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Romance फख्त इक ख्वाहिश

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Sorry friends.... Aaj agla update Dena tha lekin kuch reasons ki wajah se poora nhi likh paaya. isliye maaf kar dena. poori kosis hai is week aapko atleast 2 updates Dene ki, aur agar sab theek rha to even 3 bhi cuz next week m busy rahunga to uska compensation update is week main mil jayega.

waise bhi story complete hone tak each week ek update to har haalat main milega aapko.
 

SKYESH

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Sorry friends.... Aaj agla update Dena tha lekin kuch reasons ki wajah se poora nhi likh paaya. isliye maaf kar dena. poori kosis hai is week aapko atleast 2 updates Dene ki, aur agar sab theek rha to even 3 bhi cuz next week m busy rahunga to uska compensation update is week main mil jayega.

waise bhi story complete hone tak each week ek update to har haalat main milega aapko.
aaj de do
 
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SKYESH

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sara intezaar yahi karoge .. humein pata hai ki devnagri dekh kar aapke soye hue armaan jaag jaate hai .. par ek he page par teen message .. :huh:
Hindi font ka to main bhi divana hu .............................kuchh alag hi feeling hoti hai ..............jab padhte hai ...............:love:
 
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बाहर आ कर वैसे तो सब ठीक था मगर अंकल मेरे से बात करने से बच रहे थे. सिर्फ इक्का-दुक्का अल्फाजों में पाबंद उनकी सर्द आवाज उनके अंदर चल रहे तूफानों को जाहिर कर रही थी. ऐसा लगने लगा था जैसे उन्होंने अपनी महदूद जिंदगी से हमेशा के लिए मुझे अलग कर दिया हो और मेरे लिए यह अहसास किसी जीते-जागते जहन्नुम से कम नहीं था. खैर जो भी हो, करण की माॅम की जि़ल्लत भरी निगाह से ऐसी जिंदगी कहीं बेहतर थी.



अब आगे .................



अगले दिन सर्किट हाउस में मेरे साथ गणेश और बन्नू मियां थे. पिछले आठ साल में यह पहली बार था जब माॅम-डैड से अलग होने पर मेरी आंख नम हुई, पर मुझे भी डैड और अंकल की तरह एक अदद दोस्ती की दरकार थी. लिहाजा मुझे इंतजार था अंकल और मेरे बीच उठी इस गर्द के बैठने का, क्यूंकि उन्होंने ही मुझे सिखाया‌ था वक्त हर जख्म का मरहम होता है.



अगले कुछ दिनों में, मैं भी व्यस्त हो गया. एकैडमी में कुछ लाइक-माइंडिड सहकर्मी और सूबे की मुख्तलिफ जगहों‌ से आने वाले मुख्तलिफ उम्र के ट्रेनीज के साथ एक भरोसेमंद नेटवर्क बन गया था. सारे एक्सपर्ट्स यहां एक छत के नीचे मौजूद थे और उनमें से कुछ का तजुर्बा तो मेरी उम्र से भी ज्यादा था. कमी बस एक ही थी, सबके-सब शिकार बने थे अंदरूनी तानाशाही के, और जयपुर पुलिस अकादमी बनी थी उनके लिए कैद-खाना.



एक शाम गणेश के जानकर रियल-इस्टेट एजेंट के साथ मैं कुछ प्रापर्टीज देख रहा था और इसी दौरान पहले की तरह मिले एक SMS ने मुझे मालवीय नगर की एक रोड़-साइड़ दुकान पर पहुंचा दिया.



" Dont be that slapdash, Samar. It might get u killed "



इस बार मैसिज भेजने वाले का पता चल गया मगर उनको अंग्रेजी लिखना तो दूर ठीक से हिंदी बोलनी भी नहीं आती थी. एक बुजुर्ग महिला थी वो, अपने हसबैंड के साथ सड़क के किनारे अलग-अलग जगह मिट्टी के बर्तन और खिलौने बेचने की दुकान चलाती. हिसाब-किताब करने में कमजोर थी और उनकी इसी कमी का फायदा उठाकर किसी ग्राहक ने उनके पति से भाव/हिसाब करने के बहाने उनके फोन से मुझे ये SMS कर दिया.



-----





अलार्म की आवाज से मेरी नींद खुली तो आंखें मलते हुए मेरी नज़र खिड़की से बाहर ट्रेन के साथ दौड़ लगाते नजारे पर गई. स्ट्रीट-लाइट्स की रोशनी से जगमग उदयपुर शहर की गलियां तो दिख रही थीं मगर स्टेशन आने में तकरीबन 15-20 मिनिट्स की देर थी. नींद‌ के झटकों के बीच अपना सामान समेट कर मैं प्लेटफार्म आने का इंतजार करने लगा और ट्रेन के रुकने ठीक 10 मिनिट्स बाद मैं रोज़दा के घर के दरवाजे पर था.



" आई लव यू " और एक टाइट हग के साथ रोज़दा ने मेरा इस्तकबाल किया. नाइट-गाउन में कैद उसके नर्म मांसल जिस्म से आती गुलाब की खुशबू से मेरी सांसें महकने लगी थी तो दूसरी तरफ मैडम मेरी बाॅडी से आने वाली महक से परेशान होकर मुझे शाॅवर लेने के लिए इंसिस्ट कर रही थी.



खैर, मेरे नहा कर निकलने के बाद सवेरा हो चुका था और लिविंग रूम में रोज़दा के साथ उसके डैड मेरा इंतजार कर रहे थे.



" महज इत्तेफाक तो नहीं हो सकते ये SMS. झा ने बताया तुम इस पर इंवेस्टीगेशन नहीं कराना चाहते??"



हाल-चाल पूछने के बाद मिस्टर आॕज ने डाइरेक्ट वहां हिट किया जहां मैं सबसे ज्यादा कमजोर था. दिन की शुरुआत इस तरह होगी इसका अंदाजा नहीं था मुझे. मगर अब एक बात तो क्लीयर हो गई थी, मेरा सुपर सीनियर झा, जयपुर में भी मेरा पीछा नहीं छोड़ रहा था. उनके सवाल का जवाब में झा के तरीके से देना चाहता था मगर रोज़दा की एस्प्रेसो की महक और कुकीज़ की मिठास से मेरा रुख बदल दिया.



" अंकल, आपने महसूस नहीं किया रोज़दा से ज्यादा इश्क तो आपके DIG साहब करते हैं मुझसे "



मेरे इस जवाब से रोज़दा का चेहरा दमक कर सुर्ख हो गया उसे उम्मीद नहीं थी उसके डैड के सामने मैं इतनी हिमाकत दिखा पाऊंगा, तो दूसरी तरफ मिस्टर आॕज़ की मुस्कुराहट बयां कर रही थी, कि मुझे मारने के लिए उठने वाला उनका वो हाथ आज मेरी गिरफ्त में था. मैंने उन्हें जाहिर कर दिया कि मैं अपनी परेशानियों से दूर रोज़दा के साथ थोडा़ वक्त गुजारने आया हूॅं.



" वैल, तब तो मुझे कल ही निकल जाना चाहिये था. क्या बोलती हो 'एन' "



इतना बोलकर मिस्टर आॕज़ ने रोज़दा की तरफ देखने लगे और जब इसका मतलब मुझे समझ आया तब तक देर हो चुकी थी. दरअसल, एक दिन पहले उनका दो दिन के लिए मुंम्बई जाने का प्लान था जो उन्होंने मेरे आने‌ की खबर से अगले सप्ताह के लिए टाल दिया. बदकिस्मती से वो मुंबई निकल चुके थे मगर इसके साथ उनके कुछ और फैसलों ने कायल बना दिया था मुझे उनका और उनकी मेज़बानी का.



खैर, जो होना था वो हो चुका था. इसलिए अनजाने में हुई गलती के लिए 'Sorry' लिख कर मिस्टर आॕंज़ के नंबर पर भेज दिया और रोज़दा को उसके फेवरेट टापिक, जो आज कल मेरे और राजोरिया अंकल के बीच चल रहा था, उसके बारे में अपडेट करने लगा. उसकी राय थी अपने परिवार के साथ मुझे गुरुग्राम में छुट्टियां बितानी चाहिये थी मगर मैं वो गलती फिर से दुहराना नहीं चाहता था.



मुझे यह टापिक बदलना था और इसी बीच मुझे याद आया मुंबई निकलने से पहले मिस्टर आॕज़ "एन" कह कर रोज़दा से मुखातिब हुए थे और जब मैंने इसके बारे में पूछा," कभी बताया नहीं 'एन' तुम्हारा निकनेम है? "



" तुम पब्लिक लाइफ जी रहे समर..... वैसे भी, हम पर्सनल होते ही कितना हैं "



इक लम्बी खामोशी के बाद गहरी सांस लेकर जब यह कहा तब मुझे अहसास हुआ कि उसने मुझसे यह तीन साल क्यूं मांगे. बहुत वाजे़ था एक अनजान लड़की के लिए इन तीन चार महीनों का वक्फे में मुझे अच्छी तरह से जानना काफी नहीं था. बाहरी दुनियां में वो कितना प्रक्टिकल थी इसका अंदाजा मुझे पहले दिन से था, पर हैरान था खुद पर क्यूंकि इश्क में आज भी मैं‌ उसी जगह खडा़ था जहां मैं आठ साल पहले था.



ड्रिंक्स लेने का दिल था मेरा मगर फिर मैंने अपने दिल की जगह दिमाग को सुना. ऐसा नहीं था कि मैं प्यार या उसका इज़हार करने में कमजोर था, बस शिवानी और अपराजिता के बाद से भरोसा नहीं रहा था मुझे अपने नसीब पर, ऐसा लगता था जैसे मुझे सिर्फ इस्तेमाल या फिर ठुकराऐ जाने के लिए बनाया गया हो.



" कुछ डिस्कस करना था. एक प्रापर्टी देखी है मैंने अजमेर बाईपा..... " इससे पहले मैं अपनी बात खत्म करके पाता, रोजदा ने अपना फैसला सुना दिया " मुझे उदयपुर पसंद है समर, इसलिए मेरी ख्वाहिश जयपुर, अजमेर या पिट्सबर्ग कभी नहीं होगी... साॅरी "



उसके फैसले से मुझे इतनी हैरानी नहीं हुई मगर पिट्सबर्ग के नाम ने मेरे पुराने जख्म को जरूर कुरेद दिया. मुश्किल हो गया था मेरे लिए अब व्हिस्की की तलब को रोक पाना इसलिए अगले कुछ मिनिट्स बाद मेरे हाथ में व्हिस्की का ग्लास था तो दूसरी तरफ इस लिविंग एरिया को किचिन से जोड़ने वाले एक प्लेटफार्म पर शेफ-एप्राॅन पहने मैडम एन सब्जियों के बारीक-बारीक हिस्से कर रही थी.



एक और ग्लास में व्हिस्की और आईस-क्यूब्स डाल कर मैं रोज़दा के पास गया, उसका फोकस अभी भी चाॅपिंग बोर्ड पर था. हाथ से चाॅपर अलग कर उसका चेहरा मैंने अपनी तरफ किया और आंखों में आंखें डालकर पूछा, मेरी किस बात से खफा थी वो.



" एक ब्वाएफ्रेंड चाहिये था मुझे, जो तुम पहले दिन से नहीं हो. यू बिहेव जस्ट लाइक अ डोमिनेटिव हसबैंड. डू दिस, डू दैट. डिड यू एवर कन्सर्न व्हाट आई रियली विश?.... नैवर.. फ्राम लास्ट वन एंड हाफ मंथ.... लीव इट... तुम कभी नहीं समझोगे "



" ओके.. आपकी इजाजत हो तो किचिन स्टफ से पहले हम इस पर बात कर लें? ब्वायफ्रैंड वाला पार्ट क्लीयर है, ये भी सच है पिछले एक महीने से तुम्हारे लिए उतना वक्त नहीं दे पा रहा मगर मैं डोमीनेटिंग हूॅं और कन्सर्न्ड नहीं यह बोलना जायज़ नहीं है "



" झूठ, यहां से जाने के बाद कभी तुमने जानने‌ की कोशिश की मैं कैसी हूॅं? कभी फोन किया? डैड को जताया कि तुम मुझसे प्यार करते हो?? लोग प्यार में सात समंदर पार तक पहुंच जाते हैं समर और तुमने एक काॅल करना भी गवारा नहीं समझा "



रोज़दा के जवाब में " सात समंदर पार और नो गोइंग बैक" पर मेरी सूई अटक गई. दोनों बातों को नजर अंदाज करने की मैं पूरी कोशिश‌ कर रहा था मगर हर बार ये बाउंस बैक होकर मुझे चिढा़ने लगते. रोज़दा वापस अपने काम में लग गई, शायद उसे लगता था, या तो मेरे पास कोई जवाब नहीं है, या फिर मैं हमेशा की तरह टाल जाउंगा.



मैं देख रहा था, उसे बहुत मेहनत और लगन के साथ वेज़ खाना बनाते हुए जबकि उसकी पहली पसंद नाॅनवेज़ था. क्यूं कर रही थी वो, क्या जरुरत थी उसे, और था क्या मेरे पास सिवाए एक सरकारी नौकरी के, मेरी जिंदगी भर की बचत से कहीं ज्यादा महंगी तो उसकी सिर्फ एक कार थी. इन सवालों से यह जाहिर होता था कि कितना प्यार करती थी वो मुझे, और एक मैं था जो उसे अपने से अलग रखने की कोशिश कर रहा था.



" ट्वाइलाइट सीरीज देखी है तुमने, मेरी हालत उसके राबर्ट पैटिंसन जैसी‌ है. फर्क सिर्फ इतना है वो ताकतवर वैम्पायर था और मैं एक कमजोर डरपोक इंसान. सामने होती हो तो बहुत मुश्किल हो जाता है खुद पर काबू रख पाना. इसलिए डरता हूॅं कुछ ऐसा ना कर बैठूं जिसका तजुर्बा पहले जैसा, या उससे भी बुरा हो. वैसे भी, तुम्हारे डैड से तो एक वायदा भी किया हुआ है मैंने,‌ तो यह खौफ और भी मीनिंगफुल हो जाता है मेरे लिए. इसलिए डिसाइड तुम्हें करना है रोज़दा, खौफज़दा समर चाहिये या..... "



बोलते-बोलते मैंने खुद को रोक लिया. सुन्न‌ पड़ने लगा था मेरा दिमाग यह ख्याल आने पर कि, क्या होगा मेरा अगर उसने किसी फिल्मी दबंग को चुन लिया तो?? हर बार की तरह क्या इस बार भी किस्मत मेरा साथ दगा करेगी?? या फिर, मैं बना ही नहीं था प्यार करने या पाने के लिए.
 
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Hindi font ka to main bhi divana hu .............................kuchh alag hi feeling hoti hai ..............jab padhte hai ...............:love:

Yeah but it is pain in ass to write in hindi on keyboard. par jaise ki aapne bola deewaana to main bhi hoon Hindi ka.
 

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
Prime
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Yeah but it is pain in ass to write in hindi on keyboard. par jaise ki aapne bola deewaana to main bhi hoon Hindi ka.
Then write in hinglish, you're writing good.
 
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SKYESH

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Yeah but it is pain in ass to write in hindi on keyboard. par jaise ki aapne bola deewaana to main bhi hoon Hindi ka.
kuchh pane ke line .........................kuchh khona padta hai .......................dear bro........................
 
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