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Incest पहाडी मौसम

rohnny4545

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
आखिर सुरज ने नीलू की गदराई जवानी पर अपना लंड रुपी झंडा गाड ही दिया और नीलू की कोरी करारी कुॅंवारी चुद पा ही ली
सुरज और नीलू की पहली चुदाई का वर्णन बडा ही खतरनाक हैं भाई
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
THanksv

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rohnny4545

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सूरज नीलू की गुलाबी बर का उद्घाटन कर चुका था और यह उद्घाटन बेहद रंगारंग तरीके से समाप्त हुआ था लेकिन सूरज नीलू के साथ और ज्यादा मस्ती करना चाहता था लेकिन दोनों के पास समय पर्याप्त मात्रा में नहीं था इसलिए नीलू को वहां से जाना पड़ा लेकिन फिर भी सूरज पूरी तरह से नीलू को संतुष्ट कर चुका था और वह जानता था कि नीलू अब उसकी गुलाम बन चुकी है वह जब रहेगा तब वह बगीचे में आ जाएगी उस चुदवाने के लिए,,,।

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मां बेटी दोनों को भोग कर सूरज आत्मविश्वास से भर चुका था उसे इतना तो ज्ञात हो चुका था कि वह किसी भी औरत को पूरी तरह से संतुष्ट करने में सक्षम है और यह एहसास उसको नीलू की मां ने ही दिलाई थी और वही एहसास को एक बार फिर से आत्मविश्वास में बदलते हुए उसकी बेटी के साथ ही संभोग सुख प्राप्त करके वह मदहोश हो चुका था,,,, सूरज अपने आप को बहुत किस्मत वाला समझने लगा था और वास्तव में वह किस्मत वाला ही था गांव की मुखिया की बीवी को चोदने के बाद मुखिया की लड़की भी अगर छोड़ने को मिल जाए तो भला यह किस्मत की बात ना हो तो क्या हो और ऐसी किस्मत लेकर पैदा हुआ था सूरज,,, जहां एक तरफ मां की बड़ी-बड़ी गांड बड़ी बड़ी चूचियां और पूरी तरह से अनुभव से भरी हुई एक मदहोश कर देने वाली नीलू की मां थी वही छोटे-छोटे संतरे की तरह चूची वाली और सुडौल काया के साथ-साथ सीमित आकर के नितंब वाली उसकी बेटी और सूरज दोनों के साथ बराबर का मजा लिया था,,,, पहली बार में लेकिन सूरज मां बेटी दोनों में कौन ज्यादा मजा दी किसके साथ ज्यादा आनंद की अनुभूति हुई यह तय नहीं कर पाया था क्योंकि जिस तरह का आनंद उसे मां से मिला था उसी तरह से उसकी बेटी से भी वह पूरी तरह से संतुष्ट था हां एक बात का एहसास उसे अच्छी तरह से था कि जहां मां की बुर में लंड बड़े आराम से चला जा रहा था वही बेटी की बुर में लंड एकदम कसा हुआ जाता था जिसका एहसास और आनंद सूरज के चेहरे पर दिखाई देता था,,,,।


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दो-तीन दिन लगातार सूरज बगीचे में जाता रहा लेकिन नीलू वहां पर नहीं आई थी वह समझ नहीं पा रहा था कि नीलू वहां क्यों नहीं आ रही है क्योंकि इतना तो वह जानता ही था की जिस औरत को एक बार चुदाई का चस्का लग जाता है वह बार-बार इस सुख की तरफ बढ़ता है लेकिन नीलू क्यों नहीं आ रही थी इसके पीछे के कारण को सूरज समझ नहीं पा रहा था,,,, ऐसा नहीं था कि नीलु बगीचे में जाना नहीं चाहती थी,, वह बगीचे में बराबर जाना चाहती थी और सूरज के साथ चुदवाना चाहती थी संभोग सुख प्राप्त करना चाहती थी,,, लेकिन पहली बार की चुदाई से उसे अपने दोनों टांगों की बीच की पतली दरार में हल्का-हल्का दर्द महसूस होता था जिसका कारण साफ था कि सूरज का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था और नीलू पहली बार चुदवाई थी और चुदाई का इससे पहले कोई भी अनुभव न होने के कारण उसकी बुर का गुलाबी छेद सूरज के लंड की मोटाई के मुकाबले बहुत ही छोटा था हालांकि सूरज अनुभव और सुझ बुझ से काम लेते हुए इस अद्भुत कार्य में सफल तो हो चुका था लेकिन नीलू के मन में थोड़ा डर बैठ गया था ऐसा नहीं था कि उसे मजा नहीं आया था मजा तो उसे भी बहुत आया था,,, यहां तक कैसे एक जवान खूबसूरत लड़की होने का गर्व भी हो रहा था,,, लेकिन दर्द की वजह से वह मन होने के बावजूद भी बगीचे में नहीं जा रही थी वह बगीचे में जाने के लिए अपनी टांगों के बीच के दर्द को कम होने का इंतजार कर रही थी,,,,।



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और दूसरी तरफ सोनू की चाची थी जो बाजार में ज्योतिष की बात को सुनकर अपने आप ही सूरज की तरफ झुकने लगी थी क्योंकि वह जानती थी कि गांव भर में एक वही ऐसा जवां मर्द है जो उसकी इच्छाओं की पूर्ति कर सकता था बिना किसी बदनामी के,,, इसलिए सोनू की चाची भी सूरज के साथ हम बिस्तर होने के लिए तड़प रही थी लेकिन लोग समाज का डर भी उसके मन में बहुत ज्यादा था क्योंकि वह जानती थी अगर एक बार बदनामी हो गई तो गांव में वह कर उठा कर रह नहीं पाएंगी लेकिन एक बार कामयाब हो गई तो बरसों की मेहनत और चाहत दोनों पूरी हो जाएगी,,,, और इसीलिए सूरज के बारे में सोच सोच कर बार-बार वह अपनी बुर को गीली कर ले रही थी और अपनी जवानी की आग बुझाने के लिए अपनी उंगलियों का सहारा लेकर रात गुजार रही थी,,,।




वैसे भी सूरज से उसे दिन के बाद दोबारा मुलाकात नहीं हुई थी और इसीलिए वह सूरज से मिलने के लिए तड़प रही थी क्योंकि सूरज जब उसकी मदद करने के लिए घास का देर अपने सर पर उठाए हुए उसके घर पर लाया था तो वह उसे पानी पिलाने के लिए बाहर बैठने के लिए बोली थी और वह खुद घर के अंदर चली गई थी लेकिन बड़े चोरों की पेशाब लगने की वजह से हुआ घर के दूसरी तरफ निकल कर झाड़ियां के बीच बैठकर पेशाब कर रही थी और ज्यादा देर हो जाने की वजह से सूरज घर के अंदर चला गया था और धीरे-धीरे उसी जगह पर पहुंच गया था जहां पर झाड़ियां में बैठकर सोनू की चाची पेशाब कर रही थी और अनजाने में ही उसकी नजर सोनू की चाची पर पड़ गई थी उसकी बड़ी-बड़ी गांड उसकी मदमस्त जवानी देखकर सूरज तो उसे देखता ही रह गया था,,, और जब सोनू की चाची को इस बात का एहसास हुआ कि सूरज ने उसे पेशाब करते हुए देख लिया है तो उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी वह मत होश होने लगी वह अपने मन में सोचने लगी कि सूरज उसके बदन का कौन-कौन सा हिस्सा देख लिया होगा,,,,।

जिस तरह से वापस साफ करने के लिए बैठी थी और सूरज जहां पर खड़ा था उसे इतना तो ज्ञात हो गया था कि सूरज उसके कौन से अंग को देख लिया होगा वह जानती थी कि सूरज उसकी नंगी गांड को जरूर देख लिया होगा हालांकि भले वह पेशाब करने बैठी थी लेकिन वह जानती थी कि उसकी नजर उसकी बुर पर तो बिल्कुल नहीं पड़ी होगी क्योंकि दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी छेद छुप सी गई थी,,, भले ही सूरज उसकी गुलाबी बुर को ना देख पाया हो लेकिन उसकी गांड देखकर वह हक्का-बक्का रह गया था,,, और इस बात को सोनू की चाची अच्छी तरह से जानती थी सोनू की चाची इस बात से परेशान थी कि उसकी नंगी गांड देखकर उसे पेशाब करते हुए देखकर सूरज अपने मन में क्या सोच रहा होगा उसके बारे में अच्छी बातें सोच रहा होगा या गंदी बातें लेकिन दुनिया का ऐसा कौन सा मर्द होगा जब औरत को पेशाब करता हुआ देखकर उसके बारे में गंदी बातें ना सोचता हो उसके बारे में गंदे ख्याल ना लाता हूं उसे देखकर अपना लंड ना खड़ा कर लिया हो सूरज भी उन मर्दों में से अपवाद बिल्कुल भी नहीं था उसकी नंगी गांड देखकर सूरज का भी मन बहक सा गया था,,, यही सब सो कर सोनू की चाची पागल हुए जा रही थी,,, और सूरज के बारे में गंदी-गंदी बातें सोच कर अपनी हालत खराब कर रही थी,,,,।

ऐसे ही एक दिन सूरज खाना खा रहा था उसकी मां भी पास में बैठकर खाना खा रही थी और रानी भी खाना खा रही थी,,, तभी बाहर से आवाज आई,,,।

दीदी,,,ओ ,,, दीदी,,,,।


अरे कौन है,,,?(मुंह में निवाला डालने से पहले सूरज की मां बोली)

अरे मैं हूं सोनू की चाची,,,,।

आजा अंदर आजा,,,,,।
(सोनू की चाची इतना सुनते ही सूरज की आंखों के सामने सोनू की चाची पेशाब करती हुई नजर आने लगी उसकी बड़ी-बड़ी गांड नजर आने लगी और वह उत्तेजित होने लगा थोड़ी ही देर में सोनू की चाची घर के आंगन में आ गई,,, जब उसकी नजर सूरज पर पड़ी तो उसे देखती रहेगी क्योंकि सूरज पजामा पहन कर खाना खा रहा था कमर के ऊपर उसका गठीला बदन एकदम नग्न था,,,, उसकी नंगी चौड़ी छाती पर नजर पड़ते हैं सोनू की चाची उसे देखते ही रहेगी और कुछ देर तक उसे देखती रही वह क्या करने आई थी क्या कहने आई थी उसे बिल्कुल भी भान नहीं रहा,,, और यह सब सुनैना देख रही थी,,,, सोनू की चाची की नजर में सूरज के लिए एक आकर्षक दिखाई दे रहा था और यह देखकर सुनैना बाजार में ज्योतिष की बात के बारे में सोचने लगी और अपनी पड़ोसन की बात के बारे में सोचने लगी ज्योतिष के अनुसार सोनू की चाची मां बन सकती थी लेकिन दूसरे मर्द का सहारा लेकर और उसकी पड़ोसन बार-बार उसे उकसा रही थी सूरज के साथ संबंध बनाने के लिए,,, कहीं यही सब के चलते सोनू की चाची उसके बेटे को तो नहीं घुर रही है,,, क्योंकि इतना तो वह जानती थी कि उसके बेटे की जवानी मरदाना अंदाज में खील रही थी उसका बदन भी एकदम गठीला था,,, और ऐसे में किसी भी औरत का ध्यान उसके बेटे पर जाना स्वाभाविक था इसलिए इस समय सोनू की चाची पर सुनैना को थोड़ा गुस्सा आने लगा और वह बोली,,,,।)

क्या हुआ कुछ बताएगी भी या देखती रहेगी,,,,।

(सुनैना की आवाज जैसे ही कानों में पड़ी वैसे ही सोने की चाची जैसे एकदम से होश में आई हो इस तरह से चकरा गई और हड़बड़ाते हुए बोली,,,,)

अरे मैं तो भूल ही गई,,,, अरे वह अपने पड़ोस के गांव वाले शर्मा जी है ना,,,,।

हां हां क्या हुआ,,,?

अरे हुआ कुछ नहीं उनकी बेटी का विवाह है और आज रात को गाना बजाना है तो उन्होंने एक आदमी को भेजे थे बुलावे में,,,,।


मतलब चाची गाना बजाना करने के लिए जाना है,,,(खाना खाते हुए रानी बोली)

हां क्यों नहीं,,,, और वैसे भी दीदी जाना तो पड़ेगा ही,,,, यह तो गांव की पुरानी परंपरा है एक दूसरे के सुख दुख में भागीदार होना ही पड़ता है,,,।

हां हां इसमें कोई बेमत नहीं है,,, जाना तो पड़ेगा ही,,,, लेकिन सोनू की चाची उनका घर तो दो किलोमीटर दूर है और रास्ते में एकदम सुनसान रहता है बड़ी-बड़ी झाड़ियां जंगल जैसा ही दिखता है जाने को तो चले जाएंगे लेकिन आते समय डर तो लगता है और वैसे कौन-कौन जा रहा है,,,,।

चार-पांच औरतें हैं,,,,। और वैसे अगर डर लगता है तो सूरज को भी साथ ले लेते हैं,,,,।

हां मा ये ठीक रहेगा मैं भी चलूंगा,,,,(सोनू की चाची की बात सुनते ही वह एकदम से बोल उठा,,,)

यह सब तो ठीक है लेकिन रानी अकेली रह जाएगी,,, उसका क्या घर में भी तो किसी को होना चाहिए,,।


तो इसमें क्या हो गया मां जब तक हम लोग नहीं आ जाते तब तक रानी पड़ोस वाली चाची के घर सो जाएगी,,,।

क्यों वह भी तो जाएगी ना,,,।

मुझे नहीं लगता है मां की वह जाएगी क्योंकि उन्हें थोड़ा बुखार था,,,,।

चल कोई बात नहीं मैं पूछ लुंगी,,,,।
(जितनी देर यह सब बातें हो रही थी इसलिए सोनू की चाची सूरज की नंगी छाती की तरफ ही देख रही थी वह अपने मन में सोच रही थी की अगर सब कुछ सही हुआ तो जब सूरज उसे अपनी बाहों में मिलेगा तो उसे एकदम से अपने सीने से लगा लगा कितना मजा आएगा जब उसकी नंगी चूची उसकी नंगी छाती से टकराएंगी ,,,रगड़ खाएंगी ,,,,एक तूफ़ान सा उठ जाएगा बहुत मजा आएगा,,,, सोनू की चाची को फिर से किसी ख्यालों में खोया हुआ देखकर सुनैना बोली,,,,)

अरे तेरा ध्यान कहां है कहां खो जा रही है,,,।

अरे कुछ नहीं दीदी अच्छा तो मैं चलती हूं,,,,(इतना कहकर बात जाने लगी तो सूरज बोल पड़ा)

अरे कहां जा रही हो चाची खाना तो खा लो,,,।


अरे नहीं मुझे बहुत कम है फिर किसी दिन खा लूंगी,,,,(इतना कहते हुए सोनू की चाची वहां से चली गई लेकिन जाते-जाते सुनैना के मन में शंका के बीज बो गई,,,, सूरज किस तरह से सोनू की चाची से बात किया था उसे देखकर सुनैना को शक होने लगा था की कहानी उसे ज्योतिष की बात सच तो नहीं हो जाएगी और इसमें उसके ही बेटे की अहम भूमिका तो नहीं होगी,,, यही सब सोच कर सुनना परेशान हो रही थी,,,।

धीरे-धीरे दिन ढल गया और शाम होने लगी सुनैना जल्दी-जल्दी खाना बनाने लगी,,, क्योंकि उसे पकड़ के गांव में नाच गाना करने के लिए जाना था,,,, खाना बनाते हुए वह रानी से बोली,,,)

रानी पड़ोस वाली चाची जाएंगी कि नहीं,,,।

नहीं मामा नहीं जा रही है भैया ठीक कहता था उनकी थोड़ी तबीयत खराब है,,,,।

चल तब तो ठीक है लेकिन तु उससे बात की है कि नहीं,,,!

हां कर ली हुं ,,, मैं खाना खाने के बाद उसके घर चली जाऊंगी सोने के लिए,,,।

चल ठीक है खाना बन गया है,,,,अब जल्दी से खाना खा लो,,,

तुम खाना परोसो तब तक भैया आता ही होगा,,,,।
(और थोड़ी ही देर में सूरज भी सही समय पर आ गया,,,, तीनों खाना खा चुके थे ,,, थोड़ी ही देर में तीन चार औरतों सुनैना के घर के बाहर इकट्ठी होने लगी सोनू की चाची भी आ चुकी थी,,,, अंधेरा हो चुका था और अब निकलना जरूरी था इसलिए सुनैना दरवाजा बंद करके उसे पर ताला लगती हो चाबी को रानी को ही समाधि और उसे बोली जाकर पड़ोस वाली चाची के घर सो जाए,,,,।

थोड़ी देर में सुनैना को लेकर पांच औरतों हो गई है सूरज भी लोगों के साथ निकल पड़ा वैसे तो चारों तरफ अंधेरा था लेकिन चांदनी रात होने की वजह से हल्का-हल्का दिखाई दे रहा था सूरज अपने हाथ में बड़ा सा मोटा डंडा लिया हुआ था,,,, और सभी औरतें आपस में बात करते हुए पड़ोस के गांव के लिए निकल गई सोनू की चाची सूरज से बात करना चाहती थी उस दिन के बारे में जब वह घर के पीछे पेशाब कर रही थी वह सूरज उसे देख लिया था यह जानते हुए भी की सूरज नहीं उसे पेशाब करते हुए देख लिया है फिर भी वह जानबूझकर इस बात का जिक्र सूरज से करना चाहती थी कि वह देखा था या नहीं देखा था क्योंकि अब धीरे-धीरे उसके बदन में भी उमंग उठने लगी थी,,,,।


कच्ची सड़क पर बातें करते हुए सभी बढ़ते चले जा रहे थे और कच्ची सड़क के दोनों तरफ बड़े-बड़े खेत लहलहा रहे थे और बड़ी-बड़ी जंगली घास भी होगी हुई थी जिससे चारों तरफ खेत ही खेत दिखाई दे रहे थे,,, गर्मी का मौसम होने के बावजूद भी शीतल हवा चल रही थी जिसे बदन में ठंडक का एहसास हो रहा था,,, और बिल्कुल भी आलस नहीं लग रहा था सभी के भजन में फुर्ती नजर आ रही थी और जल्दी-जल्दी का धमाके बढ़ाते हुए आगे बढ़ते चले जा रहे थे,,, सूरज के मन में भी कुछ और चल रहा था पांचों औरतें उसकी मां की उम्र के ही लगभग की थी,,,, सूरज अपने मन में कल्पना कर रहा था कि अगर पांचों औरतें अपने कपड़े उतारकर एकदम नंगी होकर इसी तरह से कच्ची सड़क पर चलती रहे तो क्या अद्भुत नजारा होगा सभी की नंगी गांड एकदम पानी भरे गुब्बारे की तरह आपस में लहराते हुए रगड़ खा रही होगी,,, और कितनी नंगी गांडो को देखकर उसका लंड एकदम से पागल हो जाएगा,,, यही सब सोचते हुए सूरज आगे आगे चलता चला जा रहा था तभी पीछे से आवाज आई,,,।

अरे सूरज धीरे-धीरे चल तू तो हम लोगों की रक्षा करने के लिए आया है कि खुद आगे भागने के लिए,,,।
(सूरज अच्छी तरह से जानता था कि यह किसकी आवाज़ है इसलिए एकदम से रुक गया और पीछे मुड़कर देखते हुए बोला)

बिल्कुल भी चिंता मत करो मेरे होते हुए कुछ भी गड़बड़ नहीं होगी,,,,।

अरे यह तो हम जानते हैं लेकिन आगे आगे क्यों चल रहा है साथ में चल,,,।

(सूरज की बात सुनकर सुनैना भी सोनू की चाची के सुर में सुर मिलाते हुए बोली क्योंकि वाकई में सूरज उन लोगों से जल्दी-जल्दी आगे बढ़ता चला जा रहा था,,,,)

अच्छा ठीक है मैं साथ में हीं चलता हूं बस,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज भी उन लोगों के साथ चलने लगा लेकिन तभी उन औरतों में से कुछ मस्तीखोर औरतें आपस में मस्ती भरी बातें करने लगी और उनमें से एक बोली,,,)

अरे मुन्ना की मां तू गाना गाने के लिए आ गई घर पर मुन्ना के बाबू क्या करेंगे,,,,।

(इतना सुनकर दूसरी औरत बोली)

अरे करेंगे क्या मुन्ना की मां के बारे में सोच कर हाथ से हिला कर काम चलाएंगे,,,,।

(इतना कहकर वह तीनों हंसने लगी सोनू की चाची भी हंसने लगी तो सूरज की मां बोली)

अरे तुम लोगों को शर्म आ रही है एक जवान लड़का साथ में चल रहा है और तुम लोग इस तरह की बातें कर रही हो,,,,।

अरे हां हम तुझे भूल गए इस तरह की बातें मत करो बहन कहीं इस तरह की बातें सुनकर सूरत चुदवासा हो गया तो हम मे से ही किसी एक औरत पर चढ़ाई कर देगा,,,,,,(इतना कहकर फिर से वह लोग हंसने लगी,,,, सूरज उन लोगों से तकरीबन 4 5 मीटर की दूरी पर आगे आगे चल रहा था,,,, उन औरतों की बात उसे साफ सुनाई दे रही थी,,,और उन औरतों की बात सुनकर उसे भी मजा आ रहा था लेकिन उसकी मां थोड़ा गुस्सा दिखा रही थी और फिर से बोली ,,,)

तुम लोगों को हमेशा यही सुझता है,,, अरेकुछ घंटे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो घर पर ही रुक जाती चढ़ जाती अपने पति के लंड पर,,,,।

(यह सुनकर उनमें से एक औरत बोली,,)


तुम तो एकदम से खोल कर ही बोल दी,,,,।


तो क्या करती तुम लोग बात ही ऐसी करते हो,, अरे अगर हम औरतें हो तो ठीक हैं इस तरह की बातें हंसी मजाक अच्छी लगती है लेकिन एक जवान लड़का साथ में फिर भी तुम लोग इसी तरह की बातें कर रहे हो क्या सोचेगा वह तुम लोगों के बारे में,,,,,
(यह सुनकर सोनू की चाची सुनैना का पक्ष लेते हुए बोली)

दीदी सही कह रही है तुम लोगों को थोड़ा सब्र करना चाहिए हंसी मजाक का,,, सही जगह सही समय पर किया गया मजाक ही अच्छा लगता है वरना शर्मिंदा होना पड़ता है,,,,,।


ठीक है दीदी गलती हो गई माफी दे दो,,,,।

(जिस औरत ने इस तरह की बातों की शुरुआत की थी वही कान पकड़कर माफी मांगते हुए बोली,,,, सुनैना को भी थोड़ा अजीब लगा क्योंकि वह ज्यादा गुस्सा दिखाती थी इसलिए वह भी मुस्कुराते हुए बोली,,,)

तुम लोग मेरी बात का बुरा मत मानना मुझे भी यह सब बातें अच्छी लगती है आपस में हंसी मजाक अच्छी लगती है लेकिन सही समय पर,,,,।

ठीक है दीदी आगे से ख्याल रखेंगे,,,,।

(सूरज इन सब बातों को अच्छी तरह से सुन रहा था लेकिन इस तरह से जता रहा था कि मानो जैसे उसे सुनाई ना दे रहा हो,,,, तभी वह एकदम से सबका ध्यान गंभीर बात से हटाते हुए बोला,,,)

हम जल्दी पहुंचने वाले हैं देखो ढोलक की आवाज आ रही है,,,,।
(सूरज की बात सुनते ही सभी लोग एकदम ध्यान से सुनाने लगे और वाकई में ढोलक की आवाज आ रही थी,,,,,)

हां हम पहुंचने वाले हैं,,,(सुनैना बोली,,, और उंगली से इशारा करते हुए बोली,,,)

वह देखो उजाला दिखाई दे रहा है,,,, लगता है कार्यक्रम शुरू हो गया है,,,,



हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,,,,(सोनू भी सुनैना की हां में हां मिलाते हुए बोली ,,)

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Ajju Landwalia

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सूरज नीलू की गुलाबी बर का उद्घाटन कर चुका था और यह उद्घाटन बेहद रंगारंग तरीके से समाप्त हुआ था लेकिन सूरज नीलू के साथ और ज्यादा मस्ती करना चाहता था लेकिन दोनों के पास समय पर्याप्त मात्रा में नहीं था इसलिए नीलू को वहां से जाना पड़ा लेकिन फिर भी सूरज पूरी तरह से नीलू को संतुष्ट कर चुका था और वह जानता था कि नीलू अब उसकी गुलाम बन चुकी है वह जब रहेगा तब वह बगीचे में आ जाएगी उस चुदवाने के लिए,,,।

मां बेटी दोनों को भोग कर सूरज आत्मविश्वास से भर चुका था उसे इतना तो ज्ञात हो चुका था कि वह किसी भी औरत को पूरी तरह से संतुष्ट करने में सक्षम है और यह एहसास उसको नीलू की मां ने ही दिलाई थी और वही एहसास को एक बार फिर से आत्मविश्वास में बदलते हुए उसकी बेटी के साथ ही संभोग सुख प्राप्त करके वह मदहोश हो चुका था,,,, सूरज अपने आप को बहुत किस्मत वाला समझने लगा था और वास्तव में वह किस्मत वाला ही था गांव की मुखिया की बीवी को चोदने के बाद मुखिया की लड़की भी अगर छोड़ने को मिल जाए तो भला यह किस्मत की बात ना हो तो क्या हो और ऐसी किस्मत लेकर पैदा हुआ था सूरज,,, जहां एक तरफ मां की बड़ी-बड़ी गांड बड़ी बड़ी चूचियां और पूरी तरह से अनुभव से भरी हुई एक मदहोश कर देने वाली नीलू की मां थी वही छोटे-छोटे संतरे की तरह चूची वाली और सुडौल काया के साथ-साथ सीमित आकर के नितंब वाली उसकी बेटी और सूरज दोनों के साथ बराबर का मजा लिया था,,,, पहली बार में लेकिन सूरज मां बेटी दोनों में कौन ज्यादा मजा दी किसके साथ ज्यादा आनंद की अनुभूति हुई यह तय नहीं कर पाया था क्योंकि जिस तरह का आनंद उसे मां से मिला था उसी तरह से उसकी बेटी से भी वह पूरी तरह से संतुष्ट था हां एक बात का एहसास उसे अच्छी तरह से था कि जहां मां की बुर में लंड बड़े आराम से चला जा रहा था वही बेटी की बुर में लंड एकदम कसा हुआ जाता था जिसका एहसास और आनंद सूरज के चेहरे पर दिखाई देता था,,,,।


दो-तीन दिन लगातार सूरज बगीचे में जाता रहा लेकिन नीलू वहां पर नहीं आई थी वह समझ नहीं पा रहा था कि नीलू वहां क्यों नहीं आ रही है क्योंकि इतना तो वह जानता ही था की जिस औरत को एक बार चुदाई का चस्का लग जाता है वह बार-बार इस सुख की तरफ बढ़ता है लेकिन नीलू क्यों नहीं आ रही थी इसके पीछे के कारण को सूरज समझ नहीं पा रहा था,,,, ऐसा नहीं था कि नीलु बगीचे में जाना नहीं चाहती थी,, वह बगीचे में बराबर जाना चाहती थी और सूरज के साथ चुदवाना चाहती थी संभोग सुख प्राप्त करना चाहती थी,,, लेकिन पहली बार की चुदाई से उसे अपने दोनों टांगों की बीच की पतली दरार में हल्का-हल्का दर्द महसूस होता था जिसका कारण साफ था कि सूरज का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था और नीलू पहली बार चुदवाई थी और चुदाई का इससे पहले कोई भी अनुभव न होने के कारण उसकी बुर का गुलाबी छेद सूरज के लंड की मोटाई के मुकाबले बहुत ही छोटा था हालांकि सूरज अनुभव और सुझ बुझ से काम लेते हुए इस अद्भुत कार्य में सफल तो हो चुका था लेकिन नीलू के मन में थोड़ा डर बैठ गया था ऐसा नहीं था कि उसे मजा नहीं आया था मजा तो उसे भी बहुत आया था,,, यहां तक कैसे एक जवान खूबसूरत लड़की होने का गर्व भी हो रहा था,,, लेकिन दर्द की वजह से वह मन होने के बावजूद भी बगीचे में नहीं जा रही थी वह बगीचे में जाने के लिए अपनी टांगों के बीच के दर्द को कम होने का इंतजार कर रही थी,,,,।

और दूसरी तरफ सोनू की चाची थी जो बाजार में ज्योतिष की बात को सुनकर अपने आप ही सूरज की तरफ झुकने लगी थी क्योंकि वह जानती थी कि गांव भर में एक वही ऐसा जवां मर्द है जो उसकी इच्छाओं की पूर्ति कर सकता था बिना किसी बदनामी के,,, इसलिए सोनू की चाची भी सूरज के साथ हम बिस्तर होने के लिए तड़प रही थी लेकिन लोग समाज का डर भी उसके मन में बहुत ज्यादा था क्योंकि वह जानती थी अगर एक बार बदनामी हो गई तो गांव में वह कर उठा कर रह नहीं पाएंगी लेकिन एक बार कामयाब हो गई तो बरसों की मेहनत और चाहत दोनों पूरी हो जाएगी,,,, और इसीलिए सूरज के बारे में सोच सोच कर बार-बार वह अपनी बुर को गीली कर ले रही थी और अपनी जवानी की आग बुझाने के लिए अपनी उंगलियों का सहारा लेकर रात गुजार रही थी,,,।

वैसे भी सूरज से उसे दिन के बाद दोबारा मुलाकात नहीं हुई थी और इसीलिए वह सूरज से मिलने के लिए तड़प रही थी क्योंकि सूरज जब उसकी मदद करने के लिए घास का देर अपने सर पर उठाए हुए उसके घर पर लाया था तो वह उसे पानी पिलाने के लिए बाहर बैठने के लिए बोली थी और वह खुद घर के अंदर चली गई थी लेकिन बड़े चोरों की पेशाब लगने की वजह से हुआ घर के दूसरी तरफ निकल कर झाड़ियां के बीच बैठकर पेशाब कर रही थी और ज्यादा देर हो जाने की वजह से सूरज घर के अंदर चला गया था और धीरे-धीरे उसी जगह पर पहुंच गया था जहां पर झाड़ियां में बैठकर सोनू की चाची पेशाब कर रही थी और अनजाने में ही उसकी नजर सोनू की चाची पर पड़ गई थी उसकी बड़ी-बड़ी गांड उसकी मदमस्त जवानी देखकर सूरज तो उसे देखता ही रह गया था,,, और जब सोनू की चाची को इस बात का एहसास हुआ कि सूरज ने उसे पेशाब करते हुए देख लिया है तो उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी वह मत होश होने लगी वह अपने मन में सोचने लगी कि सूरज उसके बदन का कौन-कौन सा हिस्सा देख लिया होगा,,,,।

जिस तरह से वापस साफ करने के लिए बैठी थी और सूरज जहां पर खड़ा था उसे इतना तो ज्ञात हो गया था कि सूरज उसके कौन से अंग को देख लिया होगा वह जानती थी कि सूरज उसकी नंगी गांड को जरूर देख लिया होगा हालांकि भले वह पेशाब करने बैठी थी लेकिन वह जानती थी कि उसकी नजर उसकी बुर पर तो बिल्कुल नहीं पड़ी होगी क्योंकि दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी छेद छुप सी गई थी,,, भले ही सूरज उसकी गुलाबी बुर को ना देख पाया हो लेकिन उसकी गांड देखकर वह हक्का-बक्का रह गया था,,, और इस बात को सोनू की चाची अच्छी तरह से जानती थी सोनू की चाची इस बात से परेशान थी कि उसकी नंगी गांड देखकर उसे पेशाब करते हुए देखकर सूरज अपने मन में क्या सोच रहा होगा उसके बारे में अच्छी बातें सोच रहा होगा या गंदी बातें लेकिन दुनिया का ऐसा कौन सा मर्द होगा जब औरत को पेशाब करता हुआ देखकर उसके बारे में गंदी बातें ना सोचता हो उसके बारे में गंदे ख्याल ना लाता हूं उसे देखकर अपना लंड ना खड़ा कर लिया हो सूरज भी उन मर्दों में से अपवाद बिल्कुल भी नहीं था उसकी नंगी गांड देखकर सूरज का भी मन बहक सा गया था,,, यही सब सो कर सोनू की चाची पागल हुए जा रही थी,,, और सूरज के बारे में गंदी-गंदी बातें सोच कर अपनी हालत खराब कर रही थी,,,,।

ऐसे ही एक दिन सूरज खाना खा रहा था उसकी मां भी पास में बैठकर खाना खा रही थी और रानी भी खाना खा रही थी,,, तभी बाहर से आवाज आई,,,।

दीदी,,,ओ ,,, दीदी,,,,।


अरे कौन है,,,?(मुंह में निवाला डालने से पहले सूरज की मां बोली)

अरे मैं हूं सोनू की चाची,,,,।

आजा अंदर आजा,,,,,।
(सोनू की चाची इतना सुनते ही सूरज की आंखों के सामने सोनू की चाची पेशाब करती हुई नजर आने लगी उसकी बड़ी-बड़ी गांड नजर आने लगी और वह उत्तेजित होने लगा थोड़ी ही देर में सोनू की चाची घर के आंगन में आ गई,,, जब उसकी नजर सूरज पर पड़ी तो उसे देखती रहेगी क्योंकि सूरज पजामा पहन कर खाना खा रहा था कमर के ऊपर उसका गठीला बदन एकदम नग्न था,,,, उसकी नंगी चौड़ी छाती पर नजर पड़ते हैं सोनू की चाची उसे देखते ही रहेगी और कुछ देर तक उसे देखती रही वह क्या करने आई थी क्या कहने आई थी उसे बिल्कुल भी भान नहीं रहा,,, और यह सब सुनैना देख रही थी,,,, सोनू की चाची की नजर में सूरज के लिए एक आकर्षक दिखाई दे रहा था और यह देखकर सुनैना बाजार में ज्योतिष की बात के बारे में सोचने लगी और अपनी पड़ोसन की बात के बारे में सोचने लगी ज्योतिष के अनुसार सोनू की चाची मां बन सकती थी लेकिन दूसरे मर्द का सहारा लेकर और उसकी पड़ोसन बार-बार उसे उकसा रही थी सूरज के साथ संबंध बनाने के लिए,,, कहीं यही सब के चलते सोनू की चाची उसके बेटे को तो नहीं घुर रही है,,, क्योंकि इतना तो वह जानती थी कि उसके बेटे की जवानी मरदाना अंदाज में खील रही थी उसका बदन भी एकदम गठीला था,,, और ऐसे में किसी भी औरत का ध्यान उसके बेटे पर जाना स्वाभाविक था इसलिए इस समय सोनू की चाची पर सुनैना को थोड़ा गुस्सा आने लगा और वह बोली,,,,।)

क्या हुआ कुछ बताएगी भी या देखती रहेगी,,,,।

(सुनैना की आवाज जैसे ही कानों में पड़ी वैसे ही सोने की चाची जैसे एकदम से होश में आई हो इस तरह से चकरा गई और हड़बड़ाते हुए बोली,,,,)

अरे मैं तो भूल ही गई,,,, अरे वह अपने पड़ोस के गांव वाले शर्मा जी है ना,,,,।

हां हां क्या हुआ,,,?

अरे हुआ कुछ नहीं उनकी बेटी का विवाह है और आज रात को गाना बजाना है तो उन्होंने एक आदमी को भेजे थे बुलावे में,,,,।


मतलब चाची गाना बजाना करने के लिए जाना है,,,(खाना खाते हुए रानी बोली)

हां क्यों नहीं,,,, और वैसे भी दीदी जाना तो पड़ेगा ही,,,, यह तो गांव की पुरानी परंपरा है एक दूसरे के सुख दुख में भागीदार होना ही पड़ता है,,,।

हां हां इसमें कोई बेमत नहीं है,,, जाना तो पड़ेगा ही,,,, लेकिन सोनू की चाची उनका घर तो दो किलोमीटर दूर है और रास्ते में एकदम सुनसान रहता है बड़ी-बड़ी झाड़ियां जंगल जैसा ही दिखता है जाने को तो चले जाएंगे लेकिन आते समय डर तो लगता है और वैसे कौन-कौन जा रहा है,,,,।

चार-पांच औरतें हैं,,,,। और वैसे अगर डर लगता है तो सूरज को भी साथ ले लेते हैं,,,,।

हां मा ये ठीक रहेगा मैं भी चलूंगा,,,,(सोनू की चाची की बात सुनते ही वह एकदम से बोल उठा,,,)

यह सब तो ठीक है लेकिन रानी अकेली रह जाएगी,,, उसका क्या घर में भी तो किसी को होना चाहिए,,।


तो इसमें क्या हो गया मां जब तक हम लोग नहीं आ जाते तब तक रानी पड़ोस वाली चाची के घर सो जाएगी,,,।

क्यों वह भी तो जाएगी ना,,,।

मुझे नहीं लगता है मां की वह जाएगी क्योंकि उन्हें थोड़ा बुखार था,,,,।

चल कोई बात नहीं मैं पूछ लुंगी,,,,।
(जितनी देर यह सब बातें हो रही थी इसलिए सोनू की चाची सूरज की नंगी छाती की तरफ ही देख रही थी वह अपने मन में सोच रही थी की अगर सब कुछ सही हुआ तो जब सूरज उसे अपनी बाहों में मिलेगा तो उसे एकदम से अपने सीने से लगा लगा कितना मजा आएगा जब उसकी नंगी चूची उसकी नंगी छाती से टकराएंगी ,,,रगड़ खाएंगी ,,,,एक तूफ़ान सा उठ जाएगा बहुत मजा आएगा,,,, सोनू की चाची को फिर से किसी ख्यालों में खोया हुआ देखकर सुनैना बोली,,,,)

अरे तेरा ध्यान कहां है कहां खो जा रही है,,,।

अरे कुछ नहीं दीदी अच्छा तो मैं चलती हूं,,,,(इतना कहकर बात जाने लगी तो सूरज बोल पड़ा)

अरे कहां जा रही हो चाची खाना तो खा लो,,,।


अरे नहीं मुझे बहुत कम है फिर किसी दिन खा लूंगी,,,,(इतना कहते हुए सोनू की चाची वहां से चली गई लेकिन जाते-जाते सुनैना के मन में शंका के बीज बो गई,,,, सूरज किस तरह से सोनू की चाची से बात किया था उसे देखकर सुनैना को शक होने लगा था की कहानी उसे ज्योतिष की बात सच तो नहीं हो जाएगी और इसमें उसके ही बेटे की अहम भूमिका तो नहीं होगी,,, यही सब सोच कर सुनना परेशान हो रही थी,,,।

धीरे-धीरे दिन ढल गया और शाम होने लगी सुनैना जल्दी-जल्दी खाना बनाने लगी,,, क्योंकि उसे पकड़ के गांव में नाच गाना करने के लिए जाना था,,,, खाना बनाते हुए वह रानी से बोली,,,)

रानी पड़ोस वाली चाची जाएंगी कि नहीं,,,।

नहीं मामा नहीं जा रही है भैया ठीक कहता था उनकी थोड़ी तबीयत खराब है,,,,।

चल तब तो ठीक है लेकिन तु उससे बात की है कि नहीं,,,!

हां कर ली हुं ,,, मैं खाना खाने के बाद उसके घर चली जाऊंगी सोने के लिए,,,।

चल ठीक है खाना बन गया है,,,,अब जल्दी से खाना खा लो,,,

तुम खाना परोसो तब तक भैया आता ही होगा,,,,।
(और थोड़ी ही देर में सूरज भी सही समय पर आ गया,,,, तीनों खाना खा चुके थे ,,, थोड़ी ही देर में तीन चार औरतों सुनैना के घर के बाहर इकट्ठी होने लगी सोनू की चाची भी आ चुकी थी,,,, अंधेरा हो चुका था और अब निकलना जरूरी था इसलिए सुनैना दरवाजा बंद करके उसे पर ताला लगती हो चाबी को रानी को ही समाधि और उसे बोली जाकर पड़ोस वाली चाची के घर सो जाए,,,,।

थोड़ी देर में सुनैना को लेकर पांच औरतों हो गई है सूरज भी लोगों के साथ निकल पड़ा वैसे तो चारों तरफ अंधेरा था लेकिन चांदनी रात होने की वजह से हल्का-हल्का दिखाई दे रहा था सूरज अपने हाथ में बड़ा सा मोटा डंडा लिया हुआ था,,,, और सभी औरतें आपस में बात करते हुए पड़ोस के गांव के लिए निकल गई सोनू की चाची सूरज से बात करना चाहती थी उस दिन के बारे में जब वह घर के पीछे पेशाब कर रही थी वह सूरज उसे देख लिया था यह जानते हुए भी की सूरज नहीं उसे पेशाब करते हुए देख लिया है फिर भी वह जानबूझकर इस बात का जिक्र सूरज से करना चाहती थी कि वह देखा था या नहीं देखा था क्योंकि अब धीरे-धीरे उसके बदन में भी उमंग उठने लगी थी,,,,।


कच्ची सड़क पर बातें करते हुए सभी बढ़ते चले जा रहे थे और कच्ची सड़क के दोनों तरफ बड़े-बड़े खेत लहलहा रहे थे और बड़ी-बड़ी जंगली घास भी होगी हुई थी जिससे चारों तरफ खेत ही खेत दिखाई दे रहे थे,,, गर्मी का मौसम होने के बावजूद भी शीतल हवा चल रही थी जिसे बदन में ठंडक का एहसास हो रहा था,,, और बिल्कुल भी आलस नहीं लग रहा था सभी के भजन में फुर्ती नजर आ रही थी और जल्दी-जल्दी का धमाके बढ़ाते हुए आगे बढ़ते चले जा रहे थे,,, सूरज के मन में भी कुछ और चल रहा था पांचों औरतें उसकी मां की उम्र के ही लगभग की थी,,,, सूरज अपने मन में कल्पना कर रहा था कि अगर पांचों औरतें अपने कपड़े उतारकर एकदम नंगी होकर इसी तरह से कच्ची सड़क पर चलती रहे तो क्या अद्भुत नजारा होगा सभी की नंगी गांड एकदम पानी भरे गुब्बारे की तरह आपस में लहराते हुए रगड़ खा रही होगी,,, और कितनी नंगी गांडो को देखकर उसका लंड एकदम से पागल हो जाएगा,,, यही सब सोचते हुए सूरज आगे आगे चलता चला जा रहा था तभी पीछे से आवाज आई,,,।

अरे सूरज धीरे-धीरे चल तू तो हम लोगों की रक्षा करने के लिए आया है कि खुद आगे भागने के लिए,,,।
(सूरज अच्छी तरह से जानता था कि यह किसकी आवाज़ है इसलिए एकदम से रुक गया और पीछे मुड़कर देखते हुए बोला)

बिल्कुल भी चिंता मत करो मेरे होते हुए कुछ भी गड़बड़ नहीं होगी,,,,।

अरे यह तो हम जानते हैं लेकिन आगे आगे क्यों चल रहा है साथ में चल,,,।

(सूरज की बात सुनकर सुनैना भी सोनू की चाची के सुर में सुर मिलाते हुए बोली क्योंकि वाकई में सूरज उन लोगों से जल्दी-जल्दी आगे बढ़ता चला जा रहा था,,,,)

अच्छा ठीक है मैं साथ में हीं चलता हूं बस,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज भी उन लोगों के साथ चलने लगा लेकिन तभी उन औरतों में से कुछ मस्तीखोर औरतें आपस में मस्ती भरी बातें करने लगी और उनमें से एक बोली,,,)

अरे मुन्ना की मां तू गाना गाने के लिए आ गई घर पर मुन्ना के बाबू क्या करेंगे,,,,।

(इतना सुनकर दूसरी औरत बोली)

अरे करेंगे क्या मुन्ना की मां के बारे में सोच कर हाथ से हिला कर काम चलाएंगे,,,,।

(इतना कहकर वह तीनों हंसने लगी सोनू की चाची भी हंसने लगी तो सूरज की मां बोली)

अरे तुम लोगों को शर्म आ रही है एक जवान लड़का साथ में चल रहा है और तुम लोग इस तरह की बातें कर रही हो,,,,।

अरे हां हम तुझे भूल गए इस तरह की बातें मत करो बहन कहीं इस तरह की बातें सुनकर सूरत चुदवासा हो गया तो हम मे से ही किसी एक औरत पर चढ़ाई कर देगा,,,,,,(इतना कहकर फिर से वह लोग हंसने लगी,,,, सूरज उन लोगों से तकरीबन 4 5 मीटर की दूरी पर आगे आगे चल रहा था,,,, उन औरतों की बात उसे साफ सुनाई दे रही थी,,,और उन औरतों की बात सुनकर उसे भी मजा आ रहा था लेकिन उसकी मां थोड़ा गुस्सा दिखा रही थी और फिर से बोली ,,,)

तुम लोगों को हमेशा यही सुझता है,,, अरेकुछ घंटे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो घर पर ही रुक जाती चढ़ जाती अपने पति के लंड पर,,,,।

(यह सुनकर उनमें से एक औरत बोली,,)


तुम तो एकदम से खोल कर ही बोल दी,,,,।


तो क्या करती तुम लोग बात ही ऐसी करते हो,, अरे अगर हम औरतें हो तो ठीक हैं इस तरह की बातें हंसी मजाक अच्छी लगती है लेकिन एक जवान लड़का साथ में फिर भी तुम लोग इसी तरह की बातें कर रहे हो क्या सोचेगा वह तुम लोगों के बारे में,,,,,
(यह सुनकर सोनू की चाची सुनैना का पक्ष लेते हुए बोली)

दीदी सही कह रही है तुम लोगों को थोड़ा सब्र करना चाहिए हंसी मजाक का,,, सही जगह सही समय पर किया गया मजाक ही अच्छा लगता है वरना शर्मिंदा होना पड़ता है,,,,,।


ठीक है दीदी गलती हो गई माफी दे दो,,,,।

(जिस औरत ने इस तरह की बातों की शुरुआत की थी वही कान पकड़कर माफी मांगते हुए बोली,,,, सुनैना को भी थोड़ा अजीब लगा क्योंकि वह ज्यादा गुस्सा दिखाती थी इसलिए वह भी मुस्कुराते हुए बोली,,,)

तुम लोग मेरी बात का बुरा मत मानना मुझे भी यह सब बातें अच्छी लगती है आपस में हंसी मजाक अच्छी लगती है लेकिन सही समय पर,,,,।

ठीक है दीदी आगे से ख्याल रखेंगे,,,,।

(सूरज इन सब बातों को अच्छी तरह से सुन रहा था लेकिन इस तरह से जता रहा था कि मानो जैसे उसे सुनाई ना दे रहा हो,,,, तभी वह एकदम से सबका ध्यान गंभीर बात से हटाते हुए बोला,,,)

हम जल्दी पहुंचने वाले हैं देखो ढोलक की आवाज आ रही है,,,,।
(सूरज की बात सुनते ही सभी लोग एकदम ध्यान से सुनाने लगे और वाकई में ढोलक की आवाज आ रही थी,,,,,)

हां हम पहुंचने वाले हैं,,,(सुनैना बोली,,, और उंगली से इशारा करते हुए बोली,,,)

वह देखो उजाला दिखाई दे रहा है,,,, लगता है कार्यक्रम शुरू हो गया है,,,,



हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,,,,(सोनू भी सुनैना की हां में हां मिलाते हुए बोली ,,)

Bahut hi badhiay update he rohnny4545 Bhai,

Keep rocking Bro
 
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