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Adultery प्रीत +दिल अपना प्रीत पराई 2

eternity

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देरी के लिए माफी चाहूँगा, अपडेट आज जरूर आएगा
Bhai apki lekhani achhi hai isi liye iska intejar karta hun. Lekin aap jis tarah se update de rahai hai lagta hai pathan chorna parega kyoki kahani ki tartamyata chhut ja rahi hai. Aur harek bar piche ke do ek update punah padhane par jate hain. Asha hai ham pathako ki pareshani aap samjhenge.

SADHUVAAD..,..
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#17



पर तभी किसी ने मेरे सीने पर हाथ रखा और बर्फ सी ठंडक मैंने महसूस की . मैंने देखा ये वही सारंगी वाली औरत थी . जो मुझ पर झुकी हुई थी .

“बस थोड़ी देर और ” उसने जलते पेड़ की तरफ देखते हुए कहा .

धीरे धीरे सब शांत हो गया . मेरी जलन कम हो गयी उसने मुझे उठाया और माँ की तरफ देखते हुए बोली- “ठीक है ये , आगे भी ठीक ही रहेगा फ़िक्र न कर ”

माँ- वो मन्नत का पेड़

“तू मत सोच उसके बारे में ” उसने कहा और वापिस जाने को मुड गयी.

माँ ने मुझे अपने आगोश में लिया उअर पुचकारते हुए बोली- तू ठीक है न

मैं- हाँ माँ ठीक हूँ . पर ये हुआ क्या था .

माँ- जब तू हुआ था तो बीमार था , सब कहते थे की बड़ी मुश्किल से बच पायेगा पर ये जो शीला थी न इसने तुझे बचा लिया था . इसने ही ये पेड़ लगाया था . कहती थी जितना ये फलेगा तू उतना ही ठीक रहेगा.



“मैं ठीक हूँ माँ, और आपकी दुआ है न मेरे साथ फिर भला मुझे क्या होगा. ” मैंने कहा

घर आने के बाद भी चैन नहीं था . मेरा कमरा तहस नहस हो गया था .वो अलग समस्या थी . और मन में कुछ सवाल थे जिनका जवाब वो शीला ही दे सकती थी .बैठे बैठे मैं विचार कर ही रहा था की सामने से चाची आ गयी .और जो मैंने उन्हें देखा बस देखते ही रह गया .

पीली साडी में कतई सरसों का फूल हुई पड़ी थी .



चाची का मदमाता हुस्न . भरपूर नजरो से मैंने चाची को निहारा. उभरा हुआ सीना , थोडा सा फुला हुआ पेट. नाभि से तीन इंच निचे बाँधी साडी, जो जरा सा और निचे होती तो झांटे भी दिख जाती . और मुझे पूरा यकींन था की नीचे कच्छी तो बिल्कुल नहीं पहनी होगी उन्होंने.

“क्या देख रहा है इतने गौर से ” मेरे पास आते हुए कहा चाची ने .

मैं- उस चाँद को देख रहा हूँ जिसे पाने की हसरत हुई है मुझे.

चाची ने हलके से थपकी मारी मेरे सर पर और बोली- जिन्हें पाने की हसरत होती है वो पा लेते है ,बी बाते नहीं बनाते “

चाची की तरफ से ये खुला निमन्त्रण था . मैंने चाची की कमर में हाथ डाला और चाची को अपनी बाँहों में भर लिया. इस हरकत पर वो हैरान रह गयी . खुले आँगन में मैं चाची को अपनी बाँहों में लिए खड़ा था .

चाची को एक पल समझ ही नहीं आया की उनके साथ क्या हुआ है .

“छोड़, निगोड़े, किसी ने देख लिया तो मैं कही की नहीं रहूंगी ” चाची ने कसमसाते हुए कहा .

मैं- देखने दो.

मैंने चाची के नितम्बो पर हाथ फेरते हुए कहा .

वो कुछ कहती इस से पहले किसी के आने की आहट हुई तो हम अलग हो गए, चाची ने चैन की साँस ली .

भाभी खाने के लिए बुलाने आई थी पर मुझे भूख अब किसी और चीज़ की थी . खाने की टेबल पर चाची मेरे सामने बैठी थी . बार बार हम दोनों की नजरे आपस में टकरा रही थी . चाची की आँखों में मैंने नशा चढ़ते महसूस किया . और मैं आज की रात उन्हें चोदने को बेकरार था . न जाने मुझे क्या सुझा मैंने अपना पाँव टेबल के निचे से ऊँचा किया और चाची की साडी में से ऊपर करते हुए चाची की चूत पर रख दिया.

“उन्ह उन्ह ” चाची अचानक से चिहुंक पड़ी .

“क्या हुआ चाची ” भाभी ने पूछा

चाची- मिर्च तेज है सब्जी में , तो धसक चली गयी .

भाभी ने पानी का गिलास दिया चाची को . चाची की चूत बहुत ज्यादा गर्म थी . और उन्होंने कच्छी भी नहीं पहनी थी . गहरे बालो को मैं अपने अंगूठे से महसूस करते हुए चाची की चूत को सहला रहा था . चाची के लिए खाना खाना मुश्किल हो गया . आँखे ततेरते हुए वो मुझे मना कर रही थी पर मुझे बड़ा मजा आ रहा था .

तभी बाहर से जीप की आवाज आई , जो बता रहित ही की पिताजी घर आ गए है तो मैंने पैर वहां से हटा लिया . और शांति से खाना खाने लगा. चाची ने भी चैन की सांस ली. खाने के बाद मैं बाहर आकर कुल्ला कर रहा था की पिताजी ने मुझे आवाज देकर अपने पास बुलाया



“ कल सुबह तुम दिल्ली जा रहे हो , इंद्र तुम्हे छोड़ आएगा ” पिताजी ने कहा

मैं- पर किसलिए

पिताजी- अब तुम वही रहोगे. पढना चाहो तो वही कालेज में दाखिला हो जायेगा और काम करना चाहो तो हमारे ठेके या होटल का बिजनेस देख लो, इंद्र का भी कुछ बोझ हल्का होगा .

मैं- मैं भाई के साथ रहूँगा ये हो नहीं सकता दूसरी बात मैं कहीं नहीं जाने वाला मेरी दुनिया अगर कही हैं तो यही इसी गाँव में

पिताजी- क्या है इस गाँव में , कुछ भी तो नहीं , अपने आस पास देखो, यहाँ के लोगो के पास क्या काम है दिहाड़ी मजदूरी के अलावा मैं तुम्हे एक बेहतर जीवन देने की कोशिश कर रहा हूँ और तुम हो की समझते नहीं हो .

मैं- बेहतर जीवन देना चाहते तो यहाँ के कालेज में दाखिला नहीं रुकवाते मेरा

पिताजी ने घूर का देखा मुझे और हाथ से इशारा किया की मैं दफा हो जाऊ.

बाहर आया तो सब लोग बैठे थे

“जब तक तुम्हारा कमरा ठीक नहीं हो जाता चाची के साथ वाले कमरे में रह लो तुम ” माँ ने कहा

मैंने हाँ में गर्दन हिला दी . मेरे लिए तो ये ठीक ही था . हम बाते ही कर रहे थे की तभी भाई भी आ गया . अब मेरा यहाँ रहना ठीक नहीं था तो मैं उठा और घर से बाहर निकल गया .

“कहाँ जा रहे हो ” चाची ने मुझे रोका

मैं- फिर मिलते है

मैंने साईकिल आगे बढाई और खेतो की तरफ चल पड़ा कुवे पर पहुंचा तो देखा की ढेर सारा खून बिखरा पड़ा है . खेली के पास बना छोटा सा चबूतरा सना पड़ा था . मेरे माथे पर बल पड़ गए की बेंचो ये क्या है अब . ...............
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Bhai apki lekhani achhi hai isi liye iska intejar karta hun. Lekin aap jis tarah se update de rahai hai lagta hai pathan chorna parega kyoki kahani ki tartamyata chhut ja rahi hai. Aur harek bar piche ke do ek update punah padhane par jate hain. Asha hai ham pathako ki pareshani aap samjhenge.

SADHUVAAD..,..
I understand this feeling but these days life is uncertain many things happening in same time, but can assures u updates resume with flow soon
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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to iska matlab ye hai ki sharengi bajani wali us aurat ki wajah jaan bachi uski... bachpan mein.... par ye sharengi bajane wali sheela hai koun.. koi rishtadaari mein se koi ek hai ya phir uski maa ki koi saheli...
ek sawal ye bhi hai ki ... sheela to bol rahi thi ki ped se naata hai uska.... ab wo ped na raha to wo thik thak kaise hai?

gharwale khaskar uske pita ab bhi ushi baat pe ade hai ki uska chhota beta shahar mein rahkar padhayi continue kare.... gaon se chala jaye....
waise Kamal hai do do kand huye par uske pita ko in mamlo ko lekar koi fark hi pada... chaubare mein aag lag gayi... mannat ka ped ko kisine kaat ke gira diya... insab mein koi chhan bin karne ke bajaye apne bete ko shahar bhagane pe tula hai... ajeeb hai... ya phir koi gahri raaz ki baat chupi ho.

Aur akhiri ye ek aur naya kand.. khet wale chabutara khoon se sana hua.... ab ye khoon kiska hai... kisi kirdaar ka ya kisi janwar ka ya phir mahaz uska ye Bhram hai?

Khair let's see what happens next

Brilliant update with awesome writing skills franky :applause: :applause:
 

aalu

Well-Known Member
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Sala baap toh mano apne rudhiwaadi socho se grast hain.... lekin wo ek jimmedar insan hain.. jo apne ghar aur gaon kee dekhbhal karta hain... Yeh sala aawara kee tarah idhar se udhar ghumte rahta hain.. chaundar ab chachi chodne ke chakkar mein hai... ab chhinar chachi ko chacha khus na rakh pata hain,, sale ko gandu giri ka shauk jo lag gaya hain... Yeh ab apne bhatije se thukwane ke liye tayaar ho gayee hain...

Yehan rah ke toh sala aawaragardee hi karega... baap theek hee hain,,, kam se kam kuchh toh karega.. Bhai aur baap ko kosta hain,,, khud kaun sa dudh ka dhula hain... E phir se jadu tona wala mamla shuru ho gaya... e jadugarni shanti ban ke ashanti failane aayee hain... Isko kauno memory problem hain kaa pichhla lagta hain shabkuchh bhul gaya hain... Sala mental ke jaise photo dekh ke yaad karte rahta hain...

Ab chabutra pe holi kaun khel ke chala gaya...
 
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