जमीदार की बहू राधा के साथ संभोग करने के बाद रघु काफी खुश था क्योंकि उसके माथे से बहुत बड़ी मुसीबत जो टल गई थी,,, सास बहू दोनों अब उसके लंड की दीवानी हो चुकी थी,,,,राधा की कसी हुई चूत का स्वाद चक्र कर रखो कि तन बदन में जिस तरह का उत्तेजना का अनुभव हो रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,,, जमीदार की हवेली से वह सीधा अपने घर की तरफ चला गया था,,। अब उसे बिल्कुल भी चिंता नहीं थी,, क्योंकि सास बहू दोनों की पहले चुका था और दोनों अब एक दूसरे के राजदार हो चुके थे इसलिए जमीदार के सामने दोनों में से कोई भी रघु का किसी भी प्रकार से जिक्र नहीं कर सकता था,,, दूसरी तरफ राधा के साथ-साथ उसकी सास भी बहुत खुश थी,,, क्योंकि राधा के तरफ से अब उसे किसी भी प्रकार का डर नहीं था और राधा के मन में भी अपनी सास को लेकर अब किसी भी प्रकार का वाद विवाद नहीं था,,,। रघु की पांचों उंगलियां घी में थी,,,ऊंचे घराने की औरतों के साथ चुदाई का सुख भोग पर रघु अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली समझने लगा था,,,और रघु अपने आप में बहुत ही भाग्यशाली था अभी क्योंकि अब तक उसने बहुत सारी औरतों के साथ संभोग सुख का मजा ले चुका था सबसे पहले हलवाई की बीवी,,,, जिसने पहली मर्तबा उसे चुदाई के सुख से वाकिफ कराई थी,,, लेकिन रघु भी उसे पहली बार में ही संतुष्टि का जबरदस्त एहसास कराया था जैसा कि हलवाई की बीवी ने अब तक नहीं कर पाई थी,,, उसके बाद उसके दोस्त रामू की मां ललिया,,, जिसके साथ तूफानी बारिश में रात भर उसके साथ चुदाई का सुख भोगता रहा,,, और शालू उसकी खुद की सगी बड़ी बहन जिस की चुदाई वह हर रोज कर रहा था,,,, उसके बाद जमीदार की बीवी और फिर जमीदार की बहू अब तक उसकी जिंदगी में एक से एक खूबसूरत औरत आती जा रही थी,,,, जिसके साथ वह संभोग सुख का परम आनंद लूट रहा था,,,।
Jamidar ki Bahu or Raghu
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रात हो चुकी थी रघु शालू और उसकी मां तीनों बैठकर खाना खा रहे थे,,,, बात बात में कजरी अपने बेटे से बोली,,,।
क्या रघु तुझे ऐसा लगता है कि जमीदार अपने बेटे का रिश्ता शालू से करने के लिए राजी हो जाएंगे,,,!(कजरी मुंह में निवाला डालते हुए बोली,,,)
हां हां क्यों नहीं मुझे पूरा विश्वास है,,,, बड़ी मालकिन बहुत अच्छी है आज भी रिश्ते की बात कर रही थी और अब तो उनकी छोटी बहू भी हां में हां मिला रही है देखना बहुत ही जल्दी अपनी सालु उस हवेली में राज करेगी,,,,(रघु अपनी बहन शालू की तरफ देखते हुए बोला जो कि अपने छोटे भाई की बात सुनकर शरमा गई और उठ कर वहां से भाग गई,,,.. दोनों मां-बेटे सालु को इस तरह से शर्मा कर देखते हुए हंसने लगे,,,खाना खाते समय कजरी के मन में वही दृश्य घूम रहा था जब वह दोनों साथ में खाना खा रहे थे और रघु का लंड उसकी तोलिए में से एकदम साफ नजर आ रहा था,,,,अपने बेटे के खड़े दमदार लंड को देखकर जिस तरह से उसकी बुर पानी पानी हुई थी उसी तरह से इस समय भी सिर्फ उसके बारे में सोच कर ही उसकी बुर फुदकने लगी थी,,,।उसके मन में यही चल रहा था कि काश ईस समय उसके बेटे का खड़ा लंड देखने को उसे मिल जाता तो रात अच्छी गुजरती,,,, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था दोनों खाना खा चुके थे और ऊपर छत पर सोने के लिए चले गए,,,, कजरी को तो जैसे तैसे नींद आ गई,,, लेकिन रघु को नींद नहीं आ रही थी वह हवेली में हुई घटना के बारे में सोच रहा था और भगवान को लाख-लाख धन्यवाद कर रहा था क्योंकि आज उसकी जान बच गई थी और यह सब उसकी दमदार मर्दानगी की वजह से थी वरना राधा अगर अपना मुंह खोल देती तो शायद वह अपने पैरों पर घर नहीं पहुंचता या फिर किसी नदी में उसकी लाश तैरती हुई मिलती,,, रघु अपने मन में ही सोच रहा था कि राधा की तन की प्यासी एक ही करना पति के होने के बावजूद भी वह,,, उसके साथ क्यों संभोग करने के लिए इतना आडंबर रचती,,, लेकिन जो भी हुआ अच्छा ही हुआ राधा जैसी खूबसूरत औरत को चोदने का जो मजा उसे प्राप्त हुआ है उसके बारे में सोच सोच कर ही उसका लंड खड़ा हो जा रहा था,,, पर यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे पायल की छन छन की आवाज सुनाई देने लगी वह समझ गया कि शालु आ रही है उसे भी शालू का बेसब्री से इंतजार था,,,, सीढ़ियों से ऊपर आकर सालुएक नजर अपनी मां के ऊपर डाली वह गहरी नींद में सो रही थी और अपनी मां की तरफ से पूरी तरह से निश्चित होकर बार रघु के पास जाने लगी और रघु को जागता हुआ पाकर वो मुस्कुराने लगी,,,, वह रघु के पास बैठते हुए बोली,,,..
Raghu apni bahan ki boor se khelta hua
रघु तु मेरा मन रखने के लिए तो यह सब नहीं कह रहा है,,,।
नहीं देती यह कैसी बातें कर रही हो भला मैं तुमसे क्यों झूठ बोलूंगा,,,, पहले तो बड़ी मालकिन की ही हामी थी,,, लेकिन अब तो छोटी मालकिन की भी हामी निश्चित है,,,, बस एक बार बड़ी मालकिन मालिक से बात कर ले बस सब कुछ ठीक हो जाएगा,,,,
(रघु की बातें सुनकर शालू मन ही मन प्रसन्न होने लगी लेकिन अपनी ही शादी की बात सुनकर उसके चेहरे पर शर्म की लालीमा छाने लगी जिससे उसका खूबसूरत चेहरा और ज्यादा दमकने लगा,, अपनी बहन को इस तरह से शर्माता हुआ देखकर रघु उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचता हुआ बोला,,,)
मैं तुम्हारी शादी की बात कर के आया हूं वह भी हवेली में मुझे कुछ तो इनाम दो,,,,
ले लो मैं कब इनकार की हूं,,,,(शालू शरमाते हुए बोली और अपनी बहन को इस तरह से शर्माता हुआ देखकर रखो खुश होता हुआ उसे अपनी बाहों में खींचता हुआ बोला,,,)
ओहहहहह मेरी प्यारी दीदी तुम कितनी अच्छी हो,,,,(और इतना कहने के साथ ही रखो तब अपनी बहन के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया इस बात का पता शालू को भी नहीं हुआ और देखते ही देखते रघु अपनी बड़ी बहन शालू को अपने मोटे तगड़े लंबे लंड पर बैठा कर उसे लंड की सवारी करने लगा,,, सालु को अपने भाई के मोटे तगड़े लैंड की सवारी करने में बहुत आनंद आता था,,, दो बार अपनी बहन की चुदाई करने के बाद दोनों अपनी अपनी जगह जाकर सो गए,,,
शुबह जब रघु की नींद खुली तो सूरज सर पर चढ़ आया था,,, जैसे तैसे वह मन मार कर उठकर बैठ गया,,,। उसे उठने में आज काफी देर हो चुकी थी,,, खेतों में पानी देने जाना था,,, वह जल्दी से छत से नीचे उतर कर आया लेकिन घर में कोई भी नहीं था वह समझ गया कि शालू और उसकी मां दोनों खेतों पर पानी देने चले गए हैं वह भी हाथ मुंह धो कर खेतों की तरफ चल दिया,,,। थोड़ी देर में खेतों पर पहुंचकर उसे ट्यूबवेल मैं से पानी निकलता हुआ नजर आने लगा,,,, और थोड़ी ही दूरी पर उसकी बहन शालू और उसकी मां कचरे दोनों मिट्टी से एक तरफ कीनारी कर के खेतों में जाने के लिए पानी के लिए रास्ता बना रहे थे,,,, सालु और उसकी मां का चली दोनों झुककर मिट्टी से रास्ता बना रहे थे और झुकने की वजह से दोनों की मदमस्त गांड रघु को साफ नजर आ रही थी क्योंकि वह दोनों रघु की तरफ पीठ करके काम कर रहे थे,,,, रघु के मुंह में पानी आने लगा वह कुछ देर तक वही खड़ा होकर अपनी बड़ी बहन और अपनी मां की गोल-गोल गांड के बीच तुलना करने लगा कि किसकी गांड बेहद खूबसूरत है,,,। लेकिन रघु अपनी मां बहन दोनों की गांड में से किसकी गांड बेहद खूबसूरत है इसकी तुलना नहीं कर पा रहा था क्योंकि दोनों की गांड बेहद खूबसूरत और गोल गोल थी और किस्मत से उसने अपनी मां और बहन दोनों की गांड को बिना कपड़ों के नंगी देख चुका था अपनी मां की गांड वह सबसे पहले खेतों में पेशाब करते हुए देखा था तब से उसके मन में अपनी मां के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा था और शालु कि खूबसूरत गांड को तो रोज ही देखता रहा था और उसे चोदते भी आ रहा था,,,,। आखिरकार उसे इस निष्कर्ष पर आना पड़ा कि दोनों की गांड उसके लिए बेहद ही खूबसूरत थी हालांकि यह हकीकत था कि उसकी मां की गांड उसकी बहन की तुलना में काफी बड़ी और गोल गोल और खूबसूरत है,,,अपनी मां और बहन और दोनों को इस तरह से झुक कर खेतों में काम करता हुआ देखकर उनकी गोल-गोल गांड को देखकर रघु एक बार फिर से उत्तेजित होने लगा,,,, काम करते हुए सालु की नजर अपने भाई पर पड़ी तो वह उसे आवाज देते हुए बोली,,,।
Raghu or shalu
अरे वही खड़ा रहेगा या इधर आकर काम भी करेगा,,,(अपनी बहन की आवाज कानों में पड़ते ही रघु जैसे नींद से जागा हो और वह तुरंत उन दोनों की तरफ आगे बढ़ गया,, और वह भी काम में हाथ बंटाने लगा,,, सुबह का ठंडा मौसम था इसलिए,, उन तीनों को थकान महसूस नहीं हो रही थी,,, रघु और कजरी दोनों मां-बेटे आमने-सामने झुककर कर काम कर रहे थे,,, और शालू थोड़ा आगे काम कर रही थी,,,, काम करते हुए रघु की नजर अपनी मां की दोनों चूचियों पर चली जा रही थी जोकि ब्लाउज में से बाहर की तरफ झांक रही थी रघु के मुंह में पानी आ रहा था,,,, कजरी अपने काम में मस्त थी,,, उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि काम करते समय उसके झुकने की वजह से ब्लाउज के बाहर ऊसकी चुचीयां झांक रही हैं और उसके दोनों दशहरी आम को उसका बेटा ललचाई नजरों से देख रहा है,,,। अपनी मां की चूची को देखते ही रघु के लंड में खलबली होने लगी,,, तभी काम करते समय कजरी की नजर अपने बेटे पर गई और उसकी नजरों को भांपते ही उसके तन बदन में सुरसुरी सी दौड़ने लगी,,, एक पल के लिए उसके तन बदन में सिरहन सी दौड़ने लगी थी लेकिन बहुत ही जल्द वह अपने आप को संभाल ले गई,,,यह जानते हुए भी कि उसका बेटा उसके दोनों दशहरी आम को प्यासी नजरों से देख रहा है फिर भी वह साड़ी के पल्लू से उसे ढंकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की,,, और रघु बेशर्म बनता हुआ अपनी नजरों को अपनी मां के ब्लाउज में ही गाड़े हुए था,,,।
चारों तरफ हरियाली छाई हुई थी हरे हरे खेत लहरा रहे थे और खेत में केवल रघु उसकी मां और उसकी बहन ही थी,,,
और दूर दूर तक कोई भी नजर नहीं आ रहा था,,,, रघु अपनी मां में भी एक खूबसूरत औरत को देखता था,,, उसे आप अपनी मां के अंदर एक खूबसूरत औरत के साथ-साथ उसके खूबसूरत अंग नजर आते थे,,, अपनी मां की चुचियों से लेकर उसकी मद भरी रसीली बुर तक की कल्पना वह कर चुका था,,, और कुछ कुछ अपनी नजरों से उसके दर्शन भी कर चुका था,,,, वैसे भी अपनी मां को गंदी नजरों से देखना उसे अच्छा लगता था,,, बिना कुछ किए ही अपनी मां के बारे में सोच कर ही उसकी उत्तेजना अत्यधिक बढ जाती थी,,,। वह इतना ज्यादा अत्यधिक उत्तेजित हो जाता था कि उसे बिना अपना लंड हीलाएं शांति नहीं मिलती थी,,। वह अपनी गंदी नजरों से
अपनी मां की दोनों चूचियों को देखता हुआ बोला,,,,,।
Raghu or uski ma
मां क्यों ना हम दशहरी आम का पेड़ लगाएं,,, ताकि जब वह बड़े बड़े हो जाए तो हम उसे तोड़कर उसे दबा दबा कर उसका मीठा रस पी सके,,,।
(रघु इशारों ही इशारों में दो अर्थ वाली बातें कर रहा था जो कि कजरी तुरंत समझ गई थी,,, अपने बेटे की बातें सुनकर उसके अंदर की मस्ती छाने लगी,,, और वह बोली।)
हां मुझे अगर पसंद है तो जरूर दशहरी आम के पेड़ लगाएंगे,,,, क्या तुझे सच में बड़े बड़े आम पसंद है,,,।
हा मा सच कह रहा हूं बड़े-बड़े आम देखते ही मेरे मुंह में पानी आने लगता है,,,,मन करता है कि अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसे तोड़ दूंगा और अपने मुंह में भर कर उसका रस निचोड़ निचोड़ कर पी जाऊं,,,,(देखो अपनी मां की मस्ती भरी चूचियों को देखता हुआ बोला और यह बात कजरी अच्छी तरह से समझ रही थी इसीलिए तो अपनी बेटे की बात सुनकर उसकी दोनों टांगों के बीच थरथराहट होने लगी,,,। कजरी अपने आप को संभालते हुए बोली,,)
तुझे इतना पसंद है दशहरी आम ऐसा क्यों,,,?
क्योंकि मां दशहरी आम बड़े बड़े और गोल गोल के साथ बहुत मीठे होते हैं,,,।(रघु एकदम खुश होता हुआ और अभी भी बेशर्मी भरी निगाहों से अपनी मां के ब्लाउज में झांकते हुए बोला,,,)
मुझे तो पता ही नहीं था कि तुझे दशहरी आम इतने ज्यादा पसंद है लेकिन तू तो जब छोटा था तब आम पसंद ही नहीं करता था,,, तो अब यह बदलाव कैसा,,,?
तब मै छोटा था लेकिन अब बड़ा हो गया हूं,,, जैसे-जैसे समय गुजरता जाता है वैसे वैसे हम लड़कों की पसंद होगी बदलती जाती है,,,।(रघु मुस्कुराता हुआ बोला और कजरीअपने बेटे के कहने का मतलब को साफ-साफ समझ रही थी इसीलिए तो उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, अपने बेटे की बात सुनकर कुछ बोल नहीं पाई लेकिन उसका बेटा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) तुम को क्या पसंद है मा उसके भी पेड़ लगा देंगे,,,।
केला ,,,,,मुझे केला पसंद है,,,,(एकदम से कजरी के मुंह से निकल गया,,,, अपनी मां के मुंह से केला सब्द सुनकर रघु को भी ऐसा लगने लगा कि जैसे उसकी मां भी दो अर्थ वाली बातें कर रही है,,,)
केला ,,,,पर मैंने तो तुम्हें कभी खाते हुए नहीं देखा,,,(रघु आश्चर्य जताते हुए बोला)
तो क्या केला सबके सामने खाया जाता है,,,, वह तो मैं अकेले में खाती हूं,,,,(कजरी मिट्टी से रास्ता बनाते हुए मुस्कुराते हुए बोली,,, अपनी मां की मुस्कुराहट देखकर रघु उत्तेजित होने लगा अपनी मां की बात सुनकर वह बोला,,,)
केला क्या अकेले में खाने वाली चीज है,,,,
किसी को आए या ना आए लेकिन मुझे तो आती है,,, केला खाने में,,,,(कजरी गहरी सांस लेते हुए बोली)
मुझे पता है क्यों आती है तुमको शर्म,,,,(रघु अपनी मां की तरफ देखता हुआ बोला)
क्यों आती है,,,?( कजरी भी तपाक से बोली,,,)
क्योंकि केला मोटा और लंबा होता है इसलिए,,,,(रघु भी जानबूझकर यह बात बोला था और कजरी अपने बेटे के कहने का मतलब कुछ इस तरह से समझ गई थी इसलिए कुछ देर तक उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुरा दी और बोली)
ठीक कह रहा है तू बड़ा अजीब लगता है इतना लंबा और मोटा केला मुंह में भर भर कर खाना,,, लेकिन मोटा लंबा केला खा लेने से एक ही बार में पेट भर जाता है,,,,
अब यह तो तुम्हें ही पता होगा मां मुझे तो अकेला नहीं पसंद मुझे तो दशहरी आम ही पसंद है,,,।
हां मैं जानती हूं औरतो और मर्दों की पसंद एक दूसरे से अलग ही होती है,,,,(कजरी ढेर सारी मिट्टी एक तरफ करते हुए बोली,,,, इस तरह की बातें करके दोनों के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थीकजरी अपने बेटे की बातें सुनकर मस्त हो जा रही थी और रघु अपनी मां की इस तरह की बातें सुनकर उत्तेजित और चुदवासा हुआ जा रहा था,,, दोनों की बातें और आगे बढ़ पाती इससे पहले ही सालु उधर आ गई और बोली,,,)
काम हो चुका है मा,,, खेतों में पानी बराबर जा रहा है,,,,
चलो अच्छा हुआ कि जल्दी काम हो गया,,, चलो अब एक काम करते हैं इसी ट्यूबवेल में नहा भी लेते हैं क्योंकि हम तीनों ने अभी तक नहाया नहीं है,,,
तीनों एक साथ,,,,(शालू अपनी मां की तरफ आश्चर्य से देखते हुए बोली,,,)
तो क्या हुआ,,,, यहां कौन देखने वाला है,,,, और वैसे भी कपड़े पहन कर ही नहाना है उतार कर नही,,,
(रघु अपनी मां की बात सुनकर मन ही मन खुश हो रहा था शालू को भी किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं थी इसलिए वह भी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,, वह तीनों ट्यूबवेल की तरफ आगे बढ़ने लगे,,, ट्यूबवेल का पानी पहले बड़ी सी पाइप में से बाहर निकलता था जिसके इर्द-गिर्द 4 4 फिट की दीवार बनाकर टंकी की तरह बनाई गई थी,,, पहले पानी उसमें इकट्ठा होता था उसके बाद उसमें से निकलकर मिट्टी से बनाई हुई नाली में से गुजर कर हर खेतों में जाता था,,, सबसे पहले रघु ट्यूबवेल की टंकी में उतर गया पानी बहुत ठंडा था इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,
पानी बहुत ठंडा है मां,,,, संभल के,,,,
कोई बात नहीं ठंडा पानी मुझे अच्छा लगता है,,,
और मुझे भी,,,(शालू भी पीछे से आते हुए बोली,,, शालू अपनी मां के पीछे पीछे चल रही थी कि तभी उसे झाड़ियों के बीच से एक चेहरा नजर आने लगा गौर से देखने के बाद उसका मन प्रसन्नता से भर गया क्योंकि वह बिरजू था और उसे इशारा करके अपने पास बुला रहा था,,,, शालू अपनी मां से बहाना बनाते हुए बोली,,,,)
तुम नहाती रहो मैं थोड़ी देर में आती हूं,,,,
कहां जा रही है,,,,
सौच करने,,,,,(सानु धीरे से अपनी मां के कान में बोली और कजरी बोली)
जा जल्दी आना,,,,
अभी गई और अभी आई,,,,(इतना कहने के साथ ही शालू नजर बचाकर झाड़ियों के बीच चली गई जहां पर पहले से ही बिरजू छिपा हुआ था और झाड़ियों में पहुंचते ही बिरजू ऊसका हाथ पकड़कर अपने साथ ले जाने लगा।)