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Horror प्रायश्चित (Completed)

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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259
:thanks:
आज रात्रि में 2 और अपडेट आएंगे :yay:
Great......
Apki kahani bahut jabardast hai...
Aur updates bhi regular
Keep it up
 
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Moon Light

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भाग - 22

राजन रानी और भोली के साथ बहुत खुश था। थोड़ी देर तक उन दोनों के साथ वो टहलता रहा, फिर सीने के दर्द के कारण एक चट्टान पर वो लेट गया, और रानी व भोली आगे निकल गई।

लेटे लेटे वो सोचने लगा, कि कमला की आत्मा से किस प्रकार छुटकारा मिलेगा..! कल रात उसने बहुत बुरी तरह उसके जिस्म को नोचा था वह दर्द से बिलबिला उठा था..!यहाँ तक कि उसका खून भी उसने पिया, और वो दर्द से तड़पता रहा..! आज भोली ने बाबा रूद्र से बात की है और उसने कहा है कि रुद्र बाबा जरूर उसकी मदद करेंगे, लेकिन क्या वास्तव में कमला की आत्मा से वो उसको मुक्ति दिला पाएंगे..?

अपनी आंखें बंद कर इन्ही ख्यालों में वो खोया हुआ था, कि रानी और भोली दोनों उसके पास आ गई।

भोली ने आते ही उसके गठीले बदन पर अपना हाथ फेरते हुए कहा, "बहुत हैंडसम है तेरा दोस्त..! और तेरा पति..!"

"सिर्फ नाम का पति यार, क्योकि अभी तक हमारी सुहागरात नही मनी..!हाँ, कमला ने ज़रूर इसके साथ सुहागरात मना लिया..!" रानी ने जवाब दिया

भोली-"हद हो गई यार..! पति तेरा और सुहागरात मनाया कमला ने..!"

रानी-"लेकिन उसका सुहागरात मनाना एक तरह से राजन के साथ बलात्कार करना था..!"

भोली-"वह राजन की गलती की उसे सजा दे रही है। लेकिन जो भी हो, कुछ ले देकर मामला कुछ खत्म हो जाना चाहिए।"

रानी-" कुछ ले दे के..इसका मतलब क्या है..?

भोली-" इसका मतलब यह है कि उसे जो चाहिए मांग ले और जो सजा देनी हो एक बार में दे कर छुट्टी करें..! जिससे टेंशन ना उसे हो और न राजन को हो..!"

रानी-" हां यह बात तो सही है..! मामला खत्म होना चाहिए.!"

भोली-" देख कल सुबह बाबा रूद्र क्या कहते हैं वह कोई न कोई रास्ता जरूर निकालेंगे..!"

रानी-" मैं दुआ करुंगी राजन के लिए..!"

भोली-" मैं भी दुआ करूंगी..!"

राजन जो इतनी देर से उन दोनों की बातें सुन रहा था , उसे उनकी बातें सुनकर बहुत राहत मिली और वो बोला-" कितनी अच्छी हो यार तुम दोनों..! काश तुम दोनों हमेशा मेरे साथ रहो..!"

भोली ने राजन को किस करते हुए कहा-" बहुत हैंडसम है तू।"

" इसीलिए तो मैंने इसको अपना पति बनाया है..!" यह कहकर रानी ने भी उसे किस कर लिया।

भोली-" अरे तूने इसको अपना पति ना बताया होता तो मैं जरूर इसको अपना पति बना लेती..!"

रानी-" तो अब से बना ले पति..! तेरे को रोकता कौन है..?"

भोली-" ओके फिर तो आज मैं भी सुहागरात मनाऊंगी अपने राजन के साथ..!"

रानी-"मना लेना..! लेकिन अभी तो कमला का चक्कर है..! और मेरे को तो ऐसा लगता है कि जब तक कमला का चक्कर खत्म नहीं होगा, तब तक ना मैं सुहागरात मना पाऊंगी और न तू..!"

भोली-" कोई बात नहीं डियर। कल कुछ न कुछ क्लियर जरूर होगा..!"

रानी-" यस मेरे को भी कल का इंतजार है।"

भोली-" लेकिन आज क्या करें..?"

रानी-"फिलहाल तो एक काम करते हैं। मैं लेफ्ट से राजन को किस करती हूं और तू राइट से किस कर। इससे हम दोनों को तो मजा आएगा ही, और राजन का भी दर्द छूमंतर हो जाएगा..!"

"नाइस आइडिया। वैसे भी तेरे राजन पर मेरा दिल आ गया है।" यह कहते हुए भोली ने राजन को दाईं तरफ से किस कर लिया।

भोली के किस के जवाब में रानी ने बाई ओर से राजन को किस किया।

और फिर ये किस के लेनदेन का सिलसिला काफी देर तक चलता रहा..! और राजन इस बीच अपने सारे दर्द भूल गया और फिर वो भी उन दोनों को बारी बारी से किस करने लगा..!

थोड़ी देर बाद भोली ने राजन से पूछा-"अब बोल तेरा दर्द कैसा है..? कुछ आराम मिला या नहीं..?"

राजन-"बहुत आराम मिला..!"

भोली-"क्या राइट की तरफ दर्द में आराम मिल..?"

रानी-"और क्या लेफ्ट में भी आराम मिला..?"

राजन- "लेफ्ट राइट दोनों ओर से मेरे को आराम मिला.. बहुत ज्यादा ..!"

भोली-""फिर तो तू बिल्कुल चिंता न कर..! मैं राइट से और रानी लेफ्ट से.. हम दोनों मिलकर तेरे दर्द को भगा देंगे..! क्यों रानी, ठीक कहा ना मैंने..?"


रानी-"यस बिल्कुल ठीक कहा तूने..!''

"ओके..!" भोली ने कहा और राजन के राइट में लेट गई और रानी लेफ्ट में लेट गई..!

एक साथ दो दो खूबसूरत लड़कियों का साथ पाकर राजन कि मानो ढेर सारी मुरादें पूरी हो गई और वो अपने सारे दर्द को भूल गया। फिर तीनों ने काफी देर तक में आपस में खूब मस्ती की।

अंधेरा होने पर रानी ने कहा-"कब तक मस्ती करेगी भोली। चल वापस चलते हैं।"

भोली ने कहा-"दिल तो नहीं कर रहा है, मगर चलना तो पड़ेगा ही.!"

तब राजन ने कहा-"अगर मैं परेशानी में न होता, तो तुम दोनों से शादी कर लेता और हमेशा तुम दोनों को अपने साथ रखता..!"

"कोई बात नहीं डियर..! सिर्फ शादी करने के लिए अच्छा बन जा। जिससे हम तीनों हमेशा साथ रहे । बाकी शादी करने के बाद हम अपनी तरह से ही रहेंगे।''

राजन ने कहा -"आईडिया तो अच्छा है, लेकिन पहले कमला से तो मुक्ति मिले..!और भोली, मैं वादा करता हूं कि अगर कमला से मुक्ति मिल जाए मेरे को, तो मैं तेरे को भी कभी नहीं छोडूंगा और तू भी हमेशा मेरे साथ रहेगी। और हां, तब तुझको ये जिस्म बेचने का धंधा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि मेरे पास बहुत पैसा है।"

"वह सब बातें बाद में देखा जाएगा। पहले तो हम दोनों का सिर्फ एक टारगेट है कि तुझे कमला से मुक्ति मिले, जिससे हम दोनों तेरे साथ मस्ती से जी सकें। क्योंकि तेरे बदन में एक अजीब सा आकर्षण है, क्योंकि भोली ने आज तक किसी को भी अपना दिल नहीं दिया, जबकि आठ दस लोगों से मैं अपने संबंध बना चुकी हूँ..!"

रानी-" सिर्फ आठ दस लोगों से..?"

"हां यार! बताया तो था तुझको मैंने, कि मेरे गाहक फिक्स है। और अपने इन फिक्स ग्राहकों के साथ ही मैं मस्ती करती हूं। और उन्हीं के साथ अपना पूरा खर्चा मजे में चल जाता है। फिर किसी नए ग्राहक के आगे पीछे क्यों घूमूं..? और सबसे अच्छी बात यह है रानी, कि यह मेरे जितने भी ग्राहक है, सब यंग एज के हैं, मस्त हैं। और यह सभी मेरे को बहुत प्यार करते हैं और मेरे से कभी जबरदस्ती कभी नहीं करते ..! पैसा भी अच्छा मिलता है और देसी के साथ-साथ कभी-कभी अंग्रेजी भी मिल जाती है। इसीलिए मैं अपने इस काम से बहुत संतुष्ट हूं।" भोली ने बताया।

"ओके! वैसे एक बात कहूं डियर..?" रानी ने कहा।

""हां, बोल न..!"

" ना मालूम क्यों कभी-कभी मेरे को ऐसा लगता है जैसे हम गंदे लोगों की लाइफ समाज में रह रहे अच्छे लोगों की लाइफ से कहीं ज्यादा अच्छी है मस्त है खूबसूरत है। और हमारा काम भी चाहे जितना गंदा हो लेकिन बहुत से बड़े और इज्जत दार लोगों का काम हम लोगों से भी कहीं ज्यादा गंदा है, अमानुषिक है और बहुत तकलीफ देने वाला है..!!"

भोली-"सही कहा तूने।चल, अब वापस चलते हैं, क्योंकि काफी अंधेरा हो चुका है । और रात को खाना भी बनाना है अभी। लेकिन पहले चाय और पकौड़ी का मजा लेंगे हम । फिर खाना बनाने में जुटेंगे।"

और तीनों वापस अपनी झुग्गी में लौट आये., और भोली चाय पकौड़े बनाने में जुट गई..!
 

Moon Light

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भाग - 23
~~~~~~~~~~~~~

आज राजन बहुत खुश था । रानी और भोली दोनों लड़कियां उस पर फिदा थी। और आज तो दोनों ने खुलकर उसे 'किस' किया था, उसे प्यार किया था और उसके बदन की तारीफ की थी। दोनों लड़कियों के प्यार में अपनी पुरानी जिंदगी को वो भूल चुका था। अपने पापा मम्मी को भी.. अपनी बहन को भी और अपने पुराने दोस्तों को भी..!

अब तो उसकी पूरी जिंदगी सिर्फ रानी और भोली में सिमट कर रह गई थी। और इन दोनों का साथ बहुत सुकून देने वाला था। पुरानी वैभवशाली ज़िन्दगी का कोई आकर्षण नहीं था। और इन पत्थरों में उसे काफी सुकून मिल रहा था..!

यहां प्यार भी उसे मिल रहा था, पका पकाया भोजन भी मिल रहा था.. इसके अलावा अब और कोई चाहत भी नहीं थी उसकी..! वो तो इंसान अपनी जरूरतें बढ़ा लेता है, और इसलिए जिंदगी में बहुत सी तकलीफें उठाता है। लेकिन अगर इंसान अपनी जिंदगी में अपनी जरूरतों को सीमित कर ले, तो उसकी आधी से ज्यादा तकलीफ दूर हो जाती है।

हम शहर के लोग सोचते हैं गांव में रहने वाले बहुत तकलीफ में रहते होंगे. ! उनके पास मोबाइल नहीं.. उनके गांव में बिजली नहीं ..खाने को बढ़िया-बढ़िया भोजन नहीं ..और पहनने को तड़क-भड़क वाले कपड़े नहीं..! लेकिन ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। गांव में किसी के पास स्मार्टफोन नहीं है, तो उसे स्मार्टफोन न होने का कोई गम नही है..! क्योंकि उसे उसकी आदत नहीं है। हाँ, आप ज़रूर हो सकते हैं दुखी क्योंकि आप स्मार्टफोन चलाते हैं।

इसी प्रकार कोई भी चीज, जिसकी आदत बना ली है आपने वह चीज आपको नहीं मिलती, तो आपको दुख होता है। तकलीफ होती है। अगर आप रोज कार से घूमते हैं और आप कार से घूमने की अपनी आदत बना ली है, तो कार के ना होने पर आपको तकलीफ होगी लेकिन। लेकिन जो लोग साइकिल पर चलते हैं, उनको साइकिल पर ही चलने की आदत है, इसलिए अगर साइकिल ना मिले तो उनको तकलीफ होगी। तो जितनी तकलीफ एक साइकिल चलाने वाले को साइकिल न मिलने पर होगी उतनी ही तकलीफ आपको कार के न मिलने पर होगी..!

मतलब तकलीफ दोनों की बराबर है लेकिन एक को तकलीफ साइकिल कि ना होने की है, जबकि दूसरे की तकलीफ कार के ना होने पर है। ठीक इसी प्रकार अगर गांव में एक बच्चा लकड़ी की फंटी से क्रिकेट खेलता ह, तो उसको जितनी तकलीफ उस लकड़ी की फंटी के छीन लिए जाने से होगी उतनी ही तकलीफ शहर के बच्चे से उसका मोबाइल छीन लिए जाने से होगी।

इसी प्रकार गांव के बच्चे को जितनी तकलीफ रोटी के ना मिलने से होगी, शहर के बच्चे को उतनी ही तकलीफ पिज्जा और बर्गर के ना मिलने से होगी..! इस तरह के बहुत से उदाहरण आपको मिल जाएंगे। और इससे यह सिद्ध हो जाएगा की तकलीफ ज्यादा कीमती सामान के ना होने से नहीं होती है बल्कि अपनी जरूरत का सामान ना मिलने पर होती है चाहे वह सामान रुपए दो रुपये का ही क्यों ना हो..!

मतलब यह हुआ, कि खुशी की परिभाषा यह है कि जिस चीज की आप आदत बना ले, बस वह चीज आपको मिलती रहे तो आप खुश रहेंगे और वह चीज ना मिलेगी तो आपको तकलीफ होगी। और इसीलिए कहा गया है, कि थोड़े में गुजारा करना सीख लो। क्योंकि अगर थोड़े में गुजारा करना सीख जाओगे तो उसी में तुमको खुशी मिलेगी और उतनी ही खुशी मिलेगी कितनी खुशी की किसी लाखों और करोड़ों कमाने और खर्च करने वाले को मिलती है..!

कुछ ऐसी ही बातें सोच रहा था राजन, कि तब तक भोली और रानी ने पकौड़ी चाय लाकर उसके सामने रख दी और उससे कहा-" आज हम दोनों ने फैसला किया है कि हम दोनों तुम्हारे आगे बगल सोएंगे और फिर देखेंगे कि कमला तुम्हें कैसे सताती है अगर वो ज्यादा परेशान करेगी तो हम दोनों मिलकर तुम्हें बचाएंगे..! राजन ने चाय पकौड़े खाते हुए कहा -"तुम लोगों का बहुत-बहुत शुक्रिया। जितना ख्याल तुम दोनों मेरा करती हो, इतना ख्याल तो मेरा आज तक किसी ने नहीं किया। मेरे मम्मी पापा ने भी नहीं। मेरी बहन ने भी नहीं। और मेरी दोस्त ने भी नहीं। क्योंकि मेरी सबसे अच्छी दोस्त कमला ही थी। अगर उसने भी मुझे उसी तरह प्यार किया होता, जिस तरह तुम दोनों मेरे से प्यार करती हो तो आज इतनी दर्द और इतनी तकलीफ में मैं ना होता।"

"जो बीत गया सो बीत गया..! अब उस बात को भूल जा..! क्योंकि अब तो हम दोनों का दिल तुझ पर आ गया है। इसलिए हम दोनों का फैसला है कि अब हम दोनों ही तुझे प्यार करेंगे । वैसे तुझे कोई प्रॉब्लम तो नहीं है न, अगर हम दोनों एक साथ तुझे प्यार करें ..?

"अरे यार, दिल से प्यार करने वाली कोई एक लड़की तो मिलती नहीं और दो दो लड़कियां अगर प्यार करने वाली मिले, तो इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है..?"

" थैंक्स डियर..!" भोली और रानी दोनों ने उसे किस करते हुए कहा।

नाश्ता पानी के बाद कुछ देर और उनमें आपस में बातें हुई और फिर शाम के खाने में भोली ने कढ़ी भात बनाया। कढ़ी राजन को भी बहुत अच्छी लगती थी। लेकिन भोली ने न जाने किस तरह कढ़ी बनाया था, कि उसका स्वाद निराला ही था। बहुत मजा आया उसे कड़ी भात खाने में।

और भोजन कर चुकने के बाद भोली और रानी दोनों उसके आजू बाजू एक ही बिस्तर में सो गई..!

इस समय वह दोनों राजन यह बदन से छेड़खानी कर रही थी! भोली का भाई उन दोनों की शरारतों को देख रहा था, लेकिन वो ये सब देखने का आदी था, इसलिए उसके लिए यह कोई नई बात नहीं थी।

भोली और रानी, इन दोनों ने राजन को अपनी जवानी का मज़ा लेने के लिए अपना खिलौना बना रखा था और राजन को भी इस अनैतिक संबंधों मैं मजा आने लगा था। अब यही उसकी जिंदगी थी। रानी और भोली उसके आजू बाजू लेटी थी.. उसके साथ छेड़खानी कर रही थी ..और मजे ले रही थी ..तभी घड़ी में रात के 12 बजने का संकेत दिया।

एक तरफ रानी और दूसरी ओर भोली... यह दोनों जितना प्यार से उसके उसके लबों को चुम रही थी, कि अचानक वह दोनों निर्दयी हो गई। अब पहले जिस काम में उसे मजा आ रहा था, अब उसी काम में उस को तकलीफ होने लगी। क्योंकि इन दोनों का प्यार हिंसक होता जा रहा था। और वो दोनों उसके बदन को बड़ी निर्दयता से नोचने लगी।

फिर रानी ने उसके सीने में अपना दांत गड़ा दिया, और बोली- कितना टेस्टी है यार तेरा खून..! वह चिल्लाने को था कि फिर अचानक कल रात की ही तरह उसकी जुबान बंद हो गई। रानी के खून पीने के बाद दूसरी ओर से भोली ने भी उसके सीने में अपने दांत गड़ा दिए और उसका खून मजे मजे से पीने लगी और बोली-"तेरा गरम गरम खून बहुत टेस्टी है मेरे राजा..!"

हां यार भोली, कितना मस्त है अपना राजन। सो लवली ..! तूने इसका मांस टेस्ट किया या नहीं..? मैंने कल इसके सीने का मांस नोच कर खाया था बहुत टेस्टी था।"

"रियली..?" भोली ने पूछा..!

"हाँ, रियली बहुत टेस्टी था। मैं तेरे से झूठ क्यों बोलूंगी ..?"

"ओके डियर..! फिर तो मैं भी टेस्ट करती हूं..!" और यह कहते हुए भोली ने अपने अपने दांत उसके सीने में गड़ा दिए उसका मांस नोच कर खाने लगी और रानी से बोली-"रियली यार..! ये तो बहुत टेस्टी है..!" और राजन दर्द से चिल्ला रहा था, तड़प रहा था, मुझे उसके गले से आवाज निकल पा रही थी और ना वह उनसे अपने आप को छुड़ा पा रहा था, क्योंकि उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी, कि उनसे छूटने की उसकी हर कोशिश बेकार हो रही थी.. और दर्द से तड़पते तड़पते अंततः वह बेहोश हो गया..!
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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Is bechare ke sath ek tragedy thi hi.... Bholi aur rani ne double tragedy kar di.... :D

हम शहर के लोग सोचते हैं गांव में रहने वाले बहुत तकलीफ में रहते होंगे. ! उनके पास मोबाइल नहीं.. उनके गांव में बिजली नहीं ..खाने को बढ़िया-बढ़िया भोजन नहीं ..और पहनने को तड़क-भड़क वाले कपड़े नहीं..! लेकिन ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। गांव में किसी के पास स्मार्टफोन नहीं है, तो उसे स्मार्टफोन न होने का कोई गम नही है..! क्योंकि उसे उसकी आदत नहीं है। हाँ, आप ज़रूर हो सकते हैं दुखी क्योंकि आप स्मार्टफोन चलाते हैं।

इसी प्रकार कोई भी चीज, जिसकी आदत बना ली है आपने वह चीज आपको नहीं मिलती, तो आपको दुख होता है। तकलीफ होती है। अगर आप रोज कार से घूमते हैं और आप कार से घूमने की अपनी आदत बना ली है, तो कार के ना होने पर आपको तकलीफ होगी लेकिन। लेकिन जो लोग साइकिल पर चलते हैं, उनको साइकिल पर ही चलने की आदत है, इसलिए अगर साइकिल ना मिले तो उनको तकलीफ होगी। तो जितनी तकलीफ एक साइकिल चलाने वाले को साइकिल न मिलने पर होगी उतनी ही तकलीफ आपको कार के न मिलने पर होगी..!

मतलब तकलीफ दोनों की बराबर है लेकिन एक को तकलीफ साइकिल कि ना होने की है, जबकि दूसरे की तकलीफ कार के ना होने पर है। ठीक इसी प्रकार अगर गांव में एक बच्चा लकड़ी की फंटी से क्रिकेट खेलता ह, तो उसको जितनी तकलीफ उस लकड़ी की फंटी के छीन लिए जाने से होगी उतनी ही तकलीफ शहर के बच्चे से उसका मोबाइल छीन लिए जाने से होगी।

इसी प्रकार गांव के बच्चे को जितनी तकलीफ रोटी के ना मिलने से होगी, शहर के बच्चे को उतनी ही तकलीफ पिज्जा और बर्गर के ना मिलने से होगी..! इस तरह के बहुत से उदाहरण आपको मिल जाएंगे। और इससे यह सिद्ध हो जाएगा की तकलीफ ज्यादा कीमती सामान के ना होने से नहीं होती है बल्कि अपनी जरूरत का सामान ना मिलने पर होती है चाहे वह सामान रुपए दो रुपये का ही क्यों ना हो..!

मतलब यह हुआ, कि खुशी की परिभाषा यह है कि जिस चीज की आप आदत बना ले, बस वह चीज आपको मिलती रहे तो आप खुश रहेंगे और वह चीज ना मिलेगी तो आपको तकलीफ होगी। और इसीलिए कहा गया है, कि थोड़े में गुजारा करना सीख लो। क्योंकि अगर थोड़े में गुजारा करना सीख जाओगे तो उसी में तुमको खुशी मिलेगी और उतनी ही खुशी मिलेगी कितनी खुशी की किसी लाखों और क
Reality.....
Mein practically experience holder hu.....

Mera bachpan 5-6 sal ki age tak gaon me jamindar family me beeta... Fir 20 sal desh ke sabse bade shahar me father ke sath struggle karte huya padhai-business (14 sal ki umr se apna business kiya... Aur isi umr se sex-sharab-cigarett bhi...lekin shauk hi rakha... Adat nahi)
25 ki umr par father ke expire hone par apni aur bhai-bahan ki padhai-shadi....

10 sal bad 35 ki umr me wife bachchon ko lekar apne us gaon me rahne aa gaya jaha mere father bhi kabhi nahi rahe....
Backward area me chhota sa gaon.... Jisme kabhi bijli ayi hi nahi, pure gaon me sirf ek sarkari phone hota tha, koi school nahi, doctors nahi... Najdiki shahar 50 km dur... Jiske liye bus stop bhi 7 km dur.

Aaj 10 sal se gaon me rah raha hu.... Gaon me sabkuchh arrange karaya... Akele nahi... Sabhi ke sahyog se.... Kuchh pareshaniya bhi hain... Lekin all total... Har vo suvudha hai jo shahro me milti hai... 24 hrs na sahi 8-10 hrs to hai hi.... Jarurat puri ho jati hain
Baki adat kisi ki nahi... Bijli, network ho ya na ho... Aur bahut kuchh natural hai ........
Life shahron se 100+ times behtar lagti hai... Real happiness.... Kisi tarah ki koi kami mahsoos hi nahin hoti

..............
Lekin apne itni gehrai se iska vishleshan kiya... Bahut achchha laga
Apne ye apne anubhav se likha ya kisi aur ke anubhav se seekha.....

Anyway...... Another great uodate with great thoughts of rani and bholi.... The real positive way of thinking
 

zopion

Happiness of life : to love & be loved
7,611
19,759
143
Wonderful update swati dear
Rajan ko bholi aur rani dono ka pyar mil raha
Apne sahar aur gaon ki life ke bare me bilkul sahi kaha
Ye kya rajan ko raat me double saza mil rahi hai
waiting for next update
 

Moon Light

Prime
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Is bechare ke sath ek tragedy thi hi.... Bholi aur rani ne double tragedy kar di.... :D


Reality.....
Mein practically experience holder hu.....

Mera bachpan 5-6 sal ki age tak gaon me jamindar family me beeta... Fir 20 sal desh ke sabse bade shahar me father ke sath struggle karte huya padhai-business (14 sal ki umr se apna business kiya... Aur isi umr se sex-sharab-cigarett bhi...lekin shauk hi rakha... Adat nahi)
25 ki umr par father ke expire hone par apni aur bhai-bahan ki padhai-shadi....

10 sal bad 35 ki umr me wife bachchon ko lekar apne us gaon me rahne aa gaya jaha mere father bhi kabhi nahi rahe....
Backward area me chhota sa gaon.... Jisme kabhi bijli ayi hi nahi, pure gaon me sirf ek sarkari phone hota tha, koi school nahi, doctors nahi... Najdiki shahar 50 km dur... Jiske liye bus stop bhi 7 km dur.

Aaj 10 sal se gaon me rah raha hu.... Gaon me sabkuchh arrange karaya... Akele nahi... Sabhi ke sahyog se.... Kuchh pareshaniya bhi hain... Lekin all total... Har vo suvudha hai jo shahro me milti hai... 24 hrs na sahi 8-10 hrs to hai hi.... Jarurat puri ho jati hain
Baki adat kisi ki nahi... Bijli, network ho ya na ho... Aur bahut kuchh natural hai ........
Life shahron se 100+ times behtar lagti hai... Real happiness.... Kisi tarah ki koi kami mahsoos hi nahin hoti

..............
Lekin apne itni gehrai se iska vishleshan kiya... Bahut achchha laga
Apne ye apne anubhav se likha ya kisi aur ke anubhav se seekha.....

Anyway...... Another great uodate with great thoughts of rani and bholi.... The real positive way of thinking
:thanks:
Keep Reading..
 
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