• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance बरसात की रात ।

CODE016

New Member
21
25
14
सोफे पे लेटकर आनंद दिन भर की घटनाओं के बारे में सोचने लगा। आज अचानक आयी बारिश... भीगने से बचने की कोशिश करती वर्षा... नर्स रूम में संध्या के साथ छुपके से किया रोमांस... रामलाल के अचानक आने से बिगड़ा हुआ सेक्स... फिर बचने की लिए की गयी सर्कस... सारी बातें याद करके उसको खुद पे हंसी आयी। संध्या का भरा शरीर याद करके वो फिर से एक बार उत्साहित हुआ। शॉर्ट्स के ऊपर से ही उसने अपना लिंग सहलाया।
फिर उसी बारिश की वजह से आज अचानक मिली रेश्मा। यंग है पर फिगर के मामले में वर्षा को भी पीछे छोड़ देगी। ब्रा से निकालने के बार और उभरे उसके स्तन अभी भी उसके नज़रों के सामने थे। चिपके सलवार में निखरे उसके बड़े नितंब याद करके वो और उत्तेजित हो गया। तने हुए लिंग ने पैंट में एक तंबू सा खड़ा कर दिया था। उसपे हाथ फेरते हुए वो रेश्मा के सेक्सी शरीर की कल्पना करने लगा।
आनंद से और रहा नहीं गया। उठके वो बेडरूम की ओर चला गया। दरवाजा खुला था। उसने अंदर झांक कर देखा। रेश्मा पीठ के बल सो रही थी। कंबल निचे खिसका हुआ था। कमरे की मंद रोशनी में भी उसकी बड़ी छाती आँखों में भर रही थी।
आनंद अंदर चला गया और बेड के पास खड़ा हुआ। उसकी गहरी सासोंसे उसके स्तन ऊपर निचे हो रहे थे। कुछ पल आनंद उसके कोमल से चेहरे की ओर देखता रह गया। इतने में उसकी आँखे खुली। पर आनंद बिलकुल हडबडाया नहीं, इस बात का उसे खुद आश्चर्य हुआ।
“अरे डॉक्टर आप? सोये नहीं अभी तक?”
“तुम भी कहाँ सोयी हो?”
“हाँ। बस आज के दिन के बारे में सोच रही थी। बैठो ना आप।” बैठने का इशारा करते हुए उसने कहा।
“फिर क्या सोचा?” उसके बगल में बैठते हुए आनंद ने कहा।
“आज अगर आप न मिलते तो हम क्या करते? दादी की तबियत भी ठीक नहीं थी।”
“मुझे तो लगा था की इतनी बारिश में रास्ते में सिर्फ भूत ही होगा।” दोनों की हंसी निकल आयी। “वैसे मैंने कुछ खास नहीं किया तुम्हारे लिए। जो भी ठीक लगा वो किया मैंने।”
“आप बहोत अच्छे हो।”
“तुम बहोत ही मस्त हो, और क्यूट भी।” आनंद ने देखा की मछली फंस चुकी है।
रेश्मा ने बस एक शरारती मुस्कान दी। आनंद के लिए इतना इशारा काफी था। आगे झुकते हुए उन्होंने रेश्मा के माथे पर किस किया। रेश्मा ने आँखे बंद कर कर ली। दूसरे ही पल उन्होंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। रेशमा ने एक गहरी सांस ली। पर उसने डॉक्टर को रोका नहीं।
आनंद ने हाथ बढाकर उसकी छाती पर रखा। रेश्मा की सांसे और तेज हो गयी। धीरे धीरे वो उसके स्तन सहलाने लगा। उसके मांसल स्तन बहुत बड़े और मुलायम थे। आनंद उसको हलकेसे मसलने लगा। रेश्मा भी अभी गर्म हो चुकी थी। आनंद की करतूतें उसको अब अच्छी लगने लगी थी।
https://www.youtube.com/@randomvideos_YT
Subscribe karo Friends
 
Last edited:
  • Like
Reactions: Thakur and Madybhai

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
Prime
3,246
6,774
159
बरसात का हमारी जीवन में एक विशेष स्थान है। हम सब सभी की बारिश के साथ कुछ यादें जुडी होती है। खास कर अचानक आई पहली बारिश। जब हम उसके लिए तैयार नहीं होते और तभी अचानक धुँवाधार बारिश आ जाती है। इसी दौरान अनपेक्षित घटनायें घट जाती है। कुछ अच्छी, तो कुछ बुरी। मगर कुछ ऐसी चीजें घट जाती है जो जिंदगी भर याद रह जाती है।
अचानक मौसम में हुए बदलाव के साथ ऐसी ही कुछ यादें जुडी होती है वो है श्रृंगार की। कभी कभी हमें कोई मिल जाता है जिसके साथ बिताया जादुई समय बिलकुल यादगार होता है। ये एक ऐसे ही बरसात की कहानी है। अचानक आई बारिश के कारण सब अस्तव्यस्त हो जाता है। कोई किसी मुसीबत में फस जाता है तो किसी को कुछ अलग ही मौका मिलता है।
आशा है की डॉक्टर आनंद की ये रोमैंटिक कहानी आपको पसंद आएगी। इस बरसात की रात में जो अनुभव आनंद ने लिया वो हम सब की कल्पना होती है। इस कहानी के मा iiध्यम से उसी कल्पना को महसूस करने का ये छोटा सा प्रयास है।


लगभग अंधेरा हो चुका था। बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। वैसे बारिश का मौसम शुरू होने में अभी काफी वक्त था। पर आज अचानक मौसम ने करवट बदल दी और जोर की बारिश होने लगी। आकाश दोपहर से ही धुंदला हुआ था। पर ये आज कुछ नया नहीं था। अकसर धुंदले बादल के साथ बढती गर्मी से लोग वाक़िफ़ थे। पर आज अचानक से आयी बारिश से सभी सरप्राईज थे। गड़गड़ाहट के साथ कड़कती बिजली ने सभी को अपनी जगह पे कैद कर रखा था। रास्ते सुमसान होने में देर नहीं लगी। पर जब दिन ढलने के बाद भी जब बारिश न रुकी तो लोगो ने भीगते हुए घर का रास्ता पकड़ लिया था।
डॉक्टर आनंद की शिफ्ट ख़तम हो चुकी थी। वैसे भी दोपहर से चल रही बारिश के कारण अस्पताल में ज्यादा पेशंट नहीं थे। उनके पास कार थी, इसलिए बारिश में निकलने की कोई समस्या नहीं थी। निकलते वक्त उन्होंने डॉक्टर वर्षा को घर छोड़ने का ऑफर दिया। किंतु डॉक्टर वर्षा ने साफ़ मना कर दिया। उन्होंने बाकि सहेलियोंके साथ रिक्शा का जुगाड़ कर लिया था। डॉक्टर आनंद का वर्षा पे क्रश था। मन ही मन वो उनको अच्छी लगने लगी थी। बात डॉक्टर वर्षा के नजरोंसे छूटी नहीं थी। इसलिए वो ज्यादातर आनंद से दूर रहने की कोशिश करती थी।
डॉक्टर आनंद की उम्र लगभग ३४ साल थी। उनका घर सिटी सेंटर से बहुत दूर तकरीबन शहर के सीमा पर था। वो इलाक़ा अभी ज्यादा विकसित नहीं हुआ था। पर सस्ती रिअल ईस्टेट के कारण उन्होंने वहाँ पर बड़ा आलीशान मकान बनाया था। इतने बड़े घर में वह अकेले रहते थे। उम्र बढ़ने के बावजूद भी उनकी शादी नहीं हुयी थी। उनकी जिंदगी में काफी लड़कियाँ आयी थी। पर किसी एक के साथ सेटल होना उनकी नसीब में नहीं था। उनका रंगीला स्वभाव इसकी और एक वजह थी।
मरीज का इलाज करने में डॉक्टर आनंद एकदम कुशल थे। इसलिए उनका रंगीला स्वभाव आजतक अस्पताल प्रबंधन ने दुर्लक्षित किया था। लेडी डॉक्टर के साथ फ़्लर्ट करना, नर्स के साथ रंगीला व्यवहार करना उनकी आदत थी। कई बार डॉक्टर के बहकावे में आके कुछ नर्स उनका साथ देती। फिर चुम्माचाटी के बदले में डॉक्टर उनको अपने मेहरबानी दिखाते थे। पर डॉक्टर आनंद ने पेशंट के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं होने दिया। पेशंट के इलाज मामले में वह एकदम व्यवसायी थे। इश्कबाजी के अलावा वही एक चीज़ थी जो उनको दिल से भाती थी।
गेट में आयी रिक्शा ने जैसे हॉर्न बजाया, बरामदे में खड़ी वर्षा और उसकी सहेलियोने अपना बैग उठाया। बारिश अभी भी काफी तेज थी। जैसे ही बरामदेसे बाहर निकली, बारिश से बचने के लिए वर्षा ने अपना पर्स सर के ऊपर पकड़ा। इससे बारिश से बचाना मुश्किल था, पर फिर भी बालों को भीगने से बचाने की उसकी कोशिश थी। धुँवाधार बारिश के कारण नज़ारा एकदम धुंदला हुआ था। पर उसी हालात में भी डॉक्टर आनंद उन महिलाओं को अपनी कामुक नजरोंसे घूर रहे थे। वैसे बारिश में दौड़ने वाली डॉक्टर का नज़ारा विलोभनीय था। खासकर डॉक्टर वर्षा का। तेजी से चलते वक्त मटकने वाले उसके नितंब आनंद को उत्तेजित कर रहे थे। बारिश ने इतने कम अंतर में ही उनको लगभग भीगा दिया था। शरीर से चिपके कपड़ों में से उनके अंग निखरकर आ रहे थे। भीगने से बचाने के लिए वर्षा ने अपना एप्रन और दुपट्टा उतार के पर्स में रख दिया था। इसी कारण उसके भीगी हुयी ड्रेस से उसकी ब्रा का दर्शन आसानी से हो रहा था। जैसे वो गेट के पास से गुज़री, गेट की लाईट में उसका भीगा बदन चमक उठा। लाईट की रोशनी में भीगे कपड़ों से चिपके उसके अंग आसानी से नजर आ रहे थे।
गेट से बाहर निकलते ही सभी डॉक्टर जल्दी से रिक्शा में सवार हो गए। रिक्शा के दोनों खुले दरवाजोंसे बारिश का पानी अपना रास्ता तलाश रहा था। वर्षा और उसकी सहेलियाँ अपना बचाव करने की कोशिश कर रही थी। पर तेज बारिश के सामने उनकी कोई एक चलने वाली नहीं थी। ड्रायवरने एक्सेलरेटर घुमा के रिक्शा को गति दी। रिक्शा आखोंसे पार ओझर होने के बाद ही आनंद ने अपनी नजर हटायी।
“वर्षा से बचने की कोशिश करनेवाली वर्षा आखिर वर्षा में भीग ही गयी।” डॉक्टर आनंद को खुद की पंक्तिपर खूब हंसी आयी।
‘जानेमन, हमारे साथ चलती तो ये बारिश से बचाकर हम तुम्हें अपनी इश्क़ की बारिश में भीगा देते।’ मन ही मन उन्होंने अपने भावनाओं का इज़हार किया।
आज न जाने डॉक्टर अलग ही मूड में थे। उनके अंदर का शायर आज जाग गया था। शायद ये अचानक आयी बारिश का असर हो।
पैंट में हुयी हलचल को हाथों से दबा कर वो अंदर निकल गए। हलचल तो होनी ही थी। आखिर उन्होंने डॉक्टर वर्षा का बारिश में भीगा बदन जो देखा था। अस्पताल में वैसे आवाजाही कम थी। ज़ोरदार बारिश के चलते नए पेशंट आने का संभव कम था। पेशंट के रिश्तेदार गलियारे में बैठकर बातें कर रहे थे। अचानक आयी बारिश उनकी बातों का विषय था। उनसे गुजरते हुए आनंद रिसेप्शन के पास पहुंचे। रिसेप्शन खाली पड़ा था। वैसे ही आगे निकलते हुए आनंद ने नर्स के कमरे में झाँका। वहाँ पर नर्स संध्या अपना डेस्क लगा रही थी। उसकी आज नाइट ड्यूटी थी। पर बारिश के कारण आज उसे थोड़ा लेट हुआ था।
“तुम भी भीग गयी क्या?”
“अरे डॉक्टर साहब, आप कब आये? हाँ तो बारिश इतनी तेज थी की छाता टिक नहीं रहा था।”
“वैसे भीगी हुयी ही अच्छी लग रही हो।” डॉक्टर ने आँख मारते हुए बोला।
“चलो, आप कुछ भी बोलते हो।”
“अरे सच्ची। यकीन नहीं होता तो इस आईने से पूछो।”
उसके भीगे बालों को सहलाने वाले हाँथ उसके कांधोंपर रखकर डॉक्टर ने उसको आईने की तरफ मुड़ाया। संध्या डॉक्टर आनंद के करीबी स्टाफ में से थी। डॉक्टर का फ़्लर्ट करना उसको अच्छा लगता था। वो उनका हमेशा साथ देती थी। आनंद ने इसका पूरा फायदा उठाया था। संध्या शादीशुदा थी। पर उसका पति नशेबाज था। डॉक्टर ने यही मौका देख कर उसको अपने पास आकर्षित किया था। उसको भी डॉक्टर का आकर्षक व्यक्तित्व पसंद था। जो प्यार पति से नहीं मिल पाया उसी की कमी डॉक्टर ने पूरी की थी। डॉक्टर आनंद सभी महिलाओं के साथ फ़्लर्ट करता है ये बात उसको पता थी। मगर फिर भी आनंद की हवस में उसने अपनी ख़ुशी ढूंढ ली थी। आनंद ने भी हमेशा उसके प्रति पक्षपात दिखाया था। इसका कारण सबको पता था। पर इस बात की फ़िक्र न ही डॉक्टर आनंद को थी और न ही संध्या को।
संध्या के कंधे पर रखे उनके हाथ धीरे धीरे उसके पीठ पर फिरने लगे। संध्या के चहरे की लाली आनंद को आईने में साफ़ दिख रही थी। उसकी पीठ सहलाने वाले उनके हाथ अब खुलकर संध्या के शरीर पर घूम रहे थे।
“मुझे कपड़े चेंज करने चाहिए।” संध्या ने डॉक्टर को कहा।
दोनों हाथ आगे की ओर लेते हुए आनंद ने उसको अपनी बाहोंमे ले लिया।
“जी बिलकुल चेंज करना चाहिए। हमने कहाँ रोका है? उल्टा हम तुम्हारी मदद करना चाहते है।” उसकी कंधे पर अपना सर रखते हुए डॉक्टर ने कहा।
“आप भी ना…” संध्या ने उनकी बाहोंसे छूटने की झूठी कोशिश की वैसे डॉक्टर ने उसे और कसकर पकड़ा।
“चले नर्स साहिबा?”
उनकी बातों से संध्या की हंसी निकल आयी। उसने इधर उधर देखा। रूम में सन्नाटा था। वैसे भी किसी के आने की संभावना नहीं थी। इस समय नयी शिफ्ट वाली नर्से अपने अपने वार्ड का राउंड लगाती थी। स्टाफ रूम में कोई भी नहीं रहता।
संध्या ने अपना बैग उठाया। डॉक्टर आनंद की बाँहे अभी भी उसको जखडे हुए थी। उसी अवस्था में संध्या चेंजिंग रूम की और बढ़ी। ये कमरा स्टाफ रूम के अंदर ही बना हुआ था। अपनी पकड़ बरकरार रखते हुए डॉक्टर उसके पीछे पीछे चले गए। कमरा वैसे छोटा था। अंदर जाते ही संध्या ने बत्ती जला दी। कमरे में लगे बड़े आईने में उसको डॉक्टर का चेहरा साफ़ दिख रहा था। उनके चेहरे पे वही शरारती मुस्कान थी।
“अब छोड़ो भी..” अपनी बैग से नर्स वाला यूनिफार्म निकालते हुए संध्या ने कहा।
उसकी गर्दन पे होठों से चूमते हुए डॉक्टर ने अपने हाथों की पकड़ ढीली की। संध्या ने हाथ दुपट्टे की ओर बढ़ाया।
“अरे ये सौभाग्य तो हमें दीजिये जानेमन।” आनंद ने उसके हाथों को रोकते हुए कहा।
डॉक्टर ने हलके हाथों से संध्या के गले का दुपट्टा निकला। भीगने की वजह से वह उसके ड्रेस को चिपक गया था। दुपट्टा निकलते ही संध्या की छाती अच्छे से दिखने लगी थी। बदन को चिपके गीले कपडोने अपना कमाल दिखाया था। उसमे उसके बड़े स्तनोंका आसानी से नजर में आ रहा था। उसको पिछेसे पकड़ते हुए डॉक्टर उसको आईने में देख रहे थे। ये कोई उनका संध्या के साथ पहला वक्त नहीं था। पर हर बार वह उनको उतनी ही आकर्षक लगती थी।
संध्या थोडीसी सांवली थी। वह बहुत पतली नहीं थी लेकिन उसका सुडौल शरीर बहुत ही आकर्षक था। इसीलिए डॉक्टर उसपे फ़िदा थे। जो सुख पति से नहीं मिल पाया वह उसने डॉक्टर आनंद की बाहोंमे खोज लिया था। डॉक्टर को भी अपनी वासना बुझाने का और एक विकल्प मिल गया था।
आनंद ने दोनों बाजूओंसे हाथ आगे आगे बढ़ाते हुए उसके दोनों स्तनोंपर रख दिए। उनके आगे बढ़ते हाथ संध्या ने आईने में देख लिए थे। जैसे ही डॉक्टर ने अपने हाथों से उसके स्तन हलके दबाये, संध्या के मुँह से सिसकारी निकल गयी। आँखे बंद करते हुए उसने अपना सिर आनंद के शरीर पर टिका दिया। उसके गीले बालों मे मोगरे की खुशबू आ रही थी। शायद ये उसकी बालों मे लगे तेल का सुगंध था। उसकी बालों पे अपनी नाक टिकाते हुए आनंद ने वो सुगंध अपने अंदर भर लिया। दोनों हाथोंसे उसको कसकर पकड़ते हुए आनंद ने संध्या की गर्दन को चुम लिया।
डॉक्टर आनंद ने हाथ पीछे की ओर लेते हुए उसकी कमीज़ के हुक खोलना शुरू किया। संध्या उनको आईने में देख रही थी। सारे हुक खोलतेही आनंद ने उसकी कमीज़ को कंधोंके ऊपर से खिसकाया। थोड़ा और निचे खिसकतेही संध्या की सफ़ेद रंग की ब्रा दिखने लगी। आनंद ने कमीज़ निचे सरकाते हुए उसकी कमर से होते हुए पैरोंमें गिरा दी। संध्या उसको उठाने के लिए झुकानेही वाली थी की डॉक्टर ने फिर एक बार उसकी स्तनोंको कसकर पकड़ा। इस बार उसके स्तन दबाते ही ब्रा के ऊपर से बाहर आने के लिए तरसने लगे। ज़मीन पर पड़ी कमीज़ पैरों के निचे आके ख़राब न हो इसलिए संध्या ने उसको पैरोंसे ही दूर खिसकाया। उसे उठानेका मौका शायद उसको मिलने वाला नहीं था।
और समय न बिताते हुए आनंद ने संध्या के कमर की तरफ अपना ध्यान बढ़ाया। उसके पजामे के नाड़े को उन्होंने एक झटके में खोल दिया। नाडा खुलते ही पजामा पैरोंसे फिसलकर जमीन पर जा गिरा। दोनों हाँथ उसकी कमरपे लिपटकर डॉक्टर ने उसको अपनी और खींच लिया। संध्या की शरीर पर अब सिर्फ सफ़ेद ब्रा और नेवी ब्लू कलर की पैंटी थी। डॉक्टर के लिपटने पर संध्या के नितम्ब उनकी कमर पे रगड़ गए। आनंद की पैंट में तने हुए उनके लिंग का अहसास संध्या को हुआ। पैंटी के पतले कपडे में वो उस लिंग की कठोरता आसानीसे महसूस कर रही थी।
डॉक्टर आनंद ने संध्या को घुमाते हुए उसका मुँह अपनी ओर कर लिया। आनंद की नजरों में भरी वासना देख के संध्या की नजर शर्म से झुक गयी। उसकी गालोंपे हाथ रख कर आनंद ने उसका सर उठा लिया और अपने ओठ आगे बढ़ाते हुए उसको हलकेसे चुम लिया। संध्या के बदन में भी आग तेजी से फ़ैल रही थी। जवाब में उसने आनंद के होंठो मे अपने होंठ मिलाये। दोनों ने एक आवेशपूर्ण चुम्बन लिया। आनंद की जीभ संध्या के मुँह में खुलकर घूम रही थी।
संध्या को अपने हाथोंमे कुछ हलकासा गरम महसूस हुआ। उसने आनंद की तरफ देख किया। दुसरेही पल उसको पता चला की वो और कुछ नहीं पर डॉक्टर आनंद का लिंग है। पैंट की ज़िप खोल कर आनंद ने अपना लिंग संध्या की हाथोंमे थमा दिया था। उनका लिंग बहोत कड़क था और गर्म हो चूका था। संध्या ने उसको अपने हाथोंमे सहलाना शुरू किया।
उधर डॉक्टर ने हाथ की ओर लेते हुए उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। हुक खुलते ही संध्या के कैद स्तन उछलकर बाहर निकले। दूसरे ही पल आनंद ने ब्रा शरीर से अलग कर दी। संध्या अब उनके सामने अर्धनग्न अवस्था में खड़ी थी। आनंद ने झपटकर उसकी बड़ी स्तनोंपर हमला बोल दिया। दोनों हाथों से वो उसे मसलने लगा। संध्या लगभग अपना होश खो बैठी। उसने दोनों हाथों से आनंद का लिंग सहलाना शुरू किया। उसी स्थिति में डॉक्टर ने फिर एक बार संध्या के होठों से अपने होंठ चिपका दिए। दोनों के शरीर अब गर्म हो चुके थे।
डॉक्टर ने अपने होंठ संध्या की स्तनोंपर रखकर चूसना शुरू कर दिया। उसके बड़े स्तन आनंद के मुँह में आना मुश्किल था। जैसे ही आनंद ने उसके निप्पल को दांतोंके बीच दबाकर हलके से कांट लिया, संध्या के शरीर में बिजली सी दौड़ गयी। आनंद का सिर उसने और जोर से अपनी स्तनोंपर दबा दिया।
स्तनोंको चूसते हुए डॉक्टर ने संध्या की पैंटी कमर से निचे खिसकाई। अब संध्या बिलकुल नंगी हो चुकी थी। आनंद उसके पुरे शरीर को सहलाने लगा। संध्या के बड़े नितम्बों पर हाथ फेरते हुए उसको बहुत अच्छा लगा। जांघों पर हाथ फेरते हुए आनंद ने उसकी योनी को स्पर्श किया। दूसरे ही पल योनी को सहलाते हुए आनंद ने अपनी उंगली अंदर खिसका दी। ख़ुशी से उसकी सिसकारी निकल गयी। आनंद ने जैसे ही उंगली अंदर बाहर करना शुरू किया, संध्या के ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। ज्यादा समय टिकना उसके लिए मुश्किल था। उसके शरीर ने झटके लगाए। आनंद ने उंगली की गति बढ़ायी और अगले ही पल एक जोरदार सिसकारी देते होते संध्या ने पानी छोड़ दिया।
संध्या डॉक्टर की बाँहों में गिर पड़ी। आनंद ने कसकर पकड़ते हुए उसको सहलाया। उसका तना हुआ लिंग संध्या की योनि पर रगड़ रहा था। अब डॉक्टर को और रहा नहीं गया। संध्या के होंठोंको चूमते हुए उन्होंने अपना लिंग उसकी योनी पर रखा। अब वो अंदर प्रवेश करने ही वाले थे की बाहर कमरे में हलचल महसूस हुयी।
“कोई है अंदर?”
बाहर से किसी ने आवाज़ लगायी।
“ये अब कौन आ गया”, डॉक्टर ने पूछा।
“रामलाल होगा। झाड़ू-पोछा करने आता है।” संध्या ने डॉक्टर के बाहोंसे निकलने की कोशिश करते हुए कहा।
कोई जवाब न आने पर रामलाल नर्स रूम में आ गया। हड़बड़ी में संध्या अपने कपड़े ढूंढने लगी।
“शुsss.. आवाज मत करना।” आनंद ने संध्या को इशारा करते हुए कहा। “मैं उसको भगाता हूँ। तुम जल्दी से कपड़े पहनकर निकल जाना।”
तना हुआ लिंग पैंट में कैद करने में आनंद को थोड़ी मेहनत करनी पड़ी। पर बंद ज़िप में भी वो आसानी से नजर आ रहा था। कपड़े ठीक करते हुए वो तुरंत बाहर निकले। उनके बाल थोड़े बिखरे हुए थे।
“अरे डॉक्टर साब आप?”
रामलाल ने झाड़ू लगाना शुरू कर दिया था। यही उसका झाड़ू-पोछा करने का दैनिक समय था। सारी नर्से अपनी अपनी वार्ड में जाने के बाद, रामलाल कमरे की सफाई करता था। डॉक्टर के चक्कर में ये बात संध्या के दिमाग से फिसल गयी थी।
अचानक डॉक्टर आनंद को सामने देखकर वो चौंक गया।
“कितना समय लगेगा तुम्हें यहाँ सफाई करने में?”
“लगभग पंद्रह-बीस मिनट तोह लग जायेंगे।”
“थोड़ी देर चलो मेरे साथ, वहाँ पे कुछ काम है। ये बाद में कर लेना। मुझे तुरंत निकल जाना है।”
“जी डॉक्टर साब।”
रामलाल डॉक्टर के पीछे पीछे चला गया।
जैसे ही रामलाल के जाने की आवाज़ आयी, संध्या ने फटाफट कपड़े उठा लिए। मस्ती में आकर आनंद ने उसे जगह जगह बिखरा दिए थे। पर्स से अपना नर्स वाला यूनिफार्म निकाल कर उसने पहन लिया। डॉक्टर के साथ चली मस्ती से उसकी योनी अभी भी गीली थी। उसको हलकासा सहलाकर उसने पैंटी पहन ली। बड़े स्तन ब्रा में समेटते हुए उसको डॉक्टर के हाथों की कमी महसूस हुयी।
गीले कपड़े वही हुक पे लटकाकर संध्या बाहर आ गयी। कमरे में बिलकुल शांती थी। पर्स ड्रॉवर में रखकर उसने अपना सामान उठाया और अपने वार्ड की तरफ चल पड़ी।
रास्ते में वो डॉक्टर आनंद के कमरे से गुज़री। डॉक्टर ने रामलाल को कुछ फाइलें उठाने के काम लगाया था। उन्होंने संध्या को गुजरते हुए देखा। जैसे ही उनकी नजरे मिली, आनंद ने उसको आँख मारके इशारा किया। होठों से चुम्मे का इशारा करते वक्त उनका हाथ पैंट के ज़िप पर रगड़ा। उनका तना हुआ लिंग अभी भी मस्ती के मूड में था।
हलके से मुस्कुराते हुए संध्या आगे बढ़ गयी।
संध्या जैसे ही आखोंसे ओझल हो गयी डॉक्टर के चेहरे की मुस्कान चली गयी। रामलाल अभी भी फाइलें जुटा रहा था।
“ठीक है, बाकी बचा मैं कल कर दूंगा।” डॉक्टर ने उसको रोकते हुए कहा।
“अरे साब बस हो ही गया है।”
“मुझे अभी निकलना है। तुम जाओ, मैं इसको निपटा दूंगा।”
“जी डॉक्टर साब, जैसा आप कहो।” फाइलें किनारे रखकर रामलाल चला गया।
रामलाल को जिस वजह से लाया था वो काम हो गया था। पर संध्या के साथ अधूरे सेक्स की निराशा आनंद के चहरे पर साफ़ झलक रही थी। अभी भी तना हुआ लिंग पैंट के ऊपर से ही सहलाते हुए आनंद से अपना बैग पैक किया। बैग कंधे पर लगाकर उन्होंने लाईट बंद कर दी और कमरे से निकल पड़े।
गुड़ नाइट डॉक्टर।” रिसेप्शन की लड़की ने उनको अभिवादन किया।
गलियारे में बैठे कुछ पेशंट के रिश्तेदार डॉक्टर को देखकर मुस्कुराये। उनका अभिवादन स्वीकार करते हुए डॉक्टर प्रवेश द्वार की ओर बढे।
बाहर लगभग अंधेरा हो चुका था। बादल अभी भी तेजी से बरस रहे थे। आनंद ने घडी की ओर देखा।सात बज रहे थे। इस समय हलका उजाला रहता था, पर आज बारिश की कारण अंधेरा छाया हुआ था। आसमान में बिजली कड़क रही थी।
आनंद ने बैग सर के ऊपर पकड़ते हुए कार की तरफ दौड़ लगायी। कार तक पहुंचते पहुंचते वो लगभग भीग चूका था। अंदर बैठते ही उसने चैन की सांस ली। गाडी स्टार्ट करके वो घर की ओर निकल पड़ा। बारिश के कारण हवा में ठंड थी। पर ये ठंड रोमॅंटिक एहसास दे रही थी। इसी ख़ुशी में आनंद ने रेडिओ चलाया।
गाडी के मिरर में आनंद ने पीछे छूटता हुआ हॉस्पिटल देखा। तभी उसको संध्या की याद आयी। संध्या के साथ रोमांस करनेका अच्छा मौका रामलाल की वजह से निकल गया था। वो पल याद करके आनंद की पैंट में फिर एक बार हलचल हुयी। तना हुआ लिंग उन्होंने पैंट के ऊपर से ही हलके से सहलाया।
‘आज इसका कुछ करना पड़ेगा’ मन ही मन उन्होंने खुद को बताया।
ज़ोरदार बारिश की वजह से रास्ते पे कोई दिख नहीं रहा था। सारा नज़ारा धुंदला हो गया था। जैसे ही गाडी सिटी सेंटर से बाहर निकाली आबादी धीरे धीरे कम होने लगी। रेडिओ पे किशोर कुमार गा रहा था।
“इक लड़की भीगी भागी सी…” आनंद ने किशोर के सुरों में अपना सुर मिलाया। गुनगुनाते हुए सफर कट रहा था।
अचानक सुमसान रास्ते पर उन्हें दूर दो आकृतियाँ नजर आयी। पल भर के लिए आनंद घबरा गया। सुमसान अंधेरे रास्ते पे अचानक सामने आयी आकृतियोंसे कोई भी डर जाता। जैसे कार आगे बढ़ी, वो आकृतियाँ अब पास आ गयी थी। आनंद ने ध्यान से उनकी ओर देखा। शायद दो महिलायें वहाँ खड़ी थी।
जैसे ही गाडी उनके पास पहुँची, आनंद ने गति धीमी कर दी। वो एक बस स्टॉप था। एक पतली सी छत बारिश से बचने में नाकाम थी। पर शायद कड़कती बिजली में उन्हें वही बड़ा सहारा लगा। आनंद ने ध्यान से देखा। एक २०-२१ साल की लड़की और साथ में एक वृद्ध महिला। जैसे ही गाडी उन्हें पार करके आगे बढ़ी, वो वृध्द महिला फिर से बैठने लगी। शायद किसी मदद की आशा से वो खड़ी हुयी थी।
Ye naya mod aaya kahani me ,dekhte he ke Dr Anand kya karenge.
Ek suggestion aur he , purane update ko edit kar de usme extra dalne wale ho to readers ko 2re post me bata dena ke changes hue he .
 

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
Prime
3,246
6,774
159
डॉक्टर आनंद ने तुरंत गाडी रोक दी। रिवर्स गियर डालते हुए पीछे लेकर बस स्टॉप के सामने खड़ी कर दी। बारिश में पूरी तरह भीग चुकी वो दोनों वहां असहायता से खड़ी थी। जैसे ही आनंद ने खिड़की की कांच खोली, वो वृद्धा के आखों में आशा दिखाई दी। अभी भी लड़की के चेहरे पर कोई भाव नहीं था। वो बस कार की तरफ देखती रही।
“एक्सक्यूस मी”, आनंद ने हाथोंसे इशारा करते हुए लड़की को पास बुलाया।
लड़की कार की ओर बढ़ी और खुली खिडकी से उसने आनंद की तरफ झाँक कर देखा।
“आप दोनों मुसीबत में लगते हो। बारिश बहोत तेज है और फ़िलहाल रुकने का कोई निशान नहीं है। मैं कही छोड़ दू आपको?”, डॉक्टर ने पूंछा।
“जी दरअसल, हम खरीदारी के लिए शहर में आये थे। हम पड़ोस वाले गांव में रहते है। मेरे साथ मेरी दादी है। बारिश की वजह से साढ़े छह की बस पकड़ नहीं पाए। गांव जाने के लिए वही आखरी बस होती है। इसीलिए अब हम यही फस गए हैं।”
“आपकी दादी परेशानी में लग रही है।”
“हाँ, बारिश में भीगने की वजह से शायद उसको बुखार आया है।”
“जी मैं आप लोगों को गांव तक तो नहीं छोड़ सकता। पर मेरा यहाँ पर घर है। आप लोग आज की रात मेरे यहाँ रुक सकते हो। सुबह की बस से गांव चले जाना। तब तक बारिश भी रुक जाएगी।”
“हमारी वजह से आपको तकलीफ़ होगी।”
“तकलीफ़ का कोई कारण नहीं है। आप वैसा मत सोचो। मुसीबत में आपके मदद आऊं उसी में मेरी ख़ुशी है।”
“ठीक है। थैंक यू।”
“आप दादी को लेकर गाड़ी में बैठ जाईये।”
लड़की ने दादी का हाथ पकड़कर उसको उठाया और गाड़ी तक ले आयी। आनंद ने हाथ बढाकर पीछे का दरवाजा खोल दिया।
“पर हम लोग तो पुरे भीग चुके हैं। आपकी गाडी ख़राब हो जाएगी।” लड़की ने चिंता जताई।
खुले दरवाजे से आनंद ने उसे सर से पाँव तक देखा। वो बारिश में पूरी तरह भीग चुकी थी। गीले कपडे उसकी बदन को चिपके थे। केबिन लाईट की मंद रोशनी में पहली बार आनंद ने उसका सुडौल शरीर देखा।
“सिर्फ पानी ही तो है। कोई टेंशन नहीं। सुख जायेगा बाद में। आप निश्चिंत होकर बैठो।”
पहले दादी को बिठा कर वो लड़की सामान लेकर गाडी में बैठ गयी। आनंद ने गाड़ी घर की और दौड़ा दी। जैसे गाड़ी चलती रही, आबादी कम होते गयी। डॉक्टर का घर शहर के लगभग सिमा पर था। वहां ज्यादा घर नहीं थे। डॉक्टर ने रियर व्यू मिरर को एडजस्ट करते हुए उसके चेहरे पर घुमाया। उसके कंधे पर सिर रखकर दादी निद्रा के अधीन हो गयी थी। मंद रोशनी में भी उसका खिला हुआ चेहरा आनंद को आकर्षित कर रहा था।
Alag scene he ye jo ki na to doctor ko bura dikha raha hai aur na he accha, uske Madat karne ki niyat kyu he ye janna he bas.
 

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
Prime
3,246
6,774
159
मेरा नाम आनंद है। मैं शहर के अस्पताल में डॉक्टर हूँ।”
“मेरा नाम रेश्मा। और ये मेरी दादी है।”
“हाँ वह बताया आपने।”
“मुझे आप कहके मत बुलाइये।”, उसकी इस बात पर आनंद हलके से मुस्कुराया।
घर पहुंचते ही आनंद ने गाड़ी पार्क कर दी। दादी को अब तक अच्छा खासा बुखार चढ़ गया था। बुखार के कारण उसको चल पाना मुश्किल हो रहा था। अकेले उसको संभालना रेश्मा के लिए मुश्किल हो गया। उसकी तकलीफ देख कर मदद के लिए आनंद आगे बढ़ा। एक गेस्ट बेडरूम उसने दादी के लिए तैयार की।
“तुम्हे दादी के गीले कपडे बदलने पड़ेंगे। उससे बुखार और बढ़ जायेगा। मेरे पास ओरतोंके कोई कपडे नहीं है। पर मैं कुछ और देखता हूँ।” कहकर आनंद कपडे ढूंढने चला गया।
थोड़ी देर में जब वापस आया तब उसके हाथ में एक बड़े आकार की लुंगी थी।
“अरे, अभी तक तुमने गीले कपडे नहीं उतारे? मुझे बस यही मिला, इससे काम चल जायेगा क्या?” हाँथ की लुंगी की तरफ इशारा करते हुए उसने पूछा।
“जी बिलकुल ये चल जायेगा। पर आपको मेरी मदद करनी पड़ेगी। दादी को अकेले संभाल पाना मेरे लिए मुश्किल है।”
ज्यादा बुखार के कारन दादी को चक्कर सा आ गया था। आनंद ने उसके कपडे उतारने में रेश्मा की मदद की। पहली बार एक वृद्ध महिला के कपडे उतारते वक्त उसको अजीब लगा। वैसे डॉक्टर होने के कारण बहुत सारे शरीर नंगे देखे थे। लेकिन आज का दृश्य थोड़ा अलग था। रेश्मा के सामने ऐसा करने में उसको अजीब लग रहा था।
आनंद ने रेश्मा की तरफ देखा। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। शांति से वो अपना काम कर रही थी। उसको देखकर डॉक्टर के मन की अजीब भावना चली गयी। दादी के नंगे वृद्ध शरीर को देखकर आनंद को कुछ अजीब नहीं लगा। तौलियेसे सुखाकर दोनों ने लुंगी उसके बदन पर लपेट दी।
आनंद ने अपना मेडिकल बैग निकाला। बुखार के लिए एक इंजेक्शन दादी को लगाया। थोड़ी ही देर में दादी शांति से सो रही थी।
“मैंने दवाई दे दी हैं। इनको थोड़ी ही देर में आराम पड़ जायेगा।”
“थैंक यू।”
“घर में रेडी मिक्स सुप पड़ा होगा। मैं बना लेता हूँ तब तक तुम भी गीले कपडे बदल देना।”
इतनी देर में पहली बार रेश्मा का ध्यान अपनी कपडोंकी ओर गया। अभी भी गीले कपड़े उसकी बदन से चिपके हुए थे। आनंद की नजर उसके शरीर को सर से पाँव तक घूर रही थी। उसका बदन सुडौल था। चिपके कपडोमेंसे शरीर के हर अंग उभर कर आये थे। उसकी छाती चौड़ी थी। स्तनोंका बड़ा आकार छुप नहीं रहा था। पतली कमर के नीचे बड़े नितंब शरीर की वक्राकार रचना दर्शा रहे थे। रेश्मा का शरीर घूरने में आनंद लगभग खो गया था। इतने में उसकी नजर रेश्मा की नजरोंसे भीड़ गयी।
“इतनी भी सुंदर नहीं हूँ”, वर्षा ने मुस्कुराते हुए कहा।
उसका बिंधास्त स्वभाव आनंद को अच्छा लगा। जवाब में वो भी मुस्कुराया। ‘आज तक इतनी लड़कियाँ देखी, पर इसके जैसी एक भी नहीं’, उसने खुद से कहाँ।
“मैं तुम्हारे लिए कपड़े देखता हूँ।”
थोड़ी देर में आनंद वापस आया तब उसके हाथ में एक टी शर्ट और शॉर्ट्स थी।
“इसको ट्राय कर के देखो। ये मेरे साइज़ का है, पर इसके अलावा तुम्हारे ढंग का और कुछ नहीं है।”
“कोई बात नहीं, इससे काम चल जायेगा।”
तौलिया उठाके वो बाथरूम की ओर चल पड़ी। आनंद उसकी ओर देखता रहा। जैसे ही वो बाथरूम में ग़ायब हो गयी, आनंद रसोई की ओर निकल गया। जाते वक़्त उसने देखा, दादी शांति से सो रही थी।
Baat aage badhi he aur dadi ko to sula diya par rat baki kuchh bat baki hai.
 

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
Prime
3,246
6,774
159
साफ सफाई और खाना बनाने के लिए डॉक्टर ने एक नौकरानी रखी थी। वो शाम को खाना बनाकर चली जाती। फिर सुबह आ जाती टिफिन बनाने के लिए।
आनंद ने बर्तन खोलकर देखा। बैगन का भरता और गाढ़ी दाल। खाना अभी भी गर्म था। आनंद ने रसोई की अलमारी से सुप का पैकेट निकला। बर्तन में पानी मिलाकर उसे गैस पर रख दिया। उसमे उबाल आ ही रहा था, तभी पीछे कुछ हलचल हुई।
आनंद ने मुड़कर देखा। पीछे रेश्मा खड़ी थी, टी शर्ट और शॉर्ट्स में। थोड़ी देर के लिये आनंद उसे देखता ही रह गया।
ब्रा नहीं पहनने के कारण उसकी छाती और भी बड़ी लग रही थी। पर उसी हालात में भी स्तनोंने अपना आकार खोया नहीं था। ठंड की वजह से सख़्त हुए उसके निप्पल टी शर्ट में साफ़ नज़र आ रहे थे। शॉर्ट्स थोड़ा लूज़ लग रहा था, पर उसके अंदर उसने कुछ नहीं पहना होगा ये सोच के आनंद के पैंट में हलचल हुई। चाहकर भी उसके पास और कोई चारा नहीं था। शाम को घर लौटने के इरादे से आये उसके पास कोई कपड़े नहीं थे। अकेला रहने वाला आनंद भी इस मामले में ज्यादा मदद नहीं कर पाया।
“कपड़े ठीक ही लग रहे हैं।” रेश्मा की तरफ देख के उसने बोला।
“हाँ। थोड़े ढीले हैं, पर समय पे काम आये हैं।”
“ढीले तो होने ही है, जब ये साइज़ के कपड़े उस शरीर पर चढ़ेंगे।” पहले अपने शरीर की ओर और बाद में उसकी तरफ इशारा करते हुए उसने कहा।
आनंद की बातों से रेश्मा को हंसी आयी।
“मैं कुछ मदद करूँ क्या?” गैस की ओर इशारा करते हुए उसने कहा।
“सूप लगभग बन चुका है। मेरी मेड ने खाना बना लिया है। तुम ये सूप दादी को पिला कर आओ, फिर हम लोग खाना खाते हैं।”
सूप लेकर रेश्मा चली गयी। ढीले कपडोंमे भी उसकी मटकती चाल आनंद को आकर्षित कर रही थी।
‘ये गांव में रहने वाली एक जवान लड़की भी कितनी समझदार और मैचुअर लगती है। इसकी व्यवहार में एक सहजता है।’ डॉक्टर ने खुद से कहा। रेश्मा की तरफ वो आकर्षित हो रहा था।
रेश्मा वापस आयी तब आनंद ने खाना लगा लिया था। खाना खाते वक़्त इधर उधर की बातें चली। माहौल और खुल गया। बीच बीच में उसकी टांग खींचने का कोई भी मौका आनंद ने नहीं छोड़ा था।
खाने के बाद डॉक्टर ने दादी को एक नींद का इंजेक्शन लगाया। बुख़ार काम था, मगर उसको आराम की जरुरत थी।
“तुम यहाँ बेड पर सो जाओ, मैं बाहर सोफे पे सोता हूँ।” आनंद ने बेड पर नयी चादर डालते हुए कहा।
“मैं दादी के साथ सो जाउंगी।”
“नहीं। उनको अभी बुखार है इसलिए उनके पास मत सोना। वैसे भी वो छोटा बेड है और उनको आराम की सख्त जरुरत है।”
“ठीक है। हमारी वजह से आपको ख़ामख़ा तकलीफ़ हुयी।”
“पगली, तुम अब बिना कुछ बोले चुपचाप सो जाओ।” आनंद ने उसे लगभग बेड पर धकेल दिया।
आनंद का बर्ताव ऐसा था मानो उसका रेश्मा पे हक़ बनता हो। रेश्मा के बेड पर लेटते ही उसने कंबल उसकी शरीर पर ओढ़ लिया। बत्ती बुझाकर वो बाहर चला गया।
Chhote se update me bohot kuchh ho raha hai

Reshma mature to he par kya wo forward bhi he ya fir maturity ki ek had me rakhti hai?
 

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
Prime
3,246
6,774
159
सोफे पे लेटकर आनंद दिन भर की घटनाओं के बारे में सोचने लगा। आज अचानक आयी बारिश... भीगने से बचने की कोशिश करती वर्षा... नर्स रूम में संध्या के साथ छुपके से किया रोमांस... रामलाल के अचानक आने से बिगड़ा हुआ सेक्स... फिर बचने की लिए की गयी सर्कस... सारी बातें याद करके उसको खुद पे हंसी आयी। संध्या का भरा शरीर याद करके वो फिर से एक बार उत्साहित हुआ। शॉर्ट्स के ऊपर से ही उसने अपना लिंग सहलाया।
फिर उसी बारिश की वजह से आज अचानक मिली रेश्मा। यंग है पर फिगर के मामले में वर्षा को भी पीछे छोड़ देगी। ब्रा से निकालने के बार और उभरे उसके स्तन अभी भी उसके नज़रों के सामने थे। चिपके सलवार में निखरे उसके बड़े नितंब याद करके वो और उत्तेजित हो गया। तने हुए लिंग ने पैंट में एक तंबू सा खड़ा कर दिया था। उसपे हाथ फेरते हुए वो रेश्मा के सेक्सी शरीर की कल्पना करने लगा।
आनंद से और रहा नहीं गया। उठके वो बेडरूम की ओर चला गया। दरवाजा खुला था। उसने अंदर झांक कर देखा। रेश्मा पीठ के बल सो रही थी। कंबल निचे खिसका हुआ था। कमरे की मंद रोशनी में भी उसकी बड़ी छाती आँखों में भर रही थी।
आनंद अंदर चला गया और बेड के पास खड़ा हुआ। उसकी गहरी सासोंसे उसके स्तन ऊपर निचे हो रहे थे। कुछ पल आनंद उसके कोमल से चेहरे की ओर देखता रह गया। इतने में उसकी आँखे खुली। पर आनंद बिलकुल हडबडाया नहीं, इस बात का उसे खुद आश्चर्य हुआ।
“अरे डॉक्टर आप? सोये नहीं अभी तक?”
“तुम भी कहाँ सोयी हो?”
“हाँ। बस आज के दिन के बारे में सोच रही थी। बैठो ना आप।” बैठने का इशारा करते हुए उसने कहा।
“फिर क्या सोचा?” उसके बगल में बैठते हुए आनंद ने कहा।
“आज अगर आप न मिलते तो हम क्या करते? दादी की तबियत भी ठीक नहीं थी।”
“मुझे तो लगा था की इतनी बारिश में रास्ते में सिर्फ भूत ही होगा।” दोनों की हंसी निकल आयी। “वैसे मैंने कुछ खास नहीं किया तुम्हारे लिए। जो भी ठीक लगा वो किया मैंने।”
“आप बहोत अच्छे हो।”
“तुम बहोत ही मस्त हो, और क्यूट भी।” आनंद ने देखा की मछली फंस चुकी है।
रेश्मा ने बस एक शरारती मुस्कान दी। आनंद के लिए इतना इशारा काफी था। आगे झुकते हुए उन्होंने रेश्मा के माथे पर किस किया। रेश्मा ने आँखे बंद कर कर ली। दूसरे ही पल उन्होंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। रेशमा ने एक गहरी सांस ली। पर उसने डॉक्टर को रोका नहीं।
आनंद ने हाथ बढाकर उसकी छाती पर रखा। रेश्मा की सांसे और तेज हो गयी। धीरे धीरे वो उसके स्तन सहलाने लगा। उसके मांसल स्तन बहुत बड़े और मुलायम थे। आनंद उसको हलकेसे मसलने लगा। रेश्मा भी अभी गर्म हो चुकी थी। आनंद की करतूतें उसको अब अच्छी लगने लगी थी।
https://www.youtube.com/@randomvideos_YT
Subscribe karo Friends
Ye bate aage badhi :hot: aur bahti he ja rahi hai
 
  • Like
Reactions: CODE016

CODE016

New Member
21
25
14
रेश्मा ने आंखे खोलकर आनंद की तरफ देखा। आनंद की नजरो में वासना की आग साफ़ दिखाई दे रही थी। संध्या के साथ की प्यार की कमी वो अब रेश्मा के साथ पूरी करना चाहता था। रेश्मा का हाल भी कुछ और नहीं था। स्तनोंके मसलनेसे उसके शरीर में भी कामुक प्यास बढ़ गयी थी। अपने होंठ खोलकर उसने आनंद के होठों का स्वागत किया। दोनों के होंठ भीड़ गए और उन्होंने एक आवेश पूर्ण दीर्घ चुंबन लिया।
आनंद ने अपनी जीभ रेश्मा के मुँह में घुसाई। रेश्मा के लिए ये सरप्राइज़ था। मगर उसको ऐसे कई सरप्राइज़ आज मिलने वाले थे। उसके मुंह के कोने कोने में घूमने वाली जीभ से आनंद उसकी लार चख रहा था।
“तू तो सच में बहोत मीठी है।” उसने रेश्मा को आँख मारते हुए कहा।
रेश्मा ने शर्म से मुँह फेर लिया।
अब आनंद उसके स्तनोंपर टूट पड़ा। दोनों हाथोंसे वो उसके स्तन मसलने लगा। रेश्मा के निप्पल अब कड़े हो चुके थे। टी शर्ट के पतले कपडेमें वो आसानी से नजर में आ रहे थे। आनंद ने टीशर्ट खिसकाके उसके स्तन बाहर निकाले। कमरे की मंद रोशनी में भी, उसकी गोरी त्वचा चमक रही थी।
उस नंगे स्तनों पर हाथ फेरनेका मजा कुछ और ही था। स्तनोंकी त्वचा बहोत ही मुलायम और सिल्की थी। संध्या के स्तन बड़े थे पर उसमे ऐसी कोमलता नहीं थी। आनंद ने टी शर्ट उसकी गले से निकालकर शरीर से अलग कर दिया दिया। अब रेश्मा वहां अर्धनग्न अवस्था में आनंद के सामने पड़ी थी। मगर उसके चेहरे के शर्मीले भाव अब गायब हो चुके थे। खुली आखोंसे वो आनंद का स्वागत कर रही थी। एक कामुक नशा उसके चेहरे पर छा गया था।
आनंद ने अपने होंठ रेश्मा के बाऐं स्तन पर टिका दिए। होठों से अब वो स्तनोंका रस पान करने लगा। पूरा स्तन मुँह में भरने की उसकी कोशिश नाकामयाब रही। उसके बड़े स्तन मुँह में समाना नामुमकिन था। उसके स्तन का कड़ा निप्पल मुँह में लेके वो चूसने लगा। बिलकुल एक बच्चे की तरह आनंद उसपे टूट पड़ा था। ये नज़ारा देख के रेश्मा मन ही मन मुस्कुरा रही थी। उसी के साथ रेश्मा का दायां स्तन आनंद अपने हाथोंसे सहलाने लगा। स्तनोंके आवेश पूर्ण मसलने से रेश्मा पागल सी हो गयी।
आंखे बंद करके रेश्मा अपने स्तनों के मर्दन का आनंद ले रही थी। आनंद पलट-पलट के उसके दोनों स्तनोंको चूस रहा था। बिच में जब वो रेश्मा के कड़े निप्पल अपने दांतोंके बिच पकड़कर हलकेसे चबाता तब रेश्मा तड़प उठती थी। ये खेल कुछ समय तक चलता रहा। रेश्मा अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। आनंद के आवेशपूर्ण चूसने से रेश्मा के गोरे स्तन लाल हो चुके थे। रात की हलकी रोशनी में भी आनंद के दांत के निशान उसके स्तनों पर साफ़ दिख रहे थे। पर रेश्मा को बहुत मजा आ रहा था। ये सब वो और चाहती थी।
आनंद ने अपना निशाना नीचे की ओर सरकाया। उसके पेट को चूमते हुए जैसे ही आनंद ने अपने होंठ उसकी नाभि पर रखे, रेश्मा ने और एक गहरी सांस ली। उसकी मुलायम त्वचा पे अपने होंठ फेरना आनंद को बहुत अच्छा लग रहा था। अपनी जीभ से उसने नाभि में गुदगुदी की वैसे रेश्मा ख़ुशी से उछल पड़ी।
आनंद ने उसकी पैरों पर पड़ा कंबल हटाया। ढीली शॉर्ट्स में उसकी गोरी टांगे मस्त लग रही थी। हाथ निचे खिसकाकर अब वो उसकी जाँघे सहलाने लगा। उसकी जाँघे भी सफ़ेद और मुलायम थी। उनको चाटने से आनंद खुद को रोक नहीं पाया। मक्खन की तरह मुलायम जांघों पर जीभ फेरने का मजा ही कुछ और था। धीरे धीरे आनंद ऊपर की ओर खिसका और दूसरे ही पल उसने अपना मुँह उसकी जांघों के बिच रखा।
“आह..” रेश्मा के मुँह से सिसकारी निकल गयी।
आनंद के लिए के अच्छा संकेत था। बिना कुछ समय बिताये उसने शॉर्ट्स का नाडा खोल दिया और दूसरे ही पल शॉर्ट्स निचे खिसकाते हुए उसके पैरोंसे अलग कर दी।
जैसे ही शॉर्ट्स शरीर से दूर हुयी रेश्मा की योनी खुली पड़ गयी। शर्म के मारे उसने अपने दोनों हाथोंसे उसको ढकने की कोशिश की। पर उसका कोई फायदा नहीं था। आनंद ने उसके दोनों हाथ पकड़कर उसकी योनी से दूर हटाए। अब रेश्मा आनंद के सामने पूरी तरह नंगी हो चुकी थी। शर्म के मारे उसने मुँह फेर कर आँखे बंद कर ली थी।
आनंद उसकी योनी को घूरता रहा। उसकी योनी पर सुनहरे रंग के बाल थे। गांव की लड़कियों में योनी के बाल न कांटना आम बात थी। मगर सुनहरे बालों से रेश्मा की योनी और निखर गयी थी। आनंद उन बालोंमे हाथ फेरने लगा वैसे रेश्मा को गुदगुदी होने लगी। बालोंके बिच उसकी कोमल योनी नजर आ रही थी। जैसे ही उंगलियोंसे उसने योनी के होंठ फैला दिए, योनी का अंदरूनी गुलाबी हिस्सा उजागर हो गया। रेश्मा की योनी पूरी गीली हो चुकी थी। रात की उजाले में वो चमक रही थी। बिना समय बिताये आनंद ने अपने होंठ उसकी नंगी योनी पर रख दिए और वो उसकी योनी चखने लगा।
 

CODE016

New Member
21
25
14
रेश्मा के लिए ये और एक सरप्राइज था। उसने कभी कल्पना नहीं की थी के कोई मर्द योनी चाट सकता है। मगर उसको बहोत मज़ा आ रहा था। और ये बात उसकी सिसकारियोंसे छुप नहीं सकी। अपनी जीभ उसकी योनी में अंदर तक घुसाकर आनंद उसका रस पी रहा था। थोड़ी देर बाद वो आनंद का सर अपने योनी पर दबाने लगी। आनंद ने अपने जीभ की गति तेज कर दी और थोड़ी ही समय में शरीर को अकड़न देते हुए रेश्मा की योनी ने पानी छोड़ दिया।
रेश्मा को बहोत अच्छा लग रहा था। ये उसका पहला ओर्गाजम था और वो भी योनी के चाटने से। उसकी सांस फूल गयी थी। फिर एक बार उसकी योनी का चुम्बन लेके आनंद उसके बगल में लेट गया।
“अच्छा लगा तुम्हे?” उसके स्तनोंसे खेलते हुए आनंद ने पूछा।
“बहोत.. बहोत मज़ा आया।” फूली हुयी सांस रोकते हुए रेश्मा ने कहा।
“तुमने कभी किया है इसके पहले?”
“जी नहीं।” रेश्मा ने शरमाते हुए बोला।
“और मज़ा लेना है? असली वाला मज़ा?” आनंद ने उसको आँख मारते हुए कहा।
रेश्मा शर्मा गयी। आनंद ने उसका हाथ पकड़ कर अपने तने हुए लिंग पर रखा। रेश्मा उसको पजामे के ऊपर से सहलाया। आनंद के अपना टीशर्ट उतारा और रेश्मा को पजामा खिसकाने का इशारा किया। जैसे ही पजामा निचे खिसका, उसका बड़ा तना लिंग उछल के बाहर आया। आनंद ने पजामा पैरों से निकाल दिया। अब दोनों पूरी तरह से नंगे थे।
आनंद के तने हुए नंगे लिंग को सहलाने में रेश्मा को मज़ा आ रहा था।
“इसको चूसना चाहोगी? बड़ा मज़ा आएगा।”
रेश्मा ने सर हिलाते हुए हाँ कहा। जैसे ही उसके मुलायम होंठ आनंद के लिंग को छूने लगे, आनंद के शरीर में बिजली सी दौड़ गयी। लिंग को चाटते हुए उसने अपने मुँह में समां लिया। अपना मुंह ऊपर निचे करते हुए वो उसके लिंग को जोर से चूसने लगी। आनंद सातवें आसमान में था। आज तक उसने बहोत लडकियोंसे सहवास किया था, पर ऐसा मज़ा उसको बहोत कम समय मिला था। उसकी एक्साईटमेंट बढ़ गयी थी। थोड़ी ही देर में उसके लिंग से पिचकारी निकली। रेश्मा के लिए ये और एक सरप्राइज था। पानी का क्या करे ये समझ न आने से उसने सारा पानी निगल लिया।
आनंद ने उसको अपनी ओर खींच लिए वैसे वो उसके ऊपर लेट गयी। दो नंगे शरीर चिपक गए। रेश्मा के स्तन आनंद के छाती पर दब रहे थे। उसका एक अलग ही अहसास था। आनंद ने उसको अपने बाहोंमे कस कर पकड़ लिया वैसे वो और दब गए। उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए वो निचे की ओर खिसका और उसके नितंब सहलाने लगा। उसके बड़े नितम्बोंका आकार हथेली में नापने का मजा अलग था।
दोनों के होंठ फिर भीड़ गए। आनंद का लिंग अब फिर से तन गया था। रेश्मा का मदमस्त शरीर बाहोंमे होते हुए उसका तन जाना स्पष्ट था। रेश्मा भी उसको अपने योनी पर रगड़ते हुए महसूस कर रही थी।
अब आनंद से और रहा नहीं गया। उसने पलट कर रेश्मा को नीचे लिटा दिया, और उसपर सवार हो गया। उसके स्तनोंको चूमते हुए वो उसके पैरों के बीच आ गया। अपना तना हुआ लिंग उसने रेश्मा की योनी पर रगड़ा। उसकी योनी अभी भी गीली थी। लिंग उसने योनी के मुख पर टिका दिया। एक गहरी सांस लेते हुए रेश्मा ने उसको इशारा दिया। आनंद ने धीरे धीरे अपना लिंग योनी के अंदर धकेलना शुरू किया। रेश्मा को योनी बहोत टाइट थी। आनंद ने थोड़ा जोर लगाया। हल्का सा अंदर जाने के बाद आनंद अंदर बाहर करना शुरू किया। अब रेश्मा थोड़ी रिलैक्स हो गयी थी। तभी आनंद ने थोड़ा जोर लगाकर लिंग को एक झटका दिया। रेश्मा की तंग कोमल योनी को चीरते हुए लिंग अंदर तक चला गया।
“आहहह… माँ....” रेश्मा की चीख निकल गयी। उसकी आखोंमे पानी आ गया।
आनंद ने रुकते हुए उसकी स्तनोंको सहलाया। वैसे ही निचे झुकते हुए उसने रेश्मा के होठों पे किस किया और उसके आंसू पोंछे। रेश्मा अब संभल गयी थी। आनंद ने धीरे से अपना लिंग अंदर बाहर करना शुरू किया। रेश्मा को अब मज़ा आने लगा था। आनंद ने गति तेज कर दी। रेश्मा भी अब उसका साथ देने लगी। उसी के साथ आनंद उसके स्तन मसलने लगा। रेश्मा कमर उछालकर उसका साथ देने लगी। उसके चेहरे पर ख़ुशी साफ़ झलक रही थी।
 
  • Like
Reactions: Riky007

CODE016

New Member
21
25
14
और तेज करो… आहहह… बहोत मज़ा आ रहा है।”
कुछ समय तक ये सिलसिला चलता रहा। आनंद अपने कड़े लिंग से उसकी योनी में धक्के देता रहा।
“तुम ऊपर आ जाओ।” आनंद ने निचे लेटते हुए रेश्मा को ऊपर बिठा लिया।
नयी स्थिति में एडजस्ट होने में उसको ज्यादा वक्त नहीं लगा। अब रेश्मा आनंद के लिंग पर उछल रही थी। ये और भी मजेदार था। उसके उछलते स्तनोंका नजारा गजब था। गुलाबी योनी में अंदर बाहर होने वाला लिंग देखना आनंद के लिए अलग अहसास था।
रेश्मा का चरम क्षण अब नज़दीक आ गया था। उसके शरीर में कंप महसूस होने लगा। शरीर को झटका देते हुए उसकी योनी ने पानी छोड़ दिया और वो आनंद के शरीर पर ढह गयी।
आनंद ने एक पल उसको बाहोंमे सहलाया। दूसरे ही पल उसको निचे गिरा कर फिर एक बार उसपे सवार हो गया और उसकी योनी में धक्के देने लगा। अब आनंद की गति और तेज हो गयी थी। एक लम्बी सिसकारी देते हुए वो झड़ गया। उसके लिंग से पानी का जोरदार फौवारा रेश्मा की योनी में अंदर तक चला गया। उस तेज गर्म वीर्य के एहसास से रेश्मा फिर एक बार झड़ गयी। दोनों एक दूसरे को लिपटकर सोये थे। दोनों की सांसे फूली थी। इस अनोखे सुनहरे पल का एहसास अपने दिल में समां रहे थे।
बहोत देर तक किसी ने कुछ नहीं बोला। दोनों एक दूसरे का थका शरीर सहलाते हुए पड़े रहे।
“अच्छा लगा तुम्हे?” आनंद ने पूंछा।
“हं..” रेश्मा मुस्कुरायी।
“सच बताऊ, ऐसा मज़ा मुझे बहोत कम बार आया है। तुम सच में बहोत मस्त हो।”
कुछ समय दोनों एक दूसरे को सहलाते रह गए।
इतने में अंदर से दादी की खांसने की आवाज़ आयी।
“दादी को पानी देना पड़ेगा, मैं अभी देके आती हूँ।”
रेश्मा बेड से बाहर निकली और उसने बगल में पड़ा टीशर्ट उठाया। तभी आनंद ने उसको रोका।
“ऐसे ही जाओ। आज रात तुम कुछ नहीं पहनोगी।”
“क्या? दादी ने मुझे नंगा देख लिया तो?”
“कुछ नहीं होगा। वैसे भी रूम में बहुत अंधेरा है, और दादी को दिखता भी कम है तो कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।”
कुछ समय मनाने के बाद रेश्मा मान गयी और ऐसे ही नंगे शरीर से दादी की रूम की ओर चल पड़ी। आनंद उसके नंगे सुडोल शरीर की ओर देखता रहा। उसकी योनी से निकला वीर्य टपक कर पैरों से नीचे बह रहा था। वो बहुत ही कामुक नजारा था। आनंद उसको नजरों से ओझल होने तक देखता रहा। उसके जाने के बाद, आनंद उठ कर हॉल की ओर चल पड़ा
हॉल में थोड़ी ज्यादा रोशनी थी। बाहर बरामदें में लाईट जल रही थी। उसकी रोशनी हॉल में फैली थी। बारिश अभी भी तेजी से बरस रही थी। हॉल की खिड़किया खुली थी। पर बाहर के साइड थोड़ा घना गार्डन था। और कंपाउंड वॉल भी ऊँची होने के कारण बाहर से अंदर कुछ भी दिखना नामुमकिन था।
आनंद वैसे ही नंगे शरीर सोफे पे फ़ैल गया। बरामदे की लाईट की रोशनी में, गार्डन में गिरती तेज बारिश का नजारा काफी मनमोहक था।
“आप यहाँ पर हो? मैं आपको अंदर ढूँढ रही थी।” रेश्मा आनंद को ढूंढते हुए हॉल में पहुंची।
“आ जाओ, यहाँ पर मस्त लग रहा है। खिड़की से हवा भी काफी ठंडी आ रही है।”
जैसे ही रेश्मा की नजर खिड़की पर पड़ी, बाहर के नज़ारे ने उसको भी मोहित कर लिया।
“वॉव ये बहोत खूबसूरत लग रहा है… मगर किसी ने बाहर से देख लिया तो?”
“अरे कौन देख लेगा? वैसे भी बाहर से अंदर कुछ नहीं दिखता। और अब इतनी रात को बारिश में कौन बाहर निकलेगा?”
रेश्मा खिड़की की ओर मुड़ी। बारिश की गूंज दिल को बहला रही थी। रेश्मा खिड़की के पास वाले सोफे पे उलटी होकर बैठ गयी और बाहर का नजारा देखने लगी। बरसनेवाला पानी जमीन पर तेजी से बह रहा था। बारिश की गूंज में मेंढक की आवाज घुल कर एक अलग ही संगीत बज रहा था। ये सब देखने में रेश्मा खो गयी थी।
सामनेवाले सोफे पे लेट कर आनंद उसको देख रहा था। एक छोटे बच्चे की तरह वो बारिश का आनंद लेने में व्यस्त थी। उस मंद रोशनी में उसका शरीर और चमक रहा था। बाहर की तरफ मूड कर घुटनोंके बल बैठने से उसके नितम्ब आनंद की ओर थे। उनकी गोलाई आनंद को आकर्षित कर रही थी। उसके आगे झुकने से जांघों के बीच उसकी योनी उजागर हो रही थी। बिच में कड़कती बिजली सारे नज़ारे को और कामुक बना रही थी।
 
  • Like
Reactions: Riky007
Top