अगली सुबह 7 बजे सभी नास्ता कर रहे थे नास्ता करने के
बाद सोनू अपने स्कूल चला गया और बाकी तीनों बात करने
लगे तभी रामलाल ने अपनी जेब से गुंज़न की फोटो निकाली जो कल उसने अपनी जेब में रखली थी
जब रामलाल ने फोटो देखी तो जोर जोर से हंसने लगे
गुंज़न - क्या हुआ पापा?
रामलाल - ये तुम सोफ़े पे क्या कर रही हो? खुद ही देखो।
गुंज़न उस फोटो में सोफ़े पे बिलकुल नंगी सिर्फ पेंटी पहने बैठी थी
गुंज़न - ओह पापा क्या है आप भी न, अब मत देखिये मेरी फोटो।
रामलाल - हाँ लेंकिन बताओ तो तुम ये क्या कर रही हो?
गुंज़न- वो मेरी पेंटी ट्रांसपेरेंट थी न तो जब मेरे हस्बैंड फोटो ले रहे थे तो मैं शर्म से अपना वो छुपा ली थी।
रामलाल - ओह मुझे लगा।।।
गुंज़न - क्या लगा?
रामलाल - मुझे लगा की घर पे कोई है नहीं और तुम एक्साईटमेंट में अपने वहां पर ऊँगली कर रही हो।
गुंज़न - छी: पापा, मैं ये सब नहीं करती ?
रामलाल - तो कौन करता है बेटी? तुम्हारे ससुर जी?
गुंज़न - पापा प्लीज फिर से आप????
एक जवान बहु के अपने ससुर और अपने पापा के साथ इस तरह की गन्दी बातें करते देख ।
रामलाल - बेटी ये फोटो मुझे चहिये।।
गुंज़न - क्यों पापा?
रामलाल- क्योंकि इस फोटो में तुम्हारी जाँघे बहुत मोटी और अच्छी लग रही है। और तुम्हारे बूब्स आआअह्ह्ह्ह कितने सॉफ्ट दिख रहे है।।
रामलाल ने अपने लंड को पेंट के ऊपर से दबाते हुए कहा)
गुंज़न - क्या हुवा पापा, आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?
रामलाल - आहः।। बेटी।।
इस बार रामलाल ने अपने खड़े लंड को साफ़ अपनी बेटी के सामने पकड़ते हुए उसका नाम लिया
गुंज़न - पापा क्या हुआ आपको?
रामलाल- बेटी काश तुम इस फोटो में पेंटी नहीं पहनी होती।।।। आह।।।।यह बेटी।। तुम्हारी।। ओ।।। उमं
गुंज़न - क्या पापा? आप मुझे बिना पेंटी के देखना चाहते हैं?
रामलाल- हाँ बेटी मैंने तुम्हारी जैसी जवान खूबसूरत और गदराई स्त्री नहीं देखी। आह।।दमाद जी कितने लकी है।
सरोज - ओह पापा।। मुझे शर्म आ रही है।। अगर मैं इस फोटो में पैंटी नहीं पहनी होती तो आप क्या करते?
गुंज़न - मत पूछो बेटी मैं नहीं बोल सकता
गुंज़न - बोलिये न पापा।। प्लीज मुझे जानना है।।।
रामलाल- नहीं बेटी।। मैं नहीं बोल सकता मुझे माफ़ करो।।
धर्मवीर गुंज़न के गाल सहलाकर बोला-बहु रामलाल जी
का तुम पर दिल आ गया है। वो तुम्हारी बुर और गाँड़ देखना चाहता है। दिखा दो ज़रा। अपनी पैंटी नीचे करो।
गुंज़न- क्या बाबूजी छी मुझे शर्म आ रही है।
धर्मवीर- अरे मेरी रँडी बहु, जैसा कह रहा हूँ करो, पैंटी नीचे करो।
रामलाल- नहीं बेटी।।
पर गुंज़न ने एक झटके में अपनी कुर्ती और सलवार का नाडा खोल दिया। नाडा खुलते ही गुंज़न अपने पापा के सामने सिर्फ एक ग्रीन कलर की पेंटी और ब्रा में खड़ी थी।
गुंज़न की मांसल जाँघे और बड़े मादक कुल्हे देख कर रामलाल और धर्मवीर दोनों की हालत ख़राब हो रही थी
रामलाल - नहीं बेटी ये तुम क्या कर रही हो। तुम मेरी बेटी हो
गुंज़न - आप जबतक मेरे सवाल का जवाब नहीं देते मैं आपकी कोई बात नहीं मानुंगी।
ये कहते हुए गुंज़न ने अपनी ब्रा उतार कर फेंक दी। दूसरे ही पल अपनी गदराई जाँघो से खिसकते हुये उसने अपनी पेंटी खोल दी
गुंज़न - ये लिजीये पापा खोल दी मैंने अपनी पैंटी। क्या आप अब भी नहीं बताएँगे?
रामलाल - ओह बेटी तुम्हारी चूत देख मैं मुट्ठ मार लेता।
गुंज़न - क्या? तो लिजीये मैं आपके सामने अपनी चूत खोले खड़ी हूँ लेकिन आप तो कुछ नहीं कर रहे।
धर्मवीर- बोलो मस्त फूलि हुई है ना इसकी बुर ?
रामलाल- हाँ यार बहुत सुंदर है। फिर वह हाथ बढ़ाकर
गुंज़न की बुर को सहलाने लगा।
रामलाल सच में यार मस्त चिकनी बुर है चोदने में बहुत मज़ा आएगा। फिर वह उसको सहलाया और दो ऊँगली अंदर डालकर बोला: आह मस्त टाइट बुर है। अब वो उँगलियाँ निकाल कर चाटने लगा।
धर्मवीर- चल साली रँडी अब पलट कर अपनी गाँड़ दिखाओ
अपने पापा को , वो बहुत मस्ती से तुम्हारी गाँड़ मार कर तुमको मज़ा देंगे।
गुंज़न ने बिना देरी किये अपने पापा का खड़ा लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी।।
गुंज़न- ओह पापा क्या ये मुझे देख कर खड़ा है?
रामलाल - हाँ बेटी तुम्हे नंगा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया है।।
गुंज़न अपने घूटने पे बैठ गई और रामलाल का पेंट खोल दी। बाहर निकलते ही रामलाल का लंड खड़ा होकर गुंज़न के होठ के पास तना था गुंज़न बिना देरी किये अपने पापा का खड़ा लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी।।
गुंज़न ने अपने पापा के लंड की स्किन नीचे कर खोल दी उनके लंड से महक आ रही थी, गुंज़न अपनी नाक लंड पे रगडने लगी।।
गुंज़न - ओह पापा आपका लंड कितना अच्छा महक रहा है।।मैं इसे चुसना चाहती हूँ पापा।। और फिर गुंज़न ने अपने पापा का लण्ड अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी
धर्मवीर वहां थोड़ी दूर पे खड़ा ये सब देख रहा था बेटी को अपने पापा का लंड चुसता देख भला कैसे खुद को रोक पाता और धर्मवीर ने अपना लंड बाहर निकाल कर मसलने लगा।
रामलाल ने उसे लंड मसलते हुए देख लिया।
रामलाल - वो देखो बेटी तुम्हारी बड़ी गांड देख के समधी जी अपना लंड सहलाने लगे ।
गुंज़न - ( अपने पापा का लंड मुह से बाहर निकालते हुये बोली) पापा तो फिर मैं ऐसा करती हूँ बाबूजी जी का लंड चूस कर माल निकाल देती हूँ फिर आपका लण्ड चूसुंगी।
रामलाल - ठीक है बेटी तबतक तुम मुझे अपनी चूत का पानी ही पीला दो।
गुंज़न- (अपने पापा का बाल पकड़ कर अपनी चूत की तरफ का रास्ता दिखाया) आईए पापा पी लिजीये अपनी बेटी का बुर। बुर चाट कर अपनी बेटी का सारा पानी निकाल दिजिये पापा। आआअह्ह्ह्हह मुझे बहुत मज़ा आ रहा है पापा।। आपकी जीभ को अपनी चूत में लेने में।। आआह्ह्।।।
रामलाल गुंज़न की चुत चाटने लगे और अब धर्मवीर खड़े हुआ और पूरा नंगा हो गया।उसका लौड़ा बहुत कड़ा होकर ऊपर नीचे हो रहा था। वह लौड़ा गुंज़न के मुख के पास लाया और गुंज़न ने बिना देर किए उसे चूसना शुरू कर दिया।कुछ देर बाद रामलाल भी खड़ा हुआ और नंगा होकर अपना लौड़ा गुंज़न के मुँह के पास लाया। वह अब उसका भी लौड़ा चूसने लगी। अब वह बारी बारी से दोनों का लौड़ा चूस रही थी।
रामलाल - चलो बेटी, बिस्तर पर चलो और डबल चुदाई का मज़ा लो।
अब तीनो नंगे ही बिस्तर पर आकर लेटे। गुंज़न पीठ के बल लेटीं थी और दोनों मर्द उसकी चूचि पी रहे थे। उनके हाथ उसकी बुर और जाँघ पर थे। गुंज़न ने नीचे देखा कि कैसे उसके पापा और ससुर उसकी एक एक चूचि चूस रहे थे। वह दोनों के सिर में हाथ फेरने लगी।दोनों मर्द अब उसकी निपल को अपने होंठों में लेकर हल्के से दाँत से काट भी रहे थे। गुंज़न मज़े से आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह करने लगी। उधर दोनों के हाथ उसके पेट से होकर उसकी जाँघ पर घूम रहे थे। वह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करने लगी। दोनों की उँगलियाँ उसकी बुर के आसपास घूम रही थीं। वह अब अपनी गीली बुर की असहनीय खुजली को महसूस कर रही थी।तभी गुंज़न ने भी उनका लौड़ा एक एक हाथ में लेकर सहलाना शुरू किया था। उग्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त मोटे और बड़े लौड़े थे। वह सोची कि आज की चुदाई उसे हमेशा याद रहेगी।
फिर रामलाल और धर्मवीर अग़ल बग़ल लेट गए और वह उठकर दोनों के लौड़े चूसने लगी। फिर वह उनके बॉल्ज़ को सहलाते हुए चाटने लगी,
रामलाल उठा और नीचे जाकर उसकी बुर और गाँड़ चाटा और बोला- बेटी मुझसे रहा नहीं जाता अब, मैं तुम्हे चोदना चाहता हू।
गुंज़न - हाँ पापा चोदीए आज आप अपनी बेटी को चोदीये। मैं बहुत प्यासी हूँ पापा चोदीये मुझे
गुंज़न ने बिस्तर पे लेटी अपनी टाँग फैला दी।। और अपनी गिली चूत की तरफ इशारा किया
रामलाल - बेटी तुम्हारी बड़ी गांड देख कर सबसे पहले मेरा लंड खड़ा हुआ तो मैं पहले तुम्हारी गांड मारूँगा।। उसके बाद चूत।
ये कहते हुये रामलाल ने अपना लंड गुंज़न की गांड में डाल दिया गुंज़न र्द से काँप गई लेकिन रामलाल अपनी बेटी को गांड में पेलने लगे।
रामलाल - देखो बेटी पूरा चला गया तुम्हारी टाइट गाँड़ में। आऽऽहाह मज़ा आ गया। फिर वह धक्के मारने लगा।
रामलाल क्यूँ बेटी मज़ा आ रहा है.अकेले धर्मवीर से चुदने में मज़ा है या दोनो से.वो चुप ही रही और लंबी लंबी साँसे लेती रही.रामलाल फिर बोले एक बात बताओ तो सही अगर सही बता दोगि तो हम और प्रयास करके तुमको खूब मज़ा देंगे
तभी धर्मवीर बोला अच्छा लगा हां या ना कुछ तो बोलो
बहू.
गुंज़न धीरे से बोली हां.
धर्मवीर फिर बोले - अच्छा या बहुत अच्छा.
गुंज़न इस पर मुस्कुरा दी तो धर्मवीर बोले मैं समझ गया लेकिन तुम साथ दोगी तो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा.बोलो दोगी साथ.चाहिए खूब मज़ा,गुंज़न ने हां में सिर हिला दिया.
तो धर्मवीर ने खीचकर अपने ऊपर कर लिया तो गुंज़न भी धर्मवीर के लौड़े पर अपना बुर रखकर बैठी और उसका लौड़ा अपनी बुर में धीरे धीरे अंदर करने लगी। अब वो आऽऽऽऽहहह कहती हुई पूरा लौड़ा अंदर कर ली। अब रामलाल उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ दबाने लगा।
गुंज़न अब धर्मवीर के उपर घुड़ सवारी कर रही थी.धर्मवीर ने गुंज़न को पेलते हुए रामलाल की तरफ इशारा किय जिसे देख गुंज़न रुक गयी और बोली- नही एक साथ नही.इस पर
रामलाल बोले अच्छा ये बताओ मैने तुम्हें दर्द होने दिया,बोलो.
गुंज़न- नही,
रामलाल - फिर विश्वास करो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा
गुंज़न- प्लीज़ रहने दो,बाबूजी का बहुत मोटा है,मुझे दर्द होगा
रामलाल - क्यूँ जब धर्मवीर आगे से लेते हैं तो दर्द नही होता.
गुंज़न - बाबूजी के उससे दर्द नही होता,उनका आपसे कम मोटा है.
रामलाल ने उसे मनाने; के लिए तरीका अपनाया ओर बोला अच्छा अगर ऐसा है तो अपने ससूर से ही करा लो.वो बोली ठीक है
धर्मवीर -बहु थोड़ा बहुत दर्द झेलकर तुम हम दोनो का लंड एकसाथ ले ही लेगी.
धर्मवीर- रामलाल जी अब शुरू भी करो
धर्मवीर के बोलते ही रामलाल ने अपनी रंडी बेटी की गान्ड पर लंड रखा तो
गुंज़न - पापाजी आराम से करना.
रामलाल - क्यूँ बेटी अपने पापा पर भी भरोसा नही. बेटी मैं आराम से करूँगा.
लेकिन रामलाल जैसे ही गुंज़न की गान्ड के छेद पर लंड को रखकर जैसे ही थोड़ा अंदर किया वो चिल्लाई आआआआआआआअ और धर्मवीर की पकड़ से छुटकर उठने की कोशिस करने लगी.
धर्मवीर बोले- रामलाल जी आराम से करो आपकी ही बेटी है.
गुंज़न- पापा आप बहुत ज़ोर से घुसाते हो धीरे से करो.
रामलाल - इससे आराम से कैसे होगा..
रामलाल ने दुबारा से उसके छेद पर लंड रखा.इस बार
धर्मवीर ने रामलाल की तरफ़ आँख मारकर इशारा किया.
रामलाल समझ गया कि वो बोल रहा है कि झटके से डाल दो.
रामलाल ने वैसा ही किया निशाना लगाया और एक दम सारा लंड अंदर.गुंज़न काँप गयी और चिल्लाने लगी आआआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.मुझे छोड़ूऊऊऊऊऊऊ,
धर्मवीर- रामलाल जी थोड़ा धीरे करो इतनी ज़ोर से करोगे तो लगेगी ही.
गुंज़न- पापा आप बहुत बुरे हो,आप से तो मेरे बाबूजी अच्छे है कम से कम इतनी ज़ोर से तो नही करते पहले भी आपने ऐसा ही किया था.
रामलाल- बेटी गांड में थोड़ा दर्द होता ही है,अब आराम से करूँगा
और धीरे धीरे शुरू हो गया.इस तरह से रामलाल रामलाल गुंज़न को पीछे से और धर्मवीर आगे से अपनी बहु को पेलते रहे.फिर वह धक्के मारने लगा। धर्मवीर भी नीचे से कमर उठाकर उसकी बुर फाड़ने लगा । गुंज़न इस डबल चुदाई से अब मस्त होने लगी। उसके निपल भी मसलकर लाल कर दिए थे दोनों ने।
अब गुंज़न भी अपनी गाँड़ उछालकर आऽऽऽऽऽहहह और चोओओओओओओदो आऽऽहहहह फ़ाआऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओ चिल्लाने लगी।
दोनों मर्द अब मज़े से चोदने में लग गए। गुंज़न भी अपनी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। कमरे में जैसे तूफ़ान सा आ गया। दो प्यासे अपनी अपनी प्यास बुझाने में लगे थे। पलंग चूँ चूँ करने लगा। कमरा आऽऽऽऽहहह उइइइइइइ हम्म और उन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ों से भरने लगा पलंग ज़ोर ज़ोर से हिले जा रहा था और फ़चफ़च और ठप्प ठप्प की आवाज़ भी गूँज रही थी।.
धर्मवीर- बेटी चोद समधी जी, अब तुम अपनी बेटी की चुत में आ जाओ, और मुझे अपनी बहू की गांड मारने दो।
इतना सुनते ही रामलाल ने अपना लंड गुंज़न की गांड से निकाल कर अपना लुंड अपनी बेटी के मुह में दे दिया और उसके मुह को चोदने लगा.कुछ देर गुंज़न के मुह को चोदने के बाद रामलाल बेड पर पीट के बल लेट जाता हैं और एक बार फिर रामलाल और धर्मवीर गुंज़न को चोदने लगे
गुंज़न के मुह से एक मदक भरी सिसकारी निकल गई। अब वो मर्दों के बीच में सैंडविच की तरह थी, और अब दोनो लड उसकी चुत और गांड के अंदर-बहार हो रहे थे।
रामलाल - आह बेटी मेरा मुट्ठ निकलने वाला है।।।
धर्मवीर - बहु मेरा भी मूठ निकलने वाला है
गुंज़न - पापा, बाबूजी जी मैं चाहती हूँ की आप दोनों अपनी रंडी बहु और अपनी रंडी बेटी के मुह पे अपना मूठ गिरायें।। मैं आप दोनों के मूठ से नहाना चाहती हूं।। प्लीज।
गुंज़न के ऐसा बोलते ही धर्मवीर और रामलाल फ़व्वारे की तरह फुट पड़े और गुंज़न के मुह बूब्स चेहरे सब पे मुट्ठ की गरम गरम बारिश कर दी।गुंज़न उतजित हो कर दोनों का मुट्ठ चाट रही थी।.
कुछ देर बाद गुंज़न बेड पर बीच मे थी और एक तरफ धर्मवीर और एक तरफ उसके पापा।कुछ देर बाद गुंज़न के फोन की घंटी बजी गुंज़न ने देखा तो शालू का फोन था.गुंज़न शालू से बात करने लगी
शालू से बात करने करते गुंज़न बहुत हैप्पी नज़र आ रही थी