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Incest पाप ने बचाया

Sweet_Sinner

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~~~~ पाप ने बचाया ~~~~

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आहार बापू
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Update- 63

महेन्द्र तेज कदमों से अपने ससुर जी के बताए रास्ते पर चलते हुए खेतों की ओर जाने लगा। बिरजू ने अपने दामाद को अपने खेत दिखाए, पास ही कुछ बागों की सैर कराई, दोनों इधर उधर की बातें करते रहे और दो तीन घंटे में घूम फिर कर घर की तरफ चल दिये। दोपहर हो चुकी थी, बादल कुछ हल्के हो गए थे, कभी कभी बादलों के बीच से तेज धूप निकलकर बारिश से हुई थोड़ी ठंड में गर्माहट पैदा कर दे रही थी। मौसम ऐसा था कि कभी छांव हो जाती तो कभी तेज धूप निकल आती, तेज धूप बदन को मानो लेस दे रही थी, दोनों ससुर दामाद घर पहुचे।

नीलम खाना तैयार करके दोपहर में रसोई के बगल वाले कमरे में पड़ी खाट पर इंतज़ार करते करते सो ही गयी थी, बेसुध होकर सोने की वजह से साड़ी उसकी अस्त व्यस्त हो गयी थी, गोरे गोरे मांसल पैर नीली साड़ी में चमक रहे थे। काले ब्लॉउज के अंदर 34 साइज की कसी कसी दोनों चूचीयाँ तनकर किसी पहाड़ की तरह खड़ी थी, पल्लू सरक कर नीचे गिर गया था, उल्टा हाँथ उसने पेट पर नाभि से थोड़ा ऊपर रखा हुआ था और सीधा हाँथ उठाकर सर के ऊपर खाट पर रखने की वजह से उसकी कांख दिख रही थी, जो कि पसीने से गीली थी, पसीने से ब्लॉउज भी कई जगह गीला हो रखा था। सांसों से उसकी चूचीयाँ हल्का हल्का ऊपर नीचे हो रही थी, और नाभि वो तो कहर ढा ही रही थी।

बिरजू को अभी अपने मित्र के यहां भी जाना था इसलिए वो अब जल्दी जल्दी घर की तरफ बढ़ रहा था।

जैसे ही बिरजु और महेंद्र घर पहुचे, महेंद्र तो बाहर ही खाट पर बैठ गया और बिरजू नीलम को आवाज लगाता हुआ घर में गया।

बिरजू- नीलम.......नीलम बेटी....आ गए हम लोग....कहाँ हो तुम.....सो गई क्या?

अब रात भर पिता से संभोग सुख पाकर थकी मांदी नीलम एक बार जब खाट पर पड़ी तो एक बार आवाज लगाने से कहाँ उठने वाली थी, बिरजू ने पहले रसोई में देखा नीलम वहां नही थी, वो समझ गया कि जरूर सो गई होगी, वो बगल वाले कमरे में गया, अपनी बेटी को अस्त व्यस्त बेसुध होकर सोते देख वासना की खुमारी उसको फिर चढ़ने लगी।

एक पल के लिए बिरजू ने पीछे पलट कर देखा कि कहीं महेन्द्र पीछे पीछे तो नही आ गया, पर महेन्द्र तो मन मानकर बाहर खाट पर लेट चुका था, बिरजू सोती हुई नीलम के ऊपर अपने दोनों हाँथ खाट के दोनों पाटी पर रखते हुए झुका और उसकी गहरी गोरी गोरी नाभी को चूम लिया, अचानक गोरे गोरे बदन पर मर्दाना चुम्बन मिलने से नीलम के बदन में गहराई तक एक कंपन का संचार हुआ और गनगना कर वो उठ गई, अपने बाबू को देख कर मुस्कुरा पड़ी, आंखें उसकी लाल थी, बिरजू को एक बार तो अच्छा नही लगा कि उसने कच्ची नींद से अपनी बेटी को जगाया पर क्या करता, मदमस्त यौवन वो भी सगी बेटी का देखकर उससे रहा नही गया।

नीलम- बाबू आ गए आप?....और ऐसे जागते हैं कोई.........सीधा नाभि पर चूमकर.......मैं तो डर ही गयी थी।

बिरजू- अकेले में तो मैं ऐसे ही जगाऊंगा अपनी बेटी को, मन तो कर रहा था कि कहीं और चूम के जगाऊँ पर वो रात के लिए छोड़ दिया, और वैसे भी उसके लिए मुँह साड़ी में डालना पड़ता।

नीलम- अच्छा जी........तो डाल लेते....बेटी की साड़ी में मुँह डालने का मजा ही कुछ और है.....है न बाबू?

बिरजू- है तो मेरी जान, पर क्या करूँ।

नीलम- पर वहां चूम लेते तब तो मैं उछल ही जाती खाट से....

बिरजू- तो लाओ अब वहीं पर चूम लेता हूँ।

नीलम- अरे नही..नही...बाबू....अभी नही....मैं तो ऐसे ही बोल रही थी, इस वक्त ठीक नही, अकेले में चूम लेना जो भी चूमना हो।

(ऐसा कहते हुए नीलम साड़ी से अपने पैरों को ढकने लगी और दोनों मुस्कुराने लगे)

बिरजू- अच्छा चल उठ खाना निकाल, असली चीज़ अब रात को ही खाऊंगा।

(नीलम ने प्यार से एक मुक्का अपने बाबू की जांघ पर मारा)

नीलम- बदमाश! असली चीज़........बहुत बदमाशी आती है आपको न, क्या है असली चीज़? जरा मैं भी तो जानू।

(नीलम कामुक बातें करते हुए आगे बढ़ी)

बिरजू ने उंगली से नीलम की बूर की तरफ इशारा करके कहा- असली चीज़ ये, ये है असली चीज़, असली भूख तो इसकी है।

नीलम ने ऊपरी शर्म दिखाते हुए "धत्त" बोलकर एक चिकोटी बिरजू के गाल पर काटी तो बिरजू ने नीलम को पकड़कर फिर से चूम लिया।

नीलम- अच्छा बाबू...आप और वो हाँथ मुँह धोकर आइए मैं खाना लगाती हूँ।

बिरजू- हाँ निकाल खाना, खाना खा के जाऊं मैं जल्दी, उस मित्र के यहां भी जाना है न, क्या पता कुछ उपाय मिल जाय।

नीलम- हाँ बाबू, जल्दी जाओ ताकि वक्त से वापिस आ जाओ।

नीलम ने सबका खाना निकाला और सबने दोपहर का खाना खाया, खाना खाने के बाद नीलम ने अपने बाबू और महेंद्र को मिठाई खाने को दी।

सबने मिठाई खाई और बिरजू तुरंत महेन्द्र को ये बोलकर की वो किसी जरूरी काम से बाहर जा रहा है शाम तक आएगा अपने मित्र से मिलने चला गया।

महेन्द्र को तो मानो मुँह मांगी मुराद मिल गयी हो, नीलम के साथ दिन में ही अकेले वक्त बिताने का वक्त जो मिल गया था।

पर जैसे ही बिरजू के जाने के बाद महेन्द्र घर के अंदर जाने लगा एक चूड़ी बेचने वाली बूढ़ी औरत सर पर टोकरी रखे तेज तेज आवाज लगाते हुए "चूड़ी लेलो चूड़ी.....अच्छी मजबूत चूड़ियां......लाल....नीली.....हरी....पीली रंग की चूड़ियां" द्वार पर आ गयी।

ये सुनकर नीलम घर से बाहर आई पर घर के दरवाजे पर ही महेन्द्र उसे घर के अंदर आता हुआ मिला तो नीलम उसका हाँथ पकड़कर बाहर ले जाते हुए बोली- चलो न मुझे चूड़ी दिलाओ, ये चुड़िहारिन कितने दिनों बाद आई है, आज का दिन ही कितना अच्छा है, इसके पास बहुत अच्छी अच्छी चूड़ियां रहती हैं।

महेन्द्र कहाँ घर के अंदर जाने वाला था उल्टा नीलम उसको घर के बाहर घसीट लायी। मरता क्या न करता, बात माननी ही पड़ी।

महेन्द्र- हाँ हाँ ले लो न चूड़ी, पहन लो जो तुम्हे पसंद हो।

नीलम- अरे आप पसंद करो न.....अम्मा रुको जरा, चूड़ी दिखाओ कैसी कैसी हैं आपके पास।

चूड़ीवाली रुक गयी, महेन्द्र वहीं खाट पर दुबारा बैठ गया, चूड़ीवाली ने चूड़ी से भरी टोकरी उतार कर जमीन पर रखी और बगल में बैठ गयी, तरह तरह की चूड़ियां उसने नीलम को दिखाई, चूड़ियां काफी अच्छी-अच्छी थी, नीलम को कई तरह की चूड़ियां पसंद आ रही थी, तभी उसके मन में आया कि वो अपनी सहेली रजनी को भी बुला ले ताकि वो भी अपनी मन पसंद की चूड़ियां ले ले, फिर न जाने कब ये चूड़ीवाली आये न आये।

नीलम- अम्मा चूड़ियां तो बहुत अच्छी अच्छी लायी हो आप, जरा रुको मैं अपनी सहेली को भी बुला लाती हूँ, उसको भी लेना है, वो भी पसंद कर लेगी।

चूड़ीवाली- हाँ बिटिया ले आ बुला के मैं यही बैठी हूँ, पर जल्दी आना।

नीलम भागते हुए रजनी के घर की तरफ ये बोलते हुए गयी- हाँ अम्मा मैं अभी आयी, बस थोड़ा रुको।
Awesome update bhai but phele se bahut late update aata hai
 
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निलम का पती हिलाता रह गया
देखते है महेंद्र को चुदाई करने को मिलती है या बापू ही हाथ मार लेता है अपनी सगी बेटी निलम पर
जबरदस्त और धमाकेदार अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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बहुत खूबसूरत कहानी है यार.... साला लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा... कल दोपहर में पढ़ना शुरू किया और 24 घंटे में पूरा पढ़ डाला... अगला अपडेट जल्दी दो...
 
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