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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

tharkiman

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वर्षा तो अनुराग के साथ एक राउंड कर चुकी थी पर रूबी की हालत खराब थी। एक तो उसने छुप कर इन दोनों की चुदाई भी देखि थी उसके बाद ससुराल वालों ने गरम कर दिया था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसके मन में एक बार तो आया की जाकर अनुराग और वर्षा के खेल में शामिल हो जाये पर वो जल्दीबाजी नहीं करना चाहती थी। वो बस करवटें बदल रही थी। तभी कमरे में वर्षा भी आ गई। वर्षा ने देखा की रूबी जगी हुई है तो एक मिनट को तो वो डर ही गई। वो सोचने लगी की कहीं उसने उसे और अनुराग को देख तो नहीं लिया। पर अब उसके मन से भी डर ख़त्म ओने लगा था। उसने गर्दन झटके और रूबी से पुछा - सोइ नहीं अभी तक ?
रूबी - पहले दोनों बच्चों ने परेशान किया फिर उसके बाद पतिदेव से बात करने लगी।
वर्षा मुश्कुराते हुए उसके बगल में लेट गई और बोली - पति की याद आ रही है मैडम को।
रूबी ने अपना एक पेअर वर्षा के कमर पर रखा और एक हाथ उसके मुम्मे पर और कहा - हाँ , मादरचोद ने आग लगा दी है।
वर्षा - कितनी गन्दी गाली दे रही है।
रूबी - हम तो एक दुसरे के साथ खुल कर मजे करते हैं। इनको माँ बहन की गालियां भी पसंद है। कई बार तो रोले प्ले करके चुदाई भी की है।
ये सब सुनकर वर्षा फिर से गरम होने लगी। पर वो रूबी के सामने कमजोर नहीं दिखना चाहती थी। उसने करवट बदल ली। उसके करवट लेते ही रूबी ने उसके मुम्मे पकड़ लिए और दबाते हुए बोली - दीदी , दूध पिलाओ न।
वर्षा - धत्त। पागल हो गई है क्या ?
रूबी - हाँ , आज बहनचोद ने पागल कर दिया है। पिलाओ न। भूल गई क्या वादा किया था हम दोनों ने एक दुसरे से।
वर्षा - वो बचपना था रे।
रूबी - प्लीज। देखो न तुम्हारे मुम्मे बाह रहे हैं। एकदम दुधारू गाय की तरह दूध की धार निकल रही है।
सच में रूबी के हाथ लगाते ही वर्षा के थनों से दूध की धार बाह निकली थी। उसके बेटे ने भी ज्यादा दूध नहीं पीया था और आज अनुराग भी चुदाई पर ही भिड़ा था। उसके स्तनों में दूध भरा हुआ था।
वर्षा - अब कोई हाथ लगाएगा तो निकलेगा ही। वैसे भी बेटू ने दूध कहाँ पिया। तुम्हारे कमरे में आते ही भाग कर यहाँ आ गया था।
रूबी - उसने आज मुझसे पिया। दोनों भाई मेरे थनों से एक साथ दूध पिए।
ये सुनकर वर्षा रूबी की तरफ घूम गई और बोली - क्या ?
रूबी ने उसके गालो पर हाथ फेरते हुए कहा - तुम नाराज तो नहीं हो न ?
वर्षा ने भी उसके गालो पर हाथ रखा और कहा - माँ सी तो हो उसमे क्यों बुरा मानूंगी ?
रूबी ये सुकर वर्षा से चिपक गई और उसके होठों पर होठ लगा कर बोली - आई लव यू।
वर्षा ने इस बार उसे रोका नहीं और उसके होठों को किस करके बोली - आई लव यू टू।
दोनों एक दुसरे से लिपट गईं। रूबी - दीदी दो न।
वर्षा - किस जिद्द में आ गई।
रूबी - प्लीज।
वर्षा ने कुछ नहीं कहा और रूबी का सर पकड़ कर अपने स्तनों से लगा दिया। रूबी उसके स्तनों से एक बच्चे की तरह लग गई। पर आग तो रूबी के आदर भी लगी हुई थी। उसके स्तनों से भी दूध बहने लगा। बिस्तर गीला होते देख दोनों चौंक गईं। फिर कुछ सोच कर वर्षा बैठ गई। रूबी उसके गोद में सर रख लेती है और उसके मुम्मो को चूसने लगती है। वर्षा भी झुक जाती है और रूबी के मुम्मो पर मुँह लगा देती है। अब दोनों बहने एक दुसरे का दूध पी रही थी।
बीच बीच में दोनों सिसकारी लेती तो वर्षा बोलती - चुप कर आराम से पी। पापा ना आ जाएँ ।
रूबी - उन्हें भी पीला देंगे। बहुत दूध है। वैसे भी उन्हें ये फायदा करेगा। दवाइयां कुछ काम ही हो जाएँगी।
ये बात रूबी ने जान बुझ कर कही थी। और ऐसे कही थी जैसे उसे कुछ पता ही न हो। पर उसकी ये बात सुन वर्षा सोच में पड़ गई। वो सोचने लगी की रूबी के आने से पहले तो अनुराग रोज दो तीन टाइम पीता ही था पर अब ये नहीं हो पा रहा था। और रूबी की बात सुन कर वो सोच में पड़ गई की कहीं सच में उनका दूध बंद होने से कहीं उसके पिता की तबियत फिर से न खराब हो जाए।
जहाँ वो अपने पिता के बारे में सोच रही थी वहीँ रूबी एक कदम आगे बढ़ा चुकी थी। उसने अब वर्षा के मुम्मे चूसना छोड़ दिया था और उसकी नाइटी ऊपर उठा कर जांघो को किस करने लगी थी। दोनों बहने कुछ ही देर में सिक्सटी नाइन की पोजीशन पर आ गईं दोनों की नाइटी कमर तक सिमट चुकी थी और दोनों एक दुसरे के चूत में घुस गईं थी।
रूबी - दीदी तुम्हारी चूत का स्वाद तो बढ़ गया है।
वर्षा - उफ्फ्फ्फ़ , हाँ। तेरा भी स्वाद मस्त हो गया है। जरा ठीक से चाट। अंदर जीभ कर न।
रूबी - इस्सस , तुम तो और एक्सपर्ट हो गई हो। लगता है रोज चाटती हो। उफ्फ्फ।
दोनों सिसकारियां ले रही थी। वर्षा ने रूबी के क्लीट को मुँह में भर लिया था। दरअसल रूबी की क्लीट लम्बी थी और बड़े आराम से उसे चूसा जा सकता था। उसने बचपन से ही सीख लिया था की असली मजा क्लीट में है। उसकी सास को भी उसकी क्लीट चूसने में मजा आता था। अब रूबी स्खलित होने वाली थी।
रूबी - हाँ , और जोर से। खींचो। खा जाओ उसे। उफ्फ्फ। दीदी काट लो साली को। आह आह हां , बस मैं आनी वाली हूँ।
वर्षा ने अपनी एक ऊँगली उसके चूत में डाल दी थी। रूबी के शरीर ने जोरदार झटका लेना शुरू किया। उसने वर्षा के मुँह को अपने दोनों जांघो के बीच में फंसा लिया और जोरदार तरीके से झड़ने लगी। रूबी जब शांत हुई तो देखा वर्षा अब सीढ़ी हो चुकी थी और उसने अपने पैरों को रूबी के पैरों में फंसा लिया था। रूबी बचपन की यादों में खो गई। दोनों अपने पैरों को कैंचीनुमा अंदाज में फंसा कर चूत को रगड़ा करती थी। वर्षा यही करने वाली थी। रूबी सीधी हो गई। उसने अपना एक पेअर थोड़ा ऊपर कर लिया और कुछ ही देर में वर्षा घुटनो के बल बैठ गई। अब दोनों की चूत एक दुसरे से सटे हुए थे। रगड़े फिर से चालु हो गई।
रूबी - साली चो। चोद मुझे। मुझे पता है तू प्यासी है। चोद ले मुझे तभी शांति मिलेगी।
वर्षा - हाँ बहनचोद , तू तो झड़ गई। मुझे तो शांत कर दे। रगड़। हाँ और तेज।
दोनों एक दुसरे को माँ बहन की गालियां देने लगी और रगड़ने लगी। कुछ ही देर में वर्षा भी स्खलित हो गई। हाँफते हाँफते दोनों एक दुसरे के बगल में लेट गईं।
रूबी - मजा आया ?
वर्षा - बहुत।
रूबी - कितने दिनों बाद हम एक दुसरे से ऐसे मिले हैं।
वर्षा ने उसके माथे को चूमा और कहा - तू आने के बाद से अजीब बिहैव कर रही थी। मुझे लगा अपने पति के प्यार में बदल गई है।
रूबी - यार , उस मादरचोद ने तो और खराब कर दिया है। मैं थोड़ा पापा से दरी हुई थी। याद है बचपन में कितना डांटते थे हमें ऐसी हालत में पकड़ने पर।
वर्षा - तू भी तो काम शैतान नहीं थी दरवाजा खुला छोड़ करके चीखती थी। जान बूझ कर करती थी ताकि वो हमें नंगी हालत में देखें और डांटे।
रूबी हँसते हुए - हाँ। बहुत सीधे हैं पापा। वरना हम जैसी लड़कियां हो और नैना जैसी भांजी तब भी अकेले हैं।
वर्षा फिर से उदास हो गई और बोली - हाँ। बहुत अकेले हैं। अब नैना की शादी के लिए बुआ मान जाएँ तो पापा को साथ मिले।
रूबी - तुम इतने महीनो से हो , तुमने कुछ चर्चा नहीं छेड़ी ?
वर्षा - यार बुआ से थोड़ा डर लगता है।
रूबी को तो सब पता था पर वो चुप ही रही। वर्षा ने भी सफ़ेद झूठ बोल दिया था। वो कैसे कहती की अब उसे बुआ की चूत चाटने में मजा आता है। और बुआ भी अब नैना के लिए मान गईं हैं। घर में क्या चल रहा है वो अभी रूबी को बताना नहीं चाहती थी। और रूबी भी धीरे धीरे खुलना चाहती थी। वो नहीं चाहती थी की उसके पापा ये सोचें की उसकी लड़कियां एकदम से रंडी हैं। वो चाहती थी परिवार में सब खुलें पर धीरे धीरे। यही सब सोचते सोचते दोनों बहने एक दुसरे के बाँहों में सो गईं।
 

Motaland2468

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वर्षा तो अनुराग के साथ एक राउंड कर चुकी थी पर रूबी की हालत खराब थी। एक तो उसने छुप कर इन दोनों की चुदाई भी देखि थी उसके बाद ससुराल वालों ने गरम कर दिया था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसके मन में एक बार तो आया की जाकर अनुराग और वर्षा के खेल में शामिल हो जाये पर वो जल्दीबाजी नहीं करना चाहती थी। वो बस करवटें बदल रही थी। तभी कमरे में वर्षा भी आ गई। वर्षा ने देखा की रूबी जगी हुई है तो एक मिनट को तो वो डर ही गई। वो सोचने लगी की कहीं उसने उसे और अनुराग को देख तो नहीं लिया। पर अब उसके मन से भी डर ख़त्म ओने लगा था। उसने गर्दन झटके और रूबी से पुछा - सोइ नहीं अभी तक ?
रूबी - पहले दोनों बच्चों ने परेशान किया फिर उसके बाद पतिदेव से बात करने लगी।
वर्षा मुश्कुराते हुए उसके बगल में लेट गई और बोली - पति की याद आ रही है मैडम को।
रूबी ने अपना एक पेअर वर्षा के कमर पर रखा और एक हाथ उसके मुम्मे पर और कहा - हाँ , मादरचोद ने आग लगा दी है।
वर्षा - कितनी गन्दी गाली दे रही है।
रूबी - हम तो एक दुसरे के साथ खुल कर मजे करते हैं। इनको माँ बहन की गालियां भी पसंद है। कई बार तो रोले प्ले करके चुदाई भी की है।
ये सब सुनकर वर्षा फिर से गरम होने लगी। पर वो रूबी के सामने कमजोर नहीं दिखना चाहती थी। उसने करवट बदल ली। उसके करवट लेते ही रूबी ने उसके मुम्मे पकड़ लिए और दबाते हुए बोली - दीदी , दूध पिलाओ न।
वर्षा - धत्त। पागल हो गई है क्या ?
रूबी - हाँ , आज बहनचोद ने पागल कर दिया है। पिलाओ न। भूल गई क्या वादा किया था हम दोनों ने एक दुसरे से।
वर्षा - वो बचपना था रे।
रूबी - प्लीज। देखो न तुम्हारे मुम्मे बाह रहे हैं। एकदम दुधारू गाय की तरह दूध की धार निकल रही है।
सच में रूबी के हाथ लगाते ही वर्षा के थनों से दूध की धार बाह निकली थी। उसके बेटे ने भी ज्यादा दूध नहीं पीया था और आज अनुराग भी चुदाई पर ही भिड़ा था। उसके स्तनों में दूध भरा हुआ था।
वर्षा - अब कोई हाथ लगाएगा तो निकलेगा ही। वैसे भी बेटू ने दूध कहाँ पिया। तुम्हारे कमरे में आते ही भाग कर यहाँ आ गया था।
रूबी - उसने आज मुझसे पिया। दोनों भाई मेरे थनों से एक साथ दूध पिए।
ये सुनकर वर्षा रूबी की तरफ घूम गई और बोली - क्या ?
रूबी ने उसके गालो पर हाथ फेरते हुए कहा - तुम नाराज तो नहीं हो न ?
वर्षा ने भी उसके गालो पर हाथ रखा और कहा - माँ सी तो हो उसमे क्यों बुरा मानूंगी ?
रूबी ये सुकर वर्षा से चिपक गई और उसके होठों पर होठ लगा कर बोली - आई लव यू।
वर्षा ने इस बार उसे रोका नहीं और उसके होठों को किस करके बोली - आई लव यू टू।
दोनों एक दुसरे से लिपट गईं। रूबी - दीदी दो न।
वर्षा - किस जिद्द में आ गई।
रूबी - प्लीज।
वर्षा ने कुछ नहीं कहा और रूबी का सर पकड़ कर अपने स्तनों से लगा दिया। रूबी उसके स्तनों से एक बच्चे की तरह लग गई। पर आग तो रूबी के आदर भी लगी हुई थी। उसके स्तनों से भी दूध बहने लगा। बिस्तर गीला होते देख दोनों चौंक गईं। फिर कुछ सोच कर वर्षा बैठ गई। रूबी उसके गोद में सर रख लेती है और उसके मुम्मो को चूसने लगती है। वर्षा भी झुक जाती है और रूबी के मुम्मो पर मुँह लगा देती है। अब दोनों बहने एक दुसरे का दूध पी रही थी।
बीच बीच में दोनों सिसकारी लेती तो वर्षा बोलती - चुप कर आराम से पी। पापा ना आ जाएँ ।
रूबी - उन्हें भी पीला देंगे। बहुत दूध है। वैसे भी उन्हें ये फायदा करेगा। दवाइयां कुछ काम ही हो जाएँगी।
ये बात रूबी ने जान बुझ कर कही थी। और ऐसे कही थी जैसे उसे कुछ पता ही न हो। पर उसकी ये बात सुन वर्षा सोच में पड़ गई। वो सोचने लगी की रूबी के आने से पहले तो अनुराग रोज दो तीन टाइम पीता ही था पर अब ये नहीं हो पा रहा था। और रूबी की बात सुन कर वो सोच में पड़ गई की कहीं सच में उनका दूध बंद होने से कहीं उसके पिता की तबियत फिर से न खराब हो जाए।
जहाँ वो अपने पिता के बारे में सोच रही थी वहीँ रूबी एक कदम आगे बढ़ा चुकी थी। उसने अब वर्षा के मुम्मे चूसना छोड़ दिया था और उसकी नाइटी ऊपर उठा कर जांघो को किस करने लगी थी। दोनों बहने कुछ ही देर में सिक्सटी नाइन की पोजीशन पर आ गईं दोनों की नाइटी कमर तक सिमट चुकी थी और दोनों एक दुसरे के चूत में घुस गईं थी।
रूबी - दीदी तुम्हारी चूत का स्वाद तो बढ़ गया है।
वर्षा - उफ्फ्फ्फ़ , हाँ। तेरा भी स्वाद मस्त हो गया है। जरा ठीक से चाट। अंदर जीभ कर न।
रूबी - इस्सस , तुम तो और एक्सपर्ट हो गई हो। लगता है रोज चाटती हो। उफ्फ्फ।
दोनों सिसकारियां ले रही थी। वर्षा ने रूबी के क्लीट को मुँह में भर लिया था। दरअसल रूबी की क्लीट लम्बी थी और बड़े आराम से उसे चूसा जा सकता था। उसने बचपन से ही सीख लिया था की असली मजा क्लीट में है। उसकी सास को भी उसकी क्लीट चूसने में मजा आता था। अब रूबी स्खलित होने वाली थी।
रूबी - हाँ , और जोर से। खींचो। खा जाओ उसे। उफ्फ्फ। दीदी काट लो साली को। आह आह हां , बस मैं आनी वाली हूँ।
वर्षा ने अपनी एक ऊँगली उसके चूत में डाल दी थी। रूबी के शरीर ने जोरदार झटका लेना शुरू किया। उसने वर्षा के मुँह को अपने दोनों जांघो के बीच में फंसा लिया और जोरदार तरीके से झड़ने लगी। रूबी जब शांत हुई तो देखा वर्षा अब सीढ़ी हो चुकी थी और उसने अपने पैरों को रूबी के पैरों में फंसा लिया था। रूबी बचपन की यादों में खो गई। दोनों अपने पैरों को कैंचीनुमा अंदाज में फंसा कर चूत को रगड़ा करती थी। वर्षा यही करने वाली थी। रूबी सीधी हो गई। उसने अपना एक पेअर थोड़ा ऊपर कर लिया और कुछ ही देर में वर्षा घुटनो के बल बैठ गई। अब दोनों की चूत एक दुसरे से सटे हुए थे। रगड़े फिर से चालु हो गई।
रूबी - साली चो। चोद मुझे। मुझे पता है तू प्यासी है। चोद ले मुझे तभी शांति मिलेगी।
वर्षा - हाँ बहनचोद , तू तो झड़ गई। मुझे तो शांत कर दे। रगड़। हाँ और तेज।
दोनों एक दुसरे को माँ बहन की गालियां देने लगी और रगड़ने लगी। कुछ ही देर में वर्षा भी स्खलित हो गई। हाँफते हाँफते दोनों एक दुसरे के बगल में लेट गईं।
रूबी - मजा आया ?
वर्षा - बहुत।
रूबी - कितने दिनों बाद हम एक दुसरे से ऐसे मिले हैं।
वर्षा ने उसके माथे को चूमा और कहा - तू आने के बाद से अजीब बिहैव कर रही थी। मुझे लगा अपने पति के प्यार में बदल गई है।
रूबी - यार , उस मादरचोद ने तो और खराब कर दिया है। मैं थोड़ा पापा से दरी हुई थी। याद है बचपन में कितना डांटते थे हमें ऐसी हालत में पकड़ने पर।
वर्षा - तू भी तो काम शैतान नहीं थी दरवाजा खुला छोड़ करके चीखती थी। जान बूझ कर करती थी ताकि वो हमें नंगी हालत में देखें और डांटे।
रूबी हँसते हुए - हाँ। बहुत सीधे हैं पापा। वरना हम जैसी लड़कियां हो और नैना जैसी भांजी तब भी अकेले हैं।
वर्षा फिर से उदास हो गई और बोली - हाँ। बहुत अकेले हैं। अब नैना की शादी के लिए बुआ मान जाएँ तो पापा को साथ मिले।
रूबी - तुम इतने महीनो से हो , तुमने कुछ चर्चा नहीं छेड़ी ?
वर्षा - यार बुआ से थोड़ा डर लगता है।
रूबी को तो सब पता था पर वो चुप ही रही। वर्षा ने भी सफ़ेद झूठ बोल दिया था। वो कैसे कहती की अब उसे बुआ की चूत चाटने में मजा आता है। और बुआ भी अब नैना के लिए मान गईं हैं। घर में क्या चल रहा है वो अभी रूबी को बताना नहीं चाहती थी। और रूबी भी धीरे धीरे खुलना चाहती थी। वो नहीं चाहती थी की उसके पापा ये सोचें की उसकी लड़कियां एकदम से रंडी हैं। वो चाहती थी परिवार में सब खुलें पर धीरे धीरे। यही सब सोचते सोचते दोनों बहने एक दुसरे के बाँहों में सो गईं।
Mast update tharki bhai.ek request hai jis tarah se Rubi ka alag roop apne dikhaya hai usse lagta hai ki story abhi bahut lambi chalegi to ho sake to week main Kam se kam do ya teen update to hone chahiye pls
 
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namedhari

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Mast Bhai maja aa gaya.update jaldi Dene ke liye dhanyawaad ase hi update jaldi jaldi diya karye taki kahani ki regularti bani rahe dhanyawaad.
 
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