Nice updateUpdate 05
घर का माहोल धीरे धीरे ठीक हो रहा था पापा अब काम पे जाने लगे थे.. मां अपना क्लीनिक वापस सुरू कर चुकी थी.. में कल की ट्रेन से काम पे जाने के लिए निकल रहा था.. जिंदगी में कितना भी बड़ा दुख आ जाय काम तो करना ही पड़ेगा उस से हम कैसे ही भाग सकते थे..
रात के 8 बजे थे मां रसोई घर में रात का खाना बना रही थी.. में जब से आया था मां को ठीक से प्यार तक नही कर पाया था.. में किचेन में गया.. बाहर से ठंडी हवा की लहरे घर में आते हुए मां के बालो को लहरा रही थी..
मां अब फिर से सब भूल अपनी आम रोज बरा की जिंदगी में जैसे लोट चुकी थी..
टीवी पे कल हों न हो फिल्म लगी हुए थी...
गाने की आवाज सुनकर मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई..मां के लहराते बाल मुझे पागल बना रहे थे उपर से ये गाना मुझे और मदहोश करने की कोई कसर नही छोड़ रहा था...
चाहे जो तुम्हें पूरे दिल से
मिलता है वो मुश्किल से
ऐसा जो कोई कहीं है
बस वो ही सबसे हसीं है
उस हाथ को तुम थाम लो
वो मेहरबाँ कल हो न हो
में कब मां के पीछे आके खड़ा हो गया में भी नही जानता.. मेरे हाथ अपने आप ही मां की कमर की चारो और लिपट गई.. हम दोनो का जिस्म एक दुसरे से छूते ही मुझे एक अजीब सा करेंट महसूस हुआ.. मां को जैसे ही मेरे होठ के स्पर्श का गर्म एहसास उनके गले पे हुए मां ने एक हल्की सी आह भरी और बो दो इंच ऊपर हो उठी जैसे की उन्हे एक करेंट लगा हो... कुछ देर तक जैसे समय ही ढहर चुका था..
मां ने धीरे से मुझे पीछे किया और मेरी आखों में देखने लगी.. जैसे बोल रही हो रुक क्यों गया मुझे अपनी बाहों में उठा ले.. में वही खड़ा हुआ मां की आखों में देखते हुए इनकी और बड़ा और उन्हे अपनी बाहों में जकड़ लिया.. मां के सुडोल स्तन जैसे मेरी छाती में दबे में उत्तेजित हो उठा..मेने मां को और कस के मेरी तरफ किया..
की तभी एक तेज आवाज आई और हम एक दम से अलग हुए ये आवाज दरवाजे के खटखटाने की थी.. मां बेहत डर गई की तभी पापा की आवाज सुनाई दी और हम ने राहत की सास ली....
दरवाजा खुलते ही सामने पापा खड़े थे... पापा हाफ रहे थे.. और पसीने से पूरी तरह भीग चुके थे.. उनके शर्ट पे खून लगा हुआ था..
पापा ने आते ही मां को अपने सीने से लगा लिया और रोने लगे..
Mast updateUpdate 06
मां पापा को संभालते हुए उनके कमरे में ले गई पापा ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे.. पापा से शराब की बू आ रही थी.. कमरे में जाते ही मां पापा को संभाल नहीं पाई और मां पापा के साथ ही बिस्तर पे जा गिरी..
मां ने पापा का सर अपने सीने पे रख उन्हें सहलाने लगी जैसे पापा उनके बच्चे हो.. पापा रोते हुए बडबडा रहे थे.. "मुझे माफ कर दो.. मुझे माफ कर दो.."
मां ने मुझे बाहर जाने का इशारा किया.. में पापा की हालत देख बोला "मां में यही रुकता.. में पानी लेके आया मां"
मां ने पापा को सहलाते हुए मेरी और देख बड़ी बड़ी आंखें दिखा के थोड़ा गुस्सा होते हुए बोली "जितना कहा इतना करो बाहर जाओ और हा दरवाजा बंद करते जाना.. और पापा की चिंता मत करना में संभाल लूंगी तुम सो जाओ अब"
में मां की आखों में देख डर गया और बाहर निकल आया.. मेरे जाते ही मां ने लाइट बंद की और अपने हाथों से अपने गाउन को निकल के पापा के साथ लेट गई.. और अपना एक हाथ पीछे कर अपनी ब्रा का हुक खोल अपनी ब्रा को अपने सीने से अलग कर पापा को अपने सीने से लगाए लेट गई..पापा ने नसे की हालत में ही मां के स्तनों को मुंह में लेकर चूसने लगे..
कूच ही देर में पापा और मां एक दूसरे के नंगे बदन को प्यार देने लगे.. मां काफी समय बाद पापा के साथ संभोग क्रिया करने से परम सुख का आनद में पूरी तरह से मदहोश होने लगी...
संभोग क्रिया के बाद दोनो आराम से एक दूसरे की बाहों में ही सो गई...
सुबह को जब में उनके कमरे में गया मां का गाउन जमीन पे देख ही मेरे दिल की धड़कन बढ़ उठी.. जैसे मुझे मां के नंगे पाऊं देखे जो उनके घुटनों तक पूरी तरह से नंगे रजाई के बाहर निकल आई थे.. में तुरत ही बाहर निकल आया मेरी हिम्मत नही हुए मां को ऐसी हालत में एक बार फिर से देखने की किसी और के साथ पापा के साथ भी मुझे उन्हें आज देखना जैसे जला रहा था... जैसे मुझ से कुछ चीन गया हो ऐसा लगा...
में समझ गया कि रात को मां ने मुझे क्यों बाहर निकाल दिया.. मां और पापा का मिलन हुआ जिस में जरा भी खुस नही था..
कुछ देर बाद मां गाउन पहन के बाहर आई.. और मुझे पीछे से आके लिपट गई.. और बड़े प्यार से में गाल को चूम के बोली "उठ गया मेरा बेटा" मुझे मां के स्तन साफ महसूस हुए.. लेकिन मेरा मूड अच्छा नही था में वही खड़ा खड़ा बाहर देखता रहा...
कुछ देर बाद पापा भी नहा के बाहर आई.. मां का पापा के प्रति प्यार आज काफी झलक रहा था.. बार बार पापा से जाके चिपक रही थी जैसे नई नई शादी हुई हो.. में बड़ा हैरान था की एक रात में पापा के साथ ऐसा क्या हुआ कि मां इतना करीब चली गई फिर से पापा के साथ में मुझे बहुत जलन हो रही थी.. में खुद को कोस भी रहा था कि मां पापा को साथ देख मुझे अच्छा क्यू नही लग रहा...
आज छुट्टी का दिन था.. तो मां ने भी अपना क्लीनिक बंद रखा था.. दोपहर की तेज धूप खिड़की से होते हुए मां के गोरे गोरे बदन को और अधिक चमका रही थी.. मां ने पता नही क्यों बहोत ही सुंदर सी सारी पहन ली थी जिस में उनका बदन खिल के बाहर आ रहा था.. जी तो किया की अभी जाके मां को पकड़ के चूम लूं लेकिन पापा के होते हुए ऐसा करने की हिम्मत न हुए.. और मेरे होते हुए मां शर्मा रही थी शायद पापा की गोद में जाने से...
मुझ से रहा नही गया में मां के पास गया और उनके कान में धीरे से कहा "मां You Looking Beautiful & Hot"
मां को ये सुन कुछ देर तो समझ ही नई आया में क्या बोल गया लेकिन जैसे उन्हें मेरे सब्द समझ आई उनके प्यारे से मुंह पे दो तीन भाव एक साथ आ गई.. खुशी हैरानी और गुस्सा.. "what" ये उनके मुंह से निकल गया...
में तुरत वहा से निकल बालकनी में आ गया.. मां मेरे पीछे पीछे आ गई और थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली "अब बोल क्या बोल रहा था बहोत बिगड़ गया है तू कुछ भी बोल देता है पापा सुन लेते तो"
में पूरी तरह तैयार था में भी बोल दिया "तो क्या.. क्या आप खूबसूरत नही हो ?" मां की आवाज धीमी हो गई और गुस्सा शांत "अरे में उसकी बाद नही कर रही उसके आगे क्या बोले थे तुम वो"
"क्या में क्या बोला मां"
"वही अब मुझ से मत बुलवा"
"में तो बस बोला था की आप कितनी खूबसूरत लग रही हो आज इस सारी में दिल कर रहा आप को चूम लूं"
मां का चहरा शर्म से लाल हो गया.. वो अपना सर पकड़ हैरानी से शर्म के साथ खड़ी थी..
"हे भगवान क्या हो गया है तूझे" और मां ने अपना सर पकड़ लिया...
में ने जुड़ मूढ़ का गुस्सा किया और मेरे गाल पे एक थप्पड़ मारने के लिए अपना हाथ उठा ही दिया था की..
एक तेज रफ्तार से गाड़ी आके हमारे घर के आगे रुकी...ठीक से देखा था ये पुलिस की गाड़ी थी.. चार पुलिस वाले हमारे घर का गेट खोल अंदर आने लगे..
एक ऑफिसर हमारे आगे आके खड़ा हो गया पूछने लगा "क्या ये घर रमन सिंह का घर है"
मां ने दबी आवाज में हामी भरी... मां के दिल की धड़कन बढ़ गई उन्हे कल रात याद आने लगी वो पापा की खून के दाग वाली शर्ट.. मां पसीने से भीग उठी.. उनका सीना तेज सासे लेने से स्वाभाविक रूप से उपर नीचे हो रहा था.. ऑफिसर नौजवान था मां के उभरे स्तनों को यू ब्लाउज में देख उसकी भी हालत गंभीर हो गई वो मां के सीने से अपनी नजर हटा के गहरी आवाज में बोला "हमें उन से मिलना है क्या वो घर पे है"
मां बड़ी ही हड़बड़ी में बोल दी "जी जी..नहीं नहीं...वो नही आई घर आप आप जाओ"
तभी पापा को अंदर से आवाज आई "इशिता.... कोन है..."