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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Motaland2468

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Tharki bhai plz story continue kijiye yaar vaise hi baap beti par story kam hi hai or unmese kuchh hi complete hai baki sab adhuri padi hai . main to soch Raha tha tumse keh kar pra6789 Bhai ki garam bahu bhi complete karata par tumne to isko bhi adhuri chhod diya hai bhai plz story continue karo or complete karo
 

Rajizexy

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सबके जाते ही वो तीनो कमरे में वापस आये। वर्षा बोली - आप लोग चाय पिएंगे ? मेरा तो मूड ऑफ हो गया है।
तभी उसका बेटा भागता हुआ आया। बोला - मम्मा , भूख लगी है , दुद्धू दो न।
लता - इसे पीला दे पहले। ये भी भूखा होगा।
वर्षा वही उसे लेकर बैठ गई। उसकी नाइटी ढीली थी तो उसने एक कंधे से उसे निचे किया और अपने स्तन ऊपर से ही निकाल कर अपने बेटे के मुँह में दे दिया।

लता और शेखर आस पास बैठे थे। ख़ामोशी तोड़ते हुए लता बोली - एक बात बता तू सच में नैना को प्यार नहीं करता है न ?
अनुराग उसकी ओर देख कर बोला - दीदी , सच कहूँ आप नाराज तो नहीं होगी ?
लता - नहीं हूँगी, बता। नैना तो सीरियस थी।

अनुराग - मैं भी नैना से बहुत प्यार करता हूँ। आज से नहीं जब से सुलेखा थी तब से। जवानी की दहलीज पर कदम रखते हुए जब उसने मेरी और सुलेखा की जिंदगी में कदम रखा तब से। बस मैंने खुद पर काबू किया हुआ था। मैं इस नन्ही और कोमल परी को तकलीफ नहीं देना चाहता था। आपको पता है , जब किसी लड़के ने स्कूल में उसके बढ़ते हुए स्तनों को देख कर टॉन्ट मारा था आकर सुलेखा के सामने बहुत रोइ थी। तभी से मैं उसे किसी भी तरह से छूना भी नहीं चाहता था। एक लड़के के कमेंट से जब वो इतना आहत हो सकती थी तो सोचिये वो तो मेरी मेरी बेटी जैसी थी।
वर्षा - ये जानते हुए भी की वो तुमसे प्यार करती है ?
अनुराग - वो मुझे प्यार करती है , ये तो बाद में पता चला पर वो मुझसे और सुलेखा से पर्दा नहीं करती थी। उसने शरीर में होते बदलाव और उनसे खुद कैसे मजे लिए जाए ये सब मेरे सामने सुलेखा से सीखा। बाद में बड़े होने के बाद वो सुलेखा से जिद्द करती की हम उसके सामने सेक्स करें। सुलखा तो जैसे इसके लिए तैयार बैठी थी पर मैं मना करता रहा। पर अंत में उसके जिद्द के सामने हार माननी पड़ी ।
लता - ओह्ह , तो तुम और सुलेखा उसके सामने सेक्स कर चुके हो।
अनुराग - हाँ नैना की ही जिद्द थी।
वर्षा - हीहीहीहीहीही , बुआ एक बार नहीं कई बार। और वही नहीं हम सब भी कान लगाए रहते थे।
लता - हाय रब्बा।
वर्षा - जानती हैं उसके बाद वो माँ से प्यार करती थी। माँ के चूत को चाटती थी और बाद में हमें भी हिस्सा देती थी।
लता - ये तो सुलेखा को पता ही होगा। वो ये सब डाइरेक्ट तुम सबके साथ क्यों नहीं करती थी। मेरी ही लड़की को क्यों बिगाड़ा।
वर्षा - ऐसा क्यों बोलती हैं बुआ। उन्होंने बिगाड़ा कहाँ ? आप ये तो सोचिये हम्मारी क्लास की साड़ी लड़कियों के चक्कर थे। सबके कोई न कोई बॉयफ्रेंड थे और वो सब उनके साथ सेक्स करती थी। कई तरह के एक्सपेरिमेंट। पर हम तीनो ने कभी नहीं किया। बल्कि आपकी बेटी आज तक वर्जिन है। माँ ने कभी भी पेनिट्रेट नहीं किया और पापा बता ही चुके हैं की आजतक उसे छुआ नहीं है।
अनुराग - हाँ , मैंने कभी नहीं छुआ पर उसने छुआ।
लता - क्या मतलब ? अब खरबूजे पर छुरी चले या छुरी खरबूजे पर कटेगा तो खरबूजा ही न।
अनुराग - दीदी वो सिर्फ लंड चूस लेती थी। मैंने बहुत मना किया पर सुलेखा को ऐसा करता देख उसे जिद्द चढ़ गई फिर उसने एक दिन सुलेखा को हटा कर खुद ही पूरा चूस लिया।
वर्षा - जब आप लोग इतना कर चुके हो तो फिर ये ड्रामा कैसा ? दुबारा क्यों दुरी बना ली।
अनुराग - मैं उसे पसंद तो करता था , पर जितना भी कुछ सम्बन्ध था वो सब सुलेखा के सामने थे। अकेले में मैंने उसे कभी हाथ भी नहीं लगाया। एक दो बार उसने कोशिश की तो मैंने मन कर दिया। सुलेखा के जाने के बाद मैं उसके याद में इतना खो सा गया की सब भूल गया। नैना ने एक आध बार मुझे सांत्वना देने की कोशिश की , मेरे नजदीक आने की कोशिश की पर मैंने उसे मना कर दिया। मैं अपने आप में गम हो गया। अकेलापन अच्छा लगने लगा। मेरे इस व्यवहार को देख कर वो भी मुझसे दूर हो गई।
वर्षा - पर वो आपको टूट कर प्यार करती है। उसने भी खुद को एक सेल में बंद कर लिया। सिवाय हमारे वो किसी से बात नहीं करती थी।
लता - हाँ सुलेखा के बाद तो उसने हमसे भी बात करनी बंद कर दी थी।
वर्षा - पर माँ ने आपसे वादा लिया था उसका ख्याल रखने का। और उसे भी कहा था।
अनुराग - तुम्हारी माँ ने कहा था। ये भी कहा था की मैं उससे शादी कर लूँ। उन्हें पता था की नैना किसी और से ना ही प्यार कर पायेगी और ना ही शादी। उन्हें ये भी पता था की मैं भी अकेला रह जाऊंगा। इसी लिए उसने वादा लिया था की सब तैयार हो तो शादी कर लू । पर मेरी कभी हिम्मत ही नहीं हुई। मई धीरे धीरे वो भूल भी गया। उसकी याद ही मुझे अच्छी लगने लगी थी। लगता था सुलेखा मेरे साथ ही है।
वर्षा - अगर ये एक्सीडेंट नाही हुआ होता तो शायद वो तड़पती रहती और आप भी।
लता - पर तू उससे प्यार करता है ?
अनुराग ने सर झुका लिया और कहा - हाँ। बहुत ज्यादा। मुझे पता है वो मेरे बिना नहीं रह पायेगी। और मैं उसके बिना।
लता - पर इतना ही प्यार है तो फिर मेरे साथ और वर्षा के साथ ?
अनुराग - ये भी उसी की जिद्द थी। पता नहीं उसके दिमाग में क्या चल रहा है। वर्षा के अकेलेपन को शायद वो जानती थी इसी लिए उसने मुझे उसके साथ जोड़ने की कोशिश की होगी। और तुम्हारे साथ तो हो गया।
वर्षा थोड़ी दुखी हो गई। लता बोली - तू हम दोनों से प्यार नहीं करता ?
अनुराग ने लता को बाहों में भर लिया और कहा - आप सब मेरी जान हो। प्यार तो आपसे भी करता हूँ और वर्षा तो सुलेखा की झलक देती है। ये भी एक वजह हो सकती है नैना की मेरे और वर्षा को साथ करने की।
लता - बड़ी अजीब जिद्दी लड़की है। ना जाने क्या क्या और कराएगी।
वर्षा - बुआ , मान जाओ। अब तो मालूम पड़ गया ये दोनों प्यार करते हैं। और पापा तो उसके बचपन का प्यार हैं। आपने उसकी हालत तो देखि है। अभी तो कैसे करके उसकी ख़ुशी वापस आई है। मुझे तो वो माँ की तरह पसंद है। हीहीहीहीही
लता ने सर पर हाथ रख लिया और कहा - हम्म।
वर्षा उठी। उसका बेटा अपने कमरे में जा चूका था और वहां खिलोने से खेल रहा था। वर्षा बोली - चाय बनाती हूँ।
लता - दूध मत डालना।
वर्षा हँसते हुए - मानोगी नहीं।
लता - अगर मान गई तो तो तू फूफा के साथ कर लेगी ?
वर्षा - क्या मतलब ?
लता - अगर मैं नैना और अनु की शादी के लिए राजी हो जाऊं तो तू फूफा और पापा के बीच सैंडविच बनेगी ?
वर्षा ने कुछ देर चुप्पी रखी और कहा - मालिक और मालकिन को दिक्कत न हो तो।
लता ने अनुराग की तरफ देखा और कहा - वो मुझे बहुत प्यार करते हैं। और मुझे ही नहीं नैना और तुझे भी। उन्हें हम दोनों के सम्बन्ध का पहले दिन से पता था। और वो वर्षा के यहाँ आने से पहले से ही तुम्हारे और नैना की शादी के लिए तैयार थे। शायद कुछ तो सुलेखा ने उनसे कहा था। इस लिए ये शर्त उनकी नहीं है। बल्कि मेरी भी नहीं है। ये तो वर्षा ने खुद ही कह दिया था। जो हम सबको इतना प्यार करता हो उसका कुछ तो हक़ है।
अनुराग - अगर वर्षा को कोई दिक्कत नहीं तो मुझे भी दिक्कत नहीं। नैना से पूछ लेना। आखिर उसकी बेटी का सवाल है।
लता हँसते हुए - अभी हाँ हुई नहीं की बीवी बना लिया। सुबह जब पुछा था तभी कह दिया होता तो वहीँ सब हो जाता।
लता का हल्का मूड देख कर अनुराग ने उसे किस कर लिया और कहा - ये बताओ , मेरी सास बनोगी या बेटी की ननद।
लता - जो भी बनु , चोदना छोड़ देगा क्या ?
अनुराग ने उसकी मुम्मे दबाते हुए कहा - नहीं , अभी तक बहन चोदता था , फिर सास समझ कर चोदूँगा।
लता - मादरचोद बनेगा।
अनुराग - धत्त
लता - क्यों सास भी तो माँ के सामान होती है। माँ होती तो चोद लेता ? ये बता कभी तूने माँ के बारे में भी ऐसा सोचा क्या ?
वर्षा तब तक चाय लेकर आ गई। बोली - चलो लगता है सास मान गई हैं। भाई अब बहनचोद के अलावा सास चोद भी बनेगा।
लता ने कहा - पहले बेटीचोद था ये। चल आ दूध दे।
वर्षा - रुको , बेटू का कमरा बंद करके आती हूँ।
जब वो वहां पहुंची तो उसका बेटा खेलते खेलते सो चूका था। उसकी उसे बिस्तर पर लिटाया और कमरा लगा कर वापस आ गई।
सोफे के पास आकर उसने अपने नाइटी को भी उतार दिया। अब वो जन्मजात नंगी थी। आकर वो सेण्टर टेबल पर दोनों हाथ के सहारे चौपाया सी बन गई। बोली - बुआ या तो दुहवा लो या दूह लो।
लता - दुह्वाउंगी भी , पर पहले तुझे दूह लूँ। सुबह भी चाय बेकार हो गई थी।

लता ने चाय की प्याली उसकी स्तनों के नीचे रख दिया और खुद आगे झुक कर वर्षा के स्तनों से दूध की धार निकालने लगी। स्थिति ऐसी थी की वर्षा सेंटर टेबल एक साइड से झुक कर दूध निकलवा रही थी और लता अनुराग के बिलकुल पास से झुक कर उसकी स्तनों से दूध निकाल रही थी। लता के झुके हुए होने से उसका गांड एकदम उभर गया था। साडी पहने होने के वावजूद एकदम सेक्सी लग रही थी वो। अनुराग का मन नहीं माना। उसने अपना हाथ उसकी पिछवाड़े पर रख दिया।
लता - क्या कर रहा है , हटा हाथ।
अनुराग - तुम्हारी गांड देख कर तो लंड भी खड़ा हो गया है , आप हाथ हटाने की बात कर रही है ,
वर्षा - पापा , आप पिछवाड़ा देख रहे हैं , आगे देखिये इनके लटकते थान ब्लॉउज फाड़ कर बाहर आ रहे हैं।
अब अनुराग उठ कर टेबल पर ही बैठ गया। उसकी सामने दो दो मस्त मुम्मे वाली गदराई माल अपने मुम्मे लटका कर झुकी हुई थी। उसने एक हाथ लता के मुम्मे पर और दूसरा वर्षा के मुम्मे पर रख दिया।
वर्षा - पापा ब्लॉउज खोल दुह लीजिये अपनी सास को।
लता - चुप रह। मुझे चाय नहीं खराब करवानी है।
वर्षा - बुआ चाय तो मैं फिर बना दूंगी। वैसे भी आप चाय पीने सुबह सुबह तो दौड़ी नहीं आई थी।
लता - उफ़ तुम माँ बेटी और बाप सब हरामी हो। अनुराग हटा हाथ। देख दूध बाहर जा रहा है।
अनुराग अब आप खो चूका था। उसने चाय के प्याले टेबल से हटा दिया और और खुद उनके स्तनको के नीचे आ गया। वो लता के ब्लॉउज खोलने लगा। खोलते खोले उसने लता से कहा - जरा दूध मेरे मुँह में दूहो। उसने अपना मुँह खोल दिया।
लता ने वर्षा के स्तनों के धार को अनुराग के मुँह की तरफ मोड़ दिया। अब स्थिति ये थी की अनुराग सेंटर टेबल पर पूरा लेता हुआ था। वर्षा की चूचियां उसके मुह के पास थी। लता भी सेंटर टेबल पर झुकी हुई अवस्था में थी और उसका ब्लॉउज खुला भर था। ब्रा तो वो पहनती नहीं थी। वो वर्षा के स्तनों को दबा रही थी और अनुराग उसके स्तनों को।
वर्षा - पापा मजा आता अगर बुआ के भी दूध निकलते है ना ।
अनुराग - उम् उम् , हाँ सच में बस मेरे ऊपर धार ही धार होती।
लता - धार तो होगी ही इंतजार किस बात की। बस रूबी मान जाये किसी तरह से।
कुछ देर की चुसाई के बाद वर्षा चुदाई के लिए तैयार थी।
वो बोली - पापा , सिर्फ हमारा दूध पीएंगे , अपना लॉलीपॉप भी दीजिये।
अनुराग - लेले आकर , रोका किसने है। इसी बहाने मुझे भी तेरी मुनिया का रस मिल जायेगा ।

अब वर्षा अनुराग के ऊपर लेट गई । उसका सर अनुराग के लंड की तरफ था और उसने उसे मुँह में भर लिया। उसकी छूट अनुराग के मुँह के पास थी जिसे लपक कर अनुराग ने चाटना शुरू कर दिया। अब लता खाली थी पर उसके सामने वर्षा की चौड़ी गांड थी। वो अब वहां पहुँच गई जहाँ पहले वर्षा झुक कर खड़ी थी यानी की वर्षा के गाड़ के ठीक पीछे। वर्षा की गांड भी बहुत मस्त थी। इस समय और भी मस्त लग रही थी क्योंकि उसने टेबल पर उसे अनुराग के चेहरे के दोनों तरफ फैलाया हुआ था। लता ने पहले तो कुछ देर उसके गांड को सहलाया। उसका सहलाना वर्षा को बहुत अच्छा लगा। फिर लता के मन में ना जाने क्या आया उसने अपनी एक ऊँगली अपने मुँह में डाली और थूक से अच्छी तरह भिगोने के बाद वर्षा के गांड के छेड़ के पास लेजाकर टिका दिया। वर्षा को उसक ऊँगली की चुभन थोड़ी अच्छी लगी। उसके मुँह से हलकी सी सिसकारी निकल गई। वो आनंद के सागर में गोते लगाने ही जा रही थी तभी लता ने अपनी ऊँगली उसके गांड के छेद में घुसा दिया।
वर्षा- अरे पापा रे , ये क्या किया बुआ , बाहर निकालो दर्द हो रहा है।
वो अनुराग का लंड चूसना भूल गई थी। वर्षा - बुआ , निकालो प्लीज।
लता - अभी ऊँगली जाने पर दर्द हो रहा है तू तो मेरे मरद का लंड लेने को तैयार बैठी थी। ऐसे थोड़े ही दे पायेगी।
वर्षा - बुआ , प्लीज। पापा आ मन करो न।
लता - ठीक है मैं निकाल लुंगी पर अपनी शर्त भूल जाओ। तुम दोनों बाप बेटी ने जो मेरी बेटी चोदने का प्लान बनाया है , कहते में पड़ जायेगा।
वैसे भी जानेमन ये दर्द शुरआत का है अभी थोड़ी देर में मजा आने लगेगा।
लता ने अनुराग को गुर्राते हुए कहा - बेटीचोद , रुक क्यों गया। उसकी चूत चाटना जारी रख। मजा दे उसे, ऐसे ही थोड़े उसकी गांड मार पायेगा।
अनुराग वापस उसके चूत चाटने में लग गया। लता अब हलके हलके से अपनी ऊँगली अंदर बाहर करने लगी।
वर्षा - बुआ प्लीज , रहने दो न। क्या चाहती हो तुम ?
लता - चाहती तो तुम थी न। बहन को माँ बनाना। अब गांड मरवानी पड़ेगी। मैं तो मदद कर रही हूँ। फूफा से पहले तेरे बाप से मरवाने में मदद कर रही हूँ । क्यों अनुराग , मारेगा अपनी बेटी की गांड। मस्त है।
वर्षा को अब मजा आने लगा था। उसने धीरे धीरे अपने गांड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया।
वर्षा - पापा मेरी क्लीट को चूसो न। हाँ ऐसे ही। उफ्फफ्फ्फ़। सक ईट। इस्सस। बुआ कर लो ऊँगली जितनी करनी है। तुम्हारी गांड भी मरवाउंगी। बेटीचोद आज बेंगन डाल दूंगी तुम्हारे गांड में। उफ्फ्फ
लता - पहले अपने बाप का लौड़ा गांड में ले फिर बैंगन देना।
वर्षा - पापा , और तेज जीब अंदर डालो। बुआ तुम्ही एक ऊँगली चूत में डालो न। जब चोद रही हो तो ठीक से चोदो। पापा आप क्लीट चुसो।
लता ने अपने दुसरे हाथ की एक ऊँगली वर्षे के चूत में घुसा दिया। अब वो अपने दोनों हाथो को तेजी से चलाने लगी।
लता - तेरे फूफा होते तो अभी तेरा दूध पी रहे होते। आज मस्त चाय मिस कर दी उन्होंने।
वर्षा - चाय की तो बारी ही नहीं आई है यही तक बुआ। । आह आह अब मेरा होने वाला है। पापा माआ देखो बुआ ने आज मेरी क्या हालत कर दी है।
माँ को याद करते करते वर्षा का शरीर कांपने लगा। उसके बदन के निचले हिस्से में कोई जान ही नहीं रही। उसने अपना पूरा भार अनुराग के ऊपर डाल दिया। लता की उंगलिया अब भी उसके दोनों छेदो में थी पर अनुराग का चेहरा पूरा गीला हो चूका था। उसके चूत ने खूब सारा पानी उड़ेल दिया था। कुछ देर के बाद जब वो शांत हुई तो उसने धीरे से लता से कहा - बुआ - अब ऊँगली तो निकालो।
लता - निकालूंगी तो पापा का लौड़ा लेगी ना।
वर्षा - फिर आप नैना और पापा के रिश्ते के लिए तैयार हो ?
लता ने ऊँगली निकाल ली और कहा - लगभग।
वर्षा भी अब अनुराग के ऊपर से उठी और वहीँ निचे बैठ गई। बोली - ये लगभग क्या होता है ?
लता - जब अपने बाप का लंड अपने गांड में और फूफा का अपने चूत में लेकर पूछेगी तो पूरा जवाब दूंगी।
वर्षा - तब जाकर मुकर गई तो ?
लता - तेरा बाप मेरी बेटी छोड़ देगा क्या ?
वर्षा ने लता के होठों को चूमते हुए कहा - आई लव यू बुआ।
लता - ये प्यार ही तो सब करा रहा है। चल चाय पीला। मैं बेटू को देखती हूँ।
वर्षा - रहने दो अभी।
लता - गांड मरवायेगी क्या फिर ?
वर्षा उठ कर किचन में गई और कहती है - जिसे मारना है मार ले।
ये सुन अनुराग उठने लगा तो लता ने उसका हाथ पकड़ लिया। कहा - रुक थोड़ा सबर रख। अबकी तो ढंग की चाय पी लेने दे।
अनुराग - तुम्हारी चाय गई गांड मराने , अभी नहीं किया तो बिदक जाएगी। आओ जरा उसके गांड में मक्खन लगाओ। अबकी ऊँगली नहीं लौड़ा जाने वाला है।
लता भी उठते हुए बोली - पता नहीं ये जीजा साले क्या खा कर पैदा हुए थे। जब देखो तब या तो चूत के या गांड के पीछे पड़े रेट हैं। ना नाज़े ये घोडा मेरी बेटी का क्या हाल करेगा ? लता ने फ्रीज से मक्कन निकाल लिया और एक कटोरी में लेकर उसे हल्का सा गरम करने लगी। तब तक अनुराग अपना लंड उसके पीछे लगा चूका था। उसके हाथ वर्षा के स्तनों पर था।
वर्षा - पापा ठीक से दबाआइये। जब निकाल ही रहे हैं तो चाय के भगोने में गिराइये। जब तक आप मेरी लेंगे बुआ भी चाय पीकर तैयार हो जाएँगी।
अनुराग - तुम्हारी चिकनी गांड देख कर रहा नहीं जा रहा पर बात तो माननी पड़ेगी।
वर्षा - आप मुझे शेयर करने को तैयार हैं ?
अनुराग - मन नहीं है पर तुमने शर्त रख दी है और बुआ भी अब जिद्द पर आ गई हैं। वैसे भी जीजा जी घर के ही हैं। उन्होंने भी बहुत साथ दिया है। इतने दिनों तक रोल प्ले से काम चलाया है। थोड़ा भला हो जायेगा। घर की ही बात है।
लता ने अब थोड़ा मक्कन हाथ में लिया और उसे अच्छे से रगड़ लिया और अनुराग से कहा - हट।
वर्षा ने कहा - १ मिनट आपकी चाय हो गई है।
लता - बंद कर दे, मैं छान लुंगी।
लता ने मक्काः उसके गांड पर लगाया। फिर पास घी के कनस्तर से थोड़ा घी निकाल कर अनुराग के लंड पर चुपड़ दिया और कुछ धार वर्षा के गांड पर। लता - ले तेरी घोड़ी तैयार है। कर ले सवारी।
वर्षा - पापा आराम से।
अनुराग - चीन मत कर दर्द होगा तो बता देना निकाल लूंगा।
वर्षा - अब डाल दो , दर्द होगा , मैं चीखूँ तो भी मत निकालना।
अनुराग ने अपना लंड उसके चिकने हो चुके गांड पर रगड़ा फिर उसके छेद पर सेट कर दिया। लता के अनुभवी हाथो का कमाल था , धीरे धीरे उसका लंड जाने लगा।
वर्षा - पप्पाआआ कितना मोटा है। उफ्फ्फ्फ़
अनुराग - रुक जॉन क्या ?
वर्षा - कहा था न , रुकना नहीं है।
अनुराग ने थोड़ा लंड जैसे ही गया दुसरे झटके में पूरा घुसा दिया।
वर्षा - मायआअअअअअ , फाड़ दी मेरी गांड। उफ्फ्फ।
अनुराग कुछ देर तो वैसे ही रहा , फिर उसने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। लता ने अपनी चाय छान ली थी। वो वर्षा के टैंगो के बीच बैठ गई। उसे पता था की वर्षा को मजा दिलाने के लिए उसे भी काम करना पड़ेगा। पर उसने पहले वर्षा के ताजे ताजे दूध की बनी चाय पी फिर वो अपने काम पर लग गई।
अब अनुराग के धक्के तेज हो चुके थे। इधर लता वर्षा के चूत में अपनी एक ऊँगली डाल चुकी थी और उसकी जीभ उसके क्लीट को तेजी से हिला रहा था।
वर्षा - आह आह। पापा और तेज। पता नहीं था इतना मजा आता है। बुआ खा जाओ मेरी चूत को। तुम दोनों भाई बहन मिलकर जन्नत में ली जा रहे हो मुझे। आह उफ्फ्फ। माँ देखो तुम्हारी बेटी उडी जा रही है। उफ़ आह आह
अनुराग ने उसके बाल पकड़ लिए था जैसे घोड़ी की लगाम हो और वो उस पर सवारी कर रहा हो। वर्षा से अब बर्दास्त से बाहर हो रहा था।
उसकी चूत पानी निकाल चुकी थी। वो एक बार तो स्खलित हो चुकी थी पर आनंद के सागर में गोते लगाने की वजह से पता ही नहीं चला। अनुराग का लंड भी अब जवाब देने वाला था। उसने झटके तेज कर दिए। कुछ ही देर में वर्षा का शरीर फिर से कांपने लगा। उसके चूत ने भरभरा कर पानी छोड़ दिया। उसके पेअर कांपने लगे थे। उसकी हालत देख अनुराग के लंड ने भी अपना माल उसके गांड में उड़ेल दिया। अनुराग ने उसके कांपते सहारे को पकड़ कर आगे स्लैब के सहारे कर दिया जिस पर वो अधलेटी अवस्था में लेट गई। कुछ देर बाद अनुराग का लंड सिकुड़ गया और उसने उसे बाहर निकाल लिया और वही जमीन पर लता के गोद में सर रख कर लेट गया।
लता - मजा आया ?
अनुराग - बहुत। क्या मस्त गांड है इसकी। मजा आ गया।
वर्षा - हाँ आपको तो जरूर आया होगा। मेरी तो हालत खराब है। वो भी धीरे से निचे बैठ गई।
लता - दर्द से नहीं , मजे से। देख इतने मजे में थी की सवाल भी भूल गई अपना।
वर्षा - सवाल तो पता है। जवाब दे ही दो।
लता - जवाब तुझे पता ही है। इतने शक्तिशाली और प्यार करने वाले मर्द को कौन अपनी बेटी नहीं देना चाहेगा। देख कितना प्यार करता है। मुझे पता है बहुत खुश रखेगा। बोल रखेगा ना।
अनुराग - तुम सबको खुश रखूँगा दीदी। सबको।
Nice story👌👌👌👌💯💯💯 💦💦
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Waiting for next update… aise toh inke papa ka ilaz adhura rah jayega….
 
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