छोटे ठाकुर
और छोटे ठाकुर, जिनके पिता की भी कभी तूती बोलती थी, और जिस कारण वो छोटे ठाकुर ही कहे गए, इस समय छोटे गृह मंत्री, लखनऊ में माल एवेन्यू में एक बड़ी सी कोठी, अगल बगल भी मंत्री निवास, और उस समय वहां ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं थी, लेकिन पुलिस के जवान, बॉडीगार्ड और कमांडो तैनात थे, अगल बगल भी कुछ छोटे मंत्रियों के निवास और पास ही में एक भूतपूर्व महिला मखमंत्री का बड़ा सा बंगला, वो उप
गृह मंत्री थे, लेकिन जलवा कम नहीं था इलेक्शन के ठीक पहले उन्होंने पार्टी बदली थी और उम्मीद तो थी की पूरे मंत्री बनेंगे, लेकिन उन्हें ऑप्शन दिया गया की कोई छोटा मोटा विभाग, मछली या खाद्य प्रसंस्करण टाइप में या फिर बड़े मंत्रालय में नबर दो के पद पर
और केंद्र के गृह मंत्री जो केंद्र में भी नंबर दो थे, उनका आशीर्वाद था तो उप गृह मंत्री जरूर बने, लेकिन कई मामलों में उन्हें पूरा हक हासिल था और सबको मालुम था की केंद्र तक उनकी पहुँच है, केंद्र के गृह मंत्री उन्हें ताकतवर इसलिए बनाये रखना चाहते थे जिससे वो चीफ मिनिस्टर को चिकोटी काटते रहें और चीफ मिनिस्टर कभी एक सीमा से ज्यादा तगड़े न हों । और पूर्वांचल के दस बारह विधायक तो छोटे ठाकुर की मुट्ठी में थे ही अपनी बिरादरी के बाकी लोगों पर भी उनका असर था।
पर जिस ला एंड आर्डर के नाम पर ये सरकार आयी थी, जिस तरह से एनकाउंटर हुए थे और खास तौर से पूर्वांचल में उस को चोट पह्नुकंहना मुख्यमंत्री को कमजोर करने के लिए जरूरी था और ये मौका एकदम सामने था।
छोटे ठाकुर उस समय बनारस में किसी से फोन पर उलझे थे और उसे गरिया रहे थे,
“ " ससुर क नाती, एक ठो बित्ते भर क लौंडिया नहीं उठा पाए, अरे अगर वो ससुरी हमरे मुट्ठी में आ गयी होती, तो, "
" अरे सरकार स्साली की किस्मत अच्छी थी, नहीं तो जिसको लगाए थे उसका निशाना आज तक चूका नहीं और एसिड भी ऐसा वैसा नहीं था, और दुबारा एक और टीम लगाए थे लेकिन, दोनों बार, और एक बार पकड़ में आ गयी होती तो लौंडे सब तैयार थे, असा जबरदस्त रगड्याई करते, चीर के रख देते और ओकरे बाद तो लेकिन, और सबसे बड़ा गड़बड़ ये हुआ, "
अब छोटे ठाकुर की ठनकी, " हे ससुरे पकडे तो नहीं गए, वो कप्तनवा बहुत दुष्ट है, उसको तो मैं बनारस में रहने नहीं दूंगा चाहे जो हो जाए, बोलो " अब का कहें, दोनों को बोले थे मुगलसराय निकल जाए उन्हे से ट्रेन पे बैठ के जनरल डिब्बा में लेकिन, पता नहीं का गड़बड़ हो गया, लेकिन आप एकदम चिंता न करे, वो सब सर कटा देंगे, जबान न खोलेंगे और वैसे भी उन्हें हमार नाम नहीं मालूम है "
पर उन्हें क्या मालूम था की उन्हें जिसका नाम मालूम था वो भी धरा लिए गए हैं और उन्होंने आगे के नाम भी उगल दिए हैं।
छोटे ठाकुर ने निराश होके फोन काट दिया और एक बार दिल्ली फोन लगाया, सुबह से पांच बार लगा चुके थे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला
अब होम मिनिस्टर से बात तो मुश्किल थी लेकिन उनके एक पी ए थे, मंत्री जी बोले थे कोई अर्जेन्टी बात हो तो उससे बोल दीजियेगा और उस के लिए का का नहीं किया था, उसकी बिटिया का मेडिकल में एडमिशन से लेकर के उसके साले को पेट्रोल पम्प दिलवाने तक, लेकिन अब बड़के मंत्री का पी ए हो गया तो, और आज वही फोन नहीं उठा रहा था
एक दो एमपी को भी लगाए, लेकिन वो सब भी,
हार के अब उन्ही के सिक्योरिटी में एक था, पहले दरोगा था लेकिन छोटे ठाकुर ही उसको मंत्री के साथ रखवाए थे और अब परसनल सिक्योरिट में और उस के साथ कुछ पार्टी का भी काम
दो बार तो वो भी नहीं उठाया लेकिन अब मेसेज किये तो जाकर जवाब आया, बात किया। बात क्या किया बस अपनी बोला
और टोन भी उसका ऐसा था की कोई दूसरा दिन होता तो बताते उसको, और वो चुपचाप सुनते रहे,
" मुझे मालूम है की सबेरे से आप बड़े साहब के पीछे लगे हैं, लेकिन वो, भूल जाइये मंत्री जी से बात करने को, अगले चार पांच दिन उनके आगे पीछे भी नाही आइयेगा, उनका मूड बहुत खराब है। बनारस में जो कुछ हो रहा है सबेरे से, आप सोच रहे हैं की सब आप ही को मालूम है, दर्जन भर तो, आई बी से लेकर सबकी रिपोर्ट, बस आपके हित में यही है जो चक्कर चला रहे हैं न वो सब रोक दीजिये और तुरंत रोक दीजिये, और नहीं भी रोकियेगा तो अपने आप रुक जायेगा। नहीं रुकता तो आप दस बार दिल्ली को फोन नहीं लगाते, "
किसी तरह से मौका निकाल के धीमी आवाज में वो बोले,
" लेकिन बड़े साहब भी तो यही चाहते थे, ये ला एंड आर्डर की हवा निकालने का सही मौका था, एक बार बस जरा सा, अरे होली आने वाली है, अक्सर इसी मौसम में दंगा थोड़ा बहुत हो ही जाता है "
लेकिन अब जो उनके चमचे का चमचा हुआ करता था, उनसे मिलने के लिए घंटो इन्तजार करता था, कभी नजर उठा के बात नहीं करता था, वो उबल पड़ा,
" तो यही मौका मिला था आग मूतने का, अरे पैंट के अंदर रहिये, वो चीफ मिनिस्टर चाकू तेज कर रहा है, जरा सा आपने इधर उधर किया कर और सीधे है कमांड में, बस अपने सब गुर्गों को बोलिये, की घर के अंदर घुस जाएँ, और मेहरारू के साथ बैठ के गुझिया तलवायें, और और
आपके तो पैर के नीचे से जमीन सरक जायेगी, और आपको पता भी नहीं चलेगा। आप जिन १२ एम् एल ए को लेकर उछालते थे ना, की गवर्मेंट गिरा देंगे, पूर्वांचल की १८ सीटों पे आपका असर है, मालूम है, श्रीनाथ सिंह बलिया वाले, विधायक
अब छोटे ठाकुर के सनकने की बारी थी, क्या हुआ श्रीनाथ को, हरदम पैर छूता है, भाई साहेब, भाई साहेब, पहली बार टिकट भी दिलवाये फंडिंग भी करवाए, १२ में से तो ७ एम् एल ए उसी के हैं
और थोड़ी देर सस्पेंस बनाने के बाद, छोटा मोहरा बोला, " सहकारिता का चेयरमैन बन गए हैं, राजयमंत्री का दर्जा भी और उनकी बहु, और आप भी जानते हैं बहुत से ज्यादा वो क्या है, वो बन रही है जिला पंचायत की अध्यक्ष, अभी शाम को अनांउस होगा और गाजीपुर वाले राजबली राय, जिला ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष, अपनी कुर्सी बचाइए और कुछ दिन चुप हो के बैठिये " और यह कह के उधर का फोन कट गया।
तभी, ये श्रीनथवा, सुबह से एक बार फोन नहीं उठाया, पांच बार फोन कर चुके थे, बनारस शाम तक पांच ट्रक आदमी और सामान भेजने के लिए बोला था, लेकिन अभी तक कोई सुनगुन नहीं, मतलब कुछ नहीं होगा, उन्हें अपने गाजीपुर और बलिया के लोगो पर ही भरोसा था, बनरस में पुलिस जो हाथ पैर मार ले, बाहर वालों का क्या करेगी, लेकिन
उन्होंने एक बार फिर वो बनारस वाला लोकल चैनल लगाया, उनके ख़ास चमचे का था, कमसे कम उस पर तो कुछ और
दुकाने खुली हुईं थी, सड़क पर ट्रैफिक का उसी तरह जाम लगा था, दो चार सांड सब्जी के ठेलो के आसपास मुंह मरने के चआकर में थे और वो कटीली, क्षीण कटि, उन्नत जोबन वाली अब थोड़ी मुटा गयी थी, लेकिन स्साली में अभी भी आग थी। अब चैनल पर आग नहीं ऊगा रही थी बस बता रही थी की नगर प्रशासन ने जो व्यापार मंडल की ये बात मान ली की होली तक दुकानों का समय मध्य रात्रि तक बड़ा दिया जाय तो होली तक १० % की छूट और आज १५ % की विशेष छूट,
लेकिन उनकी निगाह एंकर पर टिकी थी, जब वो ज़रा सा मुड़ी और उसका पिछवाड़ा दिखा, और वो मुस्कराये
इसी बिस्तर पर पांच बार अपना पिछवाड़ा दी थी, रोज आती थी, और स्साली में क्या नमक था, अभी भी कम नहीं है और तब उसकी चैनलवा में नौकरी लगवाए थे, साल भर पहले उसकी बेटी का भी तो लखनऊ में बोर्डिंग में एडमिशन करवाए थे, अब तो वो भी बड़ी हो गयी होगी, पक्की लेने लायक, एक दिन उसका भी पिछवाड़ा जल्द ही ,
और उन्होंने चैनल बंद कर दिया, और यह सोचते सो गए, चल आज नहीं तो फिर मौका मिलेगा,