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Incest पाप ने बचाया

Sweet_Sinner

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Index

~~~~ पाप ने बचाया ~~~~

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Jangali

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Update- 50

नीलम और बिरजू एक दूसरे की बाहों में चरम सुख का आनंद लेते हुए पड़े रहे, बिरजू का लंड थोड़ा शिथिल हो गया था पर नीलम की बूर के अंदर ही घुसा हुआ था, नीलम अपने बाबू के शिथिल हो चुके लंड को महसूस कर मुस्कुरा उठी, उसको अपने बाबू के लंड पर बहुत प्यार आ रहा था, जैसे कोई छोटा बच्चा खा पीकर सो गया हो ठीक वैसे ही उसके बाबू का लंड उसकी बूर में पड़ा हुआ था।

बदल छाने लगे, अंधेरा और घना हो गया, नीलम अपने बाबू के चेहरे को अपने हांथों में थाम लेती है और बड़े प्यार से अपनी नाक उनकी नाक से रगड़ते हुए बोलती है- ओ मेरे बलमा, मजा आया, अपनी सगी बेटी को चोदके।

बिरजू- हां मेरी बिटिया, मेरी सजनी बहुत मजा आया, पर मन नही भरा अभी।

नीलम- हाय मेरे राजा, जिस बेटी से उसके पिता का मन एक ही बार में भर जाए तो उस बेटी का हुस्न किस काम का, हम्म।

बिरजू- सच, तू तो कयामत है मेरी बेटी, कयामत, तुझे मजा आया।

नीलम - बहुत बाबू....बहुत..मुझे तो बहुत मजा आया अपने बाबू का मोटा लंड अपनी बूर को खिलाकर, देखो न बाबू अभी भी मेरी बूर कैसे चुपके चुपके हौले हौले अपने लंड को चूम रही है, जैसे छोटी बच्ची मुँह में लॉलीपॉप लिए लिए सो जाती है वैसे ही देखो न मेरी बुरिया भी कैसे आपका लंड मुँह में लिए लिए सो सी रही है।
सच बाबू मुझे बहुत मजा आया, ऐसा सुख मुझे आजतक नही मिला था, बाबू आपको एक बात बोलूं

बिरजू- बोल न मेरी रानी

नीलम धीरे से कान में- बाबू आज मुझे पहली बार चरमसुख प्राप्त हुआ है

बिरजू नीलम को आश्चर्य से देखते हुए- क्या, सच में।

नीलम- हाँ, बाबू

बिरजू- क्या तेरा पति अभी तक तुझे चरमसुख नही दे पाया?

नीलम- चरमसुख लुल्ली से नही मिलता बाबू, औरत को चरमसुख तो मिलता है.....

बिरजू- बोल न, रुक क्यों गयी मेरी जान।

नीलम- चरमसुख तो मिलता है बाबू मोटे से लंड से, और आपका तो लंड भी नही है

बिरजू आश्चर्य से- फिर, अगर ये लंड नही है तो क्या है मेरी बिटिया, बता न।

नीलम- बाबू समझ जाइये न।

बिरजू- नही समझ आ रहा, तू ही बता दे।

नीलम ने थोड़ा रुककर फिर अपने बाबू के कान में सिसकते हुए बोला- आपका तो लौड़ा है लौड़ा, क्योंकि जिस तरह आपने अपनी सगी बेटी की कमसिन बूर को फाड़ा है वो एक लौड़ा ही कर सकता है, ये किसी लुल्ली के बस के नही

बिरजू अपनी बेटी के मुँह से ये शब्द सुनकर अचंभित रह गया और जोश में उसने एक धक्का खींच के बूर में मारा तो नीलम जोर से चिंहुँक पड़ी आआआआआआआहहहहहहहह!

बिरजू- तुझे मेरा लंड इतना पसंद आया।

नीलम- लंड नही बाबू लौड़ा......आह.... लौड़ा, बहुत मजेदार है मेरे बाबू का लौड़ा। मैं तो आपकी दिवानी हो गयी मेरे बाबू, आपकी सगी बेटी आपकी दीवानी हो गयी और सगे बाप का लंड किस बेटी को पसंद नही आएगा भला, कितना रोमांचक होता है पिता का लंड......आआआआआहहहह

बिरजू नीलम के कान में- लंड नही लौड़ा, मेरी बेटी लौड़ा, अब खुद ही भूल गई।

नीलम- हाँ मेरे प्यारे सैयां, लौड़ा, आपका लौड़ा, डालोगे न हमेशा अपना लौड़ा मेरी बुरिया में बाबू, बोलो न, मुझे तरसाओगे तो नही इस मस्त लौड़े के लिए कभी।

बिरजू- न मेरी रानी बेटी, मैं तो खुद तेरी मखमली बूर के बिना नही रह सकता अब। कितनी रसभरी है मेरी बेटी की बूर....आह

नीलम- बाबू, मुझे एक चीज़ बोलोगे।

नीलम को बहुत ज्यादा वासना की खुमारी चढ़ती जा रही थी और वो जोश में पागल हुई कुछ भी बोलने को तैयार थी

बिरजू- क्या बोलू बोल मेरी रानी बिटिया।

नीलम धीरे से अपने बाबू के कान में- बाबू, मुझे रंडी बोलो न एक बार, मैं आपकी रंडी हूँ, सिर्फ आपकी, एक बार बोलो न, धीरे से कान में।

नीलम वासना में पगला गयी थी, बिरजू ने पहले नीलम के चहरे को अपने हाथ में लेकर प्यार से कई बार चूमा फिर बोला- मेरी बेटी को ये सुनना है, गंदी गंदी बात करना है।

नीलम बड़े प्यार से- हाँ, बाबू बहुत मन कर रहा है।

बिरजु ने धीरे से नीलम के कान में कहा- मेरी रंडी

नीलम- आआआहहह!, एक बार और बाबू, बहुत अच्छा लगा

बिरजू- हाय मेरी रंडी

नीलम जोश में- ओओओहहहह....बाबू....हाय.... पूरा बोलो न, बेटी लगा के

बिरजू धीरे से- आआहहह...मेरी बेटी...मेरी रांड...मेरी रांड है तू....मेरी सगी बेटी मेरी रंडी है सर्फ मेरी।

नीलम- ओ ओ ओ ह ह ह ह......मेरे बाबू.....हाँ मैं आपकी रंडी हूँ..... सर्फ आपकी रांड हूँ मैं मेरे राजा........आपकी सगी बेटी ही आपकी रांड है........आपके लौड़े के बिना अब वो जी नही सकती मेरे राजा, बाबू मेरी बूर में एक गच्चा मार के बोलो न ऐसे ही।

नीलम के ऐसा कहते ही बिरजू ने उसकी बूर में घुसे अपने लंड को (जो कि अब ऐसी गंदी बातों से दुबारा पूरे ताव में आ चुका था) बाहर निकाल कर ये बोलते हुए "ओह मेरी रांड, मेरी प्यारी बेटी, मेरी रंडी है तू" एक ऐसा जोरदार ऐसा धक्का मार की नीलम का पूरा बदन गनगना गया वो वासना में थरथरा गयी- ओओओओओओहहहहहह मेरे प्यारे बाबू, हाँ मैं हूँ आपकी रांड, फाड़ो मेरी बूर को, और फाड़ो अपनी बेटी की बुरिया को....हाय

नीलम जोश में बौखला ही गयी थी, इतना असीम सुख उसे आज पहली बार मिला था, समय का किसी को होश नही था, ये वही अमावस्या की रात थी, तेज बारिश शुरू हो चुकी थी, उधर खेत में बारिश में भीगते हुए रजनी और उदयराज पापसुख का आनंद ले रहे थे और इधर नीलम और बिरजू बाप बेटी की चुदाई के महापाप का भोग लगा रहे थे।

तेज बारिश होने लगी, पानी ही हल्की हल्की बौछार बरामदे में आने लगी और नीलम और बिरजू के निवस्त्र गरम बदन को झनझनाहट के साथ छौंका सा लगाने लगी, मानो गर्म कढ़ाही में कोई बार बार पानी की बौछार मार रहा हो। मौसम थोड़ा ठंडा होने की वजह से नीलम को पेशाब लगी, उसके बाबू का लंड उसकी बूर में समाया हुआ था ही, वह बोली- बाबू, देखो बारिश कितनी तेज होने लगी, मजा आ रहा है न।

बिरजू- हाँ मेरी जान, मौसम भी हमारे मिलन को जल अर्पण कर रहा है।

नीलम- बाबू मुझे पेशाब आ रहा है

बिरजू- तो पिला दे न, इसमें पूछना क्या मेरी जान

नीलम चौंकते हुए- क्या, आप पेशाब पियोगे?

बिरजू- हाँ, पिला दे तेरा मूत

नीलम- मेरा मूत पियोगे, अपनी बिटिया का

बिरजू- हाँ, प्यास बहुत लगी है

नीलम- बहुत प्यास लगी है मेरे शोना को, पर खाट हटा कर नीचे चटाई बिछा लेते है बाबू, फिर पिलाऊंगी

बिरजू- ठीक है हुज़ूर

बिरजु ने अपना फौलाद हो चुका लंड नीलम की बूर में से बाहर निकाला तो नीलम आह करके सिसक उठी।

बिरजू ने जल्दी से लालटेन जलाई और रोशनी माध्यम कर दी, दोनों बाप बेटी पूरे नंगे थे, बिरजू नीलम को देखता रह गया, नीलम भी अपने बाबू को वासना की नज़रों से निहारती रही, एक बार लालटेन की रोशनी में दोनों ने जब एक दूसरे को पूर्ण नग्न देखा तो रहा नही गया और दोनों एक दूसरे की बाहों में कस कर लिपट गए और एक दूसरे के बदन को मस्ती में सहलाने लगे, कुछ देर बाद नीलम- बाबू जोर से पिशाब आ रहा है।

बिरजू ये सुनते ही फट चटाई पर लेट गया और नीलम लालटेन को रोशनी में कराहते है अपने बाबू के सीने पर अपनी बूर उनके मुँह के सामने करके बैठ गयी, लालटेन की रोशनी में अपनी सगी बेटी की महकती बूर जिसको अभी कुछ देर पहले ही बिरजू घच्च घच्च चोद चुका था, देखकर फिर मदहोश हो गया, उस बूर की छेद से अभी भी उसका वीर्य हल्का हल्का निकल रहा था, जो गवाही दे रहा था कि एक बेटी अपने ही सगे बाप से अच्छे से चुदी है।

बूर देखते ही बिरजू से अपने दोनों हांथों को नीलम के नितम्ब पर रखा और आगे को ठेलकर उसकी रसभरी बूर को मुँह में भर लिया, नीलम जोर से सिसक उठी और खुद भी उसने मचलते हुए अपने बाबू का सर पकड़कर अपनी बूर उनके मुँह में रगड़ने लगी, बिरजू लप्प लप्प अपनी बेटी की बूर को चाटने लगा तो एक दम से नीलम को झुरझुरी महसूस हुई और उसका पेशाब निकल गया, आआआआआआआआहहहह...........दैय्या, बाबू........आआआआहहहहह, नीलम की बूर की फैली हुई दोनों फांकों के बीच से गरम गरम महकता हुआ पेशाब सुर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर की आवाज के साथ बिरजू के पूरे मुँह को भिगोने लगा, पेशाब छोड़ती बूर को बिरजू जीभ निकाल के पहले तो चाटने लगा, फिर बूर को मुँह में भरकर अपनी बेटी का मूत पीने लगा, क्या महक थी बेटी के पेशाब की और मूतते हुए नीलम क्या लग रही थी, दोनों बाप बेटी की आंखें मस्ती में बंद थी, बिरजू लपा लप नीलम का पेशाब कभी चाटता कभी पीता, बिरजू का पूरा चेहरा, उसकी गर्दन और सीना सब नीलम के पेशाब से भीग चुका था, नीलम अपने पेशाब से अपने बाबू को भिगोते हुए उनको बड़ी मादकता से देखती भी जा रही थी, काफी हद तक बिरजू नीलम का पेशाब पी चुका था, एकाएक नीलम ने अपनी उंगली से कराहते हुए अपनी बूर की फाँकों को चीरा और पेशाब की धार छोड़ती फैली हुई बूर को एकदम से अपने बाबू के मुँह में भर दिया और बोली- लो बाबू अपनी रंडी का पेशाब, अब खत्म होने वाला है जल्दी पूरा पी लो..

बिरजू ने लप्प से अपनी बेटी की बूर को मुँह में भरा और सारा मूत पी गया, पेशाब बन्द होने के बाद नीलम ने अपनी बूर अपने बाबू के मुँह से बाहर खींची और एक पल के लिए उनके सारे भीगे हिस्से को कामुकता से देखने लगी और बोली- कैसा लगा मेरे बाबू

बिरजू- मेरे पास शब्द नही मेरी बिटिया, ऐसा मजा आजतक नही आया था।

नीलम उठकर अपने बाबू के ऊपर लेट गयी और बोली- अब मैं अपने प्यारे बाबू को ऐसे ऐसे मजे दूंगी की उनकी जिंदगी बदल जाएगी

बिरजू का लंड नीलम की बूर पर फिरसे दस्तक देने लगा, बिरजू अपने दोनों हाँथों से नीलम की गांड को भी सहलाने लगा, नीलम सिसकते हुए अपने बाबू के चेहरे और गर्दन पर लगे पेशाब को मस्ती में चाटने लगी तो बिरजू भी मस्ती में कराहने लगा- आह मेरी जान

नीलम मस्ती में अपने बाबू को चूमती चाटती हुई नीचे की तरफ बढ़ने लगी, बिरजू उसके बालों को सिसकते हुए सहलाने लगा, नीलम अपने बाबू के दुबारा तन चुके लन्ड तक आयी और लालटेन की रोशनी में अपने बाबू का खड़ा लन्ड निहारने लगी, उसने उसको हाँथ से पकड़ा और चमड़ी को धीरे से उतारा तो उसकी आंखें अपने बाबू के मोटे सुपाड़े और उस पर पेशाब के छेद को देखकर मस्ती में भर गई, उसने अपने बाबू की तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोली- कितना प्यारा है बाबू ये, बहुत प्यारा है मेरे मर्द का लंड और ऐसा कहते हुए नीलम अपने बाबू का लंड हौले हौले चूमने लगी, पहली बार लंड पर अपनी सगी बेटी के गरम होंठ महसूस कर बिरजू जन्नत में खो गया, कितने गरम चुम्बन दे रही थी नीलम उसके लंड पर, धीरे धीरे चूमने के बाद नीलम जीभ निकाल कर अपने बाबू के लंड चाटने लगी, बिरजू मस्ती में उसका सर पकड़े अपने लंड को हौले हौले नीलम के मुँह में खुद भी ठेलने लगा, अपनी बेटी को अपना लंड चुसवाने में कितना मजा आ रहा था।

नीलम आंखें बंद किये अपने बाबू का लंड बड़ी लगन से चूसे जा रही थी और अपने मन में सिसकते हुए सोचे जा रही थी कि लंड अगर दमदार हो तो चूसने का मजा ही कुछ और है, कभी वो सुपाड़े को मुँह में भरकर चूसती, कभी उसपर जीभ फिराने लगती, कभी तो पूरे लंड को जड़ तक मुँह में भरने की कोशिश करती पर न हो पाता, कभी दोनों आंड को मुँह में भरकर पीती, लंड पर लगे उसकी बूर का रस और वीर्य का मिश्रण उसने कब का चाट चाट के साफ कर दिया था, कभी जीभ नुकीली बना के अपने बाबू के लंड के छेद पर गोल गोल फिराती जिससे बिरजु झनझना के मचल जाता, बिरजू खुद भी नीलम का सर पकड़ कर अपना लन्ड उसके मुँह में अंदर बाहर कर रहा था और जोर जोर से कराहते जा रहा था- ओह.... बेटी.....कितने प्यारे हैं तेरे होंठ, कितने नरम है......मेरी प्यारी बिटिया इतना मजा तो मुझे आजतक नही आया......ओह मेरी रानी.......मजा आ गया

नीलम- आह.....बाबू क्या लंड है आपका.......मेरा तो जीवन संवर गया इसे पाकर....... मैं तो दीवानी हो गयी अब इसकी............इसके बिना अब मैं रह नही सकती।

बिरजू- मैं भी कहाँ रह सकता हूं अब तेरी इस मखमली बूर के बिना मेरी रानी, जी करता है शेरु की तरह मैं भी तेरे पीछे दिन रात लगा रहूँ।

नीलम- शेरु की तरह, मेरे पीछे

बिरजू- हाँ, तेरे पीछे

नीलम- तो लगे रहिये न, क्या क्या करोगे मेरे पीछे आके।

बिरजू- जो जो शेरु करता है

नीलम- वो, वो तो पहले घूम घूम के अपनी बेटी की बूर को सूंघता है, फिर चाटता है और फिर उसमे अपना लंड डालके उसको चोदता है।

बिरजू- तो मैं कौन सा अपनी बिटिया को कम प्यार करता हूँ।

नीलम मुस्कुरा दी और बोली- तो मैं बीना बनू, और आप शेरु बन जाइये।

बिरजू- ठीक है मेरी जान, बन तुझे जो बनना है

नीलम फिर झट से चटाई पर एक कुटिया की तरह बन गयी और अपने पैर फैलाकर अपनी गांड को बाहर की तरफ निकाल कर सिसकते हुए झुक गयी

बिरजू झट से शेरु की तरह आया और नीलम की गांड के आस पास सूंघने लगा, नीलम को तो अब आने लगा मजा, अपने बाबू की गर्म गर्म सांसों को अपनी बूर के आस पास महसूस कर नीलम नशीली होने लगी, पहले तो वो अपने दोनों हाँथ सीधे करके झुकी हुई थी पर फिर उसने अपने हांथों को कोहनी से मोड़ लिया और गांड को और पीछे को उभारकर झुक गयी।
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Jangali

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Update- 51

बिरजू शेरु की तरह अपनी बेटी नीलम के चौड़े नितंबों को सूंघता हुआ मखमली बूर की तरफ बढ़ा और फिर एकाएक अपना मुँह मनमोहक प्यारी बिटिया की बूर पर रखकर उसको सूंघने लगा, नीलम के बदन में मानो मस्ती की तरंगें उठती जा रही थी, वह सिसकते हुए बोली- आआआआआहहहहहह......मेरे शेरु......मेरे बाबू

बिरजू ने कुछ देर बूर सूंघने के बाद अपनी जीभ निकाली और रिसती बूर की नरम फांकों को चाटने लगा, नीलम झनझना गयी, गांड का छेद तो साफ दिख ही रहा था, बिरजू अपनी बेटी की बूर चाटने के साथ साथ उसकी गांड के छेद पर भी जीभ घुमा दे रहा था और नीलम बार बार कराह जा रही थी, नीलम की वासना बढ़ने लगी, एक बार फिर जबरदस्त चुदाई के लिए वह तड़पने लगी, बिरजू का लंड भी अब अपने पूरे ताव में आ चुका था, बारिश तेज हो रही थी, बादल भी लगातार गरज रहे थे। कुछ देर बिरजू ऐसे ही अपनी सगी बेटी की बूर को पीछे से चाटता, चूमता रहा, बार बार बिरजू जब अपनी जीभ रसीली बूर की छेद में डालता तब नीलम ओह मेरे बाबू, मेरे सैयां.....ऐसे ही करो... सिसकते हुए बोलती।

काफी देर बूर चटवाने के बाद जब नीलम से बर्दाश्त नही हुआ तो वो सिसकारते हुए बोली- बाबू पाप करो न

बिरजू अपनी बेटी के मुँह से ये सुनते ही वासना से भर गया और- मेरी बिटिया पाप का आनंद और लेगी

नीलम- हाँ बाबू, इसका मजा अनमोल है, करो न बाबू मेरे साथ पाप, पेलो न मुझे, चोदो न मुझे, फाड़ो न अपनी बिटिया की प्यासी बुरिया को।

बिरजू ये सुनते ही अपनी बेटी की रसभरी बूर चाटना छोड़ घुटनों के बल उसके नितंबों के पास खड़ा हो गया और उसके मादक गुदाज मखमली बदन को लालटेन की रोशनी में निहारने लगा, कितने मादक और चौड़े नितम्ब थे नीलम के और उसके आगे पतली कमर फिर मदहोश कर देने वाली नंगी पीठ और उसपर बिखरे बाल, न जाने कब नीलम ने बाल खोल दिये थे बिरजू का ध्यान ही नही गया, अपनी सगी बेटी के यौवन को देखकर वो मंत्रमुग्द हो गया, वाकई बेटी बेटी होती है जो नशा और मजा सगी बेटी साथ पाप करने में है वो कहीं नही, तभी नीलम फिर अपने हाथ से अपनी बूर को सहलाते हुए बोली- बाबू डालिये न, देखो न कैसे तरस रही है, देखो कैसे मांग रही है मेरी प्यारी सी बुरिया अपना लंड, डाल दीजिए न बाबू, डाल दीजिए न, पाप का मजा दीजिए न बाबू

नीलम का इस तरह दुलारते हुए आग्रह करना बिरजू का मन मोह गया और उसने बिल्कुल भी देर न करते हुए नीलम का हाँथ पकड़ा और बड़े प्यार से बोला- मेरी बिटिया पहले अपने इस राजकुमार का तिलक लगा के स्वागत तो करो देखो कैसे महल के द्वार तक आके खड़ा है, नीलम समझ गयी और उसने सिसकते हुए झुके झुके ही अपना एक हाथ पीछे ले जाकर अपने बाबू के दहाड़ते लंड की चमड़ी को पीछे करके खोला और फिर बड़ी मादकता से मचलते हुए अपने मुँह से ढेर सारा थूक निकाला और अपने बाबू के लंड के सुपाड़े पर लगाते हुए बोली- ओह मेरा शोना, कितना प्यारा है तू, बाबू अब डालो न क्यों तड़पाते हो अपनी बिटिया को।

बिरजू ने अपना लंड अपनी बेटी की फांक की दरार में कुछ देर रगड़ा, बूर काफी चिकनी हो रखी थी और नीलम कब से तरस ही रही थी, नीलम के दोनों पैर फैलाये होने की वजह से उसकी बूर काफी खुल गयी थी, बीना की तरह तो वो पहले ही बनी हुई थी। बिरजू ने अपना लंड पकड़ा और अपनी बेटी की बूर के मुहाने पर लगा के एक धक्का मारा और लंड सरसराता हुआ बूर की गहराई में उतरता चला गया, तेज दर्द से नीलम की सीत्कार निकल गयी, आआआआहहहहह.....मेरे पिता जी......एक ही बार में न डालो बाबू, दर्द होता है......आपकी सगी बेटी हूँ न......ओह्ह..... वाकई कितना बड़ा है बाबू आपका........हाय

बिरजू की भी नशे में आंख बंद हो गयी, कितनी रसीली बूर थी नीलम की, बिरजू ने नीलम के नितम्ब को अच्छे से पकड़ा और एक तेज धक्का और मारते हुए पूरा का पूरा लंड एक बार फिर से नीलम की बूर की गहराई में अंदर तक उतार दिया। नीलम दर्द और आनंद के मिले जुले मिश्रण से कराह उठी और अपनी गांड को खुद ही मचलते हुए हल्का हल्का गोल गोल घुमाने लगी, बिरजू ने झुककर नीलम की पीठ और कमर को बड़े वासना से चूमना शुरु कर दिया, नीलम हर चुम्बन पर सिसक उठती, बिरजू थोड़ा आगे झुककर अपनी बेटी के मस्त मस्त गालों को चूमने लगा तो नीलम ने भी मस्ती में अपने होंठ काटने शुरू कर दिए, आगे झुकने से लंड औऱ बूर में धंस गया, नीलम मस्ती में मचल गयी, बिरजू नीलम को चूमते हुए बोला- मेरे होने वाले बच्चे की अम्मा, कितनी प्यारी है तू।

नीलम ने आंखें खोल कर बड़ी वासना से अपने बाबू को देखा और बोला- मेरे बच्चे के बाबू, कितने प्यारे हो आप, अब चोदो न बाबू, क्यों तरसाते हो

झमाझम बारिश होती जा रही थी और बिरजू ने भी अपनी सगी शादीशुदा बेटी को झमाझम धक्के मार मार के पीछे से चोदना शुरू कर दिया, साथ ही साथ अपने अंगूठे से वो नीलम के गांड के गुलाबी छेद को भी गोल गोल सहलाये जा रहा था, जिससे नीलम को और भी अनूठा मजा आ रहा था, वो जल्द ही हाय हाय करने लगी, खुद भी अपनी चौड़ी गांड को पीछे को धकेल धकेल के चुदाई का भरपूर आनंद लेते हए अपने बाबू के धक्कों से ताल से ताल मिलाने लगी, बूर रस छोड़ छोड़ के बहुत ही चिकनी हो चुकी थी, बिरजू का पूरा लंड अपनी बेटी की बूर के काम रस से सना हुआ था, जब लंड बूर से बाहर आता तो लालटेन की रोशनी में अपने ही लंड को अपनी सगी बेटी की बूर के रस से सराबोर भीगा हुआ देखकर बिरजू और उत्तेजित हो जाता और इसी उत्तेजना में धक्के और तेज तेज बढ़ते जा रहे थे, थप्प थप्प की आवाज सिसकियों के साथ गूंजने लगी। बिरजू एक हाँथ से नीलम की गांड का छेद सहलाये जा रहा था और दूसरे हाँथ से उसने नीलम की बायीं चूची को थाम कर लगातार मसल भी रहा था जिससे नीलम मस्ती के सातवें आसमान में उड़ने लगी, बड़ी मुश्किल से उसने हाथ बढ़ा कर लालटेन को बुझा दिया और अपना हाँथ नीचे से लेजाकर अपनी बूर और भग्नासे को रगड़ने लगी, ऐसा करते हुए बार बार वो बूर के अंदर बाहर हो रहे लंड को भी छू देती और सिरह उठती, नीलम- और तेज तेज चोदो बाबू........हाँ ऐसे ही. .. ओह बाबू.......मेरी बच्चेदानी को कैसे ठोकर मार रहा है मेरे बच्चे के बाबू का लंड....... हाय

बिरजू- ओह मेरी रानी...... क्या बूर है तेरी...ऐसी बूर तो तेरी अम्मा की भी नही है........हाय इतनी रसीली, इतनी गहरी....... क्यों मैंने तुझे किसी और को ब्याह दिया, मुझे पता होता कि तू अंदर से इतनी रसीली है तो तेरा कुँवारा रस पहले मैं ही पीता..... आआआआआआहहहहहहहहह.....

नीलम- सच बाबू......मेरी बूर अम्मा की बूर से भी अच्छी है.......हाय...... तो चोदिये न बाबू......मेरी बूर तो है ही आपके लिए.......मैं तो आपका ही माल हूँ न बाबू... . ..ओओओओओहहहह......और तेज तेज धक्का मारिये....... हाँ ऐसे ही.....क्यों मुझे ब्याह दिए किसी और को.......बेटी की बूर पर तो पहला हक़ बाप का ही होता है बाबू.........क्यों नही पिये मेरा कुँवारा रस, जिसपर सिर्फ आपका हक़ था......अपना हक किसी को नही देना चाहिए बाबू........न जाने क्यों अपनी प्यारी सी फूल सी बेटी को खुद के पास लंड होते हुए भी दूसरों को दे दिया जाता है उसकी भावनाओं को कुचलने के लिए.......जितने प्यार से एक पिता अपनी फूल जैसी बेटी को हुमच हुमच के चोदेगा वैसा तो कोई नही चोद पायेगा न.........आखिर एक बेटी को पिता के लंड का मजा तो सिर्फ पिता ही दे सकता है न........ये गलत है न अपनी बेटी को किसी और को देना............. बाबू........बोलो न......जब अपने पास इतना प्यारा लंड था तो अपने मुझे पहले ही चोदा क्यों नही?............ओह बाबू....चोदो बाबू ऐसे ही......बोलो न बाबू.....अब तो अपनी चीज़ किसी को नही दोगे न....बोलो बाबू......हाय मेरे राजा......ओओओहहह....दैया

बिरजू- न मेरी बिटिया अब मैं अपना हक किसी को नही देने वाला.......सच अपनी इतनी रसीली चीज़ को मुझे किसी को नही देना चाहिए.......अब नही दूंगा....हाय मेरी बेटी! मुझे माफ़ कर देना।

नीलम- न मेरे बाबू....माफी न मांगिये.....बस आप मुझे अच्छे से चोदिये.......आआआआआआहहहहहह

बिरजू अपनी बेटी की बूर में लगतार घपा घप धक्के मारकर उसकी बूर को चोदने लगा। हर धक्के से नीलम का पूरा शरीर और उसकी मस्त चूचीयाँ तेज तेज हिल रही थी, काफी देर तक लगातार चोदने के बाद नीलम के बदन में ऐंठन होने लगी, तेज गनगनाहट के साथ नीलम का बदन थरथरा गया और वह तेजी से सीत्कारते हुए झड़ने लगी, नशे में आंखें उसकी बंद हो गयी, बदन में सनसनाहट सी दौड़ने लगी और पूरा बदन झटके खा खा के मचल उठा, नीलम से अब झुका नही गया और वह लेट गयी, बूर उसकी थरथरा कर लगतार झड़ रही थी।

बिरजू पूरी तन्मयता से नीलम को उसके ऊपर लेटकर पीछे से चोदे जा रहा था, तेज तेज धक्कों से अब गांड नीलम की उछल उछल जा रही थी और वो जोर जोर सिसकारने लगी, ताबड़तोड़ तेज धक्कों से थप्प थप्प की तेज आवाज होने लगी और तभी बिरजू भी गरजते हुए भरभरा कर अपनी सगी बेटी की बूर में झड़ने लगा, नीलम की बूर एक बार फिर बिरजू के गरम लावे से भरने लगी, बिरजू का पूरा लन्ड तेज तेज झटके खाकर वीर्य की मोटी धार छोड़ने लगा और नीलम अपनी बूर की गहराई में गर्म गर्म वीर्य को महसूस करती रही, मस्ती में उसकी आंखें बंद थी, बिरजू उसके ऊपर ढेर हुआ पड़ा था, लंड पूरा बूर में ठुसा हुआ झड़ रहा था, नीलम हल्का हल्का सिसक रही थी, काफी देर तक बिरजू नीलम के ऊपर चढ़ा रहा फिर धीरे से बगल में लेट गया, लंड पक्क़ से बूर में से निकल गया, लंड बूर में से निकलने से नीलम की तेज से आह निकल गयी, ढेर सारा वीर्य निकलकर जिसमे नीलम का रस भी मिला था, चटाई पर बहने लगा, नीलम की जाँघे बिरजू के वीर्य से सन गयी थी, बिरजू ने अपनी बिटिया को प्यार से अपनी बाहों में भर लिया, नीलम काफी थक गई थी, दोनों की सांसे अब भी थोड़ी तेज तेज ही चल रही थी, काफी देर तक वो दोनों वहीं चटाई पर लेटे लेटे एक दूसरे को दुलारते सहलाते रहे और दोनों एक दूसरे की बाहों में न जाने कब सो गए। बारिश कभी तेज कभी माध्यम होती रही।
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बहोत ही गरम और धमाकेदार अपडेट
निलम चुद गयी अपने सगे बाबु से अब थोडा
रजनी का भी खयाल रखना पडेगा
धमाकेदार गरमा गरम अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी भाई
 

Sandy66

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Update- 51

बिरजू शेरु की तरह अपनी बेटी नीलम के चौड़े नितंबों को सूंघता हुआ मखमली बूर की तरफ बढ़ा और फिर एकाएक अपना मुँह मनमोहक प्यारी बिटिया की बूर पर रखकर उसको सूंघने लगा, नीलम के बदन में मानो मस्ती की तरंगें उठती जा रही थी, वह सिसकते हुए बोली- आआआआआहहहहहह......मेरे शेरु......मेरे बाबू

बिरजू ने कुछ देर बूर सूंघने के बाद अपनी जीभ निकाली और रिसती बूर की नरम फांकों को चाटने लगा, नीलम झनझना गयी, गांड का छेद तो साफ दिख ही रहा था, बिरजू अपनी बेटी की बूर चाटने के साथ साथ उसकी गांड के छेद पर भी जीभ घुमा दे रहा था और नीलम बार बार कराह जा रही थी, नीलम की वासना बढ़ने लगी, एक बार फिर जबरदस्त चुदाई के लिए वह तड़पने लगी, बिरजू का लंड भी अब अपने पूरे ताव में आ चुका था, बारिश तेज हो रही थी, बादल भी लगातार गरज रहे थे। कुछ देर बिरजू ऐसे ही अपनी सगी बेटी की बूर को पीछे से चाटता, चूमता रहा, बार बार बिरजू जब अपनी जीभ रसीली बूर की छेद में डालता तब नीलम ओह मेरे बाबू, मेरे सैयां.....ऐसे ही करो... सिसकते हुए बोलती।

काफी देर बूर चटवाने के बाद जब नीलम से बर्दाश्त नही हुआ तो वो सिसकारते हुए बोली- बाबू पाप करो न

बिरजू अपनी बेटी के मुँह से ये सुनते ही वासना से भर गया और- मेरी बिटिया पाप का आनंद और लेगी

नीलम- हाँ बाबू, इसका मजा अनमोल है, करो न बाबू मेरे साथ पाप, पेलो न मुझे, चोदो न मुझे, फाड़ो न अपनी बिटिया की प्यासी बुरिया को।

बिरजू ये सुनते ही अपनी बेटी की रसभरी बूर चाटना छोड़ घुटनों के बल उसके नितंबों के पास खड़ा हो गया और उसके मादक गुदाज मखमली बदन को लालटेन की रोशनी में निहारने लगा, कितने मादक और चौड़े नितम्ब थे नीलम के और उसके आगे पतली कमर फिर मदहोश कर देने वाली नंगी पीठ और उसपर बिखरे बाल, न जाने कब नीलम ने बाल खोल दिये थे बिरजू का ध्यान ही नही गया, अपनी सगी बेटी के यौवन को देखकर वो मंत्रमुग्द हो गया, वाकई बेटी बेटी होती है जो नशा और मजा सगी बेटी साथ पाप करने में है वो कहीं नही, तभी नीलम फिर अपने हाथ से अपनी बूर को सहलाते हुए बोली- बाबू डालिये न, देखो न कैसे तरस रही है, देखो कैसे मांग रही है मेरी प्यारी सी बुरिया अपना लंड, डाल दीजिए न बाबू, डाल दीजिए न, पाप का मजा दीजिए न बाबू

नीलम का इस तरह दुलारते हुए आग्रह करना बिरजू का मन मोह गया और उसने बिल्कुल भी देर न करते हुए नीलम का हाँथ पकड़ा और बड़े प्यार से बोला- मेरी बिटिया पहले अपने इस राजकुमार का तिलक लगा के स्वागत तो करो देखो कैसे महल के द्वार तक आके खड़ा है, नीलम समझ गयी और उसने सिसकते हुए झुके झुके ही अपना एक हाथ पीछे ले जाकर अपने बाबू के दहाड़ते लंड की चमड़ी को पीछे करके खोला और फिर बड़ी मादकता से मचलते हुए अपने मुँह से ढेर सारा थूक निकाला और अपने बाबू के लंड के सुपाड़े पर लगाते हुए बोली- ओह मेरा शोना, कितना प्यारा है तू, बाबू अब डालो न क्यों तड़पाते हो अपनी बिटिया को।

बिरजू ने अपना लंड अपनी बेटी की फांक की दरार में कुछ देर रगड़ा, बूर काफी चिकनी हो रखी थी और नीलम कब से तरस ही रही थी, नीलम के दोनों पैर फैलाये होने की वजह से उसकी बूर काफी खुल गयी थी, बीना की तरह तो वो पहले ही बनी हुई थी। बिरजू ने अपना लंड पकड़ा और अपनी बेटी की बूर के मुहाने पर लगा के एक धक्का मारा और लंड सरसराता हुआ बूर की गहराई में उतरता चला गया, तेज दर्द से नीलम की सीत्कार निकल गयी, आआआआहहहहह.....मेरे पिता जी......एक ही बार में न डालो बाबू, दर्द होता है......आपकी सगी बेटी हूँ न......ओह्ह..... वाकई कितना बड़ा है बाबू आपका........हाय

बिरजू की भी नशे में आंख बंद हो गयी, कितनी रसीली बूर थी नीलम की, बिरजू ने नीलम के नितम्ब को अच्छे से पकड़ा और एक तेज धक्का और मारते हुए पूरा का पूरा लंड एक बार फिर से नीलम की बूर की गहराई में अंदर तक उतार दिया। नीलम दर्द और आनंद के मिले जुले मिश्रण से कराह उठी और अपनी गांड को खुद ही मचलते हुए हल्का हल्का गोल गोल घुमाने लगी, बिरजू ने झुककर नीलम की पीठ और कमर को बड़े वासना से चूमना शुरु कर दिया, नीलम हर चुम्बन पर सिसक उठती, बिरजू थोड़ा आगे झुककर अपनी बेटी के मस्त मस्त गालों को चूमने लगा तो नीलम ने भी मस्ती में अपने होंठ काटने शुरू कर दिए, आगे झुकने से लंड औऱ बूर में धंस गया, नीलम मस्ती में मचल गयी, बिरजू नीलम को चूमते हुए बोला- मेरे होने वाले बच्चे की अम्मा, कितनी प्यारी है तू।

नीलम ने आंखें खोल कर बड़ी वासना से अपने बाबू को देखा और बोला- मेरे बच्चे के बाबू, कितने प्यारे हो आप, अब चोदो न बाबू, क्यों तरसाते हो

झमाझम बारिश होती जा रही थी और बिरजू ने भी अपनी सगी शादीशुदा बेटी को झमाझम धक्के मार मार के पीछे से चोदना शुरू कर दिया, साथ ही साथ अपने अंगूठे से वो नीलम के गांड के गुलाबी छेद को भी गोल गोल सहलाये जा रहा था, जिससे नीलम को और भी अनूठा मजा आ रहा था, वो जल्द ही हाय हाय करने लगी, खुद भी अपनी चौड़ी गांड को पीछे को धकेल धकेल के चुदाई का भरपूर आनंद लेते हए अपने बाबू के धक्कों से ताल से ताल मिलाने लगी, बूर रस छोड़ छोड़ के बहुत ही चिकनी हो चुकी थी, बिरजू का पूरा लंड अपनी बेटी की बूर के काम रस से सना हुआ था, जब लंड बूर से बाहर आता तो लालटेन की रोशनी में अपने ही लंड को अपनी सगी बेटी की बूर के रस से सराबोर भीगा हुआ देखकर बिरजू और उत्तेजित हो जाता और इसी उत्तेजना में धक्के और तेज तेज बढ़ते जा रहे थे, थप्प थप्प की आवाज सिसकियों के साथ गूंजने लगी। बिरजू एक हाँथ से नीलम की गांड का छेद सहलाये जा रहा था और दूसरे हाँथ से उसने नीलम की बायीं चूची को थाम कर लगातार मसल भी रहा था जिससे नीलम मस्ती के सातवें आसमान में उड़ने लगी, बड़ी मुश्किल से उसने हाथ बढ़ा कर लालटेन को बुझा दिया और अपना हाँथ नीचे से लेजाकर अपनी बूर और भग्नासे को रगड़ने लगी, ऐसा करते हुए बार बार वो बूर के अंदर बाहर हो रहे लंड को भी छू देती और सिरह उठती, नीलम- और तेज तेज चोदो बाबू........हाँ ऐसे ही. .. ओह बाबू.......मेरी बच्चेदानी को कैसे ठोकर मार रहा है मेरे बच्चे के बाबू का लंड....... हाय

बिरजू- ओह मेरी रानी...... क्या बूर है तेरी...ऐसी बूर तो तेरी अम्मा की भी नही है........हाय इतनी रसीली, इतनी गहरी....... क्यों मैंने तुझे किसी और को ब्याह दिया, मुझे पता होता कि तू अंदर से इतनी रसीली है तो तेरा कुँवारा रस पहले मैं ही पीता..... आआआआआआहहहहहहहहह.....

नीलम- सच बाबू......मेरी बूर अम्मा की बूर से भी अच्छी है.......हाय...... तो चोदिये न बाबू......मेरी बूर तो है ही आपके लिए.......मैं तो आपका ही माल हूँ न बाबू... . ..ओओओओओहहहह......और तेज तेज धक्का मारिये....... हाँ ऐसे ही.....क्यों मुझे ब्याह दिए किसी और को.......बेटी की बूर पर तो पहला हक़ बाप का ही होता है बाबू.........क्यों नही पिये मेरा कुँवारा रस, जिसपर सिर्फ आपका हक़ था......अपना हक किसी को नही देना चाहिए बाबू........न जाने क्यों अपनी प्यारी सी फूल सी बेटी को खुद के पास लंड होते हुए भी दूसरों को दे दिया जाता है उसकी भावनाओं को कुचलने के लिए.......जितने प्यार से एक पिता अपनी फूल जैसी बेटी को हुमच हुमच के चोदेगा वैसा तो कोई नही चोद पायेगा न.........आखिर एक बेटी को पिता के लंड का मजा तो सिर्फ पिता ही दे सकता है न........ये गलत है न अपनी बेटी को किसी और को देना............. बाबू........बोलो न......जब अपने पास इतना प्यारा लंड था तो अपने मुझे पहले ही चोदा क्यों नही?............ओह बाबू....चोदो बाबू ऐसे ही......बोलो न बाबू.....अब तो अपनी चीज़ किसी को नही दोगे न....बोलो बाबू......हाय मेरे राजा......ओओओहहह....दैया

बिरजू- न मेरी बिटिया अब मैं अपना हक किसी को नही देने वाला.......सच अपनी इतनी रसीली चीज़ को मुझे किसी को नही देना चाहिए.......अब नही दूंगा....हाय मेरी बेटी! मुझे माफ़ कर देना।

नीलम- न मेरे बाबू....माफी न मांगिये.....बस आप मुझे अच्छे से चोदिये.......आआआआआआहहहहहह

बिरजू अपनी बेटी की बूर में लगतार घपा घप धक्के मारकर उसकी बूर को चोदने लगा। हर धक्के से नीलम का पूरा शरीर और उसकी मस्त चूचीयाँ तेज तेज हिल रही थी, काफी देर तक लगातार चोदने के बाद नीलम के बदन में ऐंठन होने लगी, तेज गनगनाहट के साथ नीलम का बदन थरथरा गया और वह तेजी से सीत्कारते हुए झड़ने लगी, नशे में आंखें उसकी बंद हो गयी, बदन में सनसनाहट सी दौड़ने लगी और पूरा बदन झटके खा खा के मचल उठा, नीलम से अब झुका नही गया और वह लेट गयी, बूर उसकी थरथरा कर लगतार झड़ रही थी।

बिरजू पूरी तन्मयता से नीलम को उसके ऊपर लेटकर पीछे से चोदे जा रहा था, तेज तेज धक्कों से अब गांड नीलम की उछल उछल जा रही थी और वो जोर जोर सिसकारने लगी, ताबड़तोड़ तेज धक्कों से थप्प थप्प की तेज आवाज होने लगी और तभी बिरजू भी गरजते हुए भरभरा कर अपनी सगी बेटी की बूर में झड़ने लगा, नीलम की बूर एक बार फिर बिरजू के गरम लावे से भरने लगी, बिरजू का पूरा लन्ड तेज तेज झटके खाकर वीर्य की मोटी धार छोड़ने लगा और नीलम अपनी बूर की गहराई में गर्म गर्म वीर्य को महसूस करती रही, मस्ती में उसकी आंखें बंद थी, बिरजू उसके ऊपर ढेर हुआ पड़ा था, लंड पूरा बूर में ठुसा हुआ झड़ रहा था, नीलम हल्का हल्का सिसक रही थी, काफी देर तक बिरजू नीलम के ऊपर चढ़ा रहा फिर धीरे से बगल में लेट गया, लंड पक्क़ से बूर में से निकल गया, लंड बूर में से निकलने से नीलम की तेज से आह निकल गयी, ढेर सारा वीर्य निकलकर जिसमे नीलम का रस भी मिला था, चटाई पर बहने लगा, नीलम की जाँघे बिरजू के वीर्य से सन गयी थी, बिरजू ने अपनी बिटिया को प्यार से अपनी बाहों में भर लिया, नीलम काफी थक गई थी, दोनों की सांसे अब भी थोड़ी तेज तेज ही चल रही थी, काफी देर तक वो दोनों वहीं चटाई पर लेटे लेटे एक दूसरे को दुलारते सहलाते रहे और दोनों एक दूसरे की बाहों में न जाने कब सो गए। बारिश कभी तेज कभी माध्यम होती रही।
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बिरजू शेरु की तरह अपनी बेटी नीलम के चौड़े नितंबों को सूंघता हुआ मखमली बूर की तरफ बढ़ा और फिर एकाएक अपना मुँह मनमोहक प्यारी बिटिया की बूर पर रखकर उसको सूंघने लगा, नीलम के बदन में मानो मस्ती की तरंगें उठती जा रही थी, वह सिसकते हुए बोली- आआआआआहहहहहह......मेरे शेरु......मेरे बाबू

बिरजू ने कुछ देर बूर सूंघने के बाद अपनी जीभ निकाली और रिसती बूर की नरम फांकों को चाटने लगा, नीलम झनझना गयी, गांड का छेद तो साफ दिख ही रहा था, बिरजू अपनी बेटी की बूर चाटने के साथ साथ उसकी गांड के छेद पर भी जीभ घुमा दे रहा था और नीलम बार बार कराह जा रही थी, नीलम की वासना बढ़ने लगी, एक बार फिर जबरदस्त चुदाई के लिए वह तड़पने लगी, बिरजू का लंड भी अब अपने पूरे ताव में आ चुका था, बारिश तेज हो रही थी, बादल भी लगातार गरज रहे थे। कुछ देर बिरजू ऐसे ही अपनी सगी बेटी की बूर को पीछे से चाटता, चूमता रहा, बार बार बिरजू जब अपनी जीभ रसीली बूर की छेद में डालता तब नीलम ओह मेरे बाबू, मेरे सैयां.....ऐसे ही करो... सिसकते हुए बोलती।

काफी देर बूर चटवाने के बाद जब नीलम से बर्दाश्त नही हुआ तो वो सिसकारते हुए बोली- बाबू पाप करो न

बिरजू अपनी बेटी के मुँह से ये सुनते ही वासना से भर गया और- मेरी बिटिया पाप का आनंद और लेगी

नीलम- हाँ बाबू, इसका मजा अनमोल है, करो न बाबू मेरे साथ पाप, पेलो न मुझे, चोदो न मुझे, फाड़ो न अपनी बिटिया की प्यासी बुरिया को।

बिरजू ये सुनते ही अपनी बेटी की रसभरी बूर चाटना छोड़ घुटनों के बल उसके नितंबों के पास खड़ा हो गया और उसके मादक गुदाज मखमली बदन को लालटेन की रोशनी में निहारने लगा, कितने मादक और चौड़े नितम्ब थे नीलम के और उसके आगे पतली कमर फिर मदहोश कर देने वाली नंगी पीठ और उसपर बिखरे बाल, न जाने कब नीलम ने बाल खोल दिये थे बिरजू का ध्यान ही नही गया, अपनी सगी बेटी के यौवन को देखकर वो मंत्रमुग्द हो गया, वाकई बेटी बेटी होती है जो नशा और मजा सगी बेटी साथ पाप करने में है वो कहीं नही, तभी नीलम फिर अपने हाथ से अपनी बूर को सहलाते हुए बोली- बाबू डालिये न, देखो न कैसे तरस रही है, देखो कैसे मांग रही है मेरी प्यारी सी बुरिया अपना लंड, डाल दीजिए न बाबू, डाल दीजिए न, पाप का मजा दीजिए न बाबू

नीलम का इस तरह दुलारते हुए आग्रह करना बिरजू का मन मोह गया और उसने बिल्कुल भी देर न करते हुए नीलम का हाँथ पकड़ा और बड़े प्यार से बोला- मेरी बिटिया पहले अपने इस राजकुमार का तिलक लगा के स्वागत तो करो देखो कैसे महल के द्वार तक आके खड़ा है, नीलम समझ गयी और उसने सिसकते हुए झुके झुके ही अपना एक हाथ पीछे ले जाकर अपने बाबू के दहाड़ते लंड की चमड़ी को पीछे करके खोला और फिर बड़ी मादकता से मचलते हुए अपने मुँह से ढेर सारा थूक निकाला और अपने बाबू के लंड के सुपाड़े पर लगाते हुए बोली- ओह मेरा शोना, कितना प्यारा है तू, बाबू अब डालो न क्यों तड़पाते हो अपनी बिटिया को।

बिरजू ने अपना लंड अपनी बेटी की फांक की दरार में कुछ देर रगड़ा, बूर काफी चिकनी हो रखी थी और नीलम कब से तरस ही रही थी, नीलम के दोनों पैर फैलाये होने की वजह से उसकी बूर काफी खुल गयी थी, बीना की तरह तो वो पहले ही बनी हुई थी। बिरजू ने अपना लंड पकड़ा और अपनी बेटी की बूर के मुहाने पर लगा के एक धक्का मारा और लंड सरसराता हुआ बूर की गहराई में उतरता चला गया, तेज दर्द से नीलम की सीत्कार निकल गयी, आआआआहहहहह.....मेरे पिता जी......एक ही बार में न डालो बाबू, दर्द होता है......आपकी सगी बेटी हूँ न......ओह्ह..... वाकई कितना बड़ा है बाबू आपका........हाय

बिरजू की भी नशे में आंख बंद हो गयी, कितनी रसीली बूर थी नीलम की, बिरजू ने नीलम के नितम्ब को अच्छे से पकड़ा और एक तेज धक्का और मारते हुए पूरा का पूरा लंड एक बार फिर से नीलम की बूर की गहराई में अंदर तक उतार दिया। नीलम दर्द और आनंद के मिले जुले मिश्रण से कराह उठी और अपनी गांड को खुद ही मचलते हुए हल्का हल्का गोल गोल घुमाने लगी, बिरजू ने झुककर नीलम की पीठ और कमर को बड़े वासना से चूमना शुरु कर दिया, नीलम हर चुम्बन पर सिसक उठती, बिरजू थोड़ा आगे झुककर अपनी बेटी के मस्त मस्त गालों को चूमने लगा तो नीलम ने भी मस्ती में अपने होंठ काटने शुरू कर दिए, आगे झुकने से लंड औऱ बूर में धंस गया, नीलम मस्ती में मचल गयी, बिरजू नीलम को चूमते हुए बोला- मेरे होने वाले बच्चे की अम्मा, कितनी प्यारी है तू।

नीलम ने आंखें खोल कर बड़ी वासना से अपने बाबू को देखा और बोला- मेरे बच्चे के बाबू, कितने प्यारे हो आप, अब चोदो न बाबू, क्यों तरसाते हो

झमाझम बारिश होती जा रही थी और बिरजू ने भी अपनी सगी शादीशुदा बेटी को झमाझम धक्के मार मार के पीछे से चोदना शुरू कर दिया, साथ ही साथ अपने अंगूठे से वो नीलम के गांड के गुलाबी छेद को भी गोल गोल सहलाये जा रहा था, जिससे नीलम को और भी अनूठा मजा आ रहा था, वो जल्द ही हाय हाय करने लगी, खुद भी अपनी चौड़ी गांड को पीछे को धकेल धकेल के चुदाई का भरपूर आनंद लेते हए अपने बाबू के धक्कों से ताल से ताल मिलाने लगी, बूर रस छोड़ छोड़ के बहुत ही चिकनी हो चुकी थी, बिरजू का पूरा लंड अपनी बेटी की बूर के काम रस से सना हुआ था, जब लंड बूर से बाहर आता तो लालटेन की रोशनी में अपने ही लंड को अपनी सगी बेटी की बूर के रस से सराबोर भीगा हुआ देखकर बिरजू और उत्तेजित हो जाता और इसी उत्तेजना में धक्के और तेज तेज बढ़ते जा रहे थे, थप्प थप्प की आवाज सिसकियों के साथ गूंजने लगी। बिरजू एक हाँथ से नीलम की गांड का छेद सहलाये जा रहा था और दूसरे हाँथ से उसने नीलम की बायीं चूची को थाम कर लगातार मसल भी रहा था जिससे नीलम मस्ती के सातवें आसमान में उड़ने लगी, बड़ी मुश्किल से उसने हाथ बढ़ा कर लालटेन को बुझा दिया और अपना हाँथ नीचे से लेजाकर अपनी बूर और भग्नासे को रगड़ने लगी, ऐसा करते हुए बार बार वो बूर के अंदर बाहर हो रहे लंड को भी छू देती और सिरह उठती, नीलम- और तेज तेज चोदो बाबू........हाँ ऐसे ही. .. ओह बाबू.......मेरी बच्चेदानी को कैसे ठोकर मार रहा है मेरे बच्चे के बाबू का लंड....... हाय

बिरजू- ओह मेरी रानी...... क्या बूर है तेरी...ऐसी बूर तो तेरी अम्मा की भी नही है........हाय इतनी रसीली, इतनी गहरी....... क्यों मैंने तुझे किसी और को ब्याह दिया, मुझे पता होता कि तू अंदर से इतनी रसीली है तो तेरा कुँवारा रस पहले मैं ही पीता..... आआआआआआहहहहहहहहह.....

नीलम- सच बाबू......मेरी बूर अम्मा की बूर से भी अच्छी है.......हाय...... तो चोदिये न बाबू......मेरी बूर तो है ही आपके लिए.......मैं तो आपका ही माल हूँ न बाबू... . ..ओओओओओहहहह......और तेज तेज धक्का मारिये....... हाँ ऐसे ही.....क्यों मुझे ब्याह दिए किसी और को.......बेटी की बूर पर तो पहला हक़ बाप का ही होता है बाबू.........क्यों नही पिये मेरा कुँवारा रस, जिसपर सिर्फ आपका हक़ था......अपना हक किसी को नही देना चाहिए बाबू........न जाने क्यों अपनी प्यारी सी फूल सी बेटी को खुद के पास लंड होते हुए भी दूसरों को दे दिया जाता है उसकी भावनाओं को कुचलने के लिए.......जितने प्यार से एक पिता अपनी फूल जैसी बेटी को हुमच हुमच के चोदेगा वैसा तो कोई नही चोद पायेगा न.........आखिर एक बेटी को पिता के लंड का मजा तो सिर्फ पिता ही दे सकता है न........ये गलत है न अपनी बेटी को किसी और को देना............. बाबू........बोलो न......जब अपने पास इतना प्यारा लंड था तो अपने मुझे पहले ही चोदा क्यों नही?............ओह बाबू....चोदो बाबू ऐसे ही......बोलो न बाबू.....अब तो अपनी चीज़ किसी को नही दोगे न....बोलो बाबू......हाय मेरे राजा......ओओओहहह....दैया

बिरजू- न मेरी बिटिया अब मैं अपना हक किसी को नही देने वाला.......सच अपनी इतनी रसीली चीज़ को मुझे किसी को नही देना चाहिए.......अब नही दूंगा....हाय मेरी बेटी! मुझे माफ़ कर देना।

नीलम- न मेरे बाबू....माफी न मांगिये.....बस आप मुझे अच्छे से चोदिये.......आआआआआआहहहहहह

बिरजू अपनी बेटी की बूर में लगतार घपा घप धक्के मारकर उसकी बूर को चोदने लगा। हर धक्के से नीलम का पूरा शरीर और उसकी मस्त चूचीयाँ तेज तेज हिल रही थी, काफी देर तक लगातार चोदने के बाद नीलम के बदन में ऐंठन होने लगी, तेज गनगनाहट के साथ नीलम का बदन थरथरा गया और वह तेजी से सीत्कारते हुए झड़ने लगी, नशे में आंखें उसकी बंद हो गयी, बदन में सनसनाहट सी दौड़ने लगी और पूरा बदन झटके खा खा के मचल उठा, नीलम से अब झुका नही गया और वह लेट गयी, बूर उसकी थरथरा कर लगतार झड़ रही थी।

बिरजू पूरी तन्मयता से नीलम को उसके ऊपर लेटकर पीछे से चोदे जा रहा था, तेज तेज धक्कों से अब गांड नीलम की उछल उछल जा रही थी और वो जोर जोर सिसकारने लगी, ताबड़तोड़ तेज धक्कों से थप्प थप्प की तेज आवाज होने लगी और तभी बिरजू भी गरजते हुए भरभरा कर अपनी सगी बेटी की बूर में झड़ने लगा, नीलम की बूर एक बार फिर बिरजू के गरम लावे से भरने लगी, बिरजू का पूरा लन्ड तेज तेज झटके खाकर वीर्य की मोटी धार छोड़ने लगा और नीलम अपनी बूर की गहराई में गर्म गर्म वीर्य को महसूस करती रही, मस्ती में उसकी आंखें बंद थी, बिरजू उसके ऊपर ढेर हुआ पड़ा था, लंड पूरा बूर में ठुसा हुआ झड़ रहा था, नीलम हल्का हल्का सिसक रही थी, काफी देर तक बिरजू नीलम के ऊपर चढ़ा रहा फिर धीरे से बगल में लेट गया, लंड पक्क़ से बूर में से निकल गया, लंड बूर में से निकलने से नीलम की तेज से आह निकल गयी, ढेर सारा वीर्य निकलकर जिसमे नीलम का रस भी मिला था, चटाई पर बहने लगा, नीलम की जाँघे बिरजू के वीर्य से सन गयी थी, बिरजू ने अपनी बिटिया को प्यार से अपनी बाहों में भर लिया, नीलम काफी थक गई थी, दोनों की सांसे अब भी थोड़ी तेज तेज ही चल रही थी, काफी देर तक वो दोनों वहीं चटाई पर लेटे लेटे एक दूसरे को दुलारते सहलाते रहे और दोनों एक दूसरे की बाहों में न जाने कब सो गए। बारिश कभी तेज कभी माध्यम होती रही।
बहुत ही कामुक अपडेट था।
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एक बार फिर फोरम थर्रा उठा ।

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