चुके थे और एक तरफ बाल्टी रखकर रानी बिना अपने भाई से नजर मिलाई लोटे में पानी भरने लगी और फिर तीनों साथ में बैठकर खाना खाने लगे,,,,।

खाना खाने के बाद सूरज इसी सोच में था कि उसकी बहन उसकी हरकत का बिल्कुल भी विरोध नहीं की थी ना ही गुस्से से उसकी तरफ देखी थी कहीं ऐसा तो नहीं उसकी बहन को उसकी हरकत अच्छी लग रही हो आखिरकार वापसी तो पूरी तरह से जवान हो चुकी थी एकदम नीलू की तरह,,,, जिस तरह से नीलू को सूरज की हरकत मदहोश कर रही थी उसी तरह से उसकी बहन को भी उसकी हरकत में मदहोश कर रही होगी इतना उसे यकीन हो रहा था वरना वह जरूर उस की तरफ गुस्से से देखती और जोर से बोलती,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था इसलिए अंदर ही अंदर सूरज प्रसन्न हो रहा था,,,,।

घर की सफाई करने के बाद अपने-अपने कमरे में जाने से पहले सुनैना रानी से बोली,,,।


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रानी चल पीछे चलकर आते हैं,,,,।
(यह सुनकर पास में ही खटिया पर बैठा सूरज अपने मन में सोचने लगा कि ईतनी रात को उसकी मां रानी को पीछे क्यों लेकर जा रही है,,, तभी उसके दिमाग की घंटी बजी और उसे एहसास होने लगा कि उसकी मां रानी को पीछे पेशाब करने के लिए ले जा रही है दोनों सोने से पहले जरूर पीछे जाया करती थी पहले तो सूरज इन सब बातों पर ध्यान नहीं देता था लेकिन जब से अपनी बहन को पेशाब करते हुए देखा था तब से उसका ध्यान ही नहीं सब बातों पर घूमता रहता था और आज अपनी मां की बात सुनकर उसके कान खड़े होने लगे थे साथ में उसके दोनों टांगों के बीच का हथियार भी अपनी मां की बात सुनते ही रानी भी उसके साथ पीछे की तरफ चल दी,,,।

उन दोनों के जाते ही सूरज के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी वह अपने मन में सोचने लगा कि दोनों एक साथ अपनी साड़ी ऊपर करके और अपनी सलवार नीचे करके जब पेशाब करने बैठेंगी तो क्या नजारा होगा,,,, लेकिन यह नजारा देखा कैसे जाए,,,,।
सूरज कितने बदले में अजीब सी हलचल हो रही थी वह अपनी मां और बहन दोनों को पेशाब करते हुए देखना चाहता था दोनों की नंगी गांड को देखना चाहता था इसलिए उसका मन मचल रहा था कि कैसे देखा जाए तभी आंगन में ऊपर की तरफ दीवार से लगी हुई सीढ़ी पर उसकी नजर कहीं और उसकी आंख में चमक आने लगी वह तुरंत सीढ़ी पर चढ़ने लगा क्योंकि वह जानता था की सीढ़ी पर चढ़कर पीछे का नजारा बढ़िया आराम से देखा जा सकता है क्योंकि इस जगह से पीछे का ही नजारा दिखाई देता था,,,।

सूरज जल्दी-जल्दी सीढ़ी पर चढ़ने लगा क्योंकि वह जानता था कि जल्दी दोनों पीछे पहुंच जाएंगे और सूरज जल्दी से सीडीओ से होते हुए छत पर पहुंच गया छत खपड़े का बना हुआ था जो मिट्टी से बना होता है उसे पर धीरे-धीरे चढ़कर वह पीछे की तरफ देखने लगा उसकी किस्मत अच्छी थी की चांदनी रात थीऔर उसे सबकुछ साफ दिखाई दे रहा था,,,, वह इधर देखने लगा पीछे छोटी मोटी झाड़ियां थी और थोड़ी और आगे खेत ही खेत थे लेकिन अभी तक उसकी मां और बहन दोनों नजर नहीं आ रही थी वह देखकर उसके मन में शंका होने लगी की कही दोनों वहीं कहीं पास नहीं तो नहीं बैठ गए,,, और अगर ऐसा हुआ तो जल्दी वह दोनों घर में आ जाएंगे और उसे छत पर चढ़ा देकर क्या समझेंगी और यही सोच कर वह सीधी से नीचे उतरने की फिराक में था कि तभी दोनों मां बेटी साथ में दिखाई दी और उन्हें देखकर सूरज के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,,,।

सामने के नजारे को सूरज बड़ी गौर से देख रहा था वह जानता था कि जहां पर वह चढ़कर देख रहा है वहां पर उन दोनों की नजर कभी नहीं पहुंच पाएगी ना दोनों को कभी शक हो पाएगा दोनों धीरे-धीरे झाड़ियां के पास पहुंच गई थी जहां पर वह दोनों गई थी वहां का नजारा सूरज को एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,,,, सूरज जानता था कि कुछ ही देर में उसकी मां अपनी साड़ी ऊपर उठा देगी और उसकी बहन अपनी सलवार नीचे गिरा देगी दोनों की गांड एकदम नंगी नजर आने लगेगी और इसी पल के इंतजार में उसका लंड अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया था,,,

सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था,,, दोनों आपस में कुछ बातें कर रही थी लेकिन उनकी आवाज सूरज के कानों तक नहीं पहुंच रही थी और देखते ही देखते की बहन का हाथ उसकी सलवार की डोरी पर पहुंच गया वह धीरे-धीरे उसे खोल रही थी और उसकी मां अपनी साड़ी को पकड़ कर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते ही देखते उसकी मां अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और उसकी नंगी गांड जो की काफी बड़ी-बड़ी थी वह एकदम से उजागर हो गई,,, और यह नजारा देखते हैं सूरज की उत्तेजना एकदम प्रज्वलित हो गई और वह अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया,,,, और उसे अपनी मुठ्ठी में भरकर हीलाना शुरू कर दिया,,,, सूरज अपनी मां की नंगी गांड देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था और उसकी मां भी अपनी गांड पर दोनों हाथ रखकर उसे हल्के हल्के सहला रही थी,,, और तब तक रानी भी अपनी सलवार की डोरी खोल चुकी थी उसकी सलवार उसकी कमर से ढीली पड़ गई थी,,,।

देखते देखते रानी भी अपनी सलवार को नीचे घुटने तक खींच दिया और उसकी नंगी गांड भी एकदम से उजागर हो गई मां बहन दोनों की नंगी गांड देखकर सूरज की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच गई उसके लंड का कडकपन कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगा वह अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया,,,, और देखते देखते उसकी मां और बहन दोनों पेशाब करने के लिए नीचे बैठ गई दोनों की ओर से पेशाब की धार निकलने लगी लेकिन उन दोनों की ओर से निकलने वाली सिटी की आवाज बड़ी मुश्किल से सूरज के कानों तक पहुंच रही थी लेकिन इतना भी सूरज के लिए काफी था उन दोनों की बुर से आ रही सीटी की आवाज सुनकर सूरज की उत्तेजना अद्भुत तरीके से आगे बढ़ती चली जा रही थी और जोर-जोर से अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था मां बहन दोनों की नंगी गांड उसकी उत्तेजना और ऊर्जा दोनों में बढ़ोतरी कर रही थी,,,,।

दोनों की नंगी गांड देखकर सूरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर मां बहन दोनों को चोदना हो तो एक ही बिस्तर पर कितना मजा आ जाएगा,,, यह एहसास उसकी उत्तेजना को बढ़ा रहा था और जब तक दोनों पेशाब करके उठकर खड़ी होती और अपने कपड़े व्यवस्थित करती तब तक सूरज झड़ चुका था उसका पानी निकल चुका था उसने अपना काम पूरा कर लिया था और तब तक उसकी मां और बहन दोनों अपनी नंगी गांड को कपड़ों में ढंक ली थी और जल्दी से सूरज नीचे उतर आया था,,,‌। और थोड़ी ही देर में तीनों अपने-अपने कमरे में जाकर सो गए थे,,,, लेकिन सूरज की आंखों में नींद नहीं थी क्योंकि उसके दिमाग में कुछ और चलरहा था,,,।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

sunoanuj

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Bhaut hee behtarin updates… super kamuk updates 👏🏻👏🏻👏🏻
 
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