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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Do you want all characters of the stories to fuck each other or only Anurag should fuck the ladies?

  • Yes - I love everyone to be fucked by everyone

    Votes: 29 44.6%
  • No - I love the love between Anurag, Naina and Varsha. That should be kept sacred

    Votes: 21 32.3%
  • No- Only the Hero should have all the fun

    Votes: 15 23.1%

  • Total voters
    65

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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घर पहुँचने पर लता और रूबी के अलावा दोनों बच्चे भी एकदम खुश हो गए। वर्षा के बेटा पहले तो अनुराग से नाना करके लिपट गया फिर अपनी माँ के साथ लिपट गया। वर्षा को देख कर वो रोने लगा और उससे एकदम लिपट गया। अपने पिता के चक्कर में वर्षा उसे भूल ही गई थी। पर उसका बेटा भी उसकी तरह ही बहादुर था। काम ही उम्र में उसने अपने माँ की कठिनाइयों को भांप लिया था। उसे अपने पिता और ददिहाल की कोई याद नहीं आती थी। उसके लिए उसका परिवार ननिहाल ही था। वर्षा ने भी मन में कुछ निर्णय कर लिया था। उसके लिए उसके पिता और बेटे के अलावा कोई था तो सिर्फए परिवार।

सब जब ड्राइंग रूम में बैठे तो लता और रूबी किचन में गए और सबके लिए खाने का सामान लेकर आये। रूबी के हाथ में एक ट्रे था जिसमे दूध का भरा ग्लास था।
दूध देखते ही नैना मुश्कुरा उठी। उसने कहा - आप पहले ताजा दूध पी लो फिर कुछ खाना । आपको तीन चार टाइम ताजा दूध पीना है। तब अब वापस अपने पुराने स्ट्रेंथ को पाएंगे।
उसने ताजा शब्द पर ज्यादा ही जोर डाला था।
लता भी बोली - हाँ , ताजा ही है। पी ले। तेरे लिए जरूरी है।
अनुराग के पेट के निचे ये सब सुनते ही हलचल होने लगा । सब इतना जिद्द कर रहे थे तो पीना ही था। उसने ग्लास उठाया और पीने लगा।
लता - स्वाद कैसा है ?
अनुराग कुछ नहीं बोला। उसे पता था की दूध किसका है।
रूबी - बोलिये न पापा ।
अनुराग को बोलना ही पड़ा - टेस्टी है।
रूबी एकदम से खुश हो गई। वर्षा भी खुश थी। उसका बेटा उससे चिपका हुआ था। वर्षा उसके माथे को चूमे जा रही थी। उसे ग्लानि हो रही थी की वो अपने बेटे पर अत्याचार कर रही है।
चाय नाश्ते के बाद वर्षा बोली - बुआ , नैना मुझे आपसे कुछ बात करनी है। जरा कमरे में आओ।
लता , नैना और वो उठ कर कमरे में चली गई। अनुराग बच्चों के साथ खेलने लगा। रूबी वहीँ बैठे अपने पिता को नहार रही थी। उसने इतना अत्याचार किया था उनके साथ। माहौल दोनों के लिए थोड़ा असहज था पर ये असहजता कुछ ही दिनों में सहजता में बदलने वाली थी। रूबी ने निर्णय ले लिया था की वो भी अपने पिता को पूरा प्यार देगी ।
कमरे में लता ने वर्षा से पुछा - क्या हुआ, हमें अलग क्यों बुलाया ?
वर्षा - मुझे माफ़ कर दो बुआ मैं आपकी शर्त पूरी नहीं कर सकती। पर आप उसकी वजह से नैना और पापा की शादी मत तोडना प्लीज।
ये कह कर वर्षा सुबकने लगी और सुबकते हुए बोली - मैं पापा के अलावा किसी और की नहीं हो सकती। मैं उन्हें बहुत प्यार करती हूँ। नैना , प्लीज इसको गलत मत समझो। मैं जानती हूँ तुम पापा से बहुत प्यार करती हो। मैं तुम्हारा प्यार नहीं छीनना चाहती हूँ। पर क्या तुम अपने प्यार का कुछ हिस्सा मुझे दे सकती हो ? देखो न बेटू भी नाना को कितना प्यार करता है। उसे अपने पापा की याद तक नहीं आती।

वर्षा एक ही सांस में रट हुए इतना कुछ कह गई और बिस्तर पर बैठ गई। नैना उसके पास गई और उसे अपने बाँहों में भरते हुए बोली - अरे पगली , तुझे क्या लगता है , मुझे तुमसे कोई दिक्कत है ? मुझे तुमसे या घर के किसी भी औरत से इन्हे शेयर करने में कोई दिक्कत नहीं है। बस कोई बाहर वाली ना हो। और जहाँ तक रही शादी की तो वो सिर्फ एक फॉर्मेलिटी है। मैं इन्हे मन से अपना पति मान चुकी हूँ। तन देने में हिचक नहीं है। अगर ये नहीं मानेंगे तो एक दिन यहीं बिना रस्म निभाए शिफ्ट हो जाउंगी।
नैना वर्षा के सामने कड़ी थी और उसके बालो को सहला रही थी। उसके आँखों से भी आंसू निकलने लगे।
लता जो अब तक इनकी बाटने सुन रही थी , वर्षा के बगल में आकर बैठ गई और बोली - मेरी बच्ची , मुझे तुम सब की खुशियां चाहिए । अभी तक मन नहीं मान रहा था पर अब तुम सबका प्यार देख मुझे खुद पर गुस्सा आता है। और तेरे फूफा तो पहले से तैयार हैं। उन्हें तेरे या किसी और के जिस्म की चाह नहीं है।
तीनो एक दुसरे से लिपट गए।
लता - तू फिक्र ना कर। जो चाहेगी वही होगा।
नैना - दीदी , आप चिंता मत करो। मैंने तो बस पापा के त्याग के बदले उन्हें थोड़ी खुशियां देने को सोची थी। पर मुझे पता है वो कुछ भी जबरजस्ती नहीं लेंगे। और इस बात से तुम मेरे दिल के और करीब आ गई। मुझे अब ख़ुशी है कि इन्हे मुझ जैसा प्यार करने वाला कोई और भी है। अब मामी की कमी नहीं खलेगी। तुम्हे शक्ल वैसे भी उनसे मिलती है।
लता - हाँ, छोटी सुलेखा चिंता मत कर। तू सिर्फ अनुराग की है। चल उठ जा वारा तेरे पापा और दुष्ट रूबी आ जायेंगे। तेरी रुलाई अनु को वैसे भी नहीं देखि जाती।
लता ने नैना को गले लगाते हुए कहा - बोल कब की डेट निकलवायें।
नैना - दीप्ति और अवि को आ जाने दो।
उनका नाम सुनकर लता पूछी - अवि और दीप्ति के साथ सब ठीक है न?
नैना - हाँ , पर अवि में एक प्रॉब्लम है।
वर्षा - क्या प्रॉब्लम है ? उसकी तबियत तो ठीक है न ?
नैना मुश्कुराते हुए - सब ठीक है। जो प्रॉब्लम है उसका समाधान भी मेरे पास है।
लता कुछ कुछ समझने लगी थी। वो सोच में पद गई की उसकी बेटी क्या चाहती है ? पर फिर सर झटक कर मन में बोली - ये जो भी करेगी ठीक ही करेगी।
तभी नैना बोल पड़ी - और ये रूबी को क्या हुआ है ? आपके और रूबी के बीच में क्या चल रहा है ?
लता से पहले नैना हँसते हुए बोल पड़ी - वही जो तेरे और इनके बीच में चल रहा है। रूबी अब सही रास्ते पर है।
लता - बहुत हरामी चीज है वो। हम सब से बहुत आगे। और लगता है तेरे पापा को मजा आने वाला है।
नैना - आएं ? ऐसा क्या ?
लता - हाँ , साली पुरे ससुराल से चुद रही है। फूफा के निचे आने में कोई दिक्कत नहीं है।
नैना - पर देख लेना , शर्त की वजह से ना झुके। खुद से तैयार होनी चाहिए।
तभी कमरे में रूबी आती है और बोलती है - क्या बुआ , आपसे एक दिन भी बात नहीं पचि ? मदहोशी में बोली हुई बात इहे बता दिया ?
नैना ने उठ कर रूबी को गले लगा लिया और बोली - तू इतनी हरामी चीज है पता नहीं था।
रूबी - मैं बचपन से ऐसी थी। और मुझे फूफा से चुदने में कोई दिक्कत नहीं है।
नैना - सोच ले। माँ मेरी और मामा की शादी के लिए बिना शर्त मान गईं हैं।
रूबी हँसते हुए - ये तो बढ़िया है। पर मुझे तब भी कोई दिक्कत नहीं है। मुझे वैसे भी एक साथ दो लेने की आदत है।
वर्षा हँसते हुए - फिर तो पापा को बोलना पड़ेगा आज ही ले ले तेरी।
रूबी - मन से मानी हूँ , तन देने में समय लगेगा। जो जैसे हो रहा है , जिस समय के हिसाब से हो रहा है होने दो। कोई जोर जबरजस्ती या जल्दी नहीं।
लता - हाँ , धीमी आंच पर ही स्वाद ज्यादा आता है।
वर्षा - आप तो स्वाद ले चुकी हो इसका।
लता - तू भी तो ले चुकी है।
नैना - मतलब मैं ही बची हूँ।
रूबी - तेरे लिए तो जान हाजिर है मेरी जान। आज रात तुझे भी स्वाद चखाती हूँ।
नैना - हाहाहाहाहा , अभी पापा के लिए तैयार रख। वैसे क्या कर रहे हैं वो ? अकेला क्यों छोड़ दिया ?
रूबी - अरे बच्चों के साथ मगन है। बेटू तो पूरा ख्याल रख रहा है। उसकी बातें टीो ख़त्म ही नहीं हो रही हैं। मन लगाए रखता है।
लता - हाँ। हम सबकी जान है वो।
तीनो कुछ देर और बातें करती हैं फिर ड्राइंग रूम में वापस आ जाती हैं। लता, वर्षा और रूबी खाने की तैयारी में लग जाती हैं। नैना अनुराग से बातें करने लगती है।
नैना अनुराग से - अब कैसा लग रहा है ?
अनुराग - ठीक महसूस हो रहा है। पहले भी ठीक ही था , तुमने ही बड़ा बना दिया।
नैना ने उसका हाथ अपने हाथों में लेकर कहा - अच्छा , फ़ोन तो आपने ही किया था ? बात छोटी थोड़े ही थी। कुछ भी हो सकता था।
अनु- जाने दो अब। उस दिन को याद मत करो। अब सब ठीक है।
नैना ने मुश्कुराते हुए कहा - अब और भी ठीक हो जायेगा। मरखइ गाय अब सीधे रास्ते पर जो है।
अनु - तुम भी ना। क्या ये सब सच में जरूरी है ?
नैना - हाँ। डॉक्टर ने कहा है। और सब आपको पसंद करते हैं। रूबी भी। बस उसे प्यार जताना नहीं आया। पर अब सब सही हो जायेगा।
अनु - हम्म्म। पर तुम सबको क्यों शामिल कर रही हो ?
नैना - मैं किसी को नहीं शामिल कर रही हूँ। सब अपने आप शामिल हो रही हैं।
अनु - पर रिश्ते में ?
नैना - अब शादी का दिन आ रहा है टी रिश्ते की याडी आ रही है। माँ तो डेट निकलवाने की बात कर रही हैं।
अनुराग ने कहा - सच में ?
नैना ने नजरें झुका लीन और बोली - हाँ।
अनुराग खुश हो गया और उसने नैना को उसके होठों पर किस कर लिया। वि कुछ पल के लिए भूल गया की पास में बच्चे भी हैं। उनकी चुम्मी देख कर बेटू चिल्लाया - नानू ने मासी को चुम्मी दी , ननु ने मासी को चुम्मी दी।
उसकी चिल्लाहट सुन दोनों झटके से एक दुसरे से अलग हो गए। वर्षा बेटू को डांटते हुए बोली - चुप , शोर क्यों मचा रहा है।
रूबी बोली - क्या पापा , ऐसी भी क्या जल्दी थी। और जल्दी थी भी तो रूम में चले जाते।
अनुराग घबरा गया और रूम में चला गया।
लता - देख ऐसे तो दुल्हन भी नहीं शर्माती है। बन्नो तो बैठी है पर बनना भाग गया।
नैना - माँ , आप भी ना। चुप रहो।
वर्षा ने बेटू को गोद में उठा लिया और बोली - शोर मत मचाया करो। मासी नानी बनने वाली है। पर किसी और से ये सब मत कहना।
बेटू ने समझदारी से सर हिलाया और वर्षा के गोद में सिमट गया
Shaandar Lovely update 💓 💓 🔥
 

Gauravv

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Update de do bhai
 
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