Update- 50
नीलम और बिरजू एक दूसरे की बाहों में चरम सुख का आनंद लेते हुए पड़े रहे, बिरजू का लंड थोड़ा शिथिल हो गया था पर नीलम की बूर के अंदर ही घुसा हुआ था, नीलम अपने बाबू के शिथिल हो चुके लंड को महसूस कर मुस्कुरा उठी, उसको अपने बाबू के लंड पर बहुत प्यार आ रहा था, जैसे कोई छोटा बच्चा खा पीकर सो गया हो ठीक वैसे ही उसके बाबू का लंड उसकी बूर में पड़ा हुआ था।
बदल छाने लगे, अंधेरा और घना हो गया, नीलम अपने बाबू के चेहरे को अपने हांथों में थाम लेती है और बड़े प्यार से अपनी नाक उनकी नाक से रगड़ते हुए बोलती है- ओ मेरे बलमा, मजा आया, अपनी सगी बेटी को चोदके।
बिरजू- हां मेरी बिटिया, मेरी सजनी बहुत मजा आया, पर मन नही भरा अभी।
नीलम- हाय मेरे राजा, जिस बेटी से उसके पिता का मन एक ही बार में भर जाए तो उस बेटी का हुस्न किस काम का, हम्म।
बिरजू- सच, तू तो कयामत है मेरी बेटी, कयामत, तुझे मजा आया।
नीलम - बहुत बाबू....बहुत..मुझे तो बहुत मजा आया अपने बाबू का मोटा लंड अपनी बूर को खिलाकर, देखो न बाबू अभी भी मेरी बूर कैसे चुपके चुपके हौले हौले अपने लंड को चूम रही है, जैसे छोटी बच्ची मुँह में लॉलीपॉप लिए लिए सो जाती है वैसे ही देखो न मेरी बुरिया भी कैसे आपका लंड मुँह में लिए लिए सो सी रही है।
सच बाबू मुझे बहुत मजा आया, ऐसा सुख मुझे आजतक नही मिला था, बाबू आपको एक बात बोलूं
बिरजू- बोल न मेरी रानी
नीलम धीरे से कान में- बाबू आज मुझे पहली बार चरमसुख प्राप्त हुआ है
बिरजू नीलम को आश्चर्य से देखते हुए- क्या, सच में।
नीलम- हाँ, बाबू
बिरजू- क्या तेरा पति अभी तक तुझे चरमसुख नही दे पाया?
नीलम- चरमसुख लुल्ली से नही मिलता बाबू, औरत को चरमसुख तो मिलता है.....
बिरजू- बोल न, रुक क्यों गयी मेरी जान।
नीलम- चरमसुख तो मिलता है बाबू मोटे से लंड से, और आपका तो लंड भी नही है
बिरजू आश्चर्य से- फिर, अगर ये लंड नही है तो क्या है मेरी बिटिया, बता न।
नीलम- बाबू समझ जाइये न।
बिरजू- नही समझ आ रहा, तू ही बता दे।
नीलम ने थोड़ा रुककर फिर अपने बाबू के कान में सिसकते हुए बोला- आपका तो लौड़ा है लौड़ा, क्योंकि जिस तरह आपने अपनी सगी बेटी की कमसिन बूर को फाड़ा है वो एक लौड़ा ही कर सकता है, ये किसी लुल्ली के बस के नही
बिरजू अपनी बेटी के मुँह से ये शब्द सुनकर अचंभित रह गया और जोश में उसने एक धक्का खींच के बूर में मारा तो नीलम जोर से चिंहुँक पड़ी आआआआआआआहहहहहहहह!
बिरजू- तुझे मेरा लंड इतना पसंद आया।
नीलम- लंड नही बाबू लौड़ा......आह.... लौड़ा, बहुत मजेदार है मेरे बाबू का लौड़ा। मैं तो आपकी दिवानी हो गयी मेरे बाबू, आपकी सगी बेटी आपकी दीवानी हो गयी और सगे बाप का लंड किस बेटी को पसंद नही आएगा भला, कितना रोमांचक होता है पिता का लंड......आआआआआहहहह
बिरजू नीलम के कान में- लंड नही लौड़ा, मेरी बेटी लौड़ा, अब खुद ही भूल गई।
नीलम- हाँ मेरे प्यारे सैयां, लौड़ा, आपका लौड़ा, डालोगे न हमेशा अपना लौड़ा मेरी बुरिया में बाबू, बोलो न, मुझे तरसाओगे तो नही इस मस्त लौड़े के लिए कभी।
बिरजू- न मेरी रानी बेटी, मैं तो खुद तेरी मखमली बूर के बिना नही रह सकता अब। कितनी रसभरी है मेरी बेटी की बूर....आह
नीलम- बाबू, मुझे एक चीज़ बोलोगे।
नीलम को बहुत ज्यादा वासना की खुमारी चढ़ती जा रही थी और वो जोश में पागल हुई कुछ भी बोलने को तैयार थी
बिरजू- क्या बोलू बोल मेरी रानी बिटिया।
नीलम धीरे से अपने बाबू के कान में- बाबू, मुझे रंडी बोलो न एक बार, मैं आपकी रंडी हूँ, सिर्फ आपकी, एक बार बोलो न, धीरे से कान में।
नीलम वासना में पगला गयी थी, बिरजू ने पहले नीलम के चहरे को अपने हाथ में लेकर प्यार से कई बार चूमा फिर बोला- मेरी बेटी को ये सुनना है, गंदी गंदी बात करना है।
नीलम बड़े प्यार से- हाँ, बाबू बहुत मन कर रहा है।
बिरजु ने धीरे से नीलम के कान में कहा- मेरी रंडी
नीलम- आआआहहह!, एक बार और बाबू, बहुत अच्छा लगा
बिरजू- हाय मेरी रंडी
नीलम जोश में- ओओओहहहह....बाबू....हाय.... पूरा बोलो न, बेटी लगा के
बिरजू धीरे से- आआहहह...मेरी बेटी...मेरी रांड...मेरी रांड है तू....मेरी सगी बेटी मेरी रंडी है सर्फ मेरी।
नीलम- ओ ओ ओ ह ह ह ह......मेरे बाबू.....हाँ मैं आपकी रंडी हूँ..... सर्फ आपकी रांड हूँ मैं मेरे राजा........आपकी सगी बेटी ही आपकी रांड है........आपके लौड़े के बिना अब वो जी नही सकती मेरे राजा, बाबू मेरी बूर में एक गच्चा मार के बोलो न ऐसे ही।
नीलम के ऐसा कहते ही बिरजू ने उसकी बूर में घुसे अपने लंड को (जो कि अब ऐसी गंदी बातों से दुबारा पूरे ताव में आ चुका था) बाहर निकाल कर ये बोलते हुए "ओह मेरी रांड, मेरी प्यारी बेटी, मेरी रंडी है तू" एक ऐसा जोरदार ऐसा धक्का मार की नीलम का पूरा बदन गनगना गया वो वासना में थरथरा गयी- ओओओओओओहहहहहह मेरे प्यारे बाबू, हाँ मैं हूँ आपकी रांड, फाड़ो मेरी बूर को, और फाड़ो अपनी बेटी की बुरिया को....हाय
नीलम जोश में बौखला ही गयी थी, इतना असीम सुख उसे आज पहली बार मिला था, समय का किसी को होश नही था, ये वही अमावस्या की रात थी, तेज बारिश शुरू हो चुकी थी, उधर खेत में बारिश में भीगते हुए रजनी और उदयराज पापसुख का आनंद ले रहे थे और इधर नीलम और बिरजू बाप बेटी की चुदाई के महापाप का भोग लगा रहे थे।
तेज बारिश होने लगी, पानी ही हल्की हल्की बौछार बरामदे में आने लगी और नीलम और बिरजू के निवस्त्र गरम बदन को झनझनाहट के साथ छौंका सा लगाने लगी, मानो गर्म कढ़ाही में कोई बार बार पानी की बौछार मार रहा हो। मौसम थोड़ा ठंडा होने की वजह से नीलम को पेशाब लगी, उसके बाबू का लंड उसकी बूर में समाया हुआ था ही, वह बोली- बाबू, देखो बारिश कितनी तेज होने लगी, मजा आ रहा है न।
बिरजू- हाँ मेरी जान, मौसम भी हमारे मिलन को जल अर्पण कर रहा है।
नीलम- बाबू मुझे पेशाब आ रहा है
बिरजू- तो पिला दे न, इसमें पूछना क्या मेरी जान
नीलम चौंकते हुए- क्या, आप पेशाब पियोगे?
बिरजू- हाँ, पिला दे तेरा मूत
नीलम- मेरा मूत पियोगे, अपनी बिटिया का
बिरजू- हाँ, प्यास बहुत लगी है
नीलम- बहुत प्यास लगी है मेरे शोना को, पर खाट हटा कर नीचे चटाई बिछा लेते है बाबू, फिर पिलाऊंगी
बिरजू- ठीक है हुज़ूर
बिरजु ने अपना फौलाद हो चुका लंड नीलम की बूर में से बाहर निकाला तो नीलम आह करके सिसक उठी।
बिरजू ने जल्दी से लालटेन जलाई और रोशनी माध्यम कर दी, दोनों बाप बेटी पूरे नंगे थे, बिरजू नीलम को देखता रह गया, नीलम भी अपने बाबू को वासना की नज़रों से निहारती रही, एक बार लालटेन की रोशनी में दोनों ने जब एक दूसरे को पूर्ण नग्न देखा तो रहा नही गया और दोनों एक दूसरे की बाहों में कस कर लिपट गए और एक दूसरे के बदन को मस्ती में सहलाने लगे, कुछ देर बाद नीलम- बाबू जोर से पिशाब आ रहा है।
बिरजू ये सुनते ही फट चटाई पर लेट गया और नीलम लालटेन को रोशनी में कराहते है अपने बाबू के सीने पर अपनी बूर उनके मुँह के सामने करके बैठ गयी, लालटेन की रोशनी में अपनी सगी बेटी की महकती बूर जिसको अभी कुछ देर पहले ही बिरजू घच्च घच्च चोद चुका था, देखकर फिर मदहोश हो गया, उस बूर की छेद से अभी भी उसका वीर्य हल्का हल्का निकल रहा था, जो गवाही दे रहा था कि एक बेटी अपने ही सगे बाप से अच्छे से चुदी है।
बूर देखते ही बिरजू से अपने दोनों हांथों को नीलम के नितम्ब पर रखा और आगे को ठेलकर उसकी रसभरी बूर को मुँह में भर लिया, नीलम जोर से सिसक उठी और खुद भी उसने मचलते हुए अपने बाबू का सर पकड़कर अपनी बूर उनके मुँह में रगड़ने लगी, बिरजू लप्प लप्प अपनी बेटी की बूर को चाटने लगा तो एक दम से नीलम को झुरझुरी महसूस हुई और उसका पेशाब निकल गया, आआआआआआआआहहहह...........दैय्या, बाबू........आआआआहहहहह, नीलम की बूर की फैली हुई दोनों फांकों के बीच से गरम गरम महकता हुआ पेशाब सुर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर की आवाज के साथ बिरजू के पूरे मुँह को भिगोने लगा, पेशाब छोड़ती बूर को बिरजू जीभ निकाल के पहले तो चाटने लगा, फिर बूर को मुँह में भरकर अपनी बेटी का मूत पीने लगा, क्या महक थी बेटी के पेशाब की और मूतते हुए नीलम क्या लग रही थी, दोनों बाप बेटी की आंखें मस्ती में बंद थी, बिरजू लपा लप नीलम का पेशाब कभी चाटता कभी पीता, बिरजू का पूरा चेहरा, उसकी गर्दन और सीना सब नीलम के पेशाब से भीग चुका था, नीलम अपने पेशाब से अपने बाबू को भिगोते हुए उनको बड़ी मादकता से देखती भी जा रही थी, काफी हद तक बिरजू नीलम का पेशाब पी चुका था, एकाएक नीलम ने अपनी उंगली से कराहते हुए अपनी बूर की फाँकों को चीरा और पेशाब की धार छोड़ती फैली हुई बूर को एकदम से अपने बाबू के मुँह में भर दिया और बोली- लो बाबू अपनी रंडी का पेशाब, अब खत्म होने वाला है जल्दी पूरा पी लो..
बिरजू ने लप्प से अपनी बेटी की बूर को मुँह में भरा और सारा मूत पी गया, पेशाब बन्द होने के बाद नीलम ने अपनी बूर अपने बाबू के मुँह से बाहर खींची और एक पल के लिए उनके सारे भीगे हिस्से को कामुकता से देखने लगी और बोली- कैसा लगा मेरे बाबू
बिरजू- मेरे पास शब्द नही मेरी बिटिया, ऐसा मजा आजतक नही आया था।
नीलम उठकर अपने बाबू के ऊपर लेट गयी और बोली- अब मैं अपने प्यारे बाबू को ऐसे ऐसे मजे दूंगी की उनकी जिंदगी बदल जाएगी
बिरजू का लंड नीलम की बूर पर फिरसे दस्तक देने लगा, बिरजू अपने दोनों हाँथों से नीलम की गांड को भी सहलाने लगा, नीलम सिसकते हुए अपने बाबू के चेहरे और गर्दन पर लगे पेशाब को मस्ती में चाटने लगी तो बिरजू भी मस्ती में कराहने लगा- आह मेरी जान
नीलम मस्ती में अपने बाबू को चूमती चाटती हुई नीचे की तरफ बढ़ने लगी, बिरजू उसके बालों को सिसकते हुए सहलाने लगा, नीलम अपने बाबू के दुबारा तन चुके लन्ड तक आयी और लालटेन की रोशनी में अपने बाबू का खड़ा लन्ड निहारने लगी, उसने उसको हाँथ से पकड़ा और चमड़ी को धीरे से उतारा तो उसकी आंखें अपने बाबू के मोटे सुपाड़े और उस पर पेशाब के छेद को देखकर मस्ती में भर गई, उसने अपने बाबू की तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोली- कितना प्यारा है बाबू ये, बहुत प्यारा है मेरे मर्द का लंड और ऐसा कहते हुए नीलम अपने बाबू का लंड हौले हौले चूमने लगी, पहली बार लंड पर अपनी सगी बेटी के गरम होंठ महसूस कर बिरजू जन्नत में खो गया, कितने गरम चुम्बन दे रही थी नीलम उसके लंड पर, धीरे धीरे चूमने के बाद नीलम जीभ निकाल कर अपने बाबू के लंड चाटने लगी, बिरजू मस्ती में उसका सर पकड़े अपने लंड को हौले हौले नीलम के मुँह में खुद भी ठेलने लगा, अपनी बेटी को अपना लंड चुसवाने में कितना मजा आ रहा था।
नीलम आंखें बंद किये अपने बाबू का लंड बड़ी लगन से चूसे जा रही थी और अपने मन में सिसकते हुए सोचे जा रही थी कि लंड अगर दमदार हो तो चूसने का मजा ही कुछ और है, कभी वो सुपाड़े को मुँह में भरकर चूसती, कभी उसपर जीभ फिराने लगती, कभी तो पूरे लंड को जड़ तक मुँह में भरने की कोशिश करती पर न हो पाता, कभी दोनों आंड को मुँह में भरकर पीती, लंड पर लगे उसकी बूर का रस और वीर्य का मिश्रण उसने कब का चाट चाट के साफ कर दिया था, कभी जीभ नुकीली बना के अपने बाबू के लंड के छेद पर गोल गोल फिराती जिससे बिरजु झनझना के मचल जाता, बिरजू खुद भी नीलम का सर पकड़ कर अपना लन्ड उसके मुँह में अंदर बाहर कर रहा था और जोर जोर से कराहते जा रहा था- ओह.... बेटी.....कितने प्यारे हैं तेरे होंठ, कितने नरम है......मेरी प्यारी बिटिया इतना मजा तो मुझे आजतक नही आया......ओह मेरी रानी.......मजा आ गया
नीलम- आह.....बाबू क्या लंड है आपका.......मेरा तो जीवन संवर गया इसे पाकर....... मैं तो दीवानी हो गयी अब इसकी............इसके बिना अब मैं रह नही सकती।
बिरजू- मैं भी कहाँ रह सकता हूं अब तेरी इस मखमली बूर के बिना मेरी रानी, जी करता है शेरु की तरह मैं भी तेरे पीछे दिन रात लगा रहूँ।
नीलम- शेरु की तरह, मेरे पीछे
बिरजू- हाँ, तेरे पीछे
नीलम- तो लगे रहिये न, क्या क्या करोगे मेरे पीछे आके।
बिरजू- जो जो शेरु करता है
नीलम- वो, वो तो पहले घूम घूम के अपनी बेटी की बूर को सूंघता है, फिर चाटता है और फिर उसमे अपना लंड डालके उसको चोदता है।
बिरजू- तो मैं कौन सा अपनी बिटिया को कम प्यार करता हूँ।
नीलम मुस्कुरा दी और बोली- तो मैं बीना बनू, और आप शेरु बन जाइये।
बिरजू- ठीक है मेरी जान, बन तुझे जो बनना है
नीलम फिर झट से चटाई पर एक कुटिया की तरह बन गयी और अपने पैर फैलाकर अपनी गांड को बाहर की तरफ निकाल कर सिसकते हुए झुक गयी
बिरजू झट से शेरु की तरह आया और नीलम की गांड के आस पास सूंघने लगा, नीलम को तो अब आने लगा मजा, अपने बाबू की गर्म गर्म सांसों को अपनी बूर के आस पास महसूस कर नीलम नशीली होने लगी, पहले तो वो अपने दोनों हाँथ सीधे करके झुकी हुई थी पर फिर उसने अपने हांथों को कोहनी से मोड़ लिया और गांड को और पीछे को उभारकर झुक गयी।