अगले दिन सुबह करीब पांच बजे मेरी आंख खुली तो देखा कि साजिया भी उठ गई थी और मेरे पास हो लेती हुई थी। मेरे धीरे से उसके चेहरे को चूम लिया तो वो स्माइल करते हुए बोली
" उठ गए क्या जनाब आप ?
नासिर:" हान जी बस अभी आंख खुली। क्या सोच रही हो ?
साजिया:" बस कुछ खास नहीं, कल मेरा पूरा दिन कितना अच्छा रहा, मैने और शमा ने ढेर सारी बाते करी।
नासिर:" अच्छा इसका मतलब शमा भी तुम्हारी तरह ही बातूनी हैं शायद।
साजिया ने उसका हाथ दबा दिया और बोली:" तुम भी ना, जब देखो मेरी टांग खींचते रहते हो।
नासिर:"तुम हो ही इतनी प्यारी कोई क्या करे।
साजिया:" मैं सोच रही थी कि आज शमा जा रही है तो क्यों न उसे कुछ कपड़े दे दू क्योंकि पहली बार आई हैं तो खाली हाथ सही नही लगेगा।
नासिर:" जैसे तुम ठीक लगे। भला मुझे क्या दिक्कत होगी।
साजिया:" मैं जानती हू आप कभी मना नही करोगे लेकिन फिर भी पूछना जरूरी है ना। मैं एक काम करती हु आज इसे लेकर मॉल चली जाऊंगी और वही से कपड़े दिलाकर स्टेशन भी छोड़ दूंगी।
नासिर:" ठीक हैं चलो अब जल्दी से उठ जाओ। नहीं तो ऑफिस के लिए लेट हो जाऊंगा मैं।
साजिया उठ गई और काम में लग गई। वहीं दूसरी तरफ सब लोग तैयार हो गए और नाश्ता कर रहे थे और थोड़ी देर बाद ही हम सभी साथ ही निकल पड़े। मॉल पहुंचकर मैने शाहिद को ऑफिस के लिए ऑटो करा दिया और फिर साजिया के साथ मॉल में घुस गया। मॉल में एक से बढ़कर एक नए डिजाइन के हिजाब और बुर्के आए हुए थे और डमी देखकर लग रहा था कि मानो ये हिजाब उसके हिसाब से ही बनाया गया हो। तभी शमा की नजर उस डमी पर पड़ी तो ध्यान से उसे देखने लगी और मॉल वाले लड़के से बोली:"
" भैया जरा ये ड्रेस निकालना।
लड़के ने ड्रेस निकाली और शमा उसे देखने जबकि साजिया गौर से कभी शमा और कभी ड्रेस को देख रही थी। मेरे दिमाग में एक विचार आ गया था और मुझे बस अब कुछ भी करके साजिया को वो ड्रेस देना था।
शमा ने वो ड्रेस पसंद कर ली और एक के बाद एक तीन चार उसने ऐसी तरह की ड्रेस ली तो मैने वहां से थोड़ा खिसक जाना ही बेहतर समझा और साइड में खड़ा हो गया। अब मुझे दोनो में से कोई भी नही देख सकती थी। मेरे जाते ही साजिया बोली:"
" शमा तू ये कैसी ड्रेस खरीद रही हैं ? देख न कितनी फंसी हुई आ रही हैं तो तेरा शौहर क्या कहेगा ?
शमा:" कुछ नही कहेगा। बल्कि उसे तो और अच्छा लगता है। और फिर ड्रेस तो हैं पूरी। आजकल तो ऐसी ही ड्रेस चल रही है।
साजिया इससे पहले कि कुछ बोलती और भी कुछ भाभियां आई और उन्होंने तो शमा से ज्यादा टाइट और कसी हुई ड्रेस ली तो साजिया उनकी हिम्मत मान गई और शमा से बोली:"
" यार एक बात बता, घर में तो फिर भी ठीक हैं लेकिन जब सड़क पर पहनके जाएगी तो लोग क्या कहेंगे ?
शमा:" अरे तुम भी ना, क्या कहेंगे लोग कुछ नही कहेंगे। बस थोड़ा सा घूर लेंगे और क्या करेगे इससे ज्यादा। मैं तो बोलती हु कि तुम भी कुछ ड्रेस ले लो फिर देखना तुम्हारा शौहर कितना खुश होगा।
साजिया:" अरे उन्हें तो बुरा लगेगा वो खुश क्यों होंगे भला जब कोई उनकी बीवी को घूरकर देखेगा।
शमा:" तुम भी ना बस कुछ नही। अरे यार सोच जब दूसरे मर्द तुझे घूर कर देखेंगे तो तेरे पति को एहसास होगा कि उसके पास कितनी सेक्सी बीवी हैं जिससे सभी लोग जल रहे है और वो अपनी किस्मत पर नाज़ करेगा।
एक काम कर तू भी कुछ ड्रेस ले ही ले।
साजिया को समझ नही आ रहा था कि क्या करे लेकिन शमा ने उसके लिए तीन चार बढ़िया कसे हुए बुर्के और कुछ सुन्दर से लो कट सूट खरीद लिए और उसके बाद मैं भी पहुंच गया और बिल दिया और स्टेशन की तरफ चल पड़ा। मुझे अब मोटी सी शमा पहले से ज्यादा अच्छी लग रही थी क्योंकि उसने मेरी बड़ी मुश्किल आसान कर दी थी और मैं बोला:"
" शमा जी आप बीच बीच में आती रहना। साजिया का भी थोड़ा मन लगा रहेगा।
शमा:" अच्छा जी कोशिश करुंगी। अपनी सहेली के लिए तो आना ही पड़ेगा।
इतना कहकर उसने साजिया की तरफ देखा और दोनो हंस पड़ी। स्टेशन आ गया था और शमा चली गई तो मैं घर की तरफ चल पड़ा और बोला:"
" साजिया वैसे तुम्हारी ये सहेली काफी मॉडर्न है। तुमने उसके कपड़े देखे सच मे उसका पहनावा मुझे बहुत अच्छा लगा।
साजिया:" अच्छा जी कहीं मेरी सहेली पर लाइन तो नही मार रहे हो आप ? क्या इरादा हैं ?
साजिया मेरे मजे लेती हुई बोली और मैं भी हंस पड़ा और बोला:"
" तुम भी ना, भला जिसके पास हेमा मालिनी हो वो टुनटुन का क्या करेगा ?
मेरी बात सुनकर साजिया जोर जोर से हंस पड़ी और मैं भी हंसने लगा। टुनटुन एक बहुत मोटी हीरोइन थी जो पहले फिल्मों में लोगो को हंसाने के लिए रोल करती थी।
साजिया अभी स्माइल कर रही थी और बोली:" अच्छा जी तो आप टुनटुन के दीवाने हो।
नासिर:* अरे नही मेरी हेमा मालिनी उसका नही उसकी ड्रेस का। सोचो तुम ऐसी ड्रेस में कितनी खूबसूरत लगेगी ?
साजिया मजाक करते हुए बोली:"
" मुझे ऐसी ड्रेस पसंद नहीं हैं तो भला मैं क्यों पहनु ?
तभी मेरी नज़र पीछे सीट पर पड़ी हुई ड्रेस पर पड़ी तो मैं मुस्करा उठा और बोला:"
" अरे लगता हैं तुम्हारी टुनटुन अपनी ड्रेस यहीं छोड़ गई। भूल गई शायद बेचारी।
ड्रेस की बात सुनकर साजिया एक पल के लिए कांप उठी और फिर बोली:"
" रह गई तो रह गई। अगली बार आएगी तो उसे दे दूंगी।
साजिया नासिर को छेड़ते हुए बोली क्योंकि वो ड्रेस पहनना तो चाहती थी लेकिन अपने शौहर की मर्जी से ताकि वो उस पर उंगली ना उठा सके। नासिर भी सब समझ रहा हूं और बोला:*
" तुम भी ना, अब किस्मत से ड्रेस मिल ही गई हैं तो इसे पहन लो। तुम इसमें और भी ज्यादा खूबसूरत लगेगी।
साजिया यही तो चाह रही थी और नासिर की बात सुनकर खुश हो गई और बोली:"
" चलो देखती हु। मन किया तो पहन लूंगी।
तभी घर आ गया और मैं साजिया को घर छोड़कर अपने ऑफिस की तरफ निकल गया और रास्ते में अपनी दोस्त अजय की दुकान पर रुक गया जिसका कैमरे का बिजनेस था। मैने उससे अपनी कार में एक कैमरा लगवाया और उसका कनेक्शन अपने मोबाइल से करा दिया और फिर ऑफिस चला गया। पूरे दिन में काम करता रहा और साहिल( शाहिद का घर का नाम) की अब्दुल काफी तारीफ कर रहा था कि बड़ी तेजी से ये सारा काम सीख रहा है। शाम हो गई तो मैं साहिल को लेकर घर की तरफ चल पड़ा और थोड़ी देर बाद ही हम घर पहुंच गए। फ्रेश होने के बाद मुझे आज एक दोस्त से मिलने जाना था तो मैं अपनी बाइक लेकर बाहर निकल गया। मेरे पास शमा का फोन आया और बोली:"
" भाई जान एक छोटी सी मदद और चाहिए थी आपसे। मुझे लगा साजिया से नही बल्कि सीधे आपसे ही बार करू। मेरा भाई बिलकुल अकेला हैं और कभी बाहर नही गया है तो अलग रहेगा तो उसे रहने खाने की दिक्कत होगी इसलिए आपकी बड़ी मेहरबानी होगी अगर आप उसे अपने घर में ही रख लो।
नासिर को लगा कि बिना मांगे ही उसे सब कुछ मिल रहा है। साहिल जितनी साजिया के करीब रहेगा उसके लिए उतना ही अच्छा रहेगा। नासिर के होंठो पर स्माइल आ गई और बोला:"
" अरे आप ने मुझे भाई कहा हैं और फिर साजिया की सहेली भी हैं तो हमारे होते साहिल भला बाहर परेशान होगा तो अपने होने का क्या फायदा!! हमारे साथ ही रहेगा वो।
शमा:" भाई साहब आप एक बेहद नेकदिल और अच्छे इंसान है। इतना को आजकल कोई अपनों के लिया भी नही करता है। साजिया की कितनी अच्छी किस्मत हैं जो उसे आप मिल गए। अल्लाह आपको हर बुरी नजर से बचाए।
इतना कहकर उसने फोन काट दिया और करीब आधे घंटे बाद वापिस लौटा तो देखा कि साजिया और साहिल दोनो के जोर जोर से हंसने की आवाजे आ रही थी और मैंने देखा कि दोनो ऐसे बात कर रहे थे मानो एक दूसरे को कितने सालों से जानते हो। मुझे आश्चर्य हुआ कि पराए मर्द के नाम से ही मुंह बनाने वाली साजिया एक पराए मर्द से कल से अब तक इतनी कैसी घिलमिल गई थी। रोजाना की तरह उसने अपना सूट सलवार ही पहना हुआ था और बेहद खूबसूरत लग रही थी। मुझे देखकर उसकी हंसी को ब्रेक लगा और मैं बोला:"
" क्या बाते हो रही हैं ? हमे तो थोड़ा बताओ ताकि हम भी हंस सके कुछ।
साजिया को लगा मैं शायद उस पर शक कर रहा हु इसलिए वो एक पल के लिए सकपका गई और फिर तेजी से बोली:"
" कुछ खास नही। साहिल बता रहा है कि किस तरह शमा इतनी मोटी हो गई है। जब देखो खाती रहती हैं और दूसरों के हिस्सा का भी खा जाती है। बस यही बात चल रही थी।
साजिया ने अपनी सफाई दी और मैं भी उसकी बात पर स्माइल कर दिया और साजिया ने खाना लगा दिया और फिर हम सबने साथ में खाना खाया और साहिल आज फिर से सोने के लिए गेस्ट रूम में चला गया।
मैं और साजिया दोनो बेड पर लेटे हुए थे और बाते शुरू हो गई। नासिर :"
" साजिया एक बात बताओ यार ये साहिल ऐसे हमारे साथ कब तक रहेगा ? हम तो इसे ठीक से जानते भी नहीं है।
साजिया एक पल के लिए खामोश हो गई और फिर बोली:"
" देख लीजिए जैसे आपको बेहतर लगे। वैसे ये मेरी बहुत अच्छी सहेली का भाई हैं और अभी शहर में नया हैं बिलकुल।
साजिया ने साहिल का पक्ष लेते हुए कहा और मुझे हैरानी हुई कि मेरी बीवी ऐसा कर सकती है। सच कहूं तो मैं भी यही चाह रहा था कि साहिल घर पर ही रहे लेकिन बस साजिया के दिल में उसके लिए हमदर्दी मालूम करना चाह रहा था इसलिए बोला:"
" यार सभी नए होते हैं और हालात से लड़कर ही इंसान आगे बढ़ता है। अलग रहेगा तो मानसिक तौर पर ज्यादा मजबूत हो जायेगा।
साजिया:" अब मैं इसमें क्या कह सकती हूं जब आपने मन बना ही लिया हैं तो!! बस शायद शमा को ये अच्छा न लगे कि हमारे होते हुए उसका सगा भाई बाहर किराए पर रहे। फिर अपनो का क्या फायदा और शायद मैं हमेशा के लिए उसकी नजरो में गिर जाऊ। आगे जैसे आपको ठीक लगे आप कीजिए।
अब भला करने या बोलने के लिए बचा ही क्या था। साजिया ने अपना हर दांव पेंच चल दिया था उसे घर में रोकने के लिए और मैं भला मना करने वाला कौन होता।
नासिर:" ठीक हैं फिर थोड़े दिन रखकर देखते है। अगर ठीक से रहा तो अपने साथ ही रख लेंगे।अब खुश हो न तुम।
मेरी बात सुनकर साजिया के होंठो पर स्माइल वापिस आ गई और मेरे गाल चूम कर बोली
" हम्म खुश। लेकिन चला भी जाए तो फिर भी कोई बड़ी बात नहीं होती। लेकिन आपने रख लिया अच्छा किया और अब शमा भी खुश हो जायेगी।
साजिया:" अरे मैं दूध तो भूल ही गई। रुको लेकर आती हु।
इतना कहकर वो बाहर निकल गई और थोड़ी देर बाद ही ग्लास में दूध लेकर आ गई। मैने ग्लास अपने हाथ में लिया और दूध पीने लगा और बोला:"
" अरे बेचारे साहिल को भी दूध दे आओ। ऑफिस में अब्दुल बोल रहा था कि बड़ी मेहनत कर रहा है ये काम सीखने में।
साजिया उठी और किचन में चली और गर्म दूध करके साहिल के रूम में चली गई। करीब 10 मिनट के बाद वो वापिस आई और काफी खुश लग रही थी और बोली:"
" मैने साहिल को साफ साफ कह दिया हैं कि थोड़े दिन वो घर पर ही रहेगा और अगर अच्छे से रहेगा तो फिर अपने साथ ही रख लेंगे। वो बोल रहा रहा था कि शिकायत का कोई मौका नहीं देगा।
साजिया की बात सुनकर मुझे अच्छा लगा और उसके बाद थोड़ी देर और बाते करने के बाद हम दोनो सो गए।अगले दिन संडे था और मैं सोकर लेट उठा और देखा कि साजिया नाश्ता बना चुकी थी और मैं घूमने के लिए छत पर चला गया। मैने देखा कि घर में पीछे बने लॉन में साहिल कसरत कर रहा था और उसके जिस्म पर एक स्लीवलेस बनियान थी जिसमे उसका कसा हुआ चौड़ा सीना और उसका पसीने से भीगा हुआ पूरा बदन बेहद आकर्षक लग रहा था। मैं मन ही मन उसके जिस्म की तारीफ कर उठा और तभी साजिया भी छत पर आकर मेरे पास खड़ी हो गई और बोली:"
" क्या देख रहे हो आप ?
उसने मेरे पास खड़े होकर नीचे झांका और साहिल को देखते ही उसके चेहरे पर चमक आ गई और बोली
" अच्छा ये तो साहिल हैं।देखो कितनी अच्छी बॉडी बनाई है और फिर भी बड़ी कसरत कर रहा है। एक आप हो जिसकी नींद पूरी नहीं होती। आप भी कसरत करके अपने आपको फिर बनाए ना।
नासिर समझ गया कि साजिया को उसका जिस्म अच्छा लग रहा हैं और बोला:"
" चलो फिर एक काम करते हैं साहिल से ही पूछ लेते हैं कि उसकी इस सेहत का बॉडी का राज क्या हैं ?
नासिर नीचे चल पड़ा और पीछे पीछे साजिया भी आ गई। थोड़ी देर बाद ही दोनो उसके सामने खड़े हुए थे और साहिल हमे देखकर एक पल के लिए रुक गया और फिर से कसरत करने लगा। मैं उसके सामने ही बनी हुई एक बेंच पर बैठ गया और बोला:"
" रोज इतनी कसरत करते हो क्या तुम ?
साहिल अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया और एक हाथ से डिप्स लगाते हुए बोला:"
" हान करता तो हु लेकिन आज सन्डे है बस इसलिए ज्यादा कर रहा हु।
साजिया बड़ी गौर से उसे ही देख रही थी कि किस तरह इसके ऊपर नीचे होने से उसकी छाती फूल और पिचक रही थी और नासिर तिरछी नजरों से साजिया पर ध्यान रखे हुए बोला
" यार तुम्हारी कसरत अब मेरे लिए मुसीबत बन जायेगी। साजिया मुझे भी कसरत के लिए बोल रही है ताकि तुम्हारे जैसी बॉडी बना सकू। अब तुम्ही बताओ इस उम्र में क्या ये हो सकता हैं ?
साहिल ने एक बार ध्यान से नासिर को देखा और बोला:"
" हो तो जायेगा लेकिन मेहनत ज्यादा करनी होगी आपको। रोज सुबह जल्दी उठकर आना होगा।
साजिया उसकी बात हंस पड़ी और बोली: जल्दी उठना तो इनके लिए दुनिया का सबसे मुश्किल काम है साहिल।
मैं उसकी बात सुनकर हंस पड़ा और मैं चाहता था कि अच्छा मौका है और साजिया जितनी देर साहिल के साथ अकेली रहेगी उतना ही अच्छा होगा। मैं बहाना करते हुए बोला:"
" अरे मुझे तो अभी पप्पू भाई कॉल करना था साइट के काम के लिए। मैं थोड़ी देर बाद आता हु।
इतना कहकर मैं वापिस अंदर आ गया और इस बार मैं उल्टी तरफ से घूमकर फिर से उनके पास पहुंच गया। मैं अब एक पेड़ के पीछे पूरी तरह से छुपा हुआ था और दोनो को साफ साफ देख पा रहा था और उनकी आवाज भी सुन सकता था।साजिया ने इधर उधर देखा और फिर साजिया बेंच से खड़ी हो गई और उसके पास पहुंच गई। मेरी दिल की धड़कने बढ़ने लगी कि ये इतनी जल्दी क्या हो रहा है।
साजिया बिलकुल उसके सामने खड़ी हुई थी और स्माइल करते हुए बोली:"
" सच में साहिल बॉडी तो एकदम मस्त हैं तेरी सच में बड़ी मेहनत लगती होगी।
साहिल ने उसे स्माइल दी और बोला:" मेहनत तो लगती हैं। अब देखो ना मैं पिछले 8 साल से लगातार कसरत कर रहा हूं तो तब जाकर ये बॉडी बनी है।
साहिल ने अब एक हाथ से तेज तेज से डिप्स लगाने शुरू कर दिए और सच में उसकी स्पीड मुझे भी पसंद आ रही थी। साजिया बिना पलके झकपाए ध्यान से उसे ही देख रही थी और साहिल अब बिना उसकी तरफ देखे तेज और तेज कसरत कर रहा था। उसका पूरा जिस्म पसीने पसीने हो गया था और पसीने बूंद बूंद करके उसके बदन से छू रहा था लेकिन वो रोक ही नहीं रहा था। काफी देर के बाद वो रुका और उसने साजिया की तरफ देखा तो साजिया बोली:
" सच में साहिल तुम्हे मानना पड़ेगा कि बड़ी मेहनत करते हो। नासिर बोल रहे थे कि तुम ऑफिस का काम भी बड़ी तेजी दे सीख रहे हो। मैं चाहती हू इसी तरह मन लगाकर काम करते रहो बिना शिकायत का मौका दिए हुए।
साहिल:" आप फिक्र मत कीजिए। मैं अपनी तरफ से ऐसा काम नही करूंगा कि आपको दिक्कत हो।
इतना कहकर साहिल ने अपनी बनियान उतारी और उसकी छाती पूरी तरह से नंगी हो गई और साहिल अपने बनियान को निचोड़ने लगा तो उसमे पसीना बाहर आने लगा। साजिया ने पहली बार उसकी नंगी चौड़ी छाती देखी बिलकुल चिकनी एक भी बाल नहीं और मन ही मन उसकी तारीफ करने लगी। तभी साहिल ने जोर से अपने बनियान को झटका और इस झटके के साथ उसकी जांघो पर बंधी हुई लंगोट खुल गई और साहिल सिर अंडरवियर पहने उसके सामने आ गया और पसीने से पूरी तरह भीग चुके अंडरवियर में उसका लंड का आकार साफ साफ साजिया को दिखा और साजिया को एक जोरदार झटका सा लगा।
साहिल पूरी ताकत से बेखबर था कि उसकी लुंगी खुल गई है और आराम से अपना निगाहे नीचे किए बनियान निछोड़ता रहा। जबकि साजिया का के पूरे बदन में कंपकपी सी दौड़ गई थी और उसके बदन का रोम रोम खड़ा हो गया था। उसे यकीन नही हो रहा था ये अभी उसका लंड खड़ा हुआ हैं या सोया हुआ। सोया हुआ है लेकिन फिर भी अभी भी नासिर के लंड से लंड काफी बड़ा लग रहा है। साजिया नही चाहती थी कि वो साहिल को पता चले कि मैं उसका अंडरवीयर देख रही हूं इसलिए वो बिना कुछ एक नजर फिर से उसे देखी और चली गई। पेड़ के पीछे छिपा हुआ नासिर पूरी तरह से खुश था क्योंकि पहली ही बार में उसकी उम्मीद से ज्यादा हो गया था और वो समझा गया था कि बस चिंगारी को हवा दिखाने की जरूरत हैं और साजिया जल्दी ही साहिल के नीचे चुद जायेगी। साजिया ने कुछ कदम चले कि उसने एक बार फिर से पीछे मुड़कर साहिल की जांघो के बीच झांका और फिर से तेजी से आगे बढ़ गई। साजिया के जाते ही मैं भी घर के पीछे से अंदर घुस गया और जब साजिया अंदर आई तो मैं सोफे पर बैठा हुआ था। मैने देखा कि उसके चेहरे पर हवाईयां सी उड़ी हुई थी और आंखे पूरी तरह से गोल गोल हो गई थी जैसा कि उसकी आंखे चुदते समय हो जाती थी। मतलब तीर सही निशाने पर लगा था। साजिया बिना कुछ बोले सीधे किचन में घुस गई और पानी पीने लगी।
उधर बाहर साहिल ने जब अपने आपको अंडरवियर में देखा तो पूरी तरह से डर गया और सामने देखा लेकिन साजिया को न पाकर उसने राहत की सांस ली। लेकिन उसे ये नही पता चला कि साजिया उसकी लुंगी खुलने से पहले ही चली गई थी या बाद में गई है। खैर अपने आपको ठीक करने के बाद वो भी घर के अंदर आ गया और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया।
थोड़ी देर के बाद सभी बैठकर नाश्ता कर रहे थे और साहिल के चेहरे पर परेशानी नजर आ रही थी तो वहीं साजिया भी काफी गुमसुम सी हुई नाश्ता कर रही थी मानो उसका दिमाग कहीं और था। मुझे पूरा यकीन था कि उसके दिमाग में जरूर साहिल का लंड घूम रहा है और वो कहीं का कहीं साहिल की तरफ झुकने के लिए सोच रही होगी। साहिल आजकल शमा के बिना तड़प रहा होगा और अगर साजिया ने उसे थोड़ा सा भी भाव दिया तो वो बहकने में देर नहीं लगाएगा। जो अपनी सगी बहन को इतनी मोटी थुलथुल होने के बाद भी नही बक्शा वो भला साजिया जैसे कुदरत के अनमोल तोहफे को कैसे छोड़ देगा।
नासिर खाना खाते हुए बोला:"
" क्या हुआ साजिया बड़ी गुमसुम सी लग रही हो आज ? तबीयत तो ठीक हैं ना तुम्हारी ?
साजिया:" हान ठीक हु। बस शमा के बारे में सोच रही थी कि उसके सामने कितना अच्छा मन लगा हुआ था।
नासिर:" तो फिर एक काम करते हैं कहीं घूमने चलते है। संडे भी हैं तुम्हारा मन भी लग जायेगा।
साजिया:" हान ये ठीक रहेगा। जल्दी से खाना खाकर मैं तैयार हो जाती हु।
खाना खाने के बाद साजिया अपने कमरे में चली गई तैयार होने लगी तो मैं बोला:
" यार एक काम करो ना जो कपड़े कल खरीदे हैं वो ही पहन लो। शायद तुम्हे अच्छे लगे।
साजिया:" अरे नही बाबा। इतने कसे हुए टाइट कपड़े मैं नहीं पहन सकती। कोई भला क्या सोचेगा ?
नासिर:" उफ्फ तुम भी ना, कोई कुछ नही सोचेगा। एक बार कम से कम पहनकर तो देखो, अच्छे ना लगे तो मत पहनना।
इतना कहकर मैंने उसे कपड़े दिए और साजिया ने अपने कपड़े बदलने शुरू कर दिए और जल्दी मैने उसे एक हल्के नीले रंग का गोल गहरे गले का सूट दिया और उसमे उसकी चुचियों का उभार काफी हद तक साफ झलक रहा था। गोरी गोरी चूचियों की गहरी खाई किसी का भी लंड खड़ा कर सकती थी। सूट टाइट होने के कारण उसकी तनी हुईं पूरी चुचियों का आकार साफ साफ महसूस हो रहा था। साजिया उसे पहनकर थोड़ा असहज महसूस कर रही थी तो मैंने उसे सहारा दिया
" अरे कुछ नही होता। इतना तो आजकल चलता है। उपर से तुम बुर्का पहन लो तो फिर किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।
साजिया को मेरा आइडिया पसंद आया और उसने ऊपर काले रंग बुर्का पहन लिया लेकिन बुर्का टाइट होने के साजिया के शरीर का एक एक अंग पूरी तरह से उभरकर अपना आकार दिखा रहा था और साजिया ने एक बार मेरी तरफ देखा तो मैंने उसे मुस्कुरा कर इशारा कर दिया कि सब ठीक है।
उसके बाद मैं भी तैयार होने लगा और मैंने अब्दुल को मैसेज कर दिया कि ठीक पांच मिनट बाद मुझे कॉल करके याद दिला देना कि आज कुछ बहुत जरूरी काम है और मुझे बिलाल भाई से मिलना बहुत जरूरी है।
मैने गाड़ी निकाली और साजिया उसमे बैठ गई और उसके बाद साहिल भी आ गया तो उसके आते ही फिर से साजिया थोड़ा असहज महसूस करने लगी। मैने जैसे ही गाड़ी स्टार्ट करी तभी अब्दुल का कॉल आ गया और मैने फोन को लाउड स्पीकर पर लेकर बात किया।
अब्दुल:" सर आपको याद दिलाने के लिए कॉल किया हैं कि बिलाल भाई आपका इंतजार कर रहे हैं। आप जल्दी आ जाइए।
नासिर ने एक बार साजिया की तरफ देखा तो उसने बुरा सा मुंह बनाया और नासिर बोला:"
" अच्छा ठीक है। उसे बैठाकर रखो मैं थोड़ी देर बाद पहुंच रहा हूं ऑफिस ठीक है।
इतना कहकर मैंने फोन काट दिया और उदास होने का नाटक करते हुए बोला
" सॉरी यार साजिया मुझे ऑफिस जाना होगा। एक काम करो तुम साहिल के साथ घूम आओ।
मेरी बात सुनकर साजिया सकपका सी गई और समझ नही आया कि क्या करे लेकिन फिर अगले ही पल बोली:"
" अरे कोई बात नही। अगले संडे घूम लूंगी।
नासिर:" अरे नही, तुम अपना मूड मत खराब करो प्लीज। तुम ग्रीन पार्क चलो जाओ वहां मौसम भी अच्छा रहता है और थोड़ी देर के बाद मैं भी वही पहुंच जाऊंगा।
मेरी बात सुनकर साजिया अपने चेहरे पर स्माइल लाई और बोली:"
" तुम पक्का आ जाओगे ना ? मैं इंतजार करूंगी।
नासिर:" अरे बाबा पक्का आ जाऊंगा। साहिल तुम अब गाड़ी चलाओ और आराम से लेकर जाना।
इतना कहकर मैं गाड़ी से उतर गया और अंदर घर में आ गया और अपने मोबाइल को कैमरे से जोड़ लिया और देखने लगी कि साजिया पीछे बैठी हुई थी और साहिल बीच बीच में उसकी तरफ देख रहा था। मैने अपने कैमरे वाले दोस्त को कॉल किया और उसे घर आने के लिए बोल दिया और सब समझा दिया कि मुझे सुरक्षा के लिए अपने घर के हर कमरे, हॉल में पारफुल खुफिया कैमरे चाहिए।
उसके बाद मैंने फिर से साजिया को देखना शुरू कर दिया और जैसे ही गाड़ी थोड़ी दूर पहुंची तो साजिया बोली:"
" साहिल एक मिनट रुको मैं आगे बैठना है।
साहिल ने गाड़ी रोक दी और फिर साजिया आगे बैठ गई और अपने हिजाब को खोल दिया। उसका खूबसूरत चेहरा खिल उठा और होंठो पर लगी हुई लाल रंग की लिपिस्टिक कहर ढा रही थी। साहिल ने शीशे में उसे बार बार देख रहा था और साजिया भी समझ गई साहिल उसे देख रहा था और जान बूझकर अनजान बनी रही। साहिल ने बात करना शुरु किया
" अगर आप बुरा न माने तो एक पूछ सकता हु ?
साजिया:" हान हां बोलो ना तुम ?
साहिल:" आप कौन सा परफ्यूम लगाती है बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है मुझे।
साजिया उसकी तरफ मुस्कराई और बोली:"
" लैवेंडर। लेकिन क्या तुम सच में अच्छी खुशबू आ रही है ?
साहिल:" अच्छी नहीं बल्कि बहुत ज्यादा अच्छी खुशबू आ रही है। मन करता हैं बस सूंघता ही रहु।
साजिया:" अच्छा जी मैं तुम्हे लैवेंडर परफ्यूम ही दे दुगी पूरी रात सूंघते रहना। अब गाड़ी तेज चलाओ।
इतना कहकर साजिया जोर से हंस पड़ी और साहिल ने भी उसे स्माइल दी। गाड़ी अब पूरी रफ्तार से दौड़ने लगी और खिसकी से आती तेज हवा से साजिया का हिजाब उसके सीने से खिसक गया और टाइट बुर्के में कसी हुई उसकी गोल गोल मोटी मोटी चूचियां बुर्के में ही अपना आकार दिखाते हुए नजर आने लगी और साजिया के इसका पता भी नही चला।
साहिल की नजरे शीशे से जैसी उसके सीने पर पड़ी तो उसकी आंख चमक उठी। उफ्फ इतना कसी हुई और गोल गोल उभार लिए चूचियां देखकर वो मदहोश सा हो गया और उन्हें देखने लगा। तभी साजिया की नजर उस पर पड़ी और वो शर्मा गई और उसने फिर से अपना हिजाब ठीक किया और फिर से बाहर देखने लगी। तेज हवा के झोंके से फिर से उसका हिजाब सरक और साजिया जानती थी कि उसका हिजाब फिर से सरक गया है लेकिन उसने ठीक करने की कोई कोशिश नही करी और साहिल बीच बीच में फिर से उसकी चूचियां देखने लगा। नासिर ये सब देख रहा था और उसे यकीन नही हो रहा था कि साजिया ऐसा क्या सच में जान बूझकर कर रही है। अपना जिस्म ढककर रखने वाली आज अपना हिजाब ठीक नही कर रही थी और इससे साहिल से ज्यादा खुशी नासिर को हो रही थी क्योंकि वो जानता था कि साहिल कुछ ही दिनों में साजिया की जवानी के आगे पूरी तरह से पिघल जायेगा और साजिया का वो हाल करेगा जैसा मैं चाहता हु। थोड़ी देर के बाद गाड़ी ग्रीन पार्क में घुस गई और साहिल ने दो टिकट लिए और उसके बाद पार्किंग में गाड़ी को लगा दिया और गाड़ी से बाहर निकल गया। साजिया ने अपना हिजाब मुंह पर बांधा और अपनी तरफ से गाड़ी की खिड़की को खोला और जैसे ही बाहर निकलने लगी वो उसका बुर्का खिड़की में फंस गया और एक झटके के साथ साजिया गाड़ी से बाहर आ गई।
साजिया के मुंह पर हिजाब था लेकिन शरीर पर कसे हुए सूट में उसकी चूचियों गोरा गोरा कसा हुआ, उभरा हुआ उभार नजर आया और साहिल की आंखे फटी की फटी रह गईं। साजिया शर्म के मारे घबरा उठी और दोनो हाथों से अपना मुंह ढक लिया और हड़बड़ी में अपनी चुचियों को खुला ही छोड़ दिया। साहिल ने ध्यान से जी भरकर उसकी चुचियों को देखा, घूरा और उसकी चुचियों की तारीफ किए बिना ना रह सका। चुचियों की गहरी खाई के साथ साथ उसकी तनी हुईं चूचियां अपना पूरा आकार दिखा रही थी। साजिया की घबराहट कुछ कम हुई तो उसने साहिल की तरफ देखा और उसकी नजरो का पीछा किया तो शर्म से पानी पानी होती चली गई और बुर्का तेजी से निकाला लेकिन जल्दी से झटका मारने के कारण वो फट गया और साजिया को काटो तो खून नहीं। साजिया अपनी चूचियां बचाने के लिए पलट गई और कसे हुए सूट में उसकी फंसी हुई गांड़ उभरी हुई, तनी हुईं गांड़ साहिल की आंखो के सामने आ गई और साहिल पागल सा हो गया।
साजिया की कसी हुई चौड़ी गांड़ देखकर साहिल का लंड अकड़ गया और साजिया कांपती हुई गाड़ी में वापिस घुस गई।
साहिल उसके पास गया और बोला:" अरे आप डरिए मत, आजकल तो ऐसी ड्रेस का फैशन है और फिर शमा बाजी तो इससे भी अधिक मॉडर्न कपड़े पहनती है।
साजिया अंदर से ही बोली:" लेकिन फिर भी मुझे शर्म आती है , कहीं नासिर आ गए मुझे इस हालत में देख लिया तो।
साहिल समझ गया कि इसे शर्म से ज्यादा तो अपने शौहर से डर लग रहा है और बोला:"
" आप एक काम कीजिए, नासिर भाई को कॉल करके पूछ लीजिए ? क्या पता मीटिंग में फंसे रहे और आ ही ना पाए।
साजिया को ये बात ठीक लगी और नासिर को फोन मिला दिया और नासिर तो पहले से ही सब देख और सुन रहा था और मन ही मन साजिया की हिम्मत की दाद दे रहा था। जैसे ही घंटी बजी तो साजिया बोली:"
" आप कहां रह गए ? आ नहीं रहे हो क्या ? मेरा मन नही लग बिलकुल भी आपके बिना।
नासिर को आज पहली बार अपनी बीवी का ऐसा रूप देखने के लिए मिल रहा था और स्माइल करते हुए बोला:"
" अरे मैं आ नहीं पाऊंगा। तुम घूमकर घर चली जाना मैं शायद सात बजे के आस पास ही आ पाऊं घर।
साजिया अंदर ही अंदर खुश हो गई और बोली:"
" आप भी ना बस, जब देखो काम ही काम ही काम बस। चलो मैं रखती हूं।
साजिया ने फोन काट दिया और बोली:" यार नासिर नही आ पायेगा वो मीटिंग में फंस गया है।
साहिल:" मैं तो आपको पहले ही कह रहा था कि आप बेकार में ही डर रही हो। चलो अब बाहर आ जाओ आप।
साजिया:" अच्छा सच बताओ ज्यादा खराब तो नही लग रही है ये ड्रेस ?
साहिल:" उफ्फ क्या बताऊं आपको अब। इस ड्रेस में आप बेहद खूबसूरत लग रही और आपका जिस्म बेहद आकर्षक लग रहा है।
साजिया उसकी बात सुनकर अंदर ही अंदर खुश हो गई और बोली:"
" तुम भी ना, बड़े शैतान हो गए हो। रुको आती हु बाहर।
इतना कहकर साजिया बाहर निकलने के लिए आगे को झुकी और साहिल अपनी आंखे झपकाना भूल गया। झुकने से उसकी गोल गोल आधे से ज्यादा बाहर छलक उठी थी। साजिया का पैर फटे हुए बुर्के में फंस गया और वो गिरने लगी वो साहिल ने आगे बढ़कर उसे पकड़ लिया और जल्दबाजी में साहिल के दोनो हाथ उसकी चूचियों पर पड़े और जोर से पकड़ने के कारण उसकी चूंचियां दब गई और साजिया के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी। साहिल ने एक हाथ से उसकी गांड़ को पकड़ सहारा देते हुए खड़ा कर दिया और बोला:"
" संभालिए अपने आपको।
साजिया अपनी चूचियां दबाए जाने से मचल उठी और सेक्सी स्माइल देते हुए बोली
" ओह थैंक्स साहिल, तुमने मुझे गिरने से बचा लिया, सच में तुम बहुत अच्छे हो।
साहिल ने भी उसे स्माइल दी और उसके बाद दोनो पार्क में आगे बढ़ गए। गाड़ी वहीं खड़ी रह गई जिससे नासिर को अब पता नही चल रहा था कि दोनो क्या कर रहे हैं और कैमरे वाला आ गया था और वो उसके साथ काम में लग गया। जल्दी ही सारे घर में कैमरे लग गए तो नासिर खुश हो गया और उसने घर में बने पार्क, स्विमिंग पूल लॉन सब में कैमरे लगवा दिया ताकि हर पल उन पर नजर रख सके। सारा काम खत्म होने के बाद नासिर ने देखा कि अभी तो सिर्फ चार बजे थे। मतलब साजिया छह बजे से पहले तो आने वाली नही थी और अभी कम से कम डेढ़ घंटा वो साहिल के साथ पार्क में घूमने वाली थी। नासिर जानता था कि ग्रीन पार्क में ज्यादातर प्रेमी युगल ही आते हैं और साजिया और साहिल दोनो जरूर एक दूसरे की तरफ आकर्षित हो जायेंगे