ashik awara
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मास्टरजी अपने मेरे मन की बात कही हे , सच में हिंदी की कहानी हिंदी में ही पढना बड़ा ही सुखद हे रोमन में शब्दों का अर्थ का अनर्थ हो जाता हे जेसे आप बोले छोड़कर उसी तरह अगर निखना हो चोदकर वो भी समझा जा सकता हे पर देवनागरी में हम जो सोचते हें और जो लिखना चाहे वो लिख सकते हें वो भी कम शब्दों में , लोग चाहे कुछ भी बोले पर देवनागरी लिपि सबसे समर्द्ध हे इसका कोई सानी नही हे, पर काले अंग्रेजों को क्या बोले, ....."देवनागरी में कहानी पढ़ने का आनंद ही अलग है".... "देवनागरी में लिखना और उसके अनुसार भावों को सुंदर शब्दों द्वारा गढ़ने में जितना दुष्कर होता है उतना ही पढ़ने में अच्छा भी लगता है।"
दोस्त, क्या सुंदर शब्दों में आपने देवनागरी के प्रति आपने अपने विचारों को, अपने उद्गारों को प्रस्तुत किया है, देवनागरी के प्रति जिस जिस दोस्तों का भी प्रेम हैं, उनको भावपूर्ण प्रणाम !!!