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Incest प्यारा भाई.....बेशर्म मामा...

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कुछ डाउट



प्यारा भाई… … …

दोस्तों टाइटल में प्यारे भाई से मतलब रितेश से है


रितेश एक बहुत ही ज्यादा हैंडसम और शर्मिला व शांत लड़का है ।

दूसरी ओर सानवी खूबसूरत के साथ बहुत ही ज्यादा चंचल और समझदार है।


वह अपने आप को हर परिस्थितियों के अनुसार डाल लेती है ।


रब ने उसे खूबसूरती के साथ उसके अंदर कामुक अदाएं भी दी है अपनी अदाओं के साथ अपने कुछ काम ……

और ना को हाँ मे करवा देती है… . .




सानवी की मम्मी अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है ।

सुजाता रितेश की हरकतो से भी अंजान बनी रहती है ।

क्योंकि जवान लड़के का सफर्स उसे मद्होश कर देता है।

सुजाता एक समझदार औरत है ।


उसने कभी भी अपने बच्चो को अपने और सुरेश के संबंधों के बारे मे बताने और न ही उनको दिखाने के बारे मे सोचा ।


उसने सब कुछ पर्दे के पीछे किया


लेकिन जब उसे अपने बच्चों के संबंधों के बारे में पता चला तो वह बहुत दुखी हो गई ।


क्योंकि वह खुद इस परिस्थिति से गुजर चुकी है ।

और उसे मालूम है कि इस समाज में इस रिश्ते का कोई नाम नहीं है

और यह रिश्ता सिर्फ बदनाम है


इसलिए अपने बच्चों को समझाती है उनको डांटती है।



लेकिन जब उसे इस बात का पता चलता है ।

कि उनके बच्चों को उसके और सुरेश के संबंधों के बारे में पता है।


तो वह बेचैन हो जाती है और सोचने लगती है की रितेश के पापा को भी तो मालूम था।

और उन्होंने समाज की परवाह किए बिना हमारे रिश्ते को मंजूर कर लिया था।

सुजाता अब अपने बच्चों की परवाह किए बिना सुरेश के साथ संबंध में बनाने लगती है।



वही सुरेश डरा हुआ था कि कहीं रितेश कुछ करना दे ।
सुजाता के कारण उसका डर कम होने लगता है

और उसका ठरकी पन बाहर आने लगता है।

वह अपनी हरकतें सानवी पर करता रहता है ।

सानवी समझती है कि उसके मामा ने उसके लिए उसके परिवार के लिए क्या-क्या किया है


इन्हीं कारणों से वह उसकी हरकतों को अनदेखा कर देती है



सुरेश अनदेखी को सानवी की हां समझ लेता है ।

और वह अपनी हरकतो से धीरे धीरे बिल्कुल बेशर्मी पर आ जाता है


सुरेश को मालूम नहीं था कि सानवी और रितेश के बीच-बीच भी कुछ है।







इधर सानवी अपने मम्मी और मामा को रिश्तो में बांधने के बाद… ..




धीरे धीरे अपने और रितेश के बारे में अपने मामा को और अपनी मम्मी को दिखाना चाहती है ।


कि वह दोनों भी एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते।




अब आगे.......


 
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rahul.das

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रितेश एक बहुत ही ज्यादा हैंडसम और शर्मिला व शांत लड़का है ।

दूसरी ओर सानवी खूबसूरत के साथ बहुत ही ज्यादा चंचल और समझदार है।


वह अपने आप को हर परिस्थितियों के अनुसार डाल लेती है ।


रब ने उसे खूबसूरती के साथ उसके अंदर कामुक अदाएं भी दी है अपनी अदाओं के साथ अपने कुछ काम ……

और ना को हाँ मे करवा देती है… . .




सानवी की मम्मी अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है ।

सुजाता रितेश की हरकतो से भी अंजान बनी रहती है ।

क्योंकि जवान लड़के का सफर्स उसे मद्होश कर देता है।

सुजाता एक समझदार औरत है ।


उसने कभी भी अपने बच्चो को अपने और सुरेश के संबंधों के बारे मे बताने और न ही उनको दिखाने के बारे मे सोचा ।


उसने सब कुछ पर्दे के पीछे किया


लेकिन जब उसे अपने बच्चों के संबंधों के बारे में पता चला तो वह बहुत दुखी हो गई ।


क्योंकि वह खुद इस परिस्थिति से गुजर चुकी है ।

और उसे मालूम है कि इस समाज में इस रिश्ते का कोई नाम नहीं है

और यह रिश्ता सिर्फ बदनाम है


इसलिए अपने बच्चों को समझाती है उनको डांटती है।



लेकिन जब उसे इस बात का पता चलता है ।

कि उनके बच्चों को उसके और सुरेश के संबंधों के बारे में पता है।


तो वह बेचैन हो जाती है और सोचने लगती है की रितेश के पापा को भी तो मालूम था।

और उन्होंने समाज की परवाह किए बिना हमारे रिश्ते को मंजूर कर लिया था।

सुजाता अब अपने बच्चों की परवाह किए बिना सुरेश के साथ संबंध में बनाने लगती है।



वही सुरेश डरा हुआ था कि कहीं रितेश कुछ करना दे ।
सुजाता के कारण उसका डर कम होने लगता है

और उसका ठरकी पन बाहर आने लगता है।

वह अपनी हरकतें सानवी पर करता रहता है ।

सानवी समझती है कि उसके मामा ने उसके लिए उसके परिवार के लिए क्या-क्या किया है


इन्हीं कारणों से वह उसकी हरकतों को अनदेखा कर देती है



सुरेश अनदेखी को सानवी की हां समझ लेता है ।

और वह अपनी हरकतो से धीरे धीरे बिल्कुल बेशर्मी पर आ जाता है


सुरेश को मालूम नहीं था कि सानवी और रितेश के बीच-बीच भी कुछ है।







इधर सानवी अपने मम्मी और मामा को रिश्तो में बांधने के बाद… ..




धीरे धीरे अपने और रितेश के बारे में अपने मामा को और अपनी मम्मी को दिखाना चाहती है ।


कि वह दोनों भी एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते।




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Age ka bhi post kardo
 

rahul.das

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रितेश एक बहुत ही ज्यादा हैंडसम और शर्मिला व शांत लड़का है ।

दूसरी ओर सानवी खूबसूरत के साथ बहुत ही ज्यादा चंचल और समझदार है।


वह अपने आप को हर परिस्थितियों के अनुसार डाल लेती है ।


रब ने उसे खूबसूरती के साथ उसके अंदर कामुक अदाएं भी दी है अपनी अदाओं के साथ अपने कुछ काम ……

और ना को हाँ मे करवा देती है… . .




सानवी की मम्मी अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है ।

सुजाता रितेश की हरकतो से भी अंजान बनी रहती है ।

क्योंकि जवान लड़के का सफर्स उसे मद्होश कर देता है।

सुजाता एक समझदार औरत है ।


उसने कभी भी अपने बच्चो को अपने और सुरेश के संबंधों के बारे मे बताने और न ही उनको दिखाने के बारे मे सोचा ।


उसने सब कुछ पर्दे के पीछे किया


लेकिन जब उसे अपने बच्चों के संबंधों के बारे में पता चला तो वह बहुत दुखी हो गई ।


क्योंकि वह खुद इस परिस्थिति से गुजर चुकी है ।

और उसे मालूम है कि इस समाज में इस रिश्ते का कोई नाम नहीं है

और यह रिश्ता सिर्फ बदनाम है


इसलिए अपने बच्चों को समझाती है उनको डांटती है।



लेकिन जब उसे इस बात का पता चलता है ।

कि उनके बच्चों को उसके और सुरेश के संबंधों के बारे में पता है।


तो वह बेचैन हो जाती है और सोचने लगती है की रितेश के पापा को भी तो मालूम था।

और उन्होंने समाज की परवाह किए बिना हमारे रिश्ते को मंजूर कर लिया था।

सुजाता अब अपने बच्चों की परवाह किए बिना सुरेश के साथ संबंध में बनाने लगती है।



वही सुरेश डरा हुआ था कि कहीं रितेश कुछ करना दे ।
सुजाता के कारण उसका डर कम होने लगता है

और उसका ठरकी पन बाहर आने लगता है।

वह अपनी हरकतें सानवी पर करता रहता है ।

सानवी समझती है कि उसके मामा ने उसके लिए उसके परिवार के लिए क्या-क्या किया है


इन्हीं कारणों से वह उसकी हरकतों को अनदेखा कर देती है



सुरेश अनदेखी को सानवी की हां समझ लेता है ।

और वह अपनी हरकतो से धीरे धीरे बिल्कुल बेशर्मी पर आ जाता है


सुरेश को मालूम नहीं था कि सानवी और रितेश के बीच-बीच भी कुछ है।







इधर सानवी अपने मम्मी और मामा को रिश्तो में बांधने के बाद… ..




धीरे धीरे अपने और रितेश के बारे में अपने मामा को और अपनी मम्मी को दिखाना चाहती है ।


कि वह दोनों भी एक दूसरे के बगैर नहीं रह सकते।




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Khan hijab khan

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अध्याय 5

मामा और मम्मी की शादी






अगले दिन तीनों मामा के आने का इंतजार करने लगे ।

शाम के समय मामा घर पर आ जाते हैं आते ही वह सबसे पहले रितेश से मिलते हैं।

वह रितेश को गले लगा लेता है रितेश उसे आराम से कहता है मुझे माफ करना।

मैं आप दोनों को समझ नहीं सका था।

तब तक सानवी भी अंदर आ चुकी थी और वह अपने मामा के गले लग जाती है।

सुरेश सुजाता के बारे में पूछता है सुजाता अपने बेडरूम में बेड पर बैठी बीमार होने का होने की एक्टिंग कर रही थी।


सुरेश उसके पास जाकर बैठ जाता है सुजाता ने बहुत ही उदास मन बनाया हुआ था।

वह अपने भाई सुरेश को शिकायत भरी नजरों से देखती है।

सुरेश उसकी नज़रों को पकड़ लेता है और गलती मानता हुआ कहता है।

सुजाता आई एम सॉरी … .

मेरा मोबाइल खराब हो गया था इसलिए तुम्हें फोन करके नहीं बता पाया


काम भी बहुत ज्यादा होने के कारण मुझे समय नहीं मिल रहा था।


सुजाता : हां...हां….अब तो तुम अपने काम के बारे में सोचोगे 10 पैसे का काम चल गया है …..ना तुम्हारा …… . ।



इसलिए तुम्हें हमारी कहाँ चिंता…


तुम्हें तो अपने काम से मतलब है… .


सुरेश यहां पर दोबारा गलती मानता है



तब तक सानवी सबके लिए चाय बना कर ले आई थी।



सुरेश उसी कमरे में लगे सोफे पर बैठ जाता हैं


और चारों चाय पीते हुए बातें करने लगते हैं

सानवी अपने मामा को तंग करने लगती है और वह उसे बार-बार छेड़ने लगती है।








इसी तरह फिर चारों रात का खाना खाकर सोने चले जाते हैं ।



सानवी वहीं पर ड्राइंग रूम में सो जाती है और रितेश ऊपर कमरे में चला जाता है ।

सुजाता अपने की कमरे में आराम कर रही थी और वही सो जाती है


सुरेश बाहर बने गेस्ट रूम में सो जाता है

रात के करीब 10:00 बजे सुजाता अपने कमरे से बाहर निकलती है


सानवी एक ओर करवट लिए अपने फोन में लगी हुई थी।

वह उसे देखकर बाहर गेस्ट रूम में पहुंच जाती हैं ।


वहां सुरेश को सोता हुआ देखकर...सुजाता उसके बहुत करीब जाकर उंगलियां उसके गालों पर से फिराने लगती है।

सुरेश की एकदम आंखें खुल जाती है और वह सुजाता को देख थोड़ा डर जाता है।

सुरेश : सुजाता तुम यहां पर… . .



सुरेश : सुजाता क्या हुआ…..?


सुजाता : क्या हुआ… . . ?

तुम इतने डर क्यों गए… ?


सुरेश : नहीं ….नहीं….यार मैं सोच रहा हूं की सानवी और रितेश अभी सो गए है या नहीं…


सुजाता : तुम उनसे इतना क्यों डर रहे हो जब मैं नहीं डर रही….

तो तुम क्यों डर रहे हो… . ?

सुरेश : सुजाता अगर उनको पता चल गया तो क्या सोचेंगे… . .?


सुजाता : पता चलने दो ….जो सोचना है सोचने दो… .

बस मैं तुमसे तुमसे प्यार करती हूं।

सुरेश : सुजाता तुम मुझे मरवा के ही छोड़ोगी।



सुजाता : मरवा कर नहीं……

तुम्हें मारकर… . ..


आज मैं तुम्हें कच्चा ही खा जाऊंगी ….
तुमने मुझे बहुत परेशान किया है …

और आज उसका पूरा हिसाब करना है… . .



और यह कहते हुए सुजाता उस पर पागलों की तरह टूट पड़ती है और उसके होठों और गालों को चूमने लगती है।


सुरेश भी अब कुछ भूलकर उसका साथ देने लगता है ।

वह भी काम वासना से भरकर उसका पूरा साथ देने लगा।


कुछ ही समय बाद दोनों पूरे नंगे होकर एक दूसरे से नाग और नागिन की तरह निपटने लगते हैं ।



और एक दूसरे में समा जाने लगते हैं उनके दो शरीर और आत्मा एक हो चुकी थी और दोनों के कामवासना का सुख लेने लगते हैं।










अगले दिन ….

दिन मे घर पर बैठे चारों हंसी मजाक करने लगते हैं ।

सानवी यहां पर अपने मामा की ओर आंख मटकाते हुए कहती है ।



सानवी : मामा ने तो मालूम नहीं कौन सा जादू कर दिया ….

मम्मी को ना जाने कौन सा इंजेक्शन लगा दिया… . . . . .।


मम्मी तो….रात - रात मे ही बिल्कुल ठीक हो गई है।



वह मामा को चिढ़ाते हुए कहती है

सानवी : मामा ऐसा कौन सा कैप्सूल है आपके पास… . .


जिसको लेने के बाद सारी थकावट …..सारी उदासी…..दूर हो जाती है



मम्मी पहले कितनी गुमसुम और बीमार रहने लगी थी ।


आपने आते ही ना जाने कौन सा इंजेक्शन दिया...कौन सा कैप्सूल दिया..।


कि आज देख लो मम्मी को पूरी तरह से खुश लग रही है ।


ना जाने इसको क्या मिल गया.. … . ?









मामा अपने इंजेक्शन और कैप्सूल को हमारे लिए भी बचा के रखना ।

अगर किसी बात पर मैं भी उदास हुई या मैं भी बीमार हुई तो मेरी उदासी दूर करने के लिए वह अपने कैप्सूल को बचा के रखना अपने इंजेक्शन को बचा कर रखना




मामा मेरी लाडो रानी मैं तुम्हें कभी भी उदास होने का मौका नहीं दूंगा।

और रही इंजेक्शन और कैप्सूल की बात यह तो शारीरिक ऊर्जा शक्ति को बढ़ाता है ।

अगर मौका मिला मैं तुम्हें जरूर दूंगा ।

और यह कैप्सूल और इंजेक्शन लेने के बाद तुम हमेशा इस कैप्सूल और इंजेक्शन को याद करोगी।


सुरेश सानवी से बात करता हुआ वासना से भर गया।

वह सानवी को भी भोगने की सोचने लगा।

लेकिन उसके अंदर रितेश का डर था।


उसने अपनी मम्मी को लेकर तो मुझे माफ कर दिया



अगर उसे सानवी को लेकर यह बात पता चली की मै सानवी के बारे मै भी



उसके साथ



नहीं….नहीं… .




रितेश तो सच मै मेरा गेम बजा डालेगा।


सुरेश जहाँ सानवी की डबल मीनिंग और कामुक बातों को लेकर उसके साथ कुछ करने की सोच रहा था


वहीं दूसरी और उसे रितेश से डर भी लग रहा था।





ऐसे ही चारों बातें करते हुए पूरा दिन गुजर जाता है ।


और फिर चारों पहले की तरह अपने - अपने कमरे में सोने चले जाते हैं ।



सुरेश गेस्ट रूम में लेटा हुआ सोच रहा था कि आज पूरा दिन ऐसे ही निकल गया ।

और मुझे नींद की गोली लाने का मौका भी नहीं मिला।


वह लेटा हुआ सुजाता के आने का इंतजार करने लगा।


सुजाता आएगी उसे पूरा विश्वास था।
उसे विश्वास था कि सुजाता उसके होते चुदाई करवाये बिना नही रह सकती।






सुरेश की हिम्मत नहीं थी वह सानवी और रितेश को नींद की गोली दिये बैगर …………..
वह सुजाता के कमरे में जाए ।

इसलिए वह गेस्ट रूम में लेटा हुआ हूं सुजाता के बारे में सोच रहा था ।

और दिन में हुई सानवी के साथ हंसी मजाक के बारे में सोच रहा था ।



सानवी की बातों को याद कर सुरेश का लंड
सलामी देने लगा ।


सुरेश : साला रितेश… . . .


अगर मौका मिल जाये तो उसे भी साला बना ही लूँ।

सुरेश सानवी की कामुक अदाओं के बारे मे सोच आहें भरने लगा।


उसका दिल खुशी से डिंग - डोंग करने लगा।

और वह सानवी के बारे मे सोच खुशी से मरा जा रहा था ।
उसके चेहरे पर मुस्कान थी ।

कब मौका मिलेगा मेरी जान शानु… . . .

तेरी जवानी का… . .

रस पीने का… . . .



सुरेश इन्ही ख्यालो मे खोया हुआ था।


तभी अंदर सुजाता आ जाती है।




अंदर आते ही सुजाता अपने भाई के ऊपर बैठकर प्यार से उसको देखने लगती है।


सुरेश का खडा लंड सुजाता की नरम गांड मे चुभ रहा था।

और सुजाता ने उसके चेहरे को पढ़ लिया था।

सुजाता : किस के ख्यालो मे डूबे हुवे हो
मेरे भाई… . . ?


सुरेश : तुम्हारे बारे में सोच रहा था मेरी जान…….।

इंतजार कर रहा था तुम्हारे आने का…



सुजाता : अच्छा क्यों तुझ में हिम्मत नहीं… . ?


आने की… . .

तुम भी तो आ सकते थे


सुरेश : मुझे डर लग रहा था…


आज भी नींद की गोली लाना ध्यान नही रहा।

सानवी भी शायद जाग रही है




सुजाता : मरने दो उस रंडी को…..।

उस रंडी से क्या डरना… ।



सुरेश यह सुनकर चुप हो जाता है और सुजाता को देखने लगता है।

सुरेश : तुमने कब देखा उसे गांड मरवाते देखा।

सुजाता : ( बात काटते हुवे ) तुम उससे डरते हो… .?

सुरेश : नहीं यार फिर भी हो जवान है


अगर उसको पता चल गया।

हमारे संबंधों के बारे में …..तो उस पर क्या असर पड़ेगा।


और वह ना जाने क्या सोचेगी…..हमारे बारे में… ।

सुजाता : तुम उस रंडी के बारे में जयादा बातें करना बंद करोगे।

मै देख रही हूँ तुम उससे आज कल ज्यादा ही लाड़ लडाने लगे हो
काफी फ्रेंडली हो चुके हो तुम उसके साथ।



सुरेश : यार वो बच्ची है… . . . वो भी हमारी


सुजाता : मालूम है… . . कितनी बच्ची है… .

20 से ऊपर की हो गई है ।

और तुमने मुझे 17 की में ठोक दिया था।


मुझे मालूम है तेरा ठरकी पना भी… .





यह कहते हुए सुरेश के होठों का रसपान करने लगती है।

आज रात फिर दोनों अपने काम वासना में डूब चुके थे।

एक दूसरे के कामुक शरीर का भोग लगाने लगे थे ।
सुजाता के खुले बाल और उसके दवारा किया हल्का मैक अप कमाल का लग रहा था।

उसकी सुंदरता सुरेश को पागल कर रही थी ।




दोनो चुदाई का आनंद लेने लगे थे।

सुरेश भी उसकी चुदाई करते हुए बार-बार सानवी की बातों को याद कर उसका नाम लेकर जोश में भर जाता था ।

और जोर-जोर से सुजाता की चुदाई करने लगता था।




अगले दिन


दिन चारों बैठ कर बातें और हंसी मजाक करने लगे।


दिन में करीब 10:00 बजे थे और आज सुरेश बाहर जाकर नींद और पावर की गोली लाने के बारे में सोच रहा था।



कि अचानक सानवी अपनी मम्मी को बहुत ही कामुक अंदाज में देखते हुए कहती हैं।


मुझे कुछ बात करनी है



सुरेश और उस सुजाता दोनों ही अचंभित भाव से पूछते हैं ।

कैसी बात……?


सानवी : शादी के बारे में… . .।




सुजाता की आंखें चौड़ी हो जाती है और वह सानवी को घूरने लगती है ।



मामा : सानवी कोई लड़का देखा है …….या कोई पसंद आ गया है

सानवी : नहीं मामा … . ।


तभी सानवी बहुत ही कामुक अंदाज में कहती है
सानवी : मामा मेरी पसंद… . . .

और उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है ।

मामा मै अपनी शादी के बारे मै नहीं… . .


बल्कि आप की शादी के बारे में… .


यह कहती हुई सानवी उठ कर अपने मामा के पास चली जाती है।



सानवी : मामा मुझे अच्छा नहीं लगता की मम्मी आधी रात को उठकर गेस्ट रूम में जाएं।



सुरेश और सुजाता

दोनों के चेहरे शर्म से लाल हो जाते हैं।



तभी सानवी अपने मामा के गले में हाथ डालकर बहुत ही प्यार से कहती है ।

मामा जब प्यार किया तो डरना क्या… . . ?


आप दोनों ने अपनी आधी से ज्यादा जिंदगी समाज इस दुनिया के डर से निकाल दी।


मामा बची हुई जिंदगी को तो जी लो



कहते हुए सानवी अपने मामा की गोद में बैठ जाती है ।

और एक हाथ उसके गले में डाल देती हैं



सुजाता सानवी के मुंह से यह बात सुनकर उसका दिल भर आता है।


वह एक बार सोचती है कि मैं सानवी के बारे में क्या सोच रही थी ।


और आज वह हमे मिलाना चाहती हैं मुझे मेरा प्यार देना चाहती है ।

और मै उसे अपना दुश्मन समझ रही थी।


उसके भाव सानवी के प्रति सानवी के प्रति बदल गए थे ।

और वह सानवी को बहुत ही प्रेम भाव से देखने लगी थी।





रितेश भी उठकर अपनी मम्मी के पास आ जाता है और बहूत की कामुक अंदाज में बहुत ही प्यार से अपने मम्मी को कहता है।



रितेश : मम्मी क्या हम इस समाज का हिस्सा नहीं



क्या इस समाज से पहले हमारा अधिकार आप दोनों पर पहला नहीं।

और जब हम दोनों को….आप दोनों के संबंधों से कोई एतराज नहीं है.।

तो फिर इस समाज से क्या डरना… . ।


आपको डर पहले हम से होना चाहिए ।


जब हम आपके साथ हैं तो सोच लो कि पूरी दुनिया आपके साथ है।

हम नहीं चाहते कि आप इस तरह मिलो..



हम चाहते हैं कि आप खुलकर मिलो….

खुलकर अपनी लाइफ जिओ…..
इंजॉय करो… .


सुजाता : पर कैसे…..? हमें सब यहां पर जानते हैं।

हमारे रिश्तो के बारे में सबको पता है कि सुरेश मेरा भाई और तुम्हारा मामा है ।

और कल यह बात लोगों को पता चलेगी तो क्या सोचेंगे…..?
नहीं...नहीं ..हम यह नहीं कर सकते।
यह नहीं हो सकता… ।



सानवी कामुक अंदाज में कहती है


सानवी : मामा आप ही समझाओ...मम्मी को …..।

आपके पास हर प्रकार की दवाई , कैप्सूल और इंजेक्शन है ।


आप ही मम्मी की हां ….करवा सकते हैं।

मामा की गर्दन पर सानवी की उंगलियां चल रही थी ।

और वह मस्ती में भर जाता है उसका हाथ अपने आप सानवी की जांग पर चला जाता है

और वह धीरे - धीरे उसकी जाँग सहलाते हुए कहता है ।




मामा : सानवी यह संभव नहीं है …..।

तुम्हारी मम्मी ठीक कह रही है हमें यहां पर सब जानते हैं।


सानवी : हो ….हो...मामा ! इतनी बड़ी दुनिया और तुम यहीं पर टिके हुए हो ।

हम बाहर रह लेंगे ….यहां पर रहना जरूरी है क्या… . . .?



सुजाता और सुरेश के दिमाग में यह बात पेंच कर गई।

सुरेश

सुजाता की ओर देखता है और दोनों की आंखें मिलती है और आंखों ही आंखों में बातें हो जाती है ।

सुजाता भी आंखों ही आंखों में सुरेश को सहमति दे देती है और उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी


सुरेश का लंड खड़ा होने लगा था ।
और उसका हाथ धीरे-धीरे सानवी की जांग पर से थोड़ा ऊपर उसकी चूत की ओर सरकने लगा था ।

उसकी एक चूची सुरेश के छाती पर दबी हुई थी ।
और उस लंड टाइट होकर सानवी की गांड पर दस्तक देने लगा था।

सानवी को इस बात का एहसास हो चुका था ।

लेकिन फिर भी वह अनजान बनी रहती है।


मामा : यार इसके बारे में थोड़ा सोचना पड़ेगा ।

इतनी जल्दी इस पर फैसला लेना ठीक नहीं है ।

कहीं बाहर अच्छी जगह मिल जाए….।

कोई अच्छा मकान भी तलाशना पड़ेगा… ।



चारों खुश हो जाते हैं सानवी खुशी से अपने मामा के गालों को चूम लेती है ।

और रितेश भी अपनी मम्मी के गालों को चूम लेता हैं।

और सुरेश उसका फायदा उठा कर अपना हाथ उसकी चूत पर रख देता है ।


सानवी तभी उसकी तरफ हंसकर देखते हुए अपना हाथ उसके हाथ पर रख उसे हटा देती है।

सुरेश इसे ग्रीन सिंगनल समझ जाता है


और सानवी आंखों ही आंखों में उससे कुछ कहती हैं ।

और फिर उठ कर अपनी गांड मटकाती हुई दूसरी ओर चली जाती है ।

सुरेश उसकी इस अदा पर मर ही जाता है

और सानवी थोड़ा काम करने लगती है


फिर रात को सोते समय जब सब अपने - अपने कमरे में जा रहे थे ।

तभी सानवी अपने मामा को ठोक देती है।


सानवी : मामा अब तो हमने आपको परमिशन दे दी है ।


फिर भी आप गेस्ट रूम में…..।

आपको तो मम्मी के बेडरूम में होना चाहिए ।


यह सुनते ही सुरेश के चेहरे पर स्माइल आ जाती है ।


रितेश : हाँ मामा ….आपको अब गेस्ट रूम में नहीं बेडरूम में होना चाहिए होना ।
मम्मी के साथ… . . ।


सुजाता शर्म से पानी - पानी हो जाती है और वह सोने के लिए अपने रूम में चली जाती है


सुरेश भी उसके पीछे रूम में चला जाता है ।

और सानवी वहीं ड्राइंग रूम में सो जाती है।




सुरेश जाते ही सुजाता पर टूट पड़ता है ।

सुजाता : तुम्हें क्या हुआ…?
बच्चों ने परमिशन क्या दी तुम तो मेरी जान लेना चाहते हो… . ।


सुरेश पूरे जोश में था वह जोर-जोर से सुजाता को काटने लगता है ।

सुजाता भी कामुक अंदाज आहेे भरने लगती है

उसकी कामुक आवाजे पूरे कमरे में गूंजने लगती है।



सुरेश यही चाहता था कि उसकी आवाज से बाहर सानवी को पूरी तरह सुने… . ..?


आज दिन में वह पावर की गोली भी लेकर आ गया था ।

जिसका असर पूरा था।

सुरेश सुजाता की टांगों के बीच मे उसकी चूत के पास और उसकी गांड पर अपनी नाक और मुँह , होंठ और जीभ मारने लगा था।

सुजाता को भी उसकी हरकते पसन्द आई… .


और कामुख आहें भरने लगी… .

और सुरेश पूरे जोश के साथ सुजाता की चुदाई करने लगा।


सानवी अंदर चल रही रास लीला को पूरा महसूस कर रही थी


उसे चुदाई की आवाजे सुनाई दे रही थी… . .




पच् ….पच..


पट… . पट् ….पट्…



आह….आह ….आ ….आ….ऊ ...उ...उह… .




अगले दिन सानवी अपनी मम्मी को चिढ़ाते हुए कहती है



सानवी : लगता है रात को बहुत ज्यादा बारिश हुई है ।


सुजाता सानवी की बातों को समझ जाती है


और वह भी सानवी को छेड़ते हुए कहने लगती है।



सुजाता : बादलों को लेकर भी तुम ही तो आई हो ।


सानवी समझ जाती है की मम्मी परमिशन की बात कह रही है ।


सानवी अपनी मम्मी की हालत देख कहती है

सानवी : मम्मी मैंने तो फूल खिलाने के लिए बादलों को लेकर आई थी ।

फसल को बर्बाद करने के लिए नहीं।

सानवी : मम्मी फुल खिलाने के बारे में कुछ सोचा है या नही… . . ।


सुजाता समझ जाती है


सुजाता : तुम्हारे मामा कह रहे थे एक दो दिन मे उसे बाहर जाना है।

अपने काम के लिए और अब वह कोई अच्छा सा घर देख कर ही आयेंगे


और कह रहे थे कि तुम्हे दुल्हन बना कर ही यहाँ से ले जाऊंगा अपने नये घर मे….


यह सुनते ही सानवी खुशी से अपनी मम्मी के गले लग जाती है और उसको चूमने लगती है



सुजाता : अब छोड़ो भी पागल… .. . ।



सानवी : सच मम्मी… . .
आई लव यू… ..


उउम्… . .


सानवी : तब हमारे पेपर भी हो जायेंगे … . ।
और हम कॉलेज से फ्री… . ।

सानवी और रितेश के पेपर चल रहे थे।


सानवी अब पेपर मे मंजु से अपने बाहर सिफ्ट होने वाली बात बता देती है

कि उसके मामा का कॉस्मेटिक सामान का काम है और वे बाहर इस काम को बड़ाना चाहते है



मंजु भी उदास थी सानवी ने उसके चेहरे को पढ़ लिया था

सानवी : मंजु तुम उदास लग रही हो


क्या बात है… .?

मंजु : कुछ नहीं यार… .।

सानवी : सच बताओ यार क्या बात है… ?


तुम्हारा अमन का कुछ झगडा हुआ है क्या… . ?

मंजु : नहीं… . ।

यार तुम मेरे बारे मे बहुत जानती हो… .


सानवी : तुम मेरी क्लोज फ्रेंड हो इसलिए… . ।


मंजु : अच्छा … .. ।

बेस्ट फ्रेंड नहीं… ..।

सानवी : यार तुम से मैने कभी छिपाया है क्या… ?


मंजु : फिर तुम क्यों नही बताती… .

सानवी : क्या… . ?


मंजु : कौन है वो… . ?

जिस पर तुम मरती हो… . ।

सानवी : कौन… . . ? कोई नहीं है… . ।

मंजु : बेस्ट फ्रेंड बोलती हो और मुझ से झूट भी बोलती हो… .. ।


मंजु : मुझे सब पता है… . . मै कोई 8 साल की बच्ची नही हूँ।


तुम नहीं बताना चाहती कोई बात नही… . . ।


मै तुमे फोर्स नही करती… . .
तुम्हारी लाइफ… . .


सानवी अब मंजु की बातो में आ गई थी


और उसने अब अपने और रितेश के बारे में मंजु को सब बता दिया।

हम दोनों भाई बहन भी एक दूसरे से बहुत प्यार करते है


मंजु : सच… . .


यार तुम तो बहुत ही छुपी रुस्तम निकली ।

और मुझे बताया भी नहीं… .

कैसे है हमारे शर्मीले जिजा जी… . ।


सानवी : यार तुम भी… . ।

पहले सुन तो लो

अभी कुछ दिनों पहले ही हुआ जो हुआ


मंजु : हो भी गया… .


सानवी : ठीक है मै नही बताती कुछ भी… .


मंजु : अच्छा यार बताओ… .।


सानवी : यार हमे कुछ दिन ही हुवे थे रिलेशन में आये

और मम्मी को हम पर शक हो गया


हमारी किस्मत … . . .

और उन्होंने हमे रंगे हाथो पकड़ लिया… ।

स्टोरी शुरू होने से पहले ही खतम हो गई ।

मंजु : अन्टी ने क्या बोला …. ?


सानवी : बोला नहीं… .. बस जान से मार डाला था।


हजारो कसमे और वादे किए की आगे दुबारा ऐसा नही होगा तब कुछ हुआ ।




भाई भी घर की छोड़ने और मर जाने के लिए कहने लगा तब मम्मी शांत थी।


मंजु : यार इधर तेरी मम्मी और उधर मेरे घर वाले



यार मै क्या बताऊँ

कॉलेज के बाद मेरी शादी करना चाहते है घर वाले



और मै अमन के बैगर नहीं रह सकती।



अमन और मै भी मर जाना चाहते है

सानवी : मरने से क्या होगा… . ?


तुम दोनों बाहर भी रह सकते हो।


मंजु कुछ नही बोलती ।



सुरेश अब अपने काम से और नये मकान की देख के लिये दिल्ली चले गए थे।


और कुछ दिनों बाद सानवि और रितेश के पेपर हो गए थे।


अब सानवी घर पर रह कर अपनी मम्मी की ओर ध्यान देने लगी थी



सानवी अपनी मम्मी और मामा की शादी को लेकर काफी



वह अपनी मम्मी को एक दुल्हन के रूप में तेयार करने लगी।


सानवी अपनी मम्मी के मैकअप , उनकी आई - ब्रो , हेयर स्टाइल, हेयर कॉलर और उनके लिए फंसी ड्रेस … …


सानवी अपनी मम्मी की मसाज भी करती थी


उसकी वेकसिन भी करने लगी थी।

सानवी की मेहनत रंग ला रही थी

और उसकी मम्मी दिन प्रति दिन खूबसूरत होती जा रही थी।

रितेश भी अपनी मम्मी के इस रूप को देख पागल सा होने लगा था।

सुजाता बिल्कुल यंग लग रही थी



उसने मम्मी को शादी के लिए तैयार कर रही थी

उसकी मम्मी भी दिन भर देते बहुत ही खूबसूरत होती जा रही थी

सुजाता भी इस नये बंधन मे बंधने के लिए बहुत खुश थी ।

और वह भी अपनी खुबसुरती पर पूरा ध्यान देने लगी थी।


और बयूटी पार्लर और सैलून मे भी जाने लगी थी।






वह अब अपनी उम्र से 10 साल छोटी और सानवी से 10 साल बड़ी बहन लग रही थी।



रितेश जी अपनी मम्मी के इस नए रूप को कामवासना से भरता जा रहा था।

वह भी अपनी मम्मी की तारीफ करता था ।


उधर सुरेश भी अपना काम करने के साथ-साथ कोई अच्छा मकान देख रहा था ।


उसको दिल्ली के नजदीक शहर में हाई सोसाइटी में एक मकान मिल जाता है।


जिसकी कीमत बहुत ज्यादा थी वह अपना बैलेंस और कस्बे में सुजाता के मकान और दुकान को बेचने के बाद भी वह उसकी कीमत इकट्ठे नहीं कर पा रहा था ।

इसके बारे में सुरेश घर पर बात करता है घर पर सब मकान लेने के लिए बोल देते है।



इसका फायदा सुरेश को इसलिए था कि उसका काम दिल्ली से चलता था जिस कारण उसे अपने काम करने में कोई परेशानी नहीं होती ।



रितेश ने यहां पर अपने मकान और दुकान को बेच दिया ।



रितेश 10 दिन के अंदर अपने मकान और दुकान को खाली करने का समय लेता है ।


सुरेश मकान को लेने के बाद घर आ जाता है और फिर अपने नये घर मे शिफ्ट होने की तयारी करने लगते है।


सुरेश और सुजाता की शादी हो जाती है।

और फिर चारों अपने कस्बे को छोड़ कर …….नये घर के लिए चले जाते है।

MAST
 
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