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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Do you want all characters of the stories to fuck each other or only Anurag should fuck the ladies?

  • Yes - I love everyone to be fucked by everyone

    Votes: 33 46.5%
  • No - I love the love between Anurag, Naina and Varsha. That should be kept sacred

    Votes: 22 31.0%
  • No- Only the Hero should have all the fun

    Votes: 16 22.5%

  • Total voters
    71

tharkiman

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124
अगले दिन अनुराग को हॉस्पिटल से घर आना था। चूँकि चिंता वाली कोई बात नहीं थी तो शेखर ऑफिस चला गया था। नैना ने रूबी , लता और बच्चों को अनुराग के घर छोड़ दिया। दो दिन के लिए ही सब यहाँ से गए थे पर घर पूरा अस्त व्यस्त था। वो दोनों साफ़ सफाई में लग गईं। उसके बाद खाने पीने में। उधर नैना हॉस्पिटल पहुंच कर फॉर्मेलिटी में लग गई।
इधर घर की साफ़ सफाई के बाद लता और रूबी नहा धोकर खाने की तैयारी में लग गई। खाना बनाते बनाते रूबी लता से बोली - बुआ , पापा के लिए ताजा दूध भी तैयार रखना है।
लता मुश्कुराते हुए बोली - तू इतनी जल्दी ऐसे बदल जाएगी उम्मीद नहीं थी।
रूबी ने ब्लश करते हुए कहा - पापा के लिए सब मंजूर है। एक्चुअली मेरे मियां इतना प्यार करते हैं की पापा के बारे में सोचा नहीं था।
लता - हम्म। सब मंजूर है। तुझे पता है पापा और नैना की शादी के लिए कुछ शर्ते रख दी गईं थी।
रूबी - मुझे उनकी ख़ुशी के लिए सब मंजूर है।
लता - देखते हैं। फिलहाल आने तो दे उन सबको। वैसे नैना को फ़ोन कर दे। निकलने से पहले बता देगी। दूध उसी समय निकालेंगे।
रूबी - ठीक है।
रूबी ने फ़ोन पर नैना को बोल दिया। हॉस्पिटल में फॉर्मेलिटी होते होते दो तीन घंटे लग गए। उसके बाद नैना वर्षा और अनुराग को लेकर घर के लिए निकल पड़ी। फाइनल डिस्चार्ज से पहले नैना ने रूबी को फ़ोन कर दिया।
रूबी ने फ़ोन सुना तो लता के पास पहुंची और बोली - बुआ , निकाल दो।
लता - अरे पंप रखा होगा। उससे निकाल दो।
रूबी शर्माते हुए सर झुका कर बोली - बुआ आप निकाल दो न।
लता ने रूबी के चेहरे को हाथों से पकड़ कर उठाते हुए बोली - सीधे सीधे बोल ना दूसरो से दुह्वाने में मजा आता है। भाई आता है तो बोलूंगी दोनों गायों को ठीक से चारा डाले और दूध पूरा निकाले।
रूबी शर्माते हुए - आप रहने दो। मैं पंप कर लेती हूँ।
लता - मैं हूँ तो फिर क्यों। आजा मेरी दूधारू गाय।
लता ने रूबी के टी शार्ट को उतार दिया। उतारते समाया उसने उसके बदन को अच्छे से छुआ। रूबी ने अंदर नर्सिंग ब्रा पहनी हुई थी। लता ने उसके फ्लैप खोल दिए। उसने फिर रूबी को किचन की स्लैब की तरफ करके खड़ा कर दिया और उसके सीने के सामने एक भगोना रख दिया। खुद उसके पीछे आ गई और उसके स्तनों को दबाने लगी। दूध की धार निकल कर भगोने भरने लगी। ऐसे कुछ दूध इधर उधर भी gir रहा था। लता बोली - ऐसे बर्बाद होगा , चल गाय ही बन जा।
रूबी एक आज्ञाकारी दुधारू बाचिया की तरह निचे अपने घुटने और हाथो के सहारे चौपाया बन गई। लता ने भगोना उसके थानों के निचे रखा और बगल में बैठ कर उसे एकदम गाय की तरह दूहने लगी। उसकी निप्प्प्लें एकदम लम्बी हो गईं थी। लता ने आज गौर किया की उसके निप्पल एकदम तने हुए और लम्बे थे। खजूर से भी लम्बे जो आसानी से उन्स्की उंगलियों में फंस जा रहे थे। रूबी अब एकदम गरम हो गई थी।
उसे अपने ससुराल की याद आ गई। रोज उसकी सास भी ऐसे ही उसे दूहती थी। कई बार तो उसके पति और ससुर बछड़े की तरह उसके थान से डाइरेक्ट पी लिया करते थे। यही सब वजह थी की वो पूरी तरह संतुष्ट थी और यहाँ उसने वर्षा और अनुराग को सताया था ।

लता उसे दूहते हुए बोली - लगता है तुझे ऐसे दूहवाने की आदत है। कौन ढूढ़ता है वहां ? तेरा पति या वहां भी मेरे जैसी एक तबेले वाली मालकिन है ?
रूबी - तबेले वाली ही है। बढ़िया से निकालती है।
लता - अच्छा - दूध पीने वाले फिर एक से ज्यादा होंगे। लगता है बेटे के अलावा पूरा घर पीता है।
रूबी नशे में थी - आआह इस्सस , बुआ बातें बाद में। सब राज आज ही जान लोगी क्या ? वो लोग आते ही होंगे। जल्दी करो।
लता - हम्म्म। बता ना।
रूबी - क्या करती बुआ , दूध इतना निकलता है। पूरा मोहल्ला पी ले। हमने तो बाहर का दूध मंगाना ही बंद कर दिया है।

रूबी सच कह रही थी। भगोना भर गया था। पर दूध अब भी था। लता भी गरम हो चुकी थी , उसने भगोना हटाया और रूबी को उठा कर वापस किचन के स्लैब के सहारे खड़ा कर दिया। निचे से वो खुद रूबी की तरफ चेहरा करते हुए उसके दोनों बाहों के बीच से निकल कर ऊपर कड़ी हो गई। अब लता स्लैब और रूबी के बीच में थी रूबी के बाँहों के अंदर। उसका चेहरा रूबी के तरफ था। उसने पहले रूबी के होठों को चूमा फिर उसके स्तनों पर भीड़ गई। रूबी सिसकारियां लेते हुए बोली - आह , आप एकदम उनकी तरह ही हो। चूस लो मेरे मुम्मो को। दूध भरने के बाद दर्द होने लगता है। आह , मिटा दो मेरा दर्द।
लता इ अपना एक हाथ रूबी के पैंट के अंदर डाल दिया और उसके चुत को हथेली से रगड़ने लगी। अब रूबी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी। वो खुद भी कमर को हिलाने लगी थी। लता ने दूध छोड़ दिया और रूबी के पेंट को सरका कर अपनी दो ऊँगली उसके चूत में डाल दी। अब रूबी ने तेजी से अपने कमर को हिलाना शुरू कर दिया। लग रहा था वो किसी से चुद रही हो, लता ने अपनी उँगलियाँ इस तरह कर ली थी जैसे लंड ही हो। कुछ ही देर में रूबी का बदन थरथराने लगा। उसे एक जबरजस्त ओर्गास्म महसूस हो रहा था। वर्षा के साथ उसने खेल तो शुरू किया था पर वो सिर्फ चूत चुसाई तक ही था। पर लता के साथ दो दिन में ही वो पूरी तरह से खुल चुकी थी। लता में उसे अपनी माँ और सास दोनों की झलक दिखती थी। वर्षा के साथ थोड़ा कॉम्पिटिशन था पर यहाँ तो समर्पण था। पूर्ण समर्पण। ऐसा ही पूर्ण समर्पण उसे अपने पिता को करना था पर क्या वो इतनी जल्दी कर पायेगी या समय लेगी ?
रूबी स्खलती हो चुकी थी। वो और लता दोनों एक दुसरे के बाहों में थे। लता की चूत ने भी पानी छोड़ दिया था पर वो संतुष्ट नहीं थी।

रूबी ने गहरी सांस लेते हुए उसके कान में धीरे से कहा - बुआ , चूत तो तुम्हारी भी बह गई है।
लता - तुझ जैसी गरम लड़की हो तो बहेगी ही न।
रूबी - पर तुम्हारी चूत को बड़ा लौड़ा चाहिए। मेरे बहनचोद पापा का लौड़ा।
लता - तुझे ?
रूबी - मुझे भी , पर पता नहीं मेरी चूत उसके लिए कब तैयार होगी। पर आज शाम को जाने से पहले तुम भाई की सेवा करके उसका मेवा ले लेना।
लता - अभी उसकी तबियत ठीक नहीं है। उसका मेवा तो मेरा है ही। आज नहीं तो कल ले लुंगी। वैसे भी आज वर्षा का दिन है।
रूबी - हम्म। वो भी बहुत तरसी है। चलो आते ही होंगे वो सब। अब दोबारा नहाना पड़ेगा।
दोनों फिर अलग अलग बाथरूम में नहाने चले गए। नहा कर दोनों ने साडी पहन ली। उधर वर्षा ने नैना का लाया सूट पहना था और नैना हमेशा की तरह पैंट और शर्ट में।
नैना ने साड़ी फॉर्मेलिटी कर ली थी। डॉक्टर ने डिस्चार्ज बना दिया था। लता अनुराग के लिए एक बढ़िया जीन्स और टी शर्ट लेकर आई थी। बदन पोछने के बाद अनुराग बाथरूम में कड़े पहनने के लिए जाने लगा तो नैना हाथ पकड़ कर रोक लिया और कहा - हामी से शर्मा रहे हैं।
वर्षा - हां पापा , हमें तो नंगा कर देते हैं पर खुद ऐसे शर्मा रहे हैं जैसे हम दोनों रेप कर देंगे आपका।
अनुराग ने बहस करना उचित नहीं समझा। उसके कपडे उन दोनों के सामने बदल लिए। दोनों उसके चुस्त बदन को देखते रहीं। थोड़ा कमजोर हो गया था पर अनुराग में अब भी उतना ही दम था ये बात ये दोनों जानती थी।
अनुराग ने कपडे पहन लिए तो नैना ने कहा - एकदम स्मार्ट लग रहे हैं।
उसने अनुराग को किस कर लिया। उसे किस करता देख वर्षा भी कहाँ पीछे हटने वाली थी। उसने भी अनुराग को किस किया। अनुराग संकोच में था। पर खुश था। उसकी खुशियां लौट आई थी। तीनो फिर बाहर निकल पड़े। अनुराह नैना और वर्षा के बीच में चल रहा था। तीनो को देख हॉस्पिटल में सब उन्हें ही देखने लगे। सबको जलन सी होने लगी थी। लड़कियां नैना और वर्षा से जल रही थी और लड़के अनुराग से।
 

tharkiman

Active Member
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Kahani to ab adultery ki side ja rhi hai bhai hero agr anuraag hi rhe toh asha tha
kahaani me hero anurag hi hai. par anya purush patra bhi hain . Why should only Anurag have all the fun? Let them have their share of fun too.. its all in the family..
 

Ek number

Well-Known Member
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173
अगले दिन अनुराग को हॉस्पिटल से घर आना था। चूँकि चिंता वाली कोई बात नहीं थी तो शेखर ऑफिस चला गया था। नैना ने रूबी , लता और बच्चों को अनुराग के घर छोड़ दिया। दो दिन के लिए ही सब यहाँ से गए थे पर घर पूरा अस्त व्यस्त था। वो दोनों साफ़ सफाई में लग गईं। उसके बाद खाने पीने में। उधर नैना हॉस्पिटल पहुंच कर फॉर्मेलिटी में लग गई।
इधर घर की साफ़ सफाई के बाद लता और रूबी नहा धोकर खाने की तैयारी में लग गई। खाना बनाते बनाते रूबी लता से बोली - बुआ , पापा के लिए ताजा दूध भी तैयार रखना है।
लता मुश्कुराते हुए बोली - तू इतनी जल्दी ऐसे बदल जाएगी उम्मीद नहीं थी।
रूबी ने ब्लश करते हुए कहा - पापा के लिए सब मंजूर है। एक्चुअली मेरे मियां इतना प्यार करते हैं की पापा के बारे में सोचा नहीं था।
लता - हम्म। सब मंजूर है। तुझे पता है पापा और नैना की शादी के लिए कुछ शर्ते रख दी गईं थी।
रूबी - मुझे उनकी ख़ुशी के लिए सब मंजूर है।
लता - देखते हैं। फिलहाल आने तो दे उन सबको। वैसे नैना को फ़ोन कर दे। निकलने से पहले बता देगी। दूध उसी समय निकालेंगे।
रूबी - ठीक है।
रूबी ने फ़ोन पर नैना को बोल दिया। हॉस्पिटल में फॉर्मेलिटी होते होते दो तीन घंटे लग गए। उसके बाद नैना वर्षा और अनुराग को लेकर घर के लिए निकल पड़ी। फाइनल डिस्चार्ज से पहले नैना ने रूबी को फ़ोन कर दिया।
रूबी ने फ़ोन सुना तो लता के पास पहुंची और बोली - बुआ , निकाल दो।
लता - अरे पंप रखा होगा। उससे निकाल दो।
रूबी शर्माते हुए सर झुका कर बोली - बुआ आप निकाल दो न।
लता ने रूबी के चेहरे को हाथों से पकड़ कर उठाते हुए बोली - सीधे सीधे बोल ना दूसरो से दुह्वाने में मजा आता है। भाई आता है तो बोलूंगी दोनों गायों को ठीक से चारा डाले और दूध पूरा निकाले।
रूबी शर्माते हुए - आप रहने दो। मैं पंप कर लेती हूँ।
लता - मैं हूँ तो फिर क्यों। आजा मेरी दूधारू गाय।
लता ने रूबी के टी शार्ट को उतार दिया। उतारते समाया उसने उसके बदन को अच्छे से छुआ। रूबी ने अंदर नर्सिंग ब्रा पहनी हुई थी। लता ने उसके फ्लैप खोल दिए। उसने फिर रूबी को किचन की स्लैब की तरफ करके खड़ा कर दिया और उसके सीने के सामने एक भगोना रख दिया। खुद उसके पीछे आ गई और उसके स्तनों को दबाने लगी। दूध की धार निकल कर भगोने भरने लगी। ऐसे कुछ दूध इधर उधर भी gir रहा था। लता बोली - ऐसे बर्बाद होगा , चल गाय ही बन जा।
रूबी एक आज्ञाकारी दुधारू बाचिया की तरह निचे अपने घुटने और हाथो के सहारे चौपाया बन गई। लता ने भगोना उसके थानों के निचे रखा और बगल में बैठ कर उसे एकदम गाय की तरह दूहने लगी। उसकी निप्प्प्लें एकदम लम्बी हो गईं थी। लता ने आज गौर किया की उसके निप्पल एकदम तने हुए और लम्बे थे। खजूर से भी लम्बे जो आसानी से उन्स्की उंगलियों में फंस जा रहे थे। रूबी अब एकदम गरम हो गई थी।
उसे अपने ससुराल की याद आ गई। रोज उसकी सास भी ऐसे ही उसे दूहती थी। कई बार तो उसके पति और ससुर बछड़े की तरह उसके थान से डाइरेक्ट पी लिया करते थे। यही सब वजह थी की वो पूरी तरह संतुष्ट थी और यहाँ उसने वर्षा और अनुराग को सताया था ।

लता उसे दूहते हुए बोली - लगता है तुझे ऐसे दूहवाने की आदत है। कौन ढूढ़ता है वहां ? तेरा पति या वहां भी मेरे जैसी एक तबेले वाली मालकिन है ?
रूबी - तबेले वाली ही है। बढ़िया से निकालती है।
लता - अच्छा - दूध पीने वाले फिर एक से ज्यादा होंगे। लगता है बेटे के अलावा पूरा घर पीता है।
रूबी नशे में थी - आआह इस्सस , बुआ बातें बाद में। सब राज आज ही जान लोगी क्या ? वो लोग आते ही होंगे। जल्दी करो।
लता - हम्म्म। बता ना।
रूबी - क्या करती बुआ , दूध इतना निकलता है। पूरा मोहल्ला पी ले। हमने तो बाहर का दूध मंगाना ही बंद कर दिया है।

रूबी सच कह रही थी। भगोना भर गया था। पर दूध अब भी था। लता भी गरम हो चुकी थी , उसने भगोना हटाया और रूबी को उठा कर वापस किचन के स्लैब के सहारे खड़ा कर दिया। निचे से वो खुद रूबी की तरफ चेहरा करते हुए उसके दोनों बाहों के बीच से निकल कर ऊपर कड़ी हो गई। अब लता स्लैब और रूबी के बीच में थी रूबी के बाँहों के अंदर। उसका चेहरा रूबी के तरफ था। उसने पहले रूबी के होठों को चूमा फिर उसके स्तनों पर भीड़ गई। रूबी सिसकारियां लेते हुए बोली - आह , आप एकदम उनकी तरह ही हो। चूस लो मेरे मुम्मो को। दूध भरने के बाद दर्द होने लगता है। आह , मिटा दो मेरा दर्द।
लता इ अपना एक हाथ रूबी के पैंट के अंदर डाल दिया और उसके चुत को हथेली से रगड़ने लगी। अब रूबी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी। वो खुद भी कमर को हिलाने लगी थी। लता ने दूध छोड़ दिया और रूबी के पेंट को सरका कर अपनी दो ऊँगली उसके चूत में डाल दी। अब रूबी ने तेजी से अपने कमर को हिलाना शुरू कर दिया। लग रहा था वो किसी से चुद रही हो, लता ने अपनी उँगलियाँ इस तरह कर ली थी जैसे लंड ही हो। कुछ ही देर में रूबी का बदन थरथराने लगा। उसे एक जबरजस्त ओर्गास्म महसूस हो रहा था। वर्षा के साथ उसने खेल तो शुरू किया था पर वो सिर्फ चूत चुसाई तक ही था। पर लता के साथ दो दिन में ही वो पूरी तरह से खुल चुकी थी। लता में उसे अपनी माँ और सास दोनों की झलक दिखती थी। वर्षा के साथ थोड़ा कॉम्पिटिशन था पर यहाँ तो समर्पण था। पूर्ण समर्पण। ऐसा ही पूर्ण समर्पण उसे अपने पिता को करना था पर क्या वो इतनी जल्दी कर पायेगी या समय लेगी ?
रूबी स्खलती हो चुकी थी। वो और लता दोनों एक दुसरे के बाहों में थे। लता की चूत ने भी पानी छोड़ दिया था पर वो संतुष्ट नहीं थी।

रूबी ने गहरी सांस लेते हुए उसके कान में धीरे से कहा - बुआ , चूत तो तुम्हारी भी बह गई है।
लता - तुझ जैसी गरम लड़की हो तो बहेगी ही न।
रूबी - पर तुम्हारी चूत को बड़ा लौड़ा चाहिए। मेरे बहनचोद पापा का लौड़ा।
लता - तुझे ?
रूबी - मुझे भी , पर पता नहीं मेरी चूत उसके लिए कब तैयार होगी। पर आज शाम को जाने से पहले तुम भाई की सेवा करके उसका मेवा ले लेना।
लता - अभी उसकी तबियत ठीक नहीं है। उसका मेवा तो मेरा है ही। आज नहीं तो कल ले लुंगी। वैसे भी आज वर्षा का दिन है।
रूबी - हम्म। वो भी बहुत तरसी है। चलो आते ही होंगे वो सब। अब दोबारा नहाना पड़ेगा।
दोनों फिर अलग अलग बाथरूम में नहाने चले गए। नहा कर दोनों ने साडी पहन ली। उधर वर्षा ने नैना का लाया सूट पहना था और नैना हमेशा की तरह पैंट और शर्ट में।
नैना ने साड़ी फॉर्मेलिटी कर ली थी। डॉक्टर ने डिस्चार्ज बना दिया था। लता अनुराग के लिए एक बढ़िया जीन्स और टी शर्ट लेकर आई थी। बदन पोछने के बाद अनुराग बाथरूम में कड़े पहनने के लिए जाने लगा तो नैना हाथ पकड़ कर रोक लिया और कहा - हामी से शर्मा रहे हैं।
वर्षा - हां पापा , हमें तो नंगा कर देते हैं पर खुद ऐसे शर्मा रहे हैं जैसे हम दोनों रेप कर देंगे आपका।
अनुराग ने बहस करना उचित नहीं समझा। उसके कपडे उन दोनों के सामने बदल लिए। दोनों उसके चुस्त बदन को देखते रहीं। थोड़ा कमजोर हो गया था पर अनुराग में अब भी उतना ही दम था ये बात ये दोनों जानती थी।
अनुराग ने कपडे पहन लिए तो नैना ने कहा - एकदम स्मार्ट लग रहे हैं।
उसने अनुराग को किस कर लिया। उसे किस करता देख वर्षा भी कहाँ पीछे हटने वाली थी। उसने भी अनुराग को किस किया। अनुराग संकोच में था। पर खुश था। उसकी खुशियां लौट आई थी। तीनो फिर बाहर निकल पड़े। अनुराह नैना और वर्षा के बीच में चल रहा था। तीनो को देख हॉस्पिटल में सब उन्हें ही देखने लगे। सबको जलन सी होने लगी थी। लड़कियां नैना और वर्षा से जल रही थी और लड़के अनुराग से।
Behtreen update
 
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namedhari

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Mast update, aage se 15 din mein Hi update aaega ki hafte mein ek update milega, agar hafte mein update milega to maja aayega. Koshish karke hafte mein ek update de dijiye. Dhanyawaad.
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अगले दिन अनुराग को हॉस्पिटल से घर आना था। चूँकि चिंता वाली कोई बात नहीं थी तो शेखर ऑफिस चला गया था। नैना ने रूबी , लता और बच्चों को अनुराग के घर छोड़ दिया। दो दिन के लिए ही सब यहाँ से गए थे पर घर पूरा अस्त व्यस्त था। वो दोनों साफ़ सफाई में लग गईं। उसके बाद खाने पीने में। उधर नैना हॉस्पिटल पहुंच कर फॉर्मेलिटी में लग गई।
इधर घर की साफ़ सफाई के बाद लता और रूबी नहा धोकर खाने की तैयारी में लग गई। खाना बनाते बनाते रूबी लता से बोली - बुआ , पापा के लिए ताजा दूध भी तैयार रखना है।
लता मुश्कुराते हुए बोली - तू इतनी जल्दी ऐसे बदल जाएगी उम्मीद नहीं थी।
रूबी ने ब्लश करते हुए कहा - पापा के लिए सब मंजूर है। एक्चुअली मेरे मियां इतना प्यार करते हैं की पापा के बारे में सोचा नहीं था।
लता - हम्म। सब मंजूर है। तुझे पता है पापा और नैना की शादी के लिए कुछ शर्ते रख दी गईं थी।
रूबी - मुझे उनकी ख़ुशी के लिए सब मंजूर है।
लता - देखते हैं। फिलहाल आने तो दे उन सबको। वैसे नैना को फ़ोन कर दे। निकलने से पहले बता देगी। दूध उसी समय निकालेंगे।
रूबी - ठीक है।
रूबी ने फ़ोन पर नैना को बोल दिया। हॉस्पिटल में फॉर्मेलिटी होते होते दो तीन घंटे लग गए। उसके बाद नैना वर्षा और अनुराग को लेकर घर के लिए निकल पड़ी। फाइनल डिस्चार्ज से पहले नैना ने रूबी को फ़ोन कर दिया।
रूबी ने फ़ोन सुना तो लता के पास पहुंची और बोली - बुआ , निकाल दो।
लता - अरे पंप रखा होगा। उससे निकाल दो।
रूबी शर्माते हुए सर झुका कर बोली - बुआ आप निकाल दो न।
लता ने रूबी के चेहरे को हाथों से पकड़ कर उठाते हुए बोली - सीधे सीधे बोल ना दूसरो से दुह्वाने में मजा आता है। भाई आता है तो बोलूंगी दोनों गायों को ठीक से चारा डाले और दूध पूरा निकाले।
रूबी शर्माते हुए - आप रहने दो। मैं पंप कर लेती हूँ।
लता - मैं हूँ तो फिर क्यों। आजा मेरी दूधारू गाय।
लता ने रूबी के टी शार्ट को उतार दिया। उतारते समाया उसने उसके बदन को अच्छे से छुआ। रूबी ने अंदर नर्सिंग ब्रा पहनी हुई थी। लता ने उसके फ्लैप खोल दिए। उसने फिर रूबी को किचन की स्लैब की तरफ करके खड़ा कर दिया और उसके सीने के सामने एक भगोना रख दिया। खुद उसके पीछे आ गई और उसके स्तनों को दबाने लगी। दूध की धार निकल कर भगोने भरने लगी। ऐसे कुछ दूध इधर उधर भी gir रहा था। लता बोली - ऐसे बर्बाद होगा , चल गाय ही बन जा।
रूबी एक आज्ञाकारी दुधारू बाचिया की तरह निचे अपने घुटने और हाथो के सहारे चौपाया बन गई। लता ने भगोना उसके थानों के निचे रखा और बगल में बैठ कर उसे एकदम गाय की तरह दूहने लगी। उसकी निप्प्प्लें एकदम लम्बी हो गईं थी। लता ने आज गौर किया की उसके निप्पल एकदम तने हुए और लम्बे थे। खजूर से भी लम्बे जो आसानी से उन्स्की उंगलियों में फंस जा रहे थे। रूबी अब एकदम गरम हो गई थी।
उसे अपने ससुराल की याद आ गई। रोज उसकी सास भी ऐसे ही उसे दूहती थी। कई बार तो उसके पति और ससुर बछड़े की तरह उसके थान से डाइरेक्ट पी लिया करते थे। यही सब वजह थी की वो पूरी तरह संतुष्ट थी और यहाँ उसने वर्षा और अनुराग को सताया था ।

लता उसे दूहते हुए बोली - लगता है तुझे ऐसे दूहवाने की आदत है। कौन ढूढ़ता है वहां ? तेरा पति या वहां भी मेरे जैसी एक तबेले वाली मालकिन है ?
रूबी - तबेले वाली ही है। बढ़िया से निकालती है।
लता - अच्छा - दूध पीने वाले फिर एक से ज्यादा होंगे। लगता है बेटे के अलावा पूरा घर पीता है।
रूबी नशे में थी - आआह इस्सस , बुआ बातें बाद में। सब राज आज ही जान लोगी क्या ? वो लोग आते ही होंगे। जल्दी करो।
लता - हम्म्म। बता ना।
रूबी - क्या करती बुआ , दूध इतना निकलता है। पूरा मोहल्ला पी ले। हमने तो बाहर का दूध मंगाना ही बंद कर दिया है।

रूबी सच कह रही थी। भगोना भर गया था। पर दूध अब भी था। लता भी गरम हो चुकी थी , उसने भगोना हटाया और रूबी को उठा कर वापस किचन के स्लैब के सहारे खड़ा कर दिया। निचे से वो खुद रूबी की तरफ चेहरा करते हुए उसके दोनों बाहों के बीच से निकल कर ऊपर कड़ी हो गई। अब लता स्लैब और रूबी के बीच में थी रूबी के बाँहों के अंदर। उसका चेहरा रूबी के तरफ था। उसने पहले रूबी के होठों को चूमा फिर उसके स्तनों पर भीड़ गई। रूबी सिसकारियां लेते हुए बोली - आह , आप एकदम उनकी तरह ही हो। चूस लो मेरे मुम्मो को। दूध भरने के बाद दर्द होने लगता है। आह , मिटा दो मेरा दर्द।
लता इ अपना एक हाथ रूबी के पैंट के अंदर डाल दिया और उसके चुत को हथेली से रगड़ने लगी। अब रूबी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी। वो खुद भी कमर को हिलाने लगी थी। लता ने दूध छोड़ दिया और रूबी के पेंट को सरका कर अपनी दो ऊँगली उसके चूत में डाल दी। अब रूबी ने तेजी से अपने कमर को हिलाना शुरू कर दिया। लग रहा था वो किसी से चुद रही हो, लता ने अपनी उँगलियाँ इस तरह कर ली थी जैसे लंड ही हो। कुछ ही देर में रूबी का बदन थरथराने लगा। उसे एक जबरजस्त ओर्गास्म महसूस हो रहा था। वर्षा के साथ उसने खेल तो शुरू किया था पर वो सिर्फ चूत चुसाई तक ही था। पर लता के साथ दो दिन में ही वो पूरी तरह से खुल चुकी थी। लता में उसे अपनी माँ और सास दोनों की झलक दिखती थी। वर्षा के साथ थोड़ा कॉम्पिटिशन था पर यहाँ तो समर्पण था। पूर्ण समर्पण। ऐसा ही पूर्ण समर्पण उसे अपने पिता को करना था पर क्या वो इतनी जल्दी कर पायेगी या समय लेगी ?
रूबी स्खलती हो चुकी थी। वो और लता दोनों एक दुसरे के बाहों में थे। लता की चूत ने भी पानी छोड़ दिया था पर वो संतुष्ट नहीं थी।

रूबी ने गहरी सांस लेते हुए उसके कान में धीरे से कहा - बुआ , चूत तो तुम्हारी भी बह गई है।
लता - तुझ जैसी गरम लड़की हो तो बहेगी ही न।
रूबी - पर तुम्हारी चूत को बड़ा लौड़ा चाहिए। मेरे बहनचोद पापा का लौड़ा।
लता - तुझे ?
रूबी - मुझे भी , पर पता नहीं मेरी चूत उसके लिए कब तैयार होगी। पर आज शाम को जाने से पहले तुम भाई की सेवा करके उसका मेवा ले लेना।
लता - अभी उसकी तबियत ठीक नहीं है। उसका मेवा तो मेरा है ही। आज नहीं तो कल ले लुंगी। वैसे भी आज वर्षा का दिन है।
रूबी - हम्म। वो भी बहुत तरसी है। चलो आते ही होंगे वो सब। अब दोबारा नहाना पड़ेगा।
दोनों फिर अलग अलग बाथरूम में नहाने चले गए। नहा कर दोनों ने साडी पहन ली। उधर वर्षा ने नैना का लाया सूट पहना था और नैना हमेशा की तरह पैंट और शर्ट में।
नैना ने साड़ी फॉर्मेलिटी कर ली थी। डॉक्टर ने डिस्चार्ज बना दिया था। लता अनुराग के लिए एक बढ़िया जीन्स और टी शर्ट लेकर आई थी। बदन पोछने के बाद अनुराग बाथरूम में कड़े पहनने के लिए जाने लगा तो नैना हाथ पकड़ कर रोक लिया और कहा - हामी से शर्मा रहे हैं।
वर्षा - हां पापा , हमें तो नंगा कर देते हैं पर खुद ऐसे शर्मा रहे हैं जैसे हम दोनों रेप कर देंगे आपका।
अनुराग ने बहस करना उचित नहीं समझा। उसके कपडे उन दोनों के सामने बदल लिए। दोनों उसके चुस्त बदन को देखते रहीं। थोड़ा कमजोर हो गया था पर अनुराग में अब भी उतना ही दम था ये बात ये दोनों जानती थी।
अनुराग ने कपडे पहन लिए तो नैना ने कहा - एकदम स्मार्ट लग रहे हैं।
उसने अनुराग को किस कर लिया। उसे किस करता देख वर्षा भी कहाँ पीछे हटने वाली थी। उसने भी अनुराग को किस किया। अनुराग संकोच में था। पर खुश था। उसकी खुशियां लौट आई थी। तीनो फिर बाहर निकल पड़े। अनुराह नैना और वर्षा के बीच में चल रहा था। तीनो को देख हॉस्पिटल में सब उन्हें ही देखने लगे। सबको जलन सी होने लगी थी। लड़कियां नैना और वर्षा से जल रही थी और लड़के अनुराग से।
Shaandar Mast Update 🔥 🔥
 
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tharkiman

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घर पहुँचने पर लता और रूबी के अलावा दोनों बच्चे भी एकदम खुश हो गए। वर्षा के बेटा पहले तो अनुराग से नाना करके लिपट गया फिर अपनी माँ के साथ लिपट गया। वर्षा को देख कर वो रोने लगा और उससे एकदम लिपट गया। अपने पिता के चक्कर में वर्षा उसे भूल ही गई थी। पर उसका बेटा भी उसकी तरह ही बहादुर था। काम ही उम्र में उसने अपने माँ की कठिनाइयों को भांप लिया था। उसे अपने पिता और ददिहाल की कोई याद नहीं आती थी। उसके लिए उसका परिवार ननिहाल ही था। वर्षा ने भी मन में कुछ निर्णय कर लिया था। उसके लिए उसके पिता और बेटे के अलावा कोई था तो सिर्फए परिवार।

सब जब ड्राइंग रूम में बैठे तो लता और रूबी किचन में गए और सबके लिए खाने का सामान लेकर आये। रूबी के हाथ में एक ट्रे था जिसमे दूध का भरा ग्लास था।
दूध देखते ही नैना मुश्कुरा उठी। उसने कहा - आप पहले ताजा दूध पी लो फिर कुछ खाना । आपको तीन चार टाइम ताजा दूध पीना है। तब अब वापस अपने पुराने स्ट्रेंथ को पाएंगे।
उसने ताजा शब्द पर ज्यादा ही जोर डाला था।
लता भी बोली - हाँ , ताजा ही है। पी ले। तेरे लिए जरूरी है।
अनुराग के पेट के निचे ये सब सुनते ही हलचल होने लगा । सब इतना जिद्द कर रहे थे तो पीना ही था। उसने ग्लास उठाया और पीने लगा।
लता - स्वाद कैसा है ?
अनुराग कुछ नहीं बोला। उसे पता था की दूध किसका है।
रूबी - बोलिये न पापा ।
अनुराग को बोलना ही पड़ा - टेस्टी है।
रूबी एकदम से खुश हो गई। वर्षा भी खुश थी। उसका बेटा उससे चिपका हुआ था। वर्षा उसके माथे को चूमे जा रही थी। उसे ग्लानि हो रही थी की वो अपने बेटे पर अत्याचार कर रही है।
चाय नाश्ते के बाद वर्षा बोली - बुआ , नैना मुझे आपसे कुछ बात करनी है। जरा कमरे में आओ।
लता , नैना और वो उठ कर कमरे में चली गई। अनुराग बच्चों के साथ खेलने लगा। रूबी वहीँ बैठे अपने पिता को नहार रही थी। उसने इतना अत्याचार किया था उनके साथ। माहौल दोनों के लिए थोड़ा असहज था पर ये असहजता कुछ ही दिनों में सहजता में बदलने वाली थी। रूबी ने निर्णय ले लिया था की वो भी अपने पिता को पूरा प्यार देगी ।
कमरे में लता ने वर्षा से पुछा - क्या हुआ, हमें अलग क्यों बुलाया ?
वर्षा - मुझे माफ़ कर दो बुआ मैं आपकी शर्त पूरी नहीं कर सकती। पर आप उसकी वजह से नैना और पापा की शादी मत तोडना प्लीज।
ये कह कर वर्षा सुबकने लगी और सुबकते हुए बोली - मैं पापा के अलावा किसी और की नहीं हो सकती। मैं उन्हें बहुत प्यार करती हूँ। नैना , प्लीज इसको गलत मत समझो। मैं जानती हूँ तुम पापा से बहुत प्यार करती हो। मैं तुम्हारा प्यार नहीं छीनना चाहती हूँ। पर क्या तुम अपने प्यार का कुछ हिस्सा मुझे दे सकती हो ? देखो न बेटू भी नाना को कितना प्यार करता है। उसे अपने पापा की याद तक नहीं आती।

वर्षा एक ही सांस में रट हुए इतना कुछ कह गई और बिस्तर पर बैठ गई। नैना उसके पास गई और उसे अपने बाँहों में भरते हुए बोली - अरे पगली , तुझे क्या लगता है , मुझे तुमसे कोई दिक्कत है ? मुझे तुमसे या घर के किसी भी औरत से इन्हे शेयर करने में कोई दिक्कत नहीं है। बस कोई बाहर वाली ना हो। और जहाँ तक रही शादी की तो वो सिर्फ एक फॉर्मेलिटी है। मैं इन्हे मन से अपना पति मान चुकी हूँ। तन देने में हिचक नहीं है। अगर ये नहीं मानेंगे तो एक दिन यहीं बिना रस्म निभाए शिफ्ट हो जाउंगी।
नैना वर्षा के सामने कड़ी थी और उसके बालो को सहला रही थी। उसके आँखों से भी आंसू निकलने लगे।
लता जो अब तक इनकी बाटने सुन रही थी , वर्षा के बगल में आकर बैठ गई और बोली - मेरी बच्ची , मुझे तुम सब की खुशियां चाहिए । अभी तक मन नहीं मान रहा था पर अब तुम सबका प्यार देख मुझे खुद पर गुस्सा आता है। और तेरे फूफा तो पहले से तैयार हैं। उन्हें तेरे या किसी और के जिस्म की चाह नहीं है।
तीनो एक दुसरे से लिपट गए।
लता - तू फिक्र ना कर। जो चाहेगी वही होगा।
नैना - दीदी , आप चिंता मत करो। मैंने तो बस पापा के त्याग के बदले उन्हें थोड़ी खुशियां देने को सोची थी। पर मुझे पता है वो कुछ भी जबरजस्ती नहीं लेंगे। और इस बात से तुम मेरे दिल के और करीब आ गई। मुझे अब ख़ुशी है कि इन्हे मुझ जैसा प्यार करने वाला कोई और भी है। अब मामी की कमी नहीं खलेगी। तुम्हे शक्ल वैसे भी उनसे मिलती है।
लता - हाँ, छोटी सुलेखा चिंता मत कर। तू सिर्फ अनुराग की है। चल उठ जा वारा तेरे पापा और दुष्ट रूबी आ जायेंगे। तेरी रुलाई अनु को वैसे भी नहीं देखि जाती।
लता ने नैना को गले लगाते हुए कहा - बोल कब की डेट निकलवायें।
नैना - दीप्ति और अवि को आ जाने दो।
उनका नाम सुनकर लता पूछी - अवि और दीप्ति के साथ सब ठीक है न?
नैना - हाँ , पर अवि में एक प्रॉब्लम है।
वर्षा - क्या प्रॉब्लम है ? उसकी तबियत तो ठीक है न ?
नैना मुश्कुराते हुए - सब ठीक है। जो प्रॉब्लम है उसका समाधान भी मेरे पास है।
लता कुछ कुछ समझने लगी थी। वो सोच में पद गई की उसकी बेटी क्या चाहती है ? पर फिर सर झटक कर मन में बोली - ये जो भी करेगी ठीक ही करेगी।
तभी नैना बोल पड़ी - और ये रूबी को क्या हुआ है ? आपके और रूबी के बीच में क्या चल रहा है ?
लता से पहले नैना हँसते हुए बोल पड़ी - वही जो तेरे और इनके बीच में चल रहा है। रूबी अब सही रास्ते पर है।
लता - बहुत हरामी चीज है वो। हम सब से बहुत आगे। और लगता है तेरे पापा को मजा आने वाला है।
नैना - आएं ? ऐसा क्या ?
लता - हाँ , साली पुरे ससुराल से चुद रही है। फूफा के निचे आने में कोई दिक्कत नहीं है।
नैना - पर देख लेना , शर्त की वजह से ना झुके। खुद से तैयार होनी चाहिए।
तभी कमरे में रूबी आती है और बोलती है - क्या बुआ , आपसे एक दिन भी बात नहीं पचि ? मदहोशी में बोली हुई बात इहे बता दिया ?
नैना ने उठ कर रूबी को गले लगा लिया और बोली - तू इतनी हरामी चीज है पता नहीं था।
रूबी - मैं बचपन से ऐसी थी। और मुझे फूफा से चुदने में कोई दिक्कत नहीं है।
नैना - सोच ले। माँ मेरी और मामा की शादी के लिए बिना शर्त मान गईं हैं।
रूबी हँसते हुए - ये तो बढ़िया है। पर मुझे तब भी कोई दिक्कत नहीं है। मुझे वैसे भी एक साथ दो लेने की आदत है।
वर्षा हँसते हुए - फिर तो पापा को बोलना पड़ेगा आज ही ले ले तेरी।
रूबी - मन से मानी हूँ , तन देने में समय लगेगा। जो जैसे हो रहा है , जिस समय के हिसाब से हो रहा है होने दो। कोई जोर जबरजस्ती या जल्दी नहीं।
लता - हाँ , धीमी आंच पर ही स्वाद ज्यादा आता है।
वर्षा - आप तो स्वाद ले चुकी हो इसका।
लता - तू भी तो ले चुकी है।
नैना - मतलब मैं ही बची हूँ।
रूबी - तेरे लिए तो जान हाजिर है मेरी जान। आज रात तुझे भी स्वाद चखाती हूँ।
नैना - हाहाहाहाहा , अभी पापा के लिए तैयार रख। वैसे क्या कर रहे हैं वो ? अकेला क्यों छोड़ दिया ?
रूबी - अरे बच्चों के साथ मगन है। बेटू तो पूरा ख्याल रख रहा है। उसकी बातें टीो ख़त्म ही नहीं हो रही हैं। मन लगाए रखता है।
लता - हाँ। हम सबकी जान है वो।
तीनो कुछ देर और बातें करती हैं फिर ड्राइंग रूम में वापस आ जाती हैं। लता, वर्षा और रूबी खाने की तैयारी में लग जाती हैं। नैना अनुराग से बातें करने लगती है।
नैना अनुराग से - अब कैसा लग रहा है ?
अनुराग - ठीक महसूस हो रहा है। पहले भी ठीक ही था , तुमने ही बड़ा बना दिया।
नैना ने उसका हाथ अपने हाथों में लेकर कहा - अच्छा , फ़ोन तो आपने ही किया था ? बात छोटी थोड़े ही थी। कुछ भी हो सकता था।
अनु- जाने दो अब। उस दिन को याद मत करो। अब सब ठीक है।
नैना ने मुश्कुराते हुए कहा - अब और भी ठीक हो जायेगा। मरखइ गाय अब सीधे रास्ते पर जो है।
अनु - तुम भी ना। क्या ये सब सच में जरूरी है ?
नैना - हाँ। डॉक्टर ने कहा है। और सब आपको पसंद करते हैं। रूबी भी। बस उसे प्यार जताना नहीं आया। पर अब सब सही हो जायेगा।
अनु - हम्म्म। पर तुम सबको क्यों शामिल कर रही हो ?
नैना - मैं किसी को नहीं शामिल कर रही हूँ। सब अपने आप शामिल हो रही हैं।
अनु - पर रिश्ते में ?
नैना - अब शादी का दिन आ रहा है टी रिश्ते की याडी आ रही है। माँ तो डेट निकलवाने की बात कर रही हैं।
अनुराग ने कहा - सच में ?
नैना ने नजरें झुका लीन और बोली - हाँ।
अनुराग खुश हो गया और उसने नैना को उसके होठों पर किस कर लिया। वि कुछ पल के लिए भूल गया की पास में बच्चे भी हैं। उनकी चुम्मी देख कर बेटू चिल्लाया - नानू ने मासी को चुम्मी दी , ननु ने मासी को चुम्मी दी।
उसकी चिल्लाहट सुन दोनों झटके से एक दुसरे से अलग हो गए। वर्षा बेटू को डांटते हुए बोली - चुप , शोर क्यों मचा रहा है।
रूबी बोली - क्या पापा , ऐसी भी क्या जल्दी थी। और जल्दी थी भी तो रूम में चले जाते।
अनुराग घबरा गया और रूम में चला गया।
लता - देख ऐसे तो दुल्हन भी नहीं शर्माती है। बन्नो तो बैठी है पर बनना भाग गया।
नैना - माँ , आप भी ना। चुप रहो।
वर्षा ने बेटू को गोद में उठा लिया और बोली - शोर मत मचाया करो। मासी नानी बनने वाली है। पर किसी और से ये सब मत कहना।
बेटू ने समझदारी से सर हिलाया और वर्षा के गोद में सिमट गया
 
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