• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance प्रायश्चित

Destiny

Will Change With Time
Prime
3,965
10,671
144
#1

“ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन, जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन...नयी रीत चला कर तुम ये रीत अमर कर दो”

उस आवाज को सुनकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लिए ही गा रही हो वो... में जो ज़िंदगी में कभी तन से आगे ही नहीं देख सका दुनिया को.... आज मन लगाकर सुन रहा था उसको.... वो मेरे बचपन की दोस्त या साथी नहीं....... लेकिन बचपन से हमारे घर की एक सदस्य रही थी....

अब उसके और मेरे बीच ऐसा क्या रिश्ता था जो हम बचपन से एक ही घर के सदस्य की तरह रहे लेकिन वो कभी मेरी साथी या दोस्त नहीं बन सकी तो .............. वैसे तो कोई करीब का रिश्ता ही नहीं था....... पड़ोस में रहती थी वो.... लेकिन वो घर उसका नहीं था.............. जैसे मेरा घर जिसे में अपना मानता था........... मेरा नहीं था........... एक रैन बसेरा था... जहां से मुझे एक दिन उड़ जाना था... और उसे भी, .............................पंछी की तरह।

में बचपन से अपने नाना-नानी के पास रहा...... वो भी अपनी ननिहाल में ही रहती थी.......... लेकिन मुझमें और उसमें एक फर्क था.... मेरे पास माँ थी, जो होकर भी नहीं थी...... उसकी माँ ही नहीं थी, जा चुकी थी इस दुनिया से। इस गाँव के रिश्ते से हमारा एक रिश्ता बनता था भाई-बहन का नहीं.... माँ-बेटे का.... जी हाँ.... वो मेरी माँ की बहन यानि मौसी होती थी मेरी......... लेकिन हमारी उम्र बिलकुल उलट थी.... में उससे बड़ा था.... वो मुझसे छोटी थी... और हमारे घर में आने जाने की वजह से उसे मुझसे प्यार होने लगा हो, जैसा कहानियों या फिल्मों में होता है...... ऐसा भी नहीं.... बल्कि उसे मुझसे उतनी ही नफरत थी... जितना इस घर से प्यार था।

अब प्यार तो में भी नहीं जानता था..... मन को समझने का मौका ही नहीं मिला.... जबसे होश सम्हाला.... हवस ही सीखा... हवस नशे की... हवस रुतबे की, हथियार और शानो-शौकत का रुतबा....... हवस जिस्म की...हवस...हवस... और... सिर्फ हवस।

लेकिन उसने ही अहसास दिलाया कि उस जिस्म की हवस से ऊपर भी कुछ होता है ....अहसास.... ममता, स्नेह, अपनेपन का.......... अब इसे प्यार भी कह सकते हैं और मोह भी............यही तो था हम दोनों के पास आने का सबसे बड़ा कारण।

..........................................

टीवी पर ‘प्रेम गीत’ फिल्म देख रहे कमलकान्त के मन में इस गाने को सुनते ही विचारों का ज्वार उमड़ पड़ा तभी प्रिय पास आकर बेड पर बैठ गयी और उसने कमलकान्त का हाथ अपने हाथ में ले लिया।

“फिर से वही यादों में खोये हो....उनसे दूर हो गए लेकिन भुला नहीं पाये” प्रिया ने मुसकुराते हुये कमलकान्त से कहा

“हमारा साथ शायद यहीं तक था....लेकिन यादें तो उम्र भर रहेंगी ” कमलकान्त ने फिर उदास लहजे में कहा तो प्रिया की आँखों में भी नमी उतर आयी

“अच्छा छोड़ो इन सब बातों को ..... विजय आ जाए तो खाना खाते हैं” कमलकान्त ने कहा

“तभी तो कहती हूँ मेरा ना सही बच्चों का ही ख्याल कर लिया करो.... कब का आ गया... दोनों बच्चे डाइनिंग टेबल पर हमारा इंतज़ार कर रहे हैं... चलो उठो अब” कहते हुये प्रिया ने उसकी बांह पकड़कर खींचा तो वो भी उठकर खड़ा हुआ और उसके पीछे चल दिया

“पापा! गाज़ियाबाद की महक गार्मेंट्स ने हमारे पिछले पैसे भी नहीं दिये और अभी जो माल गया है उसके लिए डेबिट नोट डाल रही है...” खाना खाने के बाद ड्राइंग रूम में सोफ़े पर बैठकर विजय और कमलकान्त हिसाब-किताब जोड़ रहे थे तभी विजय ने कहा

“एक बार उनके यहाँ जाकर मिल लो... उन्हें समझा दो कि उन्होने जो चालान माल के साथ गया था उस पर माल उन्हें सही हालत में मिला है... ये लिखकर दिया है.... तो अब हम इसमें कोई कमी नहीं मानेंगे... उन्हें पूरा पैसा देना ही होगा” कमलकान्त ने कहा

“हाँ पापा! वो मान जाएँ तो ठीक है वरना उनके ऊपर केस करना होगा.... तभी पैसे वसूल हो पाएंगे...यूं तो इनके देखा-देखी और भी ग्राहक ऐसे झमेले खड़े करने लगेंगे” राधा ने विजय के बोलने से पहले ही कहा

“हाँ! हाँ! पता है तू वकालत कर रही है.... लेकिन अभी वकील नहीं बन गयी.... जो बीच में अपनी टांग अड़ा देती है... हर मामले में.... ये बिज़नेस है... बहुत सोच समझकर कदम बढ़ाना होता है” विजय ने राधा को चिढ़ाते हुये कहा

“मम्मी! देख लो......” राधा ने मुंह फूलते हुये कहा तो प्रिया ने उसे अपनी बाँहों में भर लिया

“मेरी बेटी अभी नहीं तो कुछ दिन बाद.... वकील बनने जा रही है... उसकी बात भी सुना करो...हर समय इसे चिढ़ाया मत करो” प्रिया ने विजय से कहा

“मम्मी! में कहाँ इसे चिढ़ाता हूँ... ये ही हर बात में अपनी वकालत चलाने लगती है... आप और पापा भी हमेशा इसी की ओर लेते हो” विजय ने नाराज होते हुये कहा तो प्रिया ने अपनी दूसरी ओर कि बांह विजय के कंधे पर रखकर उसे भी अपने पास को खींचा

“अरे हम तो बुड्ढे हो गए अब तुम दोनों भाई बहन को मिलकर ही तो सबकुछ देखना है... इसलिए एक दूसरे कि सुनो-समझो, प्यार से रहो.... वो कुछ गलत थोड़े ही बताएगी....” प्रिया ने विजय को समझते हुये कहा

“ठीक है मम्मी.... अब इसे कह दो ऐसे रोती न रहा करे... हर बात पर” हँसते हुये विजय उठ खड़ा हुआ और सोने के लिए अपने कमरे कि ओर चल दिया।

तब तक प्रिया भी रसोई से अपना काम निबटाकर आ गयी और वो तीनों भी सोने चल दिये....अपने-अपने कमरों में

सुबह उठकर विजय, राधा और प्रिया जब अपने घर के जिम में पहुंचे तो वहाँ कमलकान्त पहले से ही मौजूद मिला। इनके घर में नीचे एक बेसमेंट है जिसमें जिम बनाया हुआ है, ग्राउंड फ्लोर पर बड़ा सा हॉल, रसोईघर, वाशरूम लॉबी, सीढ़ियाँ ऊपर जाने के लिए, मास्टर बेडरूम और एक गेस्ट बेडरूम है, जिम के लिए सीढ़ियाँ वाशरूम लॉबी के बराबर से हैं। ऊपर पहली मंजिल पर 3 कमरे बने हुये हैं... जिनमें से एक-एक कमरा विजय और राधा का है, तीसरा कमरा स्टडी रूम और और बाकी में हॉल है, तीसरी मंजिल पर सिर्फ एक कमरा बना हुआ है जिसे स्टोर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.... और बाकी छत खुली हुई है।

जिम में इन सबके पहुँचते ही कमलकान्त ने सबको आज का वर्कआउट प्लान बताया और वो सभी व्यायाम में लग गए और एक घंटे बाद सभी अपने कमरों में जाकर नहा धोकर तैयार होकर हॉल में आ गए। प्रिया और राधा ने रसोई में जाकर नाश्ता तैयार किया... नाश्ता तैयार होने पर वो दोनों डाइनिंग टेबल पर आयीं और सबने साथ बैठकर नाश्ता किया।

“मम्मी आज में लंच के लिए घर नहीं आऊँगा, आज मुझे गाज़ियाबाद जाना है एक पार्टी के पास, तो शाम को ही आ पाऊँगा” विजय ने खाना खाकर उठते हुये कहा

“ठीक है.... लेकिन सोच समझकर बात करना उससे, अपना पैसा भी मिल जाए और ऑर्डर भी मिलते रहें” कमलकान्त ने भी उठते हुये कहा

“आप तो आओगे न लंच के लिए” प्रिया ने कमलकान्त से कहा

“हाँ क्यों नहीं” कहते हुये कमलकान्त ने टेबल से उठकर अपने सीढ़ियों कि ओर जाती राधा कि ओर देखा, फिर बोला गहरी सी सांस भरते हुये “वही गलती अब दोबारा करके तुम्हें खोना नहीं चाहूँगा”

“आप बार-बार उसी बात को क्यों सोचते हो... में कहना नहीं चाहती उनके बारे में... क्योंकि बच्चों को तो बुरा लगेगा ही, शायद आप भी बुरा मन जाओ” प्रिया ने गुस्से से कहा

“में या बच्चे कभी भी तुम्हारी किसी भी बात का बुरा मान ही नहीं सकते” कमलकान्त ने शांत भाव से कहा

“उस समय जो कुछ भी हुआ उसमें आपकी कोई गलती नहीं थी........ सारी गलतियाँ उन्होने कीं, सारी जिम्मेदारियाँ अपने उठाईं, सारे इल्ज़ाम आपने अपने ऊपर ले लिए.... फिर भी उन्होने अपनी गलती ना मानते हुये आपको दोराहे पर छोड़ दिया ....... आज वो दुनिया के किसी भी कोने में हो... उन्हें अपनी गलती का अहसास जरूर हुआ होगा कि आपको ठुकराकर क्या खो दिया” प्रिया ने तैश में कहा तो कमलकान्त ने आगे कुछ नहीं कहा और चुपचाप उठकर अपने कमरे में चले गए... प्रिया थोड़ी देर उनको कमरे में जाते देखती रही फिर वहाँ से बर्तन उठाकर रसोई में चली गयी

“सुनो! में ऑफिस जा रहा हूँ” रसोई के दरवाजे पर खड़े कमलकान्त कि आवाज सुनकर प्रिया पलटी तो उन्होने आगे बढ़कर प्रिया के कंधों पर अपने हाथ रखे और आँखों में देखते हुये बोले “सॉरी सुबह-सुबह ही तुम्हारा मूड खराब कर दिया”

प्रिया ने कमलकान्त से लिपटते हुये कहा “आपको कितनी बार कहा है...आप सॉरी मत बोला करो मुझसे.... जिन बातों को सोचकर ही मुझे इतना गुस्सा आ जाता है.... आपने तो उस दर्द को सहा है.... पता नहीं में इस बात को कब समझूंगी... अब इन सब बातों को दिमाग से निकालकर सीधे ऑफिस जाओ... और दोपहर को खाना खाने समय से आ जाना... दोनों साथ में खाएँगे” कहते हुये प्रिया ने कमल को आँख मार दी तो वो भी मुस्कुरा दिये

..................................

“देखो जनाब में आपको पिछला पेमेंट तो कर दूंगा....धीरे-धीरे 2-3 महीनों में और अभी के माल का पेमेंट अगले महीने मिलेगा... और वो भी डेबिट नोट काटकर....” महक गार्मेंट्स में वहाँ के मालिक हाजी गफूर ने विजय से कहा

“देखिये अगर आपका यही फैसला है तो मेरा अभी आया हुया सारा माल वापिस कर दो और पिछले बकाया के चेक दे दो... जीतने दिन बाद पेमेंट करना है...वो तारीख डालकर... अब हम आपके साथ बिजनेस नहीं कर पाएंगे इस तरह” विजय ने उखड़े से स्वर में कहा

“माल तो वापिस मिलेगा नहीं... उसमें से कुछ बिक चुका है... करीब आधा...अब बाकी बचा हुआ ले जाना चाहो तो ले जाओ... और चेक तो में कभी किसी को देता ही नहीं... जब तक मेरे खाते में पैसे पड़े हुये ना हो” गफूर ने मुसकुराते हुये कहा

“ठीक है... अब जब भी आपको पेमेंट करना हो कर देना... मुझे क्या करना है... में देखता हूँ” कहते हुये विजय उठकर बाहर आया और तुराब नगर की मेन गली में खड़ी अपनी बुलेट पर बैठकर कमलकान्त को फोन मिलकर सारी बात बताने लगा तो उन्होने भी उसे ज्यादा बहस ना कर के वापस आ जाने को कहा। फोन काटकर जैसे ही वो बुलेट स्टार्ट करने को हुआ तभी वहीं बराबर में सड़क के किनारे खोखा लगाए बैठे पनवाड़ी ने उसे अपनी ओर आने का इशारा किया...

“ये गफूर क्या महक गारमेंट वाले कि बात कर रहे थे” उसने विजय से कहा

“हाँ! उसे माल दिया हुआ था हमने... अब पैसे भी लटका रहा है और माल भी खराब बताकर पैसे काट रहा है” विजय ने उसे बताया

“भाई इसका रेकॉर्ड बहुत गंदा है... अभी पिछले महीने इसके यहाँ काम करनेवाले एक लड़के का एक्सिडेंट हो गया ... बेचारा 3 साल से इसके यहाँ माल इधर से उधर ले जाने का काम करता था... उस दिन भी इसी के काम से जा रहा था तो एक्सिडेंट में उसका हाथ टूट गया.... उसके इलाज का खर्चा देना तो दूर इसने उसे नौकरी से भी हटा दिया और बकाया वेतन के लिए बोला कि अचानक उसके काम से हट जाने कि वजह से इसे नुकसान हुआ है इसलिए कोई पैसा नहीं देगा”

“वास्तव में बहुत गलत है ये... पहले से पता होता तो इसको माल ही नहीं देते” विजय ने उससे पीछा छुड़ने के लिए कहा और वापस मुड़ने को हुआ तो पनवाड़ी ने कहा

“अरे रुको तो भैया... हम आपसे इसलिए कह रहे थे... कि इस साले का इलाज होना चाहिए... आपका पैसा ये ऐसे नहीं देगा... इसके खिलाफ कुछ कानूनी कार्यवाही करनी पड़ेगी... उस लड़के ने इसके खिलाफ यहाँ मुकदमा दर्ज करा दिया है.... आप भी एक मुकदमा ठोंक दो साले पर” पनवाड़ी ने कहा

“देखता हूँ... में तो नोएडा से आया हूँ.... यहाँ किसी वकील से बात करके देखता हूँ... किसी दिन आकर” विजय ने फिर अनिच्छा से जवाब दिया

“भैया ये नंबर ले लो आप... ये उस लड़के का है... जिसका हाथ टूट गया था... वो आपकी कंपनी को भी जानता होगा..... उससे बात करके उसी वकील से मुकदमा डलवा दो.... एक साथ 2 केस होंगे तो वकील वहाँ से आदेश भी जल्दी करवा देगा इसके खिलाफ.... और तुम्हें भी पहले वकील ढूँढने और फिर उसके पास बार-बार चक्कर लगाने कि जरूरत नहीं पड़ेगी” कहते हुये पनवाड़ी ने एक नंबर दिया तो विजय ने उस नंबर को अपने फोन मे सेव कर लिया और वहाँ से वापस निकल आया।

अभी शाम के 4 बज रहे थे तो उसने सोचा कि पहले घर होकर फिर ऑफिस जाता हूँ... घर पहुंचा तो उसने देखा कि कमलकान्त कि कार बाहर ही खड़ी हुई है... वो भी अपनी बुलेट वहाँ खड़ी करके दरवाजे पर पहुंचा और घंटी बजाई.... लेकिन काफी देर तक अंदर से जब कोई नहीं आया तो उसने फिर से घंटी बजाई... फिर भी कोई जवाब नहीं... इस पर उसने प्रिया के मोबाइल पर फोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला....विजय को बड़ा आश्चर्य हुआ

फिर उसने कमलकान्त के मोबाइल पर फोन किया तो कुछ देर बाद फोन उठा...

“हाँ विजय ऑफिस आ गए क्या?” उधर से कमल कि हाँफती हुई सी आवाज आयी

“नहीं पापा! में सीधा घर ही आ गया... सोचा चाय नाश्ता करके फिर ऑफिस जाऊंगा... और आप ऐसे हाँफ क्यूँ रहे हो... तबीयत तो ठीक है” विजय ने कहा

“अरे कुछ नहीं जिम में हूँ.... तेरी मम्मी को लगता है मेरा पेट बढ्ने लगा है तो अब सुबह के साथ-साथ शाम को भी यहाँ पसीना बहाना पड़ेगा...अभी तेरी मम्मी को भेजता हूँ” कहते हुये कमल ने फोन काट दिया

थोड़ी देर बाद प्रिया ने दरवाजा खोला तो विजय ने देखा कि प्रिया ट्रैक सूट में थी पसीने से लथपथ अपने चेहरे और गर्दन को तौलिये से पोंछती हुई। दरवाजा खोलकर वो वापस रसोई कि ओर चली गयी... विजय भी आकर हॉल में सोफ़े पर बैठ गया

पहला अपडेट बहुत ही शानदार

गफूर जैसे लोगों से दुनिया भरा पडा हैं। जो सिर्फ़ अपनी तोंद की सोचता हैं बाकी चाहे भाड़ में जाएं। विचरा छोटू हाथ भी टूट गया नौकरी भी गई सो अलग मेहनताना भी नहीं मिला।

कमलाकांत नाम ने मुझे एक ऐसे शख्स की याद दिला दिया जो मेरे जीवन में एक गुरू के रूप में आया और कुछ वर्षों तक मुझे मार्गदर्शन और शिक्षित करते रहें।
 
  • Love
Reactions: kamdev99008

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
Staff member
Moderator
33,475
150,169
304
Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hind section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
  • Like
Reactions: Ajju Landwalia

masterji1970

मम्मी का दीवाना (पागल)
531
782
94
बिलकुल सही कहा भाई आपने। सर्वप्रथम कामदेव भाई ने मेरी छुट्टी की और मुझे लम्बी छुट्टी पर भी भेज दिया है। अपनी इस छुट्टी से और कामदेव भाई के इस कार्य से मुझे बेहद ख़ुशी हो रही है। सबसे बड़ी बात अपनी मात्र भाषा या यूॅ कहूॅ कि देवनागरी में कहानी पढ़ने का आनंद ही अलग है, जो कि कामदेव भाई की मेहरबानी का नतीजा है। देवनागरी में लिखना और उसके अनुसार भावों को सुंदर शब्दों द्वारा गढ़ने में जितना दुष्कर होता है उतना ही पढ़ने में अच्छा भी लगता है। :dazed:
"देवनागरी में कहानी पढ़ने का आनंद ही अलग है".... "देवनागरी में लिखना और उसके अनुसार भावों को सुंदर शब्दों द्वारा गढ़ने में जितना दुष्कर होता है उतना ही पढ़ने में अच्छा भी लगता है।"

दोस्त, क्या सुंदर शब्दों में आपने देवनागरी के प्रति आपने अपने विचारों को, अपने उद्गारों को प्रस्तुत किया है, देवनागरी के प्रति जिस जिस दोस्तों का भी प्रेम हैं, उनको भावपूर्ण प्रणाम !!!
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,047
115,825
354
प्रायश्चित :
ना केवल अपनी गलतियों को पहचानना,
उनमें सुधार करना

बल्कि

उन गलतियों से हुये नुकसान की भरपाई करना ही
प्रायश्चित है
To kab kar rahe hain prayashchit???? :D
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,047
115,825
354
"देवनागरी में कहानी पढ़ने का आनंद ही अलग है".... "देवनागरी में लिखना और उसके अनुसार भावों को सुंदर शब्दों द्वारा गढ़ने में जितना दुष्कर होता है उतना ही पढ़ने में अच्छा भी लगता है।"

दोस्त, क्या सुंदर शब्दों में आपने देवनागरी के प्रति आपने अपने विचारों को, अपने उद्गारों को प्रस्तुत किया है, देवनागरी के प्रति जिस जिस दोस्तों का भी प्रेम हैं, उनको भावपूर्ण प्रणाम !!!
Bhai....bhai....aree o bhai ye kya hai??? :shocked:
Meri tareef kiye wo to theek hai lekin kin mahashay ke story thread ko gahri khaayi se nikaal kar yaha patak diya. Na....na...na aisa nahi karna tha aapko. kamdev99008 bhaiya dekhenge to unhe bahut bura feel hoga. :verysad:
 

ashik awara

Member
346
584
93
........आप सभी मित्रों का हृदय से आभार....
अभी मेरी पहली कहानी..................... मोक्ष:तृष्णा से तुष्टि तक ..........अपने प्रारम्भिक चरण में चल रही है
मोक्ष एक लंबी कहानी है......................एक उपन्यास............ उसे सम्पूर्ण होने में समय लगेगा..........

लेकिन मेरे मन में कुछ और भी कथानक हैं............ जिन्हें में लिखकर आपके सामने प्रस्तुत करना चाहता हूँ

अभी ये 3 नयी कथाएँ शुरू करने जा रहा हूँ............... इनके अद्यतन (अपडेट) साप्ताहिक मिलेंगे
वैसे ये ज्यादा लंबी कहानियाँ नहीं हैं.......... लगभग 50 से 100 अपडेट तक की हैं
यदि अप सभी धैर्यपूर्वक इन्हें पढ़ सकें तो अभी साथ साथ ही शुरू कर दूंगा............. वरना एक-एक कर के चलाऊँगा

मोक्ष मेरे दिल से बहुत गहराई तक जुड़ी हुई कथा है............. उसे किसी भी स्थिति में ना तो रोकूँगा और न अधूरा छोड़ सकता......
इसलिए उससे बचे हुये समय में प्रति सप्ताह 1-2 अपडेट इन कहानियों के भी देता रहूँगा


साथ बने रहने के लिए धन्यवाद...............
दोस्त कामदेव जी अब में आपकी लिखी कहानियों को पढना चाहता हूँ क्या ऐसा हो सकता हे की आपकी कहानियां मुझे एक साथ मिल सकती हें जिससे बार बार पेज उलटने में समय जाया न हो और कहानी पढने का आनन्द भी आये
 
  • Like
Reactions: kamdev99008

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
8,655
35,044
219
दोस्त कामदेव जी अब में आपकी लिखी कहानियों को पढना चाहता हूँ क्या ऐसा हो सकता हे की आपकी कहानियां मुझे एक साथ मिल सकती हें जिससे बार बार पेज उलटने में समय जाया न हो और कहानी पढने का आनन्द भी आये
भाई मेरी सभी कहानी नीचे दिए मेरे सिग्नेचर के लिंक पर मिल जायेंगी 👇
 
  • Like
Reactions: Ajju Landwalia
Top