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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग ३० -कौन है चुम्मन ? पृष्ठ ३४७

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, आनंद लें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
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Shetan

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Koi nahi aap JKG ki teej party tak pagochao. Muje sayad time nikal kar padhne me 2 days lagne.

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Shetan

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चन्दर

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“अरे आप चन्दर को हुकुम दें और वो फेल हो जाय ये हो नहीं सकता। लाये हैं बाहर बैठी हैं। लेकिन मैंने सोचा कि मैं खुद साहब को पहले बता दूं ना…” उस आदमी ने बोला।



डी॰बी॰ ने कहा- “ठीक है बोलो…”

चंदर ने कहा- “वो तेजाब वाले वारदात के बाद, करीब छ महीने से वो गायब था। लेकिन अभी 10-12 दिन से नजर आ रहा है। अब सब लोग कहते हैं की एकदम बदल गया है। एकदम शान्त। बोलबै नहीं करता। घर पे भी कम नजर आता है और उसकी दो बातें जबरदस्त हैं। एक तो चाकू का निशाना, अन्धेरे में भी नहीं चूक सकता, और दूसरा जो लौन्डे लिहाड़ी हैं ना, वो सब बहुत कदर करते हैं। उसकी बात मानते हैं…”

डी॰बी॰ ने कहा- “ठीक है। उसकी माँ को बुला लाओ…”

जैसे ही बुरके में वो औरत आई, डी॰बी॰ उठकर खड़े हो गये और बोले- “अम्मा बैठिये…”

वो बैठ गईं और नकाब उठा दिया। एक मिडिल ऐजेड, 45-50 साल की गोरी थोडे स्थूल बदन की-
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“अरे भैय्या उ चुम्मनवा काव गड़बड़ किहिस। आप लोग काहे ओके पकड़े हैं?” उन्होंने बोला।


डी॰बी॰ ने बड़े शान्त भाव से प्यार से उनसे कहा-

“अरे नाहिं आप निशाखातिर रहिये। कोई नाहि पकड़े है उसको। कुछ नहीं किये है वो। आप पानी पिजिये…” और अपने हाथ से उन्होंने पानी बढ़ाया।

उन्होंने पानी का एक घूंट पिया और पूछा- “त बात का है? हम कसम खात हैं उ अब बहुत सुधर गया है…”

डीबी ने मोबाइल रिकार्डिन्ग को आन किया- “जरा ये आवजिया सुनियेगा…”

वो ध्यान से सुनती रही चुपचाप, फिर बोली- “अवाजिया त ओहि का है बाकी। …”


“बाकी का अम्मा?” डी॰बी॰ ने बड़े प्यार से उनसे पूछा।

“हमार मतलब। बाकी उ कह का रहा है, ये हमारे समझ में नहीं आ रहा है…”

“कौनो बात नहीं। त इ बतायीं की…”



और डी॰बी॰ की प्यार भरी बात ने 5 मिनट में सब कुछ साफ करा दिया।



चुम्मन की माँ ने बताया-


“उस तेजाब वाली घटना के बाद वो बम्बई चला गया था। उसके कोई फूफा रहते थे, उसके यहाँ… कुछ दिन टैक्सी वैक्सी का काम किया, लेकिन जमा नहीं, लाइसेंस नहीं मिला। फिर वो भिवंडी में। वहीं उसकी कुछ लोगों से उसकी मुलाकात हुई। वो एकदम मजहबी हो गया और अब जब आया है तो अब अपने पुराने दोस्तों से बहुत कम,.... खाली एक-दो से और एक कोई साहब कुछ खास काम दिये हैं, पता नही। बस यही कहता है की अम्मी बहुत बिजी हौं और कुछ जुगाड़ बन गया तो सऊदिया जाने का प्रोग्राम भी बन सकता है…”
Bahot hi shandar update. Chumban ki maa ko vaha le aae. Par chumban rajja to apni maa ko bhi dhokhe me rakhe hue hai. Vo Mumbai aur dusri jagah ghum ghum kar tapori se gangster ban raha hai. Magar ye chandar ki puri pahechan makshad nahi pata chala. Bahot amezing update hai.

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आस्था की डुबकी इस थ्रीड पर देर से आने की वजह बनी मेरी । लेकिन यह देखकर खुशी भी हुआ कि इस थ्रीड पर डबल धमाल भी हो चुका है । कई सारे अपडेट आ चुके हैं , और हर अपडेट आप के लेखनी , आप की विलक्षण क्षमता को प्रदर्शित कर रहे है ।

जिस तरह से आपने गर्ल्स स्कूल के अंदर तीन स्टुडेंट के बंधक बनाए हुए परिस्थिति का वर्णन किया है , मीडिया का कैसा रोल होता है , और जिस तरह से पुलिस प्रशासन की एक एक एक्टिविटी का जिवंत दृश्य पेश किया है वह इस फोरम पर शायद ही कोई कर सकता !
आप ने एक एक टेक्निकल चीजों का ध्यान रखा है । पुलिस ऐसी सिचुएशन मे किस तरह कारवाई करती है , राजनीतिक दल और नेतागण की भुमिका कैसी होती है , उन सभी चीजों पर आप की जो पकड़ है , और आप ने जो होमवर्क किया है उसका कोई सानी नही है ।
यह वास्तव मे न सिर्फ अद्भुत है अपितु अविश्वसनीय भी है ।

इन अपडेट मे यह देखकर कुछ तो राहत महसूस हुई कि स्कूल पर टेररिस्ट अटेक नही हुआ है , यह एक सिरफिरे की करतूत है । लेकिन फिर भी भारी खतरे से इंकार नही किया जा सकता । सिरफिरे और विकृत मष्तिष्क वाले इंसान मे कोई भी अंतर नही होता । ऐसे लोग कुछ भी नुकसान पहुंचा सकते हैं ।

इस बंधक प्रकरण मे गुड्डी ने एक बार फिर से अपनी छाप छोड़ दी । वह गुड्डी ही थी जिसने स्कूल के हर एक जगह का नक्शा बनाई , वह गुड्डी ही थी जिसने चुम्मन नामक सिरफिरे की पहचान करी , वह गुड्डी ही थी जिसने इस केस के टेररिस्ट अटेक थ्योरी को ध्वस्त करने का काम की , और वह गुड्डी ही वह वजह बनेगी जिससे की इस केस मे किसी भी मासूम की जान नही जायेगी ।

अब इंतजार है एक बार फिर से आनंद भाई के हीरो बनने की । चौबीस घंटे के भीतर दूसरी बार जीत का सेहरा सर पर लेने की ।

लेकिन मुझे दुख भी है कि आखिर यह स्कूल और कॉलेज की लड़कियाँ क्यों इन अपरिचित सिरफिरों के साथ फ्लर्ट करने लगती है ! ऐसे विकृत मानसिकता वाले लोगों के साथ यह क्यों पतंगबाजी का खेल खेलने लगती है !
गुंजा , महक और शाजिया जैसी लड़कियाँ क्यों रजऊ जैसे गलत लड़के को भाव देना शुरू कर देती है !

खैर ,
जस करनी तस भोगहु ताता ।
चुम्मन और रजऊ ने जैसा कर्म किया है उसका फल तो उन्हे वैसा ही भोगना है ।

खुबसूरत अपडेट कोमल जी ।
 
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Shetan

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आगे क्या करना है


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मेरी आँखों के सामने गुंजा की सूरत घूम रही थी, कहाँ तो उससे वादा कर के आया था की होली के बाद लौट के आऊंगा, रंगपंचमी के पहले लौट के आऊंगा और सबसे पहले होली उसी के साथ खेलूंगा, और कहाँ अब उसके जान बचने की दुआ मांग रहा था, बार बार मन घबड़ा रहा था

चन्दर को बुलाकर डी॰बी॰ ने हिदायत दी- “इन महिला को आराम से एक कमरे में रखे…” और हम लोग मिलकर ऐक्शन प्लान बनाने में जुट गये।

आगे क्या करना है अब इसका प्लान बनाना था

बहुत चीजें साफ़ हो गयी थीं, गुड्डी की बात से और उससे बढ़ कर चुम्मन की माँ के बयान से।

डीबी ने ये सब बात सिर्फ हम तीनो तक सीमित रखी थी, मैं गुड्डी और डीबी,

बाहर तो वही, भय आतंक, एस टी ऍफ़ के आने की तैयारी, मिलेट्री के लोग, पुलिस की स्पेशल कमांडो टीम, अलग अलग डिपार्टमेंट के लोग अलग सिचुएशन सम्हाल रहे थे। और हर थाने से खबरी, लोकल इंटेलिजेंस वाले टेंशन बढ़ने की सूचना दे रहे थे, मिडिया वाले अलग आग में हाथ सेंक रहे थे, टी आर पी बढ़ाने के चक्कर में थे,


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और डीबी कभी हम लोगों के साथ, तो कभी बीच बीच में सिद्दीकी, तो कभी लोकल इंटेलिजेंस यूनिट वाला, लगातार बज रहे फोन को भी हैंडल कर रहे थे, लेकिन कभी हम लोगों के पास से हटकर, कमरे के दूसरे ओर तो कभी बगल के कमरे में जाकर,

और मैं और गुड्डी सामने पड़े गुड्डी के बनाये नक़्शे को देख रहे थे, और अब साथ में मिलेट्री के लोगो ने जो थर्मल इमैजिंग की बहुत क्लियर दोनों मंजिलो की पिक्चर्स दी थीं उसे भी गुड्डी के बनाये नक़्शे से मैं जोड़ कर देख रहा था, सामने स्क्रीन पर अलग अलग एंगल से स्कूल की बिल्डिंग की तस्वीर आ रही थी, कैमरे का एंगल भी चेंज कर के देखा जा सकता था।

इन तीनो को बार बार देख के मन में कुछ बातें मेरे एकदम साफ़ हो गयीं थीं



१ स्कूल बिल्डिंग में गुंजा और उसके साथ की दो लड़कियों के अलावा सिर्फ दो और लोग हैं, वही जिन्होंने उन्हें बंधक बनाया है।


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२ उनमे से एक, चुम्मन नीचे प्रिंसिपल के कमरे में टीवी पर चल रही ख़बरों से बाहर की हाल चाल ले रहा होगा और वहां लैंडलाइन फोन भी है , और अगर जरूरत पड़ी तो उससे बात भी कर सकता है। उस कमरे की खिड़की भी थोड़ी खुली है, जहाँ से वो बाहर का नजारा देख रहा है।

३ दूसरा ऊपर के कमरे में लड़कियों के आस पास ही है, थर्मल इमेजिंग में करीब पन्दरह बीस फुट दूर नजर आ रहा है, बम्ब का रिमोट उसी के पास होगा। और चुम्मन ने उसे बोला होगा की लड़कियों के ऊपर नजर रखने को, लेकिन बम्ब से डर कर वह कमरे के दूसरी ओर या दरवाजे के पास खड़ा है।


४ तीनो लड़कियां एक साथ दरवाजे के पास, जो खिड़की गुड्डी ने बतायी थी, बस वही चिपक के बैठी हैं और बम्ब वही हैं।


५, गुड्डी के प्लान से कमरे में घुसने का रास्ता निकलने का रास्ता सब साफ़ हो गया था और कैमरे की फीड से नीचे का वो दरवाजा भी हल्का हलका दिख रहा था।



तो दोनों होस्टेज बनाने वाले चुम्मन और उसका चमचा थे और गुंजा के साथ बाकी दो लड़कियां कौन थीं?



सुबह की गुंजा के साथ जबरदस्त होली बार बार मुझे याद आ रही थी, छोटी सी प्यारी सी लड़की, इतनी खुश और मस्त और अब बस एक धागे से उसकी और उसकी दोनों सहेलियों की जान, बार बार मेरा दिल भर आ रहा था, लेकिन मेरे सवाल का जवाब भी उसी से मिल गया। बाकी दो लड़कियां, गुड्डी ने महक, की बहन का किस्सा और उसका चुम्मन का चक्कर बताया था, तो पक्का एक लड़की महक ही होगी और वही चुम्मन की असली टारगेट होगी, और वो दोनों हैं तो साथ में शाजिया भी होगी।



दोपहर की गुंजा के संग होली में इसी स्कूल के तो कितने किस्से गुंजा ने बताये थे और अपनी सहेलियों के भी

" जीजू, चलिए जीजा के साथ तो, ....और साली तो साली होती, छोटी बड़ी नहीं होती,... लेकिन उसके महीने भर के अंदर ही उसके एक फुफेरे भाई थे उससे पूरे सात साल बड़े, बस उसपे सुनीता ने लाइन मारनी शुरू कर दी और उनके साथ भी,... और फिर आके बताती, ...अभी तो चार पांच यार हैं उसके, कोई हफ्ता नहीं जाता जब कुटवाती नहीं और फिर आके हम लोगो को ललचाती है, ख़ास तौर से मुझे महक और शाजिया को, हम तीनो का क्लास में फेविकोल का जोड़ है.,...


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और अब खाली हम छह सात ही बची हैं , जिनकी चिड़िया नहीं उडी, खैर मेरी पे तो मेरे जीजू का नाम लिखा है "

"मैंने शाजिया और महक ने तय कर लिया था कुछ और लड़कियों से मिल के,.... आज होली में इस स्साली सुनीता की बुलबुल को हवा खिलाएंगे, लेकिन महक जानती थी की वो स्साली जरूर भागने की कोशिश करेगी, पीछे वाली सीढ़ी से, बस मैं और शाजिया तो नौ बी वालो की माँ बहन कर रहे थे,

लेकिन महक की नजर बाज ऐसी सीधे सुनीता पे, और जैसे सुनीता ने क्लास के पीछे वाले दरवाजे से निकलने की कोशिश की वो पंजाबन उड़ के क्या झपट्टा मारा, और फिर दो तीन लड़कियां और, और इधर हम लोग भी जीत गए थे, फिर तो मैं और शाजिया भी, "



मैं और गुड्डी दोनों ध्यान लगा के सुन रहे थे, गुंजा मुस्कराते हुए मेरी आँख में आँख डाल के बोली,



" जीजू, शाजिया, कभी मिलवाउंगी आपसे, ....पक्की कमीनी, लेकिन वो और महक मेरी पक्की दोस्त दर्जा ४ से,...

बस होली में कोई शाजिया की पकड़ में आ जाए,... महक और बाकी लड़कियों ने पीछे से हाथ पकड़ रखा था सुनीता का और शाजिया ने आराम से स्कर्ट उठा के धीरे धीरे चड्ढी खोली सुनीता की, दो टुकड़े किये और अपने बैग में रख ली, और जीजू आप मानेंगे नहीं, शाजिया ने उसकी बिल फैलाई तो भरभरा के सफेदा, और चारो ओर भी, मतलब स्कूल के रस्ते में किसी से चुदवा के आ रही थीं।

कम से कम पांच कोट रंग का और शाजिया ने कस के दो ऊँगली एक साथ उस की बिल में पेल दी, ऊपर वाला हिस्सा मेरे हिस्से में, ...चड्ढी शाजिया ने लूटी और ब्रा मैंने,... फिर मैंने भी खूब कस के रंग पेण्ट सब लगाया।

उस के साथ तो जो होली शुरू हुयी, आज पूरे दो घंटे थे, सीढ़ी वाले रास्ते से कोई जा नहीं सकता था महक उधर ही थी और जब तक फाइनल छुट्टी का घंटा नहीं बजता बाहर का गेट खुलता नहीं। इसलिए खूब जम के अबकी होली हुयी, ब्रा चड्ढी तो सबकी लूटी भी फटी भी, मैंने खुद तीन लूटीं, "



"लेकिन ये बताओ," मैंने उसके उभारो पर बने उँगलियों के निशानों की ओर इशारा किया ये


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वो जोर से खिलखिलाई,

" मन कर रहा है आपका शाजिया से मिलने का, बताया तो शाजिया के हाथ के निशान हैं लेकिन पहले मैंने ही, मैं सफ़ेद वार्निश वाली ३-४ डिब्बी ले गयी थी बस वही उसकी दोनों चूँचियों पे, एकदम इसी तरह, उसके भी और महक के भी, और शाजिया के तो पिछवाड़े भी, वहां तो छुड़ाने में भी उसकी हालत खराब हो जायेगी। "


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तो दो चार घंटे पहले ये तीन लड़कियां इतनी मस्ती कर रही थीं लेकिन अब, ....क्या हालत हो रही होगी उन बेचारियों की, सोच सोच के क्या होनेवाला है।

ये सोच के बस रोना नहीं आ रहा था, लेकिन मैंने तय कर लिया, कुछ भी हो और बहुत जल्द, क्योंकि वो कोई प्रोफेशनल तो हैं नहीं कब उन्हें डर लगे की वो पकडे जाएंगे और बम्ब का स्विच दबा दें,....



एक बार फिर मैंने नक़्शे को, थर्मल इमेजेस को देखा और धीरे धीरे एक एक दरवाजे, खिड़की रस्ते को मन में बैठा लिया। अब आँखे बंद कर के भी मैं जा सकता था।

मैंने डी॰बी॰ से पूछा- “अरे जब पता चल गया है कि ऐसा कोई खास नहीं हैं तो आप बता क्यों नहीं देते? फालतू का टेन्शन…”

डी॰बी॰ बोले- “मुझे बेवकूफ समझ रखा है। पहली बात इस बात की क्या गारन्टी की वो टेररिस्ट नहीं है? दूसरी इतना बढ़िया मौका मेरे लिये। इसी बहाने आर॰ऐ॰एफ॰, सी॰आर॰पी॰एफ॰ ये सब मिल गईं अब होली पीसफुली गुजर जायेगी। वरना डंडा छाप होमगार्ड के सहारे। इतना ज्यादा अफवाह है होली में दंगे की। और तीसरी बात- बेसिक सिचुएशन तो नहीं बदली है ना। वो तीन लड़कियां तो अभी तक होस्टेज हैं…”



बात तो उनकी सही थी।

डीबी ने जो बात नहीं बोली थी वो भी मैंने सुन ली,

क्या पता कोई टेरर लिंक हो ही। चुम्मन बंबई से आया है, अपनी अम्मी से कही विदेश जाने की बात कर रहा है, फिर उसकी अम्मी ने जो ये बात बोली की बंबई से लौटने के बाद एकदम बदल गया है। कुछ भी हो सकता है और सबसे बड़ी बात ये बम्ब, कहाँ से उसके हाथ लगा, फोड़ के फेंकने वाला लोकल नहीं था, तो कैसे उस एंगल को रूल आउट कर सकते हैं



और वो बात जो डीबी को ज्यादा तंग कर रही थी, नैरेटिव, पोलिटिकल लीडरशिप का एक पार्ट टेरर एंगल ही चाहता था तभी तो पोलिटिकल माइलेज मिलेगा, मीडया की भी टी आर पी मिलेगी और पुलिसवालों को मैडल मिलेगा, पकड़ लिया पकड़ लिया और इसलिए बोला गया है एस टी ऍफ़ का इंतजार करें मिडिया की आँखों के सामने आपरेशन, लड़कियां इन्वाल्व हैं, होली का मौका,

उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता की आपरेशन में लड़कियों की जान जा सकती है

डर से वो दोनों बॉम्ब एक्सप्लोड कर सकते हैं

और मिडिया वालो की हेडलाइन इम्प्रूव हो जायेगी

पर इसलिए ही डीबी और हम दोनों चाहते हैं की लड़कियां आपरेशन के पहले बाहर निकल जाए क्योंकि एस टी ऍफ़ के आने के बाद बातें उन के कंट्रोल के बाहर हो जायेगी।

और एक बात और थी, शहर में टेंशन, मेरे खड़े कानो ने सुन लिया था और डीबी के चेहरे का टेंशन देख लिया था। चुम्मन की अम्मी जो अभी बुर्के में आयी थी, कहीं किसी की नजर में पड़ गयी, तो एक नया एंगल


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लेकिन गुड्डी ज्यादा फोकस्ड थी, वो श्योर थी अब बिना रुके लड़कियों को छुड़ाने का काम होना चाहिए

हम दोनों ने मिलकर प्लान बनाना शुरू किया, लेकिन शुरू में ही झगड़ा हो गया और सुलझाया गुड्डी ने। उसकी बात टालने कि हिम्मत डी॰बी॰ में भी नहीं थी। झगड़ा इस बात पे था कि पीछे वाली सीढ़ी से अन्दर कौन घुसे?
Anand babu ko gunja ki tension ho rahi hai. Kese uske sath bitae pal yaad aa rahe hai. Unhone basant panchmi ko sath holi khelne ka vada kiya tha.

Gunja ke sunae vo kisse mahek aur saziya ke. Kese vo apne jiju ke bad fufere bhai se matlab... 5,6 yaar bana lie. Dusri saziya. Holi khelne se lekar bate tak. Chahe vo bra vala kissa ho sab amezing amezing amezing.

Guddu ke banae nakshe se aur jo thermal imager se khinchi taswire match hoti hai. Anand babu to sakaz gae ki vaha chumban aur uske dono chamche hai. Do upar ladkiyo ke sath. Aur chumban principle ke room me tv ke jaruye sab jankari le raha hai.

DB par bhi bahot dabav aa raha hai. Magar vo risk nahi lena chahta. Kyo ki ladkiya hosted bani hui hai. Andar militants hai ya fir local gunde hi sirf abhi bhi puri pusti nahi hui.

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Shetan

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अन्दर कौन घुसे?

मेरा कहना था की मैं।

डी॰बी॰ का कहना था की पुलिस के कमान्डो।



मेरा आब्जेक्शन दो बातों से था।

पहला जूते, दूसरा सफारी। पुलिस वाले वर्दी पहने ना पहनें, ब्राउन कलर के जूते जरूर पहनते हैं और कोई थोड़ा स्मार्ट हुआ, स्पेशल फोर्स का हुआ तो स्पोर्टस शू। और सादी वर्दी वाले सफारी। दूर से ही पहचान सकते हैं और सबसे बढ़कर। बाडी स्ट्रक्चर और ऐटीट्युड। उनकी आँखें।

डी॰बी॰ का मानना था कि बो प्रोफेशनल हैं हथियार चला सकते हैं, और फिर बाद में कोई बात हुई तो?



मेरा जवाब था- “हथियार चलाने से ही तो बचना है। गोली चलने पे अगर कहीं किसी लड़की को लगी तो फिर इतने आयोग हैं, और सबसे बढ़कर न मैं चाहता था ना वो की ये हालत पैदा हों। दूसरी बात। अगर कुछ गड़बड़ हुआ तो वो हमेशा कह सकता है की उसे नहीं मालूम कौन था? वो तो एस॰टी॰एफ॰ का इन्तजार कर रहा था…”



लेकिन फैसला गुड्डी ने किया। वो बोली-

“साली इनकी है, जाना इनको चाहिये और ये गुंजा को जानते हैं तो इन्हें देखकर वो चौंकेगी नहीं और उसे ये समझा सकते हैं…”



तब तक एक आदमी अन्दर आया और बोला- “बाबतपुर एयरपोर्ट, बनारस का एयरपोर्ट से फोन आया है की एस॰टी॰एफ॰ का प्लेन 25 मिनट में लैन्ड करने वाला है और बाकी सारी फ्लाइट्स को डिले करने के लिये बोला गया है। उनकी वेहिकिल्स सीधे रनवे पर पहुँचेंगी…”



डी॰बी॰ ने दिवाल घड़ी देखी, कम से कम 20 मिनट यहां पहुँचने में लगेंगें यानी सिर्फ 45 मिनट। हम लोगों का काम 40 मिनट में खतम हो जाना चाहिये। फिर उस इंतेजार कर रहे आदमी से कहा- “जो एल॰आई॰यू॰ के हेड है ना पान्डेजी। और एयरपोर्ट थाने के इन्चार्ज को बोलियेगा की उन्हें रिसीव करेंगे और सीधे सर्किट हाउस ले जायेंगे। वहां उनकी ब्रीफिंग करें…”



अब डी॰बी॰ एक बार फिर। पूरी टाइम लाइन चेन्ज हो गई। डी॰बी॰ ने बोला- “जीरो आवर इज 20 मिनटस फ्राम नाउ…”



मुझे 15 मिनट बाद घुसना था, 17 मिनट बाद प्लान ‘दो’ शुरू हो जायेगा 20वें मिनट तक मुझे होस्टेज तक पहुँच जाना है और अगर 30 मिनट तक मैंने कोई रिस्पान्स नहीं मिला तो सीढ़ी के रास्ते से मेजर समीर के लोग और। छत से खिड़की तोड़कर पुलिस के कमान्डो।



डी॰बी॰ ने पूछा- “तुम्हें कोई हेल्प सामान तो नहीं चाहिये?”



मैंने बोला- “नहीं बस थोड़ा मेक-अप, पेंट…”



गुड्डी बोली- “वो मैं कर दूंगी…”



डी॰बी॰ बोले- “कैमोफ्लाज पेंट है हमारे पास। भिजवाऊँ?”



गुड्डी बोली- “अरे मैं 5 मिनट में लड़के को लड़की बना दूं। ये क्या चीज है? आप जाइये। टाइम बहुत कम है…”



डी॰बी॰ बगल के हाल में चले गये और वहां पुलिसवाले, सिटी मजिस्ट्रेट, मेजर समीर के तेजी से बोलने की आवाजें आ रही थीं।



गुड्डी ने अपने पर्स, उर्फ जादू के पिटारे से कालिख की डिबिया जो बची खुची थी, दूबे भाभी ने उसे पकड़ा दी थी, और जो हम लोगों ने सेठजी के यहां से लिया था, निकाली और हम दोनों ने मिलकर। 4 मिनट गुजर गये थे। 11 मिनट बाकी थे।



मैंने पूछा- “तुम्हारे पास कोई चूड़ी है क्या?”



“पहनने का मन है क्या?” गुड्डी ने मुश्कुराकर पूछा और अपने बैग से हरी लाल चूड़ियां। जो उसने और रीत ने मिलकर मुझे पहनायी थी।



सब मैंने ऊपर के पाकेट में रख ली। मैंने फिर मांगा- “चिमटी और बाल में लगाने वाला कांटा…”



“तुमको ना लड़कियों का मेक-अप लगता है बहुत पसन्द आने लगा। वैसे एकदम ए-वन माल लग रहे थे जब मैंने और रीत ने सुबह तुम्हारा मेक अप किया था। चलो घर कल से तुम्हारी भाभी के साथ मिलकर वहां इसी ड्रेस में रखेंगें…” ये कहते हुये गुड्डी ने चिमटी और कांटा निकालकर दे दिया।



7 मिनट गुजर चुके थे, सिर्फ 8 मिनट बाकी थे। निकलूं किधर से? बाहर से निकलने का सवाल ही नहीं था, इस मेक-अप में। सारा ऐड़वान्टेज खतम हो जाता। मैंने इधर-उधर देखा तो कमरे की खिड़की में छड़ थी, मुश्किल था। अटैच्ड बाथरूम। मैं आगे-आगे गुड्डी पीछे-पीछे। खिड़की में तिरछे शीशे लगे थे। मैंने एक-एक करके निकालने शुरू किये और गुड्डी ने एक-एक को सम्हाल कर रखना। जरा सी आवाज गड़बड़ कर सकती थी। 6-7 शीशे निकल गये और बाहर निकलने की जगह बन गई।



9 मिनट। सिर्फ 6 मिनट बाकी। बाहर आवाजें कुछ कम हो गई थीं, लगता है उन लोगों ने भी कुछ डिसिजन ले लिया था। गुड्डी ने खिड़की से देखकर इशारा किया। रास्ता साफ था। मैं तिरछे होकर बाथरूम की खिड़की से बाहर निकल आया।


वो दरवाजा 350 मीटर दूर था।

यानी ढाई मिनट। वो तो प्लान मैंने अच्छी तरह देख लिया था, वरना दरवाजा कहीं नजर नहीं आ रहा था। सिर्फ पिक्चर के पोस्टर।

तभी वो हमारी मोबाईल का ड्राईवर दिखा, उसको मैंने बोला- “तुम यहीं खड़े रहना और बस ये देखना कि दरवाजा खुला रहे…”



पास में कुछ पुलिस की एक टुकडी थी। ड्राइवर ने उन्हें हाथ से इशारा किया और वो वापस चले गये। 13 मिनट, सिर्फ दो मिनट बचे थे।

मैं एकदम दीवाल से सटकर खड़ा था, कैसे खुलेगा ये दरवाजा? कुछ पकड़ने को नहीं मिल रहा था। एक पोस्टर चिपका था। सेन्सर की तेज कैन्ची से बच निकली, कामास्त्री।


हीरोईन का खुला क्लिवेज दिखाती और वहीं कुछ उभरा था। हैंडल के ऊपर ही पोस्टर चिपका दिया था। दो बार आगे, तीन बार पीछे जैसा गुड्डी ने समझाया था।

सिमसिम।

दरवाजा खुल गया। वो भी पूरा नहीं थोड़ा सा।
Operation sali bachao lonch ho chuka hai. Wow.. Anand babu ne to pura plan bana bhi liya. Akhir itne photos dekh rahe the. Nakshe dekh rahe the..

Is bar STF ko bilkul sahi hero ki tarah pesh kiya hai. 45 mints me flait aa jaegi..

Anand babu ko to bas 35 minut chahiye. Aur DB ko bhi sahi ray di. Iljam us par na aae. Vo palat jae. Anand babu ka kahena sahi hai. Hathiyar hi nahi chahiye. Goli chali to un ladkiyo khatra hai. Unhe kuchh huaa to na jane kon kon si organism hai jo unka jina haram kar degi.

Guddi to kisi bhi wakt Anand babu ko chhedne ka mouka nahi chhodti. Makeup. Guddu to ladko ko ladki 5 mint me bana de. Anand babu ka makup usi ne hi kiya hai.

Wow Anand babu aage badh rahe hai. Amezing update.

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Shetan

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Fagun ke updates mene padh lie komalji. Ab JKG ke bhi update de do to maza aa jae.

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