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Romance फख्त इक ख्वाहिश

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Chaliye der aye durust aye bade bhai. Kam se kam jab kabhi time mile. Aisa hi update de dijiye ga. Baki update har baar ki tarah behtareen tha. kuch kuch nayi baat pata chali "miss oz" ke culture ke bare me aur kuch kashmir ke baare me baas isi tarah sath dete rahiye ham to yahi khade milenge.aap ka prashanshak


tThanks bhaai... haan... kosis to main kar rha hoon.... achcha laga ki aapko update pasand aaya... n meri bhi poori kosis hai by the end of this year ye kahaani ki aakhiri kisht aapko mil jaaye... kuch kamiyaan ho to be-jhijhak share kare... mujhe bahut khushi hogi.

thread par bane rehne ke liye fir se sukriya. jald milte hain next update ke saath.
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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thanks bro aur maaf karna bhai time nhi mil paata itna. oz brothers ki story same hi hai par lagta hai aapne story contest main isko padha nhi hai. Kahani ka end to laazmi hai par mrs Nimbalkar ke saath.

Well kwhahishon par mera take different hai n jihaad kalam se hota hai talwaaro'n se nahi n ishq ke liye jehaad to maine kabhi nhi suna... kuch aisa hai to plz reference dena... ek baar aur aapka shukriya, dhanywaad n be blessed.
Meine ishq nahi khwahishein kaha hai.

Har jehad khwahishon ke. Liye hi huya
 
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दरअसल हम कश्मीरियों को लेकर, चाहे वो हिंदू पंडित हो या मुस्लिम, ज्यादातर लोगों की सोच बहुत ग़लत थी. हमसे सिम्पथी तो सब रखते थे मगर इज्ज़त कोई नहीं करता. सबको लगता हम और हमारा सूबा उनके टैक्स पर पलते हैं मगर हिम्मत नहीं होती थी उन चंद लोगों को रोकने की जिन्होंने अपने राजनैतिक फायदे के लिए धरती के इस स्वर्ग को सालों तक नफरत की आग में झोंके रखा. खैर ये सिलसिला अब टूटने वाला था क्यूंकि 2 Nation Theory के नुकसान अब दोनों मजहब के लोगों के सामने आने लगे थे, बस इंतजार था दोनों तरफ के मजहबी कट्टरपंथ के अंत होने का.


________



खाना खाने तक हमारे बीच ज्याती मसलों पर कोई बात नहीं हुई. उसे मिक्स्ड आटे से बनी एक अलग तरह की रोटी खानी थी जिसे बेझड की रोटी बोला जाता था. वो यह जानकर हैरान थी कि मैं लगभग चार साल से यहां था और मुझे अपने यहां के ट्रेडिशनल खाने के बारे कोई जानकारी नहीं थी, और मैं इस बात से परेशान था कि कई मामलों में उसकी समझ मेरे से कहीं ज्यादा थी.


काॅकटेल थी वो अपनी पहचान की तरह, जैसे कुर्दिश इंडियन रेसिपी में टर्किश तड़का. हिंदुस्तानी चेहरा, कुर्दिश कद-काठी यूरोपियन-टर्किश लाइफस्टाइल और जिंदा दिल अंदाज़. खुशबू की तरह घुलती जा रही थी वो दिलो-दिमाग के अंदर.


" माफ़ करना रोज़दा. तुम हर लिहाज में अपराजिता से बेहतर हो. फर्क बस इतना रहा है कि आज से पहले तुम्हें उस नज़र से देखने‌ की मैंने कभी कोशिश नहीं की "


" Oh... ComeOn... अब इतना भी मत उडो़. न जाने कितनी बारी पकडा़ है मैंने तुम्हें. और यह तुम ही थे जिसने मेरे से नजदीकियां बढा़ने‌ की कोशिश की. यह सच है, मुझे पसंद आने लगे थे पर पहली बार हग और लिपलाॅक करने की जुर्रत मैंने नहीं की थी " उंगलियों को नचाते हुए रोजदा ने‌ पलटवार किया.


" हैलो.... मैंने हग किया.... फाइन मैं हार‌ गया " रोजदा को हग करने‌ की वजह तो मेरे पास थी मगर लिपलाक का जवाब मेरे पास नहीं था.


" बैटर.. और अब से आदत डाल लो हारने की "


" रिक्वैस्ट है या आर्ड..... "


" बस एक सुझाव.. क्यूंकि अपनों से हारने पर अपेरेंटली हम अपनों को ही जिताते हैं... करीब आते हैं इससे लोग "


" पर तुम्हारे डैड तो यह चाहते ही नहीं कि शादी से पहले मैं तुम्हारे करीब आऊं? "


मेरी इस दलील पर रोज़दा का चेहरा तो रोशन हुआ मगर जुबान पर गालियां थीं. खैर इसी नोंक-झोंक ने‌ आज‌ मुझे अलग बिस्तर दिलाया जो सुबह उठने पर हम दोनों का साझा‌ था. खुद को उससे अलग कर मैं वाॅशरूम गया जहां फोनस्क्रीन पर एक टैक्स्ट मैसेजिज ने मेरी धड़कनें बढा़ दीं.


काॅल करने‌ पर पता लगा शहर में खरीदारी के‌ दौरान अपने कुछ लड़कों से मारपीट हुई थी, जिसमें एक बंदे‌ की हालत सीरियस थी. हाॅस्पिटल आने पर पता लगा कि बडे़ व्यापारी नेता की इन्वाल्वमेंट होने‌ की वजह से मामले‌ को दबाया जा रहा था और इस बाबत जब मैंने अपने सीनियर से बात की तो वो इस मामले‌ पर बात करना टाल कर मुझे बधाइयां देने लगे.


दोपहर बिताना मुश्किल हो गया था आफिस में क्यूंकि सबको लग रहा था वापस उदयपुर ट्रांसफर होने की खुशी में, मैं अपनी ड्यूटी भूल गया. दफ्तर के लोग छुट्टियां मना रहे थे और लड़कों के चेहरों पर नफरत फैली थी हम सबके लिए. रात को रोज़दा से मैंने‌ पूछा उसके लिए मेरा उदयपुर आना ज्यादा मायने रखता था या उन लड़कों का साथ देना जो मेरे इक इशारे पर उदयपुर तक पहुंचे थे?


और चार दिन बाद उसी हास्पिटल में एडमिट शहर के 6 लड़के पुलिस को बयान देने‌ की हालत में नहीं थे. अगले दिन रोज़दा के नंबर से मेरे व्हाट्सएप पर कई अखबारों की सुर्खियों में छपी एक खबर के अलग-अलग स्क्रीनशाॅट्स थे और उन सबका मजमून लगभग एक जैसा ही था.


" टोल-कर्मियों से लूटपाट करते बदमाशों को राहगीरों ने रंगे हाथ पकड़ा. पावर सप्लाई और CCTV कनैक्शन काट कर देना चाहते थे घटना को अंजाम. फायरिंग की आड़ में भागने पर लोगों ने घेर कर की जमकर कुटाई. बदमाशों में से एक का संबंध #₹#@₹# व्यापार संगठन अध्यक्ष और जनहितैषी पार्टी से. पूरी घटना कैमरे में कैद "


दफ्तर में गणेश‌ के चेहरे पर पुलिसिया रौब की रौनक फिर से वापस आ गई थी. आती भी क्यूं नहीं, रात के इवेंट का मुख्य कलाकार, निर्माता, निर्देशक, लेखक और शायद कैमरामैन भी वही था. शाम को मुझे गुरूग्राम जाना था तो स्टेशन छोड़ते वक्त उसने मुझे एक बैग पकडा़या. मुझे लगा उसे यह अपने किसी रिलेटिव के पास भेजना होगा तो मैंने पूछा लिया.


" कहां पहुंचाना है इसको?? "


" कुछ मिठाई और एक साफा(पगडी़) है सर, उन बच्चों का आत्मसम्मान बचाने के लिए. वो क्या है साहब, यहां के लोग अहसान का बदला अहसान से चुकाने की समझ नहीं रखते "


गणेश के जवाब का मतलब समझ आने में, ट्रेन में मेरा आधा रास्ता तय हो चुका था और बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कोई इस तरह मुझे आईना दिखा सकता‌ है. खैर, इससे मुझे एक सबक तो मिला, साथ में वो मंत्र भी मिला जिसके दम पर अब मैं हर जगह इन लोगों का भरोसा जीत सकता था.


गुरुग्राम रेलवे स्टेशन पर अंकल और डैड पिछले एक घंटे से मेरा इंतजार कर रहे थे. दोनों का मानना था कि उन के बेटे के आने की वजह से ट्रेन दिसंबर के कुहरे में अपने अराइवल टाइम से पहले भी तो आ सकती थी, और वैसे भी अब रिटायर होने के बाद अपनी पेंशन से घर का राशन लाने के अलावा दूजा काम ही क्या था.


आधे घंटे ट्रैफिक में रहने के बाद वो लोग मुझे एक 6 BHK Duplex में ले गये जो अब तक की हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा, सुंदर और लग्जरी आशियाना था. एक ऐसा घर जिसके मैंने, नहीं हमने मिलकर सपने बुने थे. बैक यार्ड गार्डन के अलावा उस घर का डिजाइन ठीक वैसा था जैसा हमने कभी सोचा.


" ये घर शिवानी की फ्रैंड का तो बिल्कुल नहीं है डैड "


इतना बता कर माॅम से मैंने अपना कमरा पूछा और फिर पता नहीं कितनी देर तक शावर लेता रहा. गीजर में पानी खत्म होने पर लगी ठंड ने खयालों से निकाल कर असल जिंदगी में धकेला तो माॅं की आवाज सुनाई दी. डाइनिंग टेबल पर सब लोग इंतजार कर रहे थे मेरा इसलिए मुझे‌ नींद से जगाने के लिए उन्होने‌ पानी बंद किया था.


खाना खाते हुऐ भी मैं काफी बेचैन था मगर सबको जाहिर यही कर रहा था कि सब ठीक है. परेशानी एक नहीं कई थी. पहली, शिवानी के साथ इन लोगों यहां भेजने का आईडिया खुद मेरा था. दूसरे, इस वक्त अगर मैं उन सबको यह बतलाता कि मुझे शिवानी के इस घर में घुटन महसूस हो रही है तो राजोरिया अंकल सबसे पहले इस घर के बाहर खडे़ हो जाते. तीसरे, कल रोज़दा और उसके डैड शादी की बात आगे बढा़ने‌ के लिए यहां आ रहे थे. और सबसे लास्ट, फिर से एक घर खोज कर शिफ्ट करना अपने आप में एक बडा़ काम था, जिसके लिए मुझे कम से कम एक सप्ताह तो इस घर में रुकना पड़ता. क्यूंकि फिर से ह्यूमिलिएशन झेलने की हिम्मत मेरे में थी नहीं और शिवानी के अलावा इस शहर में किसी ऐसे शख्श से मेरी पहचान भी नहीं थी जिसके भरोसे माॅम-डैड और अंकल-आंटी को छोडा़ जा सके.


" रोज़दा से पूछा तूने क्या-क्या पसंद है उसे? " आंटी ने मेरे से पूछा.


" मैं पहले से ही बोल देती हूं रेणु.. खाना नहीं बनाओगी तुम कल. जरूरी थोडे़ ही है कि उसे वेज़ पसंद हो नान-वेज़ भी तो खाते होंगे वो लोग? इसलिए बाहर से मंगाना ज्यादा अच्छा रहेगा‌ "


" बबीता ठीक कह रही है भाभी जी. आएगी तो वो इस घर में ही, शादी के बाद खिलाती रहना आप उसे अपने मन का. बोलो ना मधुकर " माॅं की बात का सपोर्ट करते‌ हुए डैड ने बोला तो बहस आगे बढ़ गई.


अंजाम का पता सबको था मगर उसके बाद भी बहस करने का मतलब था ठंड के मौसम में माहौल को गर्म रखने के साथ एक मनोरंजक मनोरंजन और इसका सबसे ज्यादा फायदा उस वक्त मैं उठा रहा था. डिनर खत्म होने से पहले माॅम की राय बदल गई थी, रेणु आंटी के जीतने पर अंकल मुस्कुरा रहे थे तो डैड की हालत बेचारों जैसी थी, सोच रहे होंगे कि इस लफडे़ में वो पडे़ ही क्यूं.


" तो ठीक है समर. कल पालम रिसीव करने के लिए राजीव के साथ तुम चले जाना और यहां की तैयारियां हम लोग कर लेंगे "


" ओके पर इतना तो बता दो अराइवल टाइम से कितने घंटे पहले जाना होगा? " अंकल से यह हिदायत मिलने के बाद मुझे इस बहस में शामिल होना ही पडा़.


" और माॅम.... वो लोग यहां खाना खाने नहीं आ रहे तो प्लीज ओवर-रिएक्ट करना बंद करो. उसे आलू प्याज और बेझड़ की रोटी पसंद है, रेणु आंटी. बना सकती हैं आप? "


" यू-ट्यूब पर देख.... "


" कुछ नहीं करेगा कोई " आंटी के गूगल तक पहुंचने पर मैं और भड़क गया.


" ठीक है तो मेरे लिए वेज-मंचूरियन बना देना कल. बहुत दिन हो गये हैं तेरे हाथ का खाऐ हुए "


बडे़ सीरियस और शांत अंदाज़ में डैड ने डिमांड‌‌ किया तो अगले पल मेरा गुस्सा गायब हो गया और सबके साथ मैं भी मुस्कुराने लगा. डैड का अपना अलग स्वैग था, उन्हें बस मौका मिलने‌ की देर होती थी, बाकी चौके की आढ़ में बाॅल को छक्के से बाउंड्री पार कराना था उनका पसंदीदा शगल.


..........


खाना खाने के बाद हम सब बोनफायर की तपिश में बातें कर रहे थे और तभी मुझे‌ रोज़दा का एक‌ मैसेज मिला. वो इस वक्त दिल्ली में थी और चाहती थी दो घंटे बद मैं उसे कनाटप्लेस के एक क्लब में मिलूं. मैं दिमागी तौर पर क्लब जाने‌ के लिए तो बिल्कुल भी तैयार नहीं था मगर घरवालों‌ के समझाने पर मैं इस शर्त पर तैयार हुआ कि शिवानी या उसका हसबैंड, दोनों में से एक मेरे साथ जाएंगे.


इसकी दो वजह थी. पहली, मैं अकेले नहीं जाना चाहता था और दूसरी, जबसे माॅम ने मुझे शिवानी और अंकल की डील के बारे में बताया था तबसे इस मामले पर मैं उनसे या शिवानी(फोन पर) से बात करना चाह रहा था पर वो दोनों हर बार किसी न किसी बहाने मेरी कोशिश को नाकाम कर देते. कुछ तो था जो यह दोनों मुझसे छुपा रहे थे या बताने से बच रहे थे, और वो सब जानने‌ के जरूरी था शिवानी से मेरा मिलना.


" हाए... थैंक्स फाॅर कमिंग. वैल.. अंकल और तुम्हारे बीच क्या खिचडी़ पक रही है शिवानी? "


" माफ़ करना समर पर तुम्हारी तरह मेरा भी एक नाम है. आज से पहले मैंने‌ कभी कम्प्लेन नहीं किया क्यूंकि तब मैं शिवानी के साथ तुम लोगों‌ के सामने होता था पर आज तुमने मेरा साथ मांगा है तो मैं चाहता हूं, कम से कम साथ रहने तक तो हम एक दूसरे की इज्जत करें, या जानते हुए भी अनजान तो न बनें "


गाडी़ में बैठते ही शिवानी के हसबैंड का अभिवादन करने के बाद मैं शिवानी से मुखातिब हुआ ही था कि उसके हसबैंड की शिकायत ने मुझे शर्मिंदा कर दिया. इक बार तो लगा कि यह भी कोई बहाना होगा मेरे सवाल को टालने के लिए, मगर उसके हाव-भाव और सर्द आवाज़ से जाहिर था कि वो खफा है.


हालांकि अब से पहले जितनी बार भी हम मिले उसकी कोशिश रहती थी मेरे से बात करने की मगर यह मैं था जो हमेशा उसका सामना करने से बचता. वैसे भी, हम दोनों के बीच बस एक कडी़ थी शिवानी जिसको मैं अपने दिल और दिमाग से पहले ही निकाल चुका था. इसलिए जरूरत नहीं महसूस हुई मुझे कभी उसको जानने की, पर फिलहाल के हालात कुछ जुदा थे.


" Can u plz pull over for a while? I need to smoke eventually "


गाडी़ से बाहर निकल कर मैंने हिप‌-फ्लास्क से व्हिस्की का एक घूंट लिया और सिगरेट का लम्बा कश लेकर अपनी धड़कनों को रफ्तार देने की कोशिश करने लगा. नाम तक नहीं पता था मुझे इस शख्स का और वो मेरे एक फोन‌काॅल पर कड़ाके की सर्दी में अपनी नींद खराब कर मेरा साथ दे रहा था.


माॅं को मैसेज कर मैंने उन्हें इस शख्स का नाम‌ बताने के लिए बोला और उनकी काॅल का इंतजार‌ करने लगा, पर आज की रात करण सहरावत की थी. क्यूंकि, जवाब माॅं के नंबर से नहीं उस नंबर से आया जिसके मालिक का नाम मैं माॅं से पूछना चाह रहा था. खैर, उस लम्हे भर की शर्मिंदगी से मैंने उम्रभर‌ के लिए एक लाजवाब दोस्त जरूर कमाया.


क्लब में आ कर पहली बार पता लगा काॅकटेल्स और माॅकटेल्स में भी तरह-तरह की वैराइटीज होती हैं. मुझे बस शराब से मतलब होता था, कौन‌ सी शराब Aperitifs और कौन‌ सी Digestifs इसका आज ज्ञान करण ने दिया. वैसे तो पेशे से वो डाक्टर था मगर अल्कोहल को लेकर उसकी जानकारी काबिले तारीफ और लाॅजिकल थी और क्लब के बकवास रिमिक्सड म्यूजिक से अपना दिमाग खराब करने से बेहतर मुझे करण का इंस्काइक्लपीडिया लगा.


3-4 राउंड डाइजेस्टिव ड्रिंक्स लेने के बाद वहां रोज़दा‌ की इंट्री हुई. खुले बाल, यैलो कलर फुल सलीव वुलन श्रग और स्लिम-फिट ब्लैक डेनिम में कैद उसका लगभग सिक्स फिट का छरहरा शरीर वहां पर मौजूद अधिकतर लड़कियों को चुभ रहा था क्यूंकि उनके साथियों की नजर जो उस पर‌ थी.


" थैंक्स मुझे लगा तुम नहीं आओगे. चलो शैम्पेन लाउंज में चलते हैं " शिवानी और करण से गले मिल कर रोज़दा ने कहा.


" हम तो बस समर के साथ आए हैं, तुमने कौन सा हमें इन्वाइट किया था. खैर अच्छा लगा फिर से मिलकर. मैं तो बोर ही हो रही थी इन दोनों के साथ "


शिवानी के मजाक से एक बार तो रोज़दा के चेहरे की रंगत बदल गई, मगर फिर रोज़दा की दलील सुनकर अब मैं घबराने लगा. इसकी वजह थी रोज़दा के यहां निभाए जाने वाली वो एक रिवाज, जिसके तहत रोज़दा से निकाह करने से पहले मेरा उसके कजिन भाईयों से सहमति लेना जरूरी था, और वो लोग उस वक्त वहां शैम्पेन लाउंज में मौजूद थे.


परेशानी यह नहीं थी, कि अगर सहमति नहीं मिली तो क्या होगा. बस रोज़दा से शिकायत थी, इसके बारे में उसने मुझे एक घंटे पहले भी बताया होता तो‌ इस वक्त मैं दिमागी तौर पर इस मुश्किल को हैंडिल करने के लिए तैयार होता.. कोई और आप्शन था नहीं तो मैंने करण को वहां का सबसे स्ट्रांग ड्रिंक आर्डर करने के लिए बोला और उसके बाद बैक टू बैक डेविल स्प्रिंग वोड्का के दो शाॅट्स लेकर हम शैम्पेन लाउंज़ में रोज़दा के परिवार‌ के साथ त'आरुफ‌ करा रहे थे.


Ceyda छोटी कजिन बहन , Deniz और Mesut उसके भाई और Irina थी Deniz की दोस्त. डेनिज़ सबसे बडा़ था और साइदा सबसे छोटी. इरीन के अलावा ये तीनों मिस्टर ॴज के बडे़ भाई के बच्चे थे, जो सेंट्रल स्वीडन के किसी शहर में अपने पेरेंट्स के साथ रहते.


" डेनिज़ और मेसूद... रोज़दा ने एक बात छुपाई है आप दोनों से. मुझे अंदाजा नहीं है इससे शायद कोई फर्क पड़ेगा मगर मुझे रोज़दा के परिवार यानि आपके साथ फेयर जरुर रहना है. शिवानी मेरी दोस्त नहीं एक्स है, और करण सिर्फ एक घंटे पहले बना दोस्त "


मेरा यह बताना रोज़दा को अफेंशिव लगा और वो वहां से रोते हुए चली गई, मगर डाउनस्टेयर्स फ्लोर से बाहर निकलने से पहले ही मैंने उसे रोक लिया और उसे समझाते हुए वापस लाने लगा. उसे मेरे से यह शिकायत थी कि मुझे उसके बहन-भाईयों को यह नहीं बताना चाहिते था कि मेरा‌ पहले किसी के साथ कोई रिश्ता रहा. उसके मुताबिक, मेरे ऐसा करने से अब उसके भाईयों से सहमति मिलना तो दूर, परिवार में उसका मजा़क अलग से बनाया जाने वाला था.
 
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Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hind section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
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कैसे हो दोस्तों✋

व्यस्तता से थोडी़ फुरसत मिली है तो कहानी को पूरा करने से पहले आपका परामर्श चाहिये. मेरे पास महज 8-10 सप्ताह ही है और इस दरम्यान इसे अंजाम तक पहुंचाने की मेरी पूर्ण कोशिश होगी.

इसलिए, अगर आप लोगों का इस कहानी से कनैक्ट अभी भी बाकी रहा है, और आप इस कहानी को पुराने कथानक या कुछ फेरबदल के साथ शुरु कराना या नहीं करना चाहते हैं तो आपके अर्थपूर्ण विचारों का तहे-दिल से आमंत्रण है.

बाकी, आपको इंतजार कराने के लिए अनुराग-पूर्ण 'माफी' के अलावा मेरे पास और कुछ नहीं.

धन्यवाद🙏
 
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Nagaraj

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कैसे हो दोस्तों✋

व्यस्तता से थोडी़ फुरसत मिली है तो कहानी को पूरा करने से पहले आपका परामर्श चाहिये. मेरे पास महज 8-10 सप्ताह ही है और इस दरम्यान इसे अंजाम तक पहुंचाने की मेरी पूर्ण कोशिश होगी.

इसलिए, अगर आप लोगों का इस कहानी से कनैक्ट अभी भी बाकी रहा है, और आप इस कहानी को पुराने कथानक या कुछ फेरबदल के साथ शुरु कराना या नहीं करना चाहते हैं तो आपके अर्थपूर्ण विचारों का तहे-दिल से आमंत्रण है.

बाकी, आपको इंतजार कराने के लिए अनुराग-पूर्ण 'माफी' के अलावा मेरे पास और कुछ नहीं.

धन्यवाद🙏
आप जैसे लिख रहे हैं उसी अनुसार इसको पूर्ण कीजिये।
 
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