#13
मैंने देखा जो आदमी चाचा के साथ रहता था वो दूर खड़ा मुझे घूर रहा था , उसकी बिल्ली जैसी आँखे मुझे ही देख रही थी . और जैसे ही हमारे आँखे आपस में मिली, हडबडाते हुए वो आगे बढ़ने लगा. सब छोड़ कर मैं उसकी दिशा में भागा . बाजार में इतनी भीड़ नहीं थी पर न जाने वो कहाँ ओझल हो गया था . मुश्किल से वो तीस मीटर दूर होगा .
“इतनी जल्दी कहाँ गया वो ” मैंने अपने आप से कहा .
उसे तलाश ही रहा था की मीता मेरी तरफ आते दिखी . मैंने खुद को सामान्य करने की कोशिश की .
“क्या हुआ ऐसे अचानक भागे क्यों तुम ” उसने कहा
मैं- कुछ नहीं बस यूँ ही
वो- चलो फिर चलते है
मैं- नहीं,आप जाओ . मैं यही रुकुंगा
मीता ने एक नजर मुझे देखा बोली- ठीक है , वैसे तुमने दाखिले का फॉर्म भर दिया क्या .
मैं- नहीं अभी नहीं
मीता- जल्दी ही भर देना. डेट जाने ही वाली है
मैं- ठीक है
उसके जाने के बाद मैं उस दाढ़ी वाले आदमी के बारे में सोचते सोचते भाभी के घर आया . वो मेरा ही इन्तजार कर रही थी .
भाभी- कहाँ थे तुम मुझे चिंता हो रही थी .
मैं- बस यही था , थोडा पानी दो मुझे
भाभी पानी का जग ले आई .
भाभी- कहीं जाना था तो मुझे बता देते हम साथ ही चल पड़ते
मैं- बस बाजार ही गया था मैं . आप सब ऐसा सोचते है की मैं छोटा बच्चा हूँ
भाभी- ऐसा नहीं है देवर जी , बस फ़िक्र है आपकी
मैं- मेरे मन में कुछ बाते है , कुछ सवाल है
भाभी- मन की बातो को छोडिये जनाब पहले आप खाना खाइए, नाश्ते से इंतज़ार करते करते दोपहर के खाने का समय हो गया , तुम्हारी पसंदीदा खैर-संगर की सब्जी बनवाई है .
मैं भाभी के साथ खाने की टेबल तक आया जैसे ही खाना परोसा गया , मेरी आँखों के सामने अँधेरा सा छा गया . चक्कर सा आने लगा. मैंने फिर से कुछ परछाई देखि. सरसों के खेत , पगडण्डी पर बैठा मैं . पायल की आवाज . पोटली में रखी रोटिया
“खैर- संगर की सब्जी , तुम्हे पसंद है न ” मैंने कानो में स्पस्ट सुनी ये आवाज पर वो चेहरा नहीं देख पाया मैं मेरी आँखे झटके से खुल गयी .
“ये क्या हो रहा है भाभी ” मैंने खुद को अस्त व्यस्त देख पूछा
भाभी---- तबियत ठीक नहीं है तुम्हारी हम अभी के अभी वापिस वापिस चल रहे है .
मैं- पर आपको तो रुकना हैं, मैं , मेरी वजह से आपको ये परेशानी नहीं होगी .
भाभी- मैंने कहा न हम अभी के अभी वापिस घर चल रहे है
भाभी का पूरा चेहरा लाल था . आँखे दहक सी रही थी . भाभी ने कुछ ही मिनटों में अपना सामान लिया और हम वहां से चल पड़े. आधे रस्ते तक गाड़ी में गहरी ख़ामोशी छाई रही .
“गाडी रोको ” भाभी ने कहा
मैंने गाड़ी रोकी. वो गाड़ी से उतर कर कच्चे रस्ते पर पैदल चल पड़ी .मैं उनके पीछे गया थोडा आगे जाने पर मैंने देखा ये पानी की बहुत पुराणी खेली थी . पर उसमे पानी था . भाभी ने अपने हाथ खेली में डाली और चेहरे पर पानी के छपके मारने लगी. शायद उनका जी घबरा रहा था गर्मी की वजह से . बहुत देर तक वो वही खेली से टेक लगाये बैठी रही .
एक तल्खी जो बेचैनी बन कर हम दोनों के बीच खड़ी थी . वापसी में पूरे रस्ते हम खामोश रहे .
चोबारे में आते ही मैंने धीमी आवाज में गाने चलाये और बिस्तर पर लेट गया . मेरी आँखों के सामने बार बार वो परछाई आ रही थी . वो आवाज मुझे जानी पहचानी लग रही थी . और इसे मैं वहम तो हरगिज नहीं कह सकता था . शाम को जब मैं निचे आ रहा था तो सीढियों पर मैं भाई से टकरा गया .
भाई- मैं तुम्हारे पास ही आ रहा था . तुमसे बात करनी थी
मैं- इस घर में और भी है आपकी बाते सुनने के लिए
भाई- तो तुम नहीं सुनोगे, तुम जानते हो तुम ये गलत कर रहे हो
मैं- सही गलत का फासला अरसे पहले मिट चूका है .
भाई- ये तुम्हारे लिए बहुत जरुरी है
मैंने कोई जवाब नहीं दिया और सीढिया उतर कर आँगन में आ गया . भाभी मुझे घुर कर देख रही थी . मैंने साइकिल उठाई और खेतो की तरफ चल पड़ा. चोपाल पर पहुँच कर मैंने देखा की भीड़ जमा है पीपल पर बने चबूतरे पर पिताजी और गाँव के कुछ मोजिज लोग बैठे थे . मैंने देखा की एक औरत को पेड़ से बाँधा हाथ . मैंने साइकिल रोकी और मामले को देखने लगा .
“गाँव वालो, ये बिमला ने गाँव का , समाज का , और अपने घरवाले का नाम बदनाम किया है .कुछ दिन पहले ये घर से अपने प्रेमी संग भाग गयी थी . अब गाँव समाज इसका फैसला करेगा. ” एक पंच ने कहा .
मैं लगातार बस बिमला को देख रहा था जिसकी हालत पतली थी , शायद उसे खूब मारा पीटा गया था . कपडे फटे थे, मिटटी में सने थे .
“मैं तो इस बदचलन को अब नहीं रखूँगा , इसने कुल पर कलंक लगाया है ” बिमला के पति ने कहा .
गाँव वाले खुसर पुसर करने लगे. पिताजी खड़े हुए और बोले- पंचायत ने फैसला किया है की बिमला को सो कोड़े मारे जाये और सर गंजा करके पुरे गाँव में घुमाया जाये , ताकि इसका हाल देखकर कोई और परम्परा, प्रतिष्ठा को तोड़ने की सोचे भी न . उसके बाद इसे गाँव निकाला जायेगा और गाँव का कोई भी इस से कोई सम्बन्ध नही रखेगा. कोई दुकानदार इसे राशन नहीं देगा. किसी के नल या कुवे से ये पानी नहीं भरेगी और जो इसकी मदद करेगा उसे भी भाई---चारे से बाहर कर दिया जायेगा. “
गाँव वाले पिताजी का जयकारा करने लगे. मुझे गुस्सा आने लगा. मैं आगे बढ़ा और चबूतरे के पास गया .
“पंचायत का फैसला गलत है , किसी भी निर्णय से पहले बिमला का पक्ष सुना जाना चाहिए ” मैंने कहा
पिताजी ने अजीब नजरो से मुझे देखा और बोले- तुम्हे घर जाना चाहिए .
“पंचो को परमेश्वर कहा जाता है , पंचायत एक तरफ़ा फैसला नहीं कर सकती , हो सकता है इसकी कोई मज़बूरी रही हो , इसके क्या हालत थे वो भी गौर किये जाये ” मैंने द्रढ़ता से अपनी बात कही .
“लड़के, ये तुम्हारा मामला नहीं है ” एक पंच ने मेरी तरफ ऊँगली करते हुए कहा
मैं- फ़िलहाल तो ये गाँव का मामला है , घर का होता तो पंचायत नहीं हो रही होती .
“तुम अभी के अभी घर जाओ , और बिमला को कोड़े मारने की कार्यवाही शुरू की जाये ” पिताजी ने गरजते हुए कहा .
एक आदमी कोड़ा लेकर उसकी तरफ बढ़ा.
“अपने कदमो को थाम ले , जब तक इसका पक्ष नहीं सुना जायेगा बिमला की तरफ किसी ने आँख भी उठाई तो ठीक नहीं होगा . ” मैंने चेतावनी देते हुए कहा .
“आपका लड़का पंचायत का अपमान कर रहा है प्रधान जी ” पंचों में से एक ने कहा .
पिताजी कुर्सी से उठे और मेरे पास आये........ .और ....... ..