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Incest पाप ने बचाया

Sweet_Sinner

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Index

~~~~ पाप ने बचाया ~~~~

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गजब मजा आ गया बेटी बाप खुश दोनो तृप्त हुए
 

Kuresa Begam

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Update- 13


जिंदगी में आज पहली बार उदयराज के मन में लड्डू फूटा था, उसके रूखे, नीरस, उत्साहहीन, सूखे जीवन में उसी की सगी बेटी ने एक कामुक और रसीला सा संभावित संकेत देके उसकी मन की गहराइयों में छिपे यौनतरंग के तारों को आज छेड़ दिया था जिससे ऐसा प्रतीत होता था कि अब वो बादलों में उड़ रहा है, आने वाली जिंदगी अब कितनी लज़्ज़त से भरी होगी और उसमें कितना मिठास होगा, बस यही बार बार सोच कर वो गुदगुदा जा रहा था

आज उदयराज ने नहाने में जरा भी वक्त नही लगाया, सोच कर ही शरीर में आज उसके इतनी गर्मी बढ़ गयी थी कि कुएं का ठंडा पानी भी आज उसको शांत नही कर पा रहा था।

परंतु फिर भी उसके मन की स्थिति असमंजस में थी, की क्या पता वैसा न हो जैसा वो सोच रहा है तो? क्या पता ये रजनी का केवल बेटी वाला प्रेम हो तो?

एक तरफ उसके संस्कार, उसकी मर्यादा, उसे बार बार अपने कुल की मर्यादा, बाप बेटी के पवित्र रिश्ते की दुहाई देती, उसके इतने नेक पुरुष होने पर सन्देह करती, उसे ये अहसास दिलाती की तू गांव का मुखिया है, जब तू ही ये अनर्थ करेगा तो गांव के लोगों में तेरी जो एक आदर्श छवि है उसका क्या होगा?

दूसरी तरफ नारी सुख की बरसों की दबी प्यास, नारी को भोगने पर मिलने वाले मजे की लज़्ज़त का अहसास कराती, वो कहती कि किसी को पता ही क्या चलेगा, और जब तेरी बेटी ही यह चाहती है तो पुरुष होने के नाते तेरा एक फ़र्ज़ ये भी है कि एक तड़पती, प्यासी नारी को तू संतुष्ट कर, चाहे वो तेरी बेटी ही क्यों न हो, सोच कितना मजा आएगा, और ये गलत तो तब होता जब तू जबरदस्ती कर रहा होता। सोच जरा पगले स्वर्ग की अप्सरा सी तेरी बेटी तेरे पौरुष द्वार पर आके यौनसुख की विनती कर रही है और तुझे लोक लाज की पड़ी है, क्या ये पुरुष का फर्ज नही की वो अपने घर की औरत को संतुष्ट करे, आखिर रजनी अपना पूरा जीवन तेरी सेवा करने तेरे पास चली आयी, तो क्या तेरा उसके प्रति कोई फ़र्ज़ नही।

फिर उसका दूसरा मन कहता तू इतना गिर गया है उदयराज, तू ये कैसे कह सकता है कि रजनी भी यही चाहती है? वो तेरी बेटी है वो भला ऐसा पाप करेगी।

फिर उसका पहला मन कहता है- अगर ऐसा न होता तो रजनी उसकी बाहों में भला क्यों आती, चलो माना कि वह बेटी के नजरिये से उसकी बाहों में आई, पर उसके मुंह से जो आह और सिसकी निकली वो क्या था, और अगर ऐसा न होता तो वो इतने मादक रूप में भला उसके कान में ऐसा क्यों बोलती।

उदयराज तू अपनी बेटी की मंशा को समझ, सबको ऐसा बेटी सुख नही मिलता, सोच तू कितना भाग्यशाली है, वो तुझे घर की चार दिवारी में चुपके चुपके यौनसुख देना चाहती है, इस मौके को मत खो, देख गलत तो तू फिर भी हो ही जायेगा, एक फ़र्ज़ की तरफ देखेगा तो दूसरा छूट जाएगा, और दूसरा फ़र्ज़ ये है कि एक पुरुष को एक प्यासी औरत को संतुष्ट करना ही चाहिए, और जब गलत होना ही है तो मजे ले के होने में क्या बुराई है

खैर उदयराज कोई सिद्ध और योगी पुरुष तो था नही जो अपने आपको इस ग्लानि, विषाक्त, घृणा, वासना, यौनसुख की लालसा के मिले जुले मन स्थिति से निकाल ले जाता, वो असहाय हो गया और सबकुछ नियति पे छोड़ दिया।

फटाफट नहा के आया वो और रजनी ने खाना लगा रखा था, रजनी को देखते ही उसे फिर खुमारी चढ़ने लगी, रजनी अपने बाबू की मन स्थिति को देखकर मंद मंद मुस्कुराये जा रही थी, वो छुप छुप के तिरछी नजर से अपने बाबू को देखकर कामुक मुस्कान देती और उदयराज का आदर्श, मानमर्यादा, कुल की लाज, सब एक ही पल में धराशाही हो जाता, वो वासना के दरिया में ख्याली गोते लगते हुए खाना खाए जा रहा था, कभी कभी जब एक टक लगा के रजनी को निहारता तो रजनी आंखों के इशारे से शिकायत करती की अभी ऐसे न देखो कहीं काकी न देख ले, (जैसे वो कोई प्रेमिका हो), उदयराज अपनी बेटी की इस अदा पर कायल हो जाता।

सबने खाना खाया और उदयराज आज अपनी खाट कुएं के और नजदीक ले गया, बिस्तर लगा के उसपर करवटें बदलने लगा।

रजनी ने बर्तन धोया, बिस्तर लगाया फिर काकी और रजनी अपने अपने बिस्तर पर रोज़ की तरह लेट गए, रजनी की बेटी उसी के पास थी, रजनी का बिस्तर रोज की तरह घर के मुख्य द्वार के ठीक सामने नीम के पेड़ के नीचे था और उदयराज का बिस्तर 200 मीटर कुएं के पास था, रजनी आज अपने बाबू को छेड़ना चाहती थी, पहले तो वो काकी से इधर उधर की बातें करती रही, फिर बोली- काकी मैं बाबू के सर पर तेल मालिश करके आती हूँ आप सोइए।

काकी- हां जा न, ला गुड़िया को मेरी खाट पे लिटा दे, तू जा उदय के सर की तेल मालिश कर आ और हां बदन की भी मालिश कर देना, थक जाता है बेचारा

रजनी- हां काकी जरूर

रजनी इतना कहकर घर में जा के कटोरी में तेल और एक हाँथ में बैठने का स्टूल लेके अपने बाबू की खाट की तरफ जाने लगती है

अभी कृष्ण पक्ष की ही रातें चल रही थी, चाँद थोड़ी ही देर के लिए निकलता था वो भी रात के दूसरी पहर में, अंधेरी रात होने की वजह से गुप्प अंधेरा पसरा हुआ था, बहुत हल्का हल्का सा पास आने पर दिखता था

रजनी ने उदयराज की खाट के पास आके कहा- बाबू, ओ मेरे बाबू, सो गए क्या? मैं आ गयी।

उदयराज ने झट से सर उठा के अपनी बेटी की तरफ देखा तो उसकी बांछे खिल गयी, धीरे से बोला- नही बेटी, तेरे आदेश का पालन कर रहा हूँ।

रजनी (हंसते हुए)- वो मेरा आदेश नही आग्रह था बाबू, एक बेटी भला अपने बाबू को आदेश करेगी।

उदयराज- क्यों नही कर सकती, कर सकती है, मैं तो तेरा गुलाम हूँ।

रजनी- अच्छा जी

उदयराज- हम्म

रजनी- और क्या क्या हैं आप मेरे?

उदयराज- बाबू हूँ, गुलाम हूँ, और....और...बताऊंगा वक्त आने पर।

रजनी- हंस देती है, अरे वाह! मेरे बाबू मुझे इतना चाहते हैं कि मेरे गुलाम बन गए, जबकि मैं तो खुद आपकी दासी हूँ।

उदयराज- तू मेरी दासी नही मेरी बेटी।

रजनी- फिर, फिर मैं क्या हूँ आपकी।, बेटी तो मैं हूँ ही, इसके अलावा और क्या हूँ।

उदयराज- तू मेरी रानी है। (ऐसा कहते हुए उदयराज की आवाज जोश में थोड़ी भारी हो जाती है)

रजनी- सच, और आप मेरे राजा....ऐसा कहते हुए रजनी अपने हांथ की उंगलियाँ अपने बाबू के हाँथ की उंगलियों में cross फंसा लेती है और उनके ऊपर झुकते हुए अपना चेहरा उनके कानों के पास लाकर धीरे से बोलती है- आपको थकान नही लगी, क्या अब?

उदयराज- वो तो मुझे बरसों से लगी है।

रजनी फिर अपने बाबू को छेड़ने की मंशा से - तो लाओ न बाबू आपके सिर पर तेल मालिश कर दूं, थकान उतर जाएगी। (और रजनी मन ही मन हंसने लगती है, अपने बाबू को तडपाने में उसको मजा आ रहा था)

उदयराज आश्चर्य में पड़ जाता है, की उसकी बेटी ने उसकी बाहों में आकर थकान मिटाने की बात बोली थी, ये तेल मालिश की बात बीच में कहां से आ गयी, परंतु वो तुरंत ही समझ जाता है की रजनी उसे तड़पा रही है, फिर वो भी चुप रहकर थोड़ा इंतज़ार करता है।

रजनी स्टूल लेके अपने बाबू के सिरहाने बैठ जाती है, और हाथ में तेल लेकर उनके सिर की हल्के हल्के मालिश करने लगती है, रजनी की नर्म नर्म उंगलियों की छुअन से उदयराज को अद्भुत सुख की अनुभूति होती है, दोनों चुप रहकर एक दूसरे को महसूस करते हैं कुछ पल, फिर रजनी एकाएक बोली- अब थकान मिटी बाबू।

उदयराज- मेरी थकान सिर्फ तुम्हारी उंगलियों से कहाँ मिटने वाली बेटी, मेरे पूरे बदन को तुम्हारा पूरा बदन चाहिए।

रजनी- ओह्ह! मेरे बाबू

ऐसा कहते हुए रजनी स्टूल से उठकर उदयराज की खाट पर उसके बगल में लेट जाती है, दोनों एक दूसरे को कस के बाहों में भर लेते हैं, रजनी के मुँह से oooohhhhhhh मेरे बाबू, और उदयराज के मुंह से oooohhhhhh मेरी बेटी, मेरी रानी, की धीमी धीमी कामुक आवाज, और सिसकियां आस पास के वातावरण में गूंज जाती हैं।

रजनी दायीं तरफ होती है और उदयराज बाई तरफ, दोनों का बदन एक दूसरे में मिश्री की तरह घुल रहा होता है, दोनों ही कुछ देर के लिए सुन्न से हो जाते है, विश्वास ही नही हो रहा था दोनों को, की आज वो हो गया, जो अभी तक सिर्फ ख्यालों में ही था, तभी उदयराज के हाँथ रजनी की पीठ को हौले हौले सहलाने लगते हैं तो रजनी अपनी जांघों को भीच के सिसक उठती है।

उदयराज अब अपना हाथ थोड़ा नीचे की ओर रजनी की गांड की तरफ जैसे ही सरकाता है रजनी ये महसूस करती है कि side side में लेटे होने की वजह से उसके बाबू उसकी गांड को अच्छे से नही सहला पाएंगे, तो इसकी सहूलियत के लिए वो धीरे धीरे aaaaahhhhh करती हुई उदयराज के ऊपर आ जाती है, और उदयराज को अपनी सगी बेटी की ये मौन स्वीकृति इतना जोश से भर देती है कि वो अपने दोनों हाथों से उसकी अत्यंत मांसल उभरी हुई गांड को भीच देता है, कभी वो मैक्सी के ऊपर से ही अपनी बेटी के मोटे चूतड़ की दोनों फांकों को अलग कर उसमें हाँथ फेरने लगता कभी अपने दोनों हथेलियों में मांसल गांड को भर भर के सहलाने लगता।

रजनी- aaaaaaaahhhhhh, ooooooohhhhhhh bbbbbbbaaaabbbbbuuuuu,, ssssshhh

एकाएक उदयराज ने रजनी को नीचे किया और उसके ऊपर चढ़ गया, रजनी की तो बस सिसकियां ही निकली जा रही थी, शर्म के मारे वो कुछ न बोली, बस oooohhh baabu

उदयराज ने एक जोरदार चुम्बन रजनी के गाल पे जड़ दिया, फिर रजनी ने जानबूझ के अपना दूसरा गाल आगे कर दिया उदयराज ने इस गाल पे भी एक दूसरा जोरदार चुम्बन किया और अब वो ताबड़तोड़ रजनी के गालों पे, कान के नीचे, गर्दन पे, माथे पे, आंखों पे चूमने लगा, इतना मजा तो उसको अपनी पत्नी के साथ भी नही आया था जितना बेटी के साथ आ रहा था, रजनी को तो मानो होश ही नही रहा अब, वो तो बस hhhaaaaai hhhhhhaaaai कर के सिसके जा रही थी।

जैसे ही उदयराज ने अपना सीधा हाँथ रजनी के बायीं चूची पे रखा, उसे गांव वालों की कुछ आवाज़ें उत्तर की तरफ से आती हुई सुनाई दी, जैसे गांव के कुछ लोग मुखिया के घर की तरफ ही आ रहे थे कुछ फरियाद लेके, रजनी ने भी जब ये आवाज सुनी जो उनके घर की तरफ आती हुआ महसूस हुई तो दोनों ही बड़े मायूस होके खाट से उठे और रजनी बोली- बाबू लगता है कुछ गांव के लोग इतनी रात को आपसे मिलने आ रहे हैं, अभी मुझे जाना होगा।

उदयराज मायूस होते हुए- हाँ बेटी, देखता हूँ क्या मामला है।

रजनी खुद उदास हो गयी थी, थोड़ी दूर जाके वो वापिस पलटी और फिर एक बार भाग के अपने उदास बाबू की बाहों में समा गई, उदयराज रजनी को एक बार फिर बड़ी शिद्दत से चूमने लगा, रजनी ने सिसकते हुए उसे रोका- बाबू वो लोग अब ज्यादा ही नजदीक आ गए हैं, थोड़ा सब्र करो अब, फिर आऊंगी कल।

इतना कहकर रजनी उखड़ती सांसों से अपने बिस्तर की तरफ भाग गई और उदयराज उसे देखता रहा।
Woow
 

netsunil

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VijayD

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Siraj Patel

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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees + Award + 1000 Likes
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