Cooldude1986
Supreme
Shaandar Mast Lajwab Kamuk UpdateUpdate 05
घर का माहोल धीरे धीरे ठीक हो रहा था पापा अब काम पे जाने लगे थे.. मां अपना क्लीनिक वापस सुरू कर चुकी थी.. में कल की ट्रेन से काम पे जाने के लिए निकल रहा था.. जिंदगी में कितना भी बड़ा दुख आ जाय काम तो करना ही पड़ेगा उस से हम कैसे ही भाग सकते थे..
रात के 8 बजे थे मां रसोई घर में रात का खाना बना रही थी.. में जब से आया था मां को ठीक से प्यार तक नही कर पाया था.. में किचेन में गया.. बाहर से ठंडी हवा की लहरे घर में आते हुए मां के बालो को लहरा रही थी..
मां अब फिर से सब भूल अपनी आम रोज बरा की जिंदगी में जैसे लोट चुकी थी..
टीवी पे कल हों न हो फिल्म लगी हुए थी...
गाने की आवाज सुनकर मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई..मां के लहराते बाल मुझे पागल बना रहे थे उपर से ये गाना मुझे और मदहोश करने की कोई कसर नही छोड़ रहा था...
चाहे जो तुम्हें पूरे दिल से
मिलता है वो मुश्किल से
ऐसा जो कोई कहीं है
बस वो ही सबसे हसीं है
उस हाथ को तुम थाम लो
वो मेहरबाँ कल हो न हो
में कब मां के पीछे आके खड़ा हो गया में भी नही जानता.. मेरे हाथ अपने आप ही मां की कमर की चारो और लिपट गई.. हम दोनो का जिस्म एक दुसरे से छूते ही मुझे एक अजीब सा करेंट महसूस हुआ.. मां को जैसे ही मेरे होठ के स्पर्श का गर्म एहसास उनके गले पे हुए मां ने एक हल्की सी आह भरी और बो दो इंच ऊपर हो उठी जैसे की उन्हे एक करेंट लगा हो... कुछ देर तक जैसे समय ही ढहर चुका था..
मां ने धीरे से मुझे पीछे किया और मेरी आखों में देखने लगी.. जैसे बोल रही हो रुक क्यों गया मुझे अपनी बाहों में उठा ले.. में वही खड़ा हुआ मां की आखों में देखते हुए इनकी और बड़ा और उन्हे अपनी बाहों में जकड़ लिया.. मां के सुडोल स्तन जैसे मेरी छाती में दबे में उत्तेजित हो उठा..मेने मां को और कस के मेरी तरफ किया..
की तभी एक तेज आवाज आई और हम एक दम से अलग हुए ये आवाज दरवाजे के खटखटाने की थी.. मां बेहत डर गई की तभी पापा की आवाज सुनाई दी और हम ने राहत की सास ली....
दरवाजा खुलते ही सामने पापा खड़े थे... पापा हाफ रहे थे.. और पसीने से पूरी तरह भीग चुके थे.. उनके शर्ट पे खून लगा हुआ था..
पापा ने आते ही मां को अपने सीने से लगा लिया और रोने लगे..
बेटा तो मॉं के अपमान का बदला लेने की बजाय मॉं के पल्लू में छुपने की जुगाड़ में हैUpdate 05
घर का माहोल धीरे धीरे ठीक हो रहा था पापा अब काम पे जाने लगे थे.. मां अपना क्लीनिक वापस सुरू कर चुकी थी.. में कल की ट्रेन से काम पे जाने के लिए निकल रहा था.. जिंदगी में कितना भी बड़ा दुख आ जाय काम तो करना ही पड़ेगा उस से हम कैसे ही भाग सकते थे..
रात के 8 बजे थे मां रसोई घर में रात का खाना बना रही थी.. में जब से आया था मां को ठीक से प्यार तक नही कर पाया था.. में किचेन में गया.. बाहर से ठंडी हवा की लहरे घर में आते हुए मां के बालो को लहरा रही थी..
मां अब फिर से सब भूल अपनी आम रोज बरा की जिंदगी में जैसे लोट चुकी थी..
टीवी पे कल हों न हो फिल्म लगी हुए थी...
गाने की आवाज सुनकर मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई..मां के लहराते बाल मुझे पागल बना रहे थे उपर से ये गाना मुझे और मदहोश करने की कोई कसर नही छोड़ रहा था...
चाहे जो तुम्हें पूरे दिल से
मिलता है वो मुश्किल से
ऐसा जो कोई कहीं है
बस वो ही सबसे हसीं है
उस हाथ को तुम थाम लो
वो मेहरबाँ कल हो न हो
में कब मां के पीछे आके खड़ा हो गया में भी नही जानता.. मेरे हाथ अपने आप ही मां की कमर की चारो और लिपट गई.. हम दोनो का जिस्म एक दुसरे से छूते ही मुझे एक अजीब सा करेंट महसूस हुआ.. मां को जैसे ही मेरे होठ के स्पर्श का गर्म एहसास उनके गले पे हुए मां ने एक हल्की सी आह भरी और बो दो इंच ऊपर हो उठी जैसे की उन्हे एक करेंट लगा हो... कुछ देर तक जैसे समय ही ढहर चुका था..
मां ने धीरे से मुझे पीछे किया और मेरी आखों में देखने लगी.. जैसे बोल रही हो रुक क्यों गया मुझे अपनी बाहों में उठा ले.. में वही खड़ा हुआ मां की आखों में देखते हुए इनकी और बड़ा और उन्हे अपनी बाहों में जकड़ लिया.. मां के सुडोल स्तन जैसे मेरी छाती में दबे में उत्तेजित हो उठा..मेने मां को और कस के मेरी तरफ किया..
की तभी एक तेज आवाज आई और हम एक दम से अलग हुए ये आवाज दरवाजे के खटखटाने की थी.. मां बेहत डर गई की तभी पापा की आवाज सुनाई दी और हम ने राहत की सास ली....
दरवाजा खुलते ही सामने पापा खड़े थे... पापा हाफ रहे थे.. और पसीने से पूरी तरह भीग चुके थे.. उनके शर्ट पे खून लगा हुआ था..
पापा ने आते ही मां को अपने सीने से लगा लिया और रोने लगे..
Update 05
घर का माहोल धीरे धीरे ठीक हो रहा था पापा अब काम पे जाने लगे थे.. मां अपना क्लीनिक वापस सुरू कर चुकी थी.. में कल की ट्रेन से काम पे जाने के लिए निकल रहा था.. जिंदगी में कितना भी बड़ा दुख आ जाय काम तो करना ही पड़ेगा उस से हम कैसे ही भाग सकते थे..
रात के 8 बजे थे मां रसोई घर में रात का खाना बना रही थी.. में जब से आया था मां को ठीक से प्यार तक नही कर पाया था.. में किचेन में गया.. बाहर से ठंडी हवा की लहरे घर में आते हुए मां के बालो को लहरा रही थी..
मां अब फिर से सब भूल अपनी आम रोज बरा की जिंदगी में जैसे लोट चुकी थी..
टीवी पे कल हों न हो फिल्म लगी हुए थी...
गाने की आवाज सुनकर मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई..मां के लहराते बाल मुझे पागल बना रहे थे उपर से ये गाना मुझे और मदहोश करने की कोई कसर नही छोड़ रहा था...
चाहे जो तुम्हें पूरे दिल से
मिलता है वो मुश्किल से
ऐसा जो कोई कहीं है
बस वो ही सबसे हसीं है
उस हाथ को तुम थाम लो
वो मेहरबाँ कल हो न हो
में कब मां के पीछे आके खड़ा हो गया में भी नही जानता.. मेरे हाथ अपने आप ही मां की कमर की चारो और लिपट गई.. हम दोनो का जिस्म एक दुसरे से छूते ही मुझे एक अजीब सा करेंट महसूस हुआ.. मां को जैसे ही मेरे होठ के स्पर्श का गर्म एहसास उनके गले पे हुए मां ने एक हल्की सी आह भरी और बो दो इंच ऊपर हो उठी जैसे की उन्हे एक करेंट लगा हो... कुछ देर तक जैसे समय ही ढहर चुका था..
मां ने धीरे से मुझे पीछे किया और मेरी आखों में देखने लगी.. जैसे बोल रही हो रुक क्यों गया मुझे अपनी बाहों में उठा ले.. में वही खड़ा हुआ मां की आखों में देखते हुए इनकी और बड़ा और उन्हे अपनी बाहों में जकड़ लिया.. मां के सुडोल स्तन जैसे मेरी छाती में दबे में उत्तेजित हो उठा..मेने मां को और कस के मेरी तरफ किया..
की तभी एक तेज आवाज आई और हम एक दम से अलग हुए ये आवाज दरवाजे के खटखटाने की थी.. मां बेहत डर गई की तभी पापा की आवाज सुनाई दी और हम ने राहत की सास ली....
दरवाजा खुलते ही सामने पापा खड़े थे... पापा हाफ रहे थे.. और पसीने से पूरी तरह भीग चुके थे.. उनके शर्ट पे खून लगा हुआ था..
पापा ने आते ही मां को अपने सीने से लगा लिया और रोने लगे..