दो दिन यही सब चला...और आज वो रात थी जब मां मेरे साथ सोएगी...में अपने कुछ दोस्त और भाई के साथ बैठा था... "भाई तूने पहले कभी किया है कि नई" मेने ना में सर हिला दिया... "कोई नई डराना मत चाची सीखा देगी...बस उनका साथ देता रहना.." में ध्यान से सुन रहा था..."अबे साले अपनी मां को ही पेट से मत कर देना तू.. हा हा..."
एक दोस्त हस्ते हुए बोला...मेरे डर सा गया...मेरे हाव भाव देख मेरे चाचा का बड़ा लड़का बोला... "छोटे तू इनकी बात क्यों सुन रहा है... चाची सब संभाल लेगी.."
दूसरी और मां अपनी सहेलियों के साथ गप्पे लड़ा रही थी.."सुधा आज रात से तैयारी कैसी है" मां हस के बोली "क्या तैयारी क्या करनी अब"
"अरे पागल ठीक से सज सहर के सोना आज रात को बेटा जवान है.. कुछ तो खयाल रख उसका...सब सिखा देना नही तो बहु बोलेगी सासू मां ने कुछ सिखाया ही नही अपने बेटे को"
मां शर्म से लाल हो गई.."वैसे सुधा के चूचे तो देखो आज तो बड़े फूल गई है बिचारी पूरा दिन पानी जरेगी..बेटे के प्यार के लिए तड़प उठी होगी सुधा की बुरिया"
"आप सब क्या बोल रहे हो ऐसा कुछ नही...बेटा है तो बस शर्म आती है..आप तो जैसे रोज लेती हो न अपने बेटे का मूसल"
"देता तो में तो रोज लेती बहुरिया.. लेकिन तू आने दे तब न मेरे लाल को मेरे पास रोज पांव खोल के लेट जाती है बिचारे को पूरा सुखा दी हो..."
"तो आज रात आप भी अपने बेटे को अपना दूध पिला ही दो..."
और दादी और मां हसने लगे...
रात को फिर से हल्दी लगाई गई...और फिर मां ने अपने हाथो से मेरे लिंग की मालिश की... आज मेरी मलाई नही निकली तो मां मुस्करा के बोली..."मेरा लाल बड़ी जल्दी सब सीख रहा है...जा नहा ले में में भी नहा के आती हु"
ने नहा के घर में आया अब तक सब लोग चले गई थे...मुझे आता देख ही दादी बोल उठी.."चलो बेटा(पापा) बाहर निकल आओ..." और पापा और दादी दादी बाहर निकल कर आंगन में चारपाई डालने लगे...और चाची अपने घर चली गई...जाते जाते दादी को धीरे से कान में कहा "सासुमा जेठजी को दूध पिला देना...बड़े पता नही कितने दिन से जेठानी जी बचा रही होगी उसके बेटे के लिए हा हा..."
दादी ने चाची को थक्का दिया और बोली "तुझे बड़ी फिकर हो रही है ना तो तू ही पीला दे वैसे भी तेरा दूध खतम नही कर पायेगा कोई मर्द अकेला"