उस दिन के बाद से वर्षा फिर से घर में वापस पुराने अंदाज से अपने शॉर्ट्स और नाइटी पहनने लगी , पर अंदर ब्रा और पैंटी पहनती थी । रूबी का एट्टीट्यूड थोड़ा तो बदला था पर वो अब भी थोड़ी कड़क थी। उसने भी धीरे धीरे अपने पहनावे में चेंज कर लिया था। दुध पिलाने के लिए दोनों अपने कमरे में ही जाते थे। वर्षा और अनुराग के बीच सेक्स तो ना के बराबर हो गए थे। इससे अनुराग और वर्षा की बेचैनी बढ़ गई थी। पर सबसे ज्यादा खराब हालात शेखर की थी। उसके हाथ वर्षा जैसी मस्त माल आने वाली थी पर वो भी निकल गई। इसका नतीजा ये हुआ कि वो लता कि बेरहमी से चुदाई करता। लता का अनुराग के यहाँ आना भी काम हो गया था।
एक दिन दोपहर को अनुराग, रूबी और वर्षा एक साथ बैठ कर खाना खा रहे थे। वर्षा अपने बेटे को गोदी में बिठा कर खाना खिलाने कि कोशिश कर रही थी। रूबी का बेटा सोया हुआ था। वर्षा ने शार्ट और टॉप पहना हुआ था। तभी उसके बेटे ने खाना खाने से मना कर दिया और कहा उसे दूध पीना है।
शुरू में वर्षा ने उसे डांट दिया पर वो जिद्द पर अड़ गया। तभी रूबी बोली - पीला दे न।
वर्षा - अब खाना खाऊं या इन भाई साहब कि मुराद पूरी करूँ।
रूबी हँसते हुए - दोनों काम कर ले। कहकर वो अपना कहा खाने लगी।
वर्षा का बेटा अब उसके टी शर्ट को ऊपर करने लगा। वर्षा - रुको, खा लेने दो फिर अंदर चलते हैं।
वर्षा का बेटा - नानू , मम्मा को बोलो न। मुझे भूख लगी है।
अनुराग के मुँह से निकल गया - पीला दे न। पहले भी तो पिलाया है।
वर्षा ने अनुराग को घूरते हुए देखा और रूबी कि तरफ इशारा किया। रूबी चुप चाप खाना खा रही थी। वो मन ही मन सोच रही थी अब आगे क्या होगा। आखिरकार वर्षा का बेटा अपनी हारकर में सफल हो गया। उसने सबके सामने उसके टी शर्ट को उपरूथा दिया और झुक कर ब्रा को हटा कर एक स्तन पर मुँह लगा दिया। वर्षा का एक स्तन बाहर आ चूका था।
ये देख अनुराग जल्दी से उठने लगा तो रूबी बोल पड़ी - खाना तो ख़त्म कर लीजिये।
अनुराग - खा लिया मैंने।
अनुराग उठ कर कमरे में चला गया। उसके जाते ही रूबी वर्षा को देख कर हंसने लगी। वर्षा को कुछ समझ नहीं आया। उसकी स्थिति अजीब हो गई थी। वो सुबकने लगी और बेटे को उठा कर खुद भी खाना छोड़ कर उठ गई और रोते हुए कमरे में चली गई।
उसका बेटा भी रोने लगा। अब रूबी को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसकी जिद्द और बेवकूफी से परिवार में अजीब सा माहौल हो गया था। उसने तुरंत वर्षा के बेटे से को गोद में उठा लिया और उसे चुप कराने लगी। उसे अफ़सोस हो रहा था पर कुछ कह नहीं सकती थी।
कुछ देर में वर्षा का बेटा चुप हो गया। रूबी को भी कुछ घुटन सी होने लगी थी। उसने कुछ देर सोचा और फिर तैयार होने लगी। उसे तैयार होते देख वर्षा कुछ नहीं बोली। उसने वर्षा के बेटे को भी तैयार किया और अपने अपने बेटे को गोद में लेकर जोर से चिल्लाकर बोली - पापा दरवाजा बंद कर लीजिये। मैं जरा मार्किट जा रही हूँ। एक आध घंटे में आती हूँ।
कुछ देर में वो दोनों बच्चों को लेकर बाहर चली गई।
अनुराग दरवाजा बंद करने के बाद अनुराग वर्षा के कमरे में गया तो वो वो वहां सुबक रही थी। अनुराग उसके पास पहुंचा और उसके बालों को सहलाते हुए बोला - तू बहुत जल्दी परेशान हो जाती है। अपने ऊपर विशवास रखा करो। जो करना है बिंदास करो। कब तक डर कर रहोगी।
वर्षा उससे लिपट गई और बोली - आप देख रहे हैं न वो कितना परेशान कर रही है। आपके जाने के बाद मेरे ऊपर हंस रही थी।
अनुराग - अरे तू बड़ी है। उससे इतना डरती क्यों है ? बिंदास रहा कर।
वर्षा - पापा आपको पता है कितनी बड़ी नौटंकी बाज है वो। बदनामी न करा दे।
अनुराग ने अब उसे किस करते हुए कहा - मुझे किसी बात का डर नहीं है। बस तू खुश रहा कर।
वर्षा - आप मुझे इतना प्यार करते हैं ?
अनुराग - बहुत।
वर्षा - पर नैना से कम। है न ?
अनुराग - क्या कहूं ? तुम दोनों मेरी जान हो।
वर्षा - कुछ कहने कि जरूरत नहीं है। मैं समझती हूँ।
दोनों एक दुसरे के बाँहों में खो गए। इस समय कोई हवस नहीं , सेक्स के लिए तड़प नही। बस सच्चा प्यार था। दोनों वहीँ एक दुसरे के बाँहों में सो गए।
शाम को उन दोनों की नींद दरवाजे पर घंटी बजने से खुली। दोनों जल्दी से उठे। वर्षा ने अपने कपडे ठीक किये और किचन की तरफ चली गई और अनुराग दरवाजे की तरफ। दरवाजा खुलते ही वर्षा का बेटा झूम उठा और बोला - आज बहुत मसि की हमने। मौसी बहुत अच्छी है।
रूबी ने उसके गाल सहलाते हुए कहा - ज्यादा मस्का मत लगा।
अनुराग ने रूबी के गोद से उसके बच्चे को लिया और ड्राइंग रूम में बैठ गए। रूबी ने वर्षा को किचन में देखा तो कहा - चाय बना रही हो तो मुझे भी देना।
रूबी अंदर चली गई। जब वो कपडे बदल कर लौटी तो उसे देख वर्षा और अनुराग दोनों की आँखें चौड़ी हो गईं। उसने एक नई नाइटी पहनी हुई थी। शायद आज ही खरीदी थी। नाइटी का गाला काफी बड़ा और गहरा था। उसके आधे मुम्मे बाहर थे। मुम्मो के बीच की नाली भी पूरी गहराई तक दिख रही थी। उस पर से सामने एक चेन भी लगी हुई थी। इतना ही नहीं ये नाइटी घुटनो से कुछ ही ऊपर तक थी। कपडा ट्रांसपेरेंट तो नही था पर इतना भारी भी नहीं था। रूबी ने उन दोनों को देखा और चारो तरफ घूम कर बोली - कैसी लग रही है ? आज ही ली है।
अनुराग कुछ नहीं बोला। वर्षा - बढ़िया है।
रूबी - तुम्हारे लिए भी ऐसा ही लिया है। एकदम सेम तो सेम। एक सेट का तो कोलोर भी सेम है।
वर्षा - मेरे लिए लेने की क्या जरुरत थी।
रूबी ने झुक कर चाय के कप को उठाया। उसके झुकते ही लगा जैसे उसके मुम्मे बाहर आ जायेंगे। अनुराग के लैंड ने एक झटका लिया। वर्षा आदर ही अंदर सोचने लगी ये क्या नई बाला है। इसके अंदर अचानक से ऐसा चेंज कैसे आ गया। चाय पीकर रूबी बोली - तुम भी ट्राई कर लो।
वर्षा - रहने दो। बाद में कर लुंगी।
रूबी उठी और उसका हाथ पकड़ कर बोली - चलो ना।
दोनों अंदर चली गईं। अनादर कमरे में पहुँच कर वर्षा बोली - ये क्या नाटक है ? अभी तक तू मुझे ज्ञान दे रही थी और अब ये इतना एक्सपोज करने वाले कपडे।
रूबी ने धीरे से मुश्कुरा कर कहा - अब मैं क्या कहूं। लता बुआ को मनाना पड़ेगा ताकि पापा और नैना की शादी फिक्स हो सके। देखा नहीं पापा नैना से मिलकर आये तो कितना खुश और रिलैक्स्ड थे। पर जब तक ये नहीं होता है थोड़ा बहुत मजे कर लेने दो उनसे।
वर्षा - तू पापा से मजे लेगी ?
रूबी - हम्म्म। क्या बुराई है। भूल गई वो हम सबका प्यार थे।
वर्षा ने मन ही मन सोचा की वो तो अब भी मेरा प्यार हैं बस रूबी ही कबाब में हड्डी बनी थी।
वर्षा - पर तुम तो उस दिन मुझे ज्ञान दिए जा रही थी।
रूबी - क्यों मेरा मन बदल नहीं सकता क्या ?
वर्षा कुछ सोचते हुए धीरे से बोली - तेरा मन कब कितनी जल्दी बदल जाता है पता ही नहीं चलता।
रूबी - कुछ कहा क्या ?
वर्षा - नहीं तो।
रूबी - जल्दी नाइटी चेक करके बताओ साइज सही है न ?
वर्षा कपडे लेकर अंदर जाने लगी तो रूबी ने उसे पकड़ लिया और कहा - कहाँ जा रही हो ? मुझी से शर्म।
वर्षा ये सुनकर रुक गई। वो रूबी की तरफ पीठ करके हो गई। उसने अपना टी शर्ट उतार दिया और रूबी की लाइ नाइटी ऊपर से पहन लिया। चेन ऊपर करके उसने अपने आपको सीसे में देखा तो पाया की वो एकदम सेक्सी लग रही थी। वैसे उसने इससे भी खुले कपडे पहने थे। और रूबी के आने से पहले तक बदन पर कपडे होने या ना होने की कोई गारंटी नहीं थी। पर रूबी को आये टाइम हो गया था और तबसे उसने इस तरह के कपडे नहीं पहने थे।
तभी रूबी बोली - ए पैंट तो उतारो ।
वर्षा - अरे ये थोड़ी छोटी है।
रूबी - उतारो ना।
वर्षा ने अपना पैंट भी उतार दिया । रूबी ने जान बूझ कर छोटी नाइटी ली थी। वर्षा रूबी से लम्बी थी पर उसका बदन ज्यादा भरा हुआ था। तो नाइटी सिर्फ छोटी ही नहीं थी बल्कि थोड़ी सी ढीली थी। जिससे उसके मुम्मे और ज्यादा दिख रहे थे।
रूबी - सही है। थोड़ी सी छोटी है। अब वापस कौन करे। वैसे भी तुम ज्यादा सेक्सी लग रही हो। पापा को तो मजे हो जायेंगे।
वर्षा - चुप। बहुत बद्तमीज हो गई है।
वर्षा वापस अपने कपडे उठा लेती है। रूबी ने उसे हाथ से उसके कपडे खींच कर कहा - अरे पापा से दिखा लो। वैसे भी अब क्या बदलना।
वर्षा - पर।
रूबी ने उसका हाथ पकड़ा और कमरे से बाहर खींचे हुए ले गई और अनुराग से पूछा - पापा दीदी कैसी लग रही हैं ?
अनुराग ने वर्षा को देखा तो एकदम सकते में आ गया। काम की देवी लग रही थी। इस स्थिति में उसे कोई भी देखता तो चढ़ जाता। उसे खुद को कण्ट्रोल नहीं हो रहा था। दोनों लड़कियों ने उसके लौड़े को हिला कर रख दिया था। उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया।
रूबी - सेक्सी लग रही है न। मस्त माल।
अनुराग शर्माते हुए बोला - हीहीही। तुम भी बहुत बदमाश हो।
वर्षा शर्माते हुए बोली - चंट हो गई है।
खैर कुछ ही देर में वर्षा और रूबी नार्मल हो गए पर अनुराग के लौड़े में आग लग गई थी। वो किसी तरह से सोफे पर बैठा। तीनो बैठ कर टीवी देखने लगे । तभी रूबी के फ़ोन पर उसके हस्बैंड का फ़ोन आ गया और वो फ़ोन उठा कर छत की तरफ चल पड़ी। कमरे में सिर्फ वर्षा और अनुराग रह गए थे। दोनों के बच्चे सो रहे थे। रूबी के छत पर जाते ही अनुराग बोला - रूबी सही कह रही थी। एकदम सेक्सी लग रही हो। मस्त माल। मन कर रहा है कि ~~
वर्षा - क्या मन कर रहा है ?
अनुराग - पटक कर यहीं चोद दूँ।
वर्षा ने उसे उकसाते हुए कहा - छोड़ने लायक माल तो ाकि छोटी बेटी है।
अनुराग - उसे तो सच में पबरहमी से चोदने का मन करता है पर बहनचोद एकदम दादी बनी बैठी है। पता नहीं आज क्या हुआ है उसे।
वर्षा - पति से अलग हुए टाइम हो गया है। हो सकता है उसकी चूत कुलबुला रही हो।
अनुराग - पता नहीं। साली एकदम से बदल गई है। शादी से पहले मेरा लौड़ा लेने को बेताब थी पर अपने पति का लौड़ा लेते ही मेरे लौड़े को भूल गई है।
वर्षा उसके गोद में आकर बैठ गई और अनुराग के लौड़े को पकड़ कर बोली - एक बार दिखा दीजिये फिर से दीवानी हो जाएगी।
अनुराग - साली मौका ही नहीं देती है।
वर्षा उसके गोद में बैठे बैठे अपने कमर को हिलाने लगी। अनुराग ने कहा - रहने दे , वो आ जाएगी तो प्रॉब्लम हो जाएगी।
वर्षा - छोड़िये। आ जाने दीजिये। आज उसका रेप ही कर लीजिये।
अनुराग - मन तो करता है पर ~~
वर्षा - उफ्फ्फ , कितनी मज़बूरी है।
अनुराग - रात को आना।
वर्षा - हम्म
तभी उन दोनों को रूबी के कदमो कि आहट आई। वर्षा तुरंत उठ गई और किचन में चली गई।
रूबी भी उसके पास चली गई। दोनों बहने खाना बनाने लगी। दोनों का पिछवाड़ा देख अनुराग एकडैम से एक्ससाइटेड हो रखा था। उसका मन कर रहा था पीछे से जाकर पकड़ ले और चोद दे पर वो कुछ कर नहीं सकता था
उधर किचन में रूबी ने वर्षा को छेड़ते हुए कहा - और डार्लिंग , पापा से क्या बतिया रही थी।
वर्षा - तेरी तरह फ़ोन सेक्स तो कर नहीं सकती।
रूबी - रोका किसने था। असली वाला सेक्स कर लेती।
ये सुन कर वर्षा ने उसकी तरफ चेहरा करके घुरा। रूबी बोली - अरे मजाक कर रही थी। पर थोड़ी बहुत मस्ती करने में बुराई नहीं है।
वर्षा उदास होते हुए बोली - तुझे पता नहीं तू क्या कर रही है। तुझे सिर्फ परेशान करने में मजा आता है।
रूबी - हर चीज का अपना मजा है अगर सब लिमिट में हो तो।
वर्षा - जवानी में तो लिमितलेस थी तू , अब लिमिट कि बात कर रही है।
रूबी - देखते हैं कब तक लिमिट में रह पाते हैं।
दोनों फिर काम में लग गए। तभी रूबी का बच्चा उठ गया और रोने लगा। रूबी भाग कर आई और उसे उठा लेती है। उसने अंदर जाने के बजाय एक दुपट्टा लिया जो लगभग ट्रांसपेरेंट था और उसे ओढ़कर अपने बेटे को वहीँ सोफे पर बैठ कर दूध पिलाने लगी। दुप्पट्टे के अंदर से अनुराग को उसके स्तन दिख रहे थे। वो अपनी नजरें हटाना चाह रहा था पर बार बार उसकी नजर चली जा रही थी। उसने सोचा कि वो उठ जाए पर उसे तभी याद आया कि वो खुद तो आज ज्ञान दे रहा था और वैसे भी रूबी कुछ बदली बदली सी लग रही थी। ये सोच वो वहीँ बैठ गया। रूबी को पता था कि उसके पापा उसे देख रहे हैं। मन ही मन वो खुश हो रही थी। उसने कुछ सोच कर आँखें बंद कर लीं और सोने का नाटक करने लगी। उसकी हालत देख अनुराग ने कहा - तू इस बड़े वाले सोफे पर आ जा और लेट जा।
रूबी ने कहा - थैंक यू पापा। थक गईं हूँ।
अनुराग उठ कर वन सीटर पर बैठ गया और रूबी वही सोफे पर लेट गई। पर उसने बच्चे को अंदर कि तरफ किया और किसी तरह अटक कर सोफे पर अनुराग कि तरफ पीठ करके लेट गई। इस तरह लेटने से उसकी गांड उभर आई। उसकी नाइटी छोटी थी जो अब सरक कर उसके जांघो से ऊपर हो चुकी थी। अब अनुराग बेशरम होकर उसके शरीर को देख रहा था। किचन से वर्षा ने जब ये देखा तो मुश्कुरा उठी। उसकी मुश्कुराहट उसके ऊपरी और निचली दोनों होठो पर आ गई थी। चूत कि लबों ने भी खुद को भिंगोना शुरू कर दिया था।
अनुराग का लौड़ा भी बेकाबू होने को था। माहौल में शांति थी पर गर्मी भरी हुई थी। तभी अचानक से रूबी ने करवट किया और अनुराग कि तरफ चेहरा कर ली। अब तो गजब हो चूका था। उसके दूध पुरे बाहर आ चुके थे। अब तो अनुराग के लौड़े में आग लग गई। उसका मन कर रहा था कि वो एकदम से रूबी के ऊपर चढ़ जाए। उसने अपने हाथों से अपने लैंड को मसलना शुरू कर दिया था। उसके मसलने से उसका लैंड पैजामे के अंदर ही माल छोड़ने को तैयार था। तभी रूबी का बेटा कुनमुनाया। शायद रूबी के करवट लेने से वो दब रहा था। ये सुनकर रूबी जग कर बैठ गई। उसने अपने बेटे को उठा लिया। उसने बड़े आराम से अपने स्तनों को अपने नाइटी में डाला। लग ही नहीं रहा था कुछ गलत हुआ हो। उसने फिर अपने बेटे को लिया और कमरे में चली गई। कुछ देर बाद वर्षा ने खाने के लिए आवाज लगाई।
सभी खाना खाने बैठ गए। वर्षा अपने बेटे को खाना खिला रही थी। तभी उसके बेटे ने दोपहर वाली हरकत शुरू कर दी। पर इस बार वो ऊपर से नाइटी उतारने कि कोशिश करने लगा। पर इसबार वर्षा ने उसे डांटा नहीं बल्कि बोली - कुछ तो खा लो।
बच्चा - नहीं , मुझे दुधु पीना है। मौसी ने भी तो बाबू को पिलाया है।
ये सुन सब हंस पड़े। वर्षा - रूबी यार , वो दुपट्टा दे , ये नहीं मानेगा।
रूबी ने उसे दुपट्टा दे दिया। वर्षा ने बससे कंधे से लटका लिया और अपने बेटे को अनपे स्तनों से खेलने दिया। कुछ ही देर में उसका एक स्तन बाहर था। अनुराग का लौड़ा फिर से कुलांचे मारने लगा। निचे डाइनिंग टेबल से अनुराग अपने पैरों को वर्षा के पैरों से रगड़ने लगा। उसके पेअर के लगते ही वर्षा ने सिसकारी ली। रूबी ने इस समय जल्दी खाना खतम किया और उठ कर बोली - मैं सोने जा रही हूँ।
उसके अंदर जाते ही वर्षा ने दुप्पटा हटा दिया। अब उसके दोनों स्तन बाहर थे। ये तीनो सदस्य ऐसी परिस्थिति के आदि थे। अनुराग और वर्षा ने खाने कि स्पीड कम कर दी। अब वर्षा ने अपने पेअर अनुराग के पैरों के बीच में कर दिया। वो टेबल के नीचे से अपने पैरों से अनुराग के लौड़े को रगड़ रही थी। अनुराग ने खाना बंद कर दिया और अपने हाथों से उसके पैरों को सहलाने लगा। मौसी के जाते ही वर्षा का बेटा उठ गया। उसने कहा - मौसी कहाँ गई ?
वर्षा - सोने गईं।
वर्षा का बेटा भाग कर अंदर चला गया। वो और रूबी जल्दी ही घुल मिल गए थे। अब डाइनिंग टेबल पर वर्षा और अनुराग थे। वर्षा की नाइटी ऊपर से पूरी तरह खुली हुई थी । उसके दोनों मुम्मे बाहर लटक रहे थे। दोनों एक दुसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे नजरों से ही चुदाई कर रहे हों। वर्षा से आखिर कार रहा नहीं गया। वो उठी और अनुराग के गोद में आकर बैठ गई। दोनों एक दुसरे से लिपट गए। वर्षा ने अनुराग के लौड़े को पैंटी साइड करके अपने चूत में घुसा लिया और अपने मुम्मे अनुराग के मुँह में डाल दिया।
दोनों की गर्म साँसे एक हो गईं।
वर्षा - पापा , पी जाओ। आपके नाती ने ढंग से पिया भी नहीं है।
अनुराग उसके स्तनों से दूध पीने लगा। वर्षा धीरे धीरे अपने कमर को हिलाने लगी थी। अनुराग अब उसके स्तनों को दबाने में लग गया और उसके होठों के रसपान करने लगा। दोनों एक दुसरे में खो जाना चाहते थे।
वर्षा - पापा अब मुझसे नहीं रहा जाता चोद दो मुझे।
अनुराग - तू ऊपर है। जो करेगी तू करेगी।
वर्षा ने अपने कमर की स्पीड बढ़ा दी और हाँफते हुए बोली - उफ़ आह। आपका लैंड कितना गरम है। अंदर लग रहा है आग सी लग गई।
अनुराग - मुझे तो लग रहा है तेरी चूत आग की भट्टी है। मेरा लौड़ा जल रहा है।
वर्षा - उफ़ पता नहीं कहाँ आग लगी है पर जल हम दोनों रहे हैं।
अनुराग - कोई बात नहीं। अभी मेरा लौड़ा बारिश करेगा।
वर्षा - हाँ पापा , उसके बारिश से ही ये आग बुझेगी।
दोनों एक दुसरे को झटके पर झटका दिए जा रहे थे।
रूबी कमरे में थी पर उसे पता था बाहर क्या हो रहा होगा। उसके चूत भी गीली हो गई थी। मन कर रहा था वो भी आज चुद जाए पर उसने खुद पर कण्ट्रोल किया हुआ था। अभी सही समय नहीं आया था। बाहर कुछ देर में ही लंड और चूत दोनों ने पानी छोड़ दिया। काफी देर से एक बाँध ने रोक रखा था जो जल्दी हो प्रेशर से टूट गया। दोनों हांफ रहे थे। वर्षा ने अनुराग को जकड रखा था। कुछ देर बाद जब गर्मी शांत हुई तो वर्षा मुश्कुराते हुए उठी और अनुराग से चूम कर बोली - खुश ?
अनुराग ने हामी भरी और कहा - तू बता ?
वर्षा ने अपने चूत में ऊँगली डाली और अंदर का माल चाटते हुए बोली - मैं तो खुश हो गई।
अनुराग - रात को आएगी ना ?
वर्षा - अरे। अब भी चाहिए।
अनुराग ने कहा - हम्म।
वर्षा - देखती हूँ।
अनुराग भी उठ गया और कमरे में जाने के बजाय वहीँ किचन में वर्षा का हाथ बटाने लगा। काम करते करते दोनों एक दुसरे को बीच बीच में चूम रहे थे। दोनों कुछ समय के लिए भूल गए थे की रूबी घर में है। पर रूबी नहीं भूली थी। ऊके आँखों से नींद कोसो दूर थी। उसने अपने ससुराल फ़ोन घुमा लिया। फ़ोन उसकी सास ने उठाया था।
रूबी की सास - क्यों साली, नींद नहीं आ रही है या चूत में खुजली हो रही है ?
रूबी - बहन की लौड़ी , बहुत बोल रही है। लगता है छेद में लौड़ा नहीं है ?
रूबी की सास - तेरे खसम की गोद में ही हूँ। उसका लौड़ा हैं न ? तेरे ससुर तुझे याद कर रहे हैं ?
रूबी - उसको बोल तेरी चूत चाटे।
रूबी की सास - लगा हुआ है अपने फेवरेट काम में। लगता है अभी तक अपने बाप का लौड़ा लिया नहीं तूने।
रूबी - बस कुछ हफ़्तों की बाद है।
तभी उसका हस्बैंड उधर से बोला - जल्दी कर , मुझे तेरी बहन चाहिए।
उसके ससुर भी चिल्ला कर बोले - मुझे भी। सुना है तेरी बुआ भी मस्तिया गई है।
सास - सुन रही है न।
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अब रूबी के यहाँ क्या हुआ , कैसे हुआ और ये स्थिति कैसे हुई ये फिर कभी या किसी और कहानी में पर रूबी ने जाल हर तरफ बिछा रखा था। एक नंबर की चुदाईल थी पर खुद को यहाँ रोका हुआ था।
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