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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

tharkiman

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Disclaimer:
इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है। ये कहानी अनाचार और अनैतिक रिश्तों की कहानी है जिसे सिर्फ आनंद के लिए पढ़े। आपको अनाचार पसंद नहीं तो कृपया ये कहानी बिलकुल भी न पढ़ें। इस कहानी में वर्णित पात्रों की परिस्थितियां, मेडिकल कंडीशन, इलाज और रेकमेंडेशन सब काल्पनिक है। लेखक ने सिर्फ मनोरंजन के लिए ट्रीटमेंट्स और सजेसन डालें हैं । कृपया उन्हें ना आजमाए। बीमारी का इलाज कहानियों के डॉक्टर से नहीं अपने आस पास के असली डॉक्टर से मिलकर करवाएं।
एक और बात ये कहानी थोड़ी स्लो होगी पर रोमांटिक और इरोटिक होगी। मेरी बाकी दो कहानियों में इमोशंस तो थे पर सेक्स ज्यादा। यहाँ सेक्स होगा पर इमोशन और रोमांस कई गुना ज्यादा होगा। मैं नहीं जानता कितनो को पसंद आएगी पर उम्मीद पर ही ये कहानी भी टिकी है। पढ़कर आपको समझ आएगा।
कहानी में रोमांस और इरोटिका चुकी परिवार के सदस्यों के बीच ही है इस लिए इसे इन्सेस्ट सेक्शन में डाला है। अगर आपत्ति हो तो बाद सेक्शन चेंज करने के लिए तैयार हूँ। पर उसके लिए मदद चाहिए होगा।


 
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tharkiman

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ये कहानी अनुराग नाम के एक शख्श की है। अनुराग की उम्र पचास साल है और अभी पिछले महीने ही इनकी पत्नी का देहांत हुआ है। अनुराग का एक भरा पूरा परिवार था। उनकी पत्नी सुलेखा बहुत ही सुन्दर और जिंदादिल महिला थी। दोनों एक दुसरे को बहुत प्रेम करते थे। ये प्रेम ही था जिसकी वजह से इनके तीन बच्चे हुए। शादी जल्दी हुई थी तो बच्चे भी जल्दी जल्दी हुए। दो सुन्दर लड़किया रूबी और वर्षा और एक स्मार्ट लड़का अविनाश
सब माँ पर गए थे। जितना अनुराग और लेखा एक दुसरे को प्यार करते थे उतना ही बच्चे उनको करते थे।
पैतालीस के होते होते अनुराग ने लड़कियों की शादी अच्छे घरों में कर दिया। उनका ससुराल आस पास के शहरों में ही रखा ताकि मिलना जुलना लगा रहे। अविनाश इंजीनियरिंग कर रहा था। कॉलेज पूरा होते ही उसकी नौकरी लग गई। उसने कॉलेज की ही एक दोस्त पसंद कर ली थी। अनुराग और सुलेखा ने उन दोनों की भी जल्दी से शादी करवा दी। साल पूरा होते होते बेटा अवि और बहु तृप्ति कंपनी के तरफ से अमेरिका चले गए।
अनुराग की बड़ी बहन लता और उनका परिवार भी पास में ही दुसरे मोहल्ले में रहता था। उनकी एक ही लड़की थी नैना जो उसी शहर में डॉक्टर थी। नैना अविनाश की हमउम्र थी और बचपन से दोनों एक स्कूल में गए थे। बाद में अविनाश ने इंजीनियरिंग की पर नैना डॉक्टर बनी।
वैसे तो अनुराग सारा काम खुद ही कर लेते थे। घर के काम के लिए नौकरानी भी थी पर लता अक्सर अपने यहाँ से कुछ न कुछ खाना बनाकर ले आती थी या फिर अनुराग के घर आकर बना देती थी। भाई बहन में बहुत प्यार था।
 

tharkiman

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वापस अनुराग पर आते हैं। ऊपर वाले ने अनुराग के दुःख की सीमा तय नहीं की थी। पत्नी सुलेखा के देहांत के महीने बाद ही एक दिन बाजार से आते वक़्त अनुराग को चक्कर सा आया और रोड पर पड़े पत्थर से टकरा कर गिर गए। आस पास वालों ने झट से उन्हें उठाया और किनारे बिठाया। उनके कहने पर मोबाइल से लता का नंबर निकाल कर फ़ोन किया। लता और नैना तुरंत वहां पहुँच गए और उन हॉस्पिटल लेकर गए।
अनुराग को माइनर हार्ट अटैक आया था। पर गिरने की वजह से उनका पैर फ्रैक्चर हो गया था। उनके हॉस्पिटल में एडमिट होने की खबर सुनते ही वर्षा आ गई थी। वर्षा को २ साल का एक बेटा था। रूबी भी प्रेग्नेंट थी। उसकी डिलीवरी एक महीने बाद ही थी तो वो नहीं आ सकी। अविनाश नहीं आ सका क्योंकि उसके प्रोजेक्ट में अर्जेंट डिलीवरी प्लांड थी। उसने बहनो से कहा जैसे ही प्रोजेक्ट ख़त्म होगा वो सपरिवार आएगा।
हॉस्पिटल में डॉक्टर ने हार्ट को लेकर ज्यादा चिंता ना करने को कहा। अटैक माइनर था , दवा चलनी थी। पर पैर में प्लास्टर लगा था। टेस्ट्स में मालूम पड़ा की शरीर में कैल्शियम डेफिशियेंसी है। विटामिन डी भी कम था उस वजह से हड्डियां कमजोर हो गई थी। डॉक्टर ने कहा हड्डियां इतनी कमजोर हैं कि थोड़े से चोट लगने पर टूट सकती हैं। इस लिए अनुराग को अपना ख्याल रखना पड़ेगा और कैल्शियम और विटामिन्स के सप्लीमेंट लेने पड़ेंगे।
एक हफ्ते बाद अनुराग घर वापस आ गए। उनकी देखभाल के लिए वर्षा और लता दोनों ही वहीँ रुके थे। डॉक्टर ने पूरा आराम करने का सलाह दिया था। चलने के लिए स्टिक थी। लता ने अनुराग के कमरे में ही एक चारपाई लगवा ली थी। वैसे तो कोई खास दिक्कत नहीं थी। पर रात में कोई तकलीफ न हो, लता ने उसी कमरे में अपना बिस्तर लगवा लिया था। नैना ने कहा भी की वो अपने जान पहचान के मेल नर्स को भेज देगी। पर लता और वर्षा दोनों ने मना कर दिया।
एक हफ्ता तो ठीक से बीता , पर एक दिन अचानक फिर से अनुराग के सीने में दर्द हुआ। लता ने नैना को फ़ोन किया। आनन फानन में फिर अनुराग को हॉस्पिटल ले जाया गया। वहां फिर से चेक-अप हुआ। सारी रिपोर्ट्स चेक करने के बाद डॉक्टर ने कहा कि हार्ट की कोई दिक्कत नहीं है। ये गैस का दर्द था। कैल्शियम और विटामिन कि दवाइयों का साइड इफ़ेक्ट है। उन्होंने कुछ गैस कि दवाइयां लिखीं। अगले दिन अनुराग घर वापस आ गए। पर नई दवाइयों से भी कोई फायदा नहीं था। अक्सर अनुराग को असहनीय दर्द हो जाता था।
 

tharkiman

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नैना ने अपने स्तर पर डॉक्टर्स से सलाह मशविरा किया। उधर उनके लड़के अविनाश और उसकी पत्नी तृप्ति भी इस बारे में पता लगा रहे थे। तब तक दवा बदल बदल कर चल रही थी।
एक दिन तृप्ति ने नैना को फ़ोन किया।
तृप्ति - नैना , मैंने यहाँ डॉक्टर से पता किया है। उन्होंने सजेस्ट किया है कि कैल्शियम और विटामिन्स की डोज काम कर दें तो गैस की वजह से होने वाली दिक्कत नहीं होगी।
नैना - ये तो यहाँ मेरे सीनियर्स भी कह रहे हैं। पर डोज कम करेंगे तो उसका सप्लीमेंट कैसे देंगे।
तृप्ति - यहाँ के डॉक्टर ने कहा है कि ताजा दूध मिले तो सही रहेगा। उनके रिसर्च के मुताबिक अगर गाय , भैंस का दूध नहीं फायदा करे तो सबसे बढ़िया किसी लेडी का भी दूध रहेगा , जिसके अभी अभी बच्चा हुआ हो।
नैना सोच में पड़ गई। बोली - ये रिसर्च मैंने भी पढ़ा है। पर यहाँ ये संभव नहीं है। उधर तो लेडीज अपना दूध पैक कर बेचती हैं। पर यहाँ कहाँ मिलेगा।
तृप्ति - एक तरीका है। हमें खरीदने कि भी जरूरत नहीं है। पर कहते हुए थोड़ा अजीब लग रहा है ।
नैना - क्या तरीका है।
तृप्ति - वर्षा दी। उनको तो दूध आता है न।
नैना - भाभी , आप क्या बोल रही हो। ऐसा कैसे हो सकता है?
तृप्ति - एक बेटी कि तरह नहीं , डॉक्टर की तरह सोचो।
नैना - फिर भी, क्या वर्षा दी मामा को दूध पिलाने को तैयार होंगी ?
तृप्ति - अरे पागल हो क्या ? मैं डायरेक्ट पिलाने कि बात थोड़े ही कर रही हूँ। मार्किट में पंप आता है। पंप से निकाल कर बोतल में रख देंगी।
वो पापा ले लेंगे।
नैना - फिर भी।
तृप्ति - तुम बुआ से बात करो। वो वर्षा दी से बात करेंगी।
नैना - ठीक है देखती हूँ। पर आप लोग कब आ रहे हैं ?
तृप्ति - तुम्हारे भइआ का प्रोजेक्ट फाइनल स्टेज में है। बस कम्पलीट होते ही एक दो महीने में आते हैं।
नैना - लम्बे समय के लिए आइयेगा।
तृप्ति - हाँ , कम से कम एक महीने के लिए तो आएंगे ही। मौका मिला तो लम्बा भी रुक सकते हैं।
नैना - ठीक है।
तृप्ति - ओके बाई। ध्यान रखा और बुआ से जरूर बात करना।
 

Mass

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Congratulations bhai...for starting the new story...Hope this will be as hot and sexy as the other 2 stories that are ongoing for you. Look forward to the regular updates on all the stories.
Thanks and Good Luck!!

tharkiman
 

Motaland2468

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नैना ने अपने स्तर पर डॉक्टर्स से सलाह मशविरा किया। उधर उनके लड़के अविनाश और उसकी पत्नी तृप्ति भी इस बारे में पता लगा रहे थे। तब तक दवा बदल बदल कर चल रही थी।
एक दिन तृप्ति ने नैना को फ़ोन किया।
तृप्ति - नैना , मैंने यहाँ डॉक्टर से पता किया है। उन्होंने सजेस्ट किया है कि कैल्शियम और विटामिन्स की डोज काम कर दें तो गैस की वजह से होने वाली दिक्कत नहीं होगी।
नैना - ये तो यहाँ मेरे सीनियर्स भी कह रहे हैं। पर डोज कम करेंगे तो उसका सप्लीमेंट कैसे देंगे।
तृप्ति - यहाँ के डॉक्टर ने कहा है कि ताजा दूध मिले तो सही रहेगा। उनके रिसर्च के मुताबिक अगर गाय , भैंस का दूध नहीं फायदा करे तो सबसे बढ़िया किसी लेडी का भी दूध रहेगा , जिसके अभी अभी बच्चा हुआ हो।
नैना सोच में पड़ गई। बोली - ये रिसर्च मैंने भी पढ़ा है। पर यहाँ ये संभव नहीं है। उधर तो लेडीज अपना दूध पैक कर बेचती हैं। पर यहाँ कहाँ मिलेगा।
तृप्ति - एक तरीका है। हमें खरीदने कि भी जरूरत नहीं है। पर कहते हुए थोड़ा अजीब लग रहा है ।
नैना - क्या तरीका है।
तृप्ति - वर्षा दी। उनको तो दूध आता है न।
नैना - भाभी , आप क्या बोल रही हो। ऐसा कैसे हो सकता है?
तृप्ति - एक बेटी कि तरह नहीं , डॉक्टर की तरह सोचो।
नैना - फिर भी, क्या वर्षा दी मामा को दूध पिलाने को तैयार होंगी ?
तृप्ति - अरे पागल हो क्या ? मैं डायरेक्ट पिलाने कि बात थोड़े ही कर रही हूँ। मार्किट में पंप आता है। पंप से निकाल कर बोतल में रख देंगी।
वो पापा ले लेंगे।
नैना - फिर भी।
तृप्ति - तुम बुआ से बात करो। वो वर्षा दी से बात करेंगी।
नैना - ठीक है देखती हूँ। पर आप लोग कब आ रहे हैं ?
तृप्ति - तुम्हारे भइआ का प्रोजेक्ट फाइनल स्टेज में है। बस कम्पलीट होते ही एक दो महीने में आते हैं।
नैना - लम्बे समय के लिए आइयेगा।
तृप्ति - हाँ , कम से कम एक महीने के लिए तो आएंगे ही। मौका मिला तो लम्बा भी रुक सकते हैं।
नैना - ठीक है।

तृप्ति - ओके बाई। ध्यान रखा और बुआ से जरूर बात करना।
Wow Aaj subah hi maine aapse kaha or Aaj hi story shuru bhi kar di thenk u so much Bhai bas ek request hai BAAP beti me sex jaldi se mat kara Dena.or agar possible ho to pics or gif bhi add karna plz plz plz.mera full sport aapke sath hai
 
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ये कहानी अनुराग नाम के एक शख्श की है। अनुराग की उम्र पचास साल है और अभी पिछले महीने ही इनकी पत्नी का देहांत हुआ है। अनुराग का एक भरा पूरा परिवार था। उनकी पत्नी सुलेखा बहुत ही सुन्दर और जिंदादिल महिला थी। दोनों एक दुसरे को बहुत प्रेम करते थे। ये प्रेम ही था जिसकी वजह से इनके तीन बच्चे हुए। शादी जल्दी हुई थी तो बच्चे भी जल्दी जल्दी हुए। दो सुन्दर लड़किया रूबी और वर्षा और एक स्मार्ट लड़का अविनाश
सब माँ पर गए थे। जितना अनुराग और लेखा एक दुसरे को प्यार करते थे उतना ही बच्चे उनको करते थे।
पैतालीस के होते होते अनुराग ने लड़कियों की शादी अच्छे घरों में कर दिया। उनका ससुराल आस पास के शहरों में ही रखा ताकि मिलना जुलना लगा रहे। अविनाश इंजीनियरिंग कर रहा था। कॉलेज पूरा होते ही उसकी नौकरी लग गई। उसने कॉलेज की ही एक दोस्त पसंद कर ली थी। अनुराग और सुलेखा ने उन दोनों की भी जल्दी से शादी करवा दी। साल पूरा होते होते बेटा अवि और बहु तृप्ति कंपनी के तरफ से अमेरिका चले गए।
अनुराग की बड़ी बहन लता और उनका परिवार भी पास में ही दुसरे मोहल्ले में रहता था। उनकी एक ही लड़की थी नैना जो उसी शहर में डॉक्टर थी। नैना अविनाश की हमउम्र थी और बचपन से दोनों एक स्कूल में गए थे। बाद में अविनाश ने इंजीनियरिंग की पर नैना डॉक्टर बनी।
वैसे तो अनुराग सारा काम खुद ही कर लेते थे। घर के काम के लिए नौकरानी भी थी पर लता अक्सर अपने यहाँ से कुछ न कुछ खाना बनाकर ले आती थी या फिर अनुराग के घर आकर बना देती थी। भाई बहन में बहुत प्यार था।
Nice start
 
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वापस अनुराग पर आते हैं। ऊपर वाले ने अनुराग के दुःख की सीमा तय नहीं की थी। पत्नी सुलेखा के देहांत के महीने बाद ही एक दिन बाजार से आते वक़्त अनुराग को चक्कर सा आया और रोड पर पड़े पत्थर से टकरा कर गिर गए। आस पास वालों ने झट से उन्हें उठाया और किनारे बिठाया। उनके कहने पर मोबाइल से लता का नंबर निकाल कर फ़ोन किया। लता और नैना तुरंत वहां पहुँच गए और उन हॉस्पिटल लेकर गए।
अनुराग को माइनर हार्ट अटैक आया था। पर गिरने की वजह से उनका पैर फ्रैक्चर हो गया था। उनके हॉस्पिटल में एडमिट होने की खबर सुनते ही वर्षा आ गई थी। वर्षा को २ साल का एक बेटा था। रूबी भी प्रेग्नेंट थी। उसकी डिलीवरी एक महीने बाद ही थी तो वो नहीं आ सकी। अविनाश नहीं आ सका क्योंकि उसके प्रोजेक्ट में अर्जेंट डिलीवरी प्लांड थी। उसने बहनो से कहा जैसे ही प्रोजेक्ट ख़त्म होगा वो सपरिवार आएगा।
हॉस्पिटल में डॉक्टर ने हार्ट को लेकर ज्यादा चिंता ना करने को कहा। अटैक माइनर था , दवा चलनी थी। पर पैर में प्लास्टर लगा था। टेस्ट्स में मालूम पड़ा की शरीर में कैल्शियम डेफिशियेंसी है। विटामिन डी भी कम था उस वजह से हड्डियां कमजोर हो गई थी। डॉक्टर ने कहा हड्डियां इतनी कमजोर हैं कि थोड़े से चोट लगने पर टूट सकती हैं। इस लिए अनुराग को अपना ख्याल रखना पड़ेगा और कैल्शियम और विटामिन्स के सप्लीमेंट लेने पड़ेंगे।
एक हफ्ते बाद अनुराग घर वापस आ गए। उनकी देखभाल के लिए वर्षा और लता दोनों ही वहीँ रुके थे। डॉक्टर ने पूरा आराम करने का सलाह दिया था। चलने के लिए स्टिक थी। लता ने अनुराग के कमरे में ही एक चारपाई लगवा ली थी। वैसे तो कोई खास दिक्कत नहीं थी। पर रात में कोई तकलीफ न हो, लता ने उसी कमरे में अपना बिस्तर लगवा लिया था। नैना ने कहा भी की वो अपने जान पहचान के मेल नर्स को भेज देगी। पर लता और वर्षा दोनों ने मना कर दिया।
एक हफ्ता तो ठीक से बीता , पर एक दिन अचानक फिर से अनुराग के सीने में दर्द हुआ। लता ने नैना को फ़ोन किया। आनन फानन में फिर अनुराग को हॉस्पिटल ले जाया गया। वहां फिर से चेक-अप हुआ। सारी रिपोर्ट्स चेक करने के बाद डॉक्टर ने कहा कि हार्ट की कोई दिक्कत नहीं है। ये गैस का दर्द था। कैल्शियम और विटामिन कि दवाइयों का साइड इफ़ेक्ट है। उन्होंने कुछ गैस कि दवाइयां लिखीं। अगले दिन अनुराग घर वापस आ गए। पर नई दवाइयों से भी कोई फायदा नहीं था। अक्सर अनुराग को असहनीय दर्द हो जाता था।
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