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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Do you want all characters of the stories to fuck each other or only Anurag should fuck the ladies?

  • Yes - I love everyone to be fucked by everyone

    Votes: 29 44.6%
  • No - I love the love between Anurag, Naina and Varsha. That should be kept sacred

    Votes: 21 32.3%
  • No- Only the Hero should have all the fun

    Votes: 15 23.1%

  • Total voters
    65

Ek number

Well-Known Member
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18,281
173
रात दोनों बहने एक ही कमरे में सोईं। काफी देर तक दोनों में बात चीत होती रही। बचपन की बातें, अनुराग के बीमार होने की बातें। बात चीत करते करते रूबी कब सो गई पता ही नहीं चला पर वर्षा को नींद नहीं आ रही थी। उसकी वजह आज उसके पति और ससुराल वालों की बात भी थी। वो सोच रही थी , कि कितनी ख़राब किस्मत है उसकी कि उसका पति उसकी क़द्र नहीं करता है। पर कमी उसमे नहीं थी , कमी उसके पति में थी। उसका लड़कियों में कोई इंटरेस्ट नहीं था। या फिर कोई और प्रॉब्लम रही होगी। वो वर्षा के पास फटकता भी नहीं था। घर वालों का दबाव था जिसकी वजह से किसी तरह सम्बन्ध बना कर बच्चा हुआ। उसके बाद तो उसने उसके पास आना ही छोड़ दिया।

वर्षा कि हालत उसके ससुराल में कोई समझता था तो सिर्फ उसकी सास। उन्हें कुछ कुछ अंदाजा तो लग गया था। उन्हें भी अपने बेटे से नाराजगी थी। शायद उनके पति यानी वर्षा के ससुर भी वैसे ही थी । खानदानी दिक्कत थी। उन्होंने वर्षा को जब मायके में खुश देखा तो उन्होंने बुलाने कि जिद्द भी नहीं की। वर्षा ने एक आध बार अलग होने की बात की तो उन्होंने चुप्पी लगा ली थी जो एक तरह से मौन सहमति ही थी। वर्षा के मन में अलग होने के लिए थोड़ा संशय था पर आज जब उसने अपने पिता के मुँह से सुना की वो उसका ख्याल रख सकते है और वापस भेजना नहीं चाहते है तो उसका निश्चय पक्का हो गया। उसे अंदाजा नहीं था अनुराग उसे इतना प्यार करते हैं। अब वो उन्हें छोड़ कर जाना नहीं चाहती थी।
अनुराग की याद आते ही उसके पेट के नीचे हलचल होने लगी। उससे ज्यादा उसके सीने में भारीपन होने लगा। उसने घूम कर रूबी की तरफ देखा तो वो सो चुकी थी। रूबी का चेहरा उसकी तरफ था। उसका बच्चा दिवार की तरफ था। सोते समय वो उसे दूध पीला रही होगी उस वजह से उसका टी शर्ट एकदम ऊपर तक था और उसके दोनों स्तन बाहर थे। रूबी सोते समय एक लोअर और पैंट पहनती थी।
जबकि वर्षा सामने से चेन वाली नाइटी। अकसर घर में एक छोटी स्लीव्स में रहती थी जो बड़ी मुश्किल से उसके जांघो तक आते थे। ऊपर एक डोरी के सहारे कंधे से टिके रहते थे। इस कपडे में अनुराग और उसे कभी भी कहीं भी सेक्स करने में सहूलियत रहती थी। रूबी के स्तन वर्षा से बड़े थे। उसका पति उसके स्तन पीता था पर यहाँ अनुराग भी वर्षा के स्तनों से खेलता था। अनुराग ही क्या लता भी खेलती थी। पर रूबी का शरीर शुरू से थोड़ा भरा हुआ था। वो बचपन से गोल मटोल थी। पर शादी से पहले उसने वेट लूज़ किया था। अब बच्चा होने के बाद फिर से उसका शरीर भर गया था। उसके गांड और स्तन सबसे ज्यादा भर गए थे। वर्षा के स्तन थोड़े लटक से गए थेपर रूबी में कसाव था। उसके अलावा रूबी की ख़ास बात ये थी की स्तन के ऊपर का घेरा काफी बड़ा था। उस पर से बड़े बड़े निप्पल।

रूबी की आती जाती साँसों से हिलते स्तनों को देख कर वर्षा का मन किया उसे टच करे पर रूबी के रिएक्शन का अंदाजा नहीं था तो उसने ये विचार छोड़ दिया। फिर उसे अनुराग का ख्याल दोबारा आया और वो धीरे से उठ कड़ी हुई। वो दबे पाँव कमरे से निकली और अनुराग के कमरे की तरफ चल पड़ी।
उधर अनुराग को भी नींद नहीं आ रही थी। वो बिस्तर पर करवटें बदल रहा था। कमरे में आती एक परछाई देखकर अनुराग ने धीरे से कहा - वर्षा ?
वर्षा - श्ससससस। धीरे बोलिये। बड़ी मुश्किल से आई हूँ।
अनुराग फुसफुसाते हुए - रूबी सो गई क्या ?
वर्षा - हाँ।
वर्षा अनुराग के बगल में जैसे ही पहुंची अनुराग ने बेताबी से उसे अपने तरफ खींचा जिससे वो बिस्तर पर गिरते गिरते बची। और उसके मुँह से चीख निकल गई।
चीख सुनते ही रूबी की नींद खुल गई। उसने देखा वरसगा बिस्तर से गायब थी। उसे समझ में आ गया। वो कुछ देर तक लेती लेती सोचती रही क्या करे वो।
उधर वर्षा - क्या कर रहे हो पापा ? आपसे थोड़ा भी सब्र नहीं होता। पता नहीं रूबी जग गई होगी अब तक तो।
अनुराग - क्या करूँ तुझे देख कर बर्दास्त नहीं हुआ।
वर्षा - आप पागल हैं। अभी एक दिन भी नहीं हुआ रूबी को आये हुए और आप इतना बेताब हो गए। आप अपने दिन कैसे काटोगे ?
अनुराग - ऐसे तो मैं दोबारा बीमार पड़ जाऊंगा।
वर्षा - मैं जा रही हूँ। आज रात ऐसे ही काटिये।
वर्षा डर गई थी। वो सच में वापस चली गई। कमरे में पहुंची तो रूबी उठ कर बैठी हुई थी।
रूबी ने वर्षा को देख कर कहा - क्या हुआ ? चीखी क्यों थी ?
वर्षा - अरे यार पानी पीने किचन में गई थी। वहां एक मोटा चूहा था। देख कर डर गई।
रूबी - भगाया की नहीं ? चूहे से तो मुझे भी डर लगता है।
वर्षा - कोशिश तो की। पर कहीं जाकर छुप गया है। सो जा दिन में देखेंगे।
दोनों बहने फिर सो गईं। सुबह एकदम तड़के वर्षा के सीने में दर्द सा उठने लगा। उसके स्तनों में दूध भर चूका था। उसका बेटा तो दूध कम ही पीता था । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने देखा तो रूबी सो रही थी। इस बार रूबी सच में गहरी नींद में थी। वर्षा के सीने में उठता दर्द उसे बेचैन कर रहा था। दूध निकालने या किसी को पिलाने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं था। वो फिर से उठी और अनुराग के कमरे के तरफ चल पड़ी। उसने देखा तो अनुराग ने दरवाजा बंद कर रखा था। शायद उसे रात को गुस्सा आ गया होगा। वर्षा एकदम से रुंआसी हो गई। वो किचन की तरफ चल पड़ी। उसने मज़बूरी में एक भगोना उठाया और चेन खोल कर एक स्तन बाहर निकाल लिया। वो अपने हाथों से अपना दूध निकालने लगी। ऐसा करते करते उसके आँखों में आंसू भी आ गए। उसने काफी समय बाद ऐसा किया था। पंप पहले ही ख़राब हो चूका था। वो सुबकते सुबकते ऐसा कर ही रही थी की तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। वो डर के पलट गई। देखा तो अनुराग खड़े थे। वर्षा को रोते हुए इस हालत में देख कर उसने वर्षा को गले लगा लिया।
वर्षा धीरे से - आप कैसे जगे ?
अनुराग - मैं सोया ही नहीं था। तुमने जब दरवाजे पर नॉक किया तो मैं गुस्से में था। पर तुम्हारे जाने के बाद दरवाजा खोल कर देखा तो तुम्हे इस हालत में पाया। मुझसे रहा नहीं गया।
वर्षा - आपने दरवाजा बंद क्यों किया ?
अनुराग - गुस्से में था।
वर्षा - अब गुस्सा ख़तम ?
अनुराग ने उसे जोर से बाहों में भींचते हुए कहा - हाँ।
इतने जोर सेदबाने पर उसे फिर से दर्द हुआ। अनुराग - क्या हुआ ?
वर्षा - दर्द से बेहाल हूँ।
अनुराग - चलो मैं निकाल देता हूँ।
वर्षा - अब कमरे में चल कर पी लीजिये।
अनुराग - चलो।
वर्षा और अनुराग दोनों कमरे की तरफ चल पड़े। भगोना और उसमे कप भर का दूध वो भूल चुके थे।
कमरे में पहुँच कर अनुराग ने वर्षा से कहा - अब चीखना मत।
वर्षा - आप कोई हरकत मत करना। चलो चुपचाप बिस्तर पर लेट जाओ।
अनुराग बिस्तर पर लेट गया। वर्षा उसके बगल में उसके तरफ करवट लेकर लेट गई और उसने अपना एक स्तन निकाल कर अनुराग के मुँह में दे दिया और कहा - चुप चाप पी जाओ पापा।
अनुराग - हम्म और फिर अनुराग व्यस्त हो गया।
वर्षा और अनुराग इस कदर लेते हुए थे जैसे लग रहा था अनुराग उसका बच्चा हो और वर्षा उसे दूध पीला रही हो। वर्षा अनुराग के बालों में अपने हाथो फेर रही थी और बीच बीच में उसके माथे को भी चूम लेती।
एक स्तन खली होने के बाद अनुराग ने दूसरा स्तन पीना शुरू कर दिया। वो अपने शरीर को अब वर्षा के शरीर से रगड़ रहा था। उसका लंड अपने विकराल रूप में आ चूका था। दोनों अब उत्तेजित थे। पर वर्षा ने संयम रखा हुआ था। वर्षा होश नहीं खोना चाहती थी। क्योंकि उसे पता था चुदाई के वक़्त उसकी सिसकियाँ निकल ही जाती जिससे रूबी के जागने का पूरा डर था। पर वो अनुराग को रिलैक्स रखें चाहती थी । उसने अनुराग के लुंगी से उसका लंड बाहर निकाल लिया और अपने हाथों से मुठी मारने लगी।
अनुराग ने उसकी तरफ देखा और धीरे से कहा - हाथ से क्यों ?
वर्षा - जो हो रहा है होने दीजिये वर्ण रात वाली हालत हो जाएगी।
अनुराग समझ गया। उसने अपने आपको वर्षा के हवाले कर दिया। वो अब उसके स्तनों से खेल रहा था। वर्षा ने उसे ऐसा करने से मन कर दिया। वर्षा ने अनुराग को सीधा लिटा दिया और कहा - आप मुझे मत छेड़िये वर्ण मेरी सिसकी निकल जाएगी और रूबी फिर से जग जाएगी।
अनुराग - उस समय जग गई थी क्या ?
वर्षा - हाँ। उसने पुछा तो कह दिया किचन में चूहा देख लिया था इस लिए डर के चीख निकल गई।
अनुराग - और अब इस चूहे कप प्यार कर रही हो।
वर्षा - चूहा कहाँ ? ये तो मोटा वाला छुछुंदर से भी बड़ा है। प्यार से काबू करना पड़ता है वर्ण सब तहस नहस कर देगा।
अनुराग - रूबी को भी सीखा दे न इसे काबू करना ।
वर्षा - उसे सब हैंडल करना आता है। बस उसे अपने पापा का हथियार सँभालने का शौख नहीं है । वैसे पापा आपको पता है उसके स्तन बहुत बड़े हैं। मेरे से भी बड़े।
अनुराग - हाँ। तभी तो जीजा भी उसे खा जाने वाले नजरों से देख रहे थे।
वर्षा - हिही , आज तो बुआ की खैर नहीं रही होगी।
अनुराग - उफ़ , खैर तो मेरी भी नहीं है। जरा तेज कर बस होने वाला है।
वर्षा ने हाथों की गति बढ़ा दी। कुछ ही देर में अनुराग के लंड ने एक तेज धार छोड़ दी जो की उसके ऊपर ही गिरी। पर कुछ बुँदे वर्षा के नाइटी पर भी गिरी । वीर्य का स्खलन होते ही वर्षा ने अनुराग को ऍबे सीने से लगा लिया। उसकी चूत ने भी बिना किसी सहारे के धार छोड़ दी थी। शांत होने के बाद वर्षा उठी और बोली - लुंगी बदल लीजयेगा।
वर्षा फिर मुश्कुराते हुए अपने कमरे में जाकर सो गई। रूबी अब भी सो रही थी। वर्षा पूरी तरह से रिलैक्स्ड थी। और अनुराग भी।
पर वर्षा ने सही कहा था। लता के घर में वास्तव में उसकी दशा ख़राब हो चुकी थी। वो अब तक जागी हुई थी क्योंकि शेखर ने सोने नहीं दिया था। उन दोनों की वजह से नैना भी नहीं सोइ थी। पर उनके घर की कहानी अगली बार।
Behtreen update
 
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sunoanuj

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रात दोनों बहने एक ही कमरे में सोईं। काफी देर तक दोनों में बात चीत होती रही। बचपन की बातें, अनुराग के बीमार होने की बातें। बात चीत करते करते रूबी कब सो गई पता ही नहीं चला पर वर्षा को नींद नहीं आ रही थी। उसकी वजह आज उसके पति और ससुराल वालों की बात भी थी। वो सोच रही थी , कि कितनी ख़राब किस्मत है उसकी कि उसका पति उसकी क़द्र नहीं करता है। पर कमी उसमे नहीं थी , कमी उसके पति में थी। उसका लड़कियों में कोई इंटरेस्ट नहीं था। या फिर कोई और प्रॉब्लम रही होगी। वो वर्षा के पास फटकता भी नहीं था। घर वालों का दबाव था जिसकी वजह से किसी तरह सम्बन्ध बना कर बच्चा हुआ। उसके बाद तो उसने उसके पास आना ही छोड़ दिया।

वर्षा कि हालत उसके ससुराल में कोई समझता था तो सिर्फ उसकी सास। उन्हें कुछ कुछ अंदाजा तो लग गया था। उन्हें भी अपने बेटे से नाराजगी थी। शायद उनके पति यानी वर्षा के ससुर भी वैसे ही थी । खानदानी दिक्कत थी। उन्होंने वर्षा को जब मायके में खुश देखा तो उन्होंने बुलाने कि जिद्द भी नहीं की। वर्षा ने एक आध बार अलग होने की बात की तो उन्होंने चुप्पी लगा ली थी जो एक तरह से मौन सहमति ही थी। वर्षा के मन में अलग होने के लिए थोड़ा संशय था पर आज जब उसने अपने पिता के मुँह से सुना की वो उसका ख्याल रख सकते है और वापस भेजना नहीं चाहते है तो उसका निश्चय पक्का हो गया। उसे अंदाजा नहीं था अनुराग उसे इतना प्यार करते हैं। अब वो उन्हें छोड़ कर जाना नहीं चाहती थी।
अनुराग की याद आते ही उसके पेट के नीचे हलचल होने लगी। उससे ज्यादा उसके सीने में भारीपन होने लगा। उसने घूम कर रूबी की तरफ देखा तो वो सो चुकी थी। रूबी का चेहरा उसकी तरफ था। उसका बच्चा दिवार की तरफ था। सोते समय वो उसे दूध पीला रही होगी उस वजह से उसका टी शर्ट एकदम ऊपर तक था और उसके दोनों स्तन बाहर थे। रूबी सोते समय एक लोअर और पैंट पहनती थी।
जबकि वर्षा सामने से चेन वाली नाइटी। अकसर घर में एक छोटी स्लीव्स में रहती थी जो बड़ी मुश्किल से उसके जांघो तक आते थे। ऊपर एक डोरी के सहारे कंधे से टिके रहते थे। इस कपडे में अनुराग और उसे कभी भी कहीं भी सेक्स करने में सहूलियत रहती थी। रूबी के स्तन वर्षा से बड़े थे। उसका पति उसके स्तन पीता था पर यहाँ अनुराग भी वर्षा के स्तनों से खेलता था। अनुराग ही क्या लता भी खेलती थी। पर रूबी का शरीर शुरू से थोड़ा भरा हुआ था। वो बचपन से गोल मटोल थी। पर शादी से पहले उसने वेट लूज़ किया था। अब बच्चा होने के बाद फिर से उसका शरीर भर गया था। उसके गांड और स्तन सबसे ज्यादा भर गए थे। वर्षा के स्तन थोड़े लटक से गए थेपर रूबी में कसाव था। उसके अलावा रूबी की ख़ास बात ये थी की स्तन के ऊपर का घेरा काफी बड़ा था। उस पर से बड़े बड़े निप्पल।

रूबी की आती जाती साँसों से हिलते स्तनों को देख कर वर्षा का मन किया उसे टच करे पर रूबी के रिएक्शन का अंदाजा नहीं था तो उसने ये विचार छोड़ दिया। फिर उसे अनुराग का ख्याल दोबारा आया और वो धीरे से उठ कड़ी हुई। वो दबे पाँव कमरे से निकली और अनुराग के कमरे की तरफ चल पड़ी।
उधर अनुराग को भी नींद नहीं आ रही थी। वो बिस्तर पर करवटें बदल रहा था। कमरे में आती एक परछाई देखकर अनुराग ने धीरे से कहा - वर्षा ?
वर्षा - श्ससससस। धीरे बोलिये। बड़ी मुश्किल से आई हूँ।
अनुराग फुसफुसाते हुए - रूबी सो गई क्या ?
वर्षा - हाँ।
वर्षा अनुराग के बगल में जैसे ही पहुंची अनुराग ने बेताबी से उसे अपने तरफ खींचा जिससे वो बिस्तर पर गिरते गिरते बची। और उसके मुँह से चीख निकल गई।
चीख सुनते ही रूबी की नींद खुल गई। उसने देखा वरसगा बिस्तर से गायब थी। उसे समझ में आ गया। वो कुछ देर तक लेती लेती सोचती रही क्या करे वो।
उधर वर्षा - क्या कर रहे हो पापा ? आपसे थोड़ा भी सब्र नहीं होता। पता नहीं रूबी जग गई होगी अब तक तो।
अनुराग - क्या करूँ तुझे देख कर बर्दास्त नहीं हुआ।
वर्षा - आप पागल हैं। अभी एक दिन भी नहीं हुआ रूबी को आये हुए और आप इतना बेताब हो गए। आप अपने दिन कैसे काटोगे ?
अनुराग - ऐसे तो मैं दोबारा बीमार पड़ जाऊंगा।
वर्षा - मैं जा रही हूँ। आज रात ऐसे ही काटिये।
वर्षा डर गई थी। वो सच में वापस चली गई। कमरे में पहुंची तो रूबी उठ कर बैठी हुई थी।
रूबी ने वर्षा को देख कर कहा - क्या हुआ ? चीखी क्यों थी ?
वर्षा - अरे यार पानी पीने किचन में गई थी। वहां एक मोटा चूहा था। देख कर डर गई।
रूबी - भगाया की नहीं ? चूहे से तो मुझे भी डर लगता है।
वर्षा - कोशिश तो की। पर कहीं जाकर छुप गया है। सो जा दिन में देखेंगे।
दोनों बहने फिर सो गईं। सुबह एकदम तड़के वर्षा के सीने में दर्द सा उठने लगा। उसके स्तनों में दूध भर चूका था। उसका बेटा तो दूध कम ही पीता था । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने देखा तो रूबी सो रही थी। इस बार रूबी सच में गहरी नींद में थी। वर्षा के सीने में उठता दर्द उसे बेचैन कर रहा था। दूध निकालने या किसी को पिलाने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं था। वो फिर से उठी और अनुराग के कमरे के तरफ चल पड़ी। उसने देखा तो अनुराग ने दरवाजा बंद कर रखा था। शायद उसे रात को गुस्सा आ गया होगा। वर्षा एकदम से रुंआसी हो गई। वो किचन की तरफ चल पड़ी। उसने मज़बूरी में एक भगोना उठाया और चेन खोल कर एक स्तन बाहर निकाल लिया। वो अपने हाथों से अपना दूध निकालने लगी। ऐसा करते करते उसके आँखों में आंसू भी आ गए। उसने काफी समय बाद ऐसा किया था। पंप पहले ही ख़राब हो चूका था। वो सुबकते सुबकते ऐसा कर ही रही थी की तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। वो डर के पलट गई। देखा तो अनुराग खड़े थे। वर्षा को रोते हुए इस हालत में देख कर उसने वर्षा को गले लगा लिया।
वर्षा धीरे से - आप कैसे जगे ?
अनुराग - मैं सोया ही नहीं था। तुमने जब दरवाजे पर नॉक किया तो मैं गुस्से में था। पर तुम्हारे जाने के बाद दरवाजा खोल कर देखा तो तुम्हे इस हालत में पाया। मुझसे रहा नहीं गया।
वर्षा - आपने दरवाजा बंद क्यों किया ?
अनुराग - गुस्से में था।
वर्षा - अब गुस्सा ख़तम ?
अनुराग ने उसे जोर से बाहों में भींचते हुए कहा - हाँ।
इतने जोर सेदबाने पर उसे फिर से दर्द हुआ। अनुराग - क्या हुआ ?
वर्षा - दर्द से बेहाल हूँ।
अनुराग - चलो मैं निकाल देता हूँ।
वर्षा - अब कमरे में चल कर पी लीजिये।
अनुराग - चलो।
वर्षा और अनुराग दोनों कमरे की तरफ चल पड़े। भगोना और उसमे कप भर का दूध वो भूल चुके थे।
कमरे में पहुँच कर अनुराग ने वर्षा से कहा - अब चीखना मत।
वर्षा - आप कोई हरकत मत करना। चलो चुपचाप बिस्तर पर लेट जाओ।
अनुराग बिस्तर पर लेट गया। वर्षा उसके बगल में उसके तरफ करवट लेकर लेट गई और उसने अपना एक स्तन निकाल कर अनुराग के मुँह में दे दिया और कहा - चुप चाप पी जाओ पापा।
अनुराग - हम्म और फिर अनुराग व्यस्त हो गया।
वर्षा और अनुराग इस कदर लेते हुए थे जैसे लग रहा था अनुराग उसका बच्चा हो और वर्षा उसे दूध पीला रही हो। वर्षा अनुराग के बालों में अपने हाथो फेर रही थी और बीच बीच में उसके माथे को भी चूम लेती।
एक स्तन खली होने के बाद अनुराग ने दूसरा स्तन पीना शुरू कर दिया। वो अपने शरीर को अब वर्षा के शरीर से रगड़ रहा था। उसका लंड अपने विकराल रूप में आ चूका था। दोनों अब उत्तेजित थे। पर वर्षा ने संयम रखा हुआ था। वर्षा होश नहीं खोना चाहती थी। क्योंकि उसे पता था चुदाई के वक़्त उसकी सिसकियाँ निकल ही जाती जिससे रूबी के जागने का पूरा डर था। पर वो अनुराग को रिलैक्स रखें चाहती थी । उसने अनुराग के लुंगी से उसका लंड बाहर निकाल लिया और अपने हाथों से मुठी मारने लगी।
अनुराग ने उसकी तरफ देखा और धीरे से कहा - हाथ से क्यों ?
वर्षा - जो हो रहा है होने दीजिये वर्ण रात वाली हालत हो जाएगी।
अनुराग समझ गया। उसने अपने आपको वर्षा के हवाले कर दिया। वो अब उसके स्तनों से खेल रहा था। वर्षा ने उसे ऐसा करने से मन कर दिया। वर्षा ने अनुराग को सीधा लिटा दिया और कहा - आप मुझे मत छेड़िये वर्ण मेरी सिसकी निकल जाएगी और रूबी फिर से जग जाएगी।
अनुराग - उस समय जग गई थी क्या ?
वर्षा - हाँ। उसने पुछा तो कह दिया किचन में चूहा देख लिया था इस लिए डर के चीख निकल गई।
अनुराग - और अब इस चूहे कप प्यार कर रही हो।
वर्षा - चूहा कहाँ ? ये तो मोटा वाला छुछुंदर से भी बड़ा है। प्यार से काबू करना पड़ता है वर्ण सब तहस नहस कर देगा।
अनुराग - रूबी को भी सीखा दे न इसे काबू करना ।
वर्षा - उसे सब हैंडल करना आता है। बस उसे अपने पापा का हथियार सँभालने का शौख नहीं है । वैसे पापा आपको पता है उसके स्तन बहुत बड़े हैं। मेरे से भी बड़े।
अनुराग - हाँ। तभी तो जीजा भी उसे खा जाने वाले नजरों से देख रहे थे।
वर्षा - हिही , आज तो बुआ की खैर नहीं रही होगी।
अनुराग - उफ़ , खैर तो मेरी भी नहीं है। जरा तेज कर बस होने वाला है।


बहुत ही सुन्दर अपडेट कामुक के साथ भावुक भी वर्षा की सास की सहमति उसके अलगाव का कारण बन सकती है अपने पति से ! और अनुराग का प्यार भी!!

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 
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Chalakmanus

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Update late hone ke karan interest khatam ho raha hai bhai
 

Motaland2468

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Waiting for next update bhai
 
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sunoanuj

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Waiting for next update ?
 

Rinkp219

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Update kab Tak aayega Bhai
 

Chalakmanus

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Bro. Hope you are doing well..!!!
Story is really awesome. The way you have wrote this.. its totally full of excitement.
But have to mention one more thing.. the most bad part is... Update!. It is ruining excitement.
So bro.. either you update all the part of story in one shot or close this forum. Genuinely people are waiting for ur next update from long time. So its better, update all rest part in one shot. And go for next story.
Sorry if i being rude. But i just wanted to tell you that dont let us wait for ur next update everytime. So pls.🙏.
 
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Sushil@10

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रात दोनों बहने एक ही कमरे में सोईं। काफी देर तक दोनों में बात चीत होती रही। बचपन की बातें, अनुराग के बीमार होने की बातें। बात चीत करते करते रूबी कब सो गई पता ही नहीं चला पर वर्षा को नींद नहीं आ रही थी। उसकी वजह आज उसके पति और ससुराल वालों की बात भी थी। वो सोच रही थी , कि कितनी ख़राब किस्मत है उसकी कि उसका पति उसकी क़द्र नहीं करता है। पर कमी उसमे नहीं थी , कमी उसके पति में थी। उसका लड़कियों में कोई इंटरेस्ट नहीं था। या फिर कोई और प्रॉब्लम रही होगी। वो वर्षा के पास फटकता भी नहीं था। घर वालों का दबाव था जिसकी वजह से किसी तरह सम्बन्ध बना कर बच्चा हुआ। उसके बाद तो उसने उसके पास आना ही छोड़ दिया।

वर्षा कि हालत उसके ससुराल में कोई समझता था तो सिर्फ उसकी सास। उन्हें कुछ कुछ अंदाजा तो लग गया था। उन्हें भी अपने बेटे से नाराजगी थी। शायद उनके पति यानी वर्षा के ससुर भी वैसे ही थी । खानदानी दिक्कत थी। उन्होंने वर्षा को जब मायके में खुश देखा तो उन्होंने बुलाने कि जिद्द भी नहीं की। वर्षा ने एक आध बार अलग होने की बात की तो उन्होंने चुप्पी लगा ली थी जो एक तरह से मौन सहमति ही थी। वर्षा के मन में अलग होने के लिए थोड़ा संशय था पर आज जब उसने अपने पिता के मुँह से सुना की वो उसका ख्याल रख सकते है और वापस भेजना नहीं चाहते है तो उसका निश्चय पक्का हो गया। उसे अंदाजा नहीं था अनुराग उसे इतना प्यार करते हैं। अब वो उन्हें छोड़ कर जाना नहीं चाहती थी।
अनुराग की याद आते ही उसके पेट के नीचे हलचल होने लगी। उससे ज्यादा उसके सीने में भारीपन होने लगा। उसने घूम कर रूबी की तरफ देखा तो वो सो चुकी थी। रूबी का चेहरा उसकी तरफ था। उसका बच्चा दिवार की तरफ था। सोते समय वो उसे दूध पीला रही होगी उस वजह से उसका टी शर्ट एकदम ऊपर तक था और उसके दोनों स्तन बाहर थे। रूबी सोते समय एक लोअर और पैंट पहनती थी।
जबकि वर्षा सामने से चेन वाली नाइटी। अकसर घर में एक छोटी स्लीव्स में रहती थी जो बड़ी मुश्किल से उसके जांघो तक आते थे। ऊपर एक डोरी के सहारे कंधे से टिके रहते थे। इस कपडे में अनुराग और उसे कभी भी कहीं भी सेक्स करने में सहूलियत रहती थी। रूबी के स्तन वर्षा से बड़े थे। उसका पति उसके स्तन पीता था पर यहाँ अनुराग भी वर्षा के स्तनों से खेलता था। अनुराग ही क्या लता भी खेलती थी। पर रूबी का शरीर शुरू से थोड़ा भरा हुआ था। वो बचपन से गोल मटोल थी। पर शादी से पहले उसने वेट लूज़ किया था। अब बच्चा होने के बाद फिर से उसका शरीर भर गया था। उसके गांड और स्तन सबसे ज्यादा भर गए थे। वर्षा के स्तन थोड़े लटक से गए थेपर रूबी में कसाव था। उसके अलावा रूबी की ख़ास बात ये थी की स्तन के ऊपर का घेरा काफी बड़ा था। उस पर से बड़े बड़े निप्पल।

रूबी की आती जाती साँसों से हिलते स्तनों को देख कर वर्षा का मन किया उसे टच करे पर रूबी के रिएक्शन का अंदाजा नहीं था तो उसने ये विचार छोड़ दिया। फिर उसे अनुराग का ख्याल दोबारा आया और वो धीरे से उठ कड़ी हुई। वो दबे पाँव कमरे से निकली और अनुराग के कमरे की तरफ चल पड़ी।
उधर अनुराग को भी नींद नहीं आ रही थी। वो बिस्तर पर करवटें बदल रहा था। कमरे में आती एक परछाई देखकर अनुराग ने धीरे से कहा - वर्षा ?
वर्षा - श्ससससस। धीरे बोलिये। बड़ी मुश्किल से आई हूँ।
अनुराग फुसफुसाते हुए - रूबी सो गई क्या ?
वर्षा - हाँ।
वर्षा अनुराग के बगल में जैसे ही पहुंची अनुराग ने बेताबी से उसे अपने तरफ खींचा जिससे वो बिस्तर पर गिरते गिरते बची। और उसके मुँह से चीख निकल गई।
चीख सुनते ही रूबी की नींद खुल गई। उसने देखा वरसगा बिस्तर से गायब थी। उसे समझ में आ गया। वो कुछ देर तक लेती लेती सोचती रही क्या करे वो।
उधर वर्षा - क्या कर रहे हो पापा ? आपसे थोड़ा भी सब्र नहीं होता। पता नहीं रूबी जग गई होगी अब तक तो।
अनुराग - क्या करूँ तुझे देख कर बर्दास्त नहीं हुआ।
वर्षा - आप पागल हैं। अभी एक दिन भी नहीं हुआ रूबी को आये हुए और आप इतना बेताब हो गए। आप अपने दिन कैसे काटोगे ?
अनुराग - ऐसे तो मैं दोबारा बीमार पड़ जाऊंगा।
वर्षा - मैं जा रही हूँ। आज रात ऐसे ही काटिये।
वर्षा डर गई थी। वो सच में वापस चली गई। कमरे में पहुंची तो रूबी उठ कर बैठी हुई थी।
रूबी ने वर्षा को देख कर कहा - क्या हुआ ? चीखी क्यों थी ?
वर्षा - अरे यार पानी पीने किचन में गई थी। वहां एक मोटा चूहा था। देख कर डर गई।
रूबी - भगाया की नहीं ? चूहे से तो मुझे भी डर लगता है।
वर्षा - कोशिश तो की। पर कहीं जाकर छुप गया है। सो जा दिन में देखेंगे।
दोनों बहने फिर सो गईं। सुबह एकदम तड़के वर्षा के सीने में दर्द सा उठने लगा। उसके स्तनों में दूध भर चूका था। उसका बेटा तो दूध कम ही पीता था । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने देखा तो रूबी सो रही थी। इस बार रूबी सच में गहरी नींद में थी। वर्षा के सीने में उठता दर्द उसे बेचैन कर रहा था। दूध निकालने या किसी को पिलाने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं था। वो फिर से उठी और अनुराग के कमरे के तरफ चल पड़ी। उसने देखा तो अनुराग ने दरवाजा बंद कर रखा था। शायद उसे रात को गुस्सा आ गया होगा। वर्षा एकदम से रुंआसी हो गई। वो किचन की तरफ चल पड़ी। उसने मज़बूरी में एक भगोना उठाया और चेन खोल कर एक स्तन बाहर निकाल लिया। वो अपने हाथों से अपना दूध निकालने लगी। ऐसा करते करते उसके आँखों में आंसू भी आ गए। उसने काफी समय बाद ऐसा किया था। पंप पहले ही ख़राब हो चूका था। वो सुबकते सुबकते ऐसा कर ही रही थी की तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। वो डर के पलट गई। देखा तो अनुराग खड़े थे। वर्षा को रोते हुए इस हालत में देख कर उसने वर्षा को गले लगा लिया।
वर्षा धीरे से - आप कैसे जगे ?
अनुराग - मैं सोया ही नहीं था। तुमने जब दरवाजे पर नॉक किया तो मैं गुस्से में था। पर तुम्हारे जाने के बाद दरवाजा खोल कर देखा तो तुम्हे इस हालत में पाया। मुझसे रहा नहीं गया।
वर्षा - आपने दरवाजा बंद क्यों किया ?
अनुराग - गुस्से में था।
वर्षा - अब गुस्सा ख़तम ?
अनुराग ने उसे जोर से बाहों में भींचते हुए कहा - हाँ।
इतने जोर सेदबाने पर उसे फिर से दर्द हुआ। अनुराग - क्या हुआ ?
वर्षा - दर्द से बेहाल हूँ।
अनुराग - चलो मैं निकाल देता हूँ।
वर्षा - अब कमरे में चल कर पी लीजिये।
अनुराग - चलो।
वर्षा और अनुराग दोनों कमरे की तरफ चल पड़े। भगोना और उसमे कप भर का दूध वो भूल चुके थे।
कमरे में पहुँच कर अनुराग ने वर्षा से कहा - अब चीखना मत।
वर्षा - आप कोई हरकत मत करना। चलो चुपचाप बिस्तर पर लेट जाओ।
अनुराग बिस्तर पर लेट गया। वर्षा उसके बगल में उसके तरफ करवट लेकर लेट गई और उसने अपना एक स्तन निकाल कर अनुराग के मुँह में दे दिया और कहा - चुप चाप पी जाओ पापा।
अनुराग - हम्म और फिर अनुराग व्यस्त हो गया।
वर्षा और अनुराग इस कदर लेते हुए थे जैसे लग रहा था अनुराग उसका बच्चा हो और वर्षा उसे दूध पीला रही हो। वर्षा अनुराग के बालों में अपने हाथो फेर रही थी और बीच बीच में उसके माथे को भी चूम लेती।
एक स्तन खली होने के बाद अनुराग ने दूसरा स्तन पीना शुरू कर दिया। वो अपने शरीर को अब वर्षा के शरीर से रगड़ रहा था। उसका लंड अपने विकराल रूप में आ चूका था। दोनों अब उत्तेजित थे। पर वर्षा ने संयम रखा हुआ था। वर्षा होश नहीं खोना चाहती थी। क्योंकि उसे पता था चुदाई के वक़्त उसकी सिसकियाँ निकल ही जाती जिससे रूबी के जागने का पूरा डर था। पर वो अनुराग को रिलैक्स रखें चाहती थी । उसने अनुराग के लुंगी से उसका लंड बाहर निकाल लिया और अपने हाथों से मुठी मारने लगी।
अनुराग ने उसकी तरफ देखा और धीरे से कहा - हाथ से क्यों ?
वर्षा - जो हो रहा है होने दीजिये वर्ण रात वाली हालत हो जाएगी।
अनुराग समझ गया। उसने अपने आपको वर्षा के हवाले कर दिया। वो अब उसके स्तनों से खेल रहा था। वर्षा ने उसे ऐसा करने से मन कर दिया। वर्षा ने अनुराग को सीधा लिटा दिया और कहा - आप मुझे मत छेड़िये वर्ण मेरी सिसकी निकल जाएगी और रूबी फिर से जग जाएगी।
अनुराग - उस समय जग गई थी क्या ?
वर्षा - हाँ। उसने पुछा तो कह दिया किचन में चूहा देख लिया था इस लिए डर के चीख निकल गई।
अनुराग - और अब इस चूहे कप प्यार कर रही हो।
वर्षा - चूहा कहाँ ? ये तो मोटा वाला छुछुंदर से भी बड़ा है। प्यार से काबू करना पड़ता है वर्ण सब तहस नहस कर देगा।
अनुराग - रूबी को भी सीखा दे न इसे काबू करना ।
वर्षा - उसे सब हैंडल करना आता है। बस उसे अपने पापा का हथियार सँभालने का शौख नहीं है । वैसे पापा आपको पता है उसके स्तन बहुत बड़े हैं। मेरे से भी बड़े।
अनुराग - हाँ। तभी तो जीजा भी उसे खा जाने वाले नजरों से देख रहे थे।
वर्षा - हिही , आज तो बुआ की खैर नहीं रही होगी।
अनुराग - उफ़ , खैर तो मेरी भी नहीं है। जरा तेज कर बस होने वाला है।
वर्षा ने हाथों की गति बढ़ा दी। कुछ ही देर में अनुराग के लंड ने एक तेज धार छोड़ दी जो की उसके ऊपर ही गिरी। पर कुछ बुँदे वर्षा के नाइटी पर भी गिरी । वीर्य का स्खलन होते ही वर्षा ने अनुराग को ऍबे सीने से लगा लिया। उसकी चूत ने भी बिना किसी सहारे के धार छोड़ दी थी। शांत होने के बाद वर्षा उठी और बोली - लुंगी बदल लीजयेगा।
वर्षा फिर मुश्कुराते हुए अपने कमरे में जाकर सो गई। रूबी अब भी सो रही थी। वर्षा पूरी तरह से रिलैक्स्ड थी। और अनुराग भी।
पर वर्षा ने सही कहा था। लता के घर में वास्तव में उसकी दशा ख़राब हो चुकी थी। वो अब तक जागी हुई थी क्योंकि शेखर ने सोने नहीं दिया था। उन दोनों की वजह से नैना भी नहीं सोइ थी। पर उनके घर की कहानी अगली बार।
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namedhari

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Update please
 
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