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Incest पहाडी मौसम

rohnny4545

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Jald aayega
Mukhiya ki bibi i


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rohnny4545

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सूरज ने जो नजारा देखा था वह बेहद अद्भुत और अकल्पनीय था जिसके बारे में उसने शायद कल्पना भी नहीं किया था कभी भी उसने इस बारे में सोचा ही नहीं था कि वह एक साथ अपनी मां और अपनी बहन दोनों को पेशाब करते हुए देखेगा,,, घर की छत के ऊपर से यह नजारा देखने में वह बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था जिसके चलते अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड और अपनी बहन की सीमित आकार में गोल-गोल गांड को देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और इसीलिए उसे इस समय आंखों से अपनी मां और अपनी बहन की नंगी जवानी का रसपान करते हुए अपने लंड को हिला कर अपनी जवानी की गर्मी को शांत करना पड़ा था,,,।



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मूठ मरने का यह एक अलग ही अनुभव था,,, वाकई में बन जा रहा है बेहद खास होता है जब एक जवान प्यासे भाई की आंखों के सामने उसकी मां और उसकी और यही हाल सूरजका और बहन अपनी साड़ी उठाकर अपनी सलवार नीचे गिरकर पेशाब करने बैठ गई हो और उसकी नंगी नंगी गांड को देखकर वाकई में ऐसे भाई को तो मुंह मांगी मुराद मिल जाती है ,, और यही हाल सूरज का भी था,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि सूरज पहली बार इस तरह के नजारे को देख रहा हो,,, वह अपनी मां और बहन दोनों को पेशाब करते हुए देख चुका था लेकिन दोनों को एक साथ पेशाब करते हुए उसने कभी नहीं देखा था इसलिए तो उसकी उत्तेजना परम शिखर पर थी,,,,



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सुबह जब सूरज उठा तो सबकुछ सामान्य सा था,,, सुनैना और रानी दोनों घर की सफाई कर रही थी पर दोनों को देखकर सूरज के मन में रात वाला दृश्य घूमने लगा दोनों इस समय सामान्य तौर पर वस्त्र पहनी हुई थी लेकिन पल भर के लिए सूरज अपनी मां और बहन दोनों को बिना कपड़ों की कल्पना करने लगा और सोचने लगा कि यह दोनों बिल्कुल नंगी होकर घर की सफाई करेंगे तो कैसी दिखाई देंगे,,,, दोनों के चेहरे का हाव-भाव कैसा होगा दोनों की चूचियां कैसी लचक रही होगी दोनों की गांड चिलचिलाती धूप में कैसी दिखाई देगी,,, यही सब सोच कर उसका लंड खड़ा हो गया और वह घर से निकल गया,,,, ।

आज वह बहुत खुश था क्योंकि वह जानता था कि बगीचे में आज उसे नीलू मिलने आने वाली है और आज उसके साथ जी भर कर रंग रलिया मनाएगा सूरज को इस बात का पक्का यकीन था कि नीतू उसके साथ शारीरिक संबंध जरूर बनाया और इसके लिए वह भी उत्सुक है अगर ऐसा ना होता तो ट्यूबवेल के पास वह उसे अपना नंगा बदन ना दिखाती,, उसकी बात मानकर अपनी गांड इंडियन के दर्शन ना करती और ना ही उसके लंड को हाथ में पकड़ जा रहा था अभी भी सही समय पर नीलु के आने में बहुत समय था,,, इसलिए बगीचे में पहुंचकर इधर-उधर घूमता रहा,,,,।



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जो हाल सूरज का था वही हाल नीलू का भी था नीलू की सूरत से मिलने के लिए तड़प रही थी क्योंकि सूरज ने दो मुलाकात में जो उसके बदले में उत्तेजना भरी आग लगाया था उसे बुझाना भी जरूरी था और वह जानती थी कि इस आग को सूरज ही बुझा सकता है,,,। बार-बार उसकी आंखों के सामने सूरज का लहराता हुआ लंड घूमने लगता था उसमें से निकल रही पैसा आपकी धार को देखकर तो खुद उसकी बर पानी छोड़ रही थी पहली बार किसी मर्द को वह पेशाब करते हुए देखेगी पहली बार में किसी मर्द के इतने मोटे तगड़े लंड को देख रही थी इसलिए तो उसकी हालत भी खराब थी वह भी जल्द से जल्द सूरज से मिलना चाहती थी,,, जिस तरह से उसने अपनी मुट्ठी में सूरज के लंड को दबाई थी,,, ठंडे पानी में भीगी होने के बावजूद भी उसकी गर्मी उसे पूरे बदन में महसूस हो रही थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच स्थिति तो बेहद नाजुक होती जा रही थी अगर उसे समय ही सूरज जल्दबाजी थोड़ी रंगबाजी दिखाता तो नीलू वही उससे चुद जाती,,,।



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इधर-उधर घूमते हुए समय धीरे-धीरे गुजरने लगा और देखते ही देखते समय आ ही गया जिस समय पर सूरज ने नीलू को वहां पर बुलाया था,,,, सूरज बड़ा व्याकुल होकर इधर-उधर देख रहा था यह आम का बगीचा गांव से थोड़ा दूर था इसलिए यहां पर कोई आता जाता नहीं था,,,, चारों तरफ नजर घुमा कर देखने के बावजूद भी कोई कहीं दिखाई नहीं दे रहा है ना इसलिए सूरज को लगा कि शायद आज भी नीलू उसे बेवकूफ बना दी आई नहीं,,,, इसलिए वह निराश होकर वहीं एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ गया,,, लेकिन तभी उसके खानों में पायल के घुंघरू की आवाज सुनाई देने लगी जो उसके ठीक बाएं तरफ से आ रही थी सूरज जल्दी से नजर उठा कर उसे तरफ देखा तो घनी झाड़ियां के बीच से होती है नीलू आ रही थी नीलू को देखते ही सूरज के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,, क्योंकि वह निराश हो चुका था उसे लगने लगा था कि नीलू अपने वादे पर कभी खरा नहीं उतर सकती ,,।



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देखते ही देखते उसके करीब आ गई उसे देखकर एकदम से उत्साहित होकर सूरज अपनी जगह से खड़ा हो गया और बोला,,,।

मुझे तो लगा था कि आज भी नहीं आओगी,,.

वैसे तो तुम सही सोच रहे थे लेकिन फिर मैंने सोचा की बार-बार किसी को धोखा देना अच्छी बात नहीं है,,,,।


चलो यह तो सही हुआ कि इतना तो तुम सोचती ही हो किसी के बारे में,,,।

किसी के बारे में नहीं सिर्फ तुम्हारे बारे में तुम्हारी जगह कोई और होता तो शायद में नहीं आती,,,।

अच्छा तो ऐसा क्या खास है मुझ में,,,,।

यह तो वक्त ही बताएगा,,,, अच्छा चलो छोड़ो आम खिलाने का वादा किए थे चलो जल्दी से आम तोड़ कर दो,,,

(नीलु की बात सुनकर सूरज उसे आश्चर्य से देखने लगा और बोला,,)

क्या सच में तुम यहां आम खाने के लिए आई हो,,,।
(सूरज के खाने के मतलब को नीलू अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए मुस्कुराते हुए बोली..)



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हां आई तो हूं यहां पर आम खाने ही क्या कुछ और खिलाने का इरादा है क्या,,,!

खिलाने का नहीं चूसाने का इरादा है,,,।

अगर आम पका हुआ होगा तो चुस भी लेंगे,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो दबा दबा कर चूसने लायक बना दूंगा,,,,,।
(वैसे नीलू अच्छी तरह से जानती थी कि सूरज बगीचे में उसे किस लिए बुलाया है लेकिन उसके खाने के मतलब को वह समझ नहीं पा रही थी जो उसने चूसने वाली बात उसे ठीक से समझ नहीं आ रही थी उसे ऐसा ही लग रहा था कि सूरज आम के बारे में ही बात कर रहा है लेकिन सूरज चूसने दबाने के शब्द का प्रयोग करके लंड और चूची के बारे में बात कर रहा था,,

सूरज अच्छी तरह से जानता था कि धीरे-धीरे ही इस खेल में मजा आएगा जल्दबाजी दिखाने ठीक नहीं था क्योंकि समय भी पर्याप्त था इसलिए वह नीलू से बोला,,,)



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चलो कोई बात नहीं तुम्हें अच्छे-अच्छे और पके आम तोड़ कर देता हूं,,,(इतना कहकर सूरज आगे आगे चलने लगा और नीलू पीछे-पीछे,,, वह देखते ही देखते सूरज आम के बड़े पेड़ के नीचे आ गया और ऊपर की तरफ नजर करके नीलू को दिखाने लगा,,,,)

देखो नीलू एक से बढ़कर एक आम है अभी मैं तोड़ कर देता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरज पेड़ पर चढ़ने लगा नीलू उसे पेड़ पर चढ़ते हुए देख रही थी सूरज कोई तरह से आम के पेड़ पर चढ़ता हुआ देखकर नीलू को थोड़ा अजीब लगने लगा क्योंकि वह जानती थी कि सूरज यहां पर किस लिए बुलाया है लेकिन यहां तो वह किसी और काम में लग गया था उसे तो लगा था कि उसे देखते ही सूरज उसे कसके अपनी बाहों में भर लगा उसकी चुचियों का दबाएगा उसकी गांड को सहलाएगा और फिर अपनी मनमानी करके अपना भी मजा लेगा और उसे भी मजा देगा,,,, लेकिन यहां तो कुछ और ही चल रहा था फिर भी नीलु कुछ बोली नहीं और सूरज को देखने लगी जो की धीरे-धीरे करके पेड़ पर चढ़ चुका था,,,,। सूरज अंदर ही अंदर बहुत उत्साहित है क्योंकि वह जानता था कि नीलू का यहां बगीचे में आना उसकी मुराद को पूरी करना था,,,।



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सूरज नापतोलकर आम को तोड़ रहा था एकदम गोल-गोल जिसका आकार नीलू की चूचियों से मिलती-जुलती हो,,,, जैसे तैसे करके सूरज चार-पांच आम तोड़ लिया और उसे धीरे-धीरे करके अपने पजामे में इधर-उधर डाल दिया क्योंकि उसके मन में कुछ और चल रहा था और नीलू की उपस्थिति में वह उत्तेजित हो चुका था जिसके कारण उसका लंड अपने आकार में आ चुका था और पजामे में अच्छा खासा तंबू बना चुका था,,, सूरज जानता था कि ईतना आम काफी है और वैसे भी सूरज नीलू को बगीचे में आम खिलाने के लिए नहीं बुलाया था बल्कि अपना केला चुसवाने के लिए बुलाया था,,, जल्दी-जल्दी सूरज पेड़ से नीचे उतर गया,,, और पेड़ से नीचे उतरते ही बोला,,,।

तुम्हारे लिए बहुत ही खास आम तोड़ कर लाया हूं,,,।
(और इतना कहने के साथ ही नीलू की आंखों के सामने ही अपने पहचाने को आगे की तरफ खींचकर उसमें से आम निकालने लगा वह जानता था कि नीलू की नजर उसके पजामे में खड़े उसके लंड पर जरूर पड़ेगी और ऐसा ही हो रहा था सूरज का लंड अपनी औकात में आ चुका था और नीलू भी उसके पजामी के अंदर देख रही थी जो कि उसके लंड के आकार को देखकर उसकी मोटाई को देखकर उसकी टांगों के बीच हलचल मचने लगी,,, वही लंड था जिसे दो दिन पहले उसने ट्युबवेल पर नहाते हुए पकड़ी थी,,, सूरज धीरे-धीरे करके उसमें से सभी आम निकाल कर नीलू के हाथों में थमा दिया और वह बड़ी मुश्किल से आम को संभाल पा रही थी क्योंकि उसकी नजर को सूरज के पजामे के अंदर थी सूरज की युक्ति काम कर गई थी,,,, और फिर धीरे से उसने पहचाने को व्यवस्थित कर लिया और फिर वही आम के पेड़ के नीचे बैठ गया और नीलु भी उसके पास मे हीं बैठ गई,,, वह भी अच्छा सा आम लेकर ऊपर से थोड़ा सा तोड़कर उसे दोनों हथेलियां के बीच लेकर गोल-गोल घुमाने लगी,,,, और उसे तुरंत मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी आम वास्तव में काफी मीठा था उसका स्वाद का अहसास होते ही वह खुश होते हुए बोली,,,)



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सच में सूरज आम तो बहुत रसीला है,,,।

क्यों ना हो आखिरकार मैंने जो पसंद किया है,,,(दोनों हथेली में आम लेकर नीलू की तरफ करके दिखाते हुए) देख रही हो इसके आकार को एकदम तुम्हारी चूचियों की तरह है,,,(सूरज एकदम बेझिझक बोला पर उसकी बात सुनकर नीलू एकदम से शर्मा गई थी उसके भी तन बदन में आग लग रही थी इसलिए वह मुस्कुराते हुए और हल्के से शरमाते हुए बोली,,,)

तुमको कैसे मालूम तुमने तो देखे नहीं हो,,,,(नीलू ऐसा जानबूझकर बोल रही थी जबकि उसे मालूम था कि ट्यूबवेल पर नहाते हुए सूरज से पूरी तरह से नंगी देख चुका था और बगीचे में उसे हाथ में लेकर दबा भी चुका था इसलिए उसे उसकी चूची का आकार अच्छी तरह से मालूम था,,,)

भूल गई इसी बगीचे में तुम्हारी चूची को दबाया था और अभी दो दिन पहले ही तुम्हें नंगी नहाते हुए देखा था तुम्हारे नंगे बदन का आकार मेरे आंखों में बस गया है,,।
(सूरज की बातें सुनकर नीलू के चेहरे पर शर्म की लालिमा छाने लगी,,,, और वह शर्माते हुए बोली,,)

तुम्हें देखकर लगता नहीं है कि तुम इतने शरारती होगे ,,

तुमको देख कर शरारत सुझती है,,,, वैसे भी मैं यहां पर आम खाने के लिए तुम्हें नहीं बुलाया था बल्कि तुम्हारी चुची को दबा दबा कर पीने के लिए बुलाया था,,,,,,।

ना बाबा मुझे तो बहुत डर लगता है,,,।

डर के आगे ही तो मजा ही मजा है एक बार यह डर खत्म हुआ उसके बाद स्वर्ग का सुख मिलेगा,,,,।
Suraj ki kalpna apni ma k sath

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नहीं मुझे नहीं लेना है स्वर्ग का सुख,,,,(नीलू आम खाते हुए बोली वैसे नीलू ऊपरी मन से ऐसा बोल रही थी अंदर से वह भी इस तरह का सुख पाना चाहती थी उसकी बात सुनकर सूरत से रहा नहीं गया और वह आगे बढ़कर अपने हाथ से कुर्ती के ऊपर से ही उसकी चूची को दबा दिया उसकी हरकत से नीलु एकदम से सिहर उठी उसकी आंखें अपने आप बंद हो गई और उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी फुट पड़ी,,, उसकी हालत देखकर सूरज अंदर ही अंदर खुश होने लगा,,,, और वह मौका देखकर अपनी उंगली को कुर्ती में डालकर उसे नीचे की तरफ खींचने लगा और दूसरे हाथ से उसकी चूची को पकड़ कर बाहर निकलने वाला यह हरकत नीलु के लिए मदहोश कर देने वाली थी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,, और देखते ही देखते सूरज कुर्ती में से उसकी एक चूची को बाहर निकाल लिया जो कि एकदम टमाटर की तरह गोल-गोल और लाल हो गई थी,,,, शर्म और मदहोशी में नीलु की आंखें बंद थी,,, सूरज चाहता था कि वह अपनी आंखों को खोलें और इतना मादकता भरे नजारे को अपनी आंखों से देखें,,, इसलिए वह हल्के से नीलू की चूची को दबाते हुए बोला,,,,)

Suraj ki kalpna apni ma or bahan k sath

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देखो तो सही नीलु दशहरी आम से भी ज्यादा खूबसूरत तुम्हारी चुची है,,,(इतना सुनकर नीलू अपनी आंखों को खोल दी और अपनी चूची की तरफ देखने लगी जो कि सूरज के हाथों में थी और उसकी आंख खोलते ही सूरज धीरे से अपने प्यास होठों को उसकी चूची की तरफ ले गया और उसकी आंखों में देखते हुए उसकी भूरे रंग की किशमिश को अपने होठों से दबाकर चूसने लगा और यह देखकर नीलू की बुर पानी छोड़ने लगी,,,। सूरज बड़ी ही मदहोशी के साथ नीलु की किसमिस के साथ-साथ उसकी चूची को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया था,,, नीलू की चूची दशहरी आम से भी ज्यादा रसीली थी,,, नीलू उत्तेजना के मारे गहरी गहरी सांस लेने लगी थी वह सूरज को रोकने में असमर्थ साबित हो रही थी क्योंकि सूरज की हरकत से उसे भी आनंद मिल रहा था और वह आम चूसना बंद कर दी थी और अपनी दशहरी आम की चुदाई को देख रही थी,,,,।

कुर्ती से एक चूची को बाहर निकालने के बाद और नीलू की मदहोशी को देखने के बाद सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी तो वह एक सूची को मुंह में लेकर दूसरे हाथ से दूसरी चूची को भी उसकी कुर्ती से बाहर निकलने लगा जिसमें खुद नीलू उसकी मदद करने लगी और देखते-देखते उसकी दोनों चुची उसकी कुर्ती से बाहर आ गई,,,, और वह दोनों च को अपने हाथ में पकड़ कर दबाते हुए बोला,,,)


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देख रही हो नीलू,,,, इसीलिए तो मैं तुम्हें यहां बुलाया हूं क्योंकि तुम्हारे दशहरी यहां पूरे बगीचे के दशहरे आम की तुलना में बेहद रसीले और खूबसूरत है,,,,(दोनों हाथों से नीलू की चूची को दबाते हुए बोला और उसकी हरकत से नीलू को तो मजा आई रहा था लेकिन जिस तरह से वह च को दबा रहा था उसे उसे हल्का-हल्का दर्द भी महसूस हो रहा था लेकिन यह दर्द मीठा था,,,, उसे इस दर्द में भी आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,, एक तरफ वह सूरज की हरकतों का आनंद ले रही थी और दूसरी तरफ वह रह रहकर आम के बगीचे के चारों तरफ नजर दौड़ा कर देख भी ले रही थी कि कहीं कोई यहां तो नहीं रहा है क्योंकि ऐसी हालत में अगर उसे कोई देख ले तो वह शर्म से ही मर जाए और हो नहीं चाहती थी कि कोई हालत में उसे देखें क्योंकि वह दोनों आम के बगीचे में खुले में पेड़ के नीचे बैठकर इस तरह की हरकत को अंजाम दे रहे थे,,,, दोनों हाथों से नीलू की चूची को दबाते हुए सूरज बोला,,,)



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कैसा लग रहा है नीलू,,,,,
(जवाब में नीलू कुछ बोली नहीं बस शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,, इसका मतलब साफ था कि उसे भी बहुत मजा आ रहा था और देखते ही देखते सूरज फिर से उसकी चूची को मुंह में लेकर पीने लगा हूं एक हाथ को सलवार के ऊपर से ही रखकर उसकी बुर को मसलने लगा जिससे उसका आनंद दुगना हो गया और उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ने लगी,,,।

सूरज की हरकतों का मजा लेते हुए वह चारों तरफ नजर डालते हुए बोली,,,)

सूरज कोई आ गया तो,,,,।

यहां कोई नहीं आएगा नीलु,,,, तुमडरो मत,,,



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नहीं मुझे तो डर लग रहा है अगर कोई देख लिया तो मेरे मां बाबुजी तो मुझे मार ही डालेंगे,,,।

ऐसा कुछ भी नहीं होगा,,,, क्योंकि यहां कोई नहीं होता,,,(बार-बार नीलू के सवालों का जवाब देने के लिए सूरज उसकी चूची से मुंह हटा लेता था और वापस उसकी चूची पर मुंह रख देता था,,,, लेकिन नीलू सूरज के जवाब से संतुष्ट नहीं थी इसलिए बोली,,,)

नहीं मुझे तो डर लग रहा है मैं जा रही हूं,,,,(ऐसा क्या करवा उठने वाली थी कि उसके कंधों पर दोनों हाथ रखकर उसे दबाते हुए सूरज उसकी आंखों में देखते हुए बोला,,,,)

चलो फिर ठीक है,,,,उस(उंगली के इशारे से एक झोपड़ी की और नीलू को दिखाते हुए बोला जो की थोड़ी ही दूरी पर दिखाई दे रही थी,,,) झोपड़ी में चलते हैं,,,

(नीलू भी उसे और देखने लगी जहां पर सूरज उंगली से दिख रहा था और उसे झोपड़ी को देखकर वह बोली,,,)


उसमें कोई रहता तो नहीं है ना,,,,।

नहीं इसमें कोई नहीं रहता वीरान है और वही जगह ठीक भी रहेगी हम दोनों के लिए,,,, रुको मैं ले चलता हूं तुम्हें वहां पर,,,,(इतना कहने के साथ ही वह उठकर खड़ा हो गया,,,, और नीलू भी उठकर खड़ी हो गई लेकिन वह अपने कदम आगे बढ़ाती इससे पहले ही सूरज उसे अपनी गोद में उठा लिया,,, यह देखकर नीलू एकदम से घबरा गई औरबोली,,,)

अरे अरे यह क्या कर रहे हो मैं गिर जाऊंगी,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो तुम सूरज की गोद में हो और मेरी गोद से तुम क्या तुम्हारी मां भी नहीं गिर सकती,,,,(ऐसा कहते हुए पूरी तरह से उसे अपनी गोद में उठा लिया था। एक पल के लिए सूरज के मुंह से अपनी मा का जिक्र सुनकर वह सन्न रह गई क्योंकि वह देखी थी कि सूरज उसकी मां से थोड़ा डरता ही था लेकिन उसे क्या मालूम था कि सूरज उसकी मां की न जाने कितनी बार चुदाई कर चुका था इसलिए तो उसके होंठों पर उसकी मा का जिक्र आया था,,, थोड़ा सहज होते हुए नीलू बोली,,,)

अच्छा उठा लोगे तुम मेरी मां को उसका शरीर कितना भारी है,,,।

तो क्या हुआ बोलो मेरे में दम भी तो बहुत है बढ़िया आराम से तुम्हारी मां को गोद में उठाकर इधर से उधर घूमा सकता हूं,,,,।

चलो रहने दो पहले मुझे गोद में से नीचे उतरो मुझे डर लग रहा है कहीं नीचे गिरा दिया तो लेने के देने पड़ जाएंगे,,,।

अच्छा तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है तो देखो,,,(पर इतना कहकर उसे गोद में लिए हुए वह झोपड़ी की तरफ जाने लगा,,,, नीलू यही सोच रही थी कि उसकी मां का शरीर भारी भरकम है और सूरज जिस तरह से उसे गोद में उठाया है उसकी मां को बिल्कुल भी नहीं उठा सकता जबकि उसे क्या मालूम था कि हम के बगीचे में वह उसकी मां की जवानी से जी भर कर खेल चुका था और उसे गोद में उठाकर उसकी चुदाई भी कर चुका था,,,, मां के बाद आज बेटी का नंबर था आज सूरज मुखिया की बीवी नहीं मुखिया की लड़की की चुदाई करने जा रहा था उसे गोद में उठाए हुए वह झोपड़ी की,, तरफ आगे बढ़ रहा था)
 
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Motaland2468

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सूरज ने जो नजारा देखा था वह बेहद अद्भुत और अकल्पनीय था जिसके बारे में उसने शायद कल्पना भी नहीं किया था कभी भी उसने इस बारे में सोचा ही नहीं था कि वह एक साथ अपनी मां और अपनी बहन दोनों को पेशाब करते हुए देखेगा,,, घर की छत के ऊपर से यह नजारा देखने में वह बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था जिसके चलते अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड और अपनी बहन की सीमित आकार में गोल-गोल गांड को देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और इसीलिए उसे इस समय आंखों से अपनी मां और अपनी बहन की नंगी जवानी का रसपान करते हुए अपने लंड को हिला कर अपनी जवानी की गर्मी को शांत करना पड़ा था,,,।



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मूठ मरने का यह एक अलग ही अनुभव था,,, वाकई में बन जा रहा है बेहद खास होता है जब एक जवान प्यासे भाई की आंखों के सामने उसकी मां और उसकी और यही हाल सूरजका और बहन अपनी साड़ी उठाकर अपनी सलवार नीचे गिरकर पेशाब करने बैठ गई हो और उसकी नंगी नंगी गांड को देखकर वाकई में ऐसे भाई को तो मुंह मांगी मुराद मिल जाती है ,, और यही हाल सूरज का भी था,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि सूरज पहली बार इस तरह के नजारे को देख रहा हो,,, वह अपनी मां और बहन दोनों को पेशाब करते हुए देख चुका था लेकिन दोनों को एक साथ पेशाब करते हुए उसने कभी नहीं देखा था इसलिए तो उसकी उत्तेजना परम शिखर पर थी,,,,



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सुबह जब सूरज उठा तो सबकुछ सामान्य सा था,,, सुनैना और रानी दोनों घर की सफाई कर रही थी पर दोनों को देखकर सूरज के मन में रात वाला दृश्य घूमने लगा दोनों इस समय सामान्य तौर पर वस्त्र पहनी हुई थी लेकिन पल भर के लिए सूरज अपनी मां और बहन दोनों को बिना कपड़ों की कल्पना करने लगा और सोचने लगा कि यह दोनों बिल्कुल नंगी होकर घर की सफाई करेंगे तो कैसी दिखाई देंगे,,,, दोनों के चेहरे का हाव-भाव कैसा होगा दोनों की चूचियां कैसी लचक रही होगी दोनों की गांड चिलचिलाती धूप में कैसी दिखाई देगी,,, यही सब सोच कर उसका लंड खड़ा हो गया और वह घर से निकल गया,,,, ।

आज वह बहुत खुश था क्योंकि वह जानता था कि बगीचे में आज उसे नीलू मिलने आने वाली है और आज उसके साथ जी भर कर रंग रलिया मनाएगा सूरज को इस बात का पक्का यकीन था कि नीतू उसके साथ शारीरिक संबंध जरूर बनाया और इसके लिए वह भी उत्सुक है अगर ऐसा ना होता तो ट्यूबवेल के पास वह उसे अपना नंगा बदन ना दिखाती,, उसकी बात मानकर अपनी गांड इंडियन के दर्शन ना करती और ना ही उसके लंड को हाथ में पकड़ जा रहा था अभी भी सही समय पर नीलु के आने में बहुत समय था,,, इसलिए बगीचे में पहुंचकर इधर-उधर घूमता रहा,,,,।



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जो हाल सूरज का था वही हाल नीलू का भी था नीलू की सूरत से मिलने के लिए तड़प रही थी क्योंकि सूरज ने दो मुलाकात में जो उसके बदले में उत्तेजना भरी आग लगाया था उसे बुझाना भी जरूरी था और वह जानती थी कि इस आग को सूरज ही बुझा सकता है,,,। बार-बार उसकी आंखों के सामने सूरज का लहराता हुआ लंड घूमने लगता था उसमें से निकल रही पैसा आपकी धार को देखकर तो खुद उसकी बर पानी छोड़ रही थी पहली बार किसी मर्द को वह पेशाब करते हुए देखेगी पहली बार में किसी मर्द के इतने मोटे तगड़े लंड को देख रही थी इसलिए तो उसकी हालत भी खराब थी वह भी जल्द से जल्द सूरज से मिलना चाहती थी,,, जिस तरह से उसने अपनी मुट्ठी में सूरज के लंड को दबाई थी,,, ठंडे पानी में भीगी होने के बावजूद भी उसकी गर्मी उसे पूरे बदन में महसूस हो रही थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच स्थिति तो बेहद नाजुक होती जा रही थी अगर उसे समय ही सूरज जल्दबाजी थोड़ी रंगबाजी दिखाता तो नीलू वही उससे चुद जाती,,,।



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इधर-उधर घूमते हुए समय धीरे-धीरे गुजरने लगा और देखते ही देखते समय आ ही गया जिस समय पर सूरज ने नीलू को वहां पर बुलाया था,,,, सूरज बड़ा व्याकुल होकर इधर-उधर देख रहा था यह आम का बगीचा गांव से थोड़ा दूर था इसलिए यहां पर कोई आता जाता नहीं था,,,, चारों तरफ नजर घुमा कर देखने के बावजूद भी कोई कहीं दिखाई नहीं दे रहा है ना इसलिए सूरज को लगा कि शायद आज भी नीलू उसे बेवकूफ बना दी आई नहीं,,,, इसलिए वह निराश होकर वहीं एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ गया,,, लेकिन तभी उसके खानों में पायल के घुंघरू की आवाज सुनाई देने लगी जो उसके ठीक बाएं तरफ से आ रही थी सूरज जल्दी से नजर उठा कर उसे तरफ देखा तो घनी झाड़ियां के बीच से होती है नीलू आ रही थी नीलू को देखते ही सूरज के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,, क्योंकि वह निराश हो चुका था उसे लगने लगा था कि नीलू अपने वादे पर कभी खरा नहीं उतर सकती ,,।



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देखते ही देखते उसके करीब आ गई उसे देखकर एकदम से उत्साहित होकर सूरज अपनी जगह से खड़ा हो गया और बोला,,,।

मुझे तो लगा था कि आज भी नहीं आओगी,,.

वैसे तो तुम सही सोच रहे थे लेकिन फिर मैंने सोचा की बार-बार किसी को धोखा देना अच्छी बात नहीं है,,,,।


चलो यह तो सही हुआ कि इतना तो तुम सोचती ही हो किसी के बारे में,,,।

किसी के बारे में नहीं सिर्फ तुम्हारे बारे में तुम्हारी जगह कोई और होता तो शायद में नहीं आती,,,।

अच्छा तो ऐसा क्या खास है मुझ में,,,,।

यह तो वक्त ही बताएगा,,,, अच्छा चलो छोड़ो आम खिलाने का वादा किए थे चलो जल्दी से आम तोड़ कर दो,,,

(नीलु की बात सुनकर सूरज उसे आश्चर्य से देखने लगा और बोला,,)

क्या सच में तुम यहां आम खाने के लिए आई हो,,,।
(सूरज के खाने के मतलब को नीलू अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए मुस्कुराते हुए बोली..)



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हां आई तो हूं यहां पर आम खाने ही क्या कुछ और खिलाने का इरादा है क्या,,,!

खिलाने का नहीं चूसाने का इरादा है,,,।

अगर आम पका हुआ होगा तो चुस भी लेंगे,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो दबा दबा कर चूसने लायक बना दूंगा,,,,,।
(वैसे नीलू अच्छी तरह से जानती थी कि सूरज बगीचे में उसे किस लिए बुलाया है लेकिन उसके खाने के मतलब को वह समझ नहीं पा रही थी जो उसने चूसने वाली बात उसे ठीक से समझ नहीं आ रही थी उसे ऐसा ही लग रहा था कि सूरज आम के बारे में ही बात कर रहा है लेकिन सूरज चूसने दबाने के शब्द का प्रयोग करके लंड और चूची के बारे में बात कर रहा था,,

सूरज अच्छी तरह से जानता था कि धीरे-धीरे ही इस खेल में मजा आएगा जल्दबाजी दिखाने ठीक नहीं था क्योंकि समय भी पर्याप्त था इसलिए वह नीलू से बोला,,,)



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चलो कोई बात नहीं तुम्हें अच्छे-अच्छे और पके आम तोड़ कर देता हूं,,,(इतना कहकर सूरज आगे आगे चलने लगा और नीलू पीछे-पीछे,,, वह देखते ही देखते सूरज आम के बड़े पेड़ के नीचे आ गया और ऊपर की तरफ नजर करके नीलू को दिखाने लगा,,,,)

देखो नीलू एक से बढ़कर एक आम है अभी मैं तोड़ कर देता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरज पेड़ पर चढ़ने लगा नीलू उसे पेड़ पर चढ़ते हुए देख रही थी सूरज कोई तरह से आम के पेड़ पर चढ़ता हुआ देखकर नीलू को थोड़ा अजीब लगने लगा क्योंकि वह जानती थी कि सूरज यहां पर किस लिए बुलाया है लेकिन यहां तो वह किसी और काम में लग गया था उसे तो लगा था कि उसे देखते ही सूरज उसे कसके अपनी बाहों में भर लगा उसकी चुचियों का दबाएगा उसकी गांड को सहलाएगा और फिर अपनी मनमानी करके अपना भी मजा लेगा और उसे भी मजा देगा,,,, लेकिन यहां तो कुछ और ही चल रहा था फिर भी नीलु कुछ बोली नहीं और सूरज को देखने लगी जो की धीरे-धीरे करके पेड़ पर चढ़ चुका था,,,,। सूरज अंदर ही अंदर बहुत उत्साहित है क्योंकि वह जानता था कि नीलू का यहां बगीचे में आना उसकी मुराद को पूरी करना था,,,।



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सूरज नापतोलकर आम को तोड़ रहा था एकदम गोल-गोल जिसका आकार नीलू की चूचियों से मिलती-जुलती हो,,,, जैसे तैसे करके सूरज चार-पांच आम तोड़ लिया और उसे धीरे-धीरे करके अपने पजामे में इधर-उधर डाल दिया क्योंकि उसके मन में कुछ और चल रहा था और नीलू की उपस्थिति में वह उत्तेजित हो चुका था जिसके कारण उसका लंड अपने आकार में आ चुका था और पजामे में अच्छा खासा तंबू बना चुका था,,, सूरज जानता था कि ईतना आम काफी है और वैसे भी सूरज नीलू को बगीचे में आम खिलाने के लिए नहीं बुलाया था बल्कि अपना केला चुसवाने के लिए बुलाया था,,, जल्दी-जल्दी सूरज पेड़ से नीचे उतर गया,,, और पेड़ से नीचे उतरते ही बोला,,,।

तुम्हारे लिए बहुत ही खास आम तोड़ कर लाया हूं,,,।
(और इतना कहने के साथ ही नीलू की आंखों के सामने ही अपने पहचाने को आगे की तरफ खींचकर उसमें से आम निकालने लगा वह जानता था कि नीलू की नजर उसके पजामे में खड़े उसके लंड पर जरूर पड़ेगी और ऐसा ही हो रहा था सूरज का लंड अपनी औकात में आ चुका था और नीलू भी उसके पजामी के अंदर देख रही थी जो कि उसके लंड के आकार को देखकर उसकी मोटाई को देखकर उसकी टांगों के बीच हलचल मचने लगी,,, वही लंड था जिसे दो दिन पहले उसने ट्युबवेल पर नहाते हुए पकड़ी थी,,, सूरज धीरे-धीरे करके उसमें से सभी आम निकाल कर नीलू के हाथों में थमा दिया और वह बड़ी मुश्किल से आम को संभाल पा रही थी क्योंकि उसकी नजर को सूरज के पजामे के अंदर थी सूरज की युक्ति काम कर गई थी,,,, और फिर धीरे से उसने पहचाने को व्यवस्थित कर लिया और फिर वही आम के पेड़ के नीचे बैठ गया और नीलु भी उसके पास मे हीं बैठ गई,,, वह भी अच्छा सा आम लेकर ऊपर से थोड़ा सा तोड़कर उसे दोनों हथेलियां के बीच लेकर गोल-गोल घुमाने लगी,,,, और उसे तुरंत मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी आम वास्तव में काफी मीठा था उसका स्वाद का अहसास होते ही वह खुश होते हुए बोली,,,)



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सच में सूरज आम तो बहुत रसीला है,,,।

क्यों ना हो आखिरकार मैंने जो पसंद किया है,,,(दोनों हथेली में आम लेकर नीलू की तरफ करके दिखाते हुए) देख रही हो इसके आकार को एकदम तुम्हारी चूचियों की तरह है,,,(सूरज एकदम बेझिझक बोला पर उसकी बात सुनकर नीलू एकदम से शर्मा गई थी उसके भी तन बदन में आग लग रही थी इसलिए वह मुस्कुराते हुए और हल्के से शरमाते हुए बोली,,,)

तुमको कैसे मालूम तुमने तो देखे नहीं हो,,,,(नीलू ऐसा जानबूझकर बोल रही थी जबकि उसे मालूम था कि ट्यूबवेल पर नहाते हुए सूरज से पूरी तरह से नंगी देख चुका था और बगीचे में उसे हाथ में लेकर दबा भी चुका था इसलिए उसे उसकी चूची का आकार अच्छी तरह से मालूम था,,,)

भूल गई इसी बगीचे में तुम्हारी चूची को दबाया था और अभी दो दिन पहले ही तुम्हें नंगी नहाते हुए देखा था तुम्हारे नंगे बदन का आकार मेरे आंखों में बस गया है,,।
(सूरज की बातें सुनकर नीलू के चेहरे पर शर्म की लालिमा छाने लगी,,,, और वह शर्माते हुए बोली,,)

तुम्हें देखकर लगता नहीं है कि तुम इतने शरारती होगे ,,

तुमको देख कर शरारत सुझती है,,,, वैसे भी मैं यहां पर आम खाने के लिए तुम्हें नहीं बुलाया था बल्कि तुम्हारी चुची को दबा दबा कर पीने के लिए बुलाया था,,,,,,।

ना बाबा मुझे तो बहुत डर लगता है,,,।

डर के आगे ही तो मजा ही मजा है एक बार यह डर खत्म हुआ उसके बाद स्वर्ग का सुख मिलेगा,,,,।
Suraj ki kalpna apni ma k sath

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नहीं मुझे नहीं लेना है स्वर्ग का सुख,,,,(नीलू आम खाते हुए बोली वैसे नीलू ऊपरी मन से ऐसा बोल रही थी अंदर से वह भी इस तरह का सुख पाना चाहती थी उसकी बात सुनकर सूरत से रहा नहीं गया और वह आगे बढ़कर अपने हाथ से कुर्ती के ऊपर से ही उसकी चूची को दबा दिया उसकी हरकत से नीलु एकदम से सिहर उठी उसकी आंखें अपने आप बंद हो गई और उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी फुट पड़ी,,, उसकी हालत देखकर सूरज अंदर ही अंदर खुश होने लगा,,,, और वह मौका देखकर अपनी उंगली को कुर्ती में डालकर उसे नीचे की तरफ खींचने लगा और दूसरे हाथ से उसकी चूची को पकड़ कर बाहर निकलने वाला यह हरकत नीलु के लिए मदहोश कर देने वाली थी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,, और देखते ही देखते सूरज कुर्ती में से उसकी एक चूची को बाहर निकाल लिया जो कि एकदम टमाटर की तरह गोल-गोल और लाल हो गई थी,,,, शर्म और मदहोशी में नीलु की आंखें बंद थी,,, सूरज चाहता था कि वह अपनी आंखों को खोलें और इतना मादकता भरे नजारे को अपनी आंखों से देखें,,, इसलिए वह हल्के से नीलू की चूची को दबाते हुए बोला,,,,)

Suraj ki kalpna apni ma or bahan k sath

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देखो तो सही नीलु दशहरी आम से भी ज्यादा खूबसूरत तुम्हारी चुची है,,,(इतना सुनकर नीलू अपनी आंखों को खोल दी और अपनी चूची की तरफ देखने लगी जो कि सूरज के हाथों में थी और उसकी आंख खोलते ही सूरज धीरे से अपने प्यास होठों को उसकी चूची की तरफ ले गया और उसकी आंखों में देखते हुए उसकी भूरे रंग की किशमिश को अपने होठों से दबाकर चूसने लगा और यह देखकर नीलू की बुर पानी छोड़ने लगी,,,। सूरज बड़ी ही मदहोशी के साथ नीलु की किसमिस के साथ-साथ उसकी चूची को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया था,,, नीलू की चूची दशहरी आम से भी ज्यादा रसीली थी,,, नीलू उत्तेजना के मारे गहरी गहरी सांस लेने लगी थी वह सूरज को रोकने में असमर्थ साबित हो रही थी क्योंकि सूरज की हरकत से उसे भी आनंद मिल रहा था और वह आम चूसना बंद कर दी थी और अपनी दशहरी आम की चुदाई को देख रही थी,,,,।

कुर्ती से एक चूची को बाहर निकालने के बाद और नीलू की मदहोशी को देखने के बाद सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी तो वह एक सूची को मुंह में लेकर दूसरे हाथ से दूसरी चूची को भी उसकी कुर्ती से बाहर निकलने लगा जिसमें खुद नीलू उसकी मदद करने लगी और देखते-देखते उसकी दोनों चुची उसकी कुर्ती से बाहर आ गई,,,, और वह दोनों च को अपने हाथ में पकड़ कर दबाते हुए बोला,,,)


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देख रही हो नीलू,,,, इसीलिए तो मैं तुम्हें यहां बुलाया हूं क्योंकि तुम्हारे दशहरी यहां पूरे बगीचे के दशहरे आम की तुलना में बेहद रसीले और खूबसूरत है,,,,(दोनों हाथों से नीलू की चूची को दबाते हुए बोला और उसकी हरकत से नीलू को तो मजा आई रहा था लेकिन जिस तरह से वह च को दबा रहा था उसे उसे हल्का-हल्का दर्द भी महसूस हो रहा था लेकिन यह दर्द मीठा था,,,, उसे इस दर्द में भी आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,, एक तरफ वह सूरज की हरकतों का आनंद ले रही थी और दूसरी तरफ वह रह रहकर आम के बगीचे के चारों तरफ नजर दौड़ा कर देख भी ले रही थी कि कहीं कोई यहां तो नहीं रहा है क्योंकि ऐसी हालत में अगर उसे कोई देख ले तो वह शर्म से ही मर जाए और हो नहीं चाहती थी कि कोई हालत में उसे देखें क्योंकि वह दोनों आम के बगीचे में खुले में पेड़ के नीचे बैठकर इस तरह की हरकत को अंजाम दे रहे थे,,,, दोनों हाथों से नीलू की चूची को दबाते हुए सूरज बोला,,,)



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कैसा लग रहा है नीलू,,,,,
(जवाब में नीलू कुछ बोली नहीं बस शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,, इसका मतलब साफ था कि उसे भी बहुत मजा आ रहा था और देखते ही देखते सूरज फिर से उसकी चूची को मुंह में लेकर पीने लगा हूं एक हाथ को सलवार के ऊपर से ही रखकर उसकी बुर को मसलने लगा जिससे उसका आनंद दुगना हो गया और उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ने लगी,,,।

सूरज की हरकतों का मजा लेते हुए वह चारों तरफ नजर डालते हुए बोली,,,)

सूरज कोई आ गया तो,,,,।

यहां कोई नहीं आएगा नीलु,,,, तुमडरो मत,,,



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नहीं मुझे तो डर लग रहा है अगर कोई देख लिया तो मेरे मां बाबुजी तो मुझे मार ही डालेंगे,,,।

ऐसा कुछ भी नहीं होगा,,,, क्योंकि यहां कोई नहीं होता,,,(बार-बार नीलू के सवालों का जवाब देने के लिए सूरज उसकी चूची से मुंह हटा लेता था और वापस उसकी चूची पर मुंह रख देता था,,,, लेकिन नीलू सूरज के जवाब से संतुष्ट नहीं थी इसलिए बोली,,,)

नहीं मुझे तो डर लग रहा है मैं जा रही हूं,,,,(ऐसा क्या करवा उठने वाली थी कि उसके कंधों पर दोनों हाथ रखकर उसे दबाते हुए सूरज उसकी आंखों में देखते हुए बोला,,,,)

चलो फिर ठीक है,,,,उस(उंगली के इशारे से एक झोपड़ी की और नीलू को दिखाते हुए बोला जो की थोड़ी ही दूरी पर दिखाई दे रही थी,,,) झोपड़ी में चलते हैं,,,

(नीलू भी उसे और देखने लगी जहां पर सूरज उंगली से दिख रहा था और उसे झोपड़ी को देखकर वह बोली,,,)


उसमें कोई रहता तो नहीं है ना,,,,।

नहीं इसमें कोई नहीं रहता वीरान है और वही जगह ठीक भी रहेगी हम दोनों के लिए,,,, रुको मैं ले चलता हूं तुम्हें वहां पर,,,,(इतना कहने के साथ ही वह उठकर खड़ा हो गया,,,, और नीलू भी उठकर खड़ी हो गई लेकिन वह अपने कदम आगे बढ़ाती इससे पहले ही सूरज उसे अपनी गोद में उठा लिया,,, यह देखकर नीलू एकदम से घबरा गई औरबोली,,,)

अरे अरे यह क्या कर रहे हो मैं गिर जाऊंगी,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो तुम सूरज की गोद में हो और मेरी गोद से तुम क्या तुम्हारी मां भी नहीं गिर सकती,,,,(ऐसा कहते हुए पूरी तरह से उसे अपनी गोद में उठा लिया था। एक पल के लिए सूरज के मुंह से अपनी मा का जिक्र सुनकर वह सन्न रह गई क्योंकि वह देखी थी कि सूरज उसकी मां से थोड़ा डरता ही था लेकिन उसे क्या मालूम था कि सूरज उसकी मां की न जाने कितनी बार चुदाई कर चुका था इसलिए तो उसके होंठों पर उसकी मा का जिक्र आया था,,, थोड़ा सहज होते हुए नीलू बोली,,,)

अच्छा उठा लोगे तुम मेरी मां को उसका शरीर कितना भारी है,,,।

तो क्या हुआ बोलो मेरे में दम भी तो बहुत है बढ़िया आराम से तुम्हारी मां को गोद में उठाकर इधर से उधर घूमा सकता हूं,,,,।

चलो रहने दो पहले मुझे गोद में से नीचे उतरो मुझे डर लग रहा है कहीं नीचे गिरा दिया तो लेने के देने पड़ जाएंगे,,,।

अच्छा तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है तो देखो,,,(पर इतना कहकर उसे गोद में लिए हुए वह झोपड़ी की तरफ जाने लगा,,,, नीलू यही सोच रही थी कि उसकी मां का शरीर भारी भरकम है और सूरज जिस तरह से उसे गोद में उठाया है उसकी मां को बिल्कुल भी नहीं उठा सकता जबकि उसे क्या मालूम था कि हम के बगीचे में वह उसकी मां की जवानी से जी भर कर खेल चुका था और उसे गोद में उठाकर उसकी चुदाई भी कर चुका था,,,, मां के बाद आज बेटी का नंबर था आज सूरज मुखिया की बीवी नहीं मुखिया की लड़की की चुदाई करने जा रहा था उसे गोद में उठाए हुए वह झोपड़ी की,, तरफ आगे बढ़ रहा था)
Zabardast update par adhura update rohnny bhai
 
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Try and fail. But never give up trying
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सूरज ने जो नजारा देखा था वह बेहद अद्भुत और अकल्पनीय था जिसके बारे में उसने शायद कल्पना भी नहीं किया था कभी भी उसने इस बारे में सोचा ही नहीं था कि वह एक साथ अपनी मां और अपनी बहन दोनों को पेशाब करते हुए देखेगा,,, घर की छत के ऊपर से यह नजारा देखने में वह बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था जिसके चलते अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड और अपनी बहन की सीमित आकार में गोल-गोल गांड को देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और इसीलिए उसे इस समय आंखों से अपनी मां और अपनी बहन की नंगी जवानी का रसपान करते हुए अपने लंड को हिला कर अपनी जवानी की गर्मी को शांत करना पड़ा था,,,।



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मूठ मरने का यह एक अलग ही अनुभव था,,, वाकई में बन जा रहा है बेहद खास होता है जब एक जवान प्यासे भाई की आंखों के सामने उसकी मां और उसकी और यही हाल सूरजका और बहन अपनी साड़ी उठाकर अपनी सलवार नीचे गिरकर पेशाब करने बैठ गई हो और उसकी नंगी नंगी गांड को देखकर वाकई में ऐसे भाई को तो मुंह मांगी मुराद मिल जाती है ,, और यही हाल सूरज का भी था,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि सूरज पहली बार इस तरह के नजारे को देख रहा हो,,, वह अपनी मां और बहन दोनों को पेशाब करते हुए देख चुका था लेकिन दोनों को एक साथ पेशाब करते हुए उसने कभी नहीं देखा था इसलिए तो उसकी उत्तेजना परम शिखर पर थी,,,,



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सुबह जब सूरज उठा तो सबकुछ सामान्य सा था,,, सुनैना और रानी दोनों घर की सफाई कर रही थी पर दोनों को देखकर सूरज के मन में रात वाला दृश्य घूमने लगा दोनों इस समय सामान्य तौर पर वस्त्र पहनी हुई थी लेकिन पल भर के लिए सूरज अपनी मां और बहन दोनों को बिना कपड़ों की कल्पना करने लगा और सोचने लगा कि यह दोनों बिल्कुल नंगी होकर घर की सफाई करेंगे तो कैसी दिखाई देंगे,,,, दोनों के चेहरे का हाव-भाव कैसा होगा दोनों की चूचियां कैसी लचक रही होगी दोनों की गांड चिलचिलाती धूप में कैसी दिखाई देगी,,, यही सब सोच कर उसका लंड खड़ा हो गया और वह घर से निकल गया,,,, ।

आज वह बहुत खुश था क्योंकि वह जानता था कि बगीचे में आज उसे नीलू मिलने आने वाली है और आज उसके साथ जी भर कर रंग रलिया मनाएगा सूरज को इस बात का पक्का यकीन था कि नीतू उसके साथ शारीरिक संबंध जरूर बनाया और इसके लिए वह भी उत्सुक है अगर ऐसा ना होता तो ट्यूबवेल के पास वह उसे अपना नंगा बदन ना दिखाती,, उसकी बात मानकर अपनी गांड इंडियन के दर्शन ना करती और ना ही उसके लंड को हाथ में पकड़ जा रहा था अभी भी सही समय पर नीलु के आने में बहुत समय था,,, इसलिए बगीचे में पहुंचकर इधर-उधर घूमता रहा,,,,।



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जो हाल सूरज का था वही हाल नीलू का भी था नीलू की सूरत से मिलने के लिए तड़प रही थी क्योंकि सूरज ने दो मुलाकात में जो उसके बदले में उत्तेजना भरी आग लगाया था उसे बुझाना भी जरूरी था और वह जानती थी कि इस आग को सूरज ही बुझा सकता है,,,। बार-बार उसकी आंखों के सामने सूरज का लहराता हुआ लंड घूमने लगता था उसमें से निकल रही पैसा आपकी धार को देखकर तो खुद उसकी बर पानी छोड़ रही थी पहली बार किसी मर्द को वह पेशाब करते हुए देखेगी पहली बार में किसी मर्द के इतने मोटे तगड़े लंड को देख रही थी इसलिए तो उसकी हालत भी खराब थी वह भी जल्द से जल्द सूरज से मिलना चाहती थी,,, जिस तरह से उसने अपनी मुट्ठी में सूरज के लंड को दबाई थी,,, ठंडे पानी में भीगी होने के बावजूद भी उसकी गर्मी उसे पूरे बदन में महसूस हो रही थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच स्थिति तो बेहद नाजुक होती जा रही थी अगर उसे समय ही सूरज जल्दबाजी थोड़ी रंगबाजी दिखाता तो नीलू वही उससे चुद जाती,,,।



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इधर-उधर घूमते हुए समय धीरे-धीरे गुजरने लगा और देखते ही देखते समय आ ही गया जिस समय पर सूरज ने नीलू को वहां पर बुलाया था,,,, सूरज बड़ा व्याकुल होकर इधर-उधर देख रहा था यह आम का बगीचा गांव से थोड़ा दूर था इसलिए यहां पर कोई आता जाता नहीं था,,,, चारों तरफ नजर घुमा कर देखने के बावजूद भी कोई कहीं दिखाई नहीं दे रहा है ना इसलिए सूरज को लगा कि शायद आज भी नीलू उसे बेवकूफ बना दी आई नहीं,,,, इसलिए वह निराश होकर वहीं एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठ गया,,, लेकिन तभी उसके खानों में पायल के घुंघरू की आवाज सुनाई देने लगी जो उसके ठीक बाएं तरफ से आ रही थी सूरज जल्दी से नजर उठा कर उसे तरफ देखा तो घनी झाड़ियां के बीच से होती है नीलू आ रही थी नीलू को देखते ही सूरज के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,, क्योंकि वह निराश हो चुका था उसे लगने लगा था कि नीलू अपने वादे पर कभी खरा नहीं उतर सकती ,,।



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देखते ही देखते उसके करीब आ गई उसे देखकर एकदम से उत्साहित होकर सूरज अपनी जगह से खड़ा हो गया और बोला,,,।

मुझे तो लगा था कि आज भी नहीं आओगी,,.

वैसे तो तुम सही सोच रहे थे लेकिन फिर मैंने सोचा की बार-बार किसी को धोखा देना अच्छी बात नहीं है,,,,।


चलो यह तो सही हुआ कि इतना तो तुम सोचती ही हो किसी के बारे में,,,।

किसी के बारे में नहीं सिर्फ तुम्हारे बारे में तुम्हारी जगह कोई और होता तो शायद में नहीं आती,,,।

अच्छा तो ऐसा क्या खास है मुझ में,,,,।

यह तो वक्त ही बताएगा,,,, अच्छा चलो छोड़ो आम खिलाने का वादा किए थे चलो जल्दी से आम तोड़ कर दो,,,

(नीलु की बात सुनकर सूरज उसे आश्चर्य से देखने लगा और बोला,,)

क्या सच में तुम यहां आम खाने के लिए आई हो,,,।
(सूरज के खाने के मतलब को नीलू अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए मुस्कुराते हुए बोली..)



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हां आई तो हूं यहां पर आम खाने ही क्या कुछ और खिलाने का इरादा है क्या,,,!

खिलाने का नहीं चूसाने का इरादा है,,,।

अगर आम पका हुआ होगा तो चुस भी लेंगे,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो दबा दबा कर चूसने लायक बना दूंगा,,,,,।
(वैसे नीलू अच्छी तरह से जानती थी कि सूरज बगीचे में उसे किस लिए बुलाया है लेकिन उसके खाने के मतलब को वह समझ नहीं पा रही थी जो उसने चूसने वाली बात उसे ठीक से समझ नहीं आ रही थी उसे ऐसा ही लग रहा था कि सूरज आम के बारे में ही बात कर रहा है लेकिन सूरज चूसने दबाने के शब्द का प्रयोग करके लंड और चूची के बारे में बात कर रहा था,,

सूरज अच्छी तरह से जानता था कि धीरे-धीरे ही इस खेल में मजा आएगा जल्दबाजी दिखाने ठीक नहीं था क्योंकि समय भी पर्याप्त था इसलिए वह नीलू से बोला,,,)



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चलो कोई बात नहीं तुम्हें अच्छे-अच्छे और पके आम तोड़ कर देता हूं,,,(इतना कहकर सूरज आगे आगे चलने लगा और नीलू पीछे-पीछे,,, वह देखते ही देखते सूरज आम के बड़े पेड़ के नीचे आ गया और ऊपर की तरफ नजर करके नीलू को दिखाने लगा,,,,)

देखो नीलू एक से बढ़कर एक आम है अभी मैं तोड़ कर देता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरज पेड़ पर चढ़ने लगा नीलू उसे पेड़ पर चढ़ते हुए देख रही थी सूरज कोई तरह से आम के पेड़ पर चढ़ता हुआ देखकर नीलू को थोड़ा अजीब लगने लगा क्योंकि वह जानती थी कि सूरज यहां पर किस लिए बुलाया है लेकिन यहां तो वह किसी और काम में लग गया था उसे तो लगा था कि उसे देखते ही सूरज उसे कसके अपनी बाहों में भर लगा उसकी चुचियों का दबाएगा उसकी गांड को सहलाएगा और फिर अपनी मनमानी करके अपना भी मजा लेगा और उसे भी मजा देगा,,,, लेकिन यहां तो कुछ और ही चल रहा था फिर भी नीलु कुछ बोली नहीं और सूरज को देखने लगी जो की धीरे-धीरे करके पेड़ पर चढ़ चुका था,,,,। सूरज अंदर ही अंदर बहुत उत्साहित है क्योंकि वह जानता था कि नीलू का यहां बगीचे में आना उसकी मुराद को पूरी करना था,,,।



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सूरज नापतोलकर आम को तोड़ रहा था एकदम गोल-गोल जिसका आकार नीलू की चूचियों से मिलती-जुलती हो,,,, जैसे तैसे करके सूरज चार-पांच आम तोड़ लिया और उसे धीरे-धीरे करके अपने पजामे में इधर-उधर डाल दिया क्योंकि उसके मन में कुछ और चल रहा था और नीलू की उपस्थिति में वह उत्तेजित हो चुका था जिसके कारण उसका लंड अपने आकार में आ चुका था और पजामे में अच्छा खासा तंबू बना चुका था,,, सूरज जानता था कि ईतना आम काफी है और वैसे भी सूरज नीलू को बगीचे में आम खिलाने के लिए नहीं बुलाया था बल्कि अपना केला चुसवाने के लिए बुलाया था,,, जल्दी-जल्दी सूरज पेड़ से नीचे उतर गया,,, और पेड़ से नीचे उतरते ही बोला,,,।

तुम्हारे लिए बहुत ही खास आम तोड़ कर लाया हूं,,,।
(और इतना कहने के साथ ही नीलू की आंखों के सामने ही अपने पहचाने को आगे की तरफ खींचकर उसमें से आम निकालने लगा वह जानता था कि नीलू की नजर उसके पजामे में खड़े उसके लंड पर जरूर पड़ेगी और ऐसा ही हो रहा था सूरज का लंड अपनी औकात में आ चुका था और नीलू भी उसके पजामी के अंदर देख रही थी जो कि उसके लंड के आकार को देखकर उसकी मोटाई को देखकर उसकी टांगों के बीच हलचल मचने लगी,,, वही लंड था जिसे दो दिन पहले उसने ट्युबवेल पर नहाते हुए पकड़ी थी,,, सूरज धीरे-धीरे करके उसमें से सभी आम निकाल कर नीलू के हाथों में थमा दिया और वह बड़ी मुश्किल से आम को संभाल पा रही थी क्योंकि उसकी नजर को सूरज के पजामे के अंदर थी सूरज की युक्ति काम कर गई थी,,,, और फिर धीरे से उसने पहचाने को व्यवस्थित कर लिया और फिर वही आम के पेड़ के नीचे बैठ गया और नीलु भी उसके पास मे हीं बैठ गई,,, वह भी अच्छा सा आम लेकर ऊपर से थोड़ा सा तोड़कर उसे दोनों हथेलियां के बीच लेकर गोल-गोल घुमाने लगी,,,, और उसे तुरंत मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी आम वास्तव में काफी मीठा था उसका स्वाद का अहसास होते ही वह खुश होते हुए बोली,,,)



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सच में सूरज आम तो बहुत रसीला है,,,।

क्यों ना हो आखिरकार मैंने जो पसंद किया है,,,(दोनों हथेली में आम लेकर नीलू की तरफ करके दिखाते हुए) देख रही हो इसके आकार को एकदम तुम्हारी चूचियों की तरह है,,,(सूरज एकदम बेझिझक बोला पर उसकी बात सुनकर नीलू एकदम से शर्मा गई थी उसके भी तन बदन में आग लग रही थी इसलिए वह मुस्कुराते हुए और हल्के से शरमाते हुए बोली,,,)

तुमको कैसे मालूम तुमने तो देखे नहीं हो,,,,(नीलू ऐसा जानबूझकर बोल रही थी जबकि उसे मालूम था कि ट्यूबवेल पर नहाते हुए सूरज से पूरी तरह से नंगी देख चुका था और बगीचे में उसे हाथ में लेकर दबा भी चुका था इसलिए उसे उसकी चूची का आकार अच्छी तरह से मालूम था,,,)

भूल गई इसी बगीचे में तुम्हारी चूची को दबाया था और अभी दो दिन पहले ही तुम्हें नंगी नहाते हुए देखा था तुम्हारे नंगे बदन का आकार मेरे आंखों में बस गया है,,।
(सूरज की बातें सुनकर नीलू के चेहरे पर शर्म की लालिमा छाने लगी,,,, और वह शर्माते हुए बोली,,)

तुम्हें देखकर लगता नहीं है कि तुम इतने शरारती होगे ,,

तुमको देख कर शरारत सुझती है,,,, वैसे भी मैं यहां पर आम खाने के लिए तुम्हें नहीं बुलाया था बल्कि तुम्हारी चुची को दबा दबा कर पीने के लिए बुलाया था,,,,,,।

ना बाबा मुझे तो बहुत डर लगता है,,,।

डर के आगे ही तो मजा ही मजा है एक बार यह डर खत्म हुआ उसके बाद स्वर्ग का सुख मिलेगा,,,,।
Suraj ki kalpna apni ma k sath

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नहीं मुझे नहीं लेना है स्वर्ग का सुख,,,,(नीलू आम खाते हुए बोली वैसे नीलू ऊपरी मन से ऐसा बोल रही थी अंदर से वह भी इस तरह का सुख पाना चाहती थी उसकी बात सुनकर सूरत से रहा नहीं गया और वह आगे बढ़कर अपने हाथ से कुर्ती के ऊपर से ही उसकी चूची को दबा दिया उसकी हरकत से नीलु एकदम से सिहर उठी उसकी आंखें अपने आप बंद हो गई और उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी फुट पड़ी,,, उसकी हालत देखकर सूरज अंदर ही अंदर खुश होने लगा,,,, और वह मौका देखकर अपनी उंगली को कुर्ती में डालकर उसे नीचे की तरफ खींचने लगा और दूसरे हाथ से उसकी चूची को पकड़ कर बाहर निकलने वाला यह हरकत नीलु के लिए मदहोश कर देने वाली थी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,, और देखते ही देखते सूरज कुर्ती में से उसकी एक चूची को बाहर निकाल लिया जो कि एकदम टमाटर की तरह गोल-गोल और लाल हो गई थी,,,, शर्म और मदहोशी में नीलु की आंखें बंद थी,,, सूरज चाहता था कि वह अपनी आंखों को खोलें और इतना मादकता भरे नजारे को अपनी आंखों से देखें,,, इसलिए वह हल्के से नीलू की चूची को दबाते हुए बोला,,,,)

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देखो तो सही नीलु दशहरी आम से भी ज्यादा खूबसूरत तुम्हारी चुची है,,,(इतना सुनकर नीलू अपनी आंखों को खोल दी और अपनी चूची की तरफ देखने लगी जो कि सूरज के हाथों में थी और उसकी आंख खोलते ही सूरज धीरे से अपने प्यास होठों को उसकी चूची की तरफ ले गया और उसकी आंखों में देखते हुए उसकी भूरे रंग की किशमिश को अपने होठों से दबाकर चूसने लगा और यह देखकर नीलू की बुर पानी छोड़ने लगी,,,। सूरज बड़ी ही मदहोशी के साथ नीलु की किसमिस के साथ-साथ उसकी चूची को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया था,,, नीलू की चूची दशहरी आम से भी ज्यादा रसीली थी,,, नीलू उत्तेजना के मारे गहरी गहरी सांस लेने लगी थी वह सूरज को रोकने में असमर्थ साबित हो रही थी क्योंकि सूरज की हरकत से उसे भी आनंद मिल रहा था और वह आम चूसना बंद कर दी थी और अपनी दशहरी आम की चुदाई को देख रही थी,,,,।

कुर्ती से एक चूची को बाहर निकालने के बाद और नीलू की मदहोशी को देखने के बाद सूरज की हिम्मत बढ़ने लगी तो वह एक सूची को मुंह में लेकर दूसरे हाथ से दूसरी चूची को भी उसकी कुर्ती से बाहर निकलने लगा जिसमें खुद नीलू उसकी मदद करने लगी और देखते-देखते उसकी दोनों चुची उसकी कुर्ती से बाहर आ गई,,,, और वह दोनों च को अपने हाथ में पकड़ कर दबाते हुए बोला,,,)


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देख रही हो नीलू,,,, इसीलिए तो मैं तुम्हें यहां बुलाया हूं क्योंकि तुम्हारे दशहरी यहां पूरे बगीचे के दशहरे आम की तुलना में बेहद रसीले और खूबसूरत है,,,,(दोनों हाथों से नीलू की चूची को दबाते हुए बोला और उसकी हरकत से नीलू को तो मजा आई रहा था लेकिन जिस तरह से वह च को दबा रहा था उसे उसे हल्का-हल्का दर्द भी महसूस हो रहा था लेकिन यह दर्द मीठा था,,,, उसे इस दर्द में भी आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,, एक तरफ वह सूरज की हरकतों का आनंद ले रही थी और दूसरी तरफ वह रह रहकर आम के बगीचे के चारों तरफ नजर दौड़ा कर देख भी ले रही थी कि कहीं कोई यहां तो नहीं रहा है क्योंकि ऐसी हालत में अगर उसे कोई देख ले तो वह शर्म से ही मर जाए और हो नहीं चाहती थी कि कोई हालत में उसे देखें क्योंकि वह दोनों आम के बगीचे में खुले में पेड़ के नीचे बैठकर इस तरह की हरकत को अंजाम दे रहे थे,,,, दोनों हाथों से नीलू की चूची को दबाते हुए सूरज बोला,,,)



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कैसा लग रहा है नीलू,,,,,
(जवाब में नीलू कुछ बोली नहीं बस शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,, इसका मतलब साफ था कि उसे भी बहुत मजा आ रहा था और देखते ही देखते सूरज फिर से उसकी चूची को मुंह में लेकर पीने लगा हूं एक हाथ को सलवार के ऊपर से ही रखकर उसकी बुर को मसलने लगा जिससे उसका आनंद दुगना हो गया और उसकी बुर पानी पर पानी छोड़ने लगी,,,।

सूरज की हरकतों का मजा लेते हुए वह चारों तरफ नजर डालते हुए बोली,,,)

सूरज कोई आ गया तो,,,,।

यहां कोई नहीं आएगा नीलु,,,, तुमडरो मत,,,



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नहीं मुझे तो डर लग रहा है अगर कोई देख लिया तो मेरे मां बाबुजी तो मुझे मार ही डालेंगे,,,।

ऐसा कुछ भी नहीं होगा,,,, क्योंकि यहां कोई नहीं होता,,,(बार-बार नीलू के सवालों का जवाब देने के लिए सूरज उसकी चूची से मुंह हटा लेता था और वापस उसकी चूची पर मुंह रख देता था,,,, लेकिन नीलू सूरज के जवाब से संतुष्ट नहीं थी इसलिए बोली,,,)

नहीं मुझे तो डर लग रहा है मैं जा रही हूं,,,,(ऐसा क्या करवा उठने वाली थी कि उसके कंधों पर दोनों हाथ रखकर उसे दबाते हुए सूरज उसकी आंखों में देखते हुए बोला,,,,)

चलो फिर ठीक है,,,,उस(उंगली के इशारे से एक झोपड़ी की और नीलू को दिखाते हुए बोला जो की थोड़ी ही दूरी पर दिखाई दे रही थी,,,) झोपड़ी में चलते हैं,,,

(नीलू भी उसे और देखने लगी जहां पर सूरज उंगली से दिख रहा था और उसे झोपड़ी को देखकर वह बोली,,,)


उसमें कोई रहता तो नहीं है ना,,,,।

नहीं इसमें कोई नहीं रहता वीरान है और वही जगह ठीक भी रहेगी हम दोनों के लिए,,,, रुको मैं ले चलता हूं तुम्हें वहां पर,,,,(इतना कहने के साथ ही वह उठकर खड़ा हो गया,,,, और नीलू भी उठकर खड़ी हो गई लेकिन वह अपने कदम आगे बढ़ाती इससे पहले ही सूरज उसे अपनी गोद में उठा लिया,,, यह देखकर नीलू एकदम से घबरा गई औरबोली,,,)

अरे अरे यह क्या कर रहे हो मैं गिर जाऊंगी,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो तुम सूरज की गोद में हो और मेरी गोद से तुम क्या तुम्हारी मां भी नहीं गिर सकती,,,,(ऐसा कहते हुए पूरी तरह से उसे अपनी गोद में उठा लिया था। एक पल के लिए सूरज के मुंह से अपनी मा का जिक्र सुनकर वह सन्न रह गई क्योंकि वह देखी थी कि सूरज उसकी मां से थोड़ा डरता ही था लेकिन उसे क्या मालूम था कि सूरज उसकी मां की न जाने कितनी बार चुदाई कर चुका था इसलिए तो उसके होंठों पर उसकी मा का जिक्र आया था,,, थोड़ा सहज होते हुए नीलू बोली,,,)

अच्छा उठा लोगे तुम मेरी मां को उसका शरीर कितना भारी है,,,।

तो क्या हुआ बोलो मेरे में दम भी तो बहुत है बढ़िया आराम से तुम्हारी मां को गोद में उठाकर इधर से उधर घूमा सकता हूं,,,,।

चलो रहने दो पहले मुझे गोद में से नीचे उतरो मुझे डर लग रहा है कहीं नीचे गिरा दिया तो लेने के देने पड़ जाएंगे,,,।

अच्छा तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है तो देखो,,,(पर इतना कहकर उसे गोद में लिए हुए वह झोपड़ी की तरफ जाने लगा,,,, नीलू यही सोच रही थी कि उसकी मां का शरीर भारी भरकम है और सूरज जिस तरह से उसे गोद में उठाया है उसकी मां को बिल्कुल भी नहीं उठा सकता जबकि उसे क्या मालूम था कि हम के बगीचे में वह उसकी मां की जवानी से जी भर कर खेल चुका था और उसे गोद में उठाकर उसकी चुदाई भी कर चुका था,,,, मां के बाद आज बेटी का नंबर था आज सूरज मुखिया की बीवी नहीं मुखिया की लड़की की चुदाई करने जा रहा था उसे गोद में उठाए हुए वह झोपड़ी की,, तरफ आगे बढ़ रहा था)
Shandar super hot erotic update 🔥 🔥
 
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