कजरी रघु के साथ हमेशा खाना खाती थी भले ही कितनी भी देर हो जाए इसी आदत बस वह अपनी बेटी के साथ खाना नहीं खाई और घर से बाहर निकल गई,,, कजरी खेतों में पहुंचकर हरी हरी घास काट रही थी,,, अपने पालतू जानवर के लिए,,,,सूरज सर पर चढ़ा हुआ था जिससे धूप काफी लग रही थी,,। कजरी अकेले ही अपने खेतों में बैठकर हरी हरी घास काट रही थी और उसे उखाड़ रही थी,,, तभी दूर कच्चे रास्ते से लाला गुजर रहा था और उसकी नजर खेतों में बैठकर घास काटती हुई कजरी पर पड़ गई,,, लाला के मन में हजारों अरमान एक साथ मचलने लगे,, गांव के बाकी मर्दों की तरह ही लाला भी कजरी की तरफ पूरी तरह से आकर्षित था खास करके उसकी गोल-गोल चुचियों की तरफ जो कि अक्सर ब्लाउज में पूरी तरह से कैद नहीं हो पाती थी और आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को झलकती रहती थी,,, जिसे देखकर लाला के मुंह में पानी आ जाता था,,,, कजरी को देखकर लाला अपने आप को रोक नहीं पाया और सीधा खेतों में घुस गया,,, उसके हाथ में छतरी थी जो कि वह छतरी को खोल कर अपने आप को कड़ी धूप में ठंडक देने की कोशिश, कर रहा था,,, कजरी इस बात से अनजान की लाला उसे देखकर उसके पीछे पीछे खेतों में आ गया है वह अपनी मस्ती में गीत गुनगुनाते हुए हरी हरी घास को काट रही थी,,, तभी कड़ी धूप में उसे अपने ऊपर ठंडी छांव का अहसास हुआ तो वह अपने पीछे देखने लगी,,, जो कि ठीक उसके पीछे खड़े होकर लाला उसकी चिकनी नंगी पीठ को नजर भर कर देख रहा था और पीठ के नीचे का नजारा तो उसे जन्नत का नजारा लग रहा था,, क्योंकि जिस तरह से खेत में घासो के ढेर के बीच में बैठी हुई थी,,, उस वजह से उसकी पेटीकोट का वो हिस्सा जिसमें से डोरी गुजरती है वह थोड़ा सा नीचे की तरफ सरक गया था,,, जिसकी वजह से कजरी के घेराव दार गांड का ऊपरी हिस्सा हल्की-हल्की दरारों के साथ नजर आ रहा था,,, बस उतना नजारा देखते ही लाला का दिल हरा हो गया उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,, पल भर में ही उसकी धोती में उसका तंबू तनना शुरू हो गया,,,, क्योंकि मात्र कजरी की मदमस्त गांड की ऊपरी हिस्से की हल्की सी दरार देखते ही,,, लाला पलभर में ही यह कल्पना करने लगा कि,, बिना पेटीकोट की कजरी की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड कैसी दिखती होगी,,,ऊफफ,,, मजा आ जाता होगा,,,,, लाला यह सब सोचकर अपने मन में ही बड़बड़ा रहा था,,, कई बार तो कजरी की भारी-भरकम घेराव दार गांड को मात्र कसी हुई साड़ी में उसका हलन चलन कामुकता भरा मटकना देखकर ही लाला का पानी निकल चुका था,,, कचरी की मादकता भरी गांड की हल्की सी दरार के दर्शन करके लाला कुछ और कल्पना के घोड़े दौड़ाता इससे पहले ही अपने ऊपर कड़ी धूप में ठंडक भरी छांव का अहसास होते ही कजरी पलटकर पीछे देखी तो पीछे लाला खड़ा था,,, उस पर नजर पड़ते ही कजरी एकदम क्रोध से भर गई लेकिन वह अपने क्रोध को अपने चेहरे पर लाना नहीं चाहती थी इसलिए उसे देखते ही मुस्कुरा दि क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी,, के लाला चोरी-छिपे उसके खूबसूरत अंगों को ताडता रहता है,,,। और लाला काफी धनवान व्यक्ति होने के साथ-साथ बहुत ही हरामी इंसान भी था यह बात पूरा गांव जानता था,,, और लाला गांव वालों की मजबूरी का फायदा उठाकर नहीं पैसे उधार में देता था और ना चुकाने पर उनकी जमीन हथिया लेता था,, और अगर कोई गांव वाला ऐसा करने से इंकार कर देता था तो अपने भाड़े के पालतू गुंडों से उन्हें पिटवाता था,,, और तो और कजरी ने तो यहां तक सुन रखी थी कि कई बार जब पैसे नहीं मिलते थे तो उधार लेने वाले की बहू बेटि यां ऊसकी बीवी के साथ रात गुजारता था,,, जिसका विरोध चाह कर भी कोई गांव वाला नहीं कर पाता था,,,। यह सब बातें जानकर कजरी लाला से नफरत करती थी उससे डरती भी थी कि कहीं लाला उसके साथ जोर जबरदस्ती ना करने लगे,,, इसलिए लाला को इस तरह से अपने पीछे खाना हुआ देखकर भी वहां गुस्से को दबा ले गई और मुस्कुराते हुए उसकी तरफ घूम गई,,,।
क्या बात है लाला जी इतनी कड़ी धूप में आप यहां खेतों में क्या कर रहे हैं,,
कुछ नहीं कजरी मैं तो यह देखने आया था कि प्रताप सिंह के फैसले से आप लोग खुश तो हो ना,,
खुश क्यों नहीं होंगे लाला,,, आखिर सब गांव वाले यही तो चाहते थे,, प्रताप सिंह जी के फैसले पर पूरा गांव खुश है,,,
सच कहूं तो कजरी मुझे भी अच्छा ही लग रहा है कि फैसला तुम गांव वालों के पक्ष में चला गया,,,, मुझे भी इस बात का एहसास हुआ कि मेरी वह 10 बीघा जमीन गांव वालों के उद्धार के लिए ही बनी हुई है,,,(लाला अपने चेहरे पर बनावटी खुशी लाता हुआ कजरी से बोला।)
लाला यह तो आपका बड़प्पन है कि अपनी इतनी ढेर सारी जमीन गांव वालों के उद्धार के काम में लगा दिए हैं वरना आजकल कोई अपनी 1 इंच जमीन भी नहीं छोड़ता,,,(कजरी फिर से घास को काटते हुए बोली लेकिन लाला को देखकर हड़बड़ाहट में कजरी अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक से अपने कंधे पर रख नहीं पाई जिसकी वजह से कजरी के छोटे से ब्लाउज में से उसकी भारी भरकम गोलाकार चूचियां बाहर छलकती हुई नजर आने लगी,, जिस पर लाला की नजर पड़ते ही उसकी आंखें चौंधिया गई उसके मुंह में पानी आ गया,,, लाला आंखें फाड़े कजरी की भारी-भरकम दूधिया चुचियों को देखने लगा,,,, लाला को अपने बेहद करीब खड़ा हुआ देखकर कजरी अंदर ही अंदर घबरा गई थी और अपनी सी घबराहट को दूर करने के लिए वह अपना ध्यान घास ऊखाडने में लगा रही थी,,,
लेकिन वो इस बात से बेखबर थी की उसकी इस हड़बड़ाहट की वजह से उसकी साड़ी का पल्लू उसकी चौड़ी छातियों से नीचे गिर गया था जिसकी वजह से उसकी मनमोहक गोलाईयां नजर आ रही थी,,, जिसको देखकर लाला अपनी आंख सेंक रहा था और लार टपका रहा था,,,।)
यह मेरा बड़प्पन नहीं कजरी यह तो एक तरह से भगवान का ही फैसला है,, बस तुम लोगों की मदद करने के लिए भगवान ने मुझे जरिया बनाया है,,,(इतना कहते हुए लाला नजर भर कर कजरी की मदमस्त चुचियों का दीदार कर रहा था,,, धोती में उसका लंड मचल रहा था,,, और वह अपनी छतरी से उसकी छाया बराबर कजरी पर छाया हुआ था,,, कड़ी धूप में घास काटने की वजह से कजरी के बदन पर पसीने की बूंदें उपसने लगी थी जो कि उसके खूबसूरत अंगों पर मोती की तरह चमक रही थी,, पसीने की कुछ बूंदे उसकी मदमस्त चुचियों की गोलाईयो पर भी उपसी हुई थी,,, जोकि कजरी की गोलाइयों को और भी ज्यादा खूबसूरत बना रही थी,,,, कजरी लाला की बात का जवाब देने के लिए अपनी नजरों पर की ही थी कि लाला की बेधक नजरों को अपनी छातीयों पर धंसता हुआ पाकर वह एकदम शर्म से लाल हो गई और वह तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू उठा कर अपनी छातियों पर रखकर बेहतरीन नजारे पर परदा गिरा दी,,,, कजरी की इस हरकत की वजह से लाला अपना मन मसोसकर रह गया,,,, और कजरी लाला की इस हरकत पर शर्म और घबराहट का मिलाजुला असर दिखाते हुए लड़खड़ाते स्वर में बोली,,,)
लललल,,,,लाला,,जी,, अब बड़े आदमी हैं,, इसलिए ऐसा कह रहे हैं,,,,(कटी हुई घास को अपने दोनों हाथों से इकट्ठा करते हुए कजरी माहौल को संभालते हुए बोली,, लेकिन कजरीमाहौल को जितना संभालने की कोशिश कर रही थी उसकी हरकतों की वजह से माहौल पूरी तरह से और बिगड़ता जा रहा था बिगड़ता क्या जा रहा था पूरी तरह से घर माता जा रहा था और वह भी लाला के लिए,,, क्योंकि अपनी साड़ी के पल्लू को जल्दी से कजरी ने अपनी छातियों पर डाल दी थी लेकिन,, घुटने मोड़ के वह कुछ इस तरह से बैठी थी कि उसकी साड़ी घुटनों से ऊपर चढ़ गई थी जिसकी वजह से उसकी टांगों के बीच काफी जगह बन चुकी थी जिसमें से बहुत कुछ नजर आ रहा था और लाला का ध्यान तुरंत कजरी के साड़ी के बीचो-बीच चला गया। लाला तो उस गरमा गरम नजारे को देखकर एकदम से पागल हो गया उसकी सांसो की गति तेज हो गई क्योंकि लाला को कजरी की साड़ी के अंदर का कुछ दूरी तक का हिस्सा नजर आ रहा था जिसमें उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघें नजर आ रही थी,, कजरी की गोरी गोरी जाओगे एकदम सुडौल थी मांसल थी,, जिसे देखते ही लाला की धोती मैं हाहाकार मच गया,,,,कजरी दोनों हाथों से कटी हुई खास समेटने में लगी हुई थी लेकिन उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसकी जवानी का मद मस्त छलकता हुआ वह हिस्सा नजर आ रहा था जिसे देखने के लिए गांव का हर मर्द नजरे बिछाए बैठा था,,,लाला पागलों की तरह अपनी नजरों को ऊपर नीचे आगे पीछे करते हुए साड़ी के अंदर की गहराई को देखने की पूरी कोशिश कर रहा था,,, लाला की किस्मत खराब थी और कजरी की किस्मत जोरों पर थी,,, क्योंकि लाला कजरी की साड़ी के अंदर झांकने की भरपूर कोशिश कर रहा था लेकिन वह खूबसूरत अंग नजर नहीं आ रहा था इसे देखने की चाह लाला अपने मन में दबाए हुए था,, क्योंकि साड़ी के अंदर पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था,,, और कजरी की मदमस्त जवानी का वह बेहतरीन खूबसूरत अनमोल अंग इतना सस्ता नहीं था कि बिना कोशिश किए ही वह किसी को भी नजर आ जाए,,, ऐसा लग रहा मानो कजरी की मदमस्त जवानी से लगता हुआ वह खारे पानी का झरना घनघोर घाटियों से घिरा हुआ था, जहां पर पहुंचना आम इंसान के बस की बात नहीं थी,,,
लाला अभी भी पूरी कोशिश में था कि जरा सा ही सही पर कजरी का वह खूबसूरत अंग नजर आ जाए,,, ऊतने से ही वह काम चला लेगा,,, लेकिन लाला की किस्मत खराब थी मोटी मोटी जांघों के आगे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था,,,
कुछ देर तक खामोशी छाई रही तो कजरी अपनी नजर एक बार फिर से ऊपर की तरफ उठाई और इस बार तो उसका दिल धक से करके रह गया वह पूरी तरह से घबरा गई,,जब उसे इस बात का अहसास हुआ कि इस बार लाला की नजरें उसकी साड़ी के अंदर कुछ ढुंढ रही हैं तो वह पूरी तरह से हड़बड़ा गई,,, अब कजरी के लिए वहां एक पल भी रुकना अच्छा नहीं था,, कजरी तुरंत कटी हुई घास के ढेर को उठाई और वहां से चलती बनी,, कजरी को युं अपनी गांड मटकाते हुए जाते देखकर लाला पागल हुआ जा रहा था,,, लाला के सांसो की गति तेज चल रही थी,, वह वहीं पर खड़े हुए ही कजरी को आवाज देकर उसे रोकने की कोशिश करते हुए बोला।
रुको कहां जा रही हो,,, रुको कजरी रानी,,,,, कहां जा रही हो इतनी कड़ी धुप में,,,,
लाला पीछे से आवाज देता रहा लेकिन कजरी पलट कर पीछे देखी भी नहीं वह सीधा अपने घर पर जाकर रुकी,,,