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Adultery पापी परिवार की बेटी बहन और बहू बेशर्म रंडियां

The Immortal

Live Life In Process.
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words tak ho sakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. . Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writers ko Awards k alawa Cash prizes bhi milenge jinki jaankaari rules thread mein dedi gayi hai, Total 7000 Rupees k prizes iss baar USC k liye diye jaa rahe hain, sahi Suna aapne total 7000 Rupees k cash prizes aap jeet shaktey hain issliye derr matt kijiye or apni kahani likhna suru kijiye.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 28th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.


Rules Check karne ke liye is thread ka use karein — Rules & Queries Thread

Contest ke regarding Chit Chat karne ke liye is thread ka use karein — Chit Chat Thread



Prizes
Position Benifits
Winner 3000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3000 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

Hkgg

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अगली सुबह 7 बजे सभी नास्ता कर रहे थे नास्ता करने के
बाद सोनू अपने स्कूल चला गया और बाकी तीनों बात करने
लगे तभी रामलाल ने अपनी जेब से गुंज़न की फोटो निकाली जो कल उसने अपनी जेब में रखली थी

जब रामलाल ने फोटो देखी तो जोर जोर से हंसने लगे

गुंज़न - क्या हुआ पापा?

रामलाल - ये तुम सोफ़े पे क्या कर रही हो? खुद ही देखो।

गुंज़न उस फोटो में सोफ़े पे बिलकुल नंगी सिर्फ पेंटी पहने बैठी थी

गुंज़न - ओह पापा क्या है आप भी न, अब मत देखिये मेरी फोटो।

रामलाल - हाँ लेंकिन बताओ तो तुम ये क्या कर रही हो?

गुंज़न- वो मेरी पेंटी ट्रांसपेरेंट थी न तो जब मेरे हस्बैंड फोटो ले रहे थे तो मैं शर्म से अपना वो छुपा ली थी।

रामलाल - ओह मुझे लगा।।।

गुंज़न - क्या लगा?

रामलाल - मुझे लगा की घर पे कोई है नहीं और तुम एक्साईटमेंट में अपने वहां पर ऊँगली कर रही हो।

गुंज़न - छी: पापा, मैं ये सब नहीं करती ?

रामलाल - तो कौन करता है बेटी? तुम्हारे ससुर जी?

गुंज़न - पापा प्लीज फिर से आप????

एक जवान बहु के अपने ससुर और अपने पापा के साथ इस तरह की गन्दी बातें करते देख ।

रामलाल - बेटी ये फोटो मुझे चहिये।।

गुंज़न - क्यों पापा?

रामलाल- क्योंकि इस फोटो में तुम्हारी जाँघे बहुत मोटी और अच्छी लग रही है। और तुम्हारे बूब्स आआअह्ह्ह्ह कितने सॉफ्ट दिख रहे है।।

रामलाल ने अपने लंड को पेंट के ऊपर से दबाते हुए कहा)

गुंज़न - क्या हुवा पापा, आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?

रामलाल - आहः।। बेटी।।

इस बार रामलाल ने अपने खड़े लंड को साफ़ अपनी बेटी के सामने पकड़ते हुए उसका नाम लिया

गुंज़न - पापा क्या हुआ आपको?

रामलाल- बेटी काश तुम इस फोटो में पेंटी नहीं पहनी होती।।।। आह।।।।यह बेटी।। तुम्हारी।। ओ।।। उमं

गुंज़न - क्या पापा? आप मुझे बिना पेंटी के देखना चाहते हैं?

रामलाल- हाँ बेटी मैंने तुम्हारी जैसी जवान खूबसूरत और गदराई स्त्री नहीं देखी। आह।।दमाद जी कितने लकी है।
सरोज - ओह पापा।। मुझे शर्म आ रही है।। अगर मैं इस फोटो में पैंटी नहीं पहनी होती तो आप क्या करते?

गुंज़न - मत पूछो बेटी मैं नहीं बोल सकता

गुंज़न - बोलिये न पापा।। प्लीज मुझे जानना है।।।

रामलाल- नहीं बेटी।। मैं नहीं बोल सकता मुझे माफ़ करो।।

धर्मवीर गुंज़न के गाल सहलाकर बोला-बहु रामलाल जी
का तुम पर दिल आ गया है। वो तुम्हारी बुर और गाँड़ देखना चाहता है। दिखा दो ज़रा। अपनी पैंटी नीचे करो।

गुंज़न- क्या बाबूजी छी मुझे शर्म आ रही है।

धर्मवीर- अरे मेरी रँडी बहु, जैसा कह रहा हूँ करो, पैंटी नीचे करो।

रामलाल- नहीं बेटी।।

पर गुंज़न ने एक झटके में अपनी कुर्ती और सलवार का नाडा खोल दिया। नाडा खुलते ही गुंज़न अपने पापा के सामने सिर्फ एक ग्रीन कलर की पेंटी और ब्रा में खड़ी थी।

गुंज़न की मांसल जाँघे और बड़े मादक कुल्हे देख कर रामलाल और धर्मवीर दोनों की हालत ख़राब हो रही थी

रामलाल - नहीं बेटी ये तुम क्या कर रही हो। तुम मेरी बेटी हो

गुंज़न - आप जबतक मेरे सवाल का जवाब नहीं देते मैं आपकी कोई बात नहीं मानुंगी।

ये कहते हुए गुंज़न ने अपनी ब्रा उतार कर फेंक दी। दूसरे ही पल अपनी गदराई जाँघो से खिसकते हुये उसने अपनी पेंटी खोल दी

गुंज़न - ये लिजीये पापा खोल दी मैंने अपनी पैंटी। क्या आप अब भी नहीं बताएँगे?

रामलाल - ओह बेटी तुम्हारी चूत देख मैं मुट्ठ मार लेता।

गुंज़न - क्या? तो लिजीये मैं आपके सामने अपनी चूत खोले खड़ी हूँ लेकिन आप तो कुछ नहीं कर रहे।

धर्मवीर- बोलो मस्त फूलि हुई है ना इसकी बुर ?

रामलाल- हाँ यार बहुत सुंदर है। फिर वह हाथ बढ़ाकर
गुंज़न की बुर को सहलाने लगा।

रामलाल सच में यार मस्त चिकनी बुर है चोदने में बहुत मज़ा आएगा। फिर वह उसको सहलाया और दो ऊँगली अंदर डालकर बोला: आह मस्त टाइट बुर है। अब वो उँगलियाँ निकाल कर चाटने लगा।

धर्मवीर- चल साली रँडी अब पलट कर अपनी गाँड़ दिखाओ
अपने पापा को , वो बहुत मस्ती से तुम्हारी गाँड़ मार कर तुमको मज़ा देंगे।

गुंज़न ने बिना देरी किये अपने पापा का खड़ा लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी।।

गुंज़न- ओह पापा क्या ये मुझे देख कर खड़ा है?

रामलाल - हाँ बेटी तुम्हे नंगा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया है।।

गुंज़न अपने घूटने पे बैठ गई और रामलाल का पेंट खोल दी। बाहर निकलते ही रामलाल का लंड खड़ा होकर गुंज़न के होठ के पास तना था गुंज़न बिना देरी किये अपने पापा का खड़ा लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी।।

गुंज़न ने अपने पापा के लंड की स्किन नीचे कर खोल दी उनके लंड से महक आ रही थी, गुंज़न अपनी नाक लंड पे रगडने लगी।।

गुंज़न - ओह पापा आपका लंड कितना अच्छा महक रहा है।।मैं इसे चुसना चाहती हूँ पापा।। और फिर गुंज़न ने अपने पापा का लण्ड अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी
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धर्मवीर वहां थोड़ी दूर पे खड़ा ये सब देख रहा था बेटी को अपने पापा का लंड चुसता देख भला कैसे खुद को रोक पाता और धर्मवीर ने अपना लंड बाहर निकाल कर मसलने लगा।
रामलाल ने उसे लंड मसलते हुए देख लिया।

रामलाल - वो देखो बेटी तुम्हारी बड़ी गांड देख के समधी जी अपना लंड सहलाने लगे ।

गुंज़न - ( अपने पापा का लंड मुह से बाहर निकालते हुये बोली) पापा तो फिर मैं ऐसा करती हूँ बाबूजी जी का लंड चूस कर माल निकाल देती हूँ फिर आपका लण्ड चूसुंगी।

रामलाल - ठीक है बेटी तबतक तुम मुझे अपनी चूत का पानी ही पीला दो।

गुंज़न- (अपने पापा का बाल पकड़ कर अपनी चूत की तरफ का रास्ता दिखाया) आईए पापा पी लिजीये अपनी बेटी का बुर। बुर चाट कर अपनी बेटी का सारा पानी निकाल दिजिये पापा। आआअह्ह्ह्हह मुझे बहुत मज़ा आ रहा है पापा।। आपकी जीभ को अपनी चूत में लेने में।। आआह्ह्।।।

रामलाल गुंज़न की चुत चाटने लगे और अब धर्मवीर खड़े हुआ और पूरा नंगा हो गया।उसका लौड़ा बहुत कड़ा होकर ऊपर नीचे हो रहा था। वह लौड़ा गुंज़न के मुख के पास लाया और गुंज़न ने बिना देर किए उसे चूसना शुरू कर दिया।कुछ देर बाद रामलाल भी खड़ा हुआ और नंगा होकर अपना लौड़ा गुंज़न के मुँह के पास लाया। वह अब उसका भी लौड़ा चूसने लगी। अब वह बारी बारी से दोनों का लौड़ा चूस रही थी।

रामलाल - चलो बेटी, बिस्तर पर चलो और डबल चुदाई का मज़ा लो।

अब तीनो नंगे ही बिस्तर पर आकर लेटे। गुंज़न पीठ के बल लेटीं थी और दोनों मर्द उसकी चूचि पी रहे थे। उनके हाथ उसकी बुर और जाँघ पर थे। गुंज़न ने नीचे देखा कि कैसे उसके पापा और ससुर उसकी एक एक चूचि चूस रहे थे। वह दोनों के सिर में हाथ फेरने लगी।दोनों मर्द अब उसकी निपल को अपने होंठों में लेकर हल्के से दाँत से काट भी रहे थे। गुंज़न मज़े से आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह करने लगी। उधर दोनों के हाथ उसके पेट से होकर उसकी जाँघ पर घूम रहे थे। वह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करने लगी। दोनों की उँगलियाँ उसकी बुर के आसपास घूम रही थीं। वह अब अपनी गीली बुर की असहनीय खुजली को महसूस कर रही थी।तभी गुंज़न ने भी उनका लौड़ा एक एक हाथ में लेकर सहलाना शुरू किया था। उग्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त मोटे और बड़े लौड़े थे। वह सोची कि आज की चुदाई उसे हमेशा याद रहेगी।

फिर रामलाल और धर्मवीर अग़ल बग़ल लेट गए और वह उठकर दोनों के लौड़े चूसने लगी। फिर वह उनके बॉल्ज़ को सहलाते हुए चाटने लगी,

रामलाल उठा और नीचे जाकर उसकी बुर और गाँड़ चाटा और बोला- बेटी मुझसे रहा नहीं जाता अब, मैं तुम्हे चोदना चाहता हू।

गुंज़न - हाँ पापा चोदीए आज आप अपनी बेटी को चोदीये। मैं बहुत प्यासी हूँ पापा चोदीये मुझे

गुंज़न ने बिस्तर पे लेटी अपनी टाँग फैला दी।। और अपनी गिली चूत की तरफ इशारा किया

रामलाल - बेटी तुम्हारी बड़ी गांड देख कर सबसे पहले मेरा लंड खड़ा हुआ तो मैं पहले तुम्हारी गांड मारूँगा।। उसके बाद चूत।

ये कहते हुये रामलाल ने अपना लंड गुंज़न की गांड में डाल दिया गुंज़न र्द से काँप गई लेकिन रामलाल अपनी बेटी को गांड में पेलने लगे।

रामलाल - देखो बेटी पूरा चला गया तुम्हारी टाइट गाँड़ में। आऽऽहाह मज़ा आ गया। फिर वह धक्के मारने लगा।

रामलाल क्यूँ बेटी मज़ा आ रहा है.अकेले धर्मवीर से चुदने में मज़ा है या दोनो से.वो चुप ही रही और लंबी लंबी साँसे लेती रही.रामलाल फिर बोले एक बात बताओ तो सही अगर सही बता दोगि तो हम और प्रयास करके तुमको खूब मज़ा देंगे

तभी धर्मवीर बोला अच्छा लगा हां या ना कुछ तो बोलो
बहू.
गुंज़न धीरे से बोली हां.

धर्मवीर फिर बोले - अच्छा या बहुत अच्छा.

गुंज़न इस पर मुस्कुरा दी तो धर्मवीर बोले मैं समझ गया लेकिन तुम साथ दोगी तो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा.बोलो दोगी साथ.चाहिए खूब मज़ा,गुंज़न ने हां में सिर हिला दिया.

तो धर्मवीर ने खीचकर अपने ऊपर कर लिया तो गुंज़न भी धर्मवीर के लौड़े पर अपना बुर रखकर बैठी और उसका लौड़ा अपनी बुर में धीरे धीरे अंदर करने लगी। अब वो आऽऽऽऽहहह कहती हुई पूरा लौड़ा अंदर कर ली। अब रामलाल उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ दबाने लगा।

गुंज़न अब धर्मवीर के उपर घुड़ सवारी कर रही थी.धर्मवीर ने गुंज़न को पेलते हुए रामलाल की तरफ इशारा किय जिसे देख गुंज़न रुक गयी और बोली- नही एक साथ नही.इस पर
रामलाल बोले अच्छा ये बताओ मैने तुम्हें दर्द होने दिया,बोलो.

गुंज़न- नही,

रामलाल - फिर विश्वास करो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा

गुंज़न- प्लीज़ रहने दो,बाबूजी का बहुत मोटा है,मुझे दर्द होगा

रामलाल - क्यूँ जब धर्मवीर आगे से लेते हैं तो दर्द नही होता.

गुंज़न - बाबूजी के उससे दर्द नही होता,उनका आपसे कम मोटा है.

रामलाल ने उसे मनाने; के लिए तरीका अपनाया ओर बोला अच्छा अगर ऐसा है तो अपने ससूर से ही करा लो.वो बोली ठीक है

धर्मवीर -बहु थोड़ा बहुत दर्द झेलकर तुम हम दोनो का लंड एकसाथ ले ही लेगी.

धर्मवीर- रामलाल जी अब शुरू भी करो

धर्मवीर के बोलते ही रामलाल ने अपनी रंडी बेटी की गान्ड पर लंड रखा तो

गुंज़न - पापाजी आराम से करना.

रामलाल - क्यूँ बेटी अपने पापा पर भी भरोसा नही. बेटी मैं आराम से करूँगा.

लेकिन रामलाल जैसे ही गुंज़न की गान्ड के छेद पर लंड को रखकर जैसे ही थोड़ा अंदर किया वो चिल्लाई आआआआआआआअ और धर्मवीर की पकड़ से छुटकर उठने की कोशिस करने लगी.

धर्मवीर बोले- रामलाल जी आराम से करो आपकी ही बेटी है.

गुंज़न- पापा आप बहुत ज़ोर से घुसाते हो धीरे से करो.

रामलाल - इससे आराम से कैसे होगा..

रामलाल ने दुबारा से उसके छेद पर लंड रखा.इस बार

धर्मवीर ने रामलाल की तरफ़ आँख मारकर इशारा किया.
रामलाल समझ गया कि वो बोल रहा है कि झटके से डाल दो.
रामलाल ने वैसा ही किया निशाना लगाया और एक दम सारा लंड अंदर.गुंज़न काँप गयी और चिल्लाने लगी आआआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.मुझे छोड़ूऊऊऊऊऊऊ,

धर्मवीर- रामलाल जी थोड़ा धीरे करो इतनी ज़ोर से करोगे तो लगेगी ही.

गुंज़न- पापा आप बहुत बुरे हो,आप से तो मेरे बाबूजी अच्छे है कम से कम इतनी ज़ोर से तो नही करते पहले भी आपने ऐसा ही किया था.

रामलाल- बेटी गांड में थोड़ा दर्द होता ही है,अब आराम से करूँगा

और धीरे धीरे शुरू हो गया.इस तरह से रामलाल रामलाल गुंज़न को पीछे से और धर्मवीर आगे से अपनी बहु को पेलते रहे.फिर वह धक्के मारने लगा। धर्मवीर भी नीचे से कमर उठाकर उसकी बुर फाड़ने लगा । गुंज़न इस डबल चुदाई से अब मस्त होने लगी। उसके निपल भी मसलकर लाल कर दिए थे दोनों ने।

अब गुंज़न भी अपनी गाँड़ उछालकर आऽऽऽऽऽहहह और चोओओओओओओदो आऽऽहहहह फ़ाआऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओ चिल्लाने लगी।

दोनों मर्द अब मज़े से चोदने में लग गए। गुंज़न भी अपनी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। कमरे में जैसे तूफ़ान सा आ गया। दो प्यासे अपनी अपनी प्यास बुझाने में लगे थे। पलंग चूँ चूँ करने लगा। कमरा आऽऽऽऽहहह उइइइइइइ हम्म और उन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ों से भरने लगा पलंग ज़ोर ज़ोर से हिले जा रहा था और फ़चफ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ भी गूँज रही थी।.

धर्मवीर- बेटी चोद समधी जी, अब तुम अपनी बेटी की चुत में आ जाओ, और मुझे अपनी बहू की गांड मारने दो।

इतना सुनते ही रामलाल ने अपना लंड गुंज़न की गांड से निकाल कर अपना लुंड अपनी बेटी के मुह में दे दिया और उसके मुह को चोदने लगा.कुछ देर गुंज़न के मुह को चोदने के बाद रामलाल बेड पर पीट के बल लेट जाता हैं और एक बार फिर रामलाल और धर्मवीर गुंज़न को चोदने लगे

गुंज़न के मुह से एक मदक भरी सिसकारी निकल गई। अब वो मर्दों के बीच में सैंडविच की तरह थी, और अब दोनो लड उसकी चुत और गांड के अंदर-बहार हो रहे थे।

रामलाल - आह बेटी मेरा मुट्ठ निकलने वाला है।।।
धर्मवीर - बहु मेरा भी मूठ निकलने वाला है

गुंज़न - पापा, बाबूजी जी मैं चाहती हूँ की आप दोनों अपनी रंडी बहु और अपनी रंडी बेटी के मुह पे अपना मूठ गिरायें।। मैं आप दोनों के मूठ से नहाना चाहती हूं।। प्लीज।

गुंज़न के ऐसा बोलते ही धर्मवीर और रामलाल फ़व्वारे की तरह फुट पड़े और गुंज़न के मुह बूब्स चेहरे सब पे मुट्ठ की गरम गरम बारिश कर दी।गुंज़न उतजित हो कर दोनों का मुट्ठ चाट रही थी।.

कुछ देर बाद गुंज़न बेड पर बीच मे थी और एक तरफ धर्मवीर और एक तरफ उसके पापा।कुछ देर बाद गुंज़न के फोन की घंटी बजी गुंज़न ने देखा तो शालू का फोन था.गुंज़न शालू से बात करने लगी

शालू से बात करने करते गुंज़न बहुत हैप्पी नज़र आ रही थी
 

prkin

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Welcome Back, Bhai
 

sunoanuj

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Bahut hi kamuk kahani hai … 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 

Hkgg

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शालू से बात करने के बाद गुंज़न ने धर्मवीर को बताया शालू घर वापस आ रही हैं कुछ देर में वो स्टेशन पर आने
वाली है आप को उसे लेने स्टेशन जान होगा धर्मवीर गुंज़न की बात सुनकर खुश हो जाता हैं

धर्मवीर - हा बहु ये तो बहुत खुशी की बात है मै अभी उसे लेने स्टेशन जाता हूँ

कुछ देर बाद धर्मवीर शालू को लाने के लिए घर से निकल जाता है
धर्मवीर
शालू को पिक अप करने के लिए वहाँ पहुँचा, तो वो गेट के पास खड़ी थी,और उसके पीछे दो मजनू टाइप के लड़के खड़े थे।हवा चल रही थी और उसका स्कर्ट ऊपर उड़ रही थी।वो मजनू मज़े के रहे थे, शालू की जाँघों और उसके नितम्बों को देख रहे थे।शालू अपनी स्कर्ट नीचे करने की कोशिश कर रही थी।उसकी छातियाँ भी टॉप से तनी हुई अलग से दिख रही थी।धर्मवीर ने कार शालू के सामने रोकी वो अंदर आ गयी।लड़के बोले- साला कोई पैसे वाला माल ले उड़ा।

धर्मवीर ने शालू को पूछा-ये लड़के तुमको तंग कर रहे थे?

वो बोली-पापा लड़कियों को तो ये सब झेलना ही पड़ता है, और मुस्करा दी।

धर्मवीर- असल में तुम ही इतनी सुंदर की कोई भी लड़का तुम्हारा दीवाना हो जाए, कहते हुए उसने शालू की स्कर्ट के नीचे जाँघों पर हाथ रखा और सहलाने लगा।

वो बोली- पापा आप लड़कों के साइड में हो या मेरे साइड में ।

धर्मवीर- हाहा मैं तो बस सचाई बयान कर रहा था,ज़रा स्कर्ट ऊपर करो ना, देखें कौन सी रंग की पैंटी पहनी हो?

शालू- पापा आप भी ना, बहुत शरारती होते जा रहे हो, यूँ कहते हुए उसने अपनी स्कर्ट ऊपर कर दी।

धर्मवीर ने ऊपर तक सहलाया और गाड़ी चलते हुए काँखियों से देखा और बोला-ओह ,गुलाबी चड्डी पहनी हो,और उसकी जाँघों को सहलाते हुए अपना हाथ उसकी चूत तक लेज़ाकर हल्के से दबा दिए।

शालू- पापा क्या कर रहे हो, गुदगुदी हो रही है और मेरी चड्डी गीली करोगे क्या।

धर्मवीर- क्या करूँ तुमको देखते ही मेरा खड़ा हो जाता है।ये कहते हुए अपना लंड दबाकर दिखाए।

शालू भी मस्ती में आकर उसके लंड को धोती के ऊपर से दबाने लगी। इस तरह मस्ती करते हुए वो घर पहुँचे गये

घर पर जैसे ही रामलाल ने शालू को देखा तो रामलाल के लंड को जैसे झटका लगा।उसने आज तक ऐसी लड़की नहीं देखी थी, जिसकी कमर तो पतली थी पर चुचि बड़े आम सी थी।अक्सर थोड़ी मोटी लड़की का वक्ष इतना बड़ा होता है, पर यहाँ तो शालू का सीना जैसे टॉप फाड़के बाहर आने को आतुर था।तभी शालू बोली- नमस्ते मौसाजी, कैसे हैं? लगता है आपने मुझे पहचाना नहीं, मैं शालू हूँ,

रामलाल अपने शॉक से बाहर आया और बोला- अरे बेटी, तुम कितनी बड़ी हो गयी हो, मैंने तो तुमको पहचाना ही नहीं।
कुछ देर बात करने के बाद शालू अपने कमरे मे चली गई
और उस के साथ धर्मवीर भी उसके साथ चला गया


शालू और धर्मवीर के वाह से जाते ही गुंज़न रामलाल से बोली

गुंज़न - पापा आपको शालू कैसी लगी?

रामलाल - अच्छी है बेटी, बहुत सुंदर और प्यारी है।

गुंज़न - सेक्सी नहीं है?

रामलाल - हाहा तो बदमाशी सूझ रही है?हाँ सेक्सी भी है,तुमने क्यों पूछा?

गुंज़न ने हाथ बढ़ाके उसके पैंट के ऊपर से लंड को पकड़ा और बोली- क्योंकि ये उसको देखके उछल रहा था।

रामलाल हँसते हुए बोला- हट बदमाश लड़की, क्या तेरा ध्यान पूरे टाइम इसी पर रहता है, और ऐसा बोलते हुए उसकी जाँघों को दबाने लगे,और हाथ को पैंटी तक लेज़ाकर उसकी चूत को दबा दिए।

गुंज़न - आह पापा आप तो शालू के नाम से ही गरम हो गए।और वो हँसने लगी।

अंदर जाकर शालू हँसती हुई अपने कपड़े उतार के नंगी हो गयी और फिर उसने सेक्सी काली ब्रा और पैंटी पहनी।धर्मवीर ने सोचा क्या माल दिख रही है उसका लंड कड़ा होने लगा।ब्रा में से उसके आधे दूध दिख रहे थे और पैंटी मेंसे चूत की फाँकें तक नज़र आ रही थी, और पीछे से तो उसने एक पतली सी रस्सी थी जो उसके गोल चूतरों के बीच घुसी हुई थी,और पूरा पिछवाड़ा नंगा था।उसके दूधिया गोरे रंग पर काली लिंगरी गजब ढा रही थी।धर्मवीर ने आगे बढ़कर उसके नंगे चूतरों को सहलाते हुए दबाने लगा।

शालू मुस्करा के बोली- आप मुझे कपड़े बदलने देगे कि नहीं।और ऐसा बोलते हुए उसने धर्मवीर का लंड दबा दिया।

धर्मवीर का लंड झटका मारने लगा।फिर उसने अपनी ब्रा भी खोल दी, उसके अनार और गुलाबी आधी बनी निपल्ज़ बड़े ही आकर्षक लग रहे थे। फिर वो झुक कर अपनी पैंटी भी उतार दी, और आकर धर्मवीर कि गोद में बैठ गयी।उसने अपना मुँह धर्मवीर के मुँह से जोड़ दिया।और अपनी चूत को धर्मवीर की धोती के ऊपर से लंड पर रगड़ने लगी।धर्मवीर ने उसकी चूचियाँ चूसनी शुरू की और उसके चूतरों को दबाने लगा।फिर जब वी गरम हो गयी, वो उसकी गोद से उतरी और उसकी पैंट का बेल्ट खोलने लगी, धर्मवीर ने उसको रोका और उसको सोफ़े पर बैठा दिया और उसके सामने बैठ गया।फिर उसकी टाँगें उठाकर फैलाया और उसकी चूत में अपना मुँह डाल दिया।अब वो जीभ से उसकी छेद को चाट भी रहा थाऔर उसके दाने यानी clit को भी छेड़ रहा था।शालू ने जोश मे आकर अपना हाथ उसके सर पर रखा और उसको अपनी चूत में दबाने लगी, और ख़ुद ज़ोर से कमर उछालने लगी।वो उसकी जीभ से चूदवा रही थी और आह आह करे जा रही थी, तभी धर्मवीर ने उसके निपल्ज़ को उमेठना शुरू किया, अब तो जैसे उसके शरीर में आग लग गयी।वो हाऽऽऽयय्यय पापाऽऽऽऽऽ मर्र्र्र्र्र्र्र्र गायीइइइइइइ कहके झड़ने लगी और धर्मवीर ने उसकी चूत का स्वाद पानी मज़े से पी लिया।फिर वो थकके वहीं सोफ़े पर लुढ़क गयी। फिर धर्मवीर उठा एर एक तौलिए से उसकी चूत पोछा और फिर सोफ़ा भी साफ़ किया और शालू का एक गाउन लाया और उसको पहनाकर वो उसको बिस्तर पर लिटा दिया।फिर बाथरूम में जाकर अपने कपड़े उतारकर नहाया और अपने खड़े लंड को ठंडे पानी की धार से शांत किया।फिर जब वो बिस्तर पर आया तो शालू ने पूछा- पापा आज आपने मुझे चोदा क्यों नहीं? वो बोला- बस बेटी आज तुम्हारी चूत चाटने में ही बहुत मज़ा आया।तुमको मज़ा आया या नहीं? शालू अपने पापा से लिपटते हुए बोली- आप जो भी करते हो उसमें मुझे बहुत मज़ा आता है। फिर दोनों एक दूसरे की बाहों में समा गए और धर्मवीर उसकी कमर और नितम्बों को सहलाने लगा

धर्मवीर हँसते हुए उसको छोड़ दिया और बोला- चलो तय्यार हो जाओ मैं बाहर हॉल में बैठता हूँ।थोड़ी डेर बाद शालू बाहर आइ तो रामलाल उसे देखता ही रह गया।उसके काली रंग की टॉप पहनी थी, जिसमें उसके आधे अनार दिख रहे थे।उसकी मिनी स्कर्ट से उसकी आधी से ज़्यादा जाँघें दिख रही थीं।उसने ऊँची एड़ी की सैंडल पहनी थी।वो धर्मवीर को घूम कर दिखाई।रामलाल की आह निकल गयी, उसका पिछवाड़ा बहुत सेक्सी हो गया था,सैंडल के कारण वो बाहर निकल आया था। वो फिर घूमी ,उसका भोला चेहरा,गोरा रंग,लिप्स्टिक से रंगें उसके होंठ और गले में उसकी चेनऔर कानों की सुंदर बालियाँ और पैर में झूमके, उसको बहुत सेक्सी बना रहे थे।उसने सोचा साला रामलाल तो आज गया।ख़ैर। एक आह भरके वो बोला-आज ये तुम्हारा रूप पहली बार देखा,एकदम फ़िल्मी हेरोयन लग रही हो,देखो मेरा तो पूरा खड़ा हो गया।वो बोली- पापा आपका तो हमेशा खड़ा ही रहता है,उसे तो बस खड़े होने का कोई बहाना चाहिए।फिर वो हँसने लगी और धर्मवीर ने भी उसके चूतरों को हल्के से दबा दिया।

उस के बाद वो गुंज़न के पास रसोई में चली गई

गुंज़न- बड़ी देर लगा दी,

शालू- हाँ वो अपने रूम में थी ना

गुंज़न -और तेरे पापा कहाँ है

शालू- वो भी रूम में ही थे

गुंज़न - लगता हैं बाबूजी ने आते ही काम कर दिया है

शालू - नही भाभी पापा ने कुछ नहीं किया सायद वो मौसाजी से डर रहे है

गुंज़न - नही वो पापा से क्यो डरेगे भला

शालू - तो और क्या वो मौसा जी के सामने अपनी बेटी पर चड़ जायेगे

गुंज़न - जब वो पापा के साथ मिलकर अपनी बहु पर
चड़ सकते है तो बेटी पर क्यो नहीं

गुंज़न की बात सुनकर शालू की आँखे फटी की फटी
रह गई

शालू - हँसते हुए कहने लगी भाभी एक बात कहूँ आप सच में बड़ी वो हो

गुंज़न- क्या

शालू- चुदासी

गुंज़न - जब पापा का लंड तेरी चूत और गान्ड में घुसेगा तो तू भी एक नंबर की चुदासी हो जाएगी

ये बोलकर गुंज़न ने शालू की चूचीयो को दबा दिया

शालू- भाभी प्लीज़ ऐसा मत करो मुझे कुछ होता है

गुंज़न - मेरी बाते सुन कर या हाथ लगाने पर

शालू - दोनो से

गुंज़न - तो तुझे जो होता है वह अच्छा नही लगता क्या

शालू -अच्छा लगता है पर

गुंज़न - पर क्या, जब पापा से इन मोटे मोटे आमों को दबवायेगी और चुस्वाएगी तब देखना कितना मज़ा आएगा तुझे

शालू-क्यो मौसा के दबाने से ज़्यादा मज़ा आता है क्या

गुंज़न - दबवायेगी

शालू -चौंकते हुए, किससे

गुंज़न- पहले तू बता तो, केवल दूध भर दबवाना है या फुल मज़ा लेना है

शालू- मुझे डर लगता है

गुंज़न ने शालू की फूली हुई चूत को मुट्ठी में भर कर दबोचते हुए कहा सच कह रही हूँ शालू एक दम मस्त हो जाएगी, सच बात तो यही है कि अब तुझे किसी अच्छे ख़ासे तगड़े और मोटे लंड की ज़रूरत है

शालू - मुस्कुराते हुए, तुम भी ना भाभी, यह सब बाते बंद करो में जा रही हूँ

गुंज़न -अच्छा एक बार बस बता दे करवाएगी क्या

शालू -अच्छा बाबा सोच कर बताउन्गी

गुंज़न -चल ठीक है
 
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