नैना ने अपने स्तर पर डॉक्टर्स से सलाह मशविरा किया। उधर उनके लड़के अविनाश और उसकी पत्नी तृप्ति भी इस बारे में पता लगा रहे थे। तब तक दवा बदल बदल कर चल रही थी।
एक दिन तृप्ति ने नैना को फ़ोन किया।
तृप्ति - नैना , मैंने यहाँ डॉक्टर से पता किया है। उन्होंने सजेस्ट किया है कि कैल्शियम और विटामिन्स की डोज काम कर दें तो गैस की वजह से होने वाली दिक्कत नहीं होगी।
नैना - ये तो यहाँ मेरे सीनियर्स भी कह रहे हैं। पर डोज कम करेंगे तो उसका सप्लीमेंट कैसे देंगे।
तृप्ति - यहाँ के डॉक्टर ने कहा है कि ताजा दूध मिले तो सही रहेगा। उनके रिसर्च के मुताबिक अगर गाय , भैंस का दूध नहीं फायदा करे तो सबसे बढ़िया किसी लेडी का भी दूध रहेगा , जिसके अभी अभी बच्चा हुआ हो।
नैना सोच में पड़ गई। बोली - ये रिसर्च मैंने भी पढ़ा है। पर यहाँ ये संभव नहीं है। उधर तो लेडीज अपना दूध पैक कर बेचती हैं। पर यहाँ कहाँ मिलेगा।
तृप्ति - एक तरीका है। हमें खरीदने कि भी जरूरत नहीं है। पर कहते हुए थोड़ा अजीब लग रहा है ।
नैना - क्या तरीका है।
तृप्ति - वर्षा दी। उनको तो दूध आता है न।
नैना - भाभी , आप क्या बोल रही हो। ऐसा कैसे हो सकता है?
तृप्ति - एक बेटी कि तरह नहीं , डॉक्टर की तरह सोचो।
नैना - फिर भी, क्या वर्षा दी मामा को दूध पिलाने को तैयार होंगी ?
तृप्ति - अरे पागल हो क्या ? मैं डायरेक्ट पिलाने कि बात थोड़े ही कर रही हूँ। मार्किट में पंप आता है। पंप से निकाल कर बोतल में रख देंगी।
वो पापा ले लेंगे।
नैना - फिर भी।
तृप्ति - तुम बुआ से बात करो। वो वर्षा दी से बात करेंगी।
नैना - ठीक है देखती हूँ। पर आप लोग कब आ रहे हैं ?
तृप्ति - तुम्हारे भइआ का प्रोजेक्ट फाइनल स्टेज में है। बस कम्पलीट होते ही एक दो महीने में आते हैं।
नैना - लम्बे समय के लिए आइयेगा।
तृप्ति - हाँ , कम से कम एक महीने के लिए तो आएंगे ही। मौका मिला तो लम्बा भी रुक सकते हैं।
नैना - ठीक है।
तृप्ति - ओके बाई। ध्यान रखा और बुआ से जरूर बात करना।