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Incest पाप ने बचाया

Sweet_Sinner

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Index

~~~~ पाप ने बचाया ~~~~

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Vikashkumar

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Update- 76

रजनी उस तोते को सर घुमा के काफी देर तक दूर जाता हुआ देखती रही, तो उदयराज ने चुपके से नीचे झुककर धीरे से अपनी जीभ निकाली और रजनी की गीली बूर की फांकों के बीच चाट लिया।

रजनी गुदगुदा कर चिहुँक गयी और झट से अपने बाबू को अपना सर उठा के देखा, जो कि उसकी जाँघों में घुसे हुए थे।

उदयराज- अब जाने भी दो उस बेचारे तोते को क्या नज़रों से ही घर तक छोड़के आओगी उसको।

रजनी- बस चलता तो जाने ही न देती.....बहुत प्यारा था वो........बूर चूम के कैसे झट से उड़ गया...... छुटंकी बदमाश।

ऐसा कहते हुए तोते के दुबारा गिराए हुए अमरूद के टुकड़ों को रजनी ने उठा के खा लिया।

उदयराज- देख लेना फिर आएगा जरूर वो, तुम्हारी बूर में एक बार छोटी सी डुबकी मार के गया है, अबकी आएगा तो पूरा नहायेगा.....इस कामुक रसीले कुंड में.....अच्छे से।

उदयराज ने रजनी को छेड़ा

रजनी- हे भगवान....धत्त....आप भी न बाबू कुछ भी बोल रहे हो.....अब नही आएगा वो।

उदयराज- देख लेना आएगा जरूर.....बूर का चस्का ही अलग होता है और वो तो चख के भी गया है अब......बाकी तीन तो केवल देख के निकल लिए।

रजनी- हाँ...बाबू देखो कितना ढीठ था न, आपसे भी नही डरा.....पहले तो कितनी देर टुकुर टुकुर निहारता रहा फिर......आके सीधे जांघ पर बैठ गया.....और चोंच कहाँ मारी सीधे।

उदयराज- कहाँ.....मारी?

(उदयराज ने जानबूझ के पूछा)

रजनी- यहां......ये इसपे....मैं तो चिहुँक पड़ी तुरंत।

(रजनी ने भी जानबूझकर अपनी दोनों फांके खोली और तने हुए भग्नासे पर उंगली रखते हुए दिखा के बोली)

उदयराज- उसे लगा होगा कि ये छोटा सा अमरूद का टुकड़ा है

रजनी जोर से हंस पड़ी।

रजनी- हे भगवान.....अमरूद का टुकड़ा.....ये अमरूद का टुकड़ा है।

उदयराज- हां और क्या....प्यारा सा अमरूद का टुकड़ा।

रजनी- तो खा लो फिर अमरूद के टुकड़े को.......लो खा लो आप भी।

(ऐसा कहते हुए रजनी ने थोड़ा शर्माते हुए दिन की रोशनी में अपने दोनों हांथों से अपनी रसीली बूर की फांकों को खोलकर अपने तने हुए कड़क भग्नासे को अपने बाबू के आगे परोस दिया)

उदयराज अपनी सगी बेटी की खुली हुई बूर और रजनी के परोसने के तरीके को देखकर वो बूर पर टूट पड़ा, नीचे से ऊपर, ऊपर से नीचे, दोनों फांकों और भग्नासे को जीभ से चाट चाट के तर कर दिया, रजनी कभी आंखे बंद कर सिसकती कभी आंखे खोल के सर इधर उधर घुमा के देखती की कहीं कोई देख न ले, अपने दोनों हांथों से अपने बाबू के सर को अपनी बूर पर सिसकते हुए दबाती तो कभी जोश के मारे खुद भी अपने नितंब ऊपर नीचे हिला कर बूर को अच्छे से अपने बाबू के जीभ पर रगड़ती। बूर चाटते चाटते उदयराज ने अपनी एक उंगली धीरे से बूर के प्यारे से गुलाबी छेद में डाल दिया, रजनी "आआआआआहहहहहह.....बाबू......बस भी करो......कितना अंदर डालोगे..........उंगली नही मोटा सा अपना लंड डालिये न उसमे............ऊऊऊऊऊईईईईईईईईई..... अम्मा........बस........धीरे धीरे रगड़ो........आआआआआआहहहहहहहह, उंगली भी कम नही है आपकी"

उदयराज- क्या करूँ तेरी बूर है ही कयामत, देख के ही गुलाबी गुलाबी नशा छाने लगता है।

रजनी- बेटी की बूर है न इसलिए.......एक बार डाल दो न बाबू अपना मोटा लंड।

उदयराज- अपनी बिटिया की गरम रसीली बूर में डालने के लिए तो मैं भी तड़प रहा हूँ अपना लंड पर आज के दिन तो मुझे न्यौता (invitation) पिछली रसोई से पहले ही आ रखा है न, अगर ये अगली रसोई में घुस गया तो पिछली रसोई नाराज़ हो जाएगी न...हम्म

रजनी- मेरे शोना बाबू दोनों रसोई मेरी ही है न, मैं पिछली रसोई को समझा दूंगी, आप बस एक बार इसको अगली रसोई में आने दीजिए........डालिये न.....क्यों तड़पाते हैं....... अच्छा एक बार अच्छे से बूर में अंदर तक बोर के निकाल लीजिए, फिर पिछली रसोई में चले जाना।

उदयराज- हाय मेरी बेटी.....तेरे इस मनुहार पर तो अब मैं खुद को तेरी बूर में लंड बोरने से नही रुक सकता।

रजनी- हां तो डालो न बाबू अंदर तक जल्दी से।

उदयराज ने अपने मोटे 9 इंच लंबे और 3 इंच काले लंड को थामा और पोजीशन लेकर अपनी बेटी पर चढ़ गया, रजनी भी साइड से अपना एक हाँथ अपनी दहकती बूर पर ले गयी और बूर की गीली गीली फांकों को चीर कर अपने सगे पिता को बूर परोस दी, उदय के लंड का सुपाड़ा जैसे ही दहकती बूर के गीले गुलाबी छेद से टकराया, रजनी की आंखें मस्ती में बंद हो गयी "आआआआहहहह बाबू......कितना चिकना है आपके लंड का आगे वाला.......उफ़्फ़फ़फ़......... ऊऊऊऊऊईईईईईईईईई....अम्मा..... धीरे धीरे बाबू......पहले बूर पर थोड़ा रगडिये.........रगडिये न.........हाँ ऐसे ही.........आआआआहहहह...…..मजा आ गया........थोड़ा भग्नासे पर अपना मोटा चिकना वाला और रगड़ो..........रगड़ दो न मेरे प्यारे बाबू..............हाय बाबू...........कितना अच्छा लगता है......जब दोनों टकराते हैं......…भगनासा और लंड....... उफ़्फ़फ़फ़........भगवान ने भी क्या बनाया है लंड और बूर.......हाय

(उदयराज ने अपने मोटे लंड का दबाव बूर पर बढ़ाया और लंड धीरे धीरे बूर में जाने लगा, जैसे जैसे लंड अंदर जा रहा था रसभरी बूर इलास्टिक की तरह फैलकर लंड को लील रही थी)

अपनी सगी बेटी की बूर में लंड घुसाते हुए उदयराज ने बेटी को देखा तो उसका चेहरा उत्तेजना में गुलाबी हो चुका था, आँखे आनंद में बंद थी, होंठों से हल्की हल्की सिसकी निकल रही थी, उदयराज ने झट से सिसकते होंठों को अपने होंठों में भर लिया और धीरे धीरे लंड घुसाते हुए जब बूर की आधी गहराई लंड नाप चुका था तो एक करारा झटका उदयराज ने बूर में मारा और लंबा सा 9 इंच का लंड सीधे बच्चेदानी से जा टकराया, रजनी जोर से सीत्कारी पर उसके होंठ उदयराज के होंठों में कैद होने की वजह से आवाज अंदर ही दबकर रह गयी, रजनी ने दर्द सहते हुए प्यार से एक दो मुक्के अपने बाबू की पीठ पर मारे "कितनी जोर से डाल देते हो एक ही बार में न"

उदयराज- तुम्ही ने तो बोला था मेरी रानी बिटिया की एक बार बोर के निकाल लो

रजनी सिसकते हुए- हाँ तो इतनी जोर से बोरोगे बूर में, आपकी सगी बेटी हूँ न

उदयराज- सगी बेटी के साथ ही तो पागल कर देने वाला नशा चढ़ता है, रिश्ता ही ऐसा है क्या करूँ।

रजनी ने फिर एक मुक्का अपने बाबू की पीठ पर मारा- धत्त....बदमाश

उदयराज अपनी बेटी की बूर में लंड डाले कुछ देर लेटा रहा और दोनों एक दूसरे को चूमते सहलाते रहे, फिर तभी उदयराज ने रजनी के चौड़े नितंब को हथेली में भर लिया और उसके कान में उसकी गाँड़ को सहलाते हुए बोला- पिछली वाली रसोई कितनी मादक है।

रजनी सिसकते हुए- अच्छा जी, आपको पसंद है बाबू

उदयराज- बहुत.....बहुत मेरी जान बहुत, पर देखो ये नाराज़ होती जा रही है

उदयराज ने अपनी एक उंगली से रजनी के गाँड़ के छेद को सहलाते हुए बोला।

रजनी- नाराज़ हो रही है बाबू?....सच में

उदयराज- हां...बिल्कुल

रजनी- तो उसे नाराज़ मत होने दीजिए, उसे भी प्यार कर लीजिए।

उदयराज- दिखाओ न फिर अपनी पिछली रसोई अच्छे से।

रजनी- अब इतना करीब आके भी उसे पिछली रसोई ही बोलोगे बाबू

उदयराज ने मुस्कुरा के रजनी को देखा फिर बोला- अच्छा मेरी प्यारी बेटी अपनी गाँड़ दिखा न मुझे, देखूं तो जरा दिन की रोशनी में गोरी गोरी कैसी दिखती है तेरी मादक गाँड़।

रजनी ने मस्ती में सिसकते हुए बोला- तो निकालो अपना लंड मेरी बूर में से, पर बूर का मन नही है लंड वापिस देने का।

उदयराज ने मुस्कुरा कर नीचे देखा और अपना लंड रजनी की बूर में से धीरे से बाहर निकाला और बूर के छेद को देखा तो वो लंड खाने के लिए मानो फड़क रही थी, उदयराज ने दुबारा अपने लंड का सुपाड़ा बूर की छेद पर लगाया और धीरे से बोला- बस जल्द ही आ जाऊंगा मेरी जान थोड़ा सा सब्र कर ले।

रजनी ने धीरे से अपनी बूर को थपथपाया और बोली- चलो मान गयी ये, पर जल्दी आना, ज्यादा देर इंतजार नही करेगी ये।

उदयराज- नही मेरी जान बिल्कुल नही

उदयराज ने एक बार फिर झुककर बूर को चूम।लिया।

उदयराज ने रजनी को देखा तो वो मुस्कुरा दी और फिर साड़ी को पैरों तक ढक लिया और पेट के बल लेट गयी, फिर दुबारा अपने बाबू को देखती हुई बड़े प्यार से अपनी साड़ी उठाने लगी, कुछ ही देर में रजनी ने अपनी मोटी चौड़ी गाँड़ अपने बाबू के सामने उजागर कर दी।

उदयराज अपनी सगी शादीशुदा बेटी की विशाल 36 साइज की मोटी दूध जैसी गोरी गोरी चौड़ी गाँड़ दिन के उजाले में देखकर बेसुध सा हो गया, रजनी साड़ी कमर तक उठाये अपनी गाँड़ खोले अपने बाबू को देखकर मुस्कुरा रही थी, उदयराज रजनी की चिकनी मस्त चौड़ी गाँड़ को कुछ देर ललचाई नज़रों से देखता रहा तभी रजनी ने अपनी साड़ी को कमर पर बटोर कर अपने हाथों से अपनी गाँड़ के दोनों मस्त रसीले चौड़े पाटों को चीर कर प्यार सा छोटा सा छेद अपने बाबू को दिखा कर और लुभाया, उदयराज ने "ओह मेरी बेटी, क्या छेद है तेरी गाँड़ का" बोलते हुए झुककर उस कामुक छेद को चूम लिया और फिर लगातार कई बार चूमा, मस्ती में रजनी की आंखे बंद हो गयी "ओह बाबू, आपके होंठों की छुवन वहां पर कितना गुदगुदा रही है"

उदयराज - कहाँ पर मेरी बिटिया

रजनी नशे में- गाँड़ के छेद पर....मेरे बाबू

उदयराज- अपना थूक लगाओ न इस छेद पर....और मजा आएगा

रजनी ने नशीली आंखों से अपने बाबू को देखा फिर मुस्कुरा कर अपने एक हाँथ में ढेर सारा थूक लिया और धीरे से ले जाकर अपनी गाँड़ की छेद पर चुपड़ दिया, और फिर दोनों हांथों से अपनी गोरी गाँड़ को अच्छे से फाड़ कर छेद को एक नशीले अंदाज़ में अपने बाबू को दिखाया, गोरी गोरी गाँड़ का प्यारा सा छेद सफेद सफेद रजनी के थूक से सन गया, थूक इतना ज्यादा था कि बहकर नीचे मखमली बूर तक जाने लगा तो उदयरज ने झट से उस थूक को चाट लिया, थूक चाटते वक्त उदयराज की मर्दाना जीभ रजनी की दहकती बूर से जा टकराई तो रजनी मस्ती में हल्का सा सिसक उठी, अपने सगे बाबू की जीभ अपनी बूर और गाँड़ के छेद पर महसूस कर उसका बदन बार बार गनगना जा रहा था।

उदयराज मस्ती में आंखे बंद कर अपनी बेटी की गाँड़ को चाटने लगा, दोनों हाथों से रजनी ने गाँड़ को अच्छे से फैला रखा था और उदयराज रजनी के गाँड़ के छेद को जीभ से लप्प लप्प चाटे जा रहा था, वो कभी जीभ को चौड़ा कर पूरी गाँड़ को चाटता, तो कभी जीभ को नुकीला कर गाँड़ के छेद में डालता, कभी जीभ को गाँड़ के छेद पर गोल गोल घुमाता जिससे रजनी और भी गुदगुदाहट में गनगना जाती "ओह बाबू जल्दी जल्दी करो कोई देख न ले........आह कितनी गुदगुदाहट हो रही में मेरे साजन.....मेरे बाबू......चाटो ऐसे ही अपनी बिटिया की गाँड़, आह कितना मजा आ रहा है...... चाटो ऐसे ही.......आआआआआआहहहहह

उदयराज- "ओह मेरी बेटी......क्या मस्त गाँड़ है तेरी..... कितनी मादक हो गयी है मेरी बिटिया.....कितनी चौड़ी है तेरी गाँड़......हाय..... कितनी गोरी है।

रजनी- "आपने मुझे प्यार कर कर के मादक औरत बना दिया है बाबू........आपको पाकर ही मुझे असल में औरत होने का अहसास हुआ.....मेरे बाबू आपने मुझे असली मर्द का सुख दिया है...…..हाय..... आप ही मेरे असल मर्द हो......ऐसे ही प्यार करो बाबू मुझे.......ऊऊऊऊऊईईईईईईईईई अम्मा ऐसे ही चाटो....... बाबू..... ऐसे ही चाटो

रजनी के कस के गाँड़ को फाड़े रहने की वजह से गाँड़ का छेद हल्का खुल गया था जिसमे उदयराज ने जीभ डाल के घुमाना शुरू कर दिया तो मारे उत्तेजना और गुदगुदी के रजनी मचल उठी, और अपने दोनों हांथों से गाँड़ को छोड़कर अपने बाबू का सर हल्का हल्का सहलाने लगी, गाँड़ को छोड़ देने से गाँड़ के दोनों पाट उदयराज के गालों से टकरा गए और उदयराज का लगभग आधा चेहरा रजनी की गाँड़ में डूब गया। उदयराज अब और मस्ती में भर गया वो अपनी बेटी की कमर और पूरी गाँड़ को सहलाते हुए बहुत ही तन्मयता से गुलाबी छेद को चाटने लगा।

रजनी- बाबू थूक लगा के डालिये न ......अब लंड

उदयराज अपनी दुलारी बिटिया को अब और तड़पाना नही चाहता था, झट से उठ बैठा। रजनी के कान के पास जाकर बोला- अपने मर्द को तैयार तो कर दो मेरी रानी, तभी तो अंदर जाएगा।

रजनी समझ गयी उसने झट से अपना हाँथ अपने बाबू के होंठों के पास किया और बोली- तो लाओ अपना थूक

उदयराज ने रजनी के हांथों पर अपना थूक दिया, रजनी ने अपने बाबू को नशीली आंखों से देखते हुए उनमे अपना थूक मिलाया और पलटकर लंड को देखती हुई दोनों के थूक को अच्छे से पूरे 9 इंच के लंड पर मल दिया, दोपहर की तेज धूप में थूक लगा लंड चमकने लगा।

उदयराज ने धीरे से रजनी के कान में कहा- बेटी तुम कुतिया की तरह बनोगी, डालने में आसानी होगी और तुम्हे दर्द भी कम होगा।

रजनी ने सिसकते हुए कहा- मैं तो हूँ ही आपकी कुतिया बाबू, जैसा कहोगे वैसा बन जाउंगी आपके लिए, मुझे बस आपका लंड चाहिए।

फिर रजनी जल्दी से अपने घुटनों के बल झुक गयी और अपनी चौड़ी गाँड़ को थोड़ा और ऊपर को करके अपने सर को तकिए पर रख लिया और बड़े ही मिन्नत से बोली- डालिये न बाबू अब अपना लंड।

उदयराज ने अपनी बेटी रजनी की गुदाज चौड़ी गाँड़ को पकड़कर अच्छे से खोला और अपने लंड के थूक लगे मोटे सुपाड़े को अपनी बेटी के गाँड़ के छेद पर रखा, रजनी लंड के थूक लगे मोटे सुपाड़े की गीली छुवन को अपनी गाँड़ के छेद पर महसूस कर सिरह उठी। गाँड़ के छेद के मुकाबले लंड का सुपाड़ा चार गुना बड़ा था, ये देखकर उदयराज और नशीला हो गया, मन मे सोचने लगा सगी बेटी की गाँड़ मारने में तो मजा आ जायेगा, कितना छोटा छेद है और गाँड़ कितनी चौड़ी और नशीली।

तभी रजनी बेसब्र होती हुई बोली- बाबू मारो न गाँड़ मेरी......उसे खाली दरवाजे पर खड़ा कर रखा है....अंदर भेजो न जल्दी......मैं इंतज़ार कर रही हूं कब से।

ऐसा कहते हुए रजनी नशीली आंखों से अपने बाबू को देखकर मुस्कुराने लगी।

उदयराज ने रजनी को देखते हुए हवा में एक चुम्मा दिया, रजनी ने भी वैसा ही किया कि तभी उदयराज ने रजनी की गाँड़ को थामा और अपने लंड का दबाव बढ़ाने लगा।

रजनी को दर्द का अहसाह हुआ, उदयराज ने हल्का सा और ताकत लगाया और लंड का मोटा सुपाड़ा गाँड़ की छेद को छल्ले की तरह फैलाता हुआ अंदर दाखिल हो गया, अंदर बहुत नरम नरम था।

रजनी- आआआआआआहहहहहहहह....बबबबबाबाबाबाबाबाबूबूबूबूबूबू.......कितना मोटा है आपका......दर्द हो रहा है...... थोड़ा रुको......ऊऊऊऊऊईईईईईईईईई..... अम्मा.......बाबू रुको यहीं पर जरा.......

रजनी मारे दर्द के चीख पड़ी

उदयराज ने झट से आगे बढ़कर रजनी के होंठों को चूमना चाहा तो आगे बढ़ने के चक्कर मे लंड का दबाव और गाँड़ के छेद पर पड़ा और लंड थोड़ा औऱ गाँड़ में घुस गया

रजनी- आआआआआआहहहहहहहह.....हाय दैय्या.....बाबू.....सुनो न थोड़ा रुको....मुझे संभलने दो....कितना दर्द हो रहा है.....

उदयराज ने धीरे से रजनी के होंठों को चूमा और पीठ को सहलाया, गाँड़ को सहलाया और बोला- बेटी....मेरी बिटिया....थोड़ा धीरे कोई सुन लेगा.....थोड़ा सब्र कर मेरी रानी अभी मजा आएगा, सारा दर्द छूमंतर हो जाएगा।

रजनी- हां बाबू....काश ऐसा हो....अभी तो दर्द हो रहा है मुझे.....बिल्कुल फैल गयी है मेरी गाँड़....कितना मोटा है आपका....दर्द से जलन भी हो रही है......आप थोड़ा और थूक लगाइए न

उदयराज ने तुरंत रजनी के होंठों के पास हाँथ किया तो रजनी ने फिर से ढेर सारा थूक हाँथ पर दिया, उदयराज ने उसमे अपना थूक मिलाया और गाँड़ के छेद पर गिराया, रजनी को अब कुछ ज्यादा गीलापन महसूस हुआ, कुछ देर वैसे ही उदयराज रजनी पर झुका रहा उसे हौले हौले चूमता रहा, "मेरी बेटी....मेरी रानी....मेरी शोना" कहकर दुलारता रहा और हाँथ नीचे ले जाकर मोटी मोटी लटकी हुई चूचीयों को धीरे धीरे सहलाने, आगे से तो ब्लॉउज खुला ही हुआ था और ब्रा ऊपर तक चढ़ी हुई थी, पीछे से उदयराज ने ब्लॉउज को ऊपर कर पीठ को भी नंगी कर दिया और रजनी की चिकनी पीठ पर जहां तहां चूमने लगा, रजनी मचलने लगी, उदयराज पीठ और कमर पर गीले गीले चुम्बन करने लगा, रजनी को थोड़ी राहत मिली तो उसने बोला- बाबू अब डालिये और।

उदयराज- दर्द कम हुआ

रजनी- हाँ थोड़ा कम हुआ....पर आप डाल दीजिए....मैं बर्दाश्त कर लुंगी....डालिये आप

उदयराज ने एक बार फिर पोजीशन ली और बाकी बचा हुआ लंड धीरे से गाँड़ की छेद में दबाया, काफी गीला होने की वजह से लंड सरसरा कर अंदर जाने लगा, रजनी को फिर दर्द होने लगा पर वो धीरे धीरे कराहते हुए झेलने लगी, जब एक चौथाई लंड बच गया तो उदयराज ने झुककर रजनी की गाँड़ को बड़े प्यार से चूमा और एक करार धक्का मारकर बाकी बचा लंड जड़ तक गाँड़ की गहराई में उतार दिया।

रजनी- ऊऊऊऊऊईईईईईईईईई मां......हाय.....बाबू......मेरी गाँड़......बहुत दर्द हो रहा है बाबू......रुक जाओ अब........आह..... ओह..... अम्मा......कितना अंदर तक गया है आपका........मेरी गाँड़....

रजनी अपने जीवन में आज पहली बार गाँड़ मरवा रही थी और पहली बार ही गाँड़ में 9 इंच लंबा लंड गया था, लंड इतना गहराई तक उतरेगा उसे ये अंदाजा नही था, दर्द इतना ज्यादा था कि वो हल्का सा भी अपनी गाँड़ को हिलाती तो दर्द से कराह जाती।

कुछ देर और दोनों बाप बेटी ऐसे ही पड़े रहे, उदयराज रजनी की चूचीयाँ दबाता सहलाता रहा, उसे चूमता रहा, पुचकारता रहा, वो रजनी की आगे की इच्छा का इंतज़ार करता रहा, वो बार बार उठ उठ के अपने लंड को देखता की कैसे उसका लंड अपनी ही सगी बेटी की गाँड़ में पूरा जड़ तक घुसा हुआ है, उदयराज के लंड की जड़ पर उगे काले काले बाल रजनी की गोरी गोरी गाँड़ के छेद को छू रहे थे जिससे रजनी को थोड़ी गुदगुदी भी हो रही थी।

थोड़ी देर बाद रजनी को राहत मिली तो उसने एक हाथ पीछे ले जाकर अपने बाबू की गाँड़ को पकड़ा और अपनी गाँड़ की ओर दबा कर गाँड़ मारने का इशारा किया।

उदयराज ने धीरे से रजनी के कान में पूछा- दर्द कुछ कम हुआ मेरी रानी का।

रजनी- करो न बाबू....मारो मेरी गाँड़....होने दो दर्द.....दर्द में मजा भी तो है......मारो अब मेरी गाँड़

उदयराज ने ये सुनते ही पूरा का पूरा लंड मुहाने तक बाहर खींचा और दुबारा एक ही बार में फिर से मोटी रसीली गाँड़ में पेल दिया, रजनी फिर कसमसाई पर अब उदयराज रुका नही वो रजनी की गाँड़ थामे घपाघप उसकी गाँड़ मारने लगा, रजनी दोनों हांथों से तकिए को दबोचकर कराहने लगी, उदयराज बार बार पूरा पूरा लंड मुहाने तक बाहर निकालता और जड़ तक रसीली मुलायम गाँड़ में उतार देता, उदयराज आज पहली बार अपनी सगी बेटी की गाँड़ मार रहा था इतना ज्यादा मजा आएगा इसका अंदाज़ा उसे नही था, रजनी की गाँड़ बहुत नरम और मुलायम थी और दूध जैसी गोरी थी, गोरी गोरी गाँड़ के गुलाबी गुलाबी छोटे से छेद में काला काला मूसल जैसा लंड देखने में गजब ढा रहा था, उदयराज बार बार अपनी बेटी की गाँड़ मारते हुए अपने लंड को अंदर बाहर जाते हुए देख देख कर और उत्तेजित होता जा रहा था।

उदयराज ने अपनी पत्नी की भी कई बार गाँड़ मारी थी पर अपनी सगी बेटी के साथ इतना मजा आएगा उसे इसका अंदाजा नही था, उसने ये बात रजनी को कह भी दी।

उदयराज- बिटिया रानी

रजनी कराहते हुए- हां मेरे सैयां.....मेरे बाबू

उदयराज- एक बात बोलूं

रजनी- बोलो न बाबू

उदयराज- गाँड़ मारने में इतना मजा तो मुझे तेरी अम्मा के साथ भी नही आया था जितना तेरे साथ आ रहा है, बहुत मादक है तेरी गाँड़ मेरी बेटी.....बहुत नरम

रजनी कराहते हुए शर्मा गयी फिर बोली- माँ और बेटी में फर्क तो होगा न बाबू....आपकी बिटिया हूँ मै....मजा तो आएगा ही.....और आपका लंड क्या कम है.…..कितनी भाग्यशाली हूँ मै जो मुझे ऐसे प्यार करने वाले बाबू मिले....और मुझे मर्द का प्यार भी देते है...... मैं तो आपकी हूँ बाबू सिर्फ आपकी

उदयराज को ये सुनकर और नशा होने लगा और वो कस कस के और भी तेज तेज धक्के गाँड़ में मारने लगा, रजनी को भी अब मजा आने लगा, लंड ने अच्छे से गाँड़ में जगह बना ली थी, अपनी बेटी की गाँड़ को अच्छे से थामकर अब उदयराज जमकर ताबड़तोड़ रजनी की गाँड़ मारने लगा, रजनी भी मचलते हुए अपनी गाँड़ को पीछे की ओर ताल से ताल मिला कर गाँड़ मरवाने लगी, उदयराज बीच बीच में रजनी की चूचीयों को हांथों में भर भरकर मसलते जा रहा था, पीठ और कमर को चूमते जा रहा था जिससे रजनी को और मजा आने लगा, लगभग पंद्रह मिनट लगातार अपनी सगी बेटी की गाँड़ मारने के बाद उदयराज ने कस के रजनी की गाँड़ को थाम के एक करारा धक्का मारा और जोर जोर से सिसकते हुए रजनी की गाँड़ में झड़ने लगा, जोश इतना चढ़ा की उदयराज ने रजनी के गर्दन के बायीं तरफ जोर से काट भी लिया, रजनी दर्द से थोड़ा कराह उठी पर उसे बहुत अच्छा लगा वो थरथरा कर खाट पे लेट गयी और उदयराज झड़ते हुए उस पर ढेर हो गया, वो तेज तेज हांफ रहा था, दोनों की आंखे बंद हो गयी, काफी देर तक उदयराज रजनी की मुलायम गाँड़ में जड़ तक लंड पेले झड़ता रहा, अपने सगे बाबू का गर्म गर्म लावा रजनी अपनी गाँड़ की गहराई में गिरता हुआ साफ महसूस कर रही थी, मस्ती में वो मुस्कुराने लगी और उदयराज उसके गालों को चूमने लगा।
Bahut hi mast
 
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Lucky-the-racer

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Kumar bhai update ka intizar h
 

Lutgaya

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