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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Do you want all characters of the stories to fuck each other or only Anurag should fuck the ladies?

  • Yes - I love everyone to be fucked by everyone

    Votes: 22 43.1%
  • No - I love the love between Anurag, Naina and Varsha. That should be kept sacred

    Votes: 19 37.3%
  • No- Only the Hero should have all the fun

    Votes: 10 19.6%

  • Total voters
    51

tharkiman

Active Member
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124
उस रोज के बाद से वर्षा और रूबी घर में थोड़ा फ्री हो गईं। वर्षा धीरे धीरे अपने पुराने रूप में आने लगी। बेटे को अनुराग के सामने दूध पिलाना और ढीले ढाले छोटे कपडे पहनना ये सब उसने फिर से शुरू कर दिया। पर नाइटी , शॉर्ट्स और स्लीव्स के अंदर ब्रा पैंटी रहती थी। रूबी भी अनुराग के सामने अपने बच्चे को दूध पिलाती थी पर अधिकांशतः दुपट्टा डाले रहती थी। दोनों बहने आपस में एन्जॉय कर लिया करती थी पर अनुराग की हालत खराब थी। कभी कभार उसे किसी तरह से वर्षा को चोदने का मौका तो मिलता पर सब जल्दी बाजी में होता।

इसका अंदाजा नैना को तो था ही। वो अब अक्सर अनुराग के यहाँ आ जाती और अनुराग को लेकर घूमने निकल जाती। रूबी ने ये सब करके अनुराग को नैना के और नजदीक ला दिया था।

एक दिन शाम को अनुराग तैयार होकर कमरे से बाहर निकला तो दोनों बहनेउसे देख कर चौंक उठीं।
वर्षा - पापा कहीं जा रहे हैं क्या ?
अनुराग - हाँ, नैना को किसी ग़ज़ल सिंगर के कॉन्सर्ट का पास मिला था , उसने चलने को कहा तो मैं वहीँ जा रहा हूँ। डिनर भी बाहर करूँगा।
रूबी ने सीटी बजाते हुए कहा - डिनर डेट , वाऊ।
वर्षा दुखी होते हुए बोली - आपने पहले नहीं बताया।
अनुराग - अरे उसका फ़ोन अभी अभी आया था। उसका भी प्लान नहीं था। वो तो कोई क्लिनिक में आया था उसने थमा दिया।
रूबी - कमिनी ने हम दोनों में से किसी को नहीं बताया।
अनुराग - अरे मैंने कहा था कि तुम दोनों में से किसी को ले जाए पर पास दो ही थे किसे ले जाती। अब युद्ध तो नहीं कराना था न।
रूबी - अभी से आप छोटी माँ कि इतनी तरफदारी करने लगे। वर्षा दी , हमारी सौतेली माँ आ जाएगी तो हमारा जीना दुर्भर हो जायेगा।
अनुराग हँसते हुए - सुधरेगी नहीं।
रूबी - देखिये आपका चेहरा लाल हो गया ये सुनकर। बुआ से बात करनी ही पड़ेगी।
अनुराग निकलते हुए बोला - भाई तुम दोनों मजाक करो मैं चलता हूँ।

उसके जाने के बाद रूबी वर्षा के पास गई और उसके गाल सहलाते हुए बोली - कुछ जल रह है।
वर्षा - मैं क्यों जलूं भला। वैसे भी अब जल्दी से पापा को नैना से शादी कर लेनी चाहिए। हम तो वैसे भी मेहमान हैं।
रूबी - तुम तो उस दिन कह रही थी अब तलाक ले लोगी।

वर्षा ये सुनकर रोने लगी। उसका मन दुखी हो गया था। वो सच में अपने पिता के घर से नहीं जाना चाहती थी। उसे ये तो पता था कि अनुराग और नैना कि शादी होगी ही। नैना ने अनुराग के लिए बहुत त्याग किया था और उसके प्यार कि तुलना में दोनों बहने कहीं से भी आती थी। पर वो भी अपने पिता से बहुत प्यार करती थी और इधर जब से अनुराग बीमार पड़ा था वर्षा उसके करीब आ गई थी। उसने पत्नी की तरह ही सेवा की थी। वर्षा को रोते देख रूबी भी दुखी हो गई। वो वर्षा के दुःख को समझती थी। ना चाहते हुए भी उसके मुँह से ऐसा कुछ जरूर निकल जाता था जिससे वर्षा और दुखी हो जाती थी। उसे गिल्ट होने लगा।

रूबी - मुझे माफ़ कर दो दीदी। मेरा मतलब वो नहीं था।
वर्षा - रहने दे । तेरा कोई दोष नहीं है। जब मेरी किस्मत ही इतनी ख़राब है तो किसी का क्या दोष।
रूबी - दीदी मुझे नहीं पता था तुम पापा को इतना पसंद करने लगी हो।
वर्षा रोते हुए - तुझे अभी कुछ नहीं पता है। और तुझे फर्क भी क्या पड़ता है। बचपन में पापा के लिए तरसती थी पर अब जब प्यार करे वाले पति और ससुराल वाले हैं तो तुझे क्या चिंता। पर मैं तेरे लिए खुश हूँ। कोई तो है इस घर में जो खुश है।
रूबी - दीदी , मुझे नहीं पता तुम क्या कहना चाहती हो। पर पापा को मैं भी बहुत प्यार करती हूँ और उनकी ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है।
वर्षा सुबकती रही। रूबी चुप बैठी थी। तभी नैना का फ़ोन वर्षा के पास आया।
नैना - दी , तुम सब जल्दी से तैयार हो जाओ। मैंने कॉन्सर्ट के दो टिकट का और जुगाड़ कर लिया है। मामा और मैं आ रहे हैं तुम सबको लेने।
वर्षा - अरे रहने दो नैना। हमारे साथ बच्चे भी हैं।
नैना - अरे वहां बच्चों के खेलना का प्ले एरिया भी है। बढ़िया अरेंजमेंट है। वैसे भी ग़ज़ल है शांति से सुनेंगे। दोनों तो सुनकर ही सो जायेंगे।
ये सुनकर वर्षा हंस पड़ी। उसने रूबी से कहा - फटाफट तैयार हो जाओ , हम भी चल रहे हैं।
रूबी - वाह , इसका मतलब हमारी सौतेली माँ को हमारा भी ख्याल है।

ये सुनकर वर्षा हंस पड़ी।

दोनों तैयार होने लगी। दोनों ने सुन्दर सी साडी पहन ली। कुछ ही देर में नैना और अनुराग दोनों को लेने के लिए आये। नैना ने भी एक सुन्दर सी साडी पहनी हुई थी। उनके साथ लता और शेखर भी थे। नैना ने पुरे परिवार के आउटिंग का जुगाड़ कर लिया था। लता को देख कर वर्षा का बीटा एकदम खुश हो गया। इधर बीच लता नहीं आ रही थी तो उसे उसकी याद भी आ रही थी। सबके इस तरह खुश देख कर रूबी को खुद पर गुस्सा आ रहा था। उसकी हरकतों की वजह से सब थोड़े दूर हो गए थे। पर दूरियों से प्रेम बढ़ता ही है।

वर्षा मन ही मन नैना की तारीफ कर रही थी। कितनी आसानी से उसने सबको एक साथ किया था। उसे एक पल को लगा था कि शायद वो अनुराग से दूर हो जाएगी पर नैना सबको जोड़ कर रखने वाली थी। सुलेखा युहीं नहीं उसे मानती थी। नैना ने भी सुलेखा के सब गुण सीखे थे।

नैना कि एसयूवी में सब अंट गए। नैना ड्राइव कर रही थी और बगल में अनुराग। बीच वाले सीट पर वर्षा और रूबी अपने बच्चों के साथ और सबसे पीछे शेखर और लता। शेखर का ध्यान रूबी पर था पर लता उसे तिरछी नजरों से समझा चुकी थी। वो नहीं चाहती थी कि कोई भी ऐसी हरकत हो जिससे माहौल बिगड़े। पर लता को भी क्या पता था कि रूबी आज क्या करतब दिखाएगी।

सभी कॉन्सर्ट में पहुँच गए। बैठने का ऐसे हुआ कि सबसे पहले किनारे कि तरफ वर्षा बैठी फिर अनुराग बैठा और उसके बाद नैना। नैना के बगल में रूबी और उसके बाद लता। सबसे लास्ट में शेखर। शेखर रूबी के पास बैठना चाह रहा था पर लता रूबी से डरी हुई थी।

कॉन्सर्ट शुरू हुआ और रोमांटिक ग़ज़ल बजने लगी। रोमांटिक गजल के सुनते ही वर्षा और नैना दोनों के मन से भावनाओं का ज्वार फुट पड़ा। एक तरफ वर्षा ने अपने पिता के हाथों को अपने हाथ में ले लिया तो दूसरी तरफ नैना ने अनुराग के कन्धों पर सर रख दिया। रूबी मन ही मन तीनो की हालत देख मुश्कुरा रही थी। पर शेखर का ध्यान रूबी की तरफ ही था। साडी में आज वो कमाल लग रही थी। गोद में उसका बच्चा था जो उसकी साडी को अस्त व्यस्त कर दे रहा था। शेखर और रूबी के बीच में बैठी लता ये सब महसूस कर रही थी। लता ने वर्षा के बेटे को लिया हुआ था। शेखर ने लता से मिन्नतें की वो किसी तरह से रूबी के बगल में बैठ जाए। पर लता डर रही थी की कहीं कोई गलत कदम से रूबी भड़क ना जाये और ये शाम ख़राब हो जाये। पर अंत में उसे शेखर के जिद की वजह से झुकना पड़ा। वो बाथरूम के बहाने उठी और शेखर भी साथ में उठ गया। लौटने के बाद दोनों ने सीट बदल ली। शेखर रूबी के बगल में और लता लास्ट में। रूबी ने जब ये देखा तो शेखर के साथ उसने चुहल करने को सोची। उसका बीटा अब भूखा था। उसने वैसे ही रूबी से दूध की डिमांड कर दी थी। वैसे तो रूबी बैग में दूध की बोतल लेकर आई थी पर उसने बोतल के बजाये अपनी साडी खिसकाई और धीरे से बल्लूज के निचे के दो हुक खोल कर अपने मुम्मे बाहर निकल लिए। वैसे तो उसने इस तरह से निकला था की शेखर को दिखे नहीं पर शेखर के लिए यही काफी था। बच्चा दूध पीने लगा। वो साथ ही साथ हाथ भी चला रहा था तो रूबी के स्तन बाहर ही आ गए थे। कुछ देर तो रूबी ने ढकने की कोशिश की पर अंत में उसने छोड़ दिया। अब शेखर की हालत ख़राब हो गई थी। तभी उसके बचे ने सीट पर सर रख दिया। उसे चोट न लगे शेखर ने अपनी हथेली उसके सर के निचे रख दिया। रूबी ने धीरे से थैंक यू बोला। पर शेखर अब उसके स्तन पर हाथ लगा पा रहा था।

कुछ देर बाद उसके बच्चे का पेट भर गया तो सोने लगा। रूबी भी थक गई थी।
उसने शेखर से कहा - फूफा जी आप इसे कुछ देर ले लजिए।
शेखर - हाँ क्यों नहीं।

रूबी ने अपने स्तनों को बिना ढके पहले शेखर की गोद में अपना बच्चा दिया और उस चक्कर में शेखर ने उसके स्तनों को खूब छुआ। रूबी उसकी हरकतों से अनजान बानी रही। उसे गोद में देने के बाद रूबी ने अपना ब्लॉउज बंद किया और गीत सुनने लगी।

उधर वर्षा और नैना दोनों यही सोच रहे थे की ये वक़्त ख़त्म न हो। अनुराग को भी ये काफी अच्छा लग रहा था। पर अच्छा समय ज्यादा देर तक थोड़े ही रहता है। कॉन्सर्ट ख़त्म हुआ उसके बाद ये डिसाइड हुआ की सब डिनर बाहर ही करेंगे। सब एक होटल में पहुंचे वहां शेखर और अनुराग अगल बगल बैठे। शेखर के बगल में लता। सामने की तरफ लता के सामने वर्षा ,उसके बाद नैना और फिर रूबी रूबी के बगल में दोनों बच्चे थे।

खाना आने से पहले सब आपस में बात कर रहे थे। तभी रूबी ने नैना से कहा - आज तो खूब आशिकी हुई तुम्हारी।
नैना - चुप कर। सब बैठे हैं।
रूबी - अच्छा , वहां तो शर्म नहीं थी। खैर ये बता तेरे साथ ये वर्षा दी सौतन क्यों बनी थी।
नैना - तू कुछ ज्यादा दिमाग नहीं लगा रही ?
रूबी - इसमें दिमाग लगाने वाली बात क्या है। पापा के तो सब दीवाने थे।
नैना - हाँ , तू भी तो थी। पर आजकल पता नहीं क्या हो गया है तुझे।
रूबी - तुझे सब पता है।
नैना - अब ज्यादा हो रहा है। बस कर।
रूबी - थोड़े दिन और।
उधर लता ने वर्षा से कहा - और अपने फूफा को कब दे रही हो ?
वर्षा - बुआ , आप चुप रहिये।
लता - क्या चुप रहूं। तेरे चक्कर में मेरी रोज मार रहे हैं।
वर्षा - मेरे चक्कर में या रूबी के? आज उससे बड़ा सट रहे थे।
लता - तुझे तो पता है दूध के दीवाने हैं। और सुना अनु को दे रही है न ?
वर्षा - कहाँ बुआ ये रूबी की बच्ची ने पूरा पहरा बिठा रखा है।
लता - देखना कहीं फिर से तबियत न ख़राब हो अनुराग की।
वर्षा - क्या ही कहूं।

खैर डिनर हुआ और सब घर की ओर लौट आये। सबने खूब मजे लिए थे। रात अच्छी थी। अनुराग , नैना और वर्षा ऐसी ही रातों की कल्पना करके सो गए। पर शेखर ने रूबी को याद करते हुए लता को खूब पेला। लता रूबी को कोस रही थी।
 
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