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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

rohnny4545

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रघु की याद में ललिया तड़प रही थी,,, केवल उसके साथ संभोग के लिए क्योंकि जिस तरह का सुख उसने अपने मोटे तगड़े लड़के से उसकी बुर की चुदाई करके उसे महसूस कराया था उस तरह का सुख उसने आज तक नहीं भोग पाई थी,,,, और रामू को जब से इस बारे में पता चला था कि उसका दोस्त रघु उसकी मां को चोद चुका है तब से रामू भी ऐसे फिराक में रहता था कि वह भी अपनी मां को चोद सके,,, लेकिन ना तो उसे मौका मिल पाता था और ना ही उसकी हिम्मत हो पाती थी,,, इससे यह बात बर्दाश्त नहीं हो पा रही थी कि घर की बुर का मजा बाहर वाले ले और घर का लड़का मुंह देखते रहे इसीलिए वह इसी फिराक में रहता था कि कब उसको भी मौका मिले उसकी मां की चुदाई करने के लिए,,,।

ऐसे ही 1 दिन दोनों मां बेटेखाना खाने के लिए बैठे हुए थे दोनों खाना खा रहे थे तभी ललिया अपने बेटे से बोली,,,।

क्यों रे कब आएगा रघू,,,, बहुत दिन हो गए उसे गए,,,,(पानी का गिलास रामू की तरफ बढ़ाते हुए बोली,,, अपनी मां की यह बात सुनकर रामू को अंदर ही अंदर गुस्सा आ रहा था,,, क्योंकि उसे इस बात का मलाल था कि घर में जवान लड़का होते हुए भी वह बाहर के लड़के से चुदाई करवा रही थी अपनी मां की बात सुनने के बाद रामू बोला,,,)

क्यों बहुत तड़प रही हो उससे मिलने के लिए,,,
(रामू की यह बात सुनते ही ललिया एकदम से सहन उठी,,, उसे तिरछी नजरों से देखते हुए बोली,,,)

ऐसा क्यों कह रहा है तू मैं तो ऐसे ही कह रही थी,,,,पड़ोसी के घर के कामकाज में हाथ बताता है उसे ज्यादा दिन हो गए यहां से गए इसलिए कह रही हुं,,,,


मुझे सब पता है किस लिए कह रही हो,,,(रामू निवाला मुंह में डालते हुए बोला वह अंदर ही अंदर काफी गुस्से में था गुस्सा उसे इस बात का नहीं था कि रघु उसे चोद चुका था बल्कि इसलिए गुस्सा था कि उसकी मां रघु को दे रही थी और उसकी तरफ जरा भी ध्यान नहीं दे रही थी)


किस लिए कह रही हुं,,,,(रामू की बात सुनकर ललिया अंदर से डर चुकी थी,,, उसे डर इस बात का था कि कहीं रामू को पता तो नहीं चल गया उसके और रघू के बारे में,,, इसलिए वह पता लगाने के लिए रामू से बोली थी,,,) बोलना किस लिए कह रही हूं वह क्या मेरा आदमी है जो मैं उसके लिए तड़प रही हुं,,,,
(ललिया यह बात उसे गुस्से में बोल रही थी,,,वैसे भी जब बात सच होती है तो गुस्सा तो आ ही जाता है जो कि ललिया के चेहरे और उसकी बात से साफ लग रहा था,, रामु को भी गुस्सा आ रहा था रामू अपनी मां को चोदना चाहता था,,,इसलिए अपने मन में यही सोच रहा था कि जो कुछ भी उसने देखा सुना है सब कुछ अपनी मां को बता दें ताकि इस बात को राज रखने के लिए उसकी मां उसके लिए भी अपनी दोनों टांगें खोल दें,,, वैसे भी रामू समझ चुका था कि अब उसकी मां को जवान लंड की जरूरत थी,,,रघु और उसकी मां के बीच क्या चल रहा है रामू यह सब कुछ अपने मुंह से बता देना चाहता था लेकिन ना जाने क्यों वह अंदर से डर भी रहा था,,। और दूसरी तरफ ललिया अंदर ही अंदर घबरा रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके बेटे को सब कुछ पता चल गया तो कहीं सबको पता ना चल जाए और यही जानने के लिए नदिया उसे जानबूझकर उकसा रही थी उसे ऐसा भी लग रहा था कि कहीं वह ऐसे ही ना बोल रहा हो और मन ही मन भगवान से प्रार्थना भी कर रही थी कि काश उसके बेटे को कुछ भी ना पता हो,,,)
अब क्यों चुप है बोलता क्यों नहीं बस खाए जा रहा है,,,इसलिए कहती हूं कि तुझसे अच्छा रघु है जो घर का कामकाज तो कर लेता है हाथ बटा लेता है,,,


तभी तो खुश होकर उसके लिए दोनों टांग खोल देती हो,,,(रामू एकदम से गुस्से में बोल गया,,,,उसकी बात सुनते ही नदिया के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई हो एकदम से हक्की बक्की रह गई वह आंखें फाड़े बस रामू की तरफ देखती रह गई,,,)

यययय,,, यह क्या,,,,,, क्या कह रहा है तू,,,,,, तुझे शर्म नहीं आती इस तरह से बातें करते हुए,,,,।

तुम्हें करवाने में शर्म नहीं आ रही है और मुझे कहने में क्यों शर्म आएगी,,,,


देख रही हूं अब तू ज्यादा बोल रहा है तेरे पिताजी से कह दूंगी,,,,।

कह दो मैं भी पिताजी से कह दूंगा,,की,,,तूफान वाली रात में तुम्हारे और रघु के बीच क्या हुआ था,,,,,
(रामू की बात सुनते ही ललिया एकदम से घबरा गई क्योंकि जो कुछ भी वह कह रहा था वह बिल्कुल सच था लेकिन इसे कैसे पता चल गया इस बारे में उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था,,,)

दददद,,, देख रामु,,, तू मनगढ़ंत कहानी मत बना मैं डरने वाली नहीं तेरी बातों से,,, समझ गया ना आने दे तेरे पिताजी का मैं तेरे बारे में सब बता दूंगी तो कितनी गंदी गंदी बातें कर रहा था,,,,

सब झूठ लगता है ना मां तुम्हें,,, क्या यह भी झूठ है कि उस दिन जब रामू घर पर आया था तो तुम्हें चोदने के लिए आया था,,, मैं अपने कानों से सुना था,,, कि तुम दोनों के बीच क्या चल रहा था और क्या चल चुका था,,,, वह तो मैं अंदर वाले कमरे में मौजूद था वरना उस दिन भी रघू तुम्हें चोद कर जाता,,, अब कहो क्या वह भी गलत था,,,,
(रामू की बात सुनकर ललिया को पूरी तरह से समझ में आ गया और यकीन हो चला कि उसके बेटे को उसके और रघु के बीच जो कुछ भी चल रहा है सब कुछ पता चल गया है इस बात का एहसास ललिया को होते ही वह रोने लगी,,,, अब उसके पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं बचा था,,,, रामू उसे चुप कराने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था क्योंकि वह जानता था,,,,, यही सही मौका है उसकी चुदाई करने का,,,,ललिया सिसक सिसक कर रो रही थी और सिसकते हुए बोली,,,)

इसमें मेरी कोई भी गलती नहीं है रघू की हीं गलती है,,, वही मुझे यह सब करने के लिए उकसाया था,,,।

अब जैसे भी हुआ हुआ तो सही ना अगर सोचे यह बात पिताजी को पता चल गई तो क्या होगा,,,

नहीं नहीं रामू तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगा अपने पिताजी को यह बात बिल्कुल भी नहीं बताएगा,,,(ललिया रामू के दोनों कंधों पर अपना हाथ रख कर उसे समझाने के उद्देश्य से बोली अपनी मां की बातें सुनकर रामू को पूरा विश्वास हो गया कि यही सही मौका है अपनी मनमानी करने का,,,, इसलिए रामू अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोला)


नहीं मुझसे यह बिल्कुल भी नहीं होगा जो गंदा काम तुमने की हो उसे पिताजी को बताना ही होगा और अगर साथ में चंदा और रानी दोनों को इस बारे में पता चलेगा तो उन पर क्या गुजरेगी और तुम्हारी ऐसी गंदी हरकत का ऊन पर क्या असर पड़ेगा कभी सोची हो,,,,


लेकिन रामू तो समझता क्यों नहीं जब तक तुउन्हें बताएगा नहीं तो उन्हें पता कैसे चलेगा,,,


मुझे बताना होगा,,,,।


नहीं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगा रामू,,,,( ललिया रामू के दोनों हाथों को अपने हाथ में कस के पकड़ते हुए बोली,,, ललिया के ब्लाउज का ऊपर का बटन खुला हुआ था जिस पर रामू की नजर पड़ गई थी और वह ब्लाउज में से झांकती अपनी मां की दोनों चूचियों को देखते हुए बोला,,,)

अगर मैं यह राज किसी को ना बताऊं तो इसमें मेरा क्या फायदा होगा मुझे क्या मिलेगा,,,,
(ललिया अपने बेटे की प्यासी नजरों को अपनी चुचियों पर धरती हुई महसूस कर ली,,, पल भर के लिए तो ललिया को एकदम से झटका सा लगा लेकिन उम्र दराज और अनुभवी होने के नाते उसके बेटे के मन में उसके लिए क्या चल रहा है उसे जल्द ही समझ में आ गया,,, वह अपने बेटे की आंखों में झांकते हुए बोली,,,)

सब कुछ मिलेगा तुझे मैं वह सब कुछ दूंगी जो तू चाहता है बस तू यह राज अपने सीने में दफन रखना,,,,, क्या चाहिए तुझे,,,,?

सच कह रही हो जो मैं चाहता हूं वह तुम दोगी,,,,(रामू एकदम बेशर्म बन चुका था उसकी आंखों में वासना और हवस साफ नजर आ रहे थे,,, वह अपनी मां की चूचियों पर से अपनी नजर हटा नहीं रहा था उन्हें हीं घूरे जा रहा था,,,)

सब कुछ दूंगी रामू क्या चाहिए तुझे,,,, बस यह बात तु किसी को मत बताना,,,
(अपनी मां की यह बात सुनकर रामू को पक्का यकीन हो गया कि आज उसे वह सब कुछ मिलेगा जो उसकी मां ने रघु को दी थी अभी भी वह अपनी मां की दोनों चुचियों को देखे जा रहा था, जो कि ऊपर का एक बटन खुला होने की वजह से उसके ब्लाउज से बाहर आने के लिए फडफड़ा रहा था,,,)

बाद में मुकर तो नहीं जाओगी,,,

नहीं बिल्कुल भी नहीं बेटे,,,,


सोच समझकर बोलना,,,,,


मैं पूरी तरह से सोच विचार कर ही बोल रही हूं,,,।
(इतना सुनकर रामु से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था,,, अपनी मां की अर्धनग्न चुचियों को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,,,और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां की दोनों चुचियों को पकड़ते हुए बोला,,,)

मुझे वही चाहिए जो तुमने बारिश वाली रात को रघु को दी थी,,,,,।
(ललिया को इस बात का आभास हो गया था कि उसके बेटे के मन में क्या चल रहा है और वह अपने आप को पूरी तरह से तैयार भी कर चुकी थी लेकिन फिर भी ऊपरी मन से गुस्सा दिखाते हुए बोली,,)

क्या,,,,,, पागल तो नहीं हो गया है तु,,,, तुझे कुछ पता है कि तू क्या बोल रहा है,,,,(ललिया अपने बेटे के हाथ को अपनी दोनों चूचियों पर से हटाते हुए बोली लेकिन चुचियों का स्पर्श रामू के तन बदन में उत्तेजना की लहर बढ़ा रहा था इसलिए वह फिर से अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की चुचियों पर ब्लाउज के ऊपर से ही रखते हुए बोला,,,)

मैं अपने पूरे होश में हूं मैं जानता हूं मैं क्या बोल रहा हूं और अगर तुम्हें अपना राज राज रखना है तो मेरी बात मानना पड़ेगा वरना मैं आज शाम को ही पिताजी से सब कुछ बता दूंगा और यह बात मैं चंदा और रानी दोनों को बता दूंगा,,,,


रामू तु एकदम बेशर्म हो गया है,,,, तु हवस मैं इतना अंधा हो गया है कि यह बात तु अपनी मां से ही बोल रहा है,,,,(ललिया इस बार अपने बेटे के हाथ को अपनी चूचियों पर से नहीं हटाई,,, क्योंकि रानी धीरे-धीरे ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूचियों को दबा रहा था और कई दिनों की प्यासी ललिया को अपने बेटे का इस तरह से इस तन मर्दन करना अच्छा लग रहा था,,,)

मैं सब जानता हूं कि मैं यह बात किस से बोल रहा हूं,,, मैं भी जानता हूं कि अब तुम्हें जवान लंड की जरूरत हो गई है,,, इसलिए तो रघु के बारे में पूछ रही हो,,,,(रामू अपनी मां की सूचियों को थोड़ा जोर जोर से दबाते हुए बोला,,,)

,,रामू यह तो कैसी बातें कर रहा है इतनी गंदी बात बोल रहा है,,,,।


मैं कोई गंदी बात नहीं कर रहा हूं यह सब जरूरत है मेरी तुम्हारी रगों की एक दूसरे से अपनी जरूरत मिटाने की,,,, अगर मौका दो तो मैं भी तुम्हें घोड़े की सवारी का मजा दे सकता हूं जिस तरह से रघु ने तुमको दिया है,,,,(इतना कहते हुए रखो अपनी मां के ब्लाउज के बटन खोलने लगा उत्तेजना और वासना की आग में उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,, ऊसे मजा भी आ रहा था,,, और सही मायने में देखा जाए तो ललिया को भी इसमें आनंद मिल रहा था,,,। ललिया उसे रोकने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं कर रही थी,,, क्योंकि उसे भी वही जरूरत थी जो रामू उससे मांग रहा था तभी तो उसे रघू की याद आ रही थी,,, देखते ही देखते रामू अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी नंगी चूचियों को अपने दोनों हाथों में थाम लिया और उसे दबाते हुए बोला,,,)

दोगी ना मौका मुझे,,,,, मैं तुम्हें एक दम मस्त कर दूंगा,,,


लेकिन तू यह बात किसी को भी मत बताना,,,,

बिल्कुल भी नहीं बताऊंगा मां,,,,,(इतना कहने के साथ ही रामू दरवाजे की तरफ देखा क्योंकि कुंडी नहीं लगी हुई थी वह तुरंत खड़ा हुआ और जाकर दरवाजे की कुंडी लगा दिया उसकी दोनों बहने अपनी सहेली के घर गई हुई थी और दोपहर के पहले आने वाली नहीं थी उसके पास पूरा मौका था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और यही हाल ललिया का भी था जो मजा उसे रघु के साथ मिला था उसी मजा के लालच में वह अपने बेटे के साथ संबंध बनाने के लिए तैयार हो चुकी थी क्योंकि रामू भी उसका हमउम्र था और नौजवान हट्टा कट्टा लड़का था उसे यकीन था कि रघु की तरह वह भी उसकी जवानी को रोंग देगा,,,, रामू के पजामे में तंबू बन चुका था जिस पर रह-रहकर ललिया की नजर चली जा रही,,,, रघु अपनी मां के पास दुबारा पहुंचते ही उसे हाथ पकड़ कर खड़ी किया और उसी तरह से उसे अपनी बाहों में भर लिया,,,, नंगी नंगी चूचियों को अपनी छाती पर महसूस करते ही उसके तन बदन में आग लग गई प्रभा तुरंत अपनी कमी से निकाल कर नीचे जमीन पर फेंक दिया और अपने दोनों हाथों का सहारा लेकर अपनी मां के ब्लाउज को भी उतार फेंका कमर के ऊपर से वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,,,,, अपनी मां के बड़े बड़े दूध को देख कर उसके मुंह में पानी आने लगा और वह अपने दोनों हाथों से बनाकर अपनी मां की दोनों चुचियों को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से दबाता हुआ मस्त होने लगा पहली बार वह चूची को हाथ में पकड़ा था और वह भी अपनी मां की,,, स्तन मर्दन की गर्माहट ललिया को व्याकुल कर रही थी रामू भी अपनी ताकत लगाकर अपनी मां की चुचियों को दबाने में मस्त था ललिया को अच्छा लग रहा था,,,,और देखते ही देखते रामू अपनी मां की दोनों चूचियों को अपने हाथ में पकड़ कर बारी-बारी से उसकी कड़ी तनी हुई निप्पल को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,, ललिया के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज आने लगी,,,, जिंदगी में पहली बार रघु औरत के मुंह से इस तरह की आवाज को सुन रहा था या आवाज उसे मदहोश किए जा रही थी,,,, रामु इस मौके को पूरी तरह से जी लेना चाहता था इसलिए अपनी मां का हाथ पकड़कर वह बोला,,,,

खटिया पर चलो,,,,,, मां,,,,

(ललिया भी मदहोश हुई जा रही थी,,, इसलिए अपने बेटे की बात मानते हुए वह जाकर खटिए पर लेट गई,,, रामू की हालत खराब थी,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था रामू का पूरा ध्यान उसकी मां की बड़ी बड़ी चूचीयो पर थी जो की पूरी तरह से नंगी थी,,, रामू एक बार फिर से दरवाजे की जांच कर लिया कि कहीं कुंडी खुली तो नहीं रही गई है लेकिन दरवाजा पूरी तरह से बंद था,,, रामू धीरे से जाकर खटिया पर बैठ गया उसकी आंखों में शर्म बिल्कुल भी नहीं थी,,,,,क्योंकि उसे इस बात का पता था कि उसकी मां खुद बेशर्म है वरना उसके दोस्त के साथ चुदवाती नहीं,,,)

क्या मस्त चूचियां है मां तुम्हारी,,,,आहहहहह,,,इतनी बड़ी बड़ी हो रसीली इन्हें देख कर ही मेरे मुंह में पानी आ रहा है,,,(इतना कहने के साथ नहीं रामू अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर एक बार फिर से अपनी मां की दोनों चूचियों को अपने हाथ में भरकर उन्हें दबाना शुरू कर दिया और साथ ही उन्हें बारी बारी से अपने मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,,, ललिया मस्त हए जा रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि रघू की कमी रामू जरूर पूरी कर देगा,,,, ललिया कुछ बोल नहीं पा रही थी,,, उसे शर्म आ रही थी रामू की जगह अगर कोई और होता तो शायद खुलकर इसका मजा लेती लेकिन उसका बेटा था,,, इसलिए उसे शर्म आ रही थी लेकिन धीरे-धीरे अपने बेटे की बेशर्मी की वजह से उसके तन बदन में मदहोशी की लहर उठने लगी थी और उसे मजा आ रहा था देखते ही देखते यदि अपना हाथ अपने बेटे के सर पर रख कर उसे पुचकारने लगी,,, रामू को बहुत मजा आ रहा था उसकी जवानी आज पूरी तरह से अंगड़ाई ले रही थी,,,,खटिया पर लेटे लेटे ललिया कसमसा रही थी वह भी अपनी तरफ से हरकत करना चाह रही थी लेकिन शर्म के मारे उसके हाथ ज्यादा नहीं चल रहे थे,,,कुछ देर तक अपनी मां की चुचियों के साथ खेलने के बाद उसकी इच्छा और ज्यादा बढ़ने लगी वह अपनी मां की बुर देखना चाहता था जो कि उसकी मां ने उसके दोस्त को दे चुकी थी,,,,पर इसीलिए वह अपना एक हाथ नीचे की तरफ नहीं लाकर अपनी मां की साड़ी की गांठ को खोलने लगा,,,शर्म के मारे ललिया एकदम से कसमसा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका पिता उसे पूरी तरह से नंगी करना चाहता है लेकिन ऐसा करने से वह अपने बेटे को रोक भी नहीं रही थी क्योंकि उसे भी अपने बेटे की आंखों के सामने एकदम नंगी होना था और वह अच्छी तरह से जानती थी एक बार उसकी जवानी का सुहाग उसका बेटा चख लेगा तो जिंदगी भर के लिए उसका गुलाम बनकर रह जाएगा और जो राज को बेनकाब करने का नाम लेकर खूबसूरत बदन से खेल रहा है इसके बाद वह रोज उसकी जवानी से खेलेगी,,,।

देखते ही देखते अपने कांपते हाथों से रामू अपनी मां की साड़ी को खोल कर अपनी मां के पेटीकोट की डोरी को खोल दिया और उसे खींचकर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन ललिया की भारी-भरकम गांड के वजन के नीचे दबी होने के कारण पेटीकोट नीचे की तरफ खींचा नहीं पा रही थीइसलिए ललिया अपने बेटे का सहयोग करते हुए अपनी भारी-भरकम गांड को पल भर के लिए ऊपर की तरफ उठा ले और इसी मौके का फायदा उठाते हुए रामू तुरंत अपनी मां की पेटीकोट को नीचे की तरफ खींच कर उसे एकदम से लंबी कर दिया अपनी मां के नंगे बदन को देखकर रामू की आंखों में वासना की चमक जाग उठी गोरी गोरी मोटी मोटी जांगे,,,,लेकिन ललिया शर्म के मारे अपनी हथेली से अपनी बुर को छिपाए हुए थी,,, रामु अपनी मां की बुर देखना चाहता था इसलिए अपनी मां के हाथ को हटाते हुए बुला,,,,।

हाय मेरी रानी अपना हाथ तो हटाओ,,,,(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए रानी शब्द सुनकर वह एकदम शर्म से पानी पानी हो गई,,, रामू की नजर जैसे कि अपनी मां की रसीली बुर पर पड़ी वह हक्का-बक्का रह गया,,,,जिंदगी में पहली बार हुआ अच्छी तरीके से और इतने करीब से बुर देख रहा था और वह भी अपनी मां की,,, वह इतना ज्यादा उत्तेजना से भर गया कि उसे लगने लगा कि जैसे उसका पानी निकल जाएगा सिर्फ अपनी मां की बुर देखकर उसका यह हाल था,,, ललिया मदहोश हुए जा रही थी,,,अपने बेटे को पागलों की तरह फटी आंखों से अपनी बुर को देखते हुए पाकर ललिया से रहा नहीं गया और वह अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के बाल को पकड़ कर उसके मुंह को लगभग जबरदस्ती दबाते हुए अपनी दोनों टांगों के बीच दबा दी और उसके मुंह से बस इतना निकला,,,

चाट मेरी बुर,,,,,,
(अपनी मां की हरकत को देखते हुए रामू को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां कितनी बड़ी छिनार हैऔर वह भी अपनी मां की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया,,, शुरू शुरू में उसका स्वाद थोड़ा सा अजीब लगा लेकिन उसके बाद उसे मजा आने लगा,,, ललिया मदहोश हो गए जा रही थी टूटी खटिया चरर चरर कर रही थी हालांकि अभी चुदाई बिल्कुल भी शुरू नहीं हुई थी लेकिन भारी भरकम शरीर लिए हुए दोनों के वजन से खटिया चरर चरर कर रही थी,,, लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका था, बस हथोड़ा मारने की देरी थी,,,, वह रामू को अपनी जांघों के बीच से हटाई और उसे अपना पजामा उतारने के लिए बोली रामू भी काफी उतावला था इसलिए खटिया से नीचे उतर कर अपना पजामा उतार फेंका ,,, अपनी मां की आंखों के सामने का पूरी तरह से नंगा हो गया,,, रामू का भी लंड अच्छा खासा था,,, जिसे देखकर ललिया को संतुष्टि हुई वह अपनी दोनों टांगें फैला दी और देखते ही देखते रामू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर एकदम से एक ही झटके में अपना लंड उसकी बुर में डाल कर चोदना शुरू कर दिया,,,, रामू में धैर्य बिल्कुल भी नहीं था इसलिए नतीजा यह हुआ कि चार-पांच झटके में ही उसका पानी निकल गया ललिया एकदम से नाराज हो गई,,,, और उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए बोली,,,।

इसलिए मे रघू को याद कर रही थी क्योंकि वहा तेरी तरह पागल नही हो जाता बल्कि दिमाग से काम लेता है और देर तक टिका रहता है ताकि उसे भी मजा मिले और मुझे भी,,,
(रामू अपनी मां की बात सुनकर शर्मिंदा हो गया था लेकिन एकदम से टेस में आ गया था,,, और बोला)

मुझे एक मौका और दे फिर देखना मैं तुझे रघु को भुला दूंगा,,, बस एक बार मेरा लंड मुंह में लेकर चूसकर खड़ा कर दें,,,,
(ललिया की प्यास बुझी नहीं थी बल्कि और ज्यादा बढ़ गई थी इसलिए वह तुरंत अपने बेटे के मुरझाए लंड को मुंह में लेकर चुस कर एक बार फिर से खड़ा कर दी,,,और एक बार फिर से रामू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आ गया और एक बार फिर से उसकी पेड़ के अंदर उतर गया लेकिन इस बार वाकई में रामू धक्के पर धक्के लगा रहा था,,,, लेकिन जिस तरह की रगड़ और जबरदस्त धक्के का प्रहार ललिया रघु के लंड से महसूस करती थी उस तरह से अपने बेटे के लंड से बिल्कुल भी महसूस नहीं हो रहा था लेकिन मजा जरूर आ रहा था,,, इस बार रामू अपनी मां को लगभग लगभग 15 मिनट तक जमकर चुदाई किया और उसके ऊपर ढेर हो गया,,,,, दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे बढ़िया को यह बात अच्छी तरह से महसूस हो रही थी कि जिस तरह से रघू अपने लंड से चोद कर उसकी बुर को पानी पानी कर देता था,,, उस तरह का दम रामू नहीं दिखा पाया था लेकिन कोशिश बराबर किया था ललिया का दो काम हो चुका था एक तो उसका राज राज बन कर रह गया था और घर में ही उसे जवान लंड का जुगाड़ हो चुका था लेकिन फिर भी रघु से मिलने की तड़प उसके मन में बार-बार जाग रही थी,,,।
 
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Super story. ,,,,Thodi story me tadap, gussa bhi dikhaye sex ke liye ,,kyuki mujhe lagta hai badi aasani se kisi ke sath bhi chudayi ho rahi khaskar rani ke sath aur abhi last me laliya aur uske bete ke sath ,,badi easily ho gaya.

Baaki aapki marji aap writter ho. ,,,umeed krta ho mere comments ka bura nhi manoge aap mujhe jaisa laga maine bol diya.

Waiting for next update.
 

Nevil singh

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रघु की याद में ललिया तड़प रही थी,,, केवल उसके साथ संभोग के लिए क्योंकि जिस तरह का सुख उसने अपने मोटे तगड़े लड़के से उसकी बुर की चुदाई करके उसे महसूस कराया था उस तरह का सुख उसने आज तक नहीं भोग पाई थी,,,, और रामू को जब से इस बारे में पता चला था कि उसका दोस्त रघु उसकी मां को चोद चुका है तब से रामू भी ऐसे फिराक में रहता था कि वह भी अपनी मां को चोद सके,,, लेकिन ना तो उसे मौका मिल पाता था और ना ही उसकी हिम्मत हो पाती थी,,, इससे यह बात बर्दाश्त नहीं हो पा रही थी कि घर की बुर का मजा बाहर वाले ले और घर का लड़का मुंह देखते रहे इसीलिए वह इसी फिराक में रहता था कि कब उसको भी मौका मिले उसकी मां की चुदाई करने के लिए,,,।

ऐसे ही 1 दिन दोनों मां बेटेखाना खाने के लिए बैठे हुए थे दोनों खाना खा रहे थे तभी ललिया अपने बेटे से बोली,,,।

क्यों रे कब आएगा रघू,,,, बहुत दिन हो गए उसे गए,,,,(पानी का गिलास रामू की तरफ बढ़ाते हुए बोली,,, अपनी मां की यह बात सुनकर रामू को अंदर ही अंदर गुस्सा आ रहा था,,, क्योंकि उसे इस बात का मलाल था कि घर में जवान लड़का होते हुए भी वह बाहर के लड़के से चुदाई करवा रही थी अपनी मां की बात सुनने के बाद रामू बोला,,,)

क्यों बहुत तड़प रही हो उससे मिलने के लिए,,,
(रामू की यह बात सुनते ही ललिया एकदम से सहन उठी,,, उसे तिरछी नजरों से देखते हुए बोली,,,)

ऐसा क्यों कह रहा है तू मैं तो ऐसे ही कह रही थी,,,,पड़ोसी के घर के कामकाज में हाथ बताता है उसे ज्यादा दिन हो गए यहां से गए इसलिए कह रही हुं,,,,


मुझे सब पता है किस लिए कह रही हो,,,(रामू निवाला मुंह में डालते हुए बोला वह अंदर ही अंदर काफी गुस्से में था गुस्सा उसे इस बात का नहीं था कि रघु उसे चोद चुका था बल्कि इसलिए गुस्सा था कि उसकी मां रघु को दे रही थी और उसकी तरफ जरा भी ध्यान नहीं दे रही थी)


किस लिए कह रही हुं,,,,(रामू की बात सुनकर ललिया अंदर से डर चुकी थी,,, उसे डर इस बात का था कि कहीं रामू को पता तो नहीं चल गया उसके और रघू के बारे में,,, इसलिए वह पता लगाने के लिए रामू से बोली थी,,,) बोलना किस लिए कह रही हूं वह क्या मेरा आदमी है जो मैं उसके लिए तड़प रही हुं,,,,
(ललिया यह बात उसे गुस्से में बोल रही थी,,,वैसे भी जब बात सच होती है तो गुस्सा तो आ ही जाता है जो कि ललिया के चेहरे और उसकी बात से साफ लग रहा था,, रामु को भी गुस्सा आ रहा था रामू अपनी मां को चोदना चाहता था,,,इसलिए अपने मन में यही सोच रहा था कि जो कुछ भी उसने देखा सुना है सब कुछ अपनी मां को बता दें ताकि इस बात को राज रखने के लिए उसकी मां उसके लिए भी अपनी दोनों टांगें खोल दें,,, वैसे भी रामू समझ चुका था कि अब उसकी मां को जवान लंड की जरूरत थी,,,रघु और उसकी मां के बीच क्या चल रहा है रामू यह सब कुछ अपने मुंह से बता देना चाहता था लेकिन ना जाने क्यों वह अंदर से डर भी रहा था,,। और दूसरी तरफ ललिया अंदर ही अंदर घबरा रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके बेटे को सब कुछ पता चल गया तो कहीं सबको पता ना चल जाए और यही जानने के लिए नदिया उसे जानबूझकर उकसा रही थी उसे ऐसा भी लग रहा था कि कहीं वह ऐसे ही ना बोल रहा हो और मन ही मन भगवान से प्रार्थना भी कर रही थी कि काश उसके बेटे को कुछ भी ना पता हो,,,)
अब क्यों चुप है बोलता क्यों नहीं बस खाए जा रहा है,,,इसलिए कहती हूं कि तुझसे अच्छा रघु है जो घर का कामकाज तो कर लेता है हाथ बटा लेता है,,,


तभी तो खुश होकर उसके लिए दोनों टांग खोल देती हो,,,(रामू एकदम से गुस्से में बोल गया,,,,उसकी बात सुनते ही नदिया के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई हो एकदम से हक्की बक्की रह गई वह आंखें फाड़े बस रामू की तरफ देखती रह गई,,,)

यययय,,, यह क्या,,,,,, क्या कह रहा है तू,,,,,, तुझे शर्म नहीं आती इस तरह से बातें करते हुए,,,,।

तुम्हें करवाने में शर्म नहीं आ रही है और मुझे कहने में क्यों शर्म आएगी,,,,


देख रही हूं अब तू ज्यादा बोल रहा है तेरे पिताजी से कह दूंगी,,,,।

कह दो मैं भी पिताजी से कह दूंगा,,की,,,तूफान वाली रात में तुम्हारे और रघु के बीच क्या हुआ था,,,,,
(रामू की बात सुनते ही ललिया एकदम से घबरा गई क्योंकि जो कुछ भी वह कह रहा था वह बिल्कुल सच था लेकिन इसे कैसे पता चल गया इस बारे में उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था,,,)

दददद,,, देख रामु,,, तू मनगढ़ंत कहानी मत बना मैं डरने वाली नहीं तेरी बातों से,,, समझ गया ना आने दे तेरे पिताजी का मैं तेरे बारे में सब बता दूंगी तो कितनी गंदी गंदी बातें कर रहा था,,,,

सब झूठ लगता है ना मां तुम्हें,,, क्या यह भी झूठ है कि उस दिन जब रामू घर पर आया था तो तुम्हें चोदने के लिए आया था,,, मैं अपने कानों से सुना था,,, कि तुम दोनों के बीच क्या चल रहा था और क्या चल चुका था,,,, वह तो मैं अंदर वाले कमरे में मौजूद था वरना उस दिन भी रघू तुम्हें चोद कर जाता,,, अब कहो क्या वह भी गलत था,,,,
(रामू की बात सुनकर ललिया को पूरी तरह से समझ में आ गया और यकीन हो चला कि उसके बेटे को उसके और रघु के बीच जो कुछ भी चल रहा है सब कुछ पता चल गया है इस बात का एहसास ललिया को होते ही वह रोने लगी,,,, अब उसके पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं बचा था,,,, रामू उसे चुप कराने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था क्योंकि वह जानता था,,,,, यही सही मौका है उसकी चुदाई करने का,,,,ललिया सिसक सिसक कर रो रही थी और सिसकते हुए बोली,,,)

इसमें मेरी कोई भी गलती नहीं है रघू की हीं गलती है,,, वही मुझे यह सब करने के लिए उकसाया था,,,।

अब जैसे भी हुआ हुआ तो सही ना अगर सोचे यह बात पिताजी को पता चल गई तो क्या होगा,,,

नहीं नहीं रामू तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगा अपने पिताजी को यह बात बिल्कुल भी नहीं बताएगा,,,(ललिया रामू के दोनों कंधों पर अपना हाथ रख कर उसे समझाने के उद्देश्य से बोली अपनी मां की बातें सुनकर रामू को पूरा विश्वास हो गया कि यही सही मौका है अपनी मनमानी करने का,,,, इसलिए रामू अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोला)


नहीं मुझसे यह बिल्कुल भी नहीं होगा जो गंदा काम तुमने की हो उसे पिताजी को बताना ही होगा और अगर साथ में चंदा और रानी दोनों को इस बारे में पता चलेगा तो उन पर क्या गुजरेगी और तुम्हारी ऐसी गंदी हरकत का ऊन पर क्या असर पड़ेगा कभी सोची हो,,,,


लेकिन रामू तो समझता क्यों नहीं जब तक तुउन्हें बताएगा नहीं तो उन्हें पता कैसे चलेगा,,,


मुझे बताना होगा,,,,।


नहीं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगा रामू,,,,( ललिया रामू के दोनों हाथों को अपने हाथ में कस के पकड़ते हुए बोली,,, ललिया के ब्लाउज का ऊपर का बटन खुला हुआ था जिस पर रामू की नजर पड़ गई थी और वह ब्लाउज में से झांकती अपनी मां की दोनों चूचियों को देखते हुए बोला,,,)

अगर मैं यह राज किसी को ना बताऊं तो इसमें मेरा क्या फायदा होगा मुझे क्या मिलेगा,,,,
(ललिया अपने बेटे की प्यासी नजरों को अपनी चुचियों पर धरती हुई महसूस कर ली,,, पल भर के लिए तो ललिया को एकदम से झटका सा लगा लेकिन उम्र दराज और अनुभवी होने के नाते उसके बेटे के मन में उसके लिए क्या चल रहा है उसे जल्द ही समझ में आ गया,,, वह अपने बेटे की आंखों में झांकते हुए बोली,,,)

सब कुछ मिलेगा तुझे मैं वह सब कुछ दूंगी जो तू चाहता है बस तू यह राज अपने सीने में दफन रखना,,,,, क्या चाहिए तुझे,,,,?

सच कह रही हो जो मैं चाहता हूं वह तुम दोगी,,,,(रामू एकदम बेशर्म बन चुका था उसकी आंखों में वासना और हवस साफ नजर आ रहे थे,,, वह अपनी मां की चूचियों पर से अपनी नजर हटा नहीं रहा था उन्हें हीं घूरे जा रहा था,,,)

सब कुछ दूंगी रामू क्या चाहिए तुझे,,,, बस यह बात तु किसी को मत बताना,,,
(अपनी मां की यह बात सुनकर रामू को पक्का यकीन हो गया कि आज उसे वह सब कुछ मिलेगा जो उसकी मां ने रघु को दी थी अभी भी वह अपनी मां की दोनों चुचियों को देखे जा रहा था, जो कि ऊपर का एक बटन खुला होने की वजह से उसके ब्लाउज से बाहर आने के लिए फडफड़ा रहा था,,,)

बाद में मुकर तो नहीं जाओगी,,,

नहीं बिल्कुल भी नहीं बेटे,,,,


सोच समझकर बोलना,,,,,


मैं पूरी तरह से सोच विचार कर ही बोल रही हूं,,,।
(इतना सुनकर रामु से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था,,, अपनी मां की अर्धनग्न चुचियों को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,,,और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां की दोनों चुचियों को पकड़ते हुए बोला,,,)

मुझे वही चाहिए जो तुमने बारिश वाली रात को रघु को दी थी,,,,,।
(ललिया को इस बात का आभास हो गया था कि उसके बेटे के मन में क्या चल रहा है और वह अपने आप को पूरी तरह से तैयार भी कर चुकी थी लेकिन फिर भी ऊपरी मन से गुस्सा दिखाते हुए बोली,,)

क्या,,,,,, पागल तो नहीं हो गया है तु,,,, तुझे कुछ पता है कि तू क्या बोल रहा है,,,,(ललिया अपने बेटे के हाथ को अपनी दोनों चूचियों पर से हटाते हुए बोली लेकिन चुचियों का स्पर्श रामू के तन बदन में उत्तेजना की लहर बढ़ा रहा था इसलिए वह फिर से अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की चुचियों पर ब्लाउज के ऊपर से ही रखते हुए बोला,,,)

मैं अपने पूरे होश में हूं मैं जानता हूं मैं क्या बोल रहा हूं और अगर तुम्हें अपना राज राज रखना है तो मेरी बात मानना पड़ेगा वरना मैं आज शाम को ही पिताजी से सब कुछ बता दूंगा और यह बात मैं चंदा और रानी दोनों को बता दूंगा,,,,


रामू तु एकदम बेशर्म हो गया है,,,, तु हवस मैं इतना अंधा हो गया है कि यह बात तु अपनी मां से ही बोल रहा है,,,,(ललिया इस बार अपने बेटे के हाथ को अपनी चूचियों पर से नहीं हटाई,,, क्योंकि रानी धीरे-धीरे ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूचियों को दबा रहा था और कई दिनों की प्यासी ललिया को अपने बेटे का इस तरह से इस तन मर्दन करना अच्छा लग रहा था,,,)

मैं सब जानता हूं कि मैं यह बात किस से बोल रहा हूं,,, मैं भी जानता हूं कि अब तुम्हें जवान लंड की जरूरत हो गई है,,, इसलिए तो रघु के बारे में पूछ रही हो,,,,(रामू अपनी मां की सूचियों को थोड़ा जोर जोर से दबाते हुए बोला,,,)

,,रामू यह तो कैसी बातें कर रहा है इतनी गंदी बात बोल रहा है,,,,।


मैं कोई गंदी बात नहीं कर रहा हूं यह सब जरूरत है मेरी तुम्हारी रगों की एक दूसरे से अपनी जरूरत मिटाने की,,,, अगर मौका दो तो मैं भी तुम्हें घोड़े की सवारी का मजा दे सकता हूं जिस तरह से रघु ने तुमको दिया है,,,,(इतना कहते हुए रखो अपनी मां के ब्लाउज के बटन खोलने लगा उत्तेजना और वासना की आग में उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,, ऊसे मजा भी आ रहा था,,, और सही मायने में देखा जाए तो ललिया को भी इसमें आनंद मिल रहा था,,,। ललिया उसे रोकने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं कर रही थी,,, क्योंकि उसे भी वही जरूरत थी जो रामू उससे मांग रहा था तभी तो उसे रघू की याद आ रही थी,,, देखते ही देखते रामू अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी नंगी चूचियों को अपने दोनों हाथों में थाम लिया और उसे दबाते हुए बोला,,,)

दोगी ना मौका मुझे,,,,, मैं तुम्हें एक दम मस्त कर दूंगा,,,


लेकिन तू यह बात किसी को भी मत बताना,,,,

बिल्कुल भी नहीं बताऊंगा मां,,,,,(इतना कहने के साथ ही रामू दरवाजे की तरफ देखा क्योंकि कुंडी नहीं लगी हुई थी वह तुरंत खड़ा हुआ और जाकर दरवाजे की कुंडी लगा दिया उसकी दोनों बहने अपनी सहेली के घर गई हुई थी और दोपहर के पहले आने वाली नहीं थी उसके पास पूरा मौका था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और यही हाल ललिया का भी था जो मजा उसे रघु के साथ मिला था उसी मजा के लालच में वह अपने बेटे के साथ संबंध बनाने के लिए तैयार हो चुकी थी क्योंकि रामू भी उसका हमउम्र था और नौजवान हट्टा कट्टा लड़का था उसे यकीन था कि रघु की तरह वह भी उसकी जवानी को रोंग देगा,,,, रामू के पजामे में तंबू बन चुका था जिस पर रह-रहकर ललिया की नजर चली जा रही,,,, रघु अपनी मां के पास दुबारा पहुंचते ही उसे हाथ पकड़ कर खड़ी किया और उसी तरह से उसे अपनी बाहों में भर लिया,,,, नंगी नंगी चूचियों को अपनी छाती पर महसूस करते ही उसके तन बदन में आग लग गई प्रभा तुरंत अपनी कमी से निकाल कर नीचे जमीन पर फेंक दिया और अपने दोनों हाथों का सहारा लेकर अपनी मां के ब्लाउज को भी उतार फेंका कमर के ऊपर से वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,,,,, अपनी मां के बड़े बड़े दूध को देख कर उसके मुंह में पानी आने लगा और वह अपने दोनों हाथों से बनाकर अपनी मां की दोनों चुचियों को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से दबाता हुआ मस्त होने लगा पहली बार वह चूची को हाथ में पकड़ा था और वह भी अपनी मां की,,, स्तन मर्दन की गर्माहट ललिया को व्याकुल कर रही थी रामू भी अपनी ताकत लगाकर अपनी मां की चुचियों को दबाने में मस्त था ललिया को अच्छा लग रहा था,,,,और देखते ही देखते रामू अपनी मां की दोनों चूचियों को अपने हाथ में पकड़ कर बारी-बारी से उसकी कड़ी तनी हुई निप्पल को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,, ललिया के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज आने लगी,,,, जिंदगी में पहली बार रघु औरत के मुंह से इस तरह की आवाज को सुन रहा था या आवाज उसे मदहोश किए जा रही थी,,,, रामु इस मौके को पूरी तरह से जी लेना चाहता था इसलिए अपनी मां का हाथ पकड़कर वह बोला,,,,

खटिया पर चलो,,,,,, मां,,,,

(ललिया भी मदहोश हुई जा रही थी,,, इसलिए अपने बेटे की बात मानते हुए वह जाकर खटिए पर लेट गई,,, रामू की हालत खराब थी,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था रामू का पूरा ध्यान उसकी मां की बड़ी बड़ी चूचीयो पर थी जो की पूरी तरह से नंगी थी,,, रामू एक बार फिर से दरवाजे की जांच कर लिया कि कहीं कुंडी खुली तो नहीं रही गई है लेकिन दरवाजा पूरी तरह से बंद था,,, रामू धीरे से जाकर खटिया पर बैठ गया उसकी आंखों में शर्म बिल्कुल भी नहीं थी,,,,,क्योंकि उसे इस बात का पता था कि उसकी मां खुद बेशर्म है वरना उसके दोस्त के साथ चुदवाती नहीं,,,)

क्या मस्त चूचियां है मां तुम्हारी,,,,आहहहहह,,,इतनी बड़ी बड़ी हो रसीली इन्हें देख कर ही मेरे मुंह में पानी आ रहा है,,,(इतना कहने के साथ नहीं रामू अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर एक बार फिर से अपनी मां की दोनों चूचियों को अपने हाथ में भरकर उन्हें दबाना शुरू कर दिया और साथ ही उन्हें बारी बारी से अपने मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,,, ललिया मस्त हए जा रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि रघू की कमी रामू जरूर पूरी कर देगा,,,, ललिया कुछ बोल नहीं पा रही थी,,, उसे शर्म आ रही थी रामू की जगह अगर कोई और होता तो शायद खुलकर इसका मजा लेती लेकिन उसका बेटा था,,, इसलिए उसे शर्म आ रही थी लेकिन धीरे-धीरे अपने बेटे की बेशर्मी की वजह से उसके तन बदन में मदहोशी की लहर उठने लगी थी और उसे मजा आ रहा था देखते ही देखते यदि अपना हाथ अपने बेटे के सर पर रख कर उसे पुचकारने लगी,,, रामू को बहुत मजा आ रहा था उसकी जवानी आज पूरी तरह से अंगड़ाई ले रही थी,,,,खटिया पर लेटे लेटे ललिया कसमसा रही थी वह भी अपनी तरफ से हरकत करना चाह रही थी लेकिन शर्म के मारे उसके हाथ ज्यादा नहीं चल रहे थे,,,कुछ देर तक अपनी मां की चुचियों के साथ खेलने के बाद उसकी इच्छा और ज्यादा बढ़ने लगी वह अपनी मां की बुर देखना चाहता था जो कि उसकी मां ने उसके दोस्त को दे चुकी थी,,,,पर इसीलिए वह अपना एक हाथ नीचे की तरफ नहीं लाकर अपनी मां की साड़ी की गांठ को खोलने लगा,,,शर्म के मारे ललिया एकदम से कसमसा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका पिता उसे पूरी तरह से नंगी करना चाहता है लेकिन ऐसा करने से वह अपने बेटे को रोक भी नहीं रही थी क्योंकि उसे भी अपने बेटे की आंखों के सामने एकदम नंगी होना था और वह अच्छी तरह से जानती थी एक बार उसकी जवानी का सुहाग उसका बेटा चख लेगा तो जिंदगी भर के लिए उसका गुलाम बनकर रह जाएगा और जो राज को बेनकाब करने का नाम लेकर खूबसूरत बदन से खेल रहा है इसके बाद वह रोज उसकी जवानी से खेलेगी,,,।

देखते ही देखते अपने कांपते हाथों से रामू अपनी मां की साड़ी को खोल कर अपनी मां के पेटीकोट की डोरी को खोल दिया और उसे खींचकर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन ललिया की भारी-भरकम गांड के वजन के नीचे दबी होने के कारण पेटीकोट नीचे की तरफ खींचा नहीं पा रही थीइसलिए ललिया अपने बेटे का सहयोग करते हुए अपनी भारी-भरकम गांड को पल भर के लिए ऊपर की तरफ उठा ले और इसी मौके का फायदा उठाते हुए रामू तुरंत अपनी मां की पेटीकोट को नीचे की तरफ खींच कर उसे एकदम से लंबी कर दिया अपनी मां के नंगे बदन को देखकर रामू की आंखों में वासना की चमक जाग उठी गोरी गोरी मोटी मोटी जांगे,,,,लेकिन ललिया शर्म के मारे अपनी हथेली से अपनी बुर को छिपाए हुए थी,,, रामु अपनी मां की बुर देखना चाहता था इसलिए अपनी मां के हाथ को हटाते हुए बुला,,,,।

हाय मेरी रानी अपना हाथ तो हटाओ,,,,(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए रानी शब्द सुनकर वह एकदम शर्म से पानी पानी हो गई,,, रामू की नजर जैसे कि अपनी मां की रसीली बुर पर पड़ी वह हक्का-बक्का रह गया,,,,जिंदगी में पहली बार हुआ अच्छी तरीके से और इतने करीब से बुर देख रहा था और वह भी अपनी मां की,,, वह इतना ज्यादा उत्तेजना से भर गया कि उसे लगने लगा कि जैसे उसका पानी निकल जाएगा सिर्फ अपनी मां की बुर देखकर उसका यह हाल था,,, ललिया मदहोश हुए जा रही थी,,,अपने बेटे को पागलों की तरह फटी आंखों से अपनी बुर को देखते हुए पाकर ललिया से रहा नहीं गया और वह अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के बाल को पकड़ कर उसके मुंह को लगभग जबरदस्ती दबाते हुए अपनी दोनों टांगों के बीच दबा दी और उसके मुंह से बस इतना निकला,,,

चाट मेरी बुर,,,,,,
(अपनी मां की हरकत को देखते हुए रामू को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां कितनी बड़ी छिनार हैऔर वह भी अपनी मां की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया,,, शुरू शुरू में उसका स्वाद थोड़ा सा अजीब लगा लेकिन उसके बाद उसे मजा आने लगा,,, ललिया मदहोश हो गए जा रही थी टूटी खटिया चरर चरर कर रही थी हालांकि अभी चुदाई बिल्कुल भी शुरू नहीं हुई थी लेकिन भारी भरकम शरीर लिए हुए दोनों के वजन से खटिया चरर चरर कर रही थी,,, लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका था, बस हथोड़ा मारने की देरी थी,,,, वह रामू को अपनी जांघों के बीच से हटाई और उसे अपना पजामा उतारने के लिए बोली रामू भी काफी उतावला था इसलिए खटिया से नीचे उतर कर अपना पजामा उतार फेंका ,,, अपनी मां की आंखों के सामने का पूरी तरह से नंगा हो गया,,, रामू का भी लंड अच्छा खासा था,,, जिसे देखकर ललिया को संतुष्टि हुई वह अपनी दोनों टांगें फैला दी और देखते ही देखते रामू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर एकदम से एक ही झटके में अपना लंड उसकी बुर में डाल कर चोदना शुरू कर दिया,,,, रामू में धैर्य बिल्कुल भी नहीं था इसलिए नतीजा यह हुआ कि चार-पांच झटके में ही उसका पानी निकल गया ललिया एकदम से नाराज हो गई,,,, और उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए बोली,,,।

इसलिए मे रघू को याद कर रही थी क्योंकि वहा तेरी तरह पागल नही हो जाता बल्कि दिमाग से काम लेता है और देर तक टिका रहता है ताकि उसे भी मजा मिले और मुझे भी,,,
(रामू अपनी मां की बात सुनकर शर्मिंदा हो गया था लेकिन एकदम से टेस में आ गया था,,, और बोला)

मुझे एक मौका और दे फिर देखना मैं तुझे रघु को भुला दूंगा,,, बस एक बार मेरा लंड मुंह में लेकर चूसकर खड़ा कर दें,,,,
(ललिया की प्यास बुझी नहीं थी बल्कि और ज्यादा बढ़ गई थी इसलिए वह तुरंत अपने बेटे के मुरझाए लंड को मुंह में लेकर चुस कर एक बार फिर से खड़ा कर दी,,,और एक बार फिर से रामू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आ गया और एक बार फिर से उसकी पेड़ के अंदर उतर गया लेकिन इस बार वाकई में रामू धक्के पर धक्के लगा रहा था,,,, लेकिन जिस तरह की रगड़ और जबरदस्त धक्के का प्रहार ललिया रघु के लंड से महसूस करती थी उस तरह से अपने बेटे के लंड से बिल्कुल भी महसूस नहीं हो रहा था लेकिन मजा जरूर आ रहा था,,, इस बार रामू अपनी मां को लगभग लगभग 15 मिनट तक जमकर चुदाई किया और उसके ऊपर ढेर हो गया,,,,, दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे बढ़िया को यह बात अच्छी तरह से महसूस हो रही थी कि जिस तरह से रघू अपने लंड से चोद कर उसकी बुर को पानी पानी कर देता था,,, उस तरह का दम रामू नहीं दिखा पाया था लेकिन कोशिश बराबर किया था ललिया का दो काम हो चुका था एक तो उसका राज राज बन कर रह गया था और घर में ही उसे जवान लंड का जुगाड़ हो चुका था लेकिन फिर भी रघु से मिलने की तड़प उसके मन में बार-बार जाग रही थी,,,।
Damdaar update mitr
 

Killerpanditji(pandit)

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गांव के बूढ़े बच्चे औरतें सभी लोग गांव के चौपाल पर इकट्ठा हुए थे क्योंकि आज फैसला आना था और मसला था लाला के 10 बीघा जमीन की जो की गांव वालों के जानवर के चरने के काम में आती थी,,, और गांव वालों के पशुपालन की उम्मीद भी यही दस बीघा खुली हुई हरियाली से भरी हुई जमीन थी जिस पर उनके जानवर चरते थे लेकिन लाला नहीं चाहता था कि अब गांव वालों के पशु उसकी जमीन पर चढ़े इसलिए वह गांव वालों को सख्त हिदायत दे रखा था कि अगर किसी भी गांव वालों का जानवर उसकी जमीन पर दिखाई दिया तो वह उसके जानवर को भी उठा ले जाएगा और उससे दंड भी लेगा,,
लाला के इस बात से पूरे गांव वाले परेशान थे लाला के सामने बोलने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी क्योंकि लाला बेहद हैरानी किस्म का इंसान था और उसके पास गुंडों का गुट था,,, जिससे जब चाहे तब वह किसी को भी मरवा पिटवा सकता था,,, इसलिए तो गांव वाले उससे कुछ बोल नहीं पाए,,लेकिन उनकी आखिरी उम्मीद थी गांव के मुखिया प्रताप सिंह पर जो कि गांव वालों के लिए एकदम भगवान की तरह थे क्योंकि आज तक उन्होंने ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया जिसमें गांव वालों का नुकसान हुआ जितना भी फैसला उन्होंने लिया सब गांव वालों के हक में हुआ और दूसरे गांव वाले खुश भी हैं और इसीलिए तो प्रताप सिंह की इज्जत गांव में बहुत ही ज्यादा थी,,
और आज दस बीघा खुली जमीन का भी फैसला प्रताप सिंह को ही करना था इसलिए तो गांव के सभी लोग चौपाल पर इकट्ठा हुए थे,,,
गांव के लोग आपस में ही कानाफूसी कर रहे थे क्योंकि उन्हें मालूम था कि अगर 10 बीघा जमीन का फैसला उनके हक में आ गया तो उनका पशुपालन अच्छे से चलता रहेगा वरना उन्हें पशुपालन बंद कर देना पड़ेगा क्योंकि दूसरी खुली जमीन इतनी नहीं थी और जो थी,,, वह ठीक बिल्कुल भी नहीं थी,,,
गांव वालों के बीच में दूसरों की ही तरह लेकिन कुछ ज्यादा ही चिंतित नजर आ रही थी कजरी,,, क्योंकि कजरी का जीवन यापन दूसरे गांव वालों की तरह ही पशुपालन और थोड़े से खेत में हो रहा था ,,, और बाकी गांव वालों की तुलना में बजरी के पास खेती की मात्रा और पशुओं की गिनती ज्यादा थी जिससे वह अपने घर का गुजारा चला ले रही थी,, अगर आज फैसला गांव वालों के हक में आ गया तो,, कजरी का घर पहुंच अच्छे से चल जाएगा ऐसा उसे उम्मीद थी लेकिन अगर फैसला उसके हाथ में नहीं आया तो उसे भी मजबूरन अपने जानवर को बैच देना पड़ेगा,,, इसीलिए उसके माथे पर चिंता की लकीर कुछ ज्यादा ही गहरी होती जा रही थी जैसे जैसे समय गुजर रहा था वैसे वैसे गांव वालों के साथ साथ कजरी के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, तभी उसके बगल में लगभग हांफते हुए ललिया आकर खड़ी हो गई और अपने गीले हाथ को अपनी साड़ी से पोंछते हुए कजरी से बोली,,,

क्या हुआ कजरी प्रताप सिंह जी आ गए क्या,,,?

नहीं रे उन्हीं का तो इंतजार है और रघु नहीं आया,,,,(इधर उधर देखते हुए कजरी बोली,,)

नहीं मैं कितना जोर जोर से दरवाजे को पीट-पीटकर थक गई लेकिन तुम्हारे लड़के की नींद खुले तब ना हो तो एकदम कुंभकरण की तरह सो रहा है,,,

क्या करूं इस लड़की का इतना बड़ा हो गया है लेकिन फिर भी अभी एकदम बच्चे की तरह ही रहता है बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता उसे की कौन जी रहा है कौन मर रहा है घर में कैसे भोजन का प्रबंध हो रहा है यह सब बिल्कुल भी मतलब का नहीं है उसके बस उसे खाने को चाहिए और आवारा दोस्तों की तरह गांव में घूमने को,,,

क्या करोगी कजरी आजकल पूरे गांव में इस उम्र के छोकरो का यही हाल है,,,,
(कजरी और ललिया दोनों एक दूसरे की पड़ोसन थी दोनों में काफी अच्छी बनती थी,, दोनों आपस में बात कर ही रही थी कि तभी प्रताप सिंह की बग्गी आती हुई नजर आई और सब लोग आंखों में आशा की उम्मीद लिए उसी तरफ देखने लगे,,,,)
Nice start 👍👍👍
 

Killerpanditji(pandit)

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गांव वालों की नजरें जिस की राह देख रही थी उसकी बग्गी सामने से आती हुई नजर आ रही थी सबकी आंखों में चमक आ गई,,,, तभी चौपाल के बीचो बीच घोड़ा गाड़ी आकर खड़ी हुई घोड़ा बांध चाबुक मारकर घोड़े को वही खड़े रहने का इशारा किया और घोड़ा भी समझदार था वह चौपाल के बीचो-बीच खड़ा हो गया,,, तभी उसमें से अपनी मूछों पर ताव देते हुए प्रताप सिंह नीचे उतरे और साथ में उनके नौकर उनके आजू बाजू सर झुकाए खड़े हो गए,,,,
गांव वाले पहले से ही प्रताप सिंह जी के लिए अच्छी कुर्सी का प्रबंध करके वही रख दिए थे जिस पर प्रताप सिंह विराजमान हो गए,,,, उनको देखते ही गांव वालों में आपस में कानाफूसी शुरू हो गई,,, तभी प्रताप सिंह कुर्सी पर बैठे बैठे हाथ ऊपर करके सभी को खामोश रहने का इशारा किया,,, इतनी देर में वहां पर लाला भी आ गया जिसकी जमीन का फैसला होने वाला था,,,

देखिए मैं जानता हूं कि आप गांव वालों के लिए लाला जी की यह 10 बीघा खुली जमीन जो की हरियाली से भरी हुई है कितनी मायने रखती है,,,( बातें करते हुए प्रताप सिंह कभी लाला की तरफ तो कभी गांव वालों की तरफ देख ले रहे थे,,) और काफी सोच-विचार कर मैंने यह फैसला लिया है कि,,,,( इतना कहकर प्रताप सिंह खामोश हो गए और इधर-उधर देखने लगे उनके इस रवैया को देखकर गांव वालों की घिग्घी बंध गई,,, गांव वालों के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि गांव के मुखिया प्रताप सिंह जी किस तरह का फैसला लेंगे,,, तभी प्रताप सिंह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले।)
वैसे तो कानूनी तौर पर कहा जाए तो जो कुछ भी लालाजी ने किया वह बिल्कुल सही है लेकिन इंसानियत के नाते यह बिल्कुल गलत है और कानून और इंसानियत की बात जब भी होती है इंसानियत को मैं पहले पक्ष में रखता हूं इसलिए मैं यह फैसला किया हूं कि। लालाजी की 10 बीघा हरियाली से भरी हुई जमीन वह संपूर्ण रूप से लाला की है उस पर किसी भी व्यक्ति या गांव वालों का बिल्कुल भी हक नहीं है लेकिन मेरे समझाने पर लाला जी इस बात के लिए राजी हो चुके हैं कि आप गांव वाले लोग अपने पशुओं को इस जमीन पर चराने के लिए खुला छोड़ सकते हैं ,,,,,( इतना सुनते ही गांव वाले खुशी से चिल्लाने लगे उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था खासकर के कजरी जो की खुशी के मारे ललिया की गले लग गई प्रताप सिंह गांव वालों को फिर से शांत कराने के लिए अपना हाथ ऊपर किए और गांव वाले फिर खामोश हो गए,,,,) लेकिन किसी भी प्रकार का किसी भी तरह से लाला की जमीन पर कोई भी कुछ भी बना नहीं सकता या किसी भी प्रकार का दावा नहीं कर सकता यह मेरा हुक्म और फैसला दोनों है,,,
( एक बार फिर से गांव वाले खुश होते हुए शोर मचाने लगे उन्हें शांत कराने के लिए इस बार प्रताप सिंह खुद कुर्सी पर से उठ खड़े हुए और सभी गांव वाले अपनी खुशी जताने के लिए उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेने लगे,,,,)

मालिक आपका यह फैसला हम गांव वालों के लिए जीवनदान है आपका यह फैसला हम लोगों के लिए आशीर्वाद की तरह है इसी तरह से आप हम गांव वालों का उद्धार करते रहिए,,,,( इतना कहकर एक बुजुर्ग जब प्रताप सिंह के पैर छूने लगा तो प्रताप सिंह उसका हाथ पकड़ कर उसे खड़ा कर दिया और उसे गले से लगाते हुए बोले ,,,,,


यह क्या कर रहे हैं आप मेरा तो यह फर्ज बनता है कि आपका वालों की खुशी का ख्याल रखो मैं जो भी कुछ किया हूं वह सब आप लोगों की भलाई के लिए किया हूं,,,

प्रताप सिंह जी की जय,,,,,, प्रताप सिंह जी की जय,,,,

गांव वाले नारा लगाने लगे और प्रताप सिंह के चेहरे पर खुशी के भाव झलक उठे वह जाने के लिए तैयार हो गए थे और जैसे ही बग्गी में बैठने के लिए पावा के बढ़ाएं कि तभी लाला आकर बोल पड़ा,,,,

प्रताप सिंह जी मुझे पूरा विश्वास है कि आप जो भी फैसला लेते हैं वह हमेशा सच ही फैसला होता है गांव वालों की भलाई के लिए,,,,

देखो लालाजी भगवान ने आपको बहुत कुछ दिया है अगर थोड़ा बहुत लोगों की मदद करने में छोड़ भी देंगे तो इसमें आपका कुछ कम नहीं होगा बल्कि भगवान आपको और भी देगा अब मैं चलता हूं अपना ख्याल रखना ,,,,,

इतना कहने के साथ ही प्रताप सिंह फिर से घोड़ा गाड़ी में सवार हो गए और घोड़ा वान घोड़ा गाड़ी आगे बढ़ा दिया। लाला वहीं खड़ा घोड़ा गाड़ी को आगे बढ़ते हुए धूल उड़ाते हुए देखता रहा लाला को यह फैसला मंजूर नहीं था लेकिन एक समधी होने के नाते उसे यह फैसला मानना ही पड़ा आखिरकार अपनी बेटी जो प्रताप सिंह के घर पर बिहा कर दिया है,,,,,

कजरी बहुत खुश थी,,,,वह ललिया से बातें करते हुए अपने घर की तरफ आ गई,,,, घर पर पहुंचते ही देखी की घर का दरवाजा खुला हुआ है और अंदर कमरे में रघु नहीं था,,,, खाली बिस्तर को देखकर वह मन ही मन में बोली,,,
देखा जब काम पड़ता है तो यह कभी भी हाजिर नहीं रहता चौपाल पर आज फैसला होने वाला था तो यह आराम से सो रहा था और जब फैसला हो गया तो यह अपने बिस्तर से गायब है जरूर रामू ही इसे जगा कर ले गया होगा,,,( रामू उसकी पड़ोसन ललिया का लड़का था जो कि रघु के ही उम्र का था दोनों में काफी बनती थी दोनों जहां जाते थे एक साथ जाते थे उठते बैठते खेलते दिखाते हमेशा साथ में ही रहते थे ,,, और कजरी का सोचना बिल्कुल सही था रघु अपने बिस्तर पर सो रहा था तो रामू भी उसे जगा कर बाहर ले गया था,,,,, कजरी हाथ में झाड़ू लेते हुए फिर से अपने मन में बड़बड़ाती हुई बोली,,,)
और यह शालू भी गायब है इसे बोल कर गई थी कि मेरे आने से पहले घर की सफाई कर देना लेकिन यह महारानी है कि इनको समझ में नहीं आता जब तक 10 बार ना बोला जाए,,,( शालू कजरी की ही लड़की थी जो कि रघु से बड़ी थी और वह तालाब पर कपड़े धोने गई थी,,,, कजरी घर में अकेली थी और वह अकेले ही घर की सफाई करना शुरू कर दी,,,)

रघु और रामू दोनों भागे चले जा रहे थे,,,, दोनों एक दूसरे को पीछे करने की होड़ में लगे हुए थे कभी रामू आगे हो जाता तो कभी रघु,,,, वह लोग जल्द से जल्द ऊंची टेकरी पर पहुंचना चाहते थे जिसके पीछे हरा-भरा मैदान ही मैदान था यह उसी 10 बीघा जमीन का हिस्सा था जिसका फैसला आज प्रताप सिंह ने गांव वालों के हक में करके गए थे,,,, थोड़ी देर में दोनों टेकरी के पास हाफते हुए पहुंच गए,,,,,

देखा रामू मैं तुझसे पहले पहुंच गया ,,,,,

तू नहीं मैं पहुंचा हूं पहले,,,,,( रामू रघु से बोला,,, दोनों इसी तरह से मैं पहुंचा में पहुंचा में लगे हुए थे तभी रघु शांत होता हुआ बोला,,,)

अच्छा चल तू पहुंचा,,,, जल्दी कर ऐसा ना हो कि नजारा देखने से पहले ही उस पर पर्दा पड़ जाए,,,
( इतना कहने के साथ ही दोनों थोड़ी सी ऊंची टेकरी पर चढ़ने लगे जिस पर ऊंची ऊंची घास ऊगी हुई थी चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी,,,, धीरे-धीरे करके दोनों ऊंची टेकरी पर चढ़ गए,,,, और वहां से छुपकर सामने खुले मैदान का नजारा देखने लगे जहां पर बड़े-बड़े पेड़ उगे हुए थे और बड़ी-बड़ी घास भी उगी हुई थी,,, दोनों इधर-उधर जहां तक नजर जा रही थी वहां तक नजर दौड़ा कर देखने लगे लेकिन वहां कोई भी नजर नहीं आ रहा था तो दोनों निराश हो गए रघु निराश होता हुआ बोला,,,।)

यार लगता है आज हम दोनों को इधर आने में देर हो गई देख कोई भी नहीं है,,,

हां यार आज सच में देर हो गई और यह सब तेरी वजह से हुआ है देर तक सोता रहता है मुझे ही तुझे जगा कर लाना पड़ता है,,,( रामू रघु से नाराज होता हुआ बोला,,,)

लेकिन यार ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ और ज्यादा देर भी नहीं हुई है,,,,( रघु बड़े-बड़े घास की ओट में छुपकर मैदान की तरफ इधर उधर देखता हुआ बोला,,,)

लेकिन आज तो हो गया ना अब चल यहां कुछ नहीं दिखने वाला,,,( रामू की निराशा भरी बातें सुनकर रघु भी उदास हो गया उसे भी लगने लगा कि आज कुछ दीखने वाला नहीं है और वह भी टेकरी से नीचे उतरने ही वाला था कि तभी कुछ लड़कियों के हंसने की आवाज आई तो वह चौकन्ना हो गया और फिर से उसी मैदान की तरफ देखने लगा कि तभी उसे चार पांच लड़कियों का झुंड वहां पर आता हुआ नजर आया,,,)

जल्दी,,,,,,-जल्दी रामू इधर आ जल्दी हमें देर नहीं हुई है शायद इन लड़कियों को ही देर हो गई है जल्दी आ देख,,,
( रघु एकदम चमकते हुए बोला तो रामू के चेहरे पर भी प्रसन्नता भरे भाव नजर आने लगे और वह भी झट से टेकरी के ऊपर चढ़ गया और घास की ओट में छिप कर सामने मैदान की तरफ देखने लगा जहां से चार पांच लड़कियां पेड़ की तरफ से आ रही थी,,,, रघु और रामू दोनों सामने मैदान की तरफ देखने लगे जैसे जैसे वह लड़कियां करीब आती जा रही थी वैसे वैसे दोनों के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी देखते ही देखते वह चार पांच लड़कियों का झूठ इतना करीब आ गया कि उन दोनों को एकदम साफ साफ नजर आने लगा कि वह लड़कियां कौन है कि तभी दो लड़कियों को पहचानते हुए रघु बोल पड़ा,,,)

अरे देख रहा हूं देख जल्दी तेरी बहन ने भी है रानी और चंदा,,,, कसम से रामू आज तो मजा आ जाएगा,,,( रानी और चंदा दोनों रामू की बड़ी बहने थी शादी की उम्र हो गई थी लेकिन पैसे की तंगी की वजह से अभी तक दोनों का रिश्ता नहीं हो पाया था दोनों में जवानी कूट-कूट कर भरी हुई थी,,,, या यूं कह लो उन लड़कियों के झुंड में सबसे खूबसूरत लड़कियां और रामू की दोनों बहने ही थी,,, रघु की हालत तो अभी से खराब होती जा रही थी उसके पेजआमए में उसके लंड गदर मचाना शुरू कर दिया था,,, रघु की बातें सुनकर रामू कुछ बोला नहीं क्योंकि उसे भी अपनी दोनों बहनों को कपड़े उतारते हुए देखने में आनंद आता था और वह कई बार अपनी बहन को नंगी भी देख चुका था आज उसके हाथ फिर एक बार मौका लगा था कि वह अपनी बहन की नंगी गांड के दर्शन कर सकें,,,, देखते ही देखते वह लड़कियां उन दोनों के लिए नहीं करीब आ गई कि उन दोनों को वहां से वह लड़कियां एकदम साफ नजर आ रही थी वह लड़कियां सभी थोड़ी थोड़ी दूरी पर लंबी-लंबी घांसो के बीच खड़ी हो गई,,,, और वालों की किस्मत इतनी अच्छी थी कि उन सभी लड़कियों की पीठ उन्हें दोनों की तरफ थी,,,, जहां से उन लोगों को उन सभी लड़कियों की मदमस्त गांड के दर्शन करने को अच्छी तरह से मिल रहा था,,,,)

रामू अब आएगा असली मजा आज तो मेरा दिन बन गया तेरी दोनों बहने अपनी सलवार उतार कर अपनी बड़ी बड़ी नंगी गांड दिखाएंगी कसम से मेरा लंड हीचकोले खा रहा है,,,,( शुभम पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए बोला और उसकी यह हरकत रामू देख रहा था लेकिन बोल कुछ नहीं रहा था अपनी बहनों के बारे में रघु के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर उसे भी मजा आ रहा था,, जो हालत रघु की थी वही हालत रामू की भी हो रही थी रामू के मन में भी अपनी बहनों की नंगी गांड देखने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,,, रखो अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर यह तसल्ली भी कर ले रहा था कि कहीं कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था,,,, देखते ही देखते बाकी की लड़कियां अपनी सलवार उतार कर वही बड़ी-बड़ी घास के बीच बैठ गई लेकिन रानी और चंदा दोनों अभी भी खड़ी होकर इधर-उधर देख रही थी तभी उनकी सहेलियां बोली,,,।)

अब देख क्या रही है यहां कोई आने वाला नहीं है बैठ जा जल्दी से,,,,
( उन लड़कियों की बात रामू और रघु दोनों को एकदम साफ सुनाई दे रहा था इसलिए वह उन लड़कियों की बात सुनकर रघु बोला,,,)

हाय,,,, रामू तेरी बहने शर्माती बहुत है,,,, कपड़े उतारने में और वह भी लड़कियों के सामने कसम से अगर मेरे सामने तेरी बहन ने इस तरह से शर्मा कर कपड़े उतारे तो मेरी तो किस्मत ही बदल जाए,,,,

तू बहुत हारामी है रघु मेरे सामने मेरी बहनों के बारे में ऐसी बातें करता है,,,

तुझे बुरा लगा है तो बोल दे मैं तेरे सामने कभी ऐसी बातें नहीं करूंगा लेकिन सच कहूं तो तेरी बहने इतनी ज्यादा खूबसूरत है कि मैं तो तड़पता हूं तेरी बहनों को नंगी देखने के लिए,,,, अभी तु देखना तेरी बहने कैसे अपनी सलवार उतार कर अपनी नंगी नंगी गांड के दर्शन कराएंगी,,,,सहहहहह,,,,, मजा आ जाएगा,,,,
( रघु की गंदी बातें सुनकर रामू को ज्यादा नाराजगी नहीं दर्शा रहा था बस यूं ही ऊपरी मन से यह सब कह रहा था बाकी अंदर से तो उसे रघु कि इस तरह की गंदी बातें और वह भी उसकी बहन के बारे में सुनकर तो उसकी उत्तेजना बढ़ जा रही थी,,, तभी तो वह अपने पजामे में हाथ डालकर अभी से अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया था,,,,। अपनी सहेलियों की बात सुनकर भी रानी और चंदा इधर-उधर देखकर पूरी तसल्ली के साथ अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी,,, जैसे-जैसे रानी और चंदा अपने सलवार की डोरी को खोलते जा रही थी वैसे वैसे रघु और रामू दोनों की हालत खराब होती जा रही थी,,,, रामू तो अपने पजामें को घुटनों तक सरका कर अपने लंड को हिलाना भी शुरू कर दिया था जब रघु ने उसकी तरफ नजर दौड़ाया तो उसकी हालत को देखकर हंसने लगा और बोला ,,,,)


साले मुझसे ज्यादा हरामी तो तू है कि अपनी बहन को नंगी होता हुआ देखकर खुद इतना मस्त हुआ जा रहा है कि अपना लंड हिला रहा है,,,। हिला हिला कोई बात नहीं लंड को तो सिर्फ बुर से मतलब होती है और वह किसकी है इससे कोई मायने नहीं रखता,,,
( रघु की बात सुनकर रामू बोला कुछ नहीं क्योंकि वह भी जानता था कि रघु जो कुछ भी कह रहा था वह बिल्कुल सच था वह बस सामने के नजारे को देखता हुआ मजा ले रहा था देखते ही देखते उन दोनों की आंखों के सामने दोनों ने अपने सरवार की डोरी खोल कर खड़ी हो गई अब रघु से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने उसकी हालत खराब कर देने वाली दोनों लड़कियां खड़ी थी जो कि उसके ही दोस्त की बहन थी अक्सर उन दोनों बहनों को देख कर रघु आहे भरता था,,,, हालांकि अभी तक उसे ऐसा मौका कभी नहीं मिल पाया था कि वह उन दोनों बहनों को नंगी देख सके लेकिन आज किस्मत से उसके हाथ ऐसा मौका मिला था और वह इस मौके को जाने नहीं देना चाहता था वह अच्छी तरह से जानता था कपड़ों के ऊपर से जब वह दोनों बहने इतनी खूबसूरत लगती है तो बिना कपड़ों के तो वह लोग कयामत लगती होंगी इसलिए उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और वह भी अपने पजामे को घुटनों तक नीचे खींच कर कर दिया,,,, पजामे के नीचे आते ही रघु का मोटा लंड जो कि एकदम मुसल की तरह था वह एकदम हवा में लहराने लगा,,,, और रघु अपने लहराते हुए लंड को अपने हाथ में लेकर उसे ऊपर नीचे करके अपने हाथ से हिलाते हुए रामू से बोला,,,,।

देख रामु तेरी दोनों बहनों को देखकर कैसा मचल रहा है मेरा लंड,,,,( रघु की बातें सुनकर रामू की नजर जैसे ही रघु के मोटे तगड़े लंड पर पड़ी आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया क्योंकि आज पहली बार हुआ रघु के लंड को देख रहा था भले ही उन दोनों की याद आती थी इस तरह से टेकरी पर आकर लड़कियों को शौच करते हुए देखने की लेकिन रामू तो अपने लंड को हिला कर पानी निकाल लेता था लेकिन रघु ने इस तरह की हरकत है रामू के सामने कभी नहीं किया था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने उसके दोस्त की दोनों बहने थी जो कि अपनी सलवार की डोरी खोले खड़ी थी या गरमा गरम नजारा उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और वह भी रामू की तरह अपना पहचाना उतार कर अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था,,,, रघु के मोटे तगड़े लंड को देखकर रामू आश्चर्य से बोला,,,।

बाप रे रघु तेरा तो कितना मोटा और लंबा है,,,,

रामू बेटा यह मर्दाना ताकत से भरे हुए मर्द का लंड है,,,, मेरे लंड को देख कैसी तेरी हालत खराब हो गई तो सोच जब तेरी दोनों बहने मेरे लंड को देखेगी तो उनकी तो बुर गीली हो जाएगी,,,, कसम से रामू बहुत मजा आएगा तेरी बहन की बुर में लंड डालने में,,,

देख रघु ये अच्छी बात नहीं है मेरी बहनों के बारे में इस तरह की बातें मत कर,,,( रामू नाराजगी दर्शाते हुए बोला लेकिन यह सिर्फ ऊपरी मन से था अंदर से तो रघु की यह बातें उसे एकदम मस्त कर दे रही थी,,,,)

मैं तो करुंगा दोस्त क्या करूं मजबूर हूं तेरी दोनों बहने इतनी मस्त है कि उन्हें देखते ही लंड खड़ा हो जाता है अगर तेरी बहन तैयार हो तो मैं अभी यहीं पर दोनों की बुर में लंड डालकर उन दोनों की चुदाई कर दु और तू भी अपनी आंख से यह देख ले कि एक मर्द कैसे चुदाई करता है,,,


देख रहा हूं इस तरह की बातें मत कर मैं मम्मी को सब कुछ बता दूंगा,,,,

बता दे मेरे राजा फिर मैं अभी तेरी मम्मी को यह बता दूंगा कि तुम्हारी लड़कियां जब मैं दान करने जाती है तो तुम्हारा लड़का खुद अपनी बहनों को देखकर अपना लंड हीलाकर पानी निकाल देता है,,,
( रघु की यह बात सुनकर रामू बोला कुछ नहीं बस उसे देखता रहा,,, तभी रघु उन दोनों की तरफ देखा तो उसकी हालत खराब होने लगी बहुत दोनों अपनी सलवार को घुटनों तक कर दी थी और अब धीरे-धीरे अपने नाजुक उंगलियों के सहारे अपनी पैंटी को को पकड़कर उसे नीचे उतार रही थी,,, रघु की हालत खराब हुए जा रही थी रानी और चंदा की स्थिति को देखकर रघु जोर-जोर से अपने लंड को मुठियाना शुरू कर दिया,,,,,)
ससससहहहह,,,,, हाय मेरी चंदा और रानी क्या बात है तुमने दोनों की,,,,( ऐसा कहते हुए जोर-जोर से लंड को हिलाने लगा,,,, यही हालत रामू की भी थी लेकिन रघु की गंदी बातें जो कि उसकी बहन के बारे में थी उस गंदी बातों को सुनकर और अपनी आंख के सामने अपनी बहनों को इस तरह से सलवार उतार कर अपनी पेंटी उतारते हुए देखकर रामू से उन दोनों की जवानी बर्दाश्त नहीं हुई और उसके लंड ने पानी फेंक दिया,,, रामू की हालत देखकर रघु मुस्कुरा दिया और बोला,,,,,

बस अभी से तेरा शुररररर,,,, हो गया ऐसे कैसे तू अपनी बहनों की जवानी को शांत कर पाएगा देख मैं अपने लंड से तेरी दोनों बहनों की गर्म जवानी को ठंडा कर सकता हूं,,,,
( रामू अपनी बहनों के बारे में इतनी गंदी बातें रघु के मुंह से सुनकर बोल कुछ नहीं रहा था बस उन गंदी बातों का मजा ले रहा था और रघु के मोटे तगड़े लंड को देखकर एकदम आश्चर्य में था,,,, रघु रामू की दोनों बहनों को देखकर एकदम मस्त हुआ जा रहा था धीरे-धीरे दोनों बहने एक साथ अपनी पैंटी को नीचे की तरफ सरका रही थी जैसे-जैसे उन दोनों की पैंटी नीचे होती जा रही थी वैसे वैसे रघु की आंखों के सामने उन दोनों बहने की नंगी गोरी गांड उजागर होते जा रही थी और उन दोनों की नंगी गांड देखकर रघु जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था आखिरकार वह अपनी पेंटी को अपनी जांघो तक लाकर झट से नीचे बैठ गई और एक बेहतरीन खूबसूरत नयनरम्य दृश्य पर बड़ी बड़ी घांसो का पर्दा पड़ गया,,,, लेकिन रघु के लिए इतना काफी था कुछ सेकंड के लिए ही सही आज अपने मन की मुराद पूरी करने को तो उसे मिल गई थी आज वह चंदा और रानी दोनों की मदमस्त गांड के दर्शन जो कर लिया था वह जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा,,,, था,,, रामू भी अपनी दोनों बहनों की नंगी गांड को देखकर मस्त हो गया था लेकिन अब कुछ करने लायक नहीं था क्योंकि उसका पानी निकल गया था वह धीरे से अपनी पजामे को ऊपर चढ़ा दिया था,,,
बाकी की लड़कियों पर उन दोनों का ध्यान बिल्कुल भी नहीं था ऐसा नहीं था कि वह लड़कियां खूबसूरत नहीं थी लेकिन चंदा और रानी कुछ ज्यादा ही खूबसूरत थी उन दोनों का कसा हुआ बदन बदन का हर एक कटाव किसी भी मर्द का पानी निकाल देने में सक्षम था,,,, चंदा और रानी भी बड़ी-बड़ी घास की ओट में बैठकर सोच करने लगी थी जहां से कुछ नजर नहीं आ रहा था बस उन सब की पीठ ही नजर आ रही थी,,,,
रघु जोर-जोर से अपने लंड को जा रहा था अभी तक उसके लंड ने पानी नहीं फेंका था जो कि रामू के लिए यह एकदम आश्चर्य वाली बात थी,,,

कमाल है रघु इतनी देर से हिला रहा है लेकिन तेरा अभी तक पानी नहीं निकला है,,,,

यही तो मेरी खासियत है रामू अगर मैं किसी औरत की चुदाई करूं तो कम से कम एक घंटा तक उसकी जमकर चुदाई कर सकता है इतने में तो औरतों का दो तीन बार पानी निकल जाता है और मेरा सिर्फ एक बार,,,,

( रघु की बात सुनकर रामू पूरी तरह से आश्चर्य में था क्योंकि वह दो-तीन मिनट से ज्यादा नहीं ठहर पाता था और यह तो एक घंटा टीकने की बात कर रहा था,,,)

तो अभी तेरा पानी कब निकलेगा,,,,

तेरी दोनों बहनों की गांड के दर्शन जब तक दोबारा नहीं हो जाता तब तक देखना इसका पानी नहीं निकलेगा,,,
( बार-बार रघु रामू की बहनों के बारे में गंदी बातें कर रहा था लेकिन राह में बिल्कुल भी एतराज नहीं कर रहा था बस दिखावटी नाराजगी दर्शाने का नाटक भर कर रहा था,,, वापी देखना चाहता था कि जो रघु कह रहा है क्या वास्तव में वह सच है या ऐसे ही बंडल मार रहा है,,,, कुछ देर तक वह सभी लड़कियां वही बड़ी-बड़ी घास में बैठकर बातें करती रही और थोड़ी देर बाद जब वह सभी लड़कियां निपट लिए तो धीरे-धीरे करके एक एक लड़की खड़ी होने लगी और तभी दोनों बहने एक साथ खड़ी हुई और एक बार फिर से रघु और रामू दोनों को उन दोनों की मदमस्त गोरी गोरी गांड के दर्शन हो गए,,,, जब तक चंदा और रानी दोनों अपनी सलवार पहनकर अपनी मदमस्त गांड को पर्दे में करती तब तक रघु जोर-जोर से हिलाता हुआ जैसे ही चंदा और रानी दोनों अपनी सलवार की डोरी को बांधने लगी तब जाकर रघु के लंड से पानी का फव्वारा निकल पड़ा,,,,,
रघु के द्वारा किए गए दावे को पूरा होता हुआ अपनी आंखों से देख कर रामू पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गया उसे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन उसने सब कुछ अपनी आंखों से देखा था। ,,,, रघु पानी निकलने के बाद वही निढाल होकर घास पर ढेर हो गया था,,,, और लंबी लंबी सांसे लेते हुए हाफ रहा था,,,,

चंदा और रानी के साथ साथ बाकी की भी लड़कियां वहां से जा चुकी थी और यह दोनों ही वहां से वापस लौट आए,,,।
Super update 🤠🤠🤠
 
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