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Incest पहाडी मौसम

rohnny4545

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थोड़ी ही देर में गांव के सभी लोग शादी में शामिल हो चुके थे,,, और अपनी अपनी तरफ से शादी में सहयोग कर रहे थे,, गांव के बूढ़े एक तरफ बैठकरआगे क्या करना है उसके बारे में लाडो के पिताजी को समझ रहे थे क्योंकि लड़ो के पिताजी से ज्यादा अनुभव उन बुढो बुजुर्गों में था,,, गांव की औरतें आंगन में बैठकर शादी का गीत गा रही थी और कुछ औरतें नाच रही थी,,, जवान लड़के फुर्ती दिखाते हुए शादी की प्रक्रिया में आगे बढ़ रहे थे यह देखकर लाडो के पिताजी का मन प्रसन्नता से भरा जा रहा था क्योंकि गांव के सारे व्यक्ति उनकी लड़की की शादी में सहयोग कर रहे थे,,, लेकिन इनमें भी खास सहयोग था सूरज का क्योंकि वहां शादी का महत्वपूर्ण हिस्सा संभाले हुए था और वह था भोजन का,,, जिसको बिना शादी चाहे जैसी भी हो अधूरी ही लगती है,,, क्योंकि बाराती भी तो खाने के उद्देश्य से ही शादी में शामिल होते हैं अगर उन्हें स्वादिष्ट भोजन ना मिले तो फिर जाते-जाते भी ताने कसने लगते हैं और यह जिंदगी भर का हो जाता है और यही लाडो के पिताजी नहीं चाहते थे,,,, इसलिए रसोई की सारी जिम्मेदारी उन्होंने सूरज को दे दिया था,,,।





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और यह जिम्मेदारी उन्होंने ऐसे ही सूरज को नहीं दे दिया था उन्हें पूरा यकीन था कि सूरज उसके पिताजी की तरह हीरसोई की जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभाएगा क्योंकि गांव में कहीं भी शादी पड़ती थी तोरसोई की जिम्मेदारी सूरज के पिताजी ही संभालते थे और आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि उनके द्वारा भोजन समारंभ उचित तरीके से ना हुआ हो। और यही वजह थी किलाडो के पिताजी भोजन की व्यवस्था संभालने के लिए सूरज का चयन किए थे क्योंकि उन्हें पूरा यकीन था कि सूरज अपने पिताजी की तरह ही है जिम्मेदारी वह खुशी निभा पाएगा और अब तक तो उसने जिस तरह से रसोई की जिम्मेदारी संभाले हुए था एक-एक चीज रसोईया को लाकर दे रहा था उससे साफ दिखाई दे रहा था कि वह भी उसके पिताजी की तरह ही रसोई संभालने में बेहद उम्दा निकलेगा,,,, सब कुछ एकदम सही तरीके से हो रहा था अब बरात आने का समय हो चुका था इसलिए लाडो के पिताजी शादी की व्यवस्था देख रहे थे और जगह-जगह पर समझा भी रहे थे कि अब आगे क्या करना है,,,,।






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दूसरी तरफ लाडो कमरे में इधर-उधर घूम रही थी साथ में उसकी सहेलियां भी थी जो उससे मजाक कर रही थी और मजाक में यही सब चल रहा थाकी शादी की पहली रात को जीजा जी तेरे साथ क्या करेंगे,,, इस सवाल पर लाडो शर्मा जा रही थी लेकिन उसका मजा लेते हुए दूसरी लड़कियों कह रही थी।

जीजा जी करेंगे क्या जैसे सभी लोग करते हैं कमरे में जाते ही लाडो के कपड़े उतार कर नंगी कर देंगे और क्या,,,,,
(उसकी बात सुनकर लाडो एकदम से शर्मा गई शर्म की लालिमा उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी,,,,, लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रही थीउसके मन में यही तो परेशानी चल रही थी कि आखिरकार शादी की पहली रात को उसका पति उसके साथ किस तरह से व्यवहार करेगा कैसा व्यवहार करेगा यही उसे समझ में नहीं आ रहा था और यही उसकी परेशानी और चिंता का सबब भी था,,, उस लड़की की बात सुनकर दूसरी लड़की बोली,,,)

बस इतना ही करेंगे जीजा जी की इससे आगे भी बढ़ेंगे,,,,।

बढ़ेंगे ना इसके बाद ही तो असली खेल शुरू होता है,,,,।

क्या होता है दीदी बताओ ना लाडो को भी समझ में आ जाएगा कि आप क्या होगा उसके साथ,,,(उस लड़की की बात सुनकर दूसरी लड़की बोली क्योंकि वह शादीशुदा थी उसे ज्यादा अनुभव था,,,,)

अरे मेरी लाडो के लिए ही तो बता रही हूं जीजा जी इसके सारे कपड़े उतार करइसे गोद में उठाकर बिस्तर पर पटक देंगे और फिर इसके पूरे अंगों को अपने होठों से चूमेंगे,,,,,,।

ओहहहह क्या कह रही है दीदी क्या सच में ऐसा करेंगे जीजा जी,,,।




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तो क्या रे,सिर्फ यूं ही पैसे खर्च करके इसे घर का काम करने के लिए थोड़ी ले जा रहे हैं इसके साथ मजा लूटने के लिए ले जा रहे हैं,,,।

अच्छा दीदी फिर क्या करेंगे जीजा जी,

फिर क्या जिस तरह से जीजा जी इसके कपड़े उतार कर लेंगेकिए थे उसी तरह से अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो जाएंगे और फिर अपने लंड का इसकी बर पर जोर-जोर से रगड़ रगड़कर इसे पूरी तरह से गर्म कर देंगे,,,,।

आहहह, दीदी यह क्या कह रही हो मेरा तो सुनकर ही पानी निकलने लगा,,(उस शादीशुदा लड़की की बात सुनकर उसकी दूसरी सहेली बोली,,,)

चिंता मत कर मेरी रानी तेरा भी नंबर आएगा,,, लाडो को तो देखो मुझे तो लगता है सुनकर ही इसका पानी निकलने लगा होगा,,,(पर शादीशुदा लड़की लाडो की तरफ देखते हुए बोली तो लाडो शर्म से अपनी नजर नीचे झुका लिया कुछ बोल नहीं पा रही थी तभी उसकी बात सुनकर दूसरी लड़की बोली)

साड़ी उठाकर देखे क्या दीदी,,

पागल हो गई है क्या एक काम सिर्फ जीजा जी का है और यह काम वही करेंगे हम लोगों को कुछ नहीं करना है समझ गई ना,,,,,,

हां समझ गई दीदी,, लेकिन यह तो बताओ फिर क्या करेंगे जीजा जी,,!

फिर,,,फिर करना क्या है जीजा जी धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी बुर में डालते चले जाएंगे और फिर जैसे ही पूरा लंड इसकी बुर में घुस जाएगा वह इसकी कमर पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर देंगे और यह सिलसिला रात भर चलता रहेगा देखना लाडो दूसरे दिन ठीक से चल भी नहीं पाएगी लंगड़ा कर चलेगी,,,,।

ओहहहह हो,,,, लाडो को तो देखो अभी से मजा आ रहा है इसके मन में तो लड्डू फूट रहा है,,,।





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(पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं था यह सब सुनकर लाडो की हालत खराब हो रही थी वह मन ही मन में घबरा रही थी अपनी सहेलियों की बात सुनकर उसकी परेशानी और बढ़ती जा रही थी और वह बार-बार खिड़की सेबाहर की तरफ देख रही थी उसे सूरज का इंतजार था क्योंकि वह कुछ बताने वाला था उसकी परेशानी क्या है कैसे परेशानी दूर होगी यही सब वह जानना चाहती थी और उसे बड़ी बेसब्री से सूरज का इंतजार था और वह अपने मन में का भी रही थी किउसने विवाह से पहले उसकी परेशानी दूर करने का वादा किया है लेकिन अब तक उसका ठिकाना ही नहीं है,,,,,,, जिस तरह से लाड़ो परेशान थी सूरज से मिलने के लिए उसी तरह से सूरज भी बेताब था लाडो से मिलने के लिएलाडो को लग रहा था कि सूरज उसे कोई बात बताया कि उसकी परेशानी दूर हो जाएगी लेकिन लाडो नहीं जानती थी कि सूरज अपने मकसद से उससे मिलना चाहता था,,।






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जहां पर औरतों का नाच गाना हो रहा था वहीं से तकरीबन 5 मीटर की दूरी पर ही हुआ रसोई का काम संभाले हुए था,,,, थोड़ी ही देर हुआ था उसकी मां तैयार होकर उन औरतों के बीच आकर बैठ गई थीउन औरतों के बीच में भी सूरज को अपनी मां को पहचानने में जरा भी देखने लगी थी क्योंकि उन औरतों के बीच में भी उसकी मां चांद की तरह चमक रही थी,,,, रसोई का काम संभालते हुए और खुद ही चाशनी को बड़े से पलटे से कढ़ाई में हिला रहा था ताकि चाशनी अच्छे से बन सके इसी में गुलाब जामुन जो डालना था,,,, और ऐसा करते हुए वह अपनी मां की तरफ देख ले रहा था,,, सुनैना की भी नजर अपने बेटे पर पड़ चुकी थी वह भी चोर नजर से अपने बेटे को देख ले रही थी,,,, कुछ देर पहले उसके कमरे में जो कुछ भी हुआ था उसके चलते अभी तक उसके बदन में उत्तेजना की सुरसुराहट हो रही थी,,,, और अपने बेटे के बदले हुए चल को उसके रूप ढंग को देखकर हैरान थी कुछ ही महीना में उसका बेटा पूरी तरह से बदल चुका था एक मासूम बच्चे से वह पूरा मर्द बन चुका था,,,, चोर नजर से अपने बेटे की तरफ देखकर सुनैना अपने मन में यही सोच रही थी कि उसका बेटा सच कह रहा था या झूठ कह रहा था यह कैसे यकीन करें।





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सूरज नहीं तो बड़े साफ तरीके से कह दिया था कि जब वह ब्लाउज कीडोरी बांधने की कोशिश कर रही थी तभी वह दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया था लेकिन उसकी बात में सुनैना को जरा भी सच्चाई नजर नहीं आ रही थी क्योंकि अगर अचानक ही वहदरवाजे पर आता तो उसकी आहट उसे साफ सुनाई देती यह जरूर वह कुछबोलना जैसे उसे पुकारने के लिए बुलाने के लिए लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,मतलब साफ था कि वह चोरी छिपे उसके कमरे तक आया था ताकि उसके कदमों की आहट उसे सुनाई ना दे यह सब ख्याल सुनैना के मन में आ रहा था और किस तरह का ख्याल उसके मन को बिजली भी कर रहा था उसके बदन में रह रहकर उत्तेजना की लहर उठ रही थी,, सुनैना अपने मन में यह सोचकर और हैरान हुए जा रही थी कि उसका बेटा पहले से आकर दरवाजे पर खड़ा हो तो फिर तो कुछ भी छुपाने लायक नहीं था क्योंकि वह तो कमरे में पूरी तरह से नंगी खड़ी होकर आने में अपना रूप देख रही थी उसने अपने बदन पर एक भी कपड़ा नहीं लपेटी थी,, सुनैना इस बारे में सोच कर काफी हैरान हुए जा रही थी।








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पहली बार ही तो मैं बिना कपड़ों के नहा कर नंगी अपने कमरे में गई थी क्योंकि अंधेरा हो चुका था उसे समय सूरज घर पर नहीं था मुझे तो लगा कि वह शादी में ही होगाइसलिए निश्चित थी अपने कमरे में जाकर भी मैं दरवाजा नहीं बंद कर पाई थी क्योंकि मुझे बिल्कुल भी एहसास तक नहीं था कि सूरज घर पर आ जाएगा और इसी वक्त पर आएगा जब वह बिना कपड़ों के अपने कमरे में खड़ी होकर अपने रूप को देख रही होगी बाप रे अगर सच में ऐसा हुआ होगा तब वह मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा,,,,बाप रे अगर सच में वह दरवाजे पर खड़ा होगा तब तो मेरी पीठ सीधे दरवाजे की तरफ ही थी मेरी नंगी गांड बड़ी बड़ी गांड बड़े आराम से देख सका होगा,,,,, हाय दइया मुझे नंगी देखकर वह अपने मन में न जाने क्या-क्या सोच रहा होगा,,,अभी 2 दिन पहले ही तो उसने मेरी नींद में होने का फायदा उठाते हुए मेरी नंगी गांड पर अपना लंड लगाकर पानी निकाल दिया था और मेरा भी निकलवा दिया था,,,, जरूर मुझे नंगी देखकर मुझे चोदने के बारे में सोच रहा होगा,,,, क्योंकि उसकी हरकत देखकरऐसा तो बिल्कुल भी नहीं लगता कि वह मेरे बारे में सही सोच रहा होगा जब भी वह मेरे बारे में सोचेगा तो गंदी बात ही सोचेगा वरना वह मेरे साथ इस तरह की हरकत ना करता,,,,








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हाय दइया यह क्या हो गया,,,,,(इस तरह की बातें अपने मन में सोच कर सुनैना खुद ही पानी पानी हुई जा रही थी उसकी बर पानी छोड़ रही थी,,) उस दिन खेत वाली हरकत देखकर सच में अगर मैं कमरे से बाहर न निकलती तो जरूर वह मेरे साथ कुछ ना कुछ कर बैठता और मैं तो देखी भी थी उसके पजामे में तंबू बना हुआ था और इतना तो मैं बेवकूफ हूं नहीं कीसमझ ना पाऊं की एक मर्द का लड कब खड़ा होता है क्यों खड़ा होता है,,,मुझे नंगी देखकर ही मेरे नंगे बदन को देखकर मेरी नंगी गांड देखकर ही सूरज का लंड खड़ा हुआ थाऔर जब मुझे देख कर मतलब कि जब एक मां को देखकर एक बेटे का लंड खड़ा होने लगे तो बेटे से और क्या उम्मीद की जा सकती है मौका मिलने पर वह तो कभी भी चढ़ जाएगा,,,,इस तरह की बातें सोच कर सुनैना अपनी बुर गीली कर ही रही थी कि तभी गांव की एक औरत उसका हाथ पकड़ कर नाचने के लिए उठाने लगी,,,, सूरज अपनी मां की तरफ ही देख रहा थावैसे तो सुनैना का मन बिल्कुल भी नाचने को नहीं था लेकिन अपने बेटे की तरफ देखकर उसके मन में न जाने क्या सोच और वह उसे औरत की बात मानकर ढोलक के थाप पर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दी और अपनी गांड मटकाना शुरू कर दी,,,, सूरज अपनी मां को ही देख रहा था,,, अपनी मां को नाचते हुए देख कर उसे भी अच्छा लग रहा था।






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यह दूसरी बार था जब सूरज अपनी मां को नाचते हुए देख रहा था पहली बार वह अपनी मां को नाचते हुए बगल के गांव में कुछ प्रयोजन था तब वहां पर वह अपनी मां को पहली बार नाचते हुए देखा था उसकी बड़ी-बड़ी गांड को हिलते हुए देखकर उसका लंड के कार्टून भेज रहा थाऔर अपने लंड की तरफ को मिटाने के लिए जिसके घर गया था उनके घर की बहू की चुदाई करके वापस आया था,,,,, चासनी को चलाते हुएसूरज अपनी मां को ही देख रहा था उसकी बड़ी-बड़ी गांड कैसी हुई साड़ी में गजब उभार लिए हुए नजर आ रही थी और उसके नाचने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी गांड की फांक बड़े-बड़े तरबूज की तरह आपस में रगड़ खा रहे थे जिसे देख कर सूरज उत्तेजित हुए जा रहा था। सूरज आसपास भी देख रहा था और उसेयही एहसास हो रहा था कि लोगों को भी उसकी मां का नाचना अच्छा लग रहा था और सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां का क्या दूसरे मर्दों को अच्छा लग रहा थाक्योंकि एक मर्द होने के नाते उसे इस बात का एहसास था कि मर्द औरत के कौन से अंग को देखकर प्रभावित होते हैं और वह यकीन के साथ अपने आप को कह रहा था किबाकी के लोग उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड और बड़ी बड़ी चूचियों को हिलते हुए देखकर मन ही मन उत्तेजित हो रहे थे,,, तभी उसके कान मेंजो मुख्य रसोईया था और वह मिठाई बन रहा था वह बीड़ी पीता हुआ उसकी मां की तरफ देखकर बोला,,,,।)






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बाप रे क्या मस्त औरत है मैंने तो आज तक इसी खूबसूरत औरत नहीं देखा,,,,,(और यह बात वह सूरज से ही कह रहा था क्योंकि उसे नहीं मालूम था कि वह नाचने वाली औरत सूरज की मां है वह रसोईया यह सोच रहा था कि जब वह इतना खूबसूरत दृश्य देख रहा है तो लगे हाथ वह सूरज को भी दिखा दे की औरत क्या चीज होती है,,,, उसकी बात सुनकर सूरज अनजान बनता हुआ बोला,,,,)

कौन सी औरत,,,, हलवाई बाबू,,,,(चासनी को चलाते हुए,,,)

अरे वह देखो बबुआ,,,, जिसकी गांड बड़ी-बड़ी है और अपनी गांड मटका मटका करना चाहिए कम से देखा तो सही कितनी बड़ी गांड है बबुआ,,,,।

वह वाली औरत जो गोरी सी है,,,,(उंगली के इशारे से बताते हुए)

अरे हां बबुआ वही,,,, देख लो ऐसा नजारा देखने को नहीं मिलेगा,,,,(वह हलवाई सूरत के साथ काफी खुल चुका था,,,, सूरज यह जानते हुए भी कि वह हलवाई उसकी मां के बारे में गंदी सोच रख रहा है फिर भी सूरज से कुछ बोल नहीं रहा थाक्योंकि सूरज को मालूम था कि एक तरह से वह उसकी मां की खूबसूरती की तारीफ ही कर रहा था और जिस तरह से उसकी मां सज धज कर आई थी उसे देखकर कोई भी उसकी तरफ आकर्षित हो सकता था और ऐसा हो भी रहा थाइसलिए वह हलवाई से कुछ कह नहीं पा रहा था और वह देखना चाहता था कि वह क्या-क्या कहता है,,,, उसकी बात सुनकर सूरज बोला,,,)






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बात तो तुम सच कह रहे हो,,,,।

अरे तभी तो कह रहा हूं देख लो ऐसा नजारा देखने को नहीं मिलेगा,,,, मेरी तो धोती में लंड अंगड़ाई लेने लगा है,,,।

क्या सच में,,,(सूरज उसकी हालत पर हंसते हुए बोला)

तो क्या बबुआ आपके सामने ऐसी औरत नाच रही हो तो भला कौन सा मर्द होगा जिसका लंड खड़ा नहीं होगा,,,,, अगर यह रात भर के लिए मिल जाए तो इसकी बुर से पूरी चाशनी चाट जाए,,,,।

(उसकी यह बात सुनकर सूरज एकदम सन्न रह गया,,,,, और वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
लेकिन तुम्हारी दाल गलने वाली नहीं है बबुआ इस औरत के सामने,,,।

ऐसा क्यों,,,?

अरे देख नहीं रहे हो उसकी गदराई जवानी,,,, उसकी बड़ी-बड़ी गांड तुम तो अपना लंड उसकी बुर पर रखते ही ढेर हो जाओगे उसकी गर्मी सहन नहीं कर पाओगे,,,,।

क्या सच में ऐसा होता है हलवाई जी,,,,!






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अरे तो क्यातुम अभी बच्चे हो इसलिए तुम्हें औरतों के बारे में कुछ ज्ञान नहीं है,,,,,ऐसी गर्म औरत अगर एक बार तुम्हारा लंड हाथ में पकड़ ले तो भी तुम्हारा पानी निकल जाएगा ऐसी औरत से निपटने के लिए कलाबाजी चाहिए,,,, जो अभी तुम्हारे बस की बात नहीं है,,,,थोड़ा यहां देखते रहना मेरी तो हालत खराब हो गई है शांत करके आता हूं,,,,।

क्या शांत करके,,,!(सूरज एकदम आश्चर्य जताते हुए बोला)
अरे देख नहीं रहे हो मेरी धोती में हालत खराब है,,, शादी में ऐसी ऐसी औरत शामिल होंगी तो हम हलवाई का तो पानी निकल जाएगा,,,,।

(उसकी हालत को देखकर सूरज मन ही मन मुस्कुराने लगा और वह हलवाई घर के पीछे अंधेरे में गायब हो गया सूरज समझ गया था कि वह क्या करने क्या है,,, लेकिन आज उसे समझ में आ गया था किवाकई में उसकी मां पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत और गर्म औरत है जिसे देखकर अच्छे-अच्छे का पानी निकल जाए और यही हालत हलवाई की हो रही थी,,,,, कुछ देर और सूरज अपनी मां का नाच देखते रहा,,,, और फिर थोड़ी ही देर में लोगों में चहल-पहल मचने लगी क्योंकि बारात दूर से दिखाई देने लगी थी,,,, क्योंकिथोड़ी बहुत आतिशबाजी अभी हो रही है जो कि सूरज को भी दिखाई दे रही थी और यह देखकर लाडो के पिताजी एकदम व्याकुल और परेशान होने लगे क्योंकिउन्हें सारा इंतजाम सही समय पर चाहिए था इसलिए वह तुरंत सूरज के पास आए और बोले,,,)

सूरज भोजन तैयार हो चुका है ना,,,,।

बिल्कुल चाचा जी आप चिंता मत करिए भोजन तैयार है,,,।

और मिठाई,,,?






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मिठाई भी एकदम तैयार हैबस इस चासनी में गुलाब जामुन डालने की दे रही है और एकदम तैयार,,,,।

बहुत अच्छे बेटा जल्दी से गुलाब जामुन इसमें डालो,,,,,,(इतना कहकर लाडो के पिताजी दूसरी व्यवस्था देखने चले गए लोग इधर-उधर होने लगे और सभी लोग उसे रास्ते पर इकट्ठा होने लगे जहां से बारात आने को थी उसमें उसकी मां भी शामिल थी वह भी वहीं पर चली गई थी और रानी भी,,,, सूरज बार-बार लाडो के कमरे की तरफ देख रहा था अभी भी उसके साथ कुछ लड़कियां थी और यही सही मौका भी था लाडो के पास जाने का,,,, लेकिन अभी चाशनी में गुलाब जामुन डालना बाकी था,,,, और जैसे ही वह हलवाई आया यह काम भी पूरा हो गया,,,अब सूरज के पास और कोई काम नहीं था धीरे-धीरे बारात नजदीक आ रही थी घर के सभी लोग बरात का स्वागत करने के लिए गांव के किनारे पहुंच चुके थे, थोड़ी ही देर में लाडो की मां भी उसके कमरे से निकाल कर एकदम उत्साहित होते हुए बारात देखने के लिए चली गई सूरज को यही मौका ठीक लग रहा था और वह धीरे से इधर-उधर नजर घुमा कर देखने के बाद धीरे से लाडो के कमरे की तरफ आगे बढ़ गया,,, कमरे में पहुंच कर देखा अभी भी तीन-चार लड़कियां लाडो को घेर कर खड़ी थी वह अपने मन में कुछ सोचने लगा और थोड़ी देर बाद उन लड़कियों को आदेश देते हुए बोला,,)






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अरे तुम लोग यहां खड़ी हो चाचा जी तुम लोगों को आवाज दे रहे थे जो बारातियों का स्वागत करना है और थोड़ा फूल भी ले लेना बारातियों पर छिड़कने के लिए,,,।
(सूरज की बात सुनकर वह लड़कियां भी एकदम उत्साहित हो गई और एकदम खुश होते हुए बोली)

अरे जल्दी चलो हम लोगों को तो आगे होना चाहिए बारातियों का स्वागत करने के लिए,,,।

हां हां जल्दी जाओ,,,,,।

(और थोड़ी ही देर में वह लड़कियां कमरे से निकल गई और बारातियों का स्वागत करने के लिए गांव के किनारे जाने लगी,,, उन लोगों के जाते ही सूरज धीरे से दरवाजा बंद कर दिया और यह देखकर लाडो एकदम से बोल पड़ी,,,)

तुम दरवाजा क्यों बंद कर रहे हो और तुम इतनी देर से थे कहां मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,,।

(उसकी बात सुनकर वह उसकी तरफ देखने लगा तो उसे देखा ही रह गया लालटेन की पीली रोशनी में उसका खूबसूरत चेहरा और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था और लाल रंग की साड़ी में तो वहां स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा दिखाई दे रही थी कुछ देर के लिए सूरज उसे देखता ही रह गया और मुस्कुराते हुए बोला,,,,)






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मैं अच्छी तरह से जानता हूं तभी तो यहां पर आया हूं तुम्हारी परेशानी दूर करने के लिए,,,,,।

तो करो ना मेरी परेशानी दूर मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,,(लाडोकुछ ज्यादा ही परेशान थी इसलिए उसकी समस्या थोड़ा तेजी से चल रही थी जिसके साथ उसकी नंगी जैसी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी यह देखकर सूरज की हालत एकदम से खराब हो गई और वह बिल्कुल भी समय बिगड़ता नहीं चाहता था वह तुरंत उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और अपनी बाहों में भर लिया यह देख कर लाडो एकदम से घबरा गई और बोली,,,)

यह क्या कर रहे हो सूरज,,,,,

तुम्हारी परेशानी दूर कर रहा हूं लाडो,,,,(और एकदम से अपने दोनों हथेलियां को उसके गोलाकार नितंबों पर रखकर उसे दबाना शुरू कर दिया लाडो सूरज की हरकत से एकदम से घबरा गई,,,)

यह ठीक नहीं है यह क्या तुम कर रहे हो तुम तो मेरी परेशानी दूर करने आए थे मैं अभी शोर मचा दूंगी,,,,(सूरज की बाहों से निकलने की कोशिश करते हुए लाडो बोली)


अरे पगली मैं तुम्हारी परेशानी तो दूर कर रहा हूं मैं जानता हूं,,,,तुम कहो परेशान हो और तुम्हारी परेशानी क्या है इसलिए जो कुछ भी नहीं कर रहा हूं मुझे करने दो शादी से पहले तुम्हारी परेशानी दूर कर दूंगा ऐसा मैंने तुमसे वादा भी किया था,,,,।(दोनों हाथों से उसकी गांड को जोर-जोर से दबाते हुए और ऐसा करने से उसके बदन में खुमारी भी छा रही थी,,,,, लेकिन फिर भी वह सूरज को रोकने की कोशिश करते हुए बोली,,,)





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नहीं मुझे इस तरह की परेशानी नहीं है तुम चले जाओ मेरे कमरे से,,,,।

कैसी बात कर रही हो लाडो,,,(उसके कान के पास उसकी गर्दन पर हल्के-हल्के चुंबन करते हुए और गहरी सांस का एहसास कराते हुए)तुम्हारी यही परेशानी है मैं अच्छी तरह से जानता हूं तुम इसीलिए परेशान हो रही हो की शादी की रात को तुम्हारा पति तुम्हारे साथ क्या करेगा,,,,,(सूरज की ऐसी बात सुनकर लाडो की अपने मन में सोचने लगी कि वह तो इसीलिए सबसे ज्यादा परेशान है इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाई और सूरज अपनी बात को और अपनी हरकत को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,,)हर लड़की को यही डर रहता है की शादी की पहली रात को उसका पति उसके साथ क्या करेगा (ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को दबाते हुए जिससे लाडो के बदन में उत्तेजना का एहसास होने लगा वह गर्म होने लगी)और मैं इसीलिए तुम्हारी परेशानी दूर कर देना चाहता हूं ताकि तुम अपने ससुराल जाओ और शादी की पहली रात को तुम्हारा पति तुम्हारे साथ कुछ ऐसा करें तो तुम्हें तकलीफ ना हो,,,,.

कैसी तकलीफ,,,,!(आश्चर्य जताते हुए लाडो बोली)





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चुदाई की तकलीफ जब उसका लंड तुम्हारी बुर में जाएगा तो अगर तुम्हें बिल्कुल भी अनुभव नहीं होगा तो तुम्हें बहुत दर्द करेगा तुम्हें समझ में नहीं आएगा कि तुम क्या करोगी,,,, और तुम्हारी तकलीफ बढ़ती चली जाएगी,,,,,,।

(अब वह बड़ी गौर से सूरज की बात को सुनाने लगी और चुदाई वाली बात और लंड शब्द सुनकर तो उसकी बुर से पानी टपकने लगा,,, वह कुछ बोल नहीं पा रही थी और सूरज समझ गया की लोहा गरम हो रहा है,,,,आतिशबाजी की आवाज अभी भी दूर से आ रही थी इसलिए सूरज को पूरा यकीन था कि अभी उसके पास काफी समय है,,, और वह लगातारउसकी चूची ब्लाउज के ऊपर से दबाते हुए एक हाथ से उसकी गांड को भी मसल रहा था यह एक तरह से वह लाडे को चुदाई के लिए तैयार कर रहा था और ऐसा हो भी रहा था लाडो मदहोश हो रही थी,,,, उसकी हरकत का मजा लेते हुए उत्तेजित स्वर में लाडो बोली,,,)


क्या सच में इससे मेरी तकलीफ दूर हो जाएगी,,,।

बिल्कुल लड़ो और फिर तुम्हें अपने पति से बिल्कुल भी शिकायत नहीं होगी और उसकी हरकत से मजा आएगा और जी भर कर मजा लोगी,,,



क्या सच में ऐसा होगा सूरज,,,,(गहरी सांस लेते हुए वह बोली,,,)

बिल्कुल मेरी रानी और ऐसा कहते हुए वही हाथ से उसका ब्लाउज का बटन खोलने लगा,,,,,(दरवाजा बंद था उस पर सिटकनी लगी हुई थी सूरज समझ गया था कि उसके पास अब समय है लाडो की चुदाई करने के लिए क्योंकि बारात अभी गांव में नहीं पहुंची थी और यहां तक आने में उसे काफी समय था अब सूरज की हरकतों का मजा लाडो भी लेने लगी थीपहली बार उसके साथ कोई मर्द इस तरह की हरकत कर रहा था सूरज के हाथों से अपने ब्लाउज का बटन खोले जाने पर लाडो की हालत खराब होने लगी और देखते ही देखते सूरज जिसके ब्लाउज के सारे बटन खोलकर उसकी दोनों चूचियों को आजाद कर दिया उसकी दोनों चूचियों को लालटेन की पीली रोशनी में देखकर सूरज एकदम से खुश होते हुए बोला,)

वाह लाडो तुम्हारी चूची तो एकदम अमरूद की तरह है,,(उसकी बात सुनकर लाडो शर्मा गईऔर सूरज अपने दोनों हाथों को उसकी नंगी चूचियों पर रखकर दबाना शुरू कर दिया यह एहसास उसे पूरी तरह से मदहोश कर रहा था लाडो के लिए यह सब पहली बार था इसलिए लाडो पागल हो जा रही थी और जैसे ही सूरज ने उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू किया लाडो की तो बोलती बंद हो गई उसकी आंखें अपने आप बंद होने लगी,,,,सूरज अच्छी तरह से जानता था कि औरत को कैसे चुदवासी किया जाता है,, और सूरज अपनी सारी कलाबाजियांलाडो के ऊपर आजमा रहा था और उसमें धीरे-धीरे सफल भी हो रहा था उसकी दोनों चूचियों को भारी-बड़ी से मुंह में लेकर पीते हुए वह उन्हें मसल रहा था दबा रहा था जिससे उसकी चूचियां उसके बदन में आनंद की फुहार भर रही थी। अपनी हरकत को जारी रखते हुए वह लाडो से बोला,,,)

अब कैसा लग रहा है,,लाडो,,,,,


बहुत अच्छा लग रहा है सूरज कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या कहूं,,,,।

तुम कुछ मत कहो बस मजा लो,,,,,और ऐसा कहते हुए वहां कुछ देर तक उसकी चूची को और पीता रहा मसलता रहा और फिर उसकी चूचियों को अपने मुंह से आजाद करता हुआ,,,,वह उसकी कंधे पर हाथ रखकर उसके खूबसूरत चेहरे को देखने लगा और फिर दोनों हाथों में उसका खूबसूरत चेहरा लेकर उसके लाल लाल होठों पर अपना होता रख दिया यह चुंबन भी लाडो के लिए पहले ही बार का था वह पूरी तरह से पानी पानी हो रही हैसूरज जी भरकर उसके होठों का रसपान करने लगा और इस दौरान वह अपने दोनों हाथों को फिर से उसके नितंबों पर ले गया और साड़ी के ऊपर से ही उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया लेकिन इस बार,,,,अपने हाथ से वह उसकी साड़ी को कमर तक उठाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे वह उसकी कमर तक साड़ी को उठाकर उसके होठों का रसपान करते हुए उसकी नंगी गांड को दोनों हाथों में दबोच कर जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया अपनी नंगी गांड पर सूरज की हथेलियां का स्पर्श और उसकी पकड़ महसूस करके लाडो की बुर कचोरी की तरह फुलने लगी,,,,,।

कोई आ गया तो,,,,(इस मदहोशी भरे स्वर में भी लाडो चिंता जताते हुए बोली तो उसकी चिंता को दूर करते हुए सूरज बोला,,,)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो अभी सब लोग बरात का स्वागत करने के लिए पहुंच गए हैं और अभी देख रही हो आतिशबाजी की आवाज अभी भी दूर से आ रही है अपने पास काफी समय है तुम्हारी परेशानी दूर करने के लिए,,,,,(और ऐसा कहते हुए वह तुरंत लाडो के कंधे को पड़करदूसरी तरफ घुमा दिया और उसे दीवार से सटा दिया उसकी पीठ सूरज की तरफ थी लेकिन ऐसा करने पर उसकी साड़ी फिर से उसके कदमों में जा गिरी थी और सूरज अपने घुटनों के बल बैठकर उसकी साड़ी को फिर से उठाकर कमर तक कर दिया और उसकी नंगी गांड पर अपनी गाल को सहलाते हुए उसकी नितंबों का चुंबन लेने लगा उसकी ही हरकत से लाड़ो एकदम से सिहर उठी,,,,, और सूरज पागलों की तरह उसकी गांड पर चुंबनों की बौछार लगा दियायह सब तो ठीक था लाडो मदहोश हो जा रही थी लेकिन तब उसकी उत्तेजना और उसकी उत्सुकता का ठिकाना ना रहा जब सूरज उसकी एक टांग को उठाकर दीवार से ही सताए हुए अपने होंठों को नीचे की तरफ ले गया और उसके गुलाबी छेद पर रखकर उसपर चुंबन करने लगा,,,, लाडो पूरी तरह से मदहोश हो गई और अपने बदन को समेटने लगी क्योंकिउसे यह सब अजीब लग रहा था और वह एकदम से अपने हाथ को पीछे की तरफ लाई और सूरज के सर पर रखकर उसका बाल पकड़ कर उसे पीछे की तरफ करते हुए बोली,,)

यह क्या कर रहे हो सूरज ऐसा भला कोई करता है क्या,,!


क्यों नहीं लाडो शादी की पहली रात से ही तुम्हारा पति यही सब तुम्हारे साथ करेगा इसलिए तुम्हें तुम्हें यह सब सीख रहा हूं तुम इन सब में माहिर रहोगी तो सुख भोग पाओगी मजा ले पाओगी, इसलिए जो मैं कर रहा हूं उसे करने दो,,,,(और ऐसा कहने के बाद सूरज फिर से उसकी बुर पर अपने होठ रख दिया और उसे चाटना शुरू कर दियालाडो पूरी तरह से पागल हो जा रहे थे ऐसा नहीं था कि उसकी यही हरकत पर उसे मजा नहीं आया था वह पूरी तरह से आनंद से भर गई थी लेकिन उसे थोड़ा अजीब लग रहा थाइसलिए तो वह दोबारा इनकार नहीं कर पाए और सूरज उसे पूरी तरह से मत करने लगा वह दीवार से सटे हुए सूरज की हरकतों का मजा ले रही थी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी उसके ब्लाउज के सारे बटन खुले हुए थे शादी के जोड़े में वह शादी से पहले ही गांव के ही लड़के से सुहागरात मना रही थी,,,, लाडो की गर्म सांसे और उसकी शिकासरी से पूरा कमरा गुंज रहा था लाडो खुद हैरान थी कि उसके मुंह से यह किस तरह की आवाज निकल रही थी,,,, लेकिन फिर भी वह इस समय सिर्फ मजा लूट रही थी,,,,,धीरे-धीरे आतिशबाजी की आवाज करीब होती चली जा रही थी सूरज अच्छी तरह से जानता था कि समय तो उसके पास है लेकिन अब पर्याप्त समय नहीं है,,, इसलिए उसे जो करना था जल्दी करना थाऔर इसीलिए वह समय के अभाव में उठकर खड़ा हो गया और धीरे से पजामा नीचे करके अपने टनटनाए लंड को बाहर निकाल लिया,, और बिना कुछ बोले वह धीरे से खड़ा हुआ औरअपने लंड को लाडो की गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया यह एहसास पूरी तरह से लाडो को मस्त कर दिया वह पागल होने लगी उसे इतना तो समझ में आ रहा था किसूरज उसकी गांड पर क्या रंग लग रहा है और वह उसे अंग को देखना चाहती थी लेकिन उसे घबराहट भी हो रही थी और उसकी इसी घबराहट को दूर करते हुए सूरज उसके हाथ को पकड़ कर सीधा अपने लंड पर रख दिया उसकी गर्माहट इसकी मोटाई लाडो से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुई और वह अपना हाथ पीछे खींचना चाहती थी लेकिन सूरज उसे जबरदस्ती उसके हाथ को अपने लंड पर रखा हुआ था और धीरे-धीरे उसकी मुट्ठी पर रखकर उसे मुट्ठीया रहा था,,,,, लाडो एकदम मदहोश होते हुए बोली,,,,


, यह क्या है सूरज,,,,?

तुम्हारे काम की चीज है लाडो शादी की पहली रात से ही यह खिलौना तुम्हें मिलने लगेगा और इसकी आदत तुम्हें डालनी होगी तभी मजा ले पाओगी,,,, इसलिए तुम अपनी आंखों को खोलो और इसे देखो,,,,,,(इतना कहते हैं सूरज उसे अपनी तरफ घुमा दिया और लाड़ो उसके लंड को अपने हाथ में पकड़े हुए धीरे-धीरे अपनी आंख को खोलने लगी,,,,और आंख खोल कर जब वह अपने हाथ में लिए हुए अंग को देखी तो एकदम से घबरा गई और वह बोली,,,)

हाय दईया इतना मोटा और लंबा,,,,,।


यह क्या कह रही हो लाड़ो अगर ऐसा अपने पति के सामने बोलोगी तो वह नाराज हो जाएगा ,,,ऐसा बिल्कुल भी मत बोलना बल्कि ईससे तो खेलना और यह खेलने वाली चीज हैजितना अच्छा तुम इसके साथ खेलोगे उतना तुम्हारा पति तुमसे खुश होगा वरना तुम्हें वापस नहीं भेज देगा और फिर बदनामी हो जाएगी,,,,।

क्या सच में ऐसा होता है।

बिल्कुल ऐसा ही होता हैअब सुनो अपने पास समय ज्यादा नहीं है तुम्हारी परेशानी पूरी तरह से दूर करने के लिए इसलिए जो कुछ भी करना है जल्दी करना है,,,,,,।


मुझे क्या करना होगा,,,,,।

(लाडो की बात सुनकर सूरज के चेहरे पर प्रसन्नता के भावना जलने लगे और वह उत्साहित होता हुआ बोला,,,)

जैसा मैंने तुम्हारी बुर को अपने होठों से चाट कर मस्त किया हूं उसी तरह से तुमको भी मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना होगा,,,,

यह क्या कह रहे हो सूरज,,, क्या ऐसा करना जरूरी होता है,,,।


बिल्कुल लाड़ोवशादी की पहली रात को तुम्हारा पति तुम्हारे साथ यही करेगा यही करवाएगा अगर तुम इनकार कर दोगी तो सोचो वह तुम्हारे साथ क्या करेगा,,,,,,।


क्या करेगा,,,?

तुम्हें मारेगा तूने फिर से यही भेज देगा और इल्जाम लगाएगी कि तुम्हें मर्द को खुश करना नहीं आता सोचो अगर यह खुले शब्दों में तुम्हारी मां से कहेगा तो वह क्या सोचेगी।


क्या मेरा पति अगर मैं ऐसा नहीं करूंगी तो सच में ऐसा करेगा,,,।


बिल्कुल मेरी रानी मैं तुमसे झूठ क्यों कहूंगा इसलिए तो मैं आया हूं तुम्हारे परेशानी दूर करने के लिएमैं नहीं चाहता कि तुम्हारी बदनामी हो शादी की पहली रात को ही तुम्हारा पति तुमसे नाराज हो जाए मैं चाहता हूं कि तुम पहली रात को ही अपने पति को वह खुशी तो जैसा हुआ चाहता हूं ताकि जिंदगी भर वह तुमसे खुश रहे,,,,।

(इतना सुनकर वह सूरज की बातों में आ गई और हल्के से नीचे झुक गई सूरज अपने लंड से हल्के से ऊपर की तरफ उठाकर उसके होंठों से रगडना शुरू कर दिया और लाडो उसे मुंह में लेकर चूसने लगी पहले तो उसे थोड़ा अजीब लगा लेकिन धीरे-धीरे उसे भी मजा आने लगा और वहां बड़े आराम से इस अंदर बाहर करने लगी अब समय आ गया था उसकी चुदाई का क्योंकि धीरे-धीरे आतिशबाजी की आवाज और करीब होती चली जा रही थी धीरे से सूरज अपने लंड को उसके मुंह में से बाहर निकाल कर खिड़की से बाहर की तरफ देखा अभी भी वहां कोई नहीं था सब लोग बरात के स्वागत में ही लगे हुए थे,,,, मौके की नजाकत को देखते हुए सूरज लाडो को बिस्तर पर लेटने के लिए बोला,, और उसकी बात मानकर लाडो बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई सूरत जल्दी से एक मोटा तकिया की गांड के नीचे रख दिया ताकि उसकी गांड ऊंची रहे,,,, और ढेर सारा थुक उसकी बुर पर लगाया ताकि बड़े आराम से उसका लंड उसने खोज सकेसूरज धीरे से उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर उसको गुलाबी क्षेत्र पर अपने लंड का सुपाड़ा टीका दिया और उसे धीरे-धीरे अंदर की तरफ डालना शुरू कर दिया सूरज की कलाबाजी उसका धैर्य रंग ला रहा था और धीरे-धीरे उसका लंड लाडो की बुर की गहराई नाप रहा था,,,,।


थोड़ी देर बाद सूरज की कमर अपने आप आगे पीछे होने लगी और लड़ो मदहोश होने लगी उसके मुंह से गरमा गरम शिसकारी की आवाज पहुंचने लगी वह थोड़ा दर्द झेल रही थी लेकिन इतना मजा आ रहा था कि वह खुद बयां नहीं कर सकती थी,,, वह खुलकर सूरज के साथ चुदाई का मजा लूट रही थी और वह भी अपनी शादी से पहले,,,,सूरज अपना काम पूरा करने के बाद धीरे से खटिया पर से नीचे उतर गया और अपने कपड़ों को व्यस्त करने लगा और उसे भी अपने कपड़े व्यवस्थित कर लेने के लिए बोला,,,, वह अपने ब्लाउज का बटन बंद कर रही थी तब सूरज बोला,,,)

अब तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं है,,,,,,





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नहीं अब मुझे कोई परेशानी नहीं है अब बिल्कुल ठीक है,,,,।


इसीलिए तो मैं यहां आया हूं तुम्हारी परेशानी दूर करने के लिए और अब तुम्हारी परेशानी दूर कर दिया हूं,,,(ऐसा कहते हुए एक बार फिर से उसके होंठों का चुंबन ले लिया और कमरे से बाहर निकल गया तब तक बारात धीरे-धीरे घर के आंगन में आ चुकी थी,,,, सूरज शादी की हर रस्म मैं सुबह तक साथ में था। बारात विदाई होने के बाद ही वह अपने घर वापस आया)
 
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sunoanuj

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थोड़ी ही देर में गांव के सभी लोग शादी में शामिल हो चुके थे,,, और अपनी अपनी तरफ से शादी में सहयोग कर रहे थे,, गांव के बूढ़े एक तरफ बैठकरआगे क्या करना है उसके बारे में लाडो के पिताजी को समझ रहे थे क्योंकि लड़ो के पिताजी से ज्यादा अनुभव उन बुढो बुजुर्गों में था,,, गांव की औरतें आंगन में बैठकर शादी का गीत गा रही थी और कुछ औरतें नाच रही थी,,, जवान लड़के फुर्ती दिखाते हुए शादी की प्रक्रिया में आगे बढ़ रहे थे यह देखकर लाडो के पिताजी का मन प्रसन्नता से भरा जा रहा था क्योंकि गांव के सारे व्यक्ति उनकी लड़की की शादी में सहयोग कर रहे थे,,, लेकिन इनमें भी खास सहयोग था सूरज का क्योंकि वहां शादी का महत्वपूर्ण हिस्सा संभाले हुए था और वह था भोजन का,,, जिसको बिना शादी चाहे जैसी भी हो अधूरी ही लगती है,,, क्योंकि बाराती भी तो खाने के उद्देश्य से ही शादी में शामिल होते हैं अगर उन्हें स्वादिष्ट भोजन ना मिले तो फिर जाते-जाते भी ताने कसने लगते हैं और यह जिंदगी भर का हो जाता है और यही लाडो के पिताजी नहीं चाहते थे,,,, इसलिए रसोई की सारी जिम्मेदारी उन्होंने सूरज को दे दिया था,,,।

और यह जिम्मेदारी उन्होंने ऐसे ही सूरज को नहीं दे दिया था उन्हें पूरा यकीन था कि सूरज उसके पिताजी की तरह हीरसोई की जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभाएगा क्योंकि गांव में कहीं भी शादी पड़ती थी तोरसोई की जिम्मेदारी सूरज के पिताजी ही संभालते थे और आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि उनके द्वारा भोजन समारंभ उचित तरीके से ना हुआ हो। और यही वजह थी किलाडो के पिताजी भोजन की व्यवस्था संभालने के लिए सूरज का चयन किए थे क्योंकि उन्हें पूरा यकीन था कि सूरज अपने पिताजी की तरह ही है जिम्मेदारी वह खुशी निभा पाएगा और अब तक तो उसने जिस तरह से रसोई की जिम्मेदारी संभाले हुए था एक-एक चीज रसोईया को लाकर दे रहा था उससे साफ दिखाई दे रहा था कि वह भी उसके पिताजी की तरह ही रसोई संभालने में बेहद उम्दा निकलेगा,,,, सब कुछ एकदम सही तरीके से हो रहा था अब बरात आने का समय हो चुका था इसलिए लाडो के पिताजी शादी की व्यवस्था देख रहे थे और जगह-जगह पर समझा भी रहे थे कि अब आगे क्या करना है,,,,।

दूसरी तरफ लाडो कमरे में इधर-उधर घूम रही थी साथ में उसकी सहेलियां भी थी जो उससे मजाक कर रही थी और मजाक में यही सब चल रहा थाकी शादी की पहली रात को जीजा जी तेरे साथ क्या करेंगे,,, इस सवाल पर लाडो शर्मा जा रही थी लेकिन उसका मजा लेते हुए दूसरी लड़कियों कह रही थी।

जीजा जी करेंगे क्या जैसे सभी लोग करते हैं कमरे में जाते ही लाडो के कपड़े उतार कर नंगी कर देंगे और क्या,,,,,
(उसकी बात सुनकर लाडो एकदम से शर्मा गई शर्म की लालिमा उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी,,,,, लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रही थीउसके मन में यही तो परेशानी चल रही थी कि आखिरकार शादी की पहली रात को उसका पति उसके साथ किस तरह से व्यवहार करेगा कैसा व्यवहार करेगा यही उसे समझ में नहीं आ रहा था और यही उसकी परेशानी और चिंता का सबब भी था,,, उस लड़की की बात सुनकर दूसरी लड़की बोली,,,)

बस इतना ही करेंगे जीजा जी की इससे आगे भी बढ़ेंगे,,,,।

बढ़ेंगे ना इसके बाद ही तो असली खेल शुरू होता है,,,,।

क्या होता है दीदी बताओ ना लाडो को भी समझ में आ जाएगा कि आप क्या होगा उसके साथ,,,(उस लड़की की बात सुनकर दूसरी लड़की बोली क्योंकि वह शादीशुदा थी उसे ज्यादा अनुभव था,,,,)

अरे मेरी लाडो के लिए ही तो बता रही हूं जीजा जी इसके सारे कपड़े उतार करइसे गोद में उठाकर बिस्तर पर पटक देंगे और फिर इसके पूरे अंगों को अपने होठों से चूमेंगे,,,,,,।

ओहहहह क्या कह रही है दीदी क्या सच में ऐसा करेंगे जीजा जी,,,।

तो क्या रे,सिर्फ यूं ही पैसे खर्च करके इसे घर का काम करने के लिए थोड़ी ले जा रहे हैं इसके साथ मजा लूटने के लिए ले जा रहे हैं,,,।

अच्छा दीदी फिर क्या करेंगे जीजा जी,

फिर क्या जिस तरह से जीजा जी इसके कपड़े उतार कर लेंगेकिए थे उसी तरह से अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो जाएंगे और फिर अपने लंड का इसकी बर पर जोर-जोर से रगड़ रगड़कर इसे पूरी तरह से गर्म कर देंगे,,,,।

आहहह, दीदी यह क्या कह रही हो मेरा तो सुनकर ही पानी निकलने लगा,,(उस शादीशुदा लड़की की बात सुनकर उसकी दूसरी सहेली बोली,,,)

चिंता मत कर मेरी रानी तेरा भी नंबर आएगा,,, लाडो को तो देखो मुझे तो लगता है सुनकर ही इसका पानी निकलने लगा होगा,,,(पर शादीशुदा लड़की लाडो की तरफ देखते हुए बोली तो लाडो शर्म से अपनी नजर नीचे झुका लिया कुछ बोल नहीं पा रही थी तभी उसकी बात सुनकर दूसरी लड़की बोली)

साड़ी उठाकर देखे क्या दीदी,,

पागल हो गई है क्या एक काम सिर्फ जीजा जी का है और यह काम वही करेंगे हम लोगों को कुछ नहीं करना है समझ गई ना,,,,,,

हां समझ गई दीदी,, लेकिन यह तो बताओ फिर क्या करेंगे जीजा जी,,!

फिर,,,फिर करना क्या है जीजा जी धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी बुर में डालते चले जाएंगे और फिर जैसे ही पूरा लंड इसकी बुर में घुस जाएगा वह इसकी कमर पकड़ कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर देंगे और यह सिलसिला रात भर चलता रहेगा देखना लाडो दूसरे दिन ठीक से चल भी नहीं पाएगी लंगड़ा कर चलेगी,,,,।

ओहहहह हो,,,, लाडो को तो देखो अभी से मजा आ रहा है इसके मन में तो लड्डू फूट रहा है,,,।

(पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं था यह सब सुनकर लाडो की हालत खराब हो रही थी वह मन ही मन में घबरा रही थी अपनी सहेलियों की बात सुनकर उसकी परेशानी और बढ़ती जा रही थी और वह बार-बार खिड़की सेबाहर की तरफ देख रही थी उसे सूरज का इंतजार था क्योंकि वह कुछ बताने वाला था उसकी परेशानी क्या है कैसे परेशानी दूर होगी यही सब वह जानना चाहती थी और उसे बड़ी बेसब्री से सूरज का इंतजार था और वह अपने मन में का भी रही थी किउसने विवाह से पहले उसकी परेशानी दूर करने का वादा किया है लेकिन अब तक उसका ठिकाना ही नहीं है,,,,,,, जिस तरह से लाड़ो परेशान थी सूरज से मिलने के लिए उसी तरह से सूरज भी बेताब था लाडो से मिलने के लिएलाडो को लग रहा था कि सूरज उसे कोई बात बताया कि उसकी परेशानी दूर हो जाएगी लेकिन लाडो नहीं जानती थी कि सूरज अपने मकसद से उससे मिलना चाहता था,,।

जहां पर औरतों का नाच गाना हो रहा था वहीं से तकरीबन 5 मीटर की दूरी पर ही हुआ रसोई का काम संभाले हुए था,,,, थोड़ी ही देर हुआ था उसकी मां तैयार होकर उन औरतों के बीच आकर बैठ गई थीउन औरतों के बीच में भी सूरज को अपनी मां को पहचानने में जरा भी देखने लगी थी क्योंकि उन औरतों के बीच में भी उसकी मां चांद की तरह चमक रही थी,,,, रसोई का काम संभालते हुए और खुद ही चाशनी को बड़े से पलटे से कढ़ाई में हिला रहा था ताकि चाशनी अच्छे से बन सके इसी में गुलाब जामुन जो डालना था,,,, और ऐसा करते हुए वह अपनी मां की तरफ देख ले रहा था,,, सुनैना की भी नजर अपने बेटे पर पड़ चुकी थी वह भी चोर नजर से अपने बेटे को देख ले रही थी,,,, कुछ देर पहले उसके कमरे में जो कुछ भी हुआ था उसके चलते अभी तक उसके बदन में उत्तेजना की सुरसुराहट हो रही थी,,,, और अपने बेटे के बदले हुए चल को उसके रूप ढंग को देखकर हैरान थी कुछ ही महीना में उसका बेटा पूरी तरह से बदल चुका था एक मासूम बच्चे से वह पूरा मर्द बन चुका था,,,, चोर नजर से अपने बेटे की तरफ देखकर सुनैना अपने मन में यही सोच रही थी कि उसका बेटा सच कह रहा था या झूठ कह रहा था यह कैसे यकीन करें।

सूरज नहीं तो बड़े साफ तरीके से कह दिया था कि जब वह ब्लाउज कीडोरी बांधने की कोशिश कर रही थी तभी वह दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया था लेकिन उसकी बात में सुनैना को जरा भी सच्चाई नजर नहीं आ रही थी क्योंकि अगर अचानक ही वहदरवाजे पर आता तो उसकी आहट उसे साफ सुनाई देती यह जरूर वह कुछबोलना जैसे उसे पुकारने के लिए बुलाने के लिए लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,मतलब साफ था कि वह चोरी छिपे उसके कमरे तक आया था ताकि उसके कदमों की आहट उसे सुनाई ना दे यह सब ख्याल सुनैना के मन में आ रहा था और किस तरह का ख्याल उसके मन को बिजली भी कर रहा था उसके बदन में रह रहकर उत्तेजना की लहर उठ रही थी,, सुनैना अपने मन में यह सोचकर और हैरान हुए जा रही थी कि उसका बेटा पहले से आकर दरवाजे पर खड़ा हो तो फिर तो कुछ भी छुपाने लायक नहीं था क्योंकि वह तो कमरे में पूरी तरह से नंगी खड़ी होकर आने में अपना रूप देख रही थी उसने अपने बदन पर एक भी कपड़ा नहीं लपेटी थी,, सुनैना इस बारे में सोच कर काफी हैरान हुए जा रही थी।

पहली बार ही तो मैं बिना कपड़ों के नहा कर नंगी अपने कमरे में गई थी क्योंकि अंधेरा हो चुका था उसे समय सूरज घर पर नहीं था मुझे तो लगा कि वह शादी में ही होगाइसलिए निश्चित थी अपने कमरे में जाकर भी मैं दरवाजा नहीं बंद कर पाई थी क्योंकि मुझे बिल्कुल भी एहसास तक नहीं था कि सूरज घर पर आ जाएगा और इसी वक्त पर आएगा जब वह बिना कपड़ों के अपने कमरे में खड़ी होकर अपने रूप को देख रही होगी बाप रे अगर सच में ऐसा हुआ होगा तब वह मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा,,,,बाप रे अगर सच में वह दरवाजे पर खड़ा होगा तब तो मेरी पीठ सीधे दरवाजे की तरफ ही थी मेरी नंगी गांड बड़ी बड़ी गांड बड़े आराम से देख सका होगा,,,,, हाय दइया मुझे नंगी देखकर वह अपने मन में न जाने क्या-क्या सोच रहा होगा,,,अभी 2 दिन पहले ही तो उसने मेरी नींद में होने का फायदा उठाते हुए मेरी नंगी गांड पर अपना लंड लगाकर पानी निकाल दिया था और मेरा भी निकलवा दिया था,,,, जरूर मुझे नंगी देखकर मुझे चोदने के बारे में सोच रहा होगा,,,, क्योंकि उसकी हरकत देखकरऐसा तो बिल्कुल भी नहीं लगता कि वह मेरे बारे में सही सोच रहा होगा जब भी वह मेरे बारे में सोचेगा तो गंदी बात ही सोचेगा वरना वह मेरे साथ इस तरह की हरकत ना करता,,,,

हाय दइया यह क्या हो गया,,,,,(इस तरह की बातें अपने मन में सोच कर सुनैना खुद ही पानी पानी हुई जा रही थी उसकी बर पानी छोड़ रही थी,,) उस दिन खेत वाली हरकत देखकर सच में अगर मैं कमरे से बाहर न निकलती तो जरूर वह मेरे साथ कुछ ना कुछ कर बैठता और मैं तो देखी भी थी उसके पजामे में तंबू बना हुआ था और इतना तो मैं बेवकूफ हूं नहीं कीसमझ ना पाऊं की एक मर्द का लड कब खड़ा होता है क्यों खड़ा होता है,,,मुझे नंगी देखकर ही मेरे नंगे बदन को देखकर मेरी नंगी गांड देखकर ही सूरज का लंड खड़ा हुआ थाऔर जब मुझे देख कर मतलब कि जब एक मां को देखकर एक बेटे का लंड खड़ा होने लगे तो बेटे से और क्या उम्मीद की जा सकती है मौका मिलने पर वह तो कभी भी चढ़ जाएगा,,,,इस तरह की बातें सोच कर सुनैना अपनी बुर गीली कर ही रही थी कि तभी गांव की एक औरत उसका हाथ पकड़ कर नाचने के लिए उठाने लगी,,,, सूरज अपनी मां की तरफ ही देख रहा थावैसे तो सुनैना का मन बिल्कुल भी नाचने को नहीं था लेकिन अपने बेटे की तरफ देखकर उसके मन में न जाने क्या सोच और वह उसे औरत की बात मानकर ढोलक के थाप पर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दी और अपनी गांड मटकाना शुरू कर दी,,,, सूरज अपनी मां को ही देख रहा था,,, अपनी मां को नाचते हुए देख कर उसे भी अच्छा लग रहा था।

यह दूसरी बार था जब सूरज अपनी मां को नाचते हुए देख रहा था पहली बार वह अपनी मां को नाचते हुए बगल के गांव में कुछ प्रयोजन था तब वहां पर वह अपनी मां को पहली बार नाचते हुए देखा था उसकी बड़ी-बड़ी गांड को हिलते हुए देखकर उसका लंड के कार्टून भेज रहा थाऔर अपने लंड की तरफ को मिटाने के लिए जिसके घर गया था उनके घर की बहू की चुदाई करके वापस आया था,,,,, चासनी को चलाते हुएसूरज अपनी मां को ही देख रहा था उसकी बड़ी-बड़ी गांड कैसी हुई साड़ी में गजब उभार लिए हुए नजर आ रही थी और उसके नाचने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी गांड की फांक बड़े-बड़े तरबूज की तरह आपस में रगड़ खा रहे थे जिसे देख कर सूरज उत्तेजित हुए जा रहा था। सूरज आसपास भी देख रहा था और उसेयही एहसास हो रहा था कि लोगों को भी उसकी मां का नाचना अच्छा लग रहा था और सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां का क्या दूसरे मर्दों को अच्छा लग रहा थाक्योंकि एक मर्द होने के नाते उसे इस बात का एहसास था कि मर्द औरत के कौन से अंग को देखकर प्रभावित होते हैं और वह यकीन के साथ अपने आप को कह रहा था किबाकी के लोग उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड और बड़ी बड़ी चूचियों को हिलते हुए देखकर मन ही मन उत्तेजित हो रहे थे,,, तभी उसके कान मेंजो मुख्य रसोईया था और वह मिठाई बन रहा था वह बीड़ी पीता हुआ उसकी मां की तरफ देखकर बोला,,,,।)

बाप रे क्या मस्त औरत है मैंने तो आज तक इसी खूबसूरत औरत नहीं देखा,,,,,(और यह बात वह सूरज से ही कह रहा था क्योंकि उसे नहीं मालूम था कि वह नाचने वाली औरत सूरज की मां है वह रसोईया यह सोच रहा था कि जब वह इतना खूबसूरत दृश्य देख रहा है तो लगे हाथ वह सूरज को भी दिखा दे की औरत क्या चीज होती है,,,, उसकी बात सुनकर सूरज अनजान बनता हुआ बोला,,,,)

कौन सी औरत,,,, हलवाई बाबू,,,,(चासनी को चलाते हुए,,,)

अरे वह देखो बबुआ,,,, जिसकी गांड बड़ी-बड़ी है और अपनी गांड मटका मटका करना चाहिए कम से देखा तो सही कितनी बड़ी गांड है बबुआ,,,,।

वह वाली औरत जो गोरी सी है,,,,(उंगली के इशारे से बताते हुए)

अरे हां बबुआ वही,,,, देख लो ऐसा नजारा देखने को नहीं मिलेगा,,,,(वह हलवाई सूरत के साथ काफी खुल चुका था,,,, सूरज यह जानते हुए भी कि वह हलवाई उसकी मां के बारे में गंदी सोच रख रहा है फिर भी सूरज से कुछ बोल नहीं रहा थाक्योंकि सूरज को मालूम था कि एक तरह से वह उसकी मां की खूबसूरती की तारीफ ही कर रहा था और जिस तरह से उसकी मां सज धज कर आई थी उसे देखकर कोई भी उसकी तरफ आकर्षित हो सकता था और ऐसा हो भी रहा थाइसलिए वह हलवाई से कुछ कह नहीं पा रहा था और वह देखना चाहता था कि वह क्या-क्या कहता है,,,, उसकी बात सुनकर सूरज बोला,,,)

बात तो तुम सच कह रहे हो,,,,।

अरे तभी तो कह रहा हूं देख लो ऐसा नजारा देखने को नहीं मिलेगा,,,, मेरी तो धोती में लंड अंगड़ाई लेने लगा है,,,।

क्या सच में,,,(सूरज उसकी हालत पर हंसते हुए बोला)

तो क्या बबुआ आपके सामने ऐसी औरत नाच रही हो तो भला कौन सा मर्द होगा जिसका लंड खड़ा नहीं होगा,,,,, अगर यह रात भर के लिए मिल जाए तो इसकी बुर से पूरी चाशनी चाट जाए,,,,।

(उसकी यह बात सुनकर सूरज एकदम सन्न रह गया,,,,, और वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
लेकिन तुम्हारी दाल गलने वाली नहीं है बबुआ इस औरत के सामने,,,।

ऐसा क्यों,,,?

अरे देख नहीं रहे हो उसकी गदराई जवानी,,,, उसकी बड़ी-बड़ी गांड तुम तो अपना लंड उसकी बुर पर रखते ही ढेर हो जाओगे उसकी गर्मी सहन नहीं कर पाओगे,,,,।

क्या सच में ऐसा होता है हलवाई जी,,,,!

अरे तो क्यातुम अभी बच्चे हो इसलिए तुम्हें औरतों के बारे में कुछ ज्ञान नहीं है,,,,,ऐसी गर्म औरत अगर एक बार तुम्हारा लंड हाथ में पकड़ ले तो भी तुम्हारा पानी निकल जाएगा ऐसी औरत से निपटने के लिए कलाबाजी चाहिए,,,, जो अभी तुम्हारे बस की बात नहीं है,,,,थोड़ा यहां देखते रहना मेरी तो हालत खराब हो गई है शांत करके आता हूं,,,,।

क्या शांत करके,,,!(सूरज एकदम आश्चर्य जताते हुए बोला)
अरे देख नहीं रहे हो मेरी धोती में हालत खराब है,,, शादी में ऐसी ऐसी औरत शामिल होंगी तो हम हलवाई का तो पानी निकल जाएगा,,,,।

(उसकी हालत को देखकर सूरज मन ही मन मुस्कुराने लगा और वह हलवाई घर के पीछे अंधेरे में गायब हो गया सूरज समझ गया था कि वह क्या करने क्या है,,, लेकिन आज उसे समझ में आ गया था किवाकई में उसकी मां पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत और गर्म औरत है जिसे देखकर अच्छे-अच्छे का पानी निकल जाए और यही हालत हलवाई की हो रही थी,,,,, कुछ देर और सूरज अपनी मां का नाच देखते रहा,,,, और फिर थोड़ी ही देर में लोगों में चहल-पहल मचने लगी क्योंकि बारात दूर से दिखाई देने लगी थी,,,, क्योंकिथोड़ी बहुत आतिशबाजी अभी हो रही है जो कि सूरज को भी दिखाई दे रही थी और यह देखकर लाडो के पिताजी एकदम व्याकुल और परेशान होने लगे क्योंकिउन्हें सारा इंतजाम सही समय पर चाहिए था इसलिए वह तुरंत सूरज के पास आए और बोले,,,)

सूरज भोजन तैयार हो चुका है ना,,,,।

बिल्कुल चाचा जी आप चिंता मत करिए भोजन तैयार है,,,।

और मिठाई,,,?


मिठाई भी एकदम तैयार हैबस इस चासनी में गुलाब जामुन डालने की दे रही है और एकदम तैयार,,,,।

बहुत अच्छे बेटा जल्दी से गुलाब जामुन इसमें डालो,,,,,,(इतना कहकर लाडो के पिताजी दूसरी व्यवस्था देखने चले गए लोग इधर-उधर होने लगे और सभी लोग उसे रास्ते पर इकट्ठा होने लगे जहां से बारात आने को थी उसमें उसकी मां भी शामिल थी वह भी वहीं पर चली गई थी और रानी भी,,,, सूरज बार-बार लाडो के कमरे की तरफ देख रहा था अभी भी उसके साथ कुछ लड़कियां थी और यही सही मौका भी था लाडो के पास जाने का,,,, लेकिन अभी चाशनी में गुलाब जामुन डालना बाकी था,,,, और जैसे ही वह हलवाई आया यह काम भी पूरा हो गया,,,अब सूरज के पास और कोई काम नहीं था धीरे-धीरे बारात नजदीक आ रही थी घर के सभी लोग बरात का स्वागत करने के लिए गांव के किनारे पहुंच चुके थे, थोड़ी ही देर में लाडो की मां भी उसके कमरे से निकाल कर एकदम उत्साहित होते हुए बारात देखने के लिए चली गई सूरज को यही मौका ठीक लग रहा था और वह धीरे से इधर-उधर नजर घुमा कर देखने के बाद धीरे से लाडो के कमरे की तरफ आगे बढ़ गया,,, कमरे में पहुंच कर देखा अभी भी तीन-चार लड़कियां लाडो को घेर कर खड़ी थी वह अपने मन में कुछ सोचने लगा और थोड़ी देर बाद उन लड़कियों को आदेश देते हुए बोला,,)

अरे तुम लोग यहां खड़ी हो चाचा जी तुम लोगों को आवाज दे रहे थे जो बारातियों का स्वागत करना है और थोड़ा फूल भी ले लेना बारातियों पर छिड़कने के लिए,,,।
(सूरज की बात सुनकर वह लड़कियां भी एकदम उत्साहित हो गई और एकदम खुश होते हुए बोली)

अरे जल्दी चलो हम लोगों को तो आगे होना चाहिए बारातियों का स्वागत करने के लिए,,,।

हां हां जल्दी जाओ,,,,,।

(और थोड़ी ही देर में वह लड़कियां कमरे से निकल गई और बारातियों का स्वागत करने के लिए गांव के किनारे जाने लगी,,, उन लोगों के जाते ही सूरज धीरे से दरवाजा बंद कर दिया और यह देखकर लाडो एकदम से बोल पड़ी,,,)

तुम दरवाजा क्यों बंद कर रहे हो और तुम इतनी देर से थे कहां मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,,।

(उसकी बात सुनकर वह उसकी तरफ देखने लगा तो उसे देखा ही रह गया लालटेन की पीली रोशनी में उसका खूबसूरत चेहरा और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था और लाल रंग की साड़ी में तो वहां स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा दिखाई दे रही थी कुछ देर के लिए सूरज उसे देखता ही रह गया और मुस्कुराते हुए बोला,,,,)

मैं अच्छी तरह से जानता हूं तभी तो यहां पर आया हूं तुम्हारी परेशानी दूर करने के लिए,,,,,।

तो करो ना मेरी परेशानी दूर मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,,(लाडोकुछ ज्यादा ही परेशान थी इसलिए उसकी समस्या थोड़ा तेजी से चल रही थी जिसके साथ उसकी नंगी जैसी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी यह देखकर सूरज की हालत एकदम से खराब हो गई और वह बिल्कुल भी समय बिगड़ता नहीं चाहता था वह तुरंत उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और अपनी बाहों में भर लिया यह देख कर लाडो एकदम से घबरा गई और बोली,,,)

यह क्या कर रहे हो सूरज,,,,,

तुम्हारी परेशानी दूर कर रहा हूं लाडो,,,,(और एकदम से अपने दोनों हथेलियां को उसके गोलाकार नितंबों पर रखकर उसे दबाना शुरू कर दिया लाडो सूरज की हरकत से एकदम से घबरा गई,,,)

यह ठीक नहीं है यह क्या तुम कर रहे हो तुम तो मेरी परेशानी दूर करने आए थे मैं अभी शोर मचा दूंगी,,,,(सूरज की बाहों से निकलने की कोशिश करते हुए लाडो बोली)


अरे पगली मैं तुम्हारी परेशानी तो दूर कर रहा हूं मैं जानता हूं,,,,तुम कहो परेशान हो और तुम्हारी परेशानी क्या है इसलिए जो कुछ भी नहीं कर रहा हूं मुझे करने दो शादी से पहले तुम्हारी परेशानी दूर कर दूंगा ऐसा मैंने तुमसे वादा भी किया था,,,,।(दोनों हाथों से उसकी गांड को जोर-जोर से दबाते हुए और ऐसा करने से उसके बदन में खुमारी भी छा रही थी,,,,, लेकिन फिर भी वह सूरज को रोकने की कोशिश करते हुए बोली,,,)



नहीं मुझे इस तरह की परेशानी नहीं है तुम चले जाओ मेरे कमरे से,,,,।

कैसी बात कर रही हो लाडो,,,(उसके कान के पास उसकी गर्दन पर हल्के-हल्के चुंबन करते हुए और गहरी सांस का एहसास कराते हुए)तुम्हारी यही परेशानी है मैं अच्छी तरह से जानता हूं तुम इसीलिए परेशान हो रही हो की शादी की रात को तुम्हारा पति तुम्हारे साथ क्या करेगा,,,,,(सूरज की ऐसी बात सुनकर लाडो की अपने मन में सोचने लगी कि वह तो इसीलिए सबसे ज्यादा परेशान है इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाई और सूरज अपनी बात को और अपनी हरकत को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,,)हर लड़की को यही डर रहता है की शादी की पहली रात को उसका पति उसके साथ क्या करेगा (ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को दबाते हुए जिससे लाडो के बदन में उत्तेजना का एहसास होने लगा वह गर्म होने लगी)और मैं इसीलिए तुम्हारी परेशानी दूर कर देना चाहता हूं ताकि तुम अपने ससुराल जाओ और शादी की पहली रात को तुम्हारा पति तुम्हारे साथ कुछ ऐसा करें तो तुम्हें तकलीफ ना हो,,,,.

कैसी तकलीफ,,,,!(आश्चर्य जताते हुए लाडो बोली)

चुदाई की तकलीफ जब उसका लंड तुम्हारी बुर में जाएगा तो अगर तुम्हें बिल्कुल भी अनुभव नहीं होगा तो तुम्हें बहुत दर्द करेगा तुम्हें समझ में नहीं आएगा कि तुम क्या करोगी,,,, और तुम्हारी तकलीफ बढ़ती चली जाएगी,,,,,,।

(अब वह बड़ी गौर से सूरज की बात को सुनाने लगी और चुदाई वाली बात और लंड शब्द सुनकर तो उसकी बुर से पानी टपकने लगा,,, वह कुछ बोल नहीं पा रही थी और सूरज समझ गया की लोहा गरम हो रहा है,,,,आतिशबाजी की आवाज अभी भी दूर से आ रही थी इसलिए सूरज को पूरा यकीन था कि अभी उसके पास काफी समय है,,, और वह लगातारउसकी चूची ब्लाउज के ऊपर से दबाते हुए एक हाथ से उसकी गांड को भी मसल रहा था यह एक तरह से वह लाडे को चुदाई के लिए तैयार कर रहा था और ऐसा हो भी रहा था लाडो मदहोश हो रही थी,,,, उसकी हरकत का मजा लेते हुए उत्तेजित स्वर में लाडो बोली,,,)


क्या सच में इससे मेरी तकलीफ दूर हो जाएगी,,,।

बिल्कुल लड़ो और फिर तुम्हें अपने पति से बिल्कुल भी शिकायत नहीं होगी और उसकी हरकत से मजा आएगा और जी भर कर मजा लोगी,,,



क्या सच में ऐसा होगा सूरज,,,,(गहरी सांस लेते हुए वह बोली,,,)

बिल्कुल मेरी रानी और ऐसा कहते हुए वही हाथ से उसका ब्लाउज का बटन खोलने लगा,,,,,(दरवाजा बंद था उस पर सिटकनी लगी हुई थी सूरज समझ गया था कि उसके पास अब समय है लाडो की चुदाई करने के लिए क्योंकि बारात अभी गांव में नहीं पहुंची थी और यहां तक आने में उसे काफी समय था अब सूरज की हरकतों का मजा लाडो भी लेने लगी थीपहली बार उसके साथ कोई मर्द इस तरह की हरकत कर रहा था सूरज के हाथों से अपने ब्लाउज का बटन खोले जाने पर लाडो की हालत खराब होने लगी और देखते ही देखते सूरज जिसके ब्लाउज के सारे बटन खोलकर उसकी दोनों चूचियों को आजाद कर दिया उसकी दोनों चूचियों को लालटेन की पीली रोशनी में देखकर सूरज एकदम से खुश होते हुए बोला,)

वाह लाडो तुम्हारी चूची तो एकदम अमरूद की तरह है,,(उसकी बात सुनकर लाडो शर्मा गईऔर सूरज अपने दोनों हाथों को उसकी नंगी चूचियों पर रखकर दबाना शुरू कर दिया यह एहसास उसे पूरी तरह से मदहोश कर रहा था लाडो के लिए यह सब पहली बार था इसलिए लाडो पागल हो जा रही थी और जैसे ही सूरज ने उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू किया लाडो की तो बोलती बंद हो गई उसकी आंखें अपने आप बंद होने लगी,,,,सूरज अच्छी तरह से जानता था कि औरत को कैसे चुदवासी किया जाता है,, और सूरज अपनी सारी कलाबाजियांलाडो के ऊपर आजमा रहा था और उसमें धीरे-धीरे सफल भी हो रहा था उसकी दोनों चूचियों को भारी-बड़ी से मुंह में लेकर पीते हुए वह उन्हें मसल रहा था दबा रहा था जिससे उसकी चूचियां उसके बदन में आनंद की फुहार भर रही थी। अपनी हरकत को जारी रखते हुए वह लाडो से बोला,,,)

अब कैसा लग रहा है,,लाडो,,,,,


बहुत अच्छा लग रहा है सूरज कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि क्या कहूं,,,,।

तुम कुछ मत कहो बस मजा लो,,,,,और ऐसा कहते हुए वहां कुछ देर तक उसकी चूची को और पीता रहा मसलता रहा और फिर उसकी चूचियों को अपने मुंह से आजाद करता हुआ,,,,वह उसकी कंधे पर हाथ रखकर उसके खूबसूरत चेहरे को देखने लगा और फिर दोनों हाथों में उसका खूबसूरत चेहरा लेकर उसके लाल लाल होठों पर अपना होता रख दिया यह चुंबन भी लाडो के लिए पहले ही बार का था वह पूरी तरह से पानी पानी हो रही हैसूरज जी भरकर उसके होठों का रसपान करने लगा और इस दौरान वह अपने दोनों हाथों को फिर से उसके नितंबों पर ले गया और साड़ी के ऊपर से ही उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया लेकिन इस बार,,,,अपने हाथ से वह उसकी साड़ी को कमर तक उठाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे वह उसकी कमर तक साड़ी को उठाकर उसके होठों का रसपान करते हुए उसकी नंगी गांड को दोनों हाथों में दबोच कर जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया अपनी नंगी गांड पर सूरज की हथेलियां का स्पर्श और उसकी पकड़ महसूस करके लाडो की बुर कचोरी की तरह फुलने लगी,,,,,।

कोई आ गया तो,,,,(इस मदहोशी भरे स्वर में भी लाडो चिंता जताते हुए बोली तो उसकी चिंता को दूर करते हुए सूरज बोला,,,)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो अभी सब लोग बरात का स्वागत करने के लिए पहुंच गए हैं और अभी देख रही हो आतिशबाजी की आवाज अभी भी दूर से आ रही है अपने पास काफी समय है तुम्हारी परेशानी दूर करने के लिए,,,,,(और ऐसा कहते हुए वह तुरंत लाडो के कंधे को पड़करदूसरी तरफ घुमा दिया और उसे दीवार से सटा दिया उसकी पीठ सूरज की तरफ थी लेकिन ऐसा करने पर उसकी साड़ी फिर से उसके कदमों में जा गिरी थी और सूरज अपने घुटनों के बल बैठकर उसकी साड़ी को फिर से उठाकर कमर तक कर दिया और उसकी नंगी गांड पर अपनी गाल को सहलाते हुए उसकी नितंबों का चुंबन लेने लगा उसकी ही हरकत से लाड़ो एकदम से सिहर उठी,,,,, और सूरज पागलों की तरह उसकी गांड पर चुंबनों की बौछार लगा दियायह सब तो ठीक था लाडो मदहोश हो जा रही थी लेकिन तब उसकी उत्तेजना और उसकी उत्सुकता का ठिकाना ना रहा जब सूरज उसकी एक टांग को उठाकर दीवार से ही सताए हुए अपने होंठों को नीचे की तरफ ले गया और उसके गुलाबी छेद पर रखकर उसपर चुंबन करने लगा,,,, लाडो पूरी तरह से मदहोश हो गई और अपने बदन को समेटने लगी क्योंकिउसे यह सब अजीब लग रहा था और वह एकदम से अपने हाथ को पीछे की तरफ लाई और सूरज के सर पर रखकर उसका बाल पकड़ कर उसे पीछे की तरफ करते हुए बोली,,)

यह क्या कर रहे हो सूरज ऐसा भला कोई करता है क्या,,!


क्यों नहीं लाडो शादी की पहली रात से ही तुम्हारा पति यही सब तुम्हारे साथ करेगा इसलिए तुम्हें तुम्हें यह सब सीख रहा हूं तुम इन सब में माहिर रहोगी तो सुख भोग पाओगी मजा ले पाओगी, इसलिए जो मैं कर रहा हूं उसे करने दो,,,,(और ऐसा कहने के बाद सूरज फिर से उसकी बुर पर अपने होठ रख दिया और उसे चाटना शुरू कर दियालाडो पूरी तरह से पागल हो जा रहे थे ऐसा नहीं था कि उसकी यही हरकत पर उसे मजा नहीं आया था वह पूरी तरह से आनंद से भर गई थी लेकिन उसे थोड़ा अजीब लग रहा थाइसलिए तो वह दोबारा इनकार नहीं कर पाए और सूरज उसे पूरी तरह से मत करने लगा वह दीवार से सटे हुए सूरज की हरकतों का मजा ले रही थी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी उसके ब्लाउज के सारे बटन खुले हुए थे शादी के जोड़े में वह शादी से पहले ही गांव के ही लड़के से सुहागरात मना रही थी,,,, लाडो की गर्म सांसे और उसकी शिकासरी से पूरा कमरा गुंज रहा था लाडो खुद हैरान थी कि उसके मुंह से यह किस तरह की आवाज निकल रही थी,,,, लेकिन फिर भी वह इस समय सिर्फ मजा लूट रही थी,,,,,धीरे-धीरे आतिशबाजी की आवाज करीब होती चली जा रही थी सूरज अच्छी तरह से जानता था कि समय तो उसके पास है लेकिन अब पर्याप्त समय नहीं है,,, इसलिए उसे जो करना था जल्दी करना थाऔर इसीलिए वह समय के अभाव में उठकर खड़ा हो गया और धीरे से पजामा नीचे करके अपने टनटनाए लंड को बाहर निकाल लिया,, और बिना कुछ बोले वह धीरे से खड़ा हुआ औरअपने लंड को लाडो की गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया यह एहसास पूरी तरह से लाडो को मस्त कर दिया वह पागल होने लगी उसे इतना तो समझ में आ रहा था किसूरज उसकी गांड पर क्या रंग लग रहा है और वह उसे अंग को देखना चाहती थी लेकिन उसे घबराहट भी हो रही थी और उसकी इसी घबराहट को दूर करते हुए सूरज उसके हाथ को पकड़ कर सीधा अपने लंड पर रख दिया उसकी गर्माहट इसकी मोटाई लाडो से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुई और वह अपना हाथ पीछे खींचना चाहती थी लेकिन सूरज उसे जबरदस्ती उसके हाथ को अपने लंड पर रखा हुआ था और धीरे-धीरे उसकी मुट्ठी पर रखकर उसे मुट्ठीया रहा था,,,,, लाडो एकदम मदहोश होते हुए बोली,,,,


, यह क्या है सूरज,,,,?

तुम्हारे काम की चीज है लाडो शादी की पहली रात से ही यह खिलौना तुम्हें मिलने लगेगा और इसकी आदत तुम्हें डालनी होगी तभी मजा ले पाओगी,,,, इसलिए तुम अपनी आंखों को खोलो और इसे देखो,,,,,,(इतना कहते हैं सूरज उसे अपनी तरफ घुमा दिया और लाड़ो उसके लंड को अपने हाथ में पकड़े हुए धीरे-धीरे अपनी आंख को खोलने लगी,,,,और आंख खोल कर जब वह अपने हाथ में लिए हुए अंग को देखी तो एकदम से घबरा गई और वह बोली,,,)

हाय दईया इतना मोटा और लंबा,,,,,।


यह क्या कह रही हो लाड़ो अगर ऐसा अपने पति के सामने बोलोगी तो वह नाराज हो जाएगा ,,,ऐसा बिल्कुल भी मत बोलना बल्कि ईससे तो खेलना और यह खेलने वाली चीज हैजितना अच्छा तुम इसके साथ खेलोगे उतना तुम्हारा पति तुमसे खुश होगा वरना तुम्हें वापस नहीं भेज देगा और फिर बदनामी हो जाएगी,,,,।

क्या सच में ऐसा होता है।

बिल्कुल ऐसा ही होता हैअब सुनो अपने पास समय ज्यादा नहीं है तुम्हारी परेशानी पूरी तरह से दूर करने के लिए इसलिए जो कुछ भी करना है जल्दी करना है,,,,,,।


मुझे क्या करना होगा,,,,,।

(लाडो की बात सुनकर सूरज के चेहरे पर प्रसन्नता के भावना जलने लगे और वह उत्साहित होता हुआ बोला,,,)

जैसा मैंने तुम्हारी बुर को अपने होठों से चाट कर मस्त किया हूं उसी तरह से तुमको भी मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना होगा,,,,

यह क्या कह रहे हो सूरज,,, क्या ऐसा करना जरूरी होता है,,,।


बिल्कुल लाड़ोवशादी की पहली रात को तुम्हारा पति तुम्हारे साथ यही करेगा यही करवाएगा अगर तुम इनकार कर दोगी तो सोचो वह तुम्हारे साथ क्या करेगा,,,,,,।


क्या करेगा,,,?

तुम्हें मारेगा तूने फिर से यही भेज देगा और इल्जाम लगाएगी कि तुम्हें मर्द को खुश करना नहीं आता सोचो अगर यह खुले शब्दों में तुम्हारी मां से कहेगा तो वह क्या सोचेगी।


क्या मेरा पति अगर मैं ऐसा नहीं करूंगी तो सच में ऐसा करेगा,,,।


बिल्कुल मेरी रानी मैं तुमसे झूठ क्यों कहूंगा इसलिए तो मैं आया हूं तुम्हारे परेशानी दूर करने के लिएमैं नहीं चाहता कि तुम्हारी बदनामी हो शादी की पहली रात को ही तुम्हारा पति तुमसे नाराज हो जाए मैं चाहता हूं कि तुम पहली रात को ही अपने पति को वह खुशी तो जैसा हुआ चाहता हूं ताकि जिंदगी भर वह तुमसे खुश रहे,,,,।

(इतना सुनकर वह सूरज की बातों में आ गई और हल्के से नीचे झुक गई सूरज अपने लंड से हल्के से ऊपर की तरफ उठाकर उसके होंठों से रगडना शुरू कर दिया और लाडो उसे मुंह में लेकर चूसने लगी पहले तो उसे थोड़ा अजीब लगा लेकिन धीरे-धीरे उसे भी मजा आने लगा और वहां बड़े आराम से इस अंदर बाहर करने लगी अब समय आ गया था उसकी चुदाई का क्योंकि धीरे-धीरे आतिशबाजी की आवाज और करीब होती चली जा रही थी धीरे से सूरज अपने लंड को उसके मुंह में से बाहर निकाल कर खिड़की से बाहर की तरफ देखा अभी भी वहां कोई नहीं था सब लोग बरात के स्वागत में ही लगे हुए थे,,,, मौके की नजाकत को देखते हुए सूरज लाडो को बिस्तर पर लेटने के लिए बोला,, और उसकी बात मानकर लाडो बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई सूरत जल्दी से एक मोटा तकिया की गांड के नीचे रख दिया ताकि उसकी गांड ऊंची रहे,,,, और ढेर सारा थुक उसकी बुर पर लगाया ताकि बड़े आराम से उसका लंड उसने खोज सकेसूरज धीरे से उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर उसको गुलाबी क्षेत्र पर अपने लंड का सुपाड़ा टीका दिया और उसे धीरे-धीरे अंदर की तरफ डालना शुरू कर दिया सूरज की कलाबाजी उसका धैर्य रंग ला रहा था और धीरे-धीरे उसका लंड लाडो की बुर की गहराई नाप रहा था,,,,।


थोड़ी देर बाद सूरज की कमर अपने आप आगे पीछे होने लगी और लड़ो मदहोश होने लगी उसके मुंह से गरमा गरम शिसकारी की आवाज पहुंचने लगी वह थोड़ा दर्द झेल रही थी लेकिन इतना मजा आ रहा था कि वह खुद बयां नहीं कर सकती थी,,, वह खुलकर सूरज के साथ चुदाई का मजा लूट रही थी और वह भी अपनी शादी से पहले,,,,सूरज अपना काम पूरा करने के बाद धीरे से खटिया पर से नीचे उतर गया और अपने कपड़ों को व्यस्त करने लगा और उसे भी अपने कपड़े व्यवस्थित कर लेने के लिए बोला,,,, वह अपने ब्लाउज का बटन बंद कर रही थी तब सूरज बोला,,,)

अब तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं है,,,,,,


नहीं अब मुझे कोई परेशानी नहीं है अब बिल्कुल ठीक है,,,,।


इसीलिए तो मैं यहां आया हूं तुम्हारी परेशानी दूर करने के लिए और अब तुम्हारी परेशानी दूर कर दिया हूं,,,(ऐसा कहते हुए एक बार फिर से उसके होंठों का चुंबन ले लिया और कमरे से बाहर निकल गया तब तक बारात धीरे-धीरे घर के आंगन में आ चुकी थी,,,, सूरज शादी की हर रस्म मैं सुबह तक साथ में था। बारात विदाई होने के बाद ही वह अपने घर वापस आया)
Thodi jaldi me nipta diya bhai aapne lado ko …
 
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लाडो की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि सूरज उसकी परेशानी किस तरह से दूर करने वाला है और उसकी परेशानी क्या है यह भी वह ठीक तरह से नहीं समझ पा रही थी बस एक मन में असमंजसता सी थी,,,जिसे वह खुद नहीं समझ पा रही थी इसीलिए वह बड़ी बेसब्री से सूरज का इंतजार कर रही थी सूरज एक बार आलू की बोरी लेने के लिए उसके कमरे में भी आया था लेकिनविवाह होने से पहले वह उसकी परेशानी दूर कर देगा ऐसा दिलासा देकर वह कमरे से चला गया था,,, और उसके जाने के बाद लाडो निराश होकर बिस्तर पर बैठ गई थी और शाम होने का इंतजार कर रही थी।





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दूसरी तरफ रानी आज बहुत खुश थी क्योंकि जिसके बारे में वह दिन रात सोचा करती थी जिससे मिलने के लिए वह तड़प रही थी वह खुद चलकर आज उसके पास आया थाऔर उसके साथ खाना भी खाया था जहां रानी के लिए बेहद खुशी की बात थी,,, उस दिन तो वह बेहोशी की हालत में थी लेकिन आज वह पूरे होशो हवास में थी और उसे घुड़सवार को इतने करीब से देख कर वह उसके प्रति आकर्षित हुई जा रही थी,,, और कुंवर भी रानी के प्रति आकर्षित हो चुका था इसीलिए तो उसे ढूंढता फिर रहा था लेकिन उसकी भी मेहनत रंग लाई थी और दोनों की मुलाकात अच्छे तरीके से हो गई थी और वह भी रानी की मां की आंखों के सामने,,, रानी की मां भी उसके अच्छे व्यवहार से काफी प्रभावित हुई थी बड़े घर का होने के बावजूद भी उसमें जरा भी अभिमान नहीं था और यही बात सुनैना को भी काफी प्रभावित कर रही थी,,, और इशारों ही इशारों में नदी के किनारे मिलने के लिए रानी को बोल भी दिया था,,,। कुंवर के जाने के बाद मां बेटी कुछ देर तक वहां बैठी रही और फिर घर वापस आ गई क्योंकि आज उन्हें शादी में जाना था जिसके लिए उन्हें तैयारी करना था।





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शाम हो चुकी थी और धीरे-धीरे शाम ढल रही थी गांव में मेहमानों का आना-जाना शुरू हो चुका था और वैसे भी गांव में जब शादीहोती है तो पूरा गांव और शादी में शामिल भी होता है और मदद भी करता है इसलिए आज पूरे गांव में त्यौहार जैसा माहौल नजर आ रहा था सभी बहुत खुश थे क्योंकिशादी की खुशी में इस बात की भी खुशी थी कि शाम को पूरी सब्जी मिठाई खाने को मिलने वाली थी और अधिकतर गांवों के लोग शादी विवाह का इंतजार भी इसीलिए करते हैं कि कुछ अच्छा खाने को मिल जाएगा,,, जैसे-जैसे शाम डर रही थी वैसे-वैसे माहौल निखरता चला जा रहा था,,, चारों तरफ लालटेन या मसाल जलाकर रोशनी की जा रही थी,,, और उसकी रोशनी में पूरा गांव जगमगा रहा था।जिसे देखकर गांव के बूढ़े बच्चे औरतें सभी खुश नजर आ रहे थे और सभी अपने तरीके से शादी में शामिल होने के लिए तैयार हो रहे थे। और यही उत्साह सुनैना के साथ-साथ रानी में भी दिखाई दे रहा था सूरज तो खैर लगा हुआ था शादी में और अपनी जुगाड़ में और उसे पूरा यकीन था कि वह अपनी जुगाड़ में जरुर सफल हो जाएगा। इसीलिए तो वह चारों तरफ नजर बनाए हुए थाऔर उसे परिवार में ऐसा घुल मिल गया था कि मानो जैसे उसी परिवार का कोई सदस्य हो।लेकिन अब उसे भी घर जाना था तैयार होकर वापस शादी में आना था इसलिए वह लाडो के पिताजी से इजाजत लेकर घर जाने लगा लेकिन लाडो के पिताजी उससे बोले।

बेटा जल्दी आनाक्योंकि रसोई का काम तुम्हारे हाथ में है अगर वह बिगड़ गया तो समझ लो शादी में कुछ भी अच्छा नहीं होगा।

आप बिल्कुल भी फिक्र मत करिए मैं यूं गया और युं आया,,,,, मुझे ज्यादा समय नहीं लगेगा,,,बस हलवाई पर थोड़ा ध्यान देना बाकी मैं सब कुछ उसे बता दिया हूं,,,,,।

ठीक है बेटा,,,,।

(और मुस्कुराता हुआ सूरज अपने घर की तरफ चल दिया,,,,रास्ते में जो भी मिल रहा था पूछे जाने पर वह यही बोल रहा था कि लाडो के घर जा रहे हैं शादी में,,, पूरे गांव का न्योता जो था उसके घर पर,,,,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसके पास भी समय काम है जो कुछ भी करना है वह सोच समझ कर करना है,,, लाडो की हालत को वह अच्छी तरह से समझ रहा था। लाडो की परेशानी का हाल सूरज अच्छी तरह से जानता था वह जानता था कि लाडो किस लिए परेशान हो रही है,,,इसलिए तो वह समझ रहा था कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका है बस हथोड़ा करने की देरी है और इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। लाडो के बारे में सोचता हुआ वह अपने घर पर पहुंच चुका था,,, घर पर पहुंच कर देखा तो कपड़े इधर-उधर बिखरे पड़े थे,,,,,, और पानी की धार घर के अंदर की तरफ जा रही थी जो कि अंधेरा होने के बावजूद भी लालटेन की रोशनी में साफ दिखाई दे रहा था और उस पानी की धार को देखकर उसके निशान को देखकरसूरज को समझते देर नहीं लगा था कि अभी-अभी कोई नहा कर अंदर की तरफ गया है,,, और उसकी आंखों के सामने रानी का चेहरा नजर आने लगा उसके बारे में सोच कर सूरज की आंखों की चमक बढ़ने लगी क्योंकि शादी में शामिल होकर लाडो के बारे में जिस तरह का ख्याल उसके मन में आ रहा था वहख्याल की बदौलत इस समय सूरज अपने बदले में उत्तेजना का अनुभव कर रहा था और वह तुरंत रानी के कमरे में घुस जाना चाहता थाऔर अपनी जवानी की प्यास बुझा लेना चाहता था इसलिए वह प्रसन्न होता हुआ उसे धार के सहारे अंदर की तरफ जाने लगा,,,,लेकिन वह पानी कि धार रानी के कमरे की तरफ नहीं उसकी मां के कमरे की तरफ जा रही थी। और यह देखकर सूरज वहीं पर रुक गया,,,।


उसे समझ में नहीं आ रहा था कि समय उसे अपनी मां के कमरे की तरफ जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए,,,, कुछ देर वहीं खड़े रहने के बाद उसका मन नहीं माना और वह अपनी मां के कमरे की तरफ कदम आगे बढ़ा दिया,,,वह धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ाना आशा ताकि उसके कदमों की आहट उसकी मां के कानों तक ना पहुंच सके क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसके होने की मौजूदगी उसकी मां को पता चले,,, और देखते ही-देखते वह अपनी मां के कमरे के करीब पहुंच गया।कमरे का दरवाजा बंद जरूर था लेकिन हल्का सा खुला हुआ था उसे पर सिटकनी नहीं लगी हुई थी और और उसमें से कमरे का सारा दृश्य दिखाई दे रहा था। दीवार की ओट में अपने आप को छुपा कर सूरजहल्के से नजर को दरवाजे के अंदर टीकाकर कमरे के अंदर का दृश्य देखने लगा,,,पहले तो उसे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन धीरे-धीरे अंदर का दृश्य एकदम साफ दिखाई देने लगा,,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ स्पष्ट होने लगा और जैसे ही उसकी नजर उसकी मां पर पड़ी उसकी आंखें फटी की फटी रह गई।

वहआश्चर्यचकित होकर अपनी मां के रूप सौंदर्य को देखता ही रह गया,,,,, अपनी मां के रूप को देखकर और उसके गीले बालों को देखकर वह समझ गया था कि उसकी मां अभी-अभी नहा कर अपने कमरे में गई है,,,, लेकिन जिस अवस्था में अपने कमरे में थी उसे अवस्था को देखकर सूरज का लंड अपनी औकात में आ गया था,,,सूरज क्या उसकी जगह कोई और भी होता तो उसकी भी यही हालत होती क्योंकि उसकी मां अपने कमरे में पूरी तरह से नंगी खड़ी थी उसके बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था इसलिए तो सूरज अपनी मां को देखता ही रह गया,,,लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां कमरे में पहुंचकर अपने कपड़े उतार लिया नहाने के बाद वह नंगी ही अपने कमरे के अंदर तक गई है,,, अपने मन में आए इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए वह कमरे के अंदर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा कि कहीं कोई गिला वस्त्र दिखाई दे दे लेकिन ऐसा कुछ भी कमरे में दिखाई नहीं दिया जिसे लपेटकर उसकी मां कमरे तक आई हो और उसे पूरा यकीन हो गया कि उसकी मनाने के बाद बिना कपड़ों के ही नंगी अपने कमरे के अंदर दाखिल हुई है और इस बारे में सोचकर तो एकदम से उसके लंड की अकड़ बढ़ने लगी,,,।

धड़कते दिल के साथ सूरज कमरे के अंदर के किसी को देख रहा था और उसकी मां छोटे से आईने में अपनी खूबसूरत चेहरे को देख रही थी और उसके बाकी के खूबसूरत अंगों को सूरज चोर नजरों से देख रहा था,,,सुनैना की पीठ दरवाजे की तरफ थी जिसे सूरज को उसकी मां की नंगी चिकनी पीठ और उसकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम साफ दिखाई दे रही थी गांड की लचक एकदम खूबसूरत मटके की तरह थी एकदम गोलाई लिए हुए उसमें बिल्कुल भी भारीपन नहीं था,,, जिससे गांड लटक जाए बल्कि वह एकदम कसाव लिए हुए था,,,जिसे देख कर सूरज का मन विचलित हो रहा था उत्तेजित हो रहा थाऔर उसका मन कर रहा था कि इसी समय कमरे में दाखिल हो जाए और अपनी मां को पीछे से पकड़कर अपनी बाहों में दबोच ले,,, लेकिन वह ऐसा कर नहीं सकता था खेत में जिस तरह से उसनेअपनी मां के नींद में होने का पूरा फायदा उठाकर अपने लंड को उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड से रगड़ कर अपना पानी निकाला था,,, इस समय वही गांड भीगी होने पर और भी ज्यादा खूबसूरत दिखाई दे रही थी लालटेन की पीली रोशनी में तो ऐसा लग रहा था कि जैसे आसमान में कोई चांद चमक रहा हो,,, सूरज इस खूबसूरत नजारे को अपने लंड को अपनी मुट्ठी में दबा दबा कर देख रहा था,,, और उसे इस समय किसी के भी द्वारा उसे देखे जाने का डर नहीं था,,,क्योंकि वह जानता था कि घर में उन तीनों के सिवा और कोई तो था नहीं रानी को पहले ही वह अपनी मां के बारे में चिकनी चुपड़ी बात बात कर उसे मना लिया था कि भविष्य में अगर उन दोनों का राज खुला तो वह इस खेल में वह अपनी मां को भी शामिल कर लेगा ताकि तीनों का राज राज ही बनकर रह जाए,,,, इसलिए वह खूबसूरत नजारे को निश्चिंत होकर देख रहा था।

कुछ देर आईने में अपने आप को देखने के बाद सुनैना नए वस्त्र को पहनने लगी वह नई पेटिकोट निकालकर उसे दोनों हाथों में पकड़ करऊपर से नहीं बल्कि नीचे से अपनी एक-एक पैर उठाकर उसे अंदर की तरफ डाली और एकदम से कमर तक ले आई जिससे एक खूबसूरत दृश्य पर पर्दा से पड़ गया थालेकिन फिर भी पेटिकोट इतनी कसी हुई थी की डोरी बांधने के बाद भी उसकी बड़ी-बड़ी कर पेटीकोट में अपना जलवा बिखेर रही थी,,,सूरज इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि यह खूबसूरत है तेरे से धीरे-धीरे पहन के पीछे छुप जाने वाला हैलेकिन फिर भी इस नजाकत को देखने के लिए उसका मन तड़प रहा था वह लगातार अपनी मां की तरफ देख रहा था और उसकी मां धीरे-धीरे एक-एक करके अपने वस्त्र पहन रही थी पेटिकोट पहने के बाद वह एक खूबसूरत सा ब्लाउज निकाली और उसे पहनने लगीऔर मजे वाली बात यह थी कि वह अपनी दोनों चूचियों को अपने हाथ से पकड़ कर ब्लाउज की गोलाई में डालकर उसे व्यवस्थित कर रही थी,,, अपनी मां की इस हरकत को देखकर उसकी नजाकत को देखकर सूरज को यही समझ में आया था कि उसकी मां की चूची ब्लाउज के नाप सेबड़ी थी जिसे वह अपने हाथ से पकड़ कर उसे व्यवस्थित कर रही थी और यह एहसास होते ही सूरज जोर से अपने लंड को दबोच लिया,,,,।

सुनैना बारी-बारी से अपनी दोनों चूचियों को ब्लाउज के दोनों गोली में डाल चुकी थी लेकिन वह ब्लाउज बटन वाली नहीं बल्कि डोरी वाली थी,,, जिसे पीछे से कस के बांधा जाता थाऔर सुनैना उस डोरी को बांधने की नाकाम कोशिश करने लगी।लेकिन उसका हाथ ठीक से पीछे की तरफ जा नहीं रहा था जिसकी वजह से वह अपने ब्लाउज की डोरी को बांध नहीं पा रही थी काफी देर से वह परेशान हो रही थी,,,,सुनैना को भी लगने लगा कि वह अकेले इस काम को अंजाम नहीं दे पाएगी वह परेशान हो गई थी और इस समय घर पर रानी भी नहीं थी क्योंकि वह पहले ही तैयार होकर चली गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें वह इसलिए उधेड़बुन में थी कि तभी उसके कानों में आवाज सुनाई दी,,,।

लाओ में डोरी बांध देता हूं,,,,,,,।
(यह शब्द जैसे ही उसके कान में पड़े उसका पूरा बदन एकदम से ठंड पड़ने लगा क्योंकि वह इस आवाज को पहचानती थी समझ गई कि दरवाजे पर उसका बेटा खड़ा है,,,,, सुनैनाकी हालत ऐसी थी कि ना तो वह कुछ कर सकती थी और ना ही पीछे पलट कर अपने बेटे की तरफ देख सकती थी वह शर्म से गड़ी जा रही थी,,,, अपने बेटे केइस बात पर वह बिल्कुल भी किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन अपनी मां का जवाब सुने बिना हीसूरज अपनी मां के कमरे में जाकर भर चुका था उसके आने की आहट उसे पूरी तरह से मदहोश कर रही थी सुनैना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,, पीछे पलट कर देखे बिना ही वह इस बात को जान गई थी कि कमरे में उसका बेटा है उसकी आवाज उसकी अाहट वह अच्छी तरह से पहचानती थी,,, सुनैना की सांसें बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, सूरज मन ही मन में मुस्कुराता हुआ धीरे-धीरे अपनी मां के करीब पहुंच चुका था,,,,सुनैना के दोनों हाथ अभी पीछे की तरफ थे और उसके दोनों हाथों की नाजुकों ऊंगलियों में ब्लाउज की डोरी थी,,, और उस डोरी को सूरज जल्दी से जल्द अपने हाथ में ले लेना चाहता था,,,और वह ठीक अपनी मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया था जहां से उसका खुद का भी चेहरा आईने में साफ दिखाई दे रहा था वह आईने की तरफ देखा तो उसकी मां कुछ पल के लिए आईने में देख रही थी लेकिन जैसे ही आईने में दोनों की नजरे टकराई सुनैना शर्म के मारे अपनी नज़रें नीचे झुका ली,,,,।

सूरज अपनी मां की स्थिति को अच्छी तरह से समझ रहा था औरवह समझ गया था कि उसकी मां उसे रोकने वाली नहीं है क्योंकि अगर उसे रोकना होता तो वह तुरंत उसकी तरफ देखती और इस दरवाजे पर ही रोक देती लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ थाऔर सूरज अपना हाथ आगे बढ़कर अपनी मां के हाथों में से उसके ब्लाउज की रेशमी डोरी को अपने हाथ में ले लिया लेकिन डोरी को अपने हाथ में लेते हुएमां बेटे दोनों की उंगलियां आपस में स्पर्श हुई जिससे दोनों के बदन में उत्तेजना का तूफान उठने लगा,,,,आईने में सूरज बराबर देख रहा था आइना कुछ खास बड़ा नहीं था लेकिन उसमें सिर्फ चेहरा ही दिखाई दे रहा था और हल्के से उसकी मां की चूचियों के ऊपरी गहरी लकीर दिखाई दे रही थी अगर आईना बड़ा होता तो उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचीया एकदम से नंगी आईने में उजागर हो जाती। बस यही बात का मलाल सूरज के मन में इस समय हो रहा था,,,,लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था वैसे तो करने को वह इस समय बहुत कुछ कर सकता था मन तो उसका कर रहा था कि इसी समय दोनों डोरी को पकड़ कर वह पीछे सेअपनी मां को अपनी बाहों में भर ले या फिर अपने हाथों से उसका ब्लाउज उतार कर उसका पेटिकोट उतार कर एक बार फिर से उसे पूरी तरह से नंगी कर दे लेकिन ऐसा वह कर नहीं सकता था,,,, और हाथों में लिया हुआ रेशमी डोरी को कहा बांधने लगा और डोरी को कस के पीछे की तरफ खींच कर उसका गिठान बांधने से पहले वह बोला,,,)

इतना ठीक है ना नहीं तो कस के बंध जाएगी तो दुखेगी,,,,।

ठठठ,,,, ठीक है,,,,(उत्तेजना के मारे सुनैना के मुंह में से शब्द नहीं फूट रहे थे,,,,उसकी गहरी गहरी चलती सांसों के चलते उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी,,,,, अपनी मां का जवाब सुनकर आईने में अपनी मां की खूबसूरत शर्म से भरे हुए चेहरे को देखकर मुस्कुराते हुए सूरज बोला)

हां इतना सही रहेगा इसमें तुम्हें आराम भी रहेगा और दुखेगा की नहीं,,,(इतना कहते हुए वहां डोरी की गिंठान बांधने लगा,,,,,उसकी मां को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले लेकिन फिर भी बड़ी हिम्मत करके उसके मुंह से सिर्फ इतना ही निकला,,,)

तू कब आया,,,

मैं तो कब से खड़ा हूं और देख रहा हूं कि तुम अपने हाथ से अपने ब्लाउज की डोरी नहीं बांध पा रही हो,,,,,।

(अपने बेटे का जवाब सुनते ही सुनैना की तो हालत खराब होने लगी,,,,क्योंकि वह जानती थी कि कुछ क्षण पहले वह कमरे में पूरी तरह से नंगी करी थी और उसका बेटा कह रहा था कि वह कब से तुम्हें देख रहा है इसका मतलब था कि वह जब नंगी थी तभी उसका बेटा उसे देख रहा था उसके नंगे बदन को उसका बेटा देख लिया यह सोचकर उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, और वह हैरान होते हुए बोली,,,)

क्या तू कब से खड़ा था,,,!(सुनैना के शब्दों में थोड़ा गुस्साथोड़ी मदहोशी थोड़ी हैरानी सबकुछ साफ दिखाई दे रही थी सूरज को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां इस समय क्या समझ रही है क्या सोच रही है,,,,,, इसलिए वह अपनी मां की शंका को दूर करने के लिए बोला,,,)

मतलब कि जब तुम अपना हाथ पीछे की तरफ करकेब्लाउज की डोरी बांधने की कोशिश कर रही थी तभी मैं आया था क्योंकि शादी में जाने के लिए देर हो रही है वहां जाओगी तो गाना बजाना होगागांव की सभी औरतें शामिल है और तुम्हारे बारे में सब पूछ रहे थे इसलिए मैं जल्दी-जल्दी आया हूं,,,,(ब्लाउज की डोरी को बांधते हुए सूरज बोला,,,और उसकी बातें सुनकर सुनैना को राहत हुई कि उसका बेटा इससे पहले नहीं आया वरना वह उसके नंगे बदन को देख लेता,,,,सुनैना ईस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसके साथ खेत में किस तरह की हरकत कर चुका है उसे पेशाब करते हुए देख चुका है उसकी नंगी गांड पर अपना लंड रगडकर अपना पानी निकाल चुका है,,,, इसलिए उसकी गांड उसके बेटे के लिए कुछ नई नहीं थी लेकिन फिर भी बहुत खुश थीलेकिन उसे इस बात की तसल्ली हुई कि उसका बेटा जब वह कमरे में नंगी थी तब नहीं आया था जब वह कपड़े पहन रही थी तब आया था,,,,सूरज की बात सुनकर सुनैना जल्द से जल्द कमरे से बाहर निकल जाना चाहती थी क्योंकि उसे दिन की हरकत को देखकर उसे इस बात का डर था कि कहीं एकांत पाकर उसका बेटा उसके साथ कोई हरकत ना कर देऔर वह अपने बेटे को रोक नहीं पाएगी क्योंकि उसकी हरकत से वह भी मदहोश हो जाती थी इसलिए वह डोरी बंध जाने के बाद बोली,,,)

चल अब तू उठ जा जल्दी से नहा कर तैयार हो जा मे तैयार हो गई हूं मैं जा रही हूं और तू आते समय दरवाजा बंद करके आना ,,,,।




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ठीक है,,,,,, मैं भी जाकर नहा लेता हूं,,,,(इतना कह कर वह दरवाजे की तरफ घूमने को हुआ किसुनैना तुरंत अपनी नजर पीछे घूमकर अपने बेटे की तरफ अच्छी और उसकी नजर सीधे उसके पजामे में बने तंबू पर पड़ गई उसके तंबू को देखकर सुनैना एकदम से सिहर उठी और कमरे से उसके बाहर जाते हुए जल्दी से साड़ी पहनकरशादी के लिए निकल गई और थोड़ी देर बाद सूरज भी ना हाथ होकर तैयार होकर दरवाजे को अच्छी तरह से बंद करके शादी के लिए निकल गया।)
बहुत ही सुंदर लाजवाब और मादकता से भरा मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
ये लाडो अपनी शादी के पहले सुरज से अपनी परेशानी दुर करने के बैचैन हैं
राणी और सुनैना शादी में जाने के लिये कुछ ज्यादा ही उतावली हैं
ये घर पर सुनैना के कमरें में उसको नग्न अवस्था में देखकर सुरज पुरा उत्तेजीत हो रहा है वही ब्लाऊज की दोर बांधने वाला वाकया बडा ही मस्त हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
 
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