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Incest पूर्णिमा की रात्रि

Premkumar65

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Update 02

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हमारे नई घर में रहते हुए अब हमे कुछ साल बीत गई बस्ती में रहने से मेरी दोस्ती यारी अब यहां के दूसरे बच्चों के साथ होने लगी.. मां के काम से सभी उनकी बहोत ही आदर सम्मान करते मां के रूप को देख हर मर्द का लिंग भले ही खड़ा हो जाता हो लेकिन मां की सभी इतनी इज्जत करते थे की उनकी कोई छेड़ छाड़ किरने का चाहते ही नही थे या उन्हें एक डर भी लगता था कि किसी को पता चला तो इनकी क्या हालत होगी..

वही दादाजी बड़े दुखी और परेशान रहने लगे अपनी आखों से अपने दो बेटे को यू लड़ता देख ही वो खून के आशु रोने लगे थे और अब अपने बड़े बेटे पोते और बेटी जैसी बहू से दूर होके वो ज्यादा दिन तक अपनी धड़कन चला नही पाई.. आखिर कब तक वो टूटे दिल के साथ जिंदा रह भी पाते..

और लोग बाते भी खूब बना रहे थे की मां और दादाजी के भी संबंध सही नही थे.. लोगो की ऐसी बाते सुन सुन के भी दादाजी के दिल को तोड़ के रख दिया करती...

दादाजी के जाने के बाद जैसे हमारा पुराने घर से पूरी तरह से रिश्ता टूट चुका था..

कुछ साल में सोचने समझने लगा लोगो की बातो को उनकी नियत को और बस्ती के दूसरे दोस्तो की बदौलत ही मुझे यौन शिक्षा मिलने लगी...

समय के साथ मां की जवानी और उभान मार रही थी और अब पापा की उम्र इतनी हो चुकी थी की उन्हे मां की जरूरतें दिखाने नही देती थी या फिर देखने के बावजूत वो मां को नजर अंदाज करते थे...

में उनकी इकलौती संतान था और घर में कोई नहीं था दूसरा इस वजह से में उन के साथ ही सोया करता था.. अकसर रात को नींद खुलती तब मुझे मां का अर्ध नग्न जिस्म दिख जाता और में अपनी आंखे बंद किए मां की सिसकरिया सुनता.. जैसे जैसे मां को समझ आया की में उन्हें चुप के से पापा के साथ संभोग क्रिया करते देख लेता हु.. मां अपनी चूदाई दूसरे कमरे में कराने लगी लेकिन कभी मुझे खुद से दूर नही की... वो दुसरे कमरे में जाते और भरपूर आनंद लेकर वापस लौट आते.. धीरे धीरे ऐसा होने लगा कि पापा मां की गरमी को शांत कर वही सो जाते थक के लेकिन मां मेरे पास आकर लेट जाती...

समय के साथ पापा अब मां को पूरी तरह से ठंडी नहीं कर पाते थे.. मां अब अपनी यौन उत्तेजना को अपनी उंगली से ही शांत किया करती थी..

पापा अब मां को बहुत ही कम समय देते और यौन संबंध तो मां के लाख मानने पर ही बनाते.. मां को भी समझ आने लगा था की अब उन्हें यू परेशान कर कोई फायदा नही होगा..

मां अब 47 साल की हो गई थी और पापा 60 के लेकिन मां की काम आग दिन प्रति दिन और बड़ रही थी.. मां को अब अपने जिस्म में कुछ खास बदलाव भी दिख रहे थे जिन्हे देख वो बड़ी ही कामुक हो जाती मां ने पूरे एक साल से अपनी योनि में लिंग नही लिया था वही उनके गोरे कसे बदन को एक साल से उनके हाथो के अलावा किसी भी मर्द न छुआ तक नहीं था.. अब ये मत सोचना की में कहा था में अब मां को मेरा भी स्पर्श नहीं मिल रहा था नही तो कुछ घरेलू महिलाएं अपने बेटे के स्पर्श और आलिंगन से ही उत्तेजित होकर रात में बेटे को बाहों में लेकर उंगली कर अपनी काम आग को भुजा लिया करती है.. लेकिन में पिछने एक साल से घर नही आया था मेरे काम की वजह से में अब 26 साल का हो चुका था.. जो अपनी मां के जिस्म का दीवाना बन बैठा था जाने या अनजाने में एक साल मां से दूर रह के दिन रात मां को सोचता की घर पे होता तो मां के साथ क्या क्या करता...

हा दोस्ती में और मां काफी करीब आ गई है.. मां को अपनी बाहों में लेकर सोना उनको चूमना उन्हें घूमने के जाना सब में करने ही लगा था.. बस नही हुआ था तो हमारा मिलन.. मुझे पता था कि मां इतनी पड़ी लिखी थी की उनके लिए बेटे को चूमना कोई बड़ी बात नहीं थी और साथ में तो हम कब से सो रहे थे.. और उन्हे थोड़ा बहुत तो इंटिमेसी अच्छा ही लगता था और ये उनके विचारों से विपरीत नही था क्यों कि वो देखती थी की आज कल ये सब आम है...

लेकिन संभोग और अपने बेटे के साथ ये तो वो अपने सब से पूरे जीवन ने न कभी सुनी थी ना कभी सोचा था.. वो तो बस एक खुले विचार की नई जमाने की मां थी जिसे थोड़ी बहुत नजदीकिया से कोई आपत्ति नही थी उल्टा वो खुद ही मेरे साथ देर तक आलिंगन में पड़ी हुई बाते करने लगती और बेटे से इतना प्यार मिलने से सारा दिन खुस रहती..
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आज मुझे मां के साथ किए हुए मजाक मस्ती बड़ी याद आती है जब में उतना दूर हु पूरे एक साल से...वो बड़ी सी मुस्कान छोटे छोटे गुलाबी होठ जैसे गुलाब की पंखुड़ी हो.. खुले घने बाल.. पतली कमर जो हर दम पल्लू हटने से मेरी आखों के सामने आ जाती उनकी एक एक अंग मुझे बड़ा तक करता है खास कर है मेरा लिंग को एक साल से मां की पहनी हुई ब्रा पेंटी में अपना गाड़ा माल छोड़ने को बेताब खड़ा है
Jald hi start hoga shayad.
 

Napster

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हमारे नई घर में रहते हुए अब हमे कुछ साल बीत गई बस्ती में रहने से मेरी दोस्ती यारी अब यहां के दूसरे बच्चों के साथ होने लगी.. मां के काम से सभी उनकी बहोत ही आदर सम्मान करते मां के रूप को देख हर मर्द का लिंग भले ही खड़ा हो जाता हो लेकिन मां की सभी इतनी इज्जत करते थे की उनकी कोई छेड़ छाड़ किरने का चाहते ही नही थे या उन्हें एक डर भी लगता था कि किसी को पता चला तो इनकी क्या हालत होगी..

वही दादाजी बड़े दुखी और परेशान रहने लगे अपनी आखों से अपने दो बेटे को यू लड़ता देख ही वो खून के आशु रोने लगे थे और अब अपने बड़े बेटे पोते और बेटी जैसी बहू से दूर होके वो ज्यादा दिन तक अपनी धड़कन चला नही पाई.. आखिर कब तक वो टूटे दिल के साथ जिंदा रह भी पाते..

और लोग बाते भी खूब बना रहे थे की मां और दादाजी के भी संबंध सही नही थे.. लोगो की ऐसी बाते सुन सुन के भी दादाजी के दिल को तोड़ के रख दिया करती...

दादाजी के जाने के बाद जैसे हमारा पुराने घर से पूरी तरह से रिश्ता टूट चुका था..

कुछ साल में सोचने समझने लगा लोगो की बातो को उनकी नियत को और बस्ती के दूसरे दोस्तो की बदौलत ही मुझे यौन शिक्षा मिलने लगी...

समय के साथ मां की जवानी और उभान मार रही थी और अब पापा की उम्र इतनी हो चुकी थी की उन्हे मां की जरूरतें दिखाने नही देती थी या फिर देखने के बावजूत वो मां को नजर अंदाज करते थे...

में उनकी इकलौती संतान था और घर में कोई नहीं था दूसरा इस वजह से में उन के साथ ही सोया करता था.. अकसर रात को नींद खुलती तब मुझे मां का अर्ध नग्न जिस्म दिख जाता और में अपनी आंखे बंद किए मां की सिसकरिया सुनता.. जैसे जैसे मां को समझ आया की में उन्हें चुप के से पापा के साथ संभोग क्रिया करते देख लेता हु.. मां अपनी चूदाई दूसरे कमरे में कराने लगी लेकिन कभी मुझे खुद से दूर नही की... वो दुसरे कमरे में जाते और भरपूर आनंद लेकर वापस लौट आते.. धीरे धीरे ऐसा होने लगा कि पापा मां की गरमी को शांत कर वही सो जाते थक के लेकिन मां मेरे पास आकर लेट जाती...

समय के साथ पापा अब मां को पूरी तरह से ठंडी नहीं कर पाते थे.. मां अब अपनी यौन उत्तेजना को अपनी उंगली से ही शांत किया करती थी..

पापा अब मां को बहुत ही कम समय देते और यौन संबंध तो मां के लाख मानने पर ही बनाते.. मां को भी समझ आने लगा था की अब उन्हें यू परेशान कर कोई फायदा नही होगा..

मां अब 47 साल की हो गई थी और पापा 60 के लेकिन मां की काम आग दिन प्रति दिन और बड़ रही थी.. मां को अब अपने जिस्म में कुछ खास बदलाव भी दिख रहे थे जिन्हे देख वो बड़ी ही कामुक हो जाती मां ने पूरे एक साल से अपनी योनि में लिंग नही लिया था वही उनके गोरे कसे बदन को एक साल से उनके हाथो के अलावा किसी भी मर्द न छुआ तक नहीं था.. अब ये मत सोचना की में कहा था में अब मां को मेरा भी स्पर्श नहीं मिल रहा था नही तो कुछ घरेलू महिलाएं अपने बेटे के स्पर्श और आलिंगन से ही उत्तेजित होकर रात में बेटे को बाहों में लेकर उंगली कर अपनी काम आग को भुजा लिया करती है.. लेकिन में पिछने एक साल से घर नही आया था मेरे काम की वजह से में अब 26 साल का हो चुका था.. जो अपनी मां के जिस्म का दीवाना बन बैठा था जाने या अनजाने में एक साल मां से दूर रह के दिन रात मां को सोचता की घर पे होता तो मां के साथ क्या क्या करता...

हा दोस्ती में और मां काफी करीब आ गई है.. मां को अपनी बाहों में लेकर सोना उनको चूमना उन्हें घूमने के जाना सब में करने ही लगा था.. बस नही हुआ था तो हमारा मिलन.. मुझे पता था कि मां इतनी पड़ी लिखी थी की उनके लिए बेटे को चूमना कोई बड़ी बात नहीं थी और साथ में तो हम कब से सो रहे थे.. और उन्हे थोड़ा बहुत तो इंटिमेसी अच्छा ही लगता था और ये उनके विचारों से विपरीत नही था क्यों कि वो देखती थी की आज कल ये सब आम है...

लेकिन संभोग और अपने बेटे के साथ ये तो वो अपने सब से पूरे जीवन ने न कभी सुनी थी ना कभी सोचा था.. वो तो बस एक खुले विचार की नई जमाने की मां थी जिसे थोड़ी बहुत नजदीकिया से कोई आपत्ति नही थी उल्टा वो खुद ही मेरे साथ देर तक आलिंगन में पड़ी हुई बाते करने लगती और बेटे से इतना प्यार मिलने से सारा दिन खुस रहती..
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आज मुझे मां के साथ किए हुए मजाक मस्ती बड़ी याद आती है जब में उतना दूर हु पूरे एक साल से...वो बड़ी सी मुस्कान छोटे छोटे गुलाबी होठ जैसे गुलाब की पंखुड़ी हो.. खुले घने बाल.. पतली कमर जो हर दम पल्लू हटने से मेरी आखों के सामने आ जाती उनकी एक एक अंग मुझे बड़ा तक करता है खास कर है मेरा लिंग को एक साल से मां की पहनी हुई ब्रा पेंटी में अपना गाड़ा माल छोड़ने को बेताब खड़ा है
बहुत ही सुंदर और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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Enjoywuth

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Plot bahut badiya hai bahi ..thoda romantically mahol banao ..jab wapas aaye toh badiya ho

Agar chat ho jaye dono ke beech jab dono alag the toh aur bhi maza
 

Grandmaster X

Her Lover
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Update 03

दोपहर की भयानक धूप में सड़के आग की तरह गर्मी उगल रही थी.. कुछ लड़के पेड़ की चाव में दीवार पे बैठे हुए लूडो खेलने में इसे व्यस्त हो गई थे जैसे उन्हें गर्मी का कोई असर ही नही हो..

दीवार से बाद एक सड़क और उसके आगे था हमारा घर और घर के आगे के हिस्से में मां का छोटा सा क्लिनिक.. यहां के बाकी घरों में कोई नही रहता था सब दूसरी अच्छी जगह रहने चले गई थे और हम ने भी यह घर किराए पे ले रखा था.. एक लाइन में 4 से 5 बड़े बंगले थे और सड़क की दुसरी और भी उतने वाली जगा पे जैसे तैसे कही पर भी घर बने हुए थे छोटी छोटी गलियां उसके दोनो तरफ घर और कुछ दुकानें...हमारे घर वाली सड़क की दोनो और पेड़ लगे थे जिनकी चाव में पास पास के लड़के भरी दोहपर में बैठने आते और बच्चे खेलने...

एक काले रंग की बुलेट मां की क्लिनिक के आगे आके रुक गई.. सामने बैठे लड़को में से एक इस और देख बोला "देखो बे रंगाभाई" वही दूसरा लड़का बुलेट से उत्तर रही महिला की अर्ध नंगी पीठ को घूरते बोला "क्या माल़ है यार भाभी पीली सारी में क्या कयामत लग रही हैं उफ्फ यार देख तो सही कितनी गोरी है एक बार मिल जाए तो कच्चा खा जाऊं"

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वही तीसरा लड़का दबी आवाज में बोला "चुप भोसडीके रंगा भाई सुन लिए तो तेरे साथ हमारी मां भी चोद देंगे" पहला लड़का अपने खड़े ओजार से परेशान होकर उसे मसलते हुए बोल पड़ा "क्या गलत बोल रहा है बे वो हे माल़ तो है वो रंगाभाई खुद प्रतिज्ञा भाभी को कितना छेड़े ही याद नही उनके पूरे परिवार का जीना हराम कर दिए थे तभी तो अंकल ने एक आवारा गुंडे से न चाहते हुए भी अपनी बेटी की सादी करावा दी नही.. ये तो भाभी की खूबसूरती का कमाल है की ये चुतीया शांत हुए बैठा है पता नही तूझे भाभी की मां को भी नही बक्शा साले ने"

रंगा और भाभी गेट से होते हुए क्लिनिक में घुस गई...
 

Pankaj khatri

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Update 01

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ये मेरी मां इशिता सिंह देखने में अपनी उम्र से काफी जवान लगती हैं लेकिन मां की यही खूबसूरती ने हमारा पूरा परिवार तोड़ के रख दिया..

मां की सादी उनकी पढ़ाई पूरी होते ही पापा के साथ नानाजी ने ते कर दी.. तब मां करीबन 22 साल की होगी.. जब पापा मां से मिले तो उनके होस उड़ गई पहली ही नजर में पापा मां के रूप के कायल हो उठे.. मां को भी पापा का भोलापन और सादगी से प्यार हो गया.. और पापा की औकात से कही ज्यादा खूबसूरत पत्नी से उनकी सादी हो गई.. मां और पापा एक दूसरे के करीब आते गई ओर सादी के एक साल पूरा होने से ठीक पहले में उनकी जिंदगी में आया..

मां ने सादी के बाद ही अपनी मेडिकल की प्रैक्टिस करने की इच्छा जताई और पापा ने हामी भर दी.. और मां अब अपना ज्यादातर समय अपनी क्लिनिक में बिताती.. पापा भी अपने काम में व्यस्त रहते..

मुझे आज भी याद है मां पापा मुझे सुलाने के बाद जमीन पे रजाई बिछा के यौन संबंध बनाते और कभी कभी में उठ जाता तब में उन्हें नंगा एक दूसरे में समाया हुआ पाता..

जब में 5 साल के करीब हुआ मेरे छोटे चाचा को सादी तेई हुए.. चाचाजी बस घर की एक दुकान चला रहे थे और काम काज में बड़े आलसी थे.. यही सब देखते हुए उनके लिए कोई रिश्ता भी नही आता था.. न लड़की वाले हा करते.. जैसे तैसे एक गरीब घर की लड़की से चाचा की सादी करा दी गई.. माधवी चाची दिखाने में ठीक ठाक थी और थोड़ी सी सावले रंग की.. छोटे कद की पतली सी लड़की..

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चाचा के अरमान बड़े उपर चढ़े हुए थे मां को देख के की उन्हें भी मां जैसी गोरी और बहोत खूबसूरत पत्नी मिलेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं चाचा मुंह पे तो कुछ बोल नहीं पाते थे लेकिन वो पापा से मन ही मन नफरत करने लगे और दादाजी से भी अब वो सही मुंह बात नही करते थे.. माधवी चाची को भी एक पति का प्यार ठीक से नही मिला..

जब जब चाचा मां को पाप के साथ देखते उनका खून खोल जाता.. समय के साथ ये तनाव और नफरत बड़ती गई और जब में स्कूल में था और पापा काम से बाहर गई हुई थे..

रात को चाचाजी देर रात को अपने दोस्तो के साथ पी के घर आई और पता नही किस ने क्या कान भरे उनके वो नसे की हालत में हमारे कमरे में घुस गए.. मां काम से देर से आई थी वो बड़ी ही गहरी नींद में थी.. मां को आदत थी पापा अक्सर रात को ही उन्हें उठा के उनके साथ संभाग करते थे.. मां को नींद में खयाल न रहा की पापा आज नही थे घर में और जब तक मां को एहसास हुए बहोत देर हो चुकी थी.. चाचा जी का लिंग मां की योनी की गहराई में पहुंच चुका था..

मां बहोत डर गई थी.. वो एक बार जोर से धक्का दी लेकिन चाचा के के आगे क्या थी.. चाचा जी ने मां को एक जोर का चाटा मारा और मां के होस उड़ गई..वो पूरी तरह से सदमे में चली गई.. मुंह से आह तक नही निकल पाई मां की..और चाचा ने अपना वीर्य मां की योनि में छोड़ बाहर निकल गई.. मां वही पड़ी रोती रही.. बाहर चाची खड़ी थी.. वो मां की पहली दर्द भरी चीख सुन ही आ गई थी लेकिन बिचारी अपने पति को केसे रोक देती.. मां के साथ को हुआ वो देख उनकी आंखे भी भर आई.. वो मां से माफी मांगने लगी और मां के पैरो मे पड़ के रोते हुए बोली "दीदी आप जेठ जी को कुछ मत बताना में आप के पैर पकड़ती हु.. मेरे लिए न सही मेरे बच्चे के लिए.. जेठ जी या ससुर जी को पता चला तो उनको घर से ही निकल देंगे खुद तो कुछ ठीक से कमा भी नही रहे दीदी"

में मां के बगल में ही सोया हुआ सब सुन रहा था.. की मां ने मुझे कस के अपनी गोद में भर लिया वो अभी तक अर्ध नंगी हालत में लेती हुए थी.. चाची ने दरवाजा बंद किया और बाहर निकल गई.. मां और मेरा जिस्म एक दूसरे से चिपक गया था.. मां पसीने से भीग गई थी..और उनके जिस्म से वीर्य की एक सुगंध निकल रही थी..

कुछ देर बाद मां अपने कपड़े सही कर नहाने चली गई..मां ने इस बात का जिक्र किसी से नहीं किया.. लेकिन ये बात ज्यादा दिन छुपी नहीं रह पाई.. चाचा जी ने अपने सब दोस्तो को अपनी करतूत नसे में आके बक दी.. और फिर क्या था एक बार बात चली फिर कहा रुकती सारे सहर में बात फेल गई.. और लोग बात बनाने लगे की मां ही अपने देवर के साथ रंगरलियां मनाती है पति के जाने के बाद.. चाचा जी को तो और मजा आने लगा मां के बारे में ऐसी बाते सुन वो और बड़ा चढ़ा के बाते करने लगे..

यहां तक बात होने लगी की मां चाचा और दादाजी दोनो के साथ संभोग क्रिया करती है और बेटा भी पापा का नही..ये बात दादाजी तक पहुंच गए और उन्होंने चाचाजी को बहुत फटकार दी लेकिन चाची की वजह से वो उन्हें घर से नही निकाल पाई..

जैसे ही पापा को इन सब की खबर हुए.. पापा और चाचा का बहुत बड़ा जगड़ा हो गया बात पुलिस तक पहुंच गई लेकिन मां ने गवाही देने से मना कर दिया पापा को बहुत बुरा लगा ये सुन के.. लेकिन वो मां जो जानते थे कि मां कितनी अच्छी थी दूसरा का दुख कभी देख नही पाती चाहे खुद के साथ कितना भी बुरा हुआ हो.. मां बड़ी ही इमोशनल रही थी अपने क्लिनिक में आने वाले आधे से ज्यादा लोगो से पैसे भी नहीं लिया करती थी.. और इस बात फायदा उठा के कूच लोग पैसा होते हुए भी नही देते थे.. मां को आराम से बड़ी अस्पताल में नौकरी मिल रही थी पर वो गरीब लोगो की सेवा करना चाहती थी इस लिए.. एक शहर में स्थित एक गरीब बस्ती के पास अपना छोटा सा क्लिनिक सुरू किया था..

ये सब होने के बाद पापा ने घर छोड़ दिया और हम नई जगा पे रहने आ गई.. ये घर उस बस्ती में था.. एक दो घर बड़े थे जहा हम ने घर लिया था बाकी सब घर छोटे थे या चोल थी.. हमारा घर ठीक ठाक बड़ा सा था जिस में मां ने एक तरफ अपना क्लीनिक भी खोल दिया...
Super story 👌🔥🔥🔥🔥🔥🔥
 
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randibaaz chora

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Thoda update badha likho yaar time lo kuch to ijjat rakho story ki do shabd likhle chhodo diye
 

Napster

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दोपहर की भयानक धूप में सड़के आग की तरह गर्मी उगल रही थी.. कुछ लड़के पेड़ की चाव में दीवार पे बैठे हुए लूडो खेलने में इसे व्यस्त हो गई थे जैसे उन्हें गर्मी का कोई असर ही नही हो..

दीवार से बाद एक सड़क और उसके आगे था हमारा घर और घर के आगे के हिस्से में मां का छोटा सा क्लिनिक.. यहां के बाकी घरों में कोई नही रहता था सब दूसरी अच्छी जगह रहने चले गई थे और हम ने भी यह घर किराए पे ले रखा था.. एक लाइन में 4 से 5 बड़े बंगले थे और सड़क की दुसरी और भी उतने वाली जगा पे जैसे तैसे कही पर भी घर बने हुए थे छोटी छोटी गलियां उसके दोनो तरफ घर और कुछ दुकानें...हमारे घर वाली सड़क की दोनो और पेड़ लगे थे जिनकी चाव में पास पास के लड़के भरी दोहपर में बैठने आते और बच्चे खेलने...

एक काले रंग की बुलेट मां की क्लिनिक के आगे आके रुक गई.. सामने बैठे लड़को में से एक इस और देख बोला "देखो बे रंगाभाई" वही दूसरा लड़का बुलेट से उत्तर रही महिला की अर्ध नंगी पीठ को घूरते बोला "क्या माल़ है यार भाभी पीली सारी में क्या कयामत लग रही हैं उफ्फ यार देख तो सही कितनी गोरी है एक बार मिल जाए तो कच्चा खा जाऊं"

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वही तीसरा लड़का दबी आवाज में बोला "चुप भोसडीके रंगा भाई सुन लिए तो तेरे साथ हमारी मां भी चोद देंगे" पहला लड़का अपने खड़े ओजार से परेशान होकर उसे मसलते हुए बोल पड़ा "क्या गलत बोल रहा है बे वो हे माल़ तो है वो रंगाभाई खुद प्रतिज्ञा भाभी को कितना छेड़े ही याद नही उनके पूरे परिवार का जीना हराम कर दिए थे तभी तो अंकल ने एक आवारा गुंडे से न चाहते हुए भी अपनी बेटी की सादी करावा दी नही.. ये तो भाभी की खूबसूरती का कमाल है की ये चुतीया शांत हुए बैठा है पता नही तूझे भाभी की मां को भी नही बक्शा साले ने"

रंगा और भाभी गेट से होते हुए क्लिनिक में घुस गई...
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
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