अनुराग बाथरूम में चला गया और शावर खोल कर नहाने लगा। उसका लंड अब भी टाइट था। निचे होने का नाम ही नहीं ले रहा था। वो हाल फिलहाल में घर में हुए बदलाव पर सोचने लगा। रूबी की मस्त गांड और मोटे मोटे स्तनों से निकालता दूध। रूबी में कुछ अलग ही बात थी। वो अभी उस बारे में सोच ही रहा था कि बाथरूम में नैना आई। वो सिर्फ एक पैंटी में थी। नैना आते ही उससे लिपट गई। उसके होठों को चूमते हुए उसने कहा - मजा आया जानेमन।
अनुराग ने उसके गांड को भींचते हुए कहा - असली मजा तो तुम्हे चोदने में आएगा।
नैना - पहले रूबी को तो चोद लो।
अनुराग - उसका तो आज काम हो जायेगा। पर तुम कब दोगी ?
नैना - जवानी चढ़ते समय दे रही थी तो लिया नहीं अब मांग रहे हो तो साबरा करो जरा।
अनुराग - तुम्हारे लिए तो जीवन भर इंतजार कर लूंगा।
तभी बाथरूम में रूबी गांड मटकाते हुए घुसती है और बोलती है - अब तो इंतजार कि घड़ियाँ कम ही बची हैं। ज्याद से ज्यादा दो या तीन महीने।
रूबी ने आते ही नैना को पीछे से पकड़ लिया। अब नैना बाथरूम में रूबी और अनुराग के बीच सैंडविच बानी हुई थी।
तीनो आपस में शरीर रगड़ रहे थे। अनुराग के सीने से नैना के छोटे पर सुडौल स्तन रगड़ खा रहे थे। रूबी ने कुछ देर बार दुरी बनाई और नैना के शरीर पर साबुन लगाने लगी। नैना ने उससे सबु लिया और औरनूराग को लगाने लगी।
अनुराग ने देखा वर्षा नहीं आई तो उसने पुछा - वर्षा नहीं आई ?
रूबी - ओह्हो , लाड़ली कि याद आ गई ? क्या हम दोनों कम हैं ?
अनुराग - ऐसा नहीं है।
नैना - छेड़ो मत , कहा रह गई वो ?
रूबी - वो अपने कमरे में नहा रही है। कह रही थी बच्चों के पास भी रहना चाहिए।
अब अनुराग नैना को और नैना रूबी को साबुन लगा रही थी। नैना ने रूबी के गांड के आस पास ाचे से साबुन लगाया। साबुन लगाते लगाते उसने अपनी एक ऊँगली रूबी के गांड में घुसा दी। ऊँगली के एहसास होते ही रूबी चौंक गई - क्या कर रही है ? निकाल , दर्द हो रहा है।
नैना - अभी तेरे बाप का लौड़ा जायेगा इसमें। तुझे तो अंदर लेने कि आदत है दर्द का नाटक क्यों कर रही है।
रूबी - सच में यार दर्द हो रहा है। बहुत दिन हुए हैं गांड मरवाये हुए। प्लीज निकाल ले ना।
नैना - अब तो ऊँगली निकलेगी और लंड जायेगा। वैसे भी पापा तेरी गांड मारने को तैयार बैठे है। तूने प्रॉमिस किया है। आज मौका है तैयारी कर ले।
रूबी - यार , कम से कम क्रीम तो लगा ले।
तभी बाथरूम दरवाजे पर से वर्षा कि आवाज आई - बिलकुल नहीं। पापा आज इसकी सुखी गांड मारिये। इसने हमें बहुत परेशान किया है।
बाहर वर्षा एक ट्रांसपेरेंट नाईटी में कड़ी थी।
रूबी - बहनचोद , कितना बदला लेगी ?
वर्षा - अभी तो बदला लिया ही कहाँ है। पापा मारिये उसकी गांड ऐसे ही।
वर्षा कि बात सुनकर अनुराग को जोश आ गया। नैना भी समझ गई थी कि अब रुकने से कोई फायदा नहीं है।
नैना बोली - आ जाओ जानेमन , मार लो अपनी बेटी कि गांड।
उसने अनुराग के लंड पर थोड़ा झाग लगाया और अपनी ऊँगली निकाल ली।
अनुराग ने नैना को वही दिवार के सहारे झुकाया और अपना लंड उसके गांड पर सेट कर दिया।
नैना ने उसे पीछे से पकड़ लिया और कहा - मार लो उसकी गांड।
नैना के बोलते ही अनुराग ने एक ही झटके में अपना लंड पूरा रूबी के गांड में डाल दिया।
रूबी चीख पड़ी - बेटीचोद, आराम से। गांड है दरवाजा नहीं जो सीधे घुस गए।
अनुराग ने उसके कमर को पकड़ लिया और झटके देते हुए बोला - दरवाजा ही है। बस मेरे लिए अभी खुला है। इतने आराम से अंदर गया है। सच सच बता किसका किसका लिया है ?
रूबी - आह। उफ़ धीरे। बस आपके दामाद को बहुत शौक है। प्रेग्नेंसी के समय ऐसा चस्का लगा कि बस मेरी गांड में ही घुसा रहता है।
ये सुनकर अनुराग और उत्तेजित हो गया। उधर नैना भी नीचे बैठ गई और उसने रूबी के छूट पर मुँह लगा दिया। अनुराग के हर झटके से रूबी कि छूट उसके मुँह से रगड़ खा रही थी। रूबी से अब बर्दास्त नहीं हो रहा था। उसे मजा तो आ ही रहा था पर छूट पर जीभ और गांड में लंड से वो मस्ता गई थी।
रूबी - आह , साला तुम दोनों कितना मजा देते हो। पापा फाड़ दो मेरी गांड। मेरा बहुत मन था कि सील आपसे ही खुलवाउंगी पर आपने शादी कर दी। पहले पता होता कि आप मेरे गांड के दीवाने हो तो पति से कभी नहीं मरवाती। आह उफ्फ्फ और तेज।
उधर वर्षा ने भी अपनी चूत में ऊँगली करनी शुरू कर दी थी। कुछ देर के घमासान के बाद सभी झड़ गए। अनुराग का लंड माल छोड़ने के बाद छोटा हो रहा था। अनुराग ने जैसे ही अपना लंड बाहर निकला रूबी के गांड से उसका खूब सारा माल निकलने लगा।
काफी देर से पानी में होने कि वजह से तीनो कांपने लगे थे। सभी फिर फटाफट से नाहा कर निकले।
बाहर आकर तीनो कपडे पहन ही रहे थे कि वर्षा कॉफी लेकर आ गई। कॉफ़ी देख कर सब खुश हो गए। नैना और रूबी ने एक एक लॉन्ग टी शर्ट डाला हुआ था जिसके निचे कुछ भी नहीं था। आज नैना भी निचे से नंगी ही थी। अनुराग ने एक लुंगी लपेट ली थी।
कॉफी पीते पीते नैना बोली - मजा आया बेटी कि गांड मार कर।
चुदाई का नशा उतर चूका था। अनुराग वापस संकोच कर रहा था। उसने कहा - जाने दे। अब सोते हैं।
नैना - वाह भाई , गांड मार कर सोते हैं। शर्मा क्यों रहे हो ? ऐसे चूत कैसे लोगे ? अभी रात बची हुई है।
वर्षा - जाने दे थे। देख नहीं रही है कितना थके हुए है ?
नैना - बड़ी तरफदारी हो रही है। कॉफी में डालने को जो दिया था वो डाला भी है या नहीं ?
वर्षा - हाँ मेरी माँ। तेरी बात कैसा काटती।
अनुराग - क्या डालने को बोला था ?
नैना - समझ आ जायेगा।
नैना ने ऐसा बोलकर रूबी के गालों को चूम लिया।
नैना ने उसके शर्ट के ऊपर से ही उसके मुम्मे दबाते हुए कहा - आज तो मेरी रानी कि सुहागरात मानेगी।
इधर वर्षा ने भी रूबी के जाँघि से टी शर्ट को ऊपर कर दिया और उसके चूत पर हाथ लगा दिया। उन दोनों कि हरकत से रूबी बेहाल होने लगी ।
अनुराग इन तीनो की हरकत देख कर गरम होने लगा। उसे अंदर से अजीब सा महसूस हो रहा था। उसका लंड लुंगी फाड़कर बाहर आने को तैयार था। बिस्तर पर तीन कामुक लड़कियां और एक अकेला वो। रूबी के बदन पर से एकम मात्र कपडा भी उतर चूका था। रूबी का सर नैना के गोद में था और नैना झुक कर उसके मुम्मे चूस रही थी। वर्षा उसके चूत पर भिड़ी हुई थी।
रूबी - इस्सस , तुम दोनों क्या चाहती हो ? क्यों तड़पा रही हो ? अभी तो गांड मरवाया है। क्या चूत का भी कबाड़ा करवाना है ? उफ्फ्फ।
अनुराग ने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसे मुठियाने लगा। उसकी हरकत देख नैना बोली - हाथ मत लगाइये , उसे बेटी के चूत का रास्ता दिखाइए।
रूबी - हाँ पापा , चुदना तो है ही। डाल दीजिये अपना लौड़ा मेरे चूत में। गांड कि तरह इसे भी फाड़ दीजिये।
अनुराग ने रूबी के दोनों टांगो से पकड़ा और अपने पास खींच लिया। वो उसके पैरों के बीच आ चूका था। वर्षा ने उसे जगह दिया। अनुराग ने रूबी के दोनों टांगो को हवा में उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और अपना लंड सीधे उसके चूत में डाल दिया।
रूबी के मुँह से चीख निकल गई। वर्षा को लगा कि कहीं बच्चे जग ना जाएँ। उसने उसके मुँह पर हाथ रख दिया। अनुराग ताबड़तोड़ उसे चोदे जा रहा था। नैना रूबी के मुम्मे दबाये जा रही थी। कुछ देर में रूबी को मजा आने लगा।
रूबी - इस्सस पापा क्या चोदते हो। मजा आ गया। और तेजी से चोदो। फाड़ दो मेरी चूत। आह आह आह। माआआआ देखो पापा ने आज दोस्सरी बेटी कि चूत भी फाड़ दी।
अनुराग के ऊपर नैना के दिए हुए चूर्ण का असर होने लगा था। नैना ने अपने एक दोस्त से जो आयुर्वेदिक मेडिसिन कि थी ख़ास दवा ली थी। वर्षा से कह कर उसने कॉफी में वही डलवाया था। अब अनुराग का लंड रात भर के लिए गरम हो चूका था। आज रूबी कि चूत सच में फटनी थी। अनुराग कि जबरजस्त चुदाई और नैना और वर्षा के खेल से रूबी कुछ ही देर में झड़ने लग। उसकी चूत ने खूब सारा पानी छोड दिया पर अनुराग का लंड अब भी पुरे शबाब पर था । उसने रूबी को पलट दिया और कुतिया बना कर चोदने लगा।
रूबी - तुम दोनों ने क्या खिला दिया है पापा को। पुरे जानवर बने हुए हैं। पापा बस भी करो। मेरी चूत फैट जाएगी। बस अब रहने दो। कल फिर चोद लेना।
वर्षा - चुप बहन कि लौड़ी। अपने ससुर और मर्द दोनों के लौड़े से एक साथ चुदती है तो दर्द नहीं होता। अभी तो ये कुछ भी नहीं है। अभी तो पापा और फूफा दोनों मिल कर एक साथ तेरी दोनों चीजें फाड़ेंगे।
रूबी - साली, बहनचोद , किस बात का बदला ले रही है। आह पापा प्लीज मेरी गांड मार लो। चूत छोड़ दो।
अनुराग ने उसे उसी पोजीशन में रखा और चूत से लंड निकाल कर उसकी गांड में डाल दिया।
रूबी - पापाआआआ , कम से कम कुछ लुब्रिकेंट तो लगा लेते। हाय माइआ , मैं तो गई।
अनुराग ने कम से कम आधे घटने तक लगातार चुदाई कि होगी तब जाकर उसके लंड से माल निकला। तब तक रूबी कि हालत ख़राब हो गई थी। माल निकलने के बाद अनुराग भी निढाल होकर बिस्तर पर गिर गया। दोनों लगभग बेहोशी वाले हालत में थे।
वर्षा नैना से बोली - यार कुछ गड़बड़ तो नहीं होगी। पापा का लंड अब भी खड़ा है।
नैना - चिंता मत करो। सब सही है।
वर्षा - पर देखो न , माल निकलने के बाद भी उनका लंड खड़ा है।
नैना - ले लो फिर अपने अंदर। शायद तुम्हारी चूत के गीलेपन से शांत हो जाए।
वर्षा - क्या बोलती हो ? तुम्ही ले लो।
नैना - मेरी चूत में तो ये सुहागरात को ही जायेगा।
वर्षा - तू भी पता नहीं इनसे किस बात का बदला ले रही है। कितना तड़पायेगी।
नैना का दिल भर आया। पर उसने अपने दिल को कड़ा किया हुआ था। वर्षा से बर्दास्त नहीं हुआ। उसने अनुराग के कमर के दोनों तरफ अपने पैर किये और और चूत को उसके लंड पर सेट करके बैठ गई।
अनुराग ने उसे अपने ऊपर लिटा लिया और धीरे से बोला - सुलेखा , मुझे माफ़ कर दो।
ये सुनते ही नैना और वर्षा दोनों कि आँखे भर आई। अनुराग शायद अब गिल्ट में चला गया था। दवा के असर कि वजह से उसके मन के अंदर कि बात बाहर आने लगी।
रूबी भी अब तक होश में आ चुकी थी। अनुराग ने वर्षा के पीठ पर हाथ फेरते हुए दोबारा कहा - लेखा , माफ़ कर दो। मैंने तुहारे दोनों बच्चियों को चोद दिया। गलती हो गई।
वर्षा अब रोने लगी थी। उसने अपने सर को अनुराग के सर पर रख दिया और कहा - आपने कोई गलती नहीं कि है। हम सब आपसे चुदना चाहते थे। आपको बुरा लग रहा है तो नहीं करेंगे। वर्षा उसके ऊपर से उठाने लगी।
अनुराग के उसे और जोर से पकड़ लिया और धीरे से बोला - मत जाओ। अच्छा लग रहा है। प्लीज मुझे चढ़ कर मेरे लंड कि गर्मी शांत कर दो।
वर्षा - पापा , पर मैं वर्षा हूँ , आपकी सुलेखा नहीं।
अनुराग ने आँखें खोली और उसे देखते हुए कहा - उफ़ , वर्षा। तुम्हारी चूत में जाकर मेरे लंड को ठंढक पहुंची है। रूबी कि चूत में क्या गर्मी थी।
ये सुनकर वर्षा ने उसके सीने पर मुक्के मारते हुए कहा - बेटीचोद , अभी क्या बड़बड़ा रहे थे। हमें तो डरा ही दिया था।
अनुराग ने वर्षा को अपने ऊपर खींच लिया और उसके कान में बोला - क्या कह रहा था मैं ?
रूबी - वाह , भूल गए जनाब।
वर्षा - तू अब चुप रह।
वर्षा ने अब अनुराग के कमर से ताल मिलाना शुरू कर दिया। अब अनुराग चुप चाप लेटा हुआ था और वर्षा उसे चोद रही थी। उस रात वर्षा एक बार और चुदी तब भी अनुराग का लंड शांत नहीं हुआ। अंत में नैना को उसके लंड को अपने मुँह में लेना पड़ा। नैना के मुँह को चोदने के बाद ही अनुराग को शांति मिली।
रूबी कि हालात खराब हो चुकी थी। वो सुबह उठने के लायक नहीं थी। किसी तरह लंगड़ा कर वो अपने कमरे में गई और दनो बच्चों के पास सो गई।