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Thanks for readingबहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया सुरज के साथ की हरकतों से बहक गयी सुनैना अपने ही मन से द्वंद्व कर रही हैं वही सुरज सोनु की चाची को पेलने की पुरी तयारी कर के उसके साथ बाहर जा रहा हैं तो सोनु की चाची भी सुरज के नीचे आने के लिये तडप रही हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
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Thanks dearबहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
औरतों के मामले में माहिर हो चुका सुरज ने अपने मासुमियत का जाल सोनु की चाची पर फेक कर उसे अपने बातों में फसाकर सोनु की चाची की कामवासना पुरी तरहा से भडकाकर उसका भोग लगाने का समय आ गया वही सोनु के चाची की माँ बनने की इच्छा भी पुरी होने की संभावना सुरज के साथ ही होगी ऐसा लग रहा हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
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हालात पूरी तरह से बेकाबू होता चला जा रहा था,,जिस तरह का नजारा सूरज की आंखों के सामने दिखाई दे रहा था उसकी जगह कोई और होता है तो शायद उसकी भी हालत होतीक्योंकि मर्दों की हमेशा फिट रहती है यही रही है कि वह किसी ने किसी बहाने से औरत को नग्न अवस्था में या अर्धनग्न अवस्था मेंदेख पाए और यहां तो एक खूबसूरत औरत अपनी साड़ी कमर तक उठाकर पेशाब करने देती हुई थी भला इस तरह के मदहोश कर देने वाले नजारे को देखने से कौन इनकार कर पाएगा,,, इसलिए सोनू की चाची ऊपरी मन सेसूरज को मना कर रही थी कि उसकी तरफ मत देखना और अंदर से यही चाहती थी कि सूरज उसकी भरपूर जवानी को अपनी आंखों से देखें और ऐसा ही हुआ था सूरज जो औरतों के मामले में धीरे-धीरे पूरा खिलाड़ी बनता चला जा रहा था भला इस तरह के नजारे को देखने से कैसे अपने मन को रोक पाता,,,।
और वही हुआ जैसा कि सोनू की चाची चाहते थे और वैसे भी सोनू की चाची सूरज को अपनी भरपूर जवानी के दर्शन करना ही चाहती थी वरना,,, भला ऐसी कौन सी औरत होगी जो जानबूझकर एक जवान लड़के के सामने पेशाब करने बैठ जाती है वह संस्कारी तो बिल्कुल भी नहीं होगी और इस समय सोनू की चाची भी पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी।अपने बरसों के विवाहित जीवन से वह इतना तो सीख ही चुकी थी कि श्रम करने में अब कोई फायदा नहीं है अगर शर्म करती रह गई तो वह ना तो शरीर सुख पाएगी और ना ही मां बनने का शुभ प्राप्त कर पाएंगे इसीलिए उसका भी प्रेशर में बनना जरूरी होता जा रहा था और वह पूरी बेशर्मी सूरज के सामने ही दिखा रही थी। वह जानती थी किसूरज उसे पेशाब करते हुए देखेगा उसकी बड़ी-बड़ी गांड को देखेगा तो जरूर उत्तेजित हो जाएगा और उसके साथ शरीर संबंध स्थापित करेगा,,,।
सोनू की चाची को पेशाब करते हुए देखकर ऐसा नहीं था कि सिर्फ सूरज की ही हालत खराब थी सूरज की उत्तेजित हुआ जा रहा था बल्कि जिंदगी में पहली बार इस तरह का नजाराऔर वह भी जान पूछ कर एक जवान लड़के को दिखाने में सोनू की चाची की भी हालत खराब होती जा रही थी उसके बाद में भी मदहोशी जा रही थी जवानी का नशा सर चढ़कर बोल रही थी भले ही उसकी बुर से पेशाब की धार फूट रही हो लेकिन मदहोशी के मारे उसके मदन रस की बौछार भी हो रही थी,,, जेठ की कड़कती धूप में एक खूबसूरत जवान से भरी हुई औरत को बड़ी-बड़ी खास के बीच में बैठकर पेशाब करता हुआ देखकर सूरज की रोशनी में चमकती हुई उसकी मदहोश कर देने वाली गांड को देखकर सूरज की हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी सूरज ने अब तक सोनू की चाची के सामने ऐसा ही जाते था की औरतों के बारे में उसे कुछ ज्ञात नहीं है इसीलिए तो सोनू की चाची उसे अपनी जवानी का जलवा दिखा रही थी और उसकी मदद कर देने वाली गांड को देखकर सूरज के बेसब्री का बांध टूटने लगा था और वह धीरे-धीरे उसके करीब पहुंच गया था।
सोनू की चाची को इसका अंदेशा बिल्कुल भी नहीं था कि सूरज उसके करीब पहुंच जाएगा इसलिए सूरज को अपने पास देखकर वह जानबूझकर शर्माने का नाटक करते हुए साड़ी की ओट में अपनी नंगी बड़ी-बड़ी गांड को छुपाने की कोशिश करते हुए बोली।
अरे सूरज तो इधर क्यों आ गया तुझे तो मैं देखने के लिए मन की थी,,,।
क्या करूं चाची तुम्हें पेशाब करता हुआ देखकर मुझे भी बड़ी जोरों की पेशाब लग गई,,(सोनू की चाची के एकदम बगल में खड़ा होकर वहां पजामे में तने हुए अपने तंबू को दबाते हुए बोला और उसकी हरकत को सोनू की चाची तिरछी नजर से देख रही थी और उसकी हरकत को देखकर मन ही मन उत्तेजित हो जा रही थी सोनू की चाची सूरज की बात को सुनकर बोली,,,)
अरे तो तुझे पेशाब लगी थी तो वहीं कहीं कर लेता मेरे पास आने की क्या जरूरत थी,,,।
पता नहीं चाचा लेकिन मुझे रहने की और मैं यहां आ गया तुम कहो तो मैं दूसरी जगह चला जाता हूं पेशाब करने के लिए,,,।
नहीं नहीं अब तु आ ही गया है तो यही कर ले,,, यहां पर पेड़ की छाव भी है,,, दूसरी जगह जाएगा तो बड़ी तेज धूप है,,,,(तिरछी नजर से सुरज के तंबू की तरफदेखते हुए बोली वैसे तो अब वह पेशाब कर चुकी थी उसकी बुर से पेशाब की धार निकलना बंद हो चुकी थी लेकिन वह जान पूछ कर बैठी हुई थी क्योंकि वह भी सुरज के मोटे-फटे लंड को देखना चाहती थी,,, और यही मौका थासोनू की चाची के लिए सूरज के मोटे कपड़े लैंड के दर्शन करने के लिए इसलिए वह इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी क्योंकि जिस तरह से सूरज उसके करीब खड़ा था निश्चित तौर पर उसके सामने ही वह भी पेशाब करने वाला था,,, और सूरज भी तो यही चाहता था,वह जल्द से जल्द सोनू की चाची को अपने लैंड के दर्शन करना चाहता था अपने मर्दाना अंग के दर्शन करा कर वह जल्द से जल्द उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाना चाहता था वह अच्छी तरह से जानता था की प्यासी औरत मर्द के मोटे तगड़े लंड को देखकर सबर नहीं कर पाती उससे रहा नही जाता और वह मर्द के साथ एकाकार हो जाती है।
सोनू की चाची की इजाजत ताकतसूरज का दिल जोरो से धड़कने लगा था क्योंकि उसे पूरा मौका मिल गया था सोनू की चाची को अपना लंड दिखाने के लिए,, और इससे सुनहरा मौका अब उसके हाथ में आने वाला नहीं था इसलिए वह भी इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था,,, सूरज तो पहले से लालायित था,,इस खेल में आगे बढ़ाने के लिए और अब तो उसे रास्ता भी मिल गया था अपने मंजिल तक पहुंचाने के लिए इसलिए वह सोनू की चाची की बात को काट भी नहीं सकता थाइसलिए वह भी नीचे कर लिया था कि सोनू की चाची की आंखों के सामने ही भाभी पेशाब करेगा ताकि वह उसके लंड को देख सके,,,।
जेठ की दुपहरी की गर्मीउतनी आज नहीं बरसा रही थी जितनी की सोनू की चाची की जवानी आग बरसा रही थी,,,सोनू की चाची पेशाब कर चुकी थी लेकिन अभी भी कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी होकर बैठी हुई,,, और इसीलिए इस मौके का फायदा उठाते हुए बार-बार सूरज उसकी नंगी गांड की तरफ देख ले रहा था सूरज समझ गया था कि अब यह उठने वाली नहीं है,,, जब तक की पूरा मामला साफ नहीं हो जाता तब तक यह अपनी जवानी का जलवा दिखाई रहेगीऔर वैसे भी सोनू की चाची की बड़ी-बड़ी गांड को देखने में सूरज की उत्तेजना निरंतर बढ़ती जा रही थी,,दोनों की सांसों की गति बड़ी तेजी से चल रही थी दोनों की हालत खराब थी दोनों आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन बस इसी ताक में थे कि कौन शुरुआत करता है,,,सोनू की चाची के लिए तो यह पहला मौका था लेकिन सूरज इस खेल में पूरी तरह से पक्का खिलाड़ी होता जा रहा था इसलिए कैसे आगे बढ़ाना है उसे अच्छी तरह से मालूम था और सोनू की चाची की आंखों के सामने पेशाब करने की युक्ति भी सूरज की ही थी जिस पर अब अमल करने की देरी थी।
सोनू की चाची की इजाजत पाते हैं सूरज से रहा नहीं जा रहा था वैसे भी उत्तेजना उसके सर पर चढ़कर बोल रही थी और सोनू की चाची को पैसाब करते हुए देखकर जहां एक तरफ वह उत्तेजित हुआ जा रहा था वहीं दूसरी तरफ उसे भी पेशाब बड़ी जोरों की लगने लगी थी,,, पजामे बना हुआ तंबू सोनू की चाची के होश उड़ा रहा था वह तिरछी नजर से बार-बारसूरज के तंबू की तरफ देख ले रही थी और उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसके पजामे के अंदर उसके लायक ही हथियार है,,,सोनू की चाची इस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी कि जब लक्ष्य अभेद हो तो उसे भेंदने के लिए हथियार भी मजबूत होना चाहिए,, और उसे अपना हथियार मिल चुका था,,,।सूरज सोनू की चाची को तड़पाना चाहता था इसलिए अपने पजामी का हाथ रखकर वह उसे नीचे की तरफ सरकार नहीं रहा था बल्कि बार-बार सोनू की चाची की तरफ देख रहा था कभी उसके खूबसूरत चेहरे की तरफ देखा तो कभी उसकी उभरी हुई बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देखा दोनों चमक रही थी,,,शर्म और उत्तेजना में सोनू की चाची का चेहरा टमाटर की तरह लाल हो चुका था।
लेकिन अब ज्यादा तड़पना उचित नहीं था इसलिएसूरज अपने पजामे को दोनों हाथों से पकड़कर उसे धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगा,, लेकिन नीचे की तरफ सरक नहीं रहा था क्योंकि उसमें उसका खूंटा अड़ जा रहा था,, वह बार-बार उसे नीचे की तरफ सरकने की कोशिश करता है लेकिन उसके लंड की लंबाई उसकी कड़कपन उसका उत्थान, पजामे को नीचे सरकने से रोक रहा था,,, यह देखकर सोनू की चाची अपने मन में सोच रही थी कि काश उसके पजामे को उतारने का मौका उसे मिलता तो कितना मजा आता,,,, लेकिन वह मुक प्रेछक बनकर सिर्फ देख रही थी,,,, वैसे तो सूरज बड़े आराम से अपना पैजामा उतार देता लेकिनसोनू की चाची की आंखों के सामने वह जानबूझकर इस तरह की हरकत कर रहा था मैं सोनू की चाची को तड़पाना चाहता था। और वह तड़प भी रही थी।
लेकिन फिर सूरज पजामे को आगे की तरफ खींचकर उसे धीरे सेअपने लंड से बाहर कर दिया और पजामा के उतरते ही जो नजर सोनू की चाची की आंखों के सामने दिखाई दिया उसे देखकर तो सोनू की चाची के दिल की धड़कन एकदम से पढ़ने लगी उत्तेजना और आश्चर्य से उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और लाल लाल होठ अपने आप खुल गए,,, लाल-लाल होठों का हाल तो बुरा था ही उसके दोनों टांगों के बीच के गुलाबी होठ भी उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगे थे। वास्तविकता यही थीकी सोनू की चाची ने इस तरह के मर्दन अंगों को कभी अपनी आंखों से देखी ही नहीं थी और ना ही उसे बात का यकीन था कि किसी के पास इस तरह का मर्दाना अंग हो भी सकता है। अब तक उसने अपने पति के ही लंड को देखी थी जोकी इसके सामने वो पूरी तरह से बच्चा ही था,,, इसलिए उसके आश्चर्य का ठिकाना न था,,।
सूरज सोनू की चाची की हालत को समझ सकता था वह अच्छी तरह से जाता था कि सोनू की चाची के मन में क्या चल रहा होगा क्योंकि वह तिरछी नजरों से देख रही थी और काफी देर हो चुकी थी उन्हें पेशाब करने की मुद्रा में बैठे हुए और वह यह भी जानता था कि सोनू की चाची जानबूझकर बैठी हुई है वरना वह उठकर चली जाती वह भी वही सब चाहती है जैसा कि वह जा रहा है तो इसमें हर्ज ही क्या है सूरज अपने मन में ऐसा सोचते हुए धीरे से अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और पेशाब करना शुरू कर दिया,,, लंड की नसों में लहू पूरी तरह से दौड़ रहा था उसका उत्थान परम शिखर पर था उसे रोक पाना नामुमकिन नजर आ रहा था और पेशाब की धार एकदम तेजी से लगभग लगभग 2 मीटर की दूरी तक जा रही थी,,, यह सब देखकर सोनू की चाची मदहोश हुए जा रही थी उसके लिए यह सब असहनीय होता जा रहा था,,,।
सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसे क्या करना है वह पूरी तरह से सोनू की चाची को मदहोश कर देना चाहता था इसलिए जानबूझकर,,अपने हाथ से अपने लंड को ऊपर नीचे करके हिलना शुरू कर दिया यह नजारा सब सोनू की चाची के लिए और भी ज्यादा उत्तेजित कर देने वाला था वह पूरी तरह से पागल हुए जा रही थी तिरछी नजरों से देखते-देखते वह अब सीधे-सीधे सूरज के खड़े लंड को देख रही थी उसकी आंखों में वासना और प्यास दोनों साफ नजर आ रही थीयही तो सूरज चाहता था सूरज के तन बदन में भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी जिसका असर उसके लंड पर पड़ रहा था और वह पूरी तरह से लोहे के रोड की तरह एकदम कड़क हो गया था,,,, और वह जिस तरह से हिला रहा था,,, सोनू की चाची की बुर पानी छोड़ रही थी,,,वह अपने मन में सोचने लगी की यही सही मौका है अपने मन की मुराद पूरी करने के लिए और वह इस तरह का मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी इसलिए वह अपने मन में पूरी तरह से निश्चय कर ली थी और तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर सूरज का लंड को पकड़ ली थी।
सूरज एकदम मदहोश हो गया जब सोनू की चाची की नरम नरम हथेलियां उसके लंड के इर्द गिर्द कसती चली गई,,, हालांकि अभी भी उसमें से पेशाब की धार निकल रही थी और इस अवस्था में उसे पकड़ने का मजा ही कुछ और था जिसे सोनू की चाची अंदर ही अंदर महसूस कर रही थी लेकिन सोनू की चाची की ही हरकत पर सूरज मासूम बनता हुआ बोला,,,।
यह क्या कर रही हो चाची,,,?(ऐसा कहते हुए सूरज अपने लंड कोपीछे करने के लिए अपनी कमर को पीछे खींचने लगा लेकिन उसको ऐसा करता हुआ देखकर सोनू की चाची उसके लंड पर अपनी मुट्ठी का कसाव उस पर एकदम से बढ़ा दी थी और उसे दबोच ली थी,,,, जिससे सूरज चाह कर भी अपने लंड को उसकी पकड़ से निकाल नहीं पाया था,,, सोनू की चाची की इस हरकत सेसूरज मदहोश हो गया था उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी वह कुछ बोल नहीं पाया था लेकिन सोनू की चाची बोली,,,)
हाय दइया इतना मोटा और लंबा क्या है रे,,,,!(आश्चर्य जतातें हुए सोनू की चाची बोली,,,)
ककककक,,, क्या चाची,,,?(जानबूझकर हैरानी का नाटक करते हुए सूरज बोला)
तेरा यह लंड और क्या,,,,(मट्ठी में कसते हुए)कितना गजब का है मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि किसी का इतना बड़ा और मोटा हो सकता है मैंने तो आज तक ऐसा कभी नहीं देखी,,,,.
(सोनू की चाची किस तरह की बातें सुनकर सूरज अंदर ही अंदर प्रसन्न हो रहा था और अपने लंड पर गर्व महसूस कर रहा था,,,, सोनू की चाची की बातें उसे अच्छी लग रही फिर भी उसकी बातों को सुनकर अनजान बनता हुआ बोला,,,)
क्या कह रही हो चाची सबके पास तो ऐसा ही होता है और चाचा जी के पास भी ऐसा ही होगा,,,,(गहरी सांस लेता हुआ सूरज बोला)
झूठ तेरे जैसा किसी के पास नहीं है और चाचा जी के पास तो सिर्फ उंगली के बराबर है तभी तो मैं तेरा देख कर एकदम हैरान हूं,,,, कसम से बहुत गजब का है,,,(ऐसा कहते हुए सोनू की चाची हल्के हल्के उसे मुठियाना शुरू कर दी थी जिससे सूरज के बदन में सुरूर चढ़ता जा रहा था,,, सोनू की चाची की हरकत से उसे आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, फिर भी सोनू की चाची की बात को सुनकर वह बोला,,,)
ऐसा कैसे हो सकता है चाची,,,,मेरे जैसा अंग तो हर जवान लड़की के पास होता है हर मर्द के पास होता है फिर अलग-अलग कैसे हो सकता है,,,।
यही तो दिक्कत है,,, तुझे कुछ पता ही नहीं है तुझे पता होता तो शायद यह बात ना करता और खुद ही मुझे दिखाते हुए बोलना कि देखो मेरा कितना बड़ा और लंबा है,,,,।(सोनू की चाची उसी तरह से मदहोशी में उसे पकड़े हुए बोली,,, ईस अभी भी उसमें से पेशाब की धार निकल रही थी,,,,।
जेठ की गर्मी में माहौल पूरी तरह से गर्म होता जा रहा था जिस तरह का नजारा था वह बेहद मदहोश कर देने वाला था सोनू की चाची को भी और सूरज को भी सोनू की चाची तो अभी तक पेशाब करने वाली मुद्रा में बैठी हुई थी अभी तक उसकी नंगी गांड सुनहरी धूप में चमक रही थीऔर उसके पास में ही खड़ा होकर सूरज इस तरह से पेशाब कर रहा था उसके मर्दाना अंग पर किसी भी औरत की नजर जाती तो ऐसेहालत में वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने से बिल्कुल भी नहीं कतराती,,,,सूरज की सांस ऊपर नीचे हो रही थी और यही हाल सोनू की चाची का भी थाजिंदगी में पहली बार उसने इतना मोटा तगड़ा लंड देखी थी और उसे अपने हाथ में पड़ी हुई थी उसकी कर्माहट उसे अपने बदन में अच्छी तरह से महसूस हो रही थी और इस तरह की गरमाहट को महसूस करके वह पूरी तरह से पानी पानी हुई जा रही थी,,,गहरी सांस लेते हुए सोनू की चाची की बात को सुनकर सूरज फिर से अपनी मासूमियत दिखाने का नाटक करते हुए बोला,,,)
तो क्या हुआ चाचा मोटा लंबा चाहे जैसा भी होचाहे पतला हो मोटा हो लंबा हो आखिरकार पेशाब ही तो करना है,,,,।
(सूरज की बातों को सुनकर सोनू की चाची मन ही मन प्रसन्न होने लगी उसे इस बात का एहसास होने लगा कि सूरज पूरी तरह सेऔरत और मर्द के बीच के खेल से अनजान है उसे बिल्कुल भी नहीं पता की मर्द और औरत के बीच होता क्या है और इस अंग से किया क्या जाता है इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली,,)
तू सच में एकदम नादान है तो सच में इसके और भी क्या काम होते हैं उसके बारे में नहीं जानता,,,!(सूरज के लंड को मुठीयआते हुए सोनू की चाची बोली,,,)
भला ईससे और क्या काम होता होगा चाची,,, मैंने तो आज तक सिर्फ इससे पैसाब ही किया है,,, इससे और क्या काम होता है यह तो मैं नहीं जानता,, और ना ही किसी ने मुझे बताया है क्या सच में इससे कोई और भी काम किया जाता है,,,।
(सूरज की बात सुनकर सोनू की चाची के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी और वह उसके सवाल पर एक सवाल और दागते हुए बोली,,,)
अच्छा चल यह बता,,, जिस तरह से तू बोल रहा है कि पैसाब ही किया जाता है,,,,(ऐसा कहकर वह सूरज के चेहरे की तरफ देखने लगी वह देखना चाहती थी कि उसके मुंह लंड जैसे खुले शब्दसुनकर उसके चेहरे का हाव-भाव कैसे बदलता है और ऐसा ही हुआ सोनू की चाची के मुंह से लंड शब्द सुनकरसूरज के चेहरे का हाफ पूरी तरह से बदलने लगा था उसे यकीन नहीं था कि सोनू की चाची इस तरह से एकदम से उसका खुल के नाम ले लेगी और उसके इस तरह से नाम लेने पर वह पूरी तरह से मदहोश होने लगा था और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
तो क्या तू जानता है कि हम औरतों की बुर से,,,(एक बार फिर से सोनू की चाची के मुंह से बुर शब्द सुनकर सूरज के दीलों दिमाग पर उत्तेजना का धमाका होने लगा,,,उसका मुंह आश्चर्य और उतेजना से खुला का खुला रह गया और सोनू की चाची अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) सिर्फ पेशाब करने का ही काम किया जाता है और कोई काम नहीं होता इससे,,,,।
(सोनू की चाची के मुंह सेइस तरह की बात सुनकर और खास करके बुर शब्द सुनकर सूरज पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह वैसे तो सोनू की चाची के सवाल का जवाब अच्छी तरह से दे सकता थाक्योंकि उसके साथ क्या किया जाना चाहिए वह अच्छी तरह से जानता था और इस तरह का सुख भोग भी चुका थालेकिन फिर भी सोनू की चाची के आगे उसे अनजान बना था मासूम बना था इसलिए वहां कुछ बोला नहीं बस आश्चर्य से अपना मुंह खुला रखकर उसकी बात को सुनता रहा अभी भी उसका लंड सोनू की चाची के हाथ में था और पूरे उफान पर था,,,सूरज की हालत को देखकर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी क्योंकि वह किसी भी तरह का जवाब नहीं दे रहा था समझ गई की ईसने अभी तक बुर को देखा ही नहीं है इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
अच्छा यह बता गांड तो तूने देख लिया लेकिन क्या कभी औरत की बुर देखा है,,,,।
(सोनू की चाची के मुंह से इस तरह के अश्लील शब्दों को सुनकर जहां सूरज का उत्तेजना का ठिकाना नहीं था वहीं दूसरी तरफ वहां जानबूझकर अपने चेहरे परहैरानी के भाव ला रहा था ताकि सोनू की चाची को यही लगे कि उसने आज तक औरत के अंगों के भूगोल के बारे में कुछ ज्यादा जानता ही नहीं है और ऐसा ही हो रहा था जिस तरह सेहैरानी वाले भाव सूरज ने अपने चेहरे पर बना कर रखे तो उसे देखते हुए सोनू की चाची के चेहरे की मुस्कान बढ़ने लगी थी वह समझ गई थी कि उसने आज तक औरत के खूबसूरत अंगों को कभी देखा ही नहीं है इसलिए मुस्कुराती हुई बोली,,,)
हाय दइया तु तो एकदम नादान है,,,,(सूरज के लंड को ऊपर नीचे करके हिलाते हुए वह बोली,,,, सोनू की चाची की हरकत से सूरज एकदम से गनगना गया,,,, पर्वत धीरे से अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई उसकी साड़ी उसके उठते हीउसकी कमर से नीचे गिर गई और एक खूबसूरत नजारे पर पर्दा पड़ गया और वह इधर-उधर देख रही थी शायद कोई जगह ढूंढ रही थी सूरज समझ गया कि अभी यह कुछ करना चाहती हैऔर फिर उसकी एक जगह नजर गई जहां पर एक टूटी हुई मड़ई थी,,,, और जगह पर नजर पड़ते ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी और वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)
लगता है तुझे वह भी दिखाना पड़ेगा,,,,, चल मेरे साथ,,,,(ऐसा कहते हुए वहां सूरज के लंड को पकड़े हुए ही उस मड़ई की तरफ आगे बढ़ने लगी,,,,सूरज के पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं बचे थे वह आप सोनू की चाची के हाथों की कठपुतली बनने के लिए तैयार था क्योंकि वह जानता था कि उसके हाथों की कठपुतली बनने में ही आनंद ही आनंद हैऔर वह इस आनंद को अंदर महसूस करना चाहता था जिसकी शुरुआत हो चुकी थी उसका मोटा तगड़ा लंड सोनू की चाची के हाथों में था जिसे वह पकड़ कर मडई की तरफ बढ़ रही थी।
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