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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

rohnny4545

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रघु सही सलामत जमीदार की बीवी को लेकर घर वापस आ चुका था,,, जमीदार की बीवी का सामान लेकर रघु उसके पीछे पीछे उसके कमरे तक उसका सामान पहुंचाने गया,,,, जब रघू प्रताप सिंह की हवेली पर पहुंचा था तब प्रताप सिंह वहीं पर मौजूद था और दो चार लोग से बातें कर रहा था,,, उसी नहीं रघु को तांगे से सामान उतार कर उसके कमरे तक पहुंचाने के लिए इशारा किया था,,,,।
थोड़ी ही देर में रघू जमीदार की बीवी के पीछे पीछे उसके कमरे तक पहुंच गया,,,,।

ठीक है रघु उस कोने में सामान रख दो मैं रख लूंगी,,,
(बताए गए जगह पर रघु सामान रखकर जमीदार की बीवी से इजाजत लेने लगा,,,)

अच्छा तो मालकिन अब मैं चलता हूं,,,,
(जमीदार की बीवी रघु को बड़े गौर से देखने लगी,,, रघु से पूछा था ना वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी पिछले कुछ दिनों में जो सुख रघु ने उसे दिया था उसी सुख के लिए वह तड़प रही थी,,,, अब रघु उससे दूर होने वाला था अब ना जाने कब उससे मुलाकात होती है इसलिए वो रघु को जी भर कर देख लेना चाहती थी,,,, जमीदार की बीवी ऊसे बस देखे जा रही थी कुछ बोल नहीं रही थी,,, रघु भी जाने से पहले उसके खूबसूरत चेहरे को जी भर कर देख लेना चाहता था ,,, इसलिए वह भी जमीदार की बीवी के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए बोला,,,)

क्या हुआ मालकिन ऐसे क्यों देख रही है,,,?

अब ना जाने तुझ से कब मुलाकात होगी,,, जिस तरह का सुख तूने मुझे दिया है वह शायद सुख में अब कभी भी नहीं पा सकूंगी,,,,।


ऐसा क्यों कहती है मालकिन मैं आपसे मिलने आता रहूंगा,,,, लेकिन यहां आने का कोई तो बहाना होना चाहिए ना मालकीन,,,,,,,,(रघु यह कहकर अपना काम निकला ना चाहता था वह अपनी बहन का रिश्ता आगे बढ़ाना चाहता था इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) अगर मेरी बड़ी बहन तुम्हारे घर की बहू बन जाए तो मेरा यहां पर आना जाना हमेशा बना रहेगा,,,,।


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो ना करो मैं वादा करती है मैं उनसे बात करूंगी और वह मेरी बात कभी भी इनकार नहीं कर पाएंगे,,,,,(मालकिन की बात सुनते ही रघु एकदम से खुश हो गया और खुशी के मारे और उत्तेजना के असर में वह तुरंत जमीदार की बीवी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों को चूमते हुए बोला,)

औहहहह ,,,, मालकिन,,, आप कितनी अच्छी हो,,,।
(रघु की यह हरकत प्रताप सिंह की बीवी के तन बदन में एक बार और मादकता की चिंगारी को भरने लगी वह और कस के उसकी बाहों में समाने लगी,,,, एक बार फिर से औरत के संसर्ग में आते ही उत्तेजना के मारे उसका लैंड खड़ा होने लगा और देखते ही देखते जमीदार की बीवी की दोनों टांगों के बीच उसकी बुर के ऊपर ठोकर मारने लगा,,,, प्रताप सिंह की बीवी आंखों के लेंस को अपनी बुर के ऊपर ठोकर मारता हुआ बड़े अच्छे से महसुस कर रही थी,,, वह भी एकदम से उत्तेजित हो गई और खुद ही अपनी कमर को आगे बढ़ा दी,,, रघू कामवासना से एकदम लिप्त हो गया और देखते ही देखते अपने दोनों हाथों को ठीक उसकी बड़ी बड़ी गांड पर रखकर जोर जोर से दबाने लगा साड़ी के ऊपर से भी जमीदार की बीवी को रघु के द्वारा इस तरह से नितंब मर्दन का आनंद बड़े अच्छे से प्राप्त हो रहा था,,, रघू का लंड एकदम कठोर हो चुका था,,,,। एक बार फिर से उसका लंड जमीदार की बीवी की बुर में जाने के लिए मचल उठा और जमीदार की बीवी भी अपनी बुर में रघू के लंड को अपने अंदर समाने के लिए तड़प उठी,,,,,। रघु पागल हुआ जा रहा था वो धीरे धीरे जमीदार की बीवी की साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा लेकिन जमीदार की बीवी पूरे होशो हवास में थी भले मदहोशी के आलम में मस्त हुए जा रही थी दरवाजा अभी भी खुला हुआ था इसलिए वह,, रघु की बाहों से अपने आप को छुड़ाते हुए बोली,,।)

रुको रघू दरवाजा खुला है,,,(इतना कहने के साथ ही वह दरवाजे की तरफ आगे बढ़ी हो दरवाजा को बंद करके कड़ी लगा दी,,,,जमीदार की बीवी भी जल्दबाजी में थी क्योंकि उसे अपने घर का हाल मालूम था बहुत दिनों बाद वह अपने घर से लौटी थी इसलिए उससे मिलने के लिए कोई भी आ सकता था उसका पति प्रताप सिंह भी आ सकता था और वह इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे क्योंकि वास्तव में रघु से कब मुलाकात होगी इसका ज्ञान उसे बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह रघु से इस समय चुदवाने के मूड में थी,,,,)

रघु जो भी करना जल्दी करना क्योंकि कोई भी आ सकता है,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मालकिन मैं फटाफट काम खत्म कर दूंगा,,,,, बस मेरी जान दरवाजा पकड़कर घोड़ी बन जा,,,,,(रघु जमीदार की बीवी की चिकनी कमर पकड़कर उसे दरवाजे की तरफ घुमाते हुए बोला,,,जमीदार की बीवी को अच्छी तरह से मालूम था कि अब उसे क्या करना है वह तुरंत दरवाजे की तरफ घूम गई और दोनों हाथ से दरवाजे का सहारा लेकर झुक गई रघु पूरी तरह से तैयार था इसलिए तुरंत,,, जमीदार की बीवी की साड़ी को पकड़कर एक झटके से उठाकर उसे कमर तक कर दिया,,, पलक झपकते ही जमीदार की बीवी कमर से नीचे एकदम नंगी हो गई जमीदार की बीवी की तरबूजे जैसी गोल-गोल गांड देखकर रघु की आंखों में चमक आ गई,,, और वह अपना पैजामा नीचे करके अपने खड़े लंड को एक हाथ से पकड़ कर जमीदार की बीवी की गुलाबी बुर में डाल दिया,,,,आहहहहहह,,,की आवाज के साथ जमीदार की बीवी रघु के लंड को अपनी बुर के अंदर प्रस्थान करने की इजाजत दे दी,,,,पहले से ही रघू के लंड का सांचा जमीदार की बीवी की बुर में बन चुका था इसलिए ज्यादा कठिनाई उसे अंदर ठेलने में रघु को बिल्कुल भी नहीं हुई,,,, रघु जमीदार की बीवी की मद मस्त गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर चोदना शुरू कर दिया,,,, थोड़ी ही देर में जमीदार की बीवी की गर्म सिसकारी कमरे में गुंजने लगी,,, जमीदार की बीवी एकदम मदहोश हो चुकी थी वह भी भूल गई कि वह अपने शयनकक्ष में एक गैर लड़के से चुदाई का मजा लूट रही है,,, चुदाई एकदम चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी रघु के माथे पर जमीदार की बीवी की गर्म जवानी का असर साफ दिख रहा था उसके माथे से पसीना टपक रहा था,,, सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी और सांसो से भी तेज उसकी कमर चल रही थी जमीदार के बीवी दरवाजे की कड़ी पकड़कर लटकी हुई थी उस का सहारा लेकर चुदाई का मजा लूट रही थी,,,, तभी कदमों की आहट और पायल की छनक दरवाजे के बाहर सुनाई देने लगी दोनों चुदाई में एकदम मसगुल थे,,,, और दरवाजे पर दस्तक होने लगी दरवाजे पर हो रही दस्तक की आवाज सुनकर दोनों एकदम सन्न हो गए,,, रघु एकदम से घबरा गया,,,, रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है,,,,।


माजी दरवाजा खोलिए,,,,,
(आवाज सुनते ही जमीदार की बीवी समझ गई थी उसकी बड़ी बहू राधा है और वह बहाना बनाते हुए बोली,,,)

थोड़ा रुक जाओ बहु,,, मैं सामान ऊपर चढ़वा रही हुं,,, थोड़ा इंतजार करो मैं दरवाजा खोलती हूं,,,,।
(जमीदार की बहू राधा इतना सुनकर खामोश हो गई और वही खड़ी हो गई उसे यही लग रहा था कि उसकी सास अंदर सामान ऊपर चढ़वा रही होगी,,, उसे इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि कमरे के अंदर उसकी सास गैर लड़के से चुदवा रही है,,,, रघु का लंड अभी भी जमीदार की बीवी की बुर की गहराई में धंसा हुआ था,,,, रघु अभी भी घबराया हुआ था,, उसे अभी भी समझ में नहीं आ रहा था कि अपने लंड को अंदर डाले या बाहर निकाल ले तभी जमीदार की बीवीरघु की तरफ पीछे मुड़कर देखते हुए उसे हाथ से इशारा करके आगे बढ़ने के लिए बोली और उसे अपने होठों पर अपनी उंगली रख कर चुप रहने का इशारा भी की,,,रघु को अब तक इस बात का एहसास तो हो गया था कि दरवाजे पर दस्तक देने वाली उसकी बहू थी और इस बात से उसकी उत्तेजना और बढ़ गई थी कि एक औरत अपनी बहू की मौजूदगी में किसी गैर मर्द से चुदाई का भरपूर आनंद लूट रही थी,,, जमीदार की बीवी की तरफ से खुला इशारा पाते ही रघु भला कहां रुकने वाला था वह एक बार फिर से जमींदार की बीवी की कमर दोनों हाथों से पकड़कर चोदना शुरू कर दिया बड़ी मुश्किल से जमीदार की बीवी अपने मुंह से निकलने वाली गर्म सिसकारी को अपने होठों को दबाकर रोके हुए थी,,,,,,, जमीदार की बीवी भी काफी उत्साहित और उत्तेजित हो चुके थे केवल अपनी बहू की मौजूदगी की वजह से इसलिए उत्तेजना के मारे वह अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल दे रही थी,,,, बाहर खड़ी राधा कुछ समझ नहीं पा रही थी,,, उसे केवल कमरे के अंदर से चूड़ी की खनक और पायल की छनक की आवाज के साथ साथ ठप्प ठप्प की आवाज आ रही थी और जहां तक राधा एक शादीशुदा औरत है और इस तरह की आवाज से अच्छी तरह से वाकिफ थी उसे शंका हो रही थी कि कमरे के अंदर जरूर कुछ गलत चल रहा है,,, वह कमरे के अंदर देखना चाहती थी आखिरकार यह आवाज आ कैसी रही है,,, वह दरवाजे मेसे ऐसी जगह ढूंढने लगी जिससे अंदर का नजारा देखा जा सके,,लेकिन दरवाजे के अंदर उसे जरा सी भी तरह की दरार या छेद नजर नहीं आया जहां से वह अपनी शंका को दूर कर सके,,,और इसी बीच दोनों अपने चरम सीमा पर है दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी साथ ही रघु की कमर बड़ी तेजी से अपना रास्ता नाप रही थी,,, और उसकी कमर के लय के साथ पूरी तरह से अपनी लय मिलाते हुए जमीदार की बीवी बड़ी बड़ी गांड को पीछे की तरफ ठेल रही थी,,। देखते ही देखते रघु अपने दोनों हाथ जमीदार की बीवी की चिकनी कमर पर से हटा करआगे की तरफ ले आया और ब्लाउज के ऊपर से ही उसके दोनों कबूतरों को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए अपने आखिरी धक्कों को मारने लगा,,, और दोनों एक साथ झड़ गए,,,दोनों का काम खत्म हो चुका था दोनों एक बार फिर से अद्भुत सुख को भोग चुके थे,,, जैसे ही रघू ने न अपना लंड बाहर निकालाप्रताप सिंह की बीवी तुरंत खड़ी हुई और अपने कपड़ों को सही करने लगी,, और हाथ का इशारा करके रघू को सामने की दीवार पर लगी सीढ़ी पर चढ जाने के लिए बोली और रघु ने वैसा ही किया,,,, रघू तुरंत सीढ़ी पर चढ़ गया और प्रताप सिंह की बीवी अपना सामान उसे हम आने लगी और ऊपर रखने के लिए बोलने लगी ताकि बाहर आवाज सुनाई दे,,,।

हां हां रघु बस वैसे ही ऊपर रख दो बस हां ऐसे ही,, देखना गिरे नहीं आराम से,,,
(बाहर खड़ी राधा को अपनी सास की यह आवाज सुनाई दे रही थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब तक तो सब कुछ शांत और अजीब अजीब सी आवाज आ रही थी तो एकाएक बोलने की आवाज कैसे आने लगी और वह भी इतनी देर के बाद,,, उसे बराबर शंका हो रही थी कि अंदर जरूर गलत ही हो रहा था इसलिए एक बार फिर से दरवाजे पर दस्तक देने लगी और बोली,,,।)

माझी खोलिए ना इतना देर क्यों लगा रही हो,,,,

अरे आई बहू,,,, बस थोड़ा रुको,,,,,
(इतना कहते हुए वह जानबूझकर दरवाजे के पास आई और दरवाजे की कड़ी खोलकर दरवाजे को खोलते हुए बोली,,,)

क्या है बहु कब से कह रही हूं कि अभी खोल रही हूं फिर भी,,,
(जैसे ही दरवाजा खुला वैसे ही प्रताप सिंह की बहू राधा कमरे के अंदर निगाह डाल कर देखने लगी तो सामने ही सीढ़ी पर चढ़ा हुआ उसे हट्टा कट्टआ नौजवान नजर आया,,, जिसके जवान बदन को देखते ही राधा के मन में हलचल होने लगी,,, जमीदार की बीवी एक बार फिर से रघु की तरफ जाते हुए बोली।)

रुक रघु तुझे दूसरा सामान थमाती हूं,,,(इतना कहकर वह दूसरे सामान को उठाकर थमाने लगी लेकिन सामान थोड़ा वजन थाइसलिए प्रताप सिंह की बीवी से उठ नहीं रहा था तो उसकी मदद करने के लिए उसकी बहू रहा था आगे बढ़ी और दोनों मिलकर सामान ऊपर की तरफ उठा कर रघ को थमा दिए रघु अकेला ही उस सामान को उठा कर ऊपर बने मेड पर रख दिया,,, समान रखकर वह नीचे उतर आया,,, और जमीदार की बड़ी बहू को नमस्ते किया और नमस्ते करने के साथ ही उसकी खूबसूरती को अपनी आंखों में उतार लिया वह भी बला की खूबसूरत थी लंबी सुडौल बदन की मालकिन,,,,,, तभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि प्रताप सिंह की बड़ी बहू मतलब लाला की बेटी,,,, और इतना एहसास होते ही वह उससे बातचीत करने का बहाना ढूंढते हुए बोला,,,।)

बड़ी बहू अगर कोई संदेशा हो तो मुझे कह दीजिएगा मैं आपके पिताजी तक पहुंचा दूंगा क्योंकि मैं उन्हीं का तांगा चलाता हूं,,,,।
(इतना सुनते ही राधा के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और वो खुश होते हुए बोली,,,) सच में तुम पिताजी का तांगा चलाते हो,,।

हां बड़ी बहू सच में,,,

औहह,,, यह तो बहुत खुशी की बात है वैसे तो कोई संदेशा नहीं है लेकिन फिर भी कह देना कि मैं बहुत जल्दी आने वाली हूं,,,,।

ठीक है मैं कह दूंगा,,,, और मालकिन आप भी अपना वादा याद रखना,,,,
(इतना कह कर रघु कमरे से बाहर निकल गया मन में यह सोचता हुआ कि यह बड़ी बहू और छोटी बहू उसकी बड़ी बहन शालु बनेगी,,, दोनों सास बहू रघु को जाते हुए देखती रह गई,,, जमीदार से इजाजत लेने के बाद वह अपने घर पहुंच गया जहां पर उसे देख कर उसकी मां और बहन बहुत खुश थी और जब रघु के आने की खबर लगी आपको हुई तो वह अपना काम छोड़कर उससे मिलने आई वह भी बहुत खुश थी रामू को भी रघु के आने की खबर मिली लेकिन अब उसे कोई फर्क नहीं पड़ता और वैसे ही वह रघु को मन ही मन धन्यवाद भी दे रहा था क्योंकि उसकी वजह से ही उसे चुदाई का सुख भोगने को मिला था और वह भी अपनी मां के साथ,,,।
 

Napster

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अब बडी बहू राधा की रघू के साथ धुवांधार चुदाई की संभावना बनती नजर आ रही हैं बडा मजा आयेगा
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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रघु सही सलामत जमीदार की बीवी को लेकर घर वापस आ चुका था,,, जमीदार की बीवी का सामान लेकर रघु उसके पीछे पीछे उसके कमरे तक उसका सामान पहुंचाने गया,,,, जब रघू प्रताप सिंह की हवेली पर पहुंचा था तब प्रताप सिंह वहीं पर मौजूद था और दो चार लोग से बातें कर रहा था,,, उसी नहीं रघु को तांगे से सामान उतार कर उसके कमरे तक पहुंचाने के लिए इशारा किया था,,,,।
थोड़ी ही देर में रघू जमीदार की बीवी के पीछे पीछे उसके कमरे तक पहुंच गया,,,,।

ठीक है रघु उस कोने में सामान रख दो मैं रख लूंगी,,,
(बताए गए जगह पर रघु सामान रखकर जमीदार की बीवी से इजाजत लेने लगा,,,)

अच्छा तो मालकिन अब मैं चलता हूं,,,,
(जमीदार की बीवी रघु को बड़े गौर से देखने लगी,,, रघु से पूछा था ना वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी पिछले कुछ दिनों में जो सुख रघु ने उसे दिया था उसी सुख के लिए वह तड़प रही थी,,,, अब रघु उससे दूर होने वाला था अब ना जाने कब उससे मुलाकात होती है इसलिए वो रघु को जी भर कर देख लेना चाहती थी,,,, जमीदार की बीवी ऊसे बस देखे जा रही थी कुछ बोल नहीं रही थी,,, रघु भी जाने से पहले उसके खूबसूरत चेहरे को जी भर कर देख लेना चाहता था ,,, इसलिए वह भी जमीदार की बीवी के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए बोला,,,)

क्या हुआ मालकिन ऐसे क्यों देख रही है,,,?

अब ना जाने तुझ से कब मुलाकात होगी,,, जिस तरह का सुख तूने मुझे दिया है वह शायद सुख में अब कभी भी नहीं पा सकूंगी,,,,।


ऐसा क्यों कहती है मालकिन मैं आपसे मिलने आता रहूंगा,,,, लेकिन यहां आने का कोई तो बहाना होना चाहिए ना मालकीन,,,,,,,,(रघु यह कहकर अपना काम निकला ना चाहता था वह अपनी बहन का रिश्ता आगे बढ़ाना चाहता था इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) अगर मेरी बड़ी बहन तुम्हारे घर की बहू बन जाए तो मेरा यहां पर आना जाना हमेशा बना रहेगा,,,,।


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो ना करो मैं वादा करती है मैं उनसे बात करूंगी और वह मेरी बात कभी भी इनकार नहीं कर पाएंगे,,,,,(मालकिन की बात सुनते ही रघु एकदम से खुश हो गया और खुशी के मारे और उत्तेजना के असर में वह तुरंत जमीदार की बीवी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों को चूमते हुए बोला,)

औहहहह ,,,, मालकिन,,, आप कितनी अच्छी हो,,,।
(रघु की यह हरकत प्रताप सिंह की बीवी के तन बदन में एक बार और मादकता की चिंगारी को भरने लगी वह और कस के उसकी बाहों में समाने लगी,,,, एक बार फिर से औरत के संसर्ग में आते ही उत्तेजना के मारे उसका लैंड खड़ा होने लगा और देखते ही देखते जमीदार की बीवी की दोनों टांगों के बीच उसकी बुर के ऊपर ठोकर मारने लगा,,,, प्रताप सिंह की बीवी आंखों के लेंस को अपनी बुर के ऊपर ठोकर मारता हुआ बड़े अच्छे से महसुस कर रही थी,,, वह भी एकदम से उत्तेजित हो गई और खुद ही अपनी कमर को आगे बढ़ा दी,,, रघू कामवासना से एकदम लिप्त हो गया और देखते ही देखते अपने दोनों हाथों को ठीक उसकी बड़ी बड़ी गांड पर रखकर जोर जोर से दबाने लगा साड़ी के ऊपर से भी जमीदार की बीवी को रघु के द्वारा इस तरह से नितंब मर्दन का आनंद बड़े अच्छे से प्राप्त हो रहा था,,, रघू का लंड एकदम कठोर हो चुका था,,,,। एक बार फिर से उसका लंड जमीदार की बीवी की बुर में जाने के लिए मचल उठा और जमीदार की बीवी भी अपनी बुर में रघू के लंड को अपने अंदर समाने के लिए तड़प उठी,,,,,। रघु पागल हुआ जा रहा था वो धीरे धीरे जमीदार की बीवी की साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा लेकिन जमीदार की बीवी पूरे होशो हवास में थी भले मदहोशी के आलम में मस्त हुए जा रही थी दरवाजा अभी भी खुला हुआ था इसलिए वह,, रघु की बाहों से अपने आप को छुड़ाते हुए बोली,,।)

रुको रघू दरवाजा खुला है,,,(इतना कहने के साथ ही वह दरवाजे की तरफ आगे बढ़ी हो दरवाजा को बंद करके कड़ी लगा दी,,,,जमीदार की बीवी भी जल्दबाजी में थी क्योंकि उसे अपने घर का हाल मालूम था बहुत दिनों बाद वह अपने घर से लौटी थी इसलिए उससे मिलने के लिए कोई भी आ सकता था उसका पति प्रताप सिंह भी आ सकता था और वह इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे क्योंकि वास्तव में रघु से कब मुलाकात होगी इसका ज्ञान उसे बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह रघु से इस समय चुदवाने के मूड में थी,,,,)

रघु जो भी करना जल्दी करना क्योंकि कोई भी आ सकता है,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मालकिन मैं फटाफट काम खत्म कर दूंगा,,,,, बस मेरी जान दरवाजा पकड़कर घोड़ी बन जा,,,,,(रघु जमीदार की बीवी की चिकनी कमर पकड़कर उसे दरवाजे की तरफ घुमाते हुए बोला,,,जमीदार की बीवी को अच्छी तरह से मालूम था कि अब उसे क्या करना है वह तुरंत दरवाजे की तरफ घूम गई और दोनों हाथ से दरवाजे का सहारा लेकर झुक गई रघु पूरी तरह से तैयार था इसलिए तुरंत,,, जमीदार की बीवी की साड़ी को पकड़कर एक झटके से उठाकर उसे कमर तक कर दिया,,, पलक झपकते ही जमीदार की बीवी कमर से नीचे एकदम नंगी हो गई जमीदार की बीवी की तरबूजे जैसी गोल-गोल गांड देखकर रघु की आंखों में चमक आ गई,,, और वह अपना पैजामा नीचे करके अपने खड़े लंड को एक हाथ से पकड़ कर जमीदार की बीवी की गुलाबी बुर में डाल दिया,,,,आहहहहहह,,,की आवाज के साथ जमीदार की बीवी रघु के लंड को अपनी बुर के अंदर प्रस्थान करने की इजाजत दे दी,,,,पहले से ही रघू के लंड का सांचा जमीदार की बीवी की बुर में बन चुका था इसलिए ज्यादा कठिनाई उसे अंदर ठेलने में रघु को बिल्कुल भी नहीं हुई,,,, रघु जमीदार की बीवी की मद मस्त गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर चोदना शुरू कर दिया,,,, थोड़ी ही देर में जमीदार की बीवी की गर्म सिसकारी कमरे में गुंजने लगी,,, जमीदार की बीवी एकदम मदहोश हो चुकी थी वह भी भूल गई कि वह अपने शयनकक्ष में एक गैर लड़के से चुदाई का मजा लूट रही है,,, चुदाई एकदम चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी रघु के माथे पर जमीदार की बीवी की गर्म जवानी का असर साफ दिख रहा था उसके माथे से पसीना टपक रहा था,,, सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी और सांसो से भी तेज उसकी कमर चल रही थी जमीदार के बीवी दरवाजे की कड़ी पकड़कर लटकी हुई थी उस का सहारा लेकर चुदाई का मजा लूट रही थी,,,, तभी कदमों की आहट और पायल की छनक दरवाजे के बाहर सुनाई देने लगी दोनों चुदाई में एकदम मसगुल थे,,,, और दरवाजे पर दस्तक होने लगी दरवाजे पर हो रही दस्तक की आवाज सुनकर दोनों एकदम सन्न हो गए,,, रघु एकदम से घबरा गया,,,, रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है,,,,।


माजी दरवाजा खोलिए,,,,,
(आवाज सुनते ही जमीदार की बीवी समझ गई थी उसकी बड़ी बहू राधा है और वह बहाना बनाते हुए बोली,,,)

थोड़ा रुक जाओ बहु,,, मैं सामान ऊपर चढ़वा रही हुं,,, थोड़ा इंतजार करो मैं दरवाजा खोलती हूं,,,,।
(जमीदार की बहू राधा इतना सुनकर खामोश हो गई और वही खड़ी हो गई उसे यही लग रहा था कि उसकी सास अंदर सामान ऊपर चढ़वा रही होगी,,, उसे इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि कमरे के अंदर उसकी सास गैर लड़के से चुदवा रही है,,,, रघु का लंड अभी भी जमीदार की बीवी की बुर की गहराई में धंसा हुआ था,,,, रघु अभी भी घबराया हुआ था,, उसे अभी भी समझ में नहीं आ रहा था कि अपने लंड को अंदर डाले या बाहर निकाल ले तभी जमीदार की बीवीरघु की तरफ पीछे मुड़कर देखते हुए उसे हाथ से इशारा करके आगे बढ़ने के लिए बोली और उसे अपने होठों पर अपनी उंगली रख कर चुप रहने का इशारा भी की,,,रघु को अब तक इस बात का एहसास तो हो गया था कि दरवाजे पर दस्तक देने वाली उसकी बहू थी और इस बात से उसकी उत्तेजना और बढ़ गई थी कि एक औरत अपनी बहू की मौजूदगी में किसी गैर मर्द से चुदाई का भरपूर आनंद लूट रही थी,,, जमीदार की बीवी की तरफ से खुला इशारा पाते ही रघु भला कहां रुकने वाला था वह एक बार फिर से जमींदार की बीवी की कमर दोनों हाथों से पकड़कर चोदना शुरू कर दिया बड़ी मुश्किल से जमीदार की बीवी अपने मुंह से निकलने वाली गर्म सिसकारी को अपने होठों को दबाकर रोके हुए थी,,,,,,, जमीदार की बीवी भी काफी उत्साहित और उत्तेजित हो चुके थे केवल अपनी बहू की मौजूदगी की वजह से इसलिए उत्तेजना के मारे वह अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल दे रही थी,,,, बाहर खड़ी राधा कुछ समझ नहीं पा रही थी,,, उसे केवल कमरे के अंदर से चूड़ी की खनक और पायल की छनक की आवाज के साथ साथ ठप्प ठप्प की आवाज आ रही थी और जहां तक राधा एक शादीशुदा औरत है और इस तरह की आवाज से अच्छी तरह से वाकिफ थी उसे शंका हो रही थी कि कमरे के अंदर जरूर कुछ गलत चल रहा है,,, वह कमरे के अंदर देखना चाहती थी आखिरकार यह आवाज आ कैसी रही है,,, वह दरवाजे मेसे ऐसी जगह ढूंढने लगी जिससे अंदर का नजारा देखा जा सके,,लेकिन दरवाजे के अंदर उसे जरा सी भी तरह की दरार या छेद नजर नहीं आया जहां से वह अपनी शंका को दूर कर सके,,,और इसी बीच दोनों अपने चरम सीमा पर है दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी साथ ही रघु की कमर बड़ी तेजी से अपना रास्ता नाप रही थी,,, और उसकी कमर के लय के साथ पूरी तरह से अपनी लय मिलाते हुए जमीदार की बीवी बड़ी बड़ी गांड को पीछे की तरफ ठेल रही थी,,। देखते ही देखते रघु अपने दोनों हाथ जमीदार की बीवी की चिकनी कमर पर से हटा करआगे की तरफ ले आया और ब्लाउज के ऊपर से ही उसके दोनों कबूतरों को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए अपने आखिरी धक्कों को मारने लगा,,, और दोनों एक साथ झड़ गए,,,दोनों का काम खत्म हो चुका था दोनों एक बार फिर से अद्भुत सुख को भोग चुके थे,,, जैसे ही रघू ने न अपना लंड बाहर निकालाप्रताप सिंह की बीवी तुरंत खड़ी हुई और अपने कपड़ों को सही करने लगी,, और हाथ का इशारा करके रघू को सामने की दीवार पर लगी सीढ़ी पर चढ जाने के लिए बोली और रघु ने वैसा ही किया,,,, रघू तुरंत सीढ़ी पर चढ़ गया और प्रताप सिंह की बीवी अपना सामान उसे हम आने लगी और ऊपर रखने के लिए बोलने लगी ताकि बाहर आवाज सुनाई दे,,,।

हां हां रघु बस वैसे ही ऊपर रख दो बस हां ऐसे ही,, देखना गिरे नहीं आराम से,,,
(बाहर खड़ी राधा को अपनी सास की यह आवाज सुनाई दे रही थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब तक तो सब कुछ शांत और अजीब अजीब सी आवाज आ रही थी तो एकाएक बोलने की आवाज कैसे आने लगी और वह भी इतनी देर के बाद,,, उसे बराबर शंका हो रही थी कि अंदर जरूर गलत ही हो रहा था इसलिए एक बार फिर से दरवाजे पर दस्तक देने लगी और बोली,,,।)

माझी खोलिए ना इतना देर क्यों लगा रही हो,,,,

अरे आई बहू,,,, बस थोड़ा रुको,,,,,
(इतना कहते हुए वह जानबूझकर दरवाजे के पास आई और दरवाजे की कड़ी खोलकर दरवाजे को खोलते हुए बोली,,,)

क्या है बहु कब से कह रही हूं कि अभी खोल रही हूं फिर भी,,,
(जैसे ही दरवाजा खुला वैसे ही प्रताप सिंह की बहू राधा कमरे के अंदर निगाह डाल कर देखने लगी तो सामने ही सीढ़ी पर चढ़ा हुआ उसे हट्टा कट्टआ नौजवान नजर आया,,, जिसके जवान बदन को देखते ही राधा के मन में हलचल होने लगी,,, जमीदार की बीवी एक बार फिर से रघु की तरफ जाते हुए बोली।)

रुक रघु तुझे दूसरा सामान थमाती हूं,,,(इतना कहकर वह दूसरे सामान को उठाकर थमाने लगी लेकिन सामान थोड़ा वजन थाइसलिए प्रताप सिंह की बीवी से उठ नहीं रहा था तो उसकी मदद करने के लिए उसकी बहू रहा था आगे बढ़ी और दोनों मिलकर सामान ऊपर की तरफ उठा कर रघ को थमा दिए रघु अकेला ही उस सामान को उठा कर ऊपर बने मेड पर रख दिया,,, समान रखकर वह नीचे उतर आया,,, और जमीदार की बड़ी बहू को नमस्ते किया और नमस्ते करने के साथ ही उसकी खूबसूरती को अपनी आंखों में उतार लिया वह भी बला की खूबसूरत थी लंबी सुडौल बदन की मालकिन,,,,,, तभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि प्रताप सिंह की बड़ी बहू मतलब लाला की बेटी,,,, और इतना एहसास होते ही वह उससे बातचीत करने का बहाना ढूंढते हुए बोला,,,।)

बड़ी बहू अगर कोई संदेशा हो तो मुझे कह दीजिएगा मैं आपके पिताजी तक पहुंचा दूंगा क्योंकि मैं उन्हीं का तांगा चलाता हूं,,,,।
(इतना सुनते ही राधा के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और वो खुश होते हुए बोली,,,) सच में तुम पिताजी का तांगा चलाते हो,,।

हां बड़ी बहू सच में,,,

औहह,,, यह तो बहुत खुशी की बात है वैसे तो कोई संदेशा नहीं है लेकिन फिर भी कह देना कि मैं बहुत जल्दी आने वाली हूं,,,,।

ठीक है मैं कह दूंगा,,,, और मालकिन आप भी अपना वादा याद रखना,,,,
(इतना कह कर रघु कमरे से बाहर निकल गया मन में यह सोचता हुआ कि यह बड़ी बहू और छोटी बहू उसकी बड़ी बहन शालु बनेगी,,, दोनों सास बहू रघु को जाते हुए देखती रह गई,,, जमीदार से इजाजत लेने के बाद वह अपने घर पहुंच गया जहां पर उसे देख कर उसकी मां और बहन बहुत खुश थी और जब रघु के आने की खबर लगी आपको हुई तो वह अपना काम छोड़कर उससे मिलने आई वह भी बहुत खुश थी रामू को भी रघु के आने की खबर मिली लेकिन अब उसे कोई फर्क नहीं पड़ता और वैसे ही वह रघु को मन ही मन धन्यवाद भी दे रहा था क्योंकि उसकी वजह से ही उसे चुदाई का सुख भोगने को मिला था और वह भी अपनी मां के साथ,,,।
सुपर
 

rohnny4545

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अब बडी बहू राधा की रघू के साथ धुवांधार चुदाई की संभावना बनती नजर आ रही हैं बडा मजा आयेगा
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Dhanyawad dost
 
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