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Incest पूरे परिवार की वधु

SEEMASINGH

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सुनी का अतितावलोकन
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रात के खाने से पहले शाम के ड्रिंक्स की परंपरा थी मेरे ससुराल में। ससुरजी ने स्कॉच चुनी। विक्कू भैया ने भी स्कॉच चुनी। वीनू और राजू ने लाल और मैंने सफ़ेद मदिरा [वाइन ] चुनी। टीटू और बबलू की अभी क़ानूनी तौर से पीने की उम्र नहीं थी पर उन्हें थोड़ी सी मात्रा में पीने के इज़ाज़त थी।
मेरे पाँचों देवर हंसी मज़ाक में माहिर निकले। मैंने उन्हें अपनी जीवन की कहानी सुनाई और ससुरजी ने अपने परिवार की। मेरे पति निर्मल व्यव्हार से अपने पिता और भाइयों से बहुत अलग थे।
खाने की मेज पर भी हंसी मज़ाक चलता रहा।
" पापा , भाभी को नए घर में डर लगेगा , क्या मैं उनके साथ आज रात सो जाऊं ?" राजू ने बच्चों जैसे मासूमियत से पूछा।
वीनू ने हंस कर कहा ," राजू तुम्हारे कमरे में होते और कौनसा डर भाभी को परेशान कर सकता है ? तुम तो सबसे बड़े डर हो। "
राजू ने ने उदास सा मुंह बने नाटकीय अंदाज़ में।
शेरू सारी शाम मेरे बगल में ही बैठा रहा।
ससुरजी ने कहा , "बेटी तुम्हारे घर में आने देखो आधे ही दिन से कितनी रौनक आ गयी है। "
" पापाजी मैंने अपनी पूरी ज़िन्दगी में इतनी ख़ुशी एक दिन में कभी नहीं महसूस की जितनी आज ," मैंने भावुक ना होने का निश्चय कर लिया था।
आखिर सोने का समय आ गया, " बेटे हम किसानों की तरह थोड़ा जल्दी उठते हैं पर तुम जब मन चाहे तब उठना। रसोई में सब कुछ साफ़ साफ़ इंगित है। "
जैसा मैंने सुना था उस लिहाज़ से मैंने ससुरजी के पैर छूने चाहे तो उन्होंने मुझे बीच में ही रोक लिया , " बेटी यह पुरातन रिवाज़ है। तुम तो हमारी लक्ष्मी हो। तुम्हारे चरण पवित्र है। बस तुम्हारा प्यार ही हमारे लिए प्रसाद के सामान है। " ससुरजी ने इतनी प्रगतिशील विचारों से मेरे ह्रदय बिलकुल जीत लिया।
मैं उनसे गले लग गयी। ससुरजी ने प्यार से मुझे चूमा और फिर शुभरात्रि कह कर अपने कमरे चले गए।
मेरे पाँचों देवरों ने भी गले मिल कर शुभरात्रि कहने के लिए पंक्ति बना ली। मैं हंस हंस कर शुभरात्रि बोलती रही। विक्कू ने मेरे नितम्ब कस कर सहलाए। वीनू ने मेरी पीठ सहलाई और अपने सीने से मेरे चूचियों को दबाया। राजू ने मेरे कान में फुसफुसाया , "भाभी मेरा कमरा दुसरे गलियारे में तीसरा है। जब भी मन करे बुला लेना। "
मैंने हँसते हुए हुए राजू को प्यार से दूर धकेला। बबलू और टीटू ने मुझे आगे और पीछे से पकड़ लिया और दोनों ने मुझे चूम कर शुभरात्रि कहा।
मैं ख़ुशी प्रेम से भरी अपने कमरे में गुनगुनाती हुई कपड़े उतारने लगी। तब मुझे शेरू की उपस्थिति का आभास हुआ।
मैंने हंस कर कहा , "शेरू तुम तो सबसे चालक देवर निकले। "
मैंने बिना कुछ पहने ही बिस्तर में कूद गयी। शेरू कुछ देर तक नीचे ही बैठा रहा फिर कूद कर बिस्तर के पैर की ओर जगह बना कर सोने लगा। मेरे कमरे का बिस्तर भी बहुत विशाल था। शायद सुपरकिंग से भी बड़ा।
मैंने न जाने कब अपनी चूचियाँ सहलाते सहलाते अपनी योनि में ऊँगली डालनी शुरू कर दी। मैं अब गहरी गहरी सांस ले रही थी। मेरे चुचूक सख्त हो चले, मेरा रति-रस मेरी यौनि से बहने लगा। मेरा भगशेफ सूज कर लम्बा और मोटा हो गया।
मेरे मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
शेरू के कान मेरी सिसकारियों को सुन कर हिलने लगे। मेरी उंगलिया अब बेदर्दी से मेरी चूत मार रहीं थीं। मैं जैसे जैसे झड़ने लगी मैंने कोशिश की कि मस्तिष्क में अपनी और अपने पति की चुदाई की कल्पना की छवि को फोटो की तरह देख सकूँ। वैसे ही अचानक मेरे दिमाग में मेरे देवरों की छवि आ गयी। मेरी उँगलियाँ और भी तेज़ी से मेरी चूत को छोड़ने लगीं। जैसे ही मैं हलकी सी चीख मार कर झड़ने लगी तो मेरे आँखों के सामने मेरे ससुरजी का मोहक सूंदर मरदाना चेहरा था।
मेरी चीख सुन कर शेरू तुरंत उठ गया और मेरा मुंह चाटने लगा। शायद उसे लगा की मैं दर्द से चीख उठी थी।
"शेरू यह दर्द बहुत मीठा है। काश मैं तुझे समझा सकती। पर तू बहुत प्यारा देवर है मेरा ," मैंने उसके मुंह को चूमा , "ठीक मेरे बाकि देवरों जैसा प्यारा। "
शेरू अब मेरे तकिए के पास ही लेट गया। और फिर हम दोनों गहरी नींद सो गए।
 

SEEMASINGH

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सुनी का अतितावलोकन
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सुबह जब मैं उठी तो शेरू बिस्तर से गायब था। मैंने देखा की सुबह के आठ बज रहे थे। मैंने एक हल्के से सिल्क का एक साया [ गाउन ] पहना और रसोई की तरफ चल दी।
मैंने चाय बनाई शुरू की और अपनी ससुराल में बितायी पहली रात के बारे में सोचने लगी। तभी पीछे से किसी ने मुझे बाँहों में जकड़ लिया। मेरे इतने लम्बे थे की मेरा सर उनके सीने तक मुश्किल से पहुँच पता था।
" भाभी शुभप्रभात ," यह राजू की आवाज़ थी।
मैंने भी मुस्करा कर अपना सर राजू टिका दिया ,"देवर जी तुम्हें भी बहुत बहुत शुभप्रभात। "
"देवर जी तुम्हारे लिए भी चाय बनाऊं ?" मैंने राजू से पूछा।
"भाभी आपके हाथ का तो मैं ज़हर भी प्रसाद की तरह पी लूंगा ," राजू ने नौटंकी के अंदाज़ में कहा।
"ज़हर पियें तुम्हारे दुश्मन। देखो अपनी भाभी के सामने ऐसी दिल दुखने कभी भी नहीं करना ," मैंने प्यार से राजू का हाथ सहलाया।
राजू ने तुरंत मेरे गाल चूम कर बिना बोले माफ़ी सी मांग ली। चाय का कप भर कर मैंने कहा , "राजू चीनी कितने चम्मच ?"
"भाभी आपके होते चीनी की क्या ज़रुरत है. बस मेरी चाय झूठी कर दीजिये वैसे ही बहुत मीठी हो जाएगी ," राजू ने मेरे पेट को सहलाते हुए कहा।
मैं हंस दी। पर मैंने फिर भी राजू के कप से एक घूंट भर कर उसको कप थमा दिया, " देखो अब भी मीठी नहीं हो तो और चीनी डाल दूँगी। "
राजू ने एक घूंट पी कर कहा, " भाभी और चीनी डाल दो। " राजू ने अपने होंठों को मेरी ओर बढ़ा दिया।
मैंने मुस्करा राजू के होंठों को प्यार से चूम लिया। राजू ने चटकारा मार कर एक घूंट और पिया और बोलै , "यह तो अब अमृत से भी मीठी हो गयी है भाभी। "
मैं खिलखिला कर हंस दी।
मेरा ध्यान राजू की आँखे देख कर मेरे खुले ढीले साये पर पड़ा। दोनों बड़े उरोज़ लगभग बाहर निकल रहे थे।
"देवर जी चाय मीठी भाभी के होंठो से हुई या आपके नज़रों के सामने के नज़ारे से ," राजू ने उदास मुंह बनाया जैसे ही मैंने अपना साया फिर से अच्छे से बाँध लिया।
"राजू सुबह सुबह शेरू बंद दरवाज़े से कैसे निकल गया ?" अचानक मुझे विचार आया।
"भाभी शेरू बहुत होशियार है पर हमारे घर के दरवाज़े वो नहीं खोल सकता। ज़रूर विक्कू भैया या पापा ने उसे आपके कमरे से बाहर निकाला होगा। बेचारा को सुबह सवेरे की सू-सू भी तो आई होगी।”
मैं शर्म से लाल हो गयी। कल रात मैं हस्तमैथुन के बाद नंगी ही सो गयी थी। राजू और मैं काफी देर तक बात करते रहे। राजू ने मुझे परिवार के व्यवसाय के बारे में बहुत कुछ समझाया।
फिर हम दोनों तैयार होने चले गए।
नहाते हुए जैसे मेरी कामवासना के तो पर लग गए थे। ससुरजी या अपने सबसे बड़े देवर ने मुझे सम्पूर्ण नग्न देखा होगा, इस शर्म और उत्तेजना का विचित्र मिश्रण हो रहा था। मेरी उँगलियाँ फिर से मेरी योनि में घुस गईं। मैंने इस बार निर्मम रफ़्तार और बेदर्दी से अपनी चूत मारी। थोड़ी देर में ही मैं चीख मार कर ज़ोरों से झड़ गयी।

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Ssking

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सुबह जब मैं उठी तो शेरू बिस्तर से गायब था। मैंने देखा की सुबह के आठ बज रहे थे। मैंने एक हल्के से सिल्क का एक साया [ गाउन ] पहना और रसोई की तरफ चल दी।
मैंने चाय बनाई शुरू की और अपनी ससुराल में बितायी पहली रात के बारे में सोचने लगी। तभी पीछे से किसी ने मुझे बाँहों में जकड़ लिया। मेरे इतने लम्बे थे की मेरा सर उनके सीने तक मुश्किल से पहुँच पता था।
" भाभी शुभप्रभात ," यह राजू की आवाज़ थी।
मैंने भी मुस्करा कर अपना सर राजू टिका दिया ,"देवर जी तुम्हें भी बहुत बहुत शुभप्रभात। "
"देवर जी तुम्हारे लिए भी चाय बनाऊं ?" मैंने राजू से पूछा।
"भाभी आपके हाथ का तो मैं ज़हर भी प्रसाद की तरह पी लूंगा ," राजू ने नौटंकी के अंदाज़ में कहा।
"ज़हर पियें तुम्हारे दुश्मन। देखो अपनी भाभी के सामने ऐसी दिल दुखने कभी भी नहीं करना ," मैंने प्यार से राजू का हाथ सहलाया।
राजू ने तुरंत मेरे गाल चूम कर बिना बोले माफ़ी सी मांग ली। चाय का कप भर कर मैंने कहा , "राजू चीनी कितने चम्मच ?"
"भाभी आपके होते चीनी की क्या ज़रुरत है. बस मेरी चाय झूठी कर दीजिये वैसे ही बहुत मीठी हो जाएगी ," राजू ने मेरे पेट को सहलाते हुए कहा।
मैं हंस दी। पर मैंने फिर भी राजू के कप से एक घूंट भर कर उसको कप थमा दिया, " देखो अब भी मीठी नहीं हो तो और चीनी डाल दूँगी। "
राजू ने एक घूंट पी कर कहा, " भाभी और चीनी डाल दो। " राजू ने अपने होंठों को मेरी ओर बढ़ा दिया।
मैंने मुस्करा राजू के होंठों को प्यार से चूम लिया। राजू ने चटकारा मार कर एक घूंट और पिया और बोलै , "यह तो अब अमृत से भी मीठी हो गयी है भाभी। "
मैं खिलखिला कर हंस दी।
मेरा ध्यान राजू की आँखे देख कर मेरे खुले ढीले साये पर पड़ा। दोनों बड़े उरोज़ लगभग बाहर निकल रहे थे।
"देवर जी चाय मीठी भाभी के होंठो से हुई या आपके नज़रों के सामने के नज़ारे से ," राजू ने उदास मुंह बनाया जैसे ही मैंने अपना साया फिर से अच्छे से बाँध लिया।
"राजू सुबह सुबह शेरू बंद दरवाज़े से कैसे निकल गया ?" अचानक मुझे विचार आया।
"भाभी शेरू बहुत होशियार है पर हमारे घर के दरवाज़े वो नहीं खोल सकता। ज़रूर विक्कू भैया या पापा ने उसे आपके कमरे से बाहर निकाला होगा। बेचारा को सुबह सवेरे की सू-सू भी तो आई होगी।”
मैं शर्म से लाल हो गयी। कल रात मैं हस्तमैथुन के बाद नंगी ही सो गयी थी। राजू और मैं काफी देर तक बात करते रहे। राजू ने मुझे परिवार के व्यवसाय के बारे में बहुत कुछ समझाया।
फिर हम दोनों तैयार होने चले गए।
नहाते हुए जैसे मेरी कामवासना के तो पर लग गए थे। ससुरजी या अपने सबसे बड़े देवर ने मुझे सम्पूर्ण नग्न देखा होगा, इस शर्म और उत्तेजना का विचित्र मिश्रण हो रहा था। मेरी उँगलियाँ फिर से मेरी योनि में घुस गईं। मैंने इस बार निर्मम रफ़्तार और बेदर्दी से अपनी चूत मारी। थोड़ी देर में ही मैं चीख मार कर ज़ोरों से झड़ गयी।

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Bahut jo erotic thi so lobely yar❣️❣️❣️❣️❣️❣️??
 
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