उस दिन अनुराग और लता बहुत खुश थे। इस बात को वर्षा ने नोटिस किया। वो वैसे तो अपने पिता के लिए खुश थी पर पता नहीं बुआ से जलन सी हो रही थी। इसी जलन में थोड़ा दुखी भी थी। उसने आज दिन में अनुराग के साथ ज्यादा समय नहीं बिताया बल्कि ज्यादातर अपने कमरे में ही रही। अनुराग ने एक आध बार पुछा तो उसने तबियत नासाज होने की बात बोल दी। शाम को उसने दूध भी अकेले में पहले ही निकाल दिया और लता को बता दिया की दूध रखा हुआ है। लता रात के खाने से पहले ही अपने घर चली गई।
वर्षा ने भी शाम जल्दी खाना बनाकर अनुराग से खाने को कहा। अनुराग ने जब खाने की बात सुनी तो उसने कहा - इतनी जल्दी , तेरी तबियत ठीक नहीं हुई ?
वर्षा - नहीं आज थोड़ा बदन दर्द कर रहा है।
अनुराग ने निराश होते हुए कहा - ठीक है , कोई बात नहीं। तुम आराम करो मैं खाना खा लूंगा।
वर्षा ने अनुराग के लटके चेहरे को देख कर कहा - अरे आप क्यों परेशान हैं, मैं ठीक हो जाउंगी।
अनुराग - हां , पर मुझे लगा था आज रात मालिश करोगी तुम।
वर्षा को ये सुन आश्चर्य हुआ। पर अंदर से जली बैठी थी। उसने कहा - आज आपको क्या जरूरत है ? बुआ ने तो आपने हर अंग की मालिश कर ही दी है।
अनुराग को अब समझ आया की माजरा क्या है। वो समझ गया की वर्षा के अंदर लता के प्रति ईर्ष्या है।
उसने कहा - पर तेरी बात अलग है। तेरे हाथो में सुलेखा जैसा जादू है।
अपनी तारीफ सुन वर्षा खुश हो गई। उसने कहा - चलिए खाना खाते हैं। उसके बाद तबियत ठीक लगेगी तो मालिश कर दूंगी ।
अनुराग खुश हो गए। दोनों ने फटाफट खाना ख़त्म किया। वर्षा ने कहा - वो बेटु को सुलाकर उसके पास आएगी।
अनुराग अपने कमरे में चले गए। लगभग आधे घंटे बाद वर्षा कमरे में दूध का गिलास और कटोरी में तेल लेकर आई। उसने अपनी माँ की एक डिज़ाइनर नाइटी पहन रखी थी। नाइटी साटन कपडे की थी जो की घुटनो के ऊपर तक ही थी। कंधे पर वो एक धागे के सहारे से लटकी थी। नाइटी के ऊपर एक गाउन टाइप का कपडा था जो की उसने कमर से लटके धागे से बाँध रखा था। ये नाइटी अनुराग की वाइफ सुलेखा की थी। ज्यादातर ऐसी नाइटी इंटिमेट नाइट्स के लिए होते हैं जो की न्यूली वेड्स पहनती हैं। पर सुलेखा आखिर समय तक ऐसी नाइटी पहनती थी। उसने ऐसी नाइटी अपने बदलते शरीर के साथ साथ अपने साइज के हिसाब से खरीदना चालू रखा था। वर्षा को ये परफेक्ट आ रही थी। वर्षा ने ऊपर ब्रा तो नहीं पहना था पर निचे एक थोंग डाल रखा था।
उसके अनुराग को ग्लास में दूध दिया , जिसे अनुराग ने वर्षा के मुम्मे देखते देखते पीता रहा। अनुराग को अपने मुम्मे की तरफ देखते हुए वर्षा ने कहा - बुआ के देख कर मन नहीं भरा जो मेरे देखे जा रहे हो ?
अनुराग - मैं तो बस ताजे दूध के स्वाद की तारीफ करना चाह रहा था। आज तुमने डेयरी से दूध पहले ही मंगा लिया था।
वर्षा - रोज डेयरी से दूध निकलते हुए देखना ठीक नहीं है। वैसे भी गाय जब सामने हो तो क्या ही छुप कर देखना।
अनुराग - हम्म्म
वर्षा - अब दूध और दूधवाली की तारीफ की करेंगे या मालिश करवाएंगे ?
अनुराग ने फटाफट दूधखतम किया और कहा - अरे उसी का तो इंतजार कर रहा हूँ।
वर्षा - ठीक है लेट जाइये।
अनुराग - पर ये नाइटी का गाउन ख़राब हो जायेगा। माँ ने संभल कर राखी थी ये नाइटी तुम पर जाँच रही है। क्यों इसे खराब करना।
वर्षा - जैसे बुआ की साडी बचाई आपने आज ?
अनुराग - हीहीहीहीही। तेरी बुआ का क्या कहना।
वर्षा - हाँ , क्या ही कहना उनका।
उसने नाइटी के ऊपर का गाउन उतार दिया। बात चीत की गर्मी और माहौल की वजह से वर्षा के निप्पल एकदम एरेक्ट थे। गाउन हटने के बाद वो आधे से अधिक नुमाया थे। वर्षा ने अनुराग के पैरों की मालिश शुरु की। उसने अनुराग के लुंगी को जांघों तक समेट दिया था और पुरे पैरों की मालिश करने लगी थी। झुकने की वजह से उसके मुम्मे लगभग पुरे दिख रहे थे। कई बार तो हिलने से निप्पल तक की झलक मिल जा रही थी। नाइटी की डोरी कई बार तो कंधे से सरक जाए और उस समय उस साइड के बूब पूरी तरह दिख जाता। ये सब देख अनुराग का लैंड पूरी तरह से खड़ा था और आज अनुराग ने उसे शांत करने की कोशिश भी नहीं की। उसके दिमाग में था की हो सकता है लता की तरह वर्षा भी ब्लोजॉब दे दे। पर वर्षा कहतरनाक खेल खेल रही थी। कुछ देर पैरों और जांघों की मालिश करने के बाद वर्षा ने अनुराग से कहा। आप पेट के बल हो जाइये। पीठ और कमर की मालिश भी कर देती हूँ।
अनुराग जैसे ही पीठ के बल लेटे वर्षा ने ने तेल की धार पुरे पीठ पर डाल दिया। अनुराग इंतजार कर रहे थे की वर्षा अब मालिश शुरू करेगी। तभी उसे महसूस हुआ वर्षा उसके कमर पर बैठी है। उसने चेहरा मोड़ कर देखा तो वर्षा उसके कमर के ऊपर दोनों तरफ पेअर करके बैठी थी। उसकी नाइटी कमर पर सिमटी थी और उसकी चिकनी जांघ दिख रही थी।
वर्षा ने मुश्कुराते हुए कहा - मैं भारी तो नहीं लग रही न डैडी ?
अनुराग - अरे नहीं। बिलकुल नहीं। तेरी माँ भी ऐसे ही करती थी।
वर्षा - माँ की तरह शायद न कर पाऊ। पर मुझे लगा ऐसे ठीक से पुरे पीठ और कंधे की मालिश कर पाऊँगी। साइड भी नहीं बदलना पड़ेगा। हाथो का जोर भी पूरा पड़ेगा।
अनुराग हाँफते हुए - हाँ हाँ। एकदम सही रहेगा।
उसका लंड थोड़े अजीब डायरेक्शन में फंसा हुआ था तो उसने अंदर हाथ डालने को कोशिश की।
वर्षा ने अपना कमर थोड़ा ऊपर उठा लिया और कहा - सही ढंग से एडजस्ट कर लीजिये। बाबू की भी मालिश हो जाएगी।
अनुराग ने अपना लंड अपने पेट के सीध में कर दिया। अब वर्षा उसके कंधे से लेकर पीठ तक मालिश कर रही थी। उसकी नाइटी कमर से हटी हुई थी और उसकी छूट और गांड अनुराग के पिछवाड़े से एकदम सत्ता हुआ था। अनुराग ये अपने लुंगी के ऊपर से भी महसूस कर रहा था। अब मालिश करते करते वर्षा अपने कमर से अनुराग के कमर को रगड़ रही थी। लग रहा था वर्षा उसके ऊपर चढ़ कर चोद रही हो।
सुलेखा ऐसे समय में पूरी तरह से नंगी होती थी और अनुराग के पीठ से अपने पेट और मुम्मे से मेलश करती थी। पीठ पर करने के बाद पेट पर फिर आखिर में उसकी सवारी करते करते वो चुद जाया करती थी। अनुराग को पता नहीं था वर्षा क्या करेगी। पर वर्षा अपने सिर्फ हाथो से मालिश कर रही थी और कमर भी पीछे पैठ कर हिला रही थी। इतना भी अनुराग के लिए काफी था। वो आँख बंद करके वर्षा के नरम चूत और गांड को अपने ऊपर महसूस कर रहा था। लैंड आगे पीछे होने से जो घर्षण हो रहा था वो लगभग चुदाई जैसा ही था। बस अंतर था की डायरेक्ट गद्दे पर हो रहा था।
जब अनुराग को लगा की उसका लंड जवाब दे रहा है तो उसने कहा - वर्षा बेटी रोज रोज चादर क्यों ख़राब करना ?
वर्षा - तो फिर डैडी , क्या कारु ?
अनुराग - मुझे सीधा हो जाने दे न। वैसे भी चादर से घिस कर निचे दर्द सा हो रहा है।
वर्षा ये सुनते ही फुआरण बोली - अरे , पहले बोलना था न की दर्द हो रहा है। आप सीधे हो जाइये मैं उठ जाती हूँ। वैसे भी मालिश ख़त्म है।
अनुराग - नहीं तुम मतलब नहीं समझी , मैं सीधा हो जाता हूँ तुम मालिश करते रहना।
वर्षा - पर मालिश तो हो ही गई है।
अनुराग - थोड़ा मेरे सीने पर भी तेल लगा देना और छोटे की मालिश।
वर्षा - ओह्हो , हम्म। मैं बुआ जैसे तो नहीं कर पाऊँगी।
अनुराग - तुम जैसे कर रही हो वैसे ज्यादा सही है।
वर्षा यही तो चाहती थी . उसने कहा - पर चादर की जगह आप नाइटी न खराब कर दें।
अनुराग - तुझे नइ नाइटी और कपडे दिला दूंगा।
वर्षा घुटनो के बल वही कड़ी हो गई। अनुराग झट से पीठ के बल हो गया। पर पलटते ही उसका लंड एकदम सीधा हो गया। वर्षा ने नीचे इशारा करते हुए कहा - इसे तो सम्भालिये, अंदर न चला जाये कही। अनर्थ हो जायेगा।
अनुराग - अब तुम्ही सम्भालो।
वर्षा ने अपने हाथ से अनुराग का लंड पकड़ लिया और पेट के बल सीधा करके उसके ऊपर बैठ गई। उसने अनुराग के लंड को पैंटी के ऊपर से अपने चूत पर सेट कर दिया। ऐसा करते हो दोनों ने जोरदार सिसकी ली। अनुराग को लगा उसका लंड पानी छोड़ देगा। वर्षा की पैंटी पहले से गीली हो राखी थी। उसकी नाइटी वापस कमर तक आ गई थी। उसकी चिकनी जांघ सामने थी। अनुराग ने अपना हाथ बढ़ा उसे टच कर लिया। वर्षा ने कुछ नहीं कहा। उसके नाइटी की एक डोरी कंधे से सरक चुकी थी जिसे उसने हटाने की भी कोशिश नहीं की।
वर्षा ने थोड़ा तेल अनुराग के सीने पर लगा और अपने कमर को आगे पीछे करते हुए तेल लगाना शुरू कर दिया।
चूत पर लंड के रगड़ खाते ही वर्षा की आँखे बंद हो गई। वो वैसे भी इस स्थिति तक आ तो गई थी पर अपने पिता से नजरे नहीं मिलाना चाहती थी। अनुराग उसके चिकनी जांघ पर हाथ फेर रहा था और मस्त निगाहों से उसके छाती के नज़ारे देख रहा था।
वर्षा कमर हिलाते हुए - पापा मैं मालिश ठीक कर रही हूँ न ?
अनुराग - हां बेटी , बहुत बढ़िया। मजा आ रहा है।
वर्षा - आह आह , पापा अब आपके लंड में दर्द तो नहीं है न ?
अनुराग - ना , मेरा लंड तेरी चूत से मालिश करवा एकदम फिट हो गया है।
दोनों ने लंड और चूत की बात शुरू कर दी थी। दोनों पर खुमारी छा चुकी थी।
अनुराग - तेरी चूत को परेशानी नहीं है न ?
वर्षा - नहीं डैडी , वो तो अपने पापा से गले लग कर रो रही है। ऐसा प्यार पहले क्यों नहीं मिला।
अनुराग - तू कहे तो ऐसा प्यार रोज कारु
वर्षा - इस्सस , आह , हाँ पापा मुझे लगता है ऐसा अब रोज करवाना पड़ेगा।
वर्षा ने झटके तेज कर दिए थे। उसने अपने कमर को जोर से इस तरह दबाया हुआ था की अनुराग कुछ नहीं कर पा रहे थे। अनुराग की लुंगी हट चुकी थी और उसका लंड डायरेक्ट पैंटी के ऊपर से उसकी चूत से रगड़ खा रहा था। अनुराग को पूरा मजा मिल रहा था।
वर्षा - आह आह पापा , आपकी मालिश हो गई हो तो बताइयेगा।
अनुराग को बस कुछ ही क्षण चाहिए थे। उसने कहा - बस , थोड़ा औ। तेज कर न। खुश कर दे अपने पापा को
वर्षा - आह आह पापा , आपकी बेटी आपको खुश करने के लिए ही है। आह आह ।
कुछ ही झटको में अनुराग के लंड ने पानी छोड़ दिया। अनुराग के वीर्य के धार के स्पर्श से वर्षा की चूत भी बह निकली। वर्षा का पूरा शरीर आनंद से कांपने लगा। उसने अपने हाथो से अपने मुम्मे पकड़ लिए और पापा पापा कहते हुए झटके अनुराग के ऊपर कांपने लगी। मुम्मे दबाने की वजह से उसके मम्मो से दूध की धार बह निकली।
अनुराग - लगता है गाय बिना दुहे दूध देने को तैयार है।
वर्षा - सांड अगर ऐसे ही लंड हिलायेगा तो गाय थन से दूध ही नहीं चूत से पानी भी छोड़ेगी।
अनुराग - पिलाये तो दूध पानी सब पी जाएँ हम तो।
वर्षा शर्माते हुए अनुराग के ऊपर से उठ गई। और खड़ी होकर अपनी पैंटी निकाल देती है और अनुराग के तरफ फेंकते हुए कहती है - इसे आपने गन्दा किया है , आप ही धोइयेगा। और हाँ दोबारा गन्दा मत करियेगा। कह कर वो अपने कमर मटकाते हुए चल देती है।
दरवाजे पर रुक कर कहती है - पिलाने के लिए आपकी बहन है न। उसकी चूत भी बहुत बहती है। कहियेगा तो पीला देगी। प्यार से कहियेगा तो चटवा कर डायरेक्ट भी पीला देगी।
अनुराग - मुझे तो तुम्हारा पीना है।
वर्षा - एक चीज पी रहे हैं न।
वर्षा अपने कमरे में चली जाती है। अनुराग वर्षा के पैंटी को सूंघते हुए बाथरूम में जाते हैं और उसकी पेंटी को रगड़ कर साफ़ करने के बाद वहीँ बाथरूम के हेंगर पर टांग देते हैं।