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Adultery पापी परिवार की बेटी बहन और बहू बेशर्म रंडियां

malikarman

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शालू से बात करने के बाद गुंज़न ने धर्मवीर को बताया शालू घर वापस आ रही हैं कुछ देर में वो स्टेशन पर आने
वाली है आप को उसे लेने स्टेशन जान होगा धर्मवीर गुंज़न की बात सुनकर खुश हो जाता हैं

धर्मवीर - हा बहु ये तो बहुत खुशी की बात है मै अभी उसे लेने स्टेशन जाता हूँ

कुछ देर बाद धर्मवीर शालू को लाने के लिए घर से निकल जाता है
धर्मवीर
शालू को पिक अप करने के लिए वहाँ पहुँचा, तो वो गेट के पास खड़ी थी,और उसके पीछे दो मजनू टाइप के लड़के खड़े थे।हवा चल रही थी और उसका स्कर्ट ऊपर उड़ रही थी।वो मजनू मज़े के रहे थे, शालू की जाँघों और उसके नितम्बों को देख रहे थे।शालू अपनी स्कर्ट नीचे करने की कोशिश कर रही थी।उसकी छातियाँ भी टॉप से तनी हुई अलग से दिख रही थी।धर्मवीर ने कार शालू के सामने रोकी वो अंदर आ गयी।लड़के बोले- साला कोई पैसे वाला माल ले उड़ा।

धर्मवीर ने शालू को पूछा-ये लड़के तुमको तंग कर रहे थे?

वो बोली-पापा लड़कियों को तो ये सब झेलना ही पड़ता है, और मुस्करा दी।

धर्मवीर- असल में तुम ही इतनी सुंदर की कोई भी लड़का तुम्हारा दीवाना हो जाए, कहते हुए उसने शालू की स्कर्ट के नीचे जाँघों पर हाथ रखा और सहलाने लगा।

वो बोली- पापा आप लड़कों के साइड में हो या मेरे साइड में ।

धर्मवीर- हाहा मैं तो बस सचाई बयान कर रहा था,ज़रा स्कर्ट ऊपर करो ना, देखें कौन सी रंग की पैंटी पहनी हो?

शालू- पापा आप भी ना, बहुत शरारती होते जा रहे हो, यूँ कहते हुए उसने अपनी स्कर्ट ऊपर कर दी।

धर्मवीर ने ऊपर तक सहलाया और गाड़ी चलते हुए काँखियों से देखा और बोला-ओह ,गुलाबी चड्डी पहनी हो,और उसकी जाँघों को सहलाते हुए अपना हाथ उसकी चूत तक लेज़ाकर हल्के से दबा दिए।

शालू- पापा क्या कर रहे हो, गुदगुदी हो रही है और मेरी चड्डी गीली करोगे क्या।

धर्मवीर- क्या करूँ तुमको देखते ही मेरा खड़ा हो जाता है।ये कहते हुए अपना लंड दबाकर दिखाए।

शालू भी मस्ती में आकर उसके लंड को धोती के ऊपर से दबाने लगी। इस तरह मस्ती करते हुए वो घर पहुँचे गये

घर पर जैसे ही रामलाल ने शालू को देखा तो रामलाल के लंड को जैसे झटका लगा।उसने आज तक ऐसी लड़की नहीं देखी थी, जिसकी कमर तो पतली थी पर चुचि बड़े आम सी थी।अक्सर थोड़ी मोटी लड़की का वक्ष इतना बड़ा होता है, पर यहाँ तो शालू का सीना जैसे टॉप फाड़के बाहर आने को आतुर था।तभी शालू बोली- नमस्ते मौसाजी, कैसे हैं? लगता है आपने मुझे पहचाना नहीं, मैं शालू हूँ,

रामलाल अपने शॉक से बाहर आया और बोला- अरे बेटी, तुम कितनी बड़ी हो गयी हो, मैंने तो तुमको पहचाना ही नहीं।
कुछ देर बात करने के बाद शालू अपने कमरे मे चली गई
और उस के साथ धर्मवीर भी उसके साथ चला गया


शालू और धर्मवीर के वाह से जाते ही गुंज़न रामलाल से बोली

गुंज़न - पापा आपको शालू कैसी लगी?

रामलाल - अच्छी है बेटी, बहुत सुंदर और प्यारी है।

गुंज़न - सेक्सी नहीं है?

रामलाल - हाहा तो बदमाशी सूझ रही है?हाँ सेक्सी भी है,तुमने क्यों पूछा?

गुंज़न ने हाथ बढ़ाके उसके पैंट के ऊपर से लंड को पकड़ा और बोली- क्योंकि ये उसको देखके उछल रहा था।

रामलाल हँसते हुए बोला- हट बदमाश लड़की, क्या तेरा ध्यान पूरे टाइम इसी पर रहता है, और ऐसा बोलते हुए उसकी जाँघों को दबाने लगे,और हाथ को पैंटी तक लेज़ाकर उसकी चूत को दबा दिए।

गुंज़न - आह पापा आप तो शालू के नाम से ही गरम हो गए।और वो हँसने लगी।

अंदर जाकर शालू हँसती हुई अपने कपड़े उतार के नंगी हो गयी और फिर उसने सेक्सी काली ब्रा और पैंटी पहनी।धर्मवीर ने सोचा क्या माल दिख रही है उसका लंड कड़ा होने लगा।ब्रा में से उसके आधे दूध दिख रहे थे और पैंटी मेंसे चूत की फाँकें तक नज़र आ रही थी, और पीछे से तो उसने एक पतली सी रस्सी थी जो उसके गोल चूतरों के बीच घुसी हुई थी,और पूरा पिछवाड़ा नंगा था।उसके दूधिया गोरे रंग पर काली लिंगरी गजब ढा रही थी।धर्मवीर ने आगे बढ़कर उसके नंगे चूतरों को सहलाते हुए दबाने लगा।

शालू मुस्करा के बोली- आप मुझे कपड़े बदलने देगे कि नहीं।और ऐसा बोलते हुए उसने धर्मवीर का लंड दबा दिया।

धर्मवीर का लंड झटका मारने लगा।फिर उसने अपनी ब्रा भी खोल दी, उसके अनार और गुलाबी आधी बनी निपल्ज़ बड़े ही आकर्षक लग रहे थे। फिर वो झुक कर अपनी पैंटी भी उतार दी, और आकर धर्मवीर कि गोद में बैठ गयी।उसने अपना मुँह धर्मवीर के मुँह से जोड़ दिया।और अपनी चूत को धर्मवीर की धोती के ऊपर से लंड पर रगड़ने लगी।धर्मवीर ने उसकी चूचियाँ चूसनी शुरू की और उसके चूतरों को दबाने लगा।फिर जब वी गरम हो गयी, वो उसकी गोद से उतरी और उसकी पैंट का बेल्ट खोलने लगी, धर्मवीर ने उसको रोका और उसको सोफ़े पर बैठा दिया और उसके सामने बैठ गया।फिर उसकी टाँगें उठाकर फैलाया और उसकी चूत में अपना मुँह डाल दिया।अब वो जीभ से उसकी छेद को चाट भी रहा थाऔर उसके दाने यानी clit को भी छेड़ रहा था।शालू ने जोश मे आकर अपना हाथ उसके सर पर रखा और उसको अपनी चूत में दबाने लगी, और ख़ुद ज़ोर से कमर उछालने लगी।वो उसकी जीभ से चूदवा रही थी और आह आह करे जा रही थी, तभी धर्मवीर ने उसके निपल्ज़ को उमेठना शुरू किया, अब तो जैसे उसके शरीर में आग लग गयी।वो हाऽऽऽयय्यय पापाऽऽऽऽऽ मर्र्र्र्र्र्र्र्र गायीइइइइइइ कहके झड़ने लगी और धर्मवीर ने उसकी चूत का स्वाद पानी मज़े से पी लिया।फिर वो थकके वहीं सोफ़े पर लुढ़क गयी। फिर धर्मवीर उठा एर एक तौलिए से उसकी चूत पोछा और फिर सोफ़ा भी साफ़ किया और शालू का एक गाउन लाया और उसको पहनाकर वो उसको बिस्तर पर लिटा दिया।फिर बाथरूम में जाकर अपने कपड़े उतारकर नहाया और अपने खड़े लंड को ठंडे पानी की धार से शांत किया।फिर जब वो बिस्तर पर आया तो शालू ने पूछा- पापा आज आपने मुझे चोदा क्यों नहीं? वो बोला- बस बेटी आज तुम्हारी चूत चाटने में ही बहुत मज़ा आया।तुमको मज़ा आया या नहीं? शालू अपने पापा से लिपटते हुए बोली- आप जो भी करते हो उसमें मुझे बहुत मज़ा आता है। फिर दोनों एक दूसरे की बाहों में समा गए और धर्मवीर उसकी कमर और नितम्बों को सहलाने लगा

धर्मवीर हँसते हुए उसको छोड़ दिया और बोला- चलो तय्यार हो जाओ मैं बाहर हॉल में बैठता हूँ।थोड़ी डेर बाद शालू बाहर आइ तो रामलाल उसे देखता ही रह गया।उसके काली रंग की टॉप पहनी थी, जिसमें उसके आधे अनार दिख रहे थे।उसकी मिनी स्कर्ट से उसकी आधी से ज़्यादा जाँघें दिख रही थीं।उसने ऊँची एड़ी की सैंडल पहनी थी।वो धर्मवीर को घूम कर दिखाई।रामलाल की आह निकल गयी, उसका पिछवाड़ा बहुत सेक्सी हो गया था,सैंडल के कारण वो बाहर निकल आया था। वो फिर घूमी ,उसका भोला चेहरा,गोरा रंग,लिप्स्टिक से रंगें उसके होंठ और गले में उसकी चेनऔर कानों की सुंदर बालियाँ और पैर में झूमके, उसको बहुत सेक्सी बना रहे थे।उसने सोचा साला रामलाल तो आज गया।ख़ैर। एक आह भरके वो बोला-आज ये तुम्हारा रूप पहली बार देखा,एकदम फ़िल्मी हेरोयन लग रही हो,देखो मेरा तो पूरा खड़ा हो गया।वो बोली- पापा आपका तो हमेशा खड़ा ही रहता है,उसे तो बस खड़े होने का कोई बहाना चाहिए।फिर वो हँसने लगी और धर्मवीर ने भी उसके चूतरों को हल्के से दबा दिया।

उस के बाद वो गुंज़न के पास रसोई में चली गई

गुंज़न- बड़ी देर लगा दी,

शालू- हाँ वो अपने रूम में थी ना

गुंज़न -और तेरे पापा कहाँ है

शालू- वो भी रूम में ही थे

गुंज़न - लगता हैं बाबूजी ने आते ही काम कर दिया है

शालू - नही भाभी पापा ने कुछ नहीं किया सायद वो मौसाजी से डर रहे है

गुंज़न - नही वो पापा से क्यो डरेगे भला

शालू - तो और क्या वो मौसा जी के सामने अपनी बेटी पर चड़ जायेगे

गुंज़न - जब वो पापा के साथ मिलकर अपनी बहु पर
चड़ सकते है तो बेटी पर क्यो नहीं

गुंज़न की बात सुनकर शालू की आँखे फटी की फटी
रह गई

शालू - हँसते हुए कहने लगी भाभी एक बात कहूँ आप सच में बड़ी वो हो

गुंज़न- क्या

शालू- चुदासी

गुंज़न - जब पापा का लंड तेरी चूत और गान्ड में घुसेगा तो तू भी एक नंबर की चुदासी हो जाएगी

ये बोलकर गुंज़न ने शालू की चूचीयो को दबा दिया

शालू- भाभी प्लीज़ ऐसा मत करो मुझे कुछ होता है

गुंज़न - मेरी बाते सुन कर या हाथ लगाने पर

शालू - दोनो से

गुंज़न - तो तुझे जो होता है वह अच्छा नही लगता क्या

शालू -अच्छा लगता है पर

गुंज़न - पर क्या, जब पापा से इन मोटे मोटे आमों को दबवायेगी और चुस्वाएगी तब देखना कितना मज़ा आएगा तुझे

शालू-क्यो मौसा के दबाने से ज़्यादा मज़ा आता है क्या

गुंज़न - दबवायेगी

शालू -चौंकते हुए, किससे

गुंज़न- पहले तू बता तो, केवल दूध भर दबवाना है या फुल मज़ा लेना है

शालू- मुझे डर लगता है

गुंज़न ने शालू की फूली हुई चूत को मुट्ठी में भर कर दबोचते हुए कहा सच कह रही हूँ शालू एक दम मस्त हो जाएगी, सच बात तो यही है कि अब तुझे किसी अच्छे ख़ासे तगड़े और मोटे लंड की ज़रूरत है

शालू - मुस्कुराते हुए, तुम भी ना भाभी, यह सब बाते बंद करो में जा रही हूँ

गुंज़न -अच्छा एक बार बस बता दे करवाएगी क्या

शालू -अच्छा बाबा सोच कर बताउन्गी

गुंज़न -चल ठीक है
Good one
 

Hkgg

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कुछ देर बाद सोनू भी घर आजाता हैं जब वो घर पर शालू को
दखता है तो वो बहुत खुश हो जाता हैं

फिर वो शालू से बात करने लगता हैं कुछ देर ईधर उधर की
बात करने के बाद वो शालू को बोलता है

सोनू - दीदी मेरा बहुत मन कर रहा है

शालू- केसा मन सोनू

सोनू - आपसे प्यार करने का मन दीदी

शालू - प्यार करने का या फिर कुछ और करने का

सोनू - दोनों काम को करने का दीदी

शालू - ओहो तो जनाब का दोनों काम करने का मन है वैसे ये दूसरा काम है क्या

सोनू अपने लंड की तरफ इसारे कर बोला

सोनू - इसे आप के अंदर डालने का दीदी

शालू - तो डाल दे भाई रोका किसने है पर डालेग कैसे अभी तो घर पर सब है

सोनू - रात को दीदी जब सब सो चुके होगे.

शालू - रात का तो में भी इंतजार कर रही हूँ

सोनू - तो ठीक है दीदी रात को आप के पास आता हु

फिर सब मिलकर खाना खाते हैं और अपने अपने रूम में चले जाते है

शालू अपने कमरे मे सोनू का इंतजार कर रही होती हैं पर जब
काफी देर तक सोनू उसके कमरे मे नही आता तो वो अपने
कमरे से निकल कर सोनू के कमरे की तरफ़ जाने लगती हैं
पर रास्ते में उसे धर्मवीर का कमरा नज़र आता है और वो अचानक उस के कमरे मे चली जाती हैं

कमरे मे धर्मवीर सिर्फ धोती में लेट हुआ था, शालू को कमरे में आता हुआ देखकर वह समझ गया की उसके लंड को अपनी
बेटी की छूट मिलने वाली है ।शालू बुहत गरम थी तो उसने
धर्मवीर के पास बैठते ही धर्मवीर की धोती को अपने हाथ से हटा दिया,

धर्मवीर -"अरे बेटी यह क्या कर रही हो हमें नंगा क्यों कर दिया"

धर्मवीर मोके का फ़ायदा उठाते हुए नाटक करते हुए कहा।

शालू - मुझे आपके इस शैतान को उठाना है

" शालू ने अपने हाथ से धर्मवीर के ढीला पर लंड सहलाते हुए कहा।

धर्मवीर - अरे बेटी तुम्हें शर्म नहीं आती अपने पापा के लंड को पकडते हुये"

शालू - क्यों पापा क्या हुआ आपका मूड नहीं है" शालू ने परेशान होते हुए कहा।

धर्मवीर - नही बेटी मूड क्यों नहीं होगा जब इतनी सूंदर बेटी अपने पापा से चुदवाने के लिए खुद उसके कमरे में आ गयी है तो मूड क्यों नहीं होगा"

धर्मवीर ने अपने बेड से उठते हुए शालू को भी सीधा कर दिया और

धर्मवीर - वाह बेटी क्या जिस्म है तुम्हारा। काश तुम मेरी बेटी नहीं बीवी होती"

शालू -पापाजी इस वक्त आप हमें अपनी बीवी समझकर ही चोदिये। हमारी चूत बुहत प्यासी है"

धर्मवीर ने शालू की बात सुनकर उसके होंठो को चूमते हुए उसकी सलवार उतार दिया और खुद घुटनों के बल बैठते हुए
उसकी गीली चूत को देखने लगा।

धर्मवीर -बेटी तुम्हारी पेंटी इतनी गीली की हो गई है"

धर्मवीर ने शालू की पेंटी को सूँघते हुए कहा।

शालू -"हाहहह पापा हमें पेंटी के अंदर कुछ हो रहा है । इसी लिए उसमें से यह पानी निकल कर हमारी पेंटी को गीला कर रहा है"

धर्मवीर - बेटी फिर तो इसका इलाज करना पडेगा"

धर्मवीर ने अपने दोनों हाथों से शालू की पेंटी को पकड कर उतारते हुए कहा।


शालू - इसीलिए तो आपके पास आई हूँ


धर्मवीर - बेटी तुम्हारी चूत से बुहत पानी निकल रहा है लगता है बेचारी के अंदर कोई ज़ख़्म है अब हमें अपनी इंजेक्शन डालकर इसमें अंदर दवाई ड़ालने पडेंगी"


शालू - जो करना है करो मगर हमारा इलाज सही तरीके से करो बेचारी अंदर बुहत खुजलि हो रही है"

शालू ने धर्मवीर को बालों से पकडते हुए अपनी चूत पर दबाते हुए कहा।

धर्मवीर - हाँ बेटी करता हूँ मगर बेड पर आराम से लेटकर


धर्मवीर ने सीधा होते हुए शालू के ऊपर वाले भी सारे कपडे उतार दिये और उसे बेड पर सीधा लेटाते हुए उसके ऊपर चढ़ गया ।


धर्मवीर शालू के होंठो को चूमते हुए नीचे होते हुए उसकी दोनों बड़ी चुचियों को ज़ोर से मसलते हुए उन्हें एक एक करके चाटने लगा।

शालू -आआह्ह्ह्ह पापा आराम से दर्द हो रहा है

अचानक धर्मवीर शालू के पेट पर बैठकर अपने लंड को उसकी दोनों बड़ी बड़ी चुचियों के बीच डालकर आगे पीछे करने लगा ।

धर्मवीर का लंड शालू की चुचियों से होता हुआ उसके होंठो को टच करने लगा। शालू ने अपना मूह खोल दिया और जैसे ही उसके पापा का लंड उसके होंठो के क़रीब आता वह अपनी जीभ से उसे चाट लेटी।

धर्मवीर कुछ देर तक ऐसा करने के बाद नीचे होते हुए शालू की टांगों को पूरा फ़ैला दिया और खुद उसके बीच बैठते हुए अपनी जीभ निकालकर शालू की चूत से निकलता हुआ नमकीन पानी चाटने लगा ।


शालू - अपना घुसा दो न बुहत तकलीफ हो रही है" अपने
पापा की जीभ को अपनी चूत पर महसूस करते ही शालू ने सिसकते हुए कहा।


धर्मवीर -क्या घुसा दूँ बेटी

शालू - ओहहहह स्सस्स्स्शह्ह्ह्ह् अपना इंजेक्शन घुसाओ न हम और बर्दाशत नहीं कर सकते" शालू ने अपनी चूत का दाना धर्मवीर के मूह में आते ही बुहत ज़ोर से सिसकते हुए कहा।

धर्मवीर - हाँ बेटी थोडा रुको अभी घुसाते है"

फिर धर्मवीर शालू की टगों को घुटनों तक मोडते हुए अपना लंड उसकी चूत पर घीसने लगा ।

शालू की हालत बहुत खराब थी । वह बुहत ज़्यादा एक्साइटेडट हो गई थी । धर्मवीर का लंड अपनी चूत पर घिसता हुआ देखकर वह अपने चूतड़ उछलकर धर्मवीर के लंड को अपनी चूत में लेने की कोशिश करने लगी।

धर्मवीर ने अपना लंड शालू की चूत के छेद पर रखकर एक ज़ोर का धक्का मार दिया।लंड चुत में घूसने से शालू के मूह से मज़े की एक सिसकि निकल गयी ।धर्मवीर अपना पूरा लंड घुसाकर शालू के ऊपर लेट गया और उसकी चुचियों को चाटने लगा।


शालू -"करो ना" शालू ने अपने चूतड़ो को अपने पापा के लंड पर उछालते हुए कहा ।

धर्मवीर - बेटी घुसा तो दिया अब क्या करुं"


शालू - आप बुहत बदमाश हो । आप मुझसे गन्दी बाते सुनना चाहते हो तो सुनो ।अपने लंड को अपनी बेटी की चूत में अंदर बाहर करो। आपकी बेटी की चूत में बुहत ज़ोर की खुजलि हो रही है उसे मिटा दो"

शालू ने खुलकर अपने पापा से कहा ।
धर्मवीर शालू के मूह से यह सब सुनकर बुहत ज्यादा एक्साइटेडट होगया और उसका लंड भी उसकी बेटी की चूत में और ज्यादा मोटा हो गया । धर्मवीर सीधा होते हुए शालू की चूत में अपना लंड बुहत तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा।

शालू -"आह्ह्ह्ह शहहह हाँ पापा ऐसे ही हमारी चूत में ज़ोर से अपना लंड अंदर बाहर करो । बुहत मजा आरहा है"

शालू ने सिसकते हुए अपनी दोनों टांगों को धर्मवीर की कमर में डाल दिया ।

धर्मवीर भी शालू की बातों से ज्यादा एक्साइटेडट होकर अपना लंड पूरा बाहर तक खीचकर उसकी चूत में पेल रहा था, धर्मवीर के हर धक्के के साथ शालू का पूरा जिस्म कांप रहा था।शालू झरने के बिलकुल क़रीब थी इसीलिए उसका पूरा जिस्म अकडने लगा था।

शालू -जोर से अंदर बाहर करो मैं झरने वाली हूँ" अचानक शालू की साँसें उखडने लगी ।और उसने ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा।

धर्मवीर शालू की बात सुनकर अपने लंड को जितना हो सकता था उतनी ज़ोर और तेज़ी के साथ शालू की चूत में अंदर बाहर करने लगा।

शालू आँखें बंद हो गई और उसकी चूत ने धर्मवीर के लंड को ज़ोर से पकडते हुए उस पर झटके मारते हुए पानी छोडने लगी । धर्मवीर भी शालू की चूत से अपना लंड के दबने से अपने आप को रोक नहीं पाया और वह भी हाँफते हुए शालू की छूट में पानी छोडने लगा

धर्मवीर-"आह्ह्ह्ह बेटी"

झरते हुए बुहत ज़ोर से हाँफते हुए शालू की चूत में झटके मारने लगा और अपना पूरा वीर्य निकलने के बाद शालू के ऊपर ही ढेर हो गया।

शालू धर्मवीर के झरने के बाद अपनी आँखें खोलते हुए उसको अपने ऊपर से हटाकरअपने कपडे पहनने लगी।

धर्मवीर - बेटी इतनी जल्दी है क्या

धर्मवीर ने शालू को कपड़े पहनता हुआ देखकर कहा

शालू- आप तो जानते ही हैं कोई आ गया तो फिर मुसीबत हो जाएगी" शालू ने कपडे पहनने के बाद वहाँ से जाते हुए कहा ।
शालू जैसे ही धर्मवीर के कमरे से निकलकर अपने कमरे में
चली गई क्योकि वो जानती थी की सोनू कभी भी उस के कमरे आ सकता हैऔर होता भी वैसा ही है कुछ देर मे सोनू शालू के कमरे में आ जाता हैं।

सोनू शालू के कमरे में आते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया ।
शालू नाइटी में बेड पर लेटी हुयी थी, अपने भाई के कमरे में दाखिल होते ही उसका दिल ज़ोर से धडकने लगा और उसने नाटक करते हुए अपनी आंखें बंद कर दी।

सोनू - दीदी में आ गया हूँ

सोनू ने शालू के क़रीब आते हुए कहा।

शालू ने सोनू को कोई जवाब नहीं दिया, वह सीधा लेटी हुयी थी और उसकी सांसों के साथ उसकी चुचियां बुहत ज़ोर से हील रही थी।

सोनू - दीदी उठो न क्यों सता रही हो"

शालू फिर भी चुप रही और अपने भाई को कोई जवाब नहीं दिया ।

सोनू - वाह हमारी दीदी कितनी सूंदर है । शायद दुनिया की सब से ख़ूबसूरत लडकी, सोते हुए भी कितनी प्यारी लग रही है" सोनू समझ गया की उसकी बहन सोने का नाटक कर रही है।उसने अपने हाथ से अपनी बहन के बालों को सहलाते हुए उसकी तारीफ करते हुए कहा।

सोनू ने अब अपना हाथ शालू के बालों से निकालते हुए उसके गोर गालों को सहलाते हुए उसके गुलाबी होंठो पर अपने होंठ रख दिये ।शालू के नरन नरम गुलाबी होंठो पर अपना हाथ पड़ते ही सोनू का लंड उसकी पेण्ट को फाड़ने के लिए उतावला होने लगा ।शालू के होंठो पर अपने हाथ फिराने के बाद नीचे होता हुआ अपना हाथ उसके काँधे से नीचे ले जाते हुए अपनी बहन की चुचियों की तरफ बढ़ने लगा।

शालू सोनू के हाथ से बुहत ज़्यादा उत्तेजित हो चुकी थी । उसकी साँसें बुहत तेज़ चल रही थी और उसकी चूत उत्तेजना के मारे पानी टपकाने शुरू कर दिया था । सोनू अपना हाथ धीरे धीरे नीचे कर रहा था, अब उसका हाथ शालू की चुचियों के ऊपर बने क्लीवेज तक पुहंच चूका था ।

सोनू- दीदी उठो न क्यों सता रही हो।


शालू -हमम्म सोने दो नींद आ रही है" सोने का नाटक करते हुए कहा।

सोनू - दीदी उठो वरना जो मुझे दिल में आएगा वह करुंगा

सोनू ने शालू की चुचियों के ऊपर हाथ को ज़ोर से सहलाते हुए कहा ।

शालू ने सोनू की बात का कोई जवाब दिए बगैर वेसे ही सोने का नाटक करने लगी ।

सोनू समझ गया की शालू ऐसे नहीं उठेगी। उसने अपने हाथ से शालू की नाइटी को आगे से खोल दिया।


शालू अब सोनू के सामने सिर्फ एक छोटी सी ब्रा और पेंटी में लेटी हुयी थी और उसकी साँसें बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी। जिस वजह से उसकी बड़ी बड़ी चुचियां उसकी ब्रा में आधी नंगी बुहत ज़ोर से ऊपर नीचे हो रही थी।

शालू की नंगी चिकनी टाँग और गोरी गोरी चुचियों को देखकर सोनू का लंड और ज़्यादा उत्तेजित होकर झटके मारकर पेण्ट को फाडने के लिए उतावला हो रहा था,सोनू ने सीधा होते हुए अपनी शर्ट और पेण्ट को अपने जिस्म से अलग कर दिया। अब वह सिर्फ एक अंडरवियर में था जिस में उसका लंड तनकर तम्बू जैसे उभार बनाये हुए था ।सोनू ने अपने कपडे उतारने के बाद शालू की आधी नंगी चुचियों को देखते हुए अपने हाथ से उसकी ब्रा को चुचियों से खींचकर अलग कर दिया । शालू की ब्रा के हटते ही उसकी चुचियां अपने भाई के सामने बिलकुल नंगी हो गयी।

सोनू ने अपने दोनों हाथ बढाकर शालू की चुचियों पर रख दिये । शालू की साँसें भी बुहत जोर से चल रही थी। अपने भाई का हाथ अपनी चुचियों पर महसूस करते ही उत्तेजना के मारे उसकी चूत से रस टपकने लगी
सोनू ने अपने हाथों से शालू नरम नरम चुचियों को सहलाना शुरू कर दिया ।

शालू अपने भाई के हाथ से अपनी चुचियों को सहलाता हुआ महसूस करके बुहत ज्यादा एक्साइटेडट हो रही थी।
शालू - आह्ह्ह्ह क्या कर रहा है सोनू

सोनू -"क्यों दीदी मजा नहीं आ रहा क्या"

शालू की आवाज़ सुनकर उसकी दोनों चुचियों को ज़ोर से पकडकर सहलाते हुए कह


सोनू -"दीदी जब मजा आ रहा है तो उठकर मजा लो न। क्यों नाटक कर रही हो"

शालूू- ओहहहहहहह ईस्सस्स बदमाश आराम से इतनी ज़ोर से मत मसलो दर्द हो रहा है"

शालू ने अपनी आँखें खोलते हुए कहा ।

सोनू -आआह्ह्ह्हह ओहहहह दीदी सच में आप दुनिया की सब से अच्छी दीदी हैं । मैं सच में आपसे प्यार करने लगा हूँ"

शालू -आह्ह्ह्ह भैया में भी तो आपसे प्यार करती हूँ। इसीलिए तो मैंने नाटक करके तुम्हें अपने पास बुलाया ताकी मैं अपने प्यारे भैया के साथ जी भरकर प्यार कर सकुं।

शालू ने अपनी चुचियों को अपने भाई के नंगे सीने में दबता हुआ महसूस करके उसे अपनी बाहों में ज़ोर से दबाते हुए अपनी चुचियों को उसके नंगे सीने में ज़ोर से दबाकर मज़े से सिसकते हुए कहा


फिर सोनू ने अपने होंठ शालू के गुलाबी सुलगते हुए होंठो पर रख दिये । शालू भी अपने भाई के होठ अपने होंठ पर पड़ते ही उसके साथ फ्रेंच किस में खो गयी। दोनों भाई बहन कुछ देर तक दुनिया से बेख़बर मज़े से एक दुसरे के होंठो को चूस्ते और चूमते रहे फिर सोनू ने अपने होंठ शालू के काँधे पर रख दिये और वह अपनी बहन के काँधे को चारो तरफ बड़े तेज़ी के साथ चूमने लगा । सोनू का लंड अंडरवियर में क़ैद ही शालू की पेंटी के ऊपर ज़ोर से रगड खा रहा था। जिस वजह से
शालू की चूत एक्साइटमेंट में बुहत ज़्यादा पानी बहा रही थी।
और शालू ने सोनू बालों से पकडते हुए अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिये । और चूमते हुए अपनी जीभ को निकालकर अपने भाई के मूह में डाल दिया और अपने चुतडो को सोनू के अंडरवियर में खडे लंड पर रगड़ने लगी।

सोनू शालू की जीभ को कुछ देर तक अपने होंठो से चाटने के बाद उसके होंठो से अपने होंठो को अलग करते हुए नीचे होते हुए उसकी एक चूचि के गुलाबी कडे दाने को अपने मुँह में भर कर बुहत ज़ोर से चूस्ते हुए अपने हाथ से उसकी दूसरी चुचि को सहलाने लगा ।.

सोनू के मूह में अपनी चूचि का दाना जाते ही शालू को अपने पूरे शरीर में अजीब किस्म की सनसनाहट होने लगी उसका पूरा बदन उत्तेजना के मारे सिहरने लगा।

शालू- मुझे बुहत मजा आ रहा है । मुझे अपने पूरे शरीर में कुछ हो रहा है । ऐसे ही ज़ोर से मेरी दोनों चुचियों का रस पियो"

सोनू भी शालू की बाते सुनकर बुहत ज़्यादा एक्साइटेडट हो गया और अपनी बहन की दोनों चुचियों को बारी बारी अपने मूह में भरकर चाटने लगा।


फिर सोनू शालू की टांगों के बीच आते हुए अपनी बहन की पेंटी में हाथ डालकर उसे अपनी बहन के जिस्म से अलग कर दिया।

सोनू - वाह दीदी आपकी चूत तो बुहत ख़ूबसूरत है"

शालू ने अपनी पेंटी के उतरने के बाद अपनी टांगों को फ़ैलाकर अपने भाई को अपनी ख़ूबसूरत चूत को दिखाते हुए कहा।

शालू - सोनू मुझे अपनी चूत में कुछ हो रहा है।

फिर सोनू ने अपनी जीभ निकालकर शालू की चूत के छेद पर रख दी और उसकी चूत से निकलता हुआ रस चाटने लगा।

शालू-आह्ह्ह्हह ह्ह्ह्हह्हाँााँ अपनी बहन की चूत का सारा रस चाट लो। ओह्ह्ह्ह हमारी चूत को ज़ोर से चाटो। हमें बुहत मज़ा आ रहा है"

शालू की बात सुनकर सोनू उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटते हुए उसकी चूत के होंटों को अपना मूह खोलकर पूरा अपने मूह में लेकर चाटते चूसते हुए अपने हाथ से उसकी चूत के दाने को सहलाने लगा।शालू अपने दोनों हाथों से अपने भाई के बालों को पकडकर अपनी चूत दबा रही थी।

"ओहहहह दीदी आपकी चूत का पानी तो बुहत नमकीन है" नरेश ने अपनी बहन की चूत से अपने होंठो को हटाते हुए कहा और फिर से अपनी जीभ से अपनी बहन की नमकीन चूत को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा ।


शालू - आह्ह्ह्हहह भैया बुहत मज़ा आ रहा है ऐसे ही हमारी चूत को ज़ोर से चाटो"

सोनू ने अब अपने हाथों से शालू की चूत के दोनों होंठो को अलग करते हुए अपनी जीभ को उसकी चूत के लाल सिरे में डालकर उसे ज़ोर से आगे पीछे करने लगा ।शालू ज़ोर से काँपते हुए अपने चूतड़ो को ज़ोर से अपने भाई की जीभ पर उछालते हुए उसे अपनी चूत में अंदर बाहर करने लग

शालू - तेरा मूह तो मेरी चूत के पानी से गन्दा हो गया" शालू ने सोनू के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा।

सोनू - दीदी कोई बात नहीं मुझे तुम्हारी चूत का स्वाद बुहत अच्छा लगा ।







फिर शालू जीभ से सोनू के सीने को चूमते हुए नीचे होते हुए अपने भाई के अंडरवियर में तने हुए लंड तक आ गयी शालू सोनू अंडरवियर के उभार को घूरते हुए अपनी जीभ अंडरवियर के ऊपर ही अपने भाई के लंड पर रख दी ।

शालू ने कुछ देर तक सोनू के लंड को उसके अंडरवियर के ऊपर से चूमने के बाद अपने दोनों हाथों से उसके अंडरवियर को खींचकर उसके जिस्म से अलग कर दिया, सोनू ने भी अपने चूतड़ ऊपर करते हुए अपनी बहन के हाथों अपने अंडरवियर को उतारने में उसकी मदद की।सोनू का अंडरवियर उतरते ही उसका लंड उछल उछल कर शालू की आँखों के सामने नाचने लगा । शालू अपने भाई के तने हुए लंड को झटके खाता हुआ गोर से देखने लगी।

सोनू - चूमो न इसे सिर्फ देख क्यों रही हो

शालू- हाँ भैया मगर पहले मुझे अपने भाई के प्यारे छोटे बच्चे को तो गोर से देखने तो दो

सोनू -दीदी प्लीज मेरा भी कुछ करो। मैं कितने दिनों से तडप रहा हू" सोनू ने शालू की तरफ तडपति नज़रों से देखते हुए कहा।


शालू ने अपने भाई की बात सुनते ही उसके मोटे लंड को अपने दोनों हाथों से पकडकर आगे पीछे ऊपर नीचे करते हुए सहलाने लगी।शालू ने कुछ देर तक लंड को ऊपर नीचे करने के बाद नीचे झुकते हुए सोनू के लंड के गुलाबी सुपाडे को चूम लिया।


शालू के होंठ लड के सुपाडे पर पड़ते ही ज़ोर से सिसकने लगा । शालू सोनू के पूरे लंड को पागलो की तरह ऊपर से नीचे तक चूमने लगी ।शालू अपनी जीभ से सोनू के लंड के छेद को ज़ोर से कुरेदने लगी, ऐसा करने से सोनू का पूरा जिस्म झटके खाने लगा

शालू ने कुछ देर तक ऐसा करने एक बाद अपना पूरा मुँह खोलते हुए लंड का मोटा सुपाडा अपने मूह में ले लीया और लंड के सुपाडे पर अपने होंठ को ज़ोर से दबाते हुए उसपर अपने होंठो को आगे पीछे करने चूसने लगी।

सोनू - आह्ह्ह्ह दीदीईई ओह्ह्ह्हह्हह ऐसे ही ज़ोर से मेरे लंड को चाटो बुहत मजा आ रहा है"




अपने भाई की बात सुनकर शालू लंड को ज़ोर से चूसने लगी।


सोनू -"ओहहहहह इस्स्स्सह्ह्ह्हह्ह दीदी सच में आप बुहत अच्छी हो । हाँ ऐसे हो चाटती रहो मुझे बुहत मजा आ रहा ह।



सोनू अब ज़ोर से सिसकते अपने हाथों को शालू के सर में डालकर अपने लंड पर दबाने लगा ।सोनू का लंड आधा उसके मूह में चला गया, सोनू तो जैसे पागल हो चुका था वह अपने हाथों से शालू को बुहत ज़ोर से अपने लंड पर ऊपर नीचे कर रहा था और उत्तेजना के मारे उसका पूरा जिस्म कांप रहा था। शालू के मुँह में सोनू लंड इतनी ज़ोर से अंदर बाहर हो रहा था की उसके मूह से सिर्फ गो गो की आवाज़ें निकल रही थी,शालू को सोनू का लंड चूसते हुए बुहत मज़ा आ रहा था।
सोनू बुहत ज़ोर से सिसकते हुए शालू को बालों से पकडते हुए अपने लंड को उसके मूह से निकाल दिया और उसे सीधा बेड पर लिटा दिया।


शालू -"क्या हुआ सोनू। क्यों निकाला बुहत मज़ा आ रहा था।" शालू ने बेड पर लेटते ही हैंरान होते हुए कहा।

सोनू -दीदी मैं यों ह नहीं झरना चाहता। मेरे लंड को आपकी चूत की सैर करनी है


फिर सोनू ने एक तकिया उठाकर शालू के चूतडों के नाचे रख दिया और उसकी दोनों टांगों को उसके घुटनों तक मोड़ दिया । ऐसा करने से शालू की चूत बिलकुल बाहर निकलकर सोनू के सामने आ गयी, सोनू अपना खडा लंड अपनी बहन की चूत के छेद पर रगडने लगा।


सोनू ने अपने लंड को शालू की चूत से निकलते हुए पानी से पूरी तरह गीला करते हुए अपना लंड उसकी चूत के दोनों होंठो को अलग करते हुए उसके छेद में फँसा दिया । और दोनों टांगों को मज़बूती से थामकर उसकी आँखों में देखने लगा ।

शालू की आँखों में उस वक्त मस्ती थी । अपने भाई को अपनी तरफ देखता हुआ पाकर उसने अपने चूतडों को थोडा ऊपर कर दिया । सोनू को शालू का जवाब मिल गया था । उसने उसकी टांगों को मज़बूती से पकडकर अपने लंड पर दबाव ड़ालते हुए शालू की चूत में लंड का सुपाड़ा आधा अंदर जाकर फँस गया शालू भी अपने चूतडों को सोनू के लंड पर हिलाने लगी सोनू भी शालू की टांगों को पकडते हुए अपने लंड को धीरे धीरे उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।

रेश ने अपनी बहन के ब्लाउज के बटन खुलते ही अपने हाथ से उस

सोनू शालू की चुचियों को मसलने लगा । सोनू ने कुछ देर तक अपनी बहन की चुचियों को हाथ से सहलाने के बाद उसकी एक चूचि के दाने को मूह में भरज़ोर से उसे चूसने लगा।

शालू- ओह्ह्ह्हह ऐसे ही चूसते रहो। बुहत मज़ा आ रहा है

शालू अपनी चूचि को चुसवाते हुए बुहत ज़ोर से सिसककर अपने चूतड़ों को सोनू के लंड पर उछाल उछाल कर लंड को अपनी चूत में लेने लगी ।

शालू ने अपने दोनों हाथों को सोनू के चूतडों में डालकर उसे अपनी चूत पर दबाने लगी, सोनू भी शालू को इतना उत्तेजित देखकर पूरी ताक़त के साथ अपने लंड को पूरा बाहर निकालकर पूरी ताक़त के साथ शालू की चूत में पेल रहा था।
फिर अचानक शालू की चूत से अपना लंड निकाल दिया और उसे पकडते हुए उल्टा लिटा दिया ।

सोनू - साली रंडी अब मैं तुझे कुतिया की तरह चोदुँगा

सोनू ने शालू को उलटा करने के बाद उसके मोटे चूतडों पर थप्पड़ मारते हुए अपना लंड एक ही झटके में पूरा जड़
तक उसकी चुत में घुसा दिया

करीब 15 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद अब सोनू का लंड पानी छोड़ने वाला था…

सोनू -आह्ह्ह्ह साली छिनाल मैं झरने वाला हूँ । बोल कहाँ झडुँ कहे तो तेरी चुत में ही अपना वीर्य भर दूँ"

शालू - प्लीज … अपने लंड का पानी आज मेरी चूत में ही छोड़ना… मैं इस चुदाई का पूरा सुख लेना चाहती हूँ ज़ोर से अपना लंड घुसाओ"

सोनू - फिर ये लो… आ… आह…

और ऐसा कहते हुए हो एक झटके के साथ अपना वीर्य पहली बार अपनी बेहेन की चूत में छोड़ दिया. सोनू का गरम गरम वीर्य अपनी चूत में पड़ते ही शालू भी अपनी आँखें बंद करते हुए अपने चूतडों को सोनू के लंड पर दबाने लगी । सोनू भी अपना लंड बुहत ज़ोर से शालू की रस बहाती चूत में अंदर बाहर करते हुए पूरी तरह झरने के बाद उसके ऊपर ही ढेर हो गया ।
 

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सोनू के दरवाजे खोलते ही धर्मवीर और रामलाल घर के अंदर आते है उन दोनो देखकर ही पता चल रहा था कि उन्होंने दारू पी रखी हैं।अंदर आकर वो दोनों टीवी देखने लग जाते है।

तभी गुंज़न भी अपने कमरे से बहरा आती हैं। और उन दोनों के पास जाती हैं उन पास जाते ही गुंज़न को भी पता चल जाता हैं कि वो दोनों नशे मे है गुंज़न उनसे बोली

गुंज़न - “आप नशे में हो, है ना? मगर शुक्र है आपने और नहीं पी वरना मैं आपसे बात नहीं करती हाँ..."

फिर गुंज़न किचन मे जाती है और अपने लिए खाने बनती हैं। तभी धर्मवीर भी किचन मे चला जाता है। और वो गुंज़न को पीछे पकड़ लेता है गुंज़न डर जाती हैं पर तभी धर्मवीर बोलता है।

धर्मवीर - बहु आज तुम बहुत सुन्दर लगा रही हो। बच के
रहना रात को अपने पापा से कही रामलाल जी नशे में अपनी बेटी के उपर ही ना चड जाए।

गुंज़न- हटये बाबूजी कैसी बात कर रहे हैं ऐसे कुछ नही करगे पापा। और जाईये यहा से मुझे काम करने दीजिये चलो मैं
आप के और पापा के लिए दूध ले कर आती हु।

फिर धर्मवीर वापस रामलाल के पास आकर बैठ जाता हैं।
तब तक सोनू भी वहा आकर टीवी देखने लग जाता है कुछ देर बाद गुंज़न उनके लिए दूध लेकर आती हैं और तीनों बैठ कर टीवी देखने लग जाते है करीब 2 घंटे तक टीवी देखने के बाद गुंज़न बोली।

गुंज़न - चलिए पापा जी मुझे नींद आ रही है यदि आपको टीवी देखना है टीवी देख लीजिए और मैं जाकर सो रही हूं ।

कुछ देर बाद सोनू भी अपने कमरे मे चला जाता हैं धर्मवीर और रामलाल अभी भी वही बैठे हुए थे तभी धर्मवीर बोला

धर्मवीर - जाईये रामलाल जी आपकी बेटी आप का इंतजार कर रही हैं जाईये और आज अपनी बेटी की सारी गर्मी निकाल दीजिये।


रामलाल -ठीक है धर्मवीर जी।


ये बोल कर रामलाल गुंज़न के कमरे की तरफ चल दिया गुंज़न अंदर लेटी हुई थी की उसके कान के बिल्कुल पास तेज चुटकी बजी उसका दिल एकदम से धक्क कर गया ,दरअसल यह तेज चुटकी रामलाल ने चेक करने के लिए बजाई थी की गुंज़न जाग तो नहीं

गुंज़न सोने का नाटक करते हुए जरा भी नहीं हिली और चुपचाप ऐसे ही लेटे रही फिर रामलाल ने गेट को लॉक किया और कमरे की लाइट ऑन करदी ।

गुंज़न की धड़कन तेज हो गई फिर रामलाल घूम कर बेड की तरफ आकर खड़ा हो गया ।अब गुंज़न के चेहरे के बिल्कुल सामने खड़ा था रामलाल। गुंज़न को समझ नहीं आया कि वह क्यों खड़े हैं लेकिन तभी रामलाल ने अपने कुर्त के बटन खोलने स्टार्ट कर दिए ।कुर्ता और बनियान को उतार कर उसने फेंक दिया ।

अब तो गुंज़न का दिल किसी इंजन की तरह धुक्क धुक्क करके धड़क रहा था। फिर रामलाल ने अपना पजामा खोला और उतार कर कर फेंक दिया।अब रामलाल उसके सामने केवल एक अंडरवियर में खड़ा था अपनी आंखों को बहुत ही हल्का सा खोलकर गुंज़न यह नजारा देख रही थी तभी रामलाल ने अपना अंडर वियर भी उतार दिया ।
सामने का नजारा देखकर गुंज़न की आंखें फैलने लगी लेकिन उसने अपनी आंखें बिल्कुल मीच ली जिससे रामलाल को लगे गुंज़न सो रही है।

गुंज़न ने फिर अपनी हल्की सी आंखें खोली देखा सामने तो उसके पापा अपने हाथ से लंड को सहला रहे थे ।वह सोया हुआ लंड भी कम से कम 7 इंच का था। काले नाग की तरह लटका हुआ वह लौड़ा गुंज़न को उत्तेजित कर रहा था।

फिर रामलाल घूमकर बेड की दूसरी तरफ चले गए अब
गुंज़न को रामलाल दिखाई नहीं दे रहा था। लेकिन तभी उसे एहसास एहसास हुआ जैसे उसके बेड पर कोई लेट रहा हो क्योंकि रामलाल बेड पर लेट चुका था ।

गुंज़न को पीछे से कोई अपने शरीर से लगता हुआ महसूस हुआ । गुंज़न के तन बदन में एक झुर्झुरी सी महसूस हुई जब उसने यह सोचा कि उसका पापा नंगे होकर उससे सट रहे रहे हैं तभी उसे रामलाल का हाथ आगे अपने पेट पर महसूस हुआ ।उसकी सांसे भी तेज चलने लगी रामलाल ने उसके पेट पर कहलाते हुए उसकी नाभि में उंगली डालकर घुमाना चालू कर दिया ।गुंज़न का पिछवाड़ा अब रामलाल से बिल्कुल सटा हुआ थातभी रामलाल ने अपना हाथ धीरे से गुंज़न के मोटे मोटे चुचों पर रख दिया।रामलाल ने इतने कसे हुए और गोल गोल चूचे पहली बार देखे थे।रामलाल आराम आराम से गुंज़न की चुचियों को सहलाने लगा।फिर धीरे से अपना हाथ नीचे की तरफ ले गया और गुंज़न के कूल्हे पर पर अपना हाथ रख दीया । अपना हाथ पूरा फैला कर कर इस तरह से गुंज़न के नितंबों को सहलाया जैसे उनका नाप ले रहा हो अब गुंज़न भी गरम हो गई थी और उसकी चूत पानी पानी होकर एक चिकना द्रव्य रिसाने लगी थी।

रामलाल ने अब अपने दोनों हाथों से गुंज़न के चूतड़ों को फैलाया लेकिन पतिकोट की वजह से ज्यादा नहीं फैला सका और अपने मुंह को गांड की दरार में घुसाकर गहरी गहरी सांसे लेने लगा।

गुंज़न की चूत की भीनी भीनी खुशबू लेने के बाद रामलाल ने गुंज़न का कंधा पकड़ कर हल्का सा दबाव देकर उसे सीधा लिटाने की कोशिश करने लगा।गुंज़न ने कोई विरोध नहीं किया अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और सीधी लेट गई । उसने अपनी आंखें मींचे रखी थी

अपनी बेटी की जवानी को इस तरह एक पेटीकोट ब्लाउज में फंसी हुई देखकर रामलाल का लंड करंट पकड़ने लगा ।
गुंज़न के चूचे उस ब्लाउज से आजाद होने की गुहार लगा रहे थे ।

तभी अचानक रामलाल का फोन पर वाइब्रेशन शुरू हो गया।
रामलाल ने देखा कि उसके फोन पर धर्मवीर का कॉल आ रहा है।

रामलाल फोन उठाते हुए बोला- कैसे फोन किया समधी जी।

दूसरी तरफ से धर्मवीर कुछ बोला जो कि गुंज़न को सुनाई नहीं दे रहा थ

तभी रामलाल ने फोन पर कहा - हां समधी जी जैसा आपने बताया था गुंज़न का जिस्म बिल्कुल वैसा ही है।

धरवीर-

रामलाल - मेरे सामने बेड पर पड़ी है ।

धर्मवीर

रामलाल- आज तो उसकी चूत को पी जाऊंगा मैं। इस घोड़ी को चुदाई का असली रूप दिखा दूंगा आप चिंता ना करें।

धर्मवीर -

रामलाल - नहीं अभी तो नींद में है लेकिन कुत्तिया की जब नींद खुलेगी तब तक इस की चूत में लंड जा चुका होगा ।

ऐसा कहकर रामलाल ने फोन रख दिया।

गुंज़न को यकीन नहीं हो रहा था कितनी बेशर्मी भरी बातें उसका बाप अपनी बेटी के बारे में कर रहा है। अपने बाप और ससुर के बीच हुई इस वार्तालाप का गहरा असर उसकी वासना पर हुआ।फिर धीरे से रामलाल गुंज़न के चेहरे की तरफ अपना चेहरा लाया और उसके कान के पास अपने होठों को रखकर बहुत ही धीरे से बोलने लगा गुंज़न के कान में बोल रहा था कि आज तो इस बैड पर मेरे लंड पर नाचेगी तू

गुंज़न की हालत आप समझ सकते हो दोस्तो जो सब सुनते हुए भी नींद का नाटक करते हुए अनसुना कर रही थी ।

रामलाल में फिर बोलना अपने ससुर के साथ मजा करती हो ना रानी?आज तेरी वह हालत करूंगा कि तुझे देख कर कर एक रंडी भी शर्मा जाएगी और वैसे मैं जानता हूं ,मैं उसी दिन समझ गया था जिस दिन तू धर्मवीर के लोड़े पर उछल उछल रही थी कि तू कितनी कितनी चुदक्कड़ कुतिया है ।अपना ये कुतियापना दिखाना आज ।रात भर मैं तेरी चूत कूटने वाला हूं गुंज़न । आज पूरी रात मैं तेरे ऊपर चढ़ा रहूंगा और तू अपने बाप को अपनी टांगे फैला कर अपने ऊपर चढ़ाएगी । तेरी तो चूत में लौड़ा घुसा चूत में लौड़ा घुसा कर फिर तेरी गांड में अपनी उंगली घुसाउंगा ।तुझे ऐसा चोदूंगा एक दम एक्सपर्ट रंडी बन जाएगी और रंडी तो तू है ही साली , बहन की लौड़ी, छिनाल कुतिया ।तेरी चूत का आज वह बढ़ता बनाऊंगा बनाऊंगा कि इस चुदाई की तो गुलाम हो जाएगी फिर तुझे हर वक्त लौड़ा ही दिखेगा गुंज़न के शर्म से चेहरा लाल पड़ गया लेकिन उसने अपनी आंखें फिर भी बंद ही रखना उचित समझा।

रामलाल की बात सुन गुंज़न समझ गई थी की उसके ससुर ने उसके पापा को सब कुछ बता दिया है।

रामलाल ने फिर बोलना शुरू किया- आज देखता हूं कितनी गर्मी है तुझ में। तुझे देख कर ही मेरा लंड अपना सर उठाने लगता है और आज तेरी चूत ने भी मेरे लंड की सुन ही ली ।
आज तो इस भोसड़े को बड़े इत्मीनान से फाड़कर तेरे अंदर अपना बीज डालूंगा।

रामलाल खुद अपने घुटनों के बल हो गया और धीरे-धीरे
गुंज़न की पटीकोट को ऊपर उठाने लगा धीरे-धीरे गुंज़न की टाँगें नजर आने लगीं। रामलाल को जैसे कोई जल्दी नहीं था, वो सब कुछ बिल्कुल आराम से धीरे-धीरे कर रहा था।गुंज़न की साँसें फूल रही थी।फिर रामलाल ने झुक कर गुंज़न के पैरों को चूमना शुरू किया गुंज़न का दिल धक-धक करने लगा। उसके पैरों को उसका बाप चाट रहा था।रामलाल पैर के अंगूठे को अपने मुँह में भरकर चूसता है . रामलाल काम की देवी गुंज़न के बदन के हर हिस्से को चूमना चाहता
था उसकी गोरी टांगों को चूमता चाटते चाटते रामलाल घुटनों तक आया और धीरे-धीरे गुंज़न के घुटनों के नीचे से अपनी जीभ फेरना शुरू किया और धीरे-धीरे ऊपर बढ़ता गया, गुंज़न की खूबसूरत सफेद और गुलाबी रंग की जांघों को निहारते हए और जीभ फेरते हए। उसके जांघों से उसकी पैंटी तक का सफर चाटते हुए तय करने में काफी वक्त लगाया रामलाल ने। जबकि गुंज़न अपनी आँखों को बंद किये, तड़पते हुए अपने पापा की छुवन को महसूस किए जा रही थी।

बाप तो लग रहा था एक भूखा शेर है जिसको बरसों बाद खाने के लिए गोश्त मिल गया है। जब वो गुंज़न की पैंटी तक पहुँचा, तो पैंटी को ही चूसने लगा, जो भीग गई थी और बाप ने पैंटी के ऊपर से ही अपनी बेटी के रस को चूसना और पीना शुरू किया, और अपने लार और थूक से पैंटी को और भी भिगो दिया उसने। फिर अपने दाँतों से रामलाल ने अपनी बेटी की पैंटी को उतारना शुरू किया।पेंटी उतरने के बाद रामलाल ने गुंज़न की जांघों को थोड़ा सा चौड़ा किया और उसकी चूत पर अपना मुंह लगाया। जैसे ही रामलाल की नाक गुंज़न की चूत से टच हुई गुंज़न के मुंह से सिसकारी निकलते निकलते बची ।

उधर रामलाल को भी अपनी नाक पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ रामलाल ने अपने हाथ की उंगली को उसकी चूत पर फेरना शुरू किया तो उसकी उंगली पर लसलसा सा पानी आ गया।

रामलाल का माथा ठनका। रामलाल ने मन ही मन कहा यह क्या? मतलब गुंज़न जाग रही है, मतलब गुंज़न की चूत पानी छोड़ रही है।और ऐसा सोचते हुए कुटिल मुस्कान उसके चेहरे पर फैल गयी फिर रामलाल ने इस बात का फायदा उठाते हुए उसकी चूत को अपनी जीभ की नोक से कुरेदना शुरू किया।
यह सबगुंज़न के लिए बर्दाश्त से बाहर था लेकिन फिर भी वह अपनी आंखें मींचकर लेटी रही ।गुंज़न की मोटी मोटी जांघो में सोमनाथ का चेहरा बहुत ही छोटा सा दिख रहा था । उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच फूली हुई चूत पर मुह लगाना रामलाल को जन्नत की सैर करा रहा था।

गुंज़न की तड़प बढ़ गई जब उसके पापा ने उसकी चूत की पंखुड़ियों को अपनी जीभ से अलग किया और जीभ को चूत के छेद के अंदर घुसेड़ा, उसका रस चाटने के लिए। फिर उसके रस को चूसते हुए उसकी गुलाबी चूत के दाने को चूसने लगा, जो गुंज़न से बर्दाश्त नहीं हआ और उसके हाथों ने रामलाल के हाथों को मुट्ठी में भर कसके खींचकर अपने जिश्म के ऊपर चढ़ा लिया और गुंज़न ने अपने मुँह को बाप के मुँह से लगाया, होंठों से होंठ मिल गये और गुंज़न ने अपनी जीभ बाप के मुँह में डाला और दोनों एक दूसरे का रस पीने लगे और दोनों की जीभ एक दूसरे के मुँह में घुस गई और पूरे 5 मिनट तक वैसे ही रहे।

गुंज़न के जिश्म में उत्तेजना की आग भड़क चकी थी।
रामलाल सब देख रहा था और उसको पता चल रहा था कि गुंज़न गरम हो गई है।

रामलाल गुंज़न के ब्लाउज के ऊपर से ही उसके दोनों मम्मों को धीरे धीरे मसलने लगा.साथ ही उसकी गर्दन, कान, चेहरे आदि पर किस भी करता जा रहा था.फिर उसने धीरे-धीरे गुंज़न की ब्लाउज़ को उतारा कर उसने गुंज़न की दोनों चूचियों को अपने मजबूत हाथ में थामा उसके होठों को चूमता हुआ नीचे को खिसकने लगता है. उसकी गर्दन चूमता हूँ और गुंज़न की दोनों चुचियों के बीच में किस करने लगा.

तभी गुंज़न ने खुद ही अपनी ब्रा में से एक मिल्की व्हाईट चुची को बाहर निकाल दिया और रामलाल के बालों को पकड़कर उसका मुँह अपने चुचे से सटा दिया.उसके इस करतब से
रामलाल को गुंज़न की जवानी की आग समझ में आ गई.
फिर चूचियों एक-एक करके चूसने लगा।रामलाल गुंज़न के निप्पलों को भी मुंह में लेकर चूसा रहा था जबकि गुंज़न लगातार अपने जिश्म को रगड़ती जा रही थी और कसमसा रही थी सिसकारियों के साथ।

गुंज़न - आ पापा आराम से।
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गुंज़न अपनी चूची को उठाके रामलाल के मुंह मे देने लगी।
रामलालउसकी चुचियों को पूरा आनंद से चूस रहा था।

गुंज़न- आआआ......... आआहह...... ई .....चूस.....पापा..। ऊफ़्फ़फ़फ़...... आआहह.... खूब चूसो। बहुततत..... अच्छा लग रहा है।

रामलाल ने उसके आनंद को बनाये रखा, और खूब चूसा।
गुंज़न के बुर से पानी लगातार बह रहा था।रामलाल ने उसकी दोनों चुचियों को खूब चूसा।

तभी गुंज़न उठ बैठी और बिना पूछे या कहे उसने अपने पापा के लण्ड को हाथ से पकड़ा तो पिता तड़प उठा जैसे उसको एक दर्द हआ हो, जिस समय उसकी बेटी का हाथ ने उसके लण्ड को थामा। वो एक खुशी भरा दर्द था।

गुंज़न को शायद पता था कि उसकी माँ ने कभी लण्ड नहीं चूसा था, अपने जिंदगी में। तो वो अपने पिता को यह खुशी भरपूर देना चाहती थी। उसने धीरे से पहले अपने पापा के लण्ड को हाथ से सहलाया और फिर धीरे-धीरे आराम से लण्ड के ऊपरी हिस्से पर अपने जीभ चलाया। जिससे बाप की तड़प की इंतेहा नहीं रही, उसका जिश्म काँप उठा और अपनी बेटी के सर को दोनों हाथों में थामकर आहें भरते हुए अपने लण्ड को बेटी के मुँह में घुसता देखने लगा।

गुंज़न ने लण्ड के ऊपर अपनी जीभ फेरा और उसको लण्ड के छेद पर गोल-गोल घुमाया, और लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। गुंज़न सर हिलाते हुए अपने मुँह के अंदर-बाहर करने लगी और पिता कमर हिलाते हुए धकेलने लगा।
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गुंज़न ने लंड को अपने सिने से लगा लिया वो अपनी दोनों चुचियो के बिच उसे घिसने लगी वो उसे अपने चेहरे पर मलते हुए प्यार करने लगी रमलाल का जितना बड़ा लंड था उतने ही बड़े उसके गोटे भी थे


गुंज़न ने रामलाल के अन्डो को जोर से पकड़ कर दबा दिया, गुंज़न ने एक हाथ से लंड को ऊपर किया और रामलाल के गोटो को प्यार करते हुए मुह में लेने लगी वो रामलाल के गोटो की चमड़ी को अपने दांतों से खिंच खिंच कर रामलाल को जोश दिला रही थी,

गुंज़न ने रामलाल के लण्ड को पूरा थूक से नहला दिया। उसका थूक रामलाल के लण्ड से धागों की तरह लटका हुआ था। वो पूरा मन लगाके लण्ड को चाट रही थी।कभी लण्ड के सुपाडे को जीभ से रगड़ती, और चूसने लगती। लण्ड के छेद को जीभ से छेड़ती। फिर लण्ड पर थूककर अपने हाथों से मलती।गुंज़न सर हिलाते हुए अपने मुँह के अंदर-बाहर करने लगी और पिता कमर हिलाते हुए धकेलने लगा। उसको इतना मजा आया कि बस एक पल में झड़ने को आ गया

फिर थरथर काँपते हुए जिश्म से रामलाल गुर्राया- “बेटी, मैं झड़ने वाला हूँ उफफ्फ़... क्या कयामत है? क्या कर दिया तुमने मुझे? ऐसा पहले कभी नहीं हुआ मेरे साथ की इतनी जल्दी झड़ जाऊँ... आअघ्गगघह..” उसको लण्ड को बाहर निकालने का मौका ही नहीं मिला।

उसके वीर्य की पहली धार प्रेशर से सीधा गुंज़न के गले के अंदर गई,। गुंज़न अपने पापा के लण्ड को लगातार चूसने लगी। उसके झड़ने के बाद, बाप के जिश्म में जैसे करेंट दौड़ रहा था, वो झटके खाने लगा था। वो अपने पंजे पर खड़ा हो गया जब उसके वीर्य के अंतिम कतरे गुंज़न के गले के अंदर ही गिरे, बाप को इतनी खुशी मिली कि उसको लगा कि जिंदगी में आज उसने पहली बार सेक्स किया है।
Nice
 

Gary1511

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सुबह के 7बज रहे है.आज सोनू जल्दी ही स्कूल चला जाता हैं शालु बिस्तर में अंगडाई लेते हुए ऑंखें खोलती है. कल सोनू के साथ हुई चुदाई ने उसके बदन में एक अजीब सी मस्ती भर दी थी. अपने ही परिवार के दो मोटे-मोटे लंड को याद कर शालु मुस्कुरा देती है. ये मुस्कराहट लंड से ज्यादा उन रिश्तों की वजह से थी जो शालु और दोनों लंड के मालिकों के बीच था. एक बाप तो दूसरा भाई. बिस्तर से उतर कर शालु आईने के सामने खड़ी हो जाती है और अपनी स्कर्ट उठा के अपनी बूर को धीरे-धीरे सहलाने लगती है. बूर के गुलाबी ओंठों को अपनी दो उँगलियों से खोलते हुए शालु बाथरूम जाती है और फिर धीरे-धीरे रसोई की तरफ बढ़ने लगती है.

रसोई में गुंज़न हमेशा की तरह अपना काम कर रही है.शालु उसको देखती है तो पीछे से लिपट जाती है.

शालु- ह्म्म्म...!! भाभी...

गुंज़न- अरे शालु.. उठा गई तू? और सुबह सुबह तू भाभी के पीठ पर अपनी भरी-भरी चुचिया क्यूँ दबा रही है?

शालु - उम्म..भाभी...!! जी कर रहा है ऐसे ही आपकी पीठ पर फिर से सो जाऊ...

गुंज़न- पीठ पर क्यूँ सोएगी? जा...अपने पापा के पास जा और उनके निचे टाँगे खोल के सोजा...

शालु- भाभी....!!कहीं पापा जोश में आ गए तो?

गुंज़न - तेरी बूर अच्छे से पेली जाएगी और क्या?

शालु - धत भाभी...आप भी ना...

तभी वहां धर्मवीर टहलते हुए पहुँच जाते है...

धर्मवीर - अरे भाई क्या बाते हो रही है भाभी और ननद में?

गुंज़न- कुछ नहीं बाबूजी..

धर्मवीर शालु के पास जाते है. सके बड़े-बड़े दूध पर नज़र डालते हुए पाया से बालों में हाथ घुमाते हुए कहते है.

धर्मवीर - तुझे तो कही नहीं जाना है ना आज?

शालु- (शर्माते हुए) नहीं पापा...मैं तो घर पर ही हूँ....

शालु को देख कर धर्मवीर मुस्कुरा देते है. फिर गुंज़न को देख कर धीरे से इशारा करते हुए कहते है.

धर्मवीर- अरे बहु....जरा छत से मेरा टॉवेल ले आना तो.
लगे हाथ नहा भी लूँगा.

गुंज़न -जी बाबूजी....

गुंज़न मुस्कुराते हुए छत की सीढ़ियों की तरफ बढ़ जाती है. उसके जाते ही धर्मवीर शालु के चूतड़ों को दबोच के उसे अपने बदन से चिपका लेते है.

धर्मवीर- आह... मेरी गुडिया रानी...अब कहाँ जाएगी अपने पापा से बच के...

शालु- (हँसते हुए) उम्म्म...!! पापा...छोड़िये ना....

धर्मवीर(धोती पर से अपना लंड शालु की पैन्टी पर दबाते हुए) ऐसी जवान बेटी को कौनसा बाप छोड़ता है ...बोल ना? देगी अपनी बूर पापा को?

शालु- (शर्माते हुए) आप बड़े गंदे हो पापा....

धर्मवीर- इसमें गन्दा क्या है बेटी? बेटी अपने पापा से बूर नहीं खुलवाएगी तो फिर शादी के बाद पहली ही रात में पति का कैसे लेगी? बोल ?

शालु (शर्माते हुए) आपका बहुत मोटा है पापा. आप मेरी बूर खोलोगे थोड़ी ना...आप तो मेरी बूर पूरी फैला दोगे.....

शालु की बात सुन के धर्मवीर उसकी के दोनों चुचियों को दबोच लेते है.

धर्मवीर- पापा अपनी बिटिया रानी को पटक-पटक के चोदेंगे तो बूर तो फैलेगी ही ना....बोल ना
शालु...चुदवायेगी ना अपने पापा से?

शालु नखरे करते हुए पापा से दूर हो जाती है और सामने खड़े हो कर एक ऊँगली दाँतों के बीच दबाते हुए कहती है.

शालु- नहीं पापा...आपको मेरी बूर नहीं मिलेगी....

शालु की बात सुन कर धर्मवीर धोती से अपना लंड बाहर निकाल लेते है और उसकी चमड़ी पूरी पीछे खींच कर मोटा टोपा शालु को दिखाते हुए कहते है.

धर्मवीर- देख शालु...कैसे तड़प रहा है पापा का अपनी बेटी की बूर के लिए...देगी ना अपने पापा को?

शालु धर्मवीर के लंड को आँखे फाड़-फाड़ के देखने लगती है. उसके ओंठ अपने आप ही दांतों के निचे आ जाते है. फिर पापा को देख कर वो मुस्कुराते हुए मस्ती में कहती है.

शालु - नहीं दूंगी...नहीं दूंगी...नहीं दूंगी.....!!!

तभी गुंज़न अपनी चौड़ी चुतड मटकाते हुए वहां पहुँच जाती है.

गुंज़न- क्या नहीं देगी मेरी ननद रानी?

धर्मवीर गुंज़न को मुड़ के देखते है. धर्मवीर के चेहरे पर वैसे ही भाव है जैसे किसी भिखारी के चेहरे पर भीख मांगते वक़्त होते है.

धर्मवीर- देखो ना बहु...कैसे जिद कर रही है. मैं यहाँ अपना लंड खड़ा किये हूँ और ये बोल रही है की बूर नहीं दूंगी...

गुंज़न चलते हुए धर्मवीर के पास आती है. 9 इंच का मोटा लंड देख कर गुंज़न के मुहँ और बूर, दोनों में पानी आ जाता है. वो शालु के पास जाती है और उसके सर पर प्यार से हाथ फेरने लगती है.

गुंज़न- क्यूँ रे शालु? अपने पापा को कोई बेटी ऐसे परेशान करती है क्या?

शालु- क्या करूँ भाभी? इतना मोटा लंड है पापा का...मेरी बूर पूरी फ़ैल गई तो?

गुंज़न- धत पगली..!! बूर क्या सिर्फ पेशाब करने के लिए होती है? बूर का तो काम ही है मोटे-मोटे लंड लेना और फ़ैल जाना....और बेटियां सबसे पहला लंड अपने पापा का ही तो लेती है. ठीक कहा ना बाबूजी?

धर्मवीर- हाँ..हाँ.. बहु...बिलकुल ठीक कहा तुमने. बाप जिस लंड से बेटी को पैदा करता है, बड़ी हो कर वो बेटी उसी लंड से तो अपनी बूर खुलवाती है....

गुंज़न -और नहीं तो क्या? और इसे देखो...कैसे नखरे कर रही है.आप नहाने जाइये बाबूजी...इसे मैं समझाती हूँ....

धर्मवीर टॉवेल ले कर धीरे-धीरे बाथरूम में
चला जाता है. धर्मवीर के जाते ही गुंज़न शालु से कहती है.

गुंज़न- क्यूँ री? इतने नखरे क्यूँ कर रही थी?

शालु-(हँसते हुए) भाभी आपको पापा का चेहरा देखना था...जब मैंने मना किया तो कितना छोटा सा हो गया था....

गुंज़न- हाँ ...तुने छोटा मुहँ तो देख लिया लेकिन उनका बड़ा लंड नहीं देखा क्या? अगर मैं ना आती तो बाबूजी तुझे पटक के तेरी बूर फाड़ ही देते....और मेरी शालु रानी उच्छल-उच्छल के पापा का लंड अपनी बूर में ले रही
होती

शालु- (खुश हो कर) सच भाभी?

गुंज़न- हाँ मेरी बन्नो...!! अच्छा अब सुन. मेरे पास कुछ शोर्ट बिना बाहं की नाईटी है जो मैंने अपने हनीमून के वक़्त खरीदी थी. बाबूजी नाहा के आयेंगे तो तू उसे पहन के बाबूजी के पास चली जाना...

शालु- मैं अकेले नहीं जाउंगी भाभी...आप भी साथ चलियेगा ना....आप ही तो कहती थी ना की बाबूजी आपकी भी लेना चाहते है. और आप भी तो इतने दिनों से लंड के लिए तरस रही हो ना? प्लीज भाभी...आप भी चलिए ना...

गुंज़न- अच्छा बाबा ठीक है. हम दोनों चलेंगे...अब ठीक?

शालु- (खुश होते हुए) हाँ भाभी....

गुंज़न- अच्छा अब चल...मैं वो शोर्ट नाईटी निकाल लूँ हम दोनों के लिए...

शालु- हाँ भाभी....

गुंज़न शालु के साथ अपने कमरे में चली जाती है और शोर्ट नाईटी के इंतज़ाम में लग जाती है. इधर बाबूजी कुछ देर बाद नाहा के निकलते है. सिर्फ टॉवेल कमर पर लपेटे हुए बाबूजी रसोई में नज़र डालते है तो वहां कोई नहीं है. वो धेरे धीरे अपने कमरे में चले जाते है. कमरे में बैठ कर वो कुछ सोचते है फिर शालु को आवाज़ लगते है.

धर्मवीर - शालु बेटी..!!

तभी दरवाज़े पर शालु नज़रे झुकाए खड़ी हो जाती है.
शालु ने बिना बाहं वाली एक लाल रंग की शोर्ट नाईटी पहनी हुई है जो पारदर्शी है. देखने मैं साफ़ पता चल रहा है की
शालु ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी है. धर्मवीर शालु को आँखे फाड़े ऊपर से निचे देखने लगते है. पारदर्शी नाईटी में उठे हुए गोल गोल दूध जिसपर हलके से निप्प्लेस भी प्रतीत हो रहे है. शालु के शरीर की वो रेत घड़ी सी बनावट उस पारदर्शी नाईटी में साफ़ दिखाई पड़ रही थी. नाईटी जांघो तक थी और शालु की जांघो के बीच का हिस्सा अन्दर था. लेकिन नाईटी के पारदर्शी होने की वजह से शालु की जांघो के बीच बाल नाईटी में बाहर से भी प्रतीत हो रहे थे. शालु का वो संगेमरमर सा बदन और वो रूप देख कर धर्मवीर के टॉवेल में बड़ा सा उभार आ जाता है.

तभी शालु के कन्धों पर हाथ रखे,गुंज़न उसे धीरे धीरे अन्दर लाने लगती है.धर्मवीर की नज़र गुंज़न पर पड़ती है तो गुंज़न ने भी वैसी ही नाईटी पहनी हुई थी. गुंज़न के भी बड़े बड़े दूध और निप्प्लेस पारदर्शी नाईटी से साफ़ दिखाई दे रहे थे. जांघो के बीच घने बाल भी प्रतीत हो रहे थे. दोनों को इस हाल में देख धर्मवीर के होश उड़ जाते है.

गुंज़न- लीजिये बाबूजी...आ गई आपकी लाड़ली बेटी....

गुंज़न शालु को धर्मवीर के सामने खड़ा कर देती है.शालु अब भी नज़रे झुकाए खड़ी है और धीरे-धीरे मुस्कुरा रही है.
धर्मवीर भी शालु को मुस्कुरा कर देखते है फिर अपने हाथ से उसकी ठोड़ी पकड़ के ऊपर करते हुए कहते है.

धर्मवीर- इधर देख बेटी...बहुत खूबसूरत लग रही है मेरी
शालु इस कपडे में.

शालु एक बार पापा की आँखों में देखती है फिर ओठों को दाँतों टेल दबाते हुए नज़रे झुका लेती है. गुंज़न धर्मवीर से कहती है.

गुंज़न- बाबूजी ये आपके सामने इतना शर्मा रही है. अभी कुछ देर पहले मुझ से कह रही थी की आज पापा को पूरा मजा दूंगी...

गुंज़न की बात सुन के शालु बड़ी-बड़ी आँखों से भाभी को देखते हुए कहती है....

शालु -धत भाभी...चुप रहिये ना....!!

धर्मवीर- (मुस्कुराते हुए) सच जरा बता तो...कैसे मजा देगी पापा को...

शालु फिर से शर्मा जाती है. गुंज़न उसके पास आती है और कहती है.

गुंज़न - अब शर्र्ती ही रहेगी क्या?. (फिर धर्मवीर को देखते हुए) बाबूजी आप अपना लंड दिखाइए तो इसे. तभी इसकी शर्म दूर होगी...

धर्मवीर अपना टॉवेल आगे से खोल देते है तो उनका 9 इंच का लम्बा मोटा लंड शालु के सामने लहराने लगता है. शालु की नज़र पापा के लंड पर पड़ती है तो उसके बदन में मस्ती चड़ने लगती है. . गुंज़न उसे आँख मार देती है. शालु पापा को देखती है और पापा की नजरो से नज़रे मिलाते हुए एक जोर का झटका दे कर अपने बड़े-बड़े दूध उच्छाल देती है. धर्मवीर की आँखों के सामने शालु के दूध उच्छल जाते है. अपनी बेटी के उच्छालते दूध को देख कर धर्मवीर का लंड भी एक झटका मार देता है. शालु 3-4 बार ऐसे ही झटके दे कर अपने दूध उच्छल देती है और हर बार धर्मवीर का लंड भी झटके खता है. फिर गुंज़न को देखती है तो गुज़न आँखों के इशारे से उसे बेशर्मी दिखाने कहती है. शालु फिर से पापा को देखते हुए अपनी नाईटी ऊपर से खोल कर कमर तक उतार देती है. उसके बड़े-बड़े नंगे दूध धर्मवीर के सामने खुले हुए है. शालु पापा को देखते हुए फिर से झटके देते हुए 3-4 बार अपने दूध उच्छाल देती है. धर्मवीर से अब रहा नहीं जा रहा है. वो शालु से कहता है.

धर्मवीर- बेटी...इधर आ...बैठ अपने पापा की गोद में...

शालु धीरे-धीरे धर्मवीर के पास जाती है. पापा का 9 इंच का लंड खड़े हो कर हिचकोले ले रहा है. शालु पापा के पास जा कर, पीठ उनके तरफ करते हुए, अपनी चौड़ी चूतड़ों को पापा की गोद में रखने जाती है तभी गुंज़न झट से आ कर पीछे से शालु की नाईटी ऊपर कर देती है.

गुंज़न- (पीछे से शालु की नाईटी ऊपर करते हुए) अरे अरे शालु....!! नाईटी निचे कर के बैठेगी अपने पापा की गोद में? बेटी अपने पापा की गोद में हमेशा कपडे उठा कर बैठती है....

शालु गुंज़न को देख कर मुस्कुराते हुए अपनी भरी हुई चुतड धर्मवीर की गोद में जैसे ही रखती है, धर्मवीर का मोटा लंड उसके गांड के छेद पर टकरा कर फिसलता हुए बूर पर आता है और बूर से फिसलता हुआ शालु के नंगे पेट पर रगड़ता हुआ आगे से उसकी नाईटी उठा देता है. गुंज़न देखती है तो बाबूजी का मोटा लंड शालु की बूर पर चिपका हुआ है और लंड का टोपा नाईटी को अपने सर पर लिए उसकी नाभि के पास खड़ा है. शालु की बालोवाली बूर के ओंठ फैलकर पापा के मोटे लंड पर चिपके हुए है. र्मवीर एक बार धीरे से अपनी कमर ऊपर निचे करते है तो लंड शालु के बूर के दाने पर रगड़ खा जाता है. शालु के मुहँ से सिस्कारियां निकलने लगती है.

शालु- सीईईईईईईईई.....!! पापा......!!!

शालु की सिसकारी सुनते ही धर्मवीर अपने दोनों हाथो सेशालु के दोनों दूध दबोच लेते है और मसलने लगते है. शालु मस्ती में अपना सर पीछे कर के पापा के कन्धों पर रख लेती है और आँखे बंद किये सिस्कारिया लेने लगती है. धर्मवीर भी धीरे-धीरे अपना लंड शालु के बूर के दाने पर रगड़ने लगते है.धर्मवीर को अपनी बेटी के बूर पर लंड रगड़ते हुए देख गुंज़न भी एक हाथ से अपनी बूर रगड़ने लगती है.

गुंज़न- बाबूजी...बहुत गरम है आपकी बेटी. इसके बदन में बहुत गर्मी है....

धर्मवीर,-हाँ बहु...बहुत गर्मी है इसके बदन में... इसकी गर्मी तो आज...(जोर से दूध मसल देते है और लंड बूर के दाने पर रगड़ देते है)...इसके पापा उतरेंगे.....

शालु- सीईईईईइ....पापा...!!!

धर्मवीर- (दूध मसलते हुए अपने लंड को जोर से
शालु की बूर पर रगड़ देते है) पापा...पापा....हाँ...?? जब घर में पापा के सामने बड़े-बड़े दूध उठा कर घुमती थी, तब पापा की याद नहीं आई? आज जब नंगी हो कर पापा के लंड पर बैठी है तो पापा की याद आ रही है? ...क्यूँ ? ...बोल?

शालु- (आँखें बंद और तेज़ साँसे लेते हुए) आह...!! पापा...!! आपके मोटे लंड पर नंगी हो कर बैठना चाहती थी, तभी तो आपके सामने बड़े-बड़े दूध लिए घुमती थी....आह...!!

धर्मवीर- हाय मेरी बिटिया रानी..!! इतना तड़पती थी अपने पापा के लंड के लिए....उफ्फ्फ.

गुंज़न मुस्कुराते हुए शालु के पास आती है और उसका हाथ पकड़ के धीरे से उसे उठाती है. शालु धीरे-धीरे खड़ी होती है तो उसकी बूर पापा के लंड पर रगड़ खाते हुए ऊपर की और जाती है. जैसे हे बूर टोपे से चिपक कर ऊपर होती है तो पापा का एक झटका लेता है और चिप-चिपे पानी की कुछ बूंदे हवा में उड़ जाती है. गुंज़न और शालु धर्मवीर को देख कर मुस्कुराते हुए दोनों धर्मवीर के सामने से जाने लगती है.धर्मवीर निचे बैठे हुए दोनों की आधी नंगी मटकती हुई चुतड देखते है. शालु की गोरी-गोरी चौड़ी, हिलती हुई चुतड देख कर रमेश से रहा नहीं जाता. वो शालु को पीछे से उसकी जांघो के बीच हाथ डाल कर उठा लेते है. शालु की पीठ धर्मवीर की मजबूर छाती पर चिपक जाती है. धर्मवीर शालु को हवा में उठाये हुए उसकी जांघे खोल देते है और सामने दीवार पर टंगे बड़े से आईने की तरफ घूम जाते है. आईने में शालु की बूर के बालों के बीच खुले हुए ओठों से लाल छेद साफ़ दिख रहा है जो थोडा अन्दर जा कर बंद है. बूर के ओंठों से लार बह रही है जो धीरे-धीरे फिसलती हुई शालु की चूतड़ों की तरफ बढ़ रही है. धर्मवीर शालु की कसी हुई बूर देख कर गुंज़न से कहते है.

धर्मवीर- बहु....जरा देखो तो मेरी बिटिया रानी की बूर...कैसी कसी हुई है....

गुंज़न- हा बाबूजी...बहुत मजा देगी. आपका मोटा लंड पूरा कसा हुआ जायेगा अन्दर....

धर्मवीर-जरा अपनी बूर भी तो दिखाओ बहु....देखूं तो कैसी बूर है मेरी बहु की....

धर्मवीर की बात सुन कर गुंज़न मुस्कुराते हुए सामने आती है और बाबूजी के पास खड़ी हो कर अपना एक पैर पास रखी कुर्सी पर रख देती है. कमर आगे करते हुए गुंज़न दोनों हाथों से अपनी बूर के ओंठों को फैला देती है. ओंठ फैलते ही गुंज़न की बूर का लाल छेद दिखने लगता है जो गहरा है. धर्मवीर शालु और गुंज़न की बूर को गौर से देखते है.



गुंज़न- हाँ बाबूजी...आपका ऐसा मोटा तगड़ा लंड ले कर तो किसी भी लड़की के भाग खुल जायेंगे...

धर्मवीर शालु को धीरे से निचे उतार कर बेड लेट देते है और
बेड पर चढ़ कर शालु के ऊपर लेट कर उसके होंठो को चूसने लगा गुंज़न ये सब एक टक देखे जा रही थी धर्मवीर उठ कर घुटनों को बल बैठ गया और गुंज़न को भी खींच कर अपने आप बैठा दिया फिर शालु की नाईटी को उसकी चुचियों से हटा कर उसकी एक चुचि को पूरा का पूरा मूँह में ले लिया और चूसने लगा शालु का बदन झटके खाने लगा धर्मवीर ने दूसरे हाथ से शालु की दूसरी चुचि को पकड़ कर मसलना चालू कर दिया। शालु अपने आप पर काबू रखने की पूरी कोशिश की पर उसके मूँह से अहह निकल ही गयी अपनी बेटी की मस्ती भरी आवाज़ सुन कर धर्मवीर ज़ोर से शालु के एक निपल को चूस रहा था
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धर्मवीर पागलों की तरह शालु की चुचि को चूस रहा था और मसल रहा था धर्मवीर ने शालु की चुचि को मूँह से निकाल दिया शालु की चुचि का निपल एक दम तन गया था और
धर्मवीर के थूक से भीगा हुआ था धर्मवीर ने दूसरी चुचि को मुँह में ले लिया और अपनी ज़ुबान को उसके निपल के चारो तरफ घुमाने लगा और फिर पूरे ज़ोर से उसकी चुचि को चूसना चालू कर दिया

गुंज़न वैसे ही घुटनो के बल बैठी रही धर्मवीर ने अपना एक हाथ गुंज़न के पीछे ले जाकर गुंज़न के नरम चुतड़ों पर रख दिया और धीरे-2 सहलाने लगा गुंज़न की गान्ड उसकी पिंडलयों से सटी हुई थी धर्मवीर ने गान्ड के नीचे हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया गुंज़न ने अपने चुतड़ों को थोड़ा सा ऊपर उठा लिया धर्मवीर ने हाथ आगे बढ़ा कर धीर -2 अपनी उंगलियों को गुंज़न की गान्ड के दरार में रगड़ने लगा गुंज़न ने अपनी गान्ड को सिकोड लिया पर धर्मवीर अपनी एक उंगली से गुंज़न की गान्ड के छेद को कुरेदने लगा

शालु अपनी आँखें खोली और गुंज़न की तरफ देखा गुंज़न की नंगी पीठ और गान्ड देख शालु पूरी तरह से हिल गयी शालु ने देखा धर्मवीर अपने हाथ से उसकी भाभी की गान्ड की दरार में सहला रहा है शालु ये सब एक टक देखे जा रही थी

धर्मवीर ने झुक कर शालु की एक चुचि को मूँह में लेकर चूसना चालू कर दिया और गुंज़न को आँख मार कर इशारा किया गुंज़न भी तुरंत शालु के ऊपर झुक गयी और उसकी दूसरी चुचि को मूँह में लेकर चूसने लगी अपनी दोनो चुचियों को गुंज़न और धर्मवीर के मूँह में महसूस कर शालु सिसकियाँ भरने लगी दोनो चुचियों को एक साथ चुसवाने में शालु को बहुत मज़ा आ रहा था शालु एक दम मस्त हो चुकी थी

शालु गुंज़न और धर्मवीर के होंठो को अपने चुचियों पर एक साथ महसूस करके कसमसाने लगी शालु की चूत में आग लग चुकी थी धर्मवीर शालु की चुचि को छोड़ कर नीचे का तरफ बढ़ने लगा और शालु ने धर्मवीर के बालों को अपने हाथों से कस के पकड़ लिया धर्मवीर अपनी ज़ुबान को शालु की नाभि के अंदर डाल कर चाटने लगा शालु जल बिन मछली की तरह छटपटाने लगी

शालु-ओह्ह्ह बब्लुउउउउ क्या कर रहीईई हो उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

शालु ने अपने हाथों से धर्मवीर के बालों को पकड़ रखा था अपनी जीभ को शालु के नाभि पर गोल-2 घुमा कर चाट रहा था। शालु की मस्ती का कोई ठिकाना नही था शालु मस्ती में छटपटाने लगी और अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईईईई ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करने लगी शालु के हाथों की उंगलिया धर्मवीर के बालों में घूमने लगी । शालु अपनी नाभि पर धर्मवीर के होंठो को महसूस करके ऐंठने लगी धर्मवीर थोड़ी देर शालु की नाभि चूसने के बाद नीचे की तरफ आने लगा

शालु एक दम मस्त हो चुकी थी उसकी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी शालु से बर्दास्त करना मुस्किल हो रहा था गुंज़न शालु की चुचियों चूस्ते हुए धर्मवीर को देख रही थी

गुंज़न भी गरम होने लगी गुंज़न ने आगे झुक कर अपने हाथों से शालु की चूत की फांकों को फैला दिया गुंज़न अपनी साँसें थामे शालु की चूत को देख रही थी जो उसे अपनी चूत से बिल्कुल अलग नज़र आ रही थी गुंज़न की चूत की फाँकें ज़्यादा बड़ी और लटकी हुई थी

धर्मवीर के सामने शालु की फैली चूत का गुलाबी छेद था जो
शालु के काम रस से एक दम गीला होकर चमक रहा था
धर्मवीर ने झुक कर अपनी ज़ुबान से शालु की चूत के छेद को चाटना चालू कर दिया अपनी चूत के छेद पर धर्मवीर के ज़ुबान पड़ते ही
शालु -अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईईई करने लगी उसकी कमर रह-2 कर झटके खानमें पागल हो जाएँगीईईई अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् को नोचने लगी

शालु ने नही सोचा था कि उसे इतना मज़ा आएगा धर्मवीर शालु की चूत के दाने को मूँह में लेकर चूसने लगा रिंकी अपना सर इधर उधर पटकने लगी उसकी कमर हवा में उछलने लगी

धर्मवीर शालु के हाथ को पकड़ गुंज़न की चूत की चूत के छेद पर रख दिया शालु ने अपनी आँखें बंद कर ली धर्मवीर अपने हाथ से शालु के हाथ को पकड़ कर गुंज़न की चूत को मसलने लगा गुंज़न अपनी आवाज़ और सिसकारियों को दबाने के पूरी कोशिश कर रही थी


गुंज़न- नहियीईईई जानंनन्णनिउ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तुम सच मेंन्न्न् मुझे पागलल्ल्ल ओह

और धर्मवीर ने शालु की चूत के दाने को अपनी झीभ से चाटना चालू कर दिया शालु का पूरा बदन मस्ती में काँपने लगा शालु के कमर झटके खाने लगी

उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह््ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्््ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्

शालु की कमर खुद ब खुद ऐसे झटके खाने लगी जैसे वो अपनी छूट को धर्मवीर के होंठो पर रगड़ रही हो उसकी चूत से पानी बह कर धर्मवीर के होंठो तक आने लगा शालु मस्ती भरी आहहें भरने लगी उसने अपने हाथों से गुंज़न की चुत को कस के पकड़ लिया और अपने होंठो को अपने दाँतों में दबा लिया मस्ती में उसकी कमर फिर से उचकाने लगी
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धर्मवीर अपनी जीब निकाल शालु की चूत के छेद को अपनी जीभ से चोदने की कोशिश कर रहा था शालु मस्ती में आकर अपनी कमर हिलाने लगी
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गुंज़न शालु के ऊपर आ गयी और अपने पैरो को
शालु की कमर के दोनो तरफ करके उसके ऊपर डॉगी स्टाइल में आ गयी गुंज़न ने अपनी चुचि को अपने हाथ में पकड़ कर दबाया चुचि का निपल बाहर की तरफ निकल आया
गुंज़न अपनी चुचि के निपल को शालु के होंठो के पास ले आई शालु आँखे फाडे सब देख रही थी

धर्मवीर - देख क्या रही हो बेटी अब अपनी भाभी को भी मज़ा दो ना

शालु ने हिम्मत जुटा के गुंज़न की चुचि को मूँह में ले लिया और निपल को चूसने लगी

गुंज़न -अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह

धर्मवीर पीछे से गुंज़न की चूत की फांकों को फैला कर अपने होंठो को गुंज़न की चूत के छेद पर लगा दिया गुंज़न की कमर भी झटके खाने लगी गुंज़न शालु के गालों को चूमने लगी अब शालु ने गुंज़न की दूसरी चुचि को हाथ में लेकर मसलना चालू कर दिया गुंज़न की तनी हुई मुलायम चुचियों का अहसास बहुत अच्छा लग रहा था गुंज़न भी मस्त हो चुकी थी और अपनी कमर हिला हिला कर अपनी चूत को धर्मवीर के होंठो पर रगड़ रही थी

गुंज़न- अह्ह्ह्ह्ह्ह और जोर से चूसो बहुत मज़ा आआआआ अपनी जीभ मेरी चुत में डाल दो

फिर धर्मवीर बेड पर बेट जाता हैं धर्मवीर का 9 इंच लम्बा और 4 मोटा लंड आसमान की तरफ देखता हुआ सीना ताने खड़ा है.

शालु और गुंज़न की नज़र धर्मवीर के लंड पर टिक जाती है.
धर्मवीर शालु को मुस्कुराते हुए देखते है.

धर्मवीर- आज मेरी प्यारी रानी बेटी पापा का गन्ना नहीं चूसेगी?

धर्मवीर की बात सुन कर शालु धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ बढ़ने लगती है. उसकी साँसे तेज़ है और शरीर उत्तेजना से गर्म हो रखा है. धीरे-धीरे चलते हुए वो धर्मवीर की टांगो के बीच पहुँच जाती है. अपने दोनों घुटनों को मोड़ कर को
धर्मवीर की टांगो के बीच बैठ जाती है. उसकी नज़रों के सामने धर्मवीर का मोटा लंड उसे बुला रहा है. शालु जीभ बाहर निकल कर अपना सर आगे करने लगती है. शालु का मुहँ अभी लंड पर कास जायेगा ये सोच कर धर्मवीर आँखे बंद कर लेते है. अपनी जाँघों के बीच वो शालु की साँसे महसूस करते है. तभी शालु ने धर्मवीर के लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और धीरे- 2 लंड को आगे पीछे करना चालू कर दिया फिर आँखें बंद करके अपने होंठो और मुँह को खोल कर धर्मवीर के लंड के सुपाडे को मुँह में ले लाया और अपने होंठो को धर्मवीर के लंड के सुपाडे पे कस लिया और धर्मवीर के लंड को चूसने लगी शालु के होंठो का दबाव धर्मवीर के लंड के सुपाडा पर बढ़ता जा रहा था धर्मवीर के लंड का सुपाडा अब शालु के मुँह के अंदर बाहर होने लगा था शालु अपनी जीबे से धर्मवीर के लंड के पेशाब वाले छेद को कुरेदने लगी धर्मवीर भी मस्ती से भर चुका था
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शालु ने धर्मवीर के लंड को बाहर निकाला और कुछ पलों के लिए हाथ से हिलाया शालु अपनी नशीली आँखों से धर्मवीर की ओर देख रही थी शालु अपनी जीभ को बाहर निकाला और धर्मवीर के लंड के सुपाडे को चाटने लगी लंड के सुपाडे को चाटते हुए वो धीरे धर्मवीर के लंड के हर हिस्से को चाटती हुई उसके अंडकोष पर आ गयी और शालु पापा के अन्दोकोशों को बड़े प्यार से चाट रही थी. दोनों पर बारी बारी जीभ घुमाते हुए वो ऊपर निचे से ऊपर तक चाट जाती. धर्मवीर शालु की इस हरकत को बड़े गौर से देख रहे थे. तभी शालु ने एक बॉल को चाटते हुए अपने मुहँ में भर लिया और किसी लोलीपोप की तरह चूसने लगी. धर्मवीर के मुहँ से "आह्ह्ह्ह...!!" निकल गई और उनकी आँखे बंद हो गई.

कुछ देर इसी तरह से अंडकोष को चूसने के बाद
शालु धीरे से अपना सर धर्मवीर की जांघो के बीच ले जाती है. इस बार शालु जो करती है वो धर्मवीर ने कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था. शालु ने अपनी जीभ धर्मवीर की गांड का छेद पर रख दी थी और धीरे-धीरे जीभ उसके इर्द-गिर्द घुमाने लगी थी. ये देख कर धर्मवीर ह्ह्ह..!!" करते हुए बिस्तर पर अपना सर रख देते है और आँखे बंद किये उस अविश्वसनीय घटना का आनंद लेने लगते है.ये द्रिश्य गुंज़न भी बड़ी ही हैरानी के साथ देख रही थी. गुंज़न को हमेशा से ही अपने आप पर बड़ा गुमान था. वो अपने आप को कामदेवी का रूप समझती थी. इस घर में वो एक संस्कारी बहु होने का किरदार निभा रही रही थी. जैसे ही घर में रिश्ते लंड और बूर के रिश्तों में बदलने लगे, गुंज़न ने फिर से कामदेवी का रूप ले लिया. लेकिन आज शालु जैसी एक खूबसूरत और जवान लड़की को अपने पिता की गुदा को इस तरह से चाटता हुआ देख उसका कामदेवी होने का अहंकार टूट चूका था. आज गुंज़न को अपनी शिष्या पर गर्व महसूस हो रहा था. आज उसने अपने पिता को वो सुख दिया था जो शायद उन्हें किसी कुवांरी बूर को चोद कर भी न मिला था। धर्मवीर की गुदा को चाटते हुए अपनी जीभ अन्दर गुसने की कोशिश करने लगती. कभी वो अपनी जीभ गुदा पर रख कर निचे से ऊपर अन्डकोशो तक चाट जाती. इस परमानंद में डूबा हुआ था

तभी गुंज़न आगे बढ़ती है और धर्मवीर की जांघो पर हाथ रख कर अपने ओठों को लंड के टोपे पर रख देती है. गुंज़न के ओंठ फिसलते हुए धर्मवीर के लंड को आधा मुहँ में भर लेते है. गुंज़न की जीभ मुहँ के अन्दर लंड के टोपे पर घुमने और फिसलने लगती है. धर्मवीर भी अपनी कमर को निचे से उठा के गुंज़न के मुहँ में पूरा लंड भरने की कोशिश करने लगते है. बीच-बीच में गुंज़न अपना सर स्थिर कर देती तो धर्मवीर 3-4 जोदार लंड के झटके गुंज़न के मुहँ में मार देते.शालु अभी भी धर्मवीर के अन्डकोशों को अपनी जीभ से चाट रही थी.
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धर्मवीर जब देखते हैं की उनके लंड की नसे पूरी तरह से फूल गई है और अब वो बूर में घुसने के लिए तैयार है तो वो बिस्तर पर बैठ जाते है. शालु के सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए वो उसे उठाते है. उसकी नज़रों में नज़रें मिलाते हुए धर्मवीर शालु के कंधो को पकड़ के धीरे-धीरे बिस्तर पर लेटा देते है. शालु की साँसे अब बहुत तेज़ हो गई है. आगे होने वाली घटना को सोच कर ही उसका दिल धड़कने लगा है. गुंज़न भी शालु के सर के पास बैठ जाती है और अपना हाथ उसके सर पर फेरने लगती है. धर्मवीर शालु की टांगो के बीच बैठ जाते है और धीरे-धीरे शालु पर चढ़ते हुए उसके दोनों दूध को हाथों से दबाते चूसने लगते है. शालु मस्ती में अपनी आँखे बंद किये अपने शरीर को धर्मवीर के हवाले कर देती है.

धर्मवीर अपने लंड के टोपे को शालु की गीली बूर पर रगड़ रहे है. धर्मवीर अपनी कमर धीरे से ऊपर की ओर करते है तो लंड बूर पर निचे से ऊपर रगड़ खा जाता है. जब कमर निचे की ओर करते हैं तो लंड ऊपर से निचे की ओर रगड़ खा जाता है. लंड का मोटा टोपा जब भी शालु की चुत पर रगड़ खाता, उसकी चुत काँप सी जाती।

धर्मवीर ने शालु की बूर पर एक नज़र डाली तो उसमे से धीरे-धीरे पानी बह रहा था. बूर किसी डबल रोटी की तरह फूल गई थी और बूर के ओंठ खुल गए थे. धर्मवीर एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह अपनी कमर को धीरे से निचे करते हुए लंड के टोपे का दबाव शालु की बूर के छेद पर डालते है. अपनी बूर पर टोपे का दबाव महसूस कर शालु आँखे बंद किये सिसकारी ले लेती है. धर्मवीर थोडा और दबाव डालते है तो उनका लंड गीली बूर पर से फिसलता हुआ शालु के पेट पर पहुँच जाता है. रमेश के लंड से थोडा पानी निकल कर शालु की नाभि में जमा हो जाता है. धर्मवीर फिर से अपने लंड को पकड़ कर शालु की बूर के मुहँ पर रखते है. हल्का सा दबाव डालते हुए वो जैसे ही कमर आगे करते है, उनका लंड इस बार बूर पर से फिसलता हुआ निचेशालु की चूतड़ों के बीच घुस जाता है. ये देख कर गुंज़न धर्मवीर से कहती है.

गुंज़न- बाबूजी...शालु की बूर बहुत कसी हुई है. जरा ध्यान से खोलियेगा....

धर्मवीर- हाँ बहु....बहुत कसी हुई बूर है मेरी बेटी की. लंड फिसल जा रहा है.

धर्मवीर इस बार लंड को हाथ से पकड़ते है और शालु की बूर के मुहँ पर रख देते है. हाथ से लंड पकडे हुए धर्मवीर जोर लगाते है तो लंड का टोपा बूर में घुसा जाता है और शालु धर्मवीर की पीठ पर अपने नाख़ून गडाते हुए चिल्ला देती है.

शालु - हाहाहाहाहाहाहाहापापा
........आआआआहहहहहह............धीरे से ..............फट गई मेरी बूर. ...........कितना मोटा है आपका.........बहुत दर्द हो रहा है पापा......बस करो ......रुको जरा.....कितना अंदर तक चला गया है एक ही बार में..आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह......!! पापा....!! निकालीये इसे....प्लीज पापा....!!
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धर्मवीर शालु को इस तरह से चिल्लाता देख सहम जाते है. वो अपनी कमर पीछे कर लेते है. उर्मिला भी पायल के सर पर हाथ फेरने लगती है.

धर्मवीर- क्या हुआ बेटी? दर्द हो रहा है क्या?

शालु- हाँ पापा...!! बहुत दर्द हो रहा है. आपका लंड बहुत मोटा है.
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गुंज़न समझ जाती हैं की शालु ये सब जान बुझ कर कर रही हैं।ताकि धर्मवीर को पता ना चले की शालु पहले भी चुदी हुई हैं और गुंज़न प्यार से शालु के गालों पर हाथ फेरने लगते है.

धर्मवीर- मेरी प्यारी गुडिया रानी. थोडा तो दर्द होगा ना बेटी. कोई बात नहीं...अब पापा धीरे से डालेंगे...अपनी बिटिया को जरा सा भी दर्द नहीं होने देंगे.

धर्मवीर फिर से लंड को पकड़ कर शालु की बूर के मुगन पर रखते है और धीरे से ठेलते चले जाते है और कुछ ही क्षण में उनका पूरा लंड जड़ तक शालु के बूर में समां जाता है.धर्मवीर शालु को कस कर पकडे हुए है. पापा का पूरा का पूरा लंड
शालु की बूर में जड़ तक धंसा जाता है.धर्मवीर अपनी कमर को पीछे करते है तो उनका लंड बूर से बाहर आ जाता है. फिर वो लंड को शालु की बूर पर रख कर एक जोर का धक्का लगाते है तो लंड एक झटके में शालु की बूर में फिर से पूरा धंस जाता है. धर्मवीर के बड़े-बड़े गोटे जैसे ही शालु की चूतड़ों से टकराते है तो सारा कमरा 'ठप्प' की जोरदार आवाज़ से गूंज उठता है. 'ठप्प' की आवाज़ इतनी तेज़ होती है की पास खड़ी गुंज़न डर के उच्चल सी जाती है.

शालु - आह्ह्हह्ह....पापाजी..!! बहुत मोटा है आपका....

धर्मवीर- तुम्हारी बूर भी कमाल की है . कसी हुई है फिर भी पूरा अन्दर तक ले रही है....बहुत मजा देगी....
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शालु - (कसमसाते हुए) आह्ह्हह्ह...!! और अन्दर डालिए
पापाजी....उई माँ.....!!

धर्मवीर- उफ़ ....!! मेरा बस चले तो मैं लंड के साथ-साथ अपनी दोनों गोटियाँ भी अन्दर डाल दूँ ....पर फिलहाल मेरे लंड से ही काम चला लो।

धर्मवीर का लंड शालु की बूर में तेज़ी से अन्दर-बाहर होने लगता है.
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धर्मवीर ने एका एक गुंज़न को आगे करके शालु के ऊपर झुका दिया और गुंज़न की एक टाँग उठा कर शालु के ऊपर से दूसरी तरफ रख दी अब गुंज़न शालु के ऊपर डॉगी स्टाइल में आ गयी थी नीचे शालु लेटी हुई थी गुंज़न उसके ऊपर दोनो तरफ पैर करके घुटनों के बल झुकी हुई थी

धर्मवीर ने बिना कुछ बोले शालु की चूत से लंड निकाल लिया और थोड़ा सा ऊपर होकर गुंज़न की चूत पर अपने लंड के सुपाडे रगड़ने लगा शालु आँखे बंद किए हुए थी उसे ये तो पता था कि गुंज़न अब उसके ऊपर है पर उसे पता नही था कि धर्मवीर क्या कर रहा है गुंज़न अपनी चूत पर धर्मवीर के लंड रगड़ने से गरम होने लगी थी

धर्मवीर ने एक ही झटके में गुंज़न की चूत में अपना पूरा का पूरा लंड पेल दिया था और गुंज़न की कमर पकड़ कर अपने लंड को अंदर बाहर करके चोदे जा रहा था शालु ने देखा गुंज़न की 36 साइज़ की चुचियाँ आगे पीछे उसके चहरे के ऊपर 1 इंच के दूरी पर हिल रही थी नीचे धर्मवीर की जांघे गुंज़न के चुतड़ों पर चोट कर रही थी शालु अपनी भाभी को ऐसी हालत में देख कर गरम होने लगी थी उसने अपनी जिंदगी में कल्पना भी नही की थी वो ऐसे अपनी भाभी को इतने करीब से चुदते हुए देखे गी धर्मवीर अपने दोनो हाथों को गुंज़न के कंधों पर रख कर शालु के ऊपर झुकाने लगा गुंज़न की चुचियाँ शालु की चुचियों पर रगड़ खाने लगी शालु के तने हुए निपल्स गुंज़न के निपल्स से बार-2 रगड़ खा रहे थे

धर्मवीर- देखो गुंज़न शालु बेटी कैसे तुम्हारी चुचियों से चिपकी हुई है इसे अपनी बाहों में भर कर प्यार करो
शालु बिना कुछ बोले अपने आँखें बंद किए लेटी रही
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गुंज़न की ऐसी घमासान चुदाई देख कर शालु चने लगी की कहीं भाभी को तकलीफ तो नहीं हो रही है? पापा जिस तरह से अपने गधे जैसे मोटे लंड को भाभी की बूर में पेल रहे है, कहीं भाभी को दर्द तो नहीं हो रहा है? तभी गुंज़न की आवाज़ ने उसके सारे सवालों के जवाब दे दिए....

गुंज़न- आह्ह्ह्ह.....!! बाबूजी...और जोर से चोदीये मेरी बूर....!! आपको देख कर बहुत पानी छोड़ती थी ये कामिनी....अच्छे से सबक सिखाइए इसे...आह...!!

गुंज़न द्वारा बाबूजी को दी गई इस ललकार ने तो मानो
शालु को दिन में तारे ही दिखा दिए. "इतने मोटे तगड़े लंड को बूर में ले कर भाभी मजा ले रही है? दर्द का तो नामोनिशान भी नहीं है भाभी के चेहरे पर.

धर्मवीर- हाँ बहु...आज तेरी बूर को अच्छे से सबक सिखाऊंगा. बहुत खुजली होती है ना इसे? आज इसकी सारी खुलजी मिटा दूंगा.

गुंज़न- हाँ बाबूजी...आह..!! सारी खुलजी मिटा दीजिये इसकी....

धर्मवीर गुंज़न की बूर में सटा-सटा लंड पेलता हुआ....

धर्मवीर- तुम्हे याद है बहु...जब हम पहली बार तुम्हे देखने तुम्हारे घर आये थे..?

गुंज़न- आह्ह्ह..!! हाँ बाबूजी याद है....आपने उस दिन गेरुयें रंग का कुरता और धोती पहनी हुई थी....अहह...!!

धर्मवीर- हाँ बहु....!! जब तुम्हे पहली बार देखा था तब ही सोच लिया था की यही मेरे घर की बहु बनेगी...और जब तुम मुझे चाय देने के लिए झुकी थी और मैंने तुम्हारे बड़े-बड़े दूध के बीच की गहराई देख ली थी तब मेरा इरादा और भी पक्का हो गया था.

गुंज़न- याद है मुझे बाबूजी...आप कैसे मेरी गहराई में घूरे जा रहे थे और मैं शर्म से पानी-पानी हो गई थी. आपकी धोती में वो हलचल देख कर ही मैं समझ गई थी की ससुराल में पति का सुख मिले ना मिले, ससुर का सुख एक दिन जरूर मिलेगा....आह्ह्ह्ह...!!

धर्मवीर- हाँ बहु...उस दिन घर आने के बाद मैंने तुम्हारी याद में अपना लंड बहुत मुठीआया था...

गुंज़न- ओह बाबूजी....सच कहूँ तो उस रात मैंने भी आपको याद कर अपनी बूर में मोटा बैगन खूब चलाया था....

धर्मवीर ने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर शालु की चूत के भगनासे (क्लिट ) को अपनी उंगलियों से मसलना चालू कर दिया शालु के बदन में मानो जैसे करेंट दौड़ गया हो

शालु - ओाहह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह नहियीईईईईईई मात्त्ततत्त कारूव

धर्मवीर- चुप साली अब क्यों नखरे कर रही है चल अब अपनी भाभी को अपनी बाहों में लेकर उसकी चुचियों को चूसना चालू कर अब शालु भी पूरी गरम हो चुकी थी ना चाहते हुए भी उसने गुंज़न को अपनी बाहों में भर लिए
धर्मवीर ने गुंज़न की चूत से लंड निकाला गुंज़न की चूत के पानी की कुछ बूंदे शालु की चूत के ऊपर गिरने लगी धर्मवीर ने अब नीचे होकर अपने लंड को शालु की चूत पर टिका दिया और उसकी टाँगों को घुटनो से पकड़ कर अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का दिया लंड शालु की चूत के अंदर चला गयााा

धर्मवीर धना धन शॉट लगा कर शालु की चूत को चोदने लगा शालु मस्ती से भर चुकी थी धर्मवीर ने एक हाथ की एक उंगली को गुंज़न की चूत में घुसा दिया और अंदर बाहर करने लगा गुंज़न शालु के साथ चिपकी हुई थी दोनो की साँसें एक दम तेज से चल रही थी गुंज़न ओर आगे बढ़ कर अपनी अपनी बुर शालु के मुंह के ऊपर ले गयी, शालु समझ गयी ओर अपना मुंह उसकी नरम ओर गरम चूत पर रख दिया ओर चाटने लगी..

गुंज़न ने अपनी आँखें बंद कर ली ओर चटवाने के मजे लेने लगी, .म्म्म्मम्म्म्मम्म .....
वो अपनी चूत शालु के मुह पर तेजी से दबा रही थी...

गुंज़न- चाट कुतिया....मेरी चूत से सारा पानी ...आआआआआआअह्ह्ह.....भेन चोद ....हरामजादी....चूस मेरी चूत को....आआआआआह्ह्ह्ह...

शालु ने उसकी चूत को खोल कर उसकी क्लिट को अपने मुंह में ले लिया ओर चूसने लगी,पीछे से धर्मवीर भी आगे बढ़ कर गुंज़न की गांड चाटने लगा।गुंज़न तो मानो पागल ही हो गयी..
ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह ओह अह अह अह अह अह अह अह .......वो बदबदाये जा रही थी ओर चुसवाती जा रही थी.
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धर्मवीर के मोटे लंड से शालु के बूर के ओंठ पूरे फ़ैल चुके थे. बूर के फैले हुए ओंठों ने धर्मवीर के लंड को गोलाई में जकड़ा हुआ था. धर्मवीर का मोटा लंड जब भी शालु की बूर में जाता, सफ़ेद झाग के साथ कुछ छोटे-छोटे बुल बुले बूर के चारो तरफ फले हुए थे धर्मवीर का लंड शालु की चूत में पूरा अंदर बाहर होने लगा और सीधा जाकर शालु की बच्चेदानी से टकराने लगीा

तभी एक बार फिर धर्मवीर ने गुंज़न को पकड़ पीछे किया और चोदने लगा। शालु भी गुंज़न के नीचे से निकल कर अपनी चुत गुंज़न के मुह पर अपनी चुत रगड़ने लगी और शालु ने गुंज़न का हाथ पकड़ कर अपनी चुचि पर रख दिया और अपने हाथ से गुंज़न का हाथ अपनी चुचि पर दबाने लगी शालु को भी इस खेल में अब मज़ा आने लगा था गुंज़न भी धीरे-2 शालु की चुचि को मसल रही थी और चुत को चूस रही थी शालु एक दम गरम हो चुकी थी उसके गाल उतेजना के मारे लाल हो चुके थी आँखें वासना के कारण बंद हो गयी मस्ती इस कदर चढ़ चुकी थी कि वो अपने होंठो को दाँतों में भींच कर काटने लगी और अपनी गान्ड को पीछे की तरफ फेंक-2 कर धर्मवीर का लंड चूत में लेकर चुदवा रही थी
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शालु से भी अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, उसने
धर्मवीर को धक्का दिया और उछल कर उनके ऊपर बैठ गयी, धर्मवीर का फड़कता हुआ लंड शालु की चूत के नीचे था शालु ने अपने पापा के दोनों हाथों में अपनी उंगलियाँ फंसाई और अपनी गांड और अपना सर नीचे झुका दिया, उसके होंठ अपने पापा के होंठो से जुड़े और चूत उनके लंड से, पीछे से
गुंज़न ने धर्मवीर का लंड पकड़ा और शालु की चूत में फसा दिया और उसे नीचे की तरफ दबा दिया..शालु की कसिली चूत में उसके पापा का लंड उतरता चला गया.उसने थोडा ऊपर होकर लम्बी सिसकारी निकाली...और अपने चुचे को धर्मवीर के मुंह में ठूस दिया...

शालु- .......मेरे राजा......चोदो ऐसे ही तेज तेज चोदो........ हहह............माँ............ कस कस के पेलो लन्ड बाबू.........कितना मजा है चुदाई करने में............अब रुकना मत पापा, पिता जी, मेरे बाबू.......पेलो अपनी सगी बेटी को.........और गहराई तक घुसाओ बाबू...........हाँ ऐसे ही.........

धर्मवीर- ...मेरी बेटी.............क्या बूर है तेरी..............हाय.............. कितना मजा है तेरी बूर में...................सच में अपनी सगी बेटी को चोदने में बहुत मजा है..........इतना मजा आजतक कभी नही आया......आ म्म्म्मम्म्म्म्म्म्

अब धर्मवीर का पूरा लंड उनकी बेटी की चूत के अन्दर था, शालु ने उछलना शुरू किया और धर्मवीर का लंड अपनी चूत में अन्दर बाहर करने लगी. गुंज़न पीछे बैठी बड़े गौर से इस चुदाई को देख रही थी, धर्मवीर ने हाथ आगे करके अपनी उंगलियाँ गुंज़न की चूत में डाल दी, औरगुंज़न पीछे से शालु की चूत ओर धर्मवीर का लंड एक साथ चाटने लगी
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शालु अपने पापा के लंड के ऊपर उछलती हुई बडबडा रही थी....

शालु - आआआअह्ह्ह चोदो मुझे पापा...अपने प्यारे लंड से ....फाड़ डालो अपनी बेटी की चूत इस डंडे से....चोदो न....जोर से....आआआह्ह्ह बेटी चोद सुनता नहीं क्या तेज मार...भोंसडी के ....कुत्ते...बेटिचोद....चोद जल्दी जल्दी....आआआआआह्ह ......डाल अपना मुसल मेरी चूत के अन्दर तक....अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......और तेज और तेज और तेज.......आआआअह्ह्ह हाँ ऐसे ही.....भेन्चोद....चोद...
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धर्मवीर- तुम्हारी बूर भी कमाल की है कसी हुई है फिर भी पूरा अन्दर तक ले रही है....बहुत मजा देगी....

शालु- .मेरे बाबू......चोदो अपने लंड से अपनी बेटी की बूर..........ओओ. कैसे आपका मोटा सा लंड मेरी बूर में जा रहा है.........कितना मजा है चुदाई करने में................मुझे उछाल उछाल के चोदो न
पापा जी, म.पेलो अपनी सगी बेटी को.....और गहराई तक डालो बाबू...........हाँ ऐसे ही......कैसे गच्च गच्च की आवाज आ रही है चुदाई की..........हाय बाबू और अन्दर डालिए

गुंज़न से शालु की चुत की तारीफ धर्मवीर के मुह से सुनी ने गयाी और उसने धर्मवीर का लंड शालु की चुत से निकाल कर रंडी की तरह बहुत तेज़ी से लंड को चूस लगी और लंड के सुपाडे को अपनी जीब से चाट रही थी धर्मवीर भी गुंज़न के सर को दोनो हाथों में पकड़ लिया और तेज़ी से गुंज़न के मुँह को चोदने लगा गुंज़न ने कुछ देर बाद अपना मुँह वहाँ से हटा लिया …धर्मवीर को कुछ समझ नही आ रहा था वो अपने लंड को हाथ में थामे लेटा हुआ था…फिर गुंज़न ने थूक निकल कर धर्मवीर के लंड पर डाल कर अपने हाथ से लंड पर मलने लगी

धर्मवीर -ये क्या कर रही हो बहु तुम्हारी चूत तो वैसे भी इतना पानी छोड़ती हैं थूक की तो ज़रूरत ही नही

गुंज़न - (काँपती आवाज़ में) पानी चूत छोड़ती है ना गान्ड तो नही

धर्मवीर - क्या

गुंज़न की बात सुन धर्मवीर का लंड तन कर झटके खा रहा था गुंज़न अपने दोनो पैरों को धर्मवीर की कमर के दोनो तरफ करके घुटनों के बल नीचे बैठ गयी…और धर्मवीर के लंड को हाथ में पकड़ कर अपनी गान्ड के छेद पर लगा दिया और गुंज़न धीरे -2 अपनी गान्ड के छेद को धर्मवीर के लंड के सुपाडे के ऊपर दबाने लगी लंड का पूरा सुपाडा अंदर घुस गया धर्मवीर ने अपने लंड को धीरे-2 गुंज़न की गान्ड के छेद के अंदर बाहर करना चालू कर दिया गुंज़न की गान्ड का छेद बहुत टाइट था धर्मवीर को भी लंड को अंदर बाहर करने में दिक्कत हो रही थी गुंज़न भी धीरे -2 अपनी कमर हिलाने लगी हर बार रेणु अपनी गान्ड के छेद को और ज़्यादा धर्मवीर के लंड पर दबा कर अंदर ले लेती लंड पूरा जड तक गुंज़न की गान्ड में घुस गया गुंज़न धर्मवीर का लंड अपनी गान्ड हिला ने लगी

गुंज़न - बाबूजी अगर तुम मुझे प्यार करते हो तो मेरी गान्ड को इस कदर चोदो कि फॅट जाए मुझ पर ज़रा भी तरस ना करना आज से में ही तुम्हारी पत्नी रंडी और रखेल सब कुछ हूँ

गुंज़न की बात सुन धर्मवीर गुंज़न की दोनों टांगों को पकड़ कर मोड़ देते है सीने पर लगा देते है धर्मवीर का लंड गुंज़न की गांड में तेज़ी से अन्दर-बाहर होने लगता है.शालु इस द्रिश्य को बड़े ध्यान से देख रही है.
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धर्मवीर पागलों की तरह गुंज़न की गांड चोदने लगता है. एक हाथ से गुंज़न के पैर उठा के हुए धर्मवीर अपने मोटे लंड को सटा-सट गुंज़न की गांड में ठूंसे जा रहा था.

धर्मवीर- ..कुतिया कहीं की...साली रंडी..."

गुंज़न- हाँ मैं रंडी हूँ...तेरी रंडी हूँ मैं आज से...चोद मुझे...घर पर जब भी तेरा मन करे चोद देना मुझे...अपने दोस्तों से भी चुदवाना अपनी रंडी बहु को
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गुंज़न धर्मवीर का लंड अपनी गांड में पेलवाते हुए हुए शालु को देखती है तो धीरे से एक ऊँगली में थूक लगा कर उसकी चूतड़ों के बीच घुसा देती है जो शालु के छेद में हलकी सी घुस जाती है. शालु के मुहँ से , "उई माँ भाभी...!!", निकल जाता है. आगे धर्मवीर उसकी बूर में जीभ ठूँस रहे है और निचे से भाभी चुतड के छेद में ऊँगली. इस नए अनुभव से शालु तन बदन में आग लग जाती है.

शालु - उई माँ....सीईई....!!

गुंज़न-हुआ रानी? शादी हो कर ससुराल जाएगी तो वहां भी ऐसे ही 'डबल ड्यूटी' करनी पड़ेगी....

धर्मवीर- ये क्या कह रही हो गुंज़न ? मेरी प्यारी बिटिया ससुराल में 'डबल ड्यूटी' करेगी? तुमने मेरी शालु को ऐसी-वैसी समझ रखा है? ये तो ससुराल में 'चौकड़ी ड्यूटी' करेगी, 'चौकड़ी'...!!

और धर्मवीर अपनी जीभ शालु की बूर में जोर से घुमा देते है. गुंज़न और पापा की बात से शालु पूरे जोश में आ जाती है. अपनी कमर को धीरे-धीरे गोल गोल घुमाते हुए शालु कहती है..

शालु- हाँ पापा...!! मैं 'चौकड़ी ड्यूटी' करुँगी ससुराल में.....आह्ह्ह...!!

गुंज़न- कैसे करेगी मेरी बन्नो 'चौकड़ी ड्यूटी' जरा वो भी तो बता...

शालु- (मस्ती में) एक आगे, एक पीछे...आह...!! और दो मेरे मुहँ पर...आह्ह्ह्हह्ह....!!
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अपनी बेटी के मुहँ से ऐसी बात सुन कर धर्मवीर को जोश आ जाता है. वो एक बार अच्छे से शालु की बूर को चाट लेते है फिर गुंज़न को उठ कर उनसे चिपक जाने का इशारा करते है. शालु भी वो इशारा समझ जाती है और एक तरफ खड़ी हो जाती है. गुंज़न अपने दोनों पैरों से धर्मवीर की कमर को कास लेती है और अपनी दोनों बाहें उनके गले में डाल देती है.
धर्मवीर वैसे ही गुंज़न को जकड़े हुए बिस्तर पर खड़े हो जाते है. धर्मवीर का लंड अब भी गुंज़न की गांड में धंसा हुआ है और गुंज़न उनसे लिपटी हुई है. अपने कमर को हिलाते हुए धर्मवीर गुंज़न को गोद में उठाये उसकी की बूर की चुदाई करते हुए पास की खिड़की तक जाते है. खुली हुई खिड़की से बाहार देखते हुए धर्मवीर है

धर्मवीर - बहु...जरा बाहर देखो तो...कोई हट्टा-कट्ठा मर्द दिख रहा है?

गुंज़न बाबूजी का इशारा समझ जाती है. वो सर घुमा के खिड़की से बाहर देखने लगती है. सड़क के उस पार उसे ३-४ हट्टे-कट्ठे मर्द दिखाई देते है जो एक छोटी सी दूकान पर चाय की चुस्की ले रहे है. गुंज़न एक बार अच्छे से उन मर्दों को देखती है फिर सर धर्मवीर की तरफ घुमा के अपने ओंठ काट लेती है. धर्मवीर गुंज़न का इशारा समझ जाते है और अपने लंड गांड से निकाल कर एक जोर के झटके से गुंज़न की चुत में ठेलते हुए बाबूजी कहते है.

धर्मवीर- आह्ह्ह...!! तो मेरी बहु को ३-४ मोटे लंड चाहिए वो भी एक साथ...बहुत गरम है मेरी बहुरानी...
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धर्मवीर गुंज़न वैसे ही गोद में उठाये कमरे में चलते हुए चोदने लगते है. गुंज़न भी अपनी टाँगे बाबूजी की कमर में लपेटे हुए और बाहों को उनके गले में डाले लंड पर उच्छल रही है. शालु ये नज़ारा आँखे फाड़-फाड़ के देख रही है. भाभी की वो 'डबल ड्यूटी', पापा की वो 'चौकड़ी ड्यूटी' और 3-4 मर्दों से चुदवाने वाली बात ने शालु की बूर में आग लगा थी.

शालु- मुझे आपका लंड अपनी चूत में चाहिये पापा …जल्दी से पेल दो मेरी चूत में!”

धर्मवीर ने भी शालु की बात मानते हुए गुंज़न को नीचे उतार के शालु को अपनी गोद में ले लिया और शालु की चुत मे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. पहले धीरे धीरे फिर रफ़्तार बढ़ा दी. शालु भी धर्मवीर धक्कों का जवाब अपनी चूत से देने लगी. फिर धर्मवीर किसी वहशी की तरह उसकी चूत मारने लगा. लंड को पूरा बाहर तक खींच कर फिर पूरी ताकत से उसकी चूत में पेलने लगा.शालु धर्मवीर हर धक्के का जवाब वो पूरे लय ताल से अपनी कमर उचका उचका के देने लगी.चुदाई की फच फच की मधुर आवाजें और शालु के मुंह से निकलती संतुष्टिपूर्ण किलकारियाँ

शालु …“पापा जी… अच्छे से कुचल डालो इस चूत को आज!”“

धर्मवीर - हां बेटा, ये लो… और लो… अदिति मेरी जाऽऽऽन!”

शालु- आःह पापा जी…मस्त हो आप. फाड़ डालो मेरी चूत को… ये मुझे बहुत सताती है बहुत ही परेशान करती रहती है. आज इसकी अच्छे से खबर लो आप!
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पापा मैं गयी...........आपकी बेटी झड़ रही है मैं गयी और तेज तेज चोदो पापा..........कस कस के पेलो मेरी
चुत....कितना अच्छा है आपका लंड......

धर्मवीर का लंड तड़बतोड़ शालु की बूर चोदे जा रहा था,
शालु सीत्कारते हुए जोर जोर हाय हाय करते हुए अपने पापा से लिपटी झड़ने लगी, धर्मवीर को अपनी बेटी की बूर के अंदर हो रही हलचल साफ महसूस होने लगी, कैसे नीलम की बूर की अंदरूनी दीवारें बार बार सिकुड़ और फैल रही थी, काफी देर तक शालु बदहवास सी सीत्कारते हुए धर्मवीर से लिपटी झड़ती रही।धर्मवीर तेज तेज धक्के लगते हुए शालु की बूर चोदे जा रहा था, वह बड़े प्यार से चोदते हुए अपनी बेटी को दुलारने लगा, इतना मजा आजतक जीवन में शालु को कभी नही आया था,
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शालु ने राहत की साँस ली….और धर्मवीर के उपर से उतर गई और धर्मवीर तेज़ी से गुंज़न को डॉगी स्टाइल में कर दिया और अपने लंड और गुंज़न की चुत के छेद ठूस देता है
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धर्मवीर अपनी कमर को पीछे करते हुए लंड गुंज़न की चुत से बाहर निकाल लेते है और फिर से अपनी कमर को झटका देते हुए लंड को फिर से चुत में ठूँस देते है.

धर्मवीर- जल्द ही खुशखबरी दो बहु....ओह......!!

धर्मवीर की इस बात पर शालु झट से बोल पड़ती है...

शालु -पापा..!! आप ही भर दीजिये ना भाभी की गोद...राकेश भैया तो कुछ कर ही नहीं पाए.

शालु की बात सुन कर धर्मवीर -बोलो बहु...!! अपने बाबूजी का बच्चा पेट में लोगी? माँ बनोगी अपने ससुर के बच्चे की?

गुंज़न - (बाबूजी को देखते हुए, तेज़ साँसों से) हाँ बाबूजी...!! मेरी कोंख मैं अपना बच्चा दे दीजिये. बना दीजिये मुझे अपने बच्चे की माँ....

गुंज़न की बात सुनते ही धर्मवीर जोश में आ जाते है. गुंज़न की जाँघों को पकड़ कर वो उसकी बूर में लंड ठूँस कर उसकी जम कर चुदाई करने लगते है. लगातार धक्को ने गुंज़न की चूत के ज्वाला मुखी को जगा दिया और उसमे से काम रस का लावा बाहर आने लगा और गुंज़न की कमर ने 4-5 बार झटके खाए और वो झड गयी एक मिनट से भी कम समय में 15-20 धाके मारने के बाद धर्मवीर भी अपनी कमर कस कर गुंज़न की गांड के बीच दबा देते है. उनके लंड से गाड़ा सफ़ेद पानी किसी बाढ़ की तरह गुंज़न की बच्चेदानी में बहने लगता है.कुछ पानी चुत से निकल रहा था जिसे गुंज़न अपने हाथों से उठा कर चाट जाती हैं
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तभी धर्मवीर को घर का गेट खुलने की आवाज़ आती है और वो धीरे-धीरे बाहर की जाने लगते है
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गुंज़न बाहर रामलाल के पास आती है

गुंज़न -पापा आप फ्रेश हो जाईये बाथरूम उधर है मैं तबतक आपका सामान लगा देती हूँ अपने कमरे में आप मेरे पास ही रहेंगे जितने दिन के लिए भी।

रामलाल - नहीं नहीं बेटी।। मैं गेस्ट रूम में रह लूंगा। तुम अब तक अकेली सोती थी न तो तुम्हे परेशानी होगी।

गुंज़न - नहीं पापा आप मेरे साथ रहेंगे। हाँ मैं रोज़ अकेली अपने कमरे में। लेकिन अभी आप आये हैं तो आप के साथ टाइम बिताऊँगी

गुंज़न ने आगे बढ़ कर अपने पापा को हग कर लिया, रामलाल भी अपनी बेटी के छूते हुये अपना एक हाथ उसकी नंगी कमर पे टीका दिए और कस के लिपट गये। धर्मवीर वहाँ खड़ा सब देखता रहा बाप-बेटी इतना कस के एक दूसरे से सटे थे की गुंज़न की बूब्स उसके पापा से अच्छे से दब रहे थे और रामलाल अपनी बेटी के जाँघ सहलाने के साथ साथ उसे दबा के भी मजा ले रहे थे।

बाप-बेटी के इस वर्ताव से धर्मवीर को कोई प्रॉब्लम नहीं था, बल्कि धर्मवीर को जाने क्यों गुंज़न और उसके पापा को साथ-साथ देख मजा आ रहा था। धर्मवीर जाने क्यों गुंज़न को
उसके पापा के साथ चुदते हुए देखना चाहता था।

रामलाल - अच्छा बेटी चलो मैं फ्रेश हो कर आता हू।

गुंज़न - जी पापा मैं आपके सामान को टेबल और कपबोर्ड में लगा देती हू।

रामलाल - ओके बेटी

गुंज़न रामलाल का सूटकेस खोलने लगी।।

गुंज़न - बाबूजी इधर आईए न जरा मदद करेंगे मेरी सूटकेस खोलने में?

धर्मवीर - हाँ बहु ये लो खुल गया।।

गुंज़न - मैं ये सब सामान कपबोर्ड में लगा देती हूँ अरे ये साइड में क्या आवाज़ कर रहा है देखिये तो।।

धर्मवीर - बहु ये तो कोई मैगज़ीन है।। रुको निकालता हूं

धर्मवीर ने जब मैगज़ीन बाहर निकाला तो वो एक पोर्न मैगज़ीन थी।। जिसके कवर पेज पे एक लड़की लंड चूस रही थी धर्मवीर ने गुंज़न को दिखाया।

धर्मवीर - ये देखो बहु, तुम्हारा पापा ने सूटकेस में ये मैगज़ीन छुपा के रखी है।।

गुंज़न - ओह माय गोड़। पापा ये सब?

धर्मवीर - क्यों नहि।। और ये देखो बहु ये इन्सेस्ट मैगज़ीन है। ये ऊपर लिखा है डॉटर लव्स टू सक।। मतलब बेटी को लंड चुसना पसंद है।। आखिर तुम्हारे पापा ऐसे मैंगज़ीन क्यों पढेंगे वो भी बाप - बेटी के सेक्स रिश्ते के बारे में।

गुंज़न ने मैगज़ीन धर्मवीर से ले लिए और आश्चर्य से देखने लगी।। जब उसने मैगज़ीन अंदर खोला तो हैरान रह गई।। अंदर कई मॉडल के फोटो पे दाग लगे थे।

गुंज़न - बाबूजी।। ये मैगज़ीन पे हर लड़की के फोटो पे दाग कैसे।। जैसे कुछ गिरा हो।

धर्मवीर - बहु ये मुट्ठ के दाग है।। तुम्हारे पापा ये सब तस्वीर देख कर मूठ मारते होंगे और हर मॉडल के ऊपर अपना मुट्ठ गिराया है।।

गुंज़न - (२ पन्ने और पलटते हुए। ) आआह्ह्।। ये गिला चिपचिपा सा।।।

धर्मवीर - क्या हुआ बहु?

गुंज़न - बाबूजी ये देखिये न एक फोटो पे ये गिला गिला है।। चिपचिपा सा।।

धर्मवीर - ये तो मुट्ठ ही है बहु, वो भी ताजा।।

गुंज़न - इसका मतलब क्या पापा ने अभी इस फोटो पे मुट्ठ मारे हैं?

धर्मवीर - हाँ बहु और कौन करेंगा।। ये तुम्हारे पापा का ही मुट्ठ है।।

गुंज़न - आप इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हैं?

धर्मवीर - मुझे आदमी के सेक्सुअल जरुरत मालूम है ये मुट्ठ ही है, यकीन न आये तो चाट के देख लो नमकीन सा टेस्ट होगा

गुंज़न - छी: बाबूजी।। अगर आप सही कह रहे होंगे तो क्या मैं अपने पापा का मुट्ठ चाटूँगी ??

धर्मवीर - अरे बहु कोई बात नही।। तुमने मेरा भी तो मुट्ठ पिया है कितनी बार।। चाट के देख लो।।

गुंज़न- (मुट्ठ को स्मेल करती हुई।। चाट लूँ सच्ची? )

धर्मवीर - हाँ बहु।।

धर्मवीरके हाँ कहते ही गुंज़न जीभ लगा कर मुट्ठ चाटने लगी।

गुंज़न - ओह बाबूजी आप सच कह रहे हैं ये तो मुट्ठ का ही टेस्ट है।।

धर्मवीर - और चाट लो बहु।।

गुंज़न आँखे बंद कर मस्ती में अपने पापा का मूठ चाट गई

धर्मवीर - ओह बहु।। लगता है तुम्हे अपने पापा के लंड का मुट्ठ बहुत पसंद आया।।

गुंज़न - छी: बाबूजी आप भी न।। मैं तो बस कन्फर्म करने के लिए चाटी।।

धर्मवीर - काश तुम समधी जी का लंड चाटती तो वो तेरे मुह में ही अपना मुठ छोड़ देते।।

गुंज़न - ओह बाबूजी ये आप क्या कह रहे है।। मैं अपने पापा का लंड चूसूंगी।।

धर्मवीर - कोई बात नहीं बहु।। सेक्स के जरुरत में रिश्ता नहीं देखा जाता। और तुम्हारी उभरी हुई निप्पल बता रही है की तुम ये सोच कर बहुत एक्साईटेड हो गई हो।।

गुंज़न - बाबूजी।। चुप रहिये आप भी न।।

धर्मवीर - मेरा यकीन करो बहु।। अगर समधी जी के पास तुम्हारी फोटो होती तो वो अबतक दूसरे लड़कियों पे अपना मुट्ठ बर्बाद नहीं करते।। बल्कि सारा दिन तुम्हारी फोटो पे ही मुट्ठ मारा करते।।

गुंज़न - बस करिये न बाबूजी।

धर्मवीर - बहु इससे पहले की समधी जी देखें मैगज़ीन वापस रख दो।

गुंज़न - ओके बाबूजी।।

गुंज़न ने मैगज़ीन वापस रख दिया और फिर कमरे से बाहर
किचन में चलि गई। रामलाल भी बाथरूम से बाहर आये और अपने कपडे चेंज कर डाइनिंग हॉल में चले गए।


दोपहर 2 बजे रामलाल और धर्मवीर हॉल मे बैठ कर बात कर रहे थे और गुंज़न किचन में काम कर रही थी तभी धर्मवीर किचन में पहुच कर गुंज़न को पीछे से पकड़ लिया, उसकी खुली नाभि को छूने लगा और उसकी पीठ को चाटने लगा। धर्मवीर का खड़ा लंड गुंज़न के मादक गांड में दबने लगा।

गुंज़न - बाबू जी ये क्या कर रहे हैं आप? पापा देख लेंगे।

धर्मवीर ने गुंज़न की बात अनसुनी कर दी, उसे किचन के दिवार में चिपका दिया और उसके पल्लू को खीच नीचे कर दिया। फिर पगलों की तरह उसकी गरम पेट में मुह मारने लगा।। अपने जीभ को गुंज़न के नाभि में डाल दिया। गुंज़न सिसकारी मारने लगी धर्मवीर ने अपना एक हाथ आगे कर
गुंज़न की साड़ी को ऊपर उठा दिया,ओर अपनी ऊँगली गुंज़न की चुत में घुसा दिया। गुंज़न एकदम से चौंक गई।धर्मवीर लगतार गुंज़न के चुत में ऊँगली पेलता रहा। अब तक गुंज़न की बुर से पानी छुटने लगा था ।

धर्मवीर ने अपने राइट हैंड से अपना लंड बाहर निकाल के
गुंज़न के गांड से सटा दिया। धर्मवीर पगलों की तरह गुंज़न को चोदना चाहता था, धर्मवीर को न जाने क्या हो गया धर्मवीर रामलाल का बिना ख्याल किये किचन में ही गुंज़न के ब्लाउज और ब्रा में हाथ डाल कर उसके सर के ऊपर से निकाल दिया। गुंज़न की दोनों चूचियां आज़ाद हो कर बाहर लटकने लगी। धर्मवीर गुंज़न को पकड़ा और उसके होठों पे अपने होठ रख दिए, गुंज़न की साँस तेज़ चल रही थी। धर्मवीर अपने दोनों हथेलियों में गुंज़न की भारी बूब्स को पकड़ लिया और उसे कस-कस के दबाने लगा।

गुंज़न के मुह से टीस उठने लगी, वो भी उत्तेजित होकर अपना सब्र खो रही थी। वो अपने होठ धर्मवीर के मुह के अंदर ड़ालते हुए अपने हाथों से धर्मवीर के हाथ पकड़ बूब्स को जोर-जोर से रगड रही थी। लेकिन गुंज़न को इस बात का ख्याल था की कहीं पापा ये सब देख न ले।

गुंज़न - बाबूजी।। पापा देख लेंगे प्लीज छोड़ दिजिये

गुंज़न - ले बहु पहले मेरे लंड को अपने हाथ में तो ले।

धर्मवीर ने गुंज़न का हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया

गुंज़न - बाबूजी यहाँ किचन में?

धर्मवीर - क्या हुआ बहु जब तुम सुबह मेरा लंड चूस सकती हो तो यहाँ क्यों नहीं? चलो मेरा लंड सहलाओ और अपने मुह में ले कर चुसो

गुंज़न - ठीक है बाबूजी लेकिन जल्दी निकालिये अपना माल।

गुंज़न धर्मवीर का लंड पकड़ के मुट्ठ मारने लगी और
धर्मवीर अपने हाथ से उसके गरम निप्पल को दबाने लगा।
गुंज़न भी मस्ती में अपनी आँख बंद किये तेज़ी से मुट्ठ मारने लगी।।

गुंज़न - बाबू जी मेरे निप्पल मत दबाइये मेरी चुत में पानी आ रहा है।

धर्मवीर- बहु तेरी चुत तो पहले से ही गिली है। ला तेरा भी पानी निकाल दूँ

गुंज़न - आआआअह्ह बाबूजी।। अभी नहीं रात में। चलिये अभी मैं आपके लंड का पानी निकाल देती हूँ।

ये कहते हुए गुंज़न नीचे बैठ गई और धर्मवीर के लंड को अपनी गरम मुह के अंदर ले लिया

धर्मवीर रसोई के खिड़की के पास खड़ा था और गुंज़न ठीक वहीँ पे नीचे बैठी धर्मवीर का लंड चूस रही थी। गुंज़न जोर-जोर से धर्मवीर का लंड अपने मुह में पूरा अंदर तक ले रही थी, धर्मवीर का लंड गुंज़न के लार से गिला और चिप चिपा हो गया था। गुंज़न जब-जब धर्मवीर का लंड मुह में अंदर बाहर करती चप-चाप।।। चिप-चिप।।। की आवाज़ आती। बीच-बीच में गुंज़न मज़े से उम्मम्मम्म।। आआह्ह्ह्।। मम्म्मूउ।। की आवाज़ भी निकाल रही थी। रामलाल को ये आवाज़ शायद सुनाइ दी तो पीछे मुड के बोले।।

रामलाल- अरे समधी जी आप वहां किचन में क्या कर रहे हैं?

धर्मवीर - कुछ नहीं समधी जी।। प्यास लगी थी तो पानी पीने आया था

रामलाल - ठीक है। बेटी नज़र नहीं आ रही कहीं।।

धर्मवीर - समधी जी आपकी बेटी यहीं है।। यहाँ किचन में नीचे बैठ के फ्रूट्स काट रही है

रामलाल - गुंज़न बेटी आज फ्रूट्स क्यों?

गुंज़न - (गुंज़न अपना मुह धर्मवीर के लंड से हटाते हुये बोली।) पापा वो आप बहुत सारे फल ले आए।इसलिए सोचा फ्रूट सलाद बना दुं।

रामलाल - ओके बेटी, लेकिन फ्रुट्स को पील ऑफ मत करना बेटी, सारे एपल, ग्रेवस, कुकुम्बर को बिना छिले डालना बेटी अच्छा होता है।

गुंज़न - (धर्मवीर के लंड को हाथ में पकड़ नीचे बैठे अपने पापा से बात करते हुये।) पापा आपको कौन से फल पसंद हैं? क्या-क्या डालूँ फ्रूट सलाद में?

रामलाल - बेटी।। एप्पळ, ग्रापस, ऑरेंज ये सब डालना।

गुंज़न - केला पापा केले जल्दी ख़राब हो जाते हैं डाल दूँ?

रामलाल - नहीं बेटी।। मुझे फ्रूट सलाद में केला नहीं पसंद है। उसे तुम खा जाओ।

गुंज़न - (गुंज़नधर्मवीर के लंड को अपने हाथ में पकड़ देखती हुई) पापा इस केले का छिलका बहुत पतला है।। क्या इसे भी बिना छिले खाते हैं?

रामलाल - (हँसते हुए।। ) अरे नहीं बेटी।। भला कोई केला बिना छिले खाता है?

गुंज़न - अच्छा फिर कैसे? ये केला तो नरम है।

रामलाल - बेटी।। पहले उसके छिलके को उतार दो।


गुंज़न - (धर्मवीर के लंड को मुट्ठी में ले कर, लंड के स्किन को खोल दिया।) जी खोल दिया मेरा मतलब केला छील दिया।।

रामलाल - हाँ अब खा जाओ।।

गुंज़न - (धर्मवीर के लंड को कस कर पकड़ कर) इस केले को ऐसे ही मुह में ले लूँ?

रामलाल - हाँ बेटी ले लो।

गुंज़न- उम् आह।।बहुत मज़ेदार है ये केला तो (धर्मवीर लंड को मुह में ले कर चूसने लगी)

रामलाल - बेटी केला सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। रोज़ खाना चहिये

गुंज़न - (धर्मवीर लंड मुह में लिए हुये बोली।।) उम्म्म पप।। केला बहुत मोटा है। में इस्से रोज खाऊँगी।उम।। चाप-चाप।।

गुंज़न को लंड मुह में लिए हुये अपने पापा से बात करता देख धर्मवीर के लंड का सारा पानी गुंज़न के मुँह में निकल गया। गुंज़न जोर से लंड अपने मुँह के अंदर गले तक ले ली।गुंज़न का मुह धर्मवीर के वीर्य से इतना भर गया।

कुछ देर बाद सोनू भी स्कूल से आ जाता हैं। वो घर पर सब मिलकर खाना खाते हैं

रात को 9 बजे सब खाना खाने के बाद आपस में बात कर रहे थे

गुंज़न - पापा अब सो जाइये चलिये आप थक गए होंगे।

रामलाल - हाँ बेटा ठीक है, कमरे में तो बहुत गर्मी है और तुम ये ब्लैक गाउन पहन के लेटोगी?

गुंज़न - हाँ पापा मैं तो रात को अक्सर ये पहन के सोती हूँ।

रामलाल - बेटी तुम झूठ क्यों बोल रही हो? मैं समझ सकता हूँ तुम अकेली सोती थी तो इस गर्मी में कैसे सोती होगी। तुम जो इतना स्वेट कर रही हो इसी से मुझे पता चलता है की तुम्हे इसकी आदत नही

गुंज़न - ओके पापा, आपने ठीक पहचाना।

रामलाल - तो फिर गुंज़न बेटा लाइट्स ऑफ करो और नाईट गाउन उतार कर सो जाओ।

रामलाल आज अपनी बेटी को बिना नाइटी के अपने पास चाहते थे, और गुंज़न भी बिना लाइट्स बुझाये उनके सामने अपनी नाइटी उतार खड़ी हो गई।

गुंज़न बेशरमी से अपने पापा के सामने अपनी गदराई जवानी दिखाते हुए खड़ी थी। उसकी जाँघे बहुत गोरी दिख रही थी वो अपनी पेंटी में दोनों तरफ से अँगूठा डाले खड़ी थी ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने पापा के एक इशारे पे अपनी पेंटी उतार देगी। गुंज़न ने लाइट बंद कर दी और नाईट लैंप जला कर अपने पापा को हग करके सो गई।

क़रीब १ घंटे बाद रामलाल ने अपने लंड को लेटे लेटे पजामे के ऊपर से ही रगड रहे है। गुंज़न की पीठ खुली थी जिसे देख कर रामलाल अपना लंड बाहर निकाल जोर जोर से मुट्ठ मारने लगा।वो बार बार गुंज़न के तरफ ध्यान दे रहा था की कहीं गुंज़न जग न जाए।फिर रामलाल ने धीरे धीरे गुंज़न की ब्रा खोल दिया था और उसने गुंज़न की पेंटी भी सरका दिए और तेज़ी से लंड की स्कीन ऊपर नीछे करने लगे। उनकी साँसे तेज़ होती जा रही थी और साथ-साथ हिम्मत भी। गुंज़न के तरफ से कोई हलचल न देख कर वो अपना लंड मुट्ठी में लिए गुंज़न के चेहरे के काफी क़रीब आ गए और फिर उसका सारा वीर्य गुंज़न के चेहरे पे गिर गया।

सुबह 6 बजे गुंज़न जब उठी तो उसे अपने चहेरे पर कुछ चिप चिप सा लगा। उसने सोचा राल लगी है मुह पर। और वो उठकर अपने कम में लग गई।

कुछ देर बाद रामलाल और धर्मवीर भी उठकर बहार आ गये।

धर्मवीर - गुड मॉर्निंग समधी जी।। कैसी रही रात आपकी

रामलाल - बहुत अच्छी। काफी रिलैक्स हो के सोया।

रामलाल बोले चाय पीने का मन कर रहा है बेटा गुंज़न तुम जाकर चाय बना लो । गुंज़न चाय बनाने के लिए उठी और किचन की तरफ चलने लगी, उसकी गांड के दोनों तरबूज ऐसे मटक रहे थे कि सोए हुए लंड भी खड़े हो जाए ।गुंज़न जाकर चाय बनाने लगी तभी रामलाल ने कहा इस घर में चल क्या रहा है धर्मवीर जी।

धर्मवीर - क्या में समझा नही समधी जी।

रामलाल - कल जब मे मैच के दोरान पासब् करके लौट राह थ तो गुंज़न के कमरे में खिड़की से देखा तो आप गुंज़न के मुह में अपना वो फँसा रहे थे।

धरवीर ने जैसे ही रामलाल के मुह से ये सुना वो हैरान और अचंभित रह गया । धर्मवीर सोचने लगा कि गुंज़न को चोदते हुए समधी जी ने पूरा देख ही लिया हैधर्मवीर खामोश होते हुए कुछ सोचने लगा और फिर बोलने लगा

धर्मवीर - बात दरअसल ऐसी है समधी जी कि मेरा बेटा घर कभी कभी ही आ पाता है बेचारी गुंज़न घर पर अकेली ही रहती है इसी कारण ना ही तो वो अभी तक माँ बन पाई है और अगर अकेले पन मे अगर वो बहरा कही और मर्द तलासने लगती तो घर की सारी इजत उतर जाती। इसलिय हमे चोचा की बहु को हम ही मा क्यू ना बना दु।

रामलाल ने कहा- मैं आपकी बात से सहमत हूं समधी जी।देखा जाए तो अपने घर की इज्जत को घर में ही रखा है।और मुझे इससे कोई भी शिकायत नहीं है। ऐसा कहते हुए रामलाल ने खड़े होकर धर्मवीर के कंधे पर अपना हाथ रखा।

रामलाल - वैसे बेटी आपको झेल लेगी इसकी उम्मीद बिल्कुल नही थी।

धर्मवीर ऐसी बाते सुनकर थोड़ा खुलकर बात करने के मूड में था।

धर्मवीर - नही ऐसी उम्मीद आपकी गलत थी क्योंकि गुंज़न तो मेरे जैसे दो को बराबर टक्कर दे सकती है । बस शुरू में थोड़ा दिक्कत हुई उसे।

रामलाल - अच्छा ऐसा क्या दिखा समधी जी को अपनी बहू में ।

धर्मवीर - रामलाल जी गुंज़न की जवानी जिस तरह फटने को बेताब है आप देखकर ही अंदाजा लगा सकते है कि ये बिस्तर पर हारने वाली चीज नही है । ऊपर से ही सुशील और संस्कारी दिखती है पर जब अंदर की रांड जगती है तो पिछवाड़ा उठा उठाकर पूरा लंड लेती है ।

रामलाल अपनी बेटी के बारे में ऐसी बात सुनकर गरम हो रहा था क्योंकि उसने भी देखा था किस तरह गुंज़न धर्मवीर का पूरा लंड खा गई थी।

रामलाल - अब आपकी बहु है कुछ भी कह लीजिए ।

धर्मवीर - हांजी समधी जी देखिए आगे क्या होता है वैसे मैने अपनी ताकत लगाकर बहु के अंदर बीज डाला है। में तो बोलता हु की एक बार आप भी गुंज़न की चुत को अपने माल
से भर दो फिर तो वो पक्का माँ बन जायेगी

धर्मवीर - तो बताइए समधी जी कैसा लगा मेरा प्लान।

रामलाल - प्लान तो अपने ठीक बनाया है लेकिन मुझे डर गुंज़न का है कि वो झेल पाएगी अपने पापा को या नही क्योंकि मेरा लंड भले ही आपसे थोड़ा छोटा हो लेकिन पूरे दो इंच मोटा है
कोई रीयल इंसेस्ट टब्बो लवर पिता है जो ऐसे ही अपनी बेटी को चोदना चाहता हो या उसके बारे में डर्टी बात करना पसंद करे तो मुझे इनबॉक्स में मेसेज करे। ये पूरी तरह से गोपनीय और सुरक्षित रहेगा।
 
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