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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Ek number

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शुक्रवार को सुबह सुबह नैना गाडी लेकर अपनी माँ लता के साथ अनुराग के घर पहुंची। आज अनुराग का प्लास्टर कटना था। नैनाने लता और वर्षा दोनों को हॉस्पिटल आने से मना कर दिया।
उनसे कहा - आज प्लास्टर काट जायेगा तो मामा खुद चल कर आएंगे। वैसे भी अब ज्यादा दिक्कत नहीं है। बाकी मैं हूँ। कुछ टेस्ट भी होंगे तो टाइम लग सकता है। दोनों ने थोड़ी जिद्द की फिर मान गईं। अनुराग नैना की गाडी में बैठ गए।
गाडी में दोनों कुछ देर तो खामोश थे पर अनुराग के मन में एक उथल पुथल चल रही थी। उन्हें नैना से कुछ बात करनी थी। कई दिनों से वो पूछना चाह रहे थे पर मौका नहीं मिला। नैना भी शायद बात करना चाह रही थी। वो जानती थी की अनुराग के मन में क्या चल रहा है।
अनुराग ने आखिर बात शुरू कर ही दी।
अनुराग - ये तेरा ही आइडिया था न ?
नैना - कौन सा ?
अनुराग - भोली मत बन। तुझे पता है मैं क्या बोल रहा हूँ।
नैना मुश्कुराते हुए - आइडिया काम कर रहा है न। देखो आपका हेल्थ इम्प्रूव हुआ है। और आज टेस्ट के बाद मालूम भी पड़ जायेगा।
अनुराग - तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया।
नैना - मेरा और तृप्ति का।
अनुराग - क्या तृप्ति भी इसमें शामिल है।
नैना - हाँ। अमेरिका में उसने कई डॉक्टर्स से कंसल्ट करके ही बताया।
अनुराग - हे भगवान्। तुम दोनों सहेलियों ने क्या किया है इसका अंदाजा भी है।
नैना ने गाडी एक साइड में लगा लिया और अनुराग के आँखों में आँखें डाल कर बोली - जो भी किया है आपके भले के लिए किया है। और हम दोनों ही नहीं आपकी खुद की लड़कियां भी आपको हर तरह से खुश रखना चाहती हैं। आपको पता है वर्षा दीदी एक बार में ही तैयार हो गई थी इसके लिए। बिना एक पल भी सोचे। और मुझे पता है रूबी दी भी एक महीने बाद सेवा के लिए तैयार हो जाएँगी।
अनुराग - क्या ? तुमने रूबी से भी बात कर ली है ?
नैना - नहीं। अभी नहीं। पर मुझे विश्वास है की मान जाएगी।
अनुराग - पर ऐसा क्यों ?
नैना - आपकी सेहत के लिए ही। आपको खुश रखने के लिए। आपने सबकी बात मान ली होती और दूसरी शादी कर ली होती तो ये सब शायद नहीं होता।
अनुराग - पर कैसे कर लेता ? लेखा को दिया वचन और तुम्हारा क्या होता ? तुमने शादी कर ली होती तो शायद एक मिनट को सोचता भी।
नैना - आपको पता है बचपन से प्यार करती आई हूँ। कब आपके प्रति आकर्षण प्यार में बदल गया पता ही नहीं चला। मैं शादी कर ही नहीं सकती। और लेखा मामी ने भी तो आपसे वादा लिया है।
अनुराग - पर उसने कहा था तुम्हारी शादी हो तो ही दूसरी कर। पर तुम अपने जिद्द पर अड़ी हुई हो।
नैना - प्यार कहते है इसे। पर आपको तो मेरे प्यार की फिक्र ही नहीं है।
ये कह कर नैना के आँखों में आंसू आ गए।
अनुराग - पर तुम मेरी बेटी जैसी हो।
नैना - बेटी जैसी से प्यार नहीं कर सकते पर बेटी के दूध को पीने की ख्वाहिश रख सकते हैं। उसके नाम पर मुठ मार सकते हैं। मुझे आपसे शारीरिक सुख नहीं चाहिए था। बस आपका प्यार , भावनात्मक प्यार ही काफी होता।
अनुराग - तो इसी लिए तुमने ये खेल रचा। मुझे मेरी ही सगी बेटी की तरफ आकर्षित किया ताकि गिल्ट से मैं तुम्हारी बात भी मान लून
नैना गुस्से में बोली - आपको कम होती दवाइयां नहीं दिख रही ? आपके हेल्थ में इम्प्रूवमेंट नहीं दिख रहा। इतनी जल्दी आप चलने लगे और आपका प्लास्टर भी समय से पहले कट रहा है। वार्ना आपके ऐज के लोगो की हीलिंग में ज्यादा समय लगता है। और आप तय समय से जल्दी ठीक हो रहे हैं। आपको ये नहीं दिख रहा ? मेरी क्या गलती अगर आपको वर्षा दी के दूध वाली बात मालूम पड़ गई । मैंने ये थोड़े ही सोचा था की आप उसे दूध निकलता देख उसकी तरफ आकर्षित हो जायेंगे।

अनुराग चुप चाप सुनते रहे। नैना ने खुद को शांत किया और गाडी फिर हॉस्पिटल की तरफ बढ़ा लिया। दोनों फिर से खामोश हो गए। अपने अपने सोच में चले गए।

हॉस्पिटल में नैना भाग दौड़ करती रही। प्लास्टर कटवाने के बाद एक्स रे और ब्लड टेस्ट हुए। डॉक्टर भी अनुराग के इम्प्रोवेर्मेंट देख खुश थे। ब्लड टेस्ट का रिजल्ट शाम तक आना था। पर डॉक्टर के हिसाब से अनुराग अपने ऐज के हिसाब से जल्दी ठीक हुए।

उन्होंने कहा - आप बिलकुल सही है। आपका पैर पूरी तरह से ठीक है। नैना और घर वालों ने आपका बहुत अच्छे से ख्याल रखा है। मुझे उम्मीद है आपके ब्लड टेस्ट के रिजल्ट्स भी अच्छे होंगे और आपके विटामिन डी और कैल्शियम में भी इम्प्रूवमेंट होगा। तभी प्लास्टर जल्दी कटा है और हीलिंग फ़ास्ट है।
अनुराग - थैंक यू डॉक्टर साहब ।
डॉक्टर - मुझे नहीं , नैना को बोलिये। उसने ही आपको क्लोसेली मॉनिटर किया है और आपकी दवाइयां भी। आपके खाने पीने का ही असर है की आपको सुप्प्लिमेंट की जरूरत न के बराबर है। बाकी टेस्ट रिजल्ट्स के बाद दवाइयां और एडजस्ट की जाएँगी। ।
डॉक्टर ने नैना से कहा - तुम शाम को रिपोर्ट आने के बाद मुझसे बात कर लेना।
फिर अनुराग को बोला - और हाँ दवा और खान पान नैना के इंस्ट्रक्शंस में ही करियेगा। कुछ भी चेंज नहीं सिर्फ दवा के। आपके दोनों पैरों की मालिश अब हो सकती है। मालिश से प्लास्टर वाला पैर भी फुल स्ट्रेंथ में आ जायेगा।
अनुराग - जी ठीक है।

लौटते वक़्त अनुराग सोचने लगे की उन्होंने नैना को कितना भला बुरा कहा पर उसकी वजह से ही वो इतनी जल्दी इम्प्रूव किये।
अनुराग - मुझे माफ़ कर दो नैना। मैं बेकार ही नाराज हो रहा था तुम पर।
नैना मुश्कुराते हुए - कोई नहीं मामा जी। गुस्सा तो मैं भी हो गई थी। पर आपको दुखी नहीं देख सकती मैं। आपने मेरे बारे में गलत सोचा बस इसी बात का दुःख हुआ।
अनुराग - माफ़ कर दे।
नैना ने अनुराग के गाल पर किस कर लिया और कहा - प्यार में नो सॉरी नो थैंक यू।
अनुराग - तू फिर शुरू हो गई।
नैना - शुरू तो मैं तब से हुई जब प्यार कर मतलब मालूम हुआ। अब तो ये लगने लगा है की जन्मो का प्यार है।

अनुराग चुप ही रहे। उन्हें पता था की वो ही नैना के बचपन का प्यार हैं। ये बात लेखा भी जानती थी। उसने नैना को प्यार करने से कभी रोका नहीं। बल्कि जाते जाते ये वादा भी ले गई की अगर नैना किसी और से शादी नहीं करती है तो वो ही उसका ख्याल रखेगा। उसका सहारा। उसने कहा था की नैना उसकी भी जान है। अनुराग समझ ले की लेखा नैना के रूप में है।

पर अनुराग कभी भी ये नहीं कर पाया। उसने नैना को अपनी बेटियों की तरह ही माना। कभी गलत निगाह से नहीं देखा। बल्कि अनुराग ने लेखा के अलावा किसी और को गलत निगाह से नहीं देखा। इसी लिए लेखा उस पर जान देती थी।

पर इस एक्सीडेंट ने सब बदल दिया था। अब अनुराग अपनी खुद की सगी बहन और बेटी को भी भूखी नजरों से देखने लगा था। वर्षा के दूध ने उसे सिर्फ ताकत ही नहीं दी थी बल्कि उसके अंदर की आग भी जगा दी थी। वो खुद उसे भी भोगने की सोचने लगा था। और अब नैना जो उसके प्यार में बचपन से पागल है उसे अनदेखा करेगा तो ये लेखा और नैना दोनों के साथ ही अन्याय होगा।

इसी उधेड़बुन में वो खोया था तभी नैना ने कहा - आज थोड़ी पार्टी कर लें। आज आपका प्लास्टर कटा है। कुछ खा लेते हैं। वैसे भी मामी के जाने के बाद आपके साथ बाहर खाने का मौका नहीं मिला है।
अनुराग कुछ नहीं बोला बल्कि हां में गर्दन हिला दी। नैना ने एक माल की तरफ गाडी मोड़ लिया।
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शुक्रवार को सुबह सुबह नैना गाडी लेकर अपनी माँ लता के साथ अनुराग के घर पहुंची। आज अनुराग का प्लास्टर कटना था। नैनाने लता और वर्षा दोनों को हॉस्पिटल आने से मना कर दिया।
उनसे कहा - आज प्लास्टर काट जायेगा तो मामा खुद चल कर आएंगे। वैसे भी अब ज्यादा दिक्कत नहीं है। बाकी मैं हूँ। कुछ टेस्ट भी होंगे तो टाइम लग सकता है। दोनों ने थोड़ी जिद्द की फिर मान गईं। अनुराग नैना की गाडी में बैठ गए।
गाडी में दोनों कुछ देर तो खामोश थे पर अनुराग के मन में एक उथल पुथल चल रही थी। उन्हें नैना से कुछ बात करनी थी। कई दिनों से वो पूछना चाह रहे थे पर मौका नहीं मिला। नैना भी शायद बात करना चाह रही थी। वो जानती थी की अनुराग के मन में क्या चल रहा है।
अनुराग ने आखिर बात शुरू कर ही दी।
अनुराग - ये तेरा ही आइडिया था न ?
नैना - कौन सा ?
अनुराग - भोली मत बन। तुझे पता है मैं क्या बोल रहा हूँ।
नैना मुश्कुराते हुए - आइडिया काम कर रहा है न। देखो आपका हेल्थ इम्प्रूव हुआ है। और आज टेस्ट के बाद मालूम भी पड़ जायेगा।
अनुराग - तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया।
नैना - मेरा और तृप्ति का।
अनुराग - क्या तृप्ति भी इसमें शामिल है।
नैना - हाँ। अमेरिका में उसने कई डॉक्टर्स से कंसल्ट करके ही बताया।
अनुराग - हे भगवान्। तुम दोनों सहेलियों ने क्या किया है इसका अंदाजा भी है।
नैना ने गाडी एक साइड में लगा लिया और अनुराग के आँखों में आँखें डाल कर बोली - जो भी किया है आपके भले के लिए किया है। और हम दोनों ही नहीं आपकी खुद की लड़कियां भी आपको हर तरह से खुश रखना चाहती हैं। आपको पता है वर्षा दीदी एक बार में ही तैयार हो गई थी इसके लिए। बिना एक पल भी सोचे। और मुझे पता है रूबी दी भी एक महीने बाद सेवा के लिए तैयार हो जाएँगी।
अनुराग - क्या ? तुमने रूबी से भी बात कर ली है ?
नैना - नहीं। अभी नहीं। पर मुझे विश्वास है की मान जाएगी।
अनुराग - पर ऐसा क्यों ?
नैना - आपकी सेहत के लिए ही। आपको खुश रखने के लिए। आपने सबकी बात मान ली होती और दूसरी शादी कर ली होती तो ये सब शायद नहीं होता।
अनुराग - पर कैसे कर लेता ? लेखा को दिया वचन और तुम्हारा क्या होता ? तुमने शादी कर ली होती तो शायद एक मिनट को सोचता भी।
नैना - आपको पता है बचपन से प्यार करती आई हूँ। कब आपके प्रति आकर्षण प्यार में बदल गया पता ही नहीं चला। मैं शादी कर ही नहीं सकती। और लेखा मामी ने भी तो आपसे वादा लिया है।
अनुराग - पर उसने कहा था तुम्हारी शादी हो तो ही दूसरी कर। पर तुम अपने जिद्द पर अड़ी हुई हो।
नैना - प्यार कहते है इसे। पर आपको तो मेरे प्यार की फिक्र ही नहीं है।
ये कह कर नैना के आँखों में आंसू आ गए।
अनुराग - पर तुम मेरी बेटी जैसी हो।
नैना - बेटी जैसी से प्यार नहीं कर सकते पर बेटी के दूध को पीने की ख्वाहिश रख सकते हैं। उसके नाम पर मुठ मार सकते हैं। मुझे आपसे शारीरिक सुख नहीं चाहिए था। बस आपका प्यार , भावनात्मक प्यार ही काफी होता।
अनुराग - तो इसी लिए तुमने ये खेल रचा। मुझे मेरी ही सगी बेटी की तरफ आकर्षित किया ताकि गिल्ट से मैं तुम्हारी बात भी मान लून
नैना गुस्से में बोली - आपको कम होती दवाइयां नहीं दिख रही ? आपके हेल्थ में इम्प्रूवमेंट नहीं दिख रहा। इतनी जल्दी आप चलने लगे और आपका प्लास्टर भी समय से पहले कट रहा है। वार्ना आपके ऐज के लोगो की हीलिंग में ज्यादा समय लगता है। और आप तय समय से जल्दी ठीक हो रहे हैं। आपको ये नहीं दिख रहा ? मेरी क्या गलती अगर आपको वर्षा दी के दूध वाली बात मालूम पड़ गई । मैंने ये थोड़े ही सोचा था की आप उसे दूध निकलता देख उसकी तरफ आकर्षित हो जायेंगे।

अनुराग चुप चाप सुनते रहे। नैना ने खुद को शांत किया और गाडी फिर हॉस्पिटल की तरफ बढ़ा लिया। दोनों फिर से खामोश हो गए। अपने अपने सोच में चले गए।

हॉस्पिटल में नैना भाग दौड़ करती रही। प्लास्टर कटवाने के बाद एक्स रे और ब्लड टेस्ट हुए। डॉक्टर भी अनुराग के इम्प्रोवेर्मेंट देख खुश थे। ब्लड टेस्ट का रिजल्ट शाम तक आना था। पर डॉक्टर के हिसाब से अनुराग अपने ऐज के हिसाब से जल्दी ठीक हुए।

उन्होंने कहा - आप बिलकुल सही है। आपका पैर पूरी तरह से ठीक है। नैना और घर वालों ने आपका बहुत अच्छे से ख्याल रखा है। मुझे उम्मीद है आपके ब्लड टेस्ट के रिजल्ट्स भी अच्छे होंगे और आपके विटामिन डी और कैल्शियम में भी इम्प्रूवमेंट होगा। तभी प्लास्टर जल्दी कटा है और हीलिंग फ़ास्ट है।
अनुराग - थैंक यू डॉक्टर साहब ।
डॉक्टर - मुझे नहीं , नैना को बोलिये। उसने ही आपको क्लोसेली मॉनिटर किया है और आपकी दवाइयां भी। आपके खाने पीने का ही असर है की आपको सुप्प्लिमेंट की जरूरत न के बराबर है। बाकी टेस्ट रिजल्ट्स के बाद दवाइयां और एडजस्ट की जाएँगी। ।
डॉक्टर ने नैना से कहा - तुम शाम को रिपोर्ट आने के बाद मुझसे बात कर लेना।
फिर अनुराग को बोला - और हाँ दवा और खान पान नैना के इंस्ट्रक्शंस में ही करियेगा। कुछ भी चेंज नहीं सिर्फ दवा के। आपके दोनों पैरों की मालिश अब हो सकती है। मालिश से प्लास्टर वाला पैर भी फुल स्ट्रेंथ में आ जायेगा।
अनुराग - जी ठीक है।

लौटते वक़्त अनुराग सोचने लगे की उन्होंने नैना को कितना भला बुरा कहा पर उसकी वजह से ही वो इतनी जल्दी इम्प्रूव किये।
अनुराग - मुझे माफ़ कर दो नैना। मैं बेकार ही नाराज हो रहा था तुम पर।
नैना मुश्कुराते हुए - कोई नहीं मामा जी। गुस्सा तो मैं भी हो गई थी। पर आपको दुखी नहीं देख सकती मैं। आपने मेरे बारे में गलत सोचा बस इसी बात का दुःख हुआ।
अनुराग - माफ़ कर दे।
नैना ने अनुराग के गाल पर किस कर लिया और कहा - प्यार में नो सॉरी नो थैंक यू।
अनुराग - तू फिर शुरू हो गई।
नैना - शुरू तो मैं तब से हुई जब प्यार कर मतलब मालूम हुआ। अब तो ये लगने लगा है की जन्मो का प्यार है।

अनुराग चुप ही रहे। उन्हें पता था की वो ही नैना के बचपन का प्यार हैं। ये बात लेखा भी जानती थी। उसने नैना को प्यार करने से कभी रोका नहीं। बल्कि जाते जाते ये वादा भी ले गई की अगर नैना किसी और से शादी नहीं करती है तो वो ही उसका ख्याल रखेगा। उसका सहारा। उसने कहा था की नैना उसकी भी जान है। अनुराग समझ ले की लेखा नैना के रूप में है।

पर अनुराग कभी भी ये नहीं कर पाया। उसने नैना को अपनी बेटियों की तरह ही माना। कभी गलत निगाह से नहीं देखा। बल्कि अनुराग ने लेखा के अलावा किसी और को गलत निगाह से नहीं देखा। इसी लिए लेखा उस पर जान देती थी।

पर इस एक्सीडेंट ने सब बदल दिया था। अब अनुराग अपनी खुद की सगी बहन और बेटी को भी भूखी नजरों से देखने लगा था। वर्षा के दूध ने उसे सिर्फ ताकत ही नहीं दी थी बल्कि उसके अंदर की आग भी जगा दी थी। वो खुद उसे भी भोगने की सोचने लगा था। और अब नैना जो उसके प्यार में बचपन से पागल है उसे अनदेखा करेगा तो ये लेखा और नैना दोनों के साथ ही अन्याय होगा।

इसी उधेड़बुन में वो खोया था तभी नैना ने कहा - आज थोड़ी पार्टी कर लें। आज आपका प्लास्टर कटा है। कुछ खा लेते हैं। वैसे भी मामी के जाने के बाद आपके साथ बाहर खाने का मौका नहीं मिला है।
अनुराग कुछ नहीं बोला बल्कि हां में गर्दन हिला दी। नैना ने एक माल की तरफ गाडी मोड़ लिया।
Ek naya twist.
 

tharkiman

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अनुराग कुछ नहीं बोला बल्कि हां में गर्दन हिला दी। नैना ने एक माल की तरफ गाडी मोड़ लिया।

मॉल में नैना और अनुराग एक फेमस कॉफ़ी शॉप में घुसे। वहां कुछ यंग लड़के और लड़कियां बैठे हुए थे। नैना ने अनुराग का हाथ सहारा देने को पकड़ा हुआ था। दोनों को देखते ही उस ग्रुप में से एक लड़का बोला - बन्दे ने इस उम्र में भी क्या मस्त लड़की पटाई है।
ये सुन अनुराग ने नैना से दूर होने की कोशिश की पर नैना और करीब आ गई।
तभी ग्रुप में से एक लड़की बोली - अबे ऐसा बंदा हो तो मैं भी पट जाऊं । तू उसे देख और खुद को। उसकी बॉडी देख और खुद की तोंदूल बॉडी । कितनी बार कहा जिम सिम ज्वाइन कर।
लड़का झेंप सा गया। चेयर पर बैठते ही नैना ने कहा - देखा आप अब भी किसी को भी दीवाना बना सकते हो।
अनुराग - चुप रहो।

नैना ने वेटर को बुला कर कॉफ़ी और कूकीज का आर्डर किया। उसने दो कप केक भी मंगाए। जितने देर बैठे रहे नैना अनुराग का एक हाथ थामे रही। शुरू में तो अनुराग ने इशारे से मना किया पर बाद में नैना की जिद्द की वजह से मान गए। कॉफ़ी के बाद नैना ने कुछ कप केक और कूकीज के पैकेट घर के लिए भी पैक करवा लिए। कॉफ़ी शॉप से निकलने के बाद नैना ने जबरदस्ती अनुराग को सहारा देते हुए मॉल में टहलाया। सहारा देने के बहाने वो अनुराग से पूरा चिपक रही थी पर अनुराग बेबस थे। उन्हें थोड़ा अजीब लग रहा था पर नैना के लिए ये खुशियों के पल थे।

कुछ देर घूमने फिरने के बाद वो घर के लिए चल पड़े। गाडी पार्क करके जैसे ही बेल बजाई , लता ने दरवाजा खोला। दोनों अंदर आने लगे तो लता ने कहा थोड़ा रुको। अंदर से वर्षा एक थाली में कुछ मिठाई और एक दीपक लेकर आई। दोनों उसे देखते ही रह गए। वर्षा ने अपनी माँ की सुर्ख लाल रंग की साडी पहन राखी थी और सर पर अंचल कर रखा था। दोनों को लगा जैसे सुलेखा आ गई हो। वर्षा ने अनुराग की आरती उतारी और टीका किया। उसने पूजा की थाली लता के हाथों में दिया और फिर अनुराग के पैर छुए। अनुराग के आँखों में आंसू आए गए। नैना की ऑंखें भी भर आई थी।

लता बोल पड़ी - पापा के पूरी तरह से ठीक होने की ख़ुशी में वर्षा ने स्वागत किया है। अब कभी बीमार नहीं पड़ना और हमेशा स्वस्थ और खुश रहना भाई।
अनुराग ने वर्षा को गले लगा लिया और उसके माथे को चूम लिया। उसने फिर लता के पैर छुए।
अनुराग - ये सब तुम लोगों के ख्याल रखें की वजह से हुआ है। जिसके ऐसे परिवार वाले हों वो कभी उदास हो ही नहीं सकता।
लता ने भी अनुराग को गले लगा लिया।
नैना - ये तो गलत बात है। सब पप्पियाँ झपियाँ ले रहे हैं। मुझे कुछ नहीं।
अनुराग ने फिर नैना को भी गले लगा लिया। नैना ने उसे जोर से अपने बाहों में भींच लिया और रोने लगी।
उसे रोता देख अनुराग ने उसके माथे पर भी चूम लिया और कहा - दीदी तुम्हारी बेटी तो बहुत रोवनी है।
लता ने फिर नैना को गले लगा लिया और कहा - मेरी बच्ची। तेरी वजह से ही भाई जल्दी ठीक हो गया। तू अगर वो पता नहीं लगाती तो पता नहीं कितने दिन लगते।
अनुराग - क्या पता लगाया इसने ? मेरी दवा में जादू नैना का ही है क्या ? क्या है जादू ?
लता - चलो अंदर।
नैना के हाथ में पैकेट देख वर्षा ने पुछा - ये क्या है ?
नैना - अरे वो प्लास्टर कटवाने के बाद कॉफी पीने चले गए थे। मैंने सोचा ट्रीट बनती है।
वर्षा - अच्छा जी अकेले अकेले , हम बेगाने हो गए।
नैना - क्या दी। ये तो बस कॉफ़ी थी।
अनुराग - अरे सिर्फ कॉफ़ी ली हमने। अब किसी दिन सब परिवार डिनर पर चलते हैं।

नैना ने खुद को बचाने के लिए किचन का रुख किया और केक और कूकीज निकालने लगी। अनुराग और लता सोफे पर बैठ गए।
नैना के पीछे पीछे वर्षा भी आ गई। वो बोली - कैसे रही मैडम कॉफ़ी डेट ?
नैना - दीदी आप भी न। डेट वेट कुछ नहीं। वो तो बस मामी की याद में पागल हैं।
वर्षा - उफ़ तुम्हारा बचपन का प्यार।
नैना - मेरा बचपन का प्यार आप पर फ़िदा हो रहा है। आज तो आप वैसे भी मामी जैसी ही लग रही हो। सीधे थन से ही दूध पी लेंगे ऐसे तो।
अब शर्माने की बारी वर्षा की थी। दोनों की आपस में बतियाते देख लता ने कहा - बहनो की खुसर फुसर हो गई हो तो हमें भी कूकीज और चाय साय पीला दो।
वर्षा - चाय बना रहे हैं बुआ। सब्र करो।
नैना - ये भी न । आप चलो वार्ना हमारे लाल चेहरे को देख शक न कर ले। मेरी सामत आ जाएगी। वैसे भी कॉफ़ी के नाम पर इनका खुजली होनी शुरू हो गई होगी।
वर्षा - इन्हे कुछ नहीं पता। मैंने पिछले हफ्ते ही तेरे बारे में पुछा था की कोई चक्कर वक्कर तो नहीं है। कहने लगी मेरी बेटी गऊ है। अफेयर कर लेती तो भी इन्हे चैन रहता।
नैना - जब पता चलेगा तो मेरी जान ले लेगी।
वर्षा - कुछ न करेंगी। खुद ही भाई पर फिसलती जा रही है।
नैना - क्या पता दोनों भाई बहन पहले ही।
वर्षा सुन कर हंसने लगी। दोनों फिर चाय और कूकीज लेकर पहुंची।
लता - और सुना क्या कहा डॉक्टर ने ?
नैना - डॉक्टर ने कहा है सब ठीक है। कुछ घंटो में रिपोर्ट आ जाएगी तो दवाइयां फाइनल कर देंगे। मैं फोन पर बात कर लुंगी। बाकी पैरों की मालिश रेगुलर होनी है। बी पी की दवा और दूध रेगुलर चलनी है , लम्बे समय तक।
मैना ने दूध पर जब जोर दिया तो वर्षा और अनुराग दोनों के चेहरे लाल हो गए।
लता ने कहा - हाँ हाँ जैसा बताएँगे वैसा करेंगे। भाई की मालिश मैं तो करती ही हूँ। आगे भी करुँगी।
वर्षा तपाक से बोल पडी - मैं भी कर दिया करुँगी पापा की मालिश।
ये सुन सब मुश्कुरा दिए।

शाम तक रिपोर्ट्स भी आ गई। सच में काफी इम्प्रोवेमेन्ट्स थे। नैना ने डॉक्टर से बात की। कैल्शियम और विटामिन्स के सुप्प्लिमेंट्स डॉक्टर ने ना के बराबर कर दिया था। और भी कुछ दवाइयां कम की और नैना से कहा जो भी डाइट चल रही है वो लम्बे समय तक चलेगी।
ये सुन वर्षा तो खुश थी। पर अनुराग और लता टेंशन में आ गए। लता मन में यही सोच रही थी की वर्षा कब तक यहाँ रहेगी।
पर नैना ने तो पूरी प्लांनिग कर रखी थी। घर में एक नहीं दो दो गाय होने वाली थी। रूबी के घर से किसी भी दिन खुशखबरी आ सकती थी।
 

Vishalji1

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अनुराग कुछ नहीं बोला बल्कि हां में गर्दन हिला दी। नैना ने एक माल की तरफ गाडी मोड़ लिया।

मॉल में नैना और अनुराग एक फेमस कॉफ़ी शॉप में घुसे। वहां कुछ यंग लड़के और लड़कियां बैठे हुए थे। नैना ने अनुराग का हाथ सहारा देने को पकड़ा हुआ था। दोनों को देखते ही उस ग्रुप में से एक लड़का बोला - बन्दे ने इस उम्र में भी क्या मस्त लड़की पटाई है।
ये सुन अनुराग ने नैना से दूर होने की कोशिश की पर नैना और करीब आ गई।
तभी ग्रुप में से एक लड़की बोली - अबे ऐसा बंदा हो तो मैं भी पट जाऊं । तू उसे देख और खुद को। उसकी बॉडी देख और खुद की तोंदूल बॉडी । कितनी बार कहा जिम सिम ज्वाइन कर।
लड़का झेंप सा गया। चेयर पर बैठते ही नैना ने कहा - देखा आप अब भी किसी को भी दीवाना बना सकते हो।
अनुराग - चुप रहो।

नैना ने वेटर को बुला कर कॉफ़ी और कूकीज का आर्डर किया। उसने दो कप केक भी मंगाए। जितने देर बैठे रहे नैना अनुराग का एक हाथ थामे रही। शुरू में तो अनुराग ने इशारे से मना किया पर बाद में नैना की जिद्द की वजह से मान गए। कॉफ़ी के बाद नैना ने कुछ कप केक और कूकीज के पैकेट घर के लिए भी पैक करवा लिए। कॉफ़ी शॉप से निकलने के बाद नैना ने जबरदस्ती अनुराग को सहारा देते हुए मॉल में टहलाया। सहारा देने के बहाने वो अनुराग से पूरा चिपक रही थी पर अनुराग बेबस थे। उन्हें थोड़ा अजीब लग रहा था पर नैना के लिए ये खुशियों के पल थे।

कुछ देर घूमने फिरने के बाद वो घर के लिए चल पड़े। गाडी पार्क करके जैसे ही बेल बजाई , लता ने दरवाजा खोला। दोनों अंदर आने लगे तो लता ने कहा थोड़ा रुको। अंदर से वर्षा एक थाली में कुछ मिठाई और एक दीपक लेकर आई। दोनों उसे देखते ही रह गए। वर्षा ने अपनी माँ की सुर्ख लाल रंग की साडी पहन राखी थी और सर पर अंचल कर रखा था। दोनों को लगा जैसे सुलेखा आ गई हो। वर्षा ने अनुराग की आरती उतारी और टीका किया। उसने पूजा की थाली लता के हाथों में दिया और फिर अनुराग के पैर छुए। अनुराग के आँखों में आंसू आए गए। नैना की ऑंखें भी भर आई थी।

लता बोल पड़ी - पापा के पूरी तरह से ठीक होने की ख़ुशी में वर्षा ने स्वागत किया है। अब कभी बीमार नहीं पड़ना और हमेशा स्वस्थ और खुश रहना भाई।
अनुराग ने वर्षा को गले लगा लिया और उसके माथे को चूम लिया। उसने फिर लता के पैर छुए।
अनुराग - ये सब तुम लोगों के ख्याल रखें की वजह से हुआ है। जिसके ऐसे परिवार वाले हों वो कभी उदास हो ही नहीं सकता।
लता ने भी अनुराग को गले लगा लिया।
नैना - ये तो गलत बात है। सब पप्पियाँ झपियाँ ले रहे हैं। मुझे कुछ नहीं।
अनुराग ने फिर नैना को भी गले लगा लिया। नैना ने उसे जोर से अपने बाहों में भींच लिया और रोने लगी।
उसे रोता देख अनुराग ने उसके माथे पर भी चूम लिया और कहा - दीदी तुम्हारी बेटी तो बहुत रोवनी है।
लता ने फिर नैना को गले लगा लिया और कहा - मेरी बच्ची। तेरी वजह से ही भाई जल्दी ठीक हो गया। तू अगर वो पता नहीं लगाती तो पता नहीं कितने दिन लगते।
अनुराग - क्या पता लगाया इसने ? मेरी दवा में जादू नैना का ही है क्या ? क्या है जादू ?
लता - चलो अंदर।
नैना के हाथ में पैकेट देख वर्षा ने पुछा - ये क्या है ?
नैना - अरे वो प्लास्टर कटवाने के बाद कॉफी पीने चले गए थे। मैंने सोचा ट्रीट बनती है।
वर्षा - अच्छा जी अकेले अकेले , हम बेगाने हो गए।
नैना - क्या दी। ये तो बस कॉफ़ी थी।
अनुराग - अरे सिर्फ कॉफ़ी ली हमने। अब किसी दिन सब परिवार डिनर पर चलते हैं।

नैना ने खुद को बचाने के लिए किचन का रुख किया और केक और कूकीज निकालने लगी। अनुराग और लता सोफे पर बैठ गए।
नैना के पीछे पीछे वर्षा भी आ गई। वो बोली - कैसे रही मैडम कॉफ़ी डेट ?
नैना - दीदी आप भी न। डेट वेट कुछ नहीं। वो तो बस मामी की याद में पागल हैं।
वर्षा - उफ़ तुम्हारा बचपन का प्यार।
नैना - मेरा बचपन का प्यार आप पर फ़िदा हो रहा है। आज तो आप वैसे भी मामी जैसी ही लग रही हो। सीधे थन से ही दूध पी लेंगे ऐसे तो।
अब शर्माने की बारी वर्षा की थी। दोनों की आपस में बतियाते देख लता ने कहा - बहनो की खुसर फुसर हो गई हो तो हमें भी कूकीज और चाय साय पीला दो।
वर्षा - चाय बना रहे हैं बुआ। सब्र करो।
नैना - ये भी न । आप चलो वार्ना हमारे लाल चेहरे को देख शक न कर ले। मेरी सामत आ जाएगी। वैसे भी कॉफ़ी के नाम पर इनका खुजली होनी शुरू हो गई होगी।
वर्षा - इन्हे कुछ नहीं पता। मैंने पिछले हफ्ते ही तेरे बारे में पुछा था की कोई चक्कर वक्कर तो नहीं है। कहने लगी मेरी बेटी गऊ है। अफेयर कर लेती तो भी इन्हे चैन रहता।
नैना - जब पता चलेगा तो मेरी जान ले लेगी।
वर्षा - कुछ न करेंगी। खुद ही भाई पर फिसलती जा रही है।
नैना - क्या पता दोनों भाई बहन पहले ही।
वर्षा सुन कर हंसने लगी। दोनों फिर चाय और कूकीज लेकर पहुंची।
लता - और सुना क्या कहा डॉक्टर ने ?
नैना - डॉक्टर ने कहा है सब ठीक है। कुछ घंटो में रिपोर्ट आ जाएगी तो दवाइयां फाइनल कर देंगे। मैं फोन पर बात कर लुंगी। बाकी पैरों की मालिश रेगुलर होनी है। बी पी की दवा और दूध रेगुलर चलनी है , लम्बे समय तक।
मैना ने दूध पर जब जोर दिया तो वर्षा और अनुराग दोनों के चेहरे लाल हो गए।
लता ने कहा - हाँ हाँ जैसा बताएँगे वैसा करेंगे। भाई की मालिश मैं तो करती ही हूँ। आगे भी करुँगी।
वर्षा तपाक से बोल पडी - मैं भी कर दिया करुँगी पापा की मालिश।
ये सुन सब मुश्कुरा दिए।

शाम तक रिपोर्ट्स भी आ गई। सच में काफी इम्प्रोवेमेन्ट्स थे। नैना ने डॉक्टर से बात की। कैल्शियम और विटामिन्स के सुप्प्लिमेंट्स डॉक्टर ने ना के बराबर कर दिया था। और भी कुछ दवाइयां कम की और नैना से कहा जो भी डाइट चल रही है वो लम्बे समय तक चलेगी।
ये सुन वर्षा तो खुश थी। पर अनुराग और लता टेंशन में आ गए। लता मन में यही सोच रही थी की वर्षा कब तक यहाँ रहेगी।
पर नैना ने तो पूरी प्लांनिग कर रखी थी। घर में एक नहीं दो दो गाय होने वाली थी। रूबी के घर से किसी भी दिन खुशखबरी आ सकती थी।
Abhi ek hai dusri banne wali hai kya pata aage kitni Gaay bnegi
 

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अनुराग कुछ नहीं बोला बल्कि हां में गर्दन हिला दी। नैना ने एक माल की तरफ गाडी मोड़ लिया।

मॉल में नैना और अनुराग एक फेमस कॉफ़ी शॉप में घुसे। वहां कुछ यंग लड़के और लड़कियां बैठे हुए थे। नैना ने अनुराग का हाथ सहारा देने को पकड़ा हुआ था। दोनों को देखते ही उस ग्रुप में से एक लड़का बोला - बन्दे ने इस उम्र में भी क्या मस्त लड़की पटाई है।
ये सुन अनुराग ने नैना से दूर होने की कोशिश की पर नैना और करीब आ गई।
तभी ग्रुप में से एक लड़की बोली - अबे ऐसा बंदा हो तो मैं भी पट जाऊं । तू उसे देख और खुद को। उसकी बॉडी देख और खुद की तोंदूल बॉडी । कितनी बार कहा जिम सिम ज्वाइन कर।
लड़का झेंप सा गया। चेयर पर बैठते ही नैना ने कहा - देखा आप अब भी किसी को भी दीवाना बना सकते हो।
अनुराग - चुप रहो।

नैना ने वेटर को बुला कर कॉफ़ी और कूकीज का आर्डर किया। उसने दो कप केक भी मंगाए। जितने देर बैठे रहे नैना अनुराग का एक हाथ थामे रही। शुरू में तो अनुराग ने इशारे से मना किया पर बाद में नैना की जिद्द की वजह से मान गए। कॉफ़ी के बाद नैना ने कुछ कप केक और कूकीज के पैकेट घर के लिए भी पैक करवा लिए। कॉफ़ी शॉप से निकलने के बाद नैना ने जबरदस्ती अनुराग को सहारा देते हुए मॉल में टहलाया। सहारा देने के बहाने वो अनुराग से पूरा चिपक रही थी पर अनुराग बेबस थे। उन्हें थोड़ा अजीब लग रहा था पर नैना के लिए ये खुशियों के पल थे।

कुछ देर घूमने फिरने के बाद वो घर के लिए चल पड़े। गाडी पार्क करके जैसे ही बेल बजाई , लता ने दरवाजा खोला। दोनों अंदर आने लगे तो लता ने कहा थोड़ा रुको। अंदर से वर्षा एक थाली में कुछ मिठाई और एक दीपक लेकर आई। दोनों उसे देखते ही रह गए। वर्षा ने अपनी माँ की सुर्ख लाल रंग की साडी पहन राखी थी और सर पर अंचल कर रखा था। दोनों को लगा जैसे सुलेखा आ गई हो। वर्षा ने अनुराग की आरती उतारी और टीका किया। उसने पूजा की थाली लता के हाथों में दिया और फिर अनुराग के पैर छुए। अनुराग के आँखों में आंसू आए गए। नैना की ऑंखें भी भर आई थी।

लता बोल पड़ी - पापा के पूरी तरह से ठीक होने की ख़ुशी में वर्षा ने स्वागत किया है। अब कभी बीमार नहीं पड़ना और हमेशा स्वस्थ और खुश रहना भाई।
अनुराग ने वर्षा को गले लगा लिया और उसके माथे को चूम लिया। उसने फिर लता के पैर छुए।
अनुराग - ये सब तुम लोगों के ख्याल रखें की वजह से हुआ है। जिसके ऐसे परिवार वाले हों वो कभी उदास हो ही नहीं सकता।
लता ने भी अनुराग को गले लगा लिया।
नैना - ये तो गलत बात है। सब पप्पियाँ झपियाँ ले रहे हैं। मुझे कुछ नहीं।
अनुराग ने फिर नैना को भी गले लगा लिया। नैना ने उसे जोर से अपने बाहों में भींच लिया और रोने लगी।
उसे रोता देख अनुराग ने उसके माथे पर भी चूम लिया और कहा - दीदी तुम्हारी बेटी तो बहुत रोवनी है।
लता ने फिर नैना को गले लगा लिया और कहा - मेरी बच्ची। तेरी वजह से ही भाई जल्दी ठीक हो गया। तू अगर वो पता नहीं लगाती तो पता नहीं कितने दिन लगते।
अनुराग - क्या पता लगाया इसने ? मेरी दवा में जादू नैना का ही है क्या ? क्या है जादू ?
लता - चलो अंदर।
नैना के हाथ में पैकेट देख वर्षा ने पुछा - ये क्या है ?
नैना - अरे वो प्लास्टर कटवाने के बाद कॉफी पीने चले गए थे। मैंने सोचा ट्रीट बनती है।
वर्षा - अच्छा जी अकेले अकेले , हम बेगाने हो गए।
नैना - क्या दी। ये तो बस कॉफ़ी थी।
अनुराग - अरे सिर्फ कॉफ़ी ली हमने। अब किसी दिन सब परिवार डिनर पर चलते हैं।

नैना ने खुद को बचाने के लिए किचन का रुख किया और केक और कूकीज निकालने लगी। अनुराग और लता सोफे पर बैठ गए।
नैना के पीछे पीछे वर्षा भी आ गई। वो बोली - कैसे रही मैडम कॉफ़ी डेट ?
नैना - दीदी आप भी न। डेट वेट कुछ नहीं। वो तो बस मामी की याद में पागल हैं।
वर्षा - उफ़ तुम्हारा बचपन का प्यार।
नैना - मेरा बचपन का प्यार आप पर फ़िदा हो रहा है। आज तो आप वैसे भी मामी जैसी ही लग रही हो। सीधे थन से ही दूध पी लेंगे ऐसे तो।
अब शर्माने की बारी वर्षा की थी। दोनों की आपस में बतियाते देख लता ने कहा - बहनो की खुसर फुसर हो गई हो तो हमें भी कूकीज और चाय साय पीला दो।
वर्षा - चाय बना रहे हैं बुआ। सब्र करो।
नैना - ये भी न । आप चलो वार्ना हमारे लाल चेहरे को देख शक न कर ले। मेरी सामत आ जाएगी। वैसे भी कॉफ़ी के नाम पर इनका खुजली होनी शुरू हो गई होगी।
वर्षा - इन्हे कुछ नहीं पता। मैंने पिछले हफ्ते ही तेरे बारे में पुछा था की कोई चक्कर वक्कर तो नहीं है। कहने लगी मेरी बेटी गऊ है। अफेयर कर लेती तो भी इन्हे चैन रहता।
नैना - जब पता चलेगा तो मेरी जान ले लेगी।
वर्षा - कुछ न करेंगी। खुद ही भाई पर फिसलती जा रही है।
नैना - क्या पता दोनों भाई बहन पहले ही।
वर्षा सुन कर हंसने लगी। दोनों फिर चाय और कूकीज लेकर पहुंची।
लता - और सुना क्या कहा डॉक्टर ने ?
नैना - डॉक्टर ने कहा है सब ठीक है। कुछ घंटो में रिपोर्ट आ जाएगी तो दवाइयां फाइनल कर देंगे। मैं फोन पर बात कर लुंगी। बाकी पैरों की मालिश रेगुलर होनी है। बी पी की दवा और दूध रेगुलर चलनी है , लम्बे समय तक।
मैना ने दूध पर जब जोर दिया तो वर्षा और अनुराग दोनों के चेहरे लाल हो गए।
लता ने कहा - हाँ हाँ जैसा बताएँगे वैसा करेंगे। भाई की मालिश मैं तो करती ही हूँ। आगे भी करुँगी।
वर्षा तपाक से बोल पडी - मैं भी कर दिया करुँगी पापा की मालिश।
ये सुन सब मुश्कुरा दिए।

शाम तक रिपोर्ट्स भी आ गई। सच में काफी इम्प्रोवेमेन्ट्स थे। नैना ने डॉक्टर से बात की। कैल्शियम और विटामिन्स के सुप्प्लिमेंट्स डॉक्टर ने ना के बराबर कर दिया था। और भी कुछ दवाइयां कम की और नैना से कहा जो भी डाइट चल रही है वो लम्बे समय तक चलेगी।
ये सुन वर्षा तो खुश थी। पर अनुराग और लता टेंशन में आ गए। लता मन में यही सोच रही थी की वर्षा कब तक यहाँ रहेगी।
पर नैना ने तो पूरी प्लांनिग कर रखी थी। घर में एक नहीं दो दो गाय होने वाली थी। रूबी के घर से किसी भी दिन खुशखबरी आ सकती थी।
Nice update
 

nimesh18

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बहुत ही उम्दा और कामुक लेखन है । बस विनम्र विनती है कि कहानी को अधूरा मत छोड़ना।
 
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