किचन में काम करते करते वो जान बुझ कर झुकती और देर तक उसी अवस्था में रहती जिससे उसके पिता को उसके झूलते हुए मुम्मे दिखे। वैसे ही अपने गान को भी वो और झटके दे रही थी। अनुराग को किचन से ये सब नजारा दिख रहा था।
उसे मजा भी आ रहा था पर साथ ही उसके दिमाग में खलबली मची हुई थी की वर्षा ऐसा क्यों कर रही है। उसे इतना तो पता चल गया था की ये सब वो जान बुझ कर कर रही है। पर क्यों? एक बात उसके दिमाग में आती की शायद उसका पति उसे प्यार नहीं करता हो। जब से वो यहाँ आई है , उन दोनों की बात चीत काम ही होती थी। वार्ना आज के दौर के पति पत्नी दिन रात तो फ़ोन पर ही लगे रहते हैं।
उसने सोचा हो सकता है बच्चा होने पर ये हुआ हो। पर अनुराग को अपना वक़्त याद आ गया। वो दोनों तो बच्चा होने पर इतने हॉर्नी हो गए थे की कई बार तो बच्चे रोते रहते और अनुराग अपनी पत्नी के साथ चुदाई में मगन रहता। वर्षा शादी के दुसरे साल ही हो गई थी तो इसके वक़्त तो चुदाई का घमासान चलता रहता। कई बार तो अनुराग और वर्षा दोनों सुलेखा के मुम्मे एक साथ पी रहे होते थे। अनुराग को सुलेखा के स्तनों से दूध पीना इतना पसंद था की वर्षा के बड़े होने पर जैसे ही दूध बंद होने को हुआ उन्होंने अपनी दूसरी संतान रूबी कर ली थी।
बस बेटे अविनाश और रूबी में ही गैप था।
और अब जब उसके सामने उसकी खुद की बेटी वर्षा अपने थान हिलाती फिर रही थी तो अनुराग के डायरेक्ट दूध पीने की इच्छाए फिर से जाग गई थी। दूध तो वो उसका पी ही रहा था। तीनो बच्चो में वर्षा उसकी पत्नी की झलक भी ज्यादा देती थी। और अब उसकी ये अदाएं।
खैर वर्षा ने जल्दी से अपना काम ख़त्म किया और अनुराग से पुछा - पापा खाना लगा दू ?
अनुराग ने कहा - ठीक है।
वर्षा ने खाना लगा लिया और दोनों बाप बेटी खाना खाने लगे। खाना खाते वक़्त भी अनुराग का ध्यान वर्षा के लटकते मुम्मो पर ही था। टी-शर्ट ढीली होने से उसके मुम्मे के बीच की खाइयां भी दिख रही थी, जिसे वर्षा ढकने की एकदम भी कोशिश नहीं कर रही थी।
अनुराग ने सोचा पता लगाना पड़ेगा वर्षा और उसके पति के बीच में चल क्या रहा है।
उसने पुछा - और दामाद जी के क्या हाल है ? इधर बीच बात हुई थी ?
वर्षा थोड़ी दुखी हो गई। उसने कहा - हाँ ठीक ही हैं। सुबह दो मिनट बात हुई थी।
अनुराग - ससुराल में बाकी सब लोग ?
वर्षा - सासु माँ से बात हुई थी। बाकी सब भी ठीक हैं।
अनुराग ने सोचा कुछ और पूछे पर तभी वर्षा का बेटा जग गया। वर्षा खाना बीच में ही छोड़ कर उसे गोद में ले आई और अपने साथ साथ रोटी और दाल मिक्स करके खिलाने लगी। बेटे को गोद में लेने की वजह से उसका टी-शर्ट थोड़ा और खिंच गया था और आधे से अधिक मुम्मे अब दिखने लगे थे। पर वर्षा को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उसके बेटे ने कुछ कौर खाया और फिर दूध की डिमांड करने लगा।
वर्षा ने उससे कहा - अब नहीं मिलेगा। सारा दूध तुम्हारे लिए ही नहीं है। खाना भी खाओ।
अनुराग मन ही मन मुशुकुरा उठा। वर्षा को उसका कितना ख्याल था। वर्षा ने जल्दी से खाना ख़त्म किया और बेटे के लिए पैकेट वाला दूध और बाकी सेरिअल्स बनाने चली गई। अनुराग ने भी अपना खाना ख़त्म कर लिया। वो खाना खा कर अपने कमरे में चला गया।
जाते समय वर्षा बोली - सोइयेगा नहीं। अभी मैं इसे खिलाकर पानी रख दूंगी। अभी आपको दूध भी पीना है।
अनुराग को लगा जैसे वो खुद अपने मुम्मे से मुँह लगाकर पिलाएगी। वो मुश्कुरा कर हम्म्म बोले और अपने कमरे में चल दिए।
करीब करीब पंद्रह बीस मिनट बाद वर्षा जग में पानी और एक ग्लास लेकर आई। पानी रख कर वो बोली - अभी थोड़ी देर में दूध लाती हूँ
अनुराग - बेटू सो गया क्या ?
वर्षा - हाँ। उसे सुलाकर ही आई हूँ। आप मत सो जाना, थोड़ा टाइम लगेगा।
अनुराग - ठीक है।
वर्षा वापस चली गई। अनुराग को ये पता था की अब वर्षा अपना दूध निकालेगी। तभी उसने टाइम लगने वाली बात कही थी। जैसे ही वर्षा गई , उसका मन हुआ की वो कल की तरह फिर से किचन में झांके। कुछ देर उसने खुद को रोका की अगर वर्षा ने देख लिया तो क्या होगा इत्यादि इत्यादि , पर हवस ने जीत हासिल कर ली। वो दबे पाँव कमरे से निकला और ओट में छुप कर किचन की तरफ देखने लगा।
वर्षा सच में वहां ब्रैस्ट पंप से दूध निकाल रही थी। पार आज का सीन गजब का था। उसने अपना पूरा टीशर्ट ही उठा कर गर्दन पर टिकाया हुआ था और पंप कर रही थी। उसके दोनों लटके हुए मुम्मे और तीर जैसे निकले निप्पल को देख कर अनुराग का लैंड फिर खड़ा हो गया।
अनुराग का हाथ फिर अपने लैंड पर चला गया। आज वर्षा को लगा की कोई तो देख रहा है। अब घर में उसके सिर्फ पिता ही है। उसे उनकी परछाही दिख गई। ये सोच कर ही उसे रोमांच हो आया की उसके पिता उसे देख रहे हैं। पर उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया और अपने काम में लगी रही। बल्कि थोड़ा एंजेल ऐसे कर लिया जिससे उसके दोनों मुम्मे दिखे। उसने दूध निकालने की स्पीड भी थोड़ी धीमी कर ली।
करीब दस मिनट मिनट तक दूध निकालने के बाद ग्लास भर गया तो अपने पिता को हिंट देने के लिए वर्षा बोली - हम्म्म ग्लास तो भर गया। अब जरा बदन पोछ लू तो चलू पापा को दूध दे दूँ।
ये सुन अनुराग दबे पाँव अपने कमरे में जाकर फिर लौट गए। कुछ समय देने के बाद वर्षा ने दूध का ग्लास लिया और अनुराग के कमरे में गई। अनुराग बिस्तर से तक लगाकर बैठे थे।
वर्षा - लीजिये पापा दूध हाजिर है। देर तो नहीं हुई न।
अनुराग - अरे नहीं नहीं।
वर्षा ने दूध दिया और वहीँ खड़ी रही। बोली - आप पी लो फिर गिलास हटा दूंगी। अनुराग ने कुछ मिनटों में दूध ख़त्म कर लिया और गिलास वर्षा को दे दिया। वर्षा ने गुड नाइट बोला और चली गई। वर्षा के जाते ही अनुराग ने अपना लैंड निकाला और मुठ मारने लगे।
वर्षा बाहर तो गई थी पर दरवाजे के पीछे छुप कर अपने पिता की हरकत देखने लगी।
अनुराग तो आनंद के अतिरेक में आँख बंद कर चुके थे। लैंड हिलाते हुए बोले - वर्षा , क्या स्वाद है तेरे दूध में। काश डायरेक्ट पी पाता तो तुझे मेहनत नहीं करनी पड़ती। जैसे तेरी माँ के दूध से लग कर पीता था वैसे ही पियूँगा।
अपनी पत्नी को याद करके अनुराग बोले - सुलेखा , वर्षा एकदम तुम्हारे पर गई है। सिर्फ शक्ल ही नहीं मिलती उसकी बल्कि बदन भी तम्हारे जैसा है। उसके दूध भी तुम्हारे तरह ही हैं । स्वाद भी वैसा ही है।
अनुराग ऐसे ही बड़बड़ाते हुए मुठ मार रहे थे। वर्षा भी ये सब सुन एकदम से गरम हो गई। उसने अपनी पेंट नीचे की और छूट में ऊँगली करने लगी। गरम तो वो पहले से ही थी। जैसे उसने अंघूठे से अपने क्लीट को टच किया उसकी चूत ने भरभरा कर पानी छोड़ दिया और उसके मुँह से एक सिसकी निकल गई। सिसकी सुन अनुराग चौंक गए। उन्हें लगा की वर्षा से उन्हें देख लिया होगा। पर वो भी अनजान बनते हुए बोले - आह वर्षा दूध तो तेरे माँ जैसे ही है , काश तेरी चूत भी वैसी हो और चूत की आग भी। मजा आ जायेगा।
वर्षा अब भाग कर अपने कमरे में चली गई। उसे यकीन हो चला था की अनुराग को दूध वाली बात पता है। अनुराग न सिर्फ उसके मुम्मो से डायरेक्ट दूध पीना चाह रहे हैं बल्कि उसे चोदना भी चाह रहे है। वर्षा भी डैडी डैडी , प्लीज फ़क मी कहते कहते दोबारा झाड़ गई।