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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Premkumar65

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किचन में काम करते करते वो जान बुझ कर झुकती और देर तक उसी अवस्था में रहती जिससे उसके पिता को उसके झूलते हुए मुम्मे दिखे। वैसे ही अपने गान को भी वो और झटके दे रही थी। अनुराग को किचन से ये सब नजारा दिख रहा था।
उसे मजा भी आ रहा था पर साथ ही उसके दिमाग में खलबली मची हुई थी की वर्षा ऐसा क्यों कर रही है। उसे इतना तो पता चल गया था की ये सब वो जान बुझ कर कर रही है। पर क्यों? एक बात उसके दिमाग में आती की शायद उसका पति उसे प्यार नहीं करता हो। जब से वो यहाँ आई है , उन दोनों की बात चीत काम ही होती थी। वार्ना आज के दौर के पति पत्नी दिन रात तो फ़ोन पर ही लगे रहते हैं।
उसने सोचा हो सकता है बच्चा होने पर ये हुआ हो। पर अनुराग को अपना वक़्त याद आ गया। वो दोनों तो बच्चा होने पर इतने हॉर्नी हो गए थे की कई बार तो बच्चे रोते रहते और अनुराग अपनी पत्नी के साथ चुदाई में मगन रहता। वर्षा शादी के दुसरे साल ही हो गई थी तो इसके वक़्त तो चुदाई का घमासान चलता रहता। कई बार तो अनुराग और वर्षा दोनों सुलेखा के मुम्मे एक साथ पी रहे होते थे। अनुराग को सुलेखा के स्तनों से दूध पीना इतना पसंद था की वर्षा के बड़े होने पर जैसे ही दूध बंद होने को हुआ उन्होंने अपनी दूसरी संतान रूबी कर ली थी।
बस बेटे अविनाश और रूबी में ही गैप था।
और अब जब उसके सामने उसकी खुद की बेटी वर्षा अपने थान हिलाती फिर रही थी तो अनुराग के डायरेक्ट दूध पीने की इच्छाए फिर से जाग गई थी। दूध तो वो उसका पी ही रहा था। तीनो बच्चो में वर्षा उसकी पत्नी की झलक भी ज्यादा देती थी। और अब उसकी ये अदाएं।
खैर वर्षा ने जल्दी से अपना काम ख़त्म किया और अनुराग से पुछा - पापा खाना लगा दू ?
अनुराग ने कहा - ठीक है।
वर्षा ने खाना लगा लिया और दोनों बाप बेटी खाना खाने लगे। खाना खाते वक़्त भी अनुराग का ध्यान वर्षा के लटकते मुम्मो पर ही था। टी-शर्ट ढीली होने से उसके मुम्मे के बीच की खाइयां भी दिख रही थी, जिसे वर्षा ढकने की एकदम भी कोशिश नहीं कर रही थी।
अनुराग ने सोचा पता लगाना पड़ेगा वर्षा और उसके पति के बीच में चल क्या रहा है।
उसने पुछा - और दामाद जी के क्या हाल है ? इधर बीच बात हुई थी ?
वर्षा थोड़ी दुखी हो गई। उसने कहा - हाँ ठीक ही हैं। सुबह दो मिनट बात हुई थी।
अनुराग - ससुराल में बाकी सब लोग ?
वर्षा - सासु माँ से बात हुई थी। बाकी सब भी ठीक हैं।
अनुराग ने सोचा कुछ और पूछे पर तभी वर्षा का बेटा जग गया। वर्षा खाना बीच में ही छोड़ कर उसे गोद में ले आई और अपने साथ साथ रोटी और दाल मिक्स करके खिलाने लगी। बेटे को गोद में लेने की वजह से उसका टी-शर्ट थोड़ा और खिंच गया था और आधे से अधिक मुम्मे अब दिखने लगे थे। पर वर्षा को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उसके बेटे ने कुछ कौर खाया और फिर दूध की डिमांड करने लगा।
वर्षा ने उससे कहा - अब नहीं मिलेगा। सारा दूध तुम्हारे लिए ही नहीं है। खाना भी खाओ।
अनुराग मन ही मन मुशुकुरा उठा। वर्षा को उसका कितना ख्याल था। वर्षा ने जल्दी से खाना ख़त्म किया और बेटे के लिए पैकेट वाला दूध और बाकी सेरिअल्स बनाने चली गई। अनुराग ने भी अपना खाना ख़त्म कर लिया। वो खाना खा कर अपने कमरे में चला गया।
जाते समय वर्षा बोली - सोइयेगा नहीं। अभी मैं इसे खिलाकर पानी रख दूंगी। अभी आपको दूध भी पीना है।
अनुराग को लगा जैसे वो खुद अपने मुम्मे से मुँह लगाकर पिलाएगी। वो मुश्कुरा कर हम्म्म बोले और अपने कमरे में चल दिए।
करीब करीब पंद्रह बीस मिनट बाद वर्षा जग में पानी और एक ग्लास लेकर आई। पानी रख कर वो बोली - अभी थोड़ी देर में दूध लाती हूँ
अनुराग - बेटू सो गया क्या ?
वर्षा - हाँ। उसे सुलाकर ही आई हूँ। आप मत सो जाना, थोड़ा टाइम लगेगा।
अनुराग - ठीक है।
वर्षा वापस चली गई। अनुराग को ये पता था की अब वर्षा अपना दूध निकालेगी। तभी उसने टाइम लगने वाली बात कही थी। जैसे ही वर्षा गई , उसका मन हुआ की वो कल की तरह फिर से किचन में झांके। कुछ देर उसने खुद को रोका की अगर वर्षा ने देख लिया तो क्या होगा इत्यादि इत्यादि , पर हवस ने जीत हासिल कर ली। वो दबे पाँव कमरे से निकला और ओट में छुप कर किचन की तरफ देखने लगा।
वर्षा सच में वहां ब्रैस्ट पंप से दूध निकाल रही थी। पार आज का सीन गजब का था। उसने अपना पूरा टीशर्ट ही उठा कर गर्दन पर टिकाया हुआ था और पंप कर रही थी। उसके दोनों लटके हुए मुम्मे और तीर जैसे निकले निप्पल को देख कर अनुराग का लैंड फिर खड़ा हो गया।
अनुराग का हाथ फिर अपने लैंड पर चला गया। आज वर्षा को लगा की कोई तो देख रहा है। अब घर में उसके सिर्फ पिता ही है। उसे उनकी परछाही दिख गई। ये सोच कर ही उसे रोमांच हो आया की उसके पिता उसे देख रहे हैं। पर उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया और अपने काम में लगी रही। बल्कि थोड़ा एंजेल ऐसे कर लिया जिससे उसके दोनों मुम्मे दिखे। उसने दूध निकालने की स्पीड भी थोड़ी धीमी कर ली।
करीब दस मिनट मिनट तक दूध निकालने के बाद ग्लास भर गया तो अपने पिता को हिंट देने के लिए वर्षा बोली - हम्म्म ग्लास तो भर गया। अब जरा बदन पोछ लू तो चलू पापा को दूध दे दूँ।
ये सुन अनुराग दबे पाँव अपने कमरे में जाकर फिर लौट गए। कुछ समय देने के बाद वर्षा ने दूध का ग्लास लिया और अनुराग के कमरे में गई। अनुराग बिस्तर से तक लगाकर बैठे थे।
वर्षा - लीजिये पापा दूध हाजिर है। देर तो नहीं हुई न।
अनुराग - अरे नहीं नहीं।
वर्षा ने दूध दिया और वहीँ खड़ी रही। बोली - आप पी लो फिर गिलास हटा दूंगी। अनुराग ने कुछ मिनटों में दूध ख़त्म कर लिया और गिलास वर्षा को दे दिया। वर्षा ने गुड नाइट बोला और चली गई। वर्षा के जाते ही अनुराग ने अपना लैंड निकाला और मुठ मारने लगे।
वर्षा बाहर तो गई थी पर दरवाजे के पीछे छुप कर अपने पिता की हरकत देखने लगी।
अनुराग तो आनंद के अतिरेक में आँख बंद कर चुके थे। लैंड हिलाते हुए बोले - वर्षा , क्या स्वाद है तेरे दूध में। काश डायरेक्ट पी पाता तो तुझे मेहनत नहीं करनी पड़ती। जैसे तेरी माँ के दूध से लग कर पीता था वैसे ही पियूँगा।
अपनी पत्नी को याद करके अनुराग बोले - सुलेखा , वर्षा एकदम तुम्हारे पर गई है। सिर्फ शक्ल ही नहीं मिलती उसकी बल्कि बदन भी तम्हारे जैसा है। उसके दूध भी तुम्हारे तरह ही हैं । स्वाद भी वैसा ही है।
अनुराग ऐसे ही बड़बड़ाते हुए मुठ मार रहे थे। वर्षा भी ये सब सुन एकदम से गरम हो गई। उसने अपनी पेंट नीचे की और छूट में ऊँगली करने लगी। गरम तो वो पहले से ही थी। जैसे उसने अंघूठे से अपने क्लीट को टच किया उसकी चूत ने भरभरा कर पानी छोड़ दिया और उसके मुँह से एक सिसकी निकल गई। सिसकी सुन अनुराग चौंक गए। उन्हें लगा की वर्षा से उन्हें देख लिया होगा। पर वो भी अनजान बनते हुए बोले - आह वर्षा दूध तो तेरे माँ जैसे ही है , काश तेरी चूत भी वैसी हो और चूत की आग भी। मजा आ जायेगा।

वर्षा अब भाग कर अपने कमरे में चली गई। उसे यकीन हो चला था की अनुराग को दूध वाली बात पता है। अनुराग न सिर्फ उसके मुम्मो से डायरेक्ट दूध पीना चाह रहे हैं बल्कि उसे चोदना भी चाह रहे है। वर्षा भी डैडी डैडी , प्लीज फ़क मी कहते कहते दोबारा झाड़ गई।
 

Premkumar65

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अगले दिन फिर सुबह सुबह उठ कर वर्षा ने अपना दूध निकाला और फ्रिज में रख दिया। रोज की तरह ही चाय बनाई और अपने पापा के कमरे में लेकर पहुँच गई। आज अनुराग इत्मीनान से सो रहे थे। वर्षा भी उनके चेहरे का सकूं देख कर खुश थी। पर जैसे ही उसे याद आया की रात उसके पिता ने उसके नाम की मुठ मारी , वो शर्मा गई। उसने जैसे ही टेबल पर कप रखा आवाज से अनुराग की नींद खुल गई।
वर्षा - गुड मॉर्निंग पापा। आज आप फ्रेश लग रहे हैं। लगता है आपको रात अच्छी नींद आई।
अनुराग ने मन ही मन रात वाली बात सोची। उसे ये भी याद आया शायद वर्षा ने देख लिया था।
अनुराग बोले - हाँ , तू जो ताजा ताजा दूध देती है न उससे नींद अच्छी आती है।
वर्षा ये सुन शर्मा गई। बोली - चाय पीकर फ्रेश हो लीजिये। आपके लिए दूध भी रखा है। तब तक कुछ नाश्ता बना लेती हूँ।
वर्षा कल रात वाले ड्रेस में ही थी। उसके टी-शर्ट से उसके निप्पल निकले हुए से दिख रहे थे। वो अनुराग की बात से अभी और भी ज्यादा तन गए थे । अनुराग उन्हें कुछ देर तक निहारना चाहता था।
अनुराग ने कहा - बेटा अपनी चाय भी ले आ न। साथ में पीते हैं।
वर्षा - ठीक है।
जब तक वर्षा चाय लेकर आई तब तक अनुराग शुशु करके आ गए थे। वर्षा अनुराग के बेड पर ही बैठी थी। अनुराग चाय पीने के बीच बीच में वर्षा के निप्पल देख लिया करते थे। पैर मोड़ कर बैठने से उसके टाइट पैंट में मोटे मोटे थाइस पर भी अनुराग की नजर पड़ ही जा रह थी।
ये सब देख वर्षा को कल रात वाली बात याद आ गई। उसने कहा - आपको माँ की याद बहुत आती है न ?
अनुराग - हाँ , उसके जाने के बाद से लगता है दुखों का पहाड़ सा टूट पड़ा है। सच में उसकी याद बहुत आती है।
वर्षा - माँ रहती तो आपका ख्याल और भी रख पाती।
अनुराग - हाँ , हम दोनों एक दुसरे का बहुत ख्याल रखते थे। तुम सब की शादी के बाद तो हम और करीब हो गए थे।
वर्षा - आप लोगों के प्यार के चर्चे तो हमारे यहाँ भी थे। आपको पता है मेरी कई सहेलियां तो माँ से जलती थी। और कई लड़के आपसे। आप दोनों कइयों की फैंटसी थे।
वर्षा भावनाओं में बाह कर बोल गई थी। जब उसे एहसास हुआ की क्या बोल गई तो उसने सर झुका लिया।
अनुराग कुछ देर चुप ही रहे। फिर बोले - हम्म। अब वो नहीं तो क्या ही कर सकते हैं।
वर्षा - आप दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेते पापा। वो आपका हर तरह से ख्याल रख पायेगी।
अनुराग - तुम लोग फिर से मत शुरू हो जाओ। मैं ऐसे ही ठीक हूँ। अउ रतुम और लता दी तो हैं ही अभी मेरा ख्याल रखने को।
वर्षा - पर हम सब थोड़े ही कर सकते हैं।
अनुराग - जितना कर रहे हो वही बहुत है।
तभी फिर से दरवाजे की घंटी बजी।
वर्षा अनुराग से बोली - लगता है बुआ आ गई हैं। आप प्लीज दरवाजा खोल दो। मैं चेंज कर लेती हूँ। आपको तो पता है।
अनुराग - हां पता है तुमने ब्रा पैंटी नहीं पहनी है।
इस बार अनुराग जान बुझ कर अंडरवियर की जगह ब्रा और पैंटी बोल गया।
वर्षा शर्माते हुए भाग कर अपने कमरे में चली गई। जाते जाते वो बोली - पापा आप भी न गंदे हो।
अनुराग दरवाजा खोलने के लिए जाते हुए बोला - बिना कपडे के तुम घूमो और गन्दा मैं।
वर्षा - पापा
लता ने अनुराग को दरवाजा खोलते देख बोला - वर्षा लापरवाह होती जा रही है। तुमको ही चलना पद रहा है।
अनुराग - नहीं दी ऐसा नहीं है, वो पूरा ख्याल रख रही है। वैसे भी चलना फिरना मेरे लिए सही है।
लता अंदर आई और घर की हालत देखि तो कहा - लगता है नाश्ता वाश्ता भी नहीं हुआ है।
अनुराग - हाँ आज सुबह हम दोनों चाय पर चर्चा करने लगे थे।
लता धीरे से भुनभुना उठी - चर्चा ही कर रहे थे न कुछ और तो नहीं
अनुराग ने सुन तो लिया पर इग्नोर कर गया । कुछ देर में वर्षा भी बाथरूम से निकली। उसे पता था की लता ही आई होगी पर अनजान बनते हुए बोली - अरे बुआ आप कब आई।
लता - अभी कुछ देर हुए हैं। बेटू जगा की नहीं ?
वर्षा - नहीं। अब उठेगा। अभी सोने दो तब तक नाश्ता बना देती हूँ।
दोनों फिर नाश्ता बनाने में लग गई। अनुराग भी फ्रेश होकर बैठ गए थे। वर्षा ने लता से कहा - नाश्ते के साथ दूध दे देना। फ्रिज में रखा है।
लता - हम्म्म
तीनो ने नाश्ता किया और लता फिर अनुराग से बोली - चल मालिश कर दू। वर्षा तू नहा ले।
अनुराग आज बिना ना नकुर के कुर्सी पर बैठ गए। लता कल की तरह अपने साडी के अंचल को कमर में इस तरह से खोंस ली जिससे उसके मुम्मे और उनके बीच की गहराइयाँ पूरी दिखे। उसने फिर मालिश शुरू कर दिया।
अनुराग अब कभी उसके चेहरे को देखता और कभी मुम्मो के बीच की गहराइयों को। उसे तभी ख्याल आया की दीदी से वर्षा और उसके पति के बारे में पूछता हूँ। औरतें आपस में बात करते रहती हो। क्या पता उसने इन्हे बताया हो।
अनुराग - दीदी एक बात पूछू ?
लता - बोल न
अनुराग - वर्षा और उसके हस्बैंड के बीच सब ठीक है न ?
लता - क्यों ?
अनुराग - आजकल के पति पत्नी आपस में इतना बात करते हैं , पर लता काम ही बात करती है , न ही दामाद जी का फ़ोन आता है। थोड़ा उदास भी रहती है।
लता - हम्म्म , सही कह रहा है। थोड़ा डल फेज सबकी लाइफ में आता है। ख़ास कर बच्चा होने के बाद।
अनुराग - डल फेज। हमें तो कभी नहीं आया।
लता - हीहीहीहीही तुम्हारी और लेखा की बात ही अलग थी। बल्कि तुम दोनों का प्यार तो बच्चा होने के बाद बढ़ गया था। लेखा जब ही प्रेगनेंसी के टाइम मेरे साथ डॉक्टर के पास जाती तो हर बार एक ही सवाल होता डॉक्टर हम सेक्स कर सकते हैं न। उसकी हवस देख डॉक्टर भी मजे लेती थी।
अनुराग ये सुन अपना सर झुका लिया। लता ने हवस शब्द जान बुझ कर बोला था।
लता उसी रो में बोलती गई - शुरू में तो मुझे लगा था की वर्षा के टाइम जवानी है पर अवि के टाइम तक ये सब चलता रहा।
अनुराग अब चुप नहीं रह सके - हाँ हम दोनों काफी एक्टिव थे। वर्षा मेरेहर ख्वाहिश को पूरा करती थी।
लता - तभी तो कहती हूँ कर ले दूसरी शादी। अभी तू जवान ही है। देख तेरा मुकाबला तो वर्षा का पति भी नहीं कर सकता।
लता ने जानबूझ कर वर्षा और उसके पति का नाम लिया था।
अनुराग - क्या दीदी। अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ। देखो न दिल की बीमारी के साथ साथ हड्डी की बिमारी भी हो गई है है। दवाइयों का ढेर तबेल पर लगा हुआ है।
लता - ज्यादा दिन तक नहीं। डॉक्टर्स की दवा और वर्षा की मेहनत असर दिखा रही है। नैना बोल रही थी तुहारी हड्डी की दवाइयां धीरे धीरे कुछ महीनो में बंद हो सकती हैं।
अनुराग - नैना ने बहुत ध्यान दिया है। कहाँ है आजकल आती नहीं है।
लता - थोड़ा व्यस्त है। फ्राइडे आएगी प्लास्टर कटवाना है। आकर ले जाएगी।
लगभग यही रूटीन चलता रहा। वर्षा लता के सामने ही अपने बच्चे को दूध पिलाती। लता के सामने दुपट्टा लेती पर शाम को उसके जाते ही दुपट्टा तो क्या ब्रा और पैंटी भी उतर जाती और खुले में अपने मुम्मे दिखाते हुए दूध पिलाती। रात में अब वर्षा तजा दूध अपने पिता को देती और दूध निकालते समय अनुराग छुप कर देखता।
 

tharkiman

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शुक्रवार को सुबह सुबह नैना गाडी लेकर अपनी माँ लता के साथ अनुराग के घर पहुंची। आज अनुराग का प्लास्टर कटना था। नैनाने लता और वर्षा दोनों को हॉस्पिटल आने से मना कर दिया।
उनसे कहा - आज प्लास्टर काट जायेगा तो मामा खुद चल कर आएंगे। वैसे भी अब ज्यादा दिक्कत नहीं है। बाकी मैं हूँ। कुछ टेस्ट भी होंगे तो टाइम लग सकता है। दोनों ने थोड़ी जिद्द की फिर मान गईं। अनुराग नैना की गाडी में बैठ गए।
गाडी में दोनों कुछ देर तो खामोश थे पर अनुराग के मन में एक उथल पुथल चल रही थी। उन्हें नैना से कुछ बात करनी थी। कई दिनों से वो पूछना चाह रहे थे पर मौका नहीं मिला। नैना भी शायद बात करना चाह रही थी। वो जानती थी की अनुराग के मन में क्या चल रहा है।
अनुराग ने आखिर बात शुरू कर ही दी।
अनुराग - ये तेरा ही आइडिया था न ?
नैना - कौन सा ?
अनुराग - भोली मत बन। तुझे पता है मैं क्या बोल रहा हूँ।
नैना मुश्कुराते हुए - आइडिया काम कर रहा है न। देखो आपका हेल्थ इम्प्रूव हुआ है। और आज टेस्ट के बाद मालूम भी पड़ जायेगा।
अनुराग - तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया।
नैना - मेरा और तृप्ति का।
अनुराग - क्या तृप्ति भी इसमें शामिल है।
नैना - हाँ। अमेरिका में उसने कई डॉक्टर्स से कंसल्ट करके ही बताया।
अनुराग - हे भगवान्। तुम दोनों सहेलियों ने क्या किया है इसका अंदाजा भी है।
नैना ने गाडी एक साइड में लगा लिया और अनुराग के आँखों में आँखें डाल कर बोली - जो भी किया है आपके भले के लिए किया है। और हम दोनों ही नहीं आपकी खुद की लड़कियां भी आपको हर तरह से खुश रखना चाहती हैं। आपको पता है वर्षा दीदी एक बार में ही तैयार हो गई थी इसके लिए। बिना एक पल भी सोचे। और मुझे पता है रूबी दी भी एक महीने बाद सेवा के लिए तैयार हो जाएँगी।
अनुराग - क्या ? तुमने रूबी से भी बात कर ली है ?
नैना - नहीं। अभी नहीं। पर मुझे विश्वास है की मान जाएगी।
अनुराग - पर ऐसा क्यों ?
नैना - आपकी सेहत के लिए ही। आपको खुश रखने के लिए। आपने सबकी बात मान ली होती और दूसरी शादी कर ली होती तो ये सब शायद नहीं होता।
अनुराग - पर कैसे कर लेता ? लेखा को दिया वचन और तुम्हारा क्या होता ? तुमने शादी कर ली होती तो शायद एक मिनट को सोचता भी।
नैना - आपको पता है बचपन से प्यार करती आई हूँ। कब आपके प्रति आकर्षण प्यार में बदल गया पता ही नहीं चला। मैं शादी कर ही नहीं सकती। और लेखा मामी ने भी तो आपसे वादा लिया है।
अनुराग - पर उसने कहा था तुम्हारी शादी हो तो ही दूसरी कर। पर तुम अपने जिद्द पर अड़ी हुई हो।
नैना - प्यार कहते है इसे। पर आपको तो मेरे प्यार की फिक्र ही नहीं है।
ये कह कर नैना के आँखों में आंसू आ गए।
अनुराग - पर तुम मेरी बेटी जैसी हो।
नैना - बेटी जैसी से प्यार नहीं कर सकते पर बेटी के दूध को पीने की ख्वाहिश रख सकते हैं। उसके नाम पर मुठ मार सकते हैं। मुझे आपसे शारीरिक सुख नहीं चाहिए था। बस आपका प्यार , भावनात्मक प्यार ही काफी होता।
अनुराग - तो इसी लिए तुमने ये खेल रचा। मुझे मेरी ही सगी बेटी की तरफ आकर्षित किया ताकि गिल्ट से मैं तुम्हारी बात भी मान लून
नैना गुस्से में बोली - आपको कम होती दवाइयां नहीं दिख रही ? आपके हेल्थ में इम्प्रूवमेंट नहीं दिख रहा। इतनी जल्दी आप चलने लगे और आपका प्लास्टर भी समय से पहले कट रहा है। वार्ना आपके ऐज के लोगो की हीलिंग में ज्यादा समय लगता है। और आप तय समय से जल्दी ठीक हो रहे हैं। आपको ये नहीं दिख रहा ? मेरी क्या गलती अगर आपको वर्षा दी के दूध वाली बात मालूम पड़ गई । मैंने ये थोड़े ही सोचा था की आप उसे दूध निकलता देख उसकी तरफ आकर्षित हो जायेंगे।

अनुराग चुप चाप सुनते रहे। नैना ने खुद को शांत किया और गाडी फिर हॉस्पिटल की तरफ बढ़ा लिया। दोनों फिर से खामोश हो गए। अपने अपने सोच में चले गए।

हॉस्पिटल में नैना भाग दौड़ करती रही। प्लास्टर कटवाने के बाद एक्स रे और ब्लड टेस्ट हुए। डॉक्टर भी अनुराग के इम्प्रोवेर्मेंट देख खुश थे। ब्लड टेस्ट का रिजल्ट शाम तक आना था। पर डॉक्टर के हिसाब से अनुराग अपने ऐज के हिसाब से जल्दी ठीक हुए।

उन्होंने कहा - आप बिलकुल सही है। आपका पैर पूरी तरह से ठीक है। नैना और घर वालों ने आपका बहुत अच्छे से ख्याल रखा है। मुझे उम्मीद है आपके ब्लड टेस्ट के रिजल्ट्स भी अच्छे होंगे और आपके विटामिन डी और कैल्शियम में भी इम्प्रूवमेंट होगा। तभी प्लास्टर जल्दी कटा है और हीलिंग फ़ास्ट है।
अनुराग - थैंक यू डॉक्टर साहब ।
डॉक्टर - मुझे नहीं , नैना को बोलिये। उसने ही आपको क्लोसेली मॉनिटर किया है और आपकी दवाइयां भी। आपके खाने पीने का ही असर है की आपको सुप्प्लिमेंट की जरूरत न के बराबर है। बाकी टेस्ट रिजल्ट्स के बाद दवाइयां और एडजस्ट की जाएँगी। ।
डॉक्टर ने नैना से कहा - तुम शाम को रिपोर्ट आने के बाद मुझसे बात कर लेना।
फिर अनुराग को बोला - और हाँ दवा और खान पान नैना के इंस्ट्रक्शंस में ही करियेगा। कुछ भी चेंज नहीं सिर्फ दवा के। आपके दोनों पैरों की मालिश अब हो सकती है। मालिश से प्लास्टर वाला पैर भी फुल स्ट्रेंथ में आ जायेगा।
अनुराग - जी ठीक है।

लौटते वक़्त अनुराग सोचने लगे की उन्होंने नैना को कितना भला बुरा कहा पर उसकी वजह से ही वो इतनी जल्दी इम्प्रूव किये।
अनुराग - मुझे माफ़ कर दो नैना। मैं बेकार ही नाराज हो रहा था तुम पर।
नैना मुश्कुराते हुए - कोई नहीं मामा जी। गुस्सा तो मैं भी हो गई थी। पर आपको दुखी नहीं देख सकती मैं। आपने मेरे बारे में गलत सोचा बस इसी बात का दुःख हुआ।
अनुराग - माफ़ कर दे।
नैना ने अनुराग के गाल पर किस कर लिया और कहा - प्यार में नो सॉरी नो थैंक यू।
अनुराग - तू फिर शुरू हो गई।
नैना - शुरू तो मैं तब से हुई जब प्यार कर मतलब मालूम हुआ। अब तो ये लगने लगा है की जन्मो का प्यार है।

अनुराग चुप ही रहे। उन्हें पता था की वो ही नैना के बचपन का प्यार हैं। ये बात लेखा भी जानती थी। उसने नैना को प्यार करने से कभी रोका नहीं। बल्कि जाते जाते ये वादा भी ले गई की अगर नैना किसी और से शादी नहीं करती है तो वो ही उसका ख्याल रखेगा। उसका सहारा। उसने कहा था की नैना उसकी भी जान है। अनुराग समझ ले की लेखा नैना के रूप में है।

पर अनुराग कभी भी ये नहीं कर पाया। उसने नैना को अपनी बेटियों की तरह ही माना। कभी गलत निगाह से नहीं देखा। बल्कि अनुराग ने लेखा के अलावा किसी और को गलत निगाह से नहीं देखा। इसी लिए लेखा उस पर जान देती थी।

पर इस एक्सीडेंट ने सब बदल दिया था। अब अनुराग अपनी खुद की सगी बहन और बेटी को भी भूखी नजरों से देखने लगा था। वर्षा के दूध ने उसे सिर्फ ताकत ही नहीं दी थी बल्कि उसके अंदर की आग भी जगा दी थी। वो खुद उसे भी भोगने की सोचने लगा था। और अब नैना जो उसके प्यार में बचपन से पागल है उसे अनदेखा करेगा तो ये लेखा और नैना दोनों के साथ ही अन्याय होगा।

इसी उधेड़बुन में वो खोया था तभी नैना ने कहा - आज थोड़ी पार्टी कर लें। आज आपका प्लास्टर कटा है। कुछ खा लेते हैं। वैसे भी मामी के जाने के बाद आपके साथ बाहर खाने का मौका नहीं मिला है।
अनुराग कुछ नहीं बोला बल्कि हां में गर्दन हिला दी। नैना ने एक माल की तरफ गाडी मोड़ लिया।
 
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