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Incest पूर्वसंध्या का रिवाज़

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Update 07
पापा की आवाज सुन ने डर गया और मां से दूर होकर मुंह नीचे कर दिया शर्म और डर के मारे...

मां वही बेटी बैठी जोर से चिल्ला के बोली.. "आप को बोला था ना यहां मत आना...डरा दिया न मेरे लाल को.. अब जवान बेटा अपनी मां के साथ पूर्वसंध्या मना रहा हो तो ऐसी आवाजे निकलने ही वाली हैं... आप से नहीं सुना जाता तो खेत में चले जाओ...बड़ी मुस्किल से तो करीब आया था बिचारा...

पापा मुंह लटका के वही खड़े रहे और उनके दिमाग में कुछ खयाल आया और वो दरवाजे में बने एक छोटे से छेद से अंदर देखने लगे...पापा का लिंग उछल के खड़ा हो गया मां को मेरे आगे नंगा बैठा देख...पापा की आखें बड़ी हो गई..वो बड़े उत्तेजित हो गई थे....

वही मां ने अपनी मीठी आवाज में धीरे से कहा "आजा मेरे बच्चे पीले अब कोई नही आएगा.. आज हमारे बीच कोई नही आ सकता आज की रात दिल भर के अपनी मां से प्यार कर ले फिर ऐसा मौका तुझे नहीं मिलेगा..."

में तुरत बोल उठा "क्यू मां मुझे आप के दूध रोज पीना है मां आप का दूध बड़ा मीठा है मां" मेने तुरत मां की गोद में लेट गया... और मां ने फिर से एक निप्पल मेरे मुंह में रख दिया...में अब मां के स्तन को चूसने लगा...

मां मेरे सर को सहलाते हुए बोली "चल जूठा..दूध कहा आया"
"मां आप के ये स्तन कितने मुलायम है आप ने पहले क्यू नही कभी मुझे इन्हे चुने दिया क्यों मुझे आप से इतना दूर रखा..मां में कितना अकेला था आप को पता हे सहर में"

"आह मेरे बच्चे पी पी जी भर के आज अपनी मां को निचोड़ दे सारी शिकायत मिटा ले अपनी आज में बस तेरी हू... बेटा ये दूध पीने का हक बस बचपन तक होता है.. बस आज के दिन तुझे वो सब फिर से करने को मिलेगा... तो जी भर के पीले"

"नही मां में आप के स्तनों का अमूर्त अब से रोजाना पियूंगा आप के ये कोमल स्तन ने मुझे आप का दीवाना बना दिया है मां आप ने कहा छुपा के रखा था उन्हें...आप से कितने साल दूर रहा हु मां अब बस आप की गोद में रहना है"

"अच्छा इतने अच्छे लगते ही तूझे मेरे दूध" मां ने अपनी चुलबुली हसी के साथ कहा...

"बेटा अब बहोट पी लिया चल हट बदमाश"

मां ने मुझे दूर किया और दीवार का सहारा लेकर पीठ टीका के अपने पैर खोलने लगी...घने बालों के बीच एक फुली हुए गुलाब की पनखुड़ी जैसे हकले सावले रंग के दो होठ मेरी आखों में जैसे समा से गई...दो होठों के चारो तरफ गुलाबी रंग की चमड़ी उन सावले रंग की योनि दीवार को और अथिल आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था...मां मेरे लिंग तो कभी मेरी आखों में देख अपने गुलाबी नंगे भरावदार जिस्म पे गर्व महसूस करती मुस्कुरा रही थी....

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में पहली बार किसी औरत की योनि को अपनी आखों से देख रहा था...मेरा लिंग दो तीन बूंदे निकल देता है...जिसे मेरी मां की तेज हिरनी जेसी नज़र पकड़ ली और मां जट से अपना हाथ आगे बढाया और मेरे लिंग को पकड़ उसके आगे वाले हिस्से पे लगी काम रस की बूंद को अपनी उंगली से ले कर उंगली को अपने होठ पे रख उसे निगल गई...

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वही मां को उंगली के स्पर्श मात्र से मेरा लिंग का हाल बेहाल हो चुका था...मां अपनी उंगली चूसती हुए फिर से दीवार के सहारे बैठ गई...और बड़ी उनके मुंह से आह की आवाज निकल रही थी वो बड़े चाव से मेरे लिंग के पानी का स्वाद लेते हुए बोली "बेटा आज एक बूंद भी बिगड़ने नही दूंगी एक मां बेटे के जीवन में ये दिन सिर्फ एक बार आता है"
बहुत ही शानदार और मस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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