Motaland2468
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बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है सूरज को मजे के साथ पैसे भी मिल गए सूरज ने मुखिया की बीवी की चूदाई भी कर ली साथ ही 2 रूपये भी कमा लिए बगीचे में नीलू ने सूरज को पेसाब करते हुए देख लिया है लगता है बेटी भी जल्दी ही सूरज को मिलने वाली हैसूरज का काम बन चुका था सूरज का मुखिया के घर पर आने का एक प्रमुख कारण था मुखिया की बीवी का दर्शन करना मौका मिला तो उसके साथ चुदाई का सुख भोगने अगर यह भी नहीं हो सका तो उसकी दोनों बेटियों की जवानी को अपनी आंखों से देखना ,,, और कुछ भी ना हो सका तो किसी काम के लिए पूछना ताकि दो पैसे मिल सके लेकिन सूरज का घोड़ा इस समय बड़ी तेजी से दौड़ रहा था उसे मुखिया की बीवी चोदने को भी मिली थी और पैसे भी मिले थे,,,,,, वह पूरे विश्वास के साथ तो मुखिया के घर गया नहीं था उसे पक्का यकीन नहीं था की मुखिया की बीवी उसे चोदने देगी,,,।
लेकिन उसके सोच के विपरीत मुखिया की बीवी खड़े-खड़े अपनी दोनों टांगें उसके लिए खोल दी थी लेकिन टांगों के बीच पहुंचने के लिए भी सूरज को ही मेहनत करनी पड़ी थी सूरज अगर उसे अपनी हरकतों से गरम ना करता तो शायद मुखिया की बीवी गुशल खाने में अपनी बेटी की मौजूदगी में सूरज के साथ चुदवाती नहीं,,, और फिर खुश होकर उसे पैसे भी नहीं देती,,,,,।
मुखिया की बीवी पूरी तरह से सूरज की जवानी की कायल हो चुकी थी अनुभव से भरी हुई मुखिया की बीवी अच्छी तरह से जानती थी कि सूरज का मर्दन अंग दूसरे सभी से बेहद दमदार है इसलिए वह खुद सूरज के साथ चुदवाने के लिए मचलती रहती है,,, और आज मौका मिला तो वह भी बहती गंगा में हाथ धो ली,,, आखिरकार औरत की भी जरूर मर्दों की दोनों टांगों के बीच लटकती रहती है और मर्दों की भी जरूर औरत की दोनों टांगों के बीच ही आकर खत्म हो जाती है दोनों की जवानी और चाहत एक दूसरे की टांगों के पीछे ही निहित है,,,।
सूरज बहुत खुश था मुखिया की बीवी की बुर काफी दिनों बाद उसे छोड़ने को मिली थी और साथ में दो रुपए भी मिल चुके थे,,, जिसके लिए सुबह ही उसकी मां उसे मुखिया की बीवी के पास काम ढूंढने के लिए भेजी थी सूरज अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मां दो रूपया अपने हाथ में देखोगी तो बहुत खुश होगी ,,, और सूरज भी यही चाहता था वह किसी भी हाल में अपनी मां को खुश रखना चाहता था,,,, क्योंकि वह जानता था औरत को खुश रखने से औरत भी मर्द को खुश रखती है यहां पर सूरज अपनी मां के लिए अपने मन में औरत शब्द का ही प्रयोग करता था क्योंकि सूरज के लिए अब उसकी मां एक औरत थी एक खूबसूरत औरत जिसकी दोनों टांगों के बीच उसकी दुनिया छुपी हुई थी और उसे ही वह हासिल करना चाहता था,,, और वह अच्छी तरह से जानता था अगर उसे अपनी मां की दोनों टांगों के बीच पहुंचना है तो उसे खुश रखना पड़ेगा इसलिए वह अपनी मां की कोई भी बात से इनकार नहीं करता था,,,।
हाथ में 2 रुपया लिए हुए वह कुछ देर तक यहां वहांस खेतों में टहलता रहा,,,,,,, वह घर पर तो जाना चाहता था लेकिन कुछ देर बाद ताकि उसकी मां को ऐसा लगी कि वाकई में वह मुखिया की बीवी का कोई काम करके आया है वरना ऐसे ही अगर पैसे ले जाकर दे देगा तो उसकी मां कुछ और समझेगी,,,,,,, इसलिए वह धीरे से आम के बगीचे में चला गया यह बगीचा भी मुखिया का ही था वैसे पहाड़ों के बीच की अधिक आंसर था खेती लायक जमीन और बाद बगीचे मुखिया के ही थे जिनमें गांव के लोग काम करके अपना जीवन बसर करते थे,,,।
आम का बगीचा बहुत बड़ा था दूर-दूर तक आम के पेड़ ही पेड़ दिखाई दे रहे थे लेकिन इनमें से भी आदमी तोड़कर मार्केट में पहुंचा दिए गए थे बस कुछ कुछ पेड़ पर आम लगे हुए थे,,,,,, इधर-उधर घूमते घूमते सूरज थक चुका था इसलिए बड़े पेड़ की छांव में बैठ गया और अपने बारे में सोचने लगा,,, वह नहीं सोच रहा था कि कल तक वह कैसा था औरतों के नाम से घबरा रहा था औरतों के पास जाने से घबराता था उनसे बात करने की तो दूर उनको देखा था तो अपना रास्ता बदल लेता था लेकिन एक गलती में गलती कहना या एक खूबसूरत गलती ने उसके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया था और इसका पूरा से वह अपने दोस्त सोनू को देता था,,,।
क्योंकि अगर सोनू चोरी छिपे उसे झाड़ियां के बीच ले जाकर अपनी चाची की नंगी गांड ना दिखाता तो शायद सूरज अभी भी मासूम और बुड़बक बना रहता,,,, लेकिन उस खूबसूरत गलती की वजह से,, वह सुंदरता के मायने को समझने लगा था औरत की खूबसूरती को समझने लगा था औरतों के खूबसूरत अंगों के बारे में जानने लगा था जिनके बारे में वह कभी कल्पना भी नहीं करता था अपनी आंखों से उन अंगों को देखकर वह पूरी तरह से नशे में डूब जाता था,,, , अब तो गांव की हर एक औरत मैं उसे वासना नजर आती थी उन्हें पाने की चाहत सूरज की आंखों में नजर आती थी और आलम यह हो गया था कि घर में भी वह अपनी मां और बहन दोनों को गंदी नजरों से देखने लगा था,,,,, अपने ही पिताजी से चुदवाते हुए देख चुका था और नदी में नंगी होकर नहाते हुए देख चुका था अपनी मां के नंगे बदन उसके खूबसूरत हुस्न का दर्शन करके वह पूरी तरह से अपनी मां की जवानी को पाने के लिए ललाईत हो गया था,,,।
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यही सब सो कर सूरज आम के पेड़ के नीचे बैठकर उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, और उसे एहसास हुआ कि उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई है लेकिन इस दौरान उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था इसलिए वह धीरे से उसे जगह से उठा और वही बीच में तालाब बना हुआ था धीरे-धीरे वही जाने लगा और झाड़ियां में प्रवेश करके वह एकदम से तलाब के पास पहुंच गया,,, उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी और वह जानता था कि इतने दोपहर में आम के बगीचे में कोई आने वाला नहीं था और वह भी बगीचे के बीचों बीच,,,। वह बहुत जल्दी में था क्योंकि वह जानता था कि अगर एक पल भी बाहर रुक गया तो शायद वह पजामे हीं पेशाब कर बैठेगा,,, पेशाब की तीव्रता इतनी तेज थी कि वह जानता था कि उसे रोक पाना नामुमकिन है,,, वह जल्दी से पजामे के नाड़े को खोला और एक झटके में उसे घुटनों तक खींच दिया और फिर अपने लंड को पकड़ कर पेशाब करना शुरू कर दिया,,,,, उसे इतनी जोरों की पेशाब लगी हुई थी की पेशाब की धार लगभग 2 मीटर से भी ज्यादा दूरी पर जा रही थी,,,,।
जैसे ही उसके लंड से पेशाब की धार फुटी वह राहत महसूस करने लगा,,, आंखों को बंद करके गहरी गहरी सांस लेने लगा वह जानता था कि इस सुनसान बगीचे में और कोई नहीं है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चित था लेकिन वह नहीं जानता था कि उसकी इस क्रिया कलाप को झाड़ियां के बीच छूपकर कोई है जो देख रही थी,,,,, सूरज पूरी तरह से अपने आप में खोया हुआ अपने लंड को पकड़ कर हिला हिला कर पेशाब कर रहा था और उसके पेशाब की धार तालाब के पानी में गिर रही थी,,,, इतनी दूर तक पेशाब किवधार जाने पर सूरज के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे,,,, सूरज अपने लंड को पकड़े हुए था लेकिन उसका गीलापन उसे महसूस हो रहा था क्योंकि कुछ देर पहले ही उसने अपने लंड को मुखिया की बीवी की बुर में डाल कर आया था और उसके अंदर का मदन रस अभी भी उसके लंड पर लगा हुआ था,,,।
मुखिया की बीवी की बुर का ख्याल आते ही एक बार फिर से सूरज के बदन में मदहोशी छाने लगी,, और वह अपने लंड पर से अपने हाथ को हटाकर अपनी उंगलियों को अपनी नाक के पास रखकर गहरी सांस लेकर उसकी खुशबू लेने लगा जिसमें से अभी भी मुखिया की बीवी की बुर की मादक खुशबू आ रही थी और उसे खुशबू से वह पूरी तरह से उत्तेजित होने लगा और दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उत्तेजना के मारे मुट्ठीयाने लगा,,, अभी वह अपनी मादक क्रियाकलाप में पूरी तरह से व्यस्त हुआ भी नहीं था कि तभी उसे लड़की के जोर से चीखने की आवाज आई और एकदम से उसकी आंखें खुल गई और वह अपने तने साइड पर देखा तो पेड़ के पीछे से खूबसूरत लड़क निकल कर जोर-जोर से कूद रही थी,,, उसे देखते ही वहां पहचान गया कि यह तो मुखिया की छोटी वाली लड़की है नीलू,,,, वह अपने मन में सोचा कि यहां वह क्या कर रही है इसलिए वह आवाज लगाता हुआ बोला,,,,।
अरे क्या हुआ क्यों इतना उछल कूद मचा रही हो,,,,
अरे पता नहीं क्या था मेरे पैर पर से होकर गुजरा,,,
अरे कुछ नहीं चुहा होगा,,, इधर आ जाओ उधर झाड़ियों में खड़ी मत रहो वहां सांप भी निकलता है,,,।
(सांप का नाम सुनते ही नीलू एकदम से उसकी तरफ ही आगे बढ़ने लगी सूरज के हाथ में अभी भी उसका लंड था कुछ देर के लिए सूरज भूल चुका था कि वह पेशाब कर रहा था और उसका लंड अभी भी उसके पजामे से बाहर उसके हाथ में है,,,, देखते देखते जल्दी-जल्दी नीलू उसके करीब आ गई तकरीबन दोनों के बीच दो मीटर की दूरी थी और नीलू की नजर एक बार फिर से सूरज के लंड पर गई तो वह वहीं खड़ी हो गई और उसे देखते ही रह गई,,, सूरज को जब उसकी निगाहों का आभास हुआ तो सूरज एकदम से चौंक गया ,, अभी भी उसके लंड से बूंद बूंद करके पेशाब टपक रहा था जिसे देखकर नीलु सम्मोहित हुए जा रही थी,,,, सूरज जल्दबाजी दिखाते हुए अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ लेकर और घुटनों से अपनी पजामी को ऊपर खींचकर उसके नाड़े को बांधने लगा,,, सूरज का मोटा तगड़ा लंड जो कुछ देर पहले नीलू की मां की बुर की गहराई नाप कर आया था अब उसकी बेटी की आंखों के सामने अपना जलवा दिखा कर पजामे में कैद हो गया था,,,, नीलू की तो हालत खराब हो गई थी पहली बार हुआ किसी के मोटे तगड़े लंड को अपनी आंखों से देख रही थी लैंड इतना मोटा तगड़ा और लंबा होता है इसका अंदाजा भी उसे नहीं था,,, आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था वह पजामा की तरफ ही देख रही थी जो कि अब पजामे के अंदर चलाएं गया था लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे नीलू की उम्मीद कायम थी,,,,।
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सूरज के आने से कुछ देर पहले ही वह आम के बगीचे में आई थी और सूरज को देखकर वह पेड़ के पीछे छुप गई थी वह देखना चाहती थी कि अकेले आम के बगीचे में सूरज कर क्या रहा है उसे नहीं मालूम था कि सूरज पेशाब करने लगेगा और सूरज जैसे-जैसे तालाब के पास जा रहा था वैसे-वैसे नीलू भी उससे दूरी बनाकर उसके साथ-साथ चल रही थी और पूरा एहतियात बरत रही थी कि उसके होने का सूरज को पता ना चले,,,, उसे नहीं मालूम था कि सूरज क्या करने जा रहा है,,, कुछ ऐसे ही बताओ आपके किनारे रुक वैसे ही नीलू भी एक बड़े से पेड़ के पीछे छुप गई और सूरज को देखने लगी,,,, और जैसे ही सूरज में अपने पजामे का नाडा खोलने लगा वैसे ही नीलू को समझ में आ गया कि वह क्या करने वाला है उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ने लगी पहली बार वह किसी जवान लड़के को इस तरह से देख रही थी उसके बदन में मदहोशी छाने लगी थी,,,। और देखते ही देखते जैसे ही सूरज ने अपने पजामे को नीचे करके अपने खड़े लंड को बाहर निकाला उसके मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर नीलू की आंखें फटी की फटी रह गई उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया,,,।
उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें पहली बार जो लंड के दर्शन उसने किए थे,,, नीलू के तन भजन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, खास करके उसे अभी दोनों टांगों के बीच अपनी बुर में सुरसुराहट सी महसूस हो रही थी और वह ईस सुरसुराहट को समझ नहीं पा रही थी,,,, और जैसे ही सूरज के लंड से पेशाब की धार फुटी उसे ऐसा महसूस हुआ कि उसकी बुर से भी पेशाब की धार फुट पड़ेगी तुरंत उसका हाथ उसकी बुर पर आ गया और इस तरह का नजारा देखकर जिस तरह से उसका हाथ उसकी बुर पर आया था उसके बदन में मदहोशी छाने लगी,,, और वह अपनी आंखों से पूरा नजारा एकदम शांत होकर देख पाती तभी उसे एहसास होकर उसके पैर पर से कोई जानवर गुजर कर गया और वह एकदम से चीख उठी,,,,।
सूरज जवान लड़की के सामने थोड़ा घबरा रहा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने उसका लंड उसके हाथ में था लेकिन वह मौके की नजाकत को समझते हुए उसे पजामे में डाल दिया था लेकिन पजामे में जाने के बावजूद भी उसमें तंबू बना हुआ था,,, सूरज को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें इतना तो वह समझ गया था कि नीलू उसके लंड को ही देख रही थी एक तरह से उसके नजरिए से सूरज के तन-बड़े उत्तेजना की लहर उठ रही थी लेकिन न जाने क्यों एक अजीब सा डर भी था कि कहीं यह सब वह अपने घर पर ना बता दें,,, इसलिए वह बोला,,,।
Mukhiya ki bibi ki boor chat ta hua suraj
ऐसे क्या देख रही हो यह ठीक नहीं है,,,
(सूरज की बात सुनकर जैसे उसे होश आया हो और वह एकदम से अपनी कमर पर दोनों हाथ रखते हुए आंखों को नचाते हुए बोली,,,)
क्यों,,,, क्यों ठीक नहीं है,,, तुम भी तो बैर तोड़ते समय मेरी फ्रॉक के अंदर झांक रहे थे,,,
(नीलू की बात सुनते ही सूरज के तो जैसे होश उड़ गए उसे याद आ गया बैर तोड़ते समय उसकी नजर अनजाने में ही उसकी फ्रॉक के अंदर चली गई थी और उसे उसकी हसीन बुर देखने का मौका मिल गया था,,,, उसकी बात सुनकर एकदम से हड़बड़ा भरे स्वर में बोला,,,)
Mukhiya ki bibi ki matwali gaand
ववववव,,,वो ,,तो,,, अनजाने में ही मेरी नजर तुम्हारी फ्रॉक के अंदर चली गई थी तुम बैठी ईस तरह से थी कि,,, हां चाहते हुए भी मेरी नजर वहीं पर चली गई,,,।
लेकिन चाहे जैसे भी हो तुमने तो मेरा देख लिए थे ना,,,,(नीलू जी अंदाज में इस तरह से खुले शब्दों में उससे बात कर रही थी सूरज के बदन में उसकी इस तरह की बातों को सुनकर मदहोशी छाने लगी,,, उसका मन भटकने लगा था,,, उसकी बात सुनकर सूरज भी थोड़ा खुलना चाहता था इसलिए बोला,,,)
हां यह बात तो सही है मैं तुम्हारा सब कुछ देख लिया था लेकिन मेरी जगह कोई भी होता तो शायद वह भी यही करता,,, लेकिन तुम्हें किसी के लंड को नहीं देखना चाहिए,,,(सूरज जानबूझकर नीलू के सामने एकदम खुले शब्दों में लंड शब्द का प्रयोग करते हुए बोला और उसके मुंह से निकले हुए शब्द का असर नीलू के गोरे चेहरे पर पड़ रहा था क्योंकि इस शब्द को सुनकर उसके चेहरे के भाव एकदम से बदलने लगे थे और वह मदहोश होने लगी थी उसके चेहरे का रंग सुर्ख लाल होने लगा था,,,.,)
Suraj or mukhiya ki bibi
मैं भी अनजाने में ही देखी,,, लेकिन तुम्हें तालाब में पेशाब नहीं करना चाहिए था मैं तुम्हें तालाब में पेशाब करते हुए अच्छी तुम्हें पता होना चाहिए कि पिताजी ने तालाब में मछलियां पाल कर रखें है अगर उन्हें इस बारे में पता चलेगा तो वह बहुत गुस्सा करेंगे,,,।
नहीं नहीं ऐसा मत करना,,, मलिक को मत बताना,,,।
ठीक है नहीं बताऊंगी,,,,(सूरज से बात करते हुए भी उसकी नजर बार-बार उसके पर जाने की तरफ चली जा रही थी और उसकी नजर को देखकर सूरज के तन बदन में अजीब सी लहर उठ रही थी उसे भी कुछ-कुछ होने लगा था और अपने मन में सोच रहा था कि जिस तरह से इसकी मां उसे चोदने के लिए मिल गई काश उसकी बेटी भी मिल जाती तो मजा आ जाता,,,, उसकी बात सुनकर सूरज एकदम से बोला,,,)
लेकिन तुम यहां सुनसान बगीचे में क्या करने आई थी,,,,?( ऐसा कहते हुए वह आम के बड़े से पेड़ के पास जाने लगा,,,,। पीछे पीछे नीलू भी उसी और जाने लगी,,, वह पूरी तरह से सूरज के लंड के आकर्षण में बंध हो चुकी थी ,, उसकी आंखों के सामने बार-बार सूरज का खड़ा लंड आ जा रहा था,,, और वह अपने मन में सोच रही थी कि कैसे सूरज अपने हाथ में पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिला हिला कर पेशाब कर रहा था,,,, यह सब सो कर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी बुर में हलचल होती हुई महसूस हो रही थी और वह इस हल-चल से मदहोश हुए जा रही थी,,, सूरज की बात सुनकर वह जैसे एकदम से याद आया हो वह बोली,,,)
Suraj ki ma ki haseen boor
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अरे हां तुम्हारा देखने के ,,,,मेरा मतलब है कि तुम्हें देखने के चक्कर में मैं तो भूल ही गई कि मैं बगीचे में क्या करने आई थी,,,,(नीलू के मुंह से उसके मन की सच्चाई एकदम से बाहर आ गई थी जिसे सुनकर सूरज के लंड में भी हलचल होने लगी थी वह समझ गया था कि नीलू उसके लंड को ही देख रही थी और उसे ही देखना ही चाहती थी,,,, इस ख्याल से सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी और दोनों चलते हुए बड़े से आम के पेड़ के नीचे आ गए और सूरज फिर से बोला,,)
हां मैं भी तो यही पूछ रहा हूं इस सुनसान बगीचे में तुम करने के आई थी,,,।
करने कीआई थी,,, अरे मैं आम तोड़ने के लिए आई थी आज मुझे आम की चटनी खानी थी लेकिन घर पर कच्चा आम है ही नहीं इसलिए घर पर बिना बताए नहीं दौड़ी दौड़ी बगीचे में आ गई लेकिन आम तोड़ने के बारे में सोच ही रही थी कि मुझे तुम दिखाई दे दिए,,,,।
और तुम मुझे पेशाब करता हुआ देखकर सब कुछ भूल गई,,,
हां ऐसा ही हुआ है लेकिन अब तुम मुझे आम तोड़ कर दोगे वरना में पिताजी को बता दूंगी की तुम तालाब में पेशाब कर रहे थे,,,।
(नीलू की बात सुनकर पहले तो सूरज थोड़ा घबराया और फिर मुस्कुराने लगा और मुस्कुराते हुए नीलू से बोला)
अच्छा तो तुम अपने पिताजी से बताओगी कि मैं तालाब में पेशाब कर रहा था और तुम्हारे पिताजी यह नहीं पूछेंगे कि तुम दोपहर में सुनसान बगीचे में अकेले क्या करने गई थी मुझे पेशाब करते हुए देखने गई थी क्या,,,,? और जब यह पूछेंगे तब तुम क्या जवाब दोगी तुम खुद बदनाम हो जाओगी कि तुम इतनी दोपहर में अकेले बगीचे में करने क्या गई थी,,,।
(सूरज की बात सुनते ही नीलू के चेहरे की हवाइयां उड़ने लगी वह सच में पड़ गई और उसे सब कुछ समझ में आने लगा कि वाकई में अगर वह अपने पिताजी से यह रहेगी कि सूरज तालाब में पेशाब कर रहा था तो वह यही सोचेंगे कि वह सूरज को पेशाब करते हुए क्यों देख रही थी तब सवालों की उंगलियां उसकी तरफ ही उठेंगी,,,, क्योंकि वह एक लड़की है और वह भी पूरी तरह से जवान और ऐसे ही में किसी जवान लड़की को पेशाब करते हुए जवान लड़के क्या किसी को भी पेशाब करते हुए देखना एक अच्छे खानदान की लड़की या किसी भी संस्कारी लड़की की निशानी बिल्कुल भी नहीं है इसलिए वह एकदम से खामोश हो गई उसकी ख़ामोशी को देखकर सूरज मुस्कुराते हुए बोला,,,,)
चिंता मत करो मैं ऐसा कुछ भी नहीं कहूंगा और ना तुम कहोगी,,,(सूरज नीलू को ऊपर से नीचे की तरफ देखते हुए बोला आज भी वह फ्रॉक पहन कर आई थी,,, जो उसके घुटने तक आ रहा था,,,,)
ठीक है मैं इस बारे में पिताजी को कुछ नहीं कहूंगी,,, लेकिन आम,,, मुझे तो आम चाहिए था और पत्थर मारने पर टूट नहीं रहा है,,,।
तो तुम्हें आम चाहिए,,,(पेड़ की तरफ देखते हुए बोला जिस पेड़ की तरफ देख रहा था उसे पेड़ पर बहुत सारे आम लगे हुए थे और उस पर बड़े आराम से चढ़ा जा सकता था,,, उसे पेड़ को देखकर सूरज के मन में शरारत सुझने लगी,,,)
आम तो तुम्हें मिल जाएगा,,, जितना चाहो उतना लेकिन तुम्हें पेड़ पर चढ़ना होगा,,,(नीलू की तरफ देखते हुए बोला तो नीलु एकदम से हैरान हो गई और उसे हैरान होता हुआ देखकर सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) इसमें कोई डरने वाली बात नहीं है मैं चढ़कर आम तोड़ देता लेकिन मेरे पैरों में थोड़ी तकलीफ में चढ़ नहीं पाऊंगा और अगर चढ़ा तो पेड़ पर से कब गिर जाऊंगा पता भी नहीं चलेगा लेकिन तुम चिंता मत करना मैं तुम्हें पेड़ पर आराम से चढ़ा दूंगा,,,,।
Suraj ki ma apni ungli se pyas bujhati huyi
मैं गिरूंगी तो नहीं,,,,(नीलू शंका जताते हुए बोली,, और नीलू की बात सुनते ही सूरज पर यकीन हो गया कि यह पेड़ पर जरूर चढ़ेगा सूरज के मन में कुछ और चल रहा था इसलिए वह दिलों को एक ऐसे पेड़ के अलग लेकर आया जहां पर आराम से चला जा सकता था और उसके फल भी बहुत नीचे नीचे लगे हुए थे जहां पर चढ़कर वह आराम आम तोड़ सकती थी,,, उत्तेजना के मारे अभी भी उसके पजामे में तंबू बना हुआ था जिस पर रह रहकर नीलू की नजर चली जा रही थी,,,)
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है सूरज और नीलू एक दूसरे के साथ शरारत कर दोनो उत्तेजित हो रहे हैं सूरज नीलू को पूरी तरफ उत्तेजित कर उसे चोदना चाहता है ताकि उसे कोई परेशानी ना हो सूरज के लन्ड के रगड़ से नीलू पूरी तरह उत्तेजित हो कर झड़ जाती हैं बेचारे सूरज का तो klpd हो गया देखते हैं अब क्या होता हैसूरज के तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी,,। आम के बगीचे में दोपहर के एकांत में मुखिया की बेटी को देखकर उसके तन-बड़े उत्तेजना की लहर रोकने लगी थी क्योंकि जिस अवस्था में मुखिया की बेटी उसे देख रही थी इसका एहसास सूरज के तन बदन में आग लगा रहा था सूरज इतना तो समझ गया था,,, कि चोरी छुपी मुखिया की बेटी छोटी वाली नीलू उसके लंड को ही देख रही थी,,, लंड को देखकर एक औरत के मन में कैसी हलचल होती है इस बात को सूरत समझने लगा था और सोच करते समय उसकी मां के साथ-साथ दोनों औरतें भी लंड की लंबाई और मोटाई और मर्दाना ताकत पर ही बहस कर रही थी इसलिए सूरज को इस बात का एहसास था की औरतों को क्या पसंद है,,,,,और इसीलिए नीलू भी अभी तक पजामे में बने तंबू पर उसकी नजर चली जा रही थी,,, यह सब सूरज को उत्तेजित किया जा रहा था इसलिए उसके मन में एक युक्ति सोच रही थी जिससे वह अपना उल्लू सीधा करना चाहता था। ,,।
देखो नीलू वैसे तो मैं खुद पेड़ पर चढ़कर आम तोड़कर तुम्हें दे सकता था लेकिन मेरे पैरों में तकलीफ है इसलिए मुझसे चढ़ा नहीं जा रहा है,,, लेकिन तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो तुम बड़े आराम से पेड़ पर चढ़ जाओगी,,,।
देखो वैसे तो मैं पहले भी चढ़ चुकी हूं लेकिन थोड़ा डर लगता है,,,,(तिरछी नजर करके सूरज के पजामे की तरफ देखते हुए बोली,,,)
डर कैसा मैं हूं ना मेरे होते हुए तुम्हें बिल्कुल भी चोट नहीं लगेगी और ना हीं मैं तुम्हें गिरने दूंगा,,, बस तुम इधर आ जाओ,,,,(एक अच्छी खासी पेड़ के करीब जाकर नीलू को अपने पास बुलाते हुए बोला,,,, नीलू भी धीरे-धीरे उसके करीब पहुंच गई,,, उसके मन में भी अजीब सी हलचल मची हुई थी क्योंकि बार-बार उसकी नजर सूरज के पजामे की तरफ चली जा रही थी,,, कुछ देर पहले ही वह सूरज को पेशाब करते हुए देखी थी उसके मोटे तगड़े लंड को अपनी आंखों से देखी थी,,, और उसके लिए यह पहला मौका था जब वह किसी जवां मर्द के मोटे तगड़े खड़े लंड को देख रही थी,,, उसे समय नीलू की हालत बेहद नाजुक हो चली थी,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,, अगर उसे समय उसके पैर के ऊपर से चूहा गुजरा ना होता तो शायद वह अपनी उंगली को अपनी बुर में डाल दी होती,,, क्योंकि सूरज के मोटे तगड़े लंड को और उसमें से निकलते हुए पेशाब की धार को देखकर अपने आप ही उसकी हथेली उसकी बुर पर पहुंच चुकी थी,,,।)
देखो मैं तुम पर भरोसा करके तुम्हारी बात मान रही है अगर तुम्हारी जगह कोई और हो जाए तो शायद मैं नहीं मानती कि मुझे लगता है कि तुम मुझे गिरने नहीं दोगे,,,।
तुम्हारी यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी मुझ पर भरोसा जताने के लिए मैं तुम्हारा एहसान मंद हुं,,,, चलो अब जल्दी से आ जाओ,,,,।
(सूरज जल्दबाजी दिख रहा था क्योंकि उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था और बार-बार नीलू के नीचे उसके खड़े लंड पर जा रहे थे इस बात का एहसास तो नीलू को भी था कि सूरज उसे सहारा देने के लिए उसकी कमर पर उसके बदन पर जरूर अपना हाथ लगाएगा और ऐसे हालात में उसके लंड का स्पर्श जरूर उसके पिछवाड़े पर होगा और उसे स्पर्श के एहसास के लिए नीलू अंदर ही अंदर उतावली हो रही थी,,,। जिस तरह से सूरज को बड़ी जल्दी से उस तरह से नीलू को भी बहुत जल्दी थी,,, इसलिए सूरज की बात मानते हुए वह ठीक उसके आगे आकर खड़ी हो गई सूरज उसके पीछे खड़ा था और उसके आगे एक मोटा सा पेड़ था जिस पर चढ़ना बेहद आसान था और इसीलिए सूरज ने इस तरह का पेड़ पसंद किया था,,,,)
देखना जल्दबाजी मत दिखाना,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज सीधे-सीधे उसकी कमर पर अपने दोनों हाथों पर रख दिया,,,, सूरज की दोनों हथेलियां नीलू के मखमली कमर पर थी ,,, सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर रोकने लगी और यही एहसास नीलू को भी हो रहा था नीलू एकदम से उसे ऐसा लगने लगा कि जैसे उसकी सांस अटक जाएगी क्योंकि पहली बार किसी उम्र दे का हाथ उसकी कमर पर पड़ रहा था और वह भी दोनों हाथों से उसकी कमर को दबोचा हुआ था,,,
नीलू पूरी तरह से जवान थी उसके अंगो में उभार आ चुका था,,, उसके नितंबों का उभार फ्रॉक में जानलेवा नजर आ रहा था और उसके संतरे खरबूजा बनने के लिए तैयार थे,,,, सूरज दोनों हाथों से उसकी कमर थाम कर कुछ देर तक इस अवस्था में खड़ा रहा उसकी कमर थाने वह अपने पजामे की तरफ देख रहा था जिसमें अच्छा खासा तंबू बना हुआ था अगर वह हल्का सा अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ता तो उसका तंबू सीधे-सीधे नीलू के नितंबों पर रगड़ खा जाता,,,। सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि अपनी कमर को आगे करके तंबू को उसके नितंबों से सटा दे,,, क्योंकि उसे इस बात का डर था कि नीलू कहीं यह सब अपनी मां को या अपने पिताजी को ना बता दे क्योंकि वह अच्छी तरह से अभी नीलू को जानता नहीं था पहली मुलाकात में ही वह नीलु के बेश कीमती खजाने को वह देख चुका था,,,, और वह उसका पहला मौका था जब वह किसी खूबसूरत लड़की की बुर को अपनी आंखों से देखा था,,,,।
जाए तरफ सुबह के मन में घबराहट थी वहीं दूसरी तरफ नीलू जल्द से जल्द अपने नितंबों को सूरज के लंड पर सटाना चाहती थी,,,वह इस अद्भुत एहसास से गुजरना चाहती थी,,, वह सूरज के इंतजार में थी लेकिन सूरज कुछ कर नहीं रहा था बस उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़े हुए था,,, तभी गहरी सांस लेते हुए सूरज उसे पेड़ के ऊपर चढ़ाने की कोशिश करने लगा,,, नीलू के लिए पेड़ पर चढ़ना कोई बड़ी बात नहीं थी वह कई बार आम के पेड़ पर अमरूद के पेड़ पर जामुन के पेड़ पर चढ़कर उन फलों का मजा ले चुकी थी लेकिन जिस तरह से सूरज के मन में शरारत सुझ रही थी उसी तरह से नीलू के मन में भी शरारत सुझ रही थी,,,,,, जैसे ही सूरज ने उसकी कमर को मजबूती से पकड़ कर उसे ऊपर उठने की कोशिश किया वैसे ही नीलू भी अपने एक पर को ऊपर की तरफ उठाकर पेड़ पर रखकर ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगी लेकिन वह जानबूझकर नाकाम होते हुए,, दर्शाने लगी कि उसका पैर फिसल गया है और वह पीछे की तरफ आ गई और उसकी इससे हरकत की वजह से सूरज पूरी तरह से उसे संभालने के चक्कर में उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसका मोटा तगड़ा तंबू सीधे-सीधे नीलू के नितंबों में रगड़ खाने लगा,,,,।
जहां नीलू के नाकाम होने पर सूरज की सांसों पर नीचे हो गई थी वहीं दूसरी तरफ पहली मर्तबा किसी मर्दाना अंग को नीलू अपने नितंबों पर उसे रगड़ खाता व महसूस कर रही थी भले ही वह पजामे के अंदर था लेकिन बेहद नुकीला उसे महसूस हो रहा था जो कि उसकी गांड की दरार के बीचों बीच घुस चला जा रहा था,,,,, एक खूबसूरत जवान लड़की को अपनी बाहों में पाकर और अपने लंड को उसकी गांड में घुसता हुआ महसूस करके सूरज पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और यही हालत नीलू के भी थे नीलू की सांसें भारी हो चली थी,,, उसे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें आम का विचार तो उसके दिमाग से फूर्ररर हो चुका था,,, अब तो उसके बदन में पूरी तरह से जवानी चिकोटी काटने लगी थी,,,।
सूरज और नीलू दोनों पूरी तरह से जवान थे सूरज एक बार नहीं कई बार नीलू की मां की जवानी का स्वाद चख चुका था,,, उसकी बुर में अपना लंड डाल चुका था और वह जानता था कि नीलू की मां बेहद खूबसूरत और जवान जिस्म की मालकिन थी लेकिन इस बात से वह और ज्यादा उत्साहित था कि जब मां इतना मजा देती है तो बेटी कितना मजा देती होगी और यही एहसास उसके तन बदन में नशा घोल रहा था वह पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था,,, सूरज अभी तक अपने हाथों में किसी भी प्रकार की हरकत नहीं लाया था वह बस आपसे अपनी बाहों में लिया हुआ खड़ा था और नीलू भी एकदम शांत हो चुकी थी मानो की जंगली बिल्ली एकदम से काबू में आ गई हो,,,।
सूरज की भी सांस ऊपर नीचे हो रही थी कुछ देर तक सूरज इस अवस्था में खड़ा रहा और नीलू की हरकतों का ज्यादा देता रहा नीलु के हाव-भाव को परखता रहा,,, और कुछ भी देर में उसे एहसास हो गया कि नीलू भी उसकी मां से काम नहीं थी,,, क्योंकि सूरज तो एकदम मूर्ति बनकर खड़ा था वह अपने बदन में किसी भी प्रकार की हरकत नहीं कर रहा था,,, लेकिन उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि नीरू के बदन में हरकत हो रही थी खास करके उसकी कमर के नीचे वाले भाग में कुछ ज्यादा ही हरकत हो रही थी और उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि नीलू अपने नितंबों को उसकी तरफ ठेल रही थी,,, नीलू की इस हरकत से सूरज के जवानी का पारा एकदम से उबाल मारने लगा,,,, पजामे में होने के बावजूद भी सूरज का मोटा तगड़ा लंड पूरे जोश और ताकत के साथ नीलू के फ्रॉक सहित उसकी गांड की दरार में घुसता चला जा रहा था और देखते ही देखते नीलु को अपनी बुर के मुहाने पर सूरज का लंड दस्तक देता हुआ महसूस होने लगा एकदम मदहोश होने लगी मत होने लगी उसकी आंखें बंद होने लगी,,,,।
नीलू के हाव भाव को देखकर सूरज समझ गया था कि बात बन गई है इसकी मां के साथ-साथ यह भी उसके काबू में आ चुकी है लेकिन न जाने क्यों सूरज अपने आप को संभाले हुए था वह नीलू को पूरी तरह से विश्वास में ले लेना चाहता था ताकि बाद में किसी भी प्रकार की दिक्कत ना आए इसलिए वह ना चाहते हुए भी अपने आप को संभालते हुए मदहोशी भरे स्वर में बोला,,,।
नीलु,,, पेड़ पर आराम से पैर रखो,,, तुम जल्द बाजी दिखा देती हो,,,,।
(सूरज की बातों को सुनते ही नीलु एकदम से अपनी आंखों को खोल दी जो मदहोशी में बंद हो चुके थे उसका मन तो बिल्कुल भी नहीं कर रहा था लेकिन,,, वह फिर से सूरज के कहने पर प्रयास करने लगी लेकिन वह जानती थी कि उसका यह प्रयास भी असफल हो जाएगा क्योंकि वह पेड़ पर चढ़ना चाहती ही नहीं थी वह तो सूरज के लंड की सवारी करना चाहती थी वह सूरज के लंड पर चढ़ना चाहती थी,,, सूरज की बात सुनकर वह बिल्कुल भी जवाब नहीं दी लेकिन अपने आप को तैयार करने लगी पेड़ पर चढ़ने के लिए और फिर से सूरज अपने हथेलियां को धीरे-धीरे उसके नितंबों के ऊपर ही हिस्से पर ले आया वह उत्तेजना के मारे नीलू की कमर को बड़ी शख्ती से पकड़ा हुआ था और नीलू की गांड की तरफ देख रहा था जो कि समय कुछ और ज्यादा उभरी हुई नजर आ रही थी उसे देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था और जी भरकर उसके नितंबों के उभार को देखने के बाद सूरज फिर से पेड़ पर चढ़ने में उसकी मदद करने लगा,,,,।)
आराम से धीरे-धीरे,,,,(और इस बार नीलू भी दो कदम पेड़ पर चढ़ चुकी थी लेकिन वह दो कदम भी पेड़ पर जानबूझकर चढ़ी थी क्योंकि दो कदम ऊपर चढ़ने पर वह जानती थी कि उसकी फ्रॉक के अंदर वाला भाग सूरज को नजर आने लगेगा और ऐसा ही हो रहा था सूरज नीलू के फ्रॉक में झांक रहा था,,, नीलू की गांड की दरार सूरज को एकदम साफ नजर आ रही थी एकदम गोरी गोरी जिसे देखकर सूरज के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था सूरज को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लेकिन एक बार फिर से अपनी उत्तेजना के बस होकर वह अपने दोनों हाथों को उसके नितंबों की गोलाइ पर रख दिया और उसे ऐसा करने में इतना अद्भुत आनंद की प्राप्ति हुई कि पूछो मत,,,, नीलू एकदम मस्त हो गई मर्दाना हथेलियां को अपनी नितंबों पर पाकर उसकी बुर गीली हो रही थी,,,, उसकी सांसे और भी भारी होने लगी,,,, सूरज जब उसे ऊपर चढ़ाने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं कर रहा था,,, बल्कि उसकी गांड को अपनी हथेली में लेकर दबा रहा था जिसका एहसास नीलू को भी हो रहा था और वह मस्त हुए जा रही थी,,,।
नीलू पेड़ की टहनी को पकड़ कर अपने आप को संभाले हुए थी,,, और सूरज की हरकत का आनंद ले रही थी लेकिन वह इससे और भी ज्यादा मजा लेने की इच्छुक थी,,, इसलिए उसके मन में एक युक्ति सूची और वह गिरने का बहाना करते हुए बोली,,,,।
अरे अरे,,,, सूरज संभालो मेरा पैर फिसल रहा है,,,,(और ऐसा कहते हुए वह नीचे की तरफ आने लगी उसके पैर पेड़ पर फिसलने लगे जो कि वह जानबूझकर कर रही थी,,, सूरज भी उसे संभालने लगा लेकिन संभालने में वह उसके नितंबों पर से अपने हाथ को हटा नहीं पाया उसकी नंगी गांड को अपनी हथेली में पाकर वह पूरी तरह से गर्म हो चुका था,, और उसे गिरने से बचने के लिए वह अपनी हथेली को उसके फ्रॉक में से बाहर नहीं निकल पाया और इस अवस्था में उसकी हथेली धीरे-धीरे फिसलते हुए उसके नितंबों से होकर वापस उसकी कमर के ऊपरी हिस्से तक पहुंच गई और नीलू एकदम से जमीन पर आकर उसके बदन से सट गई,,,
एक बार फिर से हालात गर्म होने लगे थे दोनों के बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी एक बार फिर से नीलू अपनी गांड पर सूरज के लंड को रगड़ हुआ महसूस कर रही थी लेकिन इस बार उसे अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसका फ्रॉक ऊपर की तरफ उठ गया था,,, और इस बार उसे सूरज का लंड बहुत ही अच्छे तरीके से अपनी नंगी गांड पर रगड़ता हुआ महसूस हो रहा था,,,,
नीलू पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी जिंदगी में पहली बार उसे इतना आनंद प्राप्त हो रहा था हालांकि वह कई बार अपनी बहन के साथ उसके अंगों से खेल कर आनंद ले चुकी थी लेकिन इस बार वह मर्दाना हाथों में थी इसलिए उसका आनंद और ज्यादा बढ़ता चला जा रहा था,,, सूरज का मन अति प्रसन्न नजर आ रहा था क्योंकि वह समझ गया था की मां के साथ-साथ बेटी भी उसके हाथ लग चुकी है और इस बार तो उसका हाथ उसके नंगे बदन पर था फ्रॉक के अंदर से वह धीरे-धीरे अपनी हथेलियां को ऊपर की तरफ ले जाता हुआ उसे अपनी बाहों में लेटा हुआ उसके दोनों संतरों पर अपने हाथ को रख दिया था और जैसे ही सूरज ने अपनी हथेली को उसके संतरों पर रखा था वैसे ही नीलु के बदन में अजीब सी ऐंठन होने लगी थी,,, नीलू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन उसे इतना समझ में आ रहा था कि उसकी बुर से मदन रस का बहाव हो रहा था और वह भी अत्यधिक मात्रा में जो कि उसका मदन दास उसकी दूर से निकालकर उसकी जांघों से नीचे की तरफ जा रहा था,,,,,।
सूरज नीलू के बेस कीमती खजाने को दोनों हाथों में लेकर हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया और अपने होठों को उसके गर्दन पर रखकर चुंबन करने लगा नीलू सूरज की सरकार से पूरी तरह से मदहोश और भाव भी बोर हो गई वह और भी ज्यादा अपने नितंबों को सूरज के लंड पर दबाना शुरू कर दी,,, सूरज पागल हुआ जा रहा था नीलू की हरकत उसे दीवाना बना रही थी उसे मदहोश कर रही थी,,,,, सूरज उसके दोनों संतरों से जी भर कर खेल रहा था धीरे-धीरे करके वह उसके संतरों को जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया जिसके चलते नीलू के मुंह से हल्की-हल्की सिसकारी की आवाज निकलने लगी,,,,,, रह रहकर सूरज अपनी कमर को आगे की तरफ खेल दे रहा था और ऐसा करने से पहले जाने में कैद उसका लंड किसी भले की तरह उसके नितंबों की दरार में घुसता चला जा रहा था और यह एहसास नीलू को पागल बना रहा था,,,,।
दोपहर के समय आम के बगीचे में नीलू और सूरज पूरी तरह से मदहोश हुए जा रहे थे सूरज इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि इस समय बगीचे में कोई आने वाला नहीं था और यह बगीचा भी पूरी तरह से आम के पेड़ों से घिरा हुआ था,, और वह दोनों एक बड़े से पेड़ के पीछे थे नीलू अपने हाथ को पेड़ से टिकाई हुई थी और अपने नितंबों में हरकत कर रही थी और सूरज उसकी फ्रॉक में हाथ डालकर उसके संतरों को जोर-जोर से दबा रहा था,,, सूरज कितने बदले में अत्यधिक उत्तेजना का संचार हो रहा था खासकर के उसके लंड में उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कहीं उसके लंड की नशे फट ना जाए,,,।
अब सूरज से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,, सूरज समझ गया था कि नीलू पूरी तरह से उसके बस में हो चुकी है इसलिए वह धीरे से एक हाथ उसके फ्रॉक में से बाहर निकाला और अपने पजामी को नीचे खींच दिया और अपने लंड को बाहर निकाल दिया और अपने खड़े नंगे लंड को उसकी गांड की दरार में रगड़ना शुरू कर दिया इस बार नीलू का बदन एकदम से झटका खाने लगा वह मदहोश होने लगी वह समझ गई थी कि सूरज अपने नंगे लंड को उसकी गांड पर रगड़ रहा है,,, यह एहसास उसे पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डुबोए जा रहा था,,, वह मदहोश हो चुकी थी अपनी आंखों को बंद कर चुकी थी,,, वह इस एहसास में पूरी तरह डुब जाना चाहती थी अपनी अस्तित्व को पूरी तरह से डूबा देना चाहती थी,,, इसीलिए तो वह सूरज की बाहों में मचल रही थी,,,।
सूरज की उत्तेजना और जोश दोनों बढ़ता चला जा रहा था सूरज अपने हाथ में अपना लंड पकड़ कर उसकी गांड की दरार में ऊपर से नीचे तक रगड़ रहा था ऐसा करने में उसे भी आनंद मिल रहा था और वह नीलू को भी मस्त कर रहा था,,,, नीलू की तो सांस अटक रही थी उत्तेजना उसके दिलों दिमाग पर अपना काबू कर बैठा था नीलू की बुर में चीटियां रंग रही थी उसे अपनी बुर में खुजली होती हुई महसूस हो रही थी और तभी सूरज की हथेली उसे अपनी बर पर महसूस हुई और एकदम से हल्कि सी शिसकारी अपने मुंह से छोड़ दी,,, और उसे मदहोश कर देने वाली शिसकारी की आवाज को सुनकर सूरज का शब्द एकदम से टूटा हुआ महसूस होने लगा और वह अपनी हथेली को उसकी बुर पर रगड़ना शुरू कर दिया,,,।
सहहहहह आहहहहहहह ,, ऊममममममममम ,
(सूरज की हरकतों का मजा लेते हुए नीलू के मुंह से बस शिलकारी की आवाज निकल रही थी और वह उत्तेजना के मारे अपने होठों को अपने ही दांतों से चबा रही थी,,,, और देखते ही देखते सूरज अपने लंड को उसकी गांड की दरार में फंसा कर अपनी उंगली को उसकी गुलाबी छेद में डालना शुरू कर दिया और देखते ही देखते नीलू को अपनी बुर में सूरज की उंगली अंदर घुसते हुए महसूस होने लगी और वह पागल होने लगी लेकिन उसे दर्द भी हो रहा था क्योंकि पहली बार किसी मर्दाना उंगली को वह अपनी बुर में महसूस कर रही थी हालांकि वह कई बार रात को अपनी बहन की उंगली को अपनी बुर में लेकर मस्त हो चुकी थी लेकिन यहां पर हालात पूरी तरह से बदल चुके थे,,, क्योंकि ईस समय वह अपनी बहन की बाहों में नहीं बल्कि एक मर्द की भुजाओं में थी,,,,।
सूरज की तो दसों उंगलियों घी में थी वह पूरी तरह से मदहोशी में डूबने लगा था,,, वह जोर-जोर से नीलू की बुर को मसल रहा था रगड़ रहा था उसमें उंगली डाल रहा था नीलू की पूरी इतनी गरम हो चुकी थी कि बार-बार गरम लावा बाहर फेंक रही थी,,,, सूरज अपने लंड को उसकी बुर में डालना चाहता था लेकिन वह चाहता था कि कुछ देर तक नीलू उसके लंड से खेले उसे पकड़े दबाए जैसा कि उसकी मां करती थी,,, और यही सोच कर वहां अपना हाथ आगे बढ़कर नींबू के हाथ को पकड़ लिया और उसे पीछे की तरफ लाकर उसके हथेली में अपने लंड को रख दिया,,,, पहले तो उत्सुकता बस नीलू मदहोशी में सूरज के लंड को अपनी हथेली में कस के दबा ली,,, लेकिन उसकी मोटाई को अपनी हथेली में महसूस करके नीलू अपनी नजर पीछे की तरफ घूमाकर सूरज के लंड को देखने लगी,,, पहली बार अपनी हथेली में लेकर ओर ईतने करीब से मोटे तगड़े लंड को देखकर,,, नीलू एकदम से घबरा गई और वह अपना हाथ एकदम से पीछे खींच ली,,,,।
नीलू की हरकत देखकर उसके चेहरे के उड़े हुए रंग को देखकर सूरज समझ गया था कि नीलू घबरा रही है,,,, इसलिए वह उसे बाहों में कसते हुए,,, उसकी एक टांग को ऊपर की तरफ उठाते हुए बोला,,,।
घबराओ मत नीलु यह तुम्हारे लिए ही तो है,,, (और इतना कहने के साथ ही वह जगह बनाकर पीछे से अपने लंड के सुपाड़े को सीधे नीलु की गुलाबी बुर पर रख दिया,,, लंड का मोटा सुपाड़ा,,, एकदम चौचक नीलू की बुर के छेद पर बैठ चुका था,,, जैसे ही सुपाड़े का स्पर्श नीलू को अपने गुलाबी छेद पर हुआ वह पूरी तरह से उत्तेजना से सरोबोर हो गई और वह अपनी उत्तेजना को बिल्कुल भी संभाल नहीं पाई और वह झड़ने लगी उसकी बुर से मदन रस फुटने लगा,,,, वह एकदम से घबरा गई लेकिन एक अजीब सा आनंद उसके बदन में प्रसर रहा था वह आनंदित होते हुए भी घबरा रही थी और तुरंत सूरज की बाहों से अलग हो गई,,,, और बिना कुछ बोले लगभग वहां से भागते हुए जाने लगी,,,, सूरज उसे रोकने की बहुत कोशिश किया लेकिन वह नहीं रुकी और भाग गई,,,,।
सूरज का मजा किरकिरा हो गया था लेकिन नीलू के जाते-जाते वह बोला कि कल यहीं पर मिलना मैं तुम्हारे लिए आम तोड़ कर रखूंगा,,, सूरज का लंड उत्तेजना से भरा हुआ था इसलिए मजबूरन उसे हाथ से हिला कर उसका पानी निकालना पड़ा,,।
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है सूरज 2 रुपे अपनी मां को देता जैसा वह सोचता है वैसा कुछ भी नही हुआ उसे देखकर उसकी मां ने अपने ब्लाउज के खुले बटन भी बंद कर लिए क्योंकि उसका पता चल गया है कि उसका बेटा जवान हो गया है मां ना सही बेटी की गुलाबी बुर के दर्शन हो गए आज तो सूरज ने दो बार अपने हाथ से अपने आप को शांत कर लियासूरज के अरमान पर ठंडा पानी पड़ गया था मुखिया की छोटी लड़की नीलू उसके हाथ आते-आते निकल गई थी,,, या यू कहलो की नीलू की गुलाबी बुर में सूरज का लंड घुसते घुसते रह गया था क्योंकि सूरज अपने लंड के सुपाड़े को नीलु की मक्खन जैसी चिकनी बुर पर रख चुका था,,, लेकिन नीलू घबरा गई थी क्योंकि नीलू के लिए यह सब बिल्कुल नया था,,,, और पूरी तरह से जवान हो चुकी नीलू अपनी बर पर एक मर्द के मोटे तगड़े गरम लंड की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाई थी,,, इससे पहले की सूरज अपने लंड को उसकी बुर में डालता उत्तेजना और मदहोशी में नीलू का स्खलन हो चुका था,,, वह झड़ चुकी थी और घबराहट मैं वह तुरंत सूरज की खेत से आजाद होकर भाग गई थी सूरज उसे देखा ही रह गया था लेकिन वह फिर से आम के बगीचे में उसका इंतजार करेगा ऐसा कहकर उसे फिर से आमंत्रण दे दिया था,,,।
सूरज को अपनी जवानी की गर्मी अपने हाथ से ही शांत करना पड़ा कुछ देर पहले ही वह नीलू की मां की चुदाई करके आया था और थोड़ी देर में उसकी बेटी भी उसके हाथ लग गई थी लेकिन सफल नहीं हो पाया था लेकिन सूरज को पूरा विश्वास था कि बहुत ही जल्द नीलु उसके नीचे आने वाली है,,,,,, क्योंकि नीलू के अंदर उसने धधकती हुई जवानी को महसूस कर लिया था उसे पता चल गया था की मां बेटी में बिल्कुल भी फर्क नहीं है बस बेटी थोड़ी सी घबराई हुई है,,,,। क्योंकि उसकी पहली बार,,, पहली बार में नीलू का घबराना लाजमी था क्योंकि उसकी हरकतों को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी पहली बार ही था और यह हकीकत भी था पहली बार में किसी मर्द के संसर्ग में आई थी,,, पहली बार किसी जवान लड़के की हाथ उसके कश्मीरी सेव तक पहुंचे थे पहली बार नीलू अपनी चूचियों को दबवाने का सुख प्राप्त की थी,,, पहली बार बार किसी मोटे तगड़े लंड के दर्शन की थी,,, पहली बार किसी लंड को अपने हाथ में ली थी उसे पकड़ी थी ,,दबाई थी उसकी गर्मी को अपनी हथेली में महसूस की थी,,, और पहली बार,, किसी लंड को बात की बुर पर महसूस की थी,, और यही वहां पल था जिसमें वह पूरी तरह से मदहोश हो गई पागल हो गई दीवानगी की हद पार कर गई और उसे अपनी ही जवानी पर बिल्कुल भी काबू न रहा और उसकी बुर से मदन रस का फवारा फूट पड़ा,,, जीवन का पहला झड़न का अनुभव उसे पूरी तरह से रोमांचित कर गया,,,और वह भी लंड को बुर में लिए बिना,,,बस केवल सुपाड़े का स्पर्श मात्र हुआ था,,,।
खैर इसके बावजूद भी सूरज ना उम्मीद नहीं हुआ था,, उसे पूरा विश्वास था कि नीलू इस बगीचे में एक बार फिर आएगी,,,, ईसी विश्वास के साथ वह कुछ देर तक और बगीचे में इधर-उधर घूमता रहा,,, और जैसे ही शाम ढलने लगी सूरज अपने घर की तरफ चल दिया वह जानबूझकर समय व्यतीत कर रहा था क्योंकि उसके हाथ में मुखिया की बीवी का दिया हुआ 2 रुपया था,,,, वह अपनी मां को यह जताना चाहता था कि वह मेहनत करके 2 रुपया पाया है,, अगर वह जल्दी अपनी मां के पास पैसे लेकर पहुंच जाता तो उसकी मां भी संदेह करती कि आखिरकार मुखिया की बीवी बिना काम किए उसके बेटे को पैसे क्यों थमा दी ,,,,।
जब वह घर पर पहुंचा तो शाम ढल चुकी थी अंधेरा धीरे-धीरे अपना साम्राज्य फैला रहा था गांव में प्रवेश करते ही घास फूस की झोपड़ी मै से लोगों के घरों में से चोला जलने की वजह से धुंआ और धुंए के साथ साथ भोजन की खुशबू भी आ रही थी,,,। और भोजन की खुशबू आते ही सूरज की भूख बढ़ने लगी थी क्योंकि वह पूरा दिन बीत गया था कुछ खाया नहीं था घर से सिर्फ खा कर निकला था उसके बाद उसे खाने को कुछ मिला नहीं था,,, घर में जब वह प्रवेश किया तो,,, रसोई घर में से बर्तन की आवाज आ रही थी सूरज समझ गया कि उसकी मां रसोई घर में है,,,, और यह एहसास होते ही उसकी आंखों के सामने रसोई घर वाला दृश्य उभरने लगा जब वह अपनी मां के सामने बैठकर उसके रूप यौवन को निहार रहा था पसीने की बूंदों को वह बेहद कुछ नसीब समझता था जो वह उसके माथे से होते हुए उसके खूबसूरत गालों को चुनते हुए उसके गर्दन से लुढकते हुए सीधे उसकी चूचियों के बीच की खाडई में जाकर समा जाती थी,,, सूरज को अपनी मां को खाना बनाते हुए देखना बहुत अच्छा लगता है क्योंकि उसे समय चूल्हे में जल रही लकड़ी की गर्मी और वातावरण की गर्मी मिलकर उसकी मां के ब्लाउज को पसीने से तर बतर कर देती थी और पसीने में भीगने के बाद उसकी मां के ब्लाउज में से उसकी चूची की नुकीली निप्पल ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने को आतुर दिखाई देती थी जिसे देखकर सूरज का लंड अपनी औकात में आ जाता था,,,।
सूरज के मन में फिर से वही फिर से देखने को कर रहा था उसका मन उत्साहित हो रहा था क्योंकि उसके हाथ में2 रुपए थे,,, और वह जानता था कि उसकी मां पैसे देख कर बहुत खुश हो जाती है क्योंकि इसका अनुभव से हो चुका था जब वह अपनी मां के हाथ में अपनी पहली कमाई कमाया था और उसकी मां खुश होकर उसे अपने सीने से लगा ली थी उसे समय सूरज एकदम से अपनी मां के बदन से सट गया था और उसे अपनी बाहों में भर लिया था अपनी मां की गुदाज चूचियों को अपनी छाती पर महसूस करके वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,, और उसका लंड अपनी औकात में आकर सीखे साड़ी के ऊपर से ही उसकी मां की बुर पर दस्तक देने लगा था जिसका एहसास सुगंधा को भी हुआ था और वह एकदम पानी पानी हो गई थी,,, कुछ ऐसा ही एहसास सूरज इस समय अपनी मां से चाहता था,,,।
सिधा वह रसोई घर में अपनी मां के पास पहुंच गया
,,, सूरज को एकाएक रसोई घर में आता देखकर अपने एकदम करीब महसूस करके सुगंधा एकदम से घबरा गई थी,,, क्योंकि गर्मी की वजह से और अपने बेटे की गैर मौजूदगी में वह अपनी साड़ी के पल्लू को अपने कंधे से नीचे गिरा दी थी और अपने ब्लाउज के ऊपर के तीन बटन को खोल दी थी क्योंकि उसे अपनी चुचियों में कुछ ज्यादा ही गर्मी महसूस हो रही थी लेकिन अपने बेटे को अपने करीब देखकर वह एकदम से हड़बड़ा गई थी और आनन फानन में अपने बेटे की तरफ देखकर जल्दी-जल्दी अपने ब्लाउज के बटन बंद करने लगी थी,,, और उसके बेटे का ध्यान उसकी चूचियों पर उसके ब्लाउज पर न जाए इसलिए उससे बात करते हुए बोली,,,।
अरे कहां रह गया था सूरज पूरा दिन तेरा पता नहीं था तुझे काम मिला था कि नहीं की यूं ही पूरे गांव में घूमता फिर रहा था अपनी पिताजी की तरह,,,,।
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(ऐसा कहते हुए सुगंधा जल्दी-जल्दी अपने ब्लाउज के तीनों बट्नों को बंद करके अपनी जवानी को छुपाने की कोशिश करने लगी और साड़ी के पल्लू को एकदम सही कर ली थी सुगंधा भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा जवान हो गया है बड़ा हो गया है और वह उसके नजरिया को खाना बनाते समय देख चुकी थी वह जानती थी कि उसके बेटे की नजर जानबूझकर या अनजाने में उसकी चूचियों पर टिक जाती थी और फिर उसे यह भी एहसास था कि खुशी के मारे जब उसे हुआ गले लगाई थी तो उसके लंड की ठोकर को अपनी बुर पर महसूस की थी और वह शर्म और उत्तेजना के मारे पानी पानी हो गई थी,,,, इसलिए वह अपने बेटे की मौजूदगी में ऐसी कोई भी हरकत नहीं करना चाहती थी जिसे देखकर उसका बेटा उतेजीत हो,,,,।
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अपनी मां की हड़बड़ाहट और उसके आते ही उसकी मां का ब्लाउज के बटन को जल्दी-जल्दी बंद करना इसकेमतलब को सूरज अच्छी तरह से समझ रहा था,,,, सूरज को एहसास होने लगा था क्या उसकी मां उसके नजरिए को पहचानने लगी है,,, उसकी मां समझने लगी है कि उसका बेटा उसके बाद उनके कौन से हिस्से को झांकता है क्या सोचता है क्या देखता है,,, और इन सब के बारे में सोच कर सूरज अपने मन में यही सोच रहा था की,,,वह अपनी मां को देखकर जिस तरह की उत्तेजना अपने बदन में महसूस कर रहा है क्या यह सही है या गलत,,,, सूरज परेशान हो रहा था वह जानता था कि अगर वह ऐसा ना करना चाहे तो भी अपनी मां को देखकर उसके मन में कामागनि भड़क उठती थी,,,, ऐसा पहले होता नहीं था लेकिन जब से वह औरतों को समझने लगा है,,, उनके नंगे बदन को देख चुका है तब से उसके मन में औरत के प्रति इसी तरह के ख्याल आते थे,,,, वह कुछ देर तक इसी बारे में सोता हुआ वही अपने मां के सामने खड़ा रह गया और सुगंधा अपने बेटे के मुंह से जवाब ना सुनकर और उसे इस तरह से खड़ा देखकर थोड़ा घबराने लगी कहीं उसका बेटा फिर से उसकी छातियों की तो नहीं देख रहा है क्या उसकी छातियां खुली रह गई है,,, और ईसी की तसल्ली के लिए वह अपने छाती की तरफ नजर नीचे करके देखी तो सब कुछ व्यवस्थित था,,, इसलिए वह सूरज की तरफ देखे बिना ही बोली,,,)
क्या हुआ जवाब क्यों नहीं देना है तो दिन भर गांव में घूम रहा था ना,,,।
नहीं मां मैं तो काम कररहा था,,,, यह देखो पैसे भी मिले हैं,,,,(ऐसा कहते हुए हम अपना हाथ आगे बढ़कर अपनी बंद मुट्ठी को अपनी मां के सामने खोल दिया,,, पर अपने बेटे की हथेली में पैसे देखकर सुगंधा के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी वह एकदम से खुश हो गई और तुरंत अपना हाथ आगे बढ़कर अपने बेटे की हथेली में से पैसे को ले ली औरबोली,,,)
मैं तो समझी थी कि तू गांव में घूम रहा है मुझे क्या मालूम था कि मेरा बेटा इतना समझदार हो गया है अब मैं आराम से बाजार जा पाऊंगी,,,।
ठीक है मम्मी बाजार चली जाना लेकिन मुझे बड़े जोरों की भूख लगी है,,,।
तु चिंता मत कर मैं अभी खाना बना देता हूं मैं आज तेरे लिए खीर बनाने वाली थी लेकिन यह रानी पता नहीं कहां रह गई उसे दूध लेने के लिए भेजी थी,,,,।
(खीर का नाम सुनते हैं सूरज एकदम खुश हो गया और एकदम उत्साहित होता हुआ बोला)
,,, खीर आज मां खीर बना रही हो,,,,
अरे हां रे,,, आज खीर बना रही हूं लेकिन रानी का तो पता ही नहीं है,,,,,।
दूध लेने कहां भेजी हो,,,,,?
अरे कहीं और नहीं भेजी हूं अपनी गाय का दूध लेने भेजी हूं वह क्या है कि मैं गाय का दूध निकाल कर वही भूल गई हूं उसे लेने के लिए भेजी थी और अभी तक आई नहीं कहीं अपनी सहेली के साथ गपशप तो नहीं लड़ाने लगी,,,।
मां तब तक तुम पुरिया बनाओ मैं दूध लेकर आता हूं और देख कर आऊं रानी कहां गई है,,, !(इतना कहने के साथ ही सूरज घर से बाहर निकल गया और जहां पर गाय बांधी जाती थी वहां पर चल दिया,,,, जोकी घर के बगल ही गाय बकरियां बांधी जाती थी,,, उसे जगह को लड़कियों को जोड़कर घेरा बनाकर उनके रहने का प्रबंध किया गया था और जल्द ही सूरज वहां पर पहुंच गया,,,, रात धीरे-धीरे बढ़ रही थी लेकिन अंधेरी रात नहीं थी इसलिए अभी भी सब कुछ दिखाई दे रहा था,,,, इसलिए बड़े आराम से सूरज अपने घर के बगल वाली जगह पर पहुंच गया था और लकड़ी के दरवाजे की तरफ देखा तो वह दरवाजा खुला हुआ था सूरज समझ गया कि उसकी बहन अंदर ही है और वह उसे आवाज लगाते हुए दरवाजे के अंदर प्रवेश किया ही था कि उसके मुंह से निकली हुई आवाज एकदम से बंद हो गई और वह तुरंत एक झाड़ी के पीछे छुप गया और अपनी बहन को देखने लगा जो की ठीक सामने घनी झाड़ियों के पास खड़ी थी,,,,।
अपनी बहन को झाड़ियों के पास खड़ी देखकर सूरज बिना कुछ बोले दरवाजे के पास की झाड़ियों के पीछे अपने आप को छुपा लिया था,,,,,, क्योंकि वह चीज अवस्था में खड़ी थी उसे अवस्था में सूरज को कुछ-कुछ शक हो रहा था कि उसकी बहन क्या करने जा रही है,,,, क्योंकि अभी तक का अनुभव उसे बड़ा काम आ रहा था उसकी बहन झाड़ियां की तरफ मुंह करके खड़ी हुई और उसकी पीठ सूरज की तरफ उसे नहीं मालूम था कि सूरज भी उसे जगह पर मौजूद है जहां पर वह है,,,, सूरज ने देखा कि दूध का लोटा पास में ही पत्थर पर रखा हुआ था वह समझ गया कि उसकी बहन दूध लेने ही आई थी लेकिन हो सकता है इधर-उधर करके देर हो गया हो तभी सूरज ने देखा कि उसकी बहन के दोनों हाथ ऊपर उठकर उसके आगे की तरफ टिक गए हैं,,,।
इस नजारे को देखकर तो सूरज को शत प्रतिशत विश्वास हो गया कि उसकी बहन क्या करने जा रही है,,, और उसके दिल की धड़कन बड़ी जोरों से चलने लगी,,,, दिन दुनिया से बेखबर होकर उसकी बहन रानी अपने सलवार की डोरी खोल रही थी क्योंकि उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,,, वह तो दुनिया की नजर बचाकर इस जगह पर पेशाब करने के लिए आई थी कि कहीं कोई उसे देखना ले और इसीलिए उसे यह जगह एकदम ठीक लगती थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि उसका ही बड़ा भाई उसे इस अवस्था में देख रहा होगा,,,, रानी बेखबर थी और सूरज जानबूझकर भी अनजान बनने की कोशिश कर रहा था,,,, रानी उसकी बहन थी लेकिन फिर भी वह इस नजारे को अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देना चाहता था,,,।
क्योंकि वह जानता था कि एक खूबसूरत औरत को पेशाब करते हुए देखने में कितना आनंद आता है और इसका आनंद वह पहले भी ले चुका था सोनू की चाची को देखकर और मुखिया की बीवी को देखकर दोनों को पेशाब करते हुए देखने में उसे इतना आनंद आया था कि पूछो मत और यही नजारा देखकर तो उसके जीवन में बदलाव आना शुरू हुआ था उसकी सोच में बदलाव आना शुरू हुआ था जहां वह एक तरफ औरतों से डरता था घबराता था उनसे बात करने से कतराता था वही इस तरह के नजारे को देखकर वह औरतों के बारे में जानने के उत्सुक होने लगा उनके अंगों को देखने के लिए व्याकुल होने लगा,,,।
रानी उसकी छोटी बहन थी लेकिन फिर भी पूरी तरह से जवान हो चुकी थी उसके बदन में योग्य स्थान पर उठाव और भराव आ चुके थे,,, जिसे देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए,,, और इस समय सूरज के साथ भी यही हो रहा था,,,, रानी कोई अवस्था में देखने का सूरज का पहला मौका था पहली बार वह रानी को पेशाब करते हुए देखने जा रहा था,,,, इसलिए उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गई थी उसकी आंखों की प्यास एकदम से उजागर हो गई थी और उसकी दोनों टांगों के बीच का हथियार पूरी तरह से धार लेने लगा था पहली बार अपनी बहन की नंगी गांड को देखने जा रहा था पहली बार आप से पेशाब करते हुए देखने जा रहा था और वह जानता था की पहली बार का नजारा कितना बेहतरीन होता है,,,,।
धीरे-धीरे रानी इस बात पर बेखबर की झाड़ियां के पीछे उसका भाई छुपाकर उसी को देख रहा है वह बेखबर होकर अपने सलवार की डोरी को खोल चुकी थी,,, और सलवार की डोरी को खोलते हैं उसकी सलवार उसकी कमर से एकदम से ढीली पड़ गई जिसमें वह अपने दोनों हाथों की उंगलियों को डालकर उसे पकड़ कर उसे एकदम से नीचे खींच दी और एकदम से उसकी नंगी गांड नजर आने लगी लेकिन तभी उसकी कुर्ती का पीछे वाला पट एकदम से नीचे गिर गया और उसकी नंगी गांड को ढक दिया,,,,, और यह देखकर सूरज के चेहरे पर निराशा के भाव नजर आने लगे लेकिन अगले ही पल रानी अपने भाई के चेहरे पर छाई निराशा को आशा में बदलते हुए,,,अपना हाथ पीछे ले जाकर अपने कुर्ती के पट को पकड़ कर उसे ऊपर की तरफ उठा दी और एक बार फिर से उसकी नंगी गांड चांदनी रात में उजागर हो गई सूरज को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बहन जान पूछ कर उसे अपनी गांड दिखा रही है,,,,।
सूरज की हालत एकदम खराब हो रही थी चांदनी रात में उसे अपनी छोटी बहन रानी एकदम साफ दिखाई दे रही थी और रानी से भी ज्यादा साफ दिखाई दे रही थी उसकी गोरी गोरी गांड,,,गोल गोल गांड जो की धीरे-धीरे जवानी ले रही थी,,,, सूरज गहरी सांस लेने लगा था उसके बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था और उसका लंड अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया था जिसे पजामे के ऊपर से ही सूरज दबा रहा था,,,, सूरज को इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां भी उन दोनों के पीछे-पीछे ना आ जाए इसलिए वह बार-बार घर की तरफ भी देख ले रहा था लेकिन चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था,,,, वह बहुत बेकरार नजर आ रहा था अपनी बहन को पेशाब करते हुए देखने केलिए,,,, लेकिन उसकी बहन थी कि हाथ सलवार पकड़े और दूसरे हाथ में अपनी कुर्ती को पकड़ कर कमर से दबाए हुए वह इधर-उधर देख रही थी,,, सूरज समझ गया था कि उसकी बहन फसल भी कर लेना चाहती थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है इसलिए वह अपने मन में हीबोला,,,।
कोई नहीं देख रहा है रानी जल्दी से बैठ जा पेशाब करने के लिए,,,, और जैसे लग रहा था कि उसके मन की बात उसकी बहन सुन ली हो और तुरंत नीचे बैठ गई पेशाब करने के लिए और अगले ही पल उसकी बुर से पेशाब की तार बड़ी तेजी से निकलने लगी वातावरण में पहले सन्नाटे का फायदा उठाते हुए सूरज को रानी की बुर से निकलने वाली पेशाब की उधर और उसकी सिटी की आवाज एकदम साफ सुनाई देने लगी इस आवाज को सुनकर सूरज पूरी तरह से मदहोश होने लगा पागल होने लगा अपनी बहन की नंगी गांड और उसे पेशाब करते हुए देख कर सूरज के बाद में उत्तेजना का अद्भुत संचार हो रहा था और वह अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था इसलिए तुरंत पजामे को नीचे करके वह अपने लंड को बाहर निकाल लिया था,,,,।
सूरज ऐसा करना नहीं चाहता था लेकिन वह मजबूर हो चुका था,,, औरत की नंगी गांड की खूबी को अच्छी तरह से जानता था जिसके चलते मर्द बेकाबू हो जाते हैं और उनमे सोचने समझने की शक्ति एकदम छीन हो जाती है ,,, और यह एहसास सूरज को भी हो रहा था,,,, सूरज मजबूर हो चुका था पागल हो चुका था मदहोश चुका था एक खूबसूरत लड़की की नंगी गांड जो कि खुद उसकी सगी बहन थी पहली बार उसे पेशाब करते हुए देख रहा था उसकी नंगी गांड को देखकर उसके लंड कि अकड़ एकदम ज्यादा बढ़ चुकी थी,,, वह अपने लंड को हाथ में लेकर मुठीयाना शुरू कर दिया,,,, एक तरफ उसकी बहन जोरो से धार मार रही थी और दूसरी तरफ उसका भाई उसे धार मारता हुआ देख कर मुठ मार रहा था,,,,।
अपनी बहन को पेशाब करता हुआ देखकर मुठ मारने में सूरज को अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,। यह उसके जीवन की पहली घटना थी जब वह अपने ही परिवार की सदस्य को पेशाब करता हुआ देखकर मुठ मार रहा था,,,। यह उसके जीवन की अद्भुत घटना थी इसके बारे में वह कभी सोचा नहीं था बस कभी कबार कल्पना भर करता था लेकिन उसकी कल्पना में भी उसकी बहन नहीं बल्कि उसकी मां होती थी लेकिन आज पहली बार उसकी कल्पना से परी हकीकत में वह अपनी बहन को पेशाब करते हुए देख रहा था बेहद अद्भुत नजारा झाड़ियां के पास बैठकर उसकी बहन जिस तरह से पेशाब कर रही थी इससे नजारे को देखकर वह जिंदगी गुजार सकता था,,,,,।
सोनू की चाची और मुखिया की बीवी की गांड बड़ी-बड़ी थी लेकिन उसकी बहन की गांड गोल-गोल एकदम सीमित आकार की थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई गल छोटा सा मटका हो जिसमें गर्म पानी भी रखते हो तो एकदम ठंडा हो जाए इस तरह से उसकी बहन की जवानी भी थी जो जवानी की गर्मी को शांत कर सकती थी,,, और इसीलिए वह अपनी बहन की मटका जैसी गांड को देखकर जोर-जोर से अपने लंड को हिला कर अपनी जवानी की गर्मी को शांत करने की कोशिश कर रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,, इस समय मुठ मारने में उसे चुदाई जितना आनंद प्राप्त हो रहा था,,,। पहली बार उसे एहसास हो रहा था कि उसकी बहन पूरी तरह से जवान हो चुकी थी उसका अंग अंग जवानी से भरने लगा था,,,, सूरज पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था अच्छा ही हुआ कि वह सही समय पर घर पर आया था वरना इस तरह का अद्भुत नजारा उसे देखने को नहीं मिलता,,,,।
Rani pesaab karti huyi
पेशाब की धार और सीट की आवाज धीरे-धीरे कम होती जा रही थी और जैसे-जैसे आवाज कम हो रही थी,,, वैसे वैसे सूरज का हाथ बड़ी तेजी से चल रहा था वह झड़ने के कगार पर था और उसकी बहन पूरी तरह से पेशाब करने की कगार पर थी,,,, और अगले ही पल उसकी बहन पेशाब कर चुकी थी उसकी गुलाबी छेद से पेशाब की धार एकदम खत्म हो चुकी थी,,, और वह हल्के से अपनी गांड को उठाकर उसे झटका दे रही थी,,,, उसकी बहन की हरकत को देखकर,,, सूरज समझ गया था कि जिस तरह से लड़के लोग पेशाब करने के बाद अपने लंड को हिला कर पेशाब की आखिरी बूंद तक को बाहर निकाल देते हैं उसी तरह उसकी बहन भी अपनी गांड को झटका देकर पेशाब की बुंद को नीचे गिर रही थी,,,, और रानी की हरकत उसके भाई के बदन में पूरी तरह से उत्तेजना के संचार को बढ़ा दिया,,, और जैसे ही वह पेशाब करके उठकर खड़ी हुई और अपनी सलवार को कमर तक खींच कर अपनी नंगी गांड को ढकी वैसे ही सूरज के लंड से वीर्य का फवारा छुट पड़ा,,, वह झड़ रहा था और आज के दिन वह तीसरी बार झड़ रहा था पहली बार तो मुखिया की बीवी की बुर में पूरा माल गिराया था लेकिन दो बार उसे हाथ से हिला कर काम चलाना पड़ा था लेकिन दोनों बार उसे बहुत मजा आया था,,,।
Rani jhadiyo k pas pesaab karti huyi
सूरज का काम हो चुका था रानी अपने सलवार की डोरी बांध रही थी,,,, सूरज जानता था कि आप उसका खड़ा रहना उचित नहीं है इसलिए वह धीरे से दरवाजे से बाहर निकल आया,,,,, और घर में ना जाकर इधर-उधर घूमने लगा,,,, क्योंकि उसे समझ में नहीं आ रहा था कि घर में जाकर वह अपनी मां से क्या कहता,,,, क्योंकि उसके पास दूध भी नहीं था और दूध लिए बिना वक्त है मैं जाता तो अपनी मां से क्या कहता रानी कहां है क्या कर रही है यह सब पूछती,,,, इसलिए वह थोड़ी देर बाद गया ,,।
और थोड़ी देर बाद जब वह घर पर गया तब खाना बन चुका था तब उसकी मां डांट लगाते हुए बोली,,,।
तुझे भी दूध लेने भेजी थी ना तु कहां चला गया था,,,।
अरे मां,,, मैं तो दूध लेने के लिए जाने ही वाला था लेकिन तभी मेरा दोस्त मिल गया और उसे कुछ काम था तो मैं उसके साथ चला गया मैं दूध लेने गया ही नहीं,,,,,,,(सूरज रानी की तरफ देखते हुए बोला,,, रानी जी अपने भाई के जवाब के ,,, में थी जब उसने सुनी कि वह दूध लेने वहां गया ही नहीं था तब उसे राहत हुई क्योंकि जब दूध लेकर आई थी तो उसकी मां उससे सूरज के बारे में पूछ रही थी और बोली थी कि सूरज भी तेरे पीछे तुझे ही ढूंढते हुए गया है और इस बात को सुनकर रानी थोड़ी घबरा गई थी क्योंकि वह जहां पर गाय बकरियां बांधते हैं वहीं पर तो पेशाब कर रही थी और अगर उसका भाई दूध लेने वहां आया होगा तो जरूर से पेशाब करते हुए देख लिया होगा और इसी बात की घबराहट उसके मन में हो रही थी और वह शर्म से पानी पानी में जा रही थी लेकिन जब उसने अपने भाई का जवाब सुनी तो राहत की सांस लेनेलगी,,,,।
इसके बाद तीनों साथ में मिलकर खाना खाए हो सोने के लिए चले गए आज भी भोला का कोई पता नहीं था,,, और सुनैना उसकी गैर हाजिरी में रात भर बिस्तर पर करवट बदलते हुए गुजार दी,,,।
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है पंडित ने भी बता दिया है कि सोनू की चाची को बच्चा किसी और से होगा अब देखते हैं क्या सूरज होगा इस बच्चे का बाप ।एक बार फिर से सुनैना कल्लू के हाथो बच गईसूरज ने जो कुछ भी अपनी आंखों से देखा था वह बेहद अद्भुत था ऐसा नहीं था कि वह पहली बार किसी खूबसूरत लड़की को या औरत को पेशाब करते हुए देख रहा था इससे पहले भी वह सोनू की चाची और मुखिया की बीवी को देख चुका था और उसके बाद खुद अपनी मां के साथ-साथ पड़ोस वाली औरत और सोनू की चाची को फिर से देख चुका था लेकिन इन सबसे ज्यादा आनंद और मदहोशी का एहसास उसे अपनी बहन को पेशाब करते हुए देखने में मिला था,,, रानी की गांड जवानी का रंग चढ़ने की वजह से अभी-अभी विकसित हुई थी उसमें ना तो ज्यादा फैलाव था और नहीं ज्यादा संकुचन था एकदम सीमित रचना में ढला हुआ था रानी का नितंब,, जिसे देखकर सूरज की आंखों को ठंडक और मन को बेहद गर्मी भरी उत्तेजना का एहसास हुआ था,,,।
यह पहली बार था जब वह अपनी बहन को इस अवस्था में देख रहा था हालांकि वह अपनी बहन के साथ बहुत बार खेतों में काम करते हुए इधर-उधर घूमते हुए गए बकरियां चराते हुए साथ में घूम चुका था लेकिन कभी भी इस तरह का नजारा देखने का उसे सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था,,, अंजाने में ही यह भिड़ंत हुई थी जिसे वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था वैसे भी जब से औरतों को देखने का नजरिया उसका बदला था तब से वह कभी-कभार अपनी बहन की तरफ भी गंदी नजर से देख लेता था जब वह झाड़ू लगाती थी घर का काम करती थी या किसी भी काम के लिए झुकती थी तब वह आगे से या पीछे से उसके दोनों तरफ की जवानी का मुआयना अपनी नजरों से कर लेता था,,, लेकिन रात वाली बात कुछ और थी,,, जिसका एहसास उसे अत्यधिक उत्तेजना का एहसास दिला रहा था,,,।
दूसरे दिन सुरज जब सुबह उठा तो वह सब कुछ भूल चुका था वह अपने कमरे में से बाहर निकाल कर नीम की दातुन को मुंह में दबाकर अपने दांतों को साफ करते हुए आंगन से बाहर निकल ही रहा था कि तभी उसे सामने उसकी बहन झाड़ू लगाते हुए दिखाई दे वह झुक कर झाड़ू लगा रही थी और उसके नितंबों का फैलाव कुछ हद तक बढ़ गया था,,, यह देखकर सूरज को ऐसा लग रहा था कि जैसे सलवार के अंदर से उसकी बहन की गांड सलवार फाड़ कर बाहर आ जाएगी,,, दातुन करते हुए सूरज अपनी बहन को ही गंदी नजर से देख रहा था उसकी बहन की गोल-गोल गांड उसे मुखिया की लड़की की गांड की याद दिला रही थी जो की एक दिन पहले उसके हाथों में ही थी,,, अपनी बहन की गांड से बाहर मुखिया की लड़की की गांड की तुलना कर रहा था दोनों की उम्र एक जैसी ही थी दोनों के बदन का उठाव और उभार भी एक जैसा ही था,,, जिस तरह का आनंद उसे मुखिया की लड़की के साथ प्राप्त हो रहा था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर मौका मिला तो उसी तरह का आनंद उसे अपनी बहन से भी प्राप्त होगा,,,,।
एकटक अपनी बहन की गांड पर नजर टीकाएं होने के नाते सूरज का लंड खड़ा हो गया था,,, और अपनी बहन की गांड देखकर उसका दिमाग बड़ी जोरों से दौड़ रहा था और इस समय उसकी मां भी घर पर नहीं थी और वह झाड़ू लगाते हुए पीछे की तरफ ही दरवाजे के अंदर की तरफ आ रही थी सूरज की हालत खराब हो रही थी कल रात वाला दृश्य उसकी आंखों के सामने दौड़ रहा था बार-बार उसकी आंखों के सामने उसकी बहन पेशाब करते हुए दिखाई दे रही थी उसकी गोल गोल गांड उसकी बुर से निकलती हुई पेशाब की धार और उसकी मधुर आवाज से वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था,,, सलवार में कैद अपनी बहन की गांड की तरफ देखकर वह बार-बार कल्पना कर रहा था कि अगर सलवार उतार देगी तो उसकी गान्ड इस समय कैसी दिखाई देगी,,, यही सोचते हुए उसके मन में शरारत करने को सुझी,,,।
Mukhiya ki bibi ki peticoat ki dori kholta hua suraj
उसकी बहन बिना ध्यान दिए झाड़ू लगाते हुए पीछे कम ले रही थी उसे अंदाजा भी नहीं था कि जिस तरह से वह झुक कर झाड़ू लगा रही थी उसकी मद भरी गांड को उसका भाई हि ललचाई आंखों से देख रहा है,,, तकरीबन 1 मीटर की दूरी पर जब वह रह गई तब वह एकदम से आगे बाद उसके पजामे में तंबू बना हुआ था और वह जानता था कि जब वह अपनी बहन से टक्कर आएगा तब उसका तंबू सीधा उसकी बहन की गांड के बीचोंबीच रगड़ खा जाएगी,,, यही सोच कर सूरज एकदम से आगे बड़ा और अपनी बहन की गांड से उसके पिछवाड़े से एकदम से सट गया और सटने के साथ ही वह तुरंत अपने दोनों हाथों को अपनी बहन की कमर पर रख दिया और एकदम से उसे दबोच लिया,,, यह अवस्था ऐसी नजर आ रही थी मानो जैसे सूरज पीछे से अपनी बहन की चुदाई कर रहा हूं उसका लंड बीचोंबीच जाकर उसकी गांड की दरार से रगड़ खा रहा था,,, सूरज की तो एकदम हालत खराब हो गई,,,।
रानी को समझ पाती इससे पहले ही मुखिया की बीवी से अनुभव प्राप्त कर चुका सूरज अपनी कमर को दो बार आगे की तरफ ठैल कर पजामे के अंदर होने के बावजूद भी अपने लंड को अपनी बहन की बुर के करीब ले जाकर उसके मुहाने पर दस्तक दे चुका था,,,, सूरज एकदम मदहोश हो चुका था पल भर के लिए उसे ऐसा लगा कि इसी समय अपनी बहन की सलवार उतार कर उसकी गुलाबी बुर में अपना पूरा लंड डालकर उसकी चुदाई कर दे लेकिन अपनी उत्तेजना अपनी मदहोशी पर वह काबू करते हुए तुरंत पीछे हटा और जैसा कि यह सब अनजाने में हुआ होएकदम से वह बोला,,,।
अरे अरे क्या कर रही है देख कर झाड़ू लगा मैं तो अभी नींद में हूं क्या तू भी नींद में है,,,,।
(रानी जोकी इस हरकत से एकदम से झेंप गई थी,,, और अपने ही भाई के दोनों हाथों को अपनी कमर पर महसूस करके जिस तरह की झनझनाहट का उसे एहसास हुआ था और खास करके तब जब उसे अपने नितंबों के बीचों बीच कोई कठोर चीज चुभती हुई महसूस हुई थी वह एकदम से उठकर खड़ी हो गई थी,,,,,, वह कुछ कहती इससे पहले ही उसका भाई जो कुछ भी हुआ था उसे अनजान हादसा बनाते हुए उसे ही डांट रहा था रानी को कुछ समझ में नहीं आया और अपने भाई की बात सुनकर बोली,,,)
अरे मुझे क्या मालूम तुम आ जाओगे मुझे तो लगा कि तुम सो रहे हो,,,,।
अभी-अभी उठ कर आया हूं ठीक से आंख भी नहीं खुल रही है और तू सामने टकरा गई,,,,।
Mukhiya ki bibi I ki chuchi pita hua suraj
चलो कोई बात नहीं भैया,,,, मेरा ही ध्यान नहीं था,,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह फिर से झाड़ू लगने लगी और सूरज अपनी बहन की तरफ एक नजर डालकर मुस्कुराते हुए फिर से बाहर निकल गया,,, लेकिन रानी को विचार में डाल कर आया था अपने भाई के जाने के बाद रानी सोचने लगी कि आखिरकार उसकी गांड के बीचों बीच कौन सी कठोर चीज घुस रही थी,,, वह मासूम थी अनजान थी मर्द और औरत के बीच के खेल से इसलिए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी गांड के बीचों बीच कौन सी कठोर चीज प्रवेश कर रही थी,,, फिर वह अपने मन में यह सोचने लगी कि शायद उसका भाई पजामे में गील्ली रखा होगा,,, क्योंकि उसे गिल्ली डंडा खेलने का शौक था इसीलिए वह ज्यादा शक नहीं कर पाई लेकिन कमर पर हाथ रखने की वजह से जिस तरह की झनझनाहट उसके बदन में हुई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह झनझनाहट क्यों हुई थी क्यों उसके बदन में हलचल सी मचने लगी थी,,,, उसके विचार और सोच ज्यादा दूर तक जा नहीं पाए और वह फिर से सामान्य होकर अपना काम करने लगी,,,।
Mukhiya ki bibi or suraj
और दूसरी तरफ जिस तरह के अनुभव से पल भर में सूरज पूछ रहा था उससे वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह समझ गया था कि उसकी बहन पूरी तरह से जवान हो चुकी थी लंड लेने लायक हो गई थी,,, इस तरह के विचार उसके मन में पहले कभी नहीं आते थे और अपनी बहन के बारे में तो कभी गंदा सोच भी नहीं सकता था लेकिन सूरज अब पहले वाला सूरज नहीं था वह बदल चुका था औरतों की खुशबू उसे अच्छी लगने लगी थी औरत के खूबसूरत अंगों से उत्तेजित करने लगे थे उनका बोलना चलना काम करना सब हमें उसे कामुकता नजर आती थी इसलिए अपनी बहन में फिर उसे एक औरत ही नजर आ रही थी जो उसकी प्यास बुझा सकती थी,,,।
कुछ देर बाद सुनैना नदी पर से नहा कर लौट रही थी,,,, नदी पर सबसे पहले पहुंच जाना और वहां नहा कर जल्दी वापस आ जाना उसका नित्य कम हो चुका था वह कब नदी पर जाती थी नहा कर वापस आ जाती थी यह किसी को भी पता नहीं चलता था क्योंकि जब वह नहा कर वापस आती थी तब तो गांव की औरतें नदी की तरफ जाती थी एकांत में उसे नहाने में बहुत अच्छा लगता था खास करके तब जब कोई देखने वाला ना हो क्योंकि तब वह बड़े आराम से अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर नदी में कूद जाती थी और जी भर कर नहाती थी,,, आ जाओ बहुत खुश थी क्योंकि कुछ पैसे उसे नहीं करते कर लिए थे और उसे आज बाजार जाना था उसे अपने लिए चूड़ियां और घर गृहस्ती के कुछ सामान खरीदने थे,,,,।
अपने घर की तरफ आते हुए वह अपने पति भोला के बारे में सोच रही थी,,, वह सोच रही थी कि उसका पति कितना बजे है ना तो रात को घर ही लगता है ना जाने कहां घूमता करता है ना घर गृहस्ती का भान है ना अपने बच्चों का और ना अपनी बीवी का,,, सुनैना अपने मन में सोच रही थी कि 15 दिन तो गुजर गए हैं उससे मुलाकात में गांव में रहकर भी उससे मुलाकात नहीं होती ना जाने कहां रहता है कहीं किसी औरत के पीछे तो नहीं पागल हो गया है,,, लेकिन घर पर रहता है तो ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं लगता कि वह किसी के पीछे दीवाना है बल्कि हमेशा काम काम की ही बात करते रहता है,,,,, हो सकता है वह गलत शक कर रही है वह काम में भी तो मशगूल हो सकता है,,, अगर वाकई में किसी औरत का चक्कर होता तो हम लोग गांव भर में ढिंढोरा पीट गया होता,,, भगवान करे ऐसा ही हो उसका किसी के साथ चक्कर न हो नहीं तो मैं तो मर जाऊंगी,,,, यही सब सोचते हुए वह कब अपने घर पहुंच गई उसे पता ही नहीं चला,,,।
जल्दी-जल्दी खाना बनाकर वह बाजार जाने के लिए तैयार होने लगी क्योंकि बाजार भी तकरीबन 5 किलोमीटर की दूरी पर ही था और वहां पर पैदल ही जाना पड़ता था ,,,,,, सुनैना जल्दी-जल्दी खाना बना चुकी थी और अपने कमरे में आकर तैयार हो रही थी,,,, अब उसे तैयार होने में भी मजा नहीं आता था,, वह जानती थी कि जब औरत का सिंगार उसका आदमी ही ना देखें तो फिर सिंगार करने का मतलब ही क्या,,, वह अपना ब्लाउज पहनकर पीछे डोरी बांधने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह बांध नहीं पा रही थी,,, इसलिए आवाज लगाते हुए वह बोली ,,,।
रानी,,,, अरे ओ रानी कहां है,,,,?
आई,,,, मां,,,,,,,(इतना कहते हुए जल्दी से अपनी मां के कमरे के पास आ गई और दरवाजे पर खड़ी होकर बोली)
Mukhiya ki bibi or suraj
क्या हुआ इतनी जोर से क्यों आवाज दे रही हो,,,,?
अरे जरा मेरी ब्लाउज की डोरी बांध देना तो मुझसे बंध नहीं रही है,,,,।
अरे वाह मां आज तुम नया ब्लाउज निकाली हो,,,।
अरे नया कहां है पुराना है आज मन किया तो निकाल ली,,,,।
कहीं जा रही हो क्या मां,,,(ब्लाउज की डोरी को बांधते हुए रानी बोली)
हां आज थोड़ा बाजार जा रही हूं,,,,।
बाजार,,,,(एकदम आश्चर्य जताते हुए)
हां बाजार,,,,
Mukhiya ki bibi or suraj bistar pe
तो मैं भी चलूंगी,,,,,,
तू भी चलेगी तो घर कौन देखेगा,,,,(अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए सुनैना बोली)
क्या मां तुम भी मुझे भी तो बाजार ले चलो मुझे भी बाजार घूमने है समोसे खाने हैं चाट खाने हैं जलेबी खाना है,,,,।
तो चिंता मत कर वह सब में ले आऊंगी,,,, लेकिन घर छोड़कर जाना नहीं,,,,।
ठीक है,,,,,।
चल अब मुझे जल्दी जाना है आते समय देर हो जाएगी,,,।
अकेले जा रही हो क्या,,,?
नहीं रे,,,, अपनी पड़ोसन है और सोनू की चाची और दोनों को भी बाजार चलना है इसलिए तो मैं भी तैयार हो गई सबका साथ रहेगा तो अच्छा लगेगा,,,।
हां तब ठीक है,,,,।
अच्छा मैं चलती हूं घर में ही रहना,,,।
घर में ही रहूंगी बस,,,,।
(उसके बाद मुस्कुराते हुए सुनैना घर से बाहर निकल गई और अपनी पड़ोसन के साथ-साथ सोनू की चाची को भी लेकर बाजार की तरफ निकल गई,,,, गांव से बाजार तकरीबन 5 किलोमीटर की दूरी पर था,,,, इसीलिए रोज-रोज कोई बाजार जाता भी नहीं था 10 दिन में 15 दिन में एकाद बार ही बाजार जाकर जरूर का सामान लेकर आ जाते थे,,,।
जाते समय तीनों की वार्तालाप शुरू हो गई सुनैना की पड़ोसन सोनू की चाची से बोली,,,
क्यों दीदी क्या विचार की,,,,!
किसबारे में,,,,
अरे बच्चे के बारे में,,,, कहीं थी ना किसी और के साथ संबंध बना दो अपनी भतीजे के साथ नहीं तो अपना सूरज जिंदाबाद है 10 15 दिन में ही ऐसी चुदाई करेगा की तुम्हारे पेट में बच्चा ठहर जाएगा,,,,।
(अपनी पड़ोसन के मुंह से एक बार फिर से अपने बेटे का जिक्र सुनकर सुनैना के तन-बदन में अजीब सी हलचल होने लगी और वह गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)
क्या रे तू जब देखो तब शुरू पड़ जाती है और उसमें भी मेरे ही बेटे को घसीटती है,,,।
अरे दीदी,,, अपना सूरज जवान हो चुका है,,, अब तो किसी की भी चुदाई करके मां बनाने में सछम है,,,।
तो तू ही क्यों नहीं चुदवा लेती उससे,,, डलवा ले अपनी भोसड़ी में उसका लंड और बन जा मां,,,(एकदम से जोश में आते हुए सुनैना बोली तो यह सब सुनकर सोनू की चाची बोली,,,,)
upload
तुम लोग भी बहुत गजब हो किसी दुखियारी का दुख सुनकर उस पर मलहम लगाने की जगह उस पर नमक छिड़कने का काम करती हो,,,।
देख मैं तुझे कुछ नहीं कह रही हूं यही है बड़बड़ बड़बड़ कर रही है इसे तो जरा भी बुद्धि नहीं है सच में नहीं सोचती कि उस पर क्या गुजरती होगी,,,।
अरे तुम दोनों तो खामखा नाराज हो रही हो मैं तो सिर्फ सलाह दे रही थी,,,,।
चल रहने दे सलाह देने को,,,, तो मेरी वही बाजार में एक पंडित है जो हाथ देख कर भविष्य बताते हैं चल आज में होने के पास तुझे ले चलती हूं तेरा भी व्यारा न्यारा हो जाएगा पता तो चले नसीब में संतान सुख है भी या यु ही ख्याली पुलाव पक रहा है,,,।
तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो सूरज की मां,,,, मैं भी यही सोच रही थी पहले पता तो लगाया जाए कि वाकई में नसीब में संतान सुख है भी या नहीं,,,,(सुनैना की बात से सहमत होकर सोनू की चाची बोली,,,,
तकरीबन दो घंटे चलने के बाद वह तीनों बाजार पहुंच चुके थे बाजार की रोना की कुछ अलग थी कच्ची सड़क के दोनों तरफ लकड़ी के बड़े-बड़े बक्से जैसे दुकान लगे हुए थे टूटी-फूटी तंबू में कोई सब्जी बेच रहा था एकाद दो दुकान थी जो मजबूत बनी हुई थी,,, पहले तो तीनों कुछ देर वही खड़ी होकर सोचने लगी कि क्या किया जाए पहले क्या खरीदा जाए कौन सी दुकान में चला जाए कहां पर क्या मिलता है कैसे मिलता है यह सब तय लेने के बाद,,, तीनों चूड़ी की दुकान पर पहुंच गई और पहले तो चूड़ी पहनने लगी,,
उसके बाद तीनों किरण की दुकान पर गई नमक मिर्च तेल मसाला जो कुछ जरूरत के समान थे सब खरीद लिए थे,,,, किरणा की दुकान से बाहर आकर तीनों समोसे की दुकान पर खड़ी हो गई जहां पर ताजा ताजा समोसे चले जा रहे थे वहीं पर अपनी पड़ोसन को खड़ी करके सुनैना सोनू की चाची को लेकर वहीं पास में ही पंडित के पास गई जो की बाजार में ही उसकी भी टूटी-फूटी झोपड़ी थी जिसमें वह बैठकर लोगों के भविष्य देखा करता था जब उसके पास दोनों पहुंचे तो अच्छा था कि वहां कोई और भी नहीं था इसलिए जल्दी से सुनैना पंडित जी से बोली,,,,।
पंडित जी जरा इसका हाथ देख कर इसका भविष्य बताना तो बहुत संकट में है शादी के आठ साल जैसे गुजर गई लेकिन अभी संतान सुख नहीं है,,,,। पंडित जी तकरीबन 60 साल के थे वह दोनों की तरफ ऊपर से नीचे तक देखें और फिर सोनू की चाची को सामने बैठने के लिए बोले सोनू की चाची सामने बैठकर अपना हाथ आगे कर दी,,,
पंडित जी धीरे से सोनू की चाची का हाथ पकड़ कर बड़े गौर से उसकी हथेली को इधर-उधर देखकर अभ्यास करने लगे सोनू की चाची के हाथों की लकीरों को पढ़ने में ऐसा लग रहा था कि पंडित जी को बहुत समय लग रहा है सुनैना कभी सोनू की चाची की तरफ देखती तो कभी पंडित जी की तरफ सोनू की चाची भी सवालिया नजरों से सुनैना की तरफ देख रही थी,,, दोनों एक दूसरे को देख रहे थे तभी पंडित जी बोले,,,।
बेटी संतान योग तो है,,,,।
(इतना सुनते ही सुनैना और सोनू की चाची दोनों के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव में चलने लगे लेकिन तभी पंडित जी की अगली बात सुनकर दोनों के होश उड़ गए,,, पंडित जी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले,,)
Nahane k liye kapde utarti huyi shalu
लेकिन यह संतान तुम्हारे पति से नहीं बल्कि किसी और से होगा,,,,।
(इतना सुनते हैं सोनू की चाची के तो होश उड़ गए और सुनैना भी आश्चर्य से सोनू की चाची की तरफ तो कभी पंडित की तरफ देख रही थी यह सुनकर सोनू की चाची बोली,,,)
यह क्या कह रहे हैं पंडित जी ऐसा भला कैसे हो सकता है,,,,!
बेटी मैं तो वही बता रहा हूं जो तुम्हारे हाथों की लकीरों में लिखा है,,,, और यह कोई बदल नहीं सकता यह तो होना ही है चाहे लाख कोशिश कर लो यह होकर ही रहेगा,,,,।
(पंडित जी की बात सुनकर दोनों एक दूसरे को देख रहे थे दोनों के चेहरे पर आश्चर्य के भाव साफ नजर आ रहे थे,,,,, सोनू की चाची अपने ब्लाउज में रखे भटूरे को निकाल कर उसमें से दक्षिणा निकाल कर पंडित जी को दे दे और वहां से दोनों चलते बने रास्ते में सोनू की चाची सुनैना से बोली,,,)
अब क्या होगा सूरज की मां मेरी तो सुनकर ही हालत खराब हो रही है,,,।
आप कर भी क्या सकते हैंयह तो किस्मत का लेखा है,,, पंडित जी जो बोले हैं वह सच होकर ही रहेगा,,,।
अच्छा हुआ वह साथ में नहीं आई वरना वह तो पूरे गांव में ढंडेरा पीठ देता मेरी तो बदनामी कर दी थी,,,।
हां तु सही कह रही है,,,।
लेकिन सूरज की मां तुम्हारे हाथ जोडतू हूं इस बात को किसी को भी मत बताना,,,।
Mukhiya ki bibi bistar pe
तुम चिंता मत करो सोनु की मां मैं दूसरों की तरह बिल्कुल भी नहीं हूं एक औरत की इज्जत करना मैं अच्छी तरह से जानती हूं इसलिए तुम निश्चिंत रहो यह राज मेरे सीने में दफन रहेगा,,,।
इतना कहकर दोनों फिर से समोसे की दुकान पर आ गए और खुद भी समोसे और जलेबी खाने के बाद घर के लिए भी लेकर वह लोग गांव की तरफ निकल गए क्योंकि शाम होने वाली थी,,,,,,,, सोनू की चाची थोड़ा धीरे-धीरे चल रही थी लेकिन सुनैना जल्दी-जल्दी चल रही थी क्योंकि वह जानती थी कि घर पर रानी अकेली थी इसलिए जल्दी-जल्दी चलते हुए उन लोगों से थोड़ा आगे निकल आई थी,,,,, की तभी बीच झाड़ियों में से कल्लू निकल कर बाहर आ गया उसे देखते ही सुनैना के तो होश उड़ गए,,,, वह जानती थी कि वह जिस जगह पर है वह एकदम सुनसान जगह थी वहां पर इस समय कोई भी नहीं था बस उसके साथ गांव की दौ औरते थी जो पीछे रह गई थी,,, डर के मारे सुनैना के माथे से पसीना टपकने लगा था लेकिन फिर भी वह हिम्मत दिखाते हुए बोली,,,।
इस तरह से रास्ता रोकने का क्या मतलब है कल्लु,,,।
Jawani se bhari huyi mukhiya ki bibi
तुम नहीं जानती मैं इस तरह से तुम्हारा रास्ता क्यों रोका है,,,, तुम मुझे बहुत पसंद हो,,,।
(उसकी इस तरह की बात सुनते ही सुनैना की तो पसीने छूटने लगे,,, उसकी हालत खराब होने लगी वह जानती थी कि कल गांव का बदमाश आदमी था अगर वही समय उसके साथ जबरदस्ती करना चाहेगा तो वह कुछ नहीं कर पाएगी क्योंकि उसमें इतनी हिम्मत नहीं है कि वह उसका सामना कर सके वह घबरा कर अपने कदम पीछे ले रही थी और कल अपनी कम आकर ले रहा था उसके चेहरे पर कुटिल वासना भरी मुस्कान थी वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
उसे दिन जब नदी में तुम्हें नंगी होकर नहाते हुए देखा तुम्हारा नंगा बदन तुम्हारी नंगी गांड देखकर तो मेरा लंड खड़ा हो गया,,,,(सुनैना को याद आ गया कि कल नदी पर उसे नहाते हुए देखा था लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि वह उसे नग्न अवस्था में देखा था उस दिन भी सुनैना हिम्मत दिखा कर उसे डांट कर वहां से भगा दी थी लेकिन सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि वहां पर वह ऐसा कर सकती थी क्योंकि वहां पर कोई भी आवश्यकता था लेकिन यहां सुनसान जंगल जैसी जगह पर कोई आने वाला नहीं था गांव की औरतें भी थी वह पीछे थी बार-बार सुनैना किसी की तरफ देख रही थी कि वह जल्दी से आ जाए लेकिन न जाने वह कहां रह गई थी तभी कल्लू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
Suraj or mukhiya ki ladki
तुम्हारा दीवाना हो गया हूं तुम्हारी जवानी का कायल हो गया हुं ,,, बस एक बार,,,(इतना कहने के साथ ही कल्लू अपना हाथ आगे बढ़ाकर सुनैना की साड़ी का पल्लू पकड़ लिया उसे एक झटके से खींचकर अपने सीने से लगा लिया उसे अपनी बाहों में भर लिया सुनैना एकदम से तड़प कर रह गई वह उसकी बाहों में कैद हो चुकी थी,,,, उसे बाहों में भरकर कल्लू ईस मौके का फायदा उठाता हुआ तुरंत अपनी हथेलियां को सुनैना की भारी भरकम गांड पर रखकर उसे दबाते हुए बोला,,,) बस एक बार मेरी रानी मुझे चोदने दो बस एक बार अपनी जवानी का रस पिला दो,,,,,।
(सुनैना एकदम से घबरा गई उसकी हालत खराब हो गई आज तक उसके पति के सिवा किसी ने भी इस तरह से उसे अपनी बाहों में नहीं भरा था कल्लू उसके साथ जबरदस्ती करना चाहता था वह जानती थी कि वह ज्यादा देर तक उसका विरोध नहीं कर पाएगी अगर आज कर लो उसके साथ गलत कर दिया तो वह अपने आप से भी नजर नहीं मिल पाएंगी,,, इसलिए हिम्मत दिखा कर सुनैना अपने घुटने को इतनी जोर से ऊपर उठकर उसकी दोनों टांगों के बीच मारी की कल्लु चारों खाने चित हो गया और तुरंत उसकी पकड़ एकदम से ढीली पड़ गई वह तुरंत अपने लंड को पकड़ लिया और दर्द से बिलबिलाने लगा,,, उसके चेहरे पर दर्द की पीड़ा एकदम साफ दिखाई दे रही थी उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया था और वह लड़खड़ाता हुआ झाड़ियां के अंदर लुढ़कता हुआ जा गीरा,,,, झाड़ियों के पीछे गहरा गड्ढा था और कल लुढ़कता हुआ उसी गड्ढे में जा गिरा था,,,।
सुनैना अभी भी घबराई हुई थी अपनी सूझबूझ और हिम्मत से एक बार फिर से वह कल्लू के हाथ से बच गई थी,,, उसके चेहरे पर घबराहट एकदम साफ दिख रही थी तभी सोनू की चाची और उसकी पड़ोसन भी वहां पर आ गई और सुनैना को घबराई हुई देखकर सोनु की चाची बोली,,,।
क्या हुआ सूरज की मां ईतनी घबराई हुई क्यों हो,,,(दोनों औरतें एकदम से हैरान होते हुए सुनैना को देखते हुए बोली,,,, लेकिन सुनैना असलियत बताने से घबरा रही थी इस बात का डर था की कही वो लोग ही कुछ बातें ना बनाने लगे,,,, इसलिए वह थोड़ी चालाकी दिखाते हुए बोली,,,,)
झाड़ियों मे सरसराहट की आवाज आई में एकदम से डर गई और अच्छी तो सांप जा रहा था,,,,।
तुम्हें कुछ किया तो नहीं ना,,,,।
नहीं नहीं वह तो दूर था,,,,।
तब ठीक है,,,, चलो जल्दी चलो शाम ढल रही है और उसके बाद इसी तरह के जानवर निकलेंगे,,,,।
(इतना क्या करती हो जल्दी-जल्दी गांव की तरफ जाने लगे आज एक बार फिर से सुनैना के सर से मुसीबत टल गई थी।)
Mukhiya ki ladki or suraj
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है सूरज अपनी बहन की जवानी के पीछे पागल हो गया है सपने में उसने अपनी बहन रानी की दमदार चूदाई कर दी है अब देखते हैं हकीकत में रानी की चूदाई कब होती हैसुनैना एक बार फिर से कल्लू के हाथ से बच गई थी,,, कल्लू के इरादे को सुनैना आप अच्छी तरह से समझ गई थी जिस तरह से उसने उसे खींचकर अपनी बाहों में कस लिया था और उसके नितंबों कहां कर रखा था वह जान गई थी कि वह उसकी इज्जत से खेलना चाहता है,,,,, उसकी हरकत को देखकर और जंगल जैसे एकांत में वह घबरा गई थी,,, उसे लगा था कि आज उसकी इज्जत नहीं बचेगी लेकिन तभी सुझ-भुज दिखाते हुए अपने घुटने का वार कल्लू के गुप्तांग पर की थी,,, जिसकी वजह से वह चारों खाने चित हो गया था,,,।
Suraj apni ma k sath
लेकिन इस बारे में सुनैना ना तो सोनु की मां को कुछ बताइ और ना हीं अपनी पड़ोसन को,,, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि कोई उसके बारे में गलत समझे उसकी बदनामी हो और उसके साथ कल्लू का नाम जोड़कर गांव भर में चर्चा हो,,, क्योंकि वह जानती थी कि अगर कल्लू का नाम उसके साथ जुड़ गया तो लोग तरह-तरह की बातें बनाने लगेंगे और सबको यही लगने लगेगा कि सुनैना में ही दोष है जो ऐसे आदमी के साथ उसका नाम जुड़ रहा है,,,। इसलिए वह नहीं चाहती थी की बात का बतंगड़ बने,,,।
घर पहुंचते पहुंचते अंधेरा हो चुका था,,,, लेकिन जब वह रसोई घर में पहुंची तो अच्छी रानी चुल्हा जलाकर रोटी पका रही थी यह देखकर सुनैना को भी संतोष हुआ और वह तुरंत सामान का थैला रखकर ,, हाथ पैर धोने लगी,,,, रानी भी अपनी मां को देखकर बहुत खुश हुई क्योंकि वह जानती थी कि उसकी मां उसके लिए समोसे जरूर लाई होगी इसलिए रोटी को तवे पर रखते हुए वह खुश होते हुए बोली,,,,।
मां तुम समोसे तो लाई होना,,,
हां हां जरूर लाई हूं,,,,
Suraj or uski ma
तब तो अच्छा है,,, मैं तुम्हारा बहुत इंतजार करी जब अंधेरा होने लगा तो मैं खुद ही चुल्हा चला दी,,,।
चल बहुत अच्छा की तुने,,,(अपनी साड़ी में हाथ को पोछते हुए बोली,,,)
लेकिन मैं इतना देर क्यों लगा दी ऐसा तो पहले कभी नहीं होता था,,,,।
तेरे समोसे के चक्कर में ही देर हो गए,,,, उसके पास तैयार पडा नहीं था और वह ताजा-ताजा बना रहा था इसलिए बैठना पड़ा,,,, अब तू हट जा सब्जी काट दे मैं बना देती हूं,,,,
ठीक है,,,(इतना कहने के साथ ही रानी अपनी जगह से उठकर रसोई घर से बाहर आ गई और सुन लेना रसोई घर में जाकर रानी की जगह बैठ गई और रोटी पकाने लगी तभी वह रोटी को तवे से हटाते हुए बोली,,,।)
Suraj or uski ma
अरे सूरज कहां चला गया,,,,!
भैया कुछ देर पहले ही आया था,,,,, वापस चला गया,,,,।
कहां चला गया,,,? कुछ बताया है कि नहीं...?
भैया कहां कुछ बताता है बस आया और गया,,, ।(सब्जी काटते हुए रानी बोली)
चल अच्छा सब्जी काट कर तू समोसे खा ले,,, और अपने भाई के लिए भी रख देना,,,।
ठीक है मां,,,,(इतना कहते हुए वहां जल्दी-जल्दी सब्जी काटने लगी क्योंकि उसे समोसे खाने की जल्दबाजी मची हुई थी उसे समोसे बहुत पसंद थी और अगर समोसे के साथ जलेबी मिल जाती तो उसकी खुशी दुगनी हो जाती थी,,,, थोड़ी देर में सब्जी काटने के बाद वह जल्दी से थैले में से सामान निकालने लगी,,, समान निकालते हुए रानी बोली,,)
क्या-क्या लाई हो मां,,,,।
Suraj or uski ma sunaina ki masti
अरे ज्यादा कुछ नहीं लाई हूं बस मुझे चूड़ियां खरीदना था और घर का सामान लाई हूं नमक मिर्च तेल धनिया यही सब है,,,।
हां मां यही सब तो दिख रहा है,,,,,।
( धीरे-धीरे करके रानी थैले में से सारा सामान बाहर निकाल ली यह देखकर सुनैना बोली)
अरे सारा सामान क्यों बिखेर रही है,,,।
कुछ नहीं बस देख रही हूं,,
सिर्फ समोसे बाहर निकाल ले बाकी सब सामान रख दे,,,,।
ठीक है,,,,।
(रानी सारा सामान वापस थैले में रखकर केवल समोसे निकाल कर खाने लगी,,, तभी सूरज भी वहां आ गया,,,,, आते ही उसकी नजर सबसे पहले रानी पर पड़ी रानी को देखते ही वह बोला,,,,)
मां आ गई क्या,,,?
वह तो कब से आई है खाना भी बना रही है तेरा ही ठिकाना नहीं रहता,,,।
Sunaina ki chudai
अरे मैं कहां गांव से बाहर चला गया हूं यही तो हुं,,,(और इतना कहने के साथ ही वहीं पर बैठ गया और समोसे खाने लगा,,,, दोनों को खाते हुए देखकर सुनैना मन ही मन खुश हो रही थी और अपने मन में सोचने लगी कि उसका परिवार इसी तरह से एकदम खुशहाल था जब उसका पति हमेशा उसकी परवाह करता था उससे प्यार करता था लेकिन अपना जाने क्या हो गया है कि वह घर पर रहता ही नहीं,,,। तभी सूरज बोला,,)
समोसे तो बहुत स्वादिष्ट हे मा,, बस थोड़ा गर्म होता तो मजा आ जाता,,,,
अरे अब इतनी दूर से लाने में ठंडा हो ही जाता है गरम थोड़ी ना रहेगा,,,, वैसे तुम दोनों के लिए जलेबी भी लाई हूं,,,,।
(जलेबी का नाम सुनते ही रानी एकदम से अपनी मां की तरफ देखने लगी और प्रसन्नता भरे स्वर में बोली,,,)
क्या जलेबी,,,,!
हां जलेबी,,,, (मुस्कुराते हुए सुनैना बोली)
लेकिन अभी तक बोली क्यों नहीं और थैली में से तो जलेबी निकाली ही नहीं,,,,(रानी परेशान होते हुए खोली सूरज भी कभी रानी की तरफ तो कभी अपनी मां की तरफ देख ले रहा था)
मैं जानती हूं तुझे जलेबी बहुत पसंद है और मैं देखना चाहती थी कि जलेबी के बारे में पूछता है कि नहीं,,,।
क्या मां मैं तो समझी कि तुम सिर्फ समोसे हि लाई हो और मैं थैली में से जलेबी ही ढूंढ रही थी बस बोली नहीं थी,,,।
लेकिन जलेबी है कहा मां,,,(सूरज भी हैरान होते हुए बोला)
जा दरवाजे के पास टांग कर आई हूं,,, जब मैं आ रही थी तभी ठेले में से निकाल कर उसे वही टांग दी थी,,,।
(सुनैना की बात पूरी भी नहीं हुई थी की रानी एकदम से उठकर खड़ी हो गई और जल्दी से दरवाजे की तरफ चली गई और थोड़ी ही देर में जलेबी लेकर आई,,,, सबसे पहले जलेबी का टुकड़ा मुंह में डालकर उसे खाने लगी और फिर उसमें से एक टुकड़ा लेकर सूरज की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,, )
लो भाई तुम भी खाओ,,,,।
(अपनी बहन की आवाज सुनते ही सूरज अपने मन में ही बोला मुझे यह जलेबी नहीं खाना है मुझे तो तुम दोनों की टांगों के बीच वाली जलेबी खाना है उसका रस पीना है,,,, मुझे मालूम है तुम दोनों बहुत मजा दोगी,,,,,, अपनी बहन रानी के लिए भी सूरज के मन में गलत भावना जाग चुकी थी क्योंकि वह अपनी बहन को पेशाब करते हुए जो देख चुका था उसकी मदमस्त जवानी से भरी हुई गांड के जो दर्शन कर लिया था,,, अपने भाई को इस तरह से सोच में डूबा हुआ देखकर रानी फिर से बोली,,)
क्या हुआ भैया लो जलेबी खा लो,,,।
(रानी की बात सुनकर जैसे वह नींद से जगा हो इस तरह से हड़बड़ा गया और बोला,,)
ननननननन,,,,हुआ क्या,,,,,?
अरे हुआ कुछ नहीं सो गए थे क्या लो जलेबी खा लो,,,,।
नहीं मैं नहीं खाऊंगा मेरे हिस्से का तू ही खा ले और मां को भी दे दे,,,।
नहीं नहीं मैं नहीं खाऊंगी,,, मैं तुम दोनों के लिए ही लेकर आई थी,,,।
और बाबूजी के लिए,,,(जलेबी खाते हुए रानी बोली,,)
घर पर आते हैं तेरे बाबूजी 15 20 दिन तो हो गए हैं कोई ठिकाना नहीं है न जाने क्या हो गया है,,,,
काम के चक्कर में इधर-उधर घूम रहे होंगे,,,(सूरज अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला,,,)
अरे दुनिया काम करती है लेकिन अपना घर अपना घर होता है शाम को लौटकर इंसान अपने घर पर ही आता है लेकिन तेरे बाबूजी तो उन्हें तो ऐसा लगता ही नहीं है कि उनके घर परिवार है,,,। इस इंसान को बिल्कुल भी फिक्र नहीं है ना अपनी बीवी की ना अपने बच्चों की,,,,।
अब आए तो उनसे बात किया जाए आखिर हो क्या रहा है यह सब,,,।(सूरज भी चिंता दर्शाते हुए बोला,,,,, फिर थोड़ी ही देर में खाना बनाकर तैयार हो गया था इस बीच सूरज लगातार इस इंतजार में था कि तब उसकी बहन बाहर जाकर पेशाब करती है क्योंकि ना जाने क्यों अपनी बहन को पेशाब करते हुए देखने का नशा उसके दिलों दिमाग पर छा चुका था,,, लेकिन रानी इस बीच घर से बाहर गई ही नहीं,,,,।
तीनों साथ मिलकर खाना खाए,,, और बर्तन साफ करके और घर की सफाई करके सब लोग अपने-अपने कमरे में चले गए सूरज बहुत चाहता था कि उसकी बहन घर के बाहर जाए पेशाब करने के लिए लेकिन वह गई ही नहीं इसलिए वह भी मन मार कर अपने कमरे में चला गया,,,,।
सुनैना अपने कमरे में बिस्तर पर पडते ही करवट बदलने लगी,,, उसे बाजार में पंडित जी की बात याद आ रही थी पंडित जी ने सोनू की चाची का हाथ देख कर साफ-साफ कह दिया था कि उसके हाथ में संतान सुख तो है लेकिन उसके पति से बिल्कुल भी नहीं है किसी और का सहारा लेना पड़ेगा,,, इस बारे में जानकर सुनैना अपने मन में यही सोच रही थी कि सोनू की चाची अपने भाग्य के बारे में जानकर क्या सोच रही होगी क्या सच में वह किसी दूसरे के साथ संबंध बनाएगी क्योंकि पंडित जी ने तो साफ-साफ कह दिया था कि उसके पति से उसकी संतान नहीं होगी और पंडित जी की बात कभी गलत नहीं निकलती,,,,।
Ranior suraj
सुनैना यह सोचकर विचार में पड़ गई थी कि अपने भाग्य के बारे में जानकर सोनू की क्या सोच रही होगी उसके मन में क्या चल रहा होगा वह दुखी हो रही होगी या इस बात से खुश हो रही होगी,,, सुनैना अपने मन में सोच रही थी कि अपने पति की हालत देखकर तो एक तरह से उसे एक नया जीवन मिल गया था एक नया सहारा मिल गया था एक बहाना मिल गया था दूसरे के साथ संबंध बनाकर अपने जीवन में बहार लाने का क्योंकि उसके तो भाग्य में ही लिखा था दूसरी मर्द से संतान सुख तो ऐसे में दूसरे मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाकर वह अपनी प्यास भी बुझा सकती थी,,, तुमने इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि अपने पति से वह बिल्कुल भी खुश नहीं थी नहीं उसका पति उसे शारीरिक सुख दे पता था और नहीं संतान सुख तो उसके नसीब में साथ लिखा ही नहीं था।
ऐसे में इस मौके का सोनू की चाची को पूरा फायदा उठाना चाहिए अपनी जवानी की प्यास भी बुझा लेना चाहिए और मां बनने का सुख भी प्राप्त कर लेना चाहिए,,,, सोनू की चाची के बारे में इस तरह की बातें सोचकर वह है अपने मन में अपने बारे में सोचने लगी की खास उसकी किस्मत भी ऐसी होती तो मजा आ जाता,,,, लेकिन तभी उसे एहसास हुआ कि नहीं यह गलत है,,, मुझे कौन सी कमी है पति भी है संतान भी है,,, लेकिन तभी उसे अपने वर्तमान स्थिति का भान हुआ तो वह अपने मन में ही बोली,,, पति होने पर भी कौन सा पति का सुख मिल रहा है रात करवट बदलकर ही गुजर जाती है,,,, मुझे अच्छी तो किस्मत वाकई में सोनु की चाची की है क्योंकि उसके तो भाग्य में ही दूसरे मर्द का साथ लिखा है दूसरे मर्द के साथ संभोग करना लिखा है,,, और वह इस बारे में इंकार भी नहीं कर सकती ना जाने वह क्या सोच रही होगी किसके साथ संबंध बनाएगी किसके साथ संबंध बनाकर मां बनेगी यह भी तो एक विचार विमर्श का ही अध्याय है न जाने किसकी किस्मत में उसकी भरी हुई जवानी लिखी होगी,,,।
Suraj apni bahan ki salwar kholta hua
सुनैना यह सब सो ही रही थी कि तभी उसे सूरज की याद आ गई उसकी पड़ोसन सोनू की चाची को बार-बार सूरज के साथ संबंध बनाने के लिए बोल रही थी सूरज से चुदवाने के लिए बोल रही थी,,, इस बारे में सोच कर सुनैना की हालत खराब हो गई वह अपने मन में सोचने लगी कि क्या वाकई में उसकी पड़ोसन के कहे अनुसार अगर सोनु की चाची सूरत के साथ संबंध बना ली तो क्या होगा सूरत तो उसका दीवाना हो जाएगा जवान लड़के को और क्या चाहिए जवानी में एक खूबसूरत औरत और उसकी बुर चोदने के लिए और वाकई में सोनू की चाची में किसी बात की कमी नहीं है पूरी तरह से जवानी से भरी हुई है उसका बेटा तो उसे पाकर पागल ही हो जाएगा,,,। क्योंकि सूरज भी अब बड़ा हो चुका था और जिस तरह का अनुभव उसने उसे गले लगा कर अपनी दोनों टांगों के बीच महसूस की थी उसे देखते हुए सुनैना अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसका बेटा पूरी तरह से मर्द बन चुका था,,, जो वाकई में सोनू की चाची की बुर में उसके बेटे का लंड घुस गया तो वह मां बने बिना नहीं रह पाएंगी और उसका बेटा उसकी जवानी का गुलाम बन जाएगा यह तो सही नहीं होगा,,,।
लेकिन वह कर भी कर सकती है कब तक उसे पर नजर रखेगी दिनभर से बाहर घूमता है और जिस तरह से जवान हो रहा है जिस तरह की उसकी हरकत हो रही है जिस तरह से वह घूरने लगा है। उसे देखते हुए वहां सोनू की चाची के संपर्क में बहुत जल्दी आ जाएगा और वह उसे रोक नहीं पाएगी है भगवान क्या होगा अगर सच में सोनू की चाची उसके बेटे से मां बन गई तो,,,, यही सब सोते हुए वह रात भर अपनी बिस्तर पर करवट बदलती रही वैसे भी जवानी की प्यास उसकी आंखों में नींद नहीं आने देती थी और इसीलिए ही अपने पति की बेरुखी को देख कर ही उसके मन में सोनू की चाची की किस्मत को देखकर जलन हो रही थी,,,।
Suraj apni bahan k sath
एक तरफ सुनैना परेशान थी तो दूसरी तरफ सूरज की आंखों से भी नींद कोसों दूर जा चुकी थी क्योंकि उसकी नजर में उसकी बहन बस गई थी,,,,,, आंखों को बंद करते हैं उसकी आंखों के सामने उसकी बहन पेशाब करते हुए दिखाई देने लगती थी उसकी गोल गोल गांड गोरी गोरी मखमली बदन नजर आने लगता था,,, अपनी बहन की चढ़ती जवानी का वह दीवाना होता जा रहा था,,,।
एक दिन दोपहर के समय घर पर कोई नहीं था और वह घर में प्रवेश किया तो देखा कि उसकी बहन घर की सफाई कर रही थी वह झुकी हुई थी और उसकी जवानी से गदराइ गांड देखकर सूरज की हालत खराब होने लगी वह धीरे से कमरे का दरवाजा बंद किया और सीधे अपनी बहन के पास पहुंच गया और उसके पास पहुंचते ही अपनी बहन की बड़ी-बड़ी गांड को हाथ से जोर-जोर से दबाने लगा यह देखकर रानी एकदम से चौंक गई और अपने भाई की तरफ देखकर बोली,,,।
यह क्या कर रहे हो भैया यह गलत है।
Suraj apni bahan ki gaand se khelta hua
कुछ भी गलत नहीं है मेरी रानी तेरी गांड कितनी बड़ी-बड़ी हो गई है तेरे पर तो जवान छा रही है,,,, कसम से आज तुझे नहीं छोडूंगा,,,,(और ऐसा कहते हुए आप अपनी बहन की गांड को दोनों हाथों से जोर-जोर से दबाने लगा और रानी उससे दूर जाने की कोशिश करते हुए बार-बार बोलरही थी)
नहीं भैया मुझे जाने दो मां को पता चलेगा तो गजब हो जाएगा,,,,।
मां को बिल्कुल भी पता नहीं चलेगा कमरे में सिर्फ में और तू है तेरी जवानी का मैं पागल हो चुका हूं तेरी जवानी का दीवाना हो गया हूं तेरा खूबसूरत बदन मुझे पागल कर रहा है,,,,।
नहीं भैया रहने दो यह क्या कर रहे हैं मेरे कपड़े क्यों उतार रहे हो,,,, जाने दो भैया मेरी सलवार मत उतारो,,,,।
Rani or suraj
सलवार उतारे बिना तो काम ही नहीं बनेगा मेरी जान,,,(और ऐसा कहते हुए सूरज अपने हाथों से अपनी बहन की सलवार की डोरी खोलकर उसे नीचे की तरफ से पानी लगा कुछ देर तक रानी भी उसका विरोध करती रहे लेकिन सूरज की हरकत की वजह से उसमें भी मस्ती छाने लगी और वह विरोध करना एकदम से बंद कर दे इसका फायदा उठाते हुए सूरज अपनी बहन की नंगी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे जोर-जोर से मचल रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह दही से मक्खन बना रहा हो,,,, अपनी बहन की नंगी गांड को मसलने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,।)
रानी मुझे बहुत मजा आ रहा है मन को तुम बिल्कुल भी मत बताना अभी देखना थोड़ी देर में तुम एकदम मस्त हो जाओगी,,,।
भैया मुझे भी कुछ कुछ हो रहा है लेकिन मुझे डर भी लग रहा है ऐसा मैंने पहले कभी नहीं करी,,,।
सब काम जिंदगी में पहली बार ही होता है तु चिंता मत कर,,, कुछ भी नहीं होगा बस मजा आएगा,,,।
(इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी बहन को दीवार के सामने खड़ी कर दिया और उसकी कमर में हाथ डालकर उसे आगे की तरफ खींच कर उसकी गांड को थोड़ा ऊपर कर दिया रानी का दिल बड़े जोरों से धड़कता है क्योंकि बार-बार उसकी नजर अपने भाई के अंदर पर चली जा रही थी और उसकी बहन का लंड बहुत ज्यादा ही लंबा और मोटा था,, ।
Rani apne bhai k sath
सूरज पहली बार रानी के साथ शारीरिक संबंध बनाने जा रहा था और वह भी जल्दबाजी में रानी उसके लिए तैयार भी नहीं थी लेकिन सूरज अपनी हरकतों की वजह से उसे भी गर्म कर दिया था इसलिए वह भी तैयार हो चुकी थी,,, सूरज अपने दोनों हाथों से अपनी बहन की टांग को खोलकर उसके गुलाबी छेद पर ढेर सारा थुक लगाने लगा और फिर अपने सुपाड़े पर भी थूक लगाकर उसे चिकना कर दिया,,, और फिर उसे अपनी बहन के गुलाबी छेंद पर रखकर हल्के से अपनी कमर आगे बढ़ाकर उसे अंदर डालना शुरू कर दिया और देखते ही देखते धीरे-धीरे सूरज का लंड उसकी बहन की बुर की गहराई नापने लगा बहुत सफलतापूर्वक बड़े आराम से पहली बार में ही वह अपनी बहन की बुर में झंडा गाड़ चुका था ,,।
Suraj or rani
रानी की गरमा गरम सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी सूरज घचाघच अपनी बहन की चुदाई कर रहा था उसकी बुर में से फच फच की आवाज आ रही थी,,, अपनी बहन की बुर में लंड डालकर सूरज बहुत खुश था मुखिया की बीवी के बाद यह दूसरी औरत थी जो उसके जीवन में आई थी जिसके साथ वह शारीरिक संबंध बना रहा था,,,,, रानी कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने भाई के साथ ही चुदवाएगी,,,, लेकिन आज उसका सोचा ना सोचना सब एक बराबर हो गया था उसके भाई ने खड़ी दुपहरी में अपनी मां की गैर मौजूदगी में उसे दबाच दिया था और उसके साथ रंगरेलियां बना रहा था जिसमें आप उसकी बहन भी अपनी गांड को पीछे की तरफ ठैल ठैल कर उसका साथ दे रही थी,,,,।
Suraj or rañi
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सूरज जी भर कर अपनी बहन की चुदाई कर रहा था कभी पीछे से कभी आगे से तो कभी एक टांग को हाथ में लेकर,,, जहां से हो सकता था वहां से वहां अपनी बहन की चुदाई कर रहा था और उसकी बहन भी उसका पूरा साथ दे रही थी तो पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उत्तेजना उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी और देखते-देखते दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और दोनों एक साथ झड़ गए लेकिन तभी भडाक की आवाज के साथ दरवाजा खुला और दोनों के होश उड़ गए ,,,,,।
सूरज एकदम से बिस्तर पर उठकर बैठ गया था उसकी सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी और उसकी नजर दरवाजे पर टिकी हुई थी,,,, सूरज की सांस ऊपर नीचे हो गई थी वह पूरी तरह से पसीने से तरबतर हो चुका था दरवाजे पर दस्तक हो रही थी और दरवाजे के बाहर उसकी बहन उसे जोर-जोर से आवाज देकर जगा रही थी,,, सूरज इधर-उधर देखने लगा कुछ देर तक तुमसे समझ में नहीं आया कि क्या हुआ वह बड़ी गौर से अपने चारों तरफ देख रहा था और थोड़ी देर बाद उसे एहसास हुआ कि वह तो अपने कमरे में सो रहा था वह सपना देख रहा था तब उसकी जान में जान आई,,,।
भइया उठो कब तक सोते रहोगे आज तो बहुत देर कर दिए हो,,,।
Suraj Rani ki chudai karta hua
हां आया,,,,,(इतना कहकर वह अपनी ही कमीज से पसीना पोंछने लगां,,, उसकी नजर जैसे ही अपनी दोनों टांगों के बीच गई तो वह हैरान रह गया उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में खड़ा था और उसके लंड से वीर्य बात हो चुका था कमर के नीचे हो पूरी तरह से नंगा था उसे याद आया कि रात में वह अपनी बहन को याद करके उसी अवस्था में सो गया था और इस समय अपनी बहन का रंगीन सपना देखकर उसका वीर्य पात हो गया था कुछ देर तक तो उसे समझ में नहीं आया कि वाकई में सपना देख रहा था की हकीकत में सब कुछ हो रहा था कि सपना इतना रंगीन और इतना साफ था कि वाकई में यकीन करना बड़ा मुश्किल था वह बहुत खुश नजर आ रहा था क्योंकि हकीकत में ना सही सपने में ही वह अपनी बहन के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था,,,।)
बहुत ही शानदार और गरमागरम अपडेट हैआंख खुली तो सूरज के होश उड़ चुके थे,,,, उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि वह सपना देख रहा था,,, क्योंकि उसका सपना भी एकदम हकीकत जैसा ही था वह अपनी बहन से सपने में भी एकदम रूबरू संभोग रत हुआ था,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि वह कोई सपना है ऐसा ही लग रहा था कि बिल्कुल हकीकत ही है तभी तो वह आंख खुली तो पल भर के लिए अचंभित हो गया था,,, दरवाजे पर दस्तक की आवाज आ रही थी जो कि उसकी बहन ही दे रही थी,,,।
Mukhiya ki bibi ki chudai
कुछ देर बाद उसे सब कुछ हकीकत लगने लगा वह समझ गया कि वह जो कुछ भी देख रहा था बस इतना ही था जो कुछ भी अपनी बहन के साथ कर रहा था बस सपने में कर रहा था,,, कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगा था,, जब अपनी दोनों टांगों के बीच अपने हथियार की तरफ देखा था उसका वीर्य पात हो चुका था वह समझ चुका था कि जो कुछ भी अपनी बहन के साथ किया था वहां सपने में हुआ था,,, दरवाजे पर दस्तक देकर उसकी बहन जा चुकी थी और जब उसे हकीकत का एहसास हुआ तो उसके चेहरे पर मुस्कान करने लगी लेकिन जो गर्मी उसकी बहन की बदन से उसे सपने में महसूस हुई थी उसके चलते उसका पूरा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,,, एक अद्भुत एहसास मे वह पूरी तरह से डूब चुका था,,,।
कुछ देर तक सूरज अपने बिस्तर पर ही बैठा रह गया और सपना के मनमोहक दृश्य को याद करने लगा,,, वह बार-बार अपने मन से पूछ रहा था क्या सच में वह सपना देख रहा था सब कुछ तो हकीकत जैसा लग रहा था उसकी बहन घर की सफाई कर रही थी उसकी उभरी हुई गांड देखकर कर वह उत्तेजित हो गया था,,, उसे पर बिल्कुल भी काबू नहीं रह गया था और वह दरवाजा बंद करके सीधे अपनी बहन के पास पहुंच गया था और जब वह घर की सफाई कर रही थी तो सीधा अपने हाथ को उसकी गांड पर रखकर जोर से दबाना शुरू कर दिया था,,,।
Sunaina ki jawani
इतना भी नहीं सोचा कि उसकी हरकत से उसकी बहन गुस्सा हो सकती है उसकी इस हरकत से शर्मिंदा हो सकती है उसकी इस हरकत को अपनी मां से बता सकती हैं,,, लेकिन उसे समय तो न जाने कैसी मदहोशी छाई हुई थी आंखों में तुम्हारी छाई हुई थी अपनी बहन में वह एक औरत देख रहा था जो की बहुत खूबसूरत थी और सीधा उसकी गांड को मसलना शुरू कर दिया था किसी भी परवाह नहीं थी कि उसकी सरकार का उसकी बहन पर क्या प्रभाव पड़ेगा वह क्या जवाब देगी,,, लेकिन ऐसा लग रहा था कि जैसे सूरज की किस्मत बहुत तेज थी उसकी हरकत का उसकी बहन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ रहा था वह तेजी तुम्हें जा रही थी बस ऊपरी मन से उसे रोकने की कोशिश कर रही थी,,,।
और फिर सूरज अपनी मनमानी करना शुरू कर दिया,,, जबरदस्ती तो बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता था क्योंकि उसकी बहन उसे रोकने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं कर रही थी और सूरज देखते-देखते उसकी सलवार की डोरी खोलकर सलवार को नीचे खींच दिया था,,, अपनी बहन की नंगी कोरी गांड देखकर सूरज की दिलो दिमाग पर वासना पूरी तरह से अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था और वह देखते ही देखे अपनी बहन की नंगी गांड को मसलते हुए,,, उसके हाथों में अपना हथियार थमा दिया था,,,, और जैसे ही रानी अपने भाई के लंड को अपने हाथ में पकडी सूरज को तो लगा जैसे वह जन्नत में पहुंच गया हो,,, वह आनंद के सागर में गोते लगाने लगा,,,।
Suraj or mukhiya ki bibi
और फिर दीवार से उसकी बहन को सटाकर उसे घोड़ी बना दिया,, और फिर पीछे से उसकी चुदाई करना सब कर दिया क्या सपना इतना हकीकत था कि उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि वह सपना देख रहा था,,, अपनी आलस को अंगड़ाई लेकर मरोड़ते हुए,, गहरी सांस लेने और फिर अपने बिस्तर से नीचे उतर गया और फिर अपने पजामे को पहनने लगा ,,, और फिर घर से बाहर निकल गया,,,। इधर-उधर घूमता हुआ वहां खेतों से गुजर रहा की तभी उसके कानों में आवाज सुनाई थी जो की कोई उसका ही नाम लेकर पुकार रहा था,,,, अपना नाम सुनकर सूरज वहीं रुक और इधर देखने लगा,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था की आवाज कहां से आ रही है क्योंकि चारों तरफ बड़ी-बड़ी झाड़ियां थी,,, लहलहाते खेत थे,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था तभी वह आवाज एकदम नजदीक आने लगी और उसे इतना तो समझ में आने लगा कि उसका नाम पुकारने वाला कोई आदमी नहीं बल्कि कोई औरत है,,,।
अरे सूरज कब से तुझे आवाज लगा रही हूं सुनाई नहीं देता क्या,,,?(एकदम से गहरी गहरी सांस लेते हुए सोनू की चाची बोली,,,,, आवाज ठीक उसके पीछे से आ रही थी सिलेबस तुरंत पीछे मुड़कर देखने लगा तो सामने सोनू की चाची को देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,,)
अरे चाची तुम,,,,
अरे हां मैं ऐसा लग रहा है कि तुझे तो सुनाई ही नहीं देता,,,(गहरी गहरी सांस लेते हुए बोली,,)
अरे चाची ऐसी बात नहीं है आवाज तो सुनाई दे रही थी लेकिन समझ में नहीं आ रहा था कि कहां से आ रही है आवाज,,,, वैसे बताओ क्या काम था ऐसा लग रहा है कि जैसे भागते हुए आई हो,,,,।
(इस बीच लगातार सोनू की चाची गहरी गहरी सांस ले रही थी,,,)
हां ऐसा ही है,,,, मैं कब से किसी का इंतजार कर रही थी तो कोई तुम्हारे और घास का ढेर उठा कर मेरे सर पर रखें लेकिन इतनी देर से खड़ी हुं कोई दिखाई नहीं दिया,,,तु दीखाई दिया तो तुझे तो कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा है,,,,।
Rani ek din isi tarah se kudegi
(सूरज सोनू की चाची को गौर से देखने लगा,,, और सोनू अपने मन में अंदाजा लगाने लगा कि सोनू की चाची की उम्र उसकी मां से लगभग 7 साल कम ही है लेकिन बदन से भारी जिससे अगर मां को और सोनू की चाची को खड़ा कर दिया जाए तो दोनों बहने ही लगेंगी दोनों की उम्र में बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ेगा,,,, सूरज बड़ी गौर से सोनू की चाची को देख रहा था उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर उसकी निगाह ठीक जा रही थी गोल चेहरा एकदम गोरा भारी बदन की होने की वजह से गांड भी एकदम जानदार थी,,, और भाग कर यहां तक आने की वजह से कंधे से साड़ी का पल्लू नीचे सड़क गया था और हाथ की कोनी में जाकर टिक गया था जिसकी वजह से उसकी मलाईदार छाती एकदम समझ कर हो गई थी और सूरज उसी पर अपनी निगाहें गड़ाए हुआ था,,,। सोनू की चाची की बात सुनकर सूरज बोला,,,)
नहीं चाहिए ऐसी कोई भी बात नहीं है मुझे आवाज सुनाई दे रही थी लेकिन मैं अपनी ही धुन में था इसलिए समझ में नहीं आया की आवाज कहां से आ रही है,,,,(सोनू की चाची की चूचियों की तरफ देखते हुए बोला,,,)
चल कोई बात नहीं कहीं काम से जा रहा था क्या ,,,?
नहीं तो ऐसे ही टहलने निकला था,,,,।
चल तब तो ठीक है,,,,(एकदम खुश होते हुए सोनू की चाची बोली)
वैसे काम क्या है चाची,,,(फिर से सोनू की चाची की मलाई दार चूचियों की तरफ देखते हुए बोला,,)
अरे ज्यादा कुछ नहीं करना है बस घास का ढेर उठा कर मेरे सर पर रख देना मैं घर पर लेकर चली जाऊंगी,,,,।
अरे चाचा मेरे होते हुए भला आपको बोझ उठा कर चलना पड़े ऐसा कैसे हो सकता है मैं हूं ना,,,,(सूरज उत्तेजना में गहरी सांस लेते हुए बोला उसकी नजर अभी भी सोनू की चाची की चूचियों पर टिकी हुई थी और जैसे ही सोने की चाची फेस बात का एहसास हुआ वह अपनी साड़ी के पल्लू को एकदम से ठीक करने लगी,, और उसे इस तरह से साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए देखकर सूरज अपनी बात करने की दिशा को बदलते हुए बोला,,,)
चलो चाची कहां रखी हो घास का ढेर,,,!
वह बड़े से पेड़ के नीचे,,,(उंगली के इशारे से दूर बड़े से पेड़ की तरफ दिखाते हुए सोनू की चाची बोली,,, लेकिन सुरज की निगाहों को पहचान कर,,, सोनू की चाची का दिल जोरो से धड़कने लगा था,,,, सोनू की चाची के मन में अजीब सी हलचल होने लगी उसे दिन की बात याद आने लगी जब घास का बोझ उठाते समय सूरज उसकी कलाई थाम लिया था उसकी पकड़ को महसूस करके उसके तन बदन में अजीब सी उलझन हो रही थी जो की खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली कार में हलचल मचा रही थी और इस समय भी सोनू की चाची को यही महसूस हो रहा था वह एकदम से अजीब सी उलझन में होती जा रही थी इसलिए उंगली से इशारा करने के बाद तुरंत आगे आगे चलने लगी और उसे आगे चलता हुआ देखकर सूरज भी पीछे-पीछे चल दिया,,,,, और बोला,,,)
क्या चाची सोनू को बुला ली होती तो बेवजह इधर-उधर घूमता रहता है,,,,।(सूरज जानबूझकर सोनू का जिक्र कर रहा था क्योंकि वह जानता था कि उसकी चाची सोनू से िचढ़ती है क्योंकि सोनू कोई काम का नहीं था,,,, इसमें सोनू का जिक्र होते ही उसकी चाची बोली।)
अरे वह हरामजादा अगर काम का होता तो उसे साथ में नहीं ले जाती वह कोई काम का ही नहीं है,,,,।(सोनू की चाची इतना कहने के साथ ही सुनैना की पड़ोसन की बात के बारे में सोचने लगी वह बार-बार उसे सोनू का नाम लेकर उकसा रही थी,,, वह बार-बार उसे कह रही थी कि सोनू के साथ चुदवा कर मां बन जा,,, यह बात याद आते ही सोनू की चाची के मन में हलचल होने लगी और उसे यह भी याद आने लगा कि सुनैना की पड़ोसन सूरज का भी नाम ले रही थी जो कि उसके साथ ही चल रहा है,,,, और सूरज का ख्याल उसके मन में आते हैं न जाने की उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान तैरने लगी और अपने आप ही उसके दिमाग में ख्याल आ गया कि सूरज उसके लिए बेहतर है,,,, और तभी उसे बाजार में पंडित जी की बात याद आ गई कि उसे संतान सुख तो है लेकिन उसके पति से नहीं है और यह ख्याल मन में आते ही,,, वह सोचने लगी की क्या वाकई में उसकी किस्मत में किसी गैर मर्द का साथलिखा है,,,,।
वह अपने मन में सोचने लगी थी पंडित की कहानी बात कभी गलत नहीं हुई है इसीलिए तो जब भी कोई जरूरत पड़ती है तो लोग बाजार में पंडित जी के पास ही जाते हैं और उनसे अपना भविष्य जानते हैं क्योंकि आज तक सब कुछ सच होता आ रहा था तो यह बात भी क्या सच है कि दूसरों के साथ चुदवा कर ही वह मां बन पाएंगी,,, अभी वह अपने मन में यही सब सोच रही थी कि सूरज बोला,,,)
बात तो तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो चाची,,, सोनू हमेशा आवारा लड़कों की तरह घूमते रहता है उसे आज तक मैं घर का कोई काम करते नहीं देखा और जब देखो तब अगर खेलते भी है तो कहेगा कि मैं थक गया हूं मैं थक गया हूं उसे चलाने जा रहा है मुझे खेल नहीं जा रहा है इसलिए उसके साथ खेलने में भी मजा नहीं आता,,,।
(सूरज इस बात को जानबूझकर उसकी चाची को बता रहा था क्योंकि वह जानता था कि औरत और मर्द के बीच में थकान नाम की कोई चीज नहीं होनी चाहिए अगर जो मर्द औरत के साथ थक गया वह औरत के काबिल नहीं इसलिए वह सोनू की चाची को एहसास दिख रहा था कि सोनू उसके बिल्कुल भी काबिल नहीं है क्योंकि सूरज की नजर सोनू की चाची पर बदलने लगी थी सूरज सोनू की चाची के साथ हम बिस्तर होना चाहता था उस संबंध बनाना चाहता था क्योंकि आगे वह है जिस तरह से ऊंची नीची पगडंडी पर पैर रखकर चल रही थी उसके चलने के कारण उसकी बड़ी-बड़ी गांड आपस में रगड़ खाते हुए साड़ी के ऊपर से उभार लिए हुए नजर आ रही थी,,, जिसे देखकर सूरज उत्तेजित हुआ जा रहा था और अपने मन में यही सोच रहा था कि अभीभले सोनू की चाची साड़ी पहनी हुई है लेकिन उसकी यही बड़ी-बड़ी गांड को वहां एक दिन नंगी देख चुका है उसे पेशाब करते हुए देख चुका है और यह पूरा से उसके भतीजे कोई जाता है जिसने इतना मदहोश कर देने वाला दृश्य उसे दिखाया था और उसके जीवन को बदल कर रख दिया था,,,, सूरज की बात सुनकर सोनू की चाची बोली,,,)
रानी और सुरज
बात तो तु सही कह रहा है सूरज,,, घर का एक काम नहीं करता है कोई भी कम करो बस ना कह देता और भाग जाता है बिल्कुल अपने चाचा की तरह ही है मरीयल यहां तक कि जब भी मैं नहाने जाती हूं तो उसे रहती हूं कि एक बाल्टी पानी पहुंचा दे तो उससे इतना भी नहीं होता,,,।
(सोनू की चाची की है बात सुनकर सूरज सोनू को अपने मन में ही गाली देने लगा कि साला इतना अच्छा मौका होने के बावजूद भी मौके का फायदा नहीं उठा पाता,,, साला मैं अगर होता तो,,, पानी पहुंचाने के बहाने सीधा गुसलखाने में बहुत ज्यादा और एक बहाने से नहला भी देता वाकई में सोनू एकदम नकारा है,,,, सोनू की चाची की बात को सुनकर सूरज बोला,,)
सोनू की चाची
पागल है सोनू ,,,चाची,,, मैं अगर सोनू की जगह होता तो मैं तुम्हारा सारा काम कर देता तुम्हें हाथ चलाने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं पड़ती,,,,(गहरी सांस लेते हुए सोनू की चाची की बड़ी-बड़ी गांड को घूरते हुए वह बोला और उसकी बात सुनकर सोनू की चाची एकदम खुश हो गई और नजर पीछे घूमाकर सुरज की तरफ देखने लगी और उसकी तरफ देखकर एकदम से दंग रह गई क्योंकि उसे एहसास होगया कि सूरज उसकी बड़ी-बड़ी गांड को ही देख रहा था एकदम से सोनू की चाची वापस अपनी नजर को घुमा ली और हैरान होते हुए अपने मन में सोचने लगी कि यह सूरज उसके बारे में क्या सोच रहा हैं कभी उसकी चूची की तरफ तो कभी उसकी गांड की तरफ देख रहा है ऐसा तो मर्द औरत की तरह आकर्षित होने के बाद ही करते हैं क्या यह मेरी कृपा आकर्षित हो रहा है क्या यह मुझे कुछ चाहता है,,,, हे भगवान को समझ में नहीं आ रहा है कि सूरज के मन में चल क्या रहा है कहीं पंडित की कही बात सच तो नहीं हो जाएगी,,,, यही सब सोते हुए दोनों बड़े से पेड़ के पास आ गए थे सूरज ने देखा कि सोनू की चाची बड़ा सा घास का ढेर करके रखी हुई थी,,,, वहां पहुंचते ही सोनू की चाची बोली।
इसे बांध कर तू मेरे सर पर रख दे मैं घर लेकर चली जाऊंगी,,,,।
क्या बात कर रही है चाची मेरे होते हुए तुम्हें उठाना पड़े तो फिर मेरा होना ही बेकार है,,, मैं उठा कर ले जाऊंगा,,,,।
तू इतना बड़ा ढेर उठा लेगा,,,,!(जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए सोनू की चाची बोली)
क्या बात कर रही हो चाची ,,,, इतना मजबूत शरीर क्यों बनाया हूं कहो तो तुम्हें भी उठा कर तुम्हारे घर तक ले चलु,,,।
(सूरज शरारत करते हुए बोला लेकिन उसकी इस बात को सुनकर सोनू की चाची की दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी,,,, क्योंकि सूरज एकदम मर्दों की तरह बात कर रहा था जो कि अपनी बात से ही उसे पानी पानी कर रहा था और इस बात से ही सोनू की चाची ना जाने क्यों उसकी तरफ आकर्षित हो जा रही थी एक तरफ पंडित जी की कही बात थी उसकी भविष्यवाणी थी और दूसरी तरफ का सूरज जो उसकी तरफ आकर्षित हुआ जा रहा था यह सब देखकर सोनू की चाची को न जाने क्यों ऐसा लगने लगा था की हालत इशारा कर रहा था पंडित की कही बात बिल्कुल सच होने जा रही थी सोनू की चाची को लगने लगा था कि कहीं उसका संबंध सूरज से ना बन जाए,,,। सूरज की बात सुनकर शरमाते हुए बोली,,,)
धत् कितना बेशर्म है तू,,,, कोई औरत को उठा कर ले जाता है क्या,,,!
अरे चाचा तुम्हें विश्वास नहीं है इसलिए कह रहा था आखिरकार मर्दानगी तो औरत पर ही दिखाई जाती है ना असली मर्द तो वही होता है जो औरत को हर हाल में खुश रखें,,,,।
तो तू मुझे खुश रखना चाहते हैं लेकिन यह काम तो पति का होता है,,,,।
होता तो है चाची,,, लेकिन जब जरूरत पड़े तो किसी को भी सहारा बन जाना चाहिए,,,।
तेरी बातों से तो ऐसा लग रहा है कि बहुत बड़ा हो गया है तू,,,।
(सोनू की चाची की बात को सुनकर सूरज अपने मन में ही बोला मैं क्या चाची मेरा लंड भी बड़ा हो गया है एक बार लेकर तो देखो,,,, फिर भी वह औपचारिकता निभाते हुए बोला,,,)
सही बोलु तो चाची समय के साथ इंसान को बड़ा हो जाना चाहिए,,,,। अब रुको जरा में घास को बांध दु,,,(और इतना क्या कर रहा है रस्सी ढूंढने वाला और सोनू की चाची को सही देख रही थी उसकी बात को सुनकर खास करके मर्दानगी वाली बात पर न जाने क्यों उसकी आंखों के सामने ऐसा नजर आने लगा कि जैसे वह उसे अपनी गोद में उठाकर उसे खटिया पर ले जाकर पटक दिया और उसका ब्लाउज खोलने की जगह जोर से खींच कर फाड़ दिया उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को दोनों हाथों में भरकर जोर-जोर से दबाते हुए उसके लाल होंठों का रस पीने लगा,,,,,,, यह सब सो कर उसे कुछ-कुछ होने लगा था लेकिन न जाने किस तरह की कल्पना करने से बहुत मजा आ रहा था,,,,।
और वह फिर से अपनी कल्पना को आगे बढ़ाते हुए सोचने लगी की बिस्तर पर उसकी चूचियों से खेलने के बाद सूरज उसकी साड़ी को बिना खोले बिना उसकी पेटिकोट उतारे,,, सीधा एक झटके नहीं उठा कर उसे कमर तक खींच दिया और फिर दोनों टांगों को दोनों हाथों से पकड़ कर बड़ी ही बेरहमी से फैला दिया और फिर अपने मोटे तगड़े लंड को एक झटके में उसकी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया यह एहसास या कल्पना उसे पूरी तरह से पानी पानी कर दिया था वह मदहोश हो गई थी,,,, उसकी टांगों में कंपन हो रहा था बहुत तेज सेवा के परम शिखर पर केवल कल्पना करके ही पहुंच चुकी थी,,,,,।
वह कल्पना में तल्लीन थी और सूरज रस्सी ढूंढ कर घास के ढेर को बांध चुका था,,,, और फिर बिना सोनू की चाची का सहारा लिए वह अपने हाथ से ही उठाकर उसे अपने सर पर रख लिया था यह देखकर सोनू की चाची भी हैरान हो गई थी उसकी मर्दाना ताकत उसे पूरी तरह से मोहित कर रही थी,,,,, सर पर बोझा उठाए हुए वह सोनू की चाची से बोला,,,।
ले चलु चाची घर,,,,।
अब तुझे इनकार करूंगी तो भी तू माने वाला नहीं है,,,, काश सोनू की जगह तू होता तो मेरा कितना काम कर देता,,,(ऐसा मन में सोते हुए वह अपने आप से ही बोली मां बनने का भी सुख तेरे से ही प्राप्त हो जाता,,,)
क्या हो गया चाचा सोनू और मुझ में कोई फर्क है क्या सोनू की जगह ही मुझे समझो हमेशा मैं तुम्हारी मदद करते रहूंगा,,,,।
सोनू और तुझ में जमीन आसमान का फर्क है रे,,,,
मैं कुछ समझा नहीं चाची,,,,।
समय आएगा तो समझ जाएगा,,,,,,अब चल,,,, नहीं तो खड़े-खड़े थक जाएगा,,,।
क्या चाची तुम भी,,,, मुझे क्या समझी हो,,, मैं कभी भी नहीं दिखने वाला खड़े-खड़े या लेटे-लेटे चाहे जैसे कहो,,,,।
(सूरज कि ईस बात पर सोनू की चाची एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई सोनू की चाची समझ रही थी कि सूरज क्या कहना चाह रहा है इसलिए अपने आप को सहज करते हुए बोली लेकिन इतने में भी उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,)
अच्छा चल,,,, बातें बना रहा है जब समय आएगा तो ढेर हो जाएगा,,,,।
अरे चाची,,, जब समय आएगा तो खुद ही देख लेना ढेर हो जाता हूं या ढेर कर देता हूं,,,।
(अब सोनू की चाची कुछ बोल नहीं पाई बस उसे चलने का इशारा की और सुरज आगे आगे चलने लगा ,, सूरज की बातें उसे झकझोर कर रख दे रही थी,,, बरसों बाद किसी ने उसे के साथ इस तरह की बातें किया था और इस तरह की बातें सुनकर उसका रोम रोम पुलकित हो गया था,,,।)
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है सोनू की चाची सूरज के अनजान बनने के कारण वह यह सोचती है कि सूरज अभी तक बच्चा ही है लेकिन उसे ये नही पता की सूरज मुखिया की बीवी को चोद कर अपना दीवाना बना दिया हैसूरज सोनू की चाची से बातों का आनंद ले रहा था सोनू की चाची से बात करने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,, यह वही सूरज था जब सोनू को कभी उसके घर बुलाने जाता था तो सोनू की चाची की तरफ देखता तक नहीं था,,, उसे समय भी सोनू की चाची उसे छोटे-मोटे काम करने के लिए बुलाती थी लेकिन वह भाग जाता था लेकिन आज ऐसा था कि सूरज खुद सोनू की चाची की तरफ आगे बढ़ता जा रहा था,,,,।
सर पर घास का ढेर लिए सूरज आगे आगे चल रहा था और सोनू की चाची पीछे-पीछे चल रही थी सोनू की चाची के मन में उसके तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी उसके मन में बहुत सारे सवाल उठ रहे थे खास करके बाजार में कही गई पंडित की बात को लेकर तो उसका मन बड़ा व्याकुल हो रहा था,,,। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए शादी को काफी समय गुजर गया था लेकिन ना तो शरीर सुख मिल रहा था और नहीं संतान सुख,,,, सोनू की चाची अपने आप से ही सवाल करते हुए पूछ रही थी,,,।
क्या मैं बुढी हो गई हूं,,, क्या मेरी ख्वाहिश नहीं है क्या मैं शरीर सुख पानी की हकदार नहीं है क्या मुझे संतान सुख नहीं चाहिए,,,, मेरी उम्र ही क्या है शादी को सात आठ साल तो हुए हैं लेकिन फिर भी सब कुछ अधूरा सही है पति ऐसा मिला कि जो ना तो शरीर सुख दे पा रहा हूं नहीं संतान सो और जब शरीर सुख नहीं दे पा रहा है तो संतान सुख कहां से देगा,,, ओर हो सकता है शायद भगवान को भी यही मंजूर हो तभी तो पति ही ऐसा मिला है एकदम मरीयल सा,,, ना तो उसे औरतों को खुश करने की ताकत है और ना ही मां बनाने की क्षमता,,, और उसके किए की सजा मुझे मिल रही है मेरा क्या कसूर है क्या बिगाड़ा है मेने किसी का,,, जो मुझे इस तरह की सजा मिल रही है,,,।
दूसरी औरतों को देखती हूं तो सोचती हूं खास मेरा भी जीवन औरतों की तरह होता तो कितना अच्छा होता छोटे-छोटे बच्चे,,, जो दिन रात मां मां कह कर पुकारते,,, रात को मर्दाना ताकत से भरा हुआ पति हर धक्के में स्वर्ग का सुख देता,,,, काश ऐसी मेरी किस्मत होती तो मजा आ जाता,,,,, लेकिन कर भी क्या सकते हैं,,,,,(अपने आप से इस तरह की बात कर रही थी कि अपने ही सवाल में उसे जैसे जवाब मिल गया हो और वह एकदम से खुश होते हुए अपने आप से ही बोली)
हो सकता है क्यों नहीं हो सकता पंडित जी ने भी तो यही कहा था कि उसके हाथ की रेखा में संतान सुख जरूर है लेकिन उसके पति से नहीं किसी गैर मर्द से इसका मतलब साथ है कि ऊपर वाले ने ही उसे इजाजत दिया है दूसरे मर्द से संबंध बनाने के लिए अपनी खुशी ढूंढने के लिए मां बनने के लिए हर तरह का सुख पाने के लिए तो क्यों ना ऊपर वाले की मर्जी को सम्मान दिया जाए,,,, लेकिन किसके साथ,,,।
सोनूके साथ,,,, नहीं नहीं सोनू बिल्कुल भी नहीं वह भी तो अपने चाचा की तरह ही मरियल सा है घास का बोझ तो उठाया नहीं जाता वह उसे कैसे उठाएगा,,,, कहीं वह भी अपने चाचा की तरह ही निकल गया कि पहले ही धक्के में ढेर हो गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे,,,, सारा मजा कीरकीरा हो जाएगा और अगर किसी तरह से वह सोनू से गर्भवती हो भी गई तो बच्चा भी उसी की तरह ही होगा मरियल सा नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं होने दूंगी,,, सोनू तो बिल्कुल भी नहीं,,,,।
यह सूरज कैसा रहेगा हट्टा कट्टा जवान बांका है ,, इसकी शरीर की कद काठी को देखकर ऐसा लगता है कि यह जरूर मुझे दुनिया की खुशी देगा शरीर सुख देगा और मुझे मा भी बनाएगा,,,, सूरज का नाम तो सुनेना दीदी की पड़ोसन भी ले रही थी,,, वही तो सही थी की सूरज के साथ संबंध बनाकर मां बन जा कोई बात सूरज की मां भी गई थी भले ही मजाक में कहीं हूं लेकिन कहीं तो थी ही क्योंकि शायद लोग भी जानती हैं कि उसके लिए सूरज से अच्छा लड़का कोई भी गांव में नहीं होगा जो उसकी जरूरत को पूरा कर सके,,, सूरज भी तो उसे टुकुर-टुकुर देखता हैं पहले तो पास में नहीं आता था नजर मिलाने से डरता था भाग जाता था उसे दिन तो घास का बोझ उठने के बहाने किस तरह से कलाई पकड़ लिया था उस समय तो मेरे बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, उसकी पकड़ ही इतनी गजब की थी,,, और अभी भी तो उसकी नजर उसकी चूची ऊपर और बड़ी-बड़ी गांड पर ही है,,, यह सब ऐसे ही थोड़ी हो रहा है हो सकता है ऊपर वाले का इशारा है अगर ऊपर वाले ने किस्मत में कुछ और लिखा है तो इसके साथ संबंध बनाकर मां बनना लिखा है उसे भी तो मिलाना भी उसकी जिम्मेदारी है,,,,।
कहीं यह सब जो भी हो रहा है सूरज का उसके साथ मिलना जुलना उसके बदन को निहारना उसकी तरफ आकर्षित होना यह सब ऊपर वाले का ही तो इशारा नहीं है क्या ऊपर वाला खुद चाहता है कि मैं सूरज के साथ संबंध बनाऊं,,, वरना इतना बदलाव एक लड़के में कैसे आ सकता है जो लड़का कुछ दिन पहले औरतों से डरता था घबराता था उनके पास नहीं आता था आज वह खुद आगे चलकर मदद करने को तैयार है किसी भी तरह की मदद करने को हाजिर है,,,, सोनू की चाची अपने मन में यही सब सो रही थी और काफी देर तक खामोशी छाई रहने की वजह से सूरज बोला,,,।
क्या हुआ चाची खामोश क्यों हो,,? कुछ बोलती क्यों नहीं,,!
क्या बोलूं,,,,?
अरे कुछ भी बोल बोलने का कहां पैसा लगता है,,,।
मुझे मालूम है बोलने का पैसा नहीं लगता लेकिन कोई सुनने वाला भी तो होना चाहिए,,,,।
कैसी बातें कर रही हो चाची मैं हूं ना सुनने वाला तुम बोलो मैं सुन रहा हूं,,,(घास का बोझ सर पर उठाएं आगे आगे चलते हुए सूरज बोला,,,, पीछे पीछे सोनू की चाची अपने अरमानों को पंख देने की चाह में बहुत कुछ सोच रही थी,,, और सुरज की बात सुनकर बोली,,,)
तेरे सुनने से क्या होता है जिसको सुनना चाहिए वो तो सुनता ही नहीं है,,,।
क्या मतलब,,,, कहीं तुम सोनू की बात तो नहीं कर रही हो,,,,।
नहीं रे,,, सोनू तो निठल्ला है,,, बिल्कुल उसके चाचा की तरह,,, वह दोनों तो बिल्कुल भी नहीं सुनते,,,।
(सोनू की चाची की बातों का दर्द कुछ कुछ सूरज समझ रहा था,,, क्योंकि मैदान में सौच करते समय सोनू की चाची के साथ-साथ अपनी मां और अपनी पड़ोसन की बातों को उसने चोरी छिपे सुना था वह जानता था कि सोनू की चाची का दर्द क्या है क्या चाहती है ना तो उन्हें सभी सुख मिल रहा था और उसी का फायदा सूरज उठाना चाहता था,,,, इसलिए सोनू की चाची की बात को सुनकर वह बोला,,,)
क्या कह रही हो चाची क्या चाचा भी तुम्हारी बात नहीं सुनते,,, सोनू का तो मैं जानता हूं वह एकदम बेकार है लेकिन मुझे नहीं लगता कि चाचा के बारे में तुम्हारा कहना सही होगा,,,, मैं उन्हें जब भी देखता हूं तब वह खेतों में काम करते रहते हैं,,,,,।
हां बस खेतों में ही काम करते रहते हैं खेत की जुताई उन्हें अच्छी तरह से पता है लेकिन औरत की चू,,,(इतना कहकर वह एकदम से खामोश हो गई उसकी दिल की बात अचानक उसके होठों पर आते-आते रुक गई थी लेकिन सूरज उसकी बात के मतलब को समझ गया था,,,, उसके इस तरह से इकाई खामोश हो जाने की वजह से सूरज जानबूझकर बोला,,,)
क्या हुआ चाची,,, चुप क्यों हो गई चाचा की क्या गलती है,,,!
उनकी गलती यही है सूरज की वह सिर्फ खेतों के बारे में जानते हैं एक औरत के मन को नही जानते हैं और ना ही समझते हैं,,,।(सोनू की चाची थोड़ा गुस्से में बोल रही थी,,, और सूरज उसके कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश कर रहा था इसलिए वह बोला)
औरत को समझने में कौन सी पढ़ाई करनी पड़ती है चाची मैं तो औरतों की बातों को अच्छी तरह से समझ जाता हूं देखो तुम दूर से मुझे बुलाई मैं जल्दी से आ गया ना तुम्हारे पास तुम्हारी मदद करने,,,,
तू भी सोनू के चाचा किसी तरह है बातों को भी ना तो समझ पा रहा है या नहीं और उसके मन को समझ पा रहे हैं तुझे भी नहीं मालूम की औरत क्या चाहती है क्या जरूरत है,,, औरत का मन क्या- होता है,,, तू भी एकदम निठल्ला ही है,,,।
ऐसा क्यों कह रही हो चाची मैं तो सब कुछ समझता हूं,,,।
चल रहने दे,,,, दिखाई देता है तु कितना समझता है,,,।
( सोनू की चाची को ऐसा लगने लगा था कि सूरज भी उसके पति की तरह ही बेकार है वह भी उसके मन को नहीं समझ सकता,,, वरना इस तरह की बातें ना करता सीधे मतलब की बात पर आ जाता,,,, उसकी बातों को सुनकर उसे लगने लगा कि शायद सूरज उसके लिए ठीक नहीं है भले लंबा तगड़ा चौड़ा हो गया है लेकिन दिमाग से अभी बच्चा ही है,,, कहीं ऐसा ना होगी उसके साथ सभी संबंध बनाकर बदनामी उठाना पड़े अगर वह अपनी बालबुद्धि का प्रदर्शन करते हुए उसके बारे में किसी को कुछ भी बता दिया तो बदनामी हो जाएगी इसलिए पल भर के लिए सूरज का ख्याल सोनू की चाची के मन से निकलने लगा और इसी बीच उसका घर भी आ गया था,,,,।
दरवाजा बंद था इसलिए सोनू की चाची जल्दी से दरवाजे के पास आई और बोली,,,।
रुक रुक ,,,, यहां नहीं रखना मैं दरवाजा खोलती हूं,,,
(और इतना कहने के साथ ही सोनू की चाची लपक कर दरवाजे की कुंडी खोलने लगी,,, कुंडी खोलने के लिए उसने अपना हाथ थोड़ा सा ऊपर उठे और उसके हाथों पर उठाने की वजह से उसकी कमर की गहरी लकीर एकदम साफ दिखाई देने लगी जिसे देखकर सूरज का लंड करवट लेने लगा,,, सूरज के सर पर बोझ था उसका दोनों हाथ खाली नहीं था वरना इस समय वह यही सोच रहा था कि अपना हाथ उसकी कमर पर रखकर जोर से मसल दे क्योंकि वह जानता था कि सोनू की चाची को क्या चाहिए और वह बिल्कुल भी इनकार नहीं कर पाती,,,,।
सोनू की चाची जल्दी से दरवाजा खोल दी और फिर खुद अंदर प्रवेश करते हुए उसे अंदर आने के लिए बोली,,,,, घर का आंगन पूरी तरह से खुला हुआ था एक तरफ हेड पंप था जहां पर नहाने धोने का काम किया जाता था और दूसरे कोने पर ईंधन रखा हुआ था वहीं पर इशारा करते हुए सोनू की चाची बोली,,,)
यहां पर रख दे सूरज,,,,।
ठीक है चाची,,,,(और इतना कहने के साथ ही उसे कोने में वह घास का ढेर नीचे गिरा दिया और गहरी गहरी सांस लेने लगा यह देखकर सोनू की चाची बोली)
थक गया ना सूरज,,,।
नहीं चाची बिल्कुल भी नहीं,,, अगर तीन कोश और चलना होता तो भी मैं आराम से चल लेता,,,,।
चल इतना तो सही है मेहनत करने में अच्छा है लेकिन अभी भी तू नादान है,,,,।
नादान नहीं हुं चाची बड़ा हो गया हूं,,,,।
हां हां जानती हूं बड़ा हो गया है,,,, अब तो यहीं बैठ मैं तेरे लिए पानी लेकर आती हूं,,,,।
(इतना कहकर वह घर में चली गई,,, और सूरज जो दीवाल के सहारे खटिया खड़ी थी उसे गिराकर उसे गिराकर बैठ गया,,, और सोनू की चाची की उसे बात पर गौर करने लगा जब खेत की जुताई के बारे में बात कर रही थी साथ में ही औरत की चुदाई की भी बात उसके मुंह से अनजाने में निकल गई थी वह पूरी बात नहीं कर पाई थी लेकिन उसके कहने का मतलब यही था सूरज को पक्का यकीन हो गया था कि सोनू की चाची चुदवाने के लिए तड़प रही है,,, और यह ख्याल उसके मन में आते ही सूरज के पजामे में उसका लंड करवट लेने लगा,,, और वहां खटिया पर से खड़ा हो गया,,,, और जहां सोनू की चाची गई थी उसके पीछे चल दिया अपने मन में यह सोचकर कि आज सोनु की चाची से अपने मन की बात कह कर रहेगा,,,
धीरे-धीरे वह घर में प्रवेश कर गया घर सीधा-सीधा बना हुआ था एक कमरे से दूसरे कमरे में वह पहुंच चुका था लेकिन कहीं भी सोनू की चाची नजर नहीं आ रही थी बाहर से उजाला आ रहा था तो सोनू समझ गया कि शायद पीछे वाली जगह खुली हुई है वहीं पर होगी धीरे से घर के पीछे वाली जगह पर आ गया जहां पर चुल्हा रखा हुआ था,,, उसे देखकर सूरज समझ गया कि यहां पर ही रसोई बनती है,,, लेकिन फिर भी वह यहां वहां खड़ा होकर देख रहा था लेकिन कहीं भी सोनू की चाची नजर नहीं आ रही थी घर के पीछे की तरफ थोड़ी बहुत सब्जियां उड़ा रखी थी यहां पर कुछ अमरूद के पेड़ थे कुछ बैर के पेड़ थे,,, वह यह सब देख ही रहा था कि तभी उसे झाड़ियां के पीछे थोड़ी सी हलचल और चूड़ियों की आवाज सुनाई दी,,,, और वह उसे दिशा में अपने कदम आगे बढ़ा दिया,,,,।
जैसे ही झाड़ियों की दूसरी तरफ सूरज ने नजर बढाया तो उसकी आंखों के सामने जो नजारा दिखाई दिया उसे देखकर एक बार फिर से उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,, ऐसा नहीं था कि सूरज पहली बार सोनू की चाची को पेशाब करते हुए देख रहा हूं वह पहले भी दो-तीन बार सोनू की चाची को पेशाब करते हुए देख चुका था इसमें नयापन कुछ भी नहींथा,,,, लेकिन आज हालात बदल चुके थे क्योंकि जितनी बार भी वह सोनू की चाची को पेशाब करते हुए देखा था वह घर के बाहर खेतों में ही देखा था लेकिन आज माहौल पूरी तरह से बदल चुका था वह सोनू की चाची को उसके ही घर में पेशाब करते हुए देख रहा था और वह भी एकदम नजदीक से उसकी बड़ी-बड़ी गांड सुनहरी धूप में चमक रही थी जिसे देखकर सुरज का लंड अपनी औकात में आ चुका था,,,।
सूरज फटी आंखों से सोनू की चाची को पेशाब करते हुए देख रहा था उसके मन में जरा भी डर नहीं था कि अगर सोनू की चाची उसे देख लेगी तो क्या होगा क्योंकि सोनू की चाची के मन में क्या चल रहा है यह सूरज अच्छी तरह से जानता था वह जानताथा कि सोनू की चाची उसे कुछ नहीं बोलेगी बल्कि उसकी यह हरकत पर मदहोश हो जाएगी,,,,, इसीलिए सूरज हिम्मत दिखाकर वहीं पर खड़ा रहा और इस बात से अनजान की सूरज एकदम नजदीक से उसे पेशाब करते हुए देख रहा है अचानक ही उसे परछाई दिखाई दी और वह एकदम से घबरा गई जब नजर उठाकर देखी तो ठीक उसके पीछे सूरज खड़ा था और उसे पेशाब करते देख रहा था उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी उसकी नंगी गांड एकदम दिखाई दे रही थी यह देखकर वह एकदम से सन्न रह गई,,, और एकदम से उठकर खड़ी हो गई लेकिन खड़े होने के बावजूद भी वह साड़ी को कमर से नीचे गिराना भूल गई और इस अवस्था में खरीदा गई और अभी भी सूरज उसकी नंगी गांड को प्यासी आंखों से देख रहा था,,,।
सूरज सोनु की चाची को दो-तीन बार पेशाब करते हुए उसकी नंगी गांड को देख चुका था लेकिन यह बात सोनू की चाची नहीं जानती थी उसे क्या मालूम था कि सूरज उसकी जवानी की झलक को पहले भी देख चुका है वह तो यही जानती थी की पहली बार सूरज उसे इस अवस्था में देख रहा है इसलिए एकदम से शर्म में से पानी पानी हुई जा रही थी,,, जब उसे इस बात का एहसास हुआ कि साड़ी अभी तक कमर तक उठी हुई है वह एकदम से साड़ी को नीचे छोड़ दी और एक खूबसूरत नाटक पर पर्दा पड़ गया और वह हड़बड़ाते हुए बोली,,,।
तततत,,, तु यहां क्या कर रहा है,,, तुझे तो मैं वहां देखने के लिए बोली थी ना,,,,।
बोली तो थी चाची,,, लेकिन मैं यह कहने के लिए आया था कि तकलीफ की कोई जरूरत नहीं है मुझे जरुरी काम से जाना पड़ेगा इसलिए मैं रुक नहीं सकता,,,,,।
(और इतना कहने के साथ ही सूरज बिना सोनू की चाची का जवाब सुने वहां से चलता बना क्योंकि जिस तरह से उसे देखकर वह हड़बड़ाई थी सूरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर सोनू की चाची चुदवाना चाहती है तो इस तरह से घबराती नहीं और इसीलिए उसे इस बात का डर था कि कहीं लेने के देने ना पड़ जाए इसलिए वह वहां से चलता बना,,, सोनू की चाची उसे रोकना चाहती थी लेकिन इस समय उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं फूट रहे थे और देखते ही देखते सूरज चला गया था,,,।)
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है सूरज नीलू के बगीचे में नही आने के कारण उसके घर चला जाता है वहा मुखिया और उसकी बीवी उसे खेतो में कुछ काम देती है मुखिया की बीवी सूरज से अपनी प्यास बुझाना चाहती है लेकिन कुछ काम की वजह से वह बगीचे में चली गई सूरज को ट्यूबबेल पर नीलू नंगी नहाती हुई मिल जाती हैं दोनो के बीच जो संवाद होता है वह बहुत ही मजेदार थासूरज सोनू की चाची के घर से वापस आ चुका था और अपने घर ना जाकर सीधा बगीचे में चला गया था जहां पर उसकी मुलाकात नीलू से हुई थी और नीलू की चुदाई होते होते रह गई थी,,,, अब उसे पक्का यकीन हो गया था कि सोनू की चाची जल्द ही उसके नीचे आ जाएगी,,, सोनू को एहसास हो गया था कि वाकई में सोनू की चाची काफी प्यासी एक तो मर्द की तड़प दूसरी मां बनने की चाहत दोनों उसे उसके नीचे ले आने पर मजबूर कर देगी,,,,। अंदर ही अंदर सूरज बहुत खुश हो रहा था और बगीचे में इधर-उधर घूम रहा था क्योंकि यहीं पर वह नीलु का इंतजार करेगा ऐसा कहा था लेकिन इस बात पर वह पक्का नहीं था कि नीलू वहां पर दोबारा आएगी,,, लेकिन फिर भी जहां चाह होती है वहीं राह होती है यही सोचकर वह इधर-उधर घूमता रहता था,,,।
Sonu ki chachi k armaan
लेकिन शाम हो गई नीलू का कोई पता नहीं था इस तरह से सूरज तीन-चार दिन तक उसका इंतजार करता रहा,,,, लेकिन नीलू उधर नहीं आई,,, तब सूरज को लगने लगा कि शायद वाकई में वे ईधर नहीं आने वाली,,,, इसलिए एक दिन घूमता फिरता हुआ वह उसके घर के पास पहुंच गया,,, सुबह का समय था मौके पर मुखिया और मुखिया की बीवी दोनों वहीं पर मौजूद थे घर के बाहर कुर्सी डालकर दोनों बैठे हुए थे और मजदुरों को उनके काम के बारे में समझा रहे थे,,, और लोग अपने काम के बारे में पूछ कर वहां से काम करने के लिए निकल जा रहे थे तभी मुखिया की नजर सूरज पर पड़ी तो वह बोला,,,।
अरे सूरज आओ,,,आओ,,,, वहां खड़े क्या कर रहे हो,,,,।
कुछ नहीं मालिक बस घूमता हुआ इधर आ गया,,,(नमस्कार करते हुए सूरज बोला,,, पास में ही बैठी मुखिया की बीवी सूरज को देखते ही उसे उसे दिन वाली घटना याद आ गई जब वह खाना बना रही थी पास ही गुशल खाने में उसकी बड़ी लड़की नहा रही थी और सूरज अपनी हरकतों से उसे पूरी तरह से गर्म करके उसे चुदवाने पर मजबूर कर दिया था,,,, सूरज की हिम्मत और उसकी मर्दाना ताकत कि वह पूरी तरह से कायल हो चुकी थी बगीचे में तो वह जी भर कर सूरज के मर्दाना अंग का मजा ले चुकी थी लेकिन वह नहीं जानती थी कि सूरज इस तरह से घर में घुसकर उसकी चुदाई करके चला जाएगा उसकी यही अदा तो मुखिया की बीवी को उसका दीवाना बना दी थी,,, सूरज की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए मुखिया बोले इससे पहले ही वह बोली,,,,)
काम के लिए आया है क्या,,,?
ऐसी कोई बात नहीं है मालकिन बस घूमता हुआ इधर आ गया काम मिल गया तो काम ही सही,,,,।
जब कोई बात नहीं समय पर आ गया है,,,, घर के पीछे वाले खेतों में पानी दिया जा रहा है देख नाली में से पानी ठीक से जा रहा है कि नहीं अगर नहीं जा रहा है तो मिट्टी ठीक से काट देना ताकि आराम से पानी चला जाए खेतों में वर्ना सारा पानी इधर-उधर चला जाएगा,,,,।
की मालकिन,,,,(इतना कहकर वह चलने वाला था की मुखिया की बीवी बोली)
अरे फरसा तो ले ले क्या हाथ से ही मिट्टी काटेगा,, ।
जी मालकिन,,,,(और इतना कहने के साथ अभी पास नहीं पड़ा फरसा अपने हाथ में उठा लिया और उसे कंधे पर रखकर घर के पीछे की तरफ जाने लगा आज उसका काम करने में मन नहीं था बल्कि वह तो आज नीलू से मिलने आया था उससे बोलने आया था कि वहां बगीचा में क्यों नहीं आता जबकि रोज वह उसका वही इंतजार करता है,,,, मन में यही सोचता हुआ वहा घर के पीछे चला गया,,, और मुखिया की बीवी उसे घर के पीछे जाते हुए देखते रह गई क्योंकि उसके मन में तो कुछ और चल रहा था,,,,।
super deduper
वह जानती थी कि बुर की प्यास सूरज को यहां खींच लाई है और वह इसका पूरा मजा लूटना चाहती थी वह थोड़ी ही देर में घर के पीछे जाने के बारे में सोच रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उस जगह पर कोई नहीं होगा और वह वहां पर जाकर चुदाई का मजा ले सकेगी,,,,, लेकिन वह जाने ही वाली थी कि तभी उसे कुछ जरूरी काम आ गया,,,, और उसे काम के सिलसिले में मजदूर लेकर दूसरे खेत की तरफ जाना पड़ा वहां जाना जरूरी था,,,,,।
सूरज चलता हुआ खेत के पास पहुंच चुका था पास में ही ट्यूबवेल चालू था उसमें से पानी निकल रहा था और खेतों में जा रहा था,,,, सब कुछ सही था तभी उसकी नजर ट्यूबवेल के ही पास बनी कच्ची दीवार पर कपड़े पर गए जो उस पर रखे हुए थे और वह किसी लड़की के थे,,, सूरज सच में पड़ गया कि यहां लड़की के कपड़े कैसे आ गए,,,, और यही देखने के लिए वह धीरे-धीरे दीवार के पास पहुंच गया दीवार सूरज की लंबाई से तकरीबन एक हाथ कम ऊंचाई की थी इसलिए सूरज दीवार के पास आते ही दीवार की दूसरी ओर देखने लगा और दूसरी और देखते ही उसके होश उड़ गए,,,,।
Sonu ki chachi or suraj
उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसकी नजर उस दृश्य से हटने का नाम नहीं ले रही थी,,, क्योंकि नजर ही कुछ ऐसा था दीवार के पीछे ट्यूबवेल के पानी में मुखिया की लड़की नीलू पूरी तरह से निर्वस्त्र होकर नहा रही थी उसे नंगी देखकर सूरज का लंड अपने आप एकदम से अपनी औकात में आ गया,,, इस नजारे का रसपान व अपनी आंखों से और ज्यादा कर पाता इससे पहले ही नीलू की नजर सूरज पर पड़ गई और सूरज को इस तरह से अपने आप को घूरता हुआ देखकर नीलू एकदम से डर गई और अपनी नंगी जवान को छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली,,,,)
हाय दैया तू यहां क्या कर रहा है,,,?(अपनी चूचियों पर हाथ रखकर उसे छुपाने की कोशिश करते हुए)
मैं भी यही पूछना चाहता हूं कि तुम यहां क्या कर रही हो,,,,,।
उल्टा चोर कोतवाल को डांटे यह ट्यूबवेल मेरा है खेत मेरा है और तुम पूछ रहे हो कि मैं यहां क्या कर रही हूं,,,,,,।
अरे मेरा कहने का मतलब यह नहीं था मैं तो यह कहना चाह रहा था कि घर में भी तो नहाने का साधन मौजूद है फिर तुम यहां खेतों में क्या करने नहाने के लिए आई हो,,,,,, मैं तो यहां पर खेत में पानी ठीक से जा रहा है कि नहीं यह देखने के लिए मालकिन मुझे भेजि है,,,।(सूरज एकदम बेशर्मी दिखाते हुए अपनी नजर को बिल्कुल भी नीलू के निर्वस्त्र बदन पर से नहीं जाता रहा था बल्कि उसके नंगेपन का रस अपनी आंखों से लगातार पिए जा रहा था,,, यह देखकर नीलू बोली,,,)
तुमको बिल्कुल भी शर्म नहीं आती जब देख रहे हैं कि एक लड़की इस अवस्था में नहा रही है फिर भी उसे घूर-घूर कर देख रहे हो,,,,।
खूबसूरत चीज को देखना कौन सा पाप है,, मैं तो खूबसूरत लड़की को देख रहा हूं,,,।
(सूरज के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर नीलू एकदम से शर्मा गई शर्मा के मारे उसके गोरे-गोरे गाल टमाटर की तरह लाल हो गए,,,,, फिर भी वह सहज होते हुए बोली,,)
तुमको बिल्कुल भी शर्म नहीं आती एक लड़की से इस तरह से बात करते हुए अगर मां और बाबूजी को पता चल जाएगा तो तुम्हारी खैर नहीं है,,,।
जाकर बता दो लेकिन मैं भी कह दूंगा कि मेरी गलती थोड़ी है आप लोग ने ही मुझे खेत में पानी ठीक से जा रहा है कि नहीं यही देखने के लिए भेजे थे और मैं यही देख रहा था मुझे क्या मालूम था कि वहां पर तुम्हारी लड़की नंगी होकर नहा रही होगी,,,,।
(सूरज एकदम खुले शब्दों में नंगी शब्द का प्रयोग कर रहा था जिसे सुनकर नीलू के टांगों के बीच हलचल होने लगी और वह शर्माते हुए बोली,,,)
हाय दैया एक लड़की के सामने इस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती,,,,।
Sonu ki chachi or suraj
पर मैंने कौन सा गलत कह दिया है जब एक लड़की और वह भी खूबसूरत लड़की अपने सारे कपड़े उतार देती थी इस अवस्था को क्या कहेंगे तुम ही बताओ,,, नंगी ही ना कहेंगे कि कुछ और कहेंगे तुम ही बता दो,,,।
देखो सूरज अब तुम हद पार कर रहे हो,,,,,(नीलू इस तरह से अपनी छाती पर हाथ रखे हुए अपनी जवानी को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी और यह भी देख रही थी कि सूरज की नजर उसकी छतिया पर ही नहीं बल्कि उसके पूरे बदन पर इधर-उधर घूम रही थी अगर वह घूम कर सामने की तरफ मुंह करके खड़ी हो जाती है तो उसकी गंद निर्वस्त्र हो जाएगी और अगर सामने उसकी तरफ मुंह करके खड़ी हो जाती है तो उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार उजागर हो जाएगी इसीलिए वह तिरछी खड़ी थी लेकिन फिर भी वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,।)
मैं हद पार नहीं कर रहा हूं तुम बहुत खूबसूरत हो और कपड़े उतारने के बाद तो तुम और भी ज्यादा खूबसूरत लगने लगी हो देखो तो सही तुम्हारी गोल-गोल छतिया उभरी हुई गांड और टांग के बीच की पतली दरार का तो अनुभव में उस दिन बगीचे में ले चुका था लेकिन तुम डर के भाग गई वरना तुम भी मजा ले लेती,,, ।
(सूरज एकदम बेशर्म बन चुका था वह जानता था कि नीलू अपनी मां बाबूजी को इस बारे में कुछ भी नहीं बताएगी और सूरज की बात सुनकर नीलू की हालत खराब हो रही थी जिस दिन से बगीचे में से वह सूरज की पकड़ से छूटकर भाग थी उसे दिन से आज तक वहां उसे पाल के बारे में सोच रही थी और जब भी उसे पाल के बारे में सोचती तो उसकी बुर से पानी निकलने लगता था उसे बहुत मजा आता था और अपने मन में सोचती थी कि बेवजह वहां से भाग निकली वरना चुदाई का मजा ले लेती ,,, सूरज की बात सुनकर शर्म के मारे अपनी नजर झुका कर वह बोली,,,)
भाग ना जाती तो और क्या करती तुम मेरे साथ गलत काम कर रहे थे,,,,।
तुम एकदम बेवकूफ हो वह गलत काम नहीं था बल्कि मजा लेने वाला काम था तुम भाग गई वरना मैं तुम्हें पता था कि कितना मजा आता है आखिरकार तुम भी शादी करोगी तो तुम्हारा पति तुम्हारे साथ यही सब करेगा तो क्या कहोगी कि तुम्हारा पति गंदा काम करता है तुम्हें बात अपनी मां को भी नहीं बता सकती अगर बोलोगी कि वह गंदा काम करता है तो तुम्हारी मां खुद तुम्हें बेवकूफ कहेगी और बोलेगी कि जी भर कर चुदवा ,,।
(सूरज पूरी तरह से नीलू से गंदी बातें कर रहा था और इस तरह की बातें करते हुए और एक खूबसूरत लड़की को निर्वस्त्र अवस्था में देखकर उसका लंड अपनी औकात भूल रहा था वह पूरी तरह से अपनी औकात से बाहर जाकर पजामे को फाड़ कर बाहर निकलने को अातुर हुआ जा रहा था,,,, और उसकी इस तरह की बातें सुनकर नीलू की बुर उत्तेजना के मारे कचोरी की तरह फूलने लगी थी जिसका एहसास उसे अच्छी तरह से हो रहा था वह अपने कपड़े भी नहीं ले पा रही थी क्योंकि कपड़ा भी उसकी पहुंच से थोड़ा दूर था इसलिए मजबूरी में उसे नंगी ही सूरज के सामने खड़ी रहना पड़ा,,,, नीलू समझ गई की सूरत जाने वाला नहीं है इसलिए वह बोली,,,)
Sonu ki chachi
अच्छा तो अब तुम जाओ,,, कोई आ गया तो गजब हो जाएगा,,,,।
कुछ गजब नहीं होगा इस तरह का खूबसूरत नजारा छोड़कर भला कोई बेवकूफी होगा जो जाना चाहेगा मैं तो कभी ना जाऊं मैं तो दिन-रात तुम्हें इसी तरह से देखने के लिए तैयार हूं इतनी खूबसूरत हो की सुनहरी धूप में तुम्हारा बदन एकदम सोने की तरह चमक रहा है,,,,।
(सूरज की तारीफ भरी बातें सुनकर नीलू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी उसे सूरज की बातें अच्छी लग रही थी खास करके उसकी तारीफ वाली बातें उसे अंदर तक मदहोश किए जा रही थी,,,)
चले जाओ यहां से कोई देख लेगा तो,,,।
कोई नहीं देखेगा वैसे भी यहां कौन आने वाला है देखो तो सही चारों तरफ खेत ही खेत है,,,,।
फिर भी सूरज तुम यहां से चले जाओ तुम नहीं जानते अगर बाबूजी देख लिए तो गजब हो जाएगा,,,,।
तुम्हारे बाबूजी तो घर के आंगन में बैठे हैं और मजदूरों को हिदायत दे रहे हैं इसलिए उनके पास समय नहीं है कि वह घर के पीछे आ सके,,,,।
देखो तुम्हें मेरी कसम चले जाओ यहां से,,,,।
चलो कोई बात नहीं चला जाता हूं,,,,, तुम रहती हो तो,,,, लेकिन पहले एक बात बताओ मैं तुम्हारा इतने दिन से बगीचे में इंतजार कर रहा हूं तुम आई क्यों नहीं,,,,?
कैसे आती मुझे बहुत डर लग रहा था,,,,(नजर नीचे झुकाए हुए ही वह सूरज से बातें कर रही थी नजर उठाने की ताकत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी उसकी आंखों में शर्म एकदम साफ नजर आ रही थी और उसके गाल सुर्ख लाल हो चुके थे,,,।)
डर लग रहा था लेकिन किससे और क्यों,,,?(पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुआ सूरज बोला,,,)
तुमसे,,,,
(इतना सुनते ही सूरज जोर-जोर से हंसने लगा उसे हंसता हुआ देखकर नीलू को गुस्सा भी आ रहा था इसलिए वह थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली)
इसमें हंसने की कौन सी बात है और इतनी जोर-जोर से मत हंसो कोई सुन लेगा तो इधर आ जाएगा,,,, और अब तुम यहां से चले जाओ वरना मैं ही शोर मचा दूंगी,,,,।
अरे वाह तुम तो ऐसी धमकी दे रही हो कि जैसे मैं तुम्हारी इज्जत लूटना चाहता हूं,,,।
तुम्हारा कोई भरोसा भी नहीं है बगीचे में मैंने देख ली हूं कि तुम क्या कर सकते हो,,,,।
(सूरज अच्छी तरह से जानता था कि यहां पर नीलू के साथ कुछ करने में मजा नहीं है क्योंकि यहां कोई भी आ सकता था और यहां पर नीलू ज्यादा खुल भी नहीं सकती थी डर-डर कर आगे बढ़ाने में बिल्कुल भी मजा नहीं था सूरज नीलू की इत्मीनान से लेना चाहता था,,, इसलिए वह बोला,,,,)
चलो कोई बात नहीं मैं यहां से चला जाता हूं लेकिन एक शर्त पर,,,,।
कैसी शर्त,,,,!(सूरज की तरफ देखे बिना ही वह आश्चर्य दिखाते हुए बोली,,,)
ज्यादा कुछ नहीं बस मेरी तरफ अपनी गांड कर दो मैं तुम्हारी गांड की खूबसूरती को देखना चाहता हूं उसकी गोलाई को देखना चाहता हूं देखना चाहता हूं कि ऊपर वाले ने तुम्हारी खूबसूरती के दोनों तरबूज को किस तरह से संवारा है,,,।
(सूरज की इस शर्त को और उसकी बातों को सुनकर नीलू एकदम से शर्म से पानी पानी होने लगी,,,, उत्तेजना के मारे उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और धड़कते दिल के साथ वह बोली,,,)
यह कैसी शर्त है,,,,।
Sonu ki chachi ki raseeli boor
तुम्हारी खूबसूरती देखकर तो यही शर्त वाजिब है,,,।
नहीं मुझे शर्म आती है,,,,।
शर्माने की जरूरत नहीं है नीलू इस जानती हो ना तुम्हारी बुर पर में लंड छुआ चुका था बस धक्का मारने की देरी थी और तुम्हारी बुर में मेरा पूरा लंड घुस जाता,,,, इसलिए मुझसे शर्माने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,,,,।
(नीलू की तो हालत पल पल खराब होती जा रही थी,,,, उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि सूरज उसे इस तरह की गंदी से गंदी बातें करेगा इस तरह की बातें तो उसने आज तक अपनी बहन से भी नहीं कर पाई थी,,, इसलिए तो उसकी बुर से पानी टपक रहा था उसकी सांसों के साथ उसकी उठती बैठती चूचियों को देखकर सूरज की हालत खराब हो रही थी,,, नीलु समझ गई कि यह जाने वाला नहीं, है,,,, इसलिए वह धीरे से बोली,,)
तब तो चले जाओगे ना,,,,।
बिल्कुल चला जाऊंगा,,,,।
(उसका इतना कहना था कि नीलू इधर-उधर चारों तरफ यह देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन किसी के भी द्वारा देखे जाने की गुंजाइश वहां बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि चारों तरफ खेत ही खेत लहलहा रहे थे और खेत कि फसले ज्यादा ऊंचाई की थी इसलिए नीलू भी निश्चिंत थी,,,, और वह धीरे से अपनी पीठ अपनी गांड को सूरज की तरफ कर दी उसकी गांड देखकर सूरज एकदम से मदहोश हो गया और अपने लंड को जोर से दबा दिया वाकई में उसकी गांड लेने लायक थी सूरज अपने मन में ऐसा सोच कर मत हुआ जा रहा था और उसकी गांड को देखते हुए बोला,,,,)
वाह कसम से मैं आज तक इतनी खूबसूरत गांड किसी की नहीं देखी कितनी नजाकत है तुम्हारी गांड में एकदम हुई जैसी मुलायम मुलायम बस एक काम कर दो अपने दोनों हाथों को अपनी गांड पर रखकर सहलाओ,,,,।
(सूरज की यह बात सुनकर नीलू एकदम से सुंदर रह गई और गुस्सा दिखाते हुए बोली , )
अब यह क्या बेवकूफी है सूरज,,,।
बेवकूफी नहीं है नीलू मैं देखना चाहता हूं कि एक लड़की जब अपनी नंगी गांड पर हाथ रखती है तो कैसा लगता है,,,।
(नीलु जानती थी कि सूरज की बात माने बिना कोई दूसरा रास्ता नहीं है इसलिए वह धीरे से अपने दोनों हथेलियों को अपनी गांड की दोनों फांकों पर रख दी और उसे हल्के हल्के सहलाने लगी,,, यह देखकर सूरज एकदम मदहोश हो गया और बोला,,,,)
वाह ऐसा लग रहा है कि मेरी आंखों के सामने आसमान से परी उतर कर आ गई है और अपने कपड़े उतार कर नंगी होकर अपनी जवान दिखा रही है,,, कसम से मिलो पूरे गांव में तुमसे ज्यादा खूबसूरत कोई लड़की नहीं है,,,,(सूरज की बातें सुनकर नीलू एकदम गदगद हुए जा रही थी,,,, और सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) अच्छा सच बताना उसे दिन तुम्हें किसी से डर लग रहा था मुझे या मेरे लंड से,,,,।
(सूरज की यह बात सुनकर नीलु एकदम से गहरी सांस लेकर मस्त हो गई,,,, और मदहोश होते हुए बोली और स्पीच लगातार वह अपनी हथेली से अपनी गांड को सहला रही थी,,,)
सच-सच बताऊं तो मुझे तुम्हारे उससे बहुत डर लग रहा था,,,,।
Peticoat utarta hua suraj
लेकिन ऐसा क्यों लड़कियां इससे डरती नहीं है बल्कि इससे खेलती,,,,।
नहीं नहीं मुझे तो डर लग रहा था क्योंकि तुम्हारा बहुत लंबा और मोटा है,,,,,।
(नीलू की यह बात सुनकर सूरज से बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह एकदम से दीवार से हटकर दूसरी तरफ से ठीक नहीं हो के सामने आकर खड़ा हो गया नीलू उसे देखते ही कम से काम आ गई क्योंकि उसके पजामी में तंबू बना हुआ था और वह एक झटके से अपने पजामी को नीचे करके अपने लंड को बाहर निकाल लिया और अपने हाथ से ऊपर नीचे करके हिलाना शुरू कर दिया यह देखकर नीलू एकदम से घबरा गई,,,,, और सूरज आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और सीधे उसे अपने लंड पर रख दिया,,,,।
सूरज की इस हरकत पर नीलू एकदम से घबरा गई उसके पसीने छूटने लगे क्योंकि उसके हाथ में सूरज का मोटा तगड़ा लंड जो था एकदम गरम,,,, सूरज मैन ही मन खुश होता हुआ उसकी हथेली पर अपना हाथ रखा हुआ था और अपने हाथ का सहारा देकर उसके हाथ से अपने लंड को मुठिया रहा था,,,, और इस हरकत को करते हुए वह बोला।।
इससे बिल्कुल भी डरने की जरूरत नहीं है नीलू इससे तो खेला जाता है देखना जिस दिन तुम्हारी बुर में जाएगा तुम खुश हो जाओगी और बार-बार इस पर उछलोगी,,,,।
मुझे डर लग रहा है सूरज चले जाओ यहां से,,,,(नीलू को भी सूरज की हरकत बहुत अच्छी लगाई थी खासकर के सूरज के लंड को पकड़ने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,)
चला जाऊंगा लेकिन पहले वादा करो कि बगीचे में जरूर आओगी,,, ।
नहीं,,,,,
Sonu ki chachi ki chudai
तब तो मै,,,नहीं जाऊंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही अपना हाथ आगे बढ़कर वह नीलू की गांड पर रख दिया और उसे दबाना शुरू कर दिया यह देखकर नीलू की हालत और ज्यादा खराब हो गई और उसके बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से होने लगा और उसे इस बात का डर था कि अगर वहां सूरज को वो नहीं भगाई तो सूरज उसके साथ मनमानी करने पर उतारू हो जाएगा,,,, यहां पर ऐसा वह नहीं चाहती थी,,, इसलिए वह बोली,,,)
ठीक है मैं बगीचे में आऊंगी लेकिन आज नहीं कल आज मुझे कुछ काम है,,, लेकिन तुम्हें भी एक वादा करना होगा,,,,।
कैसा वादा,,,(सूरज इसी तरह से नीलू के हाथ पर अपना हाथ रख कर अपने लंड को मुठियाते हुए बोला,,,)
यही कि तुम मेरे साथ वहां कुछ भी नहीं करोगे,,,,।
चलो मंजूर है मैं कुछ नहीं करूंगा बस तुम चली आना कल मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा,,,,।
जरूर लेकिन अपना वादा याद रखना,,,,।
(यह बात मुझे अच्छी तरह से जानते थे कि इस वादे को सूरज बिल्कुल भी नहीं निभाएगा,,,, सूरज मुस्कुराता हुआ अपने लंड को फिर से पजामे में डाल दिया और फिर वहां से चला गया,,,, आज उसने अपनी मजदूरी लेने की भी जरूरत नहीं थी क्योंकि उसे अपनी मजदूरी आधी मिल चुकी थी और आधी मिलना बाकी थी जो कि उसकी लड़की बगीचे में आकर चुकाने वाली थी,,,,।)