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Adultery प्रीत +दिल अपना प्रीत पराई 2

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#14

पिताजी ने खींच कर एक थप्पड़ मुझे मारा, सारा गाँव स्तब्ध सा रह गया .

“गुस्ताख तेरी हिम्मत कैसे हुई पंचों के फैसले को चुनोती देने की ” पिताजी ने एक थपड और मारा.

अक्सर मैं टाल देता था, मेरा स्वभाव ऐसा नहीं था कोई दो बात कह भी देता तो मैं इग्नोर कर देता था पर आज बात मेरी नहीं थी बात थी एक बेबस , मजलूम औरत की . हो सकता था की वो गलत हो पर मेरे वजूद ने उस एकतरफा फैसले को मानने से इंकार कर दिया था .

“आपकी बहुत इज्जत करता हूँ पिताजी, आपके कहे शब्द मेरे लिए इश्वर का हुक्म है पर ये पंचायत न्याय का मंदिर है और ये तो अन्याय है . आप चाहे तो मुझे मार लीजिये , उस से आपका अहंकार तो शांत हो जायेगा पर आप भी जानते है की ये पंचायत खोखली हो चुकी है अन्दर से . ” मैंने अपनी बात कही .

“कुंवर, आप मत कहो , आप ख़राब न हो , ये निर्दयी समाज किसी को दुखी तो देख सकता है पर कभी उसकी मदद नहीं करेगा. मैं अपनी मर्जी से घर छोड़ कर गयी थी , क्योंकि वो बस नाम का ही घर था , दो रोटी के लिए भी मैं तरसती थी , मेरा घर से भागना तो इस ऊँची नाक वाले समाज को दीखता है पर ये नहीं दीखता की मेरा नालायक पति जो दारू पीकर रोज मुझे मारता था , खुद कमाता नहीं था मेरी मजदूरी के पैसे भी छीन लेता था . मैं अपना क्या दुखड़ा रोऊ इस समाज के आगे. मैं तो घर छोड़ कर इस आस में गयी थी की अगला कुछ और नहीं तो कमसेकम दो समय की रोटी तो टाइम पर देगा. कब तक इसकी मार सहती मैं ,मुझे भी जीने का अधिकार है . मेरा औरत होना कोई गुनाह तो नहीं ” बिमला चीखते हुए पंचायत से पूछ रही थी .

मैं आगे बढ़ा और उस रस्सी को खोल दी जिससे बिमला पेड़ से बंधी थी .उसने मेरे आगे हाथ जोड़ दिए.

“आपको हाथ जोड़ने की जरुरत नहीं है , जरुरत है तो इस समाज को अपनी सोच बदलने की और कोई पंचायत आपको इस गाँव से बाहर नहीं निकाल सकती , ये गाँव आज भी आपका है और आगे भी रहेगा. बेशक आपका पति आपको नहीं रखेगा आप अपने प्रेमी संग जा सकती है कोई नहीं रोकेगा आपको ” मैंने उसे दिलासा दिया.

“उसे, उसे मार दिया इन लोगो ने ” बिमला फुट फुट कर रोने लगी .

मार दिया, एक इन्सान को मार दिया गया . हो सकता था की वो गलत हो . पर किसी को मार देना किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकता . मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर उस ऊँचे चबूतरे पर ऊँची कुर्सी पर मेरा बाप बैठा था . जिसकी चश्मे से झांकती आँखे मुझे ही घूर रही थी . मेरा दिल तो कर रहा था की उखाड़ कर फेंक दू इस पंचायत को , पर उस लम्हे में मैंने किसी तरह रोक लिया खुद को .

“आप यही रहेंगी ,अ आपके रहने की खाने की और तमाम जरूरते जो आपको होंगी वो मैं पूरा करूँगा. और ख़बरदार जो इस गाँव में किसी ने भी इस औरत को तंग किया परेशां किया. गाँव कान खोल कर सुन ले ये मैं कह रहा हूँ , ये मेरी शराफत है जो बस कह रहा हूँ और उम्मीद रहेगी की ये शराफत बनी रहे मेरी . ”

मैं जानता था की मैंने कुछ लोगो के गुरुर, झूठी इज्जत, मूंछो की शान को ललकार दिया था . और इसकी क्या कीमत मुझे चुकानी पड़ेगी मुझे परवाह नहीं थी . बिमला के रहने की व्यवस्था करने के बाद मैं बहुत देर तक अकेले बैठा रहा . मेरे अन्दर कुछ उबाल मार रहा था . जब दिल और कही नहीं लगा तो मैं घर की तरफ चल दिया ये जानते हुए की हर कदम बड़ा भारी था मेरा.

और घर पहुँचते ही एक अलग ही तमाशा खड़ा था मेरे लिए.

“आ गए बरखुरदार, हमारी इज्जत में चार चाँद लगा कर , हम जानते तो थे की तुम नालायक हो पर आज तो हद ही कर दी , भरे गाँव में पिताजी की इज्जत के झंडे गाड आये नवाब साहब ” भाई ने मेरी तरफ व्यंग करते हुए कहा .

“आपका इस से कुछ लेना देना नहीं है ये मेरा मामला है मैं देख लूँगा . ” मैंने जवाब दिया .

“तू देख लेगा, तू जानता है न की गाँव में किसी की औकत नहीं जो पिताजी की जुती की तरफ भी नजर उठा सके और तूने भरी पंचायत में जुबान लड़ाई उन से ” भाई गुस्से से बोला

मैं- पिताजी कोई खुदा तो नहीं जो गलत नहीं हो सकते .

“तेरी ये मजाल ” भाई ने एक घूँसा मारा मेर मुह पर . मैं गिर पड़ा . भाई ने अपनी बेल्ट निकाल ली और मेरी पीठ पर मारने लगा.

“पिताजी की कही हर बात खुदा का फरमान ही है हमारे लिये ” भाई मुझे मारते हुए बोला . ऐसा नहीं था की मैं उसका हाथ नहीं पकड सकता था , पर अगर मैं ऐसा कर लेता तो ये उस रिश्ते की डोर को तोड़ देता जो भाई और मेरे बीच था .

“”चाहे जितना मार लो पर सच तो यही रहेगा “

मैंने कहा और अगले ही पल बेल्ट का कुंडा मैंने पसली की खाल को खींचते हुए महसूस किया .

“छोड़ दीजिये , आपके छोटे भाई है वो ” भाभी चीखते हुए हमारे बीच आइ

भाई- तुम दूर हो जाओ, ये नालायक ऐसे नहीं सुधरेगा ये काम मुझे बहुत पहले कर देना चाहिए

भाभी- मैं कहती हूँ छोड़ दीजिये देवर जी को . ये अनर्थ न कीजिये , मैं जानती हु बाद में आपको बड़ा पछतावा होगा. अप खुद ही मलहम लगायेंगे , मेरी विनती है छोड़ दीजिये, बस कीजिये देखिये कितना खून बह रहा रहा है .

भाभी ने बेल्ट पकड़ ली भाई की.

“इसे कहदो मेरी नजरो से दूर हो जाये. ” भाई ने बेल्ट फेंकी और अपने कमरे में चले गए .

“मलहम लाओ कोई ”
भाभी चीखी और मुझे अपने आगोश में भर लिया .
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,497
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yeh sala punarjanam ka chakkar kab khatm hoga, aur yeh bhaujai jaroorat se jyada janti hain,, sala shab koi rahashya ban ke ghoomte rahta hain.. Koi toh sidha sada aadmi mile, chacha se le ke bhai-bhaujai, aur chachi toh sadabahar hain.. Maa ko faraq hi na parta, aur baap sala laden kee aulad, yeh kaun se jamane mein jee raha hain, sidha tughlaki farman suna diya...

Ab babua baapu ke latar kha ke hi manega, aur iska hoga desh nikala, waise pakri kaise gayee bimla... Premi chhor ke bhaag gaya kya...

Sarso ke khet mein baith ke sangar kee sabjee khata hain, jaroor jora-jori kar raha hoga...
पुनर्जन्म वाला कुछ नहीं है भाई, ये कहानी एक अलग प्लॉट पर बुनी है
 
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